FUN-MAZA-MASTI
बहकती बहू--1
मदनलाल बाजार से लौटकर घर पहुंचा और सीधे बाथरूम की तरफ भागा। उसके घर में लेट् कम बाथरूम था। बाथरूम का दरवाजा जरा सा खुला था इसलिए उसने सोचा कि अंदर कोई नहीं होगा और सीधे धड़धड़ाते हुए अंदर घुस गया। अंदर घुसते ही उसने जो देखा तो उसकी सांस ही रुक गई। अंदर उसकी नयी नवेली बहु काम्या मादरजात नंगी खड़ी थी। काम्या गज़ब की सुन्दर औरत थी और मदनलाल के पडोसी रिश्तेदार आदि उसकी सुंदरता की तारीफ करते थे लेकिन मदनलाल ये नहीं जानता था कि बहु अंदर से इतनी सुन्दर होगी। दोनों एक दूसरे को देख हक्के बक्के रह गए। मदनलाल की नजर चेहरे से उतरकर बहु के गोल गोल संतरों पर टिक गई। औरत के बूब्स जो शायद दुनियां भर के मर्दों के सबसे पसंदीदा फल हैं। उसकी नज़रे नीचे गई तो सामने मांसल गोरा पेट और फिर उसके नीचे बरमूडा ट्रायंगल से भी खतरनाक ट्रायंगल था। कमर और जांघों के बीच का वो ट्रायंगल जिसमे हर मर्द डूबना चाहता है। अब उसकी आँखे छोटे -२ बालों के झुरमुट से झांकती दरार पर टिक गई।
अब तक बहु भी होश में आ गई और शर्म के मारे घूम कर पलट गई। पर बेचारी बहु ये नहीं जानती थी कि पलटकर तो उसने अपने ससुर पर और भी जानलेवा हमला कर दिया है।
काम्या के पीछे घूमते ही मदनलाल के सामने जो दृश्य आया वो उसकी जिंदगी को पूरी तरह
बदल कर रख देने वाला था। उसकी नज़रों के सामने जवानी से उफनती उसकी बाइस वर्षीय बहु की
मादक गांड थी जिसे देखकर मदनलाल अपने होशो हवाश खो बैठा। अकसर अलग अलग मर्द
औरतों के अलग अलग अंगो के दीवाने होते हैं ,कोई boob sucker होता है तो कोई thighs lover
तो कोई pussy licker और मदनलाल था gaand viewer . दरअसल मदनलाल लाल औरत की गांड
का दीवाना था। जब कभी वो घर से बाहर जाता तो रास्ते भर वो औरतों की गांड देखता रहता। ये उसका passion . और इस वक्त तो उसके सामने दुनिया की सबसे हसीन गांड थी। बहु काम्या की गांड गजब की sexy थी। गोल गोल भरी हुई और बहार को निकली हुई जैसे कोई खींच रहा हो।
काम्या की गांड एकदम चिकनी थी और मक्खन के सामान गोरी थी। गांड के नीचे उसके केले के तने के समान मांसल जांघे थी। मदनलाल का लंड उफान मारने लगा उसके पुरे खून में गर्मी आ गई। मदनलाल ने जब उसकी गांड की दोनों फलकों को अलग करने वाली लकीर पर नजर जमाई तो उसकी
मति भ्रमित हो गई रिश्ते नाते सब हवा हो गए। वो आगे बड़ा घुटनो के बल बैठा और दोनों हाथो से बहु काम्या की कमर पकड़ ली। और अगले ही पल उसके होंठ काम्या के मादक नितम्बो पे लगे।
अपनी गांड पर ससुर के होंट का स्पर्श महसूस करते ही काम्या के शरीर में कंपकंपी छूट गई।
काम्या के पति ने भी कभी उसकी गांड को चूमा नहीं था हालांकि सुनील काम्या की गांड सहलाता
जरूर था। इधर मदनलाल तो बहु की गांड को देखकर पागल हो गया । वो बहु की चिकनी गांड को जगह जगह
चुम रहा था। उसके हर kiss पर काम्या सनसना जाती। कुछ देर तक गांड को चूमने के बाद
मदनलाल ने अपनी जीभ बाहर निकाली और काम्या की गांड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा।
