Tuesday, July 28, 2015

FUN-MAZA-MASTI यार! तेरी बीवी बड़ी मस्त है

FUN-MAZA-MASTI

यार! तेरी बीवी बड़ी मस्त है

प्रेषक - अमित/अनिता शर्मा

हैलो दोस्तों, मैंने कुछ समय पहले ही इस साईट पर कहानियाँ पढ़नी शुरु कीं। कह नहीं सकता कि इनमें से कितनी कहानियाँ सच्ची हैं और कितनी दिमाग़ की उपज। पर आज मैं आप लोगों को अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरा नाम अमित है और मेरी उम्र ३६ साल है। मेरी पत्नी का नाम अनीता है और उसकी उम्र ३४ साल है। हमारी शादी १४ साल पहले हुई थी और हमारे २ बच्चे हैं। बड़ा लड़का १२ साल और छोटी बेटी ७ साल की है।

हमारी ज़िन्दगी और यौन-जीवन आज से ३ साल पहले तक वैसे ही चल रही थी, जैसे कि एक आम मध्यवर्ग के परिवार की चलती है। पिछले ११ सालों में हम लोग सेक्स बस एक ज़रूरत के हिसाब से करते थे। उसमें कोई रोमांच नहीं था, कि हमें सेक्स करने में और मज़ा नहीं आ रहा था।

फिर हमें लगा कि इस तरह तो हम दूर होते जाएँगे, हमने इसमें कुछ नयापन लाने की सोची। उस दिन से हम लोगों ने साथ में ब्लू-फिल्म देखनी शुरु की और गन्दी बातें करनी भी शुरु की। पहले मेरी पत्नी लंड-चूत जैसे शब्द बोलने में भी कतराती थी, पर धीरे-धीरे वह ये बातें आराम से बोलने लगी। उस दिन से हमने अपने यौन-जीवन में एक नयापन का अहसास किया और हमें मज़ा भी आने लगा।

अनीता भी पहले से उलट खुलकर सेक्स करने लगी। पहले जिन सब कामों के लिए वह मना किया करती थी अब वे सारे काम वह ख़ुद ही करवाने-करने लगी। जैसे कि मुँह में लौड़ा लेना, और गांड मरवाना, मेरा वीर्य चेहरे पर लेना, उसे इन कामों में अब बड़ा मज़ा आने लगा था।

मैं आप लोगों को अपनी बीवी के बारे में थोड़ा बताता चलूँ। उसकी उम्र ३४ साल है, गोरा बदन, दूध की तरह, उसकी फ़िगर भी ३७-२९-३८ है और उसका क़द ५' ५" है। मैंने कई बार लोगों को उसे टेढ़ी नज़रों से देखते हुए देखा है, तब मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस होता है, उन लोगों पर गुस्सा भी नहीं आता।

एक दिन मैंने अनीता से वेबकॅम पर सेक्स करने की बात की पर उसने मना कर दिया, लेकिन जब मैंने उससे कहा कि हम लोग अपना चेहरा नहीं दिखाएँगे तो वह मान गई। उस दिन से मैं ऐसे युगल की खोज में जुट गया जो हमारी तरह सोचते हों और एक दिन हमें ऐसा ही एक युगल मिल गया। हम लोगों ने शनिवार रात का समय तय किया कॅम पर सेक्स करने के लिए।

शनिवार रात जब बच्चे सो गए तो रात को ११ बजे, तय समयानुसार हम लोग इन्टरनेट पर मिले। दूसरा युगल था, आशीष ३७, और गीता ३३। वे भी हमारी तरह एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे और सेक्स में नयापन चाहते थे। तो हम लोगों ने नेट से चैट शुरु की और धीरे-धीरे सेक्स की बातें करने लगे। जहाँ मैं गीता के नंगे शरीर को देखने के लिए उतावला था वहीं अनीता भी आशीष का लंड देखने के लिए उतावली दिख रही थी। पर वह अपने चेहरे से ज़ाहिर नहीं कर रही थी। हमने जब उन लोगों से चैट करी तो उन लोगों ने बताया कि वह लोग फोन सेक्स और अदला-बदली करना चाहते है। हम लोगों ने कहा- हम अभी सोचेंगे।

