Tuesday, June 9, 2015

FUN-MAZA-MASTI जिस्म की तपिश

FUN-MAZA-MASTI

 जिस्म की तपिश

हेलो दोस्तों, कैसे है आप लोग? मेरा नाम नीलम है और मैं एक विडो हु. मेरे पति की डेथ जब हुई, जब मैं ५० की हो गयी थी और बच्चो को भी हमने सेटेल कर दिया था. वो लोग अपनी – अपनी जॉब पर रहते थे और मैं अकेले ही अपने घर रह गयी थी. मेरे बच्चो ने मुझे कई बार बुलाया और मैं गयी भी. लेकिन वहां मेरा मन नहीं लगा, तो मैं वापस अपने घर आ जाती थी. यहाँ मेरा दिन तो पास हो जाता था. पडोसी थे और रिश्तेदार भी थे.
कुछ समय पति के बाद तो कट गया. मन को भी समझा लिया था. लेकिन शरीर की भूख का क्या? कभी – कभी जब ज्यादा लगती थी, तो अपनी ऊँगली से अपने आप को शांत कर लिया करती थी. इसी बीच मुझे सेक्सी कहानिया पढ़ने का शौक लग गया और मैंने सेक्सी कहानिया पढनी शुरू कर दी. अब तो काफी साल हो गये और आज मन किया, कि अपनी आपबीती भी आप लोगो के साथ शेयर करू.
बात ज्यादा पुरानी नहीं है. कुछ ही महीनो पुरानी है. मेरे बेटे के एक दोस्त ने मेरे शहर में जॉब कर ली. उसका इस शहर में कोई नहीं था. तो मेरे बेटे ने उसे हमारे घर में रहने की सलाह दी. उसने कहा – दोस्त को अच्छा घर और अच्छा खाना मिल जाएगा और माँ को देखभाल करने वाला. विचार तो अच्छा था, लेकिन कुछ ऐसा हुआ. जिसका अंदाज़ा मुझे नहीं था.
उसका नाम दीपक था. दीपक मेरे बेटे से कुछ साल छोटा था और अच्छी नेचर का था. कुछ ही टाइम में वो हमारे घर में घुल मिल गया था और मुझे उसकी काफी हेल्प मिलने लगी थी. एक बार उसकी तबियत ठीक नहीं थी. तो वो जल्दी आ गया था और दवाई लेकर अपने कमरे में सो गया. मैं उस समय सेक्सी स्टोरी पड़ रही थी. मुझे लगा कि दीपक सो रहा है. तो मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी थी.
मेरे मुह से कामुक सिसकिया निकल रही थी. मैंने अपनी आवाज़ को दबाया हुआ था, क्योंकि दीपक घर में थे. मैंने दरवाजा ढूकाया हुआ था, लॉक नहीं किया हुआ था. मैं दिवार के सहारे से बैठी थी और मेरी चूत के अन्दर मेरी २ उंगलिया घुसी हुई थी. मेरा हाथ बहुत तेज चल रहा था और मैं मस्ती भरी सिस्कारिया ले रही थी. मुझे पता ही नहीं चला, कि दरवाजे पर दीपक कब आकर खड़ा हो गया था.
१० मिनट के बाद अचानक से मेरी नज़र दरवाजे पर खड़े दीपक पर पड़ी, तो मैं देखती ही रह गयी. दीपक ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और वो नंगा खड़ा हुआ, अपने लंड को जोर – जोर से मसल रहा था. हम दोनों अगले ५ मिनट तक एक दुसरे को देखते रहे. मेरी उंगलिया अभी भी चूत के अन्दर थी, बस चलनी बंद हो गयी थी.
दीपक को शायद तेज सेक्स की भूख थी या मुझे देख कर लग गयी थी. वो मेरे पास आया और बैठ गया, लेकिन उसने मुझे छुया भी नहीं. सिर्फ मुझे देख कर अपने लंड को सहला रहा था. वैसे भी दोस्तों, ५० के ऊपर होने के बाद भी मेरी कामुकता में कोई कमी नहीं है. मेरे बूब्स ३६ के है और गांड ३८ की. किसी भी उम्र के मर्द का लंड मुझे देख कर खड़ा हो जाता है और वो मन ही मन में मुझे पता नहीं कितनी बाद चोद डालते है.
