Friday, July 24, 2015

FUN-MAZA-MASTI बहकती बहू--4

FUN-MAZA-MASTI


बहकती बहू--4

 "कुछ देर तक यूं ही बहु की चूचियों की घुंडियों से खेलने के बाद मदनलाल को लगा की ऐसे में वो चूचियों को अच्छी तरह से मसल नहीं पा
रहे हैं। उन्होंने अब मम्मों को पूरे पंजे में जकड लिया और निप्प्ल्स को अपनी तर्जनी और मध्यमा उंगली के बीच फसा लिया। अब जब
वो मम्मो को दबाते तो साथ ही साथ चूचियाँ भी दब जाती जिससे काम्या को भी दुहरा मजा मिलने लगा। बाबूजी दबा तो चूची रहे थे लेकिन
करंट बहु की योनि में पहुंच रहा था। काम्या को ऐसा लग रहा था जैसे उसके love tunnel में एक के बाद एक लहरें उठ रही हैं। अचानक
मदनलाल ने कुछ जोर से मसल दिया तो काम्या सिसक पड़ी "" उई माँ स्स्स बाबूजी दर्द दे रहा है धीरे दबाइये न """. काम्या के मुख
से धीरे दबाइए सुनकर मदनलाल अंदर से खुश हो गया जो बहु थोड़ी देर पहले छोड़िये -२ बोल रही थी अब वो ही धीरे दबाने को बोल रही है।
"" सॉरी बहु अब धीरे से करेंगे "" ऐसा कहकर मदनलाल ने काम्या के खुले कंधे पर अपने दांत हलके से गाड़ दिए। काम्या के लिए ये बिलकुल नया
अनुभव था वो बोली "" बाबूजी काट क्यों रहें हैं। "" मदनलाल बोला"" बहु ये काटना नहीं है तुम्ही बताओ दर्द हुआ क्या "" काम्या बोली
"' जी नहीं दर्द तो नहीं हो रहा लेकिन कोई दांत भी गाडता है क्या "" मदनलाल प्यार से पुचकारते हुए बोला "" बहु ये लव बाईट है ""
और फिर मदनलाल बहु के पुरे कंधे और गर्दन में लव बाईट बनाने लगा।
अक्सर मांसाहारी जीव शेर चीते कुत्ते भालू आदि आपस में खेलते हुए ऐसे ही काटते हैं। मदनलाल भी सिद्ध कर रहा था कि वो भी
मांसाहारी है और मांस अगर काम्या जैसी जवां जिस्म का हो तो फिर बात ही क्या। फिर अचानक मदनलाल ने बहु की टीशर्ट उतारनी
शुरू कर दी तो काम्या ने विरोध करते हुए कहा
काम्या ::--- बाबूजी ये क्या कर रहे हो
मदनलाल ::--- बहु जरा गुलाल लगाना है
काम्या :;--- ऐसे ही ऊपर से लगा लीजिये न
मदनलाल ::-- नहीं बहु। ऐसे नहीं। तुम हाथ तो ऊपर करो।
काम्या :--- नहीं बाबूजी। हमें शर्म आती है आप ऊपर से ही लगा लीजिये।
मदनलाल ::-- बहु ये तो गलत बात है। पुरे मोहल्ले वालों के साथ तुमने होली खेली और हमारे साथ खेलने को मना कर रही हो।
काम्या ::--- हाय राम। हमने कब मोहल्ले वालों के साथ होली खेली।
मदनलाल :;-- अच्छा। हम ने खिड़की से सब देखा है। कैसे वो सक्सेना का लड़का तुम्हारी छाती के अंदर हाथ डाल कर रंग लगा रहा था।
काम्या ::-- वो तो है ही कमीना। हमें औरतों ने पहले ही बता दिया था की वो बदमाश है लेकिन हम उसे देख नहीं पाये लेकिन फिर हमने उसे डाँटा था।