उस दिन अनीता ने गुलाबी रंग की नाईटी पहन रखी थी और उसके अन्दर काले रंग की कच्छी और ब्रा। और मैंने काली हाफ पैंट पहन रखी थी। उधर गीता ने सलवार कमीज़ और आशीष ने पाजामा पहना हुआ था।

जैसे-जैसे चैट की बात आगे बढ़ी, हम लोगों ने एक-दूसरे को कपड़े उतार देने के लिए कहा। उधर गीता ने अपनी सलवार कमीज़ उतार दी और वह केवल लाल ब्रा और लाल कच्छी में थी। इधर अनीता ने उसको देखते हुए अपनी नाईटी उतार दी और अपनी ब्रा-कच्छी भी उतार दी। उधर आशीष और गीता अपने सारे कपड़े उतार कर पूर्णतः नग्न हो चुके थे। उनकी देखा-देखी में इधर हम भी नंगे हो गए।

आज हमें एक नए प्रकार का आनन्द मिल रहा था। गीता के ख़ूबसूरत बद़न, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ देखकर, उसकी बिना बालों की गुलाबी चूत देखकर मेरा लंड तो फुँफकारे मार रहा था। उधर आशीष का लंड देखकर अनीता की भी यही हालत थी। आशीष का लंड मेरे बराबर ही था पर मेरे से थोड़ा मोटा होगा। वैसे मेरा लंड भी ख़ूब मोटा-तगड़ा है, पर उसका मेरे से थोड़ा अधिक मोटा लगा। जब हम लोग नंगे हुए तो आशीष ने कहा क्यों ना फोन सेक्स करें। तो हम भी राज़ी हो गए। पिर आशीष ने हमें फोन किया और हम लोग स्पीकर ऑन करके बातें करने लगे। फिर हम लोगों ने खुल्लम-खुल्ला चूत-लंड की बातें शुरु कर दीं। अनीता मेरा लंड चूसने लगी। अब हम लोग टाईप नहीं कर रहे थे। बस फोन पर ही बातें करके कैमरे के सामने आनन्द का आदान-प्रदान कर रहे थे।

अब मैंने अनीता की चूत को गीता की चूत समझ कर चाटना शुरु कर दिया, और आज मुझे वही चूत चाटने में अलग प्रकार का आनन्द आ रहा था। कुछ देर चाटने के बाद अनीता मेरे मुँह में ही झड़ गई। आज जितना मज़ा हमें सेक्स करने में आ रहा था, उतना पहले कभी नहीं आया था। अब मैंने और आशीष ने अपनी बीवियों को घोड़ी बना कर चोदना शुरु कर दिया था और फोन पर ही गन्दी-गन्दी बातें कर रहे थे। अब हम लोगों के चेहरे भी एक-दूसरे के सामने थे। इसलिए मज़ा दुगुना हो गया था।

२०-२५ मिनट चोदने के बाद मैंने और आशीष ने अपना सारा वीर्य अपनी बीवियों के मँह में डाल दिया। आज हमने महसूस किया कि जितना मज़ा हमे आज आया, उतना मज़ा पहले कभी नहीं आया। उस दिन का कार्यक्रम खत्म करके हमलोग सो गए। दूसरे दिन आशीष का फोन मेरे पास आया और उसने हमसे बीवियों के अदला-बदली के बारे में पूछा। मैंने उससे कहा कि मैं अनीता से बात करके बताऊँगा। उसने मुझे बताया कि गीता को मेरा लण्ड बहुत पसन्द आया और उसे अनीता की गाँड बहुत पसन्द आई। यह सब बातें सुनकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

