हिंदी सेक्स स्टोरीखेल खेल में पार्ट--1
आज मैं आप'को अप'ने घर की कहानी बताने जा रहा हूँ. मेरे
घर में पापा, मम्मी, छोटी बहन सलोनी (15 साल) , मुनिया (1 साल)
और मैं; ये पाँच लोग रह'ते हैं . मेरी उमर 18 साल की हो गयी
है और कॉलेज में बी. एस सी. फाइनल एअर में हूँ. छ्होटी बहन सलोनी
10थ में है. कॉलेज में दोस्तों के साथ लड़'कियों से छेड़ छाड़
कर'ना और लऱ'कियों की बातें कर'ने में मैं किसी से कम नहीं
था. हमारी सम्मर वाकेशन्स चल रही थी. पापा तो सुबेह ही काम
पर चले जाते और शाम को घर आते थे और मम्मी सारा दिन काम
में बिज़ी रहती थी. एक दिन दोपहर के वक़्त खाना खा के मैं और
सलोनी टी. वी. देख रहे थे. मम्मी और मुनिया सो रहे थे. इतने में
ही लाइट चली गयी. अब मैं और सलोनी बोर हो रहे थे.
"भैया, लाइट तो चली गयी, अब क्या करें?"
"कुच्छ खेलते हैं"
"क्या खेलोगे?"
"लुडो"
"मेरा दिल नहीं कर रहा"
"फिर चलो साँप सीढ़ी ही खेल लेते हैं, इतने में कहीं लाइट आ
जाय."
"नहीं भैया ये सब खेल मुझे बहुत बोर लग'ते हैं."
"अच्च्छा सलोनी आज हम वो बच'पन वाला खेल "घर घर" खेलते
हैं, जिसमें तुम कुच्छ बनोगी और मैं भी कुच्छ बनूंगा.
"उम्म. . . ठीक है, भैया."
"पर यहाँ तो बहुत गर्मी है, चल ऊपर वाले कमरे में चल के
खेलते हैं" हमारा घर दो मंज़िला है. मैं और सलोनी फर्स्ट फ्लोर
वाले रूम में चले गये. यह कमरा प्रायः बंद ही रह'ता था और
इसमें किसी के आने का भी डर नहीं था.
"भैया मम्मी ने अगर हमें आवाज़ लगाई तो सुनाई नहीं देगी
यहाँ पर"
"मम्मी तो अभी कम से कम 2 घंटे सोती रहेगी और मुनिया तो पूरे दिन
सोती ही रहती है"
"पर हम 'घर घर' में आज खेलेंगे क्या?"
"उम्म. . मैं डॉक्टर बन'ता हूँ और तुम पेशेंट बन जाओ. तुम मेरे
पास दिखाने आओगी" खेल शुरू हो जाता है.
"हेलो डॉक्टर साब, मेरा नाम रसीली है"
"हेलो. यस. . रसीली जी. . क्या प्राब्लम है आपको"
"डॉक्टर साब मेरे पेट में अक्सर दर्द रहता है"
"आप सामने बेंच पर लेट जाईए" सलोनी जाकर बेड पर लेट गयी.
सलोनी ने उस दिन ग्रीन कलर का सलवार- कमीज़ पहना हुआ था. फिर
मैं भी बेड की साइड पर जाकर बैठ गया.
"यस. रसीली जी. पेट में किस जगह दर्द होता है आपको" सलोनी ने
अपनी नाभि पर हाथ रख कर बताया,
"डॉक्टर. . इस जगह होता है दर्द"
"आप ज़रा अपनी कमीज़ थोड़ी ऊपर करेंगी?" तो सलोनी ने पूचछा,
"असली में भैया"
"हां! खेल का तो तभी मज़ा आएगा." सलोनी ने अपनी कमीज़ ऊपर
कर दी. फिर मैने सलोनी के पेट पर हाथ मारना शुरू किया.
सलोनी थोड़ा सा शर्मा रही थी.
"क्या दर्द हमेशा यहीं होता है?"
"जी डॉक्टर साहब."
"अब मैं आपके पेट को दबाऊंगा , जहाँ दर्द हो वहाँ बताना" मैं
सलोनी के पेट को अपने हाथों से दबा-ने लगा. इस पर मेरा लॉडा
खड़ा होने लगा. सलोनी की छाती ऊपर नीचे हो रही थी.
मेरी नज़र सलोनी की चूचियों पर पड़ने लगी. सलोनी की स्किन बहुत
कोमल और चिक'नी थी. सलोनी को भी मेरा दबाना अच्च्छा लग रहा
था. मैं कुच्छ देर तक तो पेट को दबाता रहा लेकिन अब मैं सलोनी का
एक एक अंग दबा-ना चाह रहा था.
"यह दर्द कब कब होता है आपको"
"रोज़ सुबेह उठ'ते ही. . और कभी कभी तो छाती में भी होता
है."
"छाती में. . . छाती में किस जगह?"
"बिल्कुल बीच में
"देखना पड़ेगा. कमीज़ थोड़ा और ऊपर कीजीए" सलोनी को मज़ा आ
रहा था और वो इस खेल को और खेलना चाह-ती थी. मेरा तो लॉडा
बेकाबू सा होता जा रहा था. सलोनी को मज़ा तो आ रहा था पर वो
शर्मा भी रही थी. जब मैने सलोनी की कमीज़ और ऊपर उठानी
चाही तो वह बोली,
"भैया कमीज़ और ऊपर मत करो,"
"देखिए रसीली जी इस छाती के दर्द वाली बात को आप
गंभीर'ता से लीजिए. मुझे पूरा चेक अप कर'ना पड़ेगा. और मैने
सलोनी की कमीज़ ऊपर कर'ने की कोशीष की.
"डॉक्टर साब. . कमीज़ ऊपर मत कीजीए, मैं आज कुच्छ पह'नी
नहीं "
"क्या नहीं पह'नी"
"मेरा मत'लब आज मैने नीचे ब्रा न्हीं पहन रखी."
"पर क्यों नहीं पह'नी."
"मुझे इन गर्मी के दिनों में अंडर गारमेंट्स नहीं सुहाते. आप
कमीज़ और ऊपर मत कीजीए, कमीज़ के अंदर हाथ डाल के देख
लीजीए"
"ठीक है" मैने सलोनी की कमीज़ में हाथ डाला और पूचछा.
"कहाँ दर्द होता है"
" इन दोनो के बीच में"
"क्या. तुम्हारा मत'लब इन दोनो चूची के बीच में?" मैने सलोनी
की एक चूची दबाते हुए जान बूझ के चूची शब्द इस्तेमाल
किया.
"हाँ" सलोनी शर'माते हुए बोली. मैं सलोनी की चुचियो के बीच के
पार्ट को दबाने लगा और मुझे चिड़िया दाना चुग'ती नज़र आई.
"बस बीच में ही दर्द होता है क्या?"
"नहीं डॉक्टर कभी कभी तो पूरी छाती में भी होता है"
सलोनी के इतने कहने की देर थी कि मैने अपने दोनो हाथ उसकी चुचियो
पर रख दिए. फिर मैने पूचछा.
"क्या कभी कभी तुम्हारी इन दोनों चूची में भी दर्द होता है?"
"दर्द तो नहीं डॉक्टर साब. लेकिन भारीपन फील होता है. ब्रेस्ट
कुच्छ भारी -भारी से रहते हैं"
"देखीए, मैं सही इलाज तभी कर सकता हूँ जब आप मुझे अपनी
पूरी छाती का एग्ज़ॅमिनेशन करने दे, और इसके लिए आपको अपनी
कमीज़ उतारनी होगी" सलोनी को इस खेल में मज़ा तो आ रहा था लेकिन
वो डर भी रही थी.
"भैया, देख के आओ के मम्मी और मुनिया सो रहे है या नहीं."
"मैं अभी देख के आता हूँ" मैं नीचे मम्मी और मुनिया को देखने
गया, दोनो ही सो रहे थे और लाइट भी आ गयी थी, सो गर्मी से
दोनो के जागने का कोई डर नहीं था.
"मैं देख के आ गया, दोनो सो रहे हैं, और लाइट भी आ गयी है,
मैं कूलर ऑन कर देता हूँ"
"नहीं भैया कूलर की ज़रूरत नहीं, बहुत शोर करेगा. आप पंखा
तो चलाओ ना."
" हां तो अब शुरू करें खेलना?" मैने पंखे का स्विच दबाकर
पूछा.
"हां"
"हां, तो मैं कह रहा था आपको अपनी कमीज़ तो उतार-नी ही पड़ेगी
रसीली जी"
"ठीक है डॉक्टर साब अगर इसके बिना एग्ज़ॅमिनेशन संभव नहीं तो
उतार देती हूँ" सलोनी ने अपनी कमीज़ उतार दी. उसने कमीज़ के
अंदर कुच्छ भी नहीं पह-ना था. यह कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग
हिन्दी सेक्सी कहानियाँ में पढ़ रहे हैं. अब वो मेरे सामने सर से लेकर वेस्ट
तक बिल्कुल नंगी थी. सलोनी की चूचियाँ अच्छी ख़ासी उभर
आई थी. दो मोसांबी जैसी और उनके ऊपर दोनों गुलाबी निपल
खिले हुए थे.
"तो आपको छाती में भारीपन महसूस होता है" मैने दोनों
चूचियों पर हल'के से हाथ रख'ते हुए पूचछा.
"जी डॉक्टर. अब आप मेरी छाती दबा कर एग्ज़ॅमिनेशन कीजिए ना"
मैने सलोनी की दोनो चुचियो को पकड़ा और दबाना शुरू किया. उसके
मूँ'ह से आअहह निकल गयी. वो बोली.
"डॉक्टर. . आपके दबा-ने से ब्रेस्ट को काफ़ी आराम मिल रहा है. .
आ?"
"आपकी चूची का भारीपन मैं अभी ख़तम कर सकता हूँ"
"कैसे?"
"आपकी चूची को चूस के."
"क्या. . इस-से भारीपन ख़तम हो जाएगा. आप ठीक तो कह रहे
हैं ना?"
"हां, इनका भारीपन मिटाने का यही सही इलाज है."
"तो फिर चूस लीजीए. मैं ठीक होने के लिए कुच्छ भी कर सकती
हूँ. कुच्छ भी. आज'कल इनके भारीपन से मैं बहुत परेशान
रह'ने लग गयी हूँ. फिर आप तो डॉक्टर है, आप तो सब जान'ते
हैं कि सही क्या है और ग़लत क्या है." मैं सलोनी का लेफ्ट निपल
अपने मूँ'ह मे लेकर चूसने लगा.
"आह. डॉक्टर. . ओह.... कितना आराम मिल रहा है. आप ठीक कह रहे
थे डॉक्टर. दूसरी चूची में भी भारीपन है. . उसे भी
चूसीए ना" मैं एक हाथ से सलोनी का लेफ्ट बूब दबा रहा था और
राइट बूब मेरे मन'ह में था.
"ऊसस उऊहह. डॉक्टर साब. आप तो मेरा दूध पी रहे हैं जैसे
मुनिया मम्मी का पीती है."
"दूध की वजह से ही भारीपन है. दूध ख़तम तो भारीपन भी
ख़तम" फिर मैं 10 मिनिट तक उसके मम्मो को चूस'ता रहा और वो
मज़े में आहें भरती रही. अब वो पूरी मस्ती में थी. मैं उसके
मम्मो को चूस'ता रहा और उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया .
मैने मम्मो से मूँ'ह हटा के उसके लिप्स पर रखा तो उसने अपनी जीभ
मेरे मूँ'ह में डाल दी और हम एक दूसरे की जीभ चाट-ने लगे .
फिर मैं बोला.
"बस मैं आपको एक इंजेक्षन भी लगा देता हू. उस-से आपको पूरा
आराम मिल जाएगा"
"डॉक्टर साहब. इंजेक्षन भी लग'वाना पड़ेगा? पर कहाँ लगाएँगे.
कहीं आप मेरे पीछे तो नहीं लगाएँगे?"
"बिल'कुल ठीक सम'झा आप'ने रसीली जी. अब आप ज़रा अपनी सलवार
नीचे कर दीजीये और पेट के बल लेट जाइए." सलोनी ने बिना
कुच्छ कहे अपनी सलवार नीचे कर ली और पेट के बल लेट गयी.
मैने उसकी पॅंटी के उपर से कुच्छ देर उस'के फूले फूले चुत्तऱ
सह'लाए. फिर बोला,
"हां अब इस पॅंटी को भी नीचे सर'का दीजिए. मुझे ठीक से दबा
के देख'ना होगा की इंजेक्षन कहाँ लगाना है जिस'से आप'को बिल'कुल
दर्द न हो.
डॉक्टर साहब मुझे शरम आती है, आप खुद ही सर'का लीजिए.
मैने सलोनी की पॅंटी उस'के घुट'ने तक नीचे सर'का दी. वह पेट
के बल लेटी हुई थी. वह मेरी छोटी बहन के क्या फूले फूले
और बिल'कुल गोरे चुत्तऱ थे. उनके बीच में गान्ड का भूरे रंग का
गोल छेद कुच्छ उभ'रा हुवा था. मैं हल'के हल'के उस'के चुत्तऱ
सह'लाने लगा. फिर एक चुत्तऱ को मुत्ठी में भींच दबाने लगा.
सलोनी ओह ... ओह ... कर रही थी.
क्रमशः................
KHEL KHEL MEIN paart--1
Aaj mai aap'ko ap'ne ghar kee kahaanee bataane jaa raha hoon. Mere
ghar men papa, mummy, chhoTee bahan Saloni (15 saal) , Munia (1 saal)
aur main; ye paanch log rah'te hain . Meree umar 18 saal kee ho gayee
hai aur college men B. Sc. Final year men hoon. ChhoTee bahan Saloni
10th men hai. college men doston ke saath laR'kiyon se chheR chhaaR
kar'na aur laR'kiyon kee baten kar'ne men main kisee se kam naheen
tha. Hamari summer vacations chal rahee thee. Papa to subeh hi kaam
par chale jaate aur shaam ko ghar aate the aur mummy saara din kaam
men busy rahti thi. Ek din dopahar ke waqt khaana kha ke mai aur
Saloni T. V. Dekh rahe the. Mummy aur Munia so rahe the. Itne men
hi light chalee gayee. Ab mai aur Saloni bore ho rahe the.
"Bhaiya, light to chalee gayee, ab kya karen?"
"Kuchh khelte hain"
"Kya kheloge?"
"Ludo"
"Mera dil nahin kar raha"
"Phir chalo Saanp sidhi hee khel lete hain, itne men kaheen light aa
jaay."
"Naheen bhaiya ye sab khel mujhe bahut bore lag'te hain."
"Achchha Saloni aaj ham vo bach'pan vaala khel "Ghar ghar" khelte
hain, jismen tum kuchh banogee aur main bhee kuchh banoonga.
"Umm. . . Theek hai, bhaiya."
"Par yahan to bahut garmi hai, chal oopar waale kamre men chal ke
khelte hain" hamara ghar do manjila hai. Mai aur Saloni first floor
waale room men chale gaye. Yah kamra praayah band hee rah'ta tha aur
ismen kisee ke aane ka bhee Dar naheen tha.
"Bhaiya mummy ne agar hamein aawaaz lagaayee to sunaayee nahin degi
yahan par"
"Mummy to abhi kam se kam 2 ghante soti rahegi aur Munia to poore din
soti hee rahti hai"
"Par hum 'ghar ghar' men aaj khelenge kya?"
"Umm. . Mai doctor ban'ta hoon aur tum patient ban jaao. Tum mere
pass dikhaane aaogee" Khel shuru ho jaata hai.
"Hello doctor saab, mera naam Rasili hai"
"Hello. Yes. . Rasili ji. . Kya problem hai aapko"
"Doctor saab mere pet men aksar dard rahta hai"
"Aap saamne bench par let jaaeeye" Saloni jaakar bed par let gayee.
Saloni ne us din green color ka salwar- kameez pehna hua tha. Phir
mai bhi bed ki side par jaakar baith gaya.
"Yes. Rasili ji. Pet men kis jagah dard hota hai aapko" Saloni ne
apni naabhi par haath rakh kar bataaya,
"Doctor. . iss jagah hota hai dard"
"Aap zara apni kameez thodi oopar karengi?" to Saloni ne poochha,
"Asli men bhaiya"
"Haan! khel ka to tabhee maja aayega." Saloni ne apni kameez oopar
kar di. Phir maine Saloni ke pet par haath maarna shuru kiya.
Saloni thoda sa sharma rahi thi.
"Kya dard hamesha yahin hota hai?"
"Ji doctor saahab."
"Ab mai aapke pet ko dabaoonga , jahan dard ho wahan bataana" mai
Saloni ke pet ko apne haathon se dabaa-ne lagaa. is par mera lauda
khada hone lagaa. Saloni kee chhaatee oopar neeche ho rahee thee.
Meri nazar Saloni ki choochiyon par padne lagi. Saloni ki skin bahut
komal aur chik'nee thee. Saloni ko bhi mera dabaana achchha lag raha
tha. Mai kuchh der tak to pet ko dabaata raha lekin ab mai Saloni ka
ek ek ang dabaa-na chaah raha tha.
"Yeh dard kab kab hota hai aapko"
"Roz subeh uth'te hi. . Aur kabhi kabhi to chhaatee men bhi hota
hai."
"Chhaatee men. . . Chhaatee men kis jagah?"
"Bilkul beech men
"Dekhna padega. Kameez thoda aur oopar keejeeye" Saloni ko mazaa aa
raha tha aur vo iss khel ko aur khelna chaah-ti thi. Mera to lauda
bekaabu sa hota jaa raha tha. Saloni ko mazaa to aa raha tha par vo
sharma bhee rahi thi. Jab maine Saloni kee kameej aur oopar uThaanee
chaahee to vah boli,
"Bhaiya kameez aur oopar mat karo,"
"Dekhiye Rasili jee is chhaatee ke dard vaalee baat ko aap
gambheer'ta se lijiye. Mujhe poora check up kar'na paRega. Aur maine
Saloni kee kameej oopar kar'ne kee kosheesh kee.
"Doctor saab. . Kameez oopar mat keejeeye, main aaj kuchh pah'nee
nahin "
"Kya nahin pah'nee"
"Mera mat'lab aaj maine neeche Bra nheen pahan rakhee."
"Par kyon nahin pah'nee."
"Mujhe in garmee ke dinon men under garments naheen suhaate. Aap
kameez aur oopar mat keejeeye, kameez ke andar haath daal ke dekh
leejeeye"
"Theek hai" maine Saloni ki kameez men haath daala aur poochha.
"Kahan dard hota hai"
" In dono ke beech men"
"Kya. Tumhaara mat'lab in dono choochee ke beech men?" Maine saloni
kee ek choochee dabaate huye jaan boojh ke choochee shabd istemaal
kiya.
"Haan" Saloni shar'maate huye boli. Main Saloni ke mummon ke beech ke
part ko dabaane lagaa aur mujhe chiRiya daana chug'tee nazar aayee.
"Bas beech men hi dard hota hai kya?"
"Nahin doctor kabhi kabhi to pooree chhaatee men bhee hota hai"
Saloni ke itne kehne ki der thi ki maine apne dono haath uske mummon
par rakh diye. Phir maine poochha.
"Kya kabhi kabhi tumhaaree in donon choochee men bhi dard hota hai?"
"Dard to nahin doctor saab. Lekin bhaaripan feel hota hai. Breast
kuchh bhaari -bhaari se rahte hain"
"Dekheeye, mai sahi ilaaj tabhi kar sakta hoon jab aap mujhe apni
poori chhaatee ka examination karne de, aur iske liye aapko apni
kameez utaarni hogi" Saloni ko is khel men mazaa to aa raha tha lekin
vo Dar bhi rahi thi.
"Bhaiya, dekh ke aao ke mummy aur Munia so rahe hai ya naheen."
"Mai abhi dekh ke aata hoon" mai neeche mummy aur Munia ko dekhne
gaya, dono hi so rahe the aur light bhi aa gayee thi, so garmi se
dono ke jaagne ka koi Dar nahin tha.
"Mai dekh ke aa gaya, dono so rahe hain, aur light bhi aa gayee hai,
mai cooler on kar deta hoon"
"Nahin bhaiya cooler Ki zaroorat nahin, bahut shor karega. aap pankha
to chalaao na."
" Haan to ab shuru karen khelna?" Maine pankhe ka switch dekar
poochha.
"Haan"
"Haan, to main kah raha tha aapko apni kameez to utaar-ni hi padegi
Rasili ji"
"Theek hai doctor saab agar iske bina examination sambhav nahin to
utaar deti hoon" Saloni ne apni kameez utaar di. Usne kameez ke
andar kuchh bhi nahin peh-na tha. Yah kahaanee aap yahoo groups;
deshiromance men paDh rahe hain. Ab vo mere saamne sar se lekar waist
tak bilkul nangi thi. Saloni kee choochiyan achchhee khaasee ubhar
aayee thee. Do mosambee jaisee aur unke oopar donon gulaabee nipple
khile huye the.
"To aapko chhaatee men bhaaripan mehsoos hota hai" Maine donon
choochiyon par hal'ke se haath rakh'te huye poochha.
"Ji doctor. Ab aap meri chhaatee daba kar examination kee-jee- ye na"
maine Saloni ke dono mummon ko pakda aur dabaana shuru kiya. Uske
mun'h se aaahhh nikal gayee. Vo boli.
"Doctor. . Aapke dabaa-ne se breast ko kaafee aaraam mil raha hai. .
Ahh?"
"Aapkee choochee ka bhaaripan mai abhi khatam kar sakta hoon"
"Kaise?"
"Aapki choochee ko choos ke."
"Kya. . iss-se bhaaripan khatam ho jaayega. Aap Theek to kah rahe
hain na?"
"Haan, inka bhaaripan miTaane ka yahee sahee ilaaj hai."
"To phir choos leejeeye. Mai theek hone ke liye kuchh bhi kar sakti
hoon. Kuchh bhi. Aaj'kal inke bhaaripan se main bahut pareshaan
rah'ne lag gayee hoon. Phir aap to doctor hai, aap to sab jaan'te
hain ki sahee kya hai aur galat kya hai." Main Saloni ka left nipple
apne mun'h mai lekar choosne lagaa.
"Ahhh. Doctor. . Oh.... Kitna aaraam mil raha hai. Aap Theek kah rahe
the doctor. Doosree choochee men bhi bhaaripan hai. . Usse bhi
chooseeye na" Mai ek haath se Saloni ka left boob dabaa raha tha aur
right boob mere mun'h men tha.
"Ooss uuhhhh. Doctor saab. Aap to mera doodh pee rahe hain jaise
Munia mummy ka peetee hai."
"Doodh ki vajah se hi bhaaripan hai. Doodh khatam to bhaaripan bhee
khatam" Phir mai 10 minute tak uske mummon ko choos'ta raha aur vo
maze men aahen bharti rahi. Ab vo poori masti men thi. Mai uske
mummon ko choos'ta raha aur usne mujhe apni baahon men kas liya .
Maine mummon se mun'h hata ke uske lips par rakha toh usne apni jeebh
mere mun'h men daal di aur hum ek doosre ki jeebh chaat-ne lagge .
Phir mai bola.
"Bas mai aapko ek injection bhi lagaa deta hoo. Us-se aapko poora
aaraam mil jaayega"
"Doctorsaab. injection bhee lag'vaana paRega? Par kahan lagaayenge.
Kaheen aap mere peechhe to naheen lagaayenge?"
"Bil'kul Theek sam'jha aap'ne Rasili jee. Ab aap zara apni salwaar
neeche kar deejeeye aur peT ke bal leT jaaiye." Saloni ne bina
kuchh kahe apni salwaar neeche kar lee aur pet ke bal leT gayee.
Maine uski panty ke upar se kuchh der us'ke phoole phole chuttaR
sah'laaye. Phir bola,
"Haan ab is panty ko bhee neeche sar'ka deejiye. Mujhe Theek se daba
ke dekh'na hoga ki injection kahan lagaana hai jis'se aap'ko bil'kul
dard n ho.
Doctor saahab mujhe sharam aatee hai, aap khud hee sar'ka lijiye.
Maine Saloni kee panty us'ke ghuT'ne tak neeche sar'ka dee. Vah paT
ke bal leTee huyee thee. Vah meree chhoTee bahan ke kya phoole phoole
aur bil'kul gore chuttaR the. Unke beech men gaanD ka bhoore rang ka
gol chhed kuchh ubh'ra huwa tha. Main hal'ke hal'ke us'ke chuttaR
sah'laane laga. Phir ek chuttaR ko mutThee men bheench dabaane laga.
Saloni oh ... oh ... kar rahee thee.
kramashah................
आज मैं आप'को अप'ने घर की कहानी बताने जा रहा हूँ. मेरे
घर में पापा, मम्मी, छोटी बहन सलोनी (15 साल) , मुनिया (1 साल)
और मैं; ये पाँच लोग रह'ते हैं . मेरी उमर 18 साल की हो गयी
है और कॉलेज में बी. एस सी. फाइनल एअर में हूँ. छ्होटी बहन सलोनी
10थ में है. कॉलेज में दोस्तों के साथ लड़'कियों से छेड़ छाड़
कर'ना और लऱ'कियों की बातें कर'ने में मैं किसी से कम नहीं
था. हमारी सम्मर वाकेशन्स चल रही थी. पापा तो सुबेह ही काम
पर चले जाते और शाम को घर आते थे और मम्मी सारा दिन काम
में बिज़ी रहती थी. एक दिन दोपहर के वक़्त खाना खा के मैं और
सलोनी टी. वी. देख रहे थे. मम्मी और मुनिया सो रहे थे. इतने में
ही लाइट चली गयी. अब मैं और सलोनी बोर हो रहे थे.
"भैया, लाइट तो चली गयी, अब क्या करें?"
"कुच्छ खेलते हैं"
"क्या खेलोगे?"
"लुडो"
"मेरा दिल नहीं कर रहा"
"फिर चलो साँप सीढ़ी ही खेल लेते हैं, इतने में कहीं लाइट आ
जाय."
"नहीं भैया ये सब खेल मुझे बहुत बोर लग'ते हैं."
"अच्च्छा सलोनी आज हम वो बच'पन वाला खेल "घर घर" खेलते
हैं, जिसमें तुम कुच्छ बनोगी और मैं भी कुच्छ बनूंगा.
"उम्म. . . ठीक है, भैया."
"पर यहाँ तो बहुत गर्मी है, चल ऊपर वाले कमरे में चल के
खेलते हैं" हमारा घर दो मंज़िला है. मैं और सलोनी फर्स्ट फ्लोर
वाले रूम में चले गये. यह कमरा प्रायः बंद ही रह'ता था और
इसमें किसी के आने का भी डर नहीं था.
"भैया मम्मी ने अगर हमें आवाज़ लगाई तो सुनाई नहीं देगी
यहाँ पर"
"मम्मी तो अभी कम से कम 2 घंटे सोती रहेगी और मुनिया तो पूरे दिन
सोती ही रहती है"
"पर हम 'घर घर' में आज खेलेंगे क्या?"
"उम्म. . मैं डॉक्टर बन'ता हूँ और तुम पेशेंट बन जाओ. तुम मेरे
पास दिखाने आओगी" खेल शुरू हो जाता है.
"हेलो डॉक्टर साब, मेरा नाम रसीली है"
"हेलो. यस. . रसीली जी. . क्या प्राब्लम है आपको"
"डॉक्टर साब मेरे पेट में अक्सर दर्द रहता है"
"आप सामने बेंच पर लेट जाईए" सलोनी जाकर बेड पर लेट गयी.
सलोनी ने उस दिन ग्रीन कलर का सलवार- कमीज़ पहना हुआ था. फिर
मैं भी बेड की साइड पर जाकर बैठ गया.
"यस. रसीली जी. पेट में किस जगह दर्द होता है आपको" सलोनी ने
अपनी नाभि पर हाथ रख कर बताया,
"डॉक्टर. . इस जगह होता है दर्द"
"आप ज़रा अपनी कमीज़ थोड़ी ऊपर करेंगी?" तो सलोनी ने पूचछा,
"असली में भैया"
"हां! खेल का तो तभी मज़ा आएगा." सलोनी ने अपनी कमीज़ ऊपर
कर दी. फिर मैने सलोनी के पेट पर हाथ मारना शुरू किया.
सलोनी थोड़ा सा शर्मा रही थी.
"क्या दर्द हमेशा यहीं होता है?"
"जी डॉक्टर साहब."
"अब मैं आपके पेट को दबाऊंगा , जहाँ दर्द हो वहाँ बताना" मैं
सलोनी के पेट को अपने हाथों से दबा-ने लगा. इस पर मेरा लॉडा
खड़ा होने लगा. सलोनी की छाती ऊपर नीचे हो रही थी.
मेरी नज़र सलोनी की चूचियों पर पड़ने लगी. सलोनी की स्किन बहुत
कोमल और चिक'नी थी. सलोनी को भी मेरा दबाना अच्च्छा लग रहा
था. मैं कुच्छ देर तक तो पेट को दबाता रहा लेकिन अब मैं सलोनी का
एक एक अंग दबा-ना चाह रहा था.
"यह दर्द कब कब होता है आपको"
"रोज़ सुबेह उठ'ते ही. . और कभी कभी तो छाती में भी होता
है."
"छाती में. . . छाती में किस जगह?"
"बिल्कुल बीच में
"देखना पड़ेगा. कमीज़ थोड़ा और ऊपर कीजीए" सलोनी को मज़ा आ
रहा था और वो इस खेल को और खेलना चाह-ती थी. मेरा तो लॉडा
बेकाबू सा होता जा रहा था. सलोनी को मज़ा तो आ रहा था पर वो
शर्मा भी रही थी. जब मैने सलोनी की कमीज़ और ऊपर उठानी
चाही तो वह बोली,
"भैया कमीज़ और ऊपर मत करो,"
"देखिए रसीली जी इस छाती के दर्द वाली बात को आप
गंभीर'ता से लीजिए. मुझे पूरा चेक अप कर'ना पड़ेगा. और मैने
सलोनी की कमीज़ ऊपर कर'ने की कोशीष की.
"डॉक्टर साब. . कमीज़ ऊपर मत कीजीए, मैं आज कुच्छ पह'नी
नहीं "
"क्या नहीं पह'नी"
"मेरा मत'लब आज मैने नीचे ब्रा न्हीं पहन रखी."
"पर क्यों नहीं पह'नी."
"मुझे इन गर्मी के दिनों में अंडर गारमेंट्स नहीं सुहाते. आप
कमीज़ और ऊपर मत कीजीए, कमीज़ के अंदर हाथ डाल के देख
लीजीए"
"ठीक है" मैने सलोनी की कमीज़ में हाथ डाला और पूचछा.
"कहाँ दर्द होता है"
" इन दोनो के बीच में"
"क्या. तुम्हारा मत'लब इन दोनो चूची के बीच में?" मैने सलोनी
की एक चूची दबाते हुए जान बूझ के चूची शब्द इस्तेमाल
किया.
"हाँ" सलोनी शर'माते हुए बोली. मैं सलोनी की चुचियो के बीच के
पार्ट को दबाने लगा और मुझे चिड़िया दाना चुग'ती नज़र आई.
"बस बीच में ही दर्द होता है क्या?"
"नहीं डॉक्टर कभी कभी तो पूरी छाती में भी होता है"
सलोनी के इतने कहने की देर थी कि मैने अपने दोनो हाथ उसकी चुचियो
पर रख दिए. फिर मैने पूचछा.
"क्या कभी कभी तुम्हारी इन दोनों चूची में भी दर्द होता है?"
"दर्द तो नहीं डॉक्टर साब. लेकिन भारीपन फील होता है. ब्रेस्ट
कुच्छ भारी -भारी से रहते हैं"
"देखीए, मैं सही इलाज तभी कर सकता हूँ जब आप मुझे अपनी
पूरी छाती का एग्ज़ॅमिनेशन करने दे, और इसके लिए आपको अपनी
कमीज़ उतारनी होगी" सलोनी को इस खेल में मज़ा तो आ रहा था लेकिन
वो डर भी रही थी.
"भैया, देख के आओ के मम्मी और मुनिया सो रहे है या नहीं."
"मैं अभी देख के आता हूँ" मैं नीचे मम्मी और मुनिया को देखने
गया, दोनो ही सो रहे थे और लाइट भी आ गयी थी, सो गर्मी से
दोनो के जागने का कोई डर नहीं था.
"मैं देख के आ गया, दोनो सो रहे हैं, और लाइट भी आ गयी है,
मैं कूलर ऑन कर देता हूँ"
"नहीं भैया कूलर की ज़रूरत नहीं, बहुत शोर करेगा. आप पंखा
तो चलाओ ना."
" हां तो अब शुरू करें खेलना?" मैने पंखे का स्विच दबाकर
पूछा.
"हां"
"हां, तो मैं कह रहा था आपको अपनी कमीज़ तो उतार-नी ही पड़ेगी
रसीली जी"
"ठीक है डॉक्टर साब अगर इसके बिना एग्ज़ॅमिनेशन संभव नहीं तो
उतार देती हूँ" सलोनी ने अपनी कमीज़ उतार दी. उसने कमीज़ के
अंदर कुच्छ भी नहीं पह-ना था. यह कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग
हिन्दी सेक्सी कहानियाँ में पढ़ रहे हैं. अब वो मेरे सामने सर से लेकर वेस्ट
तक बिल्कुल नंगी थी. सलोनी की चूचियाँ अच्छी ख़ासी उभर
आई थी. दो मोसांबी जैसी और उनके ऊपर दोनों गुलाबी निपल
खिले हुए थे.
"तो आपको छाती में भारीपन महसूस होता है" मैने दोनों
चूचियों पर हल'के से हाथ रख'ते हुए पूचछा.
"जी डॉक्टर. अब आप मेरी छाती दबा कर एग्ज़ॅमिनेशन कीजिए ना"
मैने सलोनी की दोनो चुचियो को पकड़ा और दबाना शुरू किया. उसके
मूँ'ह से आअहह निकल गयी. वो बोली.
"डॉक्टर. . आपके दबा-ने से ब्रेस्ट को काफ़ी आराम मिल रहा है. .
आ?"
"आपकी चूची का भारीपन मैं अभी ख़तम कर सकता हूँ"
"कैसे?"
"आपकी चूची को चूस के."
"क्या. . इस-से भारीपन ख़तम हो जाएगा. आप ठीक तो कह रहे
हैं ना?"
"हां, इनका भारीपन मिटाने का यही सही इलाज है."
"तो फिर चूस लीजीए. मैं ठीक होने के लिए कुच्छ भी कर सकती
हूँ. कुच्छ भी. आज'कल इनके भारीपन से मैं बहुत परेशान
रह'ने लग गयी हूँ. फिर आप तो डॉक्टर है, आप तो सब जान'ते
हैं कि सही क्या है और ग़लत क्या है." मैं सलोनी का लेफ्ट निपल
अपने मूँ'ह मे लेकर चूसने लगा.
"आह. डॉक्टर. . ओह.... कितना आराम मिल रहा है. आप ठीक कह रहे
थे डॉक्टर. दूसरी चूची में भी भारीपन है. . उसे भी
चूसीए ना" मैं एक हाथ से सलोनी का लेफ्ट बूब दबा रहा था और
राइट बूब मेरे मन'ह में था.
"ऊसस उऊहह. डॉक्टर साब. आप तो मेरा दूध पी रहे हैं जैसे
मुनिया मम्मी का पीती है."
"दूध की वजह से ही भारीपन है. दूध ख़तम तो भारीपन भी
ख़तम" फिर मैं 10 मिनिट तक उसके मम्मो को चूस'ता रहा और वो
मज़े में आहें भरती रही. अब वो पूरी मस्ती में थी. मैं उसके
मम्मो को चूस'ता रहा और उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया .
मैने मम्मो से मूँ'ह हटा के उसके लिप्स पर रखा तो उसने अपनी जीभ
मेरे मूँ'ह में डाल दी और हम एक दूसरे की जीभ चाट-ने लगे .
फिर मैं बोला.
"बस मैं आपको एक इंजेक्षन भी लगा देता हू. उस-से आपको पूरा
आराम मिल जाएगा"
"डॉक्टर साहब. इंजेक्षन भी लग'वाना पड़ेगा? पर कहाँ लगाएँगे.
कहीं आप मेरे पीछे तो नहीं लगाएँगे?"
"बिल'कुल ठीक सम'झा आप'ने रसीली जी. अब आप ज़रा अपनी सलवार
नीचे कर दीजीये और पेट के बल लेट जाइए." सलोनी ने बिना
कुच्छ कहे अपनी सलवार नीचे कर ली और पेट के बल लेट गयी.
मैने उसकी पॅंटी के उपर से कुच्छ देर उस'के फूले फूले चुत्तऱ
सह'लाए. फिर बोला,
"हां अब इस पॅंटी को भी नीचे सर'का दीजिए. मुझे ठीक से दबा
के देख'ना होगा की इंजेक्षन कहाँ लगाना है जिस'से आप'को बिल'कुल
दर्द न हो.
डॉक्टर साहब मुझे शरम आती है, आप खुद ही सर'का लीजिए.
मैने सलोनी की पॅंटी उस'के घुट'ने तक नीचे सर'का दी. वह पेट
के बल लेटी हुई थी. वह मेरी छोटी बहन के क्या फूले फूले
और बिल'कुल गोरे चुत्तऱ थे. उनके बीच में गान्ड का भूरे रंग का
गोल छेद कुच्छ उभ'रा हुवा था. मैं हल'के हल'के उस'के चुत्तऱ
सह'लाने लगा. फिर एक चुत्तऱ को मुत्ठी में भींच दबाने लगा.
सलोनी ओह ... ओह ... कर रही थी.
क्रमशः................
KHEL KHEL MEIN paart--1
Aaj mai aap'ko ap'ne ghar kee kahaanee bataane jaa raha hoon. Mere
ghar men papa, mummy, chhoTee bahan Saloni (15 saal) , Munia (1 saal)
aur main; ye paanch log rah'te hain . Meree umar 18 saal kee ho gayee
hai aur college men B. Sc. Final year men hoon. ChhoTee bahan Saloni
10th men hai. college men doston ke saath laR'kiyon se chheR chhaaR
kar'na aur laR'kiyon kee baten kar'ne men main kisee se kam naheen
tha. Hamari summer vacations chal rahee thee. Papa to subeh hi kaam
par chale jaate aur shaam ko ghar aate the aur mummy saara din kaam
men busy rahti thi. Ek din dopahar ke waqt khaana kha ke mai aur
Saloni T. V. Dekh rahe the. Mummy aur Munia so rahe the. Itne men
hi light chalee gayee. Ab mai aur Saloni bore ho rahe the.
"Bhaiya, light to chalee gayee, ab kya karen?"
"Kuchh khelte hain"
"Kya kheloge?"
"Ludo"
"Mera dil nahin kar raha"
"Phir chalo Saanp sidhi hee khel lete hain, itne men kaheen light aa
jaay."
"Naheen bhaiya ye sab khel mujhe bahut bore lag'te hain."
"Achchha Saloni aaj ham vo bach'pan vaala khel "Ghar ghar" khelte
hain, jismen tum kuchh banogee aur main bhee kuchh banoonga.
"Umm. . . Theek hai, bhaiya."
"Par yahan to bahut garmi hai, chal oopar waale kamre men chal ke
khelte hain" hamara ghar do manjila hai. Mai aur Saloni first floor
waale room men chale gaye. Yah kamra praayah band hee rah'ta tha aur
ismen kisee ke aane ka bhee Dar naheen tha.
"Bhaiya mummy ne agar hamein aawaaz lagaayee to sunaayee nahin degi
yahan par"
"Mummy to abhi kam se kam 2 ghante soti rahegi aur Munia to poore din
soti hee rahti hai"
"Par hum 'ghar ghar' men aaj khelenge kya?"
"Umm. . Mai doctor ban'ta hoon aur tum patient ban jaao. Tum mere
pass dikhaane aaogee" Khel shuru ho jaata hai.
"Hello doctor saab, mera naam Rasili hai"
"Hello. Yes. . Rasili ji. . Kya problem hai aapko"
"Doctor saab mere pet men aksar dard rahta hai"
"Aap saamne bench par let jaaeeye" Saloni jaakar bed par let gayee.
Saloni ne us din green color ka salwar- kameez pehna hua tha. Phir
mai bhi bed ki side par jaakar baith gaya.
"Yes. Rasili ji. Pet men kis jagah dard hota hai aapko" Saloni ne
apni naabhi par haath rakh kar bataaya,
"Doctor. . iss jagah hota hai dard"
"Aap zara apni kameez thodi oopar karengi?" to Saloni ne poochha,
"Asli men bhaiya"
"Haan! khel ka to tabhee maja aayega." Saloni ne apni kameez oopar
kar di. Phir maine Saloni ke pet par haath maarna shuru kiya.
Saloni thoda sa sharma rahi thi.
"Kya dard hamesha yahin hota hai?"
"Ji doctor saahab."
"Ab mai aapke pet ko dabaoonga , jahan dard ho wahan bataana" mai
Saloni ke pet ko apne haathon se dabaa-ne lagaa. is par mera lauda
khada hone lagaa. Saloni kee chhaatee oopar neeche ho rahee thee.
Meri nazar Saloni ki choochiyon par padne lagi. Saloni ki skin bahut
komal aur chik'nee thee. Saloni ko bhi mera dabaana achchha lag raha
tha. Mai kuchh der tak to pet ko dabaata raha lekin ab mai Saloni ka
ek ek ang dabaa-na chaah raha tha.
"Yeh dard kab kab hota hai aapko"
"Roz subeh uth'te hi. . Aur kabhi kabhi to chhaatee men bhi hota
hai."
"Chhaatee men. . . Chhaatee men kis jagah?"
"Bilkul beech men
"Dekhna padega. Kameez thoda aur oopar keejeeye" Saloni ko mazaa aa
raha tha aur vo iss khel ko aur khelna chaah-ti thi. Mera to lauda
bekaabu sa hota jaa raha tha. Saloni ko mazaa to aa raha tha par vo
sharma bhee rahi thi. Jab maine Saloni kee kameej aur oopar uThaanee
chaahee to vah boli,
"Bhaiya kameez aur oopar mat karo,"
"Dekhiye Rasili jee is chhaatee ke dard vaalee baat ko aap
gambheer'ta se lijiye. Mujhe poora check up kar'na paRega. Aur maine
Saloni kee kameej oopar kar'ne kee kosheesh kee.
"Doctor saab. . Kameez oopar mat keejeeye, main aaj kuchh pah'nee
nahin "
"Kya nahin pah'nee"
"Mera mat'lab aaj maine neeche Bra nheen pahan rakhee."
"Par kyon nahin pah'nee."
"Mujhe in garmee ke dinon men under garments naheen suhaate. Aap
kameez aur oopar mat keejeeye, kameez ke andar haath daal ke dekh
leejeeye"
"Theek hai" maine Saloni ki kameez men haath daala aur poochha.
"Kahan dard hota hai"
" In dono ke beech men"
"Kya. Tumhaara mat'lab in dono choochee ke beech men?" Maine saloni
kee ek choochee dabaate huye jaan boojh ke choochee shabd istemaal
kiya.
"Haan" Saloni shar'maate huye boli. Main Saloni ke mummon ke beech ke
part ko dabaane lagaa aur mujhe chiRiya daana chug'tee nazar aayee.
"Bas beech men hi dard hota hai kya?"
"Nahin doctor kabhi kabhi to pooree chhaatee men bhee hota hai"
Saloni ke itne kehne ki der thi ki maine apne dono haath uske mummon
par rakh diye. Phir maine poochha.
"Kya kabhi kabhi tumhaaree in donon choochee men bhi dard hota hai?"
"Dard to nahin doctor saab. Lekin bhaaripan feel hota hai. Breast
kuchh bhaari -bhaari se rahte hain"
"Dekheeye, mai sahi ilaaj tabhi kar sakta hoon jab aap mujhe apni
poori chhaatee ka examination karne de, aur iske liye aapko apni
kameez utaarni hogi" Saloni ko is khel men mazaa to aa raha tha lekin
vo Dar bhi rahi thi.
"Bhaiya, dekh ke aao ke mummy aur Munia so rahe hai ya naheen."
"Mai abhi dekh ke aata hoon" mai neeche mummy aur Munia ko dekhne
gaya, dono hi so rahe the aur light bhi aa gayee thi, so garmi se
dono ke jaagne ka koi Dar nahin tha.
"Mai dekh ke aa gaya, dono so rahe hain, aur light bhi aa gayee hai,
mai cooler on kar deta hoon"
"Nahin bhaiya cooler Ki zaroorat nahin, bahut shor karega. aap pankha
to chalaao na."
" Haan to ab shuru karen khelna?" Maine pankhe ka switch dekar
poochha.
"Haan"
"Haan, to main kah raha tha aapko apni kameez to utaar-ni hi padegi
Rasili ji"
"Theek hai doctor saab agar iske bina examination sambhav nahin to
utaar deti hoon" Saloni ne apni kameez utaar di. Usne kameez ke
andar kuchh bhi nahin peh-na tha. Yah kahaanee aap yahoo groups;
deshiromance men paDh rahe hain. Ab vo mere saamne sar se lekar waist
tak bilkul nangi thi. Saloni kee choochiyan achchhee khaasee ubhar
aayee thee. Do mosambee jaisee aur unke oopar donon gulaabee nipple
khile huye the.
"To aapko chhaatee men bhaaripan mehsoos hota hai" Maine donon
choochiyon par hal'ke se haath rakh'te huye poochha.
"Ji doctor. Ab aap meri chhaatee daba kar examination kee-jee- ye na"
maine Saloni ke dono mummon ko pakda aur dabaana shuru kiya. Uske
mun'h se aaahhh nikal gayee. Vo boli.
"Doctor. . Aapke dabaa-ne se breast ko kaafee aaraam mil raha hai. .
Ahh?"
"Aapkee choochee ka bhaaripan mai abhi khatam kar sakta hoon"
"Kaise?"
"Aapki choochee ko choos ke."
"Kya. . iss-se bhaaripan khatam ho jaayega. Aap Theek to kah rahe
hain na?"
"Haan, inka bhaaripan miTaane ka yahee sahee ilaaj hai."
"To phir choos leejeeye. Mai theek hone ke liye kuchh bhi kar sakti
hoon. Kuchh bhi. Aaj'kal inke bhaaripan se main bahut pareshaan
rah'ne lag gayee hoon. Phir aap to doctor hai, aap to sab jaan'te
hain ki sahee kya hai aur galat kya hai." Main Saloni ka left nipple
apne mun'h mai lekar choosne lagaa.
"Ahhh. Doctor. . Oh.... Kitna aaraam mil raha hai. Aap Theek kah rahe
the doctor. Doosree choochee men bhi bhaaripan hai. . Usse bhi
chooseeye na" Mai ek haath se Saloni ka left boob dabaa raha tha aur
right boob mere mun'h men tha.
"Ooss uuhhhh. Doctor saab. Aap to mera doodh pee rahe hain jaise
Munia mummy ka peetee hai."
"Doodh ki vajah se hi bhaaripan hai. Doodh khatam to bhaaripan bhee
khatam" Phir mai 10 minute tak uske mummon ko choos'ta raha aur vo
maze men aahen bharti rahi. Ab vo poori masti men thi. Mai uske
mummon ko choos'ta raha aur usne mujhe apni baahon men kas liya .
Maine mummon se mun'h hata ke uske lips par rakha toh usne apni jeebh
mere mun'h men daal di aur hum ek doosre ki jeebh chaat-ne lagge .
Phir mai bola.
"Bas mai aapko ek injection bhi lagaa deta hoo. Us-se aapko poora
aaraam mil jaayega"
"Doctorsaab. injection bhee lag'vaana paRega? Par kahan lagaayenge.
Kaheen aap mere peechhe to naheen lagaayenge?"
"Bil'kul Theek sam'jha aap'ne Rasili jee. Ab aap zara apni salwaar
neeche kar deejeeye aur peT ke bal leT jaaiye." Saloni ne bina
kuchh kahe apni salwaar neeche kar lee aur pet ke bal leT gayee.
Maine uski panty ke upar se kuchh der us'ke phoole phole chuttaR
sah'laaye. Phir bola,
"Haan ab is panty ko bhee neeche sar'ka deejiye. Mujhe Theek se daba
ke dekh'na hoga ki injection kahan lagaana hai jis'se aap'ko bil'kul
dard n ho.
Doctor saahab mujhe sharam aatee hai, aap khud hee sar'ka lijiye.
Maine Saloni kee panty us'ke ghuT'ne tak neeche sar'ka dee. Vah paT
ke bal leTee huyee thee. Vah meree chhoTee bahan ke kya phoole phoole
aur bil'kul gore chuttaR the. Unke beech men gaanD ka bhoore rang ka
gol chhed kuchh ubh'ra huwa tha. Main hal'ke hal'ke us'ke chuttaR
sah'laane laga. Phir ek chuttaR ko mutThee men bheench dabaane laga.
Saloni oh ... oh ... kar rahee thee.
kramashah................
Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories, aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories,,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,
No comments:
Post a Comment