Friday, July 24, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--3

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--3

 उस दिन के बाद से काम्या मामाजी से दूर रहने लगी। जब भी मामाजी आते तो वो कोई न कोई बहाना बना के अपनी सहेली के वहां चली जाती। इधर मामाजी की दीवानगी कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी।
उनको 24 घंटे काम्या ही नजर आती। उन्होंने काम्या को पाने के लिए नए नए तिकड़म आजमाने चालू कर दिए। काम्या की कॉलेज की पढ़ाई चालू होते ही उन्होंने काम्या के लिए अपने गाँव के लड़कों के रिश्ते
भेजने चालु कर दिए। काम्या मामा का छिपा हुआ मक़सद जानती थी। उसे मालूम था की अगर वो मामा के गाँव में शादी करेगी तो मामा से अपनी उफनती जवानी को नहीं बचा पायेगी। मामा का गाँव में अच्छा
खाशा दबदबा था। वो पैसे का लेनदेन भी करते थे तथा लोकल राजनीती से भी जुड़े थे। चूंकि मामा जी काम्या के सगे रिश्तेदार इसलिए वे काम्या के ससुराल भी बेरोकटोक आ सकते थे। काम्या जानती थी कि
जिस दिन भी वो अपने ससुराल में मामा के हाथ अकेली लग गई उस दिन मामा अपनी मनमानी कर के ही छोड़ेंगे और उसके बाद पता नहीं कितनी बार उसे मामा के नीचे बिछना पड़े.सो काम्या हर बार मामा
के भेजे रिश्ते को मना देती। सुनील से शादी तय होने तक मामा लगभग 10 रिश्ते भेज चुके थे। आखिर में मामा पूरी तरह हताश हो गए।
. काम्या की शादी से करीब पन्द्रह दिन पहले मामा काम्या के घर आये। काम्या भी मौका निकालकर अपनी सहेली के के घर गई। लगभग ३ घंटे बाद शाम के वक्त काम्या के मोबाइल की घंटी बजी। काम्या ने मामा
का नंबर देखा तो सहेली से दूरजाने लगी सहेली ने कारन पूछा तोआँख मार दी। बेचारी सहेली ने सोचा की शायद सुनील का फ़ोन है। दूर जाकर काम्या ने फ़ोन रिसीव किया
काम्या ;- हेलो
मामा ;- हाँ ,कम्मो हम बोल रहे हैं
काम्या ;- हाँ मामाजी बोलिए।
मामा ;- अरे कहाँ हो। हम कब से इंतज़ार कर रहे हैं। घर नहीं आओगी क्या।
काम्या ;- हमारा इंतज़ार काहे कर रहे हो
मामा ;- अरे पगली इतनी दूर से हम तुम्हे ही देखने तो आये हैं
काम्या ;- हमें देखने क्यों
मामा ;- तुम जानती तो हो। तुम्हे देखने के लिए ही हम यहाँ आते हैं
काम्या ;- मामा तुम पागल तो नहीं हो गए हो। हमारी शादी होने वाली है और तुम्हे मजनू गिरी सूझ रही है
मामा ;- कम्मो अब तुम्हारी शादी होने वाली है जाने तुम्हे कब देख पाएंगे इसलिए pls एक बार तसल्ली से देखना चाहते हैं
काम्या ;- क्या करोगे दखकर
मामा ;- वो सब छोड़ो। हमें जाना भी है। प्लीज जल्दी आ जाओ।
काम्या ;- ठीक है आ रही हूँ लेकिन कोई नौटंकी नहीं करना नहीं तो देखने के लिए भी तरश जाओगे
काम्या घर पहुंची तो मामा माँ के साथ बैठे थे। वो भी वहीँ बैठ गई। मामा दीवानो की तरह बैठे थे। कुछ देर बाद माँ बोली तुम्हारे जाने का समय हो रहा है मैं खाना बना देती हूँ और वो उठकर किचन में चली गई। काम्या भी जल्दी से उठी और अपने कमरे में चली गई.कुछ ही देर में मामा का फ़ोन फिर आ गया.

