Friday, September 5, 2014

FUN-MAZA-MASTI मनोरमा --5

FUN-MAZA-MASTI


 मनोरमा --5

 शमशेर ने कमला की साडी और पेटीकोट ऊपर उठा लिया. कमला की मोटी मोटी जांघे और काले बालों से ढकी चूत को देख कर उसका लंड और तन गया. शमशेर ने उसका मुंह अपने लंड से हटाया और उसके होठों पर चुम्बन ले लिया. दोनों गाडी से बाहर निकले. शमशीर ने गाडी के ट्रंक से कम्बल और तकिया निकले तो कमला समझ गयी कि उसका भाई अभी भी उसका इतना दीवाना है तभी तो इतनी तैयारी से आया है.

"अब तुम जब तक यहाँ हो कमला, अपनी परेशानी भूल जाओ और जीवन के आनंद लो", समशेर बोला.

शमशेर ने कमला का ब्लाउज खोल दिया और उसके बड़े बड़े मम्मे सहलाने लगा. कमला तो जैसे शमशेर का लंड छोड़ ही नहीं रही थी.

"भाई, आजकल बहु को चोद रहे हो, इसी लिए यहाँ के बाल साफ़ रखते हो, सही है", कमला ने कटाक्ष किया.

शमशेर अपनी पैंट नीचे खिसका कर लेट गया और कमला उसके ऊपर अपनी साडी उठा कर बैठ गयी. कुछ ही पलों में शमशेर का लंड अपनी बहन कमला की चूत में सैर करने लगा. कमला शमशेर के लंड की सवारी उछल उछल कर कर रही थी. उसकी चूत शमशेर का लंड गपागप ले रही थी. उसके इस कलाप में उसके मम्में हवा में उछालते थे. दोनों को अपने जवानी के दिन याद आ गए जब वो खेतों में छुप छुप कर चुदाई करते थे. बीच बीच में शमशेर अपना चेहरा दोनों मोटे मम्मों के बीच में रख कर कमला की छाती को धीरे शीरे छोम लेता.

चुदाई करते हुए वो सड़क से गुजरती हुई गाड़ियों की आवाज सुन सकते थे. दूसरी तरफ से पंछियों की आवाज आ रही थी. इसी समय एक मोटर-साइकिल पास में रुकी. और एक आदमी उन्हीं झाड़ियों के तरफ बढ़ रहा था जहाँ शमशेर और कमला अपनी काम क्रीडा कर रहे थे.

"इतने दिन बाद मेरी पसंद का लंड मिला है, आज मैं इसे जम के चोदूंगी भाई" कमला सिसकारी मारते हुए बोली.

शमशेर को कमला की चुदते हुए ऐसी गंदी गंदी बातें बोलने की आदत बड़ी पसंद थी. उसने

"अब तुम जब तक यहाँ हो, ये लंड कभी भी और कहीं भी हाज़िर जय तुम्हारी सेवा में", शमशेर अपनी कमर उठा उठा कर कमला की चूत चोदते हुए बोला.

कमला शमशेर के ऊपर झुक कर उसका चुम्मा लेने लगी. इसी समय उसे अपनी गांड के छेद पर कुछ गीला गरम गरम सी कोई चीज चुभती हुई महसूस हुई. शमशेर ने कमला की आँखें बंद कर दीं और पूछा,
"दरो मत, ये मेरा तुम्हें सरप्राइज देने का अत्रीका था. पहचानो तो ये दूसरा लौंडा किसका है"

"अब इस उम्र में तो याददाश्त इतनी कमज़ोर हो गयी है की ये बता पाना मुश्किल है. पर ये लगता तो जाना पहचाना है"

"अरे ये हमारे चाचा का बीटा बलविंदर उर्फ़ बल्ली है कमला. याद है हम दोनों ने श्यामपुर के मेले के बाहर खेतों में मिल के चोदा था?"

कमला को ये बिलकुल पता नहीं चला की कब बल्ली अपनी मोटर साइकिल उनकी कार के बगल में पार्क कर के उनके दबे पाँव उनके पास की झाड़ियों तक आया. उसने देखा कमला मजे ले कर अपने मोटे मोटे चुतड अपने बड़े भाई शमशेर के लंड पर पटक रही है, तो उसका 8 इंच का लौंडा तुरंत खड़ा हो गया. जैसे ही शमशेर ने उसे इशारा किया वो वो दबे पाँव पीछे से पीछे आया, अपना लंड निकला उसमें ठीक से थूक लगाया और भिड़ा दिया कमला की मोती गांड के छेद पर. इस पॉइंट पर, कमला ने अपनी गांड पर कुछ गीला गरम महसूस किया था.

कमला का मन बाग बाग हो रहा था. उसे अभी भी मेले के दिन का एक एक पल याद था.
"हाँ, अच्छी तरह याद है. तुम दोनों मुझे चोदते थक नहीं रहे थे और उसे दिन पहली बार मेरी गांड की चुदाई की गयी थी."

