FUN-MAZA-MASTI
मनोरमा --6
अनिल ने मौके की नजाकत को समझते हुए गाड़े साइड में एक फैक्ट्री की तरफ मोड़ ली. वो फैक्ट्री एक साल पहले बंद हो गयी थी और उस तरफ कोई जाता नहीं था. उसे पता था की फैक्ट्री के आस पास उसके प्लान के लिए अच्छी जगह होगी.
अनिल ने जगह देख कर गाडी रोकी और तीनों बाहर आ गए. अनिल ड्राईवर की साइड से बाहर निकला. मनोरमा राजेश का लंड पकड़ कर बाहर निकली जैसे कोई किसी स्कूटर का हैंडल पकड़ कर उसे चलाता है. अनिल पास में आया और मनोरमा की चुंचियां दबाने लगा.
"राजेश भाई ये भाभी की चुंचियां आज कुछ ज्यादा बड़ी नहीं लग रहे हैं." अनिल बोला.
"अरे भाभी के चुन्ची और गांड दोनों दिन पर दिन साइज़ में बढ़ते जा रहे है" कहते हुए राजेश ने मनोरम की गांड पर एक चपत रसीद कर दी.
मनोरमा को इस वीराने में चुदवाने में थोडा डर लग रहा था. पर इसका मज़ा ही अलग था. उसको चोदने वाले लोग उसके अपने देवर थे. इसलिए जल्दी ही उसने अपना पूरा मन चोदने पर केन्द्रित किया.
कुछ पलों में ही दोनों देवरों ने अपनी भाभी को एक नंगा कर दिया. मनोरमा झुक कर राजेश का लंड चूसने लगी. और अनिल मनोरमा की गांड की तरफ बैठ कर उसकी चूत की दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा. मनोरमा को इन दो कुत्तों की कुतिया बनने में जो मज़ा आ रहा था उसका बयान करना मुश्किल है. अनिल जो मज़ा उसकी चूत को दे रहा था, वो सारा मज़ा राजेश के लौड़े को चूस चूस कर उसे वापस कर रही थी. थोड़े ही देर में राजेश के लंड ने अपना माल उसके मुंह में उड़ेल दिया जिसे वो पी गयी. लगभग इसी समय उसकी चूत से उसका रस अनिल की जीभ पर झड गया. अनिल अपना लंड अपने हांथों से हिला रहा था.
तीनों फैक्ट्री के हाते में पड़े हुए तखत पर बैठ गए. अनिल सीधा लेट गया. मनोरमा ने अनिल की चूत चुसाई के इनाम के रूप में उसका लंड चूसना प्रारंभ कर दिया. राजेश साइड में बैठ कर मनोरमा की चूत की अपनी दो उँगलियों से चोदने लगा.
अनिल ने मनोरमा से बोला, "भाभी, आज आप घोड़े की सवारी कर लो"
मनोरमा अपने देवर का इशारा तुरंत समझ गयी. उसने उसके लंड को अपने मुंह से गीला कर की रखा था. थोडा सा एक्स्ट्रा थूंक हाथों से अनिल के लौंड़े को लगाया और उठ कर वो अनिल के लंड के ऊपर बैठ गयी. अनिल ने अपना लंड चूत के छेद पर भिड़ाया. मनोरम ने अपना वज़न धीरे शीरे अनिल के लौंड़े पर रिलीज़ किया. चूत एकदम गीली थी सो लंड आराम से जैसे स्लो मोशन से उसकी चूत के अन्दर चला गया. अनिल ने उसके दोनों मम्मे अपने हाथो से दबाने शुरू कर दिया. और अपनी कमर उठानी शुरू कर दी. मनोरमा को इस "घोड़े" की सवारी बड़ी अच्छी लग रही थी.
राजेश भाभी के गोरे नंगे चूतड़ों को अनिल के लंबे लंड पर ऊपर नीचे जाते देख रहा था. हालाँकि थोड़े देर पहले ही उसने अपना वीर्य भाभी के प्यारे से मुंह में जमा किया था, इस चुदाई को देख कर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. वह तखत पर भाभी के चूतड़ों के ठीक ऊपर खड़ा हो गया. तखत पर खड़े हो कर ऊँचाई से उसने चूरों तरफ एक निगाह मारी. दूर दूर तक कोई नहीं था. .
मनोरमा ये सोच कर खुश हो रही थी कि आज फिर उसकी चूत नें दो दो लौंडे जायेंगे. पर वो ये भूल गयी थी की ये दोनों हरामी हर बार कुछ नया करते हैं. राजेश ने अपने हाथ पर थूका और सारा थूक अपने लंड पर लगाया. उसने लंड के सुपाडे पर खूब सारा थूक लगाया. अनिल शायद समझ चूका था की आज भाभी के साथ क्या होने वाला है. सो जैसे ही राजेश झुका अनिल ने अपने धक्के एकदम धीमे कर दिए.
राजेश ने अपना थूक से सना हुआ लौंडा मनोरमा भाभी की गांड के छेद पर भिड़ाया और इसके पहले भाभी अपनी गांड उचका का उसका हमला विफल करती, उसने पूरा का पूरा सुपाडा अन्दर पेल दिया. राजेश और अनिल दोनों ने मनोरमा की गांड जोर से पकड़ राखी थी. राजेश ने भाभी के चूतडों को दोनों हाथों से उतना फैलाया ताकि गांड का छेद और चौड़ा हो जाए और उसका बाकी का लौंडा अन्दर जा सके. उसने सुपाडा बाहर खींच कर भाभी की गांड के छेद पर उंगली से थोडा और थूंक लगाया. इस बार उसने लंड भिड़ा कर आधा घुसेड दिया.
मनोरमा को ऐसा लगा जैसे उसकी गांड की रिम 3-4 जगह से फट गयी है. उसे लगा जैसे वहां से खून निकल रहा है.
"अरे हराम के जनों, मेरी गांड फाड़ दी. खून निकल दिया हरामियों... ये क्या किया सालों..."
मनोरमा दर्द से चिल्लाई.
"अरे भाभी आपका खून नहीं निकल रहा है...हम आपके देवर हैं आपके हुस्न के पुजारी है, कोई बलात्कारी नहीं जो ऐसा काम करेंगे."
राजेश ने सांत्वना देते हुए समझाया.
अब तक मनोरमा को मज़ा आने लगा था. वह अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लौड़े लेने लगी.
"राजेश भैया, भाभी की गांड कैसे लग रही है." अनिल ने पूछा
"अरे, अनिल पूछ मत. अगर भाभी की चूत बर्फी है, तो गांड मस्त मलाई" राजेश हाँफते हुए बोला.
"अरे सालों, भाभी को पूरी हलवाई की दूकान बना डाला", मनोरमा ने हँसते हुए बोला.
"अनिल, क्या तुम्हें मलाई का स्वाद नहीं चखना है" मनोरमा ने अनिल का मजाक उडाते हुए पूछा.
दोनों भाइयों ने भाभी का इशारा तुरंत समझ लिया.
