FUN-MAZA-MASTI
मेरा नाम नीलम है और मेरी उम्र १६ साल है | मै एक बहुत छोटे-से गावं से हु | मेरी जवानी ने अभी-अभी जोर मारना शुरू किया है | मेरे गोल-गोल चुचे कसने शुरू हो गये है और चूत पर छोटे-छोटे बाल आने शुरू हो गये है | गावं मे, मेरी सहेलियाँ बोलती थी; कि, अगर ये दोनों चीज़े होनी शुरू हो जाये, तो लड़की जवान हो जाती है | मेरा रंगरूप भी बहुत अच्छा था | कुल मिलाकर मे एक सुंदर और जवान लड़की थी | गावं के लड़के मुझे देख कर लार टपकाते थे और कुछ बुड्डे भी | बुड्डे तो आशीर्वाद का बहाना बनाकर, मुझे गले से लग लेते थे और मेरे अंगो को छुने की कोशिश करते थे; लेकिन, मै नादानी मे कभी ध्यान नहीं देती थी | और की तरह, मेरे माँ-बाप भी अब चिंतित होने लगे थे | मुझे जवान होता देखकर, उहने मेरी शादी की चिंता होने लगी थी | इसी वजह से मेरी माँ ने मेरे बापू के दोस्त सोनू को बुलवाया | सोनू एक नंबर का शराबी, ठरकी और एक हरामी था; लेकिन उसकी जान-पहचान काफी थी और उसने मेरी काफी सारी रिश्तो की बहिनों की शादी करवाई थी | कच्ची उम्र के लडकियो को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था और उसके मुह से लार टपकने लगती थी | जब भी, वो आता था तो मेरे को प्यार करने के बहाने मेरे अंगो को छुने की कोशिश करता था | जब मे छोटी थी; तो, मुझे पता नहीं लगता था | लेकिन, जेसे-जेसे मै बड़ी होने लगी, मुझे समझ आने लगा और मै सोनू से बचने की कोशिश करने लगी |जब मैने सोनू के आने खबर सुनी, तो मुझे डर लगने लगा | लेकिन, किसी तरह मैने अपने मन को समझा दिया | सोनू जब आया , तो मै खेत पर काम करने गयी थी | मै वापस आयी; तो, देखा सोनू, मेरी माँ के साथ गप्पे लड़ा रही थे | मेरी माँ मेरी शादी के बारे मे बात कर रही थी | सोनू ने, मुझे घर मे घुसते दख लिया और अपने पास बुला लिया | जेसे ही उनके पास गयी, सोनू ने मेरा मुह पकड़ लिया और मेरे माथे के पप्पी ली | मेरी माँ भी सोनू की किसी हरकत का बुरा नहीं मानती थी; क्योकि सोनू तो बुड्ढा हो गया था और सब लोग उसे घर का बड़ा मानते थे | हाथ हाटाते-हाटाते, सोनू मेरे चूचो और निप्पल को महसूस कर चुका था | सोनू ने अपने होठो मे अपनी जीभ फेरी और हंस कर बोला, बच्ची तो काफी बड़ी हो गयी है | मेरी माँ को सोनू की इस हरकत का जरा सा भी भान नहीं हुआ |मुझे और घर मे, किसी को पता नहीं था; कि, सोनू आज रात मुझे चोदने का प्रोग्राम बना चुका था | रात का खाना खाने के बाद, उसने एक दवाई की पुडिया मेरी माँ को दी और बोला, किसी बड़े महात्मा की राख है; दूध मे मिलाकर मुझे खिलाने से, मेरी शादी जल्दी हो जायेगी | असल मे, वो नशीली दवाई थी | सोनू ने, अपना बिस्तर बाहर बरामदे मे लगवाया और सारे दरवाजे बंद होने के बाद, वहा क्या होता है; किसी को पता नहीं चलता | सोनू ने रात को सबके सोने के बाद, मुझे से पानी माँगा | तब तक, दवाई ने असर करना शुरू कर दिया था | मे पूरी तरह से बेहोश नहीं थी; लेकिन, होश मे भी नहीं थी | जैसे ही मै सोनू के बिस्तर के पास गयी; मामा ने मुझे दबोच लिया और एक झटके मे मेरे सारे कपडे निकल दिये | मे पूरी नंगी हो गयी थी | मैने बचने की कोशिश की थी; लेकिन, होश मे न होने की वजह से कुछ नहीं कर पाई और बिस्तर पर गिर गयी | सोनू ने अपने सारे कपडे उतार दिये और मेरे ऊपर कूद पड़ा | वो कुतो के तरह मुझे चाटे और चूमे जा रहा था | मुझे ऐसा लगा रहा था; जेसे कोई मुझे कोड़े मार रहा हो | वो साला हरामी, मेरी जवानी के साथ खेल रहा था | मुझे जानवरों की तरह मसल रहा था | मै सोनू से छोड़ने की विनती कर रही थी और चीख रही थी | जब उसका मन चूमने से भर गया; तो उसने अपना लंड मेरी चूत पर लगाया और जोर से धक्का दिया | पहली बार मे तो सोनू का लंड साइड मे निकल गया | लेकिन, इससे उसका गुस्सा बड़ गया और उसने थोडा सा ठुक मेरी चूत पर लगाकर फिर से लंड को धक्का मारा | इस बार, लंड दन-दनाता हुआ, पूरा मेरी चूत के अंदर घुस गया |मै तो दर्द के मारे चीख पड़ी; लेकिन सोनू कुतो की तरह अपनी गांड को हिला रहा था | थोड़े देर मे मुझे भी मज़ा आने लगा; तो, मै भी अपनी गांड हिलाने लगी और सोनू का साथ देने लगी | सोनू समझ गया और उसने पुरे जोश के साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया | थोड़ी देर मै मै झड चुकी थी और सोनू ने भी अपना वीर्य, मेरी चूत मै गिरा चुका था | मेरी चूत गरम-गरम पानी से भरी हुई थी | सोनू ने, मुझे कपडे पहने मे मद्दत की और खुद भी कपडे पहनकर मेरे साथ लेट गयी | सुबह, सबके उठने से पहले मै अपने रूम मै चली गयी |
शादी करवाने के बहाने
मेरा नाम नीलम है और मेरी उम्र १६ साल है | मै एक बहुत छोटे-से गावं से हु | मेरी जवानी ने अभी-अभी जोर मारना शुरू किया है | मेरे गोल-गोल चुचे कसने शुरू हो गये है और चूत पर छोटे-छोटे बाल आने शुरू हो गये है | गावं मे, मेरी सहेलियाँ बोलती थी; कि, अगर ये दोनों चीज़े होनी शुरू हो जाये, तो लड़की जवान हो जाती है | मेरा रंगरूप भी बहुत अच्छा था | कुल मिलाकर मे एक सुंदर और जवान लड़की थी | गावं के लड़के मुझे देख कर लार टपकाते थे और कुछ बुड्डे भी | बुड्डे तो आशीर्वाद का बहाना बनाकर, मुझे गले से लग लेते थे और मेरे अंगो को छुने की कोशिश करते थे; लेकिन, मै नादानी मे कभी ध्यान नहीं देती थी | और की तरह, मेरे माँ-बाप भी अब चिंतित होने लगे थे | मुझे जवान होता देखकर, उहने मेरी शादी की चिंता होने लगी थी | इसी वजह से मेरी माँ ने मेरे बापू के दोस्त सोनू को बुलवाया | सोनू एक नंबर का शराबी, ठरकी और एक हरामी था; लेकिन उसकी जान-पहचान काफी थी और उसने मेरी काफी सारी रिश्तो की बहिनों की शादी करवाई थी | कच्ची उम्र के लडकियो को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था और उसके मुह से लार टपकने लगती थी | जब भी, वो आता था तो मेरे को प्यार करने के बहाने मेरे अंगो को छुने की कोशिश करता था | जब मे छोटी थी; तो, मुझे पता नहीं लगता था | लेकिन, जेसे-जेसे मै बड़ी होने लगी, मुझे समझ आने लगा और मै सोनू से बचने की कोशिश करने लगी |जब मैने सोनू के आने खबर सुनी, तो मुझे डर लगने लगा | लेकिन, किसी