काम्या ;- अब क्या है
मामा ;- आओ न कुछ देर हमारे सामने बैठो
काम्या ;- इतनी देर बैठे तो थे
मामा ;- अरे उस समय तो मम्मी थी अच्छे से देख भी नहीं पाये। प्लीज आ जाओ एक बार जी भर के देख लेने दो
काम्या को मामा के पागलपन पर बड़ी हंसी आ रही थी एक तो मामा की दीवानगी दूसरा आजकल शादी तय होने के बाद से काम्या कुछ रोमांटिक रहने लगी थी। काम्या ने सोचा क्यों न मामा को जाते जाते कुछ treat दे दी जाये। वो मामा को पगला देने के मूड में आ गई। माँ किचन में थी सो घंटे भर तक टाइम था।

मामा -; क्या है कुछ बोल क्यों नहीं रही।
काम्या ;- ठीक है मामाजी हम आ रहे हैं लेकिन आप कुर्सी से बिलकुल भी उठेंगे नहीं वर्ना show cancel
काम्या ने अपने कपडे उतारे और केवल bra panty में आईने के सामने खड़ी हो गई। आईने में अपने रूप और जवानी को देख वो खुद पर ही मोहित हो गई और अपने ही आप से बुदबुदाई '' मामाजी

की भी क्या गलती है कौन होगा जो इस जवानी पे न मर मिटे। '' फिर उसने ब्रा भी उतार दिया और एक टीशर्ट पहन ली। नीचे पहनने के लिए उसने और भी हंगामाखेज कपड़ा चुना। स्कूल के दिनों में उसने एक बार रेसिंग में हिस्सा लिया था उस समय उसने एक स्पोर्ट्स निक्कर ख़रीदा था जो बिलकुल स्किन फिट था। उसने वही निक्कर पहन लिया। पिछले तीन सालों में काम्या और भी गदरा गई थी इसलिए निक्कर
उसकी जाँघों में बुरी तरह चिपक गया था। बहुत ज्यादा फैलने के कारण निक्कर लगभग ट्रांसपैरंट सा हो गया था.उसके अंदर से उसकी चड्डी तक साफ़ दिखाई दे रही थी. एक बार फिर से उसने अपने को
आईने में देखा। वो मामा पर जलजला बन कर टूट पड़ने को तैयार थी। उसने मामा को फ़ोन लगाया

काम्या ;- मामा तैयार रहो show देखने के लिए लेकिन शर्त याद रखना '' कुर्सी से उठोगे नहीं ''


काम्या ने धीरे से दरवाज़ा खोला और बैठक रूम में कदम रख दिया। मामा की नज़र उस पर पड़ते ही वो बेहोश होते होते बचा। टीशर्ट में से काम्या के उरोज़ बाहर को उबल रहे थे। उसके चलने की थिरकन से उसके
उरोज़ ऊपर नीचे हिल रहे थे। वहां काम्या की हाहाकारी चूचियाँ हिल रही थी इधर मामा का दीवाना दिल उछल रहा था। वो अवाक् नज़रों से काम्या की चूचियों को देखने लगे। मामा को इस तरह अपनी चूचियों
को घूरता देख काम्या शर्मा गई लेकिन वो अंदर ही अंदर गर्व महसूस कर रही थी। मामा को अपलक अपने मम्मों को आँख फाड़े देखते देख काम्या ने मम्मों पर हाथ रख दिया। मम्मों के ढके जाने से मामा
की तन्द्रा टूटी और उसकी नजरे नीचे की ओर जाने लगी। मम्मों के थोड़ा नीचे तक तो टीशर्ट थी लेकिन उसके और निक्कर के बीच लगभग चार इंच का हिस्सा खुला था। अब मामा के सामने काम्या का गोरा चिकना
बलखाता गुदाज़ पेट था। मामा ने जिंदगी में बहुतों के पेट देखे और चाटे थे पर ऐसा कमनीय और कोमल पेट आज पहली बार देख रहे थे। जैसे मामा की नजरें और नीचे गई मामा को हार्ट अटैक आते आते रह