मनोरमा के शरीर में घोंपे गए दोनों लौड़े तुरंत निकाल लिए गए. राजेश तख़त के किनारे बैठ गया. उसके पैर फर्श पर रखे थे. मनोरमा आ कर उसके छाती से अपनी छाती भिडाकर बैठ गयी. उसकी चूत इतनी गीली थी की राजेश का लंड उसमें गपाक से समां गया. अनिल फर्श पर खड़ा था. उसे अपने लंड को मनोरमा की गांड के छेद के निशाने पर आने के लिए थोडा झुकना पड़ा. एक बार लंड महराज गांड के छेद पर पहुचे तो तुरंत गांड के अन्दर. मनोरमाँ की गांड ने अभी अभी राजेश का लौंडा लिया था. राजेश का मोटे लंड से मनोरमा भाभी की गांड आलरेडी थोडा फ़ैल गयी थी इस लिए अनिल का लम्बे लंड को अपनी गांड में गपाक से लेने में मनोरमा भाभी को जरा भी तकलीफ नहीं हुई.
"अरे, जम के पेलो अपनी भाभी को. तुम दोनों दुनिया के सबसे बड़े चुककड़ हो हरामियों.."
मनोरमाँ ने अपने देवरों को ललकारा.
राजेश और अनिल समझ गए की भाभी अब अपना रस छोडने ही वाली है. उन्होंने अपने लंड की रफ़्तार बाधा दी.
"फाड़ दो मेरी....ईई....सी...सी... मैं गयी रे ...इ....इ...." मनोरमाँ चिल्लाई
"ये ले भाभी....तुम्हारी गांड में मेरा रस ले ......." अनिल झड़ते हुएबोला.
इसी बीच, राजेश का मोटा लौंडा मनोरमा भाभी की चूत में अपना छोड़ रहा था. मनोरमा और राजेश दोनों का रस बह कर राजेश की गोलियों पर बह रहा था. राजेश ने मनोरमा को ज़ोरों से चूम लिया.
तीनों हाँफते हुए वहां तखत पर लेट गए. मंद मंद हवा बह रही थी. चिड़ियों की आवाज माहौल को बड़ा सुन्दर बना रही थी.
राजेश और अनिल दोनों को मनोरमा का अपने मायके जाना बुरा लग रहा था. कौन सुबह सुबह उनके खड़े लंड को शांत करेगा... तबेले में तो बड़ी शान्ति हो जायेगी..
मनोरमा सोच रही थी की मायके में वो अनिल और राजेश की गरम चुदाई को मिस करेगी. पर राम नगर में उसके आशिकों की कमी नहीं थी. वह मन ही मन अपने पिता को गुलाबो के साथ पकड़ना चाहती थी. शमशेर से चुदवाने के बाद उसकी चूत को सफ़ेद बाल की झांटों वाले लंड से चुदने का जैसे नशा हो गया था. पर पापा के बारे में ऐसा सोच के भी उसे अजीब लगा रहा था.
तीनों ने अपने कपडे पहने. चुदाई की कसरत के बाद, तीनों को भूख लग गयी थी. अगले 5-6 किलोमीटर पर एक ढाबा था जहाँ का खाना बड़ा फेमस था, वहीँ खाने का प्लान बना.
इस बार राजेश और मनोरमा भाभी पीछे की सीट पर जा कर बैठ गए. अनिल ने कार आगे बढाई. मेन रोड पर जा कर जब वो गाडी का रियर व्यू मिरर सेट कर रहा था, उसमें उसने देख की भाभी की नंगी गांड ऊपर नीचे हो रही है.
अनिल ने अपना सर पीट लिए और बडबडाया, "कुछ लोगों को साला हमेशा चोदने के अलावा कुछ सूझता नहीं है. अभी अभी छोड़ के निकले हैं और अब फिर से कार के अन्दर चालू. अरे जल्दी करो लेकिन...ढाबा आने ही वाला है..."
मनोरमा हँसते हुए बोली, "देवर जी थोडा धीरे चलिए न, अगले टाइम आप ले लीजियेगा ये वाला स्पेशल सीट और अपनी भाभी के साथ जम के मजा लीजियेगा आप भी".
इस बात पर तीनों हंसने लगे.
प्यार और मोहब्बत से इस तरह से साथ में रहने की मिसाल अजीब तो है पर इसमें सबके लिए आनंद ही आनंद है.
शमशेर अपनी बहु मनोरमा को हवेली के दरवाजे से विदा कर के मेहमान कच्छ की तरफ बढ़ रहा था. कल ही उसकी बहन कमला आयी थी जो वहां विश्राम कर रही थी. कल बस स्टैंड से आते समय शमशेर ने रास्ते में ही कमला के गद्रीले बदन का मज़ा अपने चचेरे भाई बल्ली के साथ लिया था. वो चाहते थे की आज वो अपनी बहन कमला को कुछ अलग अंदाज़ में जगाएं. शमशेर ने कमरे का दरवाजा सावधानी से खोला. और दबे पाँव अन्दर आये.
कमला देवी गुलाबी रंग का गाउन पहन कर सोयी हुई थीं. गाउन पूरे बदन पर अकेला कपडा था क्योंकि रात में उन्हें चड्ढी और ब्रा पहनने से नींद नहीं आती थी. उनका गाउन ऊपर की तरफ उठ गया था. जिससे उनकी झांटों से भरी हुई चूत साफ़ दिख रही थी. उन्होंने अपने पैर फैला रखे थे. रोशनदान से धुप खुल कर कमला देवी के गोर बदन पर पड़ रही थी. खुली हुई चूत, फैले हुई मोटी लम्बी गोरी जांघे शमशेर को सीधा निमंत्रण दे रही थीं. उन्होंने अपने कपडे सावधानी से उतारे ताकि कोई आवाज न हो. और बिस्तर पर चढ़ गए. उन्होंने अपनी जीभ कमला देवी की झूली चूत पर रख दी और उसे कुत्ते की तरह धीरे धीरे चाटने लगे.
"मम्मम्मम्म....म्मम्म.......उम...." कमला नींद में बडबड़ाई.
शमशेर को और शरारत सूझी. उसने बहन कमला देबी की चूत के दाने को अपने होठों से चूस के हलके से दबा दिया.
"आह..आ....आ....आ....आआआ ..ह", कमला देवी की आवाज से कमरे की दिवारें जैसे गूँज उठीं.
घर की नौकरानी मुनिया उसी समय वहां से गुज़र रही थी. उसने कमला देवी की आवाज सुनी. उसे लगा की उनकी तबियत कुछ खराब है. सीधे कमरे में जाने के बजाय, उसने कमरे की खिड़की का पर्दा खिसकाया. उसने देखा कमला देवी नीचे से पूरी नंगी थीं. मालिक शमशेर उनकी चूत को कुत्ते के समान चाट रहे थे. शमशेर ने कमला देवी का गाउन ऊपर से खिसका रखा था और वो दोनों हाथों से बड़ी बड़ी चुन्चियों को धीरे दबा रहे थे. कमला देवी की आँखें अभी भी बंद थीं जैसे वो कोई खूबसूरत सा सपना देख रहीं थीं और आँखों को खोल कर उसे तोडना नहीं चाहती थीं.
