हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मेरी भाभी बहुत ही ख़ूबसूरत व सेक्सी है। उसका नाम कोमल है। वह एक पंजाबी
है और उसकी उम्र २४ साल है। उसकी फ़िगर तो मस्त है ही साथ में गाँड भी
लाजबाव है। उसके मम्मे बिल्कुल बड़े-बड़े और भरे-भरे हैं और वे पहाड़ की
तरह कसे और खड़े रहते हैं। एक तरह से अब वह मेरी पत्नी है। यह घटना सात
महीने पहले घटी थी।
मेरे भैया काम पर हमेशा लम्बे समय के लिए जाते थे, क्योंकि वह एक बड़ी
कम्पनी के सेल्स मैनेजर थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी यात्रा करनी पड़ती
थी। मैं भाभी के साथ बहुत सारा समय अकेले बिताता था। पहले तो मैंने उसे
कभी भी सेक्स के नज़रिये से नहीं देखा।
एक बार मेरे दोस्त रोहित, हमारे एक अन्य दोस्त मनीष से कह रहा था, "कोमल
ज़बरदस्त माल है यार। क्या गाँड है उसकी। उसका पति साला छक्का है।" मनीष
ने कहा, "उसे तो देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। समझ में नहीं आता
सुनील ख़ुद को कैसे रोक पाता है। ऐसी गाँड के लिए तो मैं उसकी पाद भी
सूँघने को तैयार हूँ।"
उनकी ये अश्लील बातें सुनकर मैं थोड़ा बौखला भी गया, और थोड़ा उत्तेजित
भी हो गया। हाँलाकि मैं इस बात से सहमत था कि कोमल काफी सेक्सी औरत है।
उस दिन के बाद से मैं उसे चोदने के नज़रिये से देखना लगा।
जब भी वह झाड़ू लगा रही होती तो मैं साड़ी के अन्दर उसकी मस्त गाँड देखता
रहता और उसके साथ चुम्बन करते हुए नहाने की कल्पना कर रहा होता। जब वह
नीचे झुकती तो, मुझे उसकी चूचियों और उसके बीच की घाटी को भी देखने का
मौक़ा मिलता था। वे शानदार थे, और जब वह झाड़ू लगाती, या फर्श पर से कुछ
चीजें जमा कर रही होती तो वे हिलते और उछलते थे। ऐसा करते हुए जब वह मुझे
देखती तो मैं झेंप जाता...
धीरे-धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे। वह मेरी गर्लफ्रेण्ड वगैरह के बारे
में पूछती। फिर मैं उसे सेक्सी चुटकुलों वाले एस. एम. एस. सुनाता तो वह
दिल खोल कर हँसती। मैंने भी उससे कहा कि मुझे कुछ अश्लील चुटकुले सुनाओ,
तो उसने भी थोड़े चुटकुले सुनाए।
मैं अपनी भाभी के प्रति आकर्षित होता जा रहा था, उसके प्रति मेरी दीवानगी
बढ़ती जा रही थी और मैं उसके नाम से रात को मुट्ठ भी मारता था। पर वह अलग
कमरे में सोती थी।
एक दिन ऐसा हुआ कि मैं एक दोपहर उसके साथ लिविंग-रूम में बैठकर टीवी देख
रहा था। भैया शहर से बाहर गए हुए थे। अचानक एक सेक्सी और ज़ोरदार पादने
की आवाज़ ने शांति भंग कर दी। इसमें एक धमाके जैसी आवाज थी और गैस खत्म
होने के साथ ही आवाज़ भी धीरे-धीरे बन्द होती गई।
जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह शरमा गई। उसके बाद एक अजीब सी बू आई। पर
मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि किसी ख़ूबसूरत औरत के हवा छोड़ने का
अनुभव असामान्य बात थी।
मैंने मज़ाक में कहा "आपकी तो पाद भी सेक्सी है"
उसने मुँह बनाकर कहा, "तो फिर सूँघो।"
वह मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, फिर मैंने बात को सँभालने के लिए
उससे कहा, "कोई बात नहीं। क्यों तुम भैया के सामने कभी नहीं पादती?"
उसने कहा, "वह घर पर रहते ही कब हैं!"
मैंने मुँह बनाते हुए कहा, "भाभी, जब भी आपको भैया की ज़रूरत होती है, वह
घर पर ही नहीं होते हैं, क्या आपको बुरा नहीं लगता?"
वह मुस्कुराई और कहा, "तुम हो ना यहाँ पर, फिर मुझे क्या समस्या है?"
मैंने उत्तर दिया, "या तो अशोक भैया चूतिया है, या फिर उसके पास लण्ड ही
नहीं हैं"
वह ज़ोरों से हँस पड़ी फिर गम्भीर चेहरा बना लिया, "उसके पास वो चीज़ तो
ज़रूर है, पर उनके पास इसे इस्तेमाल करने का समय नहीं है।"
मुझे उसके मज़ाक का तरीका पसन्द आया, मैंने उससे कहा, "तुम्हारे जैसी
सुन्दर बीवी अगर किसी की हो तो वह तो घर छोड़कर ही न निकले। उसकी जगह अगर
मैं होता तो फिर तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। मेरा मतलब काम तो
महत्वपूर्ण है, पर फिर भी मैं तु्म्हारे साथ समय बिताता।"
उसने प्यार भरी नज़रों से मेरी ओर देखा और कहा, "काश! तुम्हारे भैया भी
तुम्हारी तरह होते।"
मैं उसके पास गया, उसके बालों और चेहरे को सहलाया और पूछा, "सप्ताह में
कितनी बार भैया तुम्हारे साथ सेक्स करते हैं?"
उसने उत्तर दिया, "पता नहीं। कभी एक बार तो कभी वह भी नहीं।"
मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन से लेकर कंधे तक फिराया। मैंने कहा, "मैं तो
तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता।"
फिर मैंने उसकी जाँघ को प्यार से सहलाया। उसकी जाँघें काफी बड़ी और
मुलायम थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मुझे पता था कि मैं इसे चोदना
चाहता हूँ, और वह भी सेक्सी मूड में थी। उसने मुझे नहीं रोका। मुझे पता
था कि उसकी शादीशुदा चूत में किसी बड़े लंड के लिए खुजली थी।
मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को प्यार से दबाया, जैसे ही
मैंने दबाया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसके साड़ी की पल्लू गिर गई और
मैंने देखा कि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी कसी हुई ब्लाऊज़ से बाहर आने
के लिए बेताब़ हो रहीं हैं। मेरी आँखों की तृप्ति मिल रही थी, और मैं
उसकी चूचियों को भूखी नज़रों से देख रहा था।
मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी, और उसने मेरे अन्डरवियर के अन्दर ही
मेरा फन खड़ा किया हुआ नाग देखा जिसका सिर मेरी नीली अन्डरिवयर से बाहर आ
रहा था। उसने देखते हुए कहा, "तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है।"
उसके कहते ही मैंने अपनी शर्ट, पैंट, और अन्डरवियार उतार दी और मैंने उसे
अपना हथियार दिखाया। वह उसे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ मुआयना कर रही हो।
उसने मेरे लंड पर मुट्ठ मारी और प्यार से बोली, "यह वाकई में बहुत बड़ा
है - तेरा केला तो बहुत मोटा है रे।"
मैंने पूछा, "तेरी चूचियाँ भी बहुत स्वादिष्ट लग रहीं हैं, कोमल"
मैं उसके पास गया और उसके होठों पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया। मैं उसकी
चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबा रहा था, और हम साथ ही चुम्बन में भी
लिप्त थे।
तभी वह थोड़ा किनारे हटी, और अपनी ब्लाऊज उतार दी, और मैंने उसकी सफेद
ब्रा देखी। उसकी चूचियों के बीच की घाटी मानों ज़न्नत थी, और ब्रा को
फाड़े दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, और उसकी चूचियाँ उछल
कर बाहर आ गई, जैसे उन्हें मेरा ही इन्तज़ार हो। उसकी चूचियाँ वाकई में
बहुत सुन्दर थी, जैसे दो शानदार आम हों।
मैंने उन नरम चूचियों को दबाना शुरू किया, और साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी
गर्दन पर फिरा रहा था। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और हल्की आहें भरने
लगी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दाईं चूची को दबाने लगा,
और बाईं चूची को चूसने लगा। फिर मैंने बारी-बारी से बाईं और दाईं चूचियाँ
बदल-बदल कर दबाईं और चूसीं।
कोमल आहें भर रही थी, "हम्म्म्म्म.... ऊम्म्म्म्म।" फिर मैंने उसकी बाईं
चूची दबाई और दाहिनी को हल्के से टटोलते हुए दबाया। वह अपना हाथ मेरे
लंड पर रखकर उसकी कठोरता का आभास कर रही थी। जैसे ही उसने यह हरक़त की,
मैंने उसकी दाईं चूची को पूरे ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया, मानों उसमें
से दूध निकाल कर ही छोड़ूँगा। मेरे उत्तेजित होकर चूसने से वह चिल्ला
पड़ी।
मैं उसकी चूचियाँ करीब 15 मिनटों तक दबाता और चूसता रहा। जब मैंने
चूचियों को छोड़ा तो वह मेरे थूक से चमक रहीं थीं। उनकी घुँडियाँ मेरे
मुख-प्रहार से सूज गईं थीं।
वह मुस्कुरा कर बोली, "ये मेरी चूचियाँ हैं, आटा नहीं... जो गूँथते जा
रहे हो।
मेरा चेहरा लटक गया। वह उठी, और मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा,
"अरे क्या हुआ.." मैंने कहा, "हो सकता है, मुझे नहीं पता कि तुम्हें कैसे
खुश करूँ।" उसने उत्तर दिया, "अभी तक किसी ने मेरी चूचियों को इस तरह
चूसा और दबाया नहीं... ले और मज़ा ले इनके साथ" उसने फिर से अपनी चूचियाँ
मुझे पेश कीं।
मैंने उन्हें फिर से सहलाना शुरू कर दिया और बारी-बारी से चूसने लगा।
वह उत्तेजना में सिसकारियाँ लेते हुए बोली, "उईईईईईई, माँ... और दबा ना।"
मैं अभी तक अपना लंड उसके क़रीब नहीं ले गया था, ताकि उसे मैं सारा मज़ा
दे सकूँ। फिर मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा दिया, और उसकी काँख की गंध
लेने लगा। मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी काँखों को चाटना शुरू कर
दिया। उस वक्त उसकी चूचियाँ ऊपर उठी हुईं थीं। मैं औरतों के शरीर के हर
भाग से उनको मज़ा देना जानता हूँ।
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा। वह मेरे
होंठ चबाने के प्रयास में दिखी। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को बड़े ही
मादक अंदाज में सहलाया, उसने मेरे होठों को एक लम्बे चुम्बन में कैद कर
लिया। हम एक दूसरे को होंठों को चबाते हुए अपने लार का आदान-प्रदान भी कर
रहे थे...
उसके बाद मैं थोड़ा नीचे जाते हुए, उसके पेट पर चूमने लगा, फिर उसकी नाभि
में अपनी जीभ डाल दी। उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर थी, उसकी गोलाई अच्छी थी,
और सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी नाभि को जी भरकर चाटा।
फिर मैंने उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। कोमल ने अपनी गाँड थोड़ी ऊपर
उठाई और पेटकोट सरका दिया। उसकी जाँघें किसी को भी मदहोश बनाने के लिए
काफी थीं, गोरी-गोरी और चमकदार.. कोमल ने अपने बालों से क्लिप निकाल दी
थी, और वह और भी काफी सेक्सी लग रही थी खुले बालों में।
मैंने उसकी ब्लैक पैंटी भी नीचे खींच दी और उसकी चूत के दर्शन किए।
कोमल ने मुझे उसकी चूत को ध्यान से देखते हुए पाया तो पूछा, "बहुत बाल
हैं ना।"
मैंने हल्के से उसकी चूत को सहलाया और अपनी ऊँगलियाँ उसकी झाँटों में
फिराईं, और उत्तर दिया, "भाभी, चूत में तो बाल रहना ही चाहिए... वरना वो
औरत की चूत थोड़ी ही लगती है।"
उसने मेरा कान पकड़ कर खींचा, "मुझे नंगा करके भाभी बुलाता है।" मैंने
कहा, "अभी आप भाभी हो... चोदने के बाद तुम मेरी कोमल बन जाओगी।"
वह कामोत्तेजक तरीके से मुस्कुराई, "ठीक है देवरजी।"
मैंने अपनी ऊंगली उसकी उलझी हुई झाँटों में फिरानी शुरू की। मैं ज्यों ही
ऐसा कर रहा था, वह अपनी चूतड़ सेक्सी तरीके से ऊपर ऊठाकर मुझे और भी
बढ़ावा दे रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं और उसकी शानदार चूत में अपना
मुँह लगा दिया। मैंने उसकी झाँटों को परे हटाया ताकि उसकी चूत देख सकूँ।
ओह! बड़ी कोमल चूत थी कोमल की। मुझे लगा कि मैं उसे पलटकर ज़रा उसकी गाँड
भी देखूँ, पर मैंने सोचा पहले चूत तो मार लूँ, बाद में गाँड भी मार
लूँगा।
कोमल शरमा रही थी, क्योंकि कोई उसके गुप्तांगों का मुआयना जो कर रहा था
वो भी उसका देवर, सो उसने अपना चेहरा एक ओर घुमा लिया। मैंने उसकी चूत को
सूँघा। उसके काफी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत और वहाँ से निकले द्रव
और पसीने को मिलाकर एक ऐसी खुशबू आ रही थी कि मेरा लंड और भी कड़क होता
जा रहा था, और मैं उसे सूँघने ही लग गया, उसकी चूत की सौगंध।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाईट तरीके से बन्द थी।
सामान्यतः एक नियमित रूप से चुदने वाली चूत के फ़लक खुले रहते हैं और ये
थोड़ा बाहर की ओर निकले होते हैं। पर कोमल के साथ ऐसा नहीं था, शादीशुदा
होने के बावजूद उसकी चूत एक अनछुई लड़की की तरह थी... उसकी चूत की
पंखुड़ियाँ गीले होने के बाद भी पतली दिख रही थीं।
मैंने अपनी एक उँगली उसकी चूत में घुसा दीं... उसने सिसकारी ली... उसकी
चूत टाईट थी। मुझे पता था कि अपना लंड अन्दर डालने के लिए पहले मुझे इसकी
चूत खानी होगी, और उसके छेद को बड़ा करना होगा। मेरे चूतिये भाई ने उसकी
चूत कभी चूसी ही नहीं थी, ऐसा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठ फैलाए
और उसकी गुलाबी झलक ली।
फिर मैंने अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ दी और अच्छी तरह चलाते हुए चाटने लगा,
मैं उससे निकले द्रव को भी चाटता जा रहा था। वह मादक आहें भर रही थी...
हमम्म्म्म्मम... मैंने उसकी चूत के होठों को थपथपाना शुरू किया, और फिर
चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को चूमा। मैंने उसकी चूत को फैलाया
और छेद में जीभ घुसेड़ कर चूसने लगा।
मैंने इधर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई, और साथ ही उधर अपनी एक उँगली
उसकी गाँड़ में घुसेड़ दी... मैंने देखा उसकी चूत की झिल्ली सूज गईं
थीं।
मैंने उसकी चूत की झिल्ली को हटाकर अन्दर तक, और उसकी भग्नासा को भी
चूसना शुरू किया। इसी के साथ मैंने ज़बर्दस्ती अपनी दो उँगलियाँ उसकी
गाँड़ में डाल दीं। मैं उसे अपनी उँगली से चोदता रहा और चूत को बीच-बीच
में थपथपता रहा। कोमल ने मेरा सिर उसकी चूत में दबा दिया, और मैं उसकी
चूत में डूब गया।
मैं उसकी चूत को तबतक चूसता-चाटता रहा, जबतक कि वह अपनी गाँड उचकाते हुए
मेरे चेहरे पर झड़ न गई। झड़ते हुए वह आवाजें कर रही थी, "ओहह्ह्ह्ह्ह!
हम्म्म्म्म!आआआआआआ" मैंने तुरन्त अपना चेहरा वहाँ से हटा लिया और उसकी ओर
देखा। मैंने उसकी चूत को चाट-चाटकर सुजा दिया था। उसने मेरे चेहरे की और
देखा और अपने रस को मेरे चेहरे से चाटने लगी।
वह पूर्णतः सन्तुष्ट लग रही थी। मैंने उसके चेहरे को सहलाया तो उसने कहा,
"आज तक उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।" मैं नंगा ही चलता हुआ किचन में गया
और अपनी प्यारी सी भाभी के लिए पानी लेकर आया।
मुझे पता था कि पानी लाते वक्त वह मेरे लंड पर नज़रे गड़ा कर देख रही
थी... कोमल ने कहा, "ऐसा लग रहा है... लंड नहीं, कोई काला नाग है।"
उसने कहा, "रूक जा... आज मैं तुझे बताती हूँ... तेरी भाभी कैसी औरत है।"
उसने मेरा कड़ा लंड पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी। वह मेरे लंड की पूजा कर
रही थी। "बहुत मोटा है तेरा काला केला। तू चलता कैसे है इसे लेकर?"
"आपके नाम पर हिला-हिलाकर सूज गया है।"
उसने प्यार से इसे सहलाया और कहा, "बेचारा ! ये अब मेरा हो गया... अब
इसको जब भी भूख लगेगी, प्यास लगेगी मेरे पास लाना। वह मेरे लंड से बातें
कर रही थी, "आज से इसे परेशान मत करना। मैं हूँ ना।"
कोमल ने फिर से मेरे लंड को सहलाया और बड़े प्यार से चूसने लगी। जैसे ही
उसने चूसना शुरू किया, मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ। फिर
उसने धीरे से मेरे लंड के आगे की चमड़ी हटाकर गुलाबी टोप देखी। फिर उसने
प्यार से टोप को हल्के-हल्के थपथपाने लगी। मेरी आहें निकलने लगीं।
"ओह यस...." उसके नर्म-नर्म हाथों का गर्म-गर्म थपथपाने का अहसास मेरे
लंड के सुपाड़े पर बड़ा आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था। मेरे लंड से हल्का
सा वीर्य निकला, जिसे उसने चाट लिया। फिर उसने मेरे लंड को चाटना शुरू कर
दिया, और साथ में वह मेरे अंडकोषों को भी सहला रही थी।
इधर मैं उसकी अद्भुत चूचियों को सहला-दबा रहा था। उसने पूरे जोश से मेरे
लंड को चूसा, मैं झड़ने ही वाला था। उसे भी यह पता चल गया था और उसने
मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया। मेरा लंड उसकी थूक में नहाया हुआ
था... मैंने एक मादक आह भरी...
तभी फोन बजा और उसने फोन उठाया। फोन पर उसकी सहेली रूपाली थी। उसने
बिस्तर पर से ही फोन उठाया और बात करनी शुरू की। जब वह फोन पर बात कर रही
थी तो उसकी गाँड मेरे सामने थी।
मैं उत्तेजना से भर उठा। मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके चूतड़ों को चूमने
लगा। मैंने हौले से उस पर चपत लगाई, और उसने फोन पर ही मादक आवाज़
निकाली... फिर मैंने उसकी चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ को उसकी गाँड की
छेद में घुसा कर मुआयना करने लगा...
वह स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी और उसने अपनी सहेली से कहा कि उसे फोन
रखना होगा और उसे फोन रख दिया, इधर मैं उसकी गाँड को अच्छी तरह से चाट
रहा था। उसने मेरी ओर देखा और कहा, "गन्दे लड़के हो तुम।" फिर उसने मेरी
ओर देखकर मुस्कुराते हुए अपने चूतड़ किसी रण्डी की तरह फैला दिए ताकि मैं
उसकी गाँड और ठीक तरीके से चाट सकूँ।
मेरे द्वारा उसकी गाँड चाटने से मेरी भाभी कोमल उत्तेजना की चरमसीमा पर
थी। मैं 15 मिनट तक उसकी गाँड चाट रहा था, उसी दौरान वह अपने चूत से
खिलवाड़ कर रही थी, और हस्तमैथुन कर रही थी।
फिर मैंने कोमल से कुतिया की तरह होने को कहा। उसने पूछा, "क्यों.."।
"मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ... मुझे तुम्हारी गाँड पसन्द है।"
पर उसने कहा, "पर कृपा करके मेरी गाँड मत मारना"
मैं राजी हो गया। जैसे ही वह आगे झुकी, मैं उसकी गाँड देखकर दीवाना हो
गया। मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसाया। जैसे ही मैंने अपना
मोटा लंड उसकी चूत में डाला, वह चिल्लाई, "आआआआजजज्ज्जजज्जज्आाहहहहहहह"
मैंने उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और उसके निप्पलों से खेलने लगा
ताकि उसे मज़ा आए।
उसने सिसकारी भरते हुए कहा, "और घुसा" मैं गन्दी बातें करने लगा, "ले
राँड.. मेरा केला कैसा लग रहा है?"
उसने उत्तर दिया, "हम्म्... हम्म्म्म्म्म्म" मैंने अपने झटके लगाने जारी
रखे और कई कोणों से चोदा। उसकी चूत वाक़ई में टाईट थी पर गीली थी। मुझे
ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी चूत से मेरे लण्ड को जकड़ रखा हो।
जल्दी ही मैं चीत्कार करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया।
हमने दो घंटे आराम किया, और कुछ समय के लिए सो भी गए। कोमल ने मुझे उठाया
और मेरे मुरझाए हुए लंड को देखा। उसने मुझे चूमा और कहा, "उठ राजा, चाय
पीओगे?" मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "हाँ मेरी जान।"
वह नंगी ही उठकर किचन में चली गई। वह ब्रेड, मक्खन, और दो कप चाय के साथ
आई। हमने साथ बैठकर चाय पी। मैं चाय पीने के दौरान भी उसकी चूत में उँगली
कर रहा था, और वह मेरे लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मार रही थी, हम दोनों
ही सिसकारियाँ ले रहे थे।
मैंने कहा, "कोमल तेरी गाँड इतनी सेक्सी है, मुझे चोदने दे ना।"
वह मुस्कुराई और कहा, "लेकिन तू मेरी कसम खा कि हमने जो किया, तुम किसी
को बताओगे नहीं।"
मैंने उससे वादा कि यह हमारे बीच का राज़ रहेगा। "पर मैं सबको बताऊँगा कि
तुमने आज पादा।"
वह शरमा गई और कहा, "शटअप, प्लीज़।"
मैंने कहा, "ठीक है, तो फिर मेरा मुँह तुम्हारे होठों से सिल दो।" हमने
एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिया जो पाँच मिनट तक चला। फिर उसने
मेरी बेताबी को समझते हुए कुतिया की तरह झुक गई, और अपनी गाँड मुझे
प्रस्तुत कर दी।
जब उसकी गाँड मेरी ओर थी, मैंने उसकी गोलाई का अच्छे से मुआयना किया...
फिर अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को फैला कर उसके छेद की जाँच भी की। उसकी
गाँड की छेद एक खुलती-बन्द होती आँख की तरह लग रही थी। मैंने अपनी जीभ
अन्दर डाल दी और अपनी कोमल की गाँड का स्वाद चखा।... कोमल मुझे अचरज भरी
नज़रों से देख रही थी कि मैं उसकी गाँड के साथ क्या-क्या कर रहा हूँ।
मैंने उससे कहा, "कोमल, मैं तुम्हें आज ऐसा मज़ा दूँगा, जैसे तुम्हें कभी
नहीं मिला होगा।" मैंने थोड़ा सा मक्खन लिया और उसकी गाँड की छेद पर
लगाया, फिर थोड़ा सा चूतड़ों पर भी लगाया। उसकी गाँड काफी चिकनी और
चमकदार हो गई।
मैंने अधिक से अधिक मक्खन उसके गाँड की छेद में घुसाया। अब मैं कोमल का
"गाँड मसका" खा रहा था जो एक विशेष व्यंजन था। उसकी चूतड़ों पर पिघला हुआ
मक्खन मैंने चाट लिया, फिर मक्खन भरे गाँड की छेद को भी चूसने लगा...
