Thursday, December 2, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ मेरी चूत पसंद है पार्ट--6

हिंदी सेक्सी कहानियाँ

मेरी चूत पसंद है पार्ट--6

गतान्क से आगे.......
थोरी देर के बाद तुमको बहुत मज़ा मिलेगा." अपनी बेटी की
बात सुन कर रजनी जी चुप हो गयी लेकिन फिर भी उसकी मुँह से तरह
तरह की आवाज़ निकल रही थी. ये….. लंड बहुत मोटा और लंबा है.
है! मैं मरी धीरे…ज़रा धीरे पेलो मैं मरी जा रही हूँ. अरे बेटी,
अपने पति से बोल ना कि वो ज़रा मेरी गंद मे अपना लंड धीरे धीरे
पेले. मुझे तो लग रहा है कि मेरी चूत और गंद दोनो एक हो जाएँगे."
थोरी देर के बाद रमेश अपना हाथ अपने सास के सामने ले जाकर उनकी
चूत को सहलाने लगा और फिर अपनी उंगलियो से उनकी चूत की घुंडी
को पाकर कर मसल्ने लगा. अपनी चूत पर रमेश का हाथ पड़ते ही
रजनी जी बिलबिला उठी और अपनी कमर हिला हिला कर रमेश के लंड
पर ठोकर मारने लगी.ये देख कर रमेश ने करिश्मा से कहा,
"देख तेरी रंडी मा कैसे अपनी कमर कमर चला कर मेरे लंड को
अपनी गंद मे पिलवा रही है. क्या तुम्हारी यही मा अभी थोरी देर
पहले अपनी गंद मरवाने पर चिल्ला रही थी?" यह सुन कर
करिश्मा बोली, "ओह्ह रमेश! क्या बात है! देखो मेरी मा क्या
मज़े से अपनी गंद से तुम्हारा लंड खा रही है. देखो मेरी मा
कैसे गंद मरवा रही है. मारो, मारो रमेश, मेरी मा की गंद
मे अपना लंड खूब ज़ोर ज़ोर से पेलो. इसकी पूरे बदन मे लंड के लिए
खुजली भरी पड़ी है. चोदो रमेश साली की गंद मारो बड़ी
खुजला रही थी!" रजनी जी अपनी गंद मे दामाद का लंड पिलवा कर
सातवे आसमान पर थी और बड़बड़ा रही थी, "ओह्ह्ह्ह! देखो
करिश्मा मेरी बेटी! तुम्हारी मा गंद मे लंड लेकर चुदवा रही
है! तुम आख़िर अपने मर्द से मेरी चूत, गंद चूदवा ही ली! देखो
साला रमेश कैसे चोद रहा है! साला सच्चा मर्द है! डाल औट डाल
रे! चोद ! मेरी गांद मार! मेरे बेटी को दिखा! आहह ऊहह
चोद चोद चोद आईईइ!" रमेश अपनी बीवी और अपनी सास की बात सुनते
रहा और अपना कमर चला चला कर अपनी सास की गंद मे अपना लंड
पेलता रहा. थोरी देर तक रजनी जी की गंद मारने के बाद रमेश एक
बार ज़ोर से अपना पूरा का पूरा लंड रजनी जी की गंद घुसेड दिया और
रजनी जी को ज़ोर से अपने हाथों से जाकड़ कर अपना लंड का पानी अपने
सास की गंद ने छोड़ दिया. झदने के बाद रमेश ने अपना लंड अपने
सास की गंद से खींच कर निकाल लिया और लंड को बाहर निकलते ही
रजनी जी एकाएक उठ कर बैठ गयी और अपने दामाद का लंड को अपने
मुँह मे भर कर चूसने लगी. थोरी देर तक चूसने के बाद
रमेश का लंड बिल्कुल साफ हो गया और फिर से खड़ा भी हो गया .
