Tuesday, July 28, 2015

या तो आज या फ़िर कभी नहीं--1

FUN-MAZA-MASTI

या तो आज या फ़िर कभी नहीं--1

मेरा पूरा नाम समा सलमान सुर्ती है और अभी दो महीने पहले ही मैं १७ साला की हो गयी हुँ. मेरे से १२ साला बड़ा मेरा एक भाई है जिसकी चार साला पहले शादी हो गयी है. हमारे घर में बहुत ही खुश नुमा माहौल है. पिक्निक में जाना, अच्छे रेस्त्रां में जाना, कहने का मतलब जिन्दगी के हर लुत्फ हम खुल के उठाते है. आज फिर पिक्निक का प्रोग़्राम था. हमने एक आलीशान फार्म हाउस बुक करवा लिया. पिक्निक में मेरे सगे मामा और दूसरे करीबी रिश्तेदार भी शिर्क़त कर रहे थे.

मैं अपनी दूसरी रिश्ते की बहनो के साथ फार्म हाउस के स्विम्मिंग पूल में तैराकी कर रही थी. मामा हम सब को तैराकी सीखा रहे थे. हम लडकियोन ने शलवार क़मीज़ै पहने हुई थी. मामा हम सब को बारी बारी तैराकी सीखा रहे थे. चूंकि फार्म हाउस मामा ने बूक कराया हुआ था इस वजह से हमारी फैमिली के अलावा कोई और नहीं था. शाम का समय और हल्के हल्के बादल की वजह से मौसम (season) बहुत ही खुशगवार था. मम्मी अपनी बहनो और दीगार relative के साथ और पापा अपने relative के साथ तैराकी कर रहे थे. कुछ फासले पर भाई जान भाभी के साथ पानी में खेल रहे थे.

पानी काफी ठंडा और गहरा था और नीला कलर के बड़े स्विम्मिंग पूल की वजह से पानी भी नीले रंग का बहुत ही दिलकश लगा रहा था. जहॉ हम लोग पानी में खेल रहे थे वहॉ पानी हमारी कमर (वैस्ट) के ऊपर था. मामा ने अब मुझे तैराकी के बारे में बताया और मेरी मदद करने के लिये मेरे पेडू के नीचे से मुझे उठा कर हाथ और पैर की मदद से तैराकी करा रहे थे. मामा की शादी नहीं हुई थी और वह मेरे नाना नानी के साथ ही defence में रहते थे. सब लोग अपनी बिबियों के साथ खेल रहे थे जब कि वह हम लोगों के साथ तैराकी में मसरूफ़ थे. मामा खास तोर पर हम से बहुत ही मुहब्बत करते थे. चूंकि मेरी मम्मी उनकी इकलौती बहन थी.

मामा ने मेरे पेडू के नीचे हाथ रखा हुआ था और मैं तैराकी के लिये हाथ पैर हिला रही थी. मामा ने अचानक हाथ हटा लिया और मैं disbalance होकर गिरने लगी तो मैंने मामा को पकड़ना चाहा और गलती से मेरे हाथ मामा के लंड पर लगा गये. मैं घबरा गयी लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया. मामा ने फिर मुझे तैराकी करने को कहा और मैं फिर से तैराकी करने लगी. मामा ने अब जो हाथ रखा तो वों एक हाथ मेरे मम्मौ के नीचे और दूसरा मेरी चूत के नीचे था. मैं अभी १७ साला की थी और मैं न तो मम्मौ पर कुछ पहनती थी और न ही मुझे अंडर्विअर की आदत थी. मामा के हाथ मेरे कपड़े गीले होने की वजह से ऐसे लगा रहे थे कि मेरे मम्मे नंगे है.