गीली गरम और खुरदुरी जीभ जैसे ही काम्या की गांड पे चलना शुरू हुई तो उसके मुख से
सिसकारी निकल गई। काम्या की उत्तेजना बढ़ती ही चली जा रही थी तभी मदनलाल ने
अपनी जीभ काम्या की गांड की दरार में डाल दी और पूरी ताकत से जीभ रगड़ने लगा।
काम्या का हाल बुरा हो गया। एक तरफ तो वो शर्म का अहसास भी कर रही थी दूसरी तरफ
उसका ससुर उसके बदन में आग लगाये जा रहा था। काम्या के पति को ड्यूटी पर लौटे
चार महीने हो गए थे इतने दिनों से वो मर्द के स्पर्श से वंचित थी और अब कोई मर्द उसे
छू भी रहा था तो वो उसका अपना ससुर था। मदनलाल गांड चाटने के साथ साथ अब हाथ
से बहु की sexy जांघों को भी सहलाने लगा जिससे उसका हाथ बहु की योनि के बालों से टकरा
जाता। इन सब हरकतों को होते हुए करीब पांच मिनट हुए होंगे। मदनलाल का लंड बुरी
तरह फुफकार मार रहा था। कामोतेजना की हालत में अचानक मदनलाल ने बहु की गांड
में दांत गाड दिए। जैसे ही मदनलाल ने बहु की गांड में काटा काम्या के मुंह से हलकी सी चीख निकल
गई बाबूजी -------
और इस चीख के साथ काम्या को होश भी आ गया कि बाथरूम में क्या हो रहा है औरउसके मुख से निकला
काम्या ---- बाबूजी आप जाइये यहाँ से मम्मी पूजा के कमरे में है।
मदनलाल को भी होश आया वो उठा और बाहर चल दिया। काम्या की टांगे काँप रही थी
वो घूमी और तुरंत दरवाजा लगा दिया।
55 वर्षीय मदनलाल सेना से सेवानिवृत हुआ था उसके परिवार में उसकी पत्नी शांति ५३ वर्ष
और दो बच्चे थे बेटा सुनील २६ वर्ष और बेटी कमला २८ साल. बेटी ससुराल में रहती थी
सुनील मुंबई में काम करता था। पिछले साल ही उसकी शादी काम्या से हुई थी। सुनील शादी के
बाद दो बार १५ -१५ दिनों के लिए आया था। उसको वापस गए ४ महीने हो गए थे। exservice man
होने के कारण मदनलाल शरीर से अत्यंत हस्ट पुस्ट था उसके सामने बेटा सुनील मरियल सा था।
बाथरूम से निकलकर मदनलाल सीधे अपने कमरे में जा पहुंचा। जो कुछ अभी अभी हुआ था
उस पर उसे विशवास नहीं हो रहा था आज के पहले वो कभी बहु के बारे मे ऐसा सोच भी नहीं सकता
था। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। वो आँखे बंद कर पूरी घटना पर विचार करने लगा।
बहु का नंगा मखमली बदन आँखों के सामने आते ही उसकी साँसे तेज हो गई और उसका मूसल फिर
खड़ा हो गया। अपने मूसल में इतना तनाव देख उसे भी आश्चार्य हो रहा था। उसे चुदाई किये करीब
पांच छः साल हो गए थे। उसकी पत्नी शांति कुछ सालों से बीमार रहने लगी थी और नाम की ही तरह
बाकी कामों के लिए शांत हो गई थी।पिछले कुछ सालों से तो उसका लंड केवल मूतने के काम ही आ रहा था वो बार बार भूलने की कोशिश करता पर हर बार काम्या का मादक हुश्न उसके सामने आ जाता।
अचानक उसे याद आया कि उसने तो करीब करीब पांच मिनट तक बहु को चूमा चाटा था पर बहु
इतनी देर तक चुप क्यों रही। उसने अपनी गांड में मेरा पहला चुम्बन रखते ही टोका क्यों नहीं ?
और जब रोका भी तो सिर्फ ये कहा कि " मम्मी पूजा के कमरे में है "?
तो क्या अगर आज शांति घर में नहीं होती तो बहु मुझे रोकती नहीं ?