मदनलाल :-- और वो मिश्रा जी का दामाद। वो भी तो तुम्हे पीछे से पकड़ कर मसल रहा था। कितनी देर तक वो दोनों उनको मसला था।
काम्या ::-- उसके बारे में तो हमें पहले से कुछ पता ही नहीं था। अचानक उसने पकड़ लिया। हमने छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो हमसे ज्यादा
ताकतवर था। कमीना पक्का हरामी है न जाने कहाँ से मिश्रा जी ऐसा "" ठरकी दामाद "" ढूंढ लाये।
मदनलाल ::-- जब सबने तुमसे होली खेली ही है तो हमें क्यों रोक रही हो ये तो वही बात हुई ""सबको बांटों हमको डाँटो ""
काम्या :-- क्या स्स्स। हमने क्या बांटा सबको। काम्या ने हैरानी से पुछा
मदनलाल :-- वो वो खुशियां। त्यौहार की खुशियां सबको बांटी। अब हमें मना कर रही हो। कहते हुए मदनलाल ने एक बार फिर टीशर्ट उतारनी शुरू
की तो काम्या ने मजबूरन हाथ ऊपर कर दिया ताकि टीशर्ट निकल जाये।
अब काम्या कमर के ऊपर पूरी नंगी थी मदनलाल झुका और बहु की पूरी पीठ में चुम्बन करने लगा वो बीच -२ में दांत भी गड़ा देता था
उसकी इस हरकत से काम्या एक बार फिर गर्माने लगी। अचानक मदनलाल ने उसे कंधे से पकड़ कर घुमा दिया। अब मदनलाल की आँखों के सामने
जो नजारा था वो देख मदनलाल साँसे लेना ही भूल गया। उसकी नजर के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत कारीगिरी थी। काम्या की चूचे गज़ब के सेक्सी थे
ऐसा लग रहा था जैसे मक्खन के दो गोले हों और उनके ऊपर काले अंगूर लगा दिए हों। मदनलाल एक टक उनको देखने लगा।


काम्या की आँखें बंद थी। कुछ देर तक जब एकदम सन्नाटा रहा तो काम्या ने धीरे से थोड़ी सी आँख खोली तो देखा कि बाबूजी पगलाए से उसकी चूचियों को
निहार रहे हैं। उसने फिर आँखे बंद कर पूछा "" बाबूजी हो गई होली अब मैं जाऊं "" . काम्या की आवाज़ सुनते ही मदनलाल की तन्द्रा टूटी उसने कहा
"" बस एक मिनट बहु "" और आगे बढ़कर बहु की एक चूची को मुँह में भर लिया। फिर तो मदनलाल को ऐसी खुमारी चढ़ी की वो जोर जोर से चूची
चूसने लगा। उसकी इस हरकत ने ठंडी पड़ती बहु में फिर आग भरनी शुरू कर दी और काम्या के मुख से कमोतेज्जक सिस्कारियां निकलने लगी।
"" आह आह बाबूजी। ओह माय गॉड। आई ssssssss ओह बाउजी काटिये नहीं। pleaseeeeeee बाबूजी जोर से मत काटिये। धीरे चूसिये "'"
हालाँकि काम्या का पति सुनील भी उसकी चूची चूसता था लेकिन जो कला मदनलाल के पास थी वो बेटे में नहीं थी काम्या मन ही मन
बुदबुदाई ""बाप बाप ही होता है बेटा कभी बाप नहीं बन सकता "" मदनलाल लगभग १५ मिनट तक बारी बारी से काम्या की दोनों चूचियों को