यह पहली बार था कि किसी के हाथ ने मेरे मम्मौ और चूत को स्पर्श किया था. मुझे मामा का हाथ बहुत अच्छा लगा. मैं तैराकी की कोशिश कर रही थी और मामा का हाथ वहीं लगा हुए था. मामा ने कहा कि वों हाथ हटा रहे है और उन्होने हाथ हटाया कि मैं फिर अस्थिर हो गयी और ज्योंही मैंने उनको पकड़ना चाहा, मेरा हाथ फिर मामा के लंड पर लगा. इस बार मैंने खुद ही हाथ वहीं लगाया था. मैंने हाथ से महसूस किया कि मामा का लंड अब कुछ तना हुआ था. मैं मामा के सामने खड़ी थी और मैंने पारदर्शी (transparent) पानी से देखा कि मामा का लंड खड़ा हुआ था. इतने में मेरी एक कजिन ने कहा कि अब मैं सीखूनगी लेकिन मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं कुछ देर और सीखूनगी.

मैं फिर तैराकी करने लगी अब मैं जानबूझ कर बार बार अस्थिर होने लगी और मामा का लंड अब खूब साफ नजर आ रहा था कि वों बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था. मैं एक बार तैराकी करते हुए डूबने लगी. मामा ने मुझे थाम लिया और मैं खरी होकर मामा के सीने से लगा गयी. मामा का लंड मेरे पेडू से टकरा रहा था. इस मंजर ने मुझे बहुत ही सेक्सी कर दिया. मैंने एक बार फिर तैराकी की कोशिश की और अब मामा ने मुझे पानी पर सीधा करके खुद मेरे टाँगों को फैला कर मेरे पीछे आ गये. अब उन्होने मेरे पीछे से दोनों टाँगों के बीच होकर मेरे पेडू को पकड़ लिया और कहा,

पहले हाथों की practice करो फिर पैरो से करना.

मैंने मामा को दोनों टाँगों के बीच पकड़ हाथों से practice करने लगी और मामा का लंड मेरी चूत के करीब महसूस हो रहा था जो कि बहुत ही लाजवाब लगा रहा था. मैं हाथों से practice कर रही थी और दरअसल मामा के लंड को चूत के करीब पा कर खुश हो रही थी या सेक्स में गरम हो रही थी.

मामा का लंड हिलता हुआ महसूस हो रहा था और उसने मेरे ठंडे पानी में डूबे हुऐ बादन में आग लगा रहा था. यह एहसास मुझे पहली बार हुआ था और बहुत ही खुशगवार था. मैं तैराकी तो क्या सीखती किसी और आग में जलना सीख रही थी. मैं थक गयी तो मैं खड़ी हो गयी. मामा का हाथ अब भी मेरे पेडू पर था और खड़ी होते ही मेरी चुतड् के ऊपर मामा का लंड महसूस हुआ. मैं पलट कर सीधी हो गयी और मैंने मामा की आंखों में एक नयी चमक देखी और खुद मेरे जिस्म के अन्दर भी एक नया पैगाम था. शाम ढ्ल चुकी थी और मैं एक नयी ख्वाहिश महसूस कर रही थी. मामा ने पूछा,

और practice करोगी

लेकिन उनका हलक खुश्क हो चुका था और बड़ी मुश्किल से उनकी आवाज़ निकल रही थी. अभी मैं जवाब ही देने वाली थी कि पापा और भाईया की आवाज़ आयी कि चलो अब रात हो रही हैं. मैं आवाज़ सुन कर न चाहते हुए पानी से बाहर निकल आयी लेकिन मामा ने कहा,

मैं अभी ठहर कर आ रहा हू.

मैं समझ गयी कि वों खड़े लंड के साथ कैसे बाहर आ सकते है. हम लोग फार्म हाउस के हॉल में आ गये और थोडी ही देर के बाद मामा भी आ गये. वों कुछ चुपचाप थे.

हॉल में भाईया और मामा के साथ साथ सब ही ने हांफ पैंट पहनी हुई थी जबकि हम लडकियोन और लेडिस ने शलवार कमीज़ पहनी हुई थी. मम्मी और भाभी वगैरह खाना लगा रही थी. मैं बार बार मामा को देख रही थी और जब उनकी तरफ देखती तो उनको अपनी ही तरफ देखती हुई पाती. मेरे अन्दर आग लगी हुई थी और मामा के लंड और हाथों की तपिश अब भी महसूस हो रही थी.

