हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मजदूर नेता पार्ट--2
गतान्क से आगे................
" आप कहिए आपको क्या चाहिए. अगर बस मे हुआ तो हम ज़रूर देंगे" कहते हुए मैने अपनी आँखें झुका ली. मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है. भोगी भाई अपनी जगह से उठा. अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आ गया. मैं आँखें सख्ती से बंद कर उसके पैरों के पद्चाप सुन रही थी. मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गयी थी जो अपना सिर झाड़ियों मे डाल कर सोचता है कि भेड़िए से वो बच जाएगा. उसने मेरे पीछे आकर सारी के आँचल को पकड़ा और उन्हे छातियो पर से हटा दिया. फिर उसके हाथ आगे आए और सख्ती से मेरी छातियो को मसल्ने लगे.
"मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक दिन के लिए" उसने मेरे कानों के पास धीरे से कहा. मैने सहमति मे अपना सिर झुकलिया.
"ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल" उसने मेरे ब्लाउस के अंदर अपने हाथ डॉल कर सख्ती से चूचियो को निचोर्ने लगा. इतने लोगों के सामने मैं शरम से गढ़ी जा रही थी. मैने सिर हिलाया
"मुँह से बोल"
"हां" मैने धीरे से बुद बुदाया.
"ज़ोर से बोल. कुच्छ सुनाई नहीं दिया. तुझे सुनाई दिया रे चापलू?" उसने एक से पूचछा.
"नहीं" जवाब आया.
"मुझे मंजूर है." मैने इस बार कुच्छ ज़ोर से कहा.
"क्यों फूलणदेवी जी, मैने कहा था ना तू खुद आएगी मेरे घर और कहेगी की प्लीज़ मुझे चोदो. कहाँ गयी तेरी अकड़? तु पूरे 24 घंटों के लिए मेरे कब्ज़े में रहेगी. मैं जैसा चाहूँगा तुझे वैसा ही करना होगा.. तुझे अगले 24 घंटे बस अपनी योनि खोल कर रंडियों की तरह चुदवाना है. उसके बाद तू और तेरा मर्द दोनो आज़ाद हो जाओगे."उसने कहा" और नहीं तो तेरा मर्द तो 20 साल के लिए अंदर होगा ही तुझे भी वेश्याव्र्त्ती के लिए अंदर करवा दूँगा. फिर तो तू वैसे ही वहाँ से पूरी वेश्या बन कर ही बाहर निकलेगी."
"मुझे मंजूर है" मैने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा. वो जाकर वापस अपनी जगह जाकर बैठ गया.
"चल शुरू हो जा. अपने सारे कपड़े उतार मुझे औरतों के बदन पर कपड़े अच्छे नहीं लगते" उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया,
अब ये कपड़े कल शाम के दस बजे के बाद ही मिलेंगे. चल इनको भी दिखा तो सही कि तुझे अपने किस हुष्ण पर इतना गुरूर है. मैने काँपते हाथों से ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया. सारे बटन्स खोलकर ब्लाउस के दोनो हिस्सों को अपनी चूचियो के उपर से हटाया तो ब्रा मे कसे हुए मेरे दोनो योवन उन भूखी आँखों के सामने आगाए. मैने ब्लाउस को अपने बदन से अलग कर दिया. चारों की आँखें चमक उठी. मैने बदन से सारी हटा दिया. फिर मैने झिझकते हुए पेटिकट की डोरी खींच दी. पेट्कोट स्रसारता हुआ पैरों पर ढेर हो गया चारों की आँखों मे वासना के सुर्ख डोरे टर रहे थे. मैं उनके सामने ब्रा और पॅंटी मे खड़ी होगयी.
"मैने कहा था सारे कपड़े उतारने को" भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा.
"प्लीज़ मुझे और जॅलील मत करो" मैने उससे मिन्नतें की.
