हिंदी सेक्सी कहानियाँ
शादी का सफर
सभी दोस्तों को मेरा सादर प्रणाम और प्यारी भाभियों और कुंवारी !! चूत वालिओं को मेरे लंड का प्रणाम. मई आपको मेरी अपने जीवन की रास लीला सुनाने जा रहा हूँ दोस्तों मई देव इंडिया के दिल मध्य प्रदेश के सागर का रहने वाला हूँ. मेरी उमर 38 साल रंग गोरा मजबूत कद-काठी और 6"4" लुम्बा हूँ. मुझे मजलूम की मदद करने मे बड़ी राहत मिलती है और कंद हेअर्तेद हूँ
जैसा की अक्सर कहानियो मे होता है की कहानी का कैरेक्टर के ऑफिस की दोस्त या paroshan या रिश्तेदार वाली कोई बुर (जिसको मे प्यार से मुनिया कहता हूँ ) मिल जाती है उसे तुरत चूदने लगता है पर हकीकत इससे कही अधिक जुदा और कड़वी होती है एक चूत चोदने के लिए बहुत म्हणत करनी पड़ती है ऐसी एक कोशिश की यह कहानी है
हमारा सेहर सागर नतुरल ब्यूटी और हिल्स से घिरा हुआ है येह एक बहुत ही सुंदर लैक है और येह के लोग बहुत ही संतुस्ट और सीधे सादे है पर यह की महिलायें बहुत चुदक्कर है यह मैंने बहुत बाद मे जन मे क्रिकेट और फुटबॉल का नेशनल प्लेयर रहा हूँ इस कारण से अपने एरिया मे बहुत फमोउस था और सुंदर कद काटी और रूप रंग गोरा होने के कारण हन्द्सोमे भी दीखता था . लेकिन मुझे अपने लुंड की प्यास किसी न किसी के बारे मे सोच कर और अपनी मुट्ठ मार कर या अपना तकिया का कोना को चुदाकर भुजनी परती थी मे अपनी हेल्पिंग हब्बिट्स के कारण भी बहुत फमोउस था और सभी मुझे प्यार भी इसीलिए बहुत करते थे
मेरे घर के सामने ग्राउंड है जहा मे खेलते हुए बड़ा हुआ और अपने सभी सपने संज्योए एक दिन हम कुछ दोस्त मोर्निंग एक्स्सर्सिसेस करके आ रहे थे तभी सामने से आती हुई 3 लार्कियों पर नज़र पड़ी उनमे से 2 को मे चेहरे से तो जानता था की वो मेरे घर के आस पास रहत है 1 से बिल्कुल अनजान था और वो कोई ख़ास भी नहीं थी. हम दोस्त अपनी बातों मै मस्त दौड़ लगाते हुए जैसे ही उनके पास पहुचे तो बीच वाली लड़की मेरे को बहुत पसंद आई . मै सिर्फ़ सांडो बनियान और नेक्कर मे था तो मेरे सारे muscles दिखाई दे रहे थे जिससे शायद वो थोडी इम्प्रेस हुई उसने भी मुझे भरपूर नज़र देखा. मेरा ध्यान उस लड़की पर लगा होने से मई नीचे पत्थर नही देख paya और ठोकर खादर गिर पड़ा वो तीनो लड़किया बहुत जोरों से हंस पड़ी और भाग गई. मुझे घुटनों और सर में बहुत चोट लगी थी काफ़ी खून बहा था इस कारण मै कुछ दिन अपनी मोर्निंग excercises के लिए दोस्तों के पास नही जा पाया.
ठंडों का मौसम चल रहा था हमारे मोहल्ले मे एक शादी थी. मेरी हर किसी से अच्छी पटटी थी इसलिए मेरे बहुत सारे दोस्त हुआ करते थे. उस शादी मै मे अपने ऊपर एक जिम्मेदार परोसी की भूमिका निभाते हुए बहुत काम कर रहा था. और मै जयादातर महिलाओं के आस पास मंडराता शयद कोई पट जाए या कोई लिंक मिल जाए मुनिया रानी को चोदने या दर्शन करने के पर किश्मत ख़राब. कोई नही मिली. मुझ से किसी खनकती आवाज ने कहा " सुनिए आप तो बहुत अच्छे लग रहे है आप और बहुत म्हणत भी कर रहे है येहा "
मैंने जैसे ही मुड़कर देखा तो वोही बीच वाली लड़की जिसको देखकर मै गिरा था और जिसके कारण मेरे सर पर अभी भी पट्टी बंधी हुई थी जिसमे 4 टाँके लगे हुए थे और घुटने का भी हाल कुछ अच नही था... मैंने देखा वो खड़ी मुस्कुरा रही थी. मैंने कहा "आ आप ..... आपने मेरे से कुछ कहा"
" नही येहा ऐसे बहुत सारे लोग है जो मेरे को देख कर रोड पर गिरकर अपना सर फुद्वा बैठे" वो अपनी सहेलियों से घिरी हुई chehakti boli
" आप लोग तो हंस कर भाग गई.... मेरे सर और पैर दोनों मई बहुत चोट लगी थी" मैंने कहा
मेरी ही मोहल्ला की एक लड़की ज्योति जिसे मै पहले पटाने की कोशिस कर चुका था पर वो पाती नहीं थी बल्कि मेरी उससे लडाई हो गई थी. ज्योति ने मेरे से मुह छिदाते हुए कहा इनको " च्च्च च्च छक ... अरे!! अरे!! बेचारा..... देव भैया अभी तक कोई मिली नही तो अब लड़कियों को देख कर सड़कों पर गिरने लगे " और खिल खिला कर हस डी ..... मैंने ज्योति के कई सपने देखे मै ज्योति को अपनी गाड़ी पर बिठाकर कही ले जारहा हूँ उसके दूध मेरी पीठ से छु रहे है वो मेरे लंड को पकड़ कर मोटरसाईकिल पर पीछे बैठी है उसके बूब्स टच होने से मेरा लंड खड़ा हो जाता है तो मै धामोनी रोड के जंगल मै गाड़ी ले जाता हूँ जहा उसको गाड़ी से उतार कर अपने गले से लिपटा लेता हूँ उसके लिप्स, गर्दन बूब्स पर किस कर रहा हूँ और उसके मम्मे दबा रहा हूँ साथ ही साथ उसकी मुनिया(बुर) को भी मसल रहा हूँ वो पहले तो न नुकर करती है लेकिन जब मै उसकी मुनिया और बूब्स उसके कपडों के ऊपर से किस करता हूँ और उसकी सलवार खोल कर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी पेशाब को चाटने लगा ज्योति भी सीई हीई येः क्या कर रहे हो........ मई जल रही हूँ मुझे कुछ होओ रहा है ....... कह रही है और मै ज्योति को वोही झाडियों मे जमीन पर लिटाकर चोदने लगता हु पहले ज्योति का पानी छूटता है फिर मेरा.. जब ख्वाब पूरा हुआ तो देखा लंड मेरा मेरे हाथ मे झर्र चुका है और मुट्ठी मारने से लंड लाल हो गया है
मुझे बहुत बुरा लगा ज्योति के तान्नू से मेरी बे-इज्ज़ती हुई थी वहां से मैंने इन दोनों को सबक सिखाने का ठान लिया. मैंने गुलाब जामुन का शीरा उसकी बैठने वाली सीट पर लगा दिया जिससे उसकी सफ़ेद ड्रेस ख़राब हो गई और वो ऐएन्न मौके पर गन्दी ड्रेस पहने येहवाहा घूमती रही और लोग उसे कुछ न कुछ कहते रहे . पर उसका चेहरा ज्यों का त्यों था .. मैंने ज्योति को उसके हाल पर छोड़ कर अपने टारगेट पर कांसन्त्रते काना उचित समझा
मै उससे जान पहचान करना चाहता था जब से उसको देखा था उसके भी नाम की कई मूठ मारी जा चुकी थी और तकिये का कोना चोदा जा चुका था.. मेरा तकिये के कोने मेरे स्पेर्म्स के कारण कड़क होना शुरू हो गई थे. पर कोई लड़की अभीतक पटी नहीं थी.