गया। स्ट्रेटचेबले निक्कर काम्या के मादक जिस्म में बुरी तरह फंसी हुई थी। उसकी जांघों के जोड़ के पास बने गोल्डन ट्रायंगल को देख मामा का मुह खुल गया। काम्या की चूत पाव भाजी के समान उभरी हुई
थी। मामा की पुतलियाँ हिलना भूल गई। काम्या ने देखा की मामा के मुँह से लार टपक रही है जिसे देख काम्या के शरीर में भी कुछ कुछ होने लगा। वो हलके से खांसी तो मामा को कुछ होश आया और उनकी
नजरें नीचे की ओर जाने लगी। निक्कर के अंदर से काम्या की कदली जांघे निकल थी। काम्या का जांघे श्रीदेवी की जांघों के समान नपी तुली थी उनका आकर किसी टेनिस खिलाडी की तरह था। काम्या कुछ
देर यूं ही कहर बरपाती रही फिर फाइनल अटैक करने के लिए धीरे धीरे पलटने लगी क्योंकि वो जानती थी कि उसका सबसे घातक हथियार पीछे से launch होता है।
मामा के सामने जैसे ही काम्या की जानलेवा गाण्ड आई उनका शरीर झनझना गया। काम्या की निक्कर इतनी टाइट थी की उसके होने न होने का कोई मतलब नहीं था। ऐसी मादक गाण्ड को देख कर मामा
का खून कुलांचे मरने लगा। काम्या खुद मामा के शरीर को कांपता हुआ देख थी

मामा की आँखें निक्कर के अंदर काम्या की कच्छी तक को देख पा रही थी गाण्ड को देखते देखते मामा इस दुनिया से कहीं और की दुनिया में खो गए। ऐसा लग रहा था जैसे वो कोमा में चले गए हों।
काम्या कुछ देर ऐसे ही खड़ी रही फिर उसने बैले डांसर की तरह अपनी गांड को मटकाया। उसकी गाण्ड के हर झटके मामा के दिल पर हथोड़े की तरह पड़ रहे थे। सचमुच काम्या की गाण्ड बहुत ही सेक्सी
थी। बड़ी बड़ी गोल और बाहर की ओर उभरी हुई। कदाचित ब्रह्मा ने अपना सारा हुनर उसकी गाण्ड में ही उतार दिया था काम्या की गद्देदार गांड मोदी के मेक इन इंडिया का सबसे सफल उदाहरण थी ।
फिर काम्या दुबारा पलटी और सीधे खड़ी हो गई। लेकिन मामा को कुछ पता ही नहीं चला वो गुमशुम से हवा में देख रहे थे। काम्या फिर हल्का सा खांसी तो मामा की चेतना लौटी और वो काम्या को सूनी
नज़रों से देखने लगे। काम्या उनकी हालत की देखकर मुस्कराई और जीभ निकाल कर उनको चिड़ा कर भाग कर अपने कमरे में चली गई तथा कुण्डी लगा दी उसे डर था की पगलाया सांड कुछ भी कर सकता है
रात को पापा के आने के बाद मम्मी पापा मामा को छोड़ने बस स्टैंड तक गए। आधी रात को काम्या अपने कमरे में सो रही थी की उसके मोबाइल की घंटी बजी उधर मामा थे
काम्या :-- हेलो
मामाजी :-- हाँ कम्मो क्या कर रही हो
काम्या :-- सो रही थी
मामाजी ;-- भाई वाह ! हमारी नींद उड़ाकर मैडम खुद चैन से सो रही हैं
काम्या :-- क्या मामा मैंने क्या किया
मामाजी :-- अरे पगली आज तुमने जो जलवा दिखाया है उसके बाद अब कई रातें हमें जाग कर ही गुजारनी पड़ेंगी।
काम्या :-- अच्छा हुआ आप ही बार बार कह रहे थे जी भरकर देखना है। अब भुगतो
