FUN-MAZA-MASTI
बहकती बहू--7
मोहिनी के उदघाटन की याद करते करते मदनलाल का एक बार फिर खड़ा हो गया वो उसे मसलते हुए सोच रहा था कि बहु को कैसे तैयार किया जाय। अपने लण्ड को देखते -२ उसे एक चीज याद आई कि कोई भी औरत जब पहली बार उसका अफगानी लण्ड देखती है तो कुछ देर के लिए तो वो मोहित सी हो जाती है। अचानक उसके दिमाग में आईडिया आया कि किसी बहाने से काम्या को अपने लण्ड के दर्शन करवाएगा और कुछ इस तरह से करेगा कि लगे की धोखे से हुआ है और इसी के साथ उसने काम्या के लिए लिंग दर्शन समारोह आयोजित करने का निर्णय ले लिया।
दूसरे दिन सुबह ही वो घर से काफी दूर की दूकान से देसी वियाग्रा ले आया ,मदनलाल का विचार था की जब बहु को लण्ड दिखाए तो लण्ड अपने पूरे शवाब में हो आखिर अंग्रेज़ भी कह गए हैं कि
first impression is last impression . वो शाम तक दिमाग लगाता रहा कि किस मौके पर काम्या को लण्ड दिखाना चाहिए पर कोई सही आईडिया दिमाग में आ नहीं रहा था। शाम को एक और
व्यवधान आ गया बहु ने खबर दी कि सुनील अगले सप्ताह तीन दिन के लिए आ रहे हैं उनकी कंपनी का कुछ काम इसी शहर में था इसलिए केवल तीन दिन के लिए आ रहे हैं। रात को जब मदनलाल
काम्या के रूम में पहुंचा तो वो अंदर से बंद था उसने खटखटाया पर अंदर से चुप्पी थी। कमरे के बाहर हल्ला करना बेकार था इसलिए वो छत पर चला चला गया और वहां से काम्या को फ़ोन लगाया। घंटी की आवाज़ सुनते ही बहु समझ गई कि ससुर जी बैचेन हैं लेकिन फ़ोन तो उठाना ही था
काम्या :---- हाँ बाबूजी
मदनलाल :--- बहु दरवाज़ा क्यों बंद की हो। दरवाज़ा तो खोलो
काम्या :---- नहीं बाबूजी वो आ रहें हैं। हम नहीं खोलेंगे। शायद उसका पतिव्रत धर्म जाग गया था या पाप बोध बाहर आ गया था या स्वाभिक डर उभर आया था।
मदनलाल :--- बहु सुनील तो अगले हफ्ते आएगा अभी से काहे डर रही हो. बस थोड़ा सा कर लेने दो
काम्या :--- नहीं बाबूजी। हमारे छाती में पहले से ही आपके दांत के निशान हैं जिन्हे मिटने में ही हफ्ता लग जाएगा फिर अगर और बन जायेंगे तो हमें तो जवाब देते नहीं बनेगा
मदनलाल :-- अच्छा तो ठीक हैं मुंह में नहीं लेंगे बस। थोड़ा हाथ से खेल लेने दो ना
काम्या :--- नहीं मतलब बिलकुल नहीं। अब जब तक आपका बेटा वापस नहीं चला जाता तब तक मम्मी के मम्मे से खेलिए और काम्या ने फ़ोन काट दिया उसे डर था कि कहीं वो ज्यादा
देर बात करती रही तो कमज़ोर न पड़ जाए। बेचारा मदनलाल टापता रह गया। दूसरे दिन से काम्या मदनलाल से दूर -२ रही।
सुनील के आने वाले दिन की पहले वाली रात को मदनलाल बहुत ज्यादा व्यग्र था उसने छत में पहुँच कर बहु को फ़ोन किया
काम्या :--- हाँ बाबूजी। नींद नहीं आ रही क्या ?
मदनलाल :-- बहु प्लीज पांच मिनिट के लिए आ जाने दो बहुत मन कर रहा है
काम्या :-- बिलकुल नहीं आप पागल हो गए हैं क्या ? कल वो आ रहे हैं। आप को मौका मिला तो आप तो हमारा आज ही कबाड़ा कर देंगे
मदनलाल :-- कसम से कुछ नहीं करेंगे ,प्रॉमिस। मदनलाल घिघियाते हुए बोला
काम्या :-- कुछ करना ही नहीं है तो आना क्यूँ है ,
मदनलाल :-- बस ऐसे ही आपको देखने का मन कर रहा है।
काम्या :-- अभी आधा घंटे पहले डिनर करते समय तक तो देख ही रहे थे।
मदनलाल :-- वो कोई देखना है हमको दूसरी तरह देखना है
काम्या :-- दूसरी तरह मतलब
मदनलाल :--- जैसे उस दिन बाथरूम में देखा था। मदनलाल ने माहौल बनाते हुए बोला
काम्या :-- क्या sss . आप बहुत गंदे हो। गन्दी बात करते हो
मदनलाल :-- बहु प्लीज। बस एक बार देख लेने दो ,दिल को चैन आ जायेगा
काम्या :- कोई चैन नहीं आएगा उल्टा आप कंट्रोल खो देंगे
मदनलाल :-- नहीं नहीं। हम बिलकुल कंट्रोल में रहेंगे। कसम से
काम्या :-- रहने दीजिये हमें सब मालूम है। जब आप पहली बार बाथरूम में ही कंट्रोल नहीं पाये तो अब तो आप हमें परेशान भी करने लगे हैं। अब आप अन कंट्रोल हो जायेंगे और फिर तो हमें
भगवान भी नहीं बचा पायेगा
मदनलाल :-- कैसी बात कर रही हो बहु। हमने कभी आप से जबरदस्ती की है। जब और जहाँ आप रुकने बोली हम तुरंत रुक गए। प्लीज मान जाओ न
काम्या :-- नहीं बाबूजी। आज तो हम कोई रिस्क नहीं ले सकते। sorryyyyyy
मदनलाल :;-- अच्छा बहु एक काम करो हम खिड़की में खड़े रहेंगे वहीँ से दिखा दो। प्लीज बहु बच्चे पर रहम करो
काम्या :---- ओहो हो बच्चे वो भी आप। एक नम्बर के बिगड़े बच्चे हो।
मदनलाल :-- बिगड़े भी हैं तो क्या हुआ। हैं तो आप के ही न। प्लीज बहु प्लीज
मदनलाल की मिन्नतें करने पर काम्या कुछ पसीज गई। थोड़ा तो वो खुद भी परेशान थी इतने दिनों से कोई उसकी जवानी को देख नहीं पा रहा था अतः बोली
काम्या :-- बस दो मिनिट देखने मिलेगा ,वो भी कमरे के बाहर खिड़की से ठीक
मदनलाल :-- ठीक। मंजूर है
काम्या :-- ओके दस मिनिट बाद नीचे आ जाना।
मदनलाल दस मिनिट बाद नीचे पहुंचा और जैसे ही अंदर झाँका उसकी उपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे ही रह गई
अंदर काम्या बिलकुल नंगी बेड में थी। उसके बदन का एक -२ अंग लाइट में चमक रहा था। वो करवट लेकर लेटी हुई थी।करवट में लेटने से वैसे भी स्त्री का कमर बल खा जाती है और नितम्ब और चौड़े दिखने लगते हैं। काम्या के नितम्ब तो वैसे ही भारी भरकम थे बिलकुल गज गामिनी लगती है। मदनलाल एकटक अपलक काम्या की गाण्ड को देखने लगा। बहु की नंगी जवानी को देख मदनलाल पागल हो गया। गाण्ड के बीच की दरार भी जान लेने पर उतारू थी दोनों फांके दो खरबूजों के सामान लग रही थी एकदम चिकनी ,मख्खन के सामान मुलायम पर ठोस। उसने लुंगी