मैं फिर से अनीता की चुदाई करने चल पड़ा। उस समय वह बाथरूम में कपड़े धो रही थी। मैंने वहीं जाकर उसकी नाईटी ऊपर उठाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। वह इसके लिए तैयार नहीं थी, इसलिए ना-नुकर करने लगी. पर मेरी हरक़तों ने उसे भी उत्तेजित कर दिया और वह मस्त होकर चुदवाने लगी। मैंने इसी उत्तेजना में उससे अदला-बदली के बारें में बात की। आशीष और गीता के साथ उस समय उसने कुछ जवाब नहीं दिया, और पूरी ताक़त से चुदाई में जुट गई। मैंने महसूस किया कि आज वह और अधिक मज़े से चुदवा रही है। फिर थोड़ी ही देर में वो झड़ गई।

उसने पलट कर मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह ज़ोरों से चूसने लगी। उसकी इस हरक़त से मैं भी थोड़ी ही देर में उसके मुँह में ही झड़ गया। मैंने उससे फिर अदला-बदली के बारे में पूछा तो उसने कुछ कहा तो नहीं पर हल्के से मुस्कुरा दी। यह मेरे लिए हरी झंडी थी। मैंने फटाफट आशीष को फोन करके बता दिया कि हमलोग तैयार हैं और मैंने उससे जगह और समय भी तय करने को कह दिया।

हमलोगों ने अगले शनिवार की योजना तय की और हम लोग बेसब्री से शनिवार की प्रतीक्षा करने लगे। इस बीच हम लोग कभी-कभी फोन सेक्स भी कर लेते थे। उस शनिवार को हम लोगों ने अपने बच्चों को उनकी नानी के घर भेज दिया। मैं एक बोतल वोदका लेकर घर आ गया था दोपहर में ही।

शाम को हम लोग तैयार होकर आशीष और गीता की प्रतीक्षा करने लगे। मैंने ढीली टी-शर्ट और लोअर पहन लिया। मैंने अन्दर से कुछ नहीं पहना था। अनीता ने गुलाबी रंग की सेक्सी सी साड़ी पहन रखी थी, जिसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। ठीक ७ बजे आशीष और गीता आ गए। हम लोग आपस में बहुत गर्मजोशी से मिले। जैसे एक दूसरे को काफी पहले से जानते हों। हमारी बीवियाँ थोड़ा सा झिझक रहीं थीं, लेकिन मैंने और आशीष ने माहौल को सँभालने की पूरी कोशिश की।

मैंने आशीष को कपड़े बदलने को कहा, जिससे हम आराम से बातें करने लगे। गीता ने भी हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी, और बहुत ही सुन्दर लग रही थी। मेरा लंड तो उसको देखकर ही आपे से बाहर हो चला था। शायद उसने भी मेरी हालत पहचान ली थी। थोड़ी ही देर में आशीष भी कपड़े बदल कर आ गया। उसने शॉर्टस और शर्ट पहन रखी थी और वह भी बारबार अनीता को देखने की कोशिश कर रहा था। मुझे लगा उसने भी अन्दर से कुछ नहीं पहन रखा था।

मैं तब तक वोदका की बोतल, लिम्का और ४ गिलास ले आया और पैग बनाने लगा। हम लोग बातें करते-करते वोदका की बोतल खतम करने लगे। हम लोग पहले बातें करने में थोड़ा शरमा रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे पैग खत्म हो रहे थे हमलोग आपस में खुलते जा रहे थे। अब मैं आप लोगों को यह कहानी एक एकांकी की तरह सुनाता हूँ कि हम आगे कैसे बढ़े।

दृश्य - 1 (ड्राईंग रूम में वोदका पीते हुए)

आशीष - अनीता तुम्हारी चूत किस रंग की है?