सब खाना खा रहे थे लेकिन मैं बेदिली से खा रही थी. एक आग जो मेरे बादन में लगी हुई थी कम नहिन हो रही थी. मामा भी दूसरी तरफ चुपचाप थे और वों भी वही सोच रहे होंगे जो मैं सोच रही थी. मामा एक लम्बे कद और सेहतमन्द जिस्म के मलिक थे. वों और भाईया दोनों ही daily gym जाया करते थे और ईसी वजह से दोनों में बहुत दोस्ती थी. मेरे कजिन मुझ से बातें कर रही थी लेकिन मुझे कोई दिलचस्पी नहीं हो रही थी. मैं अपने बारे में गौर कर रही थी कि मैं एक दुबली पतली परंतु लम्बी थी. मेरी ऑखे brown और स्किन कलर फेयर था जबकि बाल बहुत ही सिल्की और बड़े थे. मैं अपने बारे में सोच ही रही थी कि खाना खतम हुआ और अब हम लोग चाय से लुत्फ उठा रहे थे और सब ही गपशप कर रहे थे. रात के अब ११ हो गये थे और आखिर पापा ने कहा,

अब सब सो जाए क्योंकि मोर्निंग में ब्रेक फास्ट कर के सब को वापिस जाना है.

हॉल में कॉर्पेट पर बिस्तर सेत होने लगे और मैं हॉल की दीवार के पास खिड़की के नीचे अपने बिस्तर पर लेट गयी. तमाम gents के बिस्तर हॉल में एक साथ set हुए और उनके पैरो की तरफ कुछ फासले के बाद लेडिस के बिस्तर set हुए. मैंने देखा कि मामा मेरी खिड़की के बाद एक खिड़की छोड़ कर दूसरी खिड़की के पास बेड़ पर थे और उनके बराबर पापा का बेड़ था. हम सब के लेटने के बाद हॉल की लाइट् ओफ्फ कर दी गयी. मेरी विन्डो से चान्दनी रात छन छन कर मेरे बेड़ पर गिर रही थी और खिड़की के नीचे लगी हुई रात की रानी की ख़ुशबू ने मुझे मस्त कर दिया था.

मैं लेटे लेटे मामा के बारे में सोच रही थी कि जो कुछ आज स्विम्मिंग पूल में हुआ था वों कितना हस्सीन था. मुझे अब भी ख़यालों में मामा का लंड चूत के करीब और हाथ मम्मौ पर महसूस हो रहा था. मैंने अपने हाथ शर्ट् के अन्दर से अपने मम्मौ पर लगाये तो महसूस हुआ कि मेरे मम्मे अब भी खुशी में खूब तने हुए थे. मैंने दूसरे हाथ को शलवार के अन्दर डाला और चूत को छुआ तो मजा आ रहा था. मैंने सोने की कोशिश की लेकिन मुझ से तो लैटा भी नहिन जा रहा था, बस करवट बादल रही थी. मैं तो बेड़ पर फोरन सोने की आदी थी लेकिन आज तो नींद नाराज हो गयी थी.

हॉल में खर्राटों की आवाजै आ रही थी और ठंडी चान्दनी मेरे ऊपर थी. मैं मामा के बारे में सोच रही थी कि वों सोते हुए मेरे बारे में ख्वाब जरूर देख रहे होंगे. मेरी हालत आज के वाक़ये के बारे में सोच कर बर्दाश्त से बाहर हो रही थी. कमबख़्त नींद भी नहीं आ रही थी. मैंने अपने ऊपर से चादर (sheet) हटायी और अपनी शर्ट् ऊपर कर के अपने जिस्म को नंगा किया. हल्की हल्की चान्दनी में कुछ नजर तो आ रहा था लेकिन साफ नहिन था. मैंने शर्ट् और सलवार दोनों उतार दी और अब मैं नंगी हो गयी. मैं अपने हाथों से अपने जिस्म को सहलाने लगी और मुझे मजा आने लगा. अपनी उंगलियों से चूत को छुआ तो और भी मजा आने लगा. मेरे अन्दर से भाप (steam) निकल रही थी और लगा रहा था कि मेरे जिस्म आग से पिघल (melt) न जाए.