से अपने घोड़ा पछाड़ सांप निकाला और तेज़ी से मुठियाने लगा। मदनलाल के मुख से सिसकारी निकलने लगी। सिसकारी की आवाज़ सुनकर काम्या समझ गई की बाबूजी खिड़की में आ गए हैं
वो कुछ देर ऐसे ही लेटी रही और मदनलाल को अपनी जवानी का जाम दूर से ही पिलाती रही। मदनलाल भी चक्षु चोदन कर रहा था। उसका लण्ड आज फटने को उतारू था। मदनलाल ने सोचा
यहीं खिड़की में खड़े खड़े माल न निकाला तो एक आध नस फट जाएगी और वो जोर -२ से घस्से मारने लगा। काम्या कुछ देर तक ऐसे ही लेटी रही और फिर बड़ी नजाकत के साथ बैठ गई। बैठने से
उसके मतवाले चुचे भी अपनी झलक दिखलाने लगे। अब बहु को सुन्दर सेक्सी मनमोहनी सूरत भी थोड़ी -२ दिख रही थी। बहु की मांसल जांघे भी कहर ढा रही थी। काम्या की जांघे बेहद सुडोल थी गोल गोल भरी हुई लम्बी लेकिन बहुत ही संतुलित आकर में थी उसकी जांघे इतनी सुन्दर थी कि कोई भी उसे घंटो चाट सकता था। गांड और जांघों का मिलन बिंदु तो बिंदु पतन करा देने लायक था
मदनलाल काम्या की गांड देख कर पूरा बावला हो गया था बहु भी जानबूझ कर पीछे का हिस्सा दिखा रही थी क्योंकि वो अपने ससुर की कमजोरी जानती थी। जब मदनलाल का माल उबाल
मारने लगा तो उसके मुख से अजीब -२ सी आवाज़ आने लगी जिसे सुनकर काम्या समझ गई की बाबूजी का काम होने ही वाला है। उसने स्थिति को शांत करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया और
लाइट ऑफ कर दिया। इधर मदनलाल ने भी खिड़की के पास छटाक भर रबड़ी गिरा दी।
काम्या अपने bed show के कारण बहुत गरम हो गई थी और जोर -२ से उंगली करने लगी। थोड़ी देर की कोशिश से ही वो झड़ गई। लगभग आधा घंटे के बाद पेशाब लगी तो वो बाहर निकली और जैसे ही खिड़की के पास पहुंची उसे अपने पैर में कुछ चिपचिपा लगा उसने बरामदे की लाइट जलाया तो देख कर हैरत में पड़ गई नीचे ढेर सारा वीर्य गिरा था।"" हे भगवान इतना सारा माल लगता है तीन चार लोगों का है "" फिर खुद ही बुदबुदाई "" नहीं नहीं घर में तो सिर्फ एक ही मर्द हैबाबूजी तो फिर लगता है तीन चार बार किये हैं लेकिन एक दिन में तो एक बार ही कर सकते है सुनील तो रात में एक बार ही करते हैँ। इतना माल कहाँ से आ गया। "" काम्या कुछ देर सोचती रही फिर मन ही मन बोली "" लगता है जबसे हम दूर रहे इतने दिन तक शीशी में इकठ्ठा किये थे और आज गुस्से में सब यहाँ डाल गए। "" खैर कोई बात नहीं मर्दों को गुस्सा शोभा देता है। उसने फ़ौरन वहां साफ़ सफाई की और कमरे में आ गई। बिस्तर में लेट कर वो अपने और ससुर जी के संबंधों के बारे सोचने लगी। उसने तो यों ही बाबूजी को थोड़ा छूट दे दिया था ताकि बुढ़ापे में उनका मन बहल जाए लेकिन लगता है बाबूजी थोड़े से मानने वाले नहीं हैं उन्हें तो पूरा चाहिए। खिड़की में अपना माल गिराकर शायद बताना चाहते हैं कि ये माल तुम्हारे लिए है। लेकिन ये कैसे हो सकता है। भला मैं सुनील को धोखा कैसे दे सकती हूँ। मुझे बाबूजी को इतने में ही रोकना होगा। जिस दिन सुनील आया उस दिन तो काम्या बाबूजी के पास भी नहीं आ रही थी रात को चारों ने एकसाथ खाना खाया ,कुछ गपशप के बाद बेटा बहु अपने कमरे में चले गए शांति भी नींद की गोली खा कर सोने चली गई। उधर मदनलाल की आँखों से नींद उड़ चुकी थी एक तो बहु इतने दिन से छूने नहीं दे रही थी उपर से कल बहु ने अपनी जवानी के जो जलवे दिखाए थे उसने सुबह से मदनलाल पगला दिया था उसे मालूम था कि आज बहु का बाजा बजना है आखिर सुनील लगभग छह माह बाद आया था। आज सुबह से ही काम्या के चेहरे पर रहस्मयी मुस्कान थी जो शायद आने वाली खुशियों को बयां कर रही थी। मदनलाल की इच्छा हो रही थी कि खिड़की से जाकर बहु का नंगा बदन देखे लेकिन वो सुनील
को इस हालत में नहीं देखना चाहता था। काम्या को नंगी देखने में उसे कोई एतराज नहीं था उसे तो वो अपने हाथों से नंगी करना चाहता था लेकिन अपने बेटे को इस अवस्था में देखने में उसे
अच्छा नहीं लग रहा था। वो अनिर्णय की स्थिति में था। शास्त्र कहते हैं कि काम वासना बड़े बड़े ज्ञानियों भी परास्त कर देती है फिर मदनलाल तो संसारी था उपर से ठरकी। एक बार वेदव्यास
एक ग्रन्थ लिख रहे थे.वो श्लोक बोलते जाते उनके शिष्य जेमिनी ऋषि लिखते जाते। एक श्लोक व्यास जी ने ऐसा बोला जिसका अर्थ था कि कामवासना ज्ञानियों को भी हरा देती है। जिसे देख कर जेमिनी ने टोका गुरूजी यहाँ ज्ञानी की जगह अज्ञानी शब्द होना चाहिए। व्यास जी बोले जो कहा है तुम वही लिखो समय आने पर मैं तुम्हे समझा दूंगा। कुछ दिनों बाद एक दिन जेमिनी अपनी कुटिया में अकेले थे बाहर बड़ी जोर से बारिस हो रही थी तभी वहां एक अत्यंत सुन्दर रूपवती कन्या भीगते हुए पहुंची और झोपड़ी के बाहरखड़ी गयी। भीगी होने कारण वो अर्धनग्न सी दिखाई दे रही थी। जेमिनी उसकी अंग प्रत्यंग को देख कर काममोत्तेजित हो गए। गीले कपडे में उसकी चूचियाँ ,बड़ी बड़ी उभरी गाण्ड ,मांसल जांघे चिकनी पीठ दिख रही थी। जेमिनी ने सम्मोहित से होते हुए कहा
.
