FUN-MAZA-MASTI
यह बात करीब 2 महीने पहले की है जब एक परिवार मेरे घर के सामने वाले फ्लैट में रहने के लिए आया। उनके परिवार में कुल 8 सदस्य थे। दादा-दादी.. अंकल-आंटी.. भैया-भाभी और अंकल की दो लड़कियाँ थीं।
शुरू के 3-4 दिन तक तो पूरे परिवार के किसी भी सदस्य ने पूरी कॉलोनी में किसी से बात तक नहीं की.. फिर धीरे-धीरे जान-पहचान होने लगी। रविवार के दिन पापा ने अनाज सुखाने के लिए बोला.. तो मैं उनके घर की छत पर अनाज सुखाने के लिए गया.. क्योंकि हमारी छत अनाज से भरी थी।
तब उनके घर के मुख्य सदस्य.. मतलब दादा जी ने मुझे रोककर जान पहचान के लिए अपने घर में बुलाया और मेरे बारे में पूछने लगे- क्या करते हो.. क्या पढ़ रहे हो.. वगैरह-वगैरह..
इतनी देर में उनके घर से दोनों लड़कियाँ बाहर आ गईं और उनमें से एक मेरे लिए पानी लेकर आई थी।
मैंने अपना परिचय दिया और उनका परिचय लिया। उनमें से एक बड़ी थी और एक छोटी.. बड़ी की उम्र 22 साल थी उसका नाम कविता (बदला हुआ) था और छोटी की उम्र 18 साल थी और उसका नाम पूजा था।
फिर कुछ देर बाद अन्दर से एक भाभी जिनकी उम्र 26 साल थी.. वे मेरे लिए चाय लेकर आईं।
मैंने उनको भी अपना परिचय दिया और उनका परिचय उनकी दो ननदों ने करवाया कि इनका नाम रेखा है और ये हमारी भाभी हैं।
फिर बाद में पूरे परिवार से परिचय हो गया। मैं अनाज सुखाने डालकर अपने घर चला गया।
उस वक्त तक उनके परिवार पर मेरी कोई गलत नज़र नहीं थी।
कविता केवल अपनी पढ़ाई में दिन भर घर से कॉलेज और कोचिंग में ही सारा दिन बिताती थी.. किसी दूसरे काम के लिए उसे फुरसत ही नहीं मिलती थी। इसलिए उससे ज्यादा जान-पहचान नहीं हो पाई थी।
फिर जब भी मैं घर से बाहर निकलता और तब मुझे भाभी या पूजा दिख ही जातीं और वो मुझे ‘हाय-हेल्लो’ किए बिना जाने नहीं देतीं।
मैं भी इसे अच्छा व्यवहार समझ कर बात कर लेता था। रविवार के दिन वो मुझे कैरम खेलने के लिए अपने घर बुला लिया करती थीं।
मैं भी टाइम पास करने के लिए उनके साथ कैरम खेलने चला जाता। हम आखरी वाले कमरे में कैरम खेलते थे.. वहाँ कोई भी आता-जाता नहीं था।
कुछ हफ्तों बाद में. भाभी.. और पूजा पूरी तरह खुल गए थे।
तब भाभी ने एक दिन कैरम खेलते हुए मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछ लिया.. मुझे लगा मजाक कर रही हैं।
तो मैंने ‘हाँ’ कर दी कि मेरी गर्लफ्रेंड है।
फिर थोड़ी देर वे बाद पूछने लगीं- बात कहाँ तक पहुँची?
मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने पूछा- क्या मतलब?
तो भाभी बोलीं- अरे बुद्धू.. उसके साथ कुछ किया या नहीं?
मैंने फिर मजाक मजाक में बोल दिया- हाँ किया है ना..
तो भाभी बोलीं- क्या-क्या किया है?
तब मैं मजाक में बोला- सब कुछ कर लिया।
अब भाभी निराश होकर बोलीं- सेक्स भी हो गया क्या?