मदनलाल के मन में सैकड़ों सवाल घूम रहे थे
क्या बहु भी मजे ले रही थी ? क्या उसे भी ये सब अच्छा लग रहा था ? क्या उसे भी पति की कमी
अंदर ही अंदर झुलसा रही हे।
और धीरे धीरे उसने एक फैसला ले ही लिया और वो फैसला था आगे बढ़ने का। काम्या की उफनती
जवानी की आंच ने उसे पूरी तरह झुलसा दिया था।
आदमी जब स्वार्थ में कोई कदम उठाता है तो अपने लिए तर्क भी ढूंढ लेता है उसने सोचा बहु भी
मर्द की कमी महसूस कर रही है और प्यासे को पानी पिलाना तो धर्म का काम है भूखे को खाना
खिलाना तो महान पुण्य है। और फिर घर का मुखिया होने के कारण बहु की हर जरूरत का ध्यान
रखना उसी की तो जिम्मेदारी है। अगर मदनलाल आज तक एकपत्नीव्रता होता तो शायद थोड़ा
झिझकता पर सेना की नौकरी के दौरान कई कई साल उसे परिवार से दूर रहना पड़ा था और
उन जवानी के दिनों में उसने भी अपने अन्य भूखे साथियों साथ इधर उधर मुहँ मारा था।
अखिर मदन लाल ने इस नए रस्ते पर चलने का फैसला कर लिया। अब बिस्तर में लेटे लेटे वो
अपनी fulproof रणनीति बनाने में व्यस्त हो गया। जब वो अपनी अचूक चालों के बारे में सोच
रहा था तब कहीं दूर मंदिर के स्पीकर से भजन की आवाज आ रही थी "अनुज वधु ,भगिनी सुत नारी सुन सठ कन्या ये सम चारी " लेकिन काम्या की जानलेवा जवानी ,मतवाली गांड, हाहाकारी चूचे
उसे कुछ भी सुनने नहीं दे रहे थे।
काम्या ने जैसे तैसे कपड़े पहने और बाथरूम से भागकर सीधे अपने कमरे में पहुंची। वो ऐसे हाँफ रही थी जैसे मीलों दौड़कर आई हो।
आते ही उसने सबसे पहले कमरे में चिटकनी लगा दी। वो जाकर धम्म से बिस्तर पर बैठ गई। उसके पुरे बदन पे अभी भी सरसराहट
हो रही थी। जो कुछ बाथरूम में हुआ था उसे यादकर उसका खून फिर से गरम होने लगा। उसे अभी भी अपनी गांड में ससुर जी की
गीली ,खुरदुरी जीभ का अहसास हो रहा था। उसने मन ही मन में बोला " हे भगवान अगर मै ठीक वक्त में होश मे नहीं आती तो
बाबूजी की जीभ तो वहां पहुँचने ही वाली थी। " चूत में बाबूजी की जीभ की कल्पना से ही उसका कौआ खड़ा हो गया और निप्पल तन गए।
ऐसा नहीं था की वो अपनी जिंदगी में पहली बार eve teasing का शिकार हुई थी लेकिन इतने अंदर तक तो कोई नहीं पहुँच पाया था।
फिर बाकी हालात भी अलग थे। पहले छेड़छाड़ घर के बहार हुई थी इस बार अंदर। पहले छेड़छाड़ बाहर वालों ने की थी बार घर के अंदर
वालों ने। पहले छेड़छाड़ उसके हमउम्र लोगों ने की थी इस बार बाप की उम्र ससुर ने।
जिंदगी में हर जवान लड़की को कभी न कभी teasing का सामना करना ही पड़ता है और काम्या भी उसका अपवाद नहीं थी। खूबसूरत तथा
बेहद sexy figure होने के कारन उसे स्कूल में मोहल्ले मे हमेशा इन बातों से दो चार होना पड़ता था। स्टूडेंट तो स्टूडेंट स्कूल के
male teachers भी उस पर लार टपकाते थे और ऐसे सभी टीचर्स को वो पहचानती थी. स्कूल और मोहल्ले के लड़के तो हमेशा किसी
न किसी बहाने उससे चिपकने की कोशिश करते थे और मौका मिलने पर इधर उधर हाथ फेर देते। ससुर जी गांड चटाई से उसे एक
पुरानी बात याद आ गई।
जब काम्या बारहवीं में पड़ती थी तब उसके घर से कुछ दूर मेला लगा हुआ था। काम्या अपनी सहेली मधु के साथ मेला देखने गई हुई थी।
काफी देर मेला घूमने के बाद दोनों ने "मौत का कुआँ " देखने का मन बनाया और टिकट ले कर ऊपर पहुँच गई। खेल शुरू होने में कुछ टाइम था
धीरे २ भीड़ बढ़ाने लगी और पूरी ralling खचाखच भर गई। देखने वालों में कई उनके पहचान के भी थे। कुएं के नीचे से गाड़ियों के स्टार्ट
