Wednesday, September 3, 2014

FUN-MAZA-MASTI पयश्विनी और मानव

FUN-MAZA-MASTI

 पयश्विनी और मानव

नमस्कार मित्रों यह बिलकुल भी महत्वपूर्ण नहीं है की मेरा नाम क्या है बल्कि
महत्वपूर्ण है वह आनंद जिसकी खोज में सभी इधर से उधर भटकते हैं तो बात को आगे
बढ़ाते हुए मैं आपको मेरे जीवन की उस घटना तक ले जाना चाहता हूँ जब एक लड़की
को काम सुख प्रदान किया था तथा बदले में उससे रति सुख लिया था.तो बात को
ज्यादा लम्बा न खींचते हुए सीधा उस लड़की का परिचय करवाता हूँ उसका नाम
पयस्विनी है पयस्विनी का मतलब ही दूध देने वाली होता है तो यह तो असंभव ही है
की उसके पास दुग्ध को एकत्रित करने के लिए विशाल पात्र न हो कहने का तात्पर्य
यह की पयस्विनी स्तनों के मामले में संपन्न थी उसे परमपिता परमेश्वर ने
सामान्य से बड़े स्तन दिए थे कम से कम उनका विस्तार ३५ इंचों तक तो होगा ही
तथा उसी अनुपात में उसके नितम्ब भी थे जब वो चलती थी तो बरबस ही उसे गजगामिनी
की उपमा देने का मन होता था. उसका कद भी अच्छा था यही कोई लगभग ५'८. मैं चूंकि
मेरे घर से दूर हॉस्टल में रह कर पढ़ता था तथा जब मैं दिवाली की छुट्टी मैं घर
आया तब पहली बार उसे देखा था, हुआ यूँ की हमारा परिवार काफी संपन्न है तथा
ब्रिटिश काल मैं हम ज़मींदार हुआ करते थे जिसकी शान अभी भी बाकी है बड़ा सा
किलेनुमा घर तथा काफी मात्रा मैं घर पे गायें भी हैं जिन्हें चरवाहे चराकर शाम
को घर छोड़ देते हैं तथा दूध भी निकाल कर घर पे दे देते हैं तो मूल बात अब
शुरू होती है जब मैं द्वितीय वर्ष में था तब जब मैं दिवाली की छुट्टी मैं आया
तो मैंने देखा की हमारे पुराने मुंशी जी का निधन हो जाने के कारण नए मुंशी जी
केशव बाबु आये हैं, केशव बाबु की पत्नी का निधन बहुत पहले ही हो गया था तथा
उनके केवल एक पुत्री थी जो की हमारी कहानी की नायिका है पयस्विनी. पयस्विनी भी
द्वितीय वर्ष मैं ही पढती थी तथा वह भी छुट्टियों मैं घर पर आई थी. वैसे तो
केशव बाबु को रहने के लिए हमारे घर के परिसर मैं ही जगह दे दी गयी थी तथा उनके
लिए खाना भी भिजवा दिया जाता था परंतु पयस्विनी के आने के बाद वाही खाना बनती
थी एक दिन की बात है मैं सुबह सुबह बहार अहाते में पिताजी के साथ बैठ कर
समाचार पत्र पढ़ रहा था तभी मैंने पयस्विनी को पहली बार देखा था सुबह सुबह वह
नहा कर आई थी उसने सफ़ेद रंग के कसे हुए सलवार कुरता पहने हुए थे उसके बाल
गीले थे इन सब में उसका कसा हुआ शरीर गजब ढा रहा था उसके शरीर का एक एक उभार
स्पष्ट दिख रहा था वह किसी स्वर्गिक अप्सरा के सामान लग रही थी अन्दर मेरी मां
नहीं थी इसलिए उसे हम लोगों के पास आना पड़ा जैसे ही वो मेरे पास आई मेरी
श्वांस गति सामान्य नहीं रही तथा जैसे ही उसने बोलने के लिए अपना मुख खोला तो
उसके मुंह से पहला शब्द 'दूध' निकला इस शब्द को बोलने के लिए उसके दोनों ओंठ
गोलाकार आकृति में बदल गए जो की मदन मंदिर के सामान लग रहे थे . उसकी वाणी में
जो मधुरता थी उसके तो क्या कहने, वास्तव में उसके पिता का कोई आयुर्वेदिक इलाज
चल रहा था इसलिए उसे गाय के शुद्ध दूध की जरूरत थी एकबारगी तो में अचकचा गया
था परंतु पिताजी के समीप ही बैठे होने कारण मैंने अपने आपको संभाला और तुरंत
अन्दर जाकर उसे दूध दे दिया. तो यह थी हमारी पहली मुलाक़ात इसके बाद में मैं
कॉलेज चला गया तथा वह भी अपने कॉलेज चली गयी परंतु मेरे मन उसके प्रति एक
आकर्षण उत्पन्न हो गया था हो भी क्यूँ नहीं उसे देख कर मुर्दे का भी लिंग
जागृत हो जायेगा फिर मैं तो जीता जगता इंसान हूँ. परीक्षा समाप्त होने के बाद
जब मैं वापस घर आया तो इस बार मैं कुछ तैयार हो कर आया था
मेरे माता पिता मैं थोड़ी धार्मिक प्रवृत्ति ज्यादा है अतः उन्होंने बुद्ध
पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार जाने का कार्यक्रम बनाया. वे वहां पर लगभग दो
