हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मामा भांजी
मैं अपने मामा के घर गयी हुई थी. मेरे मामा की लड़की ममता की
शादी होने वाली थी. मैं ममता दीदी के साथ ही लगी रहती थी. दीदी
20 यियर्ज़ की थी. मामा की सिर्फ़ एक यही लड़की थी. मामी अभी करीब 40
साल की और मामा 42 के थे. मैं और दीदी नीचे बैठे थे कि तभी
मामा बाहर से आए और ऊपर अपने रूम मैं चले गये. उनके आते ही
दीदी भी ऊपर चली गयी. दोफर का समय था मैने सोचा कि मामा को
खाना खिलाने गयी होगी. मैं वही सोफे पर बैठी न्यूसपेपर देखती
रही और दीदी की वापसी का वेट करने लगी. 15 मिनिट हो गये पर
ममता दीदी वापस नही आई. मैं अकेले बोर हो गयी तो दीदी को बुलाने
के लिए ऊपर गयी. मामा के कमरे से कुच्छ अजीब तरह की आहट आई
मुझे लगा दीदी ऊपर के कमरे मैं है. मैं उस रूम के पास गयी तो
कमरे के दरवाज़े और विंडो बंद थी. मेरे मॅन मैं शंका हुई.
अंदर कमरे मैं मामा दीदी के साथ थे. उनकी दबी दबी आवाज़ कान
मैं पड़ी. मंन ने कहा दीदी और मामा कमरे मैं दरवाज़े बंद करके
क्या कर रहे हैं. मैं विंडो मैं अंदर देखने के लिए दरार तलाश
करने लगी.
दरार मिली तो अंदर देखा तू साँप सूंघ गया. मैं सन्न रह गयी .
अनोखा सीन था. पहले तो यकीन नही हुवा पर सच तो सामने था.
मामा और दीदी जो कर रहे थे उससे गुदगुदी होने लगी. मैं भी बड़ी
हो गयी थी. दीदी और मामा की इस हरकत का असर तन और मन पर पड़ा.
पहले खराब लगा पर फिर देखने मैं मज़ा आया. ममता दीदी मामा के
सामने नंगी खड़ी थी और मामा उनकी एक चूची को हाथ से दबाते
हुवे दूसरी चूची के निपल को मुँह से चूस रहे थे. ममता दीदी
प्यार से आँख बंद किए अपनी बड़ी बड़ी चूचियों हाथ मैं पकड़
बड़ा बढ़ा कर चुस्वा रही थी. हमको हर साँस के साथ मज़ा आने लगा
और मैं चुपचाप दोनो की हरकत देखने लगी. कभी सोचा भी नही
था कि सगा बाप अपनी सग़ी बेटी के साथ ऐसा कर सकता है पर जो
सच था उससे मेरी गदराई चूत और चूचियों मैं खुमारी भरने
लगी थी.
तभी ममता दीदी ने कहा, "हाए पापा अब चॅटो." तब मामा ने
चूचियों से मुँह अलग किया तो दीदी चेर पर बैठी और गोरी गोरी
टाँगो को चेर के हॅंडल पर रख फैलाया और अपनी जवान चूत को
उंगली से खोल दिया. मैं ममता दीदी की चूत और चूचियों को
देखकर मस्त थी. उनकी चूत तो मामी के साइज़ की एकदम किसी औरत की
सी थी. चूचियाँ भी बड़ी थी. मुझे समझते देर नही लगी कि वह
अपने बाप से बहुत मज़ा ले चुकी है. मामा आगे बैठे और जीभ को
दीदी के फैलाए गये दरार मैं चलाते हुए मस्ती के साथ चाटने
लगे और ममता दीदी सिसकारी लेती चूतड़ उठा उठाकर अपने बाप को
चूत चटाने लगी.
ममता दीदी की इस कामलीला को देखने मैं काफ़ी मज़ा आ रहा था. मैं
भी अपनी सयानी चूत को चटवाकर मज़ा लेने के लिए बहकने लगी. अब
वहाँ से हटने का मंन नही था. अपने आप दीदी को मामा से चुदवाइ
मज़ा लेते देखने को मन बेकरार हो गया. बात समझ मैं आ गयी थी
की मामा ने ही चोद चोद्कर ममता दीदी को 18 साल मैं ही लौंडिया से
औरत बना दिया है. चोदने से दीदी की चूत और चूचियाँ मामी के
साइज़ की हो गयी हैं. हमे देखने मैं ही बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी
गदराई चूची और चूत दोनो एक साथ दीदी की तरह शादी से पहले
मर्द से मज़ा लेने के लिए खुजलाने लगी. मैं चूत को रानो मैं
दबा देखने लगी.
तभी दीदी ने सिसकारी ले कहा, "हाए हाइपापा मेरी शादी रोक दीजिए.
मैं आपको छ्चोड़कर नही जाउन्गि. हमको ऐसा मज़ा नही मिलेगा वाहा
पर." इसपर मामा ने दीदी की चूत चाटना बंदकर मस्ती के साथ खड़े
होकर अपनी लूँगी को खोला तो मैं मामा के लंबे मोटे और फूले
सूपदे वाले लंड को देखकर गदगद हो गयी. मामा का किसी डंकी की
तरह था. मामा खड़े खड़े चेर पर पैर फैलाकर बैठी दीदी के
कंधे पर हाथ रखकर प्यार से बोले, "अरे बेटी फ़ौरन बुला लूँगा.
शादी के बाद तू जी भरकर हमसे चुदवाना. अभी तो बच्चा ना हो
इसलिए पानी अंदर नही गिराते. जब पानी गिरता है तभी असली मज़ा
आता है. अब पानी चूत मैं ही निकाला करेंगे."
"नही पापा हम नही जाएँगे." "घबराओ नही दूसरे दिन ही बुलवा
लूँगा. मुझे भी तुम्हारे बिना चैन नही आएगा. आकर बताना उसका
किस साइज़ का है. चूतड़ उठाओ." दीदी ने प्यार से चूतड़ उठाया तो
मामा अपने मोटे लंड के सूपदे को ममता दीदी की चूत के फाँक पर
रगड़ने लगे. मैं अपनी चूत को शलवार के ऊपर से दबाती मज़े से
भर मामा को मस्ती से खड़े खड़े दीदी की चूत मैं डालते देखने
लगी. फिर मोटे लंड को दीदी की चूत मैं सक्क सक्क आते जाते देख
मैं खुद को भूलने लगी.