तब रमेश ने अपना खड़ा लंड अपने बीवी, करिश्मा, की चूत मे पेल
कर खड़े खड़े चोदना चालू कर दिया और थोरी देर तक करिश्मा को
चोद कर फिर से करिश्मा की चूत मे झर गया .थोरी देर के बाद
तीनो की साँस फिर से शांत हो गयी और करिश्मा उठ कर बिना कोई
कपड़े पहने हुए किचन मे जाकर चाइ बनाना लगी. किचेन मे
जाते वक़्त करिश्मा अपनी मा की पीशब से आधी भारी जग भी उठा
कर ले गयी. जब करिश्मा चाइ बना कर नंगी ही फिर से कमरे
मे दाखिल हुई तो देखा उसकी मा नंगी ही अपने दामाद की गोदी मे
बैठी हुई है और रमेश उनकी एक चूंची की निपल अपने मुँह
मे लेकर चूस रहा है और दूसरे हाथ से रजनी जी की चूत मे
उंगली कर रहा है और रजनी जी अपने दामाद के लंड को अपने
हाथों से पकड़ कर सहला रही है. चाइ आते ही रजनी जी और
रमेश दोनो अलग अलग बैठ गये और तीनो मे नंगे रह कर ही
चाइ पीते रहे. चाइ पीते वक़्त रमेश ने करिश्मा से पूछा, "चाइ
तो आज बहुत अच्छी है, इसमे क्या डाला है?" तो करिश्मा अपनी मा
को आँख मार कर बोली, "आज चाइ तुमको इसलिए अच्छी लग रही है,
क्योंकी आज चाइ मे पानी नही है, ये चाइ तुम्हारी सास के मूत
से बनी हुए है." रजनी जी अपनी बेटी की बात सुन हंस पड़ी और
रमेश से बोली, "लो, आज तुमने मेरी चूत और गंद मारी और मेरी बेटी
ने तुमको मेरा मूत पीला दिया. कोई बात नही मैं भी कभी तुम्हारा
मूत पी लूँगी और हुमलोगों का हिसाब बराबर हो जाएगा." इस तरह
से मा, बेटी और बेटी का पति तीनो नेमिल कर जम कर चुदाई का आनंद
उठाया और एक दूसरे को दिया. जब तक रमेश अपनी ससुराल मे रहा
तब तक वो दोनो मा और बेटी को घर के अंदर नंगी ही रखता था
और जब मन चाहा वो किसी भी एक को पकड़ लेता था और उनकी चूत या
गंद मे अपना लंड पेलता था. शरम नाम की चीज़ अब इस घर मे
रही नही. कभी कभी तो रजनी जी अपने दामाद का लंड पकड़ कर
हिलाती थी और अपने बेटी के सामने ही उसको अपने मुँह मे भर कर
चुस्ती थी और जब लंड खड़ा हो जाता तो बेटी के सामने ही अपने
दामाद के आगे झुक कर दामाद का लंड पीछे से अपनी चूत मे भर
कर खूब मज़े से चुदवाती थी. रात को तीनो लोग नंगे हो
होकर एक ही पलंग पर सोते थे और खूब लंड चूत की लड़ाई करवाते थे.
कभी कभी तो मा और बेटी दोनो भिड़ जाते थे और एक दूसरे की चूत
चाता करते थे.करीब 15 दिन के बाद रमेश अपने ससुराल से वापिस
अपने घर चला आया. घर पहुँचते ही वो अपने काम पर चला
गया और रसिकलाल जी फिर अपने बहू को पकड़ लिया और उसकी साड़ी,
पेटिकोट, ब्लाउस, ब्रा और चढ़ी उतार कर अपने बहू को चोदना
चालू कर दिया. करिश्मा भी अपने ससुर को अपने हाथ और पैरों से
बाँध करके अपनी चूतर उठा उठा कर अपने ससुर के धक्को का
जबाब देती रही. रसिकलाल जी भी अपनी बहू की दोनो चूंची
अपने हाथों से दबाते हुए अपनी बहू की चूत चोद्ते रहे. थोरी देर
के बाद रसिकलाल जी ने करिश्मा से पूछा, "बहू, इतने दीनो तक क्या
तुम सिर्फ़ अपनी पति, रमेश, से चुद्ती रही या और कोई मिल गया था
तुम्हारी चूत चोदने के लिए?" करिश्मा अपने ससुर के धक्कों का
जबाब देती हुए बोली, "हाँ, बाबूजी इन दीनो मैं तो सिर्फ़ अपने पति से ही
अपनी चूत चुदवा रहीं हूँ. लेकिन, आपका बेटे ने इन दिनो मेरी मा,
याने अपने सास की चूत मे भी अपना लंड पेल चुक्का है." "वो
कैसे?" रसिकलाल जी ने करिश्मा से पूछा. तब करिश्मा ने सब
का सब बातें अपने ससुरजी को बता दिया. करिश्मा की बात सुन कर
रसिकलाल जी ने करिश्मा से बोले, "वाह! बहू, तुम्हारी मा भी
तुम्हारी भी तुम्हारी तरह चुड़दकर है. ठीक है, अब जब
मौका मिलेगा मैं भी अपने लंड से तुम्हारी मा की चूत चोदुन्गा.