मामाजी :-- भुगत ही तो रहे हैं। अब तो लग रहा है कब गाँव पहुंचे और कब तुम्हारी मामी की कुटाई करें।
काम्या :--- क्या मामाजी। हमारी गलती के बदले मामी को मरोगे। ये अच्छी बात नहीं है। .i hate you
मामाजी :--- अरे पगली कुटाई मतलब मारना थोड़े ही है
काम्या :--- फिर क्या मतलब है
मामाजी ;--- अरे मेरी फुलझड़ी ! तू अभी इसका मतलब नहीं समझेगी ? जब तेरी शादी हो जाएगी तब समझेगी। मैं उस कुटाई की बात कर रहा हूँ जो दुनिया की हर पत्नी को बहुत मजा देती है
काम्या :-- पता नहीं आप क्या बोल रहे हो। पता नहीं कुटाई किस औरत को मजा देती होगी। लेकिन याद रखना अगर आप ने मामी को मारा तो हम कभी आप से बात नहीं करेंगे।
मामाजी :--- अरे जान हम मामी को मारेंगे नहीं प्यार करेंगे। अब तुम ने जो ये आग लगा दी है उसे मामी ही से तो बुझाना पड़ेगा। अब तो रात को पहुंचते साथ ही उसकी ठुकाई चालू कर देंगे और सुबह
तक ठोकते रहेंगे। देखना शादी के बाद तुम्हे भी अपने आदमी की ठुकाई बहुत मजा देगी ?
काम्या :--- छी छी कैसी बातें करते हो। शरम भी नहीं आती।
मामाजी :-- अरे मेरी रसमलाई "जिस ने की शर्म उसके फूटे करम और जिसने की बेशरमाई उसको मिले दूध मलाई "
काम्या : --- शट अप मामा। और काम्या ने फ़ोन रख दिया


 काम्या ने अभी फ़ोन रखा ही था कि फ़ोन फिर बजने लगा। काम्या ने देखा की मामा का फ़ोन है तो रिसीव नहीं किया। मामा ने लगातार चार बार कॉल किया लेकिन काम्या ने फ़ोन नहीं उठाया। तब मामा ने sms
कर दिया। काम्या ने sms पड़ा लिखा था " सिर्फ एक बार बात कर लो एक रिक्वेस्ट करनी है ". कुछ देर बाद फिर रिंग बजी तो काम्या ने कॉल रिसीव की। …
काम्या :-- अब क्या है ? क्यों परेशान कर रहे हो ?
मामाजी :-- कम्मो एक गुजारिश थी
काम्या :---- अब कौन सी नौटंकी करनी है
मामाजी ;-- कम्मो तुम तो जानती हो कि हम तुम पर मरते हैं। पिछले कई सालों से तुम हमारे दिलो दिमाग पर बसी हो।
काम्या :--- मामा तुम फिर शुरू हो गए। हाथ जोड़ती हूँ प्लीज मुझे सोने दो।
मामाजी :--- प्लीज मेरी बात तो सुन लो
काम्या :--- अब बोलो भी न। या फिर मैं फ़ोन काटूं
मामाजी :--- हम ये कह रहे हैं कि अब तुम्हारी शादी हो रही है फिर तुम अपने ससुराल चली जाओगी। जिंदगी मे अगर कभी हम पर तरश आ जाये तो हमारा ख्वाब पूरा कर देना।
काम्या :--- अब ये ख्वाब कहाँ से बीच में आ गया। anyway बोलो क्या ख्वाब है
मामाजी : --- बस तुम्हारा प्यार चाहिए। हो सके तो जिंदगी में सिर्फ एक बार के लिए हमारी हो जाना।
काम्या :--- मामा तुम पूरे के पूरे पागल हो गए हो। अरे रिश्ते का ख्याल नहीं है तो कम से कम अपनी उमर का तो ख्याल करो।
मामाजी :----- हाँ हम पागल हो गए हैं लेकिन पागल तुमने किया है। . रही उमर की बात तो अभी हमारी उमर ही क्या है केवल चवालीस साल के हैं। दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में तो शादी चालीस के बाद
ही होती है। अभी तो असली शादी की उमर आई है।
काम्या : ---- अभी असली उमर आई है तो घर में जो मामी बैठी है वो क्या नकली है
मामाजी :--- वो तो तुम्हारी माँ ने हमारे पल्ले बाँध दिया ,उन्ही की पसंद है वो।
काम्या :--- और आपको कैसी पसंद है।
मामाजी ;--- हम ढूंढते तो तुम्हारे जैसा पटाखा माल पसंद करते।
काम्या :-- shutup मामाजी। enough is enough । ले दे के फिर वहीं पहुँच जाते हो।
मामाजी :--- अच्छा हमारे ख्वाब के बारे में क्या सोचा है।
काम्या :--- मामा आप तो एक फिल्म बनाने की तैयारी करो जिसका नाम रखना "" वो ख्वाब जो पूरे ना हो सके "" और फिर काम्या ने मोबाइल स्विच ऑफ कर के रख दिया।

मदनलाल की उस दिन की छेड़छाड़ के बाद से काम्या के ससुराल का माहौल बड़ा रोमांटिक हो गया था। काम्या सास के सामने तो सीधी बनी रहती लेकिन उसकी उनुपस्तिथि में खूब इतराती
और इठलाती। उसकी चाल ढाल में भी एक अलग ही लचक आ गई थी। उसने कपडे भी बदन दिखाऊ पहनने शुरू कर दिए थे। वो कुरते के नीचे टाइट पजामी पहनने लगी जिससे उसका
गठीला बदन पूरे रंग में खिल उठता। उसे मालूम था कि उसका ससुर गांड का दीवाना है इसलिए वो कोई न कोई बहाने से ससुर की तरफ पीठ कर के खड़ी हो जाती ताकि बाबूजी पागल हो जाएं।
इधर मदनलाल का भी यही हाल था। उसकी हालत बिलकुल कॉलेज जाने वाले लौंडे जैसी हो गई थी। उसकी आँखे हमेशा काम्या के मादक जवान जिस्म से ही चिपकी रहती। मदनलाल
का मूसल आजकल हर एक दो घंटे के बाद खड़ा हो जाता। दोनों की आँख मिचोली शुरू हुए करीब एक सप्ताह हो गए थे। मदनलाल उम्रदराज आदमी था इसलिए उसने खुमारी को अपने ऊपर
हावी नहीं होने दिया। उसे कोई जल्दी नहीं थी। चिड़िया खुद दाना चुग रही थी इसलिए वो जनता था कि चिड़िया का जाल में फसना तय है बस समय की बात है। सो मदनलाल अपनी तरफ से
कोई कदम नहीं उठा रहा था। वो जानता था कि बहु जवान है पति से दूर है तो अपनी भावनाओं को ज्यादा दिन संभाल नहीं पायेगी इससे उसके ऊपर कोई लांछन भी नहीं लगेगा। . कल को अगर
उसका काम बन भी गया तो वो बहु से कह सकेगा कि जो कुछ हुआ उसमे तुम्हारा भी साथ था।
मदनलाल का सोचना सही निकला जब करीब दस दिन तक ससुर ने चक्षुचोदन के सिवा कुछ नहीं किया तो काम्या बैचेन हो उठी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ससुर अपने को कंट्रोल
कैसे कर पा रहें हैं। लेकिन वो भी औरत थी और नारी शरीर की ताक़त को जानती थी। जिस जवानी और सुंदरता के आगे विश्वामित्र जैसे तपस्वी नहीं ठहर पाये तो फिर मदनलाल किस
खेत की मूली है। उसने मामा को पागल कर देने वाला तरीका आजमाने का फैसला कर लिया और इसी के साथ उसके चेहरे में एक विजयी मुस्कान आ गई।