तो मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
भाभी की आँखों से आसू निकलने लगे.. मैं औेर पूजा भाभी के पास जाकर बैठ गए और पूछने लगे- अचानक क्या हो गया आपको.. जो रोने लग गई हो?
वो बोलीं- तुम अभी नहीं समझोगे।
हम जिद करने लगे- बताओ तो..
तब वो बोलीं- हमारी शादी को 2 साल हो गए हैं पर तेरे भैया ने मुझे अभी तक मुझे छुआ भी नहीं है.. मैं जब भी उनके करीब जाने की कोशिश करती हूँ तो वो मुझसे दूर चले जाते हैं.. अब तुम बताओ कि मैं अकेली औरत क्या करूँ.. किससे अपनी बात कहूँ.. किसके साथ अपना दुःख बाटूं.. अक्षय तुम मेरे साथ हो ना?
तो मैंने सहानुभूतिपूर्वक ‘हाँ’ कर दी- भाभी मैं हमेशा आपके साथ हूँ।
भाभी बोलीं- मैं तुझसे जो मांगूंगी.. वो तू मुझे देगा ना..
तो मैंने कहा- हाँ जरूर दूंगा.. अगर मेरे बस में होगा तो..
अब भाभी बोलीं- तुम्हें मेरी इच्छा पूरी करनी होगी.. तुम्हें मेरे साथ सेक्स का खेल खेलना होगा।
तब उधर बैठी पूजा भी बोल पड़ी- मैं भी सेक्स-सेक्स खेलूंगी.. कैसे खेलते हैं।
तो भाभी बोलीं- अक्षय इसे भी सिखा देना।
अब भाभी सेक्स के लिए जिद करने लगीं और रोने लगीं।
तब मैं बोला- अच्छा ठीक है बाबा.. करूँगा।
फिर भाभी पूजा को लेकर बिस्तर पर गईं और मुझे आने का इशारा किया। मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे, मैं लपक कर बिस्तर पर गया। भाभी ने मुझे जोर से कसकर पकड़ लिया और मेरे होंठों को बेतहाशा चूसने लगीं।
मेरे लिए ये सब कुछ पहली बार था। यही कोई 5 मिनट तक हम चुम्बन करते रहे।
फिर पूजा बोली- मुझे भी ये करना है..
तो मैंने उसके साथ भी चुम्बन किया।
फिर भाभी मेरे लौड़े को ऊपर से पकड़ कर सहलाने लगीं। तब तक मैंने पूजा का सलवार को निकाल कर फेंक दिया था.. अब वह सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी।
फिर मैंने भाभी की साड़ी भी उतार दी।
सच में दोस्तो,.. क्या क़यामत ढा रही थी उसकी जवानी.. क्या बताऊँ.. एकदम अप्सरा लग रही थी।
फिर भाभी ने मेरी जींस और टी-शर्ट निकाल कर फेंक दी।
अब मैंने भाभी और पूजा को बिस्तर पर चित्त लिटा दिया और दोनों के जिस्मों को चाटने लगा।
दोनों ही ‘आअह.. उहह.. उह्ह्ह हह्हह्ह.. ईहह..’ की आवाजें निकालने लगीं।
कुछ ही पलों में मैंने भाभी और पूजा दोनों की पैन्टी और ब्रा निकाल दीं।
फिर भाभी बिस्तर से खड़ी हुईं और उन्होंने कहा- वाह बेटा.. हम दोनों को नंगा कर दिया और तू अभी भी चड्डी में ही है..
इतना कहते ही भाभी ने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरा लंड देखते ही बोल पड़ीं- आज तो तू पक्का मेरी चूत फाड़ ही देगा..
