FUN-MAZA-MASTI
गलती पर गलती
हैल्लो दोस्तों… मेरा नाम केशव है और में गुजरात का रहने वाला हूँ और यह कहानी तब की है जब मेरे 12वी क्लास के पेपर चल रहे थे।
दोस्तों मेरे परिवार में हम चार लोग है.. माँ, पापा, में और मेरी प्यारी बहिन गुड़िया.. वैसे उसका नाम सुमैया है और प्यार से हम सब उसको सूमी बुलाते है। वो मुझसे उम्र में 2 साल छोटी है। जब हमारे बीच सेक्स हुआ तब उसकी वो नयी नयी जवानी थी और वो गजब सेक्सी लगने लगी थी। उसके धीरे-धीरे छोटे-छोटे बूब्स निकल रहे थे और गांड भी आकार लेती जा रही थी। मेरी गुड़िया थोड़ी मॉडर्न टाईप की लड़की है और वो बहुत ही सेक्सी कपड़े पहनती है। हम दोनों में बहुत ही अच्छा फ्रेंड्ली रिलेशन था और हम ज्यादातर सभी बातें एक दूसरे से करते थे। दोस्तों अब में आपका ज्यादा टाईम खराब ना करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ।
में और गुड़िया एक दूसरे से बहुत खुलकर बातें करते थे और एक दूसरे के साथ बहुत मस्ती करते थे। एक साथ में बैठकर टी.वी देखते और कभी-कभी तो एक साथ में सो भी जाते थे और उस वक्त ऐसा कुछ भी मेरे और उसके दिमाग़ में नहीं था। हम दोनों बस भाई बहिन की तरह व्यवहार करते थे। एक दूसरे को देखते और ऐसे ही रहते थे और हमारे बीच बहुत प्यार था। यह बात एक दिन की है जब माँ पापा नीचे के रूम में थे.. में और गुड़िया मेरे कमरे में मस्ती कर रहे थे और मस्ती करते-करते उसने मुझे गाल पर एक ज़ोर से थप्पड़ मार दिया और मुझे बहुत ज़ोर से लगा तो में उस पर बहुत गुस्सा हो गया.. उस समय हम दोनों बेड पर आमने-सामने बैठे थे और फिर गुस्से में मैंने उसे एक ज़ोर से धक्का मार दिया और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर चड़ गया।
तभी इसी दौरान मेरे दोनों हाथ उसके छोटे छोटे बूब्स पर आ गये और मेरे हाथ से थोड़े बहुत दब भी गये.. लेकिन में बहुत गुस्से में था और मुझे कुछ भी पता नहीं चला। फिर उसने मुझे 2-3 बार ज़ोर से धक्का दिया.. लेकिन में उसके ऊपर से नहीं हटा और उसे और भी ज़ोर से दबाने लगा और कहने लगा कि बता.. क्या अब फिर करेगी सूमी की बच्ची? मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चला कि मेरे दोनों हाथ उसके एकदम मुलायम गोल-गोल बूब्स को बहुत ही बेरहमी से दबा रहे थे। तभी उसने मेरा विरोध करना बंद कर दिया और अपना सारा शरीर ढीला छोड़ दिया और मुझसे हार मान ली। तो मेरा गुस्सा भी थोड़ा शांत हुआ और में उसके ऊपर से उठने ही वाला था कि मुझे महसूस हुआ… कि उसके दोनों बूब्स मेरे हाथ में है और वो बुरी तरह से दब गये है। तो मैंने उसकी तरफ देखा.. लेकिन वो मुझसे नज़रे चुरा रही थी और शरमा गयी।
फिर मुझे यह सब देखकर बहुत बुरा लगा। क्योंकि मैंने अपनी बहिन के बारे में कभी ऐसा नहीं सोचा था। यह सब एक घटना थी जो हमारे साथ घटित हुई.. अब में भी शर्म के मारे उसके ऊपर से हट गया। अब मुझमें उससे सॉरी कहने की हिम्मत भी नहीं थी.. वो वहाँ से एकदम उठकर अपने कमरे में भाग गयी और उसके जाने के बाद वो पूरी घटना मेरे दिमाग़ में घूमने लगी और मुझे बहुत पछतावा हुआ और उसी बात को सोचकर.. कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला। फिर दूसरे दिन जब सुबह में उठा और नाश्ते के लिए नीचे गया तो मैंने देखा कि वो भी मेरी माँ के साथ किचन के काम में लगी हुई थी.. मेरा चेहरा लाल हो गया था और मुझमें बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी कि में उसके सामने उससे नजरें मिलाकर देख सकूँ और मुझे उसे सॉरी बोलना था.. लेकिन में हिम्मत नहीं कर पाया। फिर 2-3 दिन ऐसे ही गुज़र गये और सब कुछ पहले जैसा होने लगा.. लेकिन अब भी वो मेरे साथ खुलकर पहले जैसे बातें नहीं करती थी और मुझसे दूर-दूर रहती थी और वो भी मुझसे आखें नहीं मिला पा रही थी और मुझे भी बहुत बुरा लगता था और मुझे घर में उसके बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था और में पूरे दिन उदास रहने लगा।