चैन नहिन आ रहा था और समझ में नहिन आ रहा था कि किया करुँ बस दिल चाह रहा था कि मामा मेरे पास आ जाए और मेरे साथ लेट जायें. यह सोचते ही मेरे ज़हन में एक खयाल बिजली की तरह आया कि क्यों न मैं खुद ही मामा के पास चली जाऊँ. फिर सोचा कि कहीं गड़बड़ न हो जायें और मामा कुछ और ही न कर दे. जिस्म था कि जालिम सुकून नहिन पा रहा था. मैं अपने हाथों से अपनी चूत और बूब को सहला रही थी लेकिन ज्यों ज्यों में सहलाती आग और भड़क उठ्ती.

मैं एक दम नंगी ही ख़डी हो गयी और हॉल में देखा कि हर तरफ अंधेरा ही छाया हुआ हैं. मामा वली खिड़की पर शायद पर्दा था जो कि बहुत ही मुश्किल से नजर आ रहा था. मैंने सोचा कि आज या फिर कभी नहिन. यह सोचना था कि सारा खोफ खतम और मैं एक निडर और बेखौफ लड़की की तरह हो गयी. मैं आहिस्ता आहिस्ता मामा की तरफ बढ़ रही थी. एक विन्डो छोड़ और दूसरी खिड़की तक पहुंच गयी. इसी खिड़की के किनारे मामा थे.

मैं नंगी ही थी और मामा के बराबर लेट गयी. मामा ने चादर ओड़ी हुई थी. मामा सो रहे थे और उनकी साँसों की आवाजै आ रही थी. मुझे दुख हुआ कि मेरे अन्दर आग लगा कर खुद किस मजे से सो रहे है. मैंने आहिस्ता से उनकी चादर उठायी और उनके बराबर ही लेट गयी. मामा के जिस्म की गरमी मेरे जिस्म पर महसूस हो रही थी. मामा गहरी नींद में थे और सीधे लेटे हुए थे.

मैंने अपना हाथ मामा की हांफ पैंट पर से लंड पर रखा तो मामा की तरह वह भी सोये हुआ था. मैं करवट होकर उनके और करीब हो गयी और अपने हाथों से उनके सीने को हाथ लगाया और उंगलियों से सहलाने लगी लेकिन किया नींद थी कि उन पर कोई असर नहिन हुआ. मैंने अपने हाथ बढाये और उनकी हांफ पैंट में, जो कि बिल्कुल लूज़् थी, अपने हाथ डाल कर लंड तक पहुँच गयी. उनका लंड ऐसा लगा रहा था कि जैसे कोई ठंडा गोश्त हो. मैं ने अपनी उंगलियों से उनके लंड को सहलाना शुरु कर दिया.

चन्द ही लमहों में उनका लंड कुछ हरकत में आ गया. मेरी उंगलियॉ उनके लंड को जगा रही थी और उनका लंड भी रफ़्ता रफ़्ता जाग रहा था. तभी अचानक मामा ने करवट बादली और उनका चेहरा मेरी तरफ हो गया. मैंने हाथ निकाला नहिन और सहलाती ही रही. मेरे होंठ मामा के होंठ के करीब हो गये और मेरे मम्मे उनकी छाती पर लग गये. मैंने उनके होंठों से अपने होंठ चिपका लिये और उंगलियों से उनका लंड सहलाती रही. उनका लंड काफी बड़ा हो चुका था मगर अब भी वोह लेटा ही हुआ था. मैंने मामा के होंठों को अपने होंठों में ले लिया. उनके होंठों को चूसा तो ऐसा लगा कि मेरे होंठों में कोई मीठी और गरम सी चीज आ गयी. होंठों को चूमा तो मेरा जलता हुआ जिस्म ओर दहक गया.