वे लपक कर मेरा लंड तुरंत मुँह में लेकर चूसने लगीं और पूजा मेरे गोटियाँ चूसने लगी।
मुझे तो मानो ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।
लगभग 15 मिनट तक लंड चूसने के बाद में झड़ चुका था.. क्योंकि मेरा पहली बार था।
फिर दोनों वापस बिस्तर पर लेट गईं। फिर मैंने भाभी के ऊपर पूजा को चढ़ा दिया.. ताकि दोनों की फुद्दियाँ आसानी से चाट सकूँ।
अब मैं पूजा की फुद्दी को चाटने लगा.. उसकी फुद्दी पर बारीक़-बारीक़ सुनहरे बाल थे।
मैंने पूजा की फुद्दी को धीरे से छेड़ दिया तो वो चिल्लाई.. तब भाभी ने उसका मुँह बंद कर दिया।
अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और बेतहाशा चूत चाटने लगा।
यारो, यह मेरा पहले अनुभव था न.. इसलिए मुझे उसका स्वाद थोड़ा अजीब लगा.. पर बिलकुल अमृत लग रहा था।
‘अह्ह्ह.. ईह्ह.. ऊईह.. उह्हह ह्हहह्ह…’ की आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था। करीब 10 मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा। इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी।
फिर मैंने भाभी की चूत को भी इसी तरह से चाटा.. वो भी ‘उह्हह्हह्ह.. औऊऊउ.. इईह… अई.. यआया..’ की आवाजें निकाल रही थीं।
इस बीच भाभी भी एक बार झड़ चुकी थीं।
फिर भाभी बोलीं- अब नहीं रहा जाता.. पेल दे लंड राजा.. पेल दे तेरा बंबू.. मेरी कुंवारी चूत में..
मैंने पूजा को भाभी के ऊपर से नीचे उतारा और भाभी की चूत पर लंड का सुपारा रखा और धीरे से धक्का मार दिया.. तो वे एकदम से चिल्ला उठीं।
मैंने तुरंत उनके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.. और फिर से एक बमपिलाट धक्का मार दिया.. तो मेरा सुपारा चूत के अन्दर घुस गया था.. और बिस्तर पर उनकी चूत की सील टूटने से खून की 2-3 बूंद गिरीं। मैंने एक जोर से धक्का और मारा तो आधा लंड अन्दर हो गया था।
फिर 2 मिनट बाद और जोर से धक्का मारा तो पूरा बंबू चूत के अन्दर धंस चुका था। करीब 5 मिनट बाद लंड को अन्दर-बाहर करने लगा.. अब भाभी भी शांत होकर मज़े से चुदने लगीं।
मेरे और भाभी के मुँह से ‘सीई.. ईईई.. ईस्सस्स… अह्ह..ह… उईईई.. ह्म्म्म..’ की आवाजें निकलने लगीं.. जिससे पूरा कमरा भर गया था।
धकापेल चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ चुका था.. जबकि भाभी अब तक 3 बार झड़ चुकी थीं।
फिर हम दोनों थक कर बिस्तर पर गिर गए।
दस मिनट बाद हम खड़े हुए.. तो भाभी बोली- पूजा को तो हम भूल ही गए.. अब चलो पूजा तुम्हारी बारी है।
पूजा कमरे के कोने में दुबक कर बैठी थी।
हमने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- मुझे नहीं खेलना ‘सेक्स-वेक्स’ तुम दोनों ही खेलो ये खतरनाक खेल.. मुझे खून से डर लगता है।
फिर मैंने और भाभी ने उससे कहा- ये मीठा दर्द है.. इसमें मज़ा आता है..
लेकिन वो नहीं मानी।
तो फिर हमने भी उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की.. पर उससे वादा लिया कि वो ये बात किसी को भी नहीं बताएगी।
उसने कहा- मैं वैसे भी किसी को नहीं बताऊँगी।
फिर हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और कैरम खेलने लग गए।
अब जब भी मौका मिलता.. भाभी और मैं जमकर चुदाई का रंगारंग कार्यक्रम जमाते हैं।
अब मैं चाहता हूँ कि कोई नई चूत उसकी मर्जी से मुझसे चुदवाए।
आशा करता हूँ कि आपको मेरे जीवन का यह किस्सा अच्छा लगा होगा।
कुँवारी भाभी
यह बात करीब 2 महीने पहले की है जब एक परिवार मेरे घर के सामने वाले फ्लैट में रहने के लिए आया। उनके परिवार में कुल 8 सदस्य थे। दादा-दादी.. अंकल-आंटी.. भैया-भाभी और अंकल की दो लड़कियाँ थीं।
शुरू के 3-4 दिन तक तो पूरे परिवार के किसी भी सदस्य ने पूरी कॉलोनी में किसी से बात तक नहीं की.. फिर धीरे-धीरे जान-पहचान होने लगी। रविवार के दिन पापा ने अनाज सुखाने के लिए बोला.. तो मैं उनके घर की छत पर अनाज सुखाने के लिए गया.. क्योंकि हमारी छत अनाज से भरी थी।
तब उनके घर के मुख्य सदस्य.. मतलब दादा जी ने मुझे रोककर जान पहचान के लिए अपने घर में बुलाया और मेरे बारे में पूछने लगे- क्या करते हो.. क्या पढ़ रहे हो.. वगैरह-वगैरह..
इतनी देर में उनके घर से दोनों लड़कियाँ बाहर आ गईं और उनमें से एक मेरे लिए पानी लेकर आई थी।
मैंने अपना परिचय दिया और उनका परिचय लिया। उनमें से एक बड़ी थी और एक छोटी.. बड़ी की उम्र 22 साल थी उसका नाम कविता (बदला हुआ) था और छोटी की उम्र 18 साल थी और उसका नाम पूजा था।
फिर कुछ देर बाद अन्दर से एक भाभी जिनकी उम्र 26 साल थी.. वे मेरे लिए चाय लेकर आईं।
मैंने उनको भी अपना परिचय दिया और उनका परिचय उनकी दो ननदों ने करवाया कि इनका नाम रेखा है और ये हमारी भाभी हैं।
फिर बाद में पूरे परिवार से परिचय हो गया। मैं अनाज सुखाने डालकर अपने घर चला गया।
उस वक्त तक उनके परिवार पर मेरी कोई गलत नज़र नहीं थी।
कविता केवल अपनी पढ़ाई में दिन भर घर से कॉलेज और कोचिंग में ही सारा दिन बिताती थी.. किसी दूसरे काम के लिए उसे फुरसत ही नहीं मिलती थी। इसलिए उससे ज्यादा जान-पहचान नहीं हो पाई थी।
फिर जब भी मैं घर से बाहर निकलता और तब मुझे भाभी या पूजा दिख ही जातीं और वो मुझे ‘हाय-हेल्लो’ किए बिना जाने नहीं देतीं।
मैं भी इसे अच्छा व्यवहार समझ कर बात कर लेता था। रविवार के दिन वो मुझे कैरम खेलने के लिए अपने घर बुला लिया करती थीं।
मैं भी टाइम पास करने के लिए उनके साथ कैरम खेलने चला जाता। हम आखरी वाले कमरे में कैरम खेलते थे.. वहाँ कोई भी आता-जाता नहीं था।
कुछ हफ्तों बाद में. भाभी.. और पूजा पूरी तरह खुल गए थे।
तब भाभी ने एक दिन कैरम खेलते हुए मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछ लिया.. मुझे लगा मजाक कर रही हैं।
तो मैंने ‘हाँ’ कर दी कि मेरी गर्लफ्रेंड है।
फिर थोड़ी देर वे बाद पूछने लगीं- बात कहाँ तक पहुँची?
मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने पूछा- क्या मतलब?
तो भाभी बोलीं- अरे बुद्धू.. उसके साथ कुछ किया या नहीं?
मैंने फिर मजाक मजाक में बोल दिया- हाँ किया है ना..
तो भाभी बोलीं- क्या-क्या किया है?
तब मैं मजाक में बोला- सब कुछ कर लिया।
अब भाभी निराश होकर बोलीं- सेक्स भी हो गया क्या?