जेमिनी :-- देवी अंदर आ जाओ बाहर घनघोर वर्षा हो रही है. वो कन्या युवा जेमिनी को अकेला देख झिझकते हुए बोली
कन्या :-- लेकिन आप अकेले हैं। उसके डर को देख ऋषि ढांढस देते हुए बोले
जेमिनी :-- देवी मैं तीनो लोकों में प्रसिद्ध महिर्षि वेद व्यास का शिष्य जेमिनी हूँ मुझसे किंचित भी न डरो।
ऋषि की बात से निश्चिन्त हो वो सुंदरी अंदर आ गई। जेमिनी ने अपने कपडे उसे देते हुए कहा
जेमिनी :-- देवी तुम्हारे समस्त वस्त्र भीग गए हैं ऐसे में अस्वस्थ होने का खतरा है कृपया इन वस्त्रों को पहन लो। ऐसा कहकर जेमिनी दूसरी तरफ घूम गए।
सुंदरी ने जल्दी -२ कपडे लिए। जब जेमिनी पलटे तो उसे देखते ही जेमिनी के पूरे बदन में आग लग गई। पुरुष वस्त्र में वो बहुत ही कामुक रही थी ,धोती सिर्फ एक फेंटा ही लिपटी थी
जिसमे से उसके मादक नितम्ब और कदली गदराई जांघे स्पष्ट दिख रही थी। युवती का ऐसा यौवन देख जेमिनी कामांध होने लगे ,वो सोचने लगे काश ये मेरी हो जाए तो स्वर्ग का सुख यहीं मिल जाए। यदपि युवती वेश भूषा और श्रृंगार से ही अविवाहित लग रही थी फिर भी बातचीत करने के लिए ऋषि ने कहा
जेमिनी ::-- देवी तुम्हारा विवाह तो हो गया होगा।
कन्या :-- ऋषिवर ,कदाचित विवाह हमारे भाग्य में लिखा ही नहीं। दुखी मन से कन्या ने कहा। कन्या अभी कुंवारी है ये जानकार जेमिनी मन ही मन प्रषन्न होते हुए बोले
जेमिनी :- देवी तुम्हारे जैसी सर्वांग सुंदरी कन्या से विवाह के लिए तो कोई भी युवक तत्पर हो जायेगा।
कन्या : - ऋषिवर , हमारे विवाह के लिए पिताजी ने ऐसी प्रतिज्ञा कर ली है कि जिसे सुनकर कोई भी स्वाभिमानी युवक हमसे विवाह की इच्छा त्याग देता है।
जेमिनी :-- देवी ऐसी क्या प्रतिज्ञा की है आपके पिता ने ?
कन्या :-- ऋषिवर उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि जो भी युवक अपना मुंह काला करके उन्हें पीठ पर बैठा कर पहाड़ी वाली माताजी के दर्शन करा के लाएगा उससे ही मेरा विवाह करेंगे।
प्रतिज्ञा सुन कर जेमिनी का मुंह लटक गया। दोनों चुपचुाप खड़े रहे। बाहर जोरदार बारिस हो रही थी लेकिन ऋषि का ह्रदय जल रहा था। सुंदरी उनकी ओर पीठ किये खड़ी थी
पीछे से उसकी अत्यंत मनोहारी गाण्ड और मक्खन सी चिकिनी गोल -२ जांघे देख -२ कर जेमिनी अपना आपा खोते जा रहे थे। सुंदरी ने जो अपना पता बताया था और जो मंदिर था वो दोनों
जेमिनी ने देख रखा था ,उन्होंने अनुमान लगाया कि मुश्किल से तीन घण्टे में ये यात्रा हो सकती है। अगर तीन घंटे की यात्रा के बदले ऐसी सुन्दर युवती सारा जीवन भोगने मिले तो व्यापार लाभ का था। उन्होंने अपने स्वाभिमान को किनारे रखा युवती के पास जाकर उसके मादक नितम्बों में हाथ फेरते हुए बोले
जेमिनी :-- सुंदरी मैं तुम्हारे पिता की प्रतिज्ञा पूरी करूंगा। जेमिनी की बात सुनकर कन्या चौंकते हुए बोली
कन्या :-- ऋषिवर आप ! महाज्ञानी व्यास महाराज शिष्य आप ऐसा करेंगे ?
जेमिनी :- सुंदरी मैं तुम्हारे जैसी युवा और सर्वांग सुंदरी का जीवन व्यर्थ होते नहीं देख सकता। जेमिनी बात बनाते हुए बोला
नियत समय पर यात्रा आरम्भ हुई। जेमिनी ने काला मुह कर कन्या के पिता को पीठ पर बैठाया मंदिर जा पहुंचा। कन्या के पिता ने उसे बाहर ही खड़ा किया और पुत्री साथ मंदिर में चला गया। जेमिनी बाहर प्रतीक्षा करने लगे। तभी पीछे से आवाज़ आई "" अब बताओ मेरा श्लोक सही था या नहीं जो प्रतिज्ञा कोई साधारण मानव भी पूरी नहीं कर रहा था उसे काम के वशीभूत हो तुमने कर दिया "" जेमिनी ने पलटकर देखा तो गुरूजी खड़े थे वो उनके चरणो में गिर पड़ा। व्यास जी ने कहा उनको छोडो अब चलो यहाँ से।
इधर मदनलाल खिड़की के पास खड़ा हो अपने मन से लड़ रहा था लेकिन अंत में मन जीत गया इसी लिए तो कहा गया है "" मन मतंग माने नहीं ""
मदनलाल आगे बड़ा और खिड़की से आँख लगा दी। अंदर का दृश्य देखकर मदनलाल का कोबरा फुफकार मारने लगा
अंदर सुनील और काम्या दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे। काम्या खिड़की की तरफ थी जबकि सुनीलदूसरी तरफ था। सुनील के शरीर में केवल अंडरवियर थी जबकि काम्या पूरी मादरजात नंगी थी। काम्या के चेहरे पर शर्म का भाव था। ये भारतीय नारी का स्वाभाविक गुण है कि चाहे विवाह हुए बीसों साल हो गए हों पर जब भी पति के सामने नंगी होती है तो वो शर्म महसूस करती है। दोनों आपस में कुछ बात कर रहे थे पर मदनलाल को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मदनलाल बहु के सौंदर्य में खो गया। कितना खूबसूरत मुखड़ा था काम्या का जैसे कोई मॉडल हो बड़ी -२ आँखें ,लम्बी नाक ,टमाटर
जैसे गाल ,रस से भरे होंठ,सुराहीदार गर्दन। उसकी नज़र और नीचे गई तो उसे गर्व से खड़े दो पर्वत शिखर दिखाई दिए.कोई उन्हें संतरे कहता है तो कोई कबूतर मगर अभी तो वो पर्वत शिखर जैसे खड़े थे। कुदरत की इस खूबसूरत रचना के उपर दो निप्पल थे मानो सुरापान का आमंत्रण दे रहे हों और नीचे पतली सी चिकनी बलखाती कमर थी। कमर किसी बरसाती नदी के समान बलखाती हुई थी। मदनलाल की नज़र कमर के और नीचे गई तो उसकी साँसे अटकने लगी ये बहु का वो हिस्सा था जिसने मदनलाल की नींद हराम कर रखी थी।ये थी काम्या की बड़ी -२ गोलमटोल गद्देदार गांड ,वो गाण्ड जिसने मदनलाल को अधर्म करने पर मज़बूर कर दिया था। गाण्ड क्या थी मर्दों के क़त्ल का सामान था काम्या की गाण्ड इतनी उभरी हुई थी कि
लेटने पर उसकी कमर बिस्तर से दो इंच उपर रहती थी। मदनलाल कुछ देर तक उस बेहद कामुक गाण्ड को अपलक देखता रहा। गाण्ड से आगे मोटी -२ जांघे थी जिनके जोड़ पर एक हल्का सा