मामा का लंड तेजी से और बड़ा हो रहा था और अब खड़ा होने लगा था. मैंने अपने हाथों से लंड को पकड़ लिया. मेरे हाथों ने पहली बार किसी लंड को छुआ था. लंड इतना मोटा था कि मेरी हथेली में नहिन आ रहा था और लम्बा कितना था उसका अंदाजा ही मुश्किल था. लंड मेरी हथेली में ऐसा मचल रहा था कि हाथों से बाहर निकलना चाहाता हो. मामा के लंड की तपिश से मेरी हथेली गीली हो रही थी और लंड की वैंस तेजी से हिल रही थी. काश मैं मामा का लंड देख सकती.

मैं होंठों को चूस रही थी कि अचानक मामा की सोने वली सांसें रुक गयी. वोह यकीनन जाग चुके थे लेकिन मैं डर नहिन रही थी और बिल्कुल नोर्मल थी. मामा ने अपने हाथों से मुझे हटाना चाहा तो उनको महसूस हुआ कि मैं तो नंगी हुँ. उनका हाथ मेरी कमर पर रुक गया. अब उनके हाथों ने मेरे जिस्म को नीचे की तरफ टटोला तो मेरा पूरा बादन ही नंगा मिला. उनका लंड और सख्त हो गया और उन्होने कुछ देर तक रुकने के बाद मुझे अपने हाथों से सीने पर चिपका लिया और खुद ही प्यार करने लगे.

मेरा काम खतम हुआ और अब मैं मामा की मर्जी पर थी. मामा मुझे प्यार कर रहे थे और अपने मजबूत हाथों से मेरे १५ साला के सिल्की, बेदाग और गरम जिस्म को मसल रहे थे. मैं खुश थी और मामा की आगोश में बहुत ही महफ़ूज महसूस कर रही थी. मामा के बराबर पापा की खर्राटों की आवाजै मुसल्सल आ रही थी. मैंने हाथ बाध कर मामा को गल्ले लगा लिया और कुछ जोर से उसे चिमट गयी. मामा ने अपनी हांफ पैंट उतार दी और शर्ट् तो थी ही नहिन. मामा का लंड मेरी चूत पर था और मेरी thighs के अन्दर जाने की कोशिश कर रहा था. मैंने अपनी ऊपर वली जांघ को ज़रा ऊपर किया और मामा का लंड अन्दर चला गया. लंड को अन्दर पाया तो मैंने अपनी जांघ वापिस रख दी और मामा का पूरा लोहे की तरह सख्त लंड मेरी जांघ को cross करता हुआ बाहर झांक रहा था.

मामा मेरे होंठों, गालों और ऑखो को चूम रहे थे और मैं भी उनको चूम रही थी जबकि उनका लंड मेरी चूत के दहाने को मसल रहा था. मेरे पेडू में एक आग का गोला था जो अन्दर ही अन्दर घूम रहा था. मैं मामा को चूमते हुए पागल हो गयी और उनके मुँह में अपनी नाजुक जुबान डाल दी. मामा ने मुझे अपनी बाहोँ में जकड़ा हुआ था और मैं एक कुंवारी लड़की मामा को अपने सीने से चिपका कर उनकी जुबान को काट रही थी.

मामा ने मुझे सीधा लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच आ गये. पूरे हॉल में खामोशी थी और सब ही गहरी नींद सो रहे थे. मामा ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा. मेरी चूत तो वैसे ही इतनी देर में गीली हो चुकी थी. उन्होने लंड को मेरी चूत पर रख कर अन्दर दलने की कोशिश की. उनका तपता (होट) हुआ लंड मेरी चूत पर रखा तो चूत पर नयी लज्जत सी महसूस हुई. उनका लंड ज्योंही मेरी चूत के दरवाज़े को खोल कर ज़रा सा ही अन्दर दाखिल हुआ तो मेरी चूत में दर्द शुरु हो गया.