अब मामा प्यार से अपनी बेटी को चोद रहे थे और दीदी चुदवाते हुवे
सिसकारी ले रही थी. ऊन्दोनो ने 10 मिनिट तक चुदाई की फिर दोनो झाड़
गये तो कपड़े पहनते हुवे मामा ने कहा, "ममता बेटी?"
"हां पापा." "दीपा भी पूरी जवान हो गयी है." "हां पापा सोलह
साल की है." "खूब गदराई है. हमे लगता है किसी से फँसी
है." "नही पापा. उसके पापा उसे मज़ा नही देते होंगे." दीदी अपने
पेटिकोट को बाँधती बोली.
अपने बारे मैं मामा के मुँह से इस तरह की बाते सुनकर मुझे बुरा ना
लगकर बड़ा अच्छा लगा. तभी मामा ने कहा, "तुम घबराना नही बेटी.
शादी के बाद भी तुमको अपने पास रखूँगा." "जी पापा मैं आपसे ही
चुदवाउन्गि." "वैसे ममता माल तो दीपा का भी कोरा लगता है." "हां
पापा अभी किसी से करवाया नही है." "दीपा को थोड़ा इधर उधर
करो. घर का माल है अगर मज़ा पा गयी तो आसानी से
चखाएगी." "ठीक है पापा."
"बेटी चूत दर्द तो नही कर रही है?" "नही पापा. आज तो बहुत मज़ा
आया मेरा तीन बार निकला. पापा रात को फिर?" "हां हां क्यों नही
बेटी. रात मैं तुम्हारी चूत मैं ही पानी डालेंगे पर सुहागरात मैं
उससे भी खूब चुदवाना." "ठीक है पापा."
फिर वी दोनो बाहर आने लगे तो मैं भागकर बाथरूम मैं घुस गयी.
मामा हमको भी चोदना चाहते हैं, यह जानकार मैं बेचैन हो गयी.
ममेरी बहन को अपने बाप से ही जवानी का मज़ा लेते देखकर मैं
एकदम से जवान हो गयी. मैं पेशाब किया तो लगा कि पेशाब के साथ
कुच्छ निकल रहा है. मैं सोलह की हो चुकी थी. दीदी की चूत पर
बाल थे पर मेरी अभी रोयेदार थी और चूचियाँ भी दीदी की हाफ
थी.
मूत कर चड्डी चड़ाया तो लगा निपल तन गये हैं. अपने बारे मैं
हुई दोनो की बाते रस घोल रही थी. दीदी चुदने के बाद सोने चली
गयी थी. सच है जहाँ चाह वाहा राह. दो बजे थे. मैं आँख बंद
किए दोनो की चुदाई को याद करती सोच रही थी कि वी रात को फिर
मज़ा लेंगे. मामा का केला याद आ रहा था. मैं अपनी चूत सहला रही
थी पर बेचैनी बढ़ गयी तो करीब 1 घंटे बाद उठी और अपना
सबकुच्छ मामा पर लुटाने को तैय्यार हो गयी. फिर बाथरूम मैं जाकर
पेशाब किया और वापस आ दीदी को सोता देख कुच्छ सोचा. मंन ने रोका
पर जवानी की गर्मी ने बेबस कर ही दिया. मैने सोचा कि मामा तो
कमसिन चूत के शौकीन है. जब अपनी लड़की को चोद्कर बेटीचोड़ बन
सकते है तो मुझे क्यों नही चोदेन्गे. पता नही दीदी कब मुझे
फँसाए, एक महीना है खुद मामा से काम बना लो. यह सोच चिकना
बदन सनसनने लगा. चूत ने कव्वे(क्लिट) बाहर निकाल दिया.
मैं प्लान बना ऊपर गयी. मामा लूँगी बनियान मैं थे. जिस चेर पर
दीदी को चोदा था वह एक ओर पड़ा था. मामा दूसरी तरफ करवट लिए
थे. मैं मामा के पास गयी और पेट को दबा दर्द का बहाना करती उनको
जाल मैं लेना था. यह एक स्टोरी मैं देखा था जिस्मै एक 20 साल की
जवान लड़की पेट दर्द के बहाने अपने भाई से मज़ा लेती थी. मुझे
ज़राभि शरम नही थी. मुझे भी दीदी की तरह शादी से पहले मज़ा
लेना था. मैं बहाना करती कराहती हुई बेड पर ज़ोर से बैठ हाए
हाए करने लगी तो मामा जल्दी से उठ मुझे देख परेशान हो गये.
मैं जानती थी कि ऐसा मस्त माल पास देख मामा मौके का फयडा
उठाएँगे.
"हाए मामा पेट दर्द और बेड पर चित लेती तो दोनो चूचियाँ
शमीज़ मैं खिल उठी. दोनो के निपल खड़े थे. मामा मेरी ओर झुक
बोले, "दर्द है डॉक्टर बुलाएँ?" मामा का हाथ मेरे चिकने पेट पर
था तो मैं उनका हाथ अपनी जाँघ की ओर करती बोली, "ओह मामा
दर्द." "तेज़ दर्द है?" मामा मेरी चूचियों को घूरते हुवे बोले. वो
लाल हो गये और मैं मस्त हो टांगे मोड़ दोनो चूतड़ दिखाती
बोली, "हाए मम्मी." मामा ने मौके का फायेदा उठाया और मेरी गांद पर
हाथ लगा सहलाया और पूचछा, "तेज़ है."
मैने फ़ौरन पैर नीचे किए तो मामा का हाथ मेरे चूतड़ के नीचे
दब गया. मामा ने दूसरा हाथ मेरी एक चूची पर टच करते
कहा, "पेट मैं है?" "नही मामा नीचे." मेरी चूचियाँ तेज़ी से
उच्छल रही थी. मामा जाल मैं आ रहे थे. "डॉक्टर बुलाए." "नही
मामा कभी कभी होता है. मम्मी होती तो ठीक हो
जाता." "कैसे?" "मम्मी मालिश कर देती हैं." "वह तो देर से आएँगी.
ममता दीदी कहाँ हैं" "वह सो रही है. मैं खुद कर लूँगी." और
शलवार का ज़रबंद ढीला करती बोली, "मामा थोड़ा सा तेल दे दीजिए."
