Tuesday, July 7, 2015

FUN-MAZA-MASTI शुभारम्भ-38

FUN-MAZA-MASTI

शुभारम्भ-38



मेरी निगाहें उनके लोशन लगी टाँगों पर इस कदर चिपकी थी जैसे गुड पर मखकी.

कोमल भाभी ने दूसरा पैर उठाया, उनके बदन के आड़ से मुझे यह पैर पूरा नही पूरा नही दिख रहा था मगर अब मेरे मन की आखें खुल चुकी थी…..

धीरे धीरे उनके हाथ चल रहे थे और धीरे धीरे बाबूराव अपने सर उठा रहा था

कोमल भाभी ने बड़े इतमीनान से अपने दोनो हाथों पर लोशन लगाया और थोड़ा लोशन हथेलियो पर लगाया और

अपने दोनो हाथ पीछे किए और अपनी मस्त गदराई गांड पर लोशन लगाने लगी….मुझे गाउन मे से सिर्फ़ एक झलक दिखी उनके नितंबो की……भेन चोद मैं तो बौरा गया.

गाउन का परदा सिर्फ़ एक पल के लिए हटा था और मुझे उनके गदराई गांड और जांघों का पिछला हिस्सा ही दिखा मगर……

अगर मगर गया भाड़ मे….बाई गोड मज़ा आ गया.

कोमल भाभी बड़े ही प्यार से धीरे धीरे अपने दोनो गोलों पर लोशन लगा रही थी…..

उनके हिलते हाथ ही दिख रहे थे गाउन मे से मगर मेरे फायर एंजिन की घंटी फुल टन टना रही थी.

कोमल भाभी की पीठ मेरी तरफ थी इस लिए मे सामने का कुछ नही देख पा रहा था….

भाभी ने ड्रेसिंग टेबल पर रही दूसरी क्रीम उठाई और शीशे के सामने खड़ी हो गयी.

अब दिखा…..गाउन तो आगे से खुला था मगर मम्मे छुपे थे….

मगर उनकी गोल गोल गहरी नाभि फुल फोकस मे दिख रही थी..

कितना सितम करोगे से इतने से बाबूराव पर.

भाभी ने थोड़ी क्रीम ली दोनो हथेलियो पर रगड़ी और…..


और धीरे से खुले गाउन मे हाथ डाल कर अपने मम्मो पर लगाने लगी…..

भईय्ये…..कोमल भाभी जैसा आइटम……सिर्फ़ एक गाउन मे …….वो भी जो आगे से खुला हो….अभी अभी नहाई हुई……अपने ही हाथों से…….अपने ही मम्मो को…..अगर रगड़ रही हो……वो भी आपके सामने……..तो क्या करोगे……

मेरा तो गला ही सुख गया था……इतनी देर से रोशनदान के बाहर बैठा था…..मादरचोद मच्छरो ने पूरे साल का खून दस मिनिट मे ही पी लिया था मगर मुझे लॅंड परवाह नही थी…

मैं तो देख रहा था….कोमल भाभी अपने स्तनो की मालिश कर रही थी…..

तभी शायद उनसे अपने निप्पलों पर रगड़ लग गयी और वो एक दम चिहुंकी, एक आह निकली उनके मुँह से…….एक आँख बंद करके…….अबे यार………..मान….जा…….प्लीज़

मेरे कानों मे मुझे मेरी ही धड़कन सुनाई दे रही थी…..भक …..भक….

इत्ती ठरक तो कोमल भाभी को आध नंगा देख कर ही…..आ गयी

अभी तो भय्या जी आने वाले थे..

आज तो जाने क्या क्या फटेगा……
 
किसी भी चीज़ की हद होती है यार…..

साला 10 वॉट के लट्टू पर 100 वॉट का लोड डालोगे तो कैसे झेलेगा.

मेरी तो साँसें ….रही थी और जा…..रही थी जैसे की मैं दमे का मरीज़ हूँ.

भाभी ने तो मम्मो पर क्रीम लगा ली थी मगर मेरी क्रीम उबाल मार रही थी.

दूध को बहुत गरम किया जाए तो उफन जाता है और उसे गरम करते ही जाए और उफनने ना दे तो क्या होता है……

रबड़ी बन जाती है.

मेरी तो आज रबड़ी बन गयी थी, मेरे अंदर अरमान ऐसी उफान रहे थे की बस….