मैंने उसके गाँड के छेद में उँगली की और काफी चाटा, जिससे उसकी छेद थोड़ी
बड़ी और गहरी दिखने लगी थी। उसकी छेद छोटी थी, पर मक्खन लगाने से मेरे
लंड लेने के लिए तैयार दिख रही थी।
उसे भी इशारा मिल चुका था, तो उसने अपनी गाँड थोड़ी और फैलाई, ताकि वह
मेरे लंड के लिए जगह बना सके... मैंने उसके गाँड में अपना लंड पेलते हुए
कहा, "इसको कहते हैं, मसका मारना।"वह मेरी तरफ मुड़ी, मुझे चूमा और कहा,
"ऐसे नहीं, तेरा लंड तो सूखा है, मुझे थोड़ा मक्खन इस पर भी लगाने दो।"
मैं खड़ा हो गया और उनसे मेरे खड़े लंड को देखा। उसने थोड़ा मक्खन लिया
और मेरे लंड पर लगाया। मैं खुशी से काँप उठा जब वह अपने हाथों से उस पर
मक्खन लगा रही थी। अब मेरा लंड मक्खन से वाकई में चिकना हो गया था। मैंने
उससे पूछा, "हॉट-डॉग खाएगी, मसका मार के?"
उसने मेरे लंड को चूसा और कहा, "आज मैं तेरे हॉट-डॉग को गाँड से खाऊँगी।"
जिस तरीके से उसने ये बात कही वह काफी उत्तेजित करने वाली थी। आप ही
कल्पना कीजिए कि कोई स्त्री आपसे बिल्कुल अकेले में ऐसी बात करे तो कैसा
हो !
अब मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गाँड की ओर दबाया। उसकी छेद में
लगाया फिर दबाया। मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा अन्दर जाते ही वह थोड़ा सा
सिसकी। जैसे ही मेरा लौड़ा थोड़ा और अन्दर गया, उसने तकिये को दबोच कर
पकड़ लिया। उसकी गाँड बहुत गरम और बहुत टाईट थी... क्या बताऊँ कितना मज़ा
आया। वह आहें भर रही थी, "धीरे से आआआहहहहह"
मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और फिर से एक धक्का मारा। कोमल ने अपनी गाँड
पीछे करके मेरा लंड और भी अन्दर लेने की कोशिश की। यह मेरे लिए भी थोड़ा
दर्द भरा था, पर अब हम मज़े कर रहे थे...
चिकनाई होने के कारण मेरा लंड कभी-कभी उसकी गाँड से फिसल भी जाता था। मैं
फिर से प्रयास करता और गाँड में दुबारा धकेल देता। जब मैं फिर से लंड
उसकी गाँड में पेलता तो कोमल आहें भरती और हँसती। इस तरह मेरा लौड़ा पूरा
का पूरा उसकी गाँड की छेद में समा चुका था।
हम धीरे-धीरे आराम से मज़े ले रहे थे। मैं भी धक्का मारता, तो वो भी मेरे
लंड की जड़ तक पहुँचने के लिए पीछे की ओर धक्का मारती। मैंने धक्कों की
रफ़्तार में तेज़ी लाई और वह हर धक्के के साथ चुदाई का भरपूर आनन्द ले
रही थी। कोमल भाभी साथ में कराहती भी जा रही थी।.. हम्म्म्म्म
आआआआहह्ह्हह्हहहहहह ओह्ह्ह्हहह।
उसके चूतड़ भी मेरे लौड़े पर संवेदना भरे कसाव डाल रहे थे, तो ऐसा लगता
था जैसे वह मेरे लंड का दूध निचोड़ लेना चाहते हैं। कमरे में हमारी मक्खन
भरी गाँड़-चुदाई के कारण फच्च-फच्च की आवाजें गूँज रहीं थीं।
मैंने उसकी गाँड़ करीब २० मिनटों तक मारनी जारी रखी, फिर मुझे महसूस हुआ
कि मैं झड़ने के नज़दीक पहुँच चुका हूँ... मैंने उसे धीरे से कहा, "मैं
झड़ने वाला हूँ।"
उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे अंडकोषों को दबाया। मैं चिल्लाया, "ओह
कोमलललल्ल्ल्ल" और फिर मेरी वीर्य की बौछार उसकी गाँड में होने लगी जो
करीब २० सेकेण्ड तक चली जब तक कि मेरा सारा उबलता हुआ लावा मेरी पसन्दीदा
गाँड में जा गिरा।
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी कल्पना एक दिन वास्तविकता में
बदल जाएगी और मुझे कोमल की गाँड-चुदाई का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता
दूँ कि उसकी गाँड वास्तव में कैसी दिखती है। यह चर्चित अभिनेत्री रानी
मुखर्जी या माधुरी की गाँड की तरह है बिल्कुल, मोटी, गोल-मटोल और सेक्सी।
फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में समा गए और अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू
पाने का प्रयास करने लगे। हम पसीने से तर हो चुके थे... उसकी गाँड और
मेरा लंड मक्खन व वीर्य से लथपथ थे। कोमल ने मेरे लंड की ओर देखकर कहा
"ला मैं इसे साफ कर देती हूँ।" उसने फिर चाट-चाटकर उसे साफ किया, अन्त
में रूमाल से पोंछ दिया।
फिर हमारे बीच बातें होने लगीं।
मैं: कल बाज़ार से मक्खन नया लाना पड़ेगा। भैया कहेंगे कि कल वाला मक्खन
जो लाया था वह कहाँ गया?
कोमल: मैं कह दूँगी कि मैंने गाँड में डाल ली, और अनिल के लंड पर मल दिया
(खिलखिलाती है, फिर मेरी ओर देखती हुई कहती है:) नहीं रे, मैं कह दूँगी
कि तुम्हारे दोस्तों की पार्टी थी, तो सैंडविच में खत्म हो गया। तू
टेन्शन मत ले।
मैं: आई लव यू कोमल, क्या तू मेरी गुप्त-पत्नी बनेगी...
कोमल: मैं तेरी सब कुछ बनूँगी... मैं तेरी रख़ैल हूँ, और तेरी सेक्स-
टीचर... वैसे तू चेला काफी अच्छा है... तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया... और
एक औरत को क्या चाहिए?
हम अब इतने थके हुए थे कि और चुदाई नहीं कर सकते थे, अतः हमने साथ में
नहाया और एक-दूसरे को भली-भाँति स्वच्छ किया। मैंने उसकी चूत के बालों पर
सनसिल्क लगा कर सफाई की। तो मित्रों, इस तरह हमने सारा दिन सम्भोग व
आनन्द में बिताया। अन्त में हम सो गए।
अगले दिन उसने मेरा लंड चूसते हुए मुझे जगाया, पर बात यहीं समाप्त न हुई।
हमने उस दिन भी पूरा आनन्द उठाया।
जब भी भैया जाते तो हम सारा काम साथ-साथ करते थे जैसे खाना, नहाना, टीवी
देखना यहाँ तक कि शौच भी। जब भैया होते, तो भी हम एक दूसरे के अंगों को
दबा देते, मैं उसकी चूचियाँ और गाँड दबाता और मज़े लेता। भैया जब दूसरी
ओर देख रहे होते तो वह मेरे लंड को मसल देती... जब वह नहीं होते फिर तो
पूरी तरह से मज़े ही मज़े होते। मैं कॉलेज भी न जाकर उसे चोदता रहता।
हर स्त्री उस आदमी से खुल जाती है और उसके सामने बेशर्म हो जाती है जो
आदमी उसे संतुष्ट करता है... आपको पता है, मैं तो उसकी चूत में मक्खन,
पनीर, क्रीम, दही, आईसक्रीम, दाल या साँभर कुछ भी डालकर उसे खाता या पीता
हूँ। उसके चूत से निकलने वाली रस से स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।
उसी प्रकार वह मेरे लंड पर लिपस्टिक लगाती, या टमाटर की चटनी, खीरा, या
डबल सैंडविच में लंड डालकर उसे खाती। और मैं उसके इन व्यंजनों पर अपने
सफ़ेद क्रीम इनाम के तौर पर डालता जिसे वह चटखारे लेकर खाती। उसे यह बहुत
अच्छा लगता कि मैं उसकी इन छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ।
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भाभी * भाभी * भाभी *
है और उसकी उम्र २४ साल है। उसकी फ़िगर तो मस्त है ही साथ में गाँड भी
लाजबाव है। उसके मम्मे बिल्कुल बड़े-बड़े और भरे-भरे हैं और वे पहाड़ की
तरह कसे और खड़े रहते हैं। एक तरह से अब वह मेरी पत्नी है। यह घटना सात
महीने पहले घटी थी।
मेरे भैया काम पर हमेशा लम्बे समय के लिए जाते थे, क्योंकि वह एक बड़ी
कम्पनी के सेल्स मैनेजर थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी यात्रा करनी पड़ती
थी। मैं भाभी के साथ बहुत सारा समय अकेले बिताता था। पहले तो मैंने उसे
कभी भी सेक्स के नज़रिये से नहीं देखा।
एक बार मेरे दोस्त रोहित, हमारे एक अन्य दोस्त मनीष से कह रहा था, "कोमल
ज़बरदस्त माल है यार। क्या गाँड है उसकी। उसका पति साला छक्का है।" मनीष
ने कहा, "उसे तो देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। समझ में नहीं आता
सुनील ख़ुद को कैसे रोक पाता है। ऐसी गाँड के लिए तो मैं उसकी पाद भी
सूँघने को तैयार हूँ।"
उनकी ये अश्लील बातें सुनकर मैं थोड़ा बौखला भी गया, और थोड़ा उत्तेजित
भी हो गया। हाँलाकि मैं इस बात से सहमत था कि कोमल काफी सेक्सी औरत है।
उस दिन के बाद से मैं उसे चोदने के नज़रिये से देखना लगा।
जब भी वह झाड़ू लगा रही होती तो मैं साड़ी के अन्दर उसकी मस्त गाँड देखता
रहता और उसके साथ चुम्बन करते हुए नहाने की कल्पना कर रहा होता। जब वह
नीचे झुकती तो, मुझे उसकी चूचियों और उसके बीच की घाटी को भी देखने का
मौक़ा मिलता था। वे शानदार थे, और जब वह झाड़ू लगाती, या फर्श पर से कुछ
चीजें जमा कर रही होती तो वे हिलते और उछलते थे। ऐसा करते हुए जब वह मुझे
देखती तो मैं झेंप जाता...
धीरे-धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे। वह मेरी गर्लफ्रेण्ड वगैरह के बारे
में पूछती। फिर मैं उसे सेक्सी चुटकुलों वाले एस. एम. एस. सुनाता तो वह
दिल खोल कर हँसती। मैंने भी उससे कहा कि मुझे कुछ अश्लील चुटकुले सुनाओ,
तो उसने भी थोड़े चुटकुले सुनाए।
मैं अपनी भाभी के प्रति आकर्षित होता जा रहा था, उसके प्रति मेरी दीवानगी
बढ़ती जा रही थी और मैं उसके नाम से रात को मुट्ठ भी मारता था। पर वह अलग
कमरे में सोती थी।
एक दिन ऐसा हुआ कि मैं एक दोपहर उसके साथ लिविंग-रूम में बैठकर टीवी देख
रहा था। भैया शहर से बाहर गए हुए थे। अचानक एक सेक्सी और ज़ोरदार पादने
की आवाज़ ने शांति भंग कर दी। इसमें एक धमाके जैसी आवाज थी और गैस खत्म
होने के साथ ही आवाज़ भी धीरे-धीरे बन्द होती गई।
जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह शरमा गई। उसके बाद एक अजीब सी बू आई। पर
मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि किसी ख़ूबसूरत औरत के हवा छोड़ने का
अनुभव असामान्य बात थी।
मैंने मज़ाक में कहा "आपकी तो पाद भी सेक्सी है"
उसने मुँह बनाकर कहा, "तो फिर सूँघो।"
वह मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, फिर मैंने बात को सँभालने के लिए
उससे कहा, "कोई बात नहीं। क्यों तुम भैया के सामने कभी नहीं पादती?"
उसने कहा, "वह घर पर रहते ही कब हैं!"
मैंने मुँह बनाते हुए कहा, "भाभी, जब भी आपको भैया की ज़रूरत होती है, वह
घर पर ही नहीं होते हैं, क्या आपको बुरा नहीं लगता?"
वह मुस्कुराई और कहा, "तुम हो ना यहाँ पर, फिर मुझे क्या समस्या है?"
मैंने उत्तर दिया, "या तो अशोक भैया चूतिया है, या फिर उसके पास लण्ड ही
नहीं हैं"
वह ज़ोरों से हँस पड़ी फिर गम्भीर चेहरा बना लिया, "उसके पास वो चीज़ तो
ज़रूर है, पर उनके पास इसे इस्तेमाल करने का समय नहीं है।"
मुझे उसके मज़ाक का तरीका पसन्द आया, मैंने उससे कहा, "तुम्हारे जैसी
सुन्दर बीवी अगर किसी की हो तो वह तो घर छोड़कर ही न निकले। उसकी जगह अगर
मैं होता तो फिर तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। मेरा मतलब काम तो
महत्वपूर्ण है, पर फिर भी मैं तु्म्हारे साथ समय बिताता।"
उसने प्यार भरी नज़रों से मेरी ओर देखा और कहा, "काश! तुम्हारे भैया भी
तुम्हारी तरह होते।"
मैं उसके पास गया, उसके बालों और चेहरे को सहलाया और पूछा, "सप्ताह में
कितनी बार भैया तुम्हारे साथ सेक्स करते हैं?"
उसने उत्तर दिया, "पता नहीं। कभी एक बार तो कभी वह भी नहीं।"
मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन से लेकर कंधे तक फिराया। मैंने कहा, "मैं तो
तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता।"
फिर मैंने उसकी जाँघ को प्यार से सहलाया। उसकी जाँघें काफी बड़ी और
मुलायम थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मुझे पता था कि मैं इसे चोदना
चाहता हूँ, और वह भी सेक्सी मूड में थी। उसने मुझे नहीं रोका। मुझे पता
था कि उसकी शादीशुदा चूत में किसी बड़े लंड के लिए खुजली थी।
मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को प्यार से दबाया, जैसे ही
मैंने दबाया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसके साड़ी की पल्लू गिर गई और
मैंने देखा कि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी कसी हुई ब्लाऊज़ से बाहर आने
के लिए बेताब़ हो रहीं हैं। मेरी आँखों की तृप्ति मिल रही थी, और मैं
उसकी चूचियों को भूखी नज़रों से देख रहा था।
मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी, और उसने मेरे अन्डरवियर के अन्दर ही
मेरा फन खड़ा किया हुआ नाग देखा जिसका सिर मेरी नीली अन्डरिवयर से बाहर आ
रहा था। उसने देखते हुए कहा, "तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है।"
उसके कहते ही मैंने अपनी शर्ट, पैंट, और अन्डरवियार उतार दी और मैंने उसे
अपना हथियार दिखाया। वह उसे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ मुआयना कर रही हो।
उसने मेरे लंड पर मुट्ठ मारी और प्यार से बोली, "यह वाकई में बहुत बड़ा
है - तेरा केला तो बहुत मोटा है रे।"
मैंने पूछा, "तेरी चूचियाँ भी बहुत स्वादिष्ट लग रहीं हैं, कोमल"
मैं उसके पास गया और उसके होठों पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया। मैं उसकी
चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबा रहा था, और हम साथ ही चुम्बन में भी
लिप्त थे।
तभी वह थोड़ा किनारे हटी, और अपनी ब्लाऊज उतार दी, और मैंने उसकी सफेद
ब्रा देखी। उसकी चूचियों के बीच की घाटी मानों ज़न्नत थी, और ब्रा को
फाड़े दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, और उसकी चूचियाँ उछल
कर बाहर आ गई, जैसे उन्हें मेरा ही इन्तज़ार हो। उसकी चूचियाँ वाकई में
बहुत सुन्दर थी, जैसे दो शानदार आम हों।
मैंने उन नरम चूचियों को दबाना शुरू किया, और साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी
गर्दन पर फिरा रहा था। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और हल्की आहें भरने
लगी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दाईं चूची को दबाने लगा,
और बाईं चूची को चूसने लगा। फिर मैंने बारी-बारी से बाईं और दाईं चूचियाँ
बदल-बदल कर दबाईं और चूसीं।
कोमल आहें भर रही थी, "हम्म्म्म्म.... ऊम्म्म्म्म।" फिर मैंने उसकी बाईं
चूची दबाई और दाहिनी को हल्के से टटोलते हुए दबाया। वह अपना हाथ मेरे
लंड पर रखकर उसकी कठोरता का आभास कर रही थी। जैसे ही उसने यह हरक़त की,
मैंने उसकी दाईं चूची को पूरे ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया, मानों उसमें
से दूध निकाल कर ही छोड़ूँगा। मेरे उत्तेजित होकर चूसने से वह चिल्ला
पड़ी।
मैं उसकी चूचियाँ करीब 15 मिनटों तक दबाता और चूसता रहा। जब मैंने
चूचियों को छोड़ा तो वह मेरे थूक से चमक रहीं थीं। उनकी घुँडियाँ मेरे
मुख-प्रहार से सूज गईं थीं।
वह मुस्कुरा कर बोली, "ये मेरी चूचियाँ हैं, आटा नहीं... जो गूँथते जा
रहे हो।
मेरा चेहरा लटक गया। वह उठी, और मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा,
"अरे क्या हुआ.." मैंने कहा, "हो सकता है, मुझे नहीं पता कि तुम्हें कैसे
खुश करूँ।" उसने उत्तर दिया, "अभी तक किसी ने मेरी चूचियों को इस तरह
चूसा और दबाया नहीं... ले और मज़ा ले इनके साथ" उसने फिर से अपनी चूचियाँ
मुझे पेश कीं।
मैंने उन्हें फिर से सहलाना शुरू कर दिया और बारी-बारी से चूसने लगा।
वह उत्तेजना में सिसकारियाँ लेते हुए बोली, "उईईईईईई, माँ... और दबा ना।"
मैं अभी तक अपना लंड उसके क़रीब नहीं ले गया था, ताकि उसे मैं सारा मज़ा
दे सकूँ। फिर मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा दिया, और उसकी काँख की गंध
लेने लगा। मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी काँखों को चाटना शुरू कर
दिया। उस वक्त उसकी चूचियाँ ऊपर उठी हुईं थीं। मैं औरतों के शरीर के हर
भाग से उनको मज़ा देना जानता हूँ।
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा। वह मेरे
होंठ चबाने के प्रयास में दिखी। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को बड़े ही
मादक अंदाज में सहलाया, उसने मेरे होठों को एक लम्बे चुम्बन में कैद कर
लिया। हम एक दूसरे को होंठों को चबाते हुए अपने लार का आदान-प्रदान भी कर
रहे थे...
उसके बाद मैं थोड़ा नीचे जाते हुए, उसके पेट पर चूमने लगा, फिर उसकी नाभि
में अपनी जीभ डाल दी। उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर थी, उसकी गोलाई अच्छी थी,
और सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी नाभि को जी भरकर चाटा।
फिर मैंने उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। कोमल ने अपनी गाँड थोड़ी ऊपर
उठाई और पेटकोट सरका दिया। उसकी जाँघें किसी को भी मदहोश बनाने के लिए
काफी थीं, गोरी-गोरी और चमकदार.. कोमल ने अपने बालों से क्लिप निकाल दी
थी, और वह और भी काफी सेक्सी लग रही थी खुले बालों में।
मैंने उसकी ब्लैक पैंटी भी नीचे खींच दी और उसकी चूत के दर्शन किए।
कोमल ने मुझे उसकी चूत को ध्यान से देखते हुए पाया तो पूछा, "बहुत बाल
हैं ना।"
मैंने हल्के से उसकी चूत को सहलाया और अपनी ऊँगलियाँ उसकी झाँटों में
फिराईं, और उत्तर दिया, "भाभी, चूत में तो बाल रहना ही चाहिए... वरना वो
औरत की चूत थोड़ी ही लगती है।"
उसने मेरा कान पकड़ कर खींचा, "मुझे नंगा करके भाभी बुलाता है।" मैंने
कहा, "अभी आप भाभी हो... चोदने के बाद तुम मेरी कोमल बन जाओगी।"
वह कामोत्तेजक तरीके से मुस्कुराई, "ठीक है देवरजी।"
मैंने अपनी ऊंगली उसकी उलझी हुई झाँटों में फिरानी शुरू की। मैं ज्यों ही
ऐसा कर रहा था, वह अपनी चूतड़ सेक्सी तरीके से ऊपर ऊठाकर मुझे और भी
बढ़ावा दे रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं और उसकी शानदार चूत में अपना
मुँह लगा दिया। मैंने उसकी झाँटों को परे हटाया ताकि उसकी चूत देख सकूँ।
ओह! बड़ी कोमल चूत थी कोमल की। मुझे लगा कि मैं उसे पलटकर ज़रा उसकी गाँड
भी देखूँ, पर मैंने सोचा पहले चूत तो मार लूँ, बाद में गाँड भी मार
लूँगा।
कोमल शरमा रही थी, क्योंकि कोई उसके गुप्तांगों का मुआयना जो कर रहा था
वो भी उसका देवर, सो उसने अपना चेहरा एक ओर घुमा लिया। मैंने उसकी चूत को
सूँघा। उसके काफी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत और वहाँ से निकले द्रव
और पसीने को मिलाकर एक ऐसी खुशबू आ रही थी कि मेरा लंड और भी कड़क होता
जा रहा था, और मैं उसे सूँघने ही लग गया, उसकी चूत की सौगंध।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाईट तरीके से बन्द थी।
सामान्यतः एक नियमित रूप से चुदने वाली चूत के फ़लक खुले रहते हैं और ये
थोड़ा बाहर की ओर निकले होते हैं। पर कोमल के साथ ऐसा नहीं था, शादीशुदा
होने के बावजूद उसकी चूत एक अनछुई लड़की की तरह थी... उसकी चूत की
पंखुड़ियाँ गीले होने के बाद भी पतली दिख रही थीं।
मैंने अपनी एक उँगली उसकी चूत में घुसा दीं... उसने सिसकारी ली... उसकी
चूत टाईट थी। मुझे पता था कि अपना लंड अन्दर डालने के लिए पहले मुझे इसकी
चूत खानी होगी, और उसके छेद को बड़ा करना होगा। मेरे चूतिये भाई ने उसकी
चूत कभी चूसी ही नहीं थी, ऐसा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठ फैलाए
और उसकी गुलाबी झलक ली।
फिर मैंने अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ दी और अच्छी तरह चलाते हुए चाटने लगा,
मैं उससे निकले द्रव को भी चाटता जा रहा था। वह मादक आहें भर रही थी...
हमम्म्म्म्मम... मैंने उसकी चूत के होठों को थपथपाना शुरू किया, और फिर
चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को चूमा। मैंने उसकी चूत को फैलाया
और छेद में जीभ घुसेड़ कर चूसने लगा।
मैंने इधर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई, और साथ ही उधर अपनी एक उँगली
उसकी गाँड़ में घुसेड़ दी... मैंने देखा उसकी चूत की झिल्ली सूज गईं
थीं।
मैंने उसकी चूत की झिल्ली को हटाकर अन्दर तक, और उसकी भग्नासा को भी
चूसना शुरू किया। इसी के साथ मैंने ज़बर्दस्ती अपनी दो उँगलियाँ उसकी
गाँड़ में डाल दीं। मैं उसे अपनी उँगली से चोदता रहा और चूत को बीच-बीच
में थपथपता रहा। कोमल ने मेरा सिर उसकी चूत में दबा दिया, और मैं उसकी
चूत में डूब गया।
मैं उसकी चूत को तबतक चूसता-चाटता रहा, जबतक कि वह अपनी गाँड उचकाते हुए
मेरे चेहरे पर झड़ न गई। झड़ते हुए वह आवाजें कर रही थी, "ओहह्ह्ह्ह्ह!
हम्म्म्म्म!आआआआआआ" मैंने तुरन्त अपना चेहरा वहाँ से हटा लिया और उसकी ओर
देखा। मैंने उसकी चूत को चाट-चाटकर सुजा दिया था। उसने मेरे चेहरे की और
देखा और अपने रस को मेरे चेहरे से चाटने लगी।
वह पूर्णतः सन्तुष्ट लग रही थी। मैंने उसके चेहरे को सहलाया तो उसने कहा,
"आज तक उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।" मैं नंगा ही चलता हुआ किचन में गया
और अपनी प्यारी सी भाभी के लिए पानी लेकर आया।
मुझे पता था कि पानी लाते वक्त वह मेरे लंड पर नज़रे गड़ा कर देख रही
थी... कोमल ने कहा, "ऐसा लग रहा है... लंड नहीं, कोई काला नाग है।"
उसने कहा, "रूक जा... आज मैं तुझे बताती हूँ... तेरी भाभी कैसी औरत है।"
उसने मेरा कड़ा लंड पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी। वह मेरे लंड की पूजा कर
रही थी। "बहुत मोटा है तेरा काला केला। तू चलता कैसे है इसे लेकर?"
"आपके नाम पर हिला-हिलाकर सूज गया है।"
उसने प्यार से इसे सहलाया और कहा, "बेचारा ! ये अब मेरा हो गया... अब
इसको जब भी भूख लगेगी, प्यास लगेगी मेरे पास लाना। वह मेरे लंड से बातें
कर रही थी, "आज से इसे परेशान मत करना। मैं हूँ ना।"
कोमल ने फिर से मेरे लंड को सहलाया और बड़े प्यार से चूसने लगी। जैसे ही
उसने चूसना शुरू किया, मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ। फिर
उसने धीरे से मेरे लंड के आगे की चमड़ी हटाकर गुलाबी टोप देखी। फिर उसने
प्यार से टोप को हल्के-हल्के थपथपाने लगी। मेरी आहें निकलने लगीं।
"ओह यस...." उसके नर्म-नर्म हाथों का गर्म-गर्म थपथपाने का अहसास मेरे
लंड के सुपाड़े पर बड़ा आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था। मेरे लंड से हल्का
सा वीर्य निकला, जिसे उसने चाट लिया। फिर उसने मेरे लंड को चाटना शुरू कर
दिया, और साथ में वह मेरे अंडकोषों को भी सहला रही थी।
इधर मैं उसकी अद्भुत चूचियों को सहला-दबा रहा था। उसने पूरे जोश से मेरे
लंड को चूसा, मैं झड़ने ही वाला था। उसे भी यह पता चल गया था और उसने
मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया। मेरा लंड उसकी थूक में नहाया हुआ
था... मैंने एक मादक आह भरी...
तभी फोन बजा और उसने फोन उठाया। फोन पर उसकी सहेली रूपाली थी। उसने
बिस्तर पर से ही फोन उठाया और बात करनी शुरू की। जब वह फोन पर बात कर रही
थी तो उसकी गाँड मेरे सामने थी।
मैं उत्तेजना से भर उठा। मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके चूतड़ों को चूमने
लगा। मैंने हौले से उस पर चपत लगाई, और उसने फोन पर ही मादक आवाज़
निकाली... फिर मैंने उसकी चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ को उसकी गाँड की
छेद में घुसा कर मुआयना करने लगा...
वह स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी और उसने अपनी सहेली से कहा कि उसे फोन
रखना होगा और उसे फोन रख दिया, इधर मैं उसकी गाँड को अच्छी तरह से चाट
रहा था। उसने मेरी ओर देखा और कहा, "गन्दे लड़के हो तुम।" फिर उसने मेरी
ओर देखकर मुस्कुराते हुए अपने चूतड़ किसी रण्डी की तरह फैला दिए ताकि मैं
उसकी गाँड और ठीक तरीके से चाट सकूँ।
मेरे द्वारा उसकी गाँड चाटने से मेरी भाभी कोमल उत्तेजना की चरमसीमा पर
थी। मैं 15 मिनट तक उसकी गाँड चाट रहा था, उसी दौरान वह अपने चूत से
खिलवाड़ कर रही थी, और हस्तमैथुन कर रही थी।
फिर मैंने कोमल से कुतिया की तरह होने को कहा। उसने पूछा, "क्यों.."।
"मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ... मुझे तुम्हारी गाँड पसन्द है।"
पर उसने कहा, "पर कृपा करके मेरी गाँड मत मारना"
मैं राजी हो गया। जैसे ही वह आगे झुकी, मैं उसकी गाँड देखकर दीवाना हो
गया। मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसाया। जैसे ही मैंने अपना
मोटा लंड उसकी चूत में डाला, वह चिल्लाई, "आआआआजजज्ज्जजज्जज्आाहहहहहहह"
मैंने उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और उसके निप्पलों से खेलने लगा
ताकि उसे मज़ा आए।
उसने सिसकारी भरते हुए कहा, "और घुसा" मैं गन्दी बातें करने लगा, "ले
राँड.. मेरा केला कैसा लग रहा है?"
उसने उत्तर दिया, "हम्म्... हम्म्म्म्म्म्म" मैंने अपने झटके लगाने जारी
रखे और कई कोणों से चोदा। उसकी चूत वाक़ई में टाईट थी पर गीली थी। मुझे
ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी चूत से मेरे लण्ड को जकड़ रखा हो।
जल्दी ही मैं चीत्कार करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया।
हमने दो घंटे आराम किया, और कुछ समय के लिए सो भी गए। कोमल ने मुझे उठाया
और मेरे मुरझाए हुए लंड को देखा। उसने मुझे चूमा और कहा, "उठ राजा, चाय
पीओगे?" मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "हाँ मेरी जान।"
वह नंगी ही उठकर किचन में चली गई। वह ब्रेड, मक्खन, और दो कप चाय के साथ
आई। हमने साथ बैठकर चाय पी। मैं चाय पीने के दौरान भी उसकी चूत में उँगली
कर रहा था, और वह मेरे लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मार रही थी, हम दोनों
ही सिसकारियाँ ले रहे थे।
मैंने कहा, "कोमल तेरी गाँड इतनी सेक्सी है, मुझे चोदने दे ना।"
वह मुस्कुराई और कहा, "लेकिन तू मेरी कसम खा कि हमने जो किया, तुम किसी
को बताओगे नहीं।"
मैंने उससे वादा कि यह हमारे बीच का राज़ रहेगा। "पर मैं सबको बताऊँगा कि
तुमने आज पादा।"
वह शरमा गई और कहा, "शटअप, प्लीज़।"
मैंने कहा, "ठीक है, तो फिर मेरा मुँह तुम्हारे होठों से सिल दो।" हमने
एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिया जो पाँच मिनट तक चला। फिर उसने
मेरी बेताबी को समझते हुए कुतिया की तरह झुक गई, और अपनी गाँड मुझे
प्रस्तुत कर दी।
जब उसकी गाँड मेरी ओर थी, मैंने उसकी गोलाई का अच्छे से मुआयना किया...
फिर अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को फैला कर उसके छेद की जाँच भी की। उसकी
गाँड की छेद एक खुलती-बन्द होती आँख की तरह लग रही थी। मैंने अपनी जीभ
अन्दर डाल दी और अपनी कोमल की गाँड का स्वाद चखा।... कोमल मुझे अचरज भरी
नज़रों से देख रही थी कि मैं उसकी गाँड के साथ क्या-क्या कर रहा हूँ।
मैंने उससे कहा, "कोमल, मैं तुम्हें आज ऐसा मज़ा दूँगा, जैसे तुम्हें कभी
नहीं मिला होगा।" मैंने थोड़ा सा मक्खन लिया और उसकी गाँड की छेद पर
लगाया, फिर थोड़ा सा चूतड़ों पर भी लगाया। उसकी गाँड काफी चिकनी और
चमकदार हो गई।
मैंने अधिक से अधिक मक्खन उसके गाँड की छेद में घुसाया। अब मैं कोमल का
"गाँड मसका" खा रहा था जो एक विशेष व्यंजन था। उसकी चूतड़ों पर पिघला हुआ
मक्खन मैंने चाट लिया, फिर मक्खन भरे गाँड की छेद को भी चूसने लगा...
मैंने उसके गाँड के छेद में उँगली की और काफी चाटा, जिससे उसकी छेद थोड़ी
बड़ी और गहरी दिखने लगी थी। उसकी छेद छोटी थी, पर मक्खन लगाने से मेरे
लंड लेने के लिए तैयार दिख रही थी।
उसे भी इशारा मिल चुका था, तो उसने अपनी गाँड थोड़ी और फैलाई, ताकि वह
मेरे लंड के लिए जगह बना सके... मैंने उसके गाँड में अपना लंड पेलते हुए
कहा, "इसको कहते हैं, मसका मारना।"वह मेरी तरफ मुड़ी, मुझे चूमा और कहा,
"ऐसे नहीं, तेरा लंड तो सूखा है, मुझे थोड़ा मक्खन इस पर भी लगाने दो।"
मैं खड़ा हो गया और उनसे मेरे खड़े लंड को देखा। उसने थोड़ा मक्खन लिया
और मेरे लंड पर लगाया। मैं खुशी से काँप उठा जब वह अपने हाथों से उस पर
मक्खन लगा रही थी। अब मेरा लंड मक्खन से वाकई में चिकना हो गया था। मैंने
उससे पूछा, "हॉट-डॉग खाएगी, मसका मार के?"
उसने मेरे लंड को चूसा और कहा, "आज मैं तेरे हॉट-डॉग को गाँड से खाऊँगी।"
जिस तरीके से उसने ये बात कही वह काफी उत्तेजित करने वाली थी। आप ही
कल्पना कीजिए कि कोई स्त्री आपसे बिल्कुल अकेले में ऐसी बात करे तो कैसा
हो !
अब मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गाँड की ओर दबाया। उसकी छेद में
लगाया फिर दबाया। मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा अन्दर जाते ही वह थोड़ा सा
सिसकी। जैसे ही मेरा लौड़ा थोड़ा और अन्दर गया, उसने तकिये को दबोच कर
पकड़ लिया। उसकी गाँड बहुत गरम और बहुत टाईट थी... क्या बताऊँ कितना मज़ा
आया। वह आहें भर रही थी, "धीरे से आआआहहहहह"
मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और फिर से एक धक्का मारा। कोमल ने अपनी गाँड
पीछे करके मेरा लंड और भी अन्दर लेने की कोशिश की। यह मेरे लिए भी थोड़ा
दर्द भरा था, पर अब हम मज़े कर रहे थे...
चिकनाई होने के कारण मेरा लंड कभी-कभी उसकी गाँड से फिसल भी जाता था। मैं
फिर से प्रयास करता और गाँड में दुबारा धकेल देता। जब मैं फिर से लंड
उसकी गाँड में पेलता तो कोमल आहें भरती और हँसती। इस तरह मेरा लौड़ा पूरा
का पूरा उसकी गाँड की छेद में समा चुका था।
हम धीरे-धीरे आराम से मज़े ले रहे थे। मैं भी धक्का मारता, तो वो भी मेरे
लंड की जड़ तक पहुँचने के लिए पीछे की ओर धक्का मारती। मैंने धक्कों की
रफ़्तार में तेज़ी लाई और वह हर धक्के के साथ चुदाई का भरपूर आनन्द ले
रही थी। कोमल भाभी साथ में कराहती भी जा रही थी।.. हम्म्म्म्म
आआआआहह्ह्हह्हहहहहह ओह्ह्ह्हहह।
उसके चूतड़ भी मेरे लौड़े पर संवेदना भरे कसाव डाल रहे थे, तो ऐसा लगता
था जैसे वह मेरे लंड का दूध निचोड़ लेना चाहते हैं। कमरे में हमारी मक्खन
भरी गाँड़-चुदाई के कारण फच्च-फच्च की आवाजें गूँज रहीं थीं।
मैंने उसकी गाँड़ करीब २० मिनटों तक मारनी जारी रखी, फिर मुझे महसूस हुआ
कि मैं झड़ने के नज़दीक पहुँच चुका हूँ... मैंने उसे धीरे से कहा, "मैं
झड़ने वाला हूँ।"
उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे अंडकोषों को दबाया। मैं चिल्लाया, "ओह
कोमलललल्ल्ल्ल" और फिर मेरी वीर्य की बौछार उसकी गाँड में होने लगी जो
करीब २० सेकेण्ड तक चली जब तक कि मेरा सारा उबलता हुआ लावा मेरी पसन्दीदा
गाँड में जा गिरा।
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी कल्पना एक दिन वास्तविकता में
बदल जाएगी और मुझे कोमल की गाँड-चुदाई का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता
दूँ कि उसकी गाँड वास्तव में कैसी दिखती है। यह चर्चित अभिनेत्री रानी
मुखर्जी या माधुरी की गाँड की तरह है बिल्कुल, मोटी, गोल-मटोल और सेक्सी।
फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में समा गए और अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू
पाने का प्रयास करने लगे। हम पसीने से तर हो चुके थे... उसकी गाँड और
मेरा लंड मक्खन व वीर्य से लथपथ थे। कोमल ने मेरे लंड की ओर देखकर कहा
"ला मैं इसे साफ कर देती हूँ।" उसने फिर चाट-चाटकर उसे साफ किया, अन्त
में रूमाल से पोंछ दिया।
फिर हमारे बीच बातें होने लगीं।
मैं: कल बाज़ार से मक्खन नया लाना पड़ेगा। भैया कहेंगे कि कल वाला मक्खन
जो लाया था वह कहाँ गया?
कोमल: मैं कह दूँगी कि मैंने गाँड में डाल ली, और अनिल के लंड पर मल दिया
(खिलखिलाती है, फिर मेरी ओर देखती हुई कहती है:) नहीं रे, मैं कह दूँगी
कि तुम्हारे दोस्तों की पार्टी थी, तो सैंडविच में खत्म हो गया। तू
टेन्शन मत ले।
मैं: आई लव यू कोमल, क्या तू मेरी गुप्त-पत्नी बनेगी...
कोमल: मैं तेरी सब कुछ बनूँगी... मैं तेरी रख़ैल हूँ, और तेरी सेक्स-
टीचर... वैसे तू चेला काफी अच्छा है... तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया... और
एक औरत को क्या चाहिए?
हम अब इतने थके हुए थे कि और चुदाई नहीं कर सकते थे, अतः हमने साथ में
नहाया और एक-दूसरे को भली-भाँति स्वच्छ किया। मैंने उसकी चूत के बालों पर
सनसिल्क लगा कर सफाई की। तो मित्रों, इस तरह हमने सारा दिन सम्भोग व
आनन्द में बिताया। अन्त में हम सो गए।
अगले दिन उसने मेरा लंड चूसते हुए मुझे जगाया, पर बात यहीं समाप्त न हुई।
हमने उस दिन भी पूरा आनन्द उठाया।
जब भी भैया जाते तो हम सारा काम साथ-साथ करते थे जैसे खाना, नहाना, टीवी
देखना यहाँ तक कि शौच भी। जब भैया होते, तो भी हम एक दूसरे के अंगों को
दबा देते, मैं उसकी चूचियाँ और गाँड दबाता और मज़े लेता। भैया जब दूसरी
ओर देख रहे होते तो वह मेरे लंड को मसल देती... जब वह नहीं होते फिर तो
पूरी तरह से मज़े ही मज़े होते। मैं कॉलेज भी न जाकर उसे चोदता रहता।
हर स्त्री उस आदमी से खुल जाती है और उसके सामने बेशर्म हो जाती है जो
आदमी उसे संतुष्ट करता है... आपको पता है, मैं तो उसकी चूत में मक्खन,
पनीर, क्रीम, दही, आईसक्रीम, दाल या साँभर कुछ भी डालकर उसे खाता या पीता
हूँ। उसके चूत से निकलने वाली रस से स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।
उसी प्रकार वह मेरे लंड पर लिपस्टिक लगाती, या टमाटर की चटनी, खीरा, या
डबल सैंडविच में लंड डालकर उसे खाती। और मैं उसके इन व्यंजनों पर अपने
सफ़ेद क्रीम इनाम के तौर पर डालता जिसे वह चटखारे लेकर खाती। उसे यह बहुत
अच्छा लगता कि मैं उसकी इन छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ।
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