Tuesday, July 14, 2015

FUN-MAZA-MASTI प्यासी भाभी

FUN-MAZA-MASTI




प्यासी भाभी
विद्या एक 28 साल सुन्दर मनमोहक, गोरी, हाइट 5’6 के लगभग, पतली सी पर उसके वक्ष मस्त सुडौल 32 साइज़ के हैं।
कमर तो पूछो मत इतनी नाजुक कि कोई देखे तो पागल हो जाए, चूतड़ वो मोटे मोटे
उसका पति एक कम्पनी का मालिक है।
मैं हमेशा एक नेटवर्किंग साईट पे भोपाल बॉय के नाम से कमेन्ट करता था और आगे मैं मेरा मोबाइल नंबर डालता था। शुरुआत में मुझे बहुत दूर से मिस कॉल या मैसेज आते थे भाभी और लड़कियों के।
एक दिन मुझे रात को 9:30 को एक कॉल आई, मैं समझ गया कि यह किसी लड़की या भाभी का होगा, मैंने रिसीव किया, उधर से एक महिला की आवाज आई, उसने पूछा- क्या मैं भोपाल बॉय से बात कर सकती हूँ?
मैंने कहा- मैं क्या मदद कर सकता हूँ आपकी?
वो- जी मैंने आपका नंबर नेट से लिया है, क्या मेरे साथ आप फ्रेंडशिप करोगे?
मैं- जी बिल्कुलजरूर करूँगाआपका नाम और सिटी?
वो- जी मेरा नाम विद्या है और मैं भोपाल की ही रहने वाली हूँ।
मैं- वाहमैं भी भोपाल का हूँ।
मैं बहुत खुश था क्यूँकि यह पहली महिला थी भोपाल से
मैं बोला- कहिये आपकी किस तरह सेवा करूँ?
विद्या और मैं उस रात बहुत देर तक बातें करते रहे।
उसने बताया कि उसका पति हमेशा काम की वजह से बाहर रहता है और आजकल वो अकेलापन महसूस करती है।
फिर हमारी रोज बातें होने लगी और कुछ दिनों में हम सेक्स की बाते करने लगे।
एक दिन उसने कहा- क्या तुम मुझे सेक्स का सुख दोगे?
मैंने हाँ कहा।
फिर उसने मुझे अपने घर का पता दिया जो मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं था, मस्त भोपाल का पोश एरिया था।
मैं अगले ही दिन उसके घर पहुँचा, बेल बजाई।
जैसे ही दरवाजा खुला, मैं उसे देखत़ा रह गया।
क्या सुन्दर थी वो
उसने मुझे अन्दर बुलाया।
उसका घर अन्दर से बहुत खूबसूरत और कीमती बनावट का था।
और विद्या को तो मैं देखता ही रहा।
उसका गोरा रंग, पतली कमर, मस्त टाईट बूब्स।
हे भगवानमैं तो पागल हो गया।
फिर उसने मुझे जूस पिलाया, बातों बातों में घर दिखाया और आखिर में हम बेडरूम में आ गये।
वो मेरे पास आई, मैंने देर ना करते हुए उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया, उसके होटों को चूमने लगा, वो भी मेरा सहयोग दे रही थी।
पन्द्रह मिनट की चूमाचाटी के बाद मैंने उसके बूब्स दबाने शुरु किये।
क्या कड़क थे उसके बूब्स, मस्त गोल
हम दोनों का पूरा शरीर एक दूसरे पे घिस रहा था।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और अपने कपड़े निकाल दिए,उसने भी अपनी साड़ी ब्लाउज़ पेटीकोट निकाल दिया और अब वो सिर्फ लाल ब्रा और सफ़ेद पेंटी में थी।
उसकी चमकदार जांघें, मस्त सपाट पेट, पेंटी जैसे सिर्फ उसकी चूत को ढके हुये थी।
उसका चहेरा लाल हो चुका था।
मैंने झट से उसकी पेंटी उतार फेंकी और मस्त छोटी दो इंच की चूत के साथ हाथ से खेलने लगा और फ़िर चाटने लगा।
उसकी चूत चाटने में मस्त खारी लग रही थी।
बीस मिनट मैं विद्या की चूत चाटता रहा, वो अपने बूब्स खुद ही दबाती रही, फिर वो झड़ गई।
मैं उसका सारा पानी साफ कर गया।
मैंने मेरा लंड इतना बड़ा कभी नहीं देखा था, फ़ूल के 7 इंच का हो गया था। विद्या ने उसे कुछ देर मसला, चूमा, हिलाया और झट से मुख में लेकर चूसने लगी।
वो चूसने में इतनी माहिर तो नहीं लग रही थी पर पूरी तरह खो चुकी थी लंड चूसने में
मैं भी इतना एक्साईट हो चुका था कि कब उसके मुँह में पानी निकाल दिया, पता नहीं चला और वो पूरा पानी पी गई, पूरा लंड साफ कर दिया।
कुछ देर बाद मेरा फिर लंड टाईट हो गया था, उसने अपने पैर फ़ैला करके मेरा लंड अपनी छोटी चूत पे रखा।
मैंने धीरे धीरे अपना आधा लंड अन्दर घुसाया।
थोड़ा अन्दर जाने के बाद अब नहीं जा रहा था आगे। मैंने फिर लंड थोड़ा पीछे खींचा और आगे झटका दिया। वो चीख उठी और उसकी आँखों से आँसू आने लगे।
मैं थोड़ा रुका और धीरे धीरे झटके लगाने लगा, उसकी चूत मस्त टाइट थी, मैं उसे 20 मिनट तक चोदता रहा और बाद में पानी उसकी चूत में निकाल दिया, उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव नजर आ रहे थे।
फिर एक घंटा हम चिपक कर सो गये।
बाद में उसने मुझे उठाया और एक ग्लास दूध दिया पीने को।
दूध पीने के बाद मैंने कपड़े पहने और उसके लबों पर चुम्बन किया और आने लगा।
उसने जाते जाते मुझे पांच हजार रुपये दिए जो मैंने वापस कर दिए।
और फिर हम दोनों जब भी वक्त मिलता, मस्त चुदाई करते।





 

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