मुनिया को अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ की वह जो देख रही है वो सच में हो रहा है या नहीं.
शमशेर ने बहन कमला देवी की चूत को अपनी जीभ से धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया था. कमला की चूत गीले हो चुकी थी. शमशेर ने चूत का गीलापन अपनी उँगलियों में लिया और कमला के मुंह में चटाने लगे. कमला देवी को इतना आनन्द आ रहा था की उन्होंने आँखे खोलीं. और बोली.
"शमशेर भाई, सुबह सुबह मेहमानों को ऐसे जूस पिला कर जगाने का रिवाज है क्या हवेली में?"
शमशेर बोला, "बहन, तुम्हारी चूत रानी के सेवा मेरा परम कर्त्तव्य है, पहले ये बताओ कि मजा आ रहा है की नहीं."
"बहुत मज़ा आ रहा है, भाई.... आ....आ.....अब मुझे भी तुम्हारे लंड राजा की सेवा करने का मौका दो ना", कमला ने बोला.
शमशेर ने बिना अपनी जीभ को कमला बहन की चूत से निकाले बिस्तर पर 180 डिग्री घूम गया. अब शमशेर उल्टा हो कर कमला देवी के हट्टे कटते बदन पर चढ़ा हुआ था. उसकी टाँगे कमला के सर की तरफ थीं. कमला ने अपने भाई का लंड तुरंत अपने मुंह में ले लिया. शमशेर का पेट कमला की चुंचियां रगड़ रहा था. और शमशेर अपना सर हिला हिला कर कमला की चूत को चोद रहा था. अँगरेज़ इस प्रकार के पोस को सिक्सटी नाइन (69) कहते हैं.
बाहर मुनिया ये सब देख कर गरम हो चुकी थी. वो अपने घाघरे में हाँथ डाल कर अपनी जवान चूत को रगड़ने लगी. मुनिया 22 साल की थी. उसकी शादी दो साल पहले संतोष से हुई थी. शुरू में तो दोनों के बीच काफी उस्ताह था. पर अब धीरे धीरे व उत्साह ठंडा पद गया था. कमला का बदन ऐसा कटीला था कोई भी उसे एक बार चोदने के लिए पहाड़ से कूदने को तैयार हो जाए. उसकी सुडौल चुन्चिया और भरे हुए नितम्ब किसी को भी दीवाना बना सकते थे. उसके आँखे हिरनी हैसे सुन्दर थीं और होंठ बहुत ही रसीले थे. संतोष शक्कर की मिल में काम करता था. साल में 6 महीने उसे मिल पर रहना पड़ता था. इसके कारण मुनिया ने हवेली में नौकरी कर ली. काम का काम मिल गया और हवेली के सर्वेंट क्वार्टर में रहने की जगह. पूरे दिन वो हवेली के परिसर में रहती थी सो उसे गाँव के जवान लड़कों के छेड़खानी भी नहीं झेलनी पड़ती थी. संतोष को गए कई महीने हो गए थे. मुनिया को वासना की आग कई दिनों ने उसे सता रही थी. अब सामने ऐसा सीन देख देख कर उसका दिल कर रहां था कि कमरे में घुस जाए और मालिक का लंड अपनी प्यासी चूत में डाल के भकाभक चोदने डाले.
इसी समय घर का नौकर बाबूलाल चक्की से आता पिसवा कर आटे की बोरी ले कर हवेली में आया. वो किचन में गया और उसने वह आटे की बोरी रख दी. किचन उस कमरे के पास की थी जहाँ कमला देवी ठहरी हुई थीं. बाबूलाल घर का पुराना वफादार नौकर था. उसकी उम्र ५० के आस पास थी. पर सेहत और फुर्ती में जवानों को भी पीछे छोड़ सकता था. उसे कल की पता चला था की कमला देवी आयी हुई हैं. उसने कमला देवी को बचपन से देखा था. और उसे कमला की असली तबियत का भी पता था, क्योंकि कमला की जवानी का मज़ा उसने जम कर लिया हुआ था. जबसे कमला देवी शादी कर के शहर चली गयीं, उसने कई जगह मुंह मारा पर कोई लडकी कमला के टक्कर की नहीं मिली नहीं.
बाबूलाल ने सोचा की कमला देवी को प्रणाम करता चले, सो वो मेहमान कच्छ की तरफ जाने लगा. पास में गया तो उसने देखा की मुनिया उनके कमरे में झाँक रही है. चूँकि वह मुनिया के पीछे से आ रहा था, वह देख नहीं पाया की मुनिया का हाथ घाघरे के अन्दर क्या कर रहा है. कमरे के अन्दर की आवाजें सुन कर वो समझ गया की मुनिया क्या देख रही है. बाबूलाल की नज़र कई दिनों से मुनिया पर थी. वह बिना कोई आवाज किया मुनिया के पीछे जा के खड़ा हो गया और पंजों के बल उचक कर खड़े हो कर उसने अन्दर कमरे का नज़ारा लिया. उसे लगा की मुनिया कई महीनों से अपने पति के बिना रह रही है, अन्दर का दृश्य देख कर वो गरम हो गयी होगी. लोहा गरम है, तो क्यों न हथोडा मारा जाए. इसी समय बाबूलाल ने ध्यान दिया की मुनिया अपनी चूत रगड़ रही है.
बाबूलाल मन ही मन मुस्करा रहा था की इतने दिनों से जो मौका वो चाहता था वो ऊपर वाले ने इतनी आसानी से दे दिया. उसने पीछे से आ कर अपने हाथ मुनिया के मस्त उरोजोा (चुचियों) पर रख दिए. मुनिया एक दम से चौंक कर हटी. उसने अपना हाथ अपने घाघरे से इतनी तेजी से निकाल की घाघरे का नाडा टूट गया और घाघरा खुल कर कमर से खिसक कर उसकी चिकनी जाँघों से फिसलते हुए जमीन पर जा गिरा. मुनिया ने भागने की कोशिश की पर बाबूलाल ने फुर्ती से उसका हाथ पकड़ लिया.
बाबूलाल फुफुसाया, "देख मुनिया, अगर मैंने मालिक को बता दिया की तू उन्हें कैसे देख रही थी, सो उसी वक़्त तेरी नौकरी ख़तम. बाकी मुझे देख कर ही तेरा घाघरा गिर गया और तू नंगी मेरे सामने खडी है. इसे ऊपर वाले की मर्ज़ी समझ."
"मुझे जाने दो...मुझे छोड़ दो..." मुनिया ने गुहार लगाई.
पर मन ही मन शायद मुनिया आज चुदवाना चाह रही थी. संतोष उसका पति तो था. पर अब वो मुनिया में कोई रूचि नहीं दिखाता था. उसे उसकी सहेली ने बताया था की मिल के मजदूर जब इतने लम्बे टाइम तक शहर में रहते हैं, तो अपना कुछ इन्स्तेजाम वहां का भी देख लेते हैं.