शलवार ढीली होते देख मामा की आँखों मैं चमक आ गयी. जो अपनी
सग़ी बेटी को चोद सकता था वह भांजी के साथ मिले मौके को क्यों
छ्चोड़ता. मैने हाथ शलवार के अंदर डाल दिया और चूत सहलाने
लगी. मामा तेल लेने चले गये थे. मामा ने फायेदा उठाया. तभी मामा
कटोरी मैं तेल लेकर आए तो मैं उनको देख शलवार मैं हाथ डाल
हाए हाए करने लगी. "कुच्छ कम हुवा." "नहिम्म्म मालिश से
जाएगा." "कोई बात नही मैं मालिश कर देता हूँ." मामा मेरी
चूचियों को घूर रहे थे. मेरी चाल फिट थी. मैं पेट पकड़कर
लेती तो मामा कुर्सी पास ला उसपर बैठ बोले, "बताओ कहा लगाना है."
मैं तो यही चाह रही थी. मामा का चेहरा उसी तरह चमक रहा था
जैसी अपनी लड़की को चोद्ते हुवे था. मैं चुप रही तो मामा ने
कहा, "लगवा लो मैं कोई पराया नही हूँ."
मामा की बात सुन बोली, "पेडू पर मामा." मामा ने तुरंत उंगली से तेल
लेकर पेट पर लगाया. मुझे इतना मज़ा आया कि बिना शरम शलवार को
नीचे कर पेडू नंगा करती शलवार को चूत पर रखा. मामा के लिए
यह सिग्नल काफ़ी था. "यही कि और नीचे? "थोड़ा सा और नीचे मामा."
अब मामा मेरी चूत से हाफ इंच ऊपर तेल लगा रहे थे. मैं मस्त
थी. आँखें बंद थी. मामा मेरी चूत के बालो को टच कर रहे थे.
मामा चूत पर की रेशमी झांतो को सहलाते बोले, "दीपा दर्द का
हुवा?" "थोड़ा थोड़ा."
मामा मेरी जवानी का मौसम देख मस्त थे. उन्होने हाथ से रान
फैलाने का इशारा किया तो मैने दोनो पैरों के बीच जगह बना दी.
मामा मेरी चूचियों को देख बहाल हो रहे थे और मौके का फायेदा
उठाने के लिए हाथ को ऊपर चूचियों तक और नीचे रानो के जोड़
तक चला रहे थे. मुझको तो जवानी पागल बना चुकी थी. मैं तो
दीदी की तरह मामा का केला खाने को बेताब थी. 4-5 बार दोनो
चूचियों को नीचे से सहलाने के बाद मामा ने पूछा, "कम
हुवा?" "हां मामा और लगाइए. दरवाज़ा बंद कर दीजिए कोई आ ना
जाए."
अब मुझसे और नाटक नही किया जा रहा था. दोनो चूचियाँ मस्त थी
और चूत भी फूल पिचाक रही थी. मामा मेरी कामुकता भाँप
बोले, "मैं दर्द की वजह जान गया हूँ. यहा कोई नही आएगा." "क्या
वजह है मामा?" "शादी के बाद दर्द ठीक हो जाएगा. ऐसे लगते
नही बन रहा है एक काम करो शलवार और नीचे कर लो." मामा दोनो
चूचियों को घूरते बोले और दरवाज़ा बंद कर दिया.
मैने स्टाइल मैं पैर ऊपर किया तो शलवार चूतड़ से नीचे सरक
गयी और मेरी चूत नीचे से नंगी हो गयी. मामा नंगी चूत देखते
बोले, "चुदोगी तो एकदम ठीक हो जाओगी." "मैं अंजान बन बोली, "तो
करिए ना मामा." मामा खुश हो फ़ौरन उठे और चूतड़ के नीचे तकिया
लगा चूत उभारकर उसपर हाथ फेर बोले, "बहुत सही उमर पर मज़ा
लोगि." और उंगली से चूत के फाँक मैं तेल टपकाया. मैं कहा थी
बता नही सकती. आँख बंद थी और चूचियाँ तनी थी. गांद के
नीचे तकिया मज़ा दे रहा था. अब मैं भी ममेरी बहन की तरह मस्त
मामा से चुदवाकर जवानी का असली मज़ा लेने को बहाल थी. मामा को
यकीन था कि मैं उनको पूरा मज़ा दूँगी.
"ज़रा चूतड़ ऊपर करो." मामा ने हाथ से चूतड़ ठीक किया. "मैं
तुम्हारा दर्द ठीक कर दूँगा." "ओह्ह मामा दर्द." और चूतड़ उठा मामा
को शलवार खिसकाने का इशारा किया. मामा मौका देख शलवार को नीचे
कर घुटनो तक ले आए तो मैं नंगी हो गयी चूत को हाथ से च्छूपा
मामा को मस्त करने लगी.
शायद इस तीन पाँच मैं मामा को मज़ा मिला. वह मेरी चूत पर रखी
हथेली को हटाते बोले, "क़ायदे से हाथ हटाओ वरना हम ज़बरदस्ती
लेंगे. हाए तुम तो एकदम तैय्यार हो." फिर मामा ने शमीज़ के ऊपर से
मेरी दोनो चूचियों को एक साथ मसला तो मैं जन्नत के मज़े मैं
डूबती बोली, `हाए मामा मर गयी. हाए चोदो." "क़ायदे से बात
मानलो वरना ज़बरदस्ती हाथ पैर बाँधकर मज़ा लेंगे. हाए यह
जवानी का दर्द है ठीक हो जाएगा." और चूचियों को मसल्ने लगे
तो मैं खुश होकर बोली, "नही मामा कोई देख लेगा."
मामा घुटने के बल बैठे तो उनके लंड का गरम और चिकना सूपड़ा
सीधा तैल लगी चूत के छेद पर आया. मामा का फँफनाया लंड
लूँगी के अंदर उभरा हुवा था और मेरी बाई रान पर सूपड़ा टच
कर रहा था. मामा ने एक हाथ को जो मेरी बाई चूची पर रखकर
दबाते हुवे सूपदे को चूत के फाँक मैं दूसरे हाथ से पकड़कर
चलाया तो मैं मदहोशी से भर मज़ा लेने के लिए चूतड़ उभारने
लगी. मौसम मेरे मंन के अनुसार ही बदला था. मामा मेरी नंगी चूत
की झलक देख पागला गये थे. इसी के लिए तो मैं ड्रामा कर रही
थी. अब मैं यही सोच रही थी कि मामा जान ना पाए कि मैं चुदवाने
को राज़ी(अग्री) थी. मामा को मेरे इसी इशारे का इंतेज़ार था. मामा ने
सूपदे को उभर आई कुँवारी चूत पर जो रगड़ा तो मैं अपने आप कह
उठी, "हाए मामा अच्छा लग रहा है."