तो मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
भाभी की आँखों से आसू निकलने लगे.. मैं औेर पूजा भाभी के पास जाकर बैठ गए और पूछने लगे- अचानक क्या हो गया आपको.. जो रोने लग गई हो?
वो बोलीं- तुम अभी नहीं समझोगे।
हम जिद करने लगे- बताओ तो..
तब वो बोलीं- हमारी शादी को 2 साल हो गए हैं पर तेरे भैया ने मुझे अभी तक मुझे छुआ भी नहीं है.. मैं जब भी उनके करीब जाने की कोशिश करती हूँ तो वो मुझसे दूर चले जाते हैं.. अब तुम बताओ कि मैं अकेली औरत क्या करूँ.. किससे अपनी बात कहूँ.. किसके साथ अपना दुःख बाटूं.. अक्षय तुम मेरे साथ हो ना?
तो मैंने सहानुभूतिपूर्वक ‘हाँ’ कर दी- भाभी मैं हमेशा आपके साथ हूँ।
भाभी बोलीं- मैं तुझसे जो मांगूंगी.. वो तू मुझे देगा ना..
तो मैंने कहा- हाँ जरूर दूंगा.. अगर मेरे बस में होगा तो..
अब भाभी बोलीं- तुम्हें मेरी इच्छा पूरी करनी होगी.. तुम्हें मेरे साथ सेक्स का खेल खेलना होगा।
तब उधर बैठी पूजा भी बोल पड़ी- मैं भी सेक्स-सेक्स खेलूंगी.. कैसे खेलते हैं।
तो भाभी बोलीं- अक्षय इसे भी सिखा देना।
अब भाभी सेक्स के लिए जिद करने लगीं और रोने लगीं।
तब मैं बोला- अच्छा ठीक है बाबा.. करूँगा।
फिर भाभी पूजा को लेकर बिस्तर पर गईं और मुझे आने का इशारा किया। मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे, मैं लपक कर बिस्तर पर गया। भाभी ने मुझे जोर से कसकर पकड़ लिया और मेरे होंठों को बेतहाशा चूसने लगीं।
मेरे लिए ये सब कुछ पहली बार था। यही कोई 5 मिनट तक हम चुम्बन करते रहे।
फिर पूजा बोली- मुझे भी ये करना है..
तो मैंने उसके साथ भी चुम्बन किया।
फिर भाभी मेरे लौड़े को ऊपर से पकड़ कर सहलाने लगीं। तब तक मैंने पूजा का सलवार को निकाल कर फेंक दिया था.. अब वह सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी।
फिर मैंने भाभी की साड़ी भी उतार दी।
सच में दोस्तो,.. क्या क़यामत ढा रही थी उसकी जवानी.. क्या बताऊँ.. एकदम अप्सरा लग रही थी।
फिर भाभी ने मेरी जींस और टी-शर्ट निकाल कर फेंक दी।
अब मैंने भाभी और पूजा को बिस्तर पर चित्त लिटा दिया और दोनों के जिस्मों को चाटने लगा।
दोनों ही ‘आअह.. उहह.. उह्ह्ह हह्हह्ह.. ईहह..’ की आवाजें निकालने लगीं।
कुछ ही पलों में मैंने भाभी और पूजा दोनों की पैन्टी और ब्रा निकाल दीं।
फिर भाभी बिस्तर से खड़ी हुईं और उन्होंने कहा- वाह बेटा.. हम दोनों को नंगा कर दिया और तू अभी भी चड्डी में ही है..
इतना कहते ही भाभी ने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरा लंड देखते ही बोल पड़ीं- आज तो तू पक्का मेरी चूत फाड़ ही देगा..