तुम्हे तो कोई इतराज नही होगा?" "नही मुझे क्यों इतराज होगा? अब
मेरी मा बेचारी बिधवा हो गयी हैं और उनका उमर भी हो गया
है. इस समय अगर उनको आप जैसा कोई चोदु इंसान मिल जाए तो क्या
कहना. हाँ मेरी चूत की खुराक की कमी नही होनी चाहिए"
करिश्मा अपने ससुर से बोली. तब रसिकलाल जी अपनी बहू की चूत
मे पूरा का पूरा घुसेर कर चोद्ते हुए बोले, "नही मेरी चुड़दकर
बहू, हम चाहे और किसिको भी चोदे तुम्हारी चूत की भूक मैं
हमेशा मिटाता रहूँगा. अब चलो अपनी टाँगो को और फैलाओ मैं अब
ज़ोर ज़ोर से चोद कर झरने वाला हूँ." "क्यों, इतनी जल्दी झरना क्यों
चाहते हैं? कहीं किसी और को आपने टाइम दे रखा है क्या?"
करिश्मा अपने ससुर को मुस्कुराते हुए पूछी. तब रसिकलाल जी
अपनी बहू से बोले, "नही ऐसी कोई बात नही है. बात एह है कि
मेरा एक दोस्त आज विदेश से आया है और मैं उससे मिलने जाना चाहता
हूँ. और कोई बात नही है." इतना कह कर रसिकलाल जी ने अपनी बहू
की दोनो चूंचियो कस कर पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारने
लगे और थोरी देर के बाद वो झार गये. झरने के बाद दोनो मिल कर
बाथरूम मे जाकर अपने अपने लंड और चूत को धोया और अपने अपने
कपड़े पहन कर दोनो कमरे मे जाकर बैठ गये. थोरी देर के बाद
रसिकलाल ने जी उठ कर करिश्मा को अपने बाहों मे लेकर चूमा और
अपने कमरे मे जाकर सो गये. करिश्मा भी तब अपने कमरे मे
जाकर मॅक्सी पहन कर लेट गयी और थोरी देर के बाद सो गयी.इसी तरह
से करिश्मा की जिंदगी चलती रही. वो रोज रात को अपने पाती,
रमेश, से अपनी चूत चुदवाती थी और दिन को करिश्मा के ससुर
करिश्मा की चूत चोद्ता था. रमेश कभी कभी रात मे करिश्मा
को नंगी करके उसकी गंद भी मारता था. जब रमेश और करिश्मा
की सास घर पर नही होते तो करिश्मा अपने ससुर का कहना मान कर
घर पर नंगी ही रहती और नंगी ही रह कर खाना बनाती और
सारा घर का काम कर नंगी ही रहा कर पूरा करती. जब करिश्मा
नंगी हो कर घर पर खाना बनाती थी तो रसिकलाल जी घूम फिर कर
करिश्मा की चूंचियाँ मसल देते और कभी कभी करिश्मा की गंद
मे अपनी उंगली पेलते थे. कभी कभी करिश्मा भी अपने ससुर का
लंड पकड़ कर चुस्ती और फिर अपने ही हाथों से अपने ससुर का लंड
पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा कर अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत
चुदवाती थी.कुछ दिनो के बाद करिश्मा की सास की एक किताब छप
कर प्रेस से निकली और उस किताब की काफ़ी बिक्री हुई. प्रेस वाले को काफ़ी
फायेदा हुआ और करिश्मा की सास का नाम काफ़ी मशहूर गया और इसी
खुशी से प्रेस वाले ने करिश्मा की सास के सम्मान मे एक पार्टी का
अरेंज्मेंट किया. पार्टी के लिए रमेश ने अपने दोस्त और उसकी बीवी,
गौतम और सुमन, को इन्वाइट किया और करिश्मा ने अपनी मम्मी और
अपने भाईओं को भी बुलाया.