बाबूलाल मुनिया का हाथ अभी भी पकडे हुए था. उसे पता था की अब अगर इसे छोड़ा तो वो भा जायेगी और बाद में मालिक से शिकायत करेगी. उसकी खुद की नौकरी जायेगी और समाज में बदनामी अलग से होगी. मुनिया का जो हाथ पकड़ रखा था, उसने उसकी उँगलियाँ चाटनी शुरू कर दीं. उँगलियों से मुनिया की चूत की महक आ रही थी. उँगलियों पर लगे चूत के रस से बाबूलाल को ये अंदाजा हो गया की मुनिया की चूत गीली हो चुकी है. मतलब मुनिया मूड में थी. उसने मुनिया को खींच कर उसका चुम्मा ले लिया. उसके हाथ मुनिया के सारे बदन पर रेंग रहे थे. इससे मुनिया और भी गरम हो गयी.
मुनिया को अब थोडा थोडा मज़ा आ रहा था. उसने मुनिया को खिडकी के पास खड़ा किया ताकि वो अन्दर का खेल देखना फिर से चालू कर सके. मुनिया इस समय कमर के नीचे से पूरी नंगी थी. बाबूलाल नीचे फर्श पर मुनिया की टांगों के नीचे बैठ गया और मुनिया की जवान चूत चाटने लगा. मुनिया ने थोड़े देर पहले मालिक को ये काम करते हुए देखा था. उसे सोचा भी नहीं था की ५ मिनट के अन्दर उसे भी उसी तरह से अपनी चूत चटवाने का सौभाग्य मिलेगा जैसा की कमला देवी को मिला है. उसके पति ने चूत को कभी नहीं चाटा क्योंकी वो इसे निहायती गन्दा समझता था.
मुनिया जोर से सिसकारी भरना चाहती थी पर वो कोई आवाज निकाल कर ये खेल समय से पहले ख़तम नहीं करना चाहती थी.
अन्दर कमरे में शमशेर कमला के बदन से उतर गया. कमला अपने घुटनों के बल आ गयी. शमशेर ने पीछे सी आया. उसका लंड कमला के मुंह में रहने की वज़ह से गीला था. शमशेर ने गप से उसे कमला की मोटी चूत में पेल दिया. कमला को ऐसे गपागप वाली पेलाई पसंद है.
"पेलो शमशेर भाई....मजा आ रहा है....आपकी अपनी बहन की चूत है....कुतिया बना के चोदो....."
कमरे के बाहर बाबूलाल की बुर चटाई से मुनिया की बुर गीली हो चुकी थी. बाबूलाल उठा और नौ इंची लंड को मुनिया की बुर के मुहाने पे टिकाया. जब उसने अपना सुपाडा अन्दर पेला, मुनिया की बुर ख़ुशी से खिल उठी. वह कई महीनों ने चुदी नहीं थी. बाबूलाल ने दो तीन धक्कों में पूरा का पूरा लौंडा पेल दिया. बाबूलाल का लौंडा नौ इंच का था और मोटा भी था. और इतने लम्बे लंड को अपनी बुर में लेना साधारण औरतों के बस की बात नहीं हटी. मुनिया तो अभी 22 साल की थी जो संतोष के चार इंची की लंड से चुद रही थी. जैसे लंड पूरा अन्दर हुआ, मुनिया की चीख ही निकल गयी. ये तो अच्छा हुआ की बाबूलाल ने पहले से ही उसके मुंह पर हाथ रख दिए थे नहीं तो मालिक के चोदन कार्यक्रम में व्यवधान पक्का हो जाता. थोड़े देर तक बाबूलाल अपना लंड मुनिया की बुर में पेले शांत खड़ा था. इससे मुनिया की बुर की मांस पेशियों को थोडा फैलने का समय मिला.
औरत की बुर बड़ी कमाल की चीज है. इसमें पेशियाँ इतनी इलास्टिक होती हैं की ये बड़े से बड़े लंड को अपने अन्दर समां सकती है. बाबूलाल ने कमर को अब धीरे हिला कर मुनिया को चोदना शुरू कर दिया था. मुनिया की बुर का दर्द अब काफूर हो गया था. वो भी अब अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी ताकि बाबूलाल के धक्कों को ले सके.
कमरे के अन्दर शमशेर कमला देवी की चूत छोड़ रहा था. उसने कमला की चूत से निकलता हुए रस से अपनी उंगलिया गीले की और दो उंगलिया कमला की गांड में डाल दी. कमला को लगा रहा था जैसे दो दो लंड उसे छोड़ रहे हों. वो आनंद में सिकारियां मार रही थी. जब शाशेर को लगा की कमला की गांड की ओइलिंग काफी हो गयी है, उसने अपना लंड चूत से निकाला और उसकी गांड में पेल दिया. कमला देवी की गांड की कसावट उसे अपने लंड पर ऐसी लगी जैसे उसके लंड को कोई निचोड़ रहा है.
"आह चूत और गांड दोनों को मजा लो भाई ..... आह ....आह..." कमला सिसकारी.
शमशेर अब परम उत्तेजना में था. वो कमला की गांड को बेदर्दी से चोदने लगा.
इधर बाबूलाल भी मुनिया को भकाभक छोड़ रहा था. उसने मुनिया की चुन्चियों लो जोरों से दबा रखा था. और उसकी बुर में अपना कांड पेल रहा था. मुनिया अभी तक दो बार झड चुकी थी.
"आह्ह......आह्ह... मैं गयी...." मुनिया ने अपना मुंह दबाये हुए बोला.
मुनिया तीन बार झड चुकी थी. बाबूलाल भी अब झड़ने वाला था सो उसने अपना लंड बाहर निकाला और मुनिया के गुन्दाज़ चूतड़ों पर अपना फव्वारा छोड़ दिया. मुनिया ने ऊपर वाले का धन्यवाद कहा की बाबूलाल उसकी बुर के अन्दर नहीं झडा. क्योंकि वो नहीं चाहती थी ही किसी और मर्द से उसे गर्भ ठहरे. वो दोनों वहां से ऐसे निकल गए जैसे वो वहां थे ही नहीं.
अन्दर कमरे में शमशेर और कमला दोनों झड चुके थे. वो नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेते हुए थे.
"नाश्ते के लिए क्या खाओगी, बहन कमला? " शमशेर ने पूछा.
"मेरा नाश्ता तो सारा हो चूका है भाई. तुम्हारे लंड का पौष्टिक आहार मुझे मिला ना", कमला ने आँख मारते ही बोला.
दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कराये. दोनों को पता था की आने वाले दिनों में वो काफी अच्छे खेल खेलने वाले हैं. दोनों थक गए थे. तीनों लड़कों में से कोई था नहीं, इसलिए नग्न अवस्था में ही सो गए.
हवेली की हवा में एक नयी तरह की महक थी - पहले मनोरमा के आने से और अब कमला के वापस आने से. घर के सारे लोग अब पहले से ज्यादा खुश रहते थे. पर प्यार और समर्पण का तो नियम ही यही है कि जियो और जीने दो!