होने की आवाज़ आने लगी। अचानक आठ दस लडको का झुण्ड आया और काम्या और मधु के पीछे आकर खड़ा हो गया. जैसे ही गाड़ियां
चली चारों तरफ शोर शराबा होने लगा। काम्या दम रोके खेल थी कि अचानक उसे अपनी गांड पर गांड पर किसी लड़के के हाथ का अहसास
हुआ लड़का हौले हौले उसकी गदराई गांड को सहला रहा था. काम्या का शर्म के मारे बुरा हाल हो गया। वो पलट कर उस लड़के की शक्ल
देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाई। वो जानती थी कि अगर अभी उसने कुछ बोला तो कल से उसका मोहल्ला में निकालना भी
दूभर जायेगा। वो भगवान से जल्दी खेल ख़त्म होने की दुआ करने लगी। लड़का भी सयाना था वो काम्या की स्थिति को तुरंत समझ
गया और उसने धीरे से अपना हाथ नीचे से काम्या की स्कर्ट के अंदर डाल दिया। काम्या को काटो तो खून नहीं। उसके पुरे शरीर में
झुरझुरी होने लगी। उसने हिम्मत करके कनखियों से मधु की और देखा तो चौंक गई। मधु की गांड को दो दो लड़के मसल रहे थे।काम्या
वाला लड़का उसकी मक्खन सी चिकनी गांड को गूंथने में लगा था छोटी सी कच्छी में उसकी आधी से ज्यादा गांड तो नंगी ही थी
अब लड़के ने काम्या की panty lining के अंदर हाथ डाल कर दरार कुरेदना चालू कर दिया शर्म और उत्तेजना के मारे काम्यने आँखे
बंद कर ली और खुद को हालात पर छोड़ दिया। भगवान ने भी उसकी सुन ली और खेल ख़त्म हो गया भीड़ इधर उधर होने लगी जिस
कारण लड़के भी दूर हट गए। जब वो सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तो पीछे से कोई उसके कान के पास आया और फुसफुसाया
"जानेमन बहुत मस्त गांड है तेरी काश सारी जिंदगी खेलने को मिल जाये तो अपनी गाडी तेरे कुँए में ही घुमाता रहूँ "
काम्या को उस लड़के के ये शब्द याद आते ही गुदगुदी होने लगी वो मन ही मन बड़बड़ाई
" बेशरम , बड़ा आया था मेरे कुँए में अपनी गाड़ी घुमाने वाला। बुद्धू को ये भी नहीं मालूम था कि औरतों
के पास मौत की कुआँ नहीं जन्नत का कुआँ होता है " काम्या बिस्तर में बैठे बैठे ये सोच ही रही थी
कि उसकी सास की आवाज़ आयी "बहु कहाँ हो ,सो गई क्या नास्ता नहीं बनाना आज। अपने बाबूजी
को भूखा रखेगी क्या "
काम्या ने जल्दी २ कपडे पहने और किचन की ओर भागी। मदनलाल बहु की थिरकती गांड को देख रहा
था जो साड़ी से बाहर निकलने को आमादा थी। मदनलाल जानता था की बहु को पटाना इतना आसान
नहीं है। ये रास्ता तलवार की धार पर चलने के जैसा है। अगर घर में जरा सी भी भनक पड़ गई तो
भूचाल आ जायेगा और सब कुछ स्वाहा हो जायेगा। एक बारगी तो उसने भूलना चाहा पर काम्या की
कातिल गांड कुछ भूलने ही नहीं दे रही थी। आखिर उसने ये तय किया की वो इस रास्ते पर बहुत
संभल संभल कर चलेगा और हर कदम के बाद बहु की प्रतिक्रिया देखेगा। वो जानता था की बहु अगर
उसकी हरकत को नापसंद भी करे तो सीधे घर मे नहीं बताएगी। वो उस एक बार चेतावनी अवश्य देगी
कि "बाबूजी अगर आपने आइन्दा ऐसा किया तो वो मम्मी को या सुनील को बता देगी ". मदनलाल
ने ऐसी ही किसी चेतावनी को अपनी deadline तय कर लिया। अब उसे आगे बढ़ना था लेकिन
वो डायरेक्ट कोई कदम नहीं उठाना चाहता था। मदनलाल जानता था कि स्त्रियों की छटी इंद्री
बहुत तेज़ होती है और वे तुरंत पहचान लेती हैं कि सामने वाला मर्द उन्हें किस नज़र से देख रहा है
उसने सोचा की कुछ दिन बहु के साथ कोई टचिंग वाचिंग नहीं करेगा केवल उसके जालिम बदन
को प्यासी नज़रों से देखेगा और बहु के reaction को समझने की कोसिस करेगा यानि कि