साली चुतियाई यह भी थी की काँच मे से थोड़ा बहुत तो दिख भी रहा था मगर आब--ज़मज़म नही दिख रहा था

कोमल भाभी का रनवे सॉफ था ....कि .....हरा भरा समझ नही रहा था….

एक तो यूँ भी रोशनदान पर कुछ पुराने अख़बार लगे थे…..ताकि मेरे जैसे हीरसु ताक झाँक ना कर सके मगर अखबार भी बेचारा कब तक मौसम झेलता…..जगह जगह से फटा था….इस लिए नज़ारे देखे जा रहे थे.

मगर कोमल भाभी की मुनिया का दीदार नही हो पा रहा था……भाभी पलटी और बेडरूम से बाहर निकल गयी….मैं तुरंत दूसरे रोशनदान की और भगा

यहाँ थोड़ा मामला ठीक था, रोशनदान पर अख़बार तो यहा भी लगा था मगर झिर्रिया बड़ी थी….मज़ेदार 20 मेगा पिक्सेल की क्लॅरिटी रही थी.

कोमल भाभी का घर कुछ ऐसा बना था की….एक पोर्च था जिसकी छत पर मैं कूदा था….उसके नीचे एक गॅरेज और कार खड़ी करने की जगह थी…..और घर का मेन गेट ड्रॉयिंग रूम मे खुलता था….फिर उस से जुड़ा हुआ डाइनिंग रूम और एक खुला किचन ….

अपुन का स्पॉट इतना शानदार था की लग भग पूरा घर का एक एक कोना दिख रहा था….

बॉस आज तो लाइव शो देखूँगा….मगर एक चोद थी.

मैं जिस जगह बैठा था वो सेफ नही थी….सामने वाले घरों से कोई भी मुझे देख सकता था….

मगर मैं तो परवाह नाम के गाँव से बहुत आगे निकल आया था ......बाबुराव माने ना….

मैने रोशनदान से झाँका……कोमल भाभी ने गाउन आगे से बाँध लिया था और सोफे पर से कागज और दूसरी चीज़े उठा रही थी…..वो सोफे के पीछे खड़ी थी और झुक कर चीज़े उठा रही थी

कोमल भाभी ने सिर्फ़ वो गाउन पहना हुआ था…..हालाँकि गाउन आगे से बँधा था मगर टाइट बँधा होने से गाउन उनके बदन से चिपक गया था…

गाउन सॅटिन के कपड़े का था शायद……हल्का भूरा….गुलाबी…..हाँ पीच कलर का…

अब कोमल भाभी ने गाउन के अंदर तो कुछ पहना था नही….उस नरम सॅटिन कपड़े को उनके एक एक अंग अंग से और एक एक उभार से चिपकना ही था….सो चिपक गया.

पता नही कोमल भाभी को बिना गाउन मे देख के मेरी ढेबरी ज़्यादा टाइट होती या ऐसी हालत मे देख कर…

वो चीज़े उठा रही थी और सोफे के साइड मे बनी टेबल पर रख रही थी और उनके हिलने से हिल रहे थे उनके मम्मे ……

कोमल भाभी मोटी तो नही थी….बस भरी पूरी थी…..शादी को ज़्यादा समय नही हुआ था शायद 2-3 साल….बदन भर गया था उनका.

दोनो मम्मे गाउन के अंदर सावन के झूले झूल रहे थे…..रोशनदान 8-9 फुट उँचा था और भाभी मुझसे 8-9 फुट की दूरी पर थी थी…..मेरे देखते ही देखते उनके निप्पल गाउन मे उभर आए…..गाउन का चिकना कपड़ा उनके हिलते मम्मो और निप्पल को रग़ड रहा था और रग़ड का उत्तर निप्पलों से अपने सर उठा कर दिया था…

कसम गंगा मैय्या की……मुँह सुख गया था ठरक के मारे……

भाभी के चेहरे पर एक बाल की लट गिर आई….मेरा ध्यान उस पर गया….भाभी ने झुके झुके ही अपने हाथ के पिछले हिस्से से उसे उपर किया ….मगर लट भी मेरी जैसी थी…..ज़िद्दी….फिर से लटक गयी….अब भाभी ने थोड़ी चिड से साथ उसे उठाकर अपने कान के पीछे बिठा दिया.

भाभी के मम्मे ऐसे हिल रहे थे की मुझे दया आ गयी….आओ बेचारो….तुम्हे सहारा दें दे…..भाभी सीधी हुई तो गाउन उनके बदन पर कस गया……

हाय…..कितना सितम झेलेगा यह कमज़ोर दिल….

बाबूराव तो सितम झेलने को तैय्यर था….मगर भाभी सेवा का मौका दे तब ना.

भाभी सोफे के पीछे से घूम कर आई और सोफे के कुशन ठीक करने लगी….अब मेरे सामने कोमल भाभी की कोमल गदराई गांड थी…..

भाभी की हिलने डुलने से उनकी गांड भी हिल रही थी…..ऐसे लग रहा था मानो कोई सेक्सी गाना बज रहा हो….और कोमल भाभी अपने आशिक़ को उकसाने के लिए अपनी गदराई गांड को थिरका रही थी…...

मेरी आँखें भाभी के बदन पर ऐसे दौड़ रही थी की बस…मैं एक नज़ारे को पूरा पी लेना चाहता थी…..पेंट के अंदर बाबूराव ने तो गदर मचा रखा था…बार बार सेट करना पढ़ रहा था…

भाभी सीधी खड़ी हुई और अपने दोनो हाथों से चेहरे पर आए बाल पीछे कर दिए….

भाभी की एक एक हरकत मुझे अदा लग रही थी.

तभी डोर बेल बजी……. भैय्या आ गये थे.

मैं तुरंत दूसरे रोशनदान की और भागा….शो छूटना नही चाहिए बॉस.

यहाँ थोड़ा पंगा था…..नया अख़बार लगा था पुराने के उपर…..दरवाजा तो नही दिख रहा मगर उसके आस पास की जगह दिख रही थी. कोमल भाभी मुझे दरवाजे की और जाती दिखी….

भाभी ने पहले दरवाजे के छेद मे से बाहर झाँका….ज़रूरी था बॉस अगर बगैर देखे खोल दे और सामने भाभी के पतिदेव की जगह पर सुबह का अख़बार माँगते हुए शर्मा अंकल हुए तो..?

भाभी के ऐसे जलवे देख कर बेचारे बुढ्ढे को तो अटेक ही आ जाए..

भाभी ने शायद दरवाजा खोल दिया, कुछ आवाज़ भी आई पर समझ नही नही आई….तभी मुझे भाभी फिर से दिखी…दो हाथ उनको बाहों मे जकड़े थे..

भैय्या तो फुल मूड मे दिख रहे है….

मादरचोद अख़बार की वजह से कुछ दिख ही नही रहा था……की क्या चल रहा है…..भाभी उन बाहों मे कसमसा रही थी……मैं तो भेन्चोद एक दम सतर्क हो गया…..भेन्चोद भैय्या जी तो भाभी की दहलीज़ पर ही ठोक देंगे लगता है.

भैय्या का एक हाथ हटा और शायद कोमल भाभी के कोमल कोमल जोबनों को मिसने लगा…

अरे लंड…..यह रोशनदान की तो मैं……साला पिक्चर पूरी नही दिख रही थी…

भैय्या जी एक दूसरा हाथ कोमल भाभी की गदराई गांड का नाप लेने लगा….मेरी तो हालत ही खराब….

बाबूराव एक कदर कड़क हो गया था की अब तो साला बैठने मे दिक्कत होने लगा….

मैने सोचा की शो तो स्टार्ट हो ही गया है….बाबूराव को भी बाहर निकल कर सीन दिखा दूं…. थोड़ा सर पर हाथ फेर दूं…..शांत हो जाएगा…

तभी कोमल भाभी भैय्या से छिटक कर दूर हो गयी और पीछे हटी….भैय्या जी ने हाथ बदाए तो उन्होने अंदर की और इशारा किया और किचन की और बढ़ चली….

भैय्या जी आगे बढ़े इसके पहले मैं डाइनिंग रूम से रोशनदान पर पहुँच गया…

मैने तुरंत अपने स्थान संभाला और आखें रोशनदान से भिड़ा दी…

भैय्या जी सोफे पर बैठे थे….

मगर एक मिनट ….

ओ मादर चोद ……यह भेन का लंड….बेटीचोद कौन हैं…?
 



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