"दीदी, उसी दिन की याद में ये ले ...."

बल्ली ने ये बोलते हुए कमला की गांड में अपना 8 इंची लौंडा गपाक से पेल दिया. कमला इस आक्रमण को मानो चाहती तो थी पर पूरी तरह से तैयार नहीं थी. सो उसकी चीख निकल गयी. उसकी चीख वहां से जाते हुए किसी यात्री ने जरूर सुनी होगी. पर आजकल कौन किसी समस्या में फंसना चाहता है इस लिए इस तरफ आया नहीं.

कमला की गांड ने अब तक एडजस्ट हो गयी थी और उसे दो दो लौंड़े कह के जबर्दश्त मंजा आ रहा था.

"पेलो ओ...ओ.....ओ.....ओ.........मुझे.....फा....आ...आ...आ...आ...ड़...डाल मेरी गांड.....मेरी चूत मार ...."

शमशेर थोडा धीरे हो गए थे. चूँकि वो कमला को थोडा पहले से छोड़ रहे थे, वो चाहते थे उनका भाई बल्ली भी अपनी गाडी साथ में ले आये ....बल्ली गांड में अपना लंड गपागप डाल के छोड़ रहा था ...बाली की पत्नी सुषमा कभी उसको गांड चोदने नहीं देती थी. इसी लिए जब शमशेर ने कल उसे फ़ोन कर के कमला के बारे में बताया, वो इस चुदासीसीनता के कार्यक्रम को सम्पादित करने के लिए झट से राजी हो गया. वो भभक धक्के लगा रहा था. कमला अपनी गांड उठा उठा कर उसके धक्कों को अपनी गांड में ग्रहण कर रही थी. दोनों लगता है जैसे झड़ने के कगार पर थे. शमशेर ने भी अपने धक्के बाधा दिए.

कमला अपने दोनों भाइयों की अपने जलते बदन पर की गयी ऐसी आक्रामक चुदाई की कार्यवाही को प् कर निहाल हो गयी, उसे दोनों के लौंड़े अपने चूत और गांड के बीच की झिल्ली के बीच में रगड़ते हुए महसूस हो रहे थे.

"अरे ...पेलो ....जोर से...मेरा भक्काडा बना डालो ...ओ....ओ....." कमला ने सिसकारी भरी.

"ये ले बहना.....मेरा प्रसाद अपनी चूत में....." शमशेर बोला.

"और मेरा प्रसाद अपनी गांड में ले.....दीदी", बल्ली बोला.

तीनों ने अपना अपना माल अपने अपने हिस्से के छेद में अनलोड कर दिया. कमला को अपनी चूत और गांड दोनों में ही गरम गरम वीर्य की सिंकाई ऐसा सुख दे रही थी मानो वो ज़न्नत में हो.

जब लंड झड के ढीले हो गए तो ऑटोमेटिकली, बाहर निकल आये. कमला के दोनों छेदों से अपने भाइयों का वीर्य बाहर बहने लगा. कमला ने उसे अपने साडी के कोने से पोंछा. दोनों भाइयों ने उसके गाल पर एक साथ चूमा.

इस के पहले की कोई आता तीनों ने जल्दी से कपडे पहने. शमशेर और कमला गाडी से हवेली की तरफ बढे. बल्ली घर में ये कह के आया था की उसको शहर में काम था, सो वो वहीं रुक गया. वो वहीँ खेत की मुंडेर पर बैठा और बीडी सुलगा कर पीने लगा.

पर किसी को ये पता नहीं था बल्ली की पत्नी सुषमा को शक था उसका पति बल्ली कह तो शहर जाने के लिए रहा है. पर वास्तव में वो कुछ और करने जा रहा था. इस लिए घर के नौकर रघु के साथ उसने बल्ली का पीछा किया. और झाडी के पीछे से उनका सारा कार्य कलाप देखा और उसकी एम् एम् एस क्लिप बनायीं.

सुषमा इस सबूत को किसी सुरक्षित जगह रखना चाहती थी. उसे पता था की इस एम् एम् एस के बदौलत वो बहुत कुछ हासिल कर सकती थी. उसके मन में असल में क्या चल रहा था ये किसी को पता नहीं था. ठीक से शायद खुद सुषमा को भी नहीं.

 शमशेर कमला को ले कर हवेली पहचे. मनोरमा ने दरवाजे पर आरती उतार कर हवेली के पुराने तरीके से उसका स्वागत किया. कमला ने मनोरमा को सौ साल जीने का आशीर्वाद दिया.

सब लोग चाय और जलपान कर ही रहे थे की शमशेर का फ़ोन बजा. शमशेर उठ कर बाहर बालकनी में चले गए.

"सफ़र कैसा रहा बुआ जी" मनोरमा ने पूछा.

"एकदम बढ़िया बहु" कमला बोली.

"क्या बस लेट आई थी क्या. काफी टाइम लग गया ससुर जी को वापस आते आते" ,मनोरमा ने पूछा.