चीरा था। उस गोल्डन ट्रायंगल के चारों तरफ हलके -२ ट्रिम किये हुए बालों का झुरमुट था। सुनील और काम्या आपस में बात कर रहे थे साथ ही साथ सुनील के हाथ काम्या के मम्मों से भी खिलवाड़ कर रहे थे। बीच -२ में सुनील काम्या के रसीले होंठ भी चूम लेता। अचानक सुनील ने अपना हाथ नीचे सरकाया और झांटों के उपर हाथ फेरने लगा। काम्या का चेहरा शर्म और उत्तेजना से लाल हो गया। सुनील ने अब अपना हाथ और नीचे किया और चूत के छेद में उंगली डालने की कोशिश करने लगा। काम्या ने जोर से जांघो को दबा रखा था। भारतीय नारी चाहे मन से चुदना भी चाहती हो
तो भी अपने आपको सिकोड़े रखती है। ये संस्कार उसे बचपन से मिले होते हैं। सुनील ने अपना पैर काम्या के दोनों पैरों के बीच फसाया और उसकी एक टांग दूर कर दी और झट से उंगली चूत
के अंदर कर दी। अब वो धीरे -२ उंगली अंदर बाहर करने लगा। लगभग छः महीने बाद कोई चीज आज काम्या की चूत के अंदर गई थी। काम्या तुरंत गरमा गई उसने अपनी आँखे बंद कर ली तथा
अपना सिर दायें बाएं करने लगी उसका मुंह भी खुल गया था। सुनील ने उंगली चलाते -२ काम्या की एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा। मदनलाल का मन कर रहा था कि वो दूसरी चूची अपने मुंह भर ले और दोनों बाप बेटे एक साथ बहु की सेवा करें लेकिन सोचने से तो दुनिया चलती नहीं। कुछ देर तक यूं ही finger fucking और चूची चुसाई चलती रही फिर सुनील ने
काम्या को कुछ कहा लेकिन जवाब में काम्या ने ना में सिर हिला दिया। सुनील ने दो तीन बार कहा पर काम्या बार -२ ना कर देती। मदनलाल को समझ नहीं आ रहा था की ऐसी क्या बात है जो
बहु इतने रोमांटिक समय में भी मना कर रही है। मदनलाल को लगा शायद सुनील लण्ड चूसने के लिए बोल रहा होगा क्योंकि घरेलु औरते अभी भी लण्ड चूसने को गन्दा काम मानती हैं। काम्या
के मना करने पर सुनील ने फिर उसके दोनों कबूतरों की सेवा शुरू कर दी उंगली अभी भी काम्या के छेद में ही थी। दुतरफा हमला काम्या को भी बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था.कुछ चूत सर्विसिंग के बाद एक बार फिर सुनील ने उससे कुछ कहा। इस बार काम्या ने अपनी आँखे खोली सुनील की ओर देखा और धीरे से उठ के बैठ गई। मदनलाल अगले कदम का उत्सुकता से इंतज़ार करने लगा कि आखिर सुनील क्या चाह रहा था। काम्या बिस्तर के एक दम किनारे आई और घोड़ी बन गई। "" ओह तो साहबजादे जब से घोड़ी बनने के लिए बोल रहे थे "" मदनलाल बुदबुदाया।
मदनलाल को ख़ुशी हुई कि उसका बेटा भी उसी की तरह इस आसन का शौक़ीन है। ये आसन कैंची आसन के बाद मर्दों का सबसे लोकप्रिय आसन है। जितने नाम इसके हैं उतने और किसी के नहीं
हैं। अँगरेज़ इसे डॉगी स्टाइल कहते हैं। कोई इसे घोड़ी बनाना कहता है। कामसूत्र में इसे कामधेनु आसन कहते हैं और मेरे जैसे रसिक हिर्दय इसे मोरनी बना के चोदना कहते हैं क्योंकि इस आसन में अगर स्त्री के कंधे नीचे झुका दिए जाए तो उसका पिछवाड़ा बिलकुल मोरनी जैसे दिखने लगता है। इस आसन की एक और विशेषता है कि लड़की अगर दुबली पतली भी हो मगर उसको
मोरनी बना दिया जाए तो उसकी गाण्ड चौड़ी हो जाती है। गाण्ड के दीवाने इस अंदाज़ में इसलिए भी चोदते हैं क्योंकि गाण्ड उनकी आँखों के सामने रहती है और लण्ड अंदर बाहर होता दिखता रहता है
बहु के मोरनी बनते ही मदनलाल ने आपा खो दिया और न चाहते हुए भी लुंगी से मूसल बाहर निकाल कर हाथ में थाम लिया। मोरनी बनी काम्या गज़ब की सेक्सी दिख रही थी उसका सुन्दर सलोना चेहरा आने वाले सुख की याद में बहुत ही कामुक दिख रहा था। संगमरमरी बांहे कोहनी से बिस्तर में टिकी हुई थी। दोनों दसहरी आम अपने वज़न से नीचे लटक गए थे। पतली कमर बड़ी मुश्किल से विशालकाय गाण्ड को थामे हुई थी। बहु की गाण्ड वैसे ही काफी बड़ी और उभरी हुई थी किन्तु मोरनी आसान में तो उसने कहर ढा रखा था। पीछे से देखने पर बहु की गाण्ड बिलकुल खिले हुए कमल की तरह लग रही थी जिसे देखते ही मदनलाल लण्ड को मसलने लगा।
मोरनी बनी बहु को देख कर मदनलाल ने वहीं संकल्प कर लिया कि जिस दिन भी बहु देने को तैयार हो जाएगी पहली चुदाई मोरनी बना के ही करूंगा। चोदते हुए इस गाण्ड को देखने का सुख स्वर्ग के सुख से भी कई गुना बढ़कर है सुनील काम्या की गाण्ड की तरफ आ कर खड़ा हो गया उसने एक दो बार काम्या की गदराई गाण्ड को सहलाया और फिर अपना अंडर वियर उतारने लगा। अंडर वियर उतारते ही जो चीज़ बाहर आई उसको देखते ही मदनलाल का चेहरा मुरझा गया। सुनील का खड़ा लण्ड मुश्किल से चार इंच का था और अंगूठे के बराबर पतला था। मदनलाल को विशवास नहीं हो रहा था कि उसके बेटे का लण्ड इतना छोटा होगा। बिलकुल मरे चूहे सा दिख रहा था। भला इस छोटे से हथियार से क्या जंग जीती जा सकती है। बहु की गाण्ड के आकार और सुनील के लण्ड के आकार
में दूर -२ तक कोई मेल नहीं था। ऐसी गदराई और मस्तानी बहु का भला इस भिन्डी से क्या होने वाला है उसे तो लम्बा मोटा बैगन चाहिए हमारे जैसा ,मदनलाल बुदबुदाया। वो दम साधे आगे का इंतज़ार करने लगा। सुनील ने अपना झुनझुना काम्या की चूत में सेट किया और एक झटका मारा। एक ही झटके में वो काम्या की गहराइयों में अदृश्य हो गया। लंड के अंदर जाते ही काम्या का मुंह
खुल गया और उसने जोर की सांस ली।मरियल से लण्ड के अंदर जाने से बहु को मुंह खोलते देख मदनलाल को आश्चर्य हुआ लेकिन फिर उसने सोचा घर चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो अगर दरवाज़ा
छोटा हो तो साइकिल अंदर करने में भी दिक्कत होती है ,गली अगर संकरी हो तो बाइक चलाना भी कठिन होता है। हालांकि उसे बहुत ख़ुशी भी हुई कि देर से ही सही लेकिन उसे कितना टाइट माल