चूसता रहा। उधर काम्या के प्रेम विवर से गंगा जमुना की धारा बहाने लगी। अचानक मदनलाल सांस लेने के लिए सीधा हुआ बहु यूं ही आँख
मूंदे खड़ी थी। रति को भी चेल्लेंज कर देने वाली उसकी सुंदरता अनावृत मदनलाल के सामने थी। मदनलाल ने काम्या की गर्दन पकड़ कर अपनी
ओर खींचा और उसके रसीले होंठो पर अपने होंठ रखकर काम्या के अधरामृत का पान करने लगा। काम्या अब पूरी तरह आग का गोल बन
गई थी पराये मर्द का चुम्बन उसे और भी रोमांच दे रहा था। कुछ देर बाद जब उसे कुछ होश आया तो उसने फिर कहा
काम्या :-- बाबूजी अब छोड़ दीजिये। अब तो बहुत होली खेल ली।
मदनलाल :-- बस बहु एक मिनिट। जरा सा गुलाल तो लगा लूँ। और फिर मदनलाल ने कुरते की जेब से गुलाल निकाला और काम्या के पुरे बदन पर
रगड़ने लगा। पुरे पेट ,चूची ,गर्दन आदि पर मलने के बाद उसने बहु को पलटाया और उसकी नंगी मखमली पीठ पर गुलाल लगाने लगा।
गुलाल का खुरदरापन काम्या को उत्तेजित कर रहा था साँसे एक बार फिर तेज़ हो गई। अचानक मदनलाल ने legging की इलास्टिक पर उंगली
फसाई और उसे गाण्ड तक नीचे कर दिया। फिर उसने बहु की गाण्ड पर गुलाल लगाना शुरू कर दिया। ये वही गाण्ड थी जो पिछले कुछ दिनों से उसके
सपनों में रोज आती थी। मदनलाल एक बार फिर बहक गया और बहु की गाण्ड में उंगली कर बैठा। गाँड में उंगली का अहसास होते ही बहु को झटका लगा
उसने आँख खोली तो देखा की उसकी legging तो नीचे खिसकी पड़ी है। उसने घबराकर बाबूजी को धकेला और legging ऊपर कर ली। "" बाबूजी ये क्या
कर रहे थे "" काम्या ने कहा। .
मदनलाल:-- कुछ नहीं बहु बस थोड़ा गुलाल लगा रहा था
काम्या :-- नहीं बाबूजी। नीचे बिलकुल नहीं। . और फिर उसने अपनी टीशर्ट उठाई और नंगी ही अपने कमरे में भाग गई। मदनलाल उसको
नंगी भागते देखता रहा। बहु की गाण्ड की हर थिरकन के साथ उसका लण्ड भी झटके खा रहा था। फिर वो भी किचन से निकला और बाथरूम की ओर
चल दिया।  


 मदनलाल अपने रूम में जाकर बैठ गया और जो कुछ अभी हुआ उसका चिंत्तन करने लगा। वो खुश था की जो कुछ अभी हुआ वो उसके आगे की यात्रा में में मील का पत्थर साबित होगा।
वो एक एक घटनाओं को याद करने लगा। पहला तो बहु खुद कह रही थी बाबूजी धीरे दबाइए न इसका मतलब था कि बहु के अंदर बहुत आग है बस सुलगाने की जरुरत है जिसमे तो मदनलाल एक्सपर्ट था। फिर दूसरा आज उसने जी भरकर बहु के मम्मे चूसे थे। चूचियाँ नारी का बहुत संवेदनशील अंग होती है। विख्यात दार्शनिक और ""सम्भोग से समाधी तक "" के रचियता ओशो ने तो यहाँ तक लिखा है कि स्त्री को भृकुटि या नासिकाग्र के बजाय स्तनाग्र पर ध्यान करना चाहिए इससे उसे जल्दी समाधी प्राप्त होगी। दुनिया की हर वो स्त्री जो पूर्ण विकसित वक्षस्थल की स्वामिनी