पार्टी के दिन रमेश का दोस्त गौतम आ गया लेकिन उसकी बीवी,
सुमन, नही आ पाई क्योंकि उसकी तबीवत ठीक नही थी. उधर
करिश्मा के घर से उसका सिर्फ़ बड़ा भाई, कैलाश, ही आया क्योंकि रजनी
जी और करिश्मा की बहन की तबीयत ठीक नही थी. पार्टी के दिन
गिरिजा जी बहुत सजी सँवरी घूम रही थी. सब के सब लोग
उनको बधाई दे रहे थे और गिरिजा जी सुबसे मुस्कुरा कर बाते कर
रही थी. पार्टी मे जितनी भी औरतें आई थी वो सब गिरिजा जी
की सफलता पर उनसे मन ही मन ईर्षा कर रही थी और जितने मर्द
आए थे वो सब गिरिजा जी को घेर कर उनसे बातें कर रहें थे.
खैर पार्टी बहुत अच्छी थी. पार्टी मे जितने भी लोग आए वो सब
के सब गिरिजा जी की तारीफ्फ कर रहे थे और उनको बधाई दे रहे थे.
इसी तरह से पार्टी करीब रात के दो बजे ख़तम हुई.पार्टी के बाद
करिश्मा और रमेश अपने कमरे मे सोने के लिए चले गये.
कमरे मे जाकर करिश्मा और रमेश ने अपने अपने कपड़े
बदले और सोने की तैय्यारि करने लगे. सोने से पहले करिश्मा
बाथरूम मे पिशाब करने के लिए गयी और थोरी देर के बाद
बाथरूम से आकर अपने पति रमेश से बोली, "सुनो मेरे साथ आओ,
मैं तुम्हे एक नयी चीज़ दिखाउन्गि" "क्या नयी चीज़ दिखा रही हो ,
मैने तुम्हारी चूत और गंद बहुत बार देख चूक्का हूँ और उन्हे
चोद चक्का हूँ, अब क्या नयी चीज़ दिखलाओगी" रमेश बोला. तब
करिश्मा बोली, "अरे आओ तो मेरे साथ, आओ चुप चाप मेरे पीछे
चले आओ." रमेश उठ कर अपनी बीवी के पीछे पीछे कमरे के
बाहर निकल कर चलने लगा. करिश्मा नेचुप चाप रमेश को
अपने सास और ससुर के कमरे के सामने ला कर खरा कर दिया और
धीरे से बोली, "चुप चाप पर्दे के किनारे से कमरे मे झाँको."
जैसे ही रमेश ने कमरे के अंदर झाँका उसका माथा और लॉरा
दोनो तन्ना गये . कमरे मे रमेश की मा एक सोफे पर सिर्फ़ अपने
लाल रंग का पेटिकोट पहने बैठी थी और उनके दोनो तरफ
गौतम और करिश्मा का बड़ा भाई, कैलाश, बैठे थी और वो
दोनो गिरिजा जी की एक चूंची पकड़ कर मसल रहे थे या चूस
रहे थे. रमेश के पिताजी, रसिक लाल जी, कमरे के एक कोने पर
बैठ कर अपनी बीवी की नंगी रस लीला देख रहे थी. गिरिजा जी अपनी
चूंचियो को गौतम और कैलाश से मसलवा रही थी और मुँह
से बर्बरा रही थी, "ऊऊहह… …और जोरे से… ..हां डियर
और जोरे से दबाओ मेरी चूचियों को…..बड़ा मज़ा आरहा है
मुझे… …तुम्हारे हाथ बहुत ही एक्सपर्ट हैं…. …तुम्हे मालूम है
कि कैसे औरतों की चुन्चिओ को दबाया जाता है….है! और ज़ोर ज़ोर से
मेरी चुन्चिओ को दबाओ….आअहह….हाँ….मुझे बहुत अच्छा
लग रहा है." और गौतम और कैलाश दोनो मिल कर गिरिजा जी की
चूंचियो को अपने हाथों से मसल रहे थी. गौतम और कैलाश
जितना ज़ोर से चूंची मसल रहे थे गिरिजा जी उनको और ज़ोर ज़ोर से
दबाने के लिए बोल रही थी. गिरिजा जी बोल रही थी, "आअहह…
य्यूउउउउ… उउउउह्ह्ह्ह्ह…ऊओफफफ्फ़.." रमेश सब सब देख कर जैसे ही
करिश्मा के तरफ मुड़ा तो परदा थोड़ा हट गया और गिरिजा जी ने आवाज़
दी, "बेटे रमेश बाहर क्यों खड़ा है, चल अंदर चला आ और
अपने साथ अपनी बीवी लेकर आजा."

क्रमशः.........

Meri chut pasand hai  paart--6

gataank se aage.......
Thori der ke bad tumko bahut maza milega." Apni beti ki
bat sun kar Rajni jee chup ho gaye lekin phir bhi uski munh se tarah
tarah ki  aawaaj nikal rahee thee. eh….. lund bahut mota aur lumba hai.
hai! Mai mari dhire…jara dhire pelo mai mari ja rahee hun. Are beti,
apne pati se bol na ki wo jara meri gand me apna lund dhere dhere
pele. Mujhe to lag raha ki meri chut aur gand dono ek ho jayenge."
Thori der ke bad Ramesh apna hath apne sas ke samne le jakar unki
chut ko sahalane laga aur phir apni ungleon se unki chut ki ghundee
ko pakar kar masalne laga. Apni chut par Ramesh ka hath parte hi
Rajni jee bilbila uthee aur apni kamar hila hila kar Ramesh ke lund
par thokar marne lagee.Eh dekh kar Ramesh ne Karishma se kah,
"dekh teri randi maa kaise apni kamar kamar chala kar mere lund ko
apne gand me pilwa rahee hai. Kya tumhari ehi maa abhi thori der
pahale apni gand marwane par chilla rahee thee?" Eh sun kar
Karishma boli, "Ohh Ramesh! Kya bat hai! Dekho meri maa kya
maze se apni gand se tumhara lund kha rahee hai. Dekho meri maa
kaise gand marwa rahee hai. Maro, maro Ramesh, meri maa ki gand
me apna lund khoob jor jor se pelo. Iski pure badan me lund ke liye
khujlee bharee pari hai. Chodo Ramesh sali ki gand maaro Badi
khujala rahi thi!" Rajni jee apni gand me damad ka lund pilwa kar
satwe asman par thee aur Barbara rahee thee, "Ohhhh! dekho
Karishma meri beti! Tumhari maa gand me lund lekar chudwa rahi
hai! Tum aakhir apne mard se meri chut, gand chodwa hi li! Dekho
sala Ramesh kaise chod raha hai! Sala sachha mard hai! Dal aut dal
re! Chod ! meri gaand mar! Mere beti ko dikha! Aahhh oohhhhhhh
Chod chod chod aiiii!" Ramesh apni biwi aur apni sas ki bat suntan
raha aur apna kamar chala chala kar apni sas ki gand me apna lund
pelta raha. Thori der tak Rajni jee ki gand marne ke bad Ramesh ek
bar jor se apna pura ka pura lund Rajni jee ki gand ghuser diya aur
Rajni jee ko jor se apne hathon se jakar kar apna lund ka pani apne
sas ki gand ne chor diya. Jharne ke bad Ramesh ne apna lund apne
sas ki gand se kheench kar nikal liya aur lund ko bahar nikalte hi
Rajni jee ekaek uth kar baith gayee aur apne damad ka lund ko apne
munh me bhar kar chusne lagee. Thori der tak chusne ke bad
Ramesh ka lund bilkul saf ho gaya aur phir se khara bhi ho gaya .
Tab Ramesh ne apna khara lund apne biwi, Karishma, ki chut me pel
kar khare khare chodna chalu kar diya aur thori der tak Karishma ko
chod kar phir se Karishma ki chut me jhar gaya .Thori der ke bad
teeno ki saans phir se shant ho gayee aur Karishma uth kar bina koi
kapare pahane hue kitchen me jakar chai banana lagee. Kitchem me
jate waqt Karishma apni maa ki peeshab se adhi bhari jug bhi utha
kar le gayee. Jab Karishma chai bana kar nangee hi phir se kamare
me dakhil hue to dekha uski maa nangee hi apne damad ki godi me
baithee hue hai aur Ramesh unki ek chunchee ki nipple apne munh
me lekar chusa raha hai aur dusre hath se Rajni jee ki chut me
unglee kar raha hai aur Rajni jee apne damad ka lund ko apne
hathon se pakar kar sahala rahee hai. Chai ate hi Rajni jee aur
Ramesh dono alag alag baith gaye aur teeno me nange raha kar hi
chai pite rahe. Chai pite waqt Ramesh ne Karishma se pucha, "chai
to aaj bahut acchhe hai, isme kya dala hai?" To Karishma apni maa
ko ankh mar kar boli, "aaj chai tumko isliye acchhee lag rahee hai,
kyonkee aaj chai me pani nahee hai, eh chai tumharee sas ki moot
se bani hue hai." Rajni jee apni beti ki bat sun hans paree aur
Ramesh se boli, "lo, aaj tumne meri chut aur gand mari aur meri beti
ne tumko mera moot pila diya. Koi bat nahee mai bhi kabhi tumhara
moot pee lunge aur humlogon ka hisab barabar ho jayega." Is tarah
se maa, beti aur beti ki pati teno mil kar jam kar chudai ka anand
uthaya aur ek dusre ko diya. Jab tak Ramesh apne sasural me raha
tab tak wo dono maa aur beti ko ghar ke andar nangee hi rakhyta tha
aur jab man chaha wo kisi bhi ek ko pakar leta tha aur unki chut ya
gand me apna lund pelta tha. Sharam nam ki cheej ab is ghar me
rahee nahee. Kabhi kabhi to Rajni jee apne damad ka lund pakar kar
hilati thee aur apne beti samne hi usko apne munh me bhar kar
chustee thee aur jab lund khara ho jata to beti ke samne hi apne
damad ke aage jhuk kar damad ka lund peeche se apni chut me bhar
kar khoob maze se chudwatee thee. Rat ko teeno log nange ho
hokar ek hi palang par sote the aur khoob lund ki larai karwate the.
Kabhi kabhi to maa aur beti dono bhir jate the aur ek dusre ki chut
chata karte the.Kareeb 15 din ke bad Ramesh apne sasural se wapis
apne ghar chala aya. Ghar pahunchte hi wo apne kam par chala
gaya aur RasikLal Jee phir apne bahu ko pakar liya aur uski sari,
petticoat, blouse, bra aur chadhee utar kar apne bahu ko chodna
chalu kar diya. Karishma bhi apne sasur ko apne hath aur pairon se
bandh karke apni chutar utah utah kar apne sasur ke dhakko ka
jabab detee rahee. RasikLal Jee bhi apni bahu ki dono chunchee
apne hathon se dabate hue apni bahu ki chut chodte rahe. Thori der
ke bad RasikLal Jee ne Karishma se pucha, "bahu, itne dino tak kay
tum sirf apni pati, Ramesh, se chudtee rahee ya aur koi mil gaya tha
tumharee chut chodne ke liye?" Karishma apne sasur ke dhakkon ka
jabab detee hue boli, "han, babujee in dino mai to sirf apne pati se hi
apni chut chudwa raheen hun. Lekin, apka bete ne in dino meri maa,
yane apne sas ki chut me bhi apna lund pel chukka hai." "Wo
kaise?" RasikLal Jee ne Karishma se pucha. Tab Karishma ne sab
ka sab baten apne sasurjee ko bata diya. Karishma ki bat sun kar
RasikLal Jee ne Karishma se bole, "wah! Bahu, tumharee maa bhi
tumharee bhi tumharee tarah chuddakar hai. Theek hai, ab jab
mauka milega mai bhi apne lund se tumharee maa ki chut chodunga.
Tumhe to koi itraj nahee hogi?" "Nahee mujhe kyon itraj hogi? Ab
meri maa bechari bidbva ho gayee hain aur unka umar bhi ho gaya
hai. Is samay agar unko aap jaisa koi chodu insane mil jaye to kya
kahanae. Han meri chut ki khurak ki kamee nahee honi chahiye"
Karishma ne apne sasur se boli. Tab RasikLal Jee apne bahu ki chut
me pura ka pura ghuser kar chodte hue bole, "nahee meri chuddakar
bahu, hum aur chahe aur kisiko bhi chode tumhara chut ki bhook mai
hamesh mitata rahunga. Ab chalo apni tango ko aur phailao mai ab
jor jor se chod kar jharne wala hun." "Kyon, itni jaldee jharna kyon
chahate hain? Kaheen kisi aur ko apne time de rakha hai kya?"
Karishma apne sasur ko muskurate hue puchee. Tab RasikLal Jee
ne apne bahu se bole, "nahee aise koi bat nahee hai. Bat eh hai ki
mera ek dost aaj videsh se aya hai aur mai usse milne jana chahata
hun. Aur koi bat nahee hai." Itna kah kar RasikLal Jee ne apne bahu
ki dono chunchean kas kar pakar liya aur jor jor se dhakka marne
lage aur thori der ke bad wo jhar gaye. Jharne ke bad dono mil kar
bathroom me jakar apne apne lund aur chut dhoya aur apne apne
kapare pahan kar dono kamare me jakar baith gaye. Thori der ke bad
RasikLal Jee uth kar Karishma ko apne bahon me lekar chuma aur
apne kamare me jakar so gaye. Karishma bhi tab apne kamare me
jakar maxi pahan kar let gayee aur thori der ke bad so gayee.Isi tarah
se Karishma ki jindagee chaltee rahee. Wo roj rat ko apne pati,
Ramesh, se apni chut chuudwatee thee aur din ko Karishma ke sasur
Karishma ki chut chodta tha. Ramesh kabhi kabhi rat me Karishma
ko nangee karke uski gand bhi marta tha. Jab Ramesh aur Karishma
ki sas ghar par nahi hote to Karishma apne sasur ka kahana man kar
ghar par nangee hi rahati aur nangee hi rah kar khana banati aur
sara ghar ka kam kaz nangee hi raha kar pura kartee. Jab Karishma
nangee ho kar ghar par khana banati ti to RasikLal Jee ghum phir kar
Karishma ki chunchian masal dete aur kabhi kabhi Karishma ki gand
me apni unglee pelte the. Kabhi kabhi Karishma bhi apne sasur ka
lund pakar kar chusti aur phir apne hi hathon se apne sasur ka lund
pakar kar apni chut se bhira kar apni kamar hila hila kar apni chut
chudwatee thee.Kuch dino ke bad Karishma ke sas ki ek kitab chap
kar press se nikali aur us kitab ki kafi bikree hui. Press wale ko kafi
fayeda hua aur Karishma ki sas ki nam kafi mashahoor gaya aur isi
kushi se Press wale ne Karishma ki sas ki samman me ek party ka
arrangement kiya. Party ke liye Ramesh ne apne dost aur uski biwi,
Gautam aur Suman, ko invite kiya aur Karishma ne apne mummy aur
apne bhaion ko bhi bulaya.
Party ke din Ramesh ka dost Gautam aa gaya lekin uski biwi,
Suman, nahi aa payee kyonki uski tabiwat theek nahee thee. Udhar
Karishma ke ghar se uska sirf bara bhai, Kailash, hi aya kyonki Rajni
jee aur Karishma ke bhahion ki tabiyat theek nahii thee. Party ke din
Girija jee bahut sajee sanwaree ghum rahee thee. Sub ke sub log
unko badhai de rahe the aur Girija jee subse muskura kar bate kar
rahee thee. Party me jitnee bhi auraten aauee thee wo sub Girija jee
ki safalata par unse man hi man irsha kar rahee thee aur jitney mard
aaye the wo sub Snehlata jee ko gher kar unse baten kar rahen the.
Khair party bara bahut acchha tha. Party me jitney bhi log aye wo sab
ke sab Snehlata jee ki tariff kar rahe the aur unko badhai de rahe the.
Isi tarah se party kareeb rat ke do baje khatam hua.Party ke bad
Karishma aur Ramesh apne kamare me sone ke liye chale gaye.
Kamare me jakar Karishma aur Ramesh ne apne apne kapare
badale aur sone ki tayaree karne lage. Sone se pahale Karishma
bathroom me pishab karne ke liye gayee aur thori der ke bad
bathroom se aakar apne pati Ramesh se boli, "suno mere sath aao,
mai tumhe ek nayi cheej dikhaungee" "Kya nayee cheej dhikhagee,
maine tumhare chut aur gand bahut bar dekh chukka hun aur unhe
chod chukka hun, ab kya nayee cheej dikhlaogee" Ramesh bole. Tab
Karishma boli, "are aao to mere sath, aao chup chap mere peeche
chale aaoo." Ramesh uth kar apni biwi ke peeche peeche kamare ke
bahar nikal kar chalne laga. Karishma chup chap Ramesh ko lekar
apne sas aur sasur ke kamare ke samne la kar khara kar diya aur
dhire se boli, "chup chap parde ke kinare se kamare me jhanko."
Jaise hi Rmesh ne kamare ke andar jhanka uska matha aur laura
dono tanna gaya . Kamare me Ramesh ki maa ek sofe par sirf apni
lal rang ka petticoat pahane baithee thee aur unke dono taraf
Gautam aur Karishma ka bara bahai, Kailash, baithe thee aur wo
dono Girija jee ki eke k chunchee pakar kar masal rahe thee ya chus
rahe the. Ramesh ke pitajee, Govind jee, kamare ke ek kone par
baith kar apni biwi ki nangee ras lila dekh rahe thee. Girija jee apni
chuncion ko Gautam aur Kailash se masalwa rahee thee aur munh
se Barbara rahee thee, "oooohhhhh… …aur jore se… ..haan dear
aur jore se dabaao meri choochiyon ko…..badaa maja aaraha hai
mujhe… …tumhare hath bahut hi expert hain…. …tumhe malum hai
ki kaise auraton ki chunchion ko dabaya jata hai….hai! aur jor jor se
meri chunchion ko dabao….aaahhhh….han….mujhe bahut acchhaa
lag raha hai." Aur Gautam aur Kailash dono mil kar Girija jee ki
chuncheon ko apne hathon se masal rahe thee. Gautam aur Kailash
jitna jor se chunchee masal rahe thee Girija jee unko aur jor jor se
dabane ke liye bol rahee thee. Girija jee bol rahen thee, "aaahhhhh…
yyoouuuu… uuuuhhhhh…oooffff.." Ramesh eh sab dekh kar jaise hi
Karishma ke taraf mura to parda thora hat gaya aur Girija jee ne awaj
diya, "bete Ramesh bahar kyon khara hai, chal andar chala aa aur
apne sath apni biwi lekar aaja."

 kramashah.........

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