"तू फिर शरमाओ नही और मज़ा लो. अपने हाथ से लंड पकड़कर सूपदे
को फाँक मैं रगद्कर मज़ा लो. मैं दोनो चूचियों को दबाउन्गा तो
और मज़ा आएगा. पगली मुझसे क्या शरमाना, मैं कोई पराया थोड़े
हूँ. मैं तो तुम्हारा मामा हूँ. एक महीने मैं चोद्कर जवान कर
दूँगा. बड़ी हो जाओगी कुच्छ ही दिन मैं. लो पकड़कर रागडो. ममता भी
नही शरमाती है मुझसे."
मामा ने मेरे लेफ्ट हॅंड को पकड़कर अपने लंड पर रखा तो मैं
चुपचाप लंड पकड़ सूपदे को चूत की फाँक मैं रगड़ने लगी और
मामा दोनो हाथ से मेरी कच्ची चूचियों को मसल्ते हुवे मुझे
जन्नत की सैर कराने लगे. सचमुच अब हमको बड़ा ही अनोखा मज़ा आ
रहा था. मैं मज़े से भर मामा के मज़ेदार सूपदे को पूरी चूत पर
रगड़ती मज़ा लेने लगी. कुच्छ देर तक मामा इसी तरह मज़ा देने के
बाद मेरे निपल को उंगली से दबा बोले, "बोलो दीपा मज़ा है ना?"
"हां मामा करिए." "करिए नही कहो मेरी चूत चोदिए तभी
चोदुन्गा वरना जाओ रहने दो जाओ चड्डी पहनो. तुम बहुत शर्मा रही
हो. हमको तुम्हारी जैसी बहुत मिलेंगी चोदने के लिए." इतना कह
मामा ने तो मेरे ऊपर मुसीबत ही ला दी. वह मेरे हाथ को अपने लंड
से अलगकर बेड से उतर गये तो मैं घबराकर मामा से बोली, "नही
मामा आईएना."
मामा का डंकी साइज़ टाइट लंड मैं अपनी कुँवारी चूत मैं लेने को
उतावली हो उठी. मामा ने अपने लंड को पकड़कर मेरे सामने किया और
बोले, "तुम्हारी जैसी लोन्दियो को चोद्कर मस्त कर देगा मेरा लंड.
दूसरे से चुदवायेगि तो मज़ा नही आएगा. मैं तो तुमको अपना समझकर
मज़ा देना चाह रहा था पर तुम तो नखरे कर रही हो." "नही मामा
हाए."
तो मामा मेरी चूचियों को मसलकर प्यास दबाते बोले, "कमरा बंद
है. बात मनोगी तो दोनो को मज़ा आएगा." "ज्ज जी मामा हाए पहले
चोदो ना ."
इसपर मामा ने चूचियों को छ्चोड़ दिया और बेड पर बैठ गये. मामा
ने मेरे नंगे चूतड़ और चिकनी रानो के बीच की चूत पर जो हाथ
फेरा था उससे मैं मज़े से नहा गयी थी और तड़प के साथ
बोली, "हाए मामा डर लगता है." मामा ने मेरी चिकनी चूत को उंगली
से दबाते हुवे कहा, "पूरी जवान हो गयी हो बात मनलो खूब मज़ा
आएगा. हम तेल लगाकर खूब प्यार से लेंगे. ज़रा भी तकलीफ़ नही
होगी. हाए क्या माल है तेरा."
इतना कह मामा मेरी जवानी को और तड़पाने के लिए मेरे चूतड़ की ओर
मुँह करके लेटे और फ़ौरन जीभ से मेरी मस्ताई कचौरी सी चूत को
चाटने लगे. चाटते ही मेरी कच्ची जवानी एकदम से गदरा गयी. अभी
तक मामा के साथ जितना मज़ा आया था मुँह से चूत चटवाने का मज़ा
सबसे बेहतरीन था. मैं अपनी चाल मैं कामयाब थी. मामा कुत्ते की
तरह चूतड़ की ओर से मेरी चूत को लापर लापर चाट रहे थे और
मैं जन्नत मैं पहुँचकर चुपचाप चूत चटवाती लड़की होने का
मज़ा ले रही थी. शायद किसी लड़की को मस्त करने का मेरे चालू मामा
का यह रामबाण था. अब मैं मज़ा पाकर पूरी रज़ामंदी से चुद्वकर
जवान होने को तैय्यार थी. मामा की जीभ करेंट लगा रही थी. वह
चूत चाट ही रहे थे साथ साथ मेरे गुदाज़ गांद को भी चाटते जा
रहे थे. अब मैं चुपचाप चटवा रही थी.
कुच्छ देर चाटने के बाद मामा ने हमे मस्त पाया तो प्यार से मेरे
चूतड़ दबा मेरे सेब से गाल को चूमते एक चूची दबाते
बोले, "दीपा मज़ा आ रहा है ना?" "हां मामा." "और चाटें?" "हां
मामा." "अच्छा लग रहा है?" "जी बहुत." "अब शरमाओगी?"
इसपर मैं बेताबी से भर बोली, "नही मामा अब नही शर्माउन्गि. मामा
आओ ना." मामा मेरी चूचियों को दबा मज़ा वापस करते बोले, "तो
कहो, चोदो." "हाए मामा चोदो ना."
"दीपा चुदाइ मैं खुलकर बात करने से मज़ा ज़्यादा आता है. अब
शरमाना नही और खुलकर बोलना." मैं तो पहले ही खुलकर मज़ा लेना
चाहती थी. मामा की बात सुन बोली, "ठीक है मामा आओ चोद कर फाड़
दो अपनी कुँवारी जवान भांजी की चूत." "जाओ पेशाब करके चूत को
कपड़े से ड्राइ कर तेल लगाओ."
मामा ने चूतड़ पर हाथ फैर्कर कहा तो मैं जन्नत का मज़ा लूटने
के लिए एकदम बहाल हो तड़प के साथ उठी और कमरे से बाहर आ
पेशाब करने लगी. चूत एकदम लाल थी और चूत के लहसुन बाहर
थे. चूचियाँ शमीज़ से बाहर थी. मूतकर शलवार से चूत
पोंछती मामा के पास आई तो मामा दोनो निपल पकड़कर बोले, "अब
शरमाओगी दीपा?"