कुछ दिन बहु का चक्षु चोदन करेगा।
वो अभी यह सब सोच ही रहा था की काम्या नाश्ता लेकर कमरे में आ गई। उसने साड़ी पहनी हुई
थी। ब्लाउज और साड़ी के बीच का उसका गोरा चिकना पेट दिख रहा था। काम्या का पतला सा पेट
बहुत ही हंगामाखेज था। मदनलाल उसके नंगे पेट को घूरने लगा। काम्या ने ये देख लिया उसका चेहरा शर्म से
लाल हो गया वो जल्दी से वापस किचन की ओर चली गई। वो बार बार अपने को कोस रही थी कि
न वो बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ती न ससुर उसकी बेपर्दा जवानी देखते न बेचारे बूढ़े की
हसरतें फिर से जवान होती। काम्या अपने हुश्न अच्छी तरह से पहचानती थी और उसे मालूम
था की अब बाबूजी को कई रात ढंग से नींद नहीं आने वाली।
इधर मदनलाल हाथ धोने के बहाने किचन में गया लेकिन असली मक़सद तो था बहु की
कातिल जवानी का चक्षु चोदन करना।
बहकती बहू--1
मदनलाल बाजार से लौटकर घर पहुंचा और सीधे बाथरूम की तरफ भागा। उसके घर में लेट् कम बाथरूम था। बाथरूम का दरवाजा जरा सा खुला था इसलिए उसने सोचा कि अंदर कोई नहीं होगा और सीधे धड़धड़ाते हुए अंदर घुस गया। अंदर घुसते ही उसने जो देखा तो उसकी सांस ही रुक गई। अंदर उसकी नयी नवेली बहु काम्या मादरजात नंगी खड़ी थी। काम्या गज़ब की सुन्दर औरत थी और मदनलाल के पडोसी रिश्तेदार आदि उसकी सुंदरता की तारीफ करते थे लेकिन मदनलाल ये नहीं जानता था कि बहु अंदर से इतनी सुन्दर होगी। दोनों एक दूसरे को देख हक्के बक्के रह गए। मदनलाल की नजर चेहरे से उतरकर बहु के गोल गोल संतरों पर टिक गई। औरत के बूब्स जो शायद दुनियां भर के मर्दों के सबसे पसंदीदा फल हैं। उसकी नज़रे नीचे गई तो सामने मांसल गोरा पेट और फिर उसके नीचे बरमूडा ट्रायंगल से भी खतरनाक ट्रायंगल था। कमर और जांघों के बीच का वो ट्रायंगल जिसमे हर मर्द डूबना चाहता है। अब उसकी आँखे छोटे -२ बालों के झुरमुट से झांकती दरार पर टिक गई।
अब तक बहु भी होश में आ गई और शर्म के मारे घूम कर पलट गई। पर बेचारी बहु ये नहीं जानती थी कि पलटकर तो उसने अपने ससुर पर और भी जानलेवा हमला कर दिया है।
काम्या के पीछे घूमते ही मदनलाल के सामने जो दृश्य आया वो उसकी जिंदगी को पूरी तरह
बदल कर रख देने वाला था। उसकी नज़रों के सामने जवानी से उफनती उसकी बाइस वर्षीय बहु की
मादक गांड थी जिसे देखकर मदनलाल अपने होशो हवाश खो बैठा। अकसर अलग अलग मर्द
औरतों के अलग अलग अंगो के दीवाने होते हैं ,कोई boob sucker होता है तो कोई thighs lover
तो कोई pussy licker और मदनलाल था gaand viewer . दरअसल मदनलाल लाल औरत की गांड
का दीवाना था। जब कभी वो घर से बाहर जाता तो रास्ते भर वो औरतों की गांड देखता रहता। ये उसका passion . और इस वक्त तो उसके सामने दुनिया की सबसे हसीन गांड थी। बहु काम्या की गांड गजब की sexy थी। गोल गोल भरी हुई और बहार को निकली हुई जैसे कोई खींच रहा हो।
काम्या की गांड एकदम चिकनी थी और मक्खन के सामान गोरी थी। गांड के नीचे उसके केले के तने के समान मांसल जांघे थी। मदनलाल का लंड उफान मारने लगा उसके पुरे खून में गर्मी आ गई। मदनलाल ने जब उसकी गांड की दोनों फलकों को अलग करने वाली लकीर पर नजर जमाई तो उसकी
मति भ्रमित हो गई रिश्ते नाते सब हवा हो गए। वो आगे बड़ा घुटनो के बल बैठा और दोनों हाथो से बहु काम्या की कमर पकड़ ली। और अगले ही पल उसके होंठ काम्या के मादक नितम्बो पे लगे।
अपनी गांड पर ससुर के होंट का स्पर्श महसूस करते ही काम्या के शरीर में कंपकंपी छूट गई।