इसबार मैंने हिम्मत करके उसका नाम पूछ लिया.. जहा वो खाना खा रही थी वही चला गया और पुछा "आप क्या लेंगी और..... कुछ लाऊँ स्वीट्स या स्पेशल आइटम आपके लियी... भीड़ बहुत थी उस शादी मे वो मेरे पास आ गई और चुपचाप खड़ी होकर खाना खाने लगी. मैंने उसको पुछा "आप इस ड्रेस मे बहुत सुंदर लग रही है.. मेरा नाम देव है आपका नाम जान सकता हूँ..." फिर भी चुप रही वो और एक बार बड़े तीखे नैन करके देखा. हलके से मुस्कुराते हुए बोली" अभी नही सिर्फ़ हाल चाल जानना था सो जान लिया"
मैंने उसका नाम वहीँ उसकी सहेलियों से पता कर लिया और उसका एड्रेस भी पता कर लिया था. उसका नाम मीनू था. वो मेरे घर के ही पास रहती थी. पंजाबी फॅमिली की लड़की थी. सिंपल शोबेर छरहरी दिखती थी. उसकी लम्बाई मेरे लायक फिट थी उसके बूब्स थोड़े छोटे 32 के करीब होंगे और पतला छरहरा बदन तीखे नैन-नक्स थे उसके. वो मेरे मन को बहुत भा गई थी. शादी से लौट के मैंने उस रात मीनू के नाम के कई बार मुट्ठ मारी. मै उसको पटाने का बहुत अवसर खोजा करता था वो मेरे घर के सामने से रोज निकलती थी पर हम बात नही कर पाते थे. ऐसा होते होते करीबन 1-1½ साल बीत गया . एक बार मै दिल्ली जा रहा था गोंडवाना एक्सप्रेस से. स्टेशन पर गाड़ी आने मे कुछ देर बाकी थी शादियों का सीज़न चल रहा था काफ़ी भीड़ थी. मेरा रिज़र्वेशन स्लीपर मे था. तभी मुझे मीनू दिखी साथ मे उसका भाई और सभी फॅमिली मेम्बेर्स भी थे उसके भाई से मेरी जान पहचान थी सो हम दोनों बात करने लगे. मैंने पूछा "कहा जा रहे हो" तो बोले "मौसी के येहा शादी है दिल्ली मे वहीँ जा रहे है". मेरे से पुछा " देव जी आप कहा जा रहे हो"
मैंने कहा " दिल्ली जा रहा हूँ थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी भी अत्तेंद करनी है"
इतने मे ट्रेन आने का अनौंसमेंट हो चुका था तो उनके साथ बहुत सामन था मेरे साथ सिर्फ़ एक एयर बैग था उन्होंने मेरे से सामान गाड़ी मे चड़ने की रेकुएस्ट करी गाड़ी प्लेटफोर्म पर आ चुकी थी यात्री इधर उधर अपनी सीट तलासने के लिए बेतहासा भाग रहे थे बहुत भीड़ थी. मीनू के भाई ने बताया की इसी कोच मे चदना है तो हम फटाफट उनका सामान चढाने मे बीजी हो गए. उनका सामान गाड़ी के अंदर करके उनकी सीट्स पर सामान एडजस्ट करने लगा मैंने अपना बैग भी उन्ही की सीट पर रख दिया था मुझे अपनी सीट पर जाने की कोई हड़बड़ी नही थी क्योंकि बीना जंक्शन तक तो गोंडवाना एक्सप्रेस मे अपनी सीट का रिज़र्वेशन तो भूल जाना ही बेहतर होता है. क्योंकि उप-दोव्नेर्स भी बहुत ट्रेवल करते है इस ट्रेन से सो मै उनका सामान एडजस्ट करता रहा. गाड़ी सागर स्टेशन से रवाना हो चुकी थी. मै पसीने मे तरबतर हो गया था.. अब तक गाड़ी ने अच्छी खासी स्पीड पकड़ ली थी. मीनू की पूरी फॅमिली सेट हो चुकी थी और उनका सामान भी. गाड़ी बीना 9 बजे रात को पहुचती थी और फिर वहा से दूसरी गोंडवाना मे जुड़ कर दिल्ली जाती थी. इसलिए बीना मे भीड़ कम हो जाती है. मै सबका सामान सेट करके थोरा चैन की साँस लेने कोम्पर्त्मेंट के गेट पर आ गया फिर साथ खड़े एक मुसाफिर से पूछा "यह कौन सा कोच है " उसने घमंडी सा राप्लई करते हुए कहा " S4.... तुम्हें कौन सो छाने ( आपको कौन सा कोच चाहिए)" "अरे गुरु जोई चाने थो .... जौन मे हम ठाडे है ..... (बुन्देलखंडी) (येही चैये था जिसमे हम खड़े है)"
मैंने अपनी टिकेट पर सीट नम्बर और कोच देखा तो समे कोच था जिसमे मीनू थी बस मेरी बर्थ गेट के बगल वाली सबसे ऊपर की बर्थ थी. बीना मे मैंने हल्का सा नास्ता किया और घूमने फिरने लगा. मुझे अपने बैग का बिल्कुल भी ख्याल नही था. बिना से गाड़ी चली तो ठण्ड थोडी बड़ागई थी मुझे अपने बैग का ख्याल आया. मै उनकी सीट के पास गया तो मैंने "पूछा मेरा बैग कहा रख दिया." मीनू की कजिन बोली " आप येहा कोई बैग नही छोर गए आप तो हमारा सामान चदवा रहे थे उस समाई आपके पास कोई बैग नही था" जबकि मुझे ख्याल था की मैंने बैग मीनू की सीट पर रखा था. वो लोग बोली की आपका बैग सागर मे ही छूट गया लगता है.
मैंने कहा कोई बात नही. उन्होंने पुछा की आपकी कौन सी बर्थ है मैंने कहा इसी कोच मे लास्ट वाली. मीनू की मम्मी बोली "बेटा अब जो हो गया तो हो गया जाने दो ठण्ड बहुत हो रही है ऐसा करो मेरे पास एक कम्बल एक्स्ट्रा है वो तुम ले लो" मैंने कहा "जी कोई बात नहीं मै मैनेजे कर लूँगा" " ऐसे कैसे मनेज कर लोगे येहा कोई मार्केट या घर थोड़े ही किसी का जो तुमको मिल जाएगा ठण्ड बहुत है ले लो" मीनू की मम्मी ने कहा.