दीपक शायद शरमा रहा था. तो मैंने ही पहल की और उसके लंड को पकड़ लिया. दीपक ने ऐसे रियेक्ट किया, जैसे उसको करंट लग गया हो. वो एकदम से मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे चेहरे को पकड़ लिया को पकड़ लिया और मस्ती में उसको चूमने लगा. उसने अपने होठो के बीच में मेरे होठो को दबा लिया और उसको काटने लगा. उसकी जवानी मुझे अच्छी लग रही थी. उसकी बैचेनी मुझे मज़ा दे रही थी.
मैंने उसके लंड को पकड़ा हुआ था और मैं बहुत जोर से दबा रही थी. मैंने उसको पूछा – कभी सेक्स किया है? उसने कहा – हाँ. एक – दो बार. फिर उसने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया और मेरे बूब्स को अपने हाथो में जकड लिया और उसको मस्ती में दबाने लगा. उसने एक हाथ से मेरे बूब को सीधा किया और निप्पल को अपने होठो में दबा कर खीचने लगा.
मैं अपने पैरो को मसल रही थी और मेरे मुह से मस्ती भरी मादक सिस्कारिया निकलने लगी थी अहहाह अहहाह अहहाह अहहः अहहहः हाहाह ओओऊओं मज़ा आ रहा है. और जोर से करो… और जोर से दबाओ… बहुत साल हो गये… अहहाह अहहाह. दीपक का लंड मेरे हाथ में झटके मार रहा था. और मुझे से रहा नहीं जा रहा था. मैंने कहा – दीपक, मेरी चूत में बहुत गर्मी है. प्लीज बुझा दो… अभी… अपने लंड से उसकी प्यास को बुझा दो…
दीपक ने मेरे बूब्स को छोड़ दिया और पलंग से नीचे उतर कर मेरे पेरो को नीचे खीच लिया और मेरी जांघो को खोल दिया और मेरी चूत पर अपनी उंगलिया रख दी. मुझे अपनी चूत में सालो बाद, ऐसा लगा, कि मेरी चूत में लावा धधक रहा हो और बाहर आने को बेताब हो. उसने मेरी चूत को दबाते – दबाते अपनी २ उंगलिय मेरी चूत में डाल दी. मेरी चूत गीली तो पहले से ही थी. इसलिए उसकी उंगलिया एकदम से अन्दर घुसती चली गयी.
मेरे मुह से एकदम से चीख निकली आआआआआआआआआअ……. धीरे — धीरे कर… क्या कर रहा है.. मारेगा क्या? वो मुस्कुराने लगा और बोली – उम्र जरुर हो गयी, लेकिन जिस्म अभी भी गरम है. फिर उसने अपनी उंगलिया मेरी चूत से बाहर निकाली और एकदम से अपने मुह में दे दी और चाट ली.. उसके मुह से निकला य्म्म्मम्म्म्म.. वह…. बहुत सेक्सी है. फिर दीपक ऊपर उठा और अपने लंड को मेरे मुह के सामने हिलाने लगा. मैं उसकी मंशा समझ गयी और मैंने एकदम से उसके लंड को पकड़ा और अपने मुह से उसके टोपे पर किस किया और उसके टोपे को अपनी जीभ चाटने लगी. जैसे ही मेरी जीभ उसके टोपे पर लगी, उसने अपने मुह से एक जोर की सांस छोड़ी.
फिर मैंने उसके लंड को अपने मुह में ले लिया और १० मिनट की जोरदार चुदाई के बाद, उसने अपने लंड को मेरे मुह से बाहर खीच लिया और अब उसने मुझे बेड पर धक्का दे दिया और मेरी टांगो को खोल दिया और अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर रगड़ने लगा. ऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्ह मेरे मुह से सिर्फ कामुक सिस्कारियो और तेज साँसों के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था. और तभी इसने एक जोर दार शॉट के साथ अपना पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया.