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मनोरमा --6
अनिल ने मौके की नजाकत को समझते हुए गाड़े साइड में एक फैक्ट्री की तरफ मोड़ ली. वो फैक्ट्री एक साल पहले बंद हो गयी थी और उस तरफ कोई जाता नहीं था. उसे पता था की फैक्ट्री के आस पास उसके प्लान के लिए अच्छी जगह होगी.
अनिल ने जगह देख कर गाडी रोकी और तीनों बाहर आ गए. अनिल ड्राईवर की साइड से बाहर निकला. मनोरमा राजेश का लंड पकड़ कर बाहर निकली जैसे कोई किसी स्कूटर का हैंडल पकड़ कर उसे चलाता है. अनिल पास में आया और मनोरमा की चुंचियां दबाने लगा.
"राजेश भाई ये भाभी की चुंचियां आज कुछ ज्यादा बड़ी नहीं लग रहे हैं." अनिल बोला.
"अरे भाभी के चुन्ची और गांड दोनों दिन पर दिन साइज़ में बढ़ते जा रहे है" कहते हुए राजेश ने मनोरम की गांड पर एक चपत रसीद कर दी.
मनोरमा को इस वीराने में चुदवाने में थोडा डर लग रहा था. पर इसका मज़ा ही अलग था. उसको चोदने वाले लोग उसके अपने देवर थे. इसलिए जल्दी ही उसने अपना पूरा मन चोदने पर केन्द्रित किया.
कुछ पलों में ही दोनों देवरों ने अपनी भाभी को एक नंगा कर दिया. मनोरमा झुक कर राजेश का लंड चूसने लगी. और अनिल मनोरमा की गांड की तरफ बैठ कर उसकी चूत की दरार पर अपनी जीभ चलाने लगा. मनोरमा को इन दो कुत्तों की कुतिया बनने में जो मज़ा आ रहा था उसका बयान करना मुश्किल है. अनिल जो मज़ा उसकी चूत को दे रहा था, वो सारा मज़ा राजेश के लौड़े को चूस चूस कर उसे वापस कर रही थी. थोड़े ही देर में राजेश के लंड ने अपना माल उसके मुंह में उड़ेल दिया जिसे वो पी गयी. लगभग इसी समय उसकी चूत से उसका रस अनिल की जीभ पर झड गया. अनिल अपना लंड अपने हांथों से हिला रहा था.
तीनों फैक्ट्री के हाते में पड़े हुए तखत पर बैठ गए. अनिल सीधा लेट गया. मनोरमा ने अनिल की चूत चुसाई के इनाम के रूप में उसका लंड चूसना प्रारंभ कर दिया. राजेश साइड में बैठ कर मनोरमा की चूत की अपनी दो उँगलियों से चोदने लगा.
अनिल ने मनोरमा से बोला, "भाभी, आज आप घोड़े की सवारी कर लो"
मनोरमा अपने देवर का इशारा तुरंत समझ गयी. उसने उसके लंड को अपने मुंह से गीला कर की रखा था. थोडा सा एक्स्ट्रा थूंक हाथों से अनिल के लौंड़े को लगाया और उठ कर वो अनिल के लंड के ऊपर बैठ गयी. अनिल ने अपना लंड चूत के छेद पर भिड़ाया. मनोरम ने अपना वज़न धीरे शीरे अनिल के लौंड़े पर रिलीज़ किया. चूत एकदम गीली थी सो लंड आराम से जैसे स्लो मोशन से उसकी चूत के अन्दर चला गया. अनिल ने उसके दोनों मम्मे अपने हाथो से दबाने शुरू कर दिया. और अपनी कमर उठानी शुरू कर दी. मनोरमा को इस "घोड़े" की सवारी बड़ी अच्छी लग रही थी.
राजेश भाभी के गोरे नंगे चूतड़ों को अनिल के लंबे लंड पर ऊपर नीचे जाते देख रहा था. हालाँकि थोड़े देर पहले ही उसने अपना वीर्य भाभी के प्यारे से मुंह में जमा किया था, इस चुदाई को देख कर उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. वह तखत पर भाभी के चूतड़ों के ठीक ऊपर खड़ा हो गया. तखत पर खड़े हो कर ऊँचाई से उसने चूरों तरफ एक निगाह मारी. दूर दूर तक कोई नहीं था. .
मनोरमा ये सोच कर खुश हो रही थी कि आज फिर उसकी चूत नें दो दो लौंडे जायेंगे. पर वो ये भूल गयी थी की ये दोनों हरामी हर बार कुछ नया करते हैं. राजेश ने अपने हाथ पर थूका और सारा थूक अपने लंड पर लगाया. उसने लंड के सुपाडे पर खूब सारा थूक लगाया. अनिल शायद समझ चूका था की आज भाभी के साथ क्या होने वाला है. सो जैसे ही राजेश झुका अनिल ने अपने धक्के एकदम धीमे कर दिए.
राजेश ने अपना थूक से सना हुआ लौंडा मनोरमा भाभी की गांड के छेद पर भिड़ाया और इसके पहले भाभी अपनी गांड उचका का उसका हमला विफल करती, उसने पूरा का पूरा सुपाडा अन्दर पेल दिया. राजेश और अनिल दोनों ने मनोरमा की गांड जोर से पकड़ राखी थी. राजेश ने भाभी के चूतडों को दोनों हाथों से उतना फैलाया ताकि गांड का छेद और चौड़ा हो जाए और उसका बाकी का लौंडा अन्दर जा सके. उसने सुपाडा बाहर खींच कर भाभी की गांड के छेद पर उंगली से थोडा और थूंक लगाया. इस बार उसने लंड भिड़ा कर आधा घुसेड दिया.
मनोरमा को ऐसा लगा जैसे उसकी गांड की रिम 3-4 जगह से फट गयी है. उसे लगा जैसे वहां से खून निकल रहा है.
"अरे हराम के जनों, मेरी गांड फाड़ दी. खून निकल दिया हरामियों... ये क्या किया सालों..."
मनोरमा दर्द से चिल्लाई.
"अरे भाभी आपका खून नहीं निकल रहा है...हम आपके देवर हैं आपके हुस्न के पुजारी है, कोई बलात्कारी नहीं जो ऐसा काम करेंगे."
राजेश ने सांत्वना देते हुए समझाया.
अब तक मनोरमा को मज़ा आने लगा था. वह अपनी गांड हिला हिला कर दोनों के लौड़े लेने लगी.
"राजेश भैया, भाभी की गांड कैसे लग रही है." अनिल ने पूछा
"अरे, अनिल पूछ मत. अगर भाभी की चूत बर्फी है, तो गांड मस्त मलाई" राजेश हाँफते हुए बोला.
"अरे सालों, भाभी को पूरी हलवाई की दूकान बना डाला", मनोरमा ने हँसते हुए बोला.
"अनिल, क्या तुम्हें मलाई का स्वाद नहीं चखना है" मनोरमा ने अनिल का मजाक उडाते हुए पूछा.
दोनों भाइयों ने भाभी का इशारा तुरंत समझ लिया.