"मुझे नींद वैसे भी नहीं आना है रात तो ऐसे ही आंखों मे ही कट जायेगी.." मैंने मीनू की ऑर देखते हुए कहा. मीनू बुरा सा मुह बनके दूसरे तरफ़ देखने लगी. ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार पर दौडी जा रही थी. मुझे ठण्ड भी लग रही थी तभी मीनू की मम्मी ने कम्बल निकालना शुरू किया तो मीनू ने पहली बार बोला .. रुको मम्मी मै अपना कम्बल दे देती हूँ और मै वो वाला ओद लूंगी. मीनू ने अपना कम्बल और बिछा हुआ चादर दोनों दे दी..... मुझे बिन मांगे मुराद मिल गई क्योंकि मीनू के शरीर की खुसबू उस कम्बल और चादर मे समां चुकी थी. मै फटाफट वो कम्बल लेकर अपनी सीट पर आ गया ... मुझे नींद तो आने वाली नहीं थी आँखों मे मीनू की मुनिया और उसका चेहरा घूम रहा था. मै मीनू के कम्बल और चादर को सूंघ रहा था उसमे से काफी अच्छी सुंगंध आ रही थी. मैं मीनू का बदन अपने शरीर से लिपटा हुआ महसूस करने लगा और उसकी कल्पनों मे खोने लगा.. मीनू और मै एक ही कम्बल मै नंगे लेटे हुए है मै मीनू के बूब्स चूस रहा हूँ और वो मेरे मस्त लौडे को खिला रही है. मेरा लंड मै जवानी आने लगी थी जिसको मै अपने हाथ से सहलाते हुए आँखे बंद किए गोंडवाना एक्सप्रेस की सीट पर लेटा हुआ मीनू के शरीर को महसूस कर रहा था. जैसे जैसे मेरे लंड मै उत्तेजना बड़ती जा रही थी वैसे वैसे मै मीनू के शरीर को अपने कम्बल मे अपने साथ महसूस कर रहा था. इधर ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार पर थी मै मीनू के बूब्स प्रेस करते हुए उसके क्लिटोरिस( चूत के दाने) को मसल रहा था और उसके लिप्स और गर्दन पर लिक करता हुआ मीनू के एक-एक निप्प्ले को बारी बारी चूस रहा था.. इधर मीनू भी कह रही थी अह्ह्ह हह सीईईई ओम्म्म मम् बहुत अछा लग रहा है मै बहुत दिनोअऊ से तुमको चाहती हूँ देव ....... जबसे तुमको देखा है मै रोज तुम्हारे नाम से अपनी चूत को ऊँगली या मोमबत्ती से झरती हो...... चोदती हु ...उम् म ..... आ अ अ अ .... तुम्हारा लंड तुम्हारे जैसा मस्त है उम् म म म बिल्कुल लुम्बा चोडा देव .... उम् म म आ अअ अआ जल्दी से मेरी चूत मै अपना लुंड घुसा दो अब सेहन नही हो रहा उ मम म आया अ अ अ और मै एक झटके मै मीनू की बुर मे लंड पेलकार धक्के मारने लगा ट्रेन की रफ्तार की तरह के धक्के ... फटाफट जैसे मीनू झड़ रही हो उम् मम् देव ......मेरी बुर र ... सी पेशाब.... निकलने वाली ही तुम्हारे लंड ने मुझे मूता दिया मेरी पहली चुदाई बड़ी जबरदस्त हुई उम् म आ अ अ जैसे ही मीनू झडी मैं भी झड़ने लगा मै भूल गया की मै ट्रेन मै हूँ और सपने मै मीनू को चौद्ते हुए मुट्ठ मार रहा हूँ और मैं भी आ आया.... हा ह मीनू... ऊऊ मजा आ गया मै कब से तुमको चोदना चाहता था कहते हुई झड़ने लगा और बहुत सारा पानी अपने रुमाल मे निकाल कुछ मीनू के चादर मे भी गिर गया.. जब मै शांत हुआ तो मेरे होश वापिस आए और मैंने देखा की मै तो अकेला ट्रेन मै सफर कर रहा हूँ.. शुक्र है सभी साथी यात्री अपनी अपनी बेर्थ्स पर कम्बल ओड कर सो रहे थी.. ठण्ड
बहुत तेज़ थी उस पर गेट के पास की बिर्थ बहुत ठंडी लगती है अब मुझे पेशाब जाने के लिए उठाना था मै हलफ पेंट मै सफर करता हूँ तो मुझे ज्यादा दिक्कत नही हुई.. अब तक रात के 1.30 बज चुके थे मै जैसे ही नीचे उतरा तो मुझे लगा जैसे मीनू की सीट से किसी ने मुझे रुकने का संकेत किया हो मीनू की सीट के पास.. कोच के सभी यात्री गहरी नींद मै सो रहे थे और ट्रेन अभी 1 घंटे कही रुकने वाली नही thi.. मैंने देखा मीनू हाथ मै कुछ लिए आ रही है.. मेरे पास आकर बोली "बुधू तुम अपना बैग नहीं देख सके मुझे क्या संभालोगे" ठंड मे ठिठुरते हो ..." मैंने उसकी बात पर ध्यान नही दिया उसने क्या मेसेज दे दिया मै रेप्लय दिया " मैं तुम्हारे कम्बल मै तुम्हारी खुसबू लेकर मस्त हो रहा था" मै अपने लंड के पानी से भरा रुमाल अपने हाथ मै लिए था. जिसको देख कर वो बोली "यह क्या है" मैंने कहा " रुमाल है".
"यह गीला क्यों है" मीनू ने पूछा " ऐसे ही... तुम्हारे कारण ... कह कर मैंने टाल दिया.....
मीनू ने पूछा "मेरे कारण कैसे......" फिर मुझे ध्यान आया की अभी अभी मीनू ने मुझे कुछ मेसेज दिया है....
मैंने मीनू को गेट के पास सटाया और उसकी आंखों मै देखते हुए उसको कहा मीनू आई लव यू और उसके लिप्स अपने लिप्स मे भर लिए उसके मम्मे पर और गांड पर हाथ फेरने लगा. मीनू भी मेरा किस का जवाब दे रही थी.....
मै मीनू के दूधों की दरार मै चूसने लगा था और बूब्स को दबा रहा था... मेरा लंड जो आधा बैठा था फ़िर से ताकत भरने लगा और उसके पेट से टकराने लगा.. मीनू मेरे से बोली आई लव यू too..
इधर कोई देख लेगा जल्दी से इंटर कनेक्ट कोच की और इशारा कर के कहने लगी उस कोच के टॉयलेट मे चलो ..... हम दोनों टॉयलेट मे घुस gai .... टॉयलेट को लाक करते ही मै उसको अपने से लिपटा लिया और पागलों की भाति चूमने लगा.. मीनू मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और तुमको दिलो जान से चाहता हूँ...... हा मेरे राजा देव मै भी तुम्हारे बिना पागल हो रही थी..... जानते हो यह प्रोग्रम्म कैसे बना दिल्ली जाने का .....मेरे आने का मै तुम्हारे घर आई थी मम्मी के साथ तुम्हारी मम्मी और मेरी mummi संकट मोचन मन्दिर पर रामायण मंडल की मेंबर है.. तो उन्होंने बताया की देव को परसों दिल्ली जाना ही तो वो नही जा सकती उनके साथ. तब मैंने भी mummy को प्रोग्राम बनने को कह diya...
मैंने कहा यह कहानी छोड़ो अभी तो मजा लो मैंने उसको कमोड शीट पर बिठा दिया और उसके पैर से लेकर सर तक कपडों के ऊपर से ही चूसने चूमने लगा..... मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा वो "सी ई ईई आया वहा नही वाह कुछ कुछ होता है जब भी तुमको देखती हु मेरी अंदर से पेशाब निकल जाती है वहा नही" ऐसा कहने लगी मैंने कहा "मुझे विश्वाश नही होता मुझे दिखाऊ " ऐसा कहकर मै सलवार के ऊपर से उसकी अंदरूनी जांघ और बूब्स पर हाथ से मालिश करने लगा " हट बेशरम कभी देखते है लड़कियों की ऐसे वो शादी के बाद होता hai " मीनू बोली
मैंने मीनू के बूब्स को सहलाते हुई और उसकी अंदरूनी जांघ पर चूमते हुए उसकी चूत की तरफ़ बदने लगा और कहा " ठीक है जैसा तुम कहो पर मै कपड़े के ऊपर से तो चेक कर लूंगा"'' मीनू भी अब गरमाने लगी थी उसकी चूत भी काफ़ी गर्म और गीली होने लगी थी. वो अपने दोनों पैरो को सिकोड़ कर मेरे को चूत तक पहुचने से रोक रही थी... " प्लीज़ वहा नही मैई कंट्रोल नहीं कर पाऊँगी अपने आप को कुछ हो जायेगा .... मेरी कजिन के भरोसे आई हु उसको पटा रखा है मैंने यदि कोई जाग गया तो उसकी भी मुसीबत हो जायेगी प्लीज़ मुझे जाने दो अब..."
मैंने मीनू के दोनों पैर अपनी ताकत से फैलाये और उसकी सलवार की सिलाई को फाड़कर उसकी पिंक पैंटी जो की उसके चुत के रस मे सराबोर थी अपने मुह मे ले लिया... उसकी पैंटी से पेशाब की मिलीजुली स्मेल के साथ उसके पानी का भी स्वाद मिल रहा था..... मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को जोरो से चूसना चालू कर दिया.. मीनू कहे जा रही थी" प्लीज़ नो मुझे jaanee dooo ummmmmmm mai कंट्रोल खो रही hu उम् मम मम् मुझे जाने दो.... और.. जोर से चाटो मेरी पेशाब मे कुछ हो रहा है बहुत अछा लग रहा है मेरे पेट मै गुदगुदी हो रही है मीनू के निप्पल भी खड़े हो गए थी क्योंकि उसकी कुर्ती मै हाथ डाल कर उसके मम्मे मसल रहा था मीनू मेरे सर को अपनी चूत पर दबाये जा रही थी ... ummm मै मीनू की panty को चूत से साइड में खिसका के उसकी चूत को चूत की लुम्बाई मे चूस रहा था मीनू अपने दोनों पैर टॉयलेट के विण्डो पर टिकाये मुझसे अपनी चूत चटवा रही थी मीनू की बुर बिल्कुल कुंवारी थी मैंने अपनी ऊँगली उसकी बुर मे घुसेदी बुर बहुत टाइट और गीली थी मीनू हलके हलके से करह रही थी " उम्म्म आआ मर gai" मे मीनू की बुर को ऊँगली से चोद रहा था और चूत के दाने को चाट और चूस रहा था.. सलवार पहने होने के कारण चूत चाटने मे बहुत दिक्कत हो रही थी.
मीनू की चूत झड़ने के कगार पर थी'' आ आअ कुच्छ करो मेरा शरीर अकड़ रहा हई पहले ऐसा कभी नही हुआ मेरी पेशाब निकलने वाली ही अपना मुह हटाओ और जोर से चूसू अपनी उन्न्गली और घुसाओ आअ आ . उई माँ आअ अ .... उसकी जवानी का पहला झटका खाकर मेरे मुह को अपने चूत के अमृत से भरने लगी...... मीनू के मम्मे बहुत कड़क और फूल कर 32 से 34 होगये मालूम होते थे... इधर मेरी हालत ज्यादा ख़राब थी ... मैंने मीनू को बोला प्लीज़ एक बार इसमे डाल लेने दो मीनू ने कहा ' अभी नही राजा मै तो ख़ुद तड़प रही हूँ तुमारी पेशाब अपनी पेशाब मे घुस्वाने को.. उम्म्म सुना ही बहुत मजा आता है और दर्द भी होता है "
मैंने कहा "अपन दोनों के पेशाब के और भी नाम है " "मुझे शर्म आती है वो बोलते हुई" और वो खड़ी होने लगी मै कमोड शीट पर बैठा और अपनी नेक्कर नीचे खिसका दीई मेरा हल्लाबी लंड देखकर उसका मुह खुला का खुला रह गया.. "ही राम... ममम म इतना बड़ा और मोटा..........तो मैंने कभी किसी का नही देखा मैंने पुछा "किसका देखा है तुमने... बताऊ "
मेरे भैया जब भाभी की चुदाई करते है तो मै अपने कमरे से झाँक कर देखती हूँ.. भाभी भइया के इससे अद्धे से भी कम साइज़ के पेशाब में चिल्लाती है फ़िर इस जैसी पेशाब मै तो मेरा क्या हाल करे गी... मै कभी नही घुस्वूंगी"
मैंने कहा अछा "मत घुस्वाना पर अभी तो इसको शांत करो"
"मै कैसे शांत करू" मीनू ने कहा
मैंने कहा "टाइम बरबाद मत करू जल्दी से इसे हाथ मे लो और मेरी मुट्ठ मारो" मै उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगया और आगे पीछे करवाया. पहले तो मीनू थोड़ा हिचकी फिर बोली " तुम्हारा लंड बहुत शानदार है मेरी चूत मै फ़िर से खुजली होने लगी है......हीई सीइई मैई इ इक्या करू ओम मम म फ्लिच्क कक्क " एक ही झटके मे मेरा सुपाडा उसने किसी आइसक्रीम कोण की तरह चूस लिया मै जैसे स्वर्ग मै पहुच गया मैंने उसके मुह मै धक्के मारे मैंने कहा मेरा पानी निकलने वाला हाई.
" मेरी चूत फ़िर से गरम हो गई है इसका कुछ करो सी ई इ आअ आ अ ..........." मीनू moan कर रही थी मैंने मीनू को फौरन कमोड शीट पर बैठाया और उसकी कुर्ती का कपड़ा उसके मुह मै भर दिया..... जिससे लंड घुसने पर वो चिल्लाये नही मैंने उसको समझाया भी थोड़ा दर्द होगा सेहन करना .. मैंने उसकी दोनों टांगें फैली और चूत चाटी दो ऊँगली उसकी चूत मै भी घुसी उसकी चूत बहुत टाइट थी और बहुत गीली लिस्स्लिसी सी गरम थी.मीनू moan कर रही थी " हीई इ सी ई इ इ इ अब जल्दी करो.. मेरे बदन मे करोड़ों चीटियाँ घूम रही है मेरी बुर को ना जाने क्या हो गया ही" मीनू ने कुर्ती मुह से निकाल कर कहा... मैंने अपने लुंड पर बहुत सारा थूक लगाया और कुछ उसकी गीली चूत मै भी लगाया जिससे उसकी चूत के लिसलिसे रस से मेरा थूक मिलकर और चूत को चिकना कर दे.... मैंने लंड हाथ मे लेकर सुपाडा मीनू की चूत मे ऊपर नीचे रगडा .. मीनू अपनी गांड उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अब वो बिना लंड डलवाए नही रह सकती थी उसने मेरे लुंड को पकड़ा और अपनी बुर पर टिकाया मैंने पहले थोड़ा सा सुपाडा अंदर कर उसको अंदर बहार कर एडजस्ट किया.... मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे लुण्ड को किसी जलते हुए chamde के क्लंप मई कास दिया हो. इतनी टाइट बुर थी मीनू की मैंने थोडी और लंड अंदर पेला मीनू की मुह मै यदि कुर्ती ना घुसाई होती तो पूरे कम्पार्टमेंट के यात्री हमें चुदाई करते हुए पकड़ लेते.... मीनू मेरे मोटे लंड के कारन अपना सिर इधर उदार हिलाकर और अपनी आंखों से anssoo निकाल कर बता रही थी की उसको कितना दर्द हो रहा ही........ मैं थोडी देर रुक कर फाटक से एक गहरा और चूत फाड़ धक्का पेला जिससे मीनू की बुर की झिल्ली फटी हु लौदा उसकी गहराई तक समां गया मीनू की तो हालत ख़राब हो गई थी.. मैंने थोड़ा रुक कर लंड बहार खींचा तो उसके साथ खून भी बहर आया और फटा फट धक्के मारने लगा. मीनू की टाइट चूत के कारण मेरे गेंदों मै उबाल आना शुरू हो गया tha.. मैंने मौके की नजाकत को ताड़ते हुए पहले लंड बहार निकाल और गहरी साँस लेकर अपनी पोस्शन कंट्रोल करी और मीनू के मुह से कुर्ती हटी और फिर धीरे धीरे पूरा लंड घुसा कर शुरू मै हलके धक्के मारे फ़िर ताबड़ तोड़ धक्के रगड. मै अपनी स्पीड गोंडवाना एक्सप्रेस से मिला रहा था..." मीनू की बुर पानी छोड़ने वाली थी क्र्योंकी उसने अपनी कुर्ती वापिस अपने मुह मै डाल ली थी और मीनू की बुर मेरे लौडे को कसने लगी थे मै मीनू के 32 से 34 साइज़ हुए मम्मे मसलता हुआ चुदाई कर रहा था.. मीनू बहुत जोरो से झडी तभी मेरे लंड ने भी आखिरी संसै ली तो मैंने मीनू के दोनों मम्मे पूरी ताकत से भीचते हुए अप लंड मीनू की टाइट बुर मै आखिरी झाड़ तक पेल दिया और मीनू की बू को मैंने पहला वीर्य का स्वाद दिया मीनू भी बहुत खुस हो गई थी. जब साँस थमी तो मैंने लंड मीनू की बुर से भहर निकाल जिससे मीनू की बुर से मेरे वीर्य के साथ मीनू की बुर से जवानी और कुंवारा पण का सबूत भी बहकर बहार आ रहा था. मैंने मीनू को हटाया और कमोड मै पेशाब करी मीनू बड़े गौर से मेरे लंड से पेशाब निकलते देखते रही और एक बार तो उसने मुह भी लगा दिया. उसका पूरा मुह मेरे पेशाब से गीला हो गया कुछ ही उसकी मुह मै जा पाया मैंने अपना लंड धोया नही उस पर मीनू की बुर का पानी और जवानी की सील लगी रहने दिया और नेक्कर के अंदर किया मीनू की बुर मै सुजन आ गई थी मै इंतज़ार कर रहा था की अब मीनू भी अपनी बुर साफ़ करेगी तो नंगी होगी तो उसने मुझे बहार जाने को बोला. मै उसकी बात मानकर उसको अपना रुमाल बताकर आ गया. मैंने अपनी घड़ी मै टाइम देखा तो हम लोगो के सवा घंटा गुजर गया था टॉयलेट मै... शुक्र है भगवन का की ठंड के कारण कोई नही जागा था और ट्रेन भी नही रुकी थी. थोडी देर बाद मीनू अपनी बुर पर हात फेरती हुई कुछ लडाते हुए बहार आई मैंने पुछा क्या हाल है जानेमन तुम्हारी बुर के " सुजन आ गई है पर चुदवाने मै बहुत मजा आया फ़िर से चुदवाने का मन कर रहा है
" ये लो यह रुम्मल तुम वहा छोड़ वीके;स फक्स....इसमे यह क्या लगा है लिसलिसा" यह वोही रुमाल था जिसमे मैंने मीनू के नाम की मुट्ठ मारी थी अपनी सीट पर लेते हुए वोही मुझे देने लगी. "इसमे वोही लिसलिसा है तो अभी तुम्हारी मुनिया मै मेरे लंड ने उडेला है.... और तुम क्या लिए हो" मैंने मीनू को कहा... उसने पहले सूंघा फूले कहने लगी " ये मेरी पैंटी ही... ख़राब हो गई थी तो मैंने निकाल ली.. और तुम्हारा रुमाल मै ले जा रही हूँ इसे अपने साथ रखूँगी aur तुम्हारे पानी का स्वाद लेकर इसे सूंघकर सो जाउंगी.. तुम दिल्ली मै कहा रुकोगे.. और किस काम से जा रहे हो" मीनू ने मेरे से पुछा . तुम अपनी पैंटी मुझे दो मैंने मीनू से कहा फिर बतओंगा मै कहा और क्यों जा रहा हूँ. पहले तो मीनू मुझे धुद्की "तुम क्या करोगे मेरी गन्दी पैंटी का" मैंने कहा " वोही जो तुम मेरे रुमाल के साथ करोगी और मै तुम्हारी पैंटी अपने लंड पर लपेट कर मुट्ठ भी मारूंगा" उसने मेरे को चुम्मा देते हुए कहा "पागल" और अपनी पैंटी मुझे दे दी मैंने वहा जाना उसकी बुर रहती है उसको अपनी नाक से लगाया और जीव से चाटा तो मीनू शर्मा गई मैंने मीनू को बताया की मुझे दिल्ली मै थोड़ा काम है और एक दोस्त की शादी भी है इतना सुकर वो कुछ अस्वस्त हुई. मैंने कहा तुम मेरा सेल नो ले लो मेरे को फ़ोन कर लेना मै बता दूँगा की कहा पर रुकुंगा और हम कैसे और कब मिलेंगे यह भी बता देंगे. मीनू मेरा रुमाल लेकर अपनी सार आ गई और मै अपनी सीट पर. अब मेरा बैग भी आ गया था सो मैंने बैग मै से एयर पिल्लो निकाल और अपने सिराहने रख कर मीनू को याद करने लगा मेरा मेरा लंड फ़िर से खडा होने लगा सो मैंने सीट पर लेटकर मीनू की पैंटी सून्ग्नी लगा उसमे से मीनू की पेशाब और उसके पानी की स्मेल आ रही थी. उस स्मेल नो कमल ही कर दिया मेरा लंड फंफनाकर बहुत कड़क हो गया मैंने मीनू की पैंटी का वो हिस्सा जो की उसकी चूत से चिपका रहता था मैंने फाड़ लिया और बाकी की पैंटी लते लेते ही लंड पर लपेट ली नेक्कर के अंदर मैंने मीनू को सपने मै छोड़ते हुए और उसकी बुर की खुसबू सूंघते हुए उसकी पह्साब भरी पैंटी को चाटते हुए मुठ मारने लगा मैंने अपना सारा पानी मीनू की फटी हुई पैंटी और अपनी चड्डी मै निकाल दिया ३ बार झड़ने के कारण पटा ही नही चला की कब मै सो गया"
सुबह मुझे एहसास हुआ की कोई मुझे जगा रहा है.. तो मैंने आँख खोलते हुए पुछा कौन है गाड़ी कौन से स्टेशन पर खड़ी है .... मुझे जगाने वाला मेरा साला मीनू का भाई था बोला " देव जी उठिए निजामुद्दीन पर गाड़ी खड़ी है पिछले १५ मिनिट से सभी आपने घर पहुच गए आप अभी तक सोये हुए हूँ" मै फटाफट उठा और अपना सामान बटोरा वैसे ही हात मै लिया और प्लेटफोर्म पर उतर आया. वहा सबसे पहले मेरी नज़र मेरी नै चुदैल जानेमन मीनू पर पड़ी वो बिल्कुल फ्रेश लग रही थी. उसके चेहरे से कटाई ऐसा नही लग रहा थी कई रात को मैंने इसी ट्रेन मै मीनू की बुर का अपने हल्लाबी लंड से उदघाटन किया था और उसकी सील तोडी थी
प्लेटफॉर्म पर बहुत thund थी सुन्हेरी धुप खिली थी मै टीशर्ट और नेक्कर मै खड़ा था. मैंने मीनू का कम्बल और चादर घड़ी कर के उनको शौंपे और उनका धन्यवाद दिया मै अपने एयर पिल्लो की हवा ऐसे निकाल रहा था जैसे मीनू के दूध दबा रहा हूँ और यह मीनू को और उसकी कजिन को दिखा भी रहा था. मैंने उनलोगों से पुछा की आप कहा जायेंगे मीनू का भाई बोला हमको सरोजिनी नगर जाना है और आपनो कहा जाना है.
मुझे भी सरोजिनी नगर जाना था वहा पर मेरे दोस्त की शादी है... मैंने उनलोगों को जवाब दिया.
मैंने कहा मेरे साथ चलिए.... मुझे लेने गाड़ी आई होदी बहार....वो लोग बोले नही नै आप चलिउए हम बहुत सारे लोग है और इतना सारा समान है आप क्यों तकलीफ करते है....मैंने कहा इसमे तकलीफ जैसे कोई बात नही हम आखिल एक ही मोहल्ले के लोग है इसमे तकलीफ क्यों और किसे होने लगी फ़िर गाड़ी माँ अकेला ही तो जाउंगा यह मुझे अच्छा नही लगेगा. मीनू की कजिन धीमे से बोली रात की म्हणत सुबह रंग ला रही है... और मुझे मीनू को देखर हलके से मुसुरा पड़ी. हम सभी बहार आए तो देखा की एक टाटा सूमो पर मेरे नाम की स्लिप लगी हुई थी मैंने मीनू के भाई और मम्मी से कहा की देखिये किस्मत से मेरे दोस्त ने भी बड़ी गाड़ी भेजी है. इसमे हम सब और पूरा सामान भी आ जाएगा. गाड़ी मै सारा सामान लोड कर सभी को बैठा कर गाड़ी रिंग रोड पर निकलते ही मैंने गाड़ी साइड मै रुकवाई और एक पको मै घुस गया वहा से अपने दोस्त को फ़ोन किया की यार मेरे लिए एक रूम की अलग अर्रंगेमेंट हो सकती है क्या... उसने पुछा क्यों.... मैंने कहा देखा तेरे लौडे का इन्तेजाम तो कल हो गया तू कल ही चूत मारे गा मै अपने लिए अपनी चूत का इन्तेजाम सागर से ही कर के लाया हूँ... रत मै ट्रेन मै मारी थी चूत पर मजा नही aaya तसल्ली से मारना छठा हूँ. मेरा दोस्त बोला " देव भाई तुमसे तो कोई लड़ी पटती नही थी यह एक ही रात मै तुमने कैसे तीर मार लिए और तुमने उसे चोद हख डाला वह यार वहः मुझे बड़ा अच्छा तोहफा दे रहे हूँ मेरे शादी मै सुबह सुबह मुझे ही गोली दे रहे हूँ... मैंने कहा बोल तू कर सकता है तो ठीक नही तो मै होटल जा रहा हो मुझे मेरे दोस्त ने आसुर करा दिया की वो ऐसा इन्तेजाम कर देगा. मै फ़ोन का बिल देकर गाड़ी मै बैठ और इंतज़ार कराने के लिए सभी को सॉरी बोला और ड्राईवर को चलने का हुकुम दिया ...मैंने पुछा आप लो सरोजिनी नगर मै किसके येहा जायेंगे...
मीनू की मम्मी बोली " बेटा मेरी बहिन के लड़के की शादी है... कल की मिस्टर कपूर... रोहन कपूर.....
" ओह फ़िर तो मजा ही आ गया भाई" मै उचलता हुआ बोला.. सब मेरे को आश्चर्य भरी निघाहों से देखने लगे सो मै आगे बोला " वो.. वो.. क्या है की मुझे बी कप्पोर साहब के बेटे यानि सुमित की शादी मै जाना है.. हम दोनों एक साथ नौकरी मै आए थे बत्च्माते है... "'मेरा इतना कहना था की मेरी मासूमियत पर सभी हस पड़े बैटन बैटन मै कब सुमित का घर आ गया पटा ही नही चला.... पर मै सुमित से आँख नही मिला प् रहा था.. जल सब घर के अंदर चले गए तो मैंने ड्राईवर को रुकने को बोला और अपना बैग गाड़ी मै छोड़ कर सुमित को बुलाने उसके घर मै गया... सुमित आकर मेरे से लिपट गया.. बहुत खुस था सुमित पर मै उससे आँख नही मूल प् रहा था मैंने सुमित को एक तरफ़ ले जाकर बोला " देख यारा बुरा मत मानियू .. तुम्हारे यह मेहमान बहुत है मै ऐसा करता हूँ की मै और सुधीर मेरा एक और दोस्त दोनों होटल मै रुक जाते है.." मेरा इतना कहते ही सुमीत के चेरे के भाव बदल गए.. सुमित ने कहा " देख भाई देव मै जानता हूँ की तुम होटल क्यों जा रहे हो यार कोई बात नही तुमने रेखा (मीनू की कजिन) को चोद दिया तो क्या हुआ.. इससे कोई फर्क नही परता.. यदि तुम मीनू को भी चोद देते तो इसमे कोई दिक्कत नही थी मै भी उसको चोदना चाहता था पर मौका नही इला या मेरी हिम्मत नही हुई.. इसे दिल पे मत ले यार" मौज कर यारा मैंने तेरे लिए स्पेशल रूम का अर्रंगेमेंट किया है वो भी तुम्हारी डार्लिंग के साथ वाले रूम मै" यह सुनका र मेरी जान मै जन आई. मै सुमित को क्लेअर कर देना चाहता था की मै रेखा नही मीनू को चोदना चाहता हूँ." सो मैंने कहा मैंने मीनू को चोदा है ट्रेन मै.... और उसको ही तसल्ली से चोदना चाता ho.."''''... ..
सुमित बोला " सेक्सी तो रेखा थी पर तुमने मीनू को कैसे चोद लिया.. वो बधाई हो my boy......... ..तभी मीनू थोड़ा लंगडा के चल रही थी. तुमने तो ऑफिस मै अपनी मैडम को भी तगड़ा चोदा था जबकि वो शादी सुदा थी वो तो २ दिन चल फ़िर भी नही सकी थी"
" बजस तुम दोनों दरवाजे पर ही बातें करते रहोगे क्या? सुमित इसे इसके VIP कमरे मे पहुचादो .. कैसे हो देब बेटा" कहते हुए सुमित के पापा आ रहे थे.....
मैंने उनके पैर छुए और उनसे थोडी बातें करी. फ़िर सुमीत मेरे को अपने रूम मे ले गया.. सुमीत के पिता बहुत बड़े बिज़नस मैंन थे बहुत्बदा बुन्ग्लोव था उनका सुमीत ने मुझे सेकंड फ़लूर पर जहा सिर ३ ही कमरे थे और मीनू वगैरह भी वोही रुके थे रूम फिक्स किए थे.. रूम बहुत शानदार था एक doubble bed tv, vcd player phone sab kuch thaa.... sumeet bola " क्यों देव कैसा लगा मेरा इन्तेजाम तुम्हारी चूत भी तुम्हारे बल्गल मे है और एक खास बात बताऊ मे मीनू की bathroom tumhari bathroom se attached hai बीच मे secteat दरवाजा है आओ मे तुमको दिखा दू उसने मेरे को वो दूर दिखा दिया और कैसे खुलता है वो भी दिखा दिया मे वहा से मीनू के बाथरूम मे पहुच सकता था और वहा से उसके रूम मे. अछा चल तैयार होजा और फटाफट नीचे आजा साथ नास्ता करेंगे ... मे सुमित को बोला " सुमित तो मीनू की चूत की खुसबू लेना चाहेगा ."
सुमित ने कहा कैसे मैंने मीनू की पैंटी का वो फटा हिस्सा उसको दोखाया और उसको सूंघने को दे दिया.. मे और सुमित पहले बी कैर लारकिया साथ मिलकर चोद चुके थे उसको चूत की स्मेल के बारे मे पटा था बहुत अची है रे देव मीनू की बुर तो मे तो उसकी बुर के नाम पर मुट्ठ ही मारता रह गया पर तुने मेरे लंड का बदला ले लिया.. यह सब बातें बात बाथरूम मे ही हो रही थी... सुमित मेरे रूम से चला गया घर काफ़ी हो हल्ला हो रहा था सो मैंने रूम लाक करके टीवी ओं कर दिया और नंगा होकर फ्रेश होने और नहाने बाथरूम मे घुस गया. बढ़िया गर्म पानी से नन्हे लगा तभी मुझे दीवार पर वोही सेक्रेअत दरवाजे पर कुछ टकराने की आवाज आई मैंने शोवेर बंद किया तो उस तरफ़ मीनू नहा रही लगता महसूस हो रही थी.... मैंने धीरे से सेक्रेअत दरवाजा खिसकाया जो की बिना किसी आवाज के सरकता था तो देखा एक बिल्कुल जवान नंगा जिस्म शोवेर मे मेरी तरफ़ पीठ किया अपनी बुर मे साबुन लगा रहा था मे भी मादरजात नंगा था मेरे लंड को चूत का ठिकाना का एहसास होते ही उछाल भरने लगा मैंने आव देखा ना ताव सीधा जाकर उसके मुह पर हाथ रखा जिससे वो डरकर ना चिल्ला पाए और उसकी गांड के बीच मे अपना हल्लाबी लौदा टिकते हुए उसकी पीठ से चिपक गया.. मेरी पकड़ जबरदस्त थी इसलिए वो हिल भी नही पाई मैंने शोवेर के नीचे ही उसके कानो मे कहा कहू जानेमन अब क्या इरादा है चालू एक बार फिर से चुदाई हो जाए और मे उसकी चूत पर हात फिरने लगा उसने अपनी बुर मे सबुर घुसा रखा था वो सबुर से अपनी चूत चोद रही थी मैंने कहा यह जगह सबुर रखने की नही लंड रखवाने की है और मे उसके चूत के दाने कओ मसलने लगा. पहले तो उसने टाँगे सिकोडी पर दाने को मसलने से वो गरमा गई थी उसने अपनी टाँगे ढीले छोर दी मैंने अभी तक उसका मुह ताकत से बंद कर रखा था मैंने कुछ देर इसकी पोसिशन मे उसकी बुर का दाना मसला और फ़िर मैंने अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी बुर के हौले मे घुसा दी ... बहुत गरम और टाइट चूत थी.. मैंने अपनी ऊँगली से उसकी बुर को छोड़ने लगा था वो मस्ताने लगी थी थी और उसकी बुर पनियाने लगी वो हिल रही थी अपनी गांड भी जोरो से हिला रही थो मैंने अपनी ऊँगली को उसकी बुर मे तेज़ी से पलना शुरू कर दिया यानि की स्पीड बड़ा दी इधर मेरा हल्लाबी लंड जो की उसकी मदमाती गांड मे फसा हुआ था फनफना रहा था उसकी भी भुर गरमा गई थी.. तभी उसने अपने एक हात मेरी उस तेली हर रखा जिसे मैं उसकी बुर को चोद रहा था फ़िर उसने अपना हाथ मेरे लौडे को चुने के लिए नीचे लगाया वो सिर्फ़ मेरे सुपाडे को ही तौच कर पाई वो चटपटा रहेई थी
बहुत गरम और टाइट चूत थी.. तभी उसने अपने दोनों हाथो से मेरा हाथ अपने मुह से हटाने की नाकाम कोशिक करने लगी. मुझे उसकी यह हरकत ठीक नही लगी तो मै उसे बाथरूम से खीच कर अपने बेडरूम मै ले आया और उसको उल्टा ही बेद पर पटक दिया जैसे ही वो पलती मेरे होश फ्हाकता हो गए वो रिका thi... मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और अपने टीवी की वोल थोडी और बड़ा दी रेखा का बदन बहुत सेक्सी था उसके कड़क बिल्कुल गोलाकार 36 साइज़ के मम्मे सुराही दार गर्दन, २-2½ इंच गहरी नाभि हल्का सा सामला रंग रेखा की चुद डबलरोटी की तरह फूली हुई थी रेखा ने अपनी झांते बड़ी ही कुशलता से सजा राखी थी मै तो रेखा को नंगी देख कर बेकाबू हो रहा था रेखा अपनी चूत दोनों हातू se धाक रही थी और मेरे से कहने लगी प्लीज़ मुझे जाने दो .. मीनू नहाकर आजायेगी तो मुझे दिक्कत हो जायेगी.. मैंने पुछा तुम्हारा रूम अंदर से तो लाक है बा.. बोली हां है मैंने कहा तो फ़िर क्या फिकर तुम जैसे सेक्सी लड़की को नहाने मै टाइम तो लगेगा ही. रेखा तुम बहुत सेक्सी और खूब सूरत और तुम्हारी चूत तो बहुत गजब की है इसमे जबरदस्त रस भरा हुआ है मुझे यह रस पिला दो प्लीज़ और मै रेखा के ऊपर टूट पडदा रेकः के औत बहुत ही रस भरे थे मैंने उसके औत्हू को अपने ओठों मै कास लिए और उसके लिप्स को चूसने लगा मै एक हाथ से रिका की मस्त जवानी के मम्मे भी मसल रहा था और अपना लौड़ा उसकी बुर के ऊपर टिका कर रगड़ रहा था पहले तो रिका चत्पटती रही पर जैसे ही मैंने उसके शरीर पर अपने शरीर के हिस्सों का दबाब बढाया तो वो भी कुछ ढीली पड़ने लगी. अब रिका ने अपनी चूत से अपने हाथ हटा लिए थे मैंने रिका के शरीर को सहलाना शुरू किया मै उसकी अंदरूनी जान्ग्हू और चूत पर ज्यादा ध्यान दे रहा था. रेखा भी अब जवाब देने लगी थी और सिसियानी लगी थी रेखा का बदन बड़ा ही गुदाज़ बदन था और ऐसे ही फुद्दी वाली उसी बुर थी मै अब रिका के निप्प्ले को चूसने के लिए उसके औऔन्त को चूमते और चाट ते हुए नीचे मम्मो की घाटी की और चल पड़ा रेखा बहुत जोरो से सिसियाने लगी थी.. ...... मैंने जैसे ही उसके मस्त मामो की सहलाना और उनके किनारों से चूसना चालो किया रेखा चतपताने लगी मै एक निप्प्ले हाथ से मसल रहा था और दूसरा नीपल की और अपनी जीव ले जारहा था मै ऐसे tease कर रहा था रेखा को रेखा को भी अब मजा आने लगा था उसने नीचे हाथ दाल कर मेरा हल्लाबी लौड़ा pakad लिया और बोली हीई देव मीनू की बुर कितनी खुशनसीब है जिसको तुम्हारे लौडे जैसा चोदु लोवर मिला कल रात मै ट्रेन मै तुमने उसकी बुर के चीथड़े उदा दिए मैंने देखा मीनू लंगडाकर चल रही थी मैंने तुम दोनों की चुदाई के सपने देखते हुए 3 बार अपनी चूत ऊँगली से झारा डाली ही रजा बहुत मस्त लौड़ा ही... मैंने कहा रेखा तुम्हारी जवानी मै तो आग है तुमहरा बदन बहुत गुदाज और सुंदर सेक्सी है तुम्हारी पाव रोटी जैसे फूली चूत मुझे बहुत अची लगती है हीई और मै तेजी से उसे निप्प्ले चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को नीबू ki तरह मसलने लगा रेखा बहुत गरमा गई थी रेखा खेने लगी अब कंट्रोल नही होता अपना लौड़ा मेरी बुर मै घुसा दो फाड़ दो मेरी बुर बहुत खुजली हो रही है तुम्हारा लंड जो भी लड़की एक बार देख लेगी बिना चुद्वारी नही रह सकती.. और जिसने एक बार चुद्वालिया उसके तो कहने ही क्या वो हमेसा अपनी चूत का दरवाजा तुम्हारे लौडे के लिए खोले रखेगी मुझे जब मीनू ने तुम्हारे लौडे के पानी वाला रुमाल सुंघाया तो मेरी चूत ने अपने आप पानी चोर दिया मै समाज गई थी की तुम्हारा लंड तुम्हारे जैसा ही हल्लाभी होगा जो बेरी बुर की जी भर कर चुदाई करेगा और खुजली मिटाएगा पर यह नही जानती थी कुछ ही घंटो मै मुझे मेरी मुराद पूरी होने का मौका मिल जायेगा...हाई आब सेहन नही हो रहा जल्दी से अपना लौड़ा मेरी बुर में पेलू ........
मैं रेखा के माम्मे जबरदस्त तरीके से चूस रहा था और रेखा का तना चूत ka दाना मसल रहा था रेखा की चूत बहुत पनियाई हुई थी रेखा बहुत चुदासी हो रही थी रेखा की बुर पर करीने से काटी गई बेल बूटेदार झांटें बहुत सुंदर लग रही थी रेखा की पाव रोटी पिचक और फूल रही थी ऐसी बुर को मै पुट्टी वाली बुर कहता हूँ इसको चूसने और छोड़ने मै बहुत मजा आता है मै रेखा की बुर को उसकी लम्बाई मै कुरेद रहा था और बीच बीच मै एक ऊँगली उसकी बुर मै घुसा कर ऊँगली से बुर भी चुद देता रेखा की बुर मै लिसलिसा सा पानी था मैंने ऊँगली बहार निकाल कर सूनिग और चाट ली बहुत ही बढ़िया खुसबू थी और तसते तो पूछो ही मत मेरी चूत के पानी की प्यास्सी जीव रेखा की बुर को चूसने के लिए तड़प उठी मैंने रेखा के पैर के अंगूठे से चूसना शुरू किया और उसकी अंदरूनी जांघ तक चूसते चूसते पहुच गया मै रेखा की काली सामली पाव रोटी जैसी पुट्टी वाली बुर के आस पास अपनी जीव फिरने लगा वह जो उसका पानी लगा हुआ था उसको चाटने मै बहुत मजा आ रहा था रेखा से रहा नही जा रहा था.. ही देवव यह क्या हो रहा ही मेरे कोऊ ऐसा पहले कबी नही हुआ ही मेरी बुर को चूसो इसे चबा जाओ इसे खा जाओ रेखा ने मेरा सर पकड़ कर अपनी बुर पर लगा दिया उसकी पुत्ती वाली बुर को वो अपनी गांड उठाकर मेरे मुह पर रगड़ रही थी मैंने रेखा की दोनों तांगे फैलाई और उसकी बुर पर किस किया सी हीई मर गैईईई आया ऐसा कह रही थी फ़िर मैंने रेखा की पाव रोटी को उंगलियों से खोला और जीव से जबर्दास छाती शुरू कर दी ऊऊम्म्म्म हीईई सीईई बहुत अच्चा लग रही अहि देव उम्म्म्म और चूसू और चाटू अपनी जीव पूरी घुमा दू पहले किसी ने ऐसा मजा नही दिया ओम्म्म मेरी चूत झरने वाली हैई अईई जल्दी से कुछ करू मैंने अपनी जीव की रफ़्तार बड़ा दी रेखा अपनी दोनों टांगो से मेरे सर को दबा लिया मैंने अपनी जीव रेखा की गरम और लिसलिसी बुर की गुफा मै घुसा कर जैसे ही गोल गोल घुमाया अरे यार यह क्या कर दिया मेरी बुर तो पानी चुद राही ही लू और जूर से चूसू और पिच पिच कर के उसकी बुर ने तेज़ी से पुचकारी मारना चलो कर दिया मै तेज़ी से जीव चलता हुआ उसका पानी पी गया और चूत का दाना फ़िर से अपनी जीव में भर लिया रेखा मेरा लंड को प्यार करना चाहती थी सो उसने मेरे कहा तुम अपना लौड़ा मेरी और करो हम दोनों ६९ मै हो गए रेखा मेरा लौड़ा बहुत तेज़ी से और अच्छे से चूस रही थी ऐसा लग रहा था की रेखा पहली बार नही चुदवा रही वो पहले भी चुदवा चुकी थी मै रेखा की बुर के दाने को तेज़ी से चूस रहा था रेखा मेरे नीचे थी और मेरा लौड़ा चूस रही थी मै जितना प्रेशर उसकी बुर पर अपनी जीब से डालता उतनी ही प्रेशर से रेखा भी मेरे लौडे को चूसती मुझे ऐसा लगरहा था की मैंने अपना लंड यदि जल्दी रेखा के मुह से न निकला तो यह झड़ जाएगा मै रेखा के मुह से लंड निकल कर रेखा की बुर को और गहराई से चूसने लगा रेखा फ़िर से तईयार थी.. हाय मेरे चोदु रजा आज लगता ही मेरी बुर की खुजली पूरी तरीका से शांत होती मेरी पाव रोटी मै कई लौडे अपने जान गवा चुके है घुसते ही दम तोड़ देते है आज तुम मेरी बुर की जान निकल दू मेरे राजा..... मैंने रेखा की गांड के नीचे तकिया लगे उसकी पाव रोटी जैसे पुत्ती वाली बुर जैसे घमंड मै और फूल गई उस गुदाज पुत्ती वाली बुर से लिसलिसा सा कुछ निकल रहा था मुझे सेहन नही हुआ तो मैंने फ़िर से अपनी जीव उसकी बुर से लगा दी.. अरे रहा तुम भी डर रहे हो क्या मेरी पाव रोटी मै दम तोड़ने सी हीईई कोई तो मेरी बुर की खुजली शांत कर दे मैंने अपना लौड़ा उसकी बुर पर रखा और थोड़ा उसे क्लिटोरिस से बुर के एंड तक रगडा साथ मै मै उसके माम्मे बुरी तरह से रगड़ मसल रहा था रेखा अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लुंड को अपनी बुर मै घुसाने के लिए तड़प उठी मेरे रजा मत तड़पाओ मै मीनू नही रेखा हूँ मै चूत की खुजली से मर जाओंगी मेरी बुर को चोदो फादो उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी बुर के छेद पर टिका लिया और थोडी गांड उठाई तो पुक्क की आवाज के साथ सुपाडा उसकी बुर मै घुस गया सुपाडा का गुदाज बुर मै घुसना और रेखा के मुह से दर्द की करह निकलना शुरू हो गई उई मीनू मेरी बर्र मै पहली बार किसी ने जलता हुआ लोहा डाला ही मेरी बुर चिर गई गत गई कोई तो बचा ले मुझे बहुत मजा आ रहा था मैंने रेखा से कहा रेखा जानेमन पुट्टी वाली गुदाज बुर बहुत कम औरतों को नस्सेब होती है इनको बड़ी तसल्ली से चुदवाना चैये तुम्हारी चूत की तो मै आज बंद बजा दूँगा और मैंने रेखा के दोनों मम्मे अपने हाथ मै लिए और अपना औत उसके औत से चिपका दिया और पूरा लंड एक ही झटके मै पेलने के लिए जोरदार धक्का मारा एक झटके मै रेखा की बुर की दीवारों से रागाद्खता हुआ मेरा लंड आधी से ज्यादा रेखा की पाव रोटी वाली बुर मै धस चुका था मै कुछ देर रुका और लंड बहार खीचा सुपाडा को बुर मै रहने दिया और फिर से बुर फाड़ धक्का लगे इसबार मेरा लंड रेखा की बुर की गहराई मै जाकर धस गया मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी गरम मक्खान वाली किसी चीज को मेरे लंड पर बहुत कास कर बाँध दिया हो. उसकी बुर बहुत लिसलिसी और गरम थी मै रेखा को हलके हलके धक्के देकर छोड़ने लगा रेखा को अब मजा आ रहा था वो ही सी राजा औरर मारू यह बुर तुम्हारे लिए है मेरी बुर को चोदने के इनाम मै मै तुम्हारी मीनू के साथ सुहागरात मंवऊंगी बहुत मजा आ रहा ही पहले किसी ने ऐसे नही चूडा छोड़ते राहू मुझे लगता है की तुम्हारा लंड मेरे पेट से भी आगे तक घुसा हुआ ही मेरी चूत की तो आज बंद बज गई आरे देखो सालू ऐसे चुदवाई और चोदी जाती है चूत उम्म्म मेरे राजा बहुत माजा आ रहा ही उई मा मेरी पेट मै खलबली हो राइ ही येह्ह मई तो झरने वाली हूँ मई जाने वाली हूँ सो मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी रेखा ने मेरे से कहा देव तुम लेटो मुझे तुम्हारे लौडे की सवारी करने दो मै तुंरत लेट गया रेखा ने लौड़ा को ठिकाने पर रखा और ठप्प से मेरे लौडे पर बैठ गई और फटाफट उचकने लगी रेखा के ३६ साइज़ के मम्मे हवा मै उछाल मार रहे थी रेखा बहुत तेजी से झारी पर मै अभी नही झरने वाला था क्योंकि पीछे ६-८ घंटो मै ३ बार झर चुका था सो मैंने रेखा को कुतिया बनाया और भुत बेरहमी से चूडा. रेखा कहने लगी देव बहुत देरी हो जायेगी जल्दी से खाली करो अपना लौड़ा मेरी बुर मई फ़िर मैंने और तेज़ी से धक्के मारे और रेखा की बुर की गेरे मै झर गया रेखा ने मेरा लौड़ा चाट कर साफ़ किया और फ़िर चुदवाने के वादे के साथ विदा हो गई ....
मैंने दिल्ली मै सुमित के घर पर ही सुमित की सुहाग रात वाले कमरे मै मीनू के साथ भी सुहाग रात माने और रेखा और मीनू दोनों को चोदा पर यह सब बाद मै
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