मिलने वाला है। इधर सुनील ने लण्ड अंदर करने के बाद दो सेकंड रुका और फिर धक्के मारने शुरू कर दिए। एक दो तीन - - - - और दस सेकंड ही हुए थे कि सुनील ने उसेन बोल्ट को भी हराते हुए
रेस कम्पलीट कर ली और फिनिशिंग पॉइंट पर पहुँच कर हांफने लगा। मदनलाल बुरी तरह निराश हो गया उसे लगा ये तो बहु के साथ बहुत नाइंसाफी है। वो खुद बहु को पसंद कर के इस घर में लाया है इसलिए वो ही उसके साथ इन्साफ करेगा। इधर सुनील और काम्या बिस्तर में लेट गए। मदनलाल तेज़ी से बाथरूम को भागा और जब फुरसत होकर खिड़की में वापस लौटा तो सुनील
खर्राटे भर रहा था जबकि बहु ने अपना बदन चादर से ढँक लिया था।
बहकती बहू--7
मोहिनी के उदघाटन की याद करते करते मदनलाल का एक बार फिर खड़ा हो गया वो उसे मसलते हुए सोच रहा था कि बहु को कैसे तैयार किया जाय। अपने लण्ड को देखते -२ उसे एक चीज याद आई कि कोई भी औरत जब पहली बार उसका अफगानी लण्ड देखती है तो कुछ देर के लिए तो वो मोहित सी हो जाती है। अचानक उसके दिमाग में आईडिया आया कि किसी बहाने से काम्या को अपने लण्ड के दर्शन करवाएगा और कुछ इस तरह से करेगा कि लगे की धोखे से हुआ है और इसी के साथ उसने काम्या के लिए लिंग दर्शन समारोह आयोजित करने का निर्णय ले लिया।
दूसरे दिन सुबह ही वो घर से काफी दूर की दूकान से देसी वियाग्रा ले आया ,मदनलाल का विचार था की जब बहु को लण्ड दिखाए तो लण्ड अपने पूरे शवाब में हो आखिर अंग्रेज़ भी कह गए हैं कि
first impression is last impression . वो शाम तक दिमाग लगाता रहा कि किस मौके पर काम्या को लण्ड दिखाना चाहिए पर कोई सही आईडिया दिमाग में आ नहीं रहा था। शाम को एक और
व्यवधान आ गया बहु ने खबर दी कि सुनील अगले सप्ताह तीन दिन के लिए आ रहे हैं उनकी कंपनी का कुछ काम इसी शहर में था इसलिए केवल तीन दिन के लिए आ रहे हैं। रात को जब मदनलाल
काम्या के रूम में पहुंचा तो वो अंदर से बंद था उसने खटखटाया पर अंदर से चुप्पी थी। कमरे के बाहर हल्ला करना बेकार था इसलिए वो छत पर चला चला गया और वहां से काम्या को फ़ोन लगाया। घंटी की आवाज़ सुनते ही बहु समझ गई कि ससुर जी बैचेन हैं लेकिन फ़ोन तो उठाना ही था
काम्या :---- हाँ बाबूजी
मदनलाल :--- बहु दरवाज़ा क्यों बंद की हो। दरवाज़ा तो खोलो
काम्या :---- नहीं बाबूजी वो आ रहें हैं। हम नहीं खोलेंगे। शायद उसका पतिव्रत धर्म जाग गया था या पाप बोध बाहर आ गया था या स्वाभिक डर उभर आया था।
मदनलाल :--- बहु सुनील तो अगले हफ्ते आएगा अभी से काहे डर रही हो. बस थोड़ा सा कर लेने दो
काम्या :--- नहीं बाबूजी। हमारे छाती में पहले से ही आपके दांत के निशान हैं जिन्हे मिटने में ही हफ्ता लग जाएगा फिर अगर और बन जायेंगे तो हमें तो जवाब देते नहीं बनेगा
मदनलाल :-- अच्छा तो ठीक हैं मुंह में नहीं लेंगे बस। थोड़ा हाथ से खेल लेने दो ना
काम्या :--- नहीं मतलब बिलकुल नहीं। अब जब तक आपका बेटा वापस नहीं चला जाता तब तक मम्मी के मम्मे से खेलिए और काम्या ने फ़ोन काट दिया उसे डर था कि कहीं वो ज्यादा
देर बात करती रही तो कमज़ोर न पड़ जाए। बेचारा मदनलाल टापता रह गया। दूसरे दिन से काम्या मदनलाल से दूर -२ रही।
सुनील के आने वाले दिन की पहले वाली रात को मदनलाल बहुत ज्यादा व्यग्र था उसने छत में पहुँच कर बहु को फ़ोन किया
काम्या :--- हाँ बाबूजी। नींद नहीं आ रही क्या ?
मदनलाल :-- बहु प्लीज पांच मिनिट के लिए आ जाने दो बहुत मन कर रहा है
काम्या :-- बिलकुल नहीं आप पागल हो गए हैं क्या ? कल वो आ रहे हैं। आप को मौका मिला तो आप तो हमारा आज ही कबाड़ा कर देंगे
मदनलाल :-- कसम से कुछ नहीं करेंगे ,प्रॉमिस। मदनलाल घिघियाते हुए बोला
काम्या :-- कुछ करना ही नहीं है तो आना क्यूँ है ,
मदनलाल :-- बस ऐसे ही आपको देखने का मन कर रहा है।
काम्या :-- अभी आधा घंटे पहले डिनर करते समय तक तो देख ही रहे थे।
मदनलाल :-- वो कोई देखना है हमको दूसरी तरह देखना है
काम्या :-- दूसरी तरह मतलब
मदनलाल :--- जैसे उस दिन बाथरूम में देखा था। मदनलाल ने माहौल बनाते हुए बोला
काम्या :-- क्या sss . आप बहुत गंदे हो। गन्दी बात करते हो
मदनलाल :-- बहु प्लीज। बस एक बार देख लेने दो ,दिल को चैन आ जायेगा
काम्या :- कोई चैन नहीं आएगा उल्टा आप कंट्रोल खो देंगे
मदनलाल :-- नहीं नहीं। हम बिलकुल कंट्रोल में रहेंगे। कसम से
काम्या :-- रहने दीजिये हमें सब मालूम है। जब आप पहली बार बाथरूम में ही कंट्रोल नहीं पाये तो अब तो आप हमें परेशान भी करने लगे हैं। अब आप अन कंट्रोल हो जायेंगे और फिर तो हमें
भगवान भी नहीं बचा पायेगा
मदनलाल :-- कैसी बात कर रही हो बहु। हमने कभी आप से जबरदस्ती की है। जब और जहाँ आप रुकने बोली हम तुरंत रुक गए। प्लीज मान जाओ न
काम्या :-- नहीं बाबूजी। आज तो हम कोई रिस्क नहीं ले सकते। sorryyyyyy
मदनलाल :;-- अच्छा बहु एक काम करो हम खिड़की में खड़े रहेंगे वहीँ से दिखा दो। प्लीज बहु बच्चे पर रहम करो
काम्या :---- ओहो हो बच्चे वो भी आप। एक नम्बर के बिगड़े बच्चे हो।
मदनलाल :-- बिगड़े भी हैं तो क्या हुआ। हैं तो आप के ही न। प्लीज बहु प्लीज
मदनलाल की मिन्नतें करने पर काम्या कुछ पसीज गई। थोड़ा तो वो खुद भी परेशान थी इतने दिनों से कोई उसकी जवानी को देख नहीं पा रहा था अतः बोली
काम्या :-- बस दो मिनिट देखने मिलेगा ,वो भी कमरे के बाहर खिड़की से ठीक
मदनलाल :-- ठीक। मंजूर है
काम्या :-- ओके दस मिनिट बाद नीचे आ जाना।
मदनलाल दस मिनिट बाद नीचे पहुंचा और जैसे ही अंदर झाँका उसकी उपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे ही रह गई
