FUN-MAZA-MASTI
बहकती बहू--2
इधर मदनलाल हाथ धोने के बहाने किचन में गया लेकिन असली मक़सद तो था बहु की
कातिल जवानी का चक्षु चोदन करना।
अब आगे - - - -
मदनलाल पीछे खड़े होकर काम्या के नितम्बों को देख था लुंगी के अंदर उसके मूसल
ने बगावत करना चालू कर दिया तो वो मज़बूर होकर वहां से चल दिया। काम्या ने
पीछे मुड़कर जाते हुए ससुर को तिरछी नज़र से देखा तो उसे लुंगी में उभार साफ़ नज़र
आ गया। काम्या उस उभार को देख कर मन ही मन घबरा गई। आने वाले कुछ दिन
मदनलाल ने बहु का चक्षु चोदन जारी रखा। वो जो मैसेज बहु को देना चाहता था
उसमे पूरी तरह कामयाब हो गया था। काम्या शुरू शुरू में ससुर के इस प्रकार से घूरने
पर कुछ विचलित हुई पर तीन चार दिन में ही वो नार्मल हो गई। अब तो दिल के किसी
कोने से उसे भी अपने ससुर का घूरना अच्छा लगने लगा। उसे अपनी सुंदरता और बलखाती
जवानी पर नाज़ होने लगा और अंदर ही अंदर एक विजयी मुस्कान आने लगी। हफ्ते
भर के अंदर तो वो खुद ससुर के सामने इठला इठला के चलने लगी। कभी कभी तो
उसे लगता कि बाबूजी खुद तो पागल हो ही गए हैं लेकिन साथ ही साथ उसे भी पागल
करते जा रहें हैं।
इधर मदनलाल बहु की हर हरकत पर पैनी नज़र रखे हुए था। उसे एक बात तो साफ़
हो गई थी कि बहु उसके घूरने का बुरा नहीं मान रही है। उसने इतने दिनों में एक भी बार
बहु के चेहरे पर क्रोध या नफरत का भाव नहीं देखा। उलट अब तो बहु कुछ न कुछ
बहाने से उसके करीब भी आने लगी। अब मदनलाल ने कुछ और आगे कदम बढ़ाने की
सोची। उसने सोचा आँखों से तो बहुत कुछ बोल लिया अब कुछ असल संवाद भी करना चाहिए।
लेकिन सवाल ये था कि अगर वो बहु के साथ flirt वाली बात करे तो बहु शर्म के मारे ज्यादा
देर बात नहीं कर पायेगी और उसके पास से चली जाएगी। फिर क्या किया जाय? अचानक
उसके दिमाग की बत्ती जल उठी। mobile ? यस मोबाइल कब काम आएगा।
उसने तय किया कि आज रात को बहु से मोबाइल में बात करेगा मौका देखकर उसके
हुश्न की तारीफ करेगा क्योंकि हर स्त्री को अपने सौंदर्य की तारीफ अच्छी लगती है।
औरत के हुश्न की तारीफ करना सदियों से मर्दों का time tested हथियार रहा है
और ये ऐसा हथियार है जो अमोघ है और कभी खाली नहीं जाता। फिर काम्या जैसी कमसिन
औरत की क्या बिसात जो खुद ही अपनी जवानी का बोझ नहीं उठा पा रही थी। रात को
खाना आदि खा कर सास शांति अपनी दवाई और नींद की गोली खाकर सोने चली गई।
दस बजे के करीब काम्या भी किचन का काम निपटा कर अपने रूम में चली गई। मदनलाल
पन्द्रह मिनट तक और tv देखता रहा फिर मोबाइल जेब में रख कर छत में चला गया।
.
काम्या अपने रूम में जाकर कपडे चेंज करती है और मोबाइल में गाना लगाकर बिस्तर पर लेट जाती है। मोबाइल पर रोमांटिक गाना
चल रहा था। काम्या को नींद नहीं आ रही थी। उसे सुबह की घटना याद आ गई। सुबह जब मदनलाल नाश्ता कर रहा था उस समय
काम्या वहां पोंछा लगाने आ गई। उसे ध्यान नहीं था कि उसने बहुत लो कट ब्लाउज पहना है। काम्या और मदनलाल आमने सामने
थे पोंछा लगाते -२ अचानक काम्या की नजर मदनलाल की तरफ उठी तो वो भौंचक रह गई। उसका ससुर एकटक उसकी चूचियों को घूर रहा था जो लगभग आधी बाहर निकली हुई थी। काम्या का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो पोंछा अधूरा छोड़ कर ही भाग
गई। उस दृश्य को याद कर के काम्या सोचने लगी हे भगवन बाबूजी कितनी भूखी नज़रों से उसकी चुचिओं को देख रहे थे ऐसी भूख तो कभी उनके बेटे सुनील की नज़रों मे भी नहीं दिखी।
उधर मदनलाल कुछ देर तक छत में घूमता रहा। वो प्लानिंग कर रहा था की क्या क्या बोलेगा और साथ ही साथ अपने अंदर हिम्मत
भी बटोर रहा था। फिर आखिर उसने बहु का नंबर डायल कर दिया। अचानक गाना बंद होने और घंटी बजने से काम्या की तन्द्रा टूटी
उसने सोचा शायद सुनील का फ़ोन आया होगा। दरअसल सुनील कभी कभी देर रात फ़ोन किया करता था और telephonic sex कर
लिया करता था। काम्या ने हाथ बड़ा कर मोबाइल उठाया और स्क्रीन पर बाबूजी का नंबर देख कर चोंक गई। वो मंद मंद मुस्कराने लगी
कि उसका सोचना सही निकला ससुर जी नींद भी हराम हो चुकी है काम्या ने फ़ोन रिसीव किया और बहुत ही सेक्सी आवाज़ में बोली।
काम्या :- हेलो
मदनलाल :- हेलो बहु ? हाँ हम बाबू जी बोल रहे हैं। सो गई थी क्या ?
काम्या :- अरे बाबूजी आप। नहीं अभी सोये नहीं हैं।
मदनलाल :- तो क्या कर रही थी। नींद नहीं आ रही क्या ?
काम्या :- नहीं ऐसे ही गाने सुन रहे थे। आप बोलिए न कहाँ से फोन कर रहें हैं
मदनलाल :- हम तो छत में हैं
काम्या :- क्या बात है नींद नहीं आ रही क्या ?
मदनलाल :- क्या बताएं बहु नींद ही तो उड़ गई है।
मदनलाल के मुह से ऐसा सुनकर काम्या अंदर ही अंदर समझ जाती है की है कि ससुर की नींद क्यों उडी है लेकिन फिर
पूछती है कि
काम्या :- नींद क्यों नहीं रही बाबूजी ? आपकी तबियत तो ठीक है
मदनलाल :- बहु तबियत तो ठीक है लेकिन बुढ़ापे में नींद कहाँ आती है
काम्या :- अच्छा बताइये न फ़ोन क्यों किये थे ?