मेरी चूत टाइट तो नहीं, लेकिन ज्यादा खुली भी नहीं थी. मेरे से मुह से एकदम से निकला आआआआआआ.. मार गयी हरामी… धीरे कर. पर दीपक पर तो कोई भुत सवार था. वो स्पीड कम करने की बजाय बढाता जा रहा था और मेरी चूत की दमादम ठुकाई कर रहा था.स मेरी गांड भी हिलकर उसका पूरा साथ दे रही थी. सालो के बाद, मेरी चूत की इतनी रगड़ वाली चुदाई का आनंद मिल रहा था.
मुझे तो पता नहीं चला, कि मैं कितनी बाद झड़ चुकी थी. करीब २० मिनट बाद, वो बोला – कहाँ निकालू? मैंने कहा – अन्दर ही छोड़ दे. बहुत सालो से इसे गरमी नहीं मिली. कोई खतरा नहीं है अब. मेरा सब खत्म हो चूका है. कोई परेशानी वाली बात नहीं है. उसकी स्पीड एकदम से तेज हो गयी और उसने मेरी टांगो को और भी कस कर पकड़ लिया और अपने लंड को तेजी से अन्दर – बाहर करने लगा.
फिर एक ही झटके साथ, उसने अपना माल मेरी चूत में निकाल दिया. मेरी चूत सालो के बाद उसके माल से सरोबर थी. उसके वीर्य की गरमी मुझे बहुत सुकून भरा अहसास करवा रही थी. दीपक ने मुझे चूमा और फिर से मेरे ऊपर आ गया और मेरे बूब्स को दबाने लगा. मैंने भी उसके लंड को पकड़ लिया. वो एकदम छोटा हो गया था. मैंने दीपक को पलंग पर लेटने को कहा और फिर उसके ऊपर आ गयी और उसके लंड को अपने मुह में रख लिया.
करीब १५ मिनट की कामुक चुदाई के बाद, उसके लंड फिर से हवा में लहरा रहा था और मेरी हवस को उतारने को बिलकुल तैयार था. मैंने उसके ऊपर आई और एक हाथ से उसके लंड को सीधा किया और दुसरे हाथ से अपनी चूत को खोला और धम्मम से उसके ऊपर बैठ गयी और जोर – जोर से कूदने लगी. दीपक और मेरे मुह से अहहाह अहहाह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह करके जोर से आवाज़े निकलने लगी थी और दीपक अपनी अपनी गांड को ऊपर उछाल रहा था.
मैंने दीपक के लंड की करीब २० मिनट तक सवारी की और मैं एकदम से झड़ गयी. मेरा सारा रस दीपक के लंड से होता हुआ, उसके शरीर पर आ गया. फिर मैं उठी और मैंने उसके लंड को अपने मुह में ले लिया और चूस चूस कर उसका सारा माल निकाल दिया. उसका लंड तो एकदम से सुकुड गया और दीपक शांत हो गया. मैं दीपक के ऊपर ही गिर गयी और हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे. पता ही नहीं चला, कि कब हम सो गये.
हम दोनों करीब ६ बजे उठे और साथ में नहाये. फिर मैंने खाना बनाया और खाकर दोनों अपने – अपने रूम में आ गये. मैं खुश थी, सालो बाद मेरे जिस्म की तपिश शांत हुई थी. कि करीब १० बजे दीपक ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया. मैं दरवाजा खोला, तो देखा. दीपक नंगा खड़ा हुआ अपने लंड को हिला रहा था. वो एकदम से घुसा और मुझे अपनी बाहों में भर कर चूम लिया. उस रात दीपक ने मुझे ३ बार और चोदा और सुबह तक हमने मस्ती की. अब दीपक मेरे साथ ही सोता है और वो मुझे एक रात भी नहीं छोड़ता है.
तो दोस्तों, ना जाने.. मेरी जैसे मिडिल ऐज की कितनी औरते है.. जो मेरी तरह ही परेशान है. मैं दुआ करती हु, कि जैसे दीपक मेरी जिन्दगी में आया, वैसे ही आपको जिन्दगी में कोई आये और जिस्म की तपिश को बुझा सके.

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