मनोरमा की आज की सुबह की ससुर चुदाई नहीं हो पायी थी क्योंकि ससुर को बस स्टैंड जाना था.

बुआ ने बोला, "हाँ ऐसे ही .... थोडा देर हो गयी"

मनोरमा को बुआ की बात में कुछ डाल में काला लगा. उसके ससुर चोदु हैं ये तो उसे पता था. पर भाई बहन के रिश्ते को भी उन्होने नहीं छोड़ा होगा ये बात उसे बिलकुल पता नहीं थी.

कमला को मनोरमा का सवाल सुन कर एक घंटे पहले ही अपनी गांड और चूत में भकाभक पेलाई करते हुए दोनों लौंड़े याद आ गये. पर वो मनोरमा को वो सब कैसे कहती. सो उसने बात बदलने का प्रयास किया.

"बहु, तुम्हारे मायके में सब कैसे हैं"

"एक दम ठीक बुआ जी, कल ही बात हुई थी मेरी", मनोरामा बोली. उसे भी फ़ोन पर सुनी हुई पापा की चुदाई याद आ गयी.

"अरे बहुत के घर से खुशखबरी है. समधी जी का फ़ोन था" कहते हुए शमशेर अन्दर आये.

"सच! बताइए न ससुर जी", मनोरमा ने लगभग सीट से उछालते हुए बोला.

"अरे, तुम्हारे भाई अमित का विवाह तय हो गया है. लडकी शहर में कंप्यूटर कर रही है. अगले हफ्ते बरीक्षा है. बहु, वहां कोई औरत तो है नहीं. इस लिए तुम्हारा वहां होना बहुत जरूरी है." शमशेर बोला.

"जैसा आप ठीक समझें ससुर जी", मनोरमा बोली.

"मैं कल रवि से कहूँगा की तुम्हें तुम्हारे घर ड्राप कर दे. वहां से किसी भी तरह की जरूरत हो तो मुझे फ़ोन जरूर करना" शमशेर ने कहा.

मनोरमा ने जवाब में अपना सर हिला दिया.

अगले दिन मनोरमा जब अपना बैग पैक कर के निकली तो देखा की रवि की बजाय उसके दोनों देवर उसे छोड़ने के लिए आये थे. रवि को काम के सिलसिले में दिल्ली जाना था सो उसने वो काम अपने भाई से बोला. अब ये भाई कोई काम अकेले तो करते नहीं थे इस लिए दोनों आ गए भाभी को छोड़ने.

शमशेर ने तीनों को विदा किया. पुराने मॉडल की पद्मिनी कार में सवार हो कर मनोरमा अनिल राजेश के साथ निकल गयी. शमशेर को ये पता था की ये दोनों रास्ते में कम से एक बार तो अपना काम करेंगे ही. उन्हें मनोरमा का जाना अच्छा भी लग रहा था और बुरा भी. अच्छा इसलिए की उन्हें अपनी बहन कमला पर पूरा ध्यान देने को मिलेगा. बुरा इस लिए की अब उनकें मनोरमा की जवान चूत मिस होगी. पर जीवन में रोज सब कुछ नहीं मिलता ऐसा सोच कर वो मेहमान कच्छ की तरफ बढे जहाँ कमला ठहरी हुई थी.

इधर मनोरमा की कार गाँव से थोडा आगे निकली नहीं की राजेश ने गाडी रोक कर मनोरमा को आगे अपने और राजेश के बीच में बिठा लिया. पाठकों को ये बता दूं की उस जमाने की पद्मिनी कार में गियर स्टीयरिंग व्हील के साथ होते थे. इसलिए आगे की सीट में तीन लोग बैठ सकते थे.

मनोरमा तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. पर पहल करने का उसका कोई मूड नहीं था. उसने उस दिन लो-कट ब्लाउज बहना हुआ था. दोनों देवर उसके मम्मे निहार रहे थे. मनोरमा दोनों हाथों से उन्हें और ऊपर उठा लिया था. उसने ध्यान दिया कि राजेश और अनिल के पतलुनों के जिपर पूरी तरह ताने हुए थे. क्योंकि उनके लौंड़े बुरी तरह खड़े थे.

"भाभी तुम्हारी छाती देख के हमारे डंडे बिलकुल तन गए हैं", अनिल बोला.

"देवर जी, मेरे से गलती हो गयी. लगता है मुझे कुछ और पहनना था. क्या मैं तुम्हारी कोई मदद कर्रूँ इस मामले में", मनोरमा ने उसे छेड़ा.

"अरे भाभी ये हमारे लंड नहीं खड़े हैं. ये तो हमारा अंदाज़ है आपके हुस्न और जवानी को सलाम करने का", राजेश बोला और उसने अपनी चैन खोल कर अपने 8 मोटे लंड को आज़ाद कर दिया.


"सलाम करने वालो को मेरा चुम्मा", मनोरमा ये कहते हुए राजेश के लंड पर अपने होठ टिका दिए.







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