अंदर काम्या बिलकुल नंगी बेड में थी। उसके बदन का एक -२ अंग लाइट में चमक रहा था। वो करवट लेकर लेटी हुई थी।करवट में लेटने से वैसे भी स्त्री का कमर बल खा जाती है और नितम्ब और चौड़े दिखने लगते हैं। काम्या के नितम्ब तो वैसे ही भारी भरकम थे बिलकुल गज गामिनी लगती है। मदनलाल एकटक अपलक काम्या की गाण्ड को देखने लगा। बहु की नंगी जवानी को देख मदनलाल पागल हो गया। गाण्ड के बीच की दरार भी जान लेने पर उतारू थी दोनों फांके दो खरबूजों के सामान लग रही थी एकदम चिकनी ,मख्खन के सामान मुलायम पर ठोस। उसने लुंगी
से अपने घोड़ा पछाड़ सांप निकाला और तेज़ी से मुठियाने लगा। मदनलाल के मुख से सिसकारी निकलने लगी। सिसकारी की आवाज़ सुनकर काम्या समझ गई की बाबूजी खिड़की में आ गए हैं
वो कुछ देर ऐसे ही लेटी रही और मदनलाल को अपनी जवानी का जाम दूर से ही पिलाती रही। मदनलाल भी चक्षु चोदन कर रहा था। उसका लण्ड आज फटने को उतारू था। मदनलाल ने सोचा
यहीं खिड़की में खड़े खड़े माल न निकाला तो एक आध नस फट जाएगी और वो जोर -२ से घस्से मारने लगा। काम्या कुछ देर तक ऐसे ही लेटी रही और फिर बड़ी नजाकत के साथ बैठ गई। बैठने से
उसके मतवाले चुचे भी अपनी झलक दिखलाने लगे। अब बहु को सुन्दर सेक्सी मनमोहनी सूरत भी थोड़ी -२ दिख रही थी। बहु की मांसल जांघे भी कहर ढा रही थी। काम्या की जांघे बेहद सुडोल थी गोल गोल भरी हुई लम्बी लेकिन बहुत ही संतुलित आकर में थी उसकी जांघे इतनी सुन्दर थी कि कोई भी उसे घंटो चाट सकता था। गांड और जांघों का मिलन बिंदु तो बिंदु पतन करा देने लायक था
मदनलाल काम्या की गांड देख कर पूरा बावला हो गया था बहु भी जानबूझ कर पीछे का हिस्सा दिखा रही थी क्योंकि वो अपने ससुर की कमजोरी जानती थी। जब मदनलाल का माल उबाल
मारने लगा तो उसके मुख से अजीब -२ सी आवाज़ आने लगी जिसे सुनकर काम्या समझ गई की बाबूजी का काम होने ही वाला है। उसने स्थिति को शांत करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया और
लाइट ऑफ कर दिया। इधर मदनलाल ने भी खिड़की के पास छटाक भर रबड़ी गिरा दी।
काम्या अपने bed show के कारण बहुत गरम हो गई थी और जोर -२ से उंगली करने लगी। थोड़ी देर की कोशिश से ही वो झड़ गई। लगभग आधा घंटे के बाद पेशाब लगी तो वो बाहर निकली और जैसे ही खिड़की के पास पहुंची उसे अपने पैर में कुछ चिपचिपा लगा उसने बरामदे की लाइट जलाया तो देख कर हैरत में पड़ गई नीचे ढेर सारा वीर्य गिरा था।"" हे भगवान इतना सारा माल लगता है तीन चार लोगों का है "" फिर खुद ही बुदबुदाई "" नहीं नहीं घर में तो सिर्फ एक ही मर्द हैबाबूजी तो फिर लगता है तीन चार बार किये हैं लेकिन एक दिन में तो एक बार ही कर सकते है सुनील तो रात में एक बार ही करते हैँ। इतना माल कहाँ से आ गया। "" काम्या कुछ देर सोचती रही फिर मन ही मन बोली "" लगता है जबसे हम दूर रहे इतने दिन तक शीशी में इकठ्ठा किये थे और आज गुस्से में सब यहाँ डाल गए। "" खैर कोई बात नहीं मर्दों को गुस्सा शोभा देता है। उसने फ़ौरन वहां साफ़ सफाई की और कमरे में आ गई। बिस्तर में लेट कर वो अपने और ससुर जी के संबंधों के बारे सोचने लगी। उसने तो यों ही बाबूजी को थोड़ा छूट दे दिया था ताकि बुढ़ापे में उनका मन बहल जाए लेकिन लगता है बाबूजी थोड़े से मानने वाले नहीं हैं उन्हें तो पूरा चाहिए। खिड़की में अपना माल गिराकर शायद बताना चाहते हैं कि ये माल तुम्हारे लिए है। लेकिन ये कैसे हो सकता है। भला मैं सुनील को धोखा कैसे दे सकती हूँ। मुझे बाबूजी को इतने में ही रोकना होगा। जिस दिन सुनील आया उस दिन तो काम्या बाबूजी के पास भी नहीं आ रही थी रात को चारों ने एकसाथ खाना खाया ,कुछ गपशप के बाद बेटा बहु अपने कमरे में चले गए शांति भी नींद की गोली खा कर सोने चली गई। उधर मदनलाल की आँखों से नींद उड़ चुकी थी एक तो बहु इतने दिन से छूने नहीं दे रही थी उपर से कल बहु ने अपनी जवानी के जो जलवे दिखाए थे उसने सुबह से मदनलाल पगला दिया था उसे मालूम था कि आज बहु का बाजा बजना है आखिर सुनील लगभग छह माह बाद आया था। आज सुबह से ही काम्या के चेहरे पर रहस्मयी मुस्कान थी जो शायद आने वाली खुशियों को बयां कर रही थी। मदनलाल की इच्छा हो रही थी कि खिड़की से जाकर बहु का नंगा बदन देखे लेकिन वो सुनील
को इस हालत में नहीं देखना चाहता था। काम्या को नंगी देखने में उसे कोई एतराज नहीं था उसे तो वो अपने हाथों से नंगी करना चाहता था लेकिन अपने बेटे को इस अवस्था में देखने में उसे
अच्छा नहीं लग रहा था। वो अनिर्णय की स्थिति में था। शास्त्र कहते हैं कि काम वासना बड़े बड़े ज्ञानियों भी परास्त कर देती है फिर मदनलाल तो संसारी था उपर से ठरकी। एक बार वेदव्यास
एक ग्रन्थ लिख रहे थे.वो श्लोक बोलते जाते उनके शिष्य जेमिनी ऋषि लिखते जाते। एक श्लोक व्यास जी ने ऐसा बोला जिसका अर्थ था कि कामवासना ज्ञानियों को भी हरा देती है। जिसे देख कर जेमिनी ने टोका गुरूजी यहाँ ज्ञानी की जगह अज्ञानी शब्द होना चाहिए। व्यास जी बोले जो कहा है तुम वही लिखो समय आने पर मैं तुम्हे समझा दूंगा। कुछ दिनों बाद एक दिन जेमिनी अपनी कुटिया में अकेले थे बाहर बड़ी जोर से बारिस हो रही थी तभी वहां एक अत्यंत सुन्दर रूपवती कन्या भीगते हुए पहुंची और झोपड़ी के बाहरखड़ी गयी। भीगी होने कारण वो अर्धनग्न सी दिखाई दे रही थी। जेमिनी उसकी अंग प्रत्यंग को देख कर काममोत्तेजित हो गए। गीले कपडे में उसकी चूचियाँ ,बड़ी बड़ी उभरी गाण्ड ,मांसल जांघे चिकनी पीठ दिख रही थी। जेमिनी ने सम्मोहित से होते हुए कहा
.
