Friday, July 24, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--6

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--6

 उस दिन के बाद से ससुर बहु की झिझक खत्म हो गई। मदनलाल ठरकी ससुर बन गया तो काम्या ठरकी बहु। मदनलाल हर दूसरे तीसरे दिन बहु को मिस कॉल
कर देता और काम्या गाण्ड मटकाते हुए टावर पहुँच में जाती फिर शुरू होता दोनों के बीच रगड़म रगड़ाई का खेल। हफ्ता भर बाद से मदनलाल ने मिस कॉल
करना भी बंद कर दिया वो उपर जाते समय काम्या का दरवाज़ा knock कर देता और थोड़ी देर में काम्या अपने को नुचवाने चली आती। मदनलाल ने काम्या के उपरी माले
पर पूरी तरह कब्ज़ा कर लिया था। मदनलाल की मेहनत का फल काम्या के शरीर में दिखने लगा था उसके बूब्स साइज में ड्योढ़े हो गए थे तथा गाण्ड भी और चौड़ी हो
गई थी। जो खुशियां काम्या को ससुर से मिल रही थी उससे उसका वजन भी थोड़ा बढ़ गया था।मोटापा हमेशा खुशियों का पैमाना रहा है। अगर रईस लोग डाइटिंग न करें
तथा जिम न जाएँ तो अक्सर अमीर अादमी मोटा हो जाता है। पुराने ज़माने में जब लड़की की शादी होती थी और वो ससुराल में रहकर कुछ दिन बाद मायके आती थी तो
अगर लड़की मोटी हुई हो तो माना जाता था कि लड़की ससुराल में खुश है और अगर पतली हो गई हो तो ये नाखुशी का संकेत होता था। काम्या भी ससुर से मिलने वाली
खुशियों से और गदरा गई थी। उसके गालों में एक अलग ही नूर आ गया था। शातिर मदनलाल बहु में होने वाले इन सब बदलाव को देख रहा था और सोच रहा था कि
आधी अधूरी ख़ुशी में ये हाल है तो जब हमसे पूरा मज़ा पायेगी तो पता नहीं इसकी जवानी क्या कहर ढाएगी।
ऐसे ही एक दिन मदनलाल रात को उपर जाते समय बहु का दरवाज़ा नॉक करने गया तो उसे अंदर से काम्या के गुनगुनाने की आवाज़ आई। दरवाज़ा केवल भिड़ा हुआ
था उसने उसे पुश कर दिया। द्वार खुलते ही उसने अंदर जो नज़ारा देखा तो उसके होश उड़ गए। काम्या केवल ब्रा पेंटी में आईने के सामने खड़ी थी पीछे से उसकी जग मोहिनी
गद्देदार नशीली गाण्ड गज़ब की सेक्सी लग रही थी। मदनलाल अपने को रोक नहीं पाया और एक बार फिर बहक गया। उसका मूसल आकाश मिसाइल की तरह लांच होने के लिए
खड़ा हो गया। वो सीधा चलकर बहु के पीछे आकर खड़ा हो गया। आईने में बाबूजी देखकर काम्या चीखते -२ बची। मदनलाल ने उसे पीछे से पकड़ लिया उसके दोनों हाथों
ने काम्या की दोनों चूचियों में कब्ज़ा कर लिया। ""बाबूजी आप यहाँ "" काम्या बोली। "" आप उपर जाइये हम वहीँ आ जायेंगे "" . लेकिन अब मदनलाल बहु के रूम में ही
एन्जॉय करने के मूड में आ गया था । "" क्या उपर क्या नीचे बहु। यही हो जाने दो "" कहते हुए मदनलाल ने जैसे ही कमर का दबाव बढ़ाया उसके मूसल ने काम्या के
पिछले दरवाज़े में दस्तक दे दी। गांड के छेद में मूसल का स्पर्श होते ही काम्या गनगना गई। इधर मदनलाल उसके बूब्स मसलते हुए उसके गर्दन चूमने लगा।
काम्या की ब्रा कब उसके पैरों में आ गिरी उसे पता ही नहीं चला। मदनलाल नंगी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा तो काम्या बोली
काम्या :---- "' बाबूजी दर्द हो रहा है धीरे करिये न "'
मदनलाल :--- "" सॉरी बहु इन कबूतरों को देख कर कंट्रोल नहीं होता। ""
काम्या ::---- सबर रखिये बाबूजी ये कबूतर कहीं उड़ने वाले नहीं हैं
मदनलाल ने काम्या को घुमाया और उसके रसीले नाज़ुक लबों में अपने प्यासे होंठ रख दिए। उसका कोबरा अब बहु की नाभि पर चुभ रहा था। काम्या के होंठो का रस पीते