तरह मैने अपने मन को समझा दिया | सोनू जब आया , तो मै खेत पर काम करने गयी थी | मै वापस आयी; तो, देखा सोनू, मेरी माँ के साथ गप्पे लड़ा रही थे | मेरी माँ मेरी शादी के बारे मे बात कर रही थी | सोनू ने, मुझे घर मे घुसते दख लिया और अपने पास बुला लिया | जेसे ही उनके पास गयी, सोनू ने मेरा मुह पकड़ लिया और मेरे माथे के पप्पी ली | मेरी माँ भी सोनू की किसी हरकत का बुरा नहीं मानती थी; क्योकि सोनू तो बुड्ढा हो गया था और सब लोग उसे घर का बड़ा मानते थे | हाथ हाटाते-हाटाते, सोनू मेरे चूचो और निप्पल को महसूस कर चुका था | सोनू ने अपने होठो मे अपनी जीभ फेरी और हंस कर बोला, बच्ची तो काफी बड़ी हो गयी है | मेरी माँ को सोनू की इस हरकत का जरा सा भी भान नहीं हुआ |मुझे और घर मे, किसी को पता नहीं था; कि, सोनू आज रात मुझे चोदने का प्रोग्राम बना चुका था | रात का खाना खाने के बाद, उसने एक दवाई की पुडिया मेरी माँ को दी और बोला, किसी बड़े महात्मा की राख है; दूध मे मिलाकर मुझे खिलाने से, मेरी शादी जल्दी हो जायेगी | असल मे, वो नशीली दवाई थी | सोनू ने, अपना बिस्तर बाहर बरामदे मे लगवाया और सारे दरवाजे बंद होने के बाद, वहा क्या होता है; किसी को पता नहीं चलता | सोनू ने रात को सबके सोने के बाद, मुझे से पानी माँगा | तब तक, दवाई ने असर करना शुरू कर दिया था | मे पूरी तरह से बेहोश नहीं थी; लेकिन, होश मे भी नहीं थी | जैसे ही मै सोनू के बिस्तर के पास गयी; मामा ने मुझे दबोच लिया और एक झटके मे मेरे सारे कपडे निकल दिये | मे पूरी नंगी हो गयी थी | मैने बचने की कोशिश की थी; लेकिन, होश मे न होने की वजह से कुछ नहीं कर पाई और बिस्तर पर गिर गयी | सोनू ने अपने सारे कपडे उतार दिये और मेरे ऊपर कूद पड़ा | वो कुतो के तरह मुझे चाटे और चूमे जा रहा था | मुझे ऐसा लगा रहा था; जेसे कोई मुझे कोड़े मार रहा हो | वो साला हरामी, मेरी जवानी के साथ खेल रहा था | मुझे जानवरों की तरह मसल रहा था | मै सोनू से छोड़ने की विनती कर रही थी और चीख रही थी | जब उसका मन चूमने से भर गया; तो उसने अपना लंड मेरी चूत पर लगाया और जोर से धक्का दिया | पहली बार मे तो सोनू का लंड साइड मे निकल गया | लेकिन, इससे उसका गुस्सा बड़ गया और उसने थोडा सा ठुक मेरी चूत पर लगाकर फिर से लंड को धक्का मारा | इस बार, लंड दन-दनाता हुआ, पूरा मेरी चूत के अंदर घुस गया |मै तो दर्द के मारे चीख पड़ी; लेकिन सोनू कुतो की तरह अपनी गांड को हिला रहा था | थोड़े देर मे मुझे भी मज़ा आने लगा; तो, मै भी अपनी गांड हिलाने लगी और सोनू का साथ देने लगी | सोनू समझ गया और उसने पुरे जोश के साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया | थोड़ी देर मै मै झड चुकी थी और सोनू ने भी अपना वीर्य, मेरी चूत मै गिरा चुका था | मेरी चूत गरम-गरम पानी से भरी हुई थी | सोनू ने, मुझे कपडे पहने मे मद्दत की और खुद भी कपडे पहनकर मेरे साथ लेट गयी | सुबह, सबके उठने से पहले मै अपने रूम मै चली गयी |
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