है वो मर्द द्वारा उनको सहलाना ,मसलना और उनसे खेलना पसंद करती है। मदनलाल जानता था कि जो सुख आज बहु ने कुचिमर्दन और चूषण से प्राप्त किया है वो उसे फिर फिर ससुर के
पास आने को मजबूर करेगा। तीसरी और सबसे बड़ी उपलब्धि थी काम्या का अपनी टीशर्ट उतारने के लिए तैयार हो जाना। नारी का चारित्रिक पतन सिर्फ एक बार होता है उसके बाद तो दुबारा
जो कुछ होता है वो सिर्फ काम वासना की ललक होती है। अगर औरत एक बार किसी पराये मर्द के नीचे लेट गई तो उसी समय उसका सब कुछ लुट जाता है फिर वो दुबारा न भी जाय तो लुटी
चीज वापस नहीं आती। इसलिए ऐसी स्त्री फिर सोचने लगती है कि जो खोना था वो तो खो दिया अब तो केवल पाना ही पाना शेष है और वो बारम्बार पतित होती चली जाती है
मदनलाल निश्चिंत था कि एक बार बहु अपने आप टीशर्ट उतारने के लिए राजी हो गई है तो वो भविष्य में फिर कभी भी उसे ऊपर से तो नंगी कर ही लेगा। अब उसे ऐसा कुछ करना था
जिससे काम्या पेटीकोट उतारने के लिए भी राजी हो जाये। अगर एक बार बहु नीचे भी हाथ धरने को दे दे तो फिर तो मौजा ही मौजा है। फिर तो रोज उसका फौलादी लण्ड बहु की मखमली
चूत की अथाह गहराइयों की सैर करेगा। फिर मदनलाल काम्या के कातिल जिस्म को याद करके आगे का रोडमैप बनाने लगा। काम्या के जिस्म की याद आते ही उसका मूसल फिर
अंगड़ाइयाँ लेने लगा तो उसने अपने लण्ड को मुठियाते हुए कहा :- -- बस बेटा थोड़ा और सबर करले फिर तेरे भी "" अच्छे दिन आने वाले हैं ""
उधर काम्या अपने कमरे आकर बुरी तरह हांफ रही थी। अभी भी उसे ऐसा लग रहा था जैसे बाबूजी उसके मम्मे चूस रहे हैं।वो सोचने लगी हे भगवान क्या क्या करते है बाबूजी? कहीं बूब्स को काटते हैं
तो कहीं कितने प्यार से निप्पल के ऊपर जीभ चुभलाते हैं तो कहीं घुंडियों को दाड़ में रखकर हौले हौले चबाते हैं । पता नहीं कहाँ से सीखा होगा ये सब। फिर काम्या मन ही मन बोली
"" बाप इतना सयाना है और बेटा बिलकुल भोन्दु। झल्ले को कुछ भी नहीं आता। कम से कम जिंदगी में बाप से कुछ सीख लिया होता ""
काम्या इन बातों को यादकर गरम हो रही थी पर उसे आश्चर्य भी हो रहा था कि कैसे उसने बाबूजी को इतना सब करने दिया। ससुर तो बाप के समान होता है। आज के पहले जो कुछ हुआ वो