(अनीता शरमा जाती है है और कुछ नहीं बोलती, बस धीरे-धीरे मुस्कुरा देती है।)

अमित - यार उसी रंग की होगी जैसी गीता भाभी की है, वैसे अनीता की चूत एकदम चिकनी है और गुलाबी रंग की है। गीता भाभी की चूत कैसी है।

आशीष - गीता की चूत भी एकदम मक्खन की तरह है और एकदम लाल। तुम चाहो तो देख सकते हो। (गीता यह सुनकर शरमा जाती है।)

(हमलोग और वोदका पीने लगते हैं, मैं जानबूझ कर बीवियों के पैग बड़े और अपने पैग छोटे बना रहा था।)

अमित - चलो यार, थोड़ा नाश्ता कर लेते हैं।

आशीष - आज तो हम चूत और मम्मों का ही भोजन करेंगे।

अमित - यह ठीक है गीताजी आपके मम्मे दिखाओ ना।

गीता - पहले अपना लंड तो दिखलाओ।

अनीता - चलो हम लोग बेडरूम में चलते हैं।

दृश्य - 2 (बेडरूम - हाथ में अन्तिम पैग) आशीष, गीता, मैं और अनीता चारों बिस्तर पर हैं

आशीष - अमित टीवी ऑन कर दो ना यार, कोई फिल्म है तो लगा दो। (उसने मेरी ओर देखकर आँख मारी, और मैं उसका इशारा समझ गया था।)

फिल्म चलाते ही उसमें ब्लू-फिल्म शुरु होती है। हम लोग मूड में थे इसलिए कोई कुछ नहीं बोला और फिल्म देखनी शुरू कर दी। बिस्तर पर पहले मैं लेटा था, फिर गीता, उसके बाद अनीता और फिर आशीष। हमारा बिस्तर काफी बड़ा था पर अगर चार लोग उसमें लेटे तो एक दूसरे से छू जाते ही। हमारा शरीर भी एक-दूसरे से छू रहा था। मुझे गीता की टाँग लग रही थी, वही हाल आशीष का भी था। सामने ब्लू फिल्म चल रही थी, जिसमें २ लड़के और २ लड़कियाँ थीं, पहले लड़के ने लड़की के मुँह में अपना लंड डाल रखा था और दूसरी लड़की उसकी चूत चाट रही थी, दूसरा लड़का दूसरी लड़की की चूत चाट रहा था।

यह सब देखकर और गीता का स्पर्श पाकर मेरा लौड़ा एकदम कड़क हो गया था और वह पूरी तरह खड़ा हो चुका था, यही हालत आशीष की भी थी। हम दोनों ने फिर गीता और अनीता की तरफ करवट कर ली और उनके थो़ड़ा और समीप आ गए जिससे मेरा लंड गीता की टाँग को छूने लगा, और आशीष ने भी लगभग ऐसा ही किया। गीता और अनीता के चेहरे भी लाल हो चुके थे, शायद यह हमारा पहला अनुभव था इसलिए काफी अच्छा लग रहा था। धीरे-धीरे मैंने गीता के मम्मों पर हाथ रख दिया और उन्हें सहलाने लगा। आशीष भी अनीता का पेट और टाँगें सहला रहा था। ब्लू-फिल्म की मादक आवाज़ों ने कुछ और भी मज़ा पैदा कर दिया था।

हम दोनों ने धीर-धीरे उन दोनों की साड़ी ऊपर कर दी। दूधिया रोशनी में उन दोनों की टाँगें और जाँघें ऐसी चमक रहीं थीं कि वहाँ आँखें नहीं ठहर पा रहीं थीं। यह कह पाना मुश्किल था कि दोनों में से कौन अधिक गोरी थी। गीता ने लाल रंग की कच्छी पहन रखी थी। साथ में हम गन्दी बातें भी कर रहे थे, जो बड़ी मस्त लग रही थीं। अनीता ने काली कच्छी पहन रखी थी। गीता की कच्छी नीचे से गीली थी, जिससे लगता था वह पूरे मज़े में है, वही हाल अनीता का भी था।