ऐसा लग रहा था कि कोई पहाड़ मेरी चूत के अन्दर आ रहा हैं. चूत में मामा का लंड फंस गया और ज्योंही कुछ और अन्दर आया मेरी तो चीख निकलने लगी और दर्द बर्दाश्त नहिन हो रहा था. मैंने चादर अपने मुँह में ठूंस ली जबकि मामा को कुछ पता ही नहिन था कि मुझ पर केसी कयामत टूट रही हैं. एक लमहे को दिल चाहा कि वहाँ से भाग जाऊँ लेकिन फिर सोचा कि ऐसा मोका कभी नहीं आयेगा. सोचा, 'आज या फिर कभी नहिन'. मामा का लंड और अन्दर आया और अब मेरी बर्दाश्त ने जवाब दे दिया और चादर मुँह में थूंस्ने के बावजूद एक हल्की सी चीख निकल गयी. मामा ने चीख सुनी तो एक दम मेरे ऊपर आ गये.

उन्होने मेरे होंठों को चूमना चाहा तो वहाँ चादर थी. वोह समझ गये कि उनके लंड ने किया कर दिया हैं. उन्होने मेरी ऑखो पर हाथ लगाया तो वहाँ आंसू बेह रहे थे. मामा ने अपना मुँह मेरी ऑखो पर रखा और आंसू को पीने लगे. उनका लंड अब भी वही था. मामा मेरे ऊपर लेटे हुए थे और मैं उनके बोझ (वैट्) के नीचे दबी हुई थी लेकिन उसकी तकलीफ लंड से पैदा होने वली चूत की तकलीफ के सामने कुछ भी नहिन थी.

मामा मुझे प्यार करने लगे और आहिस्ता आहिस्ता लंड को अन्दर डालने लगे. मेरा अन्दाजा था कि एक इंच फी मिनट की रफ्तार से लंड अन्दर जा रहा था. मैंने मामा को दर्द की शिद्दत से अपनी बन्होन में लिपटा लिया था. मेरी चूत में मिर्चें सी लगा रही थी और लग रहा था कि कुंवारी चूत लंड की वजह से तुक्रे तुक्रे (पिसेस) हो जायेगी. मामा के होंठों ने मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी तकलीफ देह चीख़ों को बन्द कर दिया था.

लंड अन्दर जा रहा था जैसे कोई साप (स्नक्क) अपने बिल्ल में दाखिल हो रहा हो. एक मुक़म पर आ केर उनका लंड रुक गया और मैं महसूस कर रही थी कि एक पर्दा हैं जिसने उनके लंड को रोक हुआ हैं. यह मैं जान'ती थी कि कुंवारी लड़कियोन में अकसर एक पर्दा होता हैं. मामा का लंड रुक हुआ था और न मलून कितना अन्दर गया था और कितना बाहर रेह कर अन्दर जाने के लिये बेताब था. मामा ने मेरी गर्दन के नीचे हाथ दल्कर मुझे और जोर से अपने से चिम्त लिया और मेरे दोनों होंठों को अपने मुँह में ले लिया. मामा इसी तरह मेरे ऊपर से ज़र ऊपर उठे. उनका पेडू ऊपर हुआ जिससे उनका लंड थोर सा बाहर निकला और फिर उन्होने ने मेरी गर्दन को खूब जोर से भिंच और फिर एक दम उन्होने ने अपने लंड को खौफनाक झत्क दिया और मेरी चूत के परदे को पाश पाश (पिसेस) कर दिया.

मेरी अंखैन उबल पड़ी, मेरी चीख निकल गयी, मेरी चूत में जैसे बोम्ब फट गया. पूरा हॉल रोशन लगा रहा था. मेरी ऑखो में तारे नाचने लगे. मेरा जिस्म काम्पने लगा और मामा का लंड पुरी तरह अन्दर ज चुक्क था. मैं रो रही थी और मैं अपने हाथों से मामा को धकेल रही थी. लेकिन कहन मैं दुब्ली सी सिर्फ १७ साला की लर्की और कहन laheem shahem मामा. मुझे पैन नहिन बल्कि मेरा पूरा जिस्म तुक्रे तुक्रे हो चुक्क था.