काम्या के पति ने भी कभी उसकी गांड को चूमा नहीं था हालांकि सुनील काम्या की गांड सहलाता
जरूर था। इधर मदनलाल तो बहु की गांड को देखकर पागल हो गया । वो बहु की चिकनी गांड को जगह जगह
चुम रहा था। उसके हर kiss पर काम्या सनसना जाती। कुछ देर तक गांड को चूमने के बाद
मदनलाल ने अपनी जीभ बाहर निकाली और काम्या की गांड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा।
गीली गरम और खुरदुरी जीभ जैसे ही काम्या की गांड पे चलना शुरू हुई तो उसके मुख से
सिसकारी निकल गई। काम्या की उत्तेजना बढ़ती ही चली जा रही थी तभी मदनलाल ने
अपनी जीभ काम्या की गांड की दरार में डाल दी और पूरी ताकत से जीभ रगड़ने लगा।
काम्या का हाल बुरा हो गया। एक तरफ तो वो शर्म का अहसास भी कर रही थी दूसरी तरफ
उसका ससुर उसके बदन में आग लगाये जा रहा था। काम्या के पति को ड्यूटी पर लौटे
चार महीने हो गए थे इतने दिनों से वो मर्द के स्पर्श से वंचित थी और अब कोई मर्द उसे
छू भी रहा था तो वो उसका अपना ससुर था। मदनलाल गांड चाटने के साथ साथ अब हाथ
से बहु की sexy जांघों को भी सहलाने लगा जिससे उसका हाथ बहु की योनि के बालों से टकरा
जाता। इन सब हरकतों को होते हुए करीब पांच मिनट हुए होंगे। मदनलाल का लंड बुरी
तरह फुफकार मार रहा था। कामोतेजना की हालत में अचानक मदनलाल ने बहु की गांड
में दांत गाड दिए। जैसे ही मदनलाल ने बहु की गांड में काटा काम्या के मुंह से हलकी सी चीख निकल
गई बाबूजी -------
और इस चीख के साथ काम्या को होश भी आ गया कि बाथरूम में क्या हो रहा है औरउसके मुख से निकला
काम्या ---- बाबूजी आप जाइये यहाँ से मम्मी पूजा के कमरे में है।
मदनलाल को भी होश आया वो उठा और बाहर चल दिया। काम्या की टांगे काँप रही थी
वो घूमी और तुरंत दरवाजा लगा दिया।
55 वर्षीय मदनलाल सेना से सेवानिवृत हुआ था उसके परिवार में उसकी पत्नी शांति ५३ वर्ष
और दो बच्चे थे बेटा सुनील २६ वर्ष और बेटी कमला २८ साल. बेटी ससुराल में रहती थी
सुनील मुंबई में काम करता था। पिछले साल ही उसकी शादी काम्या से हुई थी। सुनील शादी के
बाद दो बार १५ -१५ दिनों के लिए आया था। उसको वापस गए ४ महीने हो गए थे। exservice man
होने के कारण मदनलाल शरीर से अत्यंत हस्ट पुस्ट था उसके सामने बेटा सुनील मरियल सा था।
बाथरूम से निकलकर मदनलाल सीधे अपने कमरे में जा पहुंचा। जो कुछ अभी अभी हुआ था
उस पर उसे विशवास नहीं हो रहा था आज के पहले वो कभी बहु के बारे मे ऐसा सोच भी नहीं सकता
था। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है। वो आँखे बंद कर पूरी घटना पर विचार करने लगा।
बहु का नंगा मखमली बदन आँखों के सामने आते ही उसकी साँसे तेज हो गई और उसका मूसल फिर
खड़ा हो गया। अपने मूसल में इतना तनाव देख उसे भी आश्चार्य हो रहा था। उसे चुदाई किये करीब
पांच छः साल हो गए थे। उसकी पत्नी शांति कुछ सालों से बीमार रहने लगी थी और नाम की ही तरह
बाकी कामों के लिए शांत हो गई थी।पिछले कुछ सालों से तो उसका लंड केवल मूतने के काम ही आ रहा था वो बार बार भूलने की कोशिश करता पर हर बार काम्या का मादक हुश्न उसके सामने आ जाता।
अचानक उसे याद आया कि उसने तो करीब करीब पांच मिनट तक बहु को चूमा चाटा था पर बहु
इतनी देर तक चुप क्यों रही। उसने अपनी गांड में मेरा पहला चुम्बन रखते ही टोका क्यों नहीं ?
और जब रोका भी तो सिर्फ ये कहा कि " मम्मी पूजा के कमरे में है "?
तो क्या अगर आज शांति घर में नहीं होती तो बहु मुझे रोकती नहीं ?