अकस्मात हुआ था लेकिन आज तो उसने ससुर के कहने पर अपनी टीशर्ट ही उतार दी। और तो और वो खुद कितनी बेशर्मी से बोल रही थी "" बाबूजी जोर से मत काटिये धीरे धीरे करिये "" उसे अपने ऊपर शर्म आने लगी। आखिर वो एक इज्जतदार घर की बेटी और एक संस्कारी घर की बहु थी। उसने सोचा चलो हम तो कच्ची उम्र के है लेकिन बाबूजी तो सयाने हैं वो भी बच्चों जैसे चपर चपर दूध पीने लगे। फिर अपनी चूचियों को सहलाते हुए मन ही मन बोली ससुर का भी क्या दोष मर्द चाहे कोई भी हो "" इनके जोश से बचके कहाँ जाएगा "" अचानक काम्या को याद आया कि उसके पति सुनील के अलावा उसके बूब्स से खेलने वाले बाबूजी पहले पराये मर्द नहीं बल्कि दूसरे हैं। इसके पहले उसके फिज़िक्स के पटेल सर ने उसे बेवकूफ बना कर उसके नए नए नींबूड़ों से मनमानी की थी और वो घटना उसके सामने चलचित्र की तरह घूमने लगी।


 बात तब की है जब काम्या बारहवीं में थी। साल का आखिरी वक्त था। काम्या प्रैक्टिकल का एग्जाम दे रही थी किसी दूसरे स्कूल की लेडी टीचर निरीक्षक बन कर आई थी। निरिक्षक ने
एक बार पूरी क्लास का दौरा किया सबसे सवाल किये और चल दी। काम्या का पेपर कुछ ख़राब हो गया था और वो ढंग से जवाब भी नहीं दे पायी। पटेल सर बैठ कर कुछ लिखा पढ़ी कर रहे थे। एग्जाम के अंत में सर ने काम्या और पिंकी को रोक लिया एक लिस्ट दिखाया जिसमे उन दोनों को पचास में से दस नंबर मिले थे। काम्या के तो पैरों से जमीन ही खिसक गई वो दोनों सर के पास रोयी पर सर ने कह दिया कि ये नंबर मैडम ने दिए हैं। रो धो के जब वो वहां से चल दिए तो कुछ दूर जाने के बाद सर की आवाज़ आई उन्होंने पिंकी को बुलाया
और फिर पिंकी और पटेल सर कुछ देर तक आपस में बातें करते रहे। जब पिंकी लौटी तो कुछ खुश दिखाई थी। काम्या पूछ बैठी
काम्या ::--- क्या बात है अचानक खुश क्यों हो रही है ?
पिंकी ::--- सर पास करने को तैयार हो गए हैं।
काम्या ::--- व्हाट। लेकिन कैसे। अचानक क्यों बदल गए।
पिंकी ::--- बदल नहीं गए। कल अपन दोनों को ११ बजे लैब में बुलाया है
काम्या :;-- लेकिन स्कूल की तो छुटियाँ हो गई हैं फिर लैब में क्यों बुलाया।
पिंकी :--- तेरी पूजा करने को बुलाया है।
काम्या ;---- मतलब ? मैं कुछ समझी नहीं
पिंकी :--- सुन ! पटेल सर की बीवी दूसरे शहर में काम करती है सर यहाँ अकेले शंड भुसण्ड की तरह पड़े रहते हैं। इसलिए बोले हैं कि दोनों थोड़ा एन्जॉय करा दो तो अभी भी पास करा सकता हूँ।
काम्या :-- क्या ssss ! तू पागल तो नहीं हो गई है। क्या अनाप शनाप बोले जा रही है।
पिंकी :---- ना मैं पागल हुई हूँ ना अनाप शनाप बोल रही हूँ। ना मुझे fail होना है ना बारहवीं में दुबारा बैठना है।
काम्या :--- तो क्या इसके लिए इज्जत बेच देगी ?तू होश में तो है ?