मैंने मामा को अपनी बाहोँ से जकड़ लिया और अपने होंठों को मामा के होंठों से आजाद कर के दर्द की शिद्दत से मामा के right side के shoulder को जो कि मेरे होठों के करीब था पर अपने दांत (teeth) गाड़ (penitrate) दिया. मुझ में जित'नी ताकत थी उतनी शिद्दत से मामा के कंधे पर अपने दातोन को गाड़ दिया. मैं उनके कंधे को इस जोर से काट रही थी कि मुझे मामा के कंधे से नमकीन खून (blood) का स्वाद महसूस हो रहा था. मामा की भी दर्द के मारे सिस्केयन निकल रही थी.

इसी दोरन मुझ अपनी चूत में से कोई गरम गरम पदार्थ बहता हुआ महसूस हुआ. यकीनन यह मेरे कुंवारी चूत से बेह्तह हुआ खून था जो कि रह रह के बह रहा था. मामा मेरे मम्मौ को चूस रहे थे और मैं उनके कंधे को ही काट रही थी. अब मेरे पैन में रफ़्ता रफ़्ता कमी हो रही थी. मैंने मामा के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उनको चूस्ने लगी. दर्द की कमी के बाद मेरी चूत में सजा हुआ मामा का लंड अच्छ लगा रहा था.

मामा मुझे प्यार करता हुआ पाय तो वोह शायद कुछ मुतमईन (calm) हो गये और जवाब में मुझे भी प्यार कर'ने लगे. मैं लंड के बारे में सोच रही थी कि कितना बडा होगा काश मैं देख सकती. अ ब मामा ने लंड को आहिस्ता आहिस्ता बाहर निकल कर अन्दर डालना शुरु कर दिया. मामा का खौफनाक लंड अब दर्द की मंजिल तय कर चुक्क था और मेरे जिस्म में हल्की हल्की लज्जत और मजा बैदर हो रहा था. अभी मैं इस लज्जत को महसूस ही कर रही थी कि बराबर लेटे हुए पापा का हाथ मेरे सीने पर आ गया.

मेरे पापा का हाथ उनकी बेटी के सीने पर था मैं मुस्कुरा दी लेकिन वोह खर्राटे ले रहे थे. मैंने उनका हाथ सीने पर से हटा दिया और मामा के लंड की तरफ मुतवजह हो गयी. मामा का लंड अन्दर बाहर हो रहा था और गोया कि मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन मजा ज़ेयदह आ रहा था. मैं मामा को प्यार कर रही थी और वोह मेरे मम्मौ और होंठों को चूस रहे थे. मैंने मामा को अपनी बन्होन (अर्म्स) से करीब किया हुआ था. मामा के लंड में अब तेजी आ रही थी और मैं भी अपनी चूत से उनके लंड को अन्दर बाहर कर रही थी. चरो तरफ खामोशी थी और रात की रानी ने पूरे हॉल को मेहका दिया था. मैंने मामा के गलोन को प्यार किया और फिर उनके मुँह में अपनी जुबान डाल दी. मामा की जुबान ने मेरी जुबान को चूसना शुरु कर दिया और लंड ने मेरी चूत में सेक्स की चिंगारी जला रखी थी.

मामा की रफ्तार और तेज़ हो गयी थी और रफ़्ता रफ़्ता तेजी में इज़फह हो रहा था. मैंने अपनी दोनों टाँगों को मामा की कमर के गिर्द फेल दिया था और खूब खुश थी. अब हम दोनों ही तेज़ हो गये थे. दर्द तो था लेकिन बहुत ही कम. मामा ने एक बार फिर मुझे भिंच लिया और लंड की रफ्तार खूब तेज़ हो गयी थी. मेरी चूत भी लंड को पा कर पागल हो चुकी थी. मामा के लंड में कुछ देर तक तेजी रही और हम दोनों के किस्स भी गहरे और लम्बे होते गये. मामा के लंड से गरम गरम गाढा पदार्थ निकला और उसने मेरी चूत के अन्दर तमाम हिस्सों को भर दिया. मेरी चूत इस नयी और सेक्सी तब्दीली को महसूस कर के खुद भी निढाल हो गयी और अन्दर से एक नय सैलाब बहने लगा. मेरा पूरा वजूद सुकून और रहत में दूब गया. मैंने मामा की तरह इस लमहे एक दूसरे को खूब जोर जोर से किस्स किया.

मामा का लंड मेरी चूत के अन्दर ही अपने अन्दर से एक एक क़त्रय को बाहर निकल रहा था और मेरी चूत का जुइके भी निकल रहा था. मामा मेरे ऊपर लेटे हुए प्यार कर रहे थे. मैंने ऊपर लेटे मामा की कमर पर ३ time SSS लिख और वोह थोरी देर के लिए मेरे लिखने पर कुछ रुके और फिर प्यार करने लगे. मामा का लंड अब वापिस आने लगा था और थोडी देर बाद जब बाहर निकला तो चूत में बन्द हम दोनों का खरिज शुदह मदह निकलने लगा. मामा मेरे पहलू में आ गये और मुझे गल्ले लगा लिया. मैंने मामा के मुक़ब्ले में उनको खूब किस्स किया और काफी देर तक उनके साथ चिमटती रही. मैंने एक बार फिर मामा के सीने पर अपनी नाजुक उंग्लिओस से ३ बार SSS लिख यानी कि मेरा पूर नाम सम सल्मन सुर्ति.

मैंने देख कि दूर कही सूरज निकल रहा हैं. मैंने मामा के होंठों पर उस रात का आखरी किस्स किया और नंगी ही अपने बेड़ पर चली गयी. मामा को शायद यह मलून था कि नहिन कि मैं कोन हुँ. उन्होने हॉल में मौजूद किस्स लर्की की जवानी को अपने लंड से क़ुबूल किया हैं. मैं अपने बिस्तर पर नंगी लैती हुई थी और खुश गवार यदैन मेरी रूह में मुस्तक़िल जगह बन चुकी थी. मेरी चूत के अन्दर और बाहर अब भी हल्का हल्का दर्द मगर सुरूर में दूब हुआ महसूस हो रहा था. मैंने चादर ओड़ी और कुछ देर बाद नींद की अघोश में नंगी ही चली गयी.

हल में लोगों के शोर पर उठी तो मालूम हुआ कि लोग जागना शुरु हो गये थे. मैंने चादर के अन्दर ही अपने कप्रे पहने और बेड़ पर बैठ गयी. मामा पापा और दीगर लोगों के साथ ब्रेअक फस्त की तैयारी कर रहे थे जबकि भाई सब लोगों को जग रहे थे. मामा समेत कफी लोगों ने अपना समन पक्क कर लिया था. चूंकि नश्तेह के बाद सब का वापिस जाने का प्रोग्रम था. मैं वश रूम से फारिग होकर मामा के पास बैठ गयी.

मामा ने पूछ, रात केसी गुर्जरी, नींद अच्छी से आयी य नहिन.

मैंने कहा, जबरदस्त, ऐसी मुबारक रात सब को मिले.

यह सुन कर सब ही मुस्कुरने लगे.

भाई ने पूछा, सम ! तैराकी अच्छी से सीख ली न.

मैंने जवाब दिया, बहुत कुछ सीख लिया.

हम लोग घर पहुँच गये और मामा हम लोगोन को छोड़ कर अपने घर चले गये. उन्हें जाते हुए देख कर मैंने मुस्कुर कर शुक्रिया अदा किया और वोह मुस्क्रथे हुए चल्ले गये.


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