पीते उसने अपने लण्ड को हाथ से एडजस्ट कर नीचे किया जिससे लण्ड सीधा बहु की चूत से जा लगा। चूत के मुहाने पर लण्ड का एहसास होते ही काम्या का पूरा बदन काँप
उठा। सुपाड़ा सीधा काम्या के कउए के ऊपर दबाव दाल रहा था। सुनील को गए ६ महीने हो गए थे आज इतने महीनो बाद कोई लण्ड उसकी चूत के करीब आया था। मदनलाल ने
और दबाव बढ़ाया तो सुपाड़ा क्लिट को पीसने लगा। काम्या को लगा जैसे उसके बदन का पूरा खून उसकी चूत में जमा हो गया है। इधर मदनलाल के हाथ बहु के दूध
पर पीले पड़े थे। हमला उपर नीचे दोनों तरफ से होने लगा। काम्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था। दिमाग से तो वो नीचे कुछ होने नहीं देना चाहती थी किंतु चूत नए
मेहमान के स्वागत में पानी बहाने लगी। जब मदनलाल ने देखा कि माहौल सही है तो उसने काम्या की कलाई पकड़ी और अपनी लुंगी के उपर रख दिया। जैसे ही बहु को हाथ
में कुछ कड़ी और लम्बी चीज़ का अहसास हुआ उसने जोर दे कर हाथ छुड़ा लिया। मदनलाल ने भी जोर नहीं दिया उसे दर था कि कहीं बहु बिचक न जाये। अब मदनलाल ने
एक never fail चाल चलने की सोची। इस चाल से उसने अच्छी -२ ना नुकुर करने वाली लड़कियों को भी पिघला दिया था। वो बहु को पकड़े पकड़े ही बिस्तर पर लुडक गया।
मदनलाल नीचे था और बहु उसके उपर ओंधी पड़ी थी। उसने काम्या के दोनों मम्मों को हाथ से पास पास किया और दोनों को एक साथ मुंह में भर लिया।


दोनों मुम्मे एक साथ ससुर के मुह में जाते ही काम्या के पूरे शरीर में 440 volt के झटके लगने लगे. आखिर सर्किट जो पूरा हो गया था। मदनलाल दोनों मम्मों को जोर - २ से चूसने लगा। ये मदनलाल का सालों का अनुभव था कि अगर औरतों के दोनों मम्मे एक साथ चूसने लगो तो ठंडी से ठंडी औरत भी आपा खो देती है। और सचमुच काम्या ने भी आपा खो दिया। उसे ससुर ने
बहकने को मज़बूर कर दिया था। मम्मे बाबूजी के मुख में और चूत में बाबूजी का मूसल का हमला। बहु ये दुहरा हमला सहन नहीं कर पायी। बेचारी चौबीस साल की प्यासी लड़की
कब तक मदनलाल का मुकाबला कर पाती। वो बड़बड़ाने लगी "" yes babuji yes do like this .it feels so amazing .oh may god .aaah aaah aaaah .babuji you are
driving me crazy .aai aaai mamma ui ma .ohhh babuji you are magician.i am going to die.पापा जोर से काटिये इन्हे। पूरा दूध पी लीजिये। आपका बेटा तो कुछ नहीं करता।
आप ही पी लीजिये """. अचानक कामावेग में काम्या ने मर्दो जैसे अपनी कमर उपर नीचे करनी शुरू कर दी। वो एक भीषण आग में जल रही थी। उसने अपनी चूत को
मदनलाल के मूसल में पटकना शुरू कर दिया। मदनलाल भी उसकी गाण्ड को हाथ से सहला सहला कर नीचे को दबा रहा था। मुश्किल से दो मिनिट में ही बहु भरभरा का झड़ गई और
उसने अपना सिर ससुर के सीने में रख दिया और जोर -२ से सांस लेने लगी। लोहा गरम देख मदनलाल ने एक बार फिर उसके हाथ को अपने लण्ड के ऊपर रखना चाहा तो काम्या तुरंत
उठ गई और कपडे पहनने लगी। बेचारा ससुर उठा और बाथरूम की ओर चल दिया।
मदनलाल बाथरूम में जाकर अपनी गर्मी निकालने के बाद बिस्तर में जाकर लेट गया और सोचने लगा आखिर बहु किस मिटटी की बनी है जो अपने को कंट्रोल कर लेती है। दोनों बूब्स एक साथ चूसने में तो सिर्फ एक बार के चूसने में ही उसकी साली मोहिनी ने खुद बखुद अपनी टाँग उठा ली थी।