जेमिनी :-- देवी अंदर आ जाओ बाहर घनघोर वर्षा हो रही है. वो कन्या युवा जेमिनी को अकेला देख झिझकते हुए बोली
कन्या :-- लेकिन आप अकेले हैं। उसके डर को देख ऋषि ढांढस देते हुए बोले
जेमिनी :-- देवी मैं तीनो लोकों में प्रसिद्ध महिर्षि वेद व्यास का शिष्य जेमिनी हूँ मुझसे किंचित भी न डरो।
ऋषि की बात से निश्चिन्त हो वो सुंदरी अंदर आ गई। जेमिनी ने अपने कपडे उसे देते हुए कहा
जेमिनी :-- देवी तुम्हारे समस्त वस्त्र भीग गए हैं ऐसे में अस्वस्थ होने का खतरा है कृपया इन वस्त्रों को पहन लो। ऐसा कहकर जेमिनी दूसरी तरफ घूम गए।
सुंदरी ने जल्दी -२ कपडे लिए। जब जेमिनी पलटे तो उसे देखते ही जेमिनी के पूरे बदन में आग लग गई। पुरुष वस्त्र में वो बहुत ही कामुक रही थी ,धोती सिर्फ एक फेंटा ही लिपटी थी
जिसमे से उसके मादक नितम्ब और कदली गदराई जांघे स्पष्ट दिख रही थी। युवती का ऐसा यौवन देख जेमिनी कामांध होने लगे ,वो सोचने लगे काश ये मेरी हो जाए तो स्वर्ग का सुख यहीं मिल जाए। यदपि युवती वेश भूषा और श्रृंगार से ही अविवाहित लग रही थी फिर भी बातचीत करने के लिए ऋषि ने कहा
जेमिनी ::-- देवी तुम्हारा विवाह तो हो गया होगा।
कन्या :-- ऋषिवर ,कदाचित विवाह हमारे भाग्य में लिखा ही नहीं। दुखी मन से कन्या ने कहा। कन्या अभी कुंवारी है ये जानकार जेमिनी मन ही मन प्रषन्न होते हुए बोले
जेमिनी :- देवी तुम्हारे जैसी सर्वांग सुंदरी कन्या से विवाह के लिए तो कोई भी युवक तत्पर हो जायेगा।
कन्या : - ऋषिवर , हमारे विवाह के लिए पिताजी ने ऐसी प्रतिज्ञा कर ली है कि जिसे सुनकर कोई भी स्वाभिमानी युवक हमसे विवाह की इच्छा त्याग देता है।
जेमिनी :-- देवी ऐसी क्या प्रतिज्ञा की है आपके पिता ने ?
कन्या :-- ऋषिवर उन्होंने प्रतिज्ञा की है कि जो भी युवक अपना मुंह काला करके उन्हें पीठ पर बैठा कर पहाड़ी वाली माताजी के दर्शन करा के लाएगा उससे ही मेरा विवाह करेंगे।
प्रतिज्ञा सुन कर जेमिनी का मुंह लटक गया। दोनों चुपचुाप खड़े रहे। बाहर जोरदार बारिस हो रही थी लेकिन ऋषि का ह्रदय जल रहा था। सुंदरी उनकी ओर पीठ किये खड़ी थी
पीछे से उसकी अत्यंत मनोहारी गाण्ड और मक्खन सी चिकिनी गोल -२ जांघे देख -२ कर जेमिनी अपना आपा खोते जा रहे थे। सुंदरी ने जो अपना पता बताया था और जो मंदिर था वो दोनों
जेमिनी ने देख रखा था ,उन्होंने अनुमान लगाया कि मुश्किल से तीन घण्टे में ये यात्रा हो सकती है। अगर तीन घंटे की यात्रा के बदले ऐसी सुन्दर युवती सारा जीवन भोगने मिले तो व्यापार लाभ का था। उन्होंने अपने स्वाभिमान को किनारे रखा युवती के पास जाकर उसके मादक नितम्बों में हाथ फेरते हुए बोले
जेमिनी :-- सुंदरी मैं तुम्हारे पिता की प्रतिज्ञा पूरी करूंगा। जेमिनी की बात सुनकर कन्या चौंकते हुए बोली
कन्या :-- ऋषिवर आप ! महाज्ञानी व्यास महाराज शिष्य आप ऐसा करेंगे ?
जेमिनी :- सुंदरी मैं तुम्हारे जैसी युवा और सर्वांग सुंदरी का जीवन व्यर्थ होते नहीं देख सकता। जेमिनी बात बनाते हुए बोला
नियत समय पर यात्रा आरम्भ हुई। जेमिनी ने काला मुह कर कन्या के पिता को पीठ पर बैठाया मंदिर जा पहुंचा। कन्या के पिता ने उसे बाहर ही खड़ा किया और पुत्री साथ मंदिर में चला गया। जेमिनी बाहर प्रतीक्षा करने लगे। तभी पीछे से आवाज़ आई "" अब बताओ मेरा श्लोक सही था या नहीं जो प्रतिज्ञा कोई साधारण मानव भी पूरी नहीं कर रहा था उसे काम के वशीभूत हो तुमने कर दिया "" जेमिनी ने पलटकर देखा तो गुरूजी खड़े थे वो उनके चरणो में गिर पड़ा। व्यास जी ने कहा उनको छोडो अब चलो यहाँ से।
इधर मदनलाल खिड़की के पास खड़ा हो अपने मन से लड़ रहा था लेकिन अंत में मन जीत गया इसी लिए तो कहा गया है "" मन मतंग माने नहीं ""
मदनलाल आगे बड़ा और खिड़की से आँख लगा दी। अंदर का दृश्य देखकर मदनलाल का कोबरा फुफकार मारने लगा
अंदर सुनील और काम्या दोनों बिस्तर पर लेटे हुए थे। काम्या खिड़की की तरफ थी जबकि सुनीलदूसरी तरफ था। सुनील के शरीर में केवल अंडरवियर थी जबकि काम्या पूरी मादरजात नंगी थी। काम्या के चेहरे पर शर्म का भाव था। ये भारतीय नारी का स्वाभाविक गुण है कि चाहे विवाह हुए बीसों साल हो गए हों पर जब भी पति के सामने नंगी होती है तो वो शर्म महसूस करती है। दोनों आपस में कुछ बात कर रहे थे पर मदनलाल को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। मदनलाल बहु के सौंदर्य में खो गया। कितना खूबसूरत मुखड़ा था काम्या का जैसे कोई मॉडल हो बड़ी -२ आँखें ,लम्बी नाक ,टमाटर
जैसे गाल ,रस से भरे होंठ,सुराहीदार गर्दन। उसकी नज़र और नीचे गई तो उसे गर्व से खड़े दो पर्वत शिखर दिखाई दिए.कोई उन्हें संतरे कहता है तो कोई कबूतर मगर अभी तो वो पर्वत शिखर जैसे खड़े थे। कुदरत की इस खूबसूरत रचना के उपर दो निप्पल थे मानो सुरापान का आमंत्रण दे रहे हों और नीचे पतली सी चिकनी बलखाती कमर थी। कमर किसी बरसाती नदी के समान बलखाती हुई थी। मदनलाल की नज़र कमर के और नीचे गई तो उसकी साँसे अटकने लगी ये बहु का वो हिस्सा था जिसने मदनलाल की नींद हराम कर रखी थी।ये थी काम्या की बड़ी -२ गोलमटोल गद्देदार गांड ,वो गाण्ड जिसने मदनलाल को अधर्म करने पर मज़बूर कर दिया था। गाण्ड क्या थी मर्दों के क़त्ल का सामान था काम्या की गाण्ड इतनी उभरी हुई थी कि
लेटने पर उसकी कमर बिस्तर से दो इंच उपर रहती थी। मदनलाल कुछ देर तक उस बेहद कामुक गाण्ड को अपलक देखता रहा। गाण्ड से आगे मोटी -२ जांघे थी जिनके जोड़ पर एक हल्का सा
चीरा था। उस गोल्डन ट्रायंगल के चारों तरफ हलके -२ ट्रिम किये हुए बालों का झुरमुट था। सुनील और काम्या आपस में बात कर रहे थे साथ ही साथ सुनील के हाथ काम्या के मम्मों से भी खिलवाड़ कर रहे थे। बीच -२ में सुनील काम्या के रसीले होंठ भी चूम लेता। अचानक सुनील ने अपना हाथ नीचे सरकाया और झांटों के उपर हाथ फेरने लगा। काम्या का चेहरा शर्म और उत्तेजना से लाल हो गया। सुनील ने अब अपना हाथ और नीचे किया और चूत के छेद में उंगली डालने की कोशिश करने लगा। काम्या ने जोर से जांघो को दबा रखा था। भारतीय नारी चाहे मन से चुदना भी चाहती हो
तो भी अपने आपको सिकोड़े रखती है। ये संस्कार उसे बचपन से मिले होते हैं। सुनील ने अपना पैर काम्या के दोनों पैरों के बीच फसाया और उसकी एक टांग दूर कर दी और झट से उंगली चूत
के अंदर कर दी। अब वो धीरे -२ उंगली अंदर बाहर करने लगा। लगभग छः महीने बाद कोई चीज आज काम्या की चूत के अंदर गई थी। काम्या तुरंत गरमा गई उसने अपनी आँखे बंद कर ली तथा
अपना सिर दायें बाएं करने लगी उसका मुंह भी खुल गया था। सुनील ने उंगली चलाते -२ काम्या की एक चूची को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा। मदनलाल का मन कर रहा था कि वो दूसरी चूची अपने मुंह भर ले और दोनों बाप बेटे एक साथ बहु की सेवा करें लेकिन सोचने से तो दुनिया चलती नहीं। कुछ देर तक यूं ही finger fucking और चूची चुसाई चलती रही फिर सुनील ने
काम्या को कुछ कहा लेकिन जवाब में काम्या ने ना में सिर हिला दिया। सुनील ने दो तीन बार कहा पर काम्या बार -२ ना कर देती। मदनलाल को समझ नहीं आ रहा था की ऐसी क्या बात है जो
बहु इतने रोमांटिक समय में भी मना कर रही है। मदनलाल को लगा शायद सुनील लण्ड चूसने के लिए बोल रहा होगा क्योंकि घरेलु औरते अभी भी लण्ड चूसने को गन्दा काम मानती हैं। काम्या
के मना करने पर सुनील ने फिर उसके दोनों कबूतरों की सेवा शुरू कर दी उंगली अभी भी काम्या के छेद में ही थी। दुतरफा हमला काम्या को भी बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था.कुछ चूत सर्विसिंग के बाद एक बार फिर सुनील ने उससे कुछ कहा। इस बार काम्या ने अपनी आँखे खोली सुनील की ओर देखा और धीरे से उठ के बैठ गई। मदनलाल अगले कदम का उत्सुकता से इंतज़ार करने लगा कि आखिर सुनील क्या चाह रहा था। काम्या बिस्तर के एक दम किनारे आई और घोड़ी बन गई। "" ओह तो साहबजादे जब से घोड़ी बनने के लिए बोल रहे थे "" मदनलाल बुदबुदाया।
मदनलाल को ख़ुशी हुई कि उसका बेटा भी उसी की तरह इस आसन का शौक़ीन है। ये आसन कैंची आसन के बाद मर्दों का सबसे लोकप्रिय आसन है। जितने नाम इसके हैं उतने और किसी के नहीं
हैं। अँगरेज़ इसे डॉगी स्टाइल कहते हैं। कोई इसे घोड़ी बनाना कहता है। कामसूत्र में इसे कामधेनु आसन कहते हैं और मेरे जैसे रसिक हिर्दय इसे मोरनी बना के चोदना कहते हैं क्योंकि इस आसन में अगर स्त्री के कंधे नीचे झुका दिए जाए तो उसका पिछवाड़ा बिलकुल मोरनी जैसे दिखने लगता है। इस आसन की एक और विशेषता है कि लड़की अगर दुबली पतली भी हो मगर उसको
मोरनी बना दिया जाए तो उसकी गाण्ड चौड़ी हो जाती है। गाण्ड के दीवाने इस अंदाज़ में इसलिए भी चोदते हैं क्योंकि गाण्ड उनकी आँखों के सामने रहती है और लण्ड अंदर बाहर होता दिखता रहता है
बहु के मोरनी बनते ही मदनलाल ने आपा खो दिया और न चाहते हुए भी लुंगी से मूसल बाहर निकाल कर हाथ में थाम लिया। मोरनी बनी काम्या गज़ब की सेक्सी दिख रही थी उसका सुन्दर सलोना चेहरा आने वाले सुख की याद में बहुत ही कामुक दिख रहा था। संगमरमरी बांहे कोहनी से बिस्तर में टिकी हुई थी। दोनों दसहरी आम अपने वज़न से नीचे लटक गए थे। पतली कमर बड़ी मुश्किल से विशालकाय गाण्ड को थामे हुई थी। बहु की गाण्ड वैसे ही काफी बड़ी और उभरी हुई थी किन्तु मोरनी आसान में तो उसने कहर ढा रखा था। पीछे से देखने पर बहु की गाण्ड बिलकुल खिले हुए कमल की तरह लग रही थी जिसे देखते ही मदनलाल लण्ड को मसलने लगा।
मोरनी बनी बहु को देख कर मदनलाल ने वहीं संकल्प कर लिया कि जिस दिन भी बहु देने को तैयार हो जाएगी पहली चुदाई मोरनी बना के ही करूंगा। चोदते हुए इस गाण्ड को देखने का सुख स्वर्ग के सुख से भी कई गुना बढ़कर है सुनील काम्या की गाण्ड की तरफ आ कर खड़ा हो गया उसने एक दो बार काम्या की गदराई गाण्ड को सहलाया और फिर अपना अंडर वियर उतारने लगा। अंडर वियर उतारते ही जो चीज़ बाहर आई उसको देखते ही मदनलाल का चेहरा मुरझा गया। सुनील का खड़ा लण्ड मुश्किल से चार इंच का था और अंगूठे के बराबर पतला था। मदनलाल को विशवास नहीं हो रहा था कि उसके बेटे का लण्ड इतना छोटा होगा। बिलकुल मरे चूहे सा दिख रहा था। भला इस छोटे से हथियार से क्या जंग जीती जा सकती है। बहु की गाण्ड के आकार और सुनील के लण्ड के आकार
में दूर -२ तक कोई मेल नहीं था। ऐसी गदराई और मस्तानी बहु का भला इस भिन्डी से क्या होने वाला है उसे तो लम्बा मोटा बैगन चाहिए हमारे जैसा ,मदनलाल बुदबुदाया। वो दम साधे आगे का इंतज़ार करने लगा। सुनील ने अपना झुनझुना काम्या की चूत में सेट किया और एक झटका मारा। एक ही झटके में वो काम्या की गहराइयों में अदृश्य हो गया। लंड के अंदर जाते ही काम्या का मुंह
खुल गया और उसने जोर की सांस ली।मरियल से लण्ड के अंदर जाने से बहु को मुंह खोलते देख मदनलाल को आश्चर्य हुआ लेकिन फिर उसने सोचा घर चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो अगर दरवाज़ा
छोटा हो तो साइकिल अंदर करने में भी दिक्कत होती है ,गली अगर संकरी हो तो बाइक चलाना भी कठिन होता है। हालांकि उसे बहुत ख़ुशी भी हुई कि देर से ही सही लेकिन उसे कितना टाइट माल
मिलने वाला है। इधर सुनील ने लण्ड अंदर करने के बाद दो सेकंड रुका और फिर धक्के मारने शुरू कर दिए। एक दो तीन - - - - और दस सेकंड ही हुए थे कि सुनील ने उसेन बोल्ट को भी हराते हुए
रेस कम्पलीट कर ली और फिनिशिंग पॉइंट पर पहुँच कर हांफने लगा। मदनलाल बुरी तरह निराश हो गया उसे लगा ये तो बहु के साथ बहुत नाइंसाफी है। वो खुद बहु को पसंद कर के इस घर में लाया है इसलिए वो ही उसके साथ इन्साफ करेगा। इधर सुनील और काम्या बिस्तर में लेट गए। मदनलाल तेज़ी से बाथरूम को भागा और जब फुरसत होकर खिड़की में वापस लौटा तो सुनील
खर्राटे भर रहा था जबकि बहु ने अपना बदन चादर से ढँक लिया था।
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