मदनलाल :- बस आपसे सॉरी बोलना था
काम्या :- हमसे किस बात के लिए सॉरी बाबूजी
मदनला :- वो उस दिन बाथरूम वाली बात के लिए। हमें लगता है आप उस दिन से हमसे नाराज़ हैं।
काम्या :- जी वो जी वो हम नाराज़ नहीं बाबू जी। वो तो हमारी ही गलती थी हमें दरवाज़ा खुला नहीं रखना था।
मदनलाल :- हाँ लेकिन बहु हम भी तो बहक गए और गलती कर बैठे। पता नहीं आपको बिलकुल वैसा देख कर हम अपना होशोहवास
खो बैठे। हमारा दिमाग बिलकुल काम करना ही बंद कर दिया था। इसलिए सॉरी बोल रहे हैं।
काम्या :- प्लीज बाबूजी आप सॉरी मत बोलिए। हम नाराज़ नहीं है
मदनलाल :- कोई बात नहीं बहु। दरअसल दरवाज़ा खुलते ही हमने जो देखा तो हमारी तो आँखे ही चौंधिया गई थी। हमें तो ऐसा लगा जैसे स्वर्गलोक की कोई अप्सरा हमारे सामने आ गई है। बड़ी मुस्किल से हमने जब तक अपन आप को संभाला आप ने और बड़ी गलती कर दी।
मदनलाल अब अपनी चाल चलने के मूड में आ गया था इसलिए बातों को अपने हिसाब से मोड़ रहा था
काम्या :- बाबू जी हमने दुबारा कौन सी गलती करी ?
मदनलाल :- बहु आप पलट कर घूम जो गई थी
काम्या :- जी वो तो शर्म के मारे पलट गए थे
मदनलाल :- बहु तुम्हारे पलटने ही ने तो सारा बखेड़ा करवा दिया। तुम्हारा पीछे वाला हिस्सा तो ऐसा है कि अगर मुर्दा भी देख ले
तो उठ के बैठ जाये , अगर हिजड़ा भी देख ले तो जोर जबरदस्ती करने लगे। अगर देवता भी देख लें तो स्वर्ग नीचे उतर
आएं फिर हम तो सामान्य संसारी आदमी हैं।
मदनलाल अब खुला खेल फ़र्रुखाबादी पर उतर आया था। उधर काम्या भी समझ रही थी कि ससुर पीछे वाला हिस्सा
उसकी गांड के लिए बोल रहें हैं लेकिन वो अनजान बनकर बोली
काम्या :- बाबूजी आप क्या बोल रहे हैं हमें कुछ समझ नहीं आ raha है
मदनलाल :- बहु अब हम आपको कैसे बतायें ? अगर आप गुस्सा न होने का वचन दो तो हम समझायें
काम्या :- इसमें गुस्सा होने की क्या बात है हमें कुछ मालूम न हो तो घर वाले ही तो बताएँगे
मदनलाल :- आपके पीछे वाला हिस्सा मतलब वो चीज़ जो आप लोग पैंटी में छुपा के रखते हो।
काम्या :- बाबूजी कसम से हम तो वहां कुछ नहीं छुपाते। उसमे तो कोई जेब भी नहीं हैं।
मदनलाल जानता था कि बहु सब समझ रही है लेकिन बहाना कर रही है आखिर नए ज़माने
की पड़ी लिखी बहु को लाइन में लाना इतना आसान काम भी नही था। लेकिन मदन लाल ये भी जानता था कि सेक्स की भूख सब को सताती है। इस रास्ते में संतरी से लेकर मंतरी तक सब एक हो जाते हैं।
मदनलाल :- बहु हम कोई जेब में छुपाने वाली चीज़ की बात नहीं कर रहें हैं। हम आपकी शत्रुहंता गांड के बारे में बोल रहें हैं
ससुर के मुख से सीधे अपनी गांड का नाम सुनते ही काम्या के बदन में सनसनी मच गई। उसकी दिल की धड़कन
बड़ गई और काम्या की साँसे जोर जोर से चलने लगी। उधर मदनलाल को भी बहु की सांसो की आवाज़ साफ़ सुनाई
दे रही थी यानि की उसका तीर निशाने पर लगा था
काम्या :- हे भगवान। बाबूजी आप क्या बोल रहें हैं।
मदनलाल :- बहु हमें आपकी कसम हम सच बोल रहें हैं। पीछे से आपकी गांड को देखने के बाद हम पूरी तरह उससे सम्मोहित हो
गए थे। उसके बाद जो कुछ हमने किया वो हमने नहीं किया बल्कि आपके पुरुषमोहिनी नितम्बों ने ही हमसे करवाया है
ससुर की खुल्लम खुल्ला गरम बातों से काम्या को नशा सा आने लगा। उसका हाथ अपने आप अपनी penty
के अंदर चला गया। penty के अंदर उसका कौआ पूरी तरह तनकर खड़ा था काम्या बरबस ही उससे खेलने लगी।
काम्या :- हे भगवान . बाबूजी आप बहुत चालाक हो एक तो सब कुछ कर लिए और दोष भी हमको दे रहे हो। सारे मर्द
एक से होते हैं।
मदनलाल :- बहु तुम्हारी बात बिलकुल सही है। मरद सब एक जैसे होते हैं लेकिन औरतें एक जैसी नहीं होती।
काम्या :- क्यों औरतें में क्या अलग अलग होता है
मदनलाल :- अलग अलग नहीं होता अलग अलग सा होता है. अब देखो न हमने अपनी जिंदगी में ऐसा पिछवाड़ा नहीं देखा जैसा
तुम्हारा है। सच मैं हमारा बेटा बहुत किस्मत वाला है जिसको दुनिया का सबसे नायाब खजाना मिला है
काम्या ससुर की बात सुनकर मायूस सी हो गई हो गई। सुनील ने तो आजतक उसकी गांड को चूमा चाटा नहीं था
न कभी उसकी गांड की तारीफ की थी इसलिए हड़बड़ी में उसके मुहँ से निकल गया
काम्या : जिसको खजाना से मतलब ही नहीं उसकी बात न कीजिये
मदनललाल समझ गया कि सुनील काम्या के हुश्न की कदर नहीं कर रहा है। ये तो उसके लिए सुनहरा मौका है
मदनलाल :- बहु आपने कभी अपना दुःख घरमे बताया ही नहीं वरना --
काम्या :- हम बता के क्या करते वो तो वहां मुंबई में रहते हैं
मदनलाल :- तो क्या हुआ ? यहाँ घरवाले तो हैं कोई न कोई हल निकाल लेते और घर की बात घर में ही सुलझ जाती।
काम्या :- उनके बिना कैसे सुलझ जाती।
काम्या बाबूजी का मतलब समझ कर बहुत गरम हो गई थी और जोर जोर से
अपने काजू दाना को मसलने लगी।
मदनलाल :- क्यों बहु हम पर विश्वास नहीं है क्या या हमको कमज़ोर समझ रही हो। घर के अंदर ही सब कुछ टेंशन फ्री हो जाएगा।
काम्या ;- हम समझे नहीं आप क्या कह रहें हैं।