 इधर काम्या धम्म से बिस्तर पर लुढ़क गई। उसका पूरा शरीर जल रहा था। लेकिन वो बहुत लज्जा भी महसूस कर रही थी आज पहली बार वो खुद अपनी सेज़ पर एक पराये मर्द के
साथ थी। उसे एक एक घटना याद आने लगी कि कैसे बाबूजी उसको अपना लण्ड पकड़ा रहे थे कैसे वो बाबूजी के लण्ड पर अपनी चूत पटक रही थी। हे भगवन ये मुझे क्या हो रहा है
कैसे मैं इतनी बेशरम हो जाती हूँ। और एक बार फिर उसके चूत में खुजली होने लगी और उसका हाथ अपने आप वहां पहुँच गया।
उधर जब बाबूजी को काम्या का अपने लण्ड पर चूत पटकना याद आया तो उन्हें अपनी साली मोहिनी की याद आ गयी ,वो भी हीट में आने पर ऐसे ही मदनलाल के लंड पर अपनी चूत
पटकती थी। मोहिनी शांति से चार साल छोटी थी जब मदनलाल की शादी हुई थी शांति २२ और मोहिनी १८ की थी। लेकिन शक्ल और फिगर में मोहिनी शांति से बीस नहीं बल्कि बाइस थी
जैसा उसका नाम था वैसी ही वो मन को मोह लेने वाली थी। मदनलाल ने जब पहली बार मोहिनी को देखा तभी से वो उसके रूप और जिस्म का दीवाना हो गया था। वैसे भी दुनिया भर के
जीजाओं के लिए उनकी सालियां सबसे सॉफ्ट टारगेट होती हैं और सालियां भी जानती हैं कि जीजा साली का रिश्ता कुछ अलग तरीके का होता है इसलिए वो जीजा की छेड़छाड़ का बुरा
नहीं मानती। मदनलाल भी ससुराल जाता तो मोहिनी को छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता। कभी उसके बूब्स को दबा देता तो कभी उसकी गांड पर हाथ फेर देता। मोहिनी भी शरमा के
भाग जाती लेकिन हमेशा सतर्क रहती कि माँ या दीदी न देख पाये। धीरे -२ मदनलाल ने लिप टू लिप किस करना भी शुरू कर दिया। उसका ससुराल केवल पांच किलोमीटर ले फासले पर था
इसलिए वो कई बार अकेले भी चला जाता। जब वो अकेले आता तो मोहिनी कुछ ज्यादा ही चहकने लगती और पूरा समय अपने जीजू के आगे पीछे घूमती रहती शायद उसे भी जवानी
सम्भालना मुश्किल होने लगा था। बात अब यहाँ पहुँच गई थी कि अगर ससुराल में कोई नहीं होता तो मदनलाल मोहिनी के मम्मे भी पीने लगा था उसके हाथ मोहिनी के पूरे भूगोल
को नाप चुके थे। कई बार वो मोहिनी की पैंटी के अंदर भी हाथ डाल चूका था। ऐसे ही एक दिन मदनलाल अकेले ससुराल पहुंचा दरवाजे पर मोहिनी उसे देखते ही खिल गई। अंदर पहुंचने
पर पता चला की सास ससुर दोनों दूसरे गाँव गए हैं। मोहिनी के अकेले होने की बात से ही मदनलाल मस्त हो गया। और फिर शुरू हुई नोंच घसोट दस मिनिट में ही मोहिनी का कुरता
जमीन पर पड़ा था और ब्रा कुर्सी पर। मदनलाल मोहिनी के कटरा नीम्बू पर टूट पड़ा। उसने काट काट कर पूरी चूची लाल कर दी मोहिनी केवल सिसकारी ले रही थी। मदनलाल आज खाली
नहीं जाना चाहता था। उसने अपनी पैंट खोली और नाग फनफनाता हुआ बाहर आ गया।
मदनलाल का हथियार देखते ही मोहिनी की साँसे थम सी गई। सात इंच लम्बा और बेहद मोटा वो भूरे रंग के घोड़ा पछाड़ सांप की तरह दिख रहा था। मोहिनी आज पहली बार किसी जवान
मर्द का लण्ड देख रही थी आज के पहले उसने बच्चों की नुन्नी ही देखि थी। उसे मालूम नहीं था कि जवान आदमी का लण्ड इतना बड़ा होता है। मदनलाल ने मोहिनी का हाथ पकड़ा और उसमे लण्ड थमा दिया। हाथ में लण्ड आते ही मोहिनी के पूरे शरीर में झुरझुरी आ गई। मदनलाल फिर उसे चूमने लगा। मोहिनी अभी भी केवल लण्ड पकड़ी हुई थी कुछ कर नहीं रही थी। तब मदनलाल बोला
मदनलाल :: पकड़े बस रहोगी क्या ?