मदनलाल के मन में सैकड़ों सवाल घूम रहे थे
क्या बहु भी मजे ले रही थी ? क्या उसे भी ये सब अच्छा लग रहा था ? क्या उसे भी पति की कमी
अंदर ही अंदर झुलसा रही हे।
और धीरे धीरे उसने एक फैसला ले ही लिया और वो फैसला था आगे बढ़ने का। काम्या की उफनती
जवानी की आंच ने उसे पूरी तरह झुलसा दिया था।
आदमी जब स्वार्थ में कोई कदम उठाता है तो अपने लिए तर्क भी ढूंढ लेता है उसने सोचा बहु भी
मर्द की कमी महसूस कर रही है और प्यासे को पानी पिलाना तो धर्म का काम है भूखे को खाना
खिलाना तो महान पुण्य है। और फिर घर का मुखिया होने के कारण बहु की हर जरूरत का ध्यान
रखना उसी की तो जिम्मेदारी है। अगर मदनलाल आज तक एकपत्नीव्रता होता तो शायद थोड़ा
झिझकता पर सेना की नौकरी के दौरान कई कई साल उसे परिवार से दूर रहना पड़ा था और
उन जवानी के दिनों में उसने भी अपने अन्य भूखे साथियों साथ इधर उधर मुहँ मारा था।
अखिर मदन लाल ने इस नए रस्ते पर चलने का फैसला कर लिया। अब बिस्तर में लेटे लेटे वो
अपनी fulproof रणनीति बनाने में व्यस्त हो गया। जब वो अपनी अचूक चालों के बारे में सोच
रहा था तब कहीं दूर मंदिर के स्पीकर से भजन की आवाज आ रही थी "अनुज वधु ,भगिनी सुत नारी सुन सठ कन्या ये सम चारी " लेकिन काम्या की जानलेवा जवानी ,मतवाली गांड, हाहाकारी चूचे
उसे कुछ भी सुनने नहीं दे रहे थे।
काम्या ने जैसे तैसे कपड़े पहने और बाथरूम से भागकर सीधे अपने कमरे में पहुंची। वो ऐसे हाँफ रही थी जैसे मीलों दौड़कर आई हो।
आते ही उसने सबसे पहले कमरे में चिटकनी लगा दी। वो जाकर धम्म से बिस्तर पर बैठ गई। उसके पुरे बदन पे अभी भी सरसराहट
हो रही थी। जो कुछ बाथरूम में हुआ था उसे यादकर उसका खून फिर से गरम होने लगा। उसे अभी भी अपनी गांड में ससुर जी की
गीली ,खुरदुरी जीभ का अहसास हो रहा था। उसने मन ही मन में बोला " हे भगवान अगर मै ठीक वक्त में होश मे नहीं आती तो
बाबूजी की जीभ तो वहां पहुँचने ही वाली थी। " चूत में बाबूजी की जीभ की कल्पना से ही उसका कौआ खड़ा हो गया और निप्पल तन गए।
ऐसा नहीं था की वो अपनी जिंदगी में पहली बार eve teasing का शिकार हुई थी लेकिन इतने अंदर तक तो कोई नहीं पहुँच पाया था।
फिर बाकी हालात भी अलग थे। पहले छेड़छाड़ घर के बहार हुई थी इस बार अंदर। पहले छेड़छाड़ बाहर वालों ने की थी बार घर के अंदर
वालों ने। पहले छेड़छाड़ उसके हमउम्र लोगों ने की थी इस बार बाप की उम्र ससुर ने।
जिंदगी में हर जवान लड़की को कभी न कभी teasing का सामना करना ही पड़ता है और काम्या भी उसका अपवाद नहीं थी। खूबसूरत तथा
बेहद sexy figure होने के कारन उसे स्कूल में मोहल्ले मे हमेशा इन बातों से दो चार होना पड़ता था। स्टूडेंट तो स्टूडेंट स्कूल के
male teachers भी उस पर लार टपकाते थे और ऐसे सभी टीचर्स को वो पहचानती थी. स्कूल और मोहल्ले के लड़के तो हमेशा किसी
न किसी बहाने उससे चिपकने की कोशिश करते थे और मौका मिलने पर इधर उधर हाथ फेर देते। ससुर जी गांड चटाई से उसे एक
पुरानी बात याद आ गई।
जब काम्या बारहवीं में पड़ती थी तब उसके घर से कुछ दूर मेला लगा हुआ था। काम्या अपनी सहेली मधु के साथ मेला देखने गई हुई थी।
काफी देर मेला घूमने के बाद दोनों ने "मौत का कुआँ " देखने का मन बनाया और टिकट ले कर ऊपर पहुँच गई। खेल शुरू होने में कुछ टाइम था
धीरे २ भीड़ बढ़ाने लगी और पूरी ralling खचाखच भर गई। देखने वालों में कई उनके पहचान के भी थे। कुएं के नीचे से गाड़ियों के स्टार्ट
होने की आवाज़ आने लगी। अचानक आठ दस लडको का झुण्ड आया और काम्या और मधु के पीछे आकर खड़ा हो गया. जैसे ही गाड़ियां
चली चारों तरफ शोर शराबा होने लगा। काम्या दम रोके खेल थी कि अचानक उसे अपनी गांड पर गांड पर किसी लड़के के हाथ का अहसास
हुआ लड़का हौले हौले उसकी गदराई गांड को सहला रहा था. काम्या का शर्म के मारे बुरा हाल हो गया। वो पलट कर उस लड़के की शक्ल