मदनलाल :- हम तो कह रहे हैं कि आपके ख़ज़ाने की सेवा हम कर देंगे अगर तुम्हे ऐतराज़ न हो तो। वैसे भी जवानी का बोझ
कोई उठाने वाला मिल जाये तो सफर आसान हो जाता है।
बाबूजी का खुला ऑफर सुनते ही काम्या गनगना गई और इतनी जोर से दाने को मसली की उसका पानी छूठ गया और उसके मुहँ से जोर की चीख निकल गई
काम्या की प्रेम गुफा से पानी का सैलाब निकल आया जिसमे उसकी सारी उंगलियां गीली हो गई थी। काम्या को ऐसा लग रहा था जैसे उसके अंदर से कोई झरना फूट पड़ा हो। बाबूजी के साथ बातें करने मे जैसा ओर्गास्म उसको हुआ था वैसा तो सुनील के साथ फ़ोन सेक्स में भी उसे कभी नहीं हुआ था। वो सोचने लगी बाबूजी कैसे खुल्लम खुल्ला उसकी गांड के बारे में बोल रहे थे जैसे बहु से नहीं बल्कि अपनी GF से बातें कर रहे हों। वो सोचने लगी पता नहीं ये निगोड़ी गांड और क्या क्या गुल खिलवाएगी। इसके पहले भी उसकी गाण्ड के साथ कई किस्से जुड़े थे जो उसे याद आने लगे।
शादी के पहले की बात थी एक दिन वो अपनी सहेली मधु के साथ शाम बाज़ार गई थी। दोनों jeans पहने हुए थी छोटा सा बाज़ार था पुरे बाज़ार की नज़र उसी पर टिक गई थी क्या दूकानदार क्या ग्राहक सब काम्या की गोलमटोल गद्देदार गाण्ड को देख कर आँखें सेक रहे थे। लौटते समय काम्या ने देखा कि मधु कुछ अपसेट सी दिख रही हे सो उसने पूछ लिया --
काम्या :- मधु , क्या बात हे कुछ अपसेट लग रही है
मधु :- कुछ नहीं ,बस next time से मै तेरे साथ बाजार नहीं आउंगी।
काम्या :- क्यों क्या बात हो गई
मधु :- देखा नहीं ,पूरा बाजार तेरी इस निगोड़ी गांड को घूर रहा था।
काम्या :- वो तो मै भी परेशान थी पर तुझे क्या हुआ ?
मधु :- क्या हुआ। ऐसा लग रहा था जैसे तू अकेली बाजार आई है। साला एक भी कमीना मेरी तरफ नहीं देख रहा था आइन्दा से कोई और को ढूंढ लेना। मुझे नहीं करनी अपनी इंसल्ट।
काम्या :- अरे यार छोड़ना। तू भी कहाँ कहाँ ध्यान देती है।
ऐसे ही एक बार वो क्लास मे बैठी थी छेमाही परीक्षा का रिजल्ट मिला था। उसके बाजू में पिंकी बैठी थी दोनों एक दूसरे का रिजल्ट भी देख रहे थे। पिंकी जरा चालू किस्म की लड़की थी उसके बारे में चर्चा थी की स्कूल के कई male टीचर्स को वो झूलाती रहती है तथा टीचर्स भी मौका देख कर उसके साथ हाथ सफाई कर लेते हैं। रिजल्ट देखते -२ अचानक पिंकी बोली
पिंकी :- काम्या तूने एक चीज़ गौर की
काम्या :- क्या
पिंकी :- जिन सब्जेक्ट की टीचर लेडीज हैं उसमे तुझे कम नंबर मिले हैं और जिन सब्जेक्ट की टीचर जेंट्स है उसमे ज्यादा नंबर मिले मालूम क्यों।
काम्या :- क्यों ?
पिंकी :- क्योंकि लेडीज टीचर तेरी इस गोलमटोल गाण्ड से जलती है और जेंट्स टीचर तेरी इस इस गद्देदार गांड के दीवाने हैं इस लिए तुझे खूब नंबर देते हैं। अगर ऐसी त्रिभुवन मोहिनी गाण्ड मेरी होती तो मै जेंट्स टीचर से अपने पैर दबवा लेती।
काम्या :- साली अपना मुह बंद कर। फालतू बकबक करती रहती है
पिंकी :- डार्लिंग सच कह रही हूँ। अगर तू तैयार हो जा तो फाइनल के पेपर पहले ही निकलवा लेंगे।
काम्या ;- वो कैसे
पिंकी :- बस तुझे थोड़ा अपनी गाण्ड मसलवाना और चटवाना पड़ेगा।
काम्या :- हे भगवान , कमीनी तू अपना मुह बंद कर दे बस।
पिंकी :- अरे यार भगवान नहीं सर लोग चाटेंगे।
काम्या :- शट अप यू रास्कल।
पिंकी :- बस तुझे थोड़ा अपनी गाण्ड मसलवाना और चटवाना पड़ेगा।
काम्या :- हे भगवान , कमीनी तू अपना मुह बंद कर दे बस।
पिंकी :- अरे यार भगवान नहीं सर लोग चाटेंगे।
काम्या :- शट अप यू रास्कल।
अब आगे - - - उधर मदनलाल काम्या की तेज़ तेज़ चल रही सांसों से ही समझ गया था कि बहु जरूर मास्टरबेट कर रही है और जब वो जोर से चीखी तो मदनलाल जैसा शातिर लुगाईबाज़ समझ गया कि बहु बहुत बुरी तरह झड़ी है .दूसरे दिन मदनलाल वेट एंड वाच की पालिसी पर चलता रहा और उसने महसूस किया कि सब कुछ ठीक है और काम्या भी रोज की तरह ही व्यव्हार कर रही है तो उसने फिर बहु का चक्षुचोदन शुरू कर दिया।
अगले दो दिन यूं ही आँख मिचौली चलती रही। शाम का समय था बहु एक बहुत ही पतली साड़ी पहनी हुई थी जिसमे उसका कामुक जिस्मपूरी तरह से चिपका हुआ था। साड़ी भी नाभि से काफी नीचे थी। बहु को देख देख कर मदनलाल परेशान हो रहा था उसका मूसल बार बार खड़ा हो जा रहा था। काम्या किचन में गई और शांति पूजा करने गई तो मदनलाल भी अपनी नई देवी के दर्शन के लिए किचन की ओर चल दिया।
काम्या किचन के प्लेटफार्म में आटा गूंथ रही थी। मदनलाल ने देखा की कुछ आटा बहु के हिप्स पर लगा है तो उसे मौका मिल गया। वो तुरंत काम्या के पास आया और बोला "अरे ये क्या लगा है पीछे " और सीधा उसकी गांड में हाथ धर कर साफ़ करने लगा। गाण्ड पर ससुर का हाथ लगते ही कमसिन बहु गनगना गई बोली क्या है बाबूजी।
मदनलाल:- शायद आटा लगा है हम झाड़ देते है।
काम्या ;- गलती से लग गया होगा।
आटा झाड़ने के बाद भी मदनलाल ने अपना हाथ काम्या की गाण्ड से नहीं हटाया और यूं ही सहलाते हुए बोला
मदनलाल ;- बहु आज क्या सब्जी बना रही हो ?