महीने रहने वाले थे मेरी मां ने मुझे भी चलने के लिए कहा पर मैंने कहा की
मुझे थोरी पढाई करनी है इसलिए आप लोग जाओ मैं यहीं रहकर पढूंगा तो इसप्रकार
मेरे माता रवाना हो गए थे. बरसात का मौसम आने वाला था इसलिए ज्यादातर नौकर भी
अपने गाँव चले गए थे केवल एक नौकर बचा जो की मेरा खाना बनाता था इस प्रकार
हमारे दिन निकल रहे थे पयाश्विनी रोज़ दूध लेने के लिए आती और मैं उसे दे देता
था इसी प्रकार हमारी थोड़ी थोड़ी बातचीत चालु हुई और अब हम काफी घुल मिल भी गए
थे ऐसे ही हमें एक हफ्ता हो गया था, जमीन से सम्बंधित कोई जरूरी कागजात पर
पिताजी के हस्ताक्षर बहुत जरूरी थे इसलिए पिताजी ने मुंशी जी को वो कागजात
लेकर हरिद्वार बुला लिया मुंशी जी जाने से पहले मेरे पास आये तो मैंने कहा की
आप चिंता क्यों करते हैं आप आराम से हरिद्वार जाएँ दो दिन की ही तो बात है
पयश्विनी यहीं पर रह लेगी और उसे खाना बनाने की क्या जरूरत है नौकर बना देगा
और फिर दो ही दिन की तो बात है आप वापस तो आ ही रहे हैं थोडा बहुत मेरे साथ
पढ़ भी लेगी. इससे मुंशी जी को थोरी संतुष्टि मिली फिर मैं उन्हें ट्रेन तक
छोड़ने चला गया.वापस घर लौटते लौटते मुझे कुछ देर हो गयी और मै शाम को सूरज के
छिपने के बाद घर पंहुच पाया और काफी थकान होने के कारण जल्दी ही मुझे नींद आ
गयी अगले दिन सुबह मुझे लगा कि कोई मुझे झकझोर रहा है और उनींदी आँखों से
मैंने देखा कि यह तो पयश्विनी है वो नहाने के बाद मुझे नाश्ते के लिए जगाने आई
थी पर मै तो उसके गीले बालों जो कि खुले हुए थे और उसके नितम्बों तक आ रहे थे
के बीच में उसके चेहरे को ही देखने में खो गया नाक नक्श एकदम किसी रोमन देवी
के समान और स्तन और नितम्बो का विकास तो किसी पुनरजागरण कालीन यूरोपियन मूर्ती
का आभास करवा रहे थे, जब उसने मुझ से दूसरी बार पूछा तब मेरी चेतना लौटी और
हकलाते हुए मैंने कहा कि आप यहाँ? तो उसने कहा कि रामसिंह (जो कि कुक है) के
परिवार में किसी का निधन हो गया है और इस कारण आज घर पे आप और मै दो लोग हैं
इसलिए नाश्ता और खाना मै ही बनाउंगी मैंने अचकचाते हुए कहा ठीक है और
पयश्विनी के जाने का इंतजार करने लगा क्योकि मैंने नीचे केवल अंडरवियर पहना
हुआ था और अपने शरीर को कम्बल से ढका हुआ था और कम्बल नहीं हटाने का कारण तो
आप जानते ही हैं अन्दर शुभम* मेरे अंडरवियर को तम्बू बना रहा था| मैंने बैठे
बैठे ही कहा कि आप चलिए मै फ्रेश होकर डायनिंग टेबल पर आता हूँ तो वो जाने लगी
पर जैसे ही वो मुड़ी मेरी हालत तो और ख़राब हो गयी क्योंकि जब वो चल रही थी
तो उसका एक नितम्ब दुसरे से टकरा कर आपस में विपरीत गति उत्पन्न करे थे ऐसा लग
रहा था जैसे अपने बीच में आने वाली किसी भी चीज़ को पीस कर रख देंगे, जैसे
तैसे मै आपको नियंत्रित करते हुए बाथरूम में पहुंचा और जल्दी से फ्रेश हुआ और
नहा धोकर डायनिंग टेबल पर पहुँच गया हालाँकि डायनिंग टेबल बिलकुल तैयार थी पर
पयश्विनी को वहां न पाकर मै किचन में गया तो देखा कि वह घुटनों के बल उकडू
बैठी है उसका चेहरा आगे कि तरफ झुका हुआ है और वह नीचे सिलेंडर को चेक कर रही
है, उसकी पीठ मेरी तरफ थी और इसलिए उसे नहीं ध्यान था कि मै उसके पीछे खड़ा
होकर उसके वस्त्रो का चक्षु भेदन कर रहा हूँ| अब आप ही बताइए कि एक स्वस्थ
युवा के लिए यह कैसे संभव है कि सामने एक अतुलनीय सुंदरी अपने नितम्बो को
दिखाती हुई खड़ी हो और वो निष्पाप होने का दावा करे वास्तव में पाप निष्पाप
भी कुछ नहीं होता हर घटना हर वस्तु का केवल होना ही होता है उसके अच्छे या
बुरे होने का निर्धारण तो हर कोई अपनी अपनी सुविधानुसार करता है जो भी हो
पयश्विनी को पहले ही दिन देख कर मेरे मन में और नीचे कुछ कुछ होने लगा था और
अब जब हम दोनों अकेले थे तो मेरी इस इच्छा ने आकर लेना आरम्भ कर दिया था..