ऐसा नहीं था कि काम्या कोई चालू किस्म की लड़की थी या मर्दो को तड़पाना उसको अच्छा लगता था किन्तु
मदनलाल का उसको यूं नजरअंदाज कर जाना काम्या के अहंकार को चोट पहुंचा रहा था। उसके जिस कातिल
जिस्म का पूरा कॉलेज टीचर सहित दीवाना था उस जिस्म का एक बूढ़े पर कोई असर न हो ये काम्या जैसी
रूपगर्विता को गवारा नहीं था। अगर मदनलाल कोई हरकत करते और काम्या ने उन्हें रोक दिया होता
और इस तरह कहानी ख़त्म हो गई होती तो बात कुछ और थी लेकिन यहाँ तो मदनलाल उसे इग्नोर कर
रहे थे और ये काम्या के बर्दास्त से बाहर था। काम्या ने ये ठान लिया था कि पहला कदम चाहे मदनलाल ने उठाया
था लेकिन अंतिम कदम उसका होगा। भोली भाली काम्या शायद ये नहीं जानती थी कि अवैध रिश्तों
के दलदल में औरत को सिर्फ एक कदम ही बढ़ाना पड़ता है बाकी का काम दलदल खुद कर लेता है और
दलदल अगर मदनलाल जैसे शातिर लुगाई बाज़ को हो तो फिर तो औरत का डूबना तय है। काम्या सही
समय का इंतज़ार कर रही थी और समय दो दिन बाद ही आ गया " होली का दिन".
होली के दिन मदनलाल अपने कुछ पड़ोसियों से मिलने चले गए जहाँ कुछ पीना पिलाना भी हो गया। लौटे
तो घर में काम्या ,शांति साथ मोहल्ले की कई औरतें भी थी। कुछ देर होली का धूम धड़ाका चला। सब
औरतें एक दूसरे पर रंग लगा रही थी काम्या तो पूरी भीग गई थी उसका पूरा शरीर दिख रहा था जिसे देख कर
मदनलाल का कोबरा फनफना गया उनका मन कर रहा था कि काम्या के पुरे शरीर को रंग से भर दूँ लेकिन
रिश्तों में संभव नहीं था। कुछ देर हुड़दंग के बाद महिलाओं टोली निकली तो साथ में शांति भी चली गई
जाते जाते काम्या को बोल गई कि मुझे एक दो घंटे लग जायेंगे तुम बाबूजी के लिए खाना बना देना।
काम्या इसी अवसर की तलाश में थी वो पहले बाथरूम में गई और अच्छे से नहा रूम में चली गई।
दरवाज़ा बंद करते उसने अपने पूरे कपडे उतार दिए और बिलकुल मादरजात नंगी हो गई। निर्वस्त्र काम्या सचमुच रति का अवतार लग रही थी। उसने अपने कातिल हुश्न को शीशे में निहारा
और खुद पर ही मोहित हो गई। उसका अंग अंग सांचे में ढला था। खूबसूरत चेहरा ,गोल गोल
भरे हुए उरोज़ ,पतली बलखाती कमर और चिकनी मांसल जांघे। फिर वो पलटी और अपनी
हर दिल अजीज प्रलयंकारी गुदाज गांड को देखने लगी। सारी समस्या की जड़ यही गांड थी
जो मदनलाल जैसे बुड्ढों में भी जोश भर देती थी। काम्या ने अपनी सबसे मूल्यवान सम्पति
अपनी भरी पूरी गाण्ड को गर्व पूरक निहारा और मन ही मन बोली "अब देखती हूँ कैसे कंट्रोल
करते है बाबूजी "
अब काम्या ने एक legging पहन ली और एक राउंड नैक टीशर्ट पहन लिया। अब वो हमले
के लिए पूरी तरह तैयार थी।


काम्या किचन में गई और चाय बनाकर बाबूजी के पास पहुंची।
काम्या को legging में देखकर मदनलाल गश खाकर गिरते गिरते बचा। उसकी मांसल जांघे
लेग्गिंग में समा नहीं पा रही थी। काम्या के चलने से उसकी मसल्स का हर मूवमेंट legging