आशीष - यार अमित तेरी बीवी साली बड़ी मस्त है, इसकी चूत क्या फूली हुई लग रही है ऊपर से।

अमित - हाँ यार तेरा माल भी बड़ा मस्त लग रहा है, सोचता हूँ खा जाऊँ।

आशीष - चल यार दोनों को नंगा कर देते हैं (उसने अनीता के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।)

उसको देखकर मैंने भी गीता के कपड़े उतारने शुरु कर दिए।

अनीता - अरे तुम दोनों भी तो नंगे हो जाओ, या ऐसे ही पड़े रहोगे?

फिर देखते ही देखते हम चारों नंगे हो गए। ट्यूबलाईट की रोशनी में हम चारों के बदन ऐसे चमक रहे थे कि पूछिए मत, शायद ऐसा मज़ा पहले कभी नहीं आया मुझे।

आशीष - मैं तो अनीता की चूत चाटूँगा! (और उसने अनीता की चूत चाटनी शुरु कर दी।)

अमित - मैं भी गीता की चूत ही चाटूँगा! (और मैंने भी गीता की चूत चाटनी शुरु कर दी।

गीता - चाटो राजा चाटो, ज़ोर से चाटो... आज बहुत मज़ा आ रहा है... आआआ... उउअअमममममम... खा जाओ आआहहहाहा...

अनीता - ज़ोर से चाटो... आआहहहह... उम्म्म्म्म्ममममम आहहाहाहाहाह- आऊचच्च्च वाऊ

क़रीब २०-२५ मिनट तक चूसने के बाद गीता ने मुझे बालों से पकड़ कर ज़ोर से अपनी चूत पर चिपका लिया। मुझे लगा कि वह झड़ने वाली है और थोड़ी ही देर में ही वह मेरे मुँह में झड़ गई। उसने मेरा मुँह पूरा भिगो दिया था। ऐसा लग रहा था कि मैं मुँह धोकर आया हूँ। फिर हम दोनों आशीष और अनीता को देखने लगे। अनीता भी बस अब झड़ने ही वाली थी और देखते ही देखते वह भी आशीष के मुँह में झड़ गई, वह दृश्य बड़ा ही मस्त था जब वह झड़ रही थी। मैंने आगे बढ़कर उसके होंठों को चूम लिया।

फिर हम चारों एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। मैंने कस-कस कर गीता के होंठों को चूसना शुरु कर दिया। कुछ देर चूसने के बाद मैंने गीता को बिस्तर के पीछे दीवार से लगा दिया और उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। अब वह हिल नहीं सकती थी, और मैं उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा। वहीं आशीष ने अनिता को बिस्तर पर लिटा कर उसके मुँह में अपना लंड डाल कर झटके मारने शुरु कर दिए। मैंने ध्यान दिया तो मुझे आशीष का लंड बड़ा मस्त लगा।

आशीष - अमित मज़ा आ रहा है ना?

अमित - हाँ यार, ऐसा मज़ा तो पहले कभी नहीं आया। यार दोनों एक ही साथ झड़ेंगे।

आशीष - "आज इन बहन की लौड़ियों को मस्त करके छोड़ेंगे, हर तरह से जैसे ब्लू-फिल्मों में देखा करते हैं।