वे लपक कर मेरा लंड तुरंत मुँह में लेकर चूसने लगीं और पूजा मेरे गोटियाँ चूसने लगी।
मुझे तो मानो ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँ।
लगभग 15 मिनट तक लंड चूसने के बाद में झड़ चुका था.. क्योंकि मेरा पहली बार था।
फिर दोनों वापस बिस्तर पर लेट गईं। फिर मैंने भाभी के ऊपर पूजा को चढ़ा दिया.. ताकि दोनों की फुद्दियाँ आसानी से चाट सकूँ।
अब मैं पूजा की फुद्दी को चाटने लगा.. उसकी फुद्दी पर बारीक़-बारीक़ सुनहरे बाल थे।
मैंने पूजा की फुद्दी को धीरे से छेड़ दिया तो वो चिल्लाई.. तब भाभी ने उसका मुँह बंद कर दिया।
अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और बेतहाशा चूत चाटने लगा।
यारो, यह मेरा पहले अनुभव था न.. इसलिए मुझे उसका स्वाद थोड़ा अजीब लगा.. पर बिलकुल अमृत लग रहा था।
‘अह्ह्ह.. ईह्ह.. ऊईह.. उह्हह ह्हहह्ह…’ की आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था। करीब 10 मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा। इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी।
फिर मैंने भाभी की चूत को भी इसी तरह से चाटा.. वो भी ‘उह्हह्हह्ह.. औऊऊउ.. इईह… अई.. यआया..’ की आवाजें निकाल रही थीं।
इस बीच भाभी भी एक बार झड़ चुकी थीं।
फिर भाभी बोलीं- अब नहीं रहा जाता.. पेल दे लंड राजा.. पेल दे तेरा बंबू.. मेरी कुंवारी चूत में..
मैंने पूजा को भाभी के ऊपर से नीचे उतारा और भाभी की चूत पर लंड का सुपारा रखा और धीरे से धक्का मार दिया.. तो वे एकदम से चिल्ला उठीं।
मैंने तुरंत उनके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.. और फिर से एक बमपिलाट धक्का मार दिया.. तो मेरा सुपारा चूत के अन्दर घुस गया था.. और बिस्तर पर उनकी चूत की सील टूटने से खून की 2-3 बूंद गिरीं। मैंने एक जोर से धक्का और मारा तो आधा लंड अन्दर हो गया था।
फिर 2 मिनट बाद और जोर से धक्का मारा तो पूरा बंबू चूत के अन्दर धंस चुका था। करीब 5 मिनट बाद लंड को अन्दर-बाहर करने लगा.. अब भाभी भी शांत होकर मज़े से चुदने लगीं।
मेरे और भाभी के मुँह से ‘सीई.. ईईई.. ईस्सस्स… अह्ह..ह… उईईई.. ह्म्म्म..’ की आवाजें निकलने लगीं.. जिससे पूरा कमरा भर गया था।
धकापेल चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ चुका था.. जबकि भाभी अब तक 3 बार झड़ चुकी थीं।
फिर हम दोनों थक कर बिस्तर पर गिर गए।
दस मिनट बाद हम खड़े हुए.. तो भाभी बोली- पूजा को तो हम भूल ही गए.. अब चलो पूजा तुम्हारी बारी है।
पूजा कमरे के कोने में दुबक कर बैठी थी।
हमने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- मुझे नहीं खेलना ‘सेक्स-वेक्स’ तुम दोनों ही खेलो ये खतरनाक खेल.. मुझे खून से डर लगता है।
फिर मैंने और भाभी ने उससे कहा- ये मीठा दर्द है.. इसमें मज़ा आता है..
लेकिन वो नहीं मानी।
तो फिर हमने भी उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं की.. पर उससे वादा लिया कि वो ये बात किसी को भी नहीं बताएगी।
उसने कहा- मैं वैसे भी किसी को नहीं बताऊँगी।
फिर हम तीनों ने अपने कपड़े पहने और कैरम खेलने लग गए।
अब जब भी मौका मिलता.. भाभी और मैं जमकर चुदाई का रंगारंग कार्यक्रम जमाते हैं।
अब मैं चाहता हूँ कि कोई नई चूत उसकी मर्जी से मुझसे चुदवाए।
आशा करता हूँ कि आपको मेरे जीवन का यह किस्सा अच्छा लगा होगा।
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