पिंकी :--- इज्जत विज्जत बेचने की कोई जरुरत नहीं है। सर केवल उपर उपर ही करेंगे। मैंने साफ़ साफ़ बात कर ली है।
काम्या :-- पिंकी तू पागल हो गई है। एक बार फिर सोच ले।
पिंकी :-- मैंने सब सोच लिया है मुझे अपना साल बर्बाद नहीं करना है। तू भी सोच ले साल बर्बाद करना है या थोड़ा सा दूध मसलवाना है बस सर थोड़ा किसिंग विस्सिंग करेंगे और हाथ फेर लेंगे।
काम्या :-- सॉरी मुझे कुछ नहीं करना। तेरी सलाह तुझे मुबारक। मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ।
पिंकी :-- मैं भी ऐसी वैसी लड़की नहीं हूँ लेकिन हालत आदमी को मज़बूर कर देते हैं। fail हो हो गई तो पिताजी घर में बैठा देंगे। कल सुबह जाने से पहले फ़ोन करूंगी तब तक अच्छी तरह सोच लेना दोनों अलग अलग हो गए। उसके बाद से तो काम्या के दिमाग का फ्यूज ही उड़ गया। हे भगवान कहीं सचमुच फ़ैल हो गई तो। फिर खुद से ही बोली सचमुच क्या fail तो तू हो चुकी है। रात भर वो सो नहीं पायी।
सुबह पिंकी का फ़ोन आया
पिंकी :-- बोल लेने आऊं क्या।
काम्या :-- पिंकी ! सारा स्कूल बंद है। कहीं सर जबरदस्ती करने लगे तो।
पिंकी :-- पगली तू चिंता मत कर। सर से पहले ही बात हो गई है केवल उपर उपर का मजा लेंगे। स्कूल में प्रिंसिपल भी रहेंगे और चौकीदार भी रहेगा। और हम दो हैं कोई अकेले तो नहीं होंगे।
काम्या :-- कहीं सर ने किसी को बता दिया तो ? हम बदनाम हो जायेंगे।
पिंकी :-- ऐसे कैसे बता देंगे। हम से ज्यादा तो उनका नुक्सान है। खुद बदनाम होंगे ,नौकरी भी जाएगी और शायद बीवी भी हाथ से चली जाएगी समझी। तू बिलकुल टेंशन मत ले।
पिंकी को तो जानती है ना। पिंकी का पार पाना पटेलवा के बस की बात नहीं। वो तो जरा मैडम ने खेल बिगाड़ दिया है नहीं तो सर के इस ऑफर पर तो पिंकी उसका बैंड बजा देती।
काम्या :-- ठीक है पिंकी। मैं पूरी तरह तेरे भरोसे हूँ। बस सर हद से ज्यादा न बडें।
पिंकी :--- डोंट वोर्री यार। कूल डाउन। i will control the situation
और फिर दोनों लैब पहुँच गए। काम्या को देखकर पटेल की आँखे चमक उठी। उसे यकीन नहीं था की काम्या मान जाएगी। काम्या को दरवाजे में खड़ा कर पिंकी अंदर गई कुछ देर सर से बात की फिर वापस आकर काम्या से बोली
पिंकी :-- सुन मैं दरवाजे पर खड़ी हूँ तू अंदर जा और साले को थोड़ा सा एन्जॉय करा दे। डरना बिलकुल मत।
काम्या सिर झुकाये टेबल के पास पहुंची ही थी कि पटेल तुरंत खड़ा हुआ और उसको पकड़ कर दीवार से सटा दिया तथा लपक कर काम्या के होंठो पर अपने होंठ रख दिए।
वो किसी भूखे भेड़िये की तरह काम्या के होंठों को चूसने लगा तथा सर के हाथ काम्या के नए नवेले बूब्स पर पहुँच गए। वो काम्या के मम्मों को जोर जोर से मसलने लगा तो काम्या बोल उठी
""सर दर्द दे रहा है जोर से मत करिये "" सॉरी डार्लिंग अब धीरे करूंगा सर ने कहा। फिर बारी बारी से कुचिमर्दन करने लगा। काम्या के होंठ तो वो एक मिनिट भी नहीं छोड़ रहा था। सर की इन