से नुमाया हो रहा था। मदनलाल पागल सा मुंह फाड़े उसे देखने लगा। उसकी दशा को देखकर
काम्या अंदर ही अंदर ख़ुशी से झूम उठी। उसने खांसते हुए कहा "" बाबूजी चाय ""
काम्या की आवाज़ सुनकर मदनलाल की बेहोशी टूटी और उसने चाय थाम ली। चाय देकर काम्या चली गई
कुछ देर बाद काम्या कप लेने आई तो देखा की मदनलाल आँख मूंदे बैठे हुए हैं वो कुछ देर वहीँ
खड़ी रही पर बाबूजी यूं ही पडे रहे। असल में तो मदनलाल को काम्या के आने का अहसास हो गया था
लेकिन वो आगे की भूमिका बनाने के लिए नाटक कर रहा था। काम्या ने कहा
काम्या :--- बाबूजी बाबूजी ?? क्या सोच रहे है
मदनलाल :-- कुछ नहीं बहु
काम्या आज बाबूजी को छेड़ने के मूड में थी इस लिए फिर बोली
काम्या :-- बाबूजी आप जरूर कुछ सोच रहे हैं। हमें भी बताइये न
मदनलाल जैसा सोच रहा था कहानी उसी दिशा में बड़ रही थी इसलिए उसने कहा
मदनलाल :-- रहने दो बहु। तुम्हे बुरा लग जायेगा ?
" नहीं प्लीज बताइये न" काम्या ने लड़ियाते हुए कहा
""नहीं बहु मान जाओ , तुम बुरा मान जाओगी "" मदनलाल ने फिर चाल चली।
"" नहीं आपको बताना पड़ेगा। ्*हमने कभी आपकी बात का बुरा माना है क्या ? "" काम्या ने कहा
मदनलाल :--- वो दरअसल तुम्हे legging देख कर हमें उस दिन की याद आ गई थी मदनलाल ने गंभीर मुद्रा में कहा
काम्या :--- किस दिन की याद ?
मदनलाल :---- ""वो उस दिन बाथरूम वाली याद"" मदनलाल ने काम्या की आँखों में झांकते हुए कहा
मदनलाल के मुख से बाथरूम की बात सुनते ही काम्या का चेहरा शर्म से लाल हो गया। उसके मुख से निकला
काम्या :--- हे भगवान। . बाबूजी आप तो बहुत बेशरम हैं। अभी तक वो बात भूले नहीं।
और काम्या दौड़कर किचन की और भागी। भागने से उसकी गाण्ड ऐसे जल्दी जल्दी थिरक रही थी जैसे कि पिनाका मल्टी बैरल लांचर से एक के बाद एक मिसाइल छूट रही हों।
काम्या की गांड की थिरकन को देखकर मदनलाल बुदबुदाया "" बहु तेरी ये हाहाकारी गाण्ड कुछ भी भूलने नहीं देगी "
काम्या किचन के पास पहुंच कर पलटी तो देखा कि मदनलाल एकटक उसकी गांड को निहार रहें हैं जिससे
काम्या के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ गई। इस चंचल चितवन ने मदनलाल के लण्ड को पूरी तरह रिचार्ज कर दिया। मदनलाल उठा और मन ही मन बोला "" now it is time to take action "
मदनलाल ने अपनी धोती ऊपर की ओर बांधी अपने मूसल को set किया और किचन की और चल दिया।


काम्या किचन में पहुंचते पहुंचते हांफने लगी और प्लेटफार्म पकड़कर खड़ी हो गई उसका पूरा बदन काँप रहा था। काम्या प्लेटफॉर्म झुकी थी इसलिए उसकी गाण्ड पीछे को उठ गई थी। इधर मदनलाल जब किचन में पहुंचा तो बहु की उभरी गाण्ड को देखते ही उसका लण्ड टनटना गया। उसने लुंगी में लण्ड एडजस्ट कर सीधा सामने की तरफ किया और सीधा लण्ड को काम्या की गाण्ड से भिड़ा दिया फिर