अमित - हाँ आज सारी हसरतें जो सिर्फ हम सोचते थे वह पूरी करेंगे।

क़रीब २०-२५ मिनट बाद बातें करते-करते हम झड़ने लगे और मैंने अपना सारा माल गीता के मुँह में डाल दिया। वहीं आशीष ने भी अपना पूरा माल अनीता के मुँह में उड़ेल दिया था। वे दोनों बाथरूम में जाने लगे, मुँह साफ करने के लिए, पर हमने उन्हें रोक दिया। मैंने गीता को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल अनीता के मुँह में डाल दे, जैसे ब्लू-फिल्मों में करते हैं। शायद नशे में होने के कारण या मज़े की वज़ह से अनीता ने भी अपना मुँह खोल दिया और गीता ने अपने मुँह का सारा माल अनीता के मुँह में डाल दिया। फिर हमने अनीता को कहा कि वह अपने मुँह का सारा माल गीता के चेहरे पर गिराए। अनीता ने वैसा ही किया। फिर मैंने और आशीष ने वह सारा माल उन दोनों के चेहरे पर से पोंछ दिया। उसके बाद गीता और अनीता ने हम दोनों को चूम लिया और एक बार फिर हम लोगों के होंठ एक दूसरे से जुड़ गए। हम इन बातों की बस कल्पना ही करते थे, पर आज करके कुछ अच्छा और थोड़ा अजीब सा लग रहा था, शायद पहली बार करने के कारण।

उसके बाद हमने एक-दूसरे को साफ करके दुबारा ब्लू-फिल्म देखने में लग गए। इस बार दोनों लड़कों ने अपना लंड एक लड़की की चूत और गाँड में डाल रक्खा था और दूसरी लड़की एक लड़के को चूम रही थी और कभी-कभी नीचे वाला लड़का उसकी चूत भी चाट लेता था। यह सब देख आशीष बोला।

आशीष - यार क्या मस्त चुदाई हो रही है, अनीता तुम्हारा क्या ख्याल है इस बारे में?

अनीता - अरे हम तो कितने भी लंड ले लेंगे, तुम डालने वाले बनो।

पहली बार अनीता के मुँह से लंड शब्द सुनने के बाद आशीष कुछ अधिक ही उत्तेजित हो गया और वह गीता और अनीता के बीच बैठ गया और दोनों की जाँघें सहलाने लगा। मैं भी जाकर उन लोगों के पास बैठ गया।

अमित - यार आशीष तु्म्हारी बीवी बड़ा मस्त लंड चूसती है।

गीता - तुम भी तो बड़ी मस्त चूत चाटते हो।

हम लोग इसी तरह की बातें करने लगे। गीता मेरा और अनीता अमित का लंड सहला रही थी। अब तक हमारे लंड पूरी तरह खड़े हो चुके थे और हम चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार थे। अचानक आशीष मेरा लंड पकड़ते हुए बोला - यार अमित तेरा लंड तो बड़ा मस्त है, अनीता तू तो बहुत खुश रहती होगी।

इसकी इस हरक़त का मुझे अंदाज़ा नहीं था, पर उसकी इस हरक़त की वज़ह से मेरे शरीर में नई झुरझुरी दौड़ गई और मेरा लंड और भी कड़ा हो गया।

अमित - हाँ पर तुम्हारा लंड भी बड़ा मस्त है यार, भाभी की चूत तो निहाल हो जाती होगी।

आशीष - वो तो तुम गीता से ही पूछ लो।

गीता - लंड में क्या रखा है, कौन कितना मज़ा दे पाता है बात इस पर निर्भर करती है।

अनीता - गीता, चलो एक-एक पैग और बना लाते हैं।

गीता - हाँ चलो।

उनके जाने के बाद मेरा भी मन आशीष का लंड पकड़ने का हुआ, और मैंने उसके लंड पर हाथ रख दिया। मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ कि मैंने कोई गरम चीज़ पकड़ ली हो, लेकिन मुझे बहुत अच्छा लगा।

आशीष - ज़ोर से पकड़ो यार। (और वह भी मेरा लंड पकड़ लेता है और मुट्ठ मारने लगता है। मैं भी उसका मुट्ठ मारना शुरू कर देता हूँ। हमारे लंड और भी कड़े हो गए।)

अमित - यार जब हमारी बीवियाँ इसे मुँह में लेतीं होंगी तो उन्हें कैसा लगता होगा?