मोहिनी :: तो क्या करें
मदनलाल :: खेलोगी नहीं इससे।
मोहिनी :: ये कोई खिलौना है क्या मोहिनी शरमाते हुए बोली
मदनलाल :: लड़कियां जब जवान हो जाती हैं तो इसी से खेलती हैं
मोहिनी :: छीः हमें नहीं खेलना। कितना खतरनाक खिलौना है
मदनलाल :: तो क्या हुआ। तुम्हारे जैसी दिलेर लड़की को तो खतरों से खेलना चाहिए।
मोहिनी :: जी नहीं हम कोई दिलेर विलेर नहीं हैं
मदनलाल :: अच्छा थोड़ा उसे सहला तो दो। बेचारा कब से तुम्हारा प्यार मांग रहा है
मोहिनी :: अच्छा दीदी प्यार नहीं देती क्या इसको। फिर वो धीरे -२ हाथ चलाने लगी
मदनलाल :: दीदी को छोडो। इसे तुम पसंद हो। एक दिन ये कह रहा था कि हमारे साथ धोखा हो गया। अगर पहले तुम्हे देख लेते तो तुम्ही को ब्याहते
मोहिनी :: आहहा बड़े आये। हमारी दीदी भी हज़ारों में एक है
मदनलाल :; मगर जानू तुम तो करोड़ों में एक हो। तुम जन्नत का तोहफा हो इस धरती पर।
मोहिनी :: ज्यादा मख्खन मत लगाइये और फिर मोहिनी ने जोर से लण्ड दाब दिया। मदनलाल की चीख निकल गई। मदनलाल अब और आगे जाना चाहता था सो वो मोहिनी के कन्धों
पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठाने लगा। मोहिनी कुछ समझी नहीं और उसके तरफ देखने लगी। मदनलाल ने उसे बैठने कहा तो वो घुटने के बल बैठ गई। अब अब मदनलाल का मूसल ठीक
उसके मुख के सामने था।
मदनलाल :: इसे मुहं में लेकर चूसो।
मोहिनी :: क्या ? ये कोई मुहं में लेने की चीज़ है। ये तो गन्दी चीज है।
मदनलाल :: कौन बोला तुम्हे कि ये गन्दी चीज है। सब चूसते हैं इसे। तुम्हारी दीदी भी चूसती है
मोहिनी :: झूट मत बोलिए। वो ऐसा क्यों करेंगी
मदनलाल :: पगली इससे लड़का लड़की दोनों को मजा आता है। चलो पहले इसको किस करो। मोहिनी पहले से ही लण्ड हाथ में पकड़े -२ बहुत गरम हो चुकी थी सो बिना ज्यादा आना कानी
किये सुपाड़े पर किस कर दी। मदनलाल ने कहा कि और करते रहो तो वो पूरे सुपाड़े को चारों तरफ से चूमने लगी।



वो खुद भी बहुत गरम हो चुकी थी आखिर मर्द का लण्ड किसी भी जवान
लड़की को ललचाने की कुव्वत रखता है । जब मदनलाल ने देखा कि साली साहिबा लण्ड में रूचि ले रही हैं तो उसने धीरे से कहा "" जानू मुहं ले के चूसो। खूब मजा आएगा। ""
मोहिनी खुद भी गरम तासीर की लड़की थी इसलिए उसने सुपाड़े को अपने मुंह के हवाले कर लिया। मोहिनी को एक अजीब सा गर्व का अहसास हो था। मर्द अपनी जिस मर्दानगी पर
घमंड करता है आज वो मर्दानगी उसके गिरफ्त में थी। उसकी हर ख़ुशी अब उसके रहमो करम पर थी सो जीजू को खुशियों के सैलाब में डूबाने के लिए वो जोर -२ से उनका हथियार चूसने लगी।
मोहिनी जिस जोश से अपने प्यारे जीजू का लण्ड चूस रही थी वैसी उम्मीद मदनलाल को भी नहीं थी। जिस मोहिनी का वो ख्वाब में मुखमैथुन करता था आज वो साक्षात उसका लिगं चूषण
कर रही थी। इस दृश्य ने मदनलाल को अति कामुक बना दिया। उसकी गोटियों में वीर्य उबाल मारने लगा। उसने मोहिनी के सिर को पकड़ा और अपनी कमर चलाने लगा। ये एक स्वाभाविक
क्रिया भी है कि अक्सर स्खलन से पहले मर्द सेक्स को खुद हैंडल करने लगता है। अब मोहिनी लण्ड चूस नहीं रही थी बल्कि मदनलाल उसका मुख चोद रहा था। जब मदनलाल उत्तेजना के चरम
शिखर पर पहुंचा तो वो लम्बे -२ स्ट्रोक लगाने लगा और फिर एक लम्बे स्ट्रोक के साथ उसने अपना लण्ड मोहिनी के गले तक उतार दिया और उसके गले में अपनी मलाई भर दी।


 एक बार जब जीजा साली के बीच हया की हदें टूटी तो फिर दोनों ठरकी बन गए। मदनलाल दो महीनों की छुट्टी आया था। इन दो महीनो में उसने करीब एक दर्जन बार मोहिनी को अपना
लण्ड चुसवाया। मोहिनी की जो बात मदनलाल को दीवाना बना गई थी वो थी उसकी लण्ड चूसने की कला। मोहिनी बड़े शौक और चाव से लण्ड चूसती थी उसके विपरीत उसकी बहिन
शांति को लण्ड चूसना पसंद नहीं था बड़ी मिन्नतें करने पर वो जरा देर के लिए लण्ड मुंह में लेती। कहीं बोलती उबकाई आ रही है तो कहीं बोलती उलटी हो जाएगी हालाकिं ये अलग
बात है कि कभी उलटी हुई नहीं। आम भारतीय पत्नियों की तरह जब शांति लण्ड चूसती तो उसका मुख देख कर ऐसा लगता जैसे कोई सजा भुगत रही हो। लेकिन मोहिनी पूरी मस्ती
के साथ अपने जीजा का लण्ड चूसती थी । जब लण्ड उसके मुंह में होता तो उसके चहरे के भाव ऐसे होते जैसे किसी बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो। सबसे बड़ा बोनस पॉइंट तो
ये था कि उसे मर्द की मलाई खाना पसंद थी जो शायद विदेशी लड़कियों में भी इतना पसंद नहीं किया जाता। कहते हैं अगर कच्ची उमर में ही लड़की को लण्ड का स्वाद मिल जाये तो
उसको सम्भालना फिर मुश्किल हो जाता है। वही हाल मोहिनी का था। जब भी मदनलाल उसके करीब आता तो वो खुद ही उसका मूसल निकाल लेती और जब तक दोनों एकांत में होते
वो मूसल से खेलती रहती। मदनलाल के बदन का ये अंग मोहिनी कमज़ोरी बन गया था। इधर मदनलाल पर भी दीवानगी छायी हुई थी यहाँ तक कि उसने एक दो बार मोहिनी को अपने साथ भाग
चलने को भी कहा पर मोहिनी ने मना कर दिया। वो कामाग्नि में जल जरूर रही थी पर अपनी सगी बहन के घर को बर्बाद नहीं करना चाहती थी। उसने जीजू को कह दिया कि "" जीजू मैं
दीदी को धोखा नहीं दे सकती ,बाकी आप बेफिक्र रहो आप जो चाहोगे आपको सब मिलेगा ये मोहनी का वादा है। ""
फिर मदनलाल वापस ड्यूटी चला गया लेकिन दिल मोहिनी के पास ही रख गया। ड्यूटी के दरमियान वो सिर्फ मोहिनी के सपने ही देखता रहा और ख्वाब देखता रहा कि कैसे मोहिनी
का उद्धघाटन करेगा। छ: माह बाद वो फिर घर आया तो दो दिन तो ६ महीने की गर्मी शांति के उपर उतारता रहा फिर ससुराल जा पहुंचा। ससुराल में मोहिनी ने जी भरकर सेवा की पर
लण्ड चुसाई से ज्यादा कुछ करने का मौका नहीं मिल पाया जबकि मदनलाल का हाल ये था कि "" ये दिल मांगे मोर ""
लगभग एक हफ्ते बाद सुबह सुबह मोहिनी मदनलाल के घर चली आई ,वो घर में बोलकर आई थी कि कॉलेज से दीदी के घर जाउंगी और शाम तक लौटूंगी लेकिन वो सीधे सुबह ही
मदनलाल के घर आए गयी। घर में मदनलाल के अलावा कोई नहीं था सब रिश्तेदार की शादी में गए थे और मदनलाल को शाम को जाना था। ऐसे मौके में मोहिनी को देख मदनलाल
का दिल बल्लियों उछल गया। उसने आज किला फतह करने की ठान ली।
मदनलाल वैसे तो जानता था कि मोहनी ज्यादा ना नुकुर नहीं करेगी लेकिन वो किसी प्रकार की हिचक ,शर्म या आत्मग्लानि की संभावना को बिलकुल ख़त्म कर देना चाहता था।
उसके पास मिलिट्री कोटे की ब्लैक डॉग स्कॉच पड़ी थी वो उसको निकाल लाया साथ में ले आया शरबत रूअफ्ज़ा जो घर में ही पड़ा था। मोहिनी शराब को देख कर घबड़ा गई और बोली
मोहिनी :; दारु क्यों ले आये हो।
मदनलाल :: दारू नहीं ये मूड फ्रेशनर है। बहुत महँगी वाली है स्पेशली तुम्हारे लिए ख़रीदा है।
मोहिनी : क्या पागल तो नहीं हो गए हो। हम दारू पिएंगे ?