काम्या ; - अभी कुछ पक्का नहीं किया है आपको जो पसंद हो वो बोलिए वाही खिला देंगे।
मदनलाल ;- हमें जो पसंद है वो तुम नही पाओगी
काम्या ;- आप बोलिए तो वाही खिला खिला देंगे।
मदनलाल ;- सोच लो फिर बात से मुकुरना मत।
काम्या ;- आप बोलिए तो सही। हम अपनी बात के पक्के हैं
तब तक मदनलाल काम्या की गांड को सहलाता हुआ उसके साइड में खड़ा हो गया था और काम्या के मोटे मोटे चूचियों को घूर रहा था जिसे काम्या भी समझ चुकी थी। मदनलाल को चुप देख काम्या उसकी ओर देख कर बोली
काम्या ;- बोलिए न क्या खिलाऊँ मदनलाल ने काम्या की आँखों में देखा और फिर नज़रों को नीचे कर बहु की मम्मों को देखते हुए बोला
मदनलाल;- हमें तो नॉनवेज खाना है
काम्या ;- नॉनवेज तो हमारे घर में पकता नहीं है। मम्मी मना करेंगी
मदनलाल ;- घर में पकता नहीं है तो कच्चा ही खिला दो। कहते हुए मदनलाल ने बहु की गांड को जोअर से दबा दिया
काम्या ;- उई माँ -- कोई कच्चा मांस खाता है क्या बाबूजी ?
मदनलाल ;- बहु हम तो फौजी आदमी है हमें कच्चा मांस खाने की भी आदत है। कहते हुए मदनलाल ने एक उंगली काम्या की दरार में डालदी।
काम्या ;- पता नहीं आप कैसे कच्चा मांस खा लेते है। हमने तो आज तक ऐसा कोई नहीं देखा।
मदनलाल ;- तुमने अभी दुनिया देखी ही कहाँ है बहु। और एक बात बताएं ?
काम्या ;- कौन सी बात बाबूजी ?
मदनलाल ;- बहु मांस अगर ताज़ा और कम उमर का हो तो कच्चा खाने में और ज्यादा मजा आता है। एक बार अगर तुम कच्चा खा लोगी तो दीवानी हो जाओगी।
काम्या ससुर की द्विअर्थी बातें सुनकर अंदर ही अंदर कामाग्नि में जली जा रही थी। आज के पहले उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वो कभी अपने ससुर से ऐसी बात कर पायेगी लेकिन समय की बलिहारी है की काम्या जैसी सभ्य लड़की अतृप्त काम के वशीभूत हो रही थी। तभी पूजन कक्ष से घंटी की आवाज़ आई जिसका मतलब था की सास की पूजा ख़त्म होने वाली थी। काम्या बोली।
काम्या ;- बाबूजी अब आप जाइये यहाँ से मम्मी आने वाली हैं
मदनलाल ;- और हमारा नॉनवेज
काम्या ;- मम्मी से परमिशन ले लो तो वो भी मिल जायेगा।
मदनलाल ;- वो कभी नहीं मानेगी तुम्हे चोरी छुपे ही खिलाना पड़ेगा।
काम्या ;- हाय राम। बाबूजी अब हमसे पाप भी करवाओगे क्या।
मौके की नजाकत को देखते हुए मदनलाल किचन से निकल गया और बाथरूम ओर चल दिया ,काम्या ने ससुर को बाथरूम की ओर जाते हुए देखा तो अंदर ही अंदर शर्मा गई। काम्या शादीशुदा औरत थी वो अच्छी तरह जानती थी की बाथरूम में जाकर ससुर क्या करेंगे। काम्या भी जल्दी से अपने रूम में चली गई। उसके पुरे बदन में सुरसुरी हो रही थी। उसके खून की गति बड़ी हुई थी और गाल एकदम लाल हो गए थे।उसे अपनी गाण्ड में अभी तक बाबूजी की उंगली महसूस हो रही थी वो मन ही मन बुदबुदाई "हे भगवान अगर बाबूजी ने थोड़ा और दबाव डाला होता तो उंगली तो उस वाली जगहमें घुस ही जाती।" बेड में बैठकर वो सोचने लगी की आखिर इन मर्दों को औरतों की गाण्ड इतनी अच्छी क्यों लगती है और उसकी गाण्ड के तो जवान तो क्या बूढ़े भी दीवाने हैं। इधर ससुराल में ससुर गाण्ड के पीछे पगला गए हैं तो उधर शादी के पहले मामाजी मेरी गांड के पीछे हाथ धो कर पड़ गए थे उसे एकाएक मामाजी की हरकतें याद आने लगी। दरअसल काम्या के एक मामाजी थे जो गाँव में रहते थे और खेती के अलावा एक दुकान भी चलाते थे मामा का गाँव काम्या के शहर से करीब ५ घंटे की दुरी पर था। मामा जी अक्सर महीने दो महीने में खरीदारी लिए काम्या के शहर आते थे तो काम्या के घर भी आते थे। मामा अपनी लाड़ली भांजी काम्या को बहुत प्यार करते थे। मगर लड़कियां अपने नाजुक अंगों के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं। बारह तेरह साल की होते होते काम्या को समझ आने लगा की मामा की नज़रों में खोट है और वो उसके निजी अंगों को छूते हैं। असल में हुआ ये था की ज्यों ज्यों काम्या के बदन का भूगोल बदल रहा था त्यों त्यों मामा की नजर भी बदल रही थी। अब मामा जब भी आते तो काम्या को अपने से चिपटाने की कोशिश करते उसे जबरदस्ती अपनी गोद में बैठा लेते। गोद में क्या बैठाते बल्कि अपने खड़े लण्ड में काम्या को टांग लेते। एक बार की बात है काम्या बारहवीं में थी जवानी उसपर टूट के आयी थी पूरा बदन यौवन से लदा पड़ा था। काम्या स्कूल से घर आई। उसने दूर से ही देख लिया था कि माँ छत पर खड़ी है , काम्या जैसे ही घर के अंदर घुसी तो सामने मामा जी खड़े थे। काम्या को स्कर्ट में देखकर मामा की आँखे खुली की खुली रह गई. छोटी सी स्कर्ट के अंदर से 18 वर्षीया सर्वांग सुंदरी काम्या की मांसल जांघे झांक रही थी। गोरी चिकनी एथलेटिक जांघे देखकर मामा का सारा खून उनके मूसल में इकट्ठा होने लगा। काम्या जान गई थी की मामा की नजर कहाँ हैंकिन्तु शिस्टाचार वस वो पैर पड़ने के लिए झुकी तो मामा ने उसे तुरंत ऊपर ही लपक लिया और जोर से सीने से भींच लिया। काम्या के दोनों अमृत कलश मामा के सीने में पिचक गए। मामा उसे कस कर पीठ
से पकड़ा हुआ था। अचानक मामा ने अपने हाथ नीचे किये और काम्या की गदरायी गाण्ड पकड़ ली। काम्या शर्म के मारे पानी पानी हो गई। मामा ने उसकी गांड को मसलते हुए बेशर्मी से कहा "अरे कम्मो ,तू पीछे से तो पूरी साइज की हो गई है और सामने से भी पूरी तैयार है। सचमुच कम्मो डार्लिंग तू तो पूरी खेलने खाने लायक हो गई है "
बहकती बहू--2
इधर मदनलाल हाथ धोने के बहाने किचन में गया लेकिन असली मक़सद तो था बहु की
कातिल जवानी का चक्षु चोदन करना।
अब आगे - - - -
मदनलाल पीछे खड़े होकर काम्या के नितम्बों को देख था लुंगी के अंदर उसके मूसल
ने बगावत करना चालू कर दिया तो वो मज़बूर होकर वहां से चल दिया। काम्या ने
पीछे मुड़कर जाते हुए ससुर को तिरछी नज़र से देखा तो उसे लुंगी में उभार साफ़ नज़र
आ गया। काम्या उस उभार को देख कर मन ही मन घबरा गई। आने वाले कुछ दिन
मदनलाल ने बहु का चक्षु चोदन जारी रखा। वो जो मैसेज बहु को देना चाहता था
उसमे पूरी तरह कामयाब हो गया था। काम्या शुरू शुरू में ससुर के इस प्रकार से घूरने
पर कुछ विचलित हुई पर तीन चार दिन में ही वो नार्मल हो गई। अब तो दिल के किसी
कोने से उसे भी अपने ससुर का घूरना अच्छा लगने लगा। उसे अपनी सुंदरता और बलखाती
जवानी पर नाज़ होने लगा और अंदर ही अंदर एक विजयी मुस्कान आने लगी। हफ्ते
भर के अंदर तो वो खुद ससुर के सामने इठला इठला के चलने लगी। कभी कभी तो
उसे लगता कि बाबूजी खुद तो पागल हो ही गए हैं लेकिन साथ ही साथ उसे भी पागल
करते जा रहें हैं।
इधर मदनलाल बहु की हर हरकत पर पैनी नज़र रखे हुए था। उसे एक बात तो साफ़
हो गई थी कि बहु उसके घूरने का बुरा नहीं मान रही है। उसने इतने दिनों में एक भी बार
बहु के चेहरे पर क्रोध या नफरत का भाव नहीं देखा। उलट अब तो बहु कुछ न कुछ
बहाने से उसके करीब भी आने लगी। अब मदनलाल ने कुछ और आगे कदम बढ़ाने की
सोची। उसने सोचा आँखों से तो बहुत कुछ बोल लिया अब कुछ असल संवाद भी करना चाहिए।
लेकिन सवाल ये था कि अगर वो बहु के साथ flirt वाली बात करे तो बहु शर्म के मारे ज्यादा
देर बात नहीं कर पायेगी और उसके पास से चली जाएगी। फिर क्या किया जाय? अचानक
उसके दिमाग की बत्ती जल उठी। mobile ? यस मोबाइल कब काम आएगा।
उसने तय किया कि आज रात को बहु से मोबाइल में बात करेगा मौका देखकर उसके
हुश्न की तारीफ करेगा क्योंकि हर स्त्री को अपने सौंदर्य की तारीफ अच्छी लगती है।
औरत के हुश्न की तारीफ करना सदियों से मर्दों का time tested हथियार रहा है
और ये ऐसा हथियार है जो अमोघ है और कभी खाली नहीं जाता। फिर काम्या जैसी कमसिन
औरत की क्या बिसात जो खुद ही अपनी जवानी का बोझ नहीं उठा पा रही थी। रात को
खाना आदि खा कर सास शांति अपनी दवाई और नींद की गोली खाकर सोने चली गई।
दस बजे के करीब काम्या भी किचन का काम निपटा कर अपने रूम में चली गई। मदनलाल
पन्द्रह मिनट तक और tv देखता रहा फिर मोबाइल जेब में रख कर छत में चला गया।
.
काम्या अपने रूम में जाकर कपडे चेंज करती है और मोबाइल में गाना लगाकर बिस्तर पर लेट जाती है। मोबाइल पर रोमांटिक गाना
चल रहा था। काम्या को नींद नहीं आ रही थी। उसे सुबह की घटना याद आ गई। सुबह जब मदनलाल नाश्ता कर रहा था उस समय
काम्या वहां पोंछा लगाने आ गई। उसे ध्यान नहीं था कि उसने बहुत लो कट ब्लाउज पहना है। काम्या और मदनलाल आमने सामने
थे पोंछा लगाते -२ अचानक काम्या की नजर मदनलाल की तरफ उठी तो वो भौंचक रह गई। उसका ससुर एकटक उसकी चूचियों को घूर रहा था जो लगभग आधी बाहर निकली हुई थी। काम्या का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो पोंछा अधूरा छोड़ कर ही भाग
गई। उस दृश्य को याद कर के काम्या सोचने लगी हे भगवन बाबूजी कितनी भूखी नज़रों से उसकी चुचिओं को देख रहे थे ऐसी भूख तो कभी उनके बेटे सुनील की नज़रों मे भी नहीं दिखी।
उधर मदनलाल कुछ देर तक छत में घूमता रहा। वो प्लानिंग कर रहा था की क्या क्या बोलेगा और साथ ही साथ अपने अंदर हिम्मत
भी बटोर रहा था। फिर आखिर उसने बहु का नंबर डायल कर दिया। अचानक गाना बंद होने और घंटी बजने से काम्या की तन्द्रा टूटी
उसने सोचा शायद सुनील का फ़ोन आया होगा। दरअसल सुनील कभी कभी देर रात फ़ोन किया करता था और telephonic sex कर
लिया करता था। काम्या ने हाथ बड़ा कर मोबाइल उठाया और स्क्रीन पर बाबूजी का नंबर देख कर चोंक गई। वो मंद मंद मुस्कराने लगी
कि उसका सोचना सही निकला ससुर जी नींद भी हराम हो चुकी है काम्या ने फ़ोन रिसीव किया और बहुत ही सेक्सी आवाज़ में बोली।
काम्या :- हेलो
मदनलाल :- हेलो बहु ? हाँ हम बाबू जी बोल रहे हैं। सो गई थी क्या ?
काम्या :- अरे बाबूजी आप। नहीं अभी सोये नहीं हैं।
मदनलाल :- तो क्या कर रही थी। नींद नहीं आ रही क्या ?
काम्या :- नहीं ऐसे ही गाने सुन रहे थे। आप बोलिए न कहाँ से फोन कर रहें हैं
मदनलाल :- हम तो छत में हैं
काम्या :- क्या बात है नींद नहीं आ रही क्या ?
मदनलाल :- क्या बताएं बहु नींद ही तो उड़ गई है।
मदनलाल के मुह से ऐसा सुनकर काम्या अंदर ही अंदर समझ जाती है की है कि ससुर की नींद क्यों उडी है लेकिन फिर
पूछती है कि
काम्या :- नींद क्यों नहीं रही बाबूजी ? आपकी तबियत तो ठीक है
मदनलाल :- बहु तबियत तो ठीक है लेकिन बुढ़ापे में नींद कहाँ आती है
काम्या :- अच्छा बताइये न फ़ोन क्यों किये थे ?
मदनलाल :- बस आपसे सॉरी बोलना था
काम्या :- हमसे किस बात के लिए सॉरी बाबूजी
मदनला :- वो उस दिन बाथरूम वाली बात के लिए। हमें लगता है आप उस दिन से हमसे नाराज़ हैं।
काम्या :- जी वो जी वो हम नाराज़ नहीं बाबू जी। वो तो हमारी ही गलती थी हमें दरवाज़ा खुला नहीं रखना था।
मदनलाल :- हाँ लेकिन बहु हम भी तो बहक गए और गलती कर बैठे। पता नहीं आपको बिलकुल वैसा देख कर हम अपना होशोहवास
खो बैठे। हमारा दिमाग बिलकुल काम करना ही बंद कर दिया था। इसलिए सॉरी बोल रहे हैं।
काम्या :- प्लीज बाबूजी आप सॉरी मत बोलिए। हम नाराज़ नहीं है
मदनलाल :- कोई बात नहीं बहु। दरअसल दरवाज़ा खुलते ही हमने जो देखा तो हमारी तो आँखे ही चौंधिया गई थी। हमें तो ऐसा लगा जैसे स्वर्गलोक की कोई अप्सरा हमारे सामने आ गई है। बड़ी मुस्किल से हमने जब तक अपन आप को संभाला आप ने और बड़ी गलती कर दी।
मदनलाल अब अपनी चाल चलने के मूड में आ गया था इसलिए बातों को अपने हिसाब से मोड़ रहा था
काम्या :- बाबू जी हमने दुबारा कौन सी गलती करी ?
मदनलाल :- बहु आप पलट कर घूम जो गई थी
काम्या :- जी वो तो शर्म के मारे पलट गए थे
मदनलाल :- बहु तुम्हारे पलटने ही ने तो सारा बखेड़ा करवा दिया। तुम्हारा पीछे वाला हिस्सा तो ऐसा है कि अगर मुर्दा भी देख ले
तो उठ के बैठ जाये , अगर हिजड़ा भी देख ले तो जोर जबरदस्ती करने लगे। अगर देवता भी देख लें तो स्वर्ग नीचे उतर
आएं फिर हम तो सामान्य संसारी आदमी हैं।
मदनलाल अब खुला खेल फ़र्रुखाबादी पर उतर आया था। उधर काम्या भी समझ रही थी कि ससुर पीछे वाला हिस्सा
उसकी गांड के लिए बोल रहें हैं लेकिन वो अनजान बनकर बोली
काम्या :- बाबूजी आप क्या बोल रहे हैं हमें कुछ समझ नहीं आ raha है
मदनलाल :- बहु अब हम आपको कैसे बतायें ? अगर आप गुस्सा न होने का वचन दो तो हम समझायें
काम्या :- इसमें गुस्सा होने की क्या बात है हमें कुछ मालूम न हो तो घर वाले ही तो बताएँगे
मदनलाल :- आपके पीछे वाला हिस्सा मतलब वो चीज़ जो आप लोग पैंटी में छुपा के रखते हो।
काम्या :- बाबूजी कसम से हम तो वहां कुछ नहीं छुपाते। उसमे तो कोई जेब भी नहीं हैं।
मदनलाल जानता था कि बहु सब समझ रही है लेकिन बहाना कर रही है आखिर नए ज़माने
की पड़ी लिखी बहु को लाइन में लाना इतना आसान काम भी नही था। लेकिन मदन लाल ये भी जानता था कि सेक्स की भूख सब को सताती है। इस रास्ते में संतरी से लेकर मंतरी तक सब एक हो जाते हैं।
मदनलाल :- बहु हम कोई जेब में छुपाने वाली चीज़ की बात नहीं कर रहें हैं। हम आपकी शत्रुहंता गांड के बारे में बोल रहें हैं
ससुर के मुख से सीधे अपनी गांड का नाम सुनते ही काम्या के बदन में सनसनी मच गई। उसकी दिल की धड़कन
बड़ गई और काम्या की साँसे जोर जोर से चलने लगी। उधर मदनलाल को भी बहु की सांसो की आवाज़ साफ़ सुनाई
दे रही थी यानि की उसका तीर निशाने पर लगा था
काम्या :- हे भगवान। बाबूजी आप क्या बोल रहें हैं।
मदनलाल :- बहु हमें आपकी कसम हम सच बोल रहें हैं। पीछे से आपकी गांड को देखने के बाद हम पूरी तरह उससे सम्मोहित हो
गए थे। उसके बाद जो कुछ हमने किया वो हमने नहीं किया बल्कि आपके पुरुषमोहिनी नितम्बों ने ही हमसे करवाया है
ससुर की खुल्लम खुल्ला गरम बातों से काम्या को नशा सा आने लगा। उसका हाथ अपने आप अपनी penty
के अंदर चला गया। penty के अंदर उसका कौआ पूरी तरह तनकर खड़ा था काम्या बरबस ही उससे खेलने लगी।
काम्या :- हे भगवान . बाबूजी आप बहुत चालाक हो एक तो सब कुछ कर लिए और दोष भी हमको दे रहे हो। सारे मर्द
एक से होते हैं।
मदनलाल :- बहु तुम्हारी बात बिलकुल सही है। मरद सब एक जैसे होते हैं लेकिन औरतें एक जैसी नहीं होती।
काम्या :- क्यों औरतें में क्या अलग अलग होता है
मदनलाल :- अलग अलग नहीं होता अलग अलग सा होता है. अब देखो न हमने अपनी जिंदगी में ऐसा पिछवाड़ा नहीं देखा जैसा
तुम्हारा है। सच मैं हमारा बेटा बहुत किस्मत वाला है जिसको दुनिया का सबसे नायाब खजाना मिला है
काम्या ससुर की बात सुनकर मायूस सी हो गई हो गई। सुनील ने तो आजतक उसकी गांड को चूमा चाटा नहीं था
न कभी उसकी गांड की तारीफ की थी इसलिए हड़बड़ी में उसके मुहँ से निकल गया
काम्या : जिसको खजाना से मतलब ही नहीं उसकी बात न कीजिये
मदनललाल समझ गया कि सुनील काम्या के हुश्न की कदर नहीं कर रहा है। ये तो उसके लिए सुनहरा मौका है
मदनलाल :- बहु आपने कभी अपना दुःख घरमे बताया ही नहीं वरना --
काम्या :- हम बता के क्या करते वो तो वहां मुंबई में रहते हैं
मदनलाल :- तो क्या हुआ ? यहाँ घरवाले तो हैं कोई न कोई हल निकाल लेते और घर की बात घर में ही सुलझ जाती।
काम्या :- उनके बिना कैसे सुलझ जाती।
काम्या बाबूजी का मतलब समझ कर बहुत गरम हो गई थी और जोर जोर से
अपने काजू दाना को मसलने लगी।
मदनलाल :- क्यों बहु हम पर विश्वास नहीं है क्या या हमको कमज़ोर समझ रही हो। घर के अंदर ही सब कुछ टेंशन फ्री हो जाएगा।
काम्या ;- हम समझे नहीं आप क्या कह रहें हैं।
मदनलाल :- हम तो कह रहे हैं कि आपके ख़ज़ाने की सेवा हम कर देंगे अगर तुम्हे ऐतराज़ न हो तो। वैसे भी जवानी का बोझ
कोई उठाने वाला मिल जाये तो सफर आसान हो जाता है।
बाबूजी का खुला ऑफर सुनते ही काम्या गनगना गई और इतनी जोर से दाने को मसली की उसका पानी छूठ गया और उसके मुहँ से जोर की चीख निकल गई
काम्या की प्रेम गुफा से पानी का सैलाब निकल आया जिसमे उसकी सारी उंगलियां गीली हो गई थी। काम्या को ऐसा लग रहा था जैसे उसके अंदर से कोई झरना फूट पड़ा हो। बाबूजी के साथ बातें करने मे जैसा ओर्गास्म उसको हुआ था वैसा तो सुनील के साथ फ़ोन सेक्स में भी उसे कभी नहीं हुआ था। वो सोचने लगी बाबूजी कैसे खुल्लम खुल्ला उसकी गांड के बारे में बोल रहे थे जैसे बहु से नहीं बल्कि अपनी GF से बातें कर रहे हों। वो सोचने लगी पता नहीं ये निगोड़ी गांड और क्या क्या गुल खिलवाएगी। इसके पहले भी उसकी गाण्ड के साथ कई किस्से जुड़े थे जो उसे याद आने लगे।
शादी के पहले की बात थी एक दिन वो अपनी सहेली मधु के साथ शाम बाज़ार गई थी। दोनों jeans पहने हुए थी छोटा सा बाज़ार था पुरे बाज़ार की नज़र उसी पर टिक गई थी क्या दूकानदार क्या ग्राहक सब काम्या की गोलमटोल गद्देदार गाण्ड को देख कर आँखें सेक रहे थे। लौटते समय काम्या ने देखा कि मधु कुछ अपसेट सी दिख रही हे सो उसने पूछ लिया --
काम्या :- मधु , क्या बात हे कुछ अपसेट लग रही है
मधु :- कुछ नहीं ,बस next time से मै तेरे साथ बाजार नहीं आउंगी।
काम्या :- क्यों क्या बात हो गई
मधु :- देखा नहीं ,पूरा बाजार तेरी इस निगोड़ी गांड को घूर रहा था।
काम्या :- वो तो मै भी परेशान थी पर तुझे क्या हुआ ?
मधु :- क्या हुआ। ऐसा लग रहा था जैसे तू अकेली बाजार आई है। साला एक भी कमीना मेरी तरफ नहीं देख रहा था आइन्दा से कोई और को ढूंढ लेना। मुझे नहीं करनी अपनी इंसल्ट।
काम्या :- अरे यार छोड़ना। तू भी कहाँ कहाँ ध्यान देती है।
ऐसे ही एक बार वो क्लास मे बैठी थी छेमाही परीक्षा का रिजल्ट मिला था। उसके बाजू में पिंकी बैठी थी दोनों एक दूसरे का रिजल्ट भी देख रहे थे। पिंकी जरा चालू किस्म की लड़की थी उसके बारे में चर्चा थी की स्कूल के कई male टीचर्स को वो झूलाती रहती है तथा टीचर्स भी मौका देख कर उसके साथ हाथ सफाई कर लेते हैं। रिजल्ट देखते -२ अचानक पिंकी बोली
पिंकी :- काम्या तूने एक चीज़ गौर की
काम्या :- क्या
पिंकी :- जिन सब्जेक्ट की टीचर लेडीज हैं उसमे तुझे कम नंबर मिले हैं और जिन सब्जेक्ट की टीचर जेंट्स है उसमे ज्यादा नंबर मिले मालूम क्यों।
काम्या :- क्यों ?
पिंकी :- क्योंकि लेडीज टीचर तेरी इस गोलमटोल गाण्ड से जलती है और जेंट्स टीचर तेरी इस इस गद्देदार गांड के दीवाने हैं इस लिए तुझे खूब नंबर देते हैं। अगर ऐसी त्रिभुवन मोहिनी गाण्ड मेरी होती तो मै जेंट्स टीचर से अपने पैर दबवा लेती।
काम्या :- साली अपना मुह बंद कर। फालतू बकबक करती रहती है
पिंकी :- डार्लिंग सच कह रही हूँ। अगर तू तैयार हो जा तो फाइनल के पेपर पहले ही निकलवा लेंगे।
काम्या ;- वो कैसे
पिंकी :- बस तुझे थोड़ा अपनी गाण्ड मसलवाना और चटवाना पड़ेगा।
काम्या :- हे भगवान , कमीनी तू अपना मुह बंद कर दे बस।
पिंकी :- अरे यार भगवान नहीं सर लोग चाटेंगे।
काम्या :- शट अप यू रास्कल।
पिंकी :- बस तुझे थोड़ा अपनी गाण्ड मसलवाना और चटवाना पड़ेगा।
काम्या :- हे भगवान , कमीनी तू अपना मुह बंद कर दे बस।
पिंकी :- अरे यार भगवान नहीं सर लोग चाटेंगे।
काम्या :- शट अप यू रास्कल।
अब आगे - - - उधर मदनलाल काम्या की तेज़ तेज़ चल रही सांसों से ही समझ गया था कि बहु जरूर मास्टरबेट कर रही है और जब वो जोर से चीखी तो मदनलाल जैसा शातिर लुगाईबाज़ समझ गया कि बहु बहुत बुरी तरह झड़ी है .दूसरे दिन मदनलाल वेट एंड वाच की पालिसी पर चलता रहा और उसने महसूस किया कि सब कुछ ठीक है और काम्या भी रोज की तरह ही व्यव्हार कर रही है तो उसने फिर बहु का चक्षुचोदन शुरू कर दिया।
अगले दो दिन यूं ही आँख मिचौली चलती रही। शाम का समय था बहु एक बहुत ही पतली साड़ी पहनी हुई थी जिसमे उसका कामुक जिस्मपूरी तरह से चिपका हुआ था। साड़ी भी नाभि से काफी नीचे थी। बहु को देख देख कर मदनलाल परेशान हो रहा था उसका मूसल बार बार खड़ा हो जा रहा था। काम्या किचन में गई और शांति पूजा करने गई तो मदनलाल भी अपनी नई देवी के दर्शन के लिए किचन की ओर चल दिया।
काम्या किचन के प्लेटफार्म में आटा गूंथ रही थी। मदनलाल ने देखा की कुछ आटा बहु के हिप्स पर लगा है तो उसे मौका मिल गया। वो तुरंत काम्या के पास आया और बोला "अरे ये क्या लगा है पीछे " और सीधा उसकी गांड में हाथ धर कर साफ़ करने लगा। गाण्ड पर ससुर का हाथ लगते ही कमसिन बहु गनगना गई बोली क्या है बाबूजी।
मदनलाल:- शायद आटा लगा है हम झाड़ देते है।
काम्या ;- गलती से लग गया होगा।
आटा झाड़ने के बाद भी मदनलाल ने अपना हाथ काम्या की गाण्ड से नहीं हटाया और यूं ही सहलाते हुए बोला
मदनलाल ;- बहु आज क्या सब्जी बना रही हो ?
काम्या ; - अभी कुछ पक्का नहीं किया है आपको जो पसंद हो वो बोलिए वाही खिला देंगे।
मदनलाल ;- हमें जो पसंद है वो तुम नही पाओगी
काम्या ;- आप बोलिए तो वाही खिला खिला देंगे।
मदनलाल ;- सोच लो फिर बात से मुकुरना मत।
काम्या ;- आप बोलिए तो सही। हम अपनी बात के पक्के हैं
तब तक मदनलाल काम्या की गांड को सहलाता हुआ उसके साइड में खड़ा हो गया था और काम्या के मोटे मोटे चूचियों को घूर रहा था जिसे काम्या भी समझ चुकी थी। मदनलाल को चुप देख काम्या उसकी ओर देख कर बोली
काम्या ;- बोलिए न क्या खिलाऊँ मदनलाल ने काम्या की आँखों में देखा और फिर नज़रों को नीचे कर बहु की मम्मों को देखते हुए बोला
मदनलाल;- हमें तो नॉनवेज खाना है
काम्या ;- नॉनवेज तो हमारे घर में पकता नहीं है। मम्मी मना करेंगी
मदनलाल ;- घर में पकता नहीं है तो कच्चा ही खिला दो। कहते हुए मदनलाल ने बहु की गांड को जोअर से दबा दिया
काम्या ;- उई माँ -- कोई कच्चा मांस खाता है क्या बाबूजी ?
मदनलाल ;- बहु हम तो फौजी आदमी है हमें कच्चा मांस खाने की भी आदत है। कहते हुए मदनलाल ने एक उंगली काम्या की दरार में डालदी।
काम्या ;- पता नहीं आप कैसे कच्चा मांस खा लेते है। हमने तो आज तक ऐसा कोई नहीं देखा।
मदनलाल ;- तुमने अभी दुनिया देखी ही कहाँ है बहु। और एक बात बताएं ?
काम्या ;- कौन सी बात बाबूजी ?
मदनलाल ;- बहु मांस अगर ताज़ा और कम उमर का हो तो कच्चा खाने में और ज्यादा मजा आता है। एक बार अगर तुम कच्चा खा लोगी तो दीवानी हो जाओगी।
काम्या ससुर की द्विअर्थी बातें सुनकर अंदर ही अंदर कामाग्नि में जली जा रही थी। आज के पहले उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वो कभी अपने ससुर से ऐसी बात कर पायेगी लेकिन समय की बलिहारी है की काम्या जैसी सभ्य लड़की अतृप्त काम के वशीभूत हो रही थी। तभी पूजन कक्ष से घंटी की आवाज़ आई जिसका मतलब था की सास की पूजा ख़त्म होने वाली थी। काम्या बोली।
काम्या ;- बाबूजी अब आप जाइये यहाँ से मम्मी आने वाली हैं
मदनलाल ;- और हमारा नॉनवेज
काम्या ;- मम्मी से परमिशन ले लो तो वो भी मिल जायेगा।
मदनलाल ;- वो कभी नहीं मानेगी तुम्हे चोरी छुपे ही खिलाना पड़ेगा।
काम्या ;- हाय राम। बाबूजी अब हमसे पाप भी करवाओगे क्या।
मौके की नजाकत को देखते हुए मदनलाल किचन से निकल गया और बाथरूम ओर चल दिया ,काम्या ने ससुर को बाथरूम की ओर जाते हुए देखा तो अंदर ही अंदर शर्मा गई। काम्या शादीशुदा औरत थी वो अच्छी तरह जानती थी की बाथरूम में जाकर ससुर क्या करेंगे। काम्या भी जल्दी से अपने रूम में चली गई। उसके पुरे बदन में सुरसुरी हो रही थी। उसके खून की गति बड़ी हुई थी और गाल एकदम लाल हो गए थे।उसे अपनी गाण्ड में अभी तक बाबूजी की उंगली महसूस हो रही थी वो मन ही मन बुदबुदाई "हे भगवान अगर बाबूजी ने थोड़ा और दबाव डाला होता तो उंगली तो उस वाली जगहमें घुस ही जाती।" बेड में बैठकर वो सोचने लगी की आखिर इन मर्दों को औरतों की गाण्ड इतनी अच्छी क्यों लगती है और उसकी गाण्ड के तो जवान तो क्या बूढ़े भी दीवाने हैं। इधर ससुराल में ससुर गाण्ड के पीछे पगला गए हैं तो उधर शादी के पहले मामाजी मेरी गांड के पीछे हाथ धो कर पड़ गए थे उसे एकाएक मामाजी की हरकतें याद आने लगी। दरअसल काम्या के एक मामाजी थे जो गाँव में रहते थे और खेती के अलावा एक दुकान भी चलाते थे मामा का गाँव काम्या के शहर से करीब ५ घंटे की दुरी पर था। मामा जी अक्सर महीने दो महीने में खरीदारी लिए काम्या के शहर आते थे तो काम्या के घर भी आते थे। मामा अपनी लाड़ली भांजी काम्या को बहुत प्यार करते थे। मगर लड़कियां अपने नाजुक अंगों के प्रति बहुत संवेदनशील होती हैं। बारह तेरह साल की होते होते काम्या को समझ आने लगा की मामा की नज़रों में खोट है और वो उसके निजी अंगों को छूते हैं। असल में हुआ ये था की ज्यों ज्यों काम्या के बदन का भूगोल बदल रहा था त्यों त्यों मामा की नजर भी बदल रही थी। अब मामा जब भी आते तो काम्या को अपने से चिपटाने की कोशिश करते उसे जबरदस्ती अपनी गोद में बैठा लेते। गोद में क्या बैठाते बल्कि अपने खड़े लण्ड में काम्या को टांग लेते। एक बार की बात है काम्या बारहवीं में थी जवानी उसपर टूट के आयी थी पूरा बदन यौवन से लदा पड़ा था। काम्या स्कूल से घर आई। उसने दूर से ही देख लिया था कि माँ छत पर खड़ी है , काम्या जैसे ही घर के अंदर घुसी तो सामने मामा जी खड़े थे। काम्या को स्कर्ट में देखकर मामा की आँखे खुली की खुली रह गई. छोटी सी स्कर्ट के अंदर से 18 वर्षीया सर्वांग सुंदरी काम्या की मांसल जांघे झांक रही थी। गोरी चिकनी एथलेटिक जांघे देखकर मामा का सारा खून उनके मूसल में इकट्ठा होने लगा। काम्या जान गई थी की मामा की नजर कहाँ हैंकिन्तु शिस्टाचार वस वो पैर पड़ने के लिए झुकी तो मामा ने उसे तुरंत ऊपर ही लपक लिया और जोर से सीने से भींच लिया। काम्या के दोनों अमृत कलश मामा के सीने में पिचक गए। मामा उसे कस कर पीठ
से पकड़ा हुआ था। अचानक मामा ने अपने हाथ नीचे किये और काम्या की गदरायी गाण्ड पकड़ ली। काम्या शर्म के मारे पानी पानी हो गई। मामा ने उसकी गांड को मसलते हुए बेशर्मी से कहा "अरे कम्मो ,तू पीछे से तो पूरी साइज की हो गई है और सामने से भी पूरी तैयार है। सचमुच कम्मो डार्लिंग तू तो पूरी खेलने खाने लायक हो गई है "
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