"अबे राजे फ़ोन लगा गोवलेकर को. बोल साले ब्रिज को रात भर हवाई जहाज़ बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे"
"नहीं नहीं, ऐसा मत करना. आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी." कहते हुए मैने अपने हाथ पीछे लेजा कर ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा को आहिस्ता से बदन से अलग कर दिया. आब मैने पूरी तरह से समरपन का फ़ैसला कर लिया. ब्रा के हटते ही मेरे दूधिया उरोज रोशनी मे चमक उठे. चारों अपनी अपनी जगह पर कसमसने लगे. तीनो गरम हो चुके थे. उनके पॅंट पर उभार सॉफ नज़र अरहा था. भोगी भाई लूँगी के ऊपर से ही अपने लिंग पर हाथ फेर रहा था. लूँगी के उपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था की अब मेरी खैर नहीं. मैने अपनी उंगलियाँ पॅंटी की एलास्टिक मे फँसैई तो भोगी भाई बोल उठा.
"ठहर जा. यहाँ आ मेरे पास" मैं उसके पास आकर खड़ी हो गयी. उसने अपने हाथों से मेरी योनि को कुच्छ देर तक मसला फिर पॅंटी को नीचे करता चला गया. आब मैं पूरी तरह नंगी हो कर उसके सामने खड़ी थी.
"राजे जा और मेरा कॅमरा उठा ला" मैं घबरा गयी.
"आपने जो चाहा मैं दे रही हूँ फिर ये सब क्यूँ"
"तुझे मुह्न खोलने के लिए मना किया था ना" एक आदमी एक मूवी कॅमरा ले आया. उन्हों ने सेंटर टेबल से सारा समान हटा दिया. भोगी भाई मेरी योनि पर हाथ फिरा रहा था. मेरे योनि पर रेशमी घुंघराले बलों को सहला रहा था.
" चल बैठ यहाँ" उसने सेंटर टेबल की ओर इशारा किया. मैं सेंटर टेबल पर बैठ गयी. उसने मेरी टाँगों को ज़मीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा. मैने वैसा ही किया.
" अब टाँगें चौरी कर" मैं शर्म से दोहरी हो गयी मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था. मैने अपनी टाँगों को थोड़ा फैलाया.
" और फैला" मैने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फैला दिया. मेरी योनि उनके आँखों के सामने बेपर्दा थी. योनि के दोनो लब खुल गये थे. मैं चारों के सामने योनि फैला कर बैठी हुई थी. उनमे से एक मेरी योनि की तस्वीरें ले रहा था.
" अपनी चूत मे उंगली डाल कर उसको चौड़ा कर." भोगी भाई ने कहा. वो अब अपनी तहमद खोल कर अपने काले मूसल जैसे लिंग पर हाथ फेर रहा था. मैं तो उसके लिंग को देख कर ही सिहर गयी. गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लिंग मैने पहली बार देखा था. लिंग भी पूरा काला था. मैने अपनी योनि मे उंगली डाल कर उसे सबके सामने फैला दिया. चारों हँसने लगे.
"देखा मुझसे पंगा लेने का अंजाम. बड़ा गुरूर था इसको अपने रूप पर. देख आज मेरे सामने कैसे नंगी अपनी योनि फैला कर बैठी हुई है." भोगी भाई ने अपनी दो मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि मे घुसा दी. मैं एक दम से सिहर उठी. मैं भी अब गरम होने लगी थी. मेरा दिल तो नहीं चाह रहा था मगर जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था. उसकी उंगलियाँ कुच्छ देर तक अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो योनि रस से चुपड़ी हुई थी. वह अपनी उंगलिओ को अपनी नाक तक ले जाकर सूँघा फिर सब को दिखा कर कहा,
"अब ये भी गरम होने लगी है." मेरे होंठों पर अपनी उंगलियाँ च्छुआ कर कहा.