हरकतों से काम्या की साँसे चलने लगी ,चेहरे पर खून उतर आया। हालाकिं ये सब काम्या की अनिच्छा से हो रहा था लेकिन प्रकृति के भी कुछ नियम होते हैं। अग्नि को जानबूझ कर छुओ या
धोखे से वो जलाती ही है। काम्या तरुण अवस्था में थी जीवन में पहली बार कोई मर्द उसके बदन से खेल रहा था इसका असर उसके शरीर पर भी पड़ने लगा। शरीर की अपनी अलग भाषा होती है
मर्द के पहले स्पर्श से उसके बदन में काम तरंगे उठने लगी उसके निप्पल कठोर हो गए उसकी जाँघों में goosebumps उभर आये। सर कुछ लम्बे थे इसलिए उन्हें परेशानी होने लगी तो उन्होंने
काम्या को अपनी कुर्सी पर बैठा दिया और उसके संतरों पर टूट पड़े।



 कुछ देर उपर से खेलने के बाद पटेल काम्या का ब्लाउज ऊपर करने लगा तो काम्या ने उनके हाथ रोक दिए
काम्या :-- सर नहीं। ऊपर से ही करिये।
पटेल :-- बस बेबी थोड़ी देर की ही बात है। ज्यादा कुछ नहीं करूंगा।
काम्या :-- नो सर केवल उपर ऊपर की ही बात हुई थी।
पटेल :-- उपर का मतलब था केवल कमर के उपर। अगर इनकों आँख से देख भी नहीं पाया तो क्या मतलब। और पटेल फिर ब्लाउज ऊपर करने लगा।
काम्या :---- नो सर ! मैं ऐसा नहीं करने दूँगी। आप को जो करना है उपर ही ऊपर से करिये। काम्या की ऐसी जिद पर पटेल कुछ गुस्से में बोला।
पटेल :-- काम्या मैं तुम्हारे लिए अपनी नौकरी दाँव पर लगा रहा हूँ। और तुम इतने नखरे कर रही हो। तुम्हे मालूम है अभी फाइनल लिस्ट बनानी है और बोर्ड में भेजने
से पहले प्रिंसिपल के sign seal लगवाना है अगर कहीं प्रिंसिपल ने मैडम की ओरिजिनल शीट दिखाने को कहा दिया तो मेरी तो नौकरी गई। मैं तुम्हारे लिए अपना करियर
दाँव पर लगा रहा हूँ और तुम मुझे इतनी अकड़ दिखा रही हो। अगर ज्यादा दिक्कत है तो चली जाओ और पिंकी को अंदर भेज दो।
सर की बात सुनकर काम्या कुछ बोल नहीं पायी और चुपचाप वहीँ खड़ी रही। पटेल समझ गया कि अब काम बन जायेगा तो फिर ब्लाउज खोलने लगा। इस बार काम्या ने
कोई विरोध नहीं किया। बाहर आते ही काम्या के कबूतर फड़फड़ाने लगे। पटेल अवाक सा काम्या के बूब्स देखने लगा जैसे सामने कारूं का खजाना पड़ा हो। जब उसे कुछ होश आया
तो अगले ही पल काम्या का एक मम्मा पटेल के मुंह के अंदर था। अपनी चूची सर के मुंह में जाते ही काम्या उपर से नीचे तक सिहर उठी। आज तक उसने केवल छोटे छोटे बच्चों
के मुहं में औरतों की चूचियाँ देखि थी। आज पहली बार एक जवान मर्द के मुंह में चूची देख रही थी वो भी खुद अपनी चूची। उसके शरीर में फिर एक बार कामनाएं भड़कने लगी।
उधर पटेल सर चूचियों पर ऐसे पिले पड़े थे जैसे भूख से बिलबिला रहा कोई बच्चा हो। कहते हैं वासना का कोई अंत नहीं होता। एक पूरी होती है तो दूसरी मुह उठा के खड़ी हो जाती
है। यही हाल पटेल का भी था। उपर कब्ज़ा हो चूका था तो नियत नीचे जाने लगी। उसका एक हाथ काम्या की मखमली जाँघों में घूमने लगा। काम्या खुद बेखुदी के आलम में थी
इसलिए उसे कुछ पता हा नहीं चल रहा था कि सर ने गाड़ी दूसरे ट्रैक डाल दी है। उसे होश तब आया जब sir उसकी panty खींचने लगे। . काम्या तुरंत बोल उठी "' सर ये आप