मनोरमा के शरीर में घोंपे गए दोनों लौड़े तुरंत निकाल लिए गए. राजेश तख़त के किनारे बैठ गया. उसके पैर फर्श पर रखे थे. मनोरमा आ कर उसके छाती से अपनी छाती भिडाकर बैठ गयी. उसकी चूत इतनी गीली थी की राजेश का लंड उसमें गपाक से समां गया. अनिल फर्श पर खड़ा था. उसे अपने लंड को मनोरमा की गांड के छेद के निशाने पर आने के लिए थोडा झुकना पड़ा. एक बार लंड महराज गांड के छेद पर पहुचे तो तुरंत गांड के अन्दर. मनोरमाँ की गांड ने अभी अभी राजेश का लौंडा लिया था. राजेश का मोटे लंड से मनोरमा भाभी की गांड आलरेडी थोडा फ़ैल गयी थी इस लिए अनिल का लम्बे लंड को अपनी गांड में गपाक से लेने में मनोरमा भाभी को जरा भी तकलीफ नहीं हुई.
"अरे, जम के पेलो अपनी भाभी को. तुम दोनों दुनिया के सबसे बड़े चुककड़ हो हरामियों.."
मनोरमाँ ने अपने देवरों को ललकारा.
राजेश और अनिल समझ गए की भाभी अब अपना रस छोडने ही वाली है. उन्होंने अपने लंड की रफ़्तार बाधा दी.
"फाड़ दो मेरी....ईई....सी...सी... मैं गयी रे ...इ....इ...." मनोरमाँ चिल्लाई
"ये ले भाभी....तुम्हारी गांड में मेरा रस ले ......." अनिल झड़ते हुएबोला.
इसी बीच, राजेश का मोटा लौंडा मनोरमा भाभी की चूत में अपना छोड़ रहा था. मनोरमा और राजेश दोनों का रस बह कर राजेश की गोलियों पर बह रहा था. राजेश ने मनोरमा को ज़ोरों से चूम लिया.
तीनों हाँफते हुए वहां तखत पर लेट गए. मंद मंद हवा बह रही थी. चिड़ियों की आवाज माहौल को बड़ा सुन्दर बना रही थी.
राजेश और अनिल दोनों को मनोरमा का अपने मायके जाना बुरा लग रहा था. कौन सुबह सुबह उनके खड़े लंड को शांत करेगा... तबेले में तो बड़ी शान्ति हो जायेगी..
मनोरमा सोच रही थी की मायके में वो अनिल और राजेश की गरम चुदाई को मिस करेगी. पर राम नगर में उसके आशिकों की कमी नहीं थी. वह मन ही मन अपने पिता को गुलाबो के साथ पकड़ना चाहती थी. शमशेर से चुदवाने के बाद उसकी चूत को सफ़ेद बाल की झांटों वाले लंड से चुदने का जैसे नशा हो गया था. पर पापा के बारे में ऐसा सोच के भी उसे अजीब लगा रहा था.
तीनों ने अपने कपडे पहने. चुदाई की कसरत के बाद, तीनों को भूख लग गयी थी. अगले 5-6 किलोमीटर पर एक ढाबा था जहाँ का खाना बड़ा फेमस था, वहीँ खाने का प्लान बना.
इस बार राजेश और मनोरमा भाभी पीछे की सीट पर जा कर बैठ गए. अनिल ने कार आगे बढाई. मेन रोड पर जा कर जब वो गाडी का रियर व्यू मिरर सेट कर रहा था, उसमें उसने देख की भाभी की नंगी गांड ऊपर नीचे हो रही है.
अनिल ने अपना सर पीट लिए और बडबडाया, "कुछ लोगों को साला हमेशा चोदने के अलावा कुछ सूझता नहीं है. अभी अभी छोड़ के निकले हैं और अब फिर से कार के अन्दर चालू. अरे जल्दी करो लेकिन...ढाबा आने ही वाला है..."
मनोरमा हँसते हुए बोली, "देवर जी थोडा धीरे चलिए न, अगले टाइम आप ले लीजियेगा ये वाला स्पेशल सीट और अपनी भाभी के साथ जम के मजा लीजियेगा आप भी".
इस बात पर तीनों हंसने लगे.
प्यार और मोहब्बत से इस तरह से साथ में रहने की मिसाल अजीब तो है पर इसमें सबके लिए आनंद ही आनंद है.
शमशेर अपनी बहु मनोरमा को हवेली के दरवाजे से विदा कर के मेहमान कच्छ की तरफ बढ़ रहा था. कल ही उसकी बहन कमला आयी थी जो वहां विश्राम कर रही थी. कल बस स्टैंड से आते समय शमशेर ने रास्ते में ही कमला के गद्रीले बदन का मज़ा अपने चचेरे भाई बल्ली के साथ लिया था. वो चाहते थे की आज वो अपनी बहन कमला को कुछ अलग अंदाज़ में जगाएं. शमशेर ने कमरे का दरवाजा सावधानी से खोला. और दबे पाँव अन्दर आये.
कमला देवी गुलाबी रंग का गाउन पहन कर सोयी हुई थीं. गाउन पूरे बदन पर अकेला कपडा था क्योंकि रात में उन्हें चड्ढी और ब्रा पहनने से नींद नहीं आती थी. उनका गाउन ऊपर की तरफ उठ गया था. जिससे उनकी झांटों से भरी हुई चूत साफ़ दिख रही थी. उन्होंने अपने पैर फैला रखे थे. रोशनदान से धुप खुल कर कमला देवी के गोर बदन पर पड़ रही थी. खुली हुई चूत, फैले हुई मोटी लम्बी गोरी जांघे शमशेर को सीधा निमंत्रण दे रही थीं. उन्होंने अपने कपडे सावधानी से उतारे ताकि कोई आवाज न हो. और बिस्तर पर चढ़ गए. उन्होंने अपनी जीभ कमला देवी की झूली चूत पर रख दी और उसे कुत्ते की तरह धीरे धीरे चाटने लगे.
"मम्मम्मम्म....म्मम्म.......उम...." कमला नींद में बडबड़ाई.
शमशेर को और शरारत सूझी. उसने बहन कमला देबी की चूत के दाने को अपने होठों से चूस के हलके से दबा दिया.
"आह..आ....आ....आ....आआआ ..ह", कमला देवी की आवाज से कमरे की दिवारें जैसे गूँज उठीं.
घर की नौकरानी मुनिया उसी समय वहां से गुज़र रही थी. उसने कमला देवी की आवाज सुनी. उसे लगा की उनकी तबियत कुछ खराब है. सीधे कमरे में जाने के बजाय, उसने कमरे की खिड़की का पर्दा खिसकाया. उसने देखा कमला देवी नीचे से पूरी नंगी थीं. मालिक शमशेर उनकी चूत को कुत्ते के समान चाट रहे थे. शमशेर ने कमला देवी का गाउन ऊपर से खिसका रखा था और वो दोनों हाथों से बड़ी बड़ी चुन्चियों को धीरे दबा रहे थे. कमला देवी की आँखें अभी भी बंद थीं जैसे वो कोई खूबसूरत सा सपना देख रहीं थीं और आँखों को खोल कर उसे तोडना नहीं चाहती थीं.