आशीष - हम भी लेकर देख लेते हैं।

अमित - बीवियाँ देखेंगी तो क्या सोचेंगी?

तब तक गीता और अनीता आ जाती हैं और हम सामान्य होकर बैठ जाते हैं। पैग पीने के बाद हम लोग फिर ब्लू-फिल्म देखने लग जाते हैं, साथ ही एक-दूसरे को चूमना भी शुरु कर देते हैं।

मैंने गीता को सीधा लिटाकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी और मेरा लंड उसकी चूत में जड़ तक घुस गया। वहीं दूसरी तरफ आशी, ने भी अनिता को घोड़ी बना कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। हम लोग इस स्थिति में लेटे थे कि अनीता का मुँह गीता के मुँह के ऊपर आ रहा था और वो दोनों आसानी से एक-दूसरे को चूम सकतीं थीं। मैं भी कभी-कभी धक्के मारते हुए अनिता को चूम लेता था। वहीं आशीष भी गीता को चूम लेता था। बीच-बीच में बड़ा ही मस्त दृश्य उपस्थित होता था। गीता और अनीता की आहहहह... उम्म्मम्म... आउउच्चचच की आवाज़ें आ रहीं थीं। क़रीब आधा घंटा चोदने के बाद जब हमें लगा कि अब हम झड़ने वाले हैं तो मैंने आशीष को आँख मार दी, शायद वह मेरी बात समझ गया था।

तब तक गीता और अनीता भी झड़ चुकीं थीं। हम दोनों ने उन्हें सीधा लिटाकर उनके मुँह की तरफ मुट्ठ मारनी शुरु कर दी। वे हमारा मतलब समझ कर थोड़ी आनाकानी करने लगीं, पर हम उनके ऊपर बैठे थे तो वे उठ नहीं सकतीं थीं। कुछ ही देर में हमने अपना सारा माल उनके मुँह पर उड़ेल दिया और पस्त होकर लेट गए। उनका पूरा मुँह हमारे वीर्य से भर गया था। तभी वे दोनों उठीं और हमें कस के पकड़ कर हमें चूमने लगीं। अब हमारा ही वीर्य हमारे मुँह में था। पहले-पहले थोड़ा सा अजीब सा लगा पर जब उन दोनों ने हमें नहीं छोड़ा तो हमें भी अच्छा लगने लगा। फिर हम लोगों ने बाथरूम में जाकर स्वयं को साफ किया।

हम लोग वापिस बिस्तर पर आकार आराम से बैठे, तब तक थोड़ी-थोड़ी भूख लग आई थी, तो मैंने अनीता को कहा कि थोड़ा नाश्ते का प्रबन्ध कर ले। तो गीता और अनीता दोनों किचन में चली गईं और थोड़ी देर में वह गरमा-गरम नाश्ता ले आई। हमलोग नाश्ता करने लगे। हम लोग नंगे ही बैठे थे और टीवी पर ब्लू-फिल्म चल रही थी। लगभग आधा घंटा बैठने के बाद हम लोग दोबारा गरम होने लगे थे। तब अनिता बोली, मैं बर्तनों को किचन में रख आती हूँ, और वह किचन में बर्तन लेकर चली गई।। तब तक मैंने गीता को अपने पास खींच कर उसे अपने ऊपर बिठा लिया था और अपना लंड ठीक करके उसकी चूत के दरवाजे पर सटा दिया। गीता थोड़ा ऊपर उठकर फिर उसपर बैठ गई थी और हिलने लगी थी। तभी मुझे भारीपन का अहसास हुआ। जबतक मैं कुछ समझ पाता, आशीष ने अपना लंड गीता की गाँड में टिका दिया था, अब गीता में दो लण्ड घुसे हुए थे और आशीष धक्के पर धक्के मारने लगा था। मैंने धक्के मारने शुरु नहीं किए थे क्योंकि आशीष के धक्कों से मेरा लंड अपने-आप ही अन्दर बाहर हो रहा था। तबतक अनीता भी आ चुकी थी।

अनीता - अरे, गीता ने २-२ लंड ले लिए।

गीता - नहीं यार, ये पीछे से इन्होंने डाल दिया।

आशीष - क्यों, तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है क्या?

