Thursday, July 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI विधवा चाची -1

FUN-MAZA-MASTI

विधवा चाची -1



यह कहानी किसी गर्लफ्रेंड की नहीं.. बल्कि मेरे घर से ही है.. मुझे नहीं पता मैं सही हूँ या ग़लत.. मगर मुझे यह सही लगा।
अब किस्सा क्या था.. उस पर आते हैं.. कहानी है मेरी और मेरी चाची की.. जो भरी जवानी में विधवा हो गई थीं।
चाची की उम्र 26 साल थी.. जब चाचा ने दुनिया को छोड़ दिया.. मैं उस समय 18 साल का हुआ ही था.. जब ये सब हुआ।
एक साल तो घर संभालने में ही लग गया.. धीरे-धीरे चाची कुछ नॉर्मल हुईं। उस वक्त मैं अक्सर घर पर होता था.. तो मैं उनसे सबसे ज्यादा क्लोज़ था, चाची हर काम के लिए मुझे याद करती थीं। मैं उम्र के उस दौर में था.. जहाँ एक लड़का लड़की को देख कर ही पागल हो जाता है, चाची की उम्र ज्यादा ना होने की वजह से मेरा उनकी तरह आकर्षित होना स्वाभाविक था।
चाची के बारे में अगर कहूँ.. तो चाची बहुत सुंदर हैं.. उनका फिगर भी 34-30-34 का रहा होगा.. रंग गोरा.. इतनी सुंदर कि मैं उन पर शुरू से ही मरता था।
मगर एक शर्म रिश्तों के कारण आ ही जाती है।
तो अब मैं अपनी कहानी की मूल घटना पर आता हूँ.. मैं अक्सर घर पर ही रहता था.. तो कभी-कभार उन्हें छू लेता था.. कभी हाथ पकड़ना.. कभी उनके चूचों को छू लेना.. मगर वो कभी ग़लत नहीं समझती थीं।
चाची को छुप-छुप कर नहाते हुए देखना.. यह मेरी रोज की कहानी थी। मैं उनके नाम की मुठ्ठ.. दिन में पता नहीं कितनी बार ही मार लिया करता था।
एक शाम हम दिल्ली से शादी से वापिस आ रहे थे तो मैं गाड़ी में सबसे पीछे चाची के साथ बैठा हुआ था।
वो मेरे सामने थी और मैंने उनकी गोद में अपने पैर रख दिए और मुझे नींद आ गई।
जब मैं उठा मेरे पैर उनके चूचों को छू रहे थे, मैं ऐसे ही पड़ा रहा और जान कर भी अंजान बन कर उन्हें छेड़ता रहा।
चाची भी सोने का नाटक कर रही थीं। मैंने पैर नीचे किया और सलवार के बीच में घुसा दिया। मैंने महसूस किया कि वो पानी छोड़ चुकी थीं।
मैंने जब वहाँ पैर लगाया.. तो वो जाग गईं और उन्होंने मेरा पैर हटा दिया। मुझे लगा उन्हें बुरा लगा है.. मगर मैंने उनके अरमानों को फिर से जगा दिया था।
हम रात के 12 बजे घर पहुँचे और मैंने उनके बिल्कुल साथ अपनी फोल्डिंग बिछाई.. मगर वो मुझसे बात नहीं कर रही थीं।
रात को सोते समय उनका एक पैर मेरे फोल्डिंग पर था.. मैंने अपना सिर उनके पैरों के पास रख लिया और थोड़ी हिम्मत करके मैंने उनके पैरों को चूमा.. तो वो पूरी तरह हिल गईं।
मैं भी सोने का नाटक करने लगा.. थोड़ी देर बाद मैंने फिर से ऐसा किया.. मगर इस बार उन्होंने कोई विरोध नहीं किया।
मैं वापिस उन्हीं की तरफ सिर करके लेट गया।
हम लोग खुले में सोते थे तो बाकी घर के लोगों का डर लगता था। मगर जब चूत दिखती है.. और लौड़ा खड़ा होता है तो सब डर गायब हो जाता है।
चाँदनी रात में मैं उन्हें निहार रहा था और वो आराम से सो रही थीं। मैंने अपना एक हाथ उनके चूचों पर रख दिया तो उन्होंने खुद को पलट लिया।
मैं डर गया और फिर से सोने का नाटक करने लगा।
फिर मुझे पता ही नहीं लगा.. कब मुझे नींद आ गई और जब 3 बजे के पास मैं उठा तो मैंने पाया कि मेरा हाथ उन्होंने पकड़ कर अपने चूचों से सटा कर रखा हुआ है।
यह देखते ही लंड में बिजलियाँ सी आ गईं.. नींद फुर्र हो गई.. और मैंने डरते-डरते उनके चूचों को दबाना शुरू कर दिया।
वो थोड़ी देर चुप रहीं.. मगर मैं थोड़ी देर बाद उनकी ‘आहें’ महसूस कर सकता था।
उनका एक पैर.. जो मेरी फोल्डिंग पर था.. मैंने उस पर चादर डाल कर अपने लोवर में घुसा दिया.. जो मेरे लंड को रगड़ रहा था।
हाय.. क्या एहसास था यारों.. मैं ब्यान नहीं कर सकता..
शायद वो झड़ गई होंगी.. क्योंकि अब वो पलट गई थीं।
मगर मैंने अपना पैर पीछे से उनकी सलवार से उनके चूतड़ों में घुसा दिया.. हय.. क्या कोमल मखमली चूतड़ थे..
उस रात बस यही हुआ.. आगे क्या हुआ ये अगले भाग में..

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