मदनलाल :: अरे यार इससे नशा नहीं चढ़ता। समझी। बस थोड़ा पी लेना फिर एन्जॉय करेंगे।
मोहिनी :; नहीं एक बूँद भी नही। . हमें घर भी जाना है।
मदनलाल :; तुम्हे हम पर भरोसा है कि नहीं। जब बोल रहा हूँ कि कुछ नहीं होगा फिर काहे हल्ला मचा रही हो और घर तो शाम को जाओगी।
मोहिनी :; आप समझते क्यों नहीं। लड़कियां दारु पीती हैं क्या ?
मदनलाल :; फिर दारु दारु चिल्ला रही हो। जब बोल दिया कि इसमे नशा नहीं होता तो बस। जरा सा शरबत में मिलाकर पी लेना। हमारा बना बनाया मूड मत खराब करो।

फिर मदनलाल ने अपने लिए एक लार्ज पैक बनाया और मोहिनी को शरबत में लगभग डेढ़ पैक मिला कर दे दिया। मोहिनी जीजा के सामने मज़बूर हो गई या शायद
वो भी इस अनुभव को पा लेना चाहती हो या शायद मदनलाल के लिए वो किसी भी हद को पार करने को तैयार थी। धीरे -२ दोनों पीने लगे मोहिनी बहुत शर्मिंदगी महसूस कर रही थी
लेकिन मदनलाल के चेहरे में एक कुटिल मुस्कान थी वो जानता था की मोहिनी आज वैसी नहीं लौटेगी जैसी आई थी।


 दोनों धीरे -२ पी रहे थे मदनलाल ने मोहिनी के गले में हाथ डाला और उसकी भरी -२ चूचियाँ दबाने लगा। मोहिनी आँख बंद कर के मज़ा ले रही थी। थोड़ी देर बाद मदनलाल ने मोहिनी को उपर
बिलकुल नंगा कर दिया और उसकी निप्पलों से जलतरंग बजाने लगा। वो बारी -२ से दोनों उरोजों को चूस भी रहा था। मोहिनी का बदन तपने लगा वो जोर -२ सिस्कारियां लेने लगी तथा
जीजू के सिर को अपनी चूची में दाबने लगी। कुछ देर तक मोहिनी बर्दास्त करती रही फिर अचानक मदनलाल की चैन खोलने लगी। लण्ड बाहर निकल कर वो झुकी ही थी कि मदनलाल बोल पड़ा
मदनलाल :; जानू ,पहले पूरा पी तो लो। उसे डर था कि कहीं वो दारु पीना छोड़ न दे
मोहिनी :: जीजू हम पहले ये पिएंगे। लण्ड कि तरफ इशारा करते हुए मोहिनी बोली
और बोलते -२ उसने जीजू के मूसल को अपने मुंह में डाल लिया। मोहिनी के मुंह में लण्ड जाते ही मदनलाल सिहर उठा। मोहिनी ने अपना पसंदीदा काम चालु कर दिया
जीजू के लण्ड की सर्विसिंग। कुछ दिनों के अनुभव में ही मोहिनी लण्ड की पूरी एनाटोमी समझ गई थी। कहाँ जीभ फेरना है कहाँ काटना है कहाँ suck करना है। लण्ड चुसाई में तो वो बीसों
साल की अनुभवी चिथाड़ को भी मात दे सकती थी। जब जीजू का माल निकलने को होता तो वो मुंह हटा लेती और नीचे नस को अंघूठे से दबा देती। ये कला उसे प्यारे जीजू ने ही सिखाई थी।
छः महीने से भरा बैठा मदनलाल मोहिनी के इतने तीखे हमले झेल नहीं पाया और उसके मुख में सरेंडर कर बैठा। मोहिनी सारी रबड़ी चाट -२ कर खा गई।

दस मिनिट तक दोनों सुस्ताते रहे फिर बची हुई पीने लगे। पीते -२ ही जीजू ने साली को नीचे से भी पूरी नंगी कर दिया। मोहनी का अनावृत यौवन देख मदनलाल को सबर करना मुश्किल
होने लगा था। दोनों के उपर अब ब्लैक डॉग का सुरूर भी चढ़ने लगा था। मदनलाल का लण्ड अब फिर खड़ा हो कर सलामी देने लगा था। उसने एक झटके से मोहिनी के नंगे बदन को उठाया और
बैडरूम में जाकर बेड पर पटक दिया। मोहिनी बेड पर चारों खाने चित जा गिरी। मदनलाल बिस्तर पर चढ़ा और सिर से पाँव तक मोहिनी के चिकने कसे हुए गदराये बदन को चाटने लगा.
हर पल के साथ मोहिनी की कामाग्नि बढ़ती ही जा रही थी। चूमते चाटते ही उसने अपने पूरे कपडे भी उतार दिए थे। अब दोनों जवां जिस्म एक दूसरे की गरमी से तपने लगे। मदनलाल मोहिनी
को लपेटे -२ ही उलट गया। मोहिनी के दोनों रसीले संतरे उसकी आँखों के सामने झूलने लगे। मदनलाल ने दोनों संतरों को हाथों से इकठ्ठा किया और एक साथ ही दोनों को मुंह में भर लिया।
एक संतरे की चुसाई ही मोहिनी को बर्दास्त नहीं हो पाती थी तो दोनों संतरों के एक साथ मुंह में जाते ही मोहिनी आपा खो बैठी और उछलने लगी। बड़बड़ाये जा रही थी "" जीजू काट
डालो इनको ,नोंच दो ,निचोड़ लो इनका रस और पी लो। खूब जोर से चूसो न। दीदी को भी इतने ही धीरे मसलते हो क्या "' मदनलाल भी उसकी बात सुनकर और बोखलाता जा रहा था।
वो भर ताक़त मम्मे चूसने लगा। जब मोहिनी सह नहीं पाई तो अपनी कमर को नीचे पटकने लगी। नीचे कोबरा फन काढ़े बैठा था डसने को। उसकी चूत बार -२ लण्ड से भिड़ने लगी।मोहिनी ने
जीजू के लण्ड को दोनों जांघों बीच चूत के उपर फंसा लिया। अब जितना वो कमर पटकती लण्ड का शाफ़्ट उसकी पूरी चूत की मालिश करता जिससे वो और गर्माती जा रही थी।
आखिर मोहिनी जीजू से हार गई और बोल पड़ी
मोहिनी :: जीजू करिये न। अब रहा नहीं जाता
मदनलाल :: क्या करना है? मदनलाल अनजान बनते हुए बोला
मोहिनी :: चुप करिये। आप को सब मालूम है
मदनलाल :; जब कुछ बोलोगी ही नहीं तो कैसे पता चलेगा
मोहिनी :: दीदी के साथ जो करते हो वही करो न
मदनलाल :: दीदी के साथ तो हम बहुत कुछ करते हैं। तुम बताओ तुम्हारे साथ क्या करना है
मोहिनी :: दीदी के साथ क्या -२ करते हो बताइये
मदनलाल :: दीदी को लण्ड चुसाते है। उसकी गाण्ड मारते हैं। उसकी बुर भी मारते हैं।
मोहिनी :: वो जो लास्ट में बोले वो करिये न। मोहिनी नशे में लड़खड़ाते हुए बोली।
मदनलाल :; अरे तो ऐसे बोलो न कि अपना लण्ड हमारी चूत में डाल कर हमें खूब चोदिये।
मोहिनी :; छिः गंदे कहीं के। कोई ऐसा बोलता है क्या

मदनलाल ::-- अरे तो इसमे शर्म की क्या बात है। प्यार में क्या शरमाना। बस एक बार बोल दो कि जीजू हमें चोदो।
मोहिनी ::--- नहीं हम नहीं बोलेंगे। आप ऐसे ही करिये।
मदनलाल ने भी ज्यादा जिद करना उचित नहीं समझा आखिर लोंडिया पराया माल थी कहीं उठ के चल दी तो सब klpd हो जाना था।मदनलाल ने मोहिनी के बदन देखना चालु किया गजब की चिकिनी और मांसल जांघे थी कसी हुई सामने के तरफ निकली हुई। जांघों के बीच सिर्फ एक पतला सा चीरा दिखाई दे रहा था जो कच्ची चूत की निशानी थी वरना used चूत में से छेद साफ़ दिखाई देने लगता है और अगर खूब चल चल चुकी हो तो छेद भोंगा द्वार बन जाता है। मदनलाल ने चूत की फांके फैला कर मोहिनी की बुर देखी छोटा सा एक छेद दिखाई दे रहा था। मदनलाल समझ गया कि साली साहिबा के लिए आगे का सफर काफी मुश्किल होने वाला है लेकिन कुछ किया भी नहीं जा सकता था आखिर सभी लड़कियों को एक न एक
दिन इस डगर में चलना ही पड़ता है। प्रकृति का नियम है there is no gain without pain. चूत इतनी प्यारी लग रही थी कि मदनलाल के होंठ अपने आप ही उससे जा लगे। चूत पर होंट का स्पर्श महसूस होते ही मोहिनी गनगना गई। मदनलाल ने क्लिट से छेड़छाड़ शुरू कर दी मोहिनी कमर को उपर उछालने लगी "" उई माँ ,जीजू मैं पागल हो जाउंगी "' उसके मुंह से निकल पड़ा। जीजू ने फांको को फैलाया और गाण्ड के छेद से उपर क्लिट तक चाटने लगे। लोंडिया फड़फड़ाने लगी जैसे मछली को पानी से बाहर निकाल दिया गया हो। उसने कमर को उपर उठा लिया बिलकुल धनुष जैसे मोड़ दिया। जीजू जीभ को प्रेम छिद्र में घुसेड़ने लगे। मोहिनी चिल्ला उठी "' ओ जीजू प्लीज डाल दो न ,चोदो मुझे जैसे दीदी की फाड़े ,मेरी फाड़ दो नहीं तो मैं मर जाउंगी।मदनलाल ने देखा लोहा पूरी तरह गरम हो चूका है अब हथोड़ा मार देना चाहिए। मदनलाल उठा दराज से वैसलीन निकाल लाया पहले खूब सारा मोहिनी की चूत में भरा फिर अपने लण्ड में भी चिपोड लिया। मोहिनी की दोनों टांगो को उठाया अपने लण्ड को स्वर्गद्वार में लगाया और एक करारा धक्का मार दिया। लण्ड चूत दोनों में लुब्रिकेशन था इस लिए एक झटके में ही सुपाड़ा चूत के अंदर जा समाया और इसी के साथ मोहिनी के मुख से मर्मान्तक चीख निकल गई। उसकी आँखे बाहर को उबल पड़ी। ""हाय मम्मी मर गई। बचाओ मम्मी। जीजू प्लीज निकालो नहीं तो मर जाउंगी। निकालो प्लीज ""मगर मदनलाल ने निकालने के लिए थोड़ी न डाला था। उसने मोहिनी के होंठों अपने होंठ रख दिए कमर मोड़ी और एक और शॉट भरपूर ताक़त से दे मारा।


मोहिनी तड़प उठी उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत में गरमागरम खंजर डाल दिया गया हो। आधे से ज्यादा लण्ड मोहिनी के अंदर पहुँच गया। वो पूरी ताकत से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन फौजी के सामने एक कोमलांगिनी की क्या बिसात। बेचारी हिल भी नहीं पा रही थी। चूत इतनी कसी हुई थी की मदनलाल के भी पसीने छूट गए ,चूत ने लण्ड को बुरी तरह जकड रखा था।
जीजू कुछ देर स्थिर रहा ताकि साली को कुछ आराम लग जाये और वो भी जरा ताकत बटोर ले। फिर उसने कमर को ऊपर उठाया ,पैरों को मजबूती से जमाया और अंतिम हमला कर दिया। एक
जोरदार शॉट और लण्ड जड़ तक मोहिनी में धंस गया जैसे कील ठोंक दी हो। मोहिनी की चीखें अभी भी निकल रही थी वो फिर बोली बोली प्लीज जीजू निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है। बस जानू अब कुछ नहीं होगा पूरा तो घुस गया है और वो मोहिनी के ऊपर लेट गया दोनों की पेल्विक muscle एक दूसरे से रगड़ने लगी। मदनलाल धीरे साली को चुम रहा था उसका हाथ मोहिनी की चिकनी गुदाज जांघों को सहला रहा था। बीच -२ में चूची को मुंह में भर लेता और पीने लगता। मोहिनी को कुछ राहत मिल रही थी। उसकी सिसकियाँ कुछ कम हुई तो मदनलाल ने लण्ड बाहर खींचा ,चूत में लण्ड की रगड़ से मोहिनी फिर सिसक उठी "" उई माँ मर गई ,जीजू प्लीज मत करो। "" बस अब दर्द नहीं होगा ,देखो थोड़ी देर में कैसा मजा लोगी । "" बोला और फिर धकापेल चुदाई चालू कर दिया। वो सुपाड़े तक लण्ड बाहर निकालता और एक ही झटके में जड़ तक अंदर कर देता। मोहिनी अभी भी सिसक रही थी लेकिन उसकी आवाज कम होती जा रही थी कुछ देर बाद उसने अपना हाथ जीजू की पीठ में लपेट लिया और सहलाने लगी शायद उसे भी चुदाई का स्वाद मिलने लगा था। इधर मदनलाल का पिस्टन लगातार मोहिनी के सिलिंडर को रमा करने में लगा था। मोहिनी को भी अब चुदाई की लज्जत मिलने लगी थी उसके न चाहते हुए भी उसकी गाण्ड बरबस ही उछल रही थी। मदनलाल मैराथन रेसर की तरह ठाप पे ठाप लगाये जा रहा था। लेकिन कसी हुई चूत के आगे वो भी बेबस हो गया और तेज चीख के साथ भरभरा के झड़ने लगा और उसी वक्त मोहिनी भी जीवन में पहली बार ओर्गास्म पहुंची और मदनलाल से छिपकली के समान चिपट गई।







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