"ले चाट इसे." मैने अपनी जीभ निकाल कर अपने कामरस को पहली बार चखा. सारे एक दम से मेरे बदन पर टूट पड़े. कोई मेरी चूचियो को मसल रहा था तो कोई मेरी योनि मे उंगली डाल रहा था. मैं उनके बीच मे छटपटा रही थी. भोगी भाई ने सबको रुकने का इशारा किया. मैने देखा उसके कमर से तहमद हटी हुई है. और काला भुजंग सा लिंग तना हुआ खड़ा है. उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लिंग पर दाब दिया.
"इसे ले अपने मुँह मे" उसने कहा
"मुँह खोल." मैने झिझकते हुए अपना मुँह खोला तो उसका लिंग अंदर घुसता चला गया. बड़ी मुश्किल से ही उसके लिंग के उपर के हिस्से को मुँह मे ले पा रही थी. वा मेरे सिर को अपने लिंग पर दाब रहा था. उसका लिंग गले के द्वार पर जाकर फँस गया. मेरा दम घुटने लगा मैं च्चटपटा रही थी. उसने अपने हाथों का ज़ोर मेरे सिर से हटाया. कुच्छ सेकेंड्स के लिए कुच्छ राहत मिली तो मैने अपना सिर उपर खींचा. लिंग के कुच्छ इंच बाहर निकलते ही उसने वापस मेरा सिर दबा दिया. इस तरह वो मेरे मुँह मे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा. मैने कभी मुख मैथुन नहीं किया था इसलिए मुझे शुरू शुरू मे काफ़ी दिक्कत हुई. उबकाई सी आ रही थी. धीरे धीरे उसके लिंग की अभ्यस्त हो गयी. अब मेरा शरीर भी गर्म हो गया था. मेरी योनि गीली होने लगी.
बाकी तीनों मेरे बदन को मसल रहे थे. मुख मैथुन करते करते मुँह दर्द करने लगा था मगर वो था कि छ्चोड़ ही नहीं रहा था. कोई बीस मिनिट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद उसका लिंग झटके खाने लगा. उसने अपना लिंग बाहर निकाला.
" मुँह खोल कर रख." उसने कहा. मैने मुँह खोल दिया. ढेर सारा वीर्य उसकी लिंग से तेज धार सी निकल कर मेरे मुँह मे जा रही थी. जिसे एक आदमी मूवी कॅमरा मे क़ैद कर रहा था जब मुँह मे और आ नही पाया तो काफ़ी सारा वीर्य मुँह से छातियो पर टपकने लगा. उसने कुच्छ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया.
" बॉस का एक बूँद वीर्य भी बेकार नहीं जाए" एक चम्चे ने कहा. उसने अपनी उंगलियों से मेरी चूचियो एवं मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह मे डाल दिया. मुझे मन मार कर भी सारा गटाकना पड़ा…….
इस रंडी को बेडरूम मे ले चल." भोगी भाई ने कहा. दो आदमी मुझे उठाकर लगभग खींचते हुए बेडरूम मे ले गये. बेडरूम मे एक बड़ा सा पलंग बिच्छा था. मुझे पलंग पर पटक दिया गया. भोगी भाई अपने हाथों मे ग्लास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया.
" चलो शुरू हो जाओ" उसने अपने चम्चो से कहा. तीनो मुझ पर टूट पड़े. मेरी टाँगें फैला कर एक अपना मुँह मेरी योनि पर चिपका दिया. अपनी जीभ निकाल कर मेरे योनि को चूसने लगा. उसकी जीभ मेरे अंदर गर्मी फैला रही थी. मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने योनि पर ज़ोर से दबा रखा था. मैं छटपटाने लगी.मुँह से
"आहूऊहह ऑफ आहह उ" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. मैं अपना सिर झटक रही थी अपने उपर काबू रखने के लिए मगर मेरा शरीर था की बेकाबू होता जा रहा था.
बाकी दोनो मे से एक मेरे निपल्स पर दाँत गढ़ा रहा था तो एक ने मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. सामूहिक संभोग का द्रिश्य था. और भोगी भाई पास बैठा मुझे नौचते हुए देख रहा था. भोगी भाई का लेने के बाद इस आदमी का लिंग तो बच्चे जैसा लग रहा था. वो बहुत जल्दी झाड़ गया. अब जो आदमी मेरी योनि चूस रहा था वो मेरी योनि से अलग हो गया. मैने अपनी योनि को जितना हो सकता था उँचा किया कि वो वापस अपनी जीभ अंदर डाल दे. मगर उसका इरादा कुच्छ और ही था.
उसने मेरे टाँगों को मोड़ कर अपने कंधे पर रख दिया और एक झटके मे अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दिया. इस अचानक हुए हमले से मे छॅट्पाटा गयी. अब वो मेरी योनि मे तेज तेज झटके मारने लगा. दूसरा जो मेरी छातियोंको मसल रहा था मेरी छाती पर सवार हो गया और मेरे मुँह मे अपना लिंग डाल दिया. फिर मेरे मुँह को योनि की तरह चोदने लगा. उसके अंडकोस मेरी ठुड्डी से रगर खा रहे थे. दोनो ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहे थे. मेरी योनि पानी छ्चोड़ने लगी. मैं चीखना चाह रही थी मगर मुँह से सिर्फ़"उम्म्म्म उंफ़्ह" जैसी आवाज़ ही निकल रही थी. दोनो एक साथ वीर्य निकाल कर मेरे बदन पर लुढ़क गये. मैं ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रही थी. बुरी तरह थक गयी थी मगर आज मेरे नसीब मे आराम नहीं लिखा था. उनके हट ते ही भोगी भाई उठा और मेरे पास आकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया. फिर वो बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लिंग मेरी टपकती योनि पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया. योनि गीली होने के कारण उसका मूसल जैसा लिंग लेते हुए भी कोई दर्द नहीं महसूस हुआ. मगर ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे शरीर को चीरता हुआ मुँह से निकल जाएगा. फिर वो धक्के देने लगा. मजबूत पलंग भी उसके धक्के से चरमराने लगा. फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसकी तो सिर्फ़ कल्पना ही की जा सकती है. मैं चीख रही थी.
"आहह ऊओ प्लीज़. प्लीज़ म्मुझे छोड़ दो. अया अया नाअहीइन प्पल्ल्लीस्ससी" मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था. पूरे कमरे मे फूच फूच की आवाज़ें गूँज रही थी. बाकी तीनो उठ कर मेरे करीब आ गये थे और मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे. मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लिंग जल्दी पानी छ्चोड़ दे. मगर पता नही वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार मे कोई कमी नहीं आ रही थी. कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी योनि मे डाल दिया. मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गयी. मेरा पूरा शरीर बुरी तरह टूट रहा था. गला सूख रहा था.
"पानी" मैने पानी माँगा तो एक ने एक ग्लास पानी मेरे होंठों से लगा दिया. मेरे होठ वीर्य से लिसडे हुए थे उन्हे पोंच्छ कर मैने गटगट पूरा पानी पी लिया.
पानी पीने के बाद शरीर मे कुच्छ जान आई. तीनो वापस मेरे बदन से चिपक गये. अब मैं बिस्तेरके किनारे पैर लटका के बैठ गयी. एक का लिंग अपनी दोनो चूचियो के बीच ले रखी थी और बाकी दोनो के लिंग को बारी बारी से मुँह मे लेकर चूस रही थी. वो मेरी चूचियो को चोद रहा था. मैं अपने दोनो हाथों से अपनी चूचियो को उसके लिंग पर दोनो ओर से दबा रखी थी. उसने मेरी चूचियो पर वीर्य गिरा दिया. फिर बाकी दोनो मुझे बारी बारी से चौपाया बना कर चोदे. उनके वीर्य पात हो जाने के बाद वो चले गये.
मैं बिस्तर पर चित पड़ी हुई थी. दोनो पैर फैले हुए थे. मेरी योनि से वीर्य चुहकर बिस्तर पर गिर रहा था. मेरे बाल चेहरा छातिया सब पर वीर्य फैला हुआ था. छातियो पर दांतो के लाल नीले निशान नज़र आ रहे थे. भोगी भाई पास खड़ा मेरे बदन की तस्वीरें खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति मे नहीं थी. गला भी दर्द कर रहा था. भोगी भाई बिस्तर के पास आकर मेरे निपल्स को पकड़ कर उन्हे उमेठते हुए अपनी ओर खींचा. मैं दर्द के मारे उठती चली गयी और उसके बदन से सॅट गयी.
" जा किचन मे. भीमा ने खाना बना लिया होगा. टेबल पर खाना लगा. और हाँ तू इसी तरह रहेगी" मुझे कमरे के दरवाजे की तरफ धकेल कर मेरे नग्न नितंब पर एक चपत लगाई.
क्रमशः.............
Majdoor Neta paart--2
gataank se aage................
" aap kahiye apko kya chahiye. Agar bus me hua to hum jaroor denge" kahte huye maine apni ankhen jhuka lee. Mujhe pata tha ki ab kya hone wala hai. bhogi bhai apni jagah se utha. Apna glass table par rakh kar chalta hua mere peechhe agya. Mai ankhen sakhti se band kar uske pairon ke padchap sun rahi thi. Meri halat us khargosh ki tarah ho gayee thi jo apna sir jhadiyon me daal kar sochta hai ki bhediye se wo bach jayega. Usne mere peechhe akar sari ke anchal ko pakda aur unhe chhatiyon par se hata diya. Fir uske hath age aye aur sakhti se meri chhatiyon ko masalne lage.
"mujhe tumhara jism chahiye poore ek din ke liye" usne mere kaanon ke paas dheere se kaha. Maine sahmati me apna sir jhukaliya.
"aise nahin apne munh se bol" usne mere blouse ke andar apne hath dall kar sakhti se chhatiyon ko nichorne laga. Itne logon ke samne mai sharam se gadi jaa rahi thi. Maine sir hilaya
"munh se bol"
"haan" maine dhere se bud budaya.
"jor se bol. Kuchh sunai nahin diya. Tujhe sunai diya re Chaplu?" usne ek se poochha.
"nahin" jawab aya.
"mujhe manjoor hai." Maine is bar kuchh jor se kaha.
"Kyon Foolandevi ji, maine kaha tha na too khud ayegee mere ghar aur kahegi ki please mujhe chodo. Kahan gayee teri akad? Tu poore 24 ghanton ke liye mere kabje men rahegi. Mai jaisa chahoonga tujhe waisa hi karna hoga. Yah kahaanee aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Tujhe agle 24 hrs bas apni yoni khol kar randiyon ki tarah chudwana hai. Uske baad tu aur tera mard dono azaad ho jaoge."usne kaha" aur nahin to tera mard to 20 saal ke liye andar hoga hi tujhe bhi veshyavrtti ke liye andar karwa doonga. Fir to tu waise hi wahan se poori veshya ban kar hi bahar nikalegi."
"mujhe manjoor hai" maine apne aansuon par kaboo pate huye kaha. Wo jakar wapas apni jagah jakar baith gaya.
"chal shuru ho ja. Apne saare kapde utar mujhe aurton ke badan par kapde achhe nahin lagte" usne glass apne honthon se lagaya,
ab ye kapde kal shaam ke dus baje ke baad hi milenge. Chal inko bhi dikha to sahi ki tujhe apne kis hushn par itna guroor hai. Maine kanpt hathon se blouse ke button kholna shuru kar diya. Sare buttons kholkar blouse ke dono hisson ko apni chhatiyon ke upar se hataya to bra me kase huye mere dono yovan un bhukhi ankhon ke samne agaye. Maine blouse ko apne badan se alag kar diya. Chaaron ki aankhen chamak uthi. Maine badan se sari hata diya. Fir maine jhijhakte huye pettico ki dori khinch di. Pettcoat srsarata hua pairon par dher ho gaya charon ki ankhon me vasna ke surkh dore tair rahe the. Mai unke samne bra aur panty me khadi hogayee.
"maine kaha tha saare kapde utarne ko" bhogi bhai ne gurrate hue kaha.
"please mujhe aur jaleel mat karo" maine usse minnaten ki.
"abe raje phon laga Gowlekar ko. Bol sale brij ko raat bhar hawai jahaj bana kar dande mare aur is randi ko bhi andar kar de"
"nahin nahin, aisa mat karna. Aap jaisa kahoge mai waisa hi karoongi." Kahte huye mai apne haath peeche lejakar bra ka hook khol diya. Bra ko ahista se badan se alag kar diya. Aab maine poori tarah se samarpn ka faisla kar liya. Bra ke hatte hi mere doodhiya uroj roshni me chamak uthe. Charon apni apni jagah par kasmasane lage. Teeno garam ho chuke the. Unke pant par ubhar saaf najar araha tha. bhogi bhai lungi ke oopar se hi apne ling par hath fer raha tha. Lngi ke upar se hi uske ubhar ko dekh kar lag raha tha ki ab meri khair nahin. Maine apni ungliyaan panty ki elastic me fansai to bhogi bhai bol utha.
"thahar ja. Yahan aaa mere paas" mai uske paas akar khadi ho gayee. Usne apne hathon se meri yoni ko kuchh der tak masla fir panty ko neeche karta chala gaya. Aab mai poori tarah nangi ho kar uske samne khadi thi.
"raje ja aur mera camera utha la" mai ghabra gayee.
"aapne jo chaha mai de rahi hoon fir ye saab kyun"
"tujhe muhn kholne ke liye mana kiya tha na" ek aadmi ek movie camera le aya. Unhon ne center table se sara saman hata diya. bhogi bhai meri yoni par haath fira raha tha. Mere yoni par reshmi ghunghraale balon ko sehla raha tha.
" chal baith yahan" usne center table ki or ishara kiya. Mai center table par baith gayi. Usne meri tangon ko jameen se utha kar table par rakhne ko kaha. Maine waisa hi kiya.
" ab tangen chauri kar" mai sharm se dohri ho gayee magar mere paas aur koi rasta nahin tha. Maine apni tangon ko thoda failaya.
" aur faila" maine tangon ko unke samne poori tarah faila diya. Meri yoni unke ankhon ke samne beparda thi. Yoni ke dono lab khul gaye the. Mai charon ke samne yoni faila kar baithi hui thi. Unme se ek meri yoni ki tasveeren le raha tha.
" apni chut me ungli daal kar usko chauda kar." bhogi bhai ne kaha. Wo ab apni tahmad khol kar apne kale moosal jaise ling par hath fer raha tha. Mai to uske ling ko dekh kar hi sihar gayee. Gadhe jaisa itna mota aur lumba ling maine pahli baar dekha tha. Ling bhi poora kaala tha. Mai apni yoni me ungli daal kar use sabke samne faila diya. Charon hansne lage.
"dekha mujhse panga lene ka anjaam. Bada gurur tha isko apne roop par. Dekh aaj mere samne kaise nangi apni yoni faila kar baithi hui hai." bhogi bhai ne apni do moti moti ungliyaan meri yoni me ghusa di. Mai ek dum se sihar uthi. Mai bhi ab garam hone lagi thi. Mera dil to nahin chah raha tha magar jism uski baat nahin sun raha tha. Uski ungaliyan kuchh der tak andar khalbali machane ke baad bahar nikli to yoni ras se chupdi hui thi. wah apni unglioy ko apni naak tak le jaakar soongha fir sab ko dikha kar kaha,
"ab ye bhi garam hone lagi hai." Mere honthon par apni ungliyan chhua kar kaha.
"le chat ise." Maine apni jeebh nikaal kaor apne kaamras ko pahli baar chakha. Saare ek dum se mere badan par toot pade. Koi meri chhatiyon ko masal raha tha to koi meri yoni me ungli daal raha tha. Mai unke beech me chatpata rahi thi. bhogi bhai ne sabko rukne ka ishara kiya. Maine dekha uske kamar se tahmad hati hui hai. Aur kala bhujang sa ling tana hua khada hai. Usne mere sir ko pakda aur apne ling par daab diya.
"ise le apne munh me" usne kaha
"munh khol." Maine jhijhakte huye apna munh khola to uska ling andar ghusta chala gaya. Badi mushkil se hi uske ling ke upar ke hisse ko munh me le pa rahi thi. wah mere sir ko apne ling par dab raha tha. Uska ling gale ke dwar par jakar fans gaya. Mera dum ghutne laga mai chhatpata rahi thi. Usne apne hathon ka jor mere sir se hataya. Kuchh seconds ke liye kuchh rahat mili to maine apna sir upar khincha. Ling ke kuchh inch bahar nikalte hi usne wapas mera sir daba diya. Is tarah wo mere munh me apna ling andar bahar karne laga. Maine kabhi mukh maithun nahin kiya tha isliye mujhe shuru shuru me kafi dikkat hui. Ubkai si aa rahi thi. Dheere dheere uske ling ki abhyast ho gayi. Ab mera sharer bhi garm ho gaya tha. Meri yoni geeli hone lagi.
Baki teenon mere badan ko masal rahe the. Mukh maithun karte karte munh dard karne laga tha magar wo tha ki chhod hi nahin raha tha. Koi bees minute tak mere munh ko chodne ke baad uska ling jhatke khane laga. Usne apna ling bahar nikala.
" munh khol kar rakh." Usne kaha. Maine munh khol diya. Dher sara veerya uski ling se tej dhar si nikal kar mere munh me jarahi thi. Jise ek admi movie camera me kaid kar raha tha jab munh me aur a nahi paya to kafi sara veerya munh se chhatiyon par tapakne laga. Usne kuchh veerya mere chehre par bhi tapka diya.
" boss ka ek boond veerya bhi bekar nahin jaye" ek chamche ne kaha. Usne apni ungliyon se meri chhatiyon evam mere chehre par lage veerya ko samet kar mere munh me daal diya. Mujhe man maar kar bhi sara gatakna pada…….
is randi ko bedroom me le chal." bhogi bhai ne kaha. Do admi mujhe uthakar lagbhag kheenchte huye bedroom me le gaye. Bedrrom me ek bada sa palang bichha tha. Mujhe palang par patak diya gaya. bhogi bhai apne hathon me glass lekar bistar ke paas ek kursi par baith gaya.
" chalo shuru ho jao" usne apne chamchon se kaha. Teeno mujh par toot pade. Meri taangen faila kar ekne apna munh meri yoni par chipka diya. Apni jeebh nikaal kar mere yoni ko choosne laga. Uski jeebh mere andar garmi faila rahi thi. Maine uske sir ko pakad kar apne yoni par jor se daba rakha tha. Mai chhatpatane lagi.munh se
"aahhhhoooohh off aahhh uiii" jaisi awajen nikal rahi thi. Mai apna sir jhatak rahi thi apne upar kaboo rakhne ke liye magar mera sharer tha ki bekaaboo hota jaaraha tha.
Baki dono me se ek mere nipples par data gada raha tha to ek ne mere munh me apna ling daal diya. Samuhik sambhog ka drishya tha. Aur bhogi bhai paas baitha mujhe nuchte huye dekh raha tha. bhogi bhai ka lene ke baad is aadmi ka ling to bachche jaisa lag raha tha. Wo bahut jaldi jhad gaya. Ab jo admi meri yoni choos raha tha wo meri yoni se alag ho gaya. Maine apni yoni ko jitna ho sakta tha uncha kiya ki wo wapas apni jeebh andar daal de. Magar uska irada kuchh aur hi tha.
Uasne mere tangon ko mod kar apne kandhe par rakh diya aur ek jhatke me apna ling meri yoni me daal diya. Is achanak huye hamle se mai chhatpata gayee. Ab wo meri yoni me tej tej jhatke maarne laga. Doosra jo meri chatiyonko masal raha tha meri chati par sawar ho gaya aur mere munh me apna ling daal diya. Fir mere munh ko yoni ki tarah chodne laga. Uske andkos meri thuddi se ragar kha rahe the. Dono jor jor se dhakke laga rahe the. Meri yoni paani chhodne lagi. Mai cheekhna chah rahi thi magar munh se sirf
"ummmm umphh" jaisi awaj hi nikal rahi thi. Dono ek saath veerya nikal kar mere badan par ludhak gaye. Mai jor jor se saansen le rahi thi. Buri tarah thak gayi thi magar aaj mere naseeb me aram nahin likha tha. Unke hat te hi bhogi bhai utha aur mere paas akar mujhe kheench kar uthaya aur bistar ke kone par chupaya bana diya. Fir wo bistar ke paas khade hokar apna ling meri tapkti yoni par lagaya aur ek jhatke se andar daal diya. Yoni geeli hone ke karan uska moosal jaisa ling lete huye bhi koi dard nahin mahsoos hua. Magar aisa lag raha tha maano wo mere poore sharer ko cheerta hua munh se nikal jayega. Fir wo dhakke dene laga. Majboot palang bhi uske dhakke se charmarane laga. Phir meri kya haalat ho rahi hogi iski to sirf kalpana hi ki ja sakti hai. Ami cheekh rahi thi.
"aahhh ooohhh pllleeeesse. Pleeassse mmuujjheee chhhod dooo. Aaah aaah naaahiiin ppllleesssee" mai tadap rahi thi magar wo tha ki apni raftar badhata hi ja raha tha. Poore kamre me phuch phuch ki awajen goonj rahi thi. Baaki teeno uth kar mere kareeb agaye the aur meri chudai ka najara dekh rahe the. Mai bus dua kar rahi ti ki uska ling jaldi paani chhod de. Magar pata nahi wo kis cheej ka bana hua tha ki uski raftaar me koi kami nahin arahi thi. Koi adhe ghante tak mujhe chodne ke baad usne apna veerya meri yoni me daal diya. Mai munh ke bal bistar par gir gayee. Mera poora shareeer buri tarah toot raha tha. Gala sookh raha tha.
"paani" maine pani manga to ek ne ek glass pani mere honthon se laga diya. Mere hoth verya se lisde huye the unhe ponchh kar maine gatagat poora pani pi liya.
Pani peene ke baad sharer me kuchh jaan ayee. Teno wapas mere badan se chipak gaye. Aab mai bisterke kinare pair latkake baith gayi. Ek ka ling apni dono chhatiyon ke beech le rakhi thi aur baki dono ke ling ko bari bari se munh me lekar choos rahi thi. Wo meri chhatiyon ko chod raha tha. Mai apne dono hathon se apni chhatiyon ko uske ling par dono or se daba rakhi thi. Usne meri chhatiyon par veerya gira diya. Fir baki dono mujhe bari bari se chaupaya bana kar chode. Unke unke veerya pat ho jane ke baad wo chale gaye.
Mai bistar par chit padi huyi thi. Dono pair faile huye the. Meri yoni se veerya chookar bistar par gir raha tha. Mere baal chehra chatiya sab par veerya faila hua tha. Chhatiyon par data ke lal neele nishan najar a rahe the. bhogi bhai paas khada mere badan ki tasveeren khinch raha tha magar mai use mana karne ki stithi me nahin thi. Gala bhi dard kar raha tha. bhogi bhai bistar ke paas akar mere nipples ko pakad kar unhe umethte huye apni or khincha. Mai dard ke mare uthti chali gayee aur uske badan se sat gayee.
" Ja kitchen me. Bheema ne khana bana liya hoga. Table par khana laga. Aur haan tu isi tarah rahegi" mujhe kamre ke darwaje ki taraf dhakel kar mere nagn nitamb par ek chapat lagai.
kramashah.............
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