झट से उसकी कमर पकड़ ली। गांड में बाबूजी के लंड का अहसास होते ही काम्या भी अंदर तक
गनगना गई। मदनलाल ने उसके कान के पास आकर कहा
"" बहु गुस्सा हो गई हो क्या "" काम्या कुछ नहीं बोली। मदनलाल ने फिर पूछा
"" गुस्सा हो गई हो। इसलिए हम बार बार बोल रहे थे कि मत पूछो।
"" हम गुस्सा नहीं हैं "" काम्या ने धीरे से कहा
मदनलाल ::----- "" तो भाग कर क्यों आ गई।"" ऐसा कहते कहते मदनलाल ने अपना हाथ टीशर्ट
के अंदर डाल दिया और काम्या के मुलायम चिकने पेट को सहलाने लगा।
काम्या ::--- "" आप ऐसी बातें करेंगे तो हम और क्या करते ""
मदनलाल ::--- ""तुम्ही ने तो जिद की थी सो हमने मन की बात कह दी "" कहकर मदनलाल
ने काम्या के सुराहीदार गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। गर्दन काम्या का बहुत
संवेदनशील अंग था सो वहां मदनलाल के होंठ लगते ही उसकी सिसकारी निकल गई।
काम्या ::--- ""आह। बाबूजी क्या कर रहे हो। "" काम्या ने सिसकते हुए कहा।
मदनलाल ::-- "" बहु आज होली है। सुबह से सबसे होली मिली हो हमसे नहीं मिलोगी क्या "" कहते कहत मदनलाल ने हाथ ऊपर सरकाए और काम्या के दोनों मम्मों को पकड़ लिया। मम्मों पे ससुर का हाथ
लगते ही काम्या को एकदम करंट लगा। उसकी साँसे तेज़ चलने लगी। इधर मदनलाल बहु की चूचियों को
हाथ लगाते ही धन्य हो गया। उसका लण्ड और भी सख्त हो गया। वो हौले हौले मम्मों को सहलाने लगा।
काम्या के पुरे बदन में काम तरंग बहने लगी पर वो फिर से बोली।
काम्या ::-- बाबूजी प्लीज। मत कीजिये।
मदनलाल ::-- बहु होली में तो लोग दुश्मन को भी गिले शिकवे भूल गले लगाते हैं फिर हम तो तुम्हारे अपने हैं हमें होली नहीं खेलने दोगी क्या । और फिर मदनलाल ने काम्या की दोनों निप्प्ल्स को अपनी
उँगलियों में फंसा लिया और उन्हें धीरे धीरे ट्विस्ट करने लगा। उसकी इस क्रिया से बहु बुरी तरह गरम
होने लगी। लेकिन वो एक संस्कारी लड़की थी इसलिए ये सब उसे अच्छा लगने के बाद भी उसका मन
इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था वो फिर बोली
काम्या ::---"" बाबूजी छोड़िये न हमें जाने दीजिये। ""
मदनलाल ::--- बहु त्यौहार में ऐसे जिद नहीं करते। बस थोड़ा सा त्यौहार मना लेने दो। मदनलाल जानता
था कि बहु गरम हो रही है थोड़ी देर में खुद चुप हो जाएगी। अब उसने कंधे से लेकर गले तक को चाटना शुरू कर दिया। काम्या के लिए इस तीन तरफा हमले को झेलना मुश्किल होता जा रहा था। नीचे गाण्ड में ससुर के मूसल ने तबाही मचा रखी थी चूचियाँ बाबूजी के हाथों के कब्जे में थी और गर्दन और कंधे में मदनलाल के होंठ और जीभ हलचल मचाये हुए थे। कमसिन उम्र और अल्हड जवानी इन सबको संभाल
न पाई और उसकी आँखे बंद होने लगी। 


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