क्या कर रहे हैं। छोड़िये उसे "' पटेल प्यार जताता हुआ बोला ""बस बेबी सिर्फ एक मिनिट के लिए।एक बार दर्शन करवा दो अपनी गुड़िया के "" काम्या बोली "" नो सर
यू आर क्रॉसिंग योर लिमिट "" पर पटेल फिर जबरदस्ती करने लगा तो काम्या जोर से मना करने लगी। काम्या की तेज़ आवाज़ सुनकर पिंकी ने अंदर झाँका तो देखा कि सर
का हाथ काम्या की स्कर्ट के अंदर है और वो उसकी पैंटी खींचने की कोशिश कर रहे हैं। पिंकी समझ गई की सर की नियत बिगड़ गई है सो तुरंत वहां पहुँच गई। पिंकी को आया
देख सर ने काम्या को छोड़ दिया काम्या भी खड़े होकर कपडे ठीक करने लगी। पिंकी ने काम्या से कहा "" जा तू दरवाजे में पहरा दे मैं कुछ देर में आती हूँ ""
काम्या जाकर दरवाजे में खड़ी हो गई उसकी नज़र लगातार प्रिंसिपल के ऑफिस की ओर थी। कुछ ही देर में अंदर से पिंकी की सिसकारियों की आवाज़ आने लगी पर
काम्या ने उस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसका इसमे कोई इंटरेस्ट नहीं था। लगभग दस मिनिट बाद अंदर से sir के कराहने की आवाज़ आने लगी तो वो चोंकी कि
परेशानी तो पिंकी को होनी थी और चिल्ला सर रहें हैं लेकिन वो चुपचाप बाहर ही देखती रही। थोड़ी देर बाद sir की गुर्राहट की आवाज़ आने लगी तो उसने धीरे से अंदर झाँका।
अंदर झांकते ही उसने जो नजारा देखा तो काम्या का कलेजा मुह को आ गया। अंदर sir बिलकुल नंगे पुंगे कुरसी में बैठे थे। उनके पैरों के बीच में पिंकी फर्श पर घुटने के बल बैठी थी
और वो भी बिलकुल नंगी थी। सबसे शॉकिंग जो था वो ये था की sir का लण्ड पिंकी के मुख में था और वो उसे बड़े चाव से चूस रही थी। ये दृश्य देख कर काम्या काँप गई और फिर बाहर
देखने लगी। लेकिन जवानी दीवानी होती है। काम्या का मन नहीं माना तो उसने फिर अंदर झाँका। अंदर पिंकी लण्ड को जड़ तक मुँह में ले चुकी थी और गपागप अंदर बाहर कर थी.
sir भी नीचे से कमर उछाल रहे थे। शरम के मारे काम्या फिर बाहर देखने लगी। लगभग पन्द्रह मिनट बाद पिंकी उसके सामने खड़ी थी
पिंकी :-- चल बन्नो। अब पास होने की चिंता छोड़ दे।
काम्या ::--- तूने तो बोला था की सर सिर्फ उपर -२ ही करेंगे। फिर अंदर जो तूने किया वो।
पिंकी :--- बन्नो वो तो तेरे से भी वही चाहता था लेकिन मुझे मालूम था तू fail हो जाएगी पर ये नहीं करेगी इसलिए मुझे अकेले ही उसे सम्भालना पड़ा।
काम्या :-- पर तूने वो कर कैसे लिया। इट वास सो डिस्गस्टिंग
पिंकी :-- टेक इट इजी यार। तुझे मालूम है मेरा BF भी है। so i am habitual .
काम्या :-- what tttttttttttttt
कुछ दिन बाद काम्या को पता चल गया कि जो मार्क्स सर ने दिखाए थे वो फ़र्ज़ी लिस्ट थी उसे बहुत गुस्सा आया लेकिन रिजल्ट आते ही उसका गुस्सा शांत हो
गया क्योंकि पेपर खराब होने के बाद भी उसे पचास में से चालीस नंबर मिले थे और पिंकी को अड़तालीस नंबर मिले थे आखिर उसने सेवा भी तो ज्यादा की थी।











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