"नही मामा." "घर मैं यह कपड़े नही पहना करो. स्कर्ट और शर्ट
पहनना और चड्डी भी नही." "जी मामा." "इन कपड़ो मैं चुदवाने मैं
आराम रहता है. हाए कितनी छ्होटी छ्होटी चूचियाँ है. जब बड़ी
कर्वाओगि तभी मज़ा आएगा."
"हाए मामा कैसे होंगी बड़ी." "दबाने से होंगी." "दबाइए मामा खूब
मसालिए." "तो थोड़ा तेल लंड पर लगाओ." "जी."
मामा लंड को सामने कर बेड पर बैठ गये तो मैं हाथ मैं तेल ले
उनके लंड पर लगाने लगी. मामा तेल लगवाते हुवे बोले, ""कहा मनोगी
तो रात मैं अपने पास सुलाया करेंगे. रोज़ रात मैं चोदेन्गे. बड़ी
हो जाओगी तो किसी से भी चुदवाने मैं तकलीफ़ नही होगी." "जी मामा."
"चाटने मैं मज़ा आया था?" "हां मामा बहुत." मुझे मामा के टाइट
गरम लंड पर तेल लगाने मैं भी मज़ा आ रहा था. चोदने के नाम
से पूरा बदन मचल जाता था.
"अब अपनी चूत पर तेल लगाकर पहले की तरह तकिये पर गांद
रखकर तैय्यार होजाओ मैं अभी आया." "चोद दीजिए मामा तब जाइए."
मैं तड़प के साथ चूत पर तेल लगाती बोली. "अभी आ रहा हूँ.
प्यार से चुदवाओ. मेरे कहने पर चलॉगी तो जितनी बार कहोगी उतनी
बार चोदेन्गे. लेटो आता हूँ."
मैं अब मज़ा पाने के लिए अपने मामा की हर बात मानने को तैय्यार थी.
मैं चूत को उभार टाँग सिकोडकर गांद को तकिये पर रख लेटी मामा
का वेट करने लगी. दो मिनिट बाद मामा आए और पहले की तरह बैठ
जो चूत के छेद पर सूपड़ा लगाया तो मैं मज़े से भर बोली, "मज़ा
आ रहा है मामा."
"रात मैं तुमको ज़्यादा मज़ा आएगा. रात मैं दो का मज़ा
आएगा." "कैसे मामा? क्या दो लड़के होंगे रात मैं?" "नही रात मैं
दो लड़कियाँ होगी." "हाए मामा कौन?" "डरो नही उसके साथ तुमको
ज़्यादा मज़ा आएगा."
मैं समझ गयी कि रात मैं ममता दीदी के साथ चोदेन्गे पर मैं
अंजान बनती बोली, "हाए मामा अब चोदो ना." "टाँग ऐसे ही फैलाए
रहना." और इसके साथ ही मामा मेरी दोनो चूचियों को कसकर दबाते
हुवे अपने चूतड़ को उठा-उठाकर मेरी चूत मैं डालने लगे.
जब चूत के छेद मैं मामा का सूपड़ा जाता तो मैं होंठ भीचकर
सस्स्सीए सस्सीए करने लगती. 3-4 बार मामा ने थोड़ा सा सूपड़ा
घुसेड कर निकाल लिया. सूपड़ा बाहर आते ही मैं तड़प के साथ
बोली, "हाए मामा डालिए."
चौथी बार मैं मामा ने झटके के साथ पेला तो मैं कराह उठी.
मामा का आधा लंड मेरी चूत मैं घुस गया था. मैं एक बार तड़प गई
फिर कसमसा कर शांत हो गयी. अब तो हमको चूत के अंदर गया मामा
का लंड ग़ज़ब का मज़ा दे रहा था. मैं खुद मामा से बोली, "चोदो
मामा अब दर्द नही है."
इस पर मामा एक धक्के के साथ पूरा घुसेड कर मेरी एक चूची को
चूस्ते हुवे आँख बंदकर मेरी कुँवारी चूत मैं सक्क सक्क डालने
निकालने लगे. मैं चूची पिलाती मस्ती से चुदवाति कुँवारी चूत की
पहली चुदाई का मज़ा लेती रात मैं मिलने वाले मज़े का बारे मैं
सोचने लगी इसका मतलब मामा दीदी के साथ मेरी चुदाई करेंगे
तो दोस्तो कैसी लगी ये मामा भांजी की मस्ती भरी चुदाई की
कहानी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
सोचने लगी.
समाप्त
था एंड
Mama bhanji --1
Main apne mama ke ghar gayi huyi thi. Mere mama ki ladki Mamta ki
shadi hone wali thi. Main Mamta didi ke saath hi lagi rahti thi. Didi
20 years ki thi. Mama ki sirf ek yahi ladki thi. Mami abhi karib 40
saal ki aur mama 42 ke the. Main aur didi niche baithe the ki tabhi
Mama bahar se aaye aur oopar apne room main chale gaye. Unke aate hi
didi bhi oopar chali gayi. Dophar ka samay tha maine socha ki Mama ko
khana khilane gayi hogi. Main wahi sofe par baithi newspaper dekhti
rahi aur didi ki wapsi ka wait karne lagi. 15 minute ho gaye par
Mamta didi wapas nahi aayi. Main akele bor ho gayi tu didi ko bulane
ke liye oopar gayi. Mama ke kamre se kuchh ajeeb tarah ki aahat aayi
mujhe laga didi oopar ke kamre main hai. Main us room ke paas gayi tu
kamre ke darwaze aur window band thi. Mere mann main shanka huyi.
Andar kamre main Mama didi ke saath the. Unki dabi dabi awaz kaan
main padi. Mann ne kaha didi aur Mama kamre main darwaze band karke
kya kar rahe hain. Main window main andar dekhne ke liye darar talash
karne lagi.
Daraar mili tu andar dekha tu saanp soongh gaya. Main sann rah gayi .
anokha scene tha. Pahle tu yakeen nahi huwa par sach tu samne tha.
Mama aur didi jo kar rahe the usse gudgudi hone lagi. Main bhi badi
ho gayi thi. Didi aur mama ki is harkat ka asar tan aur man par pada.
Pahle kharab laga par fir dekhne main maza aaya. Mamta didi mama ke
samne nangi khadi thi aur Mama unki ek choochi ko haath se dabate
huwe doosri choochi ke nipple ko munh se choos rahe the. Mamta didi
pyaar se aankh band kiye apni badi badi choochiyon haath main pakad
bada badakar chuswa rahi thi. Hamko har saans ke saath maza aane laga
aur main chupchap dono ki harkat dekhne lagi. Kabhi socha bhi nahi
tha ki saga baap apni sagi beti ke saath aisa kar sakta hai par jo
sach tha usse meri gadrayi choot aur choochiyon main khumari bharne
lagi thi.