मुनिया को अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ की वह जो देख रही है वो सच में हो रहा है या नहीं.
शमशेर ने बहन कमला देवी की चूत को अपनी जीभ से धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया था. कमला की चूत गीले हो चुकी थी. शमशेर ने चूत का गीलापन अपनी उँगलियों में लिया और कमला के मुंह में चटाने लगे. कमला देवी को इतना आनन्द आ रहा था की उन्होंने आँखे खोलीं. और बोली.
"शमशेर भाई, सुबह सुबह मेहमानों को ऐसे जूस पिला कर जगाने का रिवाज है क्या हवेली में?"
शमशेर बोला, "बहन, तुम्हारी चूत रानी के सेवा मेरा परम कर्त्तव्य है, पहले ये बताओ कि मजा आ रहा है की नहीं."
"बहुत मज़ा आ रहा है, भाई.... आ....आ.....अब मुझे भी तुम्हारे लंड राजा की सेवा करने का मौका दो ना", कमला ने बोला.
शमशेर ने बिना अपनी जीभ को कमला बहन की चूत से निकाले बिस्तर पर 180 डिग्री घूम गया. अब शमशेर उल्टा हो कर कमला देवी के हट्टे कटते बदन पर चढ़ा हुआ था. उसकी टाँगे कमला के सर की तरफ थीं. कमला ने अपने भाई का लंड तुरंत अपने मुंह में ले लिया. शमशेर का पेट कमला की चुंचियां रगड़ रहा था. और शमशेर अपना सर हिला हिला कर कमला की चूत को चोद रहा था. अँगरेज़ इस प्रकार के पोस को सिक्सटी नाइन (69) कहते हैं.
बाहर मुनिया ये सब देख कर गरम हो चुकी थी. वो अपने घाघरे में हाँथ डाल कर अपनी जवान चूत को रगड़ने लगी. मुनिया 22 साल की थी. उसकी शादी दो साल पहले संतोष से हुई थी. शुरू में तो दोनों के बीच काफी उस्ताह था. पर अब धीरे धीरे व उत्साह ठंडा पद गया था. कमला का बदन ऐसा कटीला था कोई भी उसे एक बार चोदने के लिए पहाड़ से कूदने को तैयार हो जाए. उसकी सुडौल चुन्चिया और भरे हुए नितम्ब किसी को भी दीवाना बना सकते थे. उसके आँखे हिरनी हैसे सुन्दर थीं और होंठ बहुत ही रसीले थे. संतोष शक्कर की मिल में काम करता था. साल में 6 महीने उसे मिल पर रहना पड़ता था. इसके कारण मुनिया ने हवेली में नौकरी कर ली. काम का काम मिल गया और हवेली के सर्वेंट क्वार्टर में रहने की जगह. पूरे दिन वो हवेली के परिसर में रहती थी सो उसे गाँव के जवान लड़कों के छेड़खानी भी नहीं झेलनी पड़ती थी. संतोष को गए कई महीने हो गए थे. मुनिया को वासना की आग कई दिनों ने उसे सता रही थी. अब सामने ऐसा सीन देख देख कर उसका दिल कर रहां था कि कमरे में घुस जाए और मालिक का लंड अपनी प्यासी चूत में डाल के भकाभक चोदने डाले.
इसी समय घर का नौकर बाबूलाल चक्की से आता पिसवा कर आटे की बोरी ले कर हवेली में आया. वो किचन में गया और उसने वह आटे की बोरी रख दी. किचन उस कमरे के पास की थी जहाँ कमला देवी ठहरी हुई थीं. बाबूलाल घर का पुराना वफादार नौकर था. उसकी उम्र ५० के आस पास थी. पर सेहत और फुर्ती में जवानों को भी पीछे छोड़ सकता था. उसे कल की पता चला था की कमला देवी आयी हुई हैं. उसने कमला देवी को बचपन से देखा था. और उसे कमला की असली तबियत का भी पता था, क्योंकि कमला की जवानी का मज़ा उसने जम कर लिया हुआ था. जबसे कमला देवी शादी कर के शहर चली गयीं, उसने कई जगह मुंह मारा पर कोई लडकी कमला के टक्कर की नहीं मिली नहीं.
बाबूलाल ने सोचा की कमला देवी को प्रणाम करता चले, सो वो मेहमान कच्छ की तरफ जाने लगा. पास में गया तो उसने देखा की मुनिया उनके कमरे में झाँक रही है. चूँकि वह मुनिया के पीछे से आ रहा था, वह देख नहीं पाया की मुनिया का हाथ घाघरे के अन्दर क्या कर रहा है. कमरे के अन्दर की आवाजें सुन कर वो समझ गया की मुनिया क्या देख रही है. बाबूलाल की नज़र कई दिनों से मुनिया पर थी. वह बिना कोई आवाज किया मुनिया के पीछे जा के खड़ा हो गया और पंजों के बल उचक कर खड़े हो कर उसने अन्दर कमरे का नज़ारा लिया. उसे लगा की मुनिया कई महीनों से अपने पति के बिना रह रही है, अन्दर का दृश्य देख कर वो गरम हो गयी होगी. लोहा गरम है, तो क्यों न हथोडा मारा जाए. इसी समय बाबूलाल ने ध्यान दिया की मुनिया अपनी चूत रगड़ रही है.
बाबूलाल मन ही मन मुस्करा रहा था की इतने दिनों से जो मौका वो चाहता था वो ऊपर वाले ने इतनी आसानी से दे दिया. उसने पीछे से आ कर अपने हाथ मुनिया के मस्त उरोजोा (चुचियों) पर रख दिए. मुनिया एक दम से चौंक कर हटी. उसने अपना हाथ अपने घाघरे से इतनी तेजी से निकाल की घाघरे का नाडा टूट गया और घाघरा खुल कर कमर से खिसक कर उसकी चिकनी जाँघों से फिसलते हुए जमीन पर जा गिरा. मुनिया ने भागने की कोशिश की पर बाबूलाल ने फुर्ती से उसका हाथ पकड़ लिया.
बाबूलाल फुफुसाया, "देख मुनिया, अगर मैंने मालिक को बता दिया की तू उन्हें कैसे देख रही थी, सो उसी वक़्त तेरी नौकरी ख़तम. बाकी मुझे देख कर ही तेरा घाघरा गिर गया और तू नंगी मेरे सामने खडी है. इसे ऊपर वाले की मर्ज़ी समझ."
"मुझे जाने दो...मुझे छोड़ दो..." मुनिया ने गुहार लगाई.
पर मन ही मन शायद मुनिया आज चुदवाना चाह रही थी. संतोष उसका पति तो था. पर अब वो मुनिया में कोई रूचि नहीं दिखाता था. उसे उसकी सहेली ने बताया था की मिल के मजदूर जब इतने लम्बे टाइम तक शहर में रहते हैं, तो अपना कुछ इन्स्तेजाम वहां का भी देख लेते हैं.
बाबूलाल मुनिया का हाथ अभी भी पकडे हुए था. उसे पता था की अब अगर इसे छोड़ा तो वो भा जायेगी और बाद में मालिक से शिकायत करेगी. उसकी खुद की नौकरी जायेगी और समाज में बदनामी अलग से होगी. मुनिया का जो हाथ पकड़ रखा था, उसने उसकी उँगलियाँ चाटनी शुरू कर दीं. उँगलियों से मुनिया की चूत की महक आ रही थी. उँगलियों पर लगे चूत के रस से बाबूलाल को ये अंदाजा हो गया की मुनिया की चूत गीली हो चुकी है. मतलब मुनिया मूड में थी. उसने मुनिया को खींच कर उसका चुम्मा ले लिया. उसके हाथ मुनिया के सारे बदन पर रेंग रहे थे. इससे मुनिया और भी गरम हो गयी.
मुनिया को अब थोडा थोडा मज़ा आ रहा था. उसने मुनिया को खिडकी के पास खड़ा किया ताकि वो अन्दर का खेल देखना फिर से चालू कर सके. मुनिया इस समय कमर के नीचे से पूरी नंगी थी. बाबूलाल नीचे फर्श पर मुनिया की टांगों के नीचे बैठ गया और मुनिया की जवान चूत चाटने लगा. मुनिया ने थोड़े देर पहले मालिक को ये काम करते हुए देखा था. उसे सोचा भी नहीं था की ५ मिनट के अन्दर उसे भी उसी तरह से अपनी चूत चटवाने का सौभाग्य मिलेगा जैसा की कमला देवी को मिला है. उसके पति ने चूत को कभी नहीं चाटा क्योंकी वो इसे निहायती गन्दा समझता था.
मुनिया जोर से सिसकारी भरना चाहती थी पर वो कोई आवाज निकाल कर ये खेल समय से पहले ख़तम नहीं करना चाहती थी.
अन्दर कमरे में शमशेर कमला के बदन से उतर गया. कमला अपने घुटनों के बल आ गयी. शमशेर ने पीछे सी आया. उसका लंड कमला के मुंह में रहने की वज़ह से गीला था. शमशेर ने गप से उसे कमला की मोटी चूत में पेल दिया. कमला को ऐसे गपागप वाली पेलाई पसंद है.
"पेलो शमशेर भाई....मजा आ रहा है....आपकी अपनी बहन की चूत है....कुतिया बना के चोदो....."
कमरे के बाहर बाबूलाल की बुर चटाई से मुनिया की बुर गीली हो चुकी थी. बाबूलाल उठा और नौ इंची लंड को मुनिया की बुर के मुहाने पे टिकाया. जब उसने अपना सुपाडा अन्दर पेला, मुनिया की बुर ख़ुशी से खिल उठी. वह कई महीनों ने चुदी नहीं थी. बाबूलाल ने दो तीन धक्कों में पूरा का पूरा लौंडा पेल दिया. बाबूलाल का लौंडा नौ इंच का था और मोटा भी था. और इतने लम्बे लंड को अपनी बुर में लेना साधारण औरतों के बस की बात नहीं हटी. मुनिया तो अभी 22 साल की थी जो संतोष के चार इंची की लंड से चुद रही थी. जैसे लंड पूरा अन्दर हुआ, मुनिया की चीख ही निकल गयी. ये तो अच्छा हुआ की बाबूलाल ने पहले से ही उसके मुंह पर हाथ रख दिए थे नहीं तो मालिक के चोदन कार्यक्रम में व्यवधान पक्का हो जाता. थोड़े देर तक बाबूलाल अपना लंड मुनिया की बुर में पेले शांत खड़ा था. इससे मुनिया की बुर की मांस पेशियों को थोडा फैलने का समय मिला.
औरत की बुर बड़ी कमाल की चीज है. इसमें पेशियाँ इतनी इलास्टिक होती हैं की ये बड़े से बड़े लंड को अपने अन्दर समां सकती है. बाबूलाल ने कमर को अब धीरे हिला कर मुनिया को चोदना शुरू कर दिया था. मुनिया की बुर का दर्द अब काफूर हो गया था. वो भी अब अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी ताकि बाबूलाल के धक्कों को ले सके.
कमरे के अन्दर शमशेर कमला देवी की चूत छोड़ रहा था. उसने कमला की चूत से निकलता हुए रस से अपनी उंगलिया गीले की और दो उंगलिया कमला की गांड में डाल दी. कमला को लगा रहा था जैसे दो दो लंड उसे छोड़ रहे हों. वो आनंद में सिकारियां मार रही थी. जब शाशेर को लगा की कमला की गांड की ओइलिंग काफी हो गयी है, उसने अपना लंड चूत से निकाला और उसकी गांड में पेल दिया. कमला देवी की गांड की कसावट उसे अपने लंड पर ऐसी लगी जैसे उसके लंड को कोई निचोड़ रहा है.
"आह चूत और गांड दोनों को मजा लो भाई ..... आह ....आह..." कमला सिसकारी.
शमशेर अब परम उत्तेजना में था. वो कमला की गांड को बेदर्दी से चोदने लगा.
इधर बाबूलाल भी मुनिया को भकाभक छोड़ रहा था. उसने मुनिया की चुन्चियों लो जोरों से दबा रखा था. और उसकी बुर में अपना कांड पेल रहा था. मुनिया अभी तक दो बार झड चुकी थी.
"आह्ह......आह्ह... मैं गयी...." मुनिया ने अपना मुंह दबाये हुए बोला.
मुनिया तीन बार झड चुकी थी. बाबूलाल भी अब झड़ने वाला था सो उसने अपना लंड बाहर निकाला और मुनिया के गुन्दाज़ चूतड़ों पर अपना फव्वारा छोड़ दिया. मुनिया ने ऊपर वाले का धन्यवाद कहा की बाबूलाल उसकी बुर के अन्दर नहीं झडा. क्योंकि वो नहीं चाहती थी ही किसी और मर्द से उसे गर्भ ठहरे. वो दोनों वहां से ऐसे निकल गए जैसे वो वहां थे ही नहीं.
अन्दर कमरे में शमशेर और कमला दोनों झड चुके थे. वो नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेते हुए थे.
"नाश्ते के लिए क्या खाओगी, बहन कमला? " शमशेर ने पूछा.
"मेरा नाश्ता तो सारा हो चूका है भाई. तुम्हारे लंड का पौष्टिक आहार मुझे मिला ना", कमला ने आँख मारते ही बोला.
दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कराये. दोनों को पता था की आने वाले दिनों में वो काफी अच्छे खेल खेलने वाले हैं. दोनों थक गए थे. तीनों लड़कों में से कोई था नहीं, इसलिए नग्न अवस्था में ही सो गए.
हवेली की हवा में एक नयी तरह की महक थी - पहले मनोरमा के आने से और अब कमला के वापस आने से. घर के सारे लोग अब पहले से ज्यादा खुश रहते थे. पर प्यार और समर्पण का तो नियम ही यही है कि जियो और जीने दो!
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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