देखने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाई। वो जानती थी कि अगर अभी उसने कुछ बोला तो कल से उसका मोहल्ला में निकालना भी
दूभर जायेगा। वो भगवान से जल्दी खेल ख़त्म होने की दुआ करने लगी। लड़का भी सयाना था वो काम्या की स्थिति को तुरंत समझ
गया और उसने धीरे से अपना हाथ नीचे से काम्या की स्कर्ट के अंदर डाल दिया। काम्या को काटो तो खून नहीं। उसके पुरे शरीर में
झुरझुरी होने लगी। उसने हिम्मत करके कनखियों से मधु की और देखा तो चौंक गई। मधु की गांड को दो दो लड़के मसल रहे थे।काम्या
वाला लड़का उसकी मक्खन सी चिकनी गांड को गूंथने में लगा था छोटी सी कच्छी में उसकी आधी से ज्यादा गांड तो नंगी ही थी
अब लड़के ने काम्या की panty lining के अंदर हाथ डाल कर दरार कुरेदना चालू कर दिया शर्म और उत्तेजना के मारे काम्यने आँखे
बंद कर ली और खुद को हालात पर छोड़ दिया। भगवान ने भी उसकी सुन ली और खेल ख़त्म हो गया भीड़ इधर उधर होने लगी जिस
कारण लड़के भी दूर हट गए। जब वो सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी तो पीछे से कोई उसके कान के पास आया और फुसफुसाया
"जानेमन बहुत मस्त गांड है तेरी काश सारी जिंदगी खेलने को मिल जाये तो अपनी गाडी तेरे कुँए में ही घुमाता रहूँ "
काम्या को उस लड़के के ये शब्द याद आते ही गुदगुदी होने लगी वो मन ही मन बड़बड़ाई
" बेशरम , बड़ा आया था मेरे कुँए में अपनी गाड़ी घुमाने वाला। बुद्धू को ये भी नहीं मालूम था कि औरतों
के पास मौत की कुआँ नहीं जन्नत का कुआँ होता है " काम्या बिस्तर में बैठे बैठे ये सोच ही रही थी
कि उसकी सास की आवाज़ आयी "बहु कहाँ हो ,सो गई क्या नास्ता नहीं बनाना आज। अपने बाबूजी
को भूखा रखेगी क्या "
काम्या ने जल्दी २ कपडे पहने और किचन की ओर भागी। मदनलाल बहु की थिरकती गांड को देख रहा
था जो साड़ी से बाहर निकलने को आमादा थी। मदनलाल जानता था की बहु को पटाना इतना आसान
नहीं है। ये रास्ता तलवार की धार पर चलने के जैसा है। अगर घर में जरा सी भी भनक पड़ गई तो
भूचाल आ जायेगा और सब कुछ स्वाहा हो जायेगा। एक बारगी तो उसने भूलना चाहा पर काम्या की
कातिल गांड कुछ भूलने ही नहीं दे रही थी। आखिर उसने ये तय किया की वो इस रास्ते पर बहुत
संभल संभल कर चलेगा और हर कदम के बाद बहु की प्रतिक्रिया देखेगा। वो जानता था की बहु अगर
उसकी हरकत को नापसंद भी करे तो सीधे घर मे नहीं बताएगी। वो उस एक बार चेतावनी अवश्य देगी
कि "बाबूजी अगर आपने आइन्दा ऐसा किया तो वो मम्मी को या सुनील को बता देगी ". मदनलाल
ने ऐसी ही किसी चेतावनी को अपनी deadline तय कर लिया। अब उसे आगे बढ़ना था लेकिन
वो डायरेक्ट कोई कदम नहीं उठाना चाहता था। मदनलाल जानता था कि स्त्रियों की छटी इंद्री
बहुत तेज़ होती है और वे तुरंत पहचान लेती हैं कि सामने वाला मर्द उन्हें किस नज़र से देख रहा है
उसने सोचा की कुछ दिन बहु के साथ कोई टचिंग वाचिंग नहीं करेगा केवल उसके जालिम बदन
को प्यासी नज़रों से देखेगा और बहु के reaction को समझने की कोसिस करेगा यानि कि
कुछ दिन बहु का चक्षु चोदन करेगा।
वो अभी यह सब सोच ही रहा था की काम्या नाश्ता लेकर कमरे में आ गई। उसने साड़ी पहनी हुई
थी। ब्लाउज और साड़ी के बीच का उसका गोरा चिकना पेट दिख रहा था। काम्या का पतला सा पेट
बहुत ही हंगामाखेज था। मदनलाल उसके नंगे पेट को घूरने लगा। काम्या ने ये देख लिया उसका चेहरा शर्म से
लाल हो गया वो जल्दी से वापस किचन की ओर चली गई। वो बार बार अपने को कोस रही थी कि
न वो बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ती न ससुर उसकी बेपर्दा जवानी देखते न बेचारे बूढ़े की
हसरतें फिर से जवान होती। काम्या अपने हुश्न अच्छी तरह से पहचानती थी और उसे मालूम
था की अब बाबूजी को कई रात ढंग से नींद नहीं आने वाली।
इधर मदनलाल हाथ धोने के बहाने किचन में गया लेकिन असली मक़सद तो था बहु की
कातिल जवानी का चक्षु चोदन करना।
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