अमित - मुझे तो मस्त मज़ा आ रहा है।

अनिता हमारे सामने बैठकर आशीष के होंठ चूसने लगी और गीता मेरे होंठ चूस रही थी। थोड़ी देर चोदने के बाद :

आशीष - पार्टी बदली जाए?

अमित - क्यों नहीं।

और वह गीता की गाँड से हटकर अनीता को अपने ऊपर बिठा लेता है, और चूत में लंड डाल देता है। कुछ देर वैसे ही चोदने के बाद मैंने अपना लंड निकाला और अनीता की चूत में डालने लगा। उसे थोड़ा दर्द हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद हम दोनों के लंड उसकी चूत में थे। ऐसा हमने उसी फिल्म में देखा था। उसकी चूत ऐसी टाईट लग रही थी कि बस पूछिए मत और नीचे से आशीष के लंड का एहसास जो बिल्कुल लकड़ी की तरह कड़क था। एक अजब सा अहसास हो रहा था। पहली बार मेरा लंड किसी दूसरे के लंड के साथ टकरा रहा था। थोड़ी देर में हमने फिर पार्टी बदल ली। इस बार मैंने गीता की गाँड में लंड डाला तो आशीष बोला - क्यों ना इस बार गाँड में लंड डालें। तब मैंने इसका लंड गीता की चूत में से बाहर निकाल कर गीता की गाँड में सटा दिया। आशीष का लंड काफी कड़क लग रहा था। हमने दोनों लंड गीता की गाँड में डालने की कोशिश की, उसे दर्द भी बहुत हुआ पर थोड़ी कोशिश के बाद दोनों लंड उसकी गाँड में थे। वैसे चोदने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। करीब २०-२५ मिनट बाद हमलोग उसकी गाँड मे ही झड़ गए। अब तक हमारे लंडों की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वो दुबारा खड़े होने की हालत में नहीं थे।

हम लोग अनीता और गीता को छोड़ कर ड्राईंग रूम में आ गए थे।

अमित - यार दिल भर गया पर मन नहीं भरा।

आशीष - हाँ यार, अभी तो और चोदने का मन कर रहा है।

अमित - पर यह लंड पता नहीं कब तक खड़े होंगे।

आशीष - एक तरीका है इन्हें खड़ा करने का।

अमित - कौन सा तरीका?

तब अमित ने मेरा लंड अपने हाथों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। उसके ऐसा करने से मेरा लंड फिर हल्के-हल्के खड़ा होने लगा था। मैंने भी उसका लंड पकड़ कर ऐसा ही किया, पर वो पहले वाली बात नहीं आ रही थी। तभी आशीष ने कुछ ऐसा किया कि मेरा लंड पहले से भी अधिक कड़क हो गया। उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था, उसकी ऐसी हरक़त की मुझे उम्मीद नहीं थी, पर मेरा लंड एकदम से कड़क हो चुका था। मुझे ना जाने क्या हुआ कि मैंने भी उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया और जैसा कि मुझे लगता था, उसका लंड भी कुछ ही देर में पूरी तरह टाईट हो चुका था। बड़ा ही मस्त लग रहा था उसका लण्ड।

आशीष - चलो, हम फिर चुदाई के लिए तैयार हो गए हैं, अब जाकर बहन की लौड़ियों को चोद डालते हैं।

अमित - हाँ चलो उनकी चूत का भोसड़ा बना देते हैं। और हम उठकर बेडरूम की तरफ चल पड़े।

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator