Friday, December 17, 2010

एक यादगार और मादक रात पार्ट --1



हिंदी सेक्सी कहानियाँ

एक यादगार और मादक रात पार्ट --1

मेरा नाम है कैलाश. में देहाती लड़की हूँ, हाइ स्कूल तक पढ़ी हुई. मेरी शादी दो साल पहले हुई है. मेरे पति गंगाधर किसान है. वो 22 साल के हैं और में 18 साल की. घर में हम दोनो ही हैं, उन के माता पिता कई सालों से गुजर गये थे. आज में आप को मेरी निजी कहानी सुनाने जा रही हूँ.

छ्होटी उमर से ही मुझे सेक्स का भान था. हम देहाती बच्च्चे बचपन से ही गाय, भेंस, कुत्ते वगेरह प्राणिओ की चुदाई देख पाते हेँ. मेरे पिताजी के घर कई गाएँ थी. वो जब चुदवाने के लिए हीट में आती थी तब हमारा नौकर सांड़ ले आता था. बचपन से ही मेने सांड़ का पतला लंबा लंड गाय की चूत में जाता देखा था. दस साल की उम्र तक ऐसे सेक्स देखने से मुझे कुछ नहीं होता था. बढ़ती उम्र के साथ गाय की चुदाई देख में उत्तेजित होती जाती थी.

बारह साल में मेरी माहवारी शुरू हुई तब मेरी बड़ी बहन ने मुझे वो कहा जो में जानती थी. उस ने कहा कि पति जो करे वो करने देना, पाँव लंबे रख कर सोते रहना. मेरे सीने पर बड़े बड़े स्तन उभर आए थे और नितंब भारी चौड़े हो गये थे. भोस पर काले घुंघराले बाल निकल आए थे. उसी साल मेरी मँगनी गंगाधर से हो गयी. पहली बार वो हमारे घर आए और हम मिले तब गंगा ने मेरी कच्ची चुचियाँ सहलाई थी, मेरा हाथ थाम कर अपना लंड पकड़ा दिया था. मुझे गुदगुदल हो गई थी. इतने में जीजी ना आ जाती तो उस दिन में अवश्य चुद जाती.

खेर, 16 साल की उम्र में शादी कर के में ससुराल आई. पहली रात ही मेरे पति ने मुझे जिस तरह चोदा ये में कभी भूल ना पाउन्गि. आधा घंटे तक चूमा चाती और स्तन से खिलवाड़ किया, भोस सहलाई, मेरे हाथ से लंड सहलवाया बाद में चूत में डाला. योनि पटल टूटा तब दर्द तो हुआ लेकिन चुदवाने के आवेश में मालूम ना पड़ा. एक घंटे तक चली चुदाई के दौरान में दो बार झड़ी. आज भी वो मुझे ऐसे चोदते हेँ कि जैसे हमारी सुहाग रात हो. हम दोनो एक तुझ से खूब प्यार करते हेँ. हमारे बीच समझौता हुआ है कि वो मन चाहे वो लड़की को चोद सके और में कोई भी मर्द से चुदवा सकती हूँ . लेकिन ऐसा अब तक हुआ नहीं था.

शादी के दो साल बाद मेरे पति के एक दूर के चाचा कई साल अफ्रीका रह कर वापस लौटे. उन के परिवार में एक लड़का था, परेश, मेरी उमर का और एक लड़की थी, माधवी जो दो साल छ्होटी थी. अफ्रीका में वो भाई बहन रेसिडेन्षियल स्कूल में पढ़े थे. चाचा नया घर बनवा रहे थे, उस दौरान वो सब हमारे मकान में ठहरे.

परेश और माधवी बड़े प्यारे थे. उन के साथ मेरी अच्छि बन गयी थी. नये घर में जाने के बाद भी वे रोज मेरे घर आते थे और दुनिया भर की बातें करते थे. मेने देखा कि उन दोनो काफ़ी हुशियार थे लेकिन सेक्स के बारे में बिल्कुल अग्यात थे. परेश मानता था कि लड़की के मुँह से लड़के का मुँह लगने से बच्चा पैदा होता है. माधवी कुच्छ ज़्यादा जानती थी लेकिन उसे पता नहीं था कि चुदाई कैसे की जाती है.

एक दिन गंगाधर को दूसरे गाँव जाना हुआ. इतने बड़े मकान में रात को अकेले रहने से मुझे डर लगता था. मेने परेश और माधवी को सोने के लिए बुला लिए, चाचा चाची की मंज़ूरी साथ.

रात का खाना खा कर हम ताश खेलने लगे. परेश ने रानी डाली उस पर मेने राजा डाला. माधवी शरमाती हुई हसी और बोली, "रानी पर राजा चढ़ गया, अब बच्चा होगा."
परेश : क्या बकवास करती हो ?
माधवी : तू नहीं समझेगा. है ना भाभी ?
में : ये तो ताश है. इस में बच्चा कच्चा कुच्छ नहीं होता.

बाज़ी आगे चली. माधवी की रानी पर मेने गुलाम डाला. माधवी फिर बोली : भाभी, रानी पर गुलाम चढ़ने से तो राजा उसे मार डालेगा.
परेश अब गुस्सा हो गया, पन्ने फैंक दिए और बोला : ये क्या चढ़ने उतरने की चला रक्खी है ?
मेने उसे शांत किया. मुँह च्छुपाए माधवी हस रही थी. वो बोली : भैया, भाभी से कहो तो बच्चा कैसे पैदा हो ता है.
परेश चुप रहा. मेने धीरे से पुचछा : कहो तो सही, में जानूँ तो.
परेश ने माधवी से कहा : छिपकली, तू ही बता दे ना, हुशियार कहीं की
माधवी की शर्म और हसी थमती ना थी, परेश का गुस्सा थमता ना था.
मेने कहा : माधवी तू ही बता.
सर झुका कर, दाँतों में उंगली डाल कर वो बोली : भीया कहते हैं कि लड़का लड़की का हाथ पकड़ कर मुँह से मुँह लगाता है तब बच्चा पैदा होता है.
में : और तुम क्या कहती हो ?
माधवी ने मुँह फेर लिया और बोली : नहीं बताती, मुझे शर्म आती है.
अब परेश बोला : में कहूँ. वो कहती है कि जब लड़की पर लड़का चढ़ता है तब बच्चा होता है. क्या ये सच है भाभी ?
में : सच तो है लेकिन पूरा नहीं. माधवी, जानती हो कि उपर चढ़ कर लड़का क्या करता है ?
सर हिला कर माधवी ने हा कही और बोली : चोदता है.
ये सुन कर परेश अवाक हो गया. फिर बोला : माधवी गंदा बोली.
में समझ गयी कि दोनो में से किसी को पता नहीं था कि चोदना क्या है.
में ; जानती हो चोदना क्या होता है ?
माधवी : एक दूजे के मूह से मुँह मिलते हैं.
परेश : वो तो में कब का कह रहा हूँ.
में : रूको.मुँह से मुँह लगता है चुदाई में, लेकिन इस से ज़्यादा ओर कुच्छ भी होता है.
माधवी : भाभी तुम बताओ ना.. बड़े भैया तुम्हे रोज...रोज..चोदते होंगे ना ?
परेश : माधो , तुम बहुत गंदा बोलती हो.
माधवी : तुम्हे क्या ? तुम भी बोलो.
में : झगाडो मत. अब कौन बताएगा कि लड़का और लड़की में फ़र्क क्या है ?
परेश : लड़के को दाढ़ी मुछ होते हेँ और लड़की के सीने पर चुचियाँ.
में : सही. लेकिन मुख्य फ़र्क कौन सा है ?
माधवी : जाँघो बीच लड़की की पिंकी होती है और लड़के की नुन्नि.
में : बराबर. जब वो बड़े होतेहें तब उसे भोस और लॉडा कहते हेँ.

इतनी बात होते होते हम तीनो उत्तेजित होते चले थे. माधवी बार बार अपनी निकर ठीक करने के बहाने अपनी भोस खुजला लेती थी. परेश के टॅटर लंड ने पाजामा का तंबू बना दिया था.

मेने आगे कहा : जब चोदने का दिल होता है तब आदमी का लॉडा तन कर लंबा, मोटा और कड़ा हो जाता है. लड़की की भोस गीली हो जाती है. आदमी अपना कड़ा लॉडा जिसे लंड भी कहते हेँ उसे लड़की की चूत में डाल कर अंदर बाहर करता है. इसे चोदना कहते हेँ.
माधवी : ऐसा क्यूँ करते हेँ ?
में : ऐसा करने में बहुत मज़ा आता है और आदमी का वीर्य लड़की की चूत में गिरता है.वीर्य में पुरुष बीज होता है जो लड़की के स्त्री-बीज साथ मिल जाता है और नया बच्चा बन जाता है.
माधवी : भाभी देखो, भैया का ....वो खड़ा हो गया है.
परेश : तुझे क्या ? भाभी, एक बात बताउ ? मेरा तो रोज रात को खड़ा हो जाता है. उस में कुच्छ बुरा तो नहीं ना ?
में : कुच्छ बुरा नहीं. खड़ा भी होता होगा और स्वप्न देख कर वीर्य भी निकलता होगा.
परेश : भाभी, मधु के आगे क्यूँ....?
में : अब उन की बारी है. मधु, तुझे महावरिशुरू हो गयी होगी. नीचे भोस पर बाल उगे हेँ ?
माधवी ने सर हिला कर हा कही.
में : तू उंगली से खेलती हो ना ?
फिर सर हिला कर हा.
में :तूने लंड देखा है कभी ?
शरमा कर नीचे देख कर उस ने ना कही
मेना : परेश, तूने कब्भी चुचियाँ देखी हैं ?
उस ने ना कही.
में : ऐसा करते हेँ, माधवी तू तेरे स्तन दिखा और परेश तू लंड दिखा.
परेश : तू क्या दिखाएगी, भाभी ?
में : में भोस दिखाउन्गि. परेश, पहले तुम.
परेश ने पाजामा खोल कर नीचे सरकाया. लंड के पानी से उस की निक्केर गीली हो गई थी. वो ज़रा खिचकाया तो माधवी ने हाथ लंबा किया. परेश तुरंत हट गया और निक्केर उतार दी.

क्या लंड था उस का ? सात इंच लंबा और दो इंच मोटा होगा. दांडी एक दम सीधी थी. मत्था बड़ा था और टोपी से ढका हुआ था. चिकाने पानी से लंड गीला था. माधवी आश्चर्य से देखती रही. परेश को मेने धकेल कर लेटा दिया और उस के हाथ हटा कर लंड पकड़ लिया. मेरे छूते ही लंड ने ठुमका लगाया. वेल्वेट में लिपटा लोहे का डंडा जैसा उस का लंड था, बड़ा प्यारा हा.

में : माधु, ये लंड की टोपी चढ़ सकती है और मट्ठा खुला किया जा सकता है. देख.
मेने टोपी चड़ाई तो लंड से समेग्मा की बदबू आई. मेने कहा : परेश, नहाते समय उस को सॉफ करते नहीं हो ? ऐसा गंदा लंड से कौन चुड़वाएगी ? जा, सॉफ कर आ. परेश बाथरूम में गया.

में : माधवी, पसंद आया परेश का लंड ? अच्च्छा है ना ?
माधवी : में उसे च्छू सकती हूँ ?
में : क्यूँ नहीं ? लेकिन चुदवा नही सकोगी..
माधवी : क्यूँ नहीं ? मेरे पास भोस जो है ?
में : सही,लेकिन भाई बहन आपस में चुदाई नहीं करते.

इतने में परेश आ गया. ठंडा पानी से धोने से लंड ज़रा नर्म पड़ा था. मेने परेश को फिर लेटा दिया. लंड पकड़ कर टोपी चढ़ा दी. बड़ा मशरूम जैसा चिकना मत्था खुल गया. मेने हलके हाथ से मूठ मारी तो लंड फिर से तन गया. मेने पुचछा : मज़ा आता है ना ?
परेश : खूब मज़ा आता है भाभी, रुकना मत.
में होले होले मूठ मारती रही और बोली : माधवी, कुरती खोल और स्तन दिखा. माधवी खूब शरमाई, पलट कर खड़ी हो गयी. उस ने कुरती के हुक खोल दिए लेकिन खुले कपड़े से स्तन ढके रख सामने हुई. लंड छ्चोड़ मेने माधवी के हाथ हटाए और कुरती उतार दी. उस ने ब्रा पहनी नहीं थी, जवांन स्तन खुले हुए.

उमर के हिसाब से माधवी के स्तन काफ़ी बड़े थे, संपूर्ण गोल और कड़े. पतली नाज़ुक चमड़ी के नीचे खून की नीली नसें दिखाई दे रही थी. एक इंच की अरेवला ज़रा सी उपज आई थी. बीच में किस्मीस के दाने जैसी छोटी सी निपल थी. एग्ज़ाइट्मेंट से उस वक्त निपल कड़ी हो गई थी जिस से स्तन नॉकदार लगता था. स्तन देख कर परेश का लंड ने ठुमका लिया और कुच्छ ज़्यादा तन गया. वो बोला : में च्छू सकता हूँ ?
में : ना, बहन के स्तन भाई नहीं छुता.
परेश : भाभी, तू तो मेरी बहन नहीं हो. तेरे स्तन दिखा और च्छू ने दे.

में भी चाहती थी कि कोई मेरी चुचियाँ दबाए और मसले. मेने चोली उतार दी. वो दोनो देखते ही रह गये. मेरे स्तन भी सुंदर हेँ, लेकिन शादी के बाद ज़रा झुक गये हेँ. मेरी अरेवला बड़ी है पर निपल्स अभी छ्होटी है. मेरी निपल्स बहुत सेन्सिटिव है. गंगाधर उसे छूते है कि मेरी भोस पानी बहाना शुरू कर देती है. चोदते हुए वो जब मुँह में लिए चुसते हेँ तब मुझे झड़ने में देर नहीं लगती.

बिना कुच्छ कहे परेश ने स्तन पर हाथ फिराया. तुरंत मेरी निपल कड़ी हो गयी. उस ने हथेली से निपल को रगड़ा. स्तन के नीचे हाथ रख कर उठाया जैसे वजन नापता हो. मेरे बदन में झुरझुरी फैल गयी. उस के हाथ पर हाथ रख कर मेने मेरे स्तन दबाए. आगे सीखना ना पड़ा, परेश ने बेदर्दी से स्तन मसल डाले. मेरी भोस पानी बहाने लगी.

मेरे दिमाग़ में चुदवाने का ख़याल आया कि किसी ने दरवाजा खिटकहिटाया. फटा फट कपड़े पहन कर उन दोनो को सुला दिया और मेने जा कर दरवाजा खोला. सामने खड़े थे गंगाधर.
में : आप ? अभी कैसे आ सके ?
गंगा : एक गाड़ी आ रही थी, जगह मिल गयी.
में : अच्च्छा हुआ, चलिए, खाना खा लीजिए.

मुझे आगोश में लेते हुए वो बोले : खाना बाद में खाएँगे पहले ज़रा प्यार कर लें. में कुच्छ बोलूं इस से पहले उन्हों ने मेरे होटो से होट चिपका दिए. कपड़े उतारे बिना मुझे पलंग पर पटक दिया. किस करते करते घाघारी उपर उठाई और निकर खींच उतारी. में उन को कभी चुदाई की ना नहीं कहती हूँ. मेने जांघें पसारी और वो उपर आ गये. उन का लंड खड़ा ही था. घच्छ से चूत में घुसेड दिया. मुझे बोलने का मौका ही ना दिया, घचा घच्छ, घचा घच्छ ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे. पंद्रह बीस धक्के बाद वो धीरे पड़े और लंबे और गहरे धकके से चोदने लगे. स..र..र..र..र्ररर लंड अंदर, स...र...र...र.. बाहर. थोड़ी देर चुदाई का मज़ा ले कर में बोली : घर में मेहमान हेँ.
चुदाई रुक गई. वो बोले : मेहमान ? कौन मेहमान ?

मेने परेश और माधवी के बारे में बताया और कहा : वो शायद जागते होंगे.

घबडा कर गंगा उतर ने लगे. मेने रोक दिया : उन दोनो को चुदाई दिखानी ज़रूरी है. में उन को बुला लेती हूँ.
गंगा : अरे, वो तो अभी बच्चें हें, चाचा, चाची क्या कहेंगे ?
में : तुम फिकर ना करो. दो दिन पहले चाची ने मुझ से कहा था कि उन दोनो को चुदाई के बारे में शिक्षा दूं.
गंगा : क्यूँ ?
में : बात ऐसी हुई कि चाची के मायके में एक नयी दुल्हन को उस के पति ने पहली रात ऐसे चोदा कि उस की चूत फट गयी. लड़की को हॉस्पिटल ले गये लेकिन बचा ना सके. खून बह जाने से लड़की मर गयी. ये सुन कर चाची घबडा गयी है कि कहीं माधवी को ऐसा ना हो. इस लिए वो चाहती है कि हम उन्हें चुदाई की सही शिक्षा दे. ज़रूरत लगे तो उस की झिल्ली भी तोड़ दे. वैसे भी वो दोनो कुच्छ नहीं जानते.
गंगा : बुला लूँ उन को ?

परेश और माधवी को बुलाने की ज़रूरत ना थी. वो दरवाजे में खड़े थे. गंगा को मेने उतर ने ना दिया. उन का लंड ज़रा नर्म पड़ा था, मेने चूत सिकोड कर दबाया तो फिर कड़ा हो गया. वो चोदने लगे. चुदाई के धक्के खाते खाते मेने कहा : मा..मया...माधवी...त...तुम....ऊओ, सीईइ, तुम और पा...पा...परेश यहाँ..आ...आ...कर, गंगा ज़रा धी..धीरे...उउउइई ...तुम देखो.
वो पलंग के पास आ गये. गंगा हाथों के बल उपर उठे जिस से हमारे पेट के बीच से देखा जा सके कि लंड कैसे चूत में आता जाता है. माधवी खड़े खड़े एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी, दूसरा भोस पर लगा हुआ था. परेश होले होले मूठ मार रहा था.
गंगा मेरे कान में बोले : देखा परेश का लंड ? ऐसा कर, तू उन से चुदवा ले. में माधवी साथ खेलता हूँ.
में ; माधवी को चोदना नहीं.
गंगा : ना, ना. चूत में लंड डाले बिना स्वाद चखाउन्गा.
क्रमशः................



Ek Yadgaaar aur Madak Raat part --1

Mera nam hai Kailash. Mein dehati ladaki hun, high school tak padhi hui. Meri shadi do saal pahale hui hai. Mere pati Gangadhar kissan hai. Vo 22 saal ke hein ar mein 18 saal ki. Ghar men ham dono hi hein, un ke mata pita kai saalon se gujar gayen hein. Aaj mein aap ko meri niji kahani sunaane jaa rahi hun.

Chhoti umar se hi muze sex ka bhan tha. Ham dehati bachchhe bachpan se hi gaay, bhens, kutte vagerah pranion ki chudai dekh paate hein. Mere pitaji ke ghar kai gaayen thi. Vo jab chudavane ke liye heat men aati thi tab hamara naukar saand le aata tha. Bachpan se hi meine saand ka patala lamba lund gaay ki chut men aaa jaata dekha tha. Das saal ki umra tak aise sex dekhane se muze khuchh nahin hota tha. Badhati umra ke saat gaay ki chudai dekh mein uttejit hoti chali thi.

Baarah saal men meri mahvari shuru hui tab meri badi bahan ne muze vo kaha jo mein janati thi. Us ne kaha ki pati jo kare vo karane dena, paanv lambe rakh kar sote rahana. Mere sine par bade bade stan ubhar aaye the aur nitamb bhari chaude ho gaye the. Bhos par kale ghungharale baal nikal aaye the. Usi saal meri mangani Gangadhar se ho gayi. Pahali baar vo hamare ghar aaye aur ham mile tab Ganga ne meri kachchi chuchiyan sahalayi thi, mera hath thm kar apana lund pakada diya tha. Muze gudgudl ho gai thi. Itane men jiji na aa jati to us din mein avashya chud jati.

Kheir, 16 saal ki umr men shadi kar ke mein sasural aayi. Pahali raat hi mere pati ne muze jis tarah choda ye mein kabhi bhul na paaungi. Aadha ghante tak chuma chati aur stan se khilvad kiya, bhos sahalayi, mere hath se lund sahalavaya baad men chut men dala. Yoni patal tuta tab dard to hua lekin chudavane ke aavesh men malum na pada. Ek ghante tak chali chudai ke dauran mein do baar zadi. Aaj bhi vo muze aise chodate hein ki jaise hamari suhaag raat ho. Ham dono ek duje se khub pyaar karate hein. Hamare bich samazauta hua hai ki vo man chahe vo ladaki ko chod sake aur mein koi bhi mard se chudava sakun. Lekin aisa ab tak hua nahin tha.

Shadi ke do saal baad mere pati ke ek dur ke chacha kai saal Afrika rah kar vapas laute. Un ke parivar men ek ladaka tha, Paresh, meri umar ka aur ek ladaki thi, Madhavi jo do saal chhoti thi. Afrika men vo bhai bahan residential school men padhe the. Chacha naya ghar banava rahe the, us dauran vo sab hamare makan men thahare.

Paresh aur Madhavi bade pyaare the. Un ke saath meri achchhi ban gayi thi. Naye ghar men jaane ke baad bhi ve roj mere ghar aate the aur duniya bhar ki baaten karate the. Meine dekha ki un dono kafi hushiyar the lekin sex ke bare men bilkul agyaat the. Paresh manata tha ki ladaki ke munh se ladake ka munh lagane se bachcha paida hota hai. Madhavi kuchh jyada janati thi lekin use pata nahin tha ki chudai kaise ki jati hai.

Ek din Gangadhar ko dusare gaanv jana hua. Itane bade makan men rat ko akele rahane se muze dar lagata tha. Meine Paresh aur Madhavi ko sone ke liye bula liye, chacha chachi ki manjuri saath.

Raat ka khana kha kar ham taash khelane lage. Paresh ne rani dali us par meine raja dala. Madhavi sharamati hui hasi aur boli, "Rani par raja chad gaya, ab bachcha hoga."
Paresh : Kya bakvas karati ho ?
Madhavi : Tu nahin samajega. Hai na bhabhi ?
Mein : Ye to taash hai. Is men bachcha kachcha kuchh nahin hota.

Bazi aage chali. Madhavi ki rani par meine ghulam dala. Madhavi fir boli : Bhabhi, rani par ghulam chadega to raja use maar dalega.
Paresh ab gsse ho gaya, panne faink diye aur bola : Ye kya chadane utarane ki chala rakkhi hai ?
Meine use shant kiya. Munh chhupaye Madhavi has rahi thi. Vo boli : Bhaiya, bhabhi se kaho to bachcha kaise paida ho ta hai.
Paresh chup raha. Meine dhire se puchha : Kaho to sahi, mein jaanun to.
Paresh ne Madhavi se kaha : Chibavali, tu hi bata de na, hushiyar kahin ki
Madhavi ke sharm aur hasi samate na the, Paresh ka gussa samata na tha.
Meine kaha : Madhavi tu hi bata.
Sar zuka kar, daanton men ungali dal kar vo boli : Bhiya kahate hein ki ladaka ladaki ka hath pakad kar munh se munh lagata hai tab bachcha paida hota hai.
Mein : Aur tum kys kahatiho ?
Madhavi ne munh fer liya aur boli : Nahin batati, muze sharm aati hai.
Ab Paresh bola : Mein kahun. Vo kahati hai ki jab ladaki par ladaka chadata hai tab bachcha hota hai. Kya ye sach hai bhabhi ?
Mein : Sach to hai lekin pura nahin. Madhavi, janati ho ki upar chad kar ladaka kya karata hai ?
Sar hila kar Madhavi ne ha kahi aur boli : Chodata hai.
Ye sun kar Paresh avaak ho gaya. Fir bola : Madhavi ganda boli.
Mein samaj gayi ki dono men se kisi ko pata nahin tha ki chodana kya hai.
Mein ; Janati ho chodana kya hota hai ?
Madhavi : Ek duje ke muh se munh milate hein.
Paresh : Vo to mein kab ka kah raha hun.
Mein : Ruko.Munh se munh lagata hai chudai men, lekin is se jyada or kuchh bhi hota hai.
Madhavi : Bhabhi tum batao na.. Bade bhaiya tume roj...roj..chodate honge na ?
Paresh : Madho , tum bahut ganda bolati ho.
Madhavi : Tume kya ? Tum bhi bolo.
Mein : Zagado mat. Ab kaun batayega ki ladaka aur ladaki men fark kya hai ?
Paresh : Ladake ko daadi muchh hote hein aur ladaki ke sine par chuchiyan.
Mein : Sahi. Lekin mukhya fark kaun sa hai ?
Madhavi : Jaanghen bich ladaki ki piki hoti hai aur ladake ki nunni.
Mein : Barabar. Jab vo bade hotehein tab use bhos aur lauda kahate hein.

Itani baat hote hote ham tino uttejit hote chale the. Madhavi bar bar apani nikar thik karane ke bahane apani bhos khujal leti thi. Paresh ke tatar lund ne pajama ka tambu bana diya tha.

Meine aage kaha : Jab chodane ka dil hota hai tab aadami ka lauda tan kar lamba, mota aur kada ho jata hai. Ladaki ki bhos gili ho jati hai. Aadami apana kada lauda jise lund bhi kahate hein use ladaki ki chut men daal kar andar bahar karata hai. Ise chodana kahate hein.
Madhavi : Aisa kyun karate hein ?
Mein : Aisa karane men bahut maja aata hai aur aadami ka viry ladki ki chut men girata hai.Viry men purush bij hota hai jo ladaki ke stri-bij saath mil jata hai aur naya bachcha ban jata hai.
Madhavi : Bhabhi dekho, bhaiya ka ....vo khada ho gaya hai.
Paresh : Tuze kya ? Bhabhi, ek bat bataun ? Mera to ro raat ko khada ho jata hai. Us men kuchh bura to nahin na ?
Mein : Kuchh bura nahin. Khada bhi hota hoga aur swapn dekh kar viry bhi nikalata hoga.
Paresh : Bhabhi, Madhu ke aage kyun....?
Mein : Ab un ki bari hai. Madhu, tuze mahavrishuru ho gayi hogi. Niche bhos par baal uge hein ?
Madhavi ne sar hila kar ha kahi.
Mein : Tu ungali se khelati ho na ?
Fir sar hila kar ha.
Mein :Tune lund dekha hai kabhi ?
Sharama kar nicha dekh kar us ne na kahi
Meina : Paresh, tune kabbhi chuchiyan dekhi hain ?
Us ne na kahi.
Mein : Aisa karate hein, Madhavi tu tere stan dikha aur Paresh tu lund dikha.
Paresh : Tu kya dikhayegi, bhabhi ?
Mein : Men bhos dikhaungi. Paresh, pahale tum.
Paresh ne pajama kho niche sarakaya. Lund ke paani se us ki nicker gili ho gai thi. Vo jara khichakaya to Madhavi ne haath lambaya. Paresh turant hat gaya aur nicker utar di.

Kya lund tha us ka ? Saat inch lamba aur do inch mota hoga. Dandi ek dam sidhi thi. Mattha bada tha aur topi se dhaka hua tha. Chikana paani se lund gila tha. Madhavi aashchary se dekhati rahi. Paresh ko meine dhakel kar leta diya aur us ke haath hata kar lund pakad liya. Mere chute hi lund ne thumaka lagaya. Velvet men lipata lohe ka danda jaisa us ka lund tha, bada pyaara ha.

Mein : Maadhu, ye lund ki topi chad sakati hai aur mattha khula kiya ja sakata hai. Dekh.
Meine topi chadai to lund se smegma ki badboo aayi. Meine kaha : Paresh, nahate samay us ko saaf karate nahin ho ? Aisa ganda lund se kaun chudavayegi ? Ja, saaf kar aa. Paresh bathroom men gaya.

Mein : Madhavi, pasand aya Paresh ka lund ? Achchha hai na ?
Madhavi : Mein use chhu sakati hun ?
Mein : Kyun nahin ? Lekin chudava nahi sakogi..
Madhavi : Kyun nahin ? Mere paas bhos jo hai ?
Mein : Sahi,lekin bhai bahan aapas men chudai nahin karate.

Itane men Paresh aa gaya. Thanda paani se dhone se lund jara narm pada tha. Meine Paresh ko fir leta diya. Lund pakad kar topi chada di. Bada mashroom jaisa chikana mattha khul gaya. Meine halakae haath se muth maari to lund fir se tan gaya. Meine puchha : Maja aata hai na ?
Paresh : Khub majaa aata hai bhabhi, rukana mat.
Meine hole hole muth marati rahi aur boli : Madhavi, kurti khol aur stan dikha. Madhavi khub sharamayi, palat kar khadi ho gayi. Us ne kurti ke hook khol diye lekin khule padakhon se stan dhake rakh samane hui. Lund chhod meine Madhavi ke haath hataye aur kurti utar di. Us ne bra pahani nahin thi, javann stan khule hue.

Umar ke hisaab se Madhavi ke stan kafi bade the, sampurn gol aur kade. Patali najuk chamadi ke niche khun ki nili nasen dikhai de rahi thi. Ek inch ki areola jara si upasi aayi thi. Bich men kismis ke daane jaisi choti si nipple thi. Excitement se us vakt nipple kadi ho gai thi ji se stan nokdar lagata tha. Stan dekh kar Paresh ka lund ne thmaka liya aur kuchh jyada tan gaya. Vo bola : Mein chhu sakata hun ?
Mein : Na, bahan ke stan bhai nahin chhuta.
Paresh : Bhabhi, tu to meri bahan nahin ho. Tere stan dikha aur chhu ne de.

Mein bhi chahati thi ki koi meri chuchiyan dabaye aur masale. Meine choli utar di. Vo dono dekhate hi rah gaye. Mere stan bhi sundar hein, lekin shadi ke baad jara zuk gaye hein. Meri areola badi hai par nipples abhi chhoti hai. Meri nipples bahut sensitive hai. Gangadhar use chute hai ki meri bhos pani bahana shuru kar deti hai. Chodate hue vo jab munh men liye chusate hein tab muze zadane men der nahin lagati.

Bina kuchh kahe Paresh ne stan par haath firaya. Turane meri nipple kadi ho gayi. Us ne hatheli se nipple ko ragada. Stan ke niche hath rakh kar uthaya jaise vajan napata ho. Mere badan men zurzuti fail gayi. Us ke haath par hath rakh kar meine mere stan dabaye. Aage sikhana na pada, Paresh ne bedardi se stan masal dale. Meri bhos paani bahane lagi.

Mere dimag men chudavane ka khayal aaya ki kisi ne darvaja khitkhitaya. Fata fat kapade pahana kar un dono ko sula diye aur meine ja kar darvaja khola. Samane khade the Gangadhar.
Mein : Aap ? Abhi kaise aa sake ?
Ganga : Ek gadi aa rahi thi, jagah mil gayi.
Mein : Achchha hua, Chaliye, khana kha lijiye.

Muze aagosh men lete hue vo bole : Khana baad men khayenge pahale jara pyar kar len. Mein kuchh bolun is se phale unhon ne mere hoton se hot chipaka diye. Kapade utare bina muze palang par patak di. Kiss karate karate ghaghari upar uthai aur nicker khinch utari. Mein un ko kabhi chudai ki na nahin kahati hun. Meine jaanghen pasari aur vo upar aa gaye. Un ka lund khada hi tha. Ghachch se chut men ghused diya. Muze bolane ka mauka hi na diya, ghacha ghachch, ghacha ghachch jor jor se chodane lage. Pandrah bis dhakke bad vo dhire pade aur lambe aur gahare dhkke se chodane lage. S..r..r..r..rrrr lund andar, s...r...r...r.. Bahar. Thodi der chudai ka maja le kar mein boli : Ghar men mehman hein.
Chudai ruk gai. Vo bole : Mehman ? Kaun mehman ?

Meine Paresh aur Madhavi ke bare men bataya aur kaha : Vo shayad jagate honge.

Ghabada kar Ganaga utar ne lage. Meine rok diya : Un dono ko chudai dikhani jaruri hai. Mein un ko bula leti hun.
Ganga : Are, vo to abhi bachchen hein, chacha, chachi kya kahenge ?
Mein : Tum fikar na karo. Do din pahale chachi ne muz se kaha tha ki un dono ko chudai ke bare men shikhsa dun.
Ganga : Kyun ?
Mein : Baat aisi hui ki chachi ke mayake men ek nayi dulhan ko us ke pati ne pahli raat aise choda ki us ki chut fat gayi. Ladaki ko ispital le gaye lekin bacha na sake. Khun bah jane se ladaki mar gayi. Ye sun kar chachi ghabada gayi hai ki kahin Madhavi ko aisa na ho. Is liye vo chahati hai ki ham unhen chudai ki sahi shiksha de. Jarurat lage to us ki zilli bhi tod de. Vaise bhi vo dono kuchh nahin janate.
Ganga : Bula lun un ko ?

Paresh aur Mdhavi ko bulane ki jarurat na thi. Vo darvaje men khade the. Ganga ko meine utar ne na diya. Un ka lund jara narm pada tha, meine chut sikod kar dabaya to fir kada ho gaya. Vo chodane lage. Chudai ke dhakke khate khate meine kaha : Ma..maa...madhavi...t...tum....ooohhh, siiii, tum aur Pa...Pa...paresh yahan..aa...aa...kar, Ganga jara dhi..dhire...uuuii ...tum dekho.
Vo palang ke paas aa gaye. Ganga hathon ke bal upar uthe jis se hamare pet bich se dekha ja sake ki lund kaise chut men ata jaata hai. Madhavi khade khade ek hath se apana stan masal rahi thi, dusara bhos par laga hua tha. Paresh hole hole muth maar raha tha.
Ganga mere kan men bole : Dekha paresh ka lund ? Aisa kar, tu un se chudava le. Mein Madhavi saath khelata hun.
Mein ; Madhavi ko chodana nahin.
Ganga : Na, na. Chut men lund dale bina svaad chakhaunga.
kramashah................




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