Tabhi Mamta didi ne kaha, "haye papa ab chato." Tab Mama ne
choochiyon se munh alag kiya tu didi chair par baithi aur gori gori
tango ko chair ke handle par rakh phailaya aur apni jawan choot ko
ungli se khol diya. Main Mamta didi ki choot aur choochiyon ko
dekhkar mast thi. Unki choot tu Mami ke size ki ekdam kisi aurat ki
si thi. Choochiyan bhi badi thi. Mujhe samajhte der nahi lagi ki wah
apne baap se bahut maza le chuki hai. Mama aage baithe aur jeebh ko
didi ke phailaye gaye daraar main chalate huye masti ke saath chatne
lage aur Mamta didi siskari leti chutad utha uthakar apne baap ko
choot chatane lagi.
Mamta didi ki is kaamleela ko dekhne main kafi maza aa raha tha. Main
bhi apni sayani choot ko chatwakar maza lene ke liye bahakne lagi. Ab
wahan se hatne ka mann nahi tha. Apne aap didi ko Mama se chudwakar
maza lete dekhne ko man bekarar ho gaya. Baat samajh main aa gayi thi
ki Mama ne hi chod chodkar Mamta didi ko 18 saal main hi laundiya se
aurat bana diya hai. Chodne se didi ki choot aur choochiyan mami ke
size ki ho gayi hain. Hame dekhne main hi bada maza aa raha tha. Meri
gadrayi choochi aur choot dono ek saath didi ki tarah shadi se pahle
mard se maza lene ke liye khujlane lagi. Main choot ko raano main
daba dekhne lagi.
Tabhi didi ne siskari le kaha, "haye………papa meri shadi rok dijiye.
Main aapko chhodkar nahi jaungi. Hamko aisa maza nahi milega waha
par." Ispar Mama ne didi ki choot chatna bandkar masti ke saath khade
hokar apni lungi ko khola tu main Mama ke lambe mote aur phoole
supade wale lund ko dekhkar gadgad ho gayi. Mama ka kisi dunkey ki
tarah tha. Mama khade khade chair par pair phailakar baithi didi ke
kandhe par haath rakhkar pyaar se bole, "are beti fauran bula loonga.
Shadi ke baad tu ji bharkar hamse chudwana. Abhi tu bachcha na ho
isliye pani andar nahi girate. Jab pani girta hai tabhi asli maza
aata hai. Ab pani choot main hi nikala karenge."
"nahi papa ham nahi jayenge." "ghabrao naho doosre din hi bulwa
loonga. Mujhe bhi tumhare bina chain nahi aayega. Aakar batana uska
kis size ka hai. Chutad uthao." Didi ne pyaar se chutad uthaya tu
Mama apne mote lund ke supade ko Mamta didi ki choot ke phaank par
ragadne lage. Main apni choot ko shalwar ke oopar se dabati maze se
bhar Mama ko masti se khade khade didi ki choot main daalte dekhne
lagi. Fir mote lund ko didi ki choot main sakk sakk aate jaate dekh
main khud ko bhoolne lagi.
Ab Mama pyaar se apni beti ko chod rahe the aur didi chudwate huwe
siskari le rahi thi. Undono ne 10 minute tak chudayi ki fir dono jhad
gaye tu kapde pahante huwe Mama ne kaha, "Mamta beti?"
"haan papa." "Deepa bhi poori jawan ho gayi hai." "haan papa solah
saal ki hai." "khoob gadrayi hai. Hame lagta hai kisi se phansi
hai." "nahi papa. Uske papa use maza nahi dete honge." Didi apne
pettikot ko bandhti boli.
Apne bare main Mama ke munh se is tarah ki baate sunkar mujhe bura na
lagkar bada achha laga. Tabhi Mama ne kaha, "tum ghabrana nahi beti.
Shadi ke baad bhi tumko apne paas rakhunga." "ji papa main aapse hi
chudwaongi." "waise Mamta maal tu Deepa ka bhi kora lagta hai." "haan
papa abhi kisi se karwaya nahi hai." "Deepa ko thoda idhar udhar
karo. Ghar ka maal hai agar maza paa gayi tu aasani se
chakhayegi." "Theek hai papa."
"Beti choot dard tu nahi kar rahi hai?" "nahi papa. Aaj tu bahut maza
aaya mera teen baar nikla. Papa raat ko fir?" "haan haan kyon nahi
beti. Raat main tumhari choot main hi paani dalenge par suhagrat main
usse bhi khoob chudwana." "theek hai papa."
Fir we dono bahar aane lage tu main bhaagkar bathroom main ghus gayi.
Mama hamko bhi chodna chahte hain, yah jankar main bechain ho gayi.
Mameri bahan ko apnke baap se hi jawani ka maza lete dekhkar main
ekdam se jawan ho gayi. Main peshab kiya tu laga ki peshab ke saath
kuchh nikal raha hai. Main solah ki ho chuki thi. Didi ki choot par
baal the par meri abhi royedaar thi aur choochiyan bhi didi ki half
thi.
Mootkar chaddi chadaya tu laga nipple tan gaye hain. Apne bare main
huyi dono ki baate ras ghol rahi thi. Didi chudne ke baad sone chali
gayi thi. Sach hai jahan chah waha raah. Do baje the. Main aankh band
kiye dono ki chudai ko yaad karti soch rahi thi ki we raat ko fir
maza lenge. Mama ka kela yaad aa raha tha. Main apni choot sahla rahi
thi par bechaini barh gayi tu kareeb 1 ghante baad uthi aur apna
sabkuchh mama par lutane ko taiyyar ho gayi. Fir bathroom main jakar
peshab kiya aur wapas aa didi ko sota dekh kuchh socha. Mann ne roka
par jawani ki garmi ne bebas kar hi diya. Maine socha ki mama tu
kamsin choot ke shaukin hai. Jab apni ladki ko chodkar betichod ban
sakte hai tu mujhe kyon nahi chodenge. Pata nahi didi kab mujhe
phansaye, ek mahina hai khud mama se kaam bana lo. Yah soch chikna
badan sansanane laga. Choot ne kawwe(clit) bahar nikal diya.
Main plan bana oopar gayi. Mama lungi baniyan main the. Jis chair par
didi ko choda tha wah ek oor pada tha. Mama dusri taraf karwat liye
the. Main mama ke paas gayi aur pet ko daba dard ka bahana karti unko
jaal main lena tha. Yah ek story main dekha tha jismain ek 20 saal ki
jawan ladki pet dard ke bahane apne bhai se maza leti thi. Mujhe
zarabhi sharam nahi thi. Mujhe bhi didi ki tarah shadi se pahle maza
lena tha. Main bahana karti karahti huyi bed par zor se baith haye
haye karne lagi tu mama jaldi se uth mujhe dekh pareshan ho gaye.
Main janti thi ki aisa mast maal paas dekh mama mauke ka fayda
uthayenge.
"haye mama pet dard…." Aur bed par chit leti tu dono choochiyan
shameez main khil uthi. Dono ke nipple khade the. Mama meri oor jhuk
bole, "dard hai doctor bulayen?" Mama ka haath mere chikne pet par
tha tu main unka haath apni jaangh ki oor karti boli, "oh Mama
dard." "tez dard hai?" Mama meri choochiyon ko ghoorte huwe bole. We
laal ho gaye aur main mast ho taange mod dono chutad dikhati
boli, "haye mummy." Mama ne mauke ka fayeda uthaya aur meri gaand par
haath laga sahlaya aur poochha, "tez hai."
Maine fauran pair niche kiye tu mama ka haath mere chutad ke niche
dab gaya. Mama ne dusra haath meri ek choochi par touch karte
kaha, "pet main hai?" "nahi Mama niche." Meri choochiyan tezi se
uchhal rahi thi. Mama jaal main aa rahe the. "doctor bulaye." "nahi
Mama kabhi kabhi hota hai. Mummy hoti tu theek ho
jata." "kaise?" "mummy malish kar deti hain." "wah tu der se ayengi.
Mamta didi kahan hain" "wah so rahi hai. Main khud kar lungi." Aur
shalwar ka zarband dheela karti boli, "Mama thoda sa tel de dijiye."
Shalwar dheeli hote dekh Mama ki aankhon main chamak aa gayi. Jo apni
sagi beti ko chod sakta tha wah bhanji ke saath mile mauke ko kyon
chhodta. Maine haath shalwar ke andar daal diya aur choot sahlane
lagi. Mama tel lene chale gaye the. Mama ne fayeda uthaya. Tabhi Mama
katori main tel lekar aaye tu main unko dekh shalwar main haath daal
haye haye karne lagi. "kuchh kam huwa." "nahimmm malish se
jayega." "koi baat nahi main malish kar deta hoon." Mama meri
choochiyon ko ghoor rahe the. Meri chal fit thi. Main pet pakadkar
leti tu Mama kursi paas la uspar baith bole, "batao kaha lagana hai."
Main tu yahi chah rahi thi. Mama ka chehra usi tarah chamak raha tha
jaisi apni ladki ko chodte huwe tha. Main chup rahi tu Mama ne
kaha, "lagwa lo main koi paraya nahi hoon."
Mama ki baat sun boli, "pedu par Mama." Mama ne turant ungli se tel
lekar pet par lagaya. Mujhe itna maza aaya ki bina sharam shalwar ko
neeche kar pedu nanga karti shalwar ko choot par rakha. Mama ke liye
yah signal kafi tha. "yahi ki aur niche? "thoda sa aur niche Mama."
Ab Mama meri choot se half inch oopar tel laga rahe the. Main mast
thi. Aankhen band thi. Mama meri choot ke balo ko touch kar rahe the.
Mama choot par ki reshmi jhaanto ko sahlate bole, "Deepa dard ka
huwa?" "thoda thoda."
Mama meri jawani ka teperature dekh mast the. Unhone haath se raan
phailane ka ishara kiya tu maine dono pairon ke beech jagah bana di.
Mama meri choochiyon ko dekh behaal ho rahe the aur mauke ka fayeda
uthane ke liye haath ko oopar choochiyon tak aur niche raano ke jod
tak chala rahe the. Mujhko tu jawani pagal bana chuki thi. Main tu
didi ki tarah Mama ka kela khane ko betaab thi. 4-5 baar dono
choochiyon ko niche se sahlane ke baad Mama ne poocha, "kam
huwa?" "haan Mama aur lagaiye. Darwaza band kar dijiye koi aa na
jaye."
Ab mujhse aur natak nahi kiya ja raha tha. Dono choochiyan mast thi
aur choot bhi phool pichak rahi thi. Mama meri kamukta bhaanp
bole, "main dard ki wajah jaan gaya hoon. Yaha koi nahi ayega." "kya
wajah hai Mama?" "shadi ke baad dard theek ho jayega. Aise lagate
nahi ban raha hai ek kaam karo shalwar aur niche kar lo." Mama dono
choochiyon ko ghoorte bole aur darwaza band kar diya.
Maine style main pair oopar kiya tu shalwar chutad se niche sarak
gayi aur meri choot niche se nangi ho gayi. Mama nangi choot dekhte
bole, "chudwaogi tu ekdam theek ho jaogi." "main anjaan ban boli, "tu
kariye na Mama." Mama khush ho fauran uthe aur chutad ke niche takiya
laga choot ubharkar uspar haath fer bole, "bahut sahi umar par maza
logi." Aur ungli se choot ke phaank main tel tapkaya. Main kaha thi
bata nahi sakti. Aankh band thi aur choochiyan tani thi. Gaand ke
niche takiya maza de raha tha. Ab main bhi mameri bahan ki tarah mast
Mama se chudwakar jawani ka asli maza lene ko behaal thi. Mama ko
yakeen tha ki main unko poora maza dungi.
"zara chutad oopar karo." Mama ne haath se chutad theek kiya. "main
tumhara dard theek kar dunga." "ohh Mama dard." Aur chutad utha Mama
ko shalwar khiskane ka ishara kiya. Mama mauka dekh shalwar ko niche
kar ghutno tak le aaye tu main nangi ho gayi choot ko haath se chhupa
Mama ko mast karne lagi.
Shayad is teen paanch main Mama ko maza mila. Wah meri choot par ki
hatheli ko hatate bole, "kayde se haath hatao warna ham zabardasti
lenge. Haye tum tu ekdam taiyyar ho." Fir Mama ne shameez ke oopar se
meri dono choochiyon ko ek saath masla tu main jannat ke maze main
doobti boli, `haye Mama mar gayi. Haye choodiye." "kayde se baat
maanlo warna zabardasti haath pair baandhkar maza lenge. Haye yah
jawani ka dard hai theek ho jayega." Aur choochiyon ko masalne lage
tu main khush hokar boli, "nahi Mama koi dekh lega."
Mama ghutne ke bal baithe tu unke lund ka garam aur chikna supada
seedha tail lagi choot ke chhed par aaya. Mama ka fanfanaya lund
lungi ke andar ubhra huwa tha aur meri baayi raan par supada touch
kar raha tha. Mama ne ek haath ko jo meri bayi choochi par rakhkar
dabate huwe supade ko choot ke phaank main doosre haath se pakadkar
chalaya tu main madhoshi se bhar maza lene ke liye chutad ubharne
lagi. Mausam mere mann ke anusar hi badla tha. Mama meri nangi choot
ki jhalak dekh pagla gaye the. Isi ke liye tu main drama kar rahi
thi. Ab main yahi soch rahi thi ki Mama jaan na paye ki main chudwane
ko razi(agree) thi. Mama ko mere isi ishare ka intezar tha. Mama ne
supade ko ubhar aayi kunwari choot par jo ragda tu main apne aap kah
uthi, "haye Mama achha lag raha hai."
"tu fir sharmao nahi aur maza lo. Apne haath se lund pakadkar supade
ko phaank main ragadkar maza lo. Main dono choochiyon ko dabaonga tu
aur maza aayega. Pagli mujhse kya sharmana, main koi paraya thode
hoon. Main tu tumhara Mama hoon. Ek mahine main chodkar jawan kar
doonga. Badi ho jaogi kuchh hi din main. Lo pakadkar ragdo. Mamta bhi
nahi sharmati hai mujhse."
Mama ne mere left hand ko pakadkar apne lund par rakha tu main
chupchap lund pakad supade ko choot ki phaank main ragadne lagi aur
Mama dono haath se meri kachchi choochiyon ko masalte huwe mujhe
jannat ki sair karane lage. Sachmuch ab hamko bada hi anokha maza aa
raha tha. Main maze se bhar Mama ke mazedar supade ko poori choot par
ragadti maza lene lagi. Kuchh der tak Mama isi tarah maza dene ke
baad mere nipple ko ungli se daba bole, "bolo Deepa maza hai na?"
"haan Mama kariye." "kariye nahi kaho meri choot chodiye tabhi
chodunga warna jao rahne do jao chaddi pahano. Tum bahut Sharma rahi
ho. Hamko tumhari jaisi bahut milengi chudwane ke liye." Itna kah
Mama ne tu mere oopar musibat hi laa di. Wah mere haath ko apne lund
se alagkar bed se utar gaye tu main ghabrakar Mama se boli, "nahi
Mama aiyena."
Mama ka dunkey size tight lund main apni kunwari choot main lene ko
utawali ho uthi. Mama ne apne lund ko pakadkar mere samne kiya aur
bole, "tumhari jaisi lundiyo ko chodkar mast kar dega mera lund.
Doosre se chudwaogi tu maza nahi aayega. Main tu tumko apna samajhkar
maza dena chah raha tha par tum tu nakhre kar rahi ho." "nahi Mama
haye."
Tu Mama meri choochiyon ko masalkar pyaas barhate bole, "kamra band
hai. Baat manogi tu dono ko maza aayega." "jj… ji Mama haye pahle
chhodiye na."
Ispar Mama ne choochiyon ko chhod diya aur bed par baith gaye. Mama
ne mere nange chutad aur chikni raano ke beech ki choot par jo haath
fera tha usse mai maze se naha gayi thi aur tadap ke saath
boli, "haye Mama darr lagta hai." Mama ne meri chikni choot ko ungli
se dabate huwe kaha, "poori jawan ho gayi ho baat manlo khoob maza
aayega. Ham tel lagakar khoob pyaar se lenge. Zara bhi takleef nahi
hogi. Haye kya maal hai tera."
Itna kah Mama meri jawani ko aur tadpane ke liye mere chutad ki oor
munh karke lete aur fauran jeebh se meri mastayi kachauri si choot ko
chatne lage. Chatte hi meri kachchi jawani ekdam se gadra gayi. Abhi
tak Mama ke saath jitna maza aaya tha musme choot chatwane ka maza
sabse behtareen tha. Main apni chaal main kamyab thi. Mama kutte ki
tarah chutad ki oor se meri choot ko lapar lapar chaat rahe the aur
main jannat main pahunchkar chupchap choot chatwati ladki hone ka
maza le rahi thi. Shayad kisi ladi ko mast karne ka mere chalu Mama
ka yah rambaan tha. Ab main maza paakar poori razamandi se chudwakar
jawan hone ko taiyyar thi. Mama ki jeebh current laga rahi thi. Wah
choot chaat hi rahe the saath saath mere gudaz gaand ko bhi chatte ja
rahe the. Ab main chupchap chatwa rahi thi.
Kuchh der chaatne ke baad Mama ne hame mast paya tu pyaar se mere
chutad daba mere seb se gaal ko choomte ek choochi dabate
bole, "Deepa maza hai na?" "haan Mama." "aur chaaten?" "haan
Mama." "achha lag raha hai?" "ji bahut." "ab sharmaugi?"
Ispar main betabi se bhar boli, "nahi Mama ab nahi sharmaongi. Mama
aao na." Mama meri choochiyon ko daba maza wapas karte bole, "tu
kaho, chodiye." "haye mama chodiye."
"Deepa chudwane main khulkar baat karne se maza zyaada aata hai. Ab
sharmana nahi aur khulkar bolna." Main tu pahle hi khulkar maza lena
chahti thi. Mama ki baat sun boli, "theek hai mama aao chod kar phad
do apni kunwari jawan bhanji ki choot." "jao peshab karke choot ko
kapde se dry kar tel lagao."
Mama ne chutad par haath phairkar kaha tu main jannat ka maza lootne
ke liye ekdam behaal ho tadap ke saath uthi aur kamre se bahar aa
peshab karne lagi. Choot ekdam laal thi aur choot ke lahsun bahar
the. Choochiyan shameez se bahar thi. Mootkar shalwar se choot
pochhti Mama ke paas aayi tu Mama dono nipple pakadkar bole, "ab
sharmaogi Deepa?"
"nahi Mama." "ghar main yah kapde nahi pahna karo. Skirt aur shirt
pahanna aur chaddi bhi nahi." "ji Mama." "in kapdo main chudