हिंदी सेक्सी कहानियाँ
इंतेज़ार
उसके हाथ मेरे बदन पर से उतरे और मुझे एक थर-थराहट सी हुई. मुझे उसका अपनी उंगलियों से मुझे छूने का एहसास हुआ, बिल्कुल हल्के से, जैसे के वो मुझे छू ही नही रहा है लेकिन फिर भी जैसे मेरी आत्मा को छू रहा है.
ऐसा लग रहा था कि हर बार जब उसकी उंगलियाँ मुझे छूति, मेरे पैर खुद-बा-खुद थोड़ा सा खुल जाते. मुझे ये एहसास हो रहा था कि मैं अपना बदन उसकी तरफ बढ़ा रही थी, उसकी तरफ अपनी खुली हुई चूत बता रही थी कि जैसे मुझे उसको दिखाना है.
वो मुझे बार बार छू रहा था और मैं अपने आप को उसकी तरफ बढ़ा रही थी, उसके छूने की ख्वाहिश मुझमे दौड़ रही थी, उसकी छ्छूअन की तड़प मुझमे आग लगा रही थी.
मेरे हाथ उन रस्सियों को खींच रहे थे जिन से वो पलंग के कोनों को बँधे हुए थे. मेरी आँखों पर पट्टी बँधी हुई थी जिसके नीचे से मैं रोशनी के लिए तरस रही थी, लेकिन मुझे कुच्छ नज़र नही आ रहा था. मैने अपने पैर हिलाने की कोशिश की लेकिन उन रस्सियों की ताक़त की आगे झुक गयी जिन से वो बँधे थे. सब कुच्छ बड़ी सख्ती से बँधा हुआ था. वो मुझे इस तरहा बाँधने में, इस तरहा छेड़ने में बड़ा माहिर था. मेरा यह सोचना के यह ज़ुल्म जल्द ही ख़तम हो जाएगा, बड़ा ग़लत था.
मेरे होंठो से एक आवाज़ निकली जब उसने अपनी उंगलियाँ मेरे बदन पर से हटा ली, मेरे कान उसके कदमो की आवाज़ के लिए तरस गये जब वो पलंग के पास चलने लगा, दूसरी तरफ आने के लिए. मैने सोचने की कोशिश कि के उसकी अगली चाल क्या होगी, लेकिन मुझे पता नही चल सका. हर बार वो मुझे चौंका देता है, कुच्छ नया करके. कभी पिच्छली बार जैसा नही होता, लेकिन हमेशा पिच्छली बार जैसा मुझे पागल कर जाता था.
मेरे ज़हेन में उसके कदमो की आहट गूँज रही थी, वो कमरे की उस तरफ गया और मुझे एक ड्रॉयर खुलने की आवाज़ आई. मेरे दिल को धड़का लगा जब मैने सोचा के वो ड्रॉयर में से क्या निकाल रहा होगा. हम अपने खिलोने उस ड्रॉयर में रखते हैं, रस्सियाँ, आँखों और मूँह पर बाँधने की पट्टियाँ. और उसमें कुच्छ ऐसी चीज़ें भी थी जिस से वो मुझे दर्द पहुँचा सकता था, हल्के से, जैसे मुझे पसंद है. मुझे एक हल्की सी आवाज़ सुनाई दी कि जैसे वो कुच्छ चीज़ ढूंड रहा था ड्रॉयर में. फिर वो ड्रॉयर बंद हो गया और वो मेरी तरफ वापस आ गया.
मैने उसे अपनी फ़िक्र बताने की कोशिश की. मैं अपने बंधनों से निकलने की कोशिश कर रही थी, चादर मेरे नीचे मसल रही थी, अपना चेहरा तकिये पर घिस रही थी के शायद आँखों पर की पट्टी थोड़ी सी ढीली हो और मैं देख पाउ के उसके हाथ में क्या है. उसने अपनी ज़बान से एक हल्की सी आवाज़ निकाली, मुझे ये इशारा किया के मैं खामोश हो जाऊ और मैं चुपके से पलंग पर गिर गयी.
मेरी साँसों के साथ मेरा सीना उपर नीचे हिल रहा था, वो पास में खड़ा था, बिना हिले. मैने अपना बदन पलंग से घिसने की कोशिश की, मेरे बदन में एक थर-थराहट सी हुई और मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो सारे एहसासात कहीं मेरे अंदर एक जगह पर मिल गया है, एक संगम पर. मेरा बदन खुद-बा-खुद उसकी तरफ उठ गया के जैसे मैं उसे उसकी खुशी के लिए अपनी अदाएँ पेश कर रही थी.
वो धीरे से हसा, और मेरे अतराफ् से चल कर दूसरी तरफ आया.
मैने अपनी उंगलियाँ खोली फिर बंद कर लीं उन रस्सियों के अतराफ् जिन से मेरे हाथ बँधे हुए थे और मैने अपने आप को तसल्ली देने की कोशिश की. इस बेबसी में बहुत आसान था अपने आप को खाबू में ना रख पाऊँ, इन एहसासों में खो जाऊं. लेकिन मैने अपनी कुच्छ इज़्ज़त बचाए रखने की कोशिश की, के मैं ना हिलूं जब तक के वो यह सोंच ना ले के वो मेरे साथ क्या करेगा.
मेरे दबे हुए होंठो से एक आवाज़ निकली, एक आवाज़ जो बिल्कुल जानवरों जैसी थी. मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया उसे सुनते ही. मुझे बिल्कुल उमीद नही थी कि ऐसा होगा, बड़ा अचानक ही हुआ, मेरे खुद के लिए भी. मेरे दिमाग़ में उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा दिखाई दिया, उसे पता था कि उसका मेरे बदन पर पूरा पूरा काबू था.
कुच्छ चीज़ मेरी त्वचा को छू गयी और में बिल्कुल दंग रह गयी, तखरीबन पलंग से उच्छल गयी, सारा बदन उसकी तरफ उठ गया. उसने लेदर को मेरी पीठ पर से नीचे खींचा, एक ही हल्के से झटके में – जैसे कि पहले अपनी उंगलियों से लिया था. पूरी नीचे ले जाने के बाद फिर वापस मेरी पीठ पर से उसने उसे मेरी गर्दन पर ला दिया.
मैं ने अपना सर पलंग में दबा दिया ताकि वो मेरी गर्देन पर और अच्छे से छ्छू सके. उसने वो छ्होटे छ्होटे लेदर के टुकड़ों से मेरी गर्दन पर गुड़गुली की, मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, लेकिन फिर उसने वो हटा लिया.
उसने ज़ोर से मुझ पर उस लेदर के डंडे से मारा, मुझे उसकी आवाज़ आई, लेकिन इतना वक़्त नही था कि मैं अपने आप को उसके लिए तयार कर पाती. लेदर के मेरे बदन को लगने पर एक ज़ोर की आवाज़ आई और ऐसा लगा जैसे मेरा पूरा का पूरा बदन पलंग पर से उचक गया है. मेरे बदन में थर-थराहटें होने लगी जब मुहे उसके खदमों की आहट आई. वो पलंग के अतराफ् से घूम कर दूसरी तरफ आ रहा था. मेरा दिमाग़ यही सोचने में लगा हुआ था कि वो कौनसी जगह अपना दूसरा वार करेगा. मेरे बदन के सब हिस्से इंतेज़ार से थर-थारा रहे थे.
एक और आवाज़ और इस बार मेरे रानों पर. मुझे अपनी छ्छूठ की गर्माहट में एक हल्का सा फ़र्क़ महसूस हुआ. वो गर्मी कुच्छ और बढ़ी, और मैने अपना बदन उसकी तरफ़ एक बार फिर बढ़ाया.
मुझे उसकी इतनी ज़रूरत थी, मैं उसके लिए तड़प रही थी. मैने एक आवाज़ निकाली, कि जैसे उससे मुझे छ्छूने को कह रही हूँ.
मुझे एक `धड़' सी आवाज़ आई जब उसने वो लेदर की लकड़ी को नीचे फेंका. मैने एक चैन की साँस ली और मेरी जान में जान आई. मुझे फिर से उसके कदमो की आहत सुनाई दी और मैने अपना चेहरा उसकी तरफ किया, लेकिन उसे देख नही सकती थी.
मेरे होंठो से एक आह निकली जब उसने उंगली से वो जगह को छूआ जहाँ उसने अभी अभी मुझे मारा था. वहाँ थोड़ा सा मोटा होगया था और उसने अपनी उंगली वो पूरी जगह पर सहलाई. मेरा बदन फिर से उसकी तरफ उठने लगा.
उसकी उंगलियाँ जब मेरे बदन पर से उठ गयीं तो मुझे एक सर्द सा एहसास हुआ. मैं पलंग पर वापस गिर पड़ी, मेरा बदन उसकी एक और छ्छूअन के लिए तरस रहा था.
मेरी चूत कच्ची हो चुकी थी, रेले निकल कर नीचे की चादर को गीली कर रहे थे. मैं जब भी थोड़ा सा हिलती तो मुझे वो गीलापन महसूस हो रहा था. वो गीलापन ही एक अजब सी गर्मी पैदा कर रहा था मेरे अंदर, और मुझे लग रहा था कि मेरा बदन, मेरी चूत उसके लिए पूरी खुल कर पेश हो रही थी. मेरे अपने गीलेपन की खुश्बू मुझे आ रही थी.
मुझे एक ठंडी सी चीज़ का एहसास हुआ, जब उसने मेरी चूत पर कुछ लगाया. वो उसे वहाँ हल्के से मल रहा था और उस चीज़ का गोल वाला तरफ मेरे अंदर डाला. मैने अपने आप को पलंग पर से उठा दिया और कोशिश कि के वो मेरे और अंदर डाल दे. मेरे होंठो से अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी जब वो लंड मेरे अंदर पूरा चला गया और फिर उसने निकाल लिया.
मैने अपने पूरे बदन को संभाला और वापस पलंग पर गिर गयी. मुझे उसकी हसी सुनाई दी और उसने फिर से वो मेरे अंदर डाला, बस थोड़ा सा, और फिर निकाल लिया. वो गीला सा लंड उसने मेरे चूत के ऊपर सहलाया, वो सारी गीली आवाज़ें मेरी कानों में गूँज रही थी. उसने वो मुझे लगाया और मेरे होंटो से एक हल्की सी आवाज़ निकली.
उसने फिर उस लंड को हटा लिया और मैं वहीं अपने ही गीलेपन में पड़ी थी. मैं अपने उंगलियों की मुट्ठी बना कर खोल रही थी, पता नही कि वो अब क्या करेगा. मुझे वो चाहिए था, मेरे अंदर.
उसने एक उंगली से मेरी पीठ को छुआ, और वो उंगली पूरा नीचे से ऊपर ले गया. मुझे ये अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था, मुझे चूतमे उसका लंड चाहिए था.
"प्लीज़," मैने उसे कहा. "प्लीज़, अभी."
उसकी उंगलिया मुझ पर से उठ गयी और वो मेरे पीछे आ गया. मेने अपने आप को उठा दिया, मुझे बिल्कुल पता था के मैं उसे कैसी लग रही थी. मैने अपनी चूत उसकी तरफ बढ़ाई, के वो मुझे छ्छूए, मेरे अंदर समा जाए.
मुझे उसके कपड़े उतारने की आवाज़ आई. मुझे बहोत खुशी हुई की जब मैने सोचा कि आगे क्या होगा. सारा पलंग हिलने लगा जब वो उस पर चढ़ गया और मेरे ऊपर आ गया; उसके हाथ मेरे दोनो तरफ थे. मुझे उसका मोटा सा लंड मेरी गीली चूत पर होने का एहसास हुआ.
मैं उसकी तरफ हटी के वो मेरे अंदर आ जाए. वो वापस हट गया, मुझे सत्ताने लगा, और हल्के से अपने लंड से मेरी चूत को मारा. उसका लंड मुझे वहाँ लगा और मैं उस को लगा कर हिलने लगी, उसे अपनी चूत से मलने लगी.
उसने फिर अपना लंड मेरे अंदर डाला, पूरा का पूरा मेरे बदन के अंदर धकेल दिया. मेरी होंटो से एक चीख निकल गयी जब उसने मुझे भर दिया, उसका मोटा लंड मेरी गीली चूत में आराम से आगे पीछे हिलने लगा और मेरी साँसें तेज़ होने लगी.
मैं उसके साथ साथ आगे पीछे हिल रही थी. हमारे बदन पसीने से गीले हो चुके थे. मेरे सारे बदन में एक हुलचूल सी होने लगी जब चूत की पहली लहर मेरे बदन में से दौड़ी.
मेरे हाथ पैर थर-थराने लगे, ऐसा लग रहा था कि सारे बदन में से बिजली दौड़ गयी. मेरा सारा बदन उसके नीचे हिल रहा था जैसे मुझे मुक्ति मिली.
वो तो और ज़ोर से अंदर बाहर हिलने लगा, और मेरी चूत अब और भी नाज़ुक हो गयी थी, हर छ्होटी सी जगह पर मैं महसूस कर रही थी, जहाँ भी वो मुझे छ्छू रहा था.
मुझे उसकी साँसें सुनाई दे रही थी, तेज़ होती हुई और फिर उसका हिलना एकदम से बंद हो गया. उसका मोटा लंड मेरे अंदर मुझे महसूस हो रहा था और फिर मुझे उसका सारा गीलापन अपने अंदर छ्छूटने का एहसास हुआ.
मैने मेरी चूत उसके लंड के अतराफ् लपेट ली, और सब कुच्छ उसमें से निचोड़ लिया. उसने मेरे कान में एक आराम-देह अव्वाज़ निकाली, उसका बदन थर-थराना बंद हुआ और वो मेरे ऊपर गिर गया.
मेरी साँसें भी अभी तक थमी नही थी और जब वो मेरे अंदर से अपना लंड निकालने लगा तो मैने अपनी चूत उसके अतराफ् बंद करली, और ज़ोर से निचोड़ने के लिए.
मैने अपना बदन उसकी तरफ उठा दिया. मैं नही चाहती थी कि वो अपना लंड मेरी चूत में से निकाले.
"मुझे ठंडे पानी से नहाना है," उसने धीरे से मेरे कान में कहा. "फिर हम वापस शुरू करेंगे."
"ठीक है," मैने कहा, पलंग पर आराम से अपने आप को जमाते हुए.
मेरा बदन वैसे ही इंतेज़ार में बेचैन थर-थाराता रहा और वो कमरे से बाहर चला गया. मैने अपनी आँखों पर की पट्टी के अंदर ही अपनी आँखें बंद कर ली और सोचने लगी के वो आगे क्या करेगा. पर मैं इंतजार के सिवा क्या कर सकती थी
तो दोस्तो कैसी लगी ये इंतजार की कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
Intjaar
uske haath mere badan par se utre aur mujhe ek thar-tharahat si hui. Mujhe uska apni ungliyon se mujhe chhoone ka ehsaas hua, bilkul halke se, jaise ke who mujhe chhoo hi nahi raha hai lekin phir bhi jaise meri aatma ko chhoo raha hai.
Aisa lag raha tha ki har baar jab uski ungliyaan mujhe chhootien, mere payr khud-ba-khud thoda sa khul jaate. Mujhe ye ehsaas ho raha tha ki main apna badan uski taraf badha rahi thi, uski taraf apni khuli hui chhooth bata rahi thi ki jaise mujhe usko dikhaana hai.
Woh mujhe baar baar choo raha tha aur main apne aap ko uski taraf badha rahi thi, uske choone ki khwahish mujhme daud rahi thi, uski chhooan ki tadap mujhme aag laga rahi thi.
Mere haath un rassiyon ko kheench rahe they jin se woh palang ke konon ko bandhe hue they. Meri aankhon par patti bandhi hui thi jiske neechey se main roshni ke liye taras rahi thi, lekin mujhe kuchh nazar nahi aa raha tha. Maine apne payr hilane ki koshish ki lekin un rassiyon ki taqat kea age jhuk gayi jin se who bandhe they. Sab kuchh badi saqti se bandha hua tha. Woh mujhe is tarha baandhne mein, is tarha chhedne mein bada maahir tha. Mera yeh sonchna ke yeh zulm jald hi khatam ho jayegaa, bada ghalat tha.
Mere honton se ek awaaz nikli jab usne apni ungliyaan mere badan par se hata lee, mere kaan uske khadmon ki awaaz ke liye taras gaye jab who palang ke atraaf chalne laga, doosri taraf aane ke liye. Maine sochne ki koshish ki ke uski agli chaal kya hogi, lekin mujhe pata nahi chal saka. Har baar woh mujhe chaunka deta hai, kuchh naya karke. Kabhi pichhli baar jaisa nahi hota, lekin hameshaa pichhli baar jaisa mujhe pagal kar jaata tha.
Mere zehen mein uske khadamon ki aahat goonj rahi thi, woh kamre ki us taraf gaya aur mujhe ek drawer khulne ki aawaaz aayee. Mere dil ko dhadka laga jab maine socha ke woh drawer mein se kya nikaal raha hoga. Hum apne hilone us drawer mein rakhte hain, rassiyan, aankhon aur moonh par baandhne ki pattiyan. Aur usmein kuchh aisi cheezein bhi thi jis se woh mujhe dard pahuncha sakta tha, halke se, jaise mujhe pasand hai. Mujhe ek halki si awaaz sunai di ki jaise woh kuchh cheez dhoond raha tha drawer mein. Phir woh drawer band ho gaya aur woh meri taraf wapas aa gaya.
Maine use apni fikr bataane ki koshish ki. Main apne bandhanon se nikane ki koshish kar rahi thi, chaadar mere neeche masal rahi thi, apna chehraa takiye par ghass rahi thi ke shayad aankhon par ki patti thodi si dheeli ho aur main dekh paaon ke uske haath mein kya hai. Usne apni zabaan se ek halki si awaaz nikaali, mujhe ye ishaara kiya ke main khamosh ho jaaon aur main chupke se palang par gir gayee.
Meri saanson ke saath mera seena upar neeche hil raha tha, woh paas mein khada tha, bina hile. Maine apna badan palang se ghasne ki koshish ki, mere badan mein ek thar-tharahat si hui aur mujhe aisa laga ki jaise wo saare ehsaasaath kahin mere andar ek jagah par mil gaya hai, ek sangam par. Mera badan khud-ba-khud uski taraf uth gaya ke jaise main use uski khushi ke liye apni adayen pesh kar rahi thi.
Woh dheere se hasa, aur mere atraaf se chal kar doosri taraf aaya.
Maine apni ungliyan khloi phir band kar leen un rassiyon ke atraaf jin se mere haath bandhe hue they aur maine apne aap ko tasalli dene ki koshish ki. Is bebasi mein bahut aasaan tha apne aap ko khaaboo mein na rakh paaoon, in ehsaason mein kho jaaoon. Lekin maine apni kuchh izzat bachaye rakhne ki koshish ki, ke main na hiloon jab tak ke woh yeh sonch na le ke woh mere saath kya karegaa.
Mere dabe hue honton se ek awaaz nikli, ek awaaz jo bilkul jaanwaron jaisi thi. Mere chehra sharm se laal ho gaya use sunte hi. Mujhe bilkul umeed nahi thi ki aisa hogaa, bada achanak hi hua, mere khud ke liye bhi. Mere dimaagh mein uka muskuraata hua chehraa dikhaai diya, use pata tha ki uska mere badan par poora poora khaaboo tha.
Kuchh cheez meri twacha ko chu gayee aur mein bilkul dang reh gayee, takhreeban palang se uchhal gayee, saara badan uski taraf uth gaya. Usne leather ko meri peeth par se neeche kheencha, ek hi halke se jhatke mein – jaise ki pehle apni ungliyon se liya tha. Pori neeche le jaane ke baad phir wapas meri peeth par se usne use meri gardan par la diya.
Main ne apna sar palang mein dabaa diya take woh meri garden par aur acchhe se chhoo sake. Usne woh chhote chhote leather ke tukdon se meri gardan par gudgulee ki, mere chechre par ek muskan aa gayee, lekin phir usne woh hata liya.
Usne zor se mujh par us leather ke dande se mara, mujhe uski awaaz aayee, lekin itna waqt nahi tha ki main apne aap ko uske liye tayaar kar paatee. Leather ke mere badan ko lagne par ek zor ki awaaz aayee aur aisa laga jaise mera poora ka poora badan palang par se uchak gaya hai. Mere badan mein thar-tharahatein hone lagi jab muhje uske khadmon ki aahat aayee. Woh palang ke atraaf se ghoom kar doosri taraf aa raha tha. Mera dimaagh yehi sonchne mein laga hua tha ki woh kaunsi jagah apna doosra waar karegaa. Mere badan ke sab hisse intezaar se thar-tharaa rahge they.
Ek aur awaaz aur is baar mere raanon par. Mujhe apni chhooth ki garmaahat mein ek halka sa farq mehsoos hua. Woh garmi kuchh aur badi, aur maine apna badan uski tarf ek baar phir badhaaya.
Mujhe uski itni zaroorat thi, main uske liye tadap rahi thi. Maine ek awaaz nikaali, ki jaise usse mujhe chhoone ko keh rahi hoon.
Mujhe ek `dhad' si awaaz aayee jab usne woh leather ki lakdi ko neeche phenkaa. Maine ek chain ki saans li aur meri jaan mein jaan aayee. Mujhe phir se uski khadmon ki aahat sunai di aur maine apna chehraa uski taraf kiya, lekin use dekh nahi sakti thi.
Mere honton se ek aah nikli jab usne ungli se woh jagah ko chooa jahan usne abhi abhi mujhe maara tha. Wahan thoda sa mota hogaya tha aur usne apni ungli woh poori jagah par sehlaaee. Mera badan phir se uski taraf uthne laga.
Uski ungliyaan jab mere badan par se uth gayeen to mujhe ek sard sa ehsaas hua. Main palang par wapas gir padi, mera badan uski ek aur chhooan ke liye taras raha tha.
Meri chhooth kachhi ho chuki thi, rele naikal kar neeche ki chadar ko geeli kar rahe they. Main jab bhi thoda sa hilti to mujhe woh geelapan mehsoos ho raha tha. Woh geelapan hi ek ajab si garmi paida kar raha tha mere andar, aur mujhe lag raha tha ki mera badan, meri chhooth uske liye poori khul kar pesh ho rahi thi. Mere apne geelepan ki khushboo mujhe aa rahi thi.
Mujhe ek thandi si cheez ka ehsaas hua, jab usne meri chhooth par kuch lagaya. Woh use wahaan halke se mal raha tha aur us cheez ka gol waala taraf mere andar daala. Maine apne aap ko palang par se utha diya aur koshish ki ke woh mere aur andar daal de. Mere honton se ajeeb si awaazein nikal rahi thi jab woh lund mere andar poora chala gaya aur phir usne nikaal liya.
Maine apne poore badan ko sambhaala aur wapas palang par gir gayee. Mujhe uski hasee sunai di aur usne phir se woh mere andar daala, bas thoda sa, aur phir nikaal liya. Woh geela sa lund usne mere chooth ke oopar sehlaaya, woh saari geeli awaazein meri kaanon mein goonj rahi thi. Usne woh mujhe lagaaya aur mere honton se ek halki si awaaz nikli.
Usne phir us lund ko hataa liya aur main waheen apne hi geelepan mein padi thi. Main apne ungliyon ki mutthi bana kar khol rahee thi, pata nahi ki woh ab kya karegaa. Mujhe woh chahiye tha, mere andar.
Usne ek ungli se meri peeth ko chua, aur woh ungli poora neeche se oopar le gaya. Mujhe ye ab bardaasht ke bahar ho raha tha, mujhe chhoot chahiye thi.
"Please," maine use kaha. "Please, abhi."
Uski ukngliyaan mujh par se uth gayee aur woh mere peechhe aa gaya. Meine apne aap ko utha diya, kujhe bilkul pata tha ke main use kaisi lag rahi thi. Maine apni chhooth uski taraf badhaaee, ke woh mujhe chhooey, mere andar samaa jaaye.
Mujhe uske kapde utaarne ki awaaz aayee. Mujhe bahot khushi hui ki jab maine sochaa kea age kya hogaa. Saara palang hilne laga jab woh us par chad gaya aur mere oopar aa gaya; uske haath mere dono taraf they. Muhje uska mota sa lund meri geeli chhooth par hone ka ehsaas hua.
Main uski taraf hati ke woh mere andar aa jaaye. Woh wapas hat gaya, mujhe sattane kaga, aur halke se apne lund se meri chhooth ko maara. Uska lund mujhe wahaan lagaa aur main us ko lag kar hilne lagi, use apni chhooth se malne lagi.
Usne phir apna lund mere andar daala, poora ka poora mere badan ke andar dhakel diya. Meri honton se ek cheekh nikal gayee jab usne mujhe bhar diya, uska mota lund meri geeli chhooth mein araam se aage peechey hilne laga aur meri saansein tez hone lagi.
Main uske saath saath aage peeche hil rahi thi. Hamarey badan paseene se geele ho chuke they. Mere saare badan mein ek hulchul si hone lagi jab chhoot ki pehli lahar mere badan mein se daudi.
Mere haath payr thar-tharaane lage, aisa lag raha tha ki saare badan mein se bijli daud gayee. Mera saare badan uske neeche hil raha tha jaise mujhe mukti mili.
Woh to aur zor se andar bahar hilne laga, aur meri chhooth ab aur bhi nazuk ho gayee thee, har chhoti si jagah par main mehsoos kar rahi thi, jahaan bhi woh mujhe chhoo raha tha.
Mujhe uski saansein sunai de rahi thi, tez hoti hui aur phir uska hilna ekdam se band ho gaya. Uska mota lund mere andar mujhe mehsoos ho raha tha aur phir mujhe uska saara geelapan apne andar chhootne ka ehsaas hua.
Maine meri chhooth uske lund ke atraaf lapet li, aur sab kuchh usmein se nichod liya. Usne mere kaan mein ek aaraam-deh awwaz nikaali, uska badan thar-tharaana band hua aur woh mere oopar gir gaya.
Meri saansein bhi abhi tak thami nahi thi aur jab woh mere andar se apna lund nikaalne laga to maine apni chhooth uske atraaf band karli, aur zor se nichodne ke liye.
Maine apna badan uski taraf utha diya. Main nahi chahti thi ki owh apna lund meri chhooth mein se nikaley.
"Mujhe thande paani se nahaana hai," usne dheere se mere kaan mein kaha. "Phir hum wapas shuru kareinge."
"Theek hai," maine kaha, palang par aaraam se apne aap ko jamaate hue.
Mera badan waise hi intezaar mein bechain thar-tharaata raha aur woh kamre se bahar chala gaya. Maine apni aankhon par ki patti ke andar hi apni aankhen band kar li aur sochne lagi ke wo aage kya karegaa.
samaapt
Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories, aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories,,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,
--
इंतेज़ार
उसके हाथ मेरे बदन पर से उतरे और मुझे एक थर-थराहट सी हुई. मुझे उसका अपनी उंगलियों से मुझे छूने का एहसास हुआ, बिल्कुल हल्के से, जैसे के वो मुझे छू ही नही रहा है लेकिन फिर भी जैसे मेरी आत्मा को छू रहा है.
ऐसा लग रहा था कि हर बार जब उसकी उंगलियाँ मुझे छूति, मेरे पैर खुद-बा-खुद थोड़ा सा खुल जाते. मुझे ये एहसास हो रहा था कि मैं अपना बदन उसकी तरफ बढ़ा रही थी, उसकी तरफ अपनी खुली हुई चूत बता रही थी कि जैसे मुझे उसको दिखाना है.
वो मुझे बार बार छू रहा था और मैं अपने आप को उसकी तरफ बढ़ा रही थी, उसके छूने की ख्वाहिश मुझमे दौड़ रही थी, उसकी छ्छूअन की तड़प मुझमे आग लगा रही थी.
मेरे हाथ उन रस्सियों को खींच रहे थे जिन से वो पलंग के कोनों को बँधे हुए थे. मेरी आँखों पर पट्टी बँधी हुई थी जिसके नीचे से मैं रोशनी के लिए तरस रही थी, लेकिन मुझे कुच्छ नज़र नही आ रहा था. मैने अपने पैर हिलाने की कोशिश की लेकिन उन रस्सियों की ताक़त की आगे झुक गयी जिन से वो बँधे थे. सब कुच्छ बड़ी सख्ती से बँधा हुआ था. वो मुझे इस तरहा बाँधने में, इस तरहा छेड़ने में बड़ा माहिर था. मेरा यह सोचना के यह ज़ुल्म जल्द ही ख़तम हो जाएगा, बड़ा ग़लत था.
मेरे होंठो से एक आवाज़ निकली जब उसने अपनी उंगलियाँ मेरे बदन पर से हटा ली, मेरे कान उसके कदमो की आवाज़ के लिए तरस गये जब वो पलंग के पास चलने लगा, दूसरी तरफ आने के लिए. मैने सोचने की कोशिश कि के उसकी अगली चाल क्या होगी, लेकिन मुझे पता नही चल सका. हर बार वो मुझे चौंका देता है, कुच्छ नया करके. कभी पिच्छली बार जैसा नही होता, लेकिन हमेशा पिच्छली बार जैसा मुझे पागल कर जाता था.
मेरे ज़हेन में उसके कदमो की आहट गूँज रही थी, वो कमरे की उस तरफ गया और मुझे एक ड्रॉयर खुलने की आवाज़ आई. मेरे दिल को धड़का लगा जब मैने सोचा के वो ड्रॉयर में से क्या निकाल रहा होगा. हम अपने खिलोने उस ड्रॉयर में रखते हैं, रस्सियाँ, आँखों और मूँह पर बाँधने की पट्टियाँ. और उसमें कुच्छ ऐसी चीज़ें भी थी जिस से वो मुझे दर्द पहुँचा सकता था, हल्के से, जैसे मुझे पसंद है. मुझे एक हल्की सी आवाज़ सुनाई दी कि जैसे वो कुच्छ चीज़ ढूंड रहा था ड्रॉयर में. फिर वो ड्रॉयर बंद हो गया और वो मेरी तरफ वापस आ गया.
मैने उसे अपनी फ़िक्र बताने की कोशिश की. मैं अपने बंधनों से निकलने की कोशिश कर रही थी, चादर मेरे नीचे मसल रही थी, अपना चेहरा तकिये पर घिस रही थी के शायद आँखों पर की पट्टी थोड़ी सी ढीली हो और मैं देख पाउ के उसके हाथ में क्या है. उसने अपनी ज़बान से एक हल्की सी आवाज़ निकाली, मुझे ये इशारा किया के मैं खामोश हो जाऊ और मैं चुपके से पलंग पर गिर गयी.
मेरी साँसों के साथ मेरा सीना उपर नीचे हिल रहा था, वो पास में खड़ा था, बिना हिले. मैने अपना बदन पलंग से घिसने की कोशिश की, मेरे बदन में एक थर-थराहट सी हुई और मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो सारे एहसासात कहीं मेरे अंदर एक जगह पर मिल गया है, एक संगम पर. मेरा बदन खुद-बा-खुद उसकी तरफ उठ गया के जैसे मैं उसे उसकी खुशी के लिए अपनी अदाएँ पेश कर रही थी.
वो धीरे से हसा, और मेरे अतराफ् से चल कर दूसरी तरफ आया.
मैने अपनी उंगलियाँ खोली फिर बंद कर लीं उन रस्सियों के अतराफ् जिन से मेरे हाथ बँधे हुए थे और मैने अपने आप को तसल्ली देने की कोशिश की. इस बेबसी में बहुत आसान था अपने आप को खाबू में ना रख पाऊँ, इन एहसासों में खो जाऊं. लेकिन मैने अपनी कुच्छ इज़्ज़त बचाए रखने की कोशिश की, के मैं ना हिलूं जब तक के वो यह सोंच ना ले के वो मेरे साथ क्या करेगा.
मेरे दबे हुए होंठो से एक आवाज़ निकली, एक आवाज़ जो बिल्कुल जानवरों जैसी थी. मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया उसे सुनते ही. मुझे बिल्कुल उमीद नही थी कि ऐसा होगा, बड़ा अचानक ही हुआ, मेरे खुद के लिए भी. मेरे दिमाग़ में उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा दिखाई दिया, उसे पता था कि उसका मेरे बदन पर पूरा पूरा काबू था.
कुच्छ चीज़ मेरी त्वचा को छू गयी और में बिल्कुल दंग रह गयी, तखरीबन पलंग से उच्छल गयी, सारा बदन उसकी तरफ उठ गया. उसने लेदर को मेरी पीठ पर से नीचे खींचा, एक ही हल्के से झटके में – जैसे कि पहले अपनी उंगलियों से लिया था. पूरी नीचे ले जाने के बाद फिर वापस मेरी पीठ पर से उसने उसे मेरी गर्दन पर ला दिया.
मैं ने अपना सर पलंग में दबा दिया ताकि वो मेरी गर्देन पर और अच्छे से छ्छू सके. उसने वो छ्होटे छ्होटे लेदर के टुकड़ों से मेरी गर्दन पर गुड़गुली की, मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, लेकिन फिर उसने वो हटा लिया.
उसने ज़ोर से मुझ पर उस लेदर के डंडे से मारा, मुझे उसकी आवाज़ आई, लेकिन इतना वक़्त नही था कि मैं अपने आप को उसके लिए तयार कर पाती. लेदर के मेरे बदन को लगने पर एक ज़ोर की आवाज़ आई और ऐसा लगा जैसे मेरा पूरा का पूरा बदन पलंग पर से उचक गया है. मेरे बदन में थर-थराहटें होने लगी जब मुहे उसके खदमों की आहट आई. वो पलंग के अतराफ् से घूम कर दूसरी तरफ आ रहा था. मेरा दिमाग़ यही सोचने में लगा हुआ था कि वो कौनसी जगह अपना दूसरा वार करेगा. मेरे बदन के सब हिस्से इंतेज़ार से थर-थारा रहे थे.
एक और आवाज़ और इस बार मेरे रानों पर. मुझे अपनी छ्छूठ की गर्माहट में एक हल्का सा फ़र्क़ महसूस हुआ. वो गर्मी कुच्छ और बढ़ी, और मैने अपना बदन उसकी तरफ़ एक बार फिर बढ़ाया.
मुझे उसकी इतनी ज़रूरत थी, मैं उसके लिए तड़प रही थी. मैने एक आवाज़ निकाली, कि जैसे उससे मुझे छ्छूने को कह रही हूँ.
मुझे एक `धड़' सी आवाज़ आई जब उसने वो लेदर की लकड़ी को नीचे फेंका. मैने एक चैन की साँस ली और मेरी जान में जान आई. मुझे फिर से उसके कदमो की आहत सुनाई दी और मैने अपना चेहरा उसकी तरफ किया, लेकिन उसे देख नही सकती थी.
मेरे होंठो से एक आह निकली जब उसने उंगली से वो जगह को छूआ जहाँ उसने अभी अभी मुझे मारा था. वहाँ थोड़ा सा मोटा होगया था और उसने अपनी उंगली वो पूरी जगह पर सहलाई. मेरा बदन फिर से उसकी तरफ उठने लगा.
उसकी उंगलियाँ जब मेरे बदन पर से उठ गयीं तो मुझे एक सर्द सा एहसास हुआ. मैं पलंग पर वापस गिर पड़ी, मेरा बदन उसकी एक और छ्छूअन के लिए तरस रहा था.
मेरी चूत कच्ची हो चुकी थी, रेले निकल कर नीचे की चादर को गीली कर रहे थे. मैं जब भी थोड़ा सा हिलती तो मुझे वो गीलापन महसूस हो रहा था. वो गीलापन ही एक अजब सी गर्मी पैदा कर रहा था मेरे अंदर, और मुझे लग रहा था कि मेरा बदन, मेरी चूत उसके लिए पूरी खुल कर पेश हो रही थी. मेरे अपने गीलेपन की खुश्बू मुझे आ रही थी.
मुझे एक ठंडी सी चीज़ का एहसास हुआ, जब उसने मेरी चूत पर कुछ लगाया. वो उसे वहाँ हल्के से मल रहा था और उस चीज़ का गोल वाला तरफ मेरे अंदर डाला. मैने अपने आप को पलंग पर से उठा दिया और कोशिश कि के वो मेरे और अंदर डाल दे. मेरे होंठो से अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी जब वो लंड मेरे अंदर पूरा चला गया और फिर उसने निकाल लिया.
मैने अपने पूरे बदन को संभाला और वापस पलंग पर गिर गयी. मुझे उसकी हसी सुनाई दी और उसने फिर से वो मेरे अंदर डाला, बस थोड़ा सा, और फिर निकाल लिया. वो गीला सा लंड उसने मेरे चूत के ऊपर सहलाया, वो सारी गीली आवाज़ें मेरी कानों में गूँज रही थी. उसने वो मुझे लगाया और मेरे होंटो से एक हल्की सी आवाज़ निकली.
उसने फिर उस लंड को हटा लिया और मैं वहीं अपने ही गीलेपन में पड़ी थी. मैं अपने उंगलियों की मुट्ठी बना कर खोल रही थी, पता नही कि वो अब क्या करेगा. मुझे वो चाहिए था, मेरे अंदर.
उसने एक उंगली से मेरी पीठ को छुआ, और वो उंगली पूरा नीचे से ऊपर ले गया. मुझे ये अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था, मुझे चूतमे उसका लंड चाहिए था.
"प्लीज़," मैने उसे कहा. "प्लीज़, अभी."
उसकी उंगलिया मुझ पर से उठ गयी और वो मेरे पीछे आ गया. मेने अपने आप को उठा दिया, मुझे बिल्कुल पता था के मैं उसे कैसी लग रही थी. मैने अपनी चूत उसकी तरफ बढ़ाई, के वो मुझे छ्छूए, मेरे अंदर समा जाए.
मुझे उसके कपड़े उतारने की आवाज़ आई. मुझे बहोत खुशी हुई की जब मैने सोचा कि आगे क्या होगा. सारा पलंग हिलने लगा जब वो उस पर चढ़ गया और मेरे ऊपर आ गया; उसके हाथ मेरे दोनो तरफ थे. मुझे उसका मोटा सा लंड मेरी गीली चूत पर होने का एहसास हुआ.
मैं उसकी तरफ हटी के वो मेरे अंदर आ जाए. वो वापस हट गया, मुझे सत्ताने लगा, और हल्के से अपने लंड से मेरी चूत को मारा. उसका लंड मुझे वहाँ लगा और मैं उस को लगा कर हिलने लगी, उसे अपनी चूत से मलने लगी.
उसने फिर अपना लंड मेरे अंदर डाला, पूरा का पूरा मेरे बदन के अंदर धकेल दिया. मेरी होंटो से एक चीख निकल गयी जब उसने मुझे भर दिया, उसका मोटा लंड मेरी गीली चूत में आराम से आगे पीछे हिलने लगा और मेरी साँसें तेज़ होने लगी.
मैं उसके साथ साथ आगे पीछे हिल रही थी. हमारे बदन पसीने से गीले हो चुके थे. मेरे सारे बदन में एक हुलचूल सी होने लगी जब चूत की पहली लहर मेरे बदन में से दौड़ी.
मेरे हाथ पैर थर-थराने लगे, ऐसा लग रहा था कि सारे बदन में से बिजली दौड़ गयी. मेरा सारा बदन उसके नीचे हिल रहा था जैसे मुझे मुक्ति मिली.
वो तो और ज़ोर से अंदर बाहर हिलने लगा, और मेरी चूत अब और भी नाज़ुक हो गयी थी, हर छ्होटी सी जगह पर मैं महसूस कर रही थी, जहाँ भी वो मुझे छ्छू रहा था.
मुझे उसकी साँसें सुनाई दे रही थी, तेज़ होती हुई और फिर उसका हिलना एकदम से बंद हो गया. उसका मोटा लंड मेरे अंदर मुझे महसूस हो रहा था और फिर मुझे उसका सारा गीलापन अपने अंदर छ्छूटने का एहसास हुआ.
मैने मेरी चूत उसके लंड के अतराफ् लपेट ली, और सब कुच्छ उसमें से निचोड़ लिया. उसने मेरे कान में एक आराम-देह अव्वाज़ निकाली, उसका बदन थर-थराना बंद हुआ और वो मेरे ऊपर गिर गया.
मेरी साँसें भी अभी तक थमी नही थी और जब वो मेरे अंदर से अपना लंड निकालने लगा तो मैने अपनी चूत उसके अतराफ् बंद करली, और ज़ोर से निचोड़ने के लिए.
मैने अपना बदन उसकी तरफ उठा दिया. मैं नही चाहती थी कि वो अपना लंड मेरी चूत में से निकाले.
"मुझे ठंडे पानी से नहाना है," उसने धीरे से मेरे कान में कहा. "फिर हम वापस शुरू करेंगे."
"ठीक है," मैने कहा, पलंग पर आराम से अपने आप को जमाते हुए.
मेरा बदन वैसे ही इंतेज़ार में बेचैन थर-थाराता रहा और वो कमरे से बाहर चला गया. मैने अपनी आँखों पर की पट्टी के अंदर ही अपनी आँखें बंद कर ली और सोचने लगी के वो आगे क्या करेगा. पर मैं इंतजार के सिवा क्या कर सकती थी
तो दोस्तो कैसी लगी ये इंतजार की कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
Intjaar
uske haath mere badan par se utre aur mujhe ek thar-tharahat si hui. Mujhe uska apni ungliyon se mujhe chhoone ka ehsaas hua, bilkul halke se, jaise ke who mujhe chhoo hi nahi raha hai lekin phir bhi jaise meri aatma ko chhoo raha hai.
Aisa lag raha tha ki har baar jab uski ungliyaan mujhe chhootien, mere payr khud-ba-khud thoda sa khul jaate. Mujhe ye ehsaas ho raha tha ki main apna badan uski taraf badha rahi thi, uski taraf apni khuli hui chhooth bata rahi thi ki jaise mujhe usko dikhaana hai.
Woh mujhe baar baar choo raha tha aur main apne aap ko uski taraf badha rahi thi, uske choone ki khwahish mujhme daud rahi thi, uski chhooan ki tadap mujhme aag laga rahi thi.
Mere haath un rassiyon ko kheench rahe they jin se woh palang ke konon ko bandhe hue they. Meri aankhon par patti bandhi hui thi jiske neechey se main roshni ke liye taras rahi thi, lekin mujhe kuchh nazar nahi aa raha tha. Maine apne payr hilane ki koshish ki lekin un rassiyon ki taqat kea age jhuk gayi jin se who bandhe they. Sab kuchh badi saqti se bandha hua tha. Woh mujhe is tarha baandhne mein, is tarha chhedne mein bada maahir tha. Mera yeh sonchna ke yeh zulm jald hi khatam ho jayegaa, bada ghalat tha.
Mere honton se ek awaaz nikli jab usne apni ungliyaan mere badan par se hata lee, mere kaan uske khadmon ki awaaz ke liye taras gaye jab who palang ke atraaf chalne laga, doosri taraf aane ke liye. Maine sochne ki koshish ki ke uski agli chaal kya hogi, lekin mujhe pata nahi chal saka. Har baar woh mujhe chaunka deta hai, kuchh naya karke. Kabhi pichhli baar jaisa nahi hota, lekin hameshaa pichhli baar jaisa mujhe pagal kar jaata tha.
Mere zehen mein uske khadamon ki aahat goonj rahi thi, woh kamre ki us taraf gaya aur mujhe ek drawer khulne ki aawaaz aayee. Mere dil ko dhadka laga jab maine socha ke woh drawer mein se kya nikaal raha hoga. Hum apne hilone us drawer mein rakhte hain, rassiyan, aankhon aur moonh par baandhne ki pattiyan. Aur usmein kuchh aisi cheezein bhi thi jis se woh mujhe dard pahuncha sakta tha, halke se, jaise mujhe pasand hai. Mujhe ek halki si awaaz sunai di ki jaise woh kuchh cheez dhoond raha tha drawer mein. Phir woh drawer band ho gaya aur woh meri taraf wapas aa gaya.
Maine use apni fikr bataane ki koshish ki. Main apne bandhanon se nikane ki koshish kar rahi thi, chaadar mere neeche masal rahi thi, apna chehraa takiye par ghass rahi thi ke shayad aankhon par ki patti thodi si dheeli ho aur main dekh paaon ke uske haath mein kya hai. Usne apni zabaan se ek halki si awaaz nikaali, mujhe ye ishaara kiya ke main khamosh ho jaaon aur main chupke se palang par gir gayee.
Meri saanson ke saath mera seena upar neeche hil raha tha, woh paas mein khada tha, bina hile. Maine apna badan palang se ghasne ki koshish ki, mere badan mein ek thar-tharahat si hui aur mujhe aisa laga ki jaise wo saare ehsaasaath kahin mere andar ek jagah par mil gaya hai, ek sangam par. Mera badan khud-ba-khud uski taraf uth gaya ke jaise main use uski khushi ke liye apni adayen pesh kar rahi thi.
Woh dheere se hasa, aur mere atraaf se chal kar doosri taraf aaya.
Maine apni ungliyan khloi phir band kar leen un rassiyon ke atraaf jin se mere haath bandhe hue they aur maine apne aap ko tasalli dene ki koshish ki. Is bebasi mein bahut aasaan tha apne aap ko khaaboo mein na rakh paaoon, in ehsaason mein kho jaaoon. Lekin maine apni kuchh izzat bachaye rakhne ki koshish ki, ke main na hiloon jab tak ke woh yeh sonch na le ke woh mere saath kya karegaa.
Mere dabe hue honton se ek awaaz nikli, ek awaaz jo bilkul jaanwaron jaisi thi. Mere chehra sharm se laal ho gaya use sunte hi. Mujhe bilkul umeed nahi thi ki aisa hogaa, bada achanak hi hua, mere khud ke liye bhi. Mere dimaagh mein uka muskuraata hua chehraa dikhaai diya, use pata tha ki uska mere badan par poora poora khaaboo tha.
Kuchh cheez meri twacha ko chu gayee aur mein bilkul dang reh gayee, takhreeban palang se uchhal gayee, saara badan uski taraf uth gaya. Usne leather ko meri peeth par se neeche kheencha, ek hi halke se jhatke mein – jaise ki pehle apni ungliyon se liya tha. Pori neeche le jaane ke baad phir wapas meri peeth par se usne use meri gardan par la diya.
Main ne apna sar palang mein dabaa diya take woh meri garden par aur acchhe se chhoo sake. Usne woh chhote chhote leather ke tukdon se meri gardan par gudgulee ki, mere chechre par ek muskan aa gayee, lekin phir usne woh hata liya.
Usne zor se mujh par us leather ke dande se mara, mujhe uski awaaz aayee, lekin itna waqt nahi tha ki main apne aap ko uske liye tayaar kar paatee. Leather ke mere badan ko lagne par ek zor ki awaaz aayee aur aisa laga jaise mera poora ka poora badan palang par se uchak gaya hai. Mere badan mein thar-tharahatein hone lagi jab muhje uske khadmon ki aahat aayee. Woh palang ke atraaf se ghoom kar doosri taraf aa raha tha. Mera dimaagh yehi sonchne mein laga hua tha ki woh kaunsi jagah apna doosra waar karegaa. Mere badan ke sab hisse intezaar se thar-tharaa rahge they.
Ek aur awaaz aur is baar mere raanon par. Mujhe apni chhooth ki garmaahat mein ek halka sa farq mehsoos hua. Woh garmi kuchh aur badi, aur maine apna badan uski tarf ek baar phir badhaaya.
Mujhe uski itni zaroorat thi, main uske liye tadap rahi thi. Maine ek awaaz nikaali, ki jaise usse mujhe chhoone ko keh rahi hoon.
Mujhe ek `dhad' si awaaz aayee jab usne woh leather ki lakdi ko neeche phenkaa. Maine ek chain ki saans li aur meri jaan mein jaan aayee. Mujhe phir se uski khadmon ki aahat sunai di aur maine apna chehraa uski taraf kiya, lekin use dekh nahi sakti thi.
Mere honton se ek aah nikli jab usne ungli se woh jagah ko chooa jahan usne abhi abhi mujhe maara tha. Wahan thoda sa mota hogaya tha aur usne apni ungli woh poori jagah par sehlaaee. Mera badan phir se uski taraf uthne laga.
Uski ungliyaan jab mere badan par se uth gayeen to mujhe ek sard sa ehsaas hua. Main palang par wapas gir padi, mera badan uski ek aur chhooan ke liye taras raha tha.
Meri chhooth kachhi ho chuki thi, rele naikal kar neeche ki chadar ko geeli kar rahe they. Main jab bhi thoda sa hilti to mujhe woh geelapan mehsoos ho raha tha. Woh geelapan hi ek ajab si garmi paida kar raha tha mere andar, aur mujhe lag raha tha ki mera badan, meri chhooth uske liye poori khul kar pesh ho rahi thi. Mere apne geelepan ki khushboo mujhe aa rahi thi.
Mujhe ek thandi si cheez ka ehsaas hua, jab usne meri chhooth par kuch lagaya. Woh use wahaan halke se mal raha tha aur us cheez ka gol waala taraf mere andar daala. Maine apne aap ko palang par se utha diya aur koshish ki ke woh mere aur andar daal de. Mere honton se ajeeb si awaazein nikal rahi thi jab woh lund mere andar poora chala gaya aur phir usne nikaal liya.
Maine apne poore badan ko sambhaala aur wapas palang par gir gayee. Mujhe uski hasee sunai di aur usne phir se woh mere andar daala, bas thoda sa, aur phir nikaal liya. Woh geela sa lund usne mere chooth ke oopar sehlaaya, woh saari geeli awaazein meri kaanon mein goonj rahi thi. Usne woh mujhe lagaaya aur mere honton se ek halki si awaaz nikli.
Usne phir us lund ko hataa liya aur main waheen apne hi geelepan mein padi thi. Main apne ungliyon ki mutthi bana kar khol rahee thi, pata nahi ki woh ab kya karegaa. Mujhe woh chahiye tha, mere andar.
Usne ek ungli se meri peeth ko chua, aur woh ungli poora neeche se oopar le gaya. Mujhe ye ab bardaasht ke bahar ho raha tha, mujhe chhoot chahiye thi.
"Please," maine use kaha. "Please, abhi."
Uski ukngliyaan mujh par se uth gayee aur woh mere peechhe aa gaya. Meine apne aap ko utha diya, kujhe bilkul pata tha ke main use kaisi lag rahi thi. Maine apni chhooth uski taraf badhaaee, ke woh mujhe chhooey, mere andar samaa jaaye.
Mujhe uske kapde utaarne ki awaaz aayee. Mujhe bahot khushi hui ki jab maine sochaa kea age kya hogaa. Saara palang hilne laga jab woh us par chad gaya aur mere oopar aa gaya; uske haath mere dono taraf they. Muhje uska mota sa lund meri geeli chhooth par hone ka ehsaas hua.
Main uski taraf hati ke woh mere andar aa jaaye. Woh wapas hat gaya, mujhe sattane kaga, aur halke se apne lund se meri chhooth ko maara. Uska lund mujhe wahaan lagaa aur main us ko lag kar hilne lagi, use apni chhooth se malne lagi.
Usne phir apna lund mere andar daala, poora ka poora mere badan ke andar dhakel diya. Meri honton se ek cheekh nikal gayee jab usne mujhe bhar diya, uska mota lund meri geeli chhooth mein araam se aage peechey hilne laga aur meri saansein tez hone lagi.
Main uske saath saath aage peeche hil rahi thi. Hamarey badan paseene se geele ho chuke they. Mere saare badan mein ek hulchul si hone lagi jab chhoot ki pehli lahar mere badan mein se daudi.
Mere haath payr thar-tharaane lage, aisa lag raha tha ki saare badan mein se bijli daud gayee. Mera saare badan uske neeche hil raha tha jaise mujhe mukti mili.
Woh to aur zor se andar bahar hilne laga, aur meri chhooth ab aur bhi nazuk ho gayee thee, har chhoti si jagah par main mehsoos kar rahi thi, jahaan bhi woh mujhe chhoo raha tha.
Mujhe uski saansein sunai de rahi thi, tez hoti hui aur phir uska hilna ekdam se band ho gaya. Uska mota lund mere andar mujhe mehsoos ho raha tha aur phir mujhe uska saara geelapan apne andar chhootne ka ehsaas hua.
Maine meri chhooth uske lund ke atraaf lapet li, aur sab kuchh usmein se nichod liya. Usne mere kaan mein ek aaraam-deh awwaz nikaali, uska badan thar-tharaana band hua aur woh mere oopar gir gaya.
Meri saansein bhi abhi tak thami nahi thi aur jab woh mere andar se apna lund nikaalne laga to maine apni chhooth uske atraaf band karli, aur zor se nichodne ke liye.
Maine apna badan uski taraf utha diya. Main nahi chahti thi ki owh apna lund meri chhooth mein se nikaley.
"Mujhe thande paani se nahaana hai," usne dheere se mere kaan mein kaha. "Phir hum wapas shuru kareinge."
"Theek hai," maine kaha, palang par aaraam se apne aap ko jamaate hue.
Mera badan waise hi intezaar mein bechain thar-tharaata raha aur woh kamre se bahar chala gaya. Maine apni aankhon par ki patti ke andar hi apni aankhen band kar li aur sochne lagi ke wo aage kya karegaa.
samaapt
Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स | सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स | vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा | सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such | सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई | एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein | चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा | सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai | payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ | हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी | हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai | mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories, aunty choot,bhabhi gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka maza,garam stories,,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया ,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन ,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت ,
--
No comments:
Post a Comment