फिर ऐसे ही थोड़े दिन गुजर गये.. लेकिन हमारे बीच की वो बात ख़त्म नहीं हुई। में हर रोज सुबह उठकर सोचता कि आज गुड़िया मुझसे खुलकर बात करेगी.. लेकिन वो मुझसे कम ही बात करती और बाकी टाईम मुझे अनदेखा करती। तभी थोड़े दिन बाद में अपने कमरे में सोया हुआ था.. तभी मेरी माँ बहुत घबराई हुई मेरे कमरे में आई और मुझे नींद से जगाया और कहने लगी कि नाना जी बहुत बीमार है और हमे तुरंत वहाँ पर जाना होगा.. वो और मेरे पापा अभी सीधे हॉस्पिटल जा रहे है और अगर वो ज़्यादा गंभीर होंगे तो मुझे फोन करेंगे और तुम गुड़िया को लेकर आ जाना.. इतना कहकर वो चले गए। फिर में नाश्ता करने के लिए नीचे गया तो गुड़िया वहीं पर थी। उसने मेरे सामने टेबल पर सब रख दिया और वहाँ से चली गयी और फिर में भी नाश्ता करके अपने रूम में चला गया और टी.वी देखने लगा। मेरी छुट्टियाँ चल रही थी तो स्कूल तो मुझे जाना ही नहीं था और में करीब दोपहर के दो बजे तक अपने रूम में ही बैठा रहा और फिर में खाने के लिए उठने ही वाला था कि गुड़िया खुद मेरे कमरे में आ गयी।
तभी एक पल के लिए मुझे बहुत अच्छा लगा और में उसे देखता रहा.. लेकिन वो अभी भी मुझसे थोड़ी रूठी थी और में भी बेड पर ही बैठा रहा। तभी थोड़ी देर वो वहीं पर खड़ी रही.. फिर मेरे करीब आई और मुझसे पूछने लगी कि आप मुझसे बात क्यों नहीं करते हो? तो मैंने उसकी आखों में आखें डालकर देखा और बोला कि बात तो तुम नहीं करती और कितने दिन से तुम मुझे अनदेखा कर रही हो.. मुझे तुम्हारे बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और कितने दिनों से में हर रोज यही सोचता हूँ कि तुम कब मुझसे बात करोगी? और यह सब बातें करते हुए मेरी आखों में पानी आ गया और में बिल्कुल रोने जैसा हो गया.. मेरी आवाज़ भी बदल चुकी थी और उसने भी यह सब महसूस किया। तो वो एकदम से मेरे करीब आ गयी और मुझे गले लगा लिया.. मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने भी उसे गले लगा लिया और फिर में उससे बोलने लगा कि सॉरी गुड़िया.. मैंने जो कुछ भी किया वो जानबूझ कर नहीं किया.. मुझे सच में नहीं पता था कि मेरे हाथ वहाँ पर है और मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिये था।
तो वो भी उदास हो गयी और रोने लगी.. लेकिन इस बीच मैंने उसे ज़ोर से कसकर पकड़ लिया। उसने भी मुझे कसकर पकड़ रखा था और उसके बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे और में उसकी कमर को सहला रहा था और मेरी गरम-गरम साँसे उसकी गर्दन पर लग रही थी और अब वो भी मुझे छोड़ने के इरादे में नहीं थी तो में भी उसमे ही खो गया.. लेकिन मुझे बिल्कुल भी पता नहीं वो क्या था? मेरी भावना, मेरा उसके प्रति प्यार या फिर मेरी सेक्स की भावना? में पहली बार किसी लड़की को इतने ज़ोर से गले लगा रहा था और में बिल्कुल भी होश में नहीं था। मेरी आखों में नमी थी और मुझे पता नहीं कुछ बड़बड़ा रहा था और फिर में उसके शरीर की गर्माहट में इतना खो गया कि सब कुछ भूलकर मैंने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर उसके दोनों कान के नीचे रख दिए और उसे किस करने लगा.. लेकिन मुझे पता नहीं था कि में क्या कर रहा हूँ? और क्यों कर रहा हूँ? और इसके आगे क्या होगा? वो कुछ भी मेरे दिमाग़ में नहीं आया। दोस्तों बस यह समझो.. थोड़ी देर के लिए में कोमा में चला गया था और फिर मैंने जैसे ही उसे गर्दन पर छुआ तो वो एकदम शरमा सी गयी थी.. लेकिन कुछ भी नहीं बोली। फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन से हटाकर मेरी पीठ पर रख दिए थे। जैसे जैसे में उसे किस करता जा रहा था.. वैसे-वैसे वो भी मेरी कमर को सहला रही थी। फिर में उसकी दूध जैसी गोरी गर्दन को चूमता गया और उसके जिस्म के नशे में डूबता ही चला गया। अब वो और ज़ोर से मेरी कमर को सहला रही थी.. मुझे और ज़ोर से अपनी और दबा रही थी। उसके दोनों बूब्स मेरी छाती पर एकदम चिपक गये थे और में उसके पूरे बदन की गर्माहट महसूस करने लगा था।
फिर मेरे होंठ धीरे-धीरे उसकी गर्दन से नीचे आ रहे थे और यह सब कुछ अपने आप ही हो रहा था.. में अब उसके आगे के हिस्से को चूम रहा था और अब उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया था और वो अब बेड पर लेटना चाहती थी। मैंने उसे थोड़ा सा झुकाया और लेटा दिया। में फिर से उसको किस करने लगा था और मुझे पता नहीं कितनी देर तक में उसे ऐसे ही किस करता रहा.. वो धीरे-धीरे उम्म्म उह्ह्ह अहह की आवाज़े निकालती रही और अब मेरा लंड पूरा तन गया था और उसकी प्यारी सी चूत के आस-पास कहीं पर छू रहा था। तभी में जोश में आ गया और दोनों हाथों से उसके बूब्स को सहलाने लगा। मेरी गुड़िया के बूब्स एकदम नाज़ुक और बहुत ही मुलायम थे.. लेकिन ज़्यादा बड़े नहीं थे। पहले तो में बड़े प्यार से सहला रहा था लेकिन धीरे-धीरे मेरे हाथ ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाने लगे और उसी के साथ उसकी सिसकियाँ भी तेज होती जा रही थी और अब में उसमे खो जाना चाहता था। तो मैंने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक में घुसा दिए और ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स पकड़ लिए और सहलाने लगा.. लेकिन ना जाने मेरा मन इन सबसे भरता ही नहीं था मुझे और कुछ भी करना था।
तभी मैंने उसकी फ्रॉक को ऊपर कर दिया और मुझे उसकी ब्रा का निचला हिस्सा दिख रहा था और नीचे उसका गोरा-गोरा बदन एकदम सेक्सी और बीच में एक सुंदर सी नाभि.. में अब बिल्कुल भी रुकना नहीं चाहता था और सीधे ही मैंने अपना मुँह उसके पेट पर रख दिया और पागलों की तरह चाटने लगा। तो वो एकदम शरमा उठी थी और उसका पूरा बदन अकड़ रहा था और उसके हाथ मेरे बालों में घुमा रही थी। कभी वो मेरे बालों को ज़ोर से खींचती तो कभी मेरा सिर उसकी छाती की तरफ दबाती.. उसकी सिसकियों की आवाज़ से पूरा रूम भर गया था।
अब हम दोनों में से कोई भी अपने होश में नहीं था कि हम यह सब क्या कर रहे है? या फिर हम यह जानना ही नहीं चाहते थे और सब कुछ हो रहा था उसे होने दे रहे थे? मुझे पता नहीं.. लेकिन में बस अपनी जीभ उसके पूरे पेट पर घुमा रहा था.. लेकिन अब मेरे होंठ कुछ और चाहते थे। तो वो धीरे-धीरे उसके बूब्स की तरफ बड़े जा रहे थे और मेरे हाथ उसकी ब्रा को खोलने में लगे हुए थे। फिर मैंने उसकी ब्रा को पूरा ऊपर कर दिया और उसके दोनों बूब्स बाहर आ गये.. छोटे-छोटे बहुत ही नाज़ुक और बहुत ही मासूम लग रहे थे.. उन्हे देखते ही ना जाने मेरी आखों में जैसे चमक आ गई हो और मेरे होंठ उस तरफ दौड़ने लगे। तो मैंने उसका एक बूब्स पूरा अपने मुँह में ले लिया और चाटने लगा, चूसने लगा और दूसरे को अपने हाथ से सहलाने लगा। उसने मेरे बालों को बहुत कसकर पकड़ रखा था और मेरे सर को ज़ोर से अपने बूब्स पर दबा रही थी। अब उसका पूरा बदन जोश में उभर रहा था और उसकी तड़प इतनी बड़ गयी थी कि वो गर्म होकर तड़पने लगी थी। फिर वो कभी अपनी गांड को उठाकर बेड पर पटकती तो कभी अपने दोनों पैर बेड के ऊपर रगड़ती तो कभी अपने मुँह को इधर उधर घुमाती.. उसके पूरे जिस्म में एक अजीब सी बैचेनी होने लगी थी.. लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। तो मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था.. लेकिन वो अब अंदर नहीं रहना चाहता था और में अच्छा महसूस नहीं कर रहा था और अब मुझे आगे बड़ना था। मैंने अपना मुँह उसके बूब्स पर से हटा लिया और मेरे दोनों हाथों से पेंटी खोलने लगा। में उसके पूरे कपड़े तो नहीं निकाल पाया.. लेकिन अब उसकी लाल कलर की पेंटी मुझे दिख रही थी.. अब में और नहीं रुक सकता था।
फिर मैंने उसके चूतड़ को थोड़ा ऊपर किया और पेंटी के ऊपर से ही उसकी प्यारी सी नन्ही सी चूत को हाथ में ले लिया.. लेकिन मैंने जैसे ही उसे छुआ तो उसके पूरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी। वो और तड़पने लगी.. उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और में उसकी गीली चूत अपनी हथेली पर महसूस कर रहा था.. वो बहुत ही गर्म और मुलायम थी। मेरी गुड़िया की प्यारी सी चूत एकदम फूली हुई थी और पेंटी में से भी साफ-साफ नज़र आ रही थी। मैंने उसे अपनी हथेली में दबा रखा था.. अब मेरे होंठ नीचे झुक रहे थे और मेरे हाथ पेंटी को निकाल रहे थे और जैसे ही पेंटी नीचे हुई तो मेरे सामने एक अलग ही नज़ारा था। मेरी प्यारी गुड़िया की प्यारी सी चूत बिल्कुल मेरे सामने थी। फूले हुए होंठ दरार को पूरी तरह से ढँक रहे थे और हल्के-हल्के बाल ऊपर पहरा दे रहे थे.. में जी भरकर उसे देख रहा था और जब मेरा मन भर गया तो अपना मुँह सीधा ही दरार पर रख दिया और मेरी जीभ दरार खोलने में लग गयी। अब उसकी हालत पानी बिना मछली के जैसी थी और उसने अपने दोनों हाथों से बेडशीट को पकड़ रखा था और तड़प रही थी और में उस प्यारी सी चूत को चाटने में लग गया।
फिर मैंने अपनी उंगली से उसके होंठ खोल दिए और अपनी जीभ अंदर डाल दी और चूसने लगा.. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा था और लग रहा था जैसे कोई गरम भट्टी में अपना मुँह रख दिया हो और वो आग उगल रही हो.. मेरी जीभ और अंदर जाना चाहती थी और वो मेरी बहिन की मदहोशी को बढ़ा रही थी.. उसका बदन अकड़ने लगा था और वो मेरे सिर को अपने हाथों से उसकी चूत की तरफ धकेल रही थी। फिर अचानक उसने मेरे सिर को ज़ोर से दबोच लिया और ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई अपना सारा रस मेरे मुँह पर निकाल दिया और कहने लगी कि भैया बस भैया बस भैया मुझे कुछ अजीब लग रहा है और उस वक्त वो ढीली पड़ गयी थी.. लेकिन मेरा लंड पूरा तना हुआ था। अब में और इंतजार नहीं कर सकता था.. फिर मैंने उसके पैर और फैला दिए और अपना लंड बाहर निकाला और उसके पैरों के बीच पोज़िशन में आ गया। तो उसकी आँखे बंद थी और वो कुछ चाहती थी.. ऐसा लगता था कि वो किसी के इंतजार में सो रही हो। तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ कर चिकना किया और अपना टोपा उसकी चूत के छेद पर रखा और तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड उसकी चूत के मुक़ाबले बहुत मोटा है और यह उसे फाड़ देगा.. मेरा लंड ज़्यादा लंबा तो नहीं है लेकिन बहुत मोटा है और मेरे लंड की लम्बाई 5-6 इंच है लेकिन उसकी मोटाई 2 इंच है.. फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रखे और लीप किस करने लगा.. उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम दोनों लिप किस में खो गये। मैंने अपना लंड चेक किया और वो बिल्कुल तैयार था अंदर जाने के लिए और वो भी तैयार थी.. वो आँखे बंद करके लेटी हुई थी और मेरे लंड के आने का इंतजार कर रही थी। तो मैंने ज़ोर से एक धक्का मारा और उसकी बहुत ज़ोर से चीख निकल गयी.. भैया में मर गई उफ्फ्फ आह्ह्ह प्लीज धीरे। अभी तक मेरा टोपा ही अंदर गया था और मैंने उसे संभलने का वक्त भी नहीं दिया और पीछे हटकर पूरा ज़ोर लगाकर धक्का मारा और उसी के साथ मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत की दीवार को चिरता हुआ अंदर चला गया।
तो मे पागल सा हो गया और वो ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थी। उसकी आँखे बिल्कुल बाहर आने को थी और पूरी तरह फट चुकी थी। उसकी आखों से और आँसू आ रहे थे लेकिन इन सबका मुझ पर कोई असर नहीं हुआ और मैंने फिर एक धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसकी नन्ही सी चूत में समा गया। वो अब भी चीखे जा रही थी और मुझे धक्के दे रही थी.. क्योंकि दर्द भी ज्यादा था और उसकी चूत मेरे लंड के साईज़ की नहीं थी.. लेकिन फिर भी उसने अपने अंदर पूरा लंड समा लिया था।
फिर धीरे-धीरे उसकी चीखे कम होने लगी और मेरी बेसब्री बढ़ने लगी.. मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया और उसकी चीखे अब सिसकियों में बदलने लगी थी.. धीरे धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी और अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था। तो में ऐसा महसूस कर रहा था कि में सातवें आसमान पर हूँ। फिर मेरी प्यारी गुड़िया की नन्ही सी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। मेरी रफ़्तार और बढ़ने लगी और गुड़िया अब ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी। भाईईईया भाइयाअ की आवाज़े रूम में गूँज रही थी और ठप ठप की आवाज़े उससे सुर मिला रही थी। तो में अब और नहीं रुक सकता था.. मेरा पानी कब से उबल रहा था और अब में झड़ने के करीब था। तो मेरा लंड किसी पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और जी कर रहा था कि अभी और ज़ोर से धक्के दूँ। फिर मेरा पानी बस मेरे लंड के मुँह के पास पहुंचने ही वाला था कि गुड़िया ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और वो अकड़ने लगी और अपना रस छोड़ने लगी।
फिर मेरा लंड उसकी गर्माहट महसूस कर रहा था और अब वो भी ज़ोर-ज़ोर के झटकों के साथ पिचकारियां छोड़ने लगी। में ऐसा महसूस कर रहा था कि यह पल कभी ख़त्म ही ना हो और पहली बार मेरे लंड में से इतना पानी निकला था। में अपनी प्यारी सी गुड़िया के ऊपर ही ढेर हो गया और उसके हाथ मेरे बालों को सहलाने लगे। तभी थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो मेरी ऊपर देखने की हिम्मत नहीं थी.. में धीरे से उसके ऊपर से सरक गया.. उसकी आँखे बंद थी और पैर अभी भी फैले हुए थे।
तभी मेरी नज़र उसकी प्यारी सी चूत पर पड़ी और मुझे महसूस हुआ कि मैंने उसकी क्या हालत कर दी है और अब वो संतुष्ट थी.. लेकिन अभी भी दर्द से तड़प रही थी और उसकी चूत उसके खून से हमारे पानी में रंग चुकी थी और उसके दोनों होंठ फैल गये थे। मुझे यकीन नहीं हुआ कि कुछ देर पहले जिस प्यारी सी चमकदार चूत को में चाट रहा था। क्या वो यही थी? मुझे पछतावा था.. लेकिन उससे ज़्यादा मेरी गुड़िया की फ़िक्र थी। तो मैंने अपना हाथ उसके गाल पर घुमाया.. लेकिन अभी भी उसने आँखे नहीं खोली थी। फिर में भी उससे चिपककर लेट गया और कब मुझे नींद आ गई.. पता ही नहीं लगा ।।
गलती पर गलती
हैल्लो दोस्तों… मेरा नाम केशव है और में गुजरात का रहने वाला हूँ और यह कहानी तब की है जब मेरे 12वी क्लास के पेपर चल रहे थे।
दोस्तों मेरे परिवार में हम चार लोग है.. माँ, पापा, में और मेरी प्यारी बहिन गुड़िया.. वैसे उसका नाम सुमैया है और प्यार से हम सब उसको सूमी बुलाते है। वो मुझसे उम्र में 2 साल छोटी है। जब हमारे बीच सेक्स हुआ तब उसकी वो नयी नयी जवानी थी और वो गजब सेक्सी लगने लगी थी। उसके धीरे-धीरे छोटे-छोटे बूब्स निकल रहे थे और गांड भी आकार लेती जा रही थी। मेरी गुड़िया थोड़ी मॉडर्न टाईप की लड़की है और वो बहुत ही सेक्सी कपड़े पहनती है। हम दोनों में बहुत ही अच्छा फ्रेंड्ली रिलेशन था और हम ज्यादातर सभी बातें एक दूसरे से करते थे। दोस्तों अब में आपका ज्यादा टाईम खराब ना करते हुए अपनी कहानी पर आता हूँ।
में और गुड़िया एक दूसरे से बहुत खुलकर बातें करते थे और एक दूसरे के साथ बहुत मस्ती करते थे। एक साथ में बैठकर टी.वी देखते और कभी-कभी तो एक साथ में सो भी जाते थे और उस वक्त ऐसा कुछ भी मेरे और उसके दिमाग़ में नहीं था। हम दोनों बस भाई बहिन की तरह व्यवहार करते थे। एक दूसरे को देखते और ऐसे ही रहते थे और हमारे बीच बहुत प्यार था। यह बात एक दिन की है जब माँ पापा नीचे के रूम में थे.. में और गुड़िया मेरे कमरे में मस्ती कर रहे थे और मस्ती करते-करते उसने मुझे गाल पर एक ज़ोर से थप्पड़ मार दिया और मुझे बहुत ज़ोर से लगा तो में उस पर बहुत गुस्सा हो गया.. उस समय हम दोनों बेड पर आमने-सामने बैठे थे और फिर गुस्से में मैंने उसे एक ज़ोर से धक्का मार दिया और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर चड़ गया।
तभी इसी दौरान मेरे दोनों हाथ उसके छोटे छोटे बूब्स पर आ गये और मेरे हाथ से थोड़े बहुत दब भी गये.. लेकिन में बहुत गुस्से में था और मुझे कुछ भी पता नहीं चला। फिर उसने मुझे 2-3 बार ज़ोर से धक्का दिया.. लेकिन में उसके ऊपर से नहीं हटा और उसे और भी ज़ोर से दबाने लगा और कहने लगा कि बता.. क्या अब फिर करेगी सूमी की बच्ची? मुझे बिल्कुल भी पता नहीं चला कि मेरे दोनों हाथ उसके एकदम मुलायम गोल-गोल बूब्स को बहुत ही बेरहमी से दबा रहे थे। तभी उसने मेरा विरोध करना बंद कर दिया और अपना सारा शरीर ढीला छोड़ दिया और मुझसे हार मान ली। तो मेरा गुस्सा भी थोड़ा शांत हुआ और में उसके ऊपर से उठने ही वाला था कि मुझे महसूस हुआ… कि उसके दोनों बूब्स मेरे हाथ में है और वो बुरी तरह से दब गये है। तो मैंने उसकी तरफ देखा.. लेकिन वो मुझसे नज़रे चुरा रही थी और शरमा गयी।
फिर मुझे यह सब देखकर बहुत बुरा लगा। क्योंकि मैंने अपनी बहिन के बारे में कभी ऐसा नहीं सोचा था। यह सब एक घटना थी जो हमारे साथ घटित हुई.. अब में भी शर्म के मारे उसके ऊपर से हट गया। अब मुझमें उससे सॉरी कहने की हिम्मत भी नहीं थी.. वो वहाँ से एकदम उठकर अपने कमरे में भाग गयी और उसके जाने के बाद वो पूरी घटना मेरे दिमाग़ में घूमने लगी और मुझे बहुत पछतावा हुआ और उसी बात को सोचकर.. कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला। फिर दूसरे दिन जब सुबह में उठा और नाश्ते के लिए नीचे गया तो मैंने देखा कि वो भी मेरी माँ के साथ किचन के काम में लगी हुई थी.. मेरा चेहरा लाल हो गया था और मुझमें बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी कि में उसके सामने उससे नजरें मिलाकर देख सकूँ और मुझे उसे सॉरी बोलना था.. लेकिन में हिम्मत नहीं कर पाया। फिर 2-3 दिन ऐसे ही गुज़र गये और सब कुछ पहले जैसा होने लगा.. लेकिन अब भी वो मेरे साथ खुलकर पहले जैसे बातें नहीं करती थी और मुझसे दूर-दूर रहती थी और वो भी मुझसे आखें नहीं मिला पा रही थी और मुझे भी बहुत बुरा लगता था और मुझे घर में उसके बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था और में पूरे दिन उदास रहने लगा।
फिर ऐसे ही थोड़े दिन गुजर गये.. लेकिन हमारे बीच की वो बात ख़त्म नहीं हुई। में हर रोज सुबह उठकर सोचता कि आज गुड़िया मुझसे खुलकर बात करेगी.. लेकिन वो मुझसे कम ही बात करती और बाकी टाईम मुझे अनदेखा करती। तभी थोड़े दिन बाद में अपने कमरे में सोया हुआ था.. तभी मेरी माँ बहुत घबराई हुई मेरे कमरे में आई और मुझे नींद से जगाया और कहने लगी कि नाना जी बहुत बीमार है और हमे तुरंत वहाँ पर जाना होगा.. वो और मेरे पापा अभी सीधे हॉस्पिटल जा रहे है और अगर वो ज़्यादा गंभीर होंगे तो मुझे फोन करेंगे और तुम गुड़िया को लेकर आ जाना.. इतना कहकर वो चले गए। फिर में नाश्ता करने के लिए नीचे गया तो गुड़िया वहीं पर थी। उसने मेरे सामने टेबल पर सब रख दिया और वहाँ से चली गयी और फिर में भी नाश्ता करके अपने रूम में चला गया और टी.वी देखने लगा। मेरी छुट्टियाँ चल रही थी तो स्कूल तो मुझे जाना ही नहीं था और में करीब दोपहर के दो बजे तक अपने रूम में ही बैठा रहा और फिर में खाने के लिए उठने ही वाला था कि गुड़िया खुद मेरे कमरे में आ गयी।
तभी एक पल के लिए मुझे बहुत अच्छा लगा और में उसे देखता रहा.. लेकिन वो अभी भी मुझसे थोड़ी रूठी थी और में भी बेड पर ही बैठा रहा। तभी थोड़ी देर वो वहीं पर खड़ी रही.. फिर मेरे करीब आई और मुझसे पूछने लगी कि आप मुझसे बात क्यों नहीं करते हो? तो मैंने उसकी आखों में आखें डालकर देखा और बोला कि बात तो तुम नहीं करती और कितने दिन से तुम मुझे अनदेखा कर रही हो.. मुझे तुम्हारे बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता और कितने दिनों से में हर रोज यही सोचता हूँ कि तुम कब मुझसे बात करोगी? और यह सब बातें करते हुए मेरी आखों में पानी आ गया और में बिल्कुल रोने जैसा हो गया.. मेरी आवाज़ भी बदल चुकी थी और उसने भी यह सब महसूस किया। तो वो एकदम से मेरे करीब आ गयी और मुझे गले लगा लिया.. मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने भी उसे गले लगा लिया और फिर में उससे बोलने लगा कि सॉरी गुड़िया.. मैंने जो कुछ भी किया वो जानबूझ कर नहीं किया.. मुझे सच में नहीं पता था कि मेरे हाथ वहाँ पर है और मुझे तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करना चाहिये था।
तो वो भी उदास हो गयी और रोने लगी.. लेकिन इस बीच मैंने उसे ज़ोर से कसकर पकड़ लिया। उसने भी मुझे कसकर पकड़ रखा था और उसके बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे और में उसकी कमर को सहला रहा था और मेरी गरम-गरम साँसे उसकी गर्दन पर लग रही थी और अब वो भी मुझे छोड़ने के इरादे में नहीं थी तो में भी उसमे ही खो गया.. लेकिन मुझे बिल्कुल भी पता नहीं वो क्या था? मेरी भावना, मेरा उसके प्रति प्यार या फिर मेरी सेक्स की भावना? में पहली बार किसी लड़की को इतने ज़ोर से गले लगा रहा था और में बिल्कुल भी होश में नहीं था। मेरी आखों में नमी थी और मुझे पता नहीं कुछ बड़बड़ा रहा था और फिर में उसके शरीर की गर्माहट में इतना खो गया कि सब कुछ भूलकर मैंने अपने होंठो को उसकी गर्दन पर उसके दोनों कान के नीचे रख दिए और उसे किस करने लगा.. लेकिन मुझे पता नहीं था कि में क्या कर रहा हूँ? और क्यों कर रहा हूँ? और इसके आगे क्या होगा? वो कुछ भी मेरे दिमाग़ में नहीं आया। दोस्तों बस यह समझो.. थोड़ी देर के लिए में कोमा में चला गया था और फिर मैंने जैसे ही उसे गर्दन पर छुआ तो वो एकदम शरमा सी गयी थी.. लेकिन कुछ भी नहीं बोली। फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन से हटाकर मेरी पीठ पर रख दिए थे। जैसे जैसे में उसे किस करता जा रहा था.. वैसे-वैसे वो भी मेरी कमर को सहला रही थी। फिर में उसकी दूध जैसी गोरी गर्दन को चूमता गया और उसके जिस्म के नशे में डूबता ही चला गया। अब वो और ज़ोर से मेरी कमर को सहला रही थी.. मुझे और ज़ोर से अपनी और दबा रही थी। उसके दोनों बूब्स मेरी छाती पर एकदम चिपक गये थे और में उसके पूरे बदन की गर्माहट महसूस करने लगा था।
फिर मेरे होंठ धीरे-धीरे उसकी गर्दन से नीचे आ रहे थे और यह सब कुछ अपने आप ही हो रहा था.. में अब उसके आगे के हिस्से को चूम रहा था और अब उसने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया था और वो अब बेड पर लेटना चाहती थी। मैंने उसे थोड़ा सा झुकाया और लेटा दिया। में फिर से उसको किस करने लगा था और मुझे पता नहीं कितनी देर तक में उसे ऐसे ही किस करता रहा.. वो धीरे-धीरे उम्म्म उह्ह्ह अहह की आवाज़े निकालती रही और अब मेरा लंड पूरा तन गया था और उसकी प्यारी सी चूत के आस-पास कहीं पर छू रहा था। तभी में जोश में आ गया और दोनों हाथों से उसके बूब्स को सहलाने लगा। मेरी गुड़िया के बूब्स एकदम नाज़ुक और बहुत ही मुलायम थे.. लेकिन ज़्यादा बड़े नहीं थे। पहले तो में बड़े प्यार से सहला रहा था लेकिन धीरे-धीरे मेरे हाथ ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स को दबाने लगे और उसी के साथ उसकी सिसकियाँ भी तेज होती जा रही थी और अब में उसमे खो जाना चाहता था। तो मैंने अपने दोनों हाथ उसकी फ्रॉक में घुसा दिए और ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स पकड़ लिए और सहलाने लगा.. लेकिन ना जाने मेरा मन इन सबसे भरता ही नहीं था मुझे और कुछ भी करना था।
तभी मैंने उसकी फ्रॉक को ऊपर कर दिया और मुझे उसकी ब्रा का निचला हिस्सा दिख रहा था और नीचे उसका गोरा-गोरा बदन एकदम सेक्सी और बीच में एक सुंदर सी नाभि.. में अब बिल्कुल भी रुकना नहीं चाहता था और सीधे ही मैंने अपना मुँह उसके पेट पर रख दिया और पागलों की तरह चाटने लगा। तो वो एकदम शरमा उठी थी और उसका पूरा बदन अकड़ रहा था और उसके हाथ मेरे बालों में घुमा रही थी। कभी वो मेरे बालों को ज़ोर से खींचती तो कभी मेरा सिर उसकी छाती की तरफ दबाती.. उसकी सिसकियों की आवाज़ से पूरा रूम भर गया था।
अब हम दोनों में से कोई भी अपने होश में नहीं था कि हम यह सब क्या कर रहे है? या फिर हम यह जानना ही नहीं चाहते थे और सब कुछ हो रहा था उसे होने दे रहे थे? मुझे पता नहीं.. लेकिन में बस अपनी जीभ उसके पूरे पेट पर घुमा रहा था.. लेकिन अब मेरे होंठ कुछ और चाहते थे। तो वो धीरे-धीरे उसके बूब्स की तरफ बड़े जा रहे थे और मेरे हाथ उसकी ब्रा को खोलने में लगे हुए थे। फिर मैंने उसकी ब्रा को पूरा ऊपर कर दिया और उसके दोनों बूब्स बाहर आ गये.. छोटे-छोटे बहुत ही नाज़ुक और बहुत ही मासूम लग रहे थे.. उन्हे देखते ही ना जाने मेरी आखों में जैसे चमक आ गई हो और मेरे होंठ उस तरफ दौड़ने लगे। तो मैंने उसका एक बूब्स पूरा अपने मुँह में ले लिया और चाटने लगा, चूसने लगा और दूसरे को अपने हाथ से सहलाने लगा। उसने मेरे बालों को बहुत कसकर पकड़ रखा था और मेरे सर को ज़ोर से अपने बूब्स पर दबा रही थी। अब उसका पूरा बदन जोश में उभर रहा था और उसकी तड़प इतनी बड़ गयी थी कि वो गर्म होकर तड़पने लगी थी। फिर वो कभी अपनी गांड को उठाकर बेड पर पटकती तो कभी अपने दोनों पैर बेड के ऊपर रगड़ती तो कभी अपने मुँह को इधर उधर घुमाती.. उसके पूरे जिस्म में एक अजीब सी बैचेनी होने लगी थी.. लेकिन मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। तो मेरा लंड लोहे जैसा सख्त हो गया था.. लेकिन वो अब अंदर नहीं रहना चाहता था और में अच्छा महसूस नहीं कर रहा था और अब मुझे आगे बड़ना था। मैंने अपना मुँह उसके बूब्स पर से हटा लिया और मेरे दोनों हाथों से पेंटी खोलने लगा। में उसके पूरे कपड़े तो नहीं निकाल पाया.. लेकिन अब उसकी लाल कलर की पेंटी मुझे दिख रही थी.. अब में और नहीं रुक सकता था।
फिर मैंने उसके चूतड़ को थोड़ा ऊपर किया और पेंटी के ऊपर से ही उसकी प्यारी सी नन्ही सी चूत को हाथ में ले लिया.. लेकिन मैंने जैसे ही उसे छुआ तो उसके पूरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी। वो और तड़पने लगी.. उसकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और में उसकी गीली चूत अपनी हथेली पर महसूस कर रहा था.. वो बहुत ही गर्म और मुलायम थी। मेरी गुड़िया की प्यारी सी चूत एकदम फूली हुई थी और पेंटी में से भी साफ-साफ नज़र आ रही थी। मैंने उसे अपनी हथेली में दबा रखा था.. अब मेरे होंठ नीचे झुक रहे थे और मेरे हाथ पेंटी को निकाल रहे थे और जैसे ही पेंटी नीचे हुई तो मेरे सामने एक अलग ही नज़ारा था। मेरी प्यारी गुड़िया की प्यारी सी चूत बिल्कुल मेरे सामने थी। फूले हुए होंठ दरार को पूरी तरह से ढँक रहे थे और हल्के-हल्के बाल ऊपर पहरा दे रहे थे.. में जी भरकर उसे देख रहा था और जब मेरा मन भर गया तो अपना मुँह सीधा ही दरार पर रख दिया और मेरी जीभ दरार खोलने में लग गयी। अब उसकी हालत पानी बिना मछली के जैसी थी और उसने अपने दोनों हाथों से बेडशीट को पकड़ रखा था और तड़प रही थी और में उस प्यारी सी चूत को चाटने में लग गया।
फिर मैंने अपनी उंगली से उसके होंठ खोल दिए और अपनी जीभ अंदर डाल दी और चूसने लगा.. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा था और लग रहा था जैसे कोई गरम भट्टी में अपना मुँह रख दिया हो और वो आग उगल रही हो.. मेरी जीभ और अंदर जाना चाहती थी और वो मेरी बहिन की मदहोशी को बढ़ा रही थी.. उसका बदन अकड़ने लगा था और वो मेरे सिर को अपने हाथों से उसकी चूत की तरफ धकेल रही थी। फिर अचानक उसने मेरे सिर को ज़ोर से दबोच लिया और ज़ोर से सिसकियाँ लेती हुई अपना सारा रस मेरे मुँह पर निकाल दिया और कहने लगी कि भैया बस भैया बस भैया मुझे कुछ अजीब लग रहा है और उस वक्त वो ढीली पड़ गयी थी.. लेकिन मेरा लंड पूरा तना हुआ था। अब में और इंतजार नहीं कर सकता था.. फिर मैंने उसके पैर और फैला दिए और अपना लंड बाहर निकाला और उसके पैरों के बीच पोज़िशन में आ गया। तो उसकी आँखे बंद थी और वो कुछ चाहती थी.. ऐसा लगता था कि वो किसी के इंतजार में सो रही हो। तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ कर चिकना किया और अपना टोपा उसकी चूत के छेद पर रखा और तब मुझे एहसास हुआ कि मेरा लंड उसकी चूत के मुक़ाबले बहुत मोटा है और यह उसे फाड़ देगा.. मेरा लंड ज़्यादा लंबा तो नहीं है लेकिन बहुत मोटा है और मेरे लंड की लम्बाई 5-6 इंच है लेकिन उसकी मोटाई 2 इंच है.. फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रखे और लीप किस करने लगा.. उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम दोनों लिप किस में खो गये। मैंने अपना लंड चेक किया और वो बिल्कुल तैयार था अंदर जाने के लिए और वो भी तैयार थी.. वो आँखे बंद करके लेटी हुई थी और मेरे लंड के आने का इंतजार कर रही थी। तो मैंने ज़ोर से एक धक्का मारा और उसकी बहुत ज़ोर से चीख निकल गयी.. भैया में मर गई उफ्फ्फ आह्ह्ह प्लीज धीरे। अभी तक मेरा टोपा ही अंदर गया था और मैंने उसे संभलने का वक्त भी नहीं दिया और पीछे हटकर पूरा ज़ोर लगाकर धक्का मारा और उसी के साथ मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत की दीवार को चिरता हुआ अंदर चला गया।
तो मे पागल सा हो गया और वो ज़ोर-ज़ोर से चीख रही थी। उसकी आँखे बिल्कुल बाहर आने को थी और पूरी तरह फट चुकी थी। उसकी आखों से और आँसू आ रहे थे लेकिन इन सबका मुझ पर कोई असर नहीं हुआ और मैंने फिर एक धक्का मारा और मेरा पूरा लंड उसकी नन्ही सी चूत में समा गया। वो अब भी चीखे जा रही थी और मुझे धक्के दे रही थी.. क्योंकि दर्द भी ज्यादा था और उसकी चूत मेरे लंड के साईज़ की नहीं थी.. लेकिन फिर भी उसने अपने अंदर पूरा लंड समा लिया था।
फिर धीरे-धीरे उसकी चीखे कम होने लगी और मेरी बेसब्री बढ़ने लगी.. मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया और उसकी चीखे अब सिसकियों में बदलने लगी थी.. धीरे धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी और अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारो को रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था। तो में ऐसा महसूस कर रहा था कि में सातवें आसमान पर हूँ। फिर मेरी प्यारी गुड़िया की नन्ही सी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। मेरी रफ़्तार और बढ़ने लगी और गुड़िया अब ज़ोर-ज़ोर से बोलने लगी। भाईईईया भाइयाअ की आवाज़े रूम में गूँज रही थी और ठप ठप की आवाज़े उससे सुर मिला रही थी। तो में अब और नहीं रुक सकता था.. मेरा पानी कब से उबल रहा था और अब में झड़ने के करीब था। तो मेरा लंड किसी पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और जी कर रहा था कि अभी और ज़ोर से धक्के दूँ। फिर मेरा पानी बस मेरे लंड के मुँह के पास पहुंचने ही वाला था कि गुड़िया ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और वो अकड़ने लगी और अपना रस छोड़ने लगी।
फिर मेरा लंड उसकी गर्माहट महसूस कर रहा था और अब वो भी ज़ोर-ज़ोर के झटकों के साथ पिचकारियां छोड़ने लगी। में ऐसा महसूस कर रहा था कि यह पल कभी ख़त्म ही ना हो और पहली बार मेरे लंड में से इतना पानी निकला था। में अपनी प्यारी सी गुड़िया के ऊपर ही ढेर हो गया और उसके हाथ मेरे बालों को सहलाने लगे। तभी थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो मेरी ऊपर देखने की हिम्मत नहीं थी.. में धीरे से उसके ऊपर से सरक गया.. उसकी आँखे बंद थी और पैर अभी भी फैले हुए थे।
तभी मेरी नज़र उसकी प्यारी सी चूत पर पड़ी और मुझे महसूस हुआ कि मैंने उसकी क्या हालत कर दी है और अब वो संतुष्ट थी.. लेकिन अभी भी दर्द से तड़प रही थी और उसकी चूत उसके खून से हमारे पानी में रंग चुकी थी और उसके दोनों होंठ फैल गये थे। मुझे यकीन नहीं हुआ कि कुछ देर पहले जिस प्यारी सी चमकदार चूत को में चाट रहा था। क्या वो यही थी? मुझे पछतावा था.. लेकिन उससे ज़्यादा मेरी गुड़िया की फ़िक्र थी। तो मैंने अपना हाथ उसके गाल पर घुमाया.. लेकिन अभी भी उसने आँखे नहीं खोली थी। फिर में भी उससे चिपककर लेट गया और कब मुझे नींद आ गई.. पता ही नहीं लगा ।।
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