अचानक से पयश्विनी मुड़ी और मेरी आँखों से उसकी आँखें मिली तो उसने फिर अपनी
आँखें लज्जावश नीचे झुका ली मैंने मदद के लिए पूछा तो उसने कहा कि शायद
सिलेंडर में गैस ख़त्म हो गयी है मैंने कहा कि मै देखता हूँ और मैंने नीचे
झुककर जैसे ही सिलेंडर को छूने का प्रयास किया मेरा हाथ पयश्विनी के हाथ से छू
गया और इस प्रथम स्पर्श ने मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी उत्पन्न कर दी पर अभी
भी जबकि इस घटना को २ वर्ष बीत गए हैं मै उस कोमल स्पर्श कि अनुभूति से बहार
नहीं आ पाया हूँ , मैंने उस से कहा कि सिलेंडर को बाद में देखते है पहले
नाश्ता कर लिया जाये क्योंकि बहुत जोरो कि भूख लगी है कल रात को भी बिना कुछ
खाए ही सो गया था तो उसने कहा ठीक है और हम दोनों नाश्ते कि टेबल पर पहुँच गए
नाश्ता भी उसने बहुत है लजीज बनाया था और पूरा नाश्ता उसकी पाक प्रवीणता की
प्रशंसा करते करते ही किया और हर बार उसके चेहरे पे एक लालिमा सी आ जाती जो की
मुझे बहुत ही अच्छी लग रही थी| नाश्ता करने के बाद मै अपने रूम में चला गया और
कुछ पढने लगा और पयश्विनी ने वह की वोह भी घर का काम निपटा कर अपने घर चली
जाएगी जो की एक ही परिसर में था तो मैंने कहा की घर पे तुम अकेले बोर हो जाओगी
इसलिए अपनी बुक्स लेकर यही आ जाओ साथ में बैठ पढेंगे तो उसने कहा ठीक है| मुझे
अपने रूम में आकर बैठे हुए अभी कुछ देर ही हुई थी कि पिताजी का फ़ोन आया और
कहा कि मुंशी जी भी कुछ दिन यही रहेंगे हमारे साथ आखिर उनकी भी तो तीर्थयात्रा
करने कि उम्र हो गयी है.. मैंने उन्हें नहीं बताया कि रामसिंह भी छुट्टी लेकर
अपने गाँव चला गया है और घर पे हम दोनों अकेले हैं| मै मन ही मन लड्डू खाते
हुए एक पुस्तक खोलकर बैठ गया पर आज मन नहीं लग रहा था थोड़ी ही देर में
पयश्विनी भी अपनी पुस्तकें लेकर आ गयी मैंने उसको मेरी ही स्टडी टेबल पे सामने
की तरफ बैठने के लिए कह दिया तथा थोड़ी देर तक तो दोनों पढ़ते रहे पर मेरा मन
तो कही और ही घूम रहा था इसलिए मैंने ऐसे ही उस से बाते करनी चालू कर दी मैंने
उस से उसके पढाई के बारे में पूछा तो पता चला की वो दिल्ली के एक प्रतिष्ठित
महिला कॉलेज में पढ़ती है मैंने आश्चर्य से कहा की मै भी दिल्ली में ही पढता
हूँ और इस तरह हमारा बातों का सफ़र आगे बढ़ा मैंने उस से उसकी स्टडी के बारे
में पूछा तो पता चला की वोह संस्कृत साहित्य की विद्यार्थी है और संस्कृत में
B.A. honours कर रही है, शायद इसी कारण उसमे वो बात थी जो मुझे और लडकियों में
नहीं दिखती है एक अपूर्व तन की स्वामिनी होते हुए भी वह बिलकुल निर्मल और अबोध
लगती थी जैसे उसे अपने शरीर के बारे में कुछ ध्यान ही न हो| यहाँ से मुझे ऐसे
लगने लगा था कि शायद कुछ काम बन जाये हालाँकि मै राजनीती शास्त्र का
विद्यार्थी हूँ पर मुझे संस्कृत काफी आनंददायक लगती है इसलिए मै थोडा बहुत हाथ
पैर संस्कृत में भी चला लेता हूँ और बात को आगे बढ़ाते हुए मैंने कथासरित्सागर
नामक एक प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ का उल्लेख किया जो कि मैंने कुछ वर्ष पहले पढ़ा
था, तो तुरंत पयश्विनी ने कहा की कथासरित्सागर तो अश्लील है मैंने इसका
प्रतिवाद किया और पूछा की अश्लीलता क्या होती है? तो उसने सीधा कोई उत्तर नहीं
दिया तो मैंने बताया की जिसे तुम अश्लील साहित्य कह रही हो वो हमारे स्वर्ण
काल में लिखा गया था| वास्तव में प्रगतिशील समाजों में यौनानंद को लेकर कोई
शंका नहीं होती है जैसे की आज के पश्चिमी यूरोप और अमेरिका हैं , प्राचीन काल
में यौनानंद को लेकर समाज में निषेध की भावनाएं नहीं थी इसे एक आवश्यक और
सामान्य क्रियाकलाप की तरह लिया जाता था और तब आता है हमारा अन्ध्काल जब हमने
अपने सब प्राचीन परम्पराओं को भुला दिया या हमारे उन प्राचीन प्रतीकों को
पश्चिम से आने वाले जाहिल मूर्तिपूजा विरोधियों ने नष्ट भ्रष्ट करना आरम्भ कर
दिया इस प्रकार हम हमारी प्राचीन परंपरा से दूर होते गए और धीरे धीरे हम भी
नाम से भारतीय बचे बाकि मानसिकता हमारी भी उन मूर्तिपूजा जाहिलों जैसी हो गयी
जो यौन कुंठाओं के शिकार थे, और इसीलिए हमने श्लील और अश्लील जैसे शब्दों का
अविष्कार किया और कुछ गतिविधियों को अश्लीलता के कॉलम में डालकर उन्हें समाज
के लिए निषेध कर दिया गया| इस उद्बोधन का पयश्विनी पर काफी प्रभाव पड़ा और वह
मुझ से कुछ कुछ सहमत भी हो रही थी| माहोल को कुछ हल्का करने के लिए मैंने उस
से
बातो बातो में पूछा की क्या वह टेबल टेनिस खेलना जानती है तो उसने हामी भरी तो
हमने तय किया की टेबल टेनिस खेला जाये चूंकि घर पे टेबल टेनिस खेलने का सारा
इन्तेजाम पहले से ही था क्योंकि मै टेबल टेनिस का रास्ट्रीय खिलाडी हूँ तो हम
दोनों ने टेबल टेनिस खेलना आरम्भ कर दिया गेम की शुरुआत से ही मुझे लगा की वह
अपने कपड़ों की वजह से खेल में पूर ध्यान नहीं दे पा रही है क्योंकि उसकी थोडा
बहुत इधर उधर मूव करते ही उसकी चुन्नी अस्त व्यस्त हो जाती और मुझे उसके
स्तनों के दर्शन हो जाते इस प्रकार पहला गेम मै जीत गया| गेम की समाप्ति के
बाद मैंने उस से कहा की यदि उसे सलवार कुरते मे खेलने से प्रॉब्लम हो रही हो
तो मेरे शोर्ट्स और टी शर्ट पहन सकती है तो उसने शरमाते हुए कहा की मे शोर्ट्स
और टी शर्ट कैसे पहन सकती हूँ तो मैंने कहा क्यों मैंने भी तो पहने हुए हैं,
मैंने कहा की वैसे भी यहाँ हम दोनों के अलावा कौन है जो तुम्हे शोर्ट और टी
शर्ट में देख लेगा, तो उसने कहा ठीक है और मित्रो हम दोनों वापस मेरे बेड रूम
में गए और मैंने अपने शोर्ट्स और टी शर्ट उसको दिए हालाँकि वो कुछ शर्मा रही
थी पर मैंने उसको थोडा प्रोत्साहित करते हुए कहा की ऐसे क्या गाँव वालो की तरह
बर्ताव करती हो जल्दी से चेंज करके आओ तो वो मेरे बाथरूम की तरफ बढ़ गयी, थोड़ी
देर बाद जब वो वापस बहार निकली तो सफ़ेद शोर्ट और टी शर्ट में जबरदस्त आकर्षक
लग रही थी बस टी शर्ट कुछ ज्यादा ही बड़ा था जो शोर्ट्स को लगभग ढक ही रहा था
और फिर मैंने मेरे शुभम को नियंत्रित करते हुए उसे वापस टेबल पे चलने को कहा
इस मुकाबला कांटे का था इस पयश्विनी भी काफी सक्रिय लग रही थी अब हमने वापस
खेल आरम्भ किया इस बार टॉस पयश्विनी जीती और उसने पहले सर्विस करने का फैसला
किया और एक तेज सर्विस मेरी तरफ की हालाँकि मे चाहता तो उस सर्विस को वापस खेल
सकता था पर मैंने जानबूझ कर उसे जाने दिया और इस ख़ुशी में पयश्विनी एक दम से
उछल पड़ी जिसके कारण उसके स्तन भी उसके साथ उछले और मेरे नीचे कुछ होने लगा
अगली बार मैंने एक तेज शोट मारा जो टेबल के बिलकुल बाएं हिस्से पर लग कर नीचे
गिर गया पयश्विनी इस शोट को काउंटर करने के लिए तेजी से एकदम आगे बढ़ी पर गेंद
काफी आगे थी और इस कारण पयश्विनी का बैलेंस बिगड़ गया और वह टेबल पे एकदम झुक
गयी उसने पूरी कोशिश की सँभालने की पर उसके स्तन टेबल पर टच हो ही गए पयश्विनी
एकदम झेंप से गयी पर मैंने माहोल को हल्का बनाते हुए वापस सर्विस करने को कहा
और इस तरह हमारा खेल चलता रहा आप तो जानते ही हैं की टेबल टेनिस एक फुर्ती
वाला खेल है और इसे खेलने वाला अगर ढंग से खेले तो पूरा शरीर कुछ ही देर में
पसीने से भीग जाता है और ऐसा ही हमारे साथ हुआ थोड़ी ही देर में हम दोनों के
कपडे हमारे शरीर से चिपक गए थे जैसा की हमारे भारत में आम है की गाँव के लोगो
को बिजली की सप्लाई सरकार बहुत कम करती है इस कारण लाइट भी थोड़ी देर में चली
गयी अब जनरेटर चलने का टाइम तो हमारे पास था नहीं और हम तो खेलने में मशगूल थे
थोड़ी ही देर में मैंने तो गर्मी से परेशां होते हुए अपने टी शर्ट उतार कर रख
दिया और खेलने लगे, हालाँकि मे खेल तो रहा था पर इस बार मेरा ध्यान टेबल टेनिस
की छोटी से गेंद पर कम और पयश्विनी की बड़ी वाली गेंदों पर ज्यादा था इसलिए
इस बार का गेम मे हार गया पयश्विनी की ख़ुशी मुझे उसके स्तनों के ऊपर नीचे
होने से दिख रही थी, खैर खेलते खेलते काफी टाइम हो गया था और पयश्विनी काफी थक
भी गयी थी इसलिए मैंने कहा की चलो अब खेल बंद करते हैं और मेरे रूम में चलते
हैं रूम में जाकर मे बेड पर बैठ गया और पयश्विनी पास में कुर्सी पर बैठ गयी तो
मैंने कहा कि यहाँ आराम से बैठो न बेड पर ये इस तरह लिहाज रखना ठीक बात नहीं
है आखिर हम दोनों दोस्त हैं तो पयश्विनी भी वही बेड पे आके बैठ गयी,इस तरह
बैठे बैठे उसने कहा कि अब वो कपडे चेंज कर लेती है तो मैंने कहा कि क्या जरुरत
है तुम इनमे भी अच्छी लग रही हो तो उसने कहा कि नहीं वो चेंज करेगी और उठकर
बाथरूम कि तरफ जाने लगी उसकी मंशा समझते हुए मै फुर्ती से उठकर गया और उससे
पहले बाथरूम में जाकर उसके कपडे ले लिए पयश्विनी भी पीछे पीछे बाथरूम में ही आ
गयी और मुझे अपने कपडे देने को कहा मैंने कहा कि खुद ले लो जैसे ही उसने हाथ
आगे बढाया मैंने वह से हट गया और इस तरह हमारे बीच छीना झपटी का खेल चालू हो
गया अचानक पयश्विनी ने अपने हाथ मेरे पीछे कि तरफ ले जाकर मेरा दायाँ हाथ
पकड़ने कि कोशिश कि पर इस प्रयास में उसका दायाँ स्तन मेरे बाएं कंधे से
जबरदस्त रगड़ खा गया अब मेरा बायाँ पाँव पयश्विनी के दोनों पैरों के बीच था
मेरा बायाँ हाथ पयश्विनी कि दाहिनी जांघ के पास उसके नितम्ब को छू रहा था और
मेरे दाहिने हाथ से मैंने पयश्विनी के बाएं कंधे को हल्का सा धक्का देकर
बाथरूम से बाहर आ गया पीछे पीछे पयश्विनी भी आ गयी अब वास्तव में कपडे लेना
तो बहाना थे हम दोनों को इस छीना झपटी में आनंद आ रहा था चूंकि इन सब
गतिविधियों के कारण मेरा शुभम कुछ कुछ उत्तेजित हो गया था जो बिना टी शर्ट के
शोर्ट्स में छुपाना असंभव हो गया था पयश्विनी ने भी शुभम के दीदार कर लिए थे
और उसकी आँखों में मुझे अब परिवर्तन नजर आ रहा था और इसी कारण अब वो भी थोडा
ज्यादा सक्रिय होकर इस छीना झपटी का आनंद ले रही थी मै दौड़ कर बेड के ऊपर चढ़
गया था और पयश्विनी भी बेड बे चढ़ गयी और मेरे हाथ से अपने कपडे छीन लिए जैसे
ही वोह अपने कपडे लेकर मुड़ी मैंने पीछे उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया मेरे
हाथ उसके स्तनों और कमर के बीच में थे मैंने उसे अपने बाहुपाश में कश के अपनी
तरफ खींच लिया अब उसके नितम्ब मेरी जाँघों को छु रहे थे और और शुभम अपने पूर्ण
विकसित आकर में उसके दोनों नितम्बो के बीच में था उसकी बढ़ी हुई धडकनों को मै
साफ़ महसूस कर रहा था शोर्ट्स पहने हुए होने के कारण उसकी पिंडलियाँ मेरी
पिंडलियों से छु रही थी और इतनी देर कि उछल कूद ने हमारे अन्दर जबरदस्त आवेश
भर दिया था उसके पेट को थोडा और दबाता हुए मैंने अपने मुंह को उसकी गर्दन के
पास ले जाकर उसे कान में धीरे से पूछा "Madam what do you want?" और उसने अपने
दायें हाथ को पीछे ले जाकर मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे दबाकर बोली "I want
this" उसका इतना कहना था और मेरा जोश सौ गुना बढ़ गया मैंने खड़े खड़े ही उसके
कान पे हल्का सा दांत लगाया और एक हाथ सीधे उसकी योनी पर ले गया और उसे उसके
शोर्ट्स के ऊपर से ही मसलने लगा अब उसके हाथ से उसके कपडे गिर गए और वह भी
पूरा आनंद लेने लगी उसकी मेरे लिंग पे पकड़ बहुत ही कष्टकारी हो गयी जो कि आनंद
दायक भी थी और इस तरह थोड़ी देर खड़े खड़े आनंद लेने के बाद हम दोनों अलग हो गए
और हम दोनों कि आँखे मिली पयश्विनी ने अपने होठो को काटते हुए मुझे एक बहुत ही
उत्तेजक मुस्कान दी जिसने मेरा जोश और बढ़ा दिया|
मैंने पयश्विनी से कहा कि जब हम इतने अच्छे दोस्त बन गए हैं तो अब ये कपड़ो का
पर्दा कैसा और वैसे भी ये मेरे कपडे हैं इसलिए अब मुझे मेरे कपडे वापस दे दो
पयश्विनी ने कहा कि खुद ही ले लो और हम दोनों बेड से नीचे आ गए हम दोनों अब
कालीन पर खड़े थे जो कि बेड के पास ही बिछा हुआ था मैने पयश्विनी को बेड पर बैठ
के पैर नीचे रख कर अपनी पीठ मेरी तरफ करने को कहा*[क्षमा चाहूँगा मित्रों
कहानी के इस भाग से अब आगे कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करूँगा जो अत्यधिक
आनंददायक है पर यह तथाकथित समाज उन्हें अश्लील कहता है**]* अब उसकी शानदार
गांड मेरे सामने थी और अपने दर्शन करवाने को तैयार थी मैने आगे बढ़कर एक बार
दोनों हाथ उसकी कमर पे रखे और उसी पोजीशन में पयश्विनी के बिलकुल पीछे बैठ गया
मेरा लंड उसकी गांड को बिलकुल छु रहा था बस बीच में दो चार कपडे थे मैने
पयश्विनी को हल्का सा अपने लंड कि तरफ दबा दिया और एक झुरझुरी सी दोनों के
बदनो में छूट गयी अब मैने पयश्विनी को घुमा दिया और मै खुद बेड बेड पर बैठ गया
और पयश्विनी मेरी गोद में बैठी थी मेरे बाए हाथ कि तर्जनी ऊँगली पयश्विनी के
मुंह में थी और दायाँ हाथ जगह तलाशते हुए एक निपुण गोताखोर कि तरह पयश्विनी कि
पेंटी तक पंहुच गया जो हलकी गीली हो चुकी थी हालाँकि हम दोनों कि आँखे बंद थी
पर मै पयश्विनी कि चूत को साफ़ महसूस कर सकता था हलके हलके बालों के बीच में एक
नरम सा उभरा हुआ अहसास मेरी उत्तेजना को लाखो गुना बढ़ा चूका था ध्यान करने
वाले सन्यासी ध्यानी को भी आँख बंद करके ध्यान लगाने में वो आनंद नहीं आता
होगा जो मुझे पयश्विनी कि चूत का ध्यान करके आ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे
हजारो सूर्यो का प्रकाश भी उस परमपिता कि इस छोटी सी रचना चूत के प्रकाश के
आगे एक चौंधियाता हुआ बल्ब ही होगा तो इस तरह आनंद के सागर में गोते लगाते हुए
मै तो एकदम सम्भोग से पूर्व ही समाधी कि अवस्था में चला गया था कि पयश्विनी के
हाथो को मैने अपने लंड पे महसूस किया और मेरा ध्यान भंग हो गया मैने फटाफट से
पयश्विनी के शोर्ट्स को नीचे किया और हम दोनों अलग हो गए अब मेरे सामने
पयश्विनी पेंटी और टीशर्ट में कड़ी थी इस स्थिति में पयश्विनी कि आधी पेंटी दिख
रही थी अब वो मेरी तरफ बढ़ी और जोर से मेरे लंड को दबा दिया फिर एकदम से मेरे
शोर्ट्स को नीचे खींच लिया अब मै भी अंडरवियर में खड़ा था और मेरा लंड साफ़ साफ़
उभरा हुआ दिख रहा था पयश्विनी ने बिना कोई इन्तेजार किये मेरा अंडरवियर भी
खींच लिया इसकी प्रतिक्रिया में मैने उसकी गुलाबी पीली पेंटी जिसपर गुलाबी फूल
बने हुए थे को उसकी नाभि के बीच से पकड़ कर दोनों भागों को विपरीत दिशा में
खींच कर एक ही झटके में फाड़ दिया अब पयश्विनी अपनी हलकी लालिमा लिए अपनी मखमली
चूत के साथ मेरे सामने खड़ी थी उसकी चूत क्या थी दोनों जांघों के बीच में उभार
लिए हुए एक हलकी लाइन थी जिसके दोनों तरफ हलके हलके से बाल थे मुझसे रहा नहीं
गया और में पयश्विनी कि तरफ बढ़ा ही था कि पयश्विनी ने एक ही झटके में मेरा
अंडरवियर खींच लिया अब हम दोनों लंड चूत लिए एक दुसरे के सामने खड़े थे मै थोडा
आगे कि तरफ आया और दोनों हाथ उसकी गांड पर रखे और उसे उठाकर मैने बेड पर इस
तरह पटका कि उसके पैर नीचे लटकते रहे अब मैने अपनी टी शर्ट उतारी नीचे बनियान
तो मैने पहनी ही नहीं थी और पयश्विनी के ऊपर चढ़ गया अपने सीने से उसके बड़े
बड़े बोबों को दबा दिया मुझे उसके उभरे हुए निप्पल्स साफ़ महसूस हो रहे थे और
मै उसकी गर्दन के आस पास चूमने लगा पयश्विनी भी यौनानद में रत होकर बहुत ही
उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी मेरा लंड उसकी दोनों जांघों के बीच में था मेरी
जांघो को पयश्विनी ने अपनी जांघो में कस लिया था पयश्विनी के होंठ सामान्य से
हलके मोटे थे जो कि मुझे बहुत पसंद हैं और अब हम एक दुसरे में गुत्थम गुत्था
हो रहे थे जबकि दोनों को होंठ आपस में जुड़े हुए थे और एक दुसरे का रसपान कर
रहे थे पयश्विनी ने अपने दांतों से मेरा निचला होंठ हल्का सा काट लिया अब
पयश्विनी कि जीभ मेरे होठों के बीच में घूम रही थी और दोनों एक दुसरे के रस का
आदान प्रदान कर रहे थे पयश्विनी कि तेज तेज साँसों के कारण उसके बोबे इतनी जोर
से ऊपर नीचे हो रहे थे कि लग रहा थी कि ये टीशर्ट फाड़ कर बहार आ जायेंगे
अचानक से पयश्विनी ने मुझे अपनी भुजाओं में कस के हलकी सी ताक़त लगाई और और अब
हम दोनों अपने एक एक कंधे के बल पर बेड पर थे पयश्विनी कि जांघो ने मुझे इस
कदर कस लिया था कि मुझे आश्चर्य हुआ कि इस लड़की में इतनी ताक़त आई कहा से अगले
ही पल मै नीचे था और पयश्विनी मेरे ऊपर थी और अब वो मेरे लंड के ऊपर बैठी हुई
थी मेरा लंड उसकी चूत का स्पर्श पाकर सनसना रहा था कि पयश्विनी सीधी हुई और
उसने अपनी टीशर्ट उतर फेंकी पहली बार मैने किसी महिला के बोबो के इतने पास से
देखा था इस से पहले तो पोर्न मूवीज में ही देखा था पयश्विनी के बोबे उसकी उम्र
कि लड़कियों से काफी बड़े और पूर्ण विकशित थे | मैने अचानक से से हाथ बढाया और
उसकी ब्रा को भी एकदम खींच लिया अब उसके बोबो का दृश्य देखते ही बनता था
बिलकुल सफ़ेद बोबो के ऊपर हलकी सी लालिमा हुए निप्प्ल्स गुलाबी मोती जैसे लग
रहे थे मैने मेरे दाए हाथ से उसके बाए बोबे को हल्का सा मसला तो पयश्विनी के
मुंह से आह निकाल गयी उसके बोबे इतने बड़े थे कि मेरे एक हाथ में एक बोबा नहीं
आ रहा था अचानक से मुझे एक आईडिया आया मैने पयश्विनी से कहा कि चलो कोई खेल
खेलते हैं तो उसने कहा कैसा खेल? मैने कहा कि चलो कुश्ती करते हैं देखते हैं
ज्यादा ताक़त किसमे है? कुश्ती किसे लड़नी थी हमने तो मजे करने थे और एक घर में
जवान लड़का लड़की वो भी बिना कपड़ो के तो अब रुकने का तो कोई सवाल ही नहीं था|
हम दोनों बेड से नीचे कालीन पर आगये और एक दुसरे कि तरफ थोडा झुकते हुए दोनों
ने एक दुसरे कि गर्दन के पीछे हाथ डाल दिए अचानक से मैने पयश्विनी को थोडा सा
अपनी तरफ खींचा और और अपने बाए घुटने को पयश्विनी के पैरों के बीच में डाल कर
दायें हाथ को पयश्विनी के दोनों पैरों के बीच में डाल कर हवा में उठा दिया और
बाएं हाथ से पयश्विनी के अपनी गर्दन के ऊपर से खींचते हुए धीरे धीरे जमीन पर
गिरा दिया, चूंकि अगर कंधे अगर जमीन के टच हो जाते तो पयश्विनी हार जाती इसलिए
फुर्ती से पयश्विनी जमीन पर मुंह के बल उलटी लेट गयी उसके हाथ उसके दोनों बोबो
के नीचे थे और गांड उठी हुई मेरे सामने, उसकी गांड क्या थी ऐसा लग रहा था कि
दो बड़े से तरबूज हों मै तो कुश्ती भूल कर उसकी गांड का दीदार करने में लग गया
और पता नहीं कब मेरी जीभ उसकी गांड के आस पास पंहुच गयी और मै उसकी गांड को
चाटने लगा गांड चाटते चाटते मै स्वर्ग के द्वार तक पंहुच गया जहाँ से हल्का
हल्का आब ए चूतम रिस रहा था मै तो अपनी धुन में मस्त होकर आब ए चूतम के स्वाद
का मजा ले रहा था कि अचानक पयश्विनी ने मुझे धक्का देकर मेरे कंधे जमीन पर टच
कर दिए मुझे कुश्ती में उसने हरा दिया था पर असली कुश्ती तो अभी बाकि थी|
मेरा सर पयश्विनी के जांघो कि तरफ था पयश्विनी घुटनों के बल खड़ी थी कि अचानक
मैने थोडा सा आगे खिसक कर फिर उसके चूत में अपना मुंह दे दिया अब मै जमीन पर
था और पयश्विनी मेरे ऊपर लेटी लेटी मेरे लंड तक पहुँच गयी और और मेरे लंड को
मसलने लगी मेरे हाथ पयश्विनी कि गांड के चारो तरफ कसे हुए थे और मुंह पयश्विनी
कि हलकी सी रोयेंदार चूत में था थोड़ी देर में मैने अपने लंड पर हलकी सी
गर्माहट और गीलापन महसूस किया पयश्विनी ने बिना मेरे कहे ही मेरा लंड अपने
मुंह में लिया चूंकि घर में कोई नहीं था इसलिए हम जोर जोर से आवाजें निकाल रहे
थे पयश्विनी कि पानीदार आवाज़ माहोल को और भी मादक बना रही थी इस तरह थोड़ी देर
में हम दोनों का स्खलन हो गया| थोड़ी देर हम दोनों एक दुसरे के ऊपर लेते रहे
इसके बाद हम अलग अलग हुए|
थोड़ी देर में हमारी सांस सामान्य हुई तब तक हम फिर तैयार हो गए आँखों आँखों
में हमारी बात हुई और पयश्विनी पास में रखे सोफे के पास पंहुच गयी अब मैने
हल्का पयश्विनी कि चूत को मसला तो उसके मुंह से हलकी हलकी आवाज़े निकलने लगी
मैने कहा पानीपत के चौथी जंग के लिए तैयार? तो उसने उसने कहा तैयार मै बाथरूम
में गया और जेली ले आया और अपने लंड पे लगा दी फिर मैने धीरे धीरे लंड को उसकी
चूत पे मारने लगा जिसने पयश्विनी के बेचेनी बहुत ज्यादा बढ़ गयी उसने कहा अब
देर नहीं डू इट राईट नाऊ और मैने हलके हलके अपने लंड को उसकी चूत में प्रवेश
करवा दिया क्योंकि हम दोनों ही फ्रेशर थे इसलिए ज्यादा कुछ पता नहीं था पर
पोर्न मूवीज के कारण मै थोडा ज्यादा ज्ञानी था तो उसी थ्योरी वाले ज्ञान को आज
अप्लाई करने का टाइम आया था मै पीछे कैसे हटता? थोडा सा अन्दर डालकर मैने हलके
हलके धक्के लगाने चालू किये अन्दर उसकी चूत का तापमान बहुत ज्यादा था ऐसा लग
रहा था कि मैने अपने लंड को किसी रसदार इलेक्ट्रोनिक भट्टी में डाल दिया हो और
कसावट इतनी जबरदस्त थी अगर इतना किसी के गले को कस दिया जाये तो १ मिनट में ही
उस आदमी कि दम घुटने से मौत हो जाये|
मै उसकी चूत कि आन्तरिक रचना को साफ़ महसूस कर सकता था हलाकि अभी लंड केवल २
इंच अन्दर गया था और मै हलके हलके धक्के लगा रहा था अचानक मैने जोर का धक्का
लगाया और लंड ५ इंच तक अन्दर हो गया था पयश्विनी अचानक बुरी तरह से चीखी और
मेरी पीठ को जबरदस्त तरीके से कस लिया मुझे अपने लंड पे कुछ गर्माहट महसूस हुई
थोड़ी देर में देखता हूँ कि पयश्विनी का कुंवारापन चूत के रस्ते खून के साथ
बहता हुआ बहार आ रहा है पयश्विनी कि आँखों से आंसू आ गए तो मैने उसके उसकी
गांड के सहारे उठाते हुए बेड पे लिटा दिया लंड अभी अन्दर ही था और पयश्विनी को
होठों पे चूमने लगा पयश्विनी के आंसू से गीले उसके होठों से नमकीन सा स्वाद आ
रहा था मैने उसके हलके हलके धक्के लगाना जारी रखा जिसको थोड़ी देर बाद पयश्विनी
भी अपनी गांड उठाकर प्रत्युत्तर देने मैने एक जोर का धक्का लगाया और मेरा लुंड
६.५ इंच तक अन्दर चला गया,दोनों के होठ एक दुसरे का रसपान कर रहे थे तो लंड
चूत के साथ मजे कर रहा था अब मैने भी धक्कों के स्पीड बढ़ा दी हर धक्के के साथ
उतनी ही ताकत से पयश्विनी का भी जवाब आता वो अपनी गांड उठा उठाकर मजे ले रही
थी ऐसे ही एक धक्के का जवाब पयश्विनी दुसरे धक्के से देती और धक्के पे धक्का
धक्के पे धक्का इस धक्कम पेल से अचानक पयश्विनी कि चूत में कसावट आ गयी और
मुझे लगने लगा कि अब तो लंका लुटने वाली है कि पयश्विनी कि जबरदस्त आनंददायक
आवाज आई और उसका पूरा शरीर ढीला पड़ गया और मेरे लंड के पास बहकर उसका जवानी का
रस नीचे कि तरफ बहने लगा इस सब से मेरा भी जोश बहुत बढ़ गया ९-१० धक्कों के बाद
मुझे भी दिन में सितारे दिखने लगे और तड़ाक तड़ाक तड़ाक मेरे लंड से भी एक के
बाद एक फायर होने लगे मै पयश्विनी कि चूत के अन्दर ही झड ही गया और थोड़ी देर
के लिए मुझे कुछ भी दिखना बंद हो गया आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया|
थोड़ी देर तक हम ऐसे ही एक दुसरे के ऊपर पड़े रहे फिर एक दुसरे को सहारा दिया
मैने पयश्विनी से अन्दर झड़ने के लिए सॉरी कहा तो उसने कहा कि मै अभी पीरियड्स
में हूँ इसलिए नो प्रॉब्लम|
मै भी खुश हो गया इसके बाद हम दोनों बाथरूम में गए और साथ में नहाये और अगले १
महीने तक जब तक रामसिंह नहीं आ गया चोदम चुदाई करते रहे और उसके बाद भी जब भी
मौका मिला एक दुसरे को मजे देते रहे|
  मेरी कहानी पढने के लिए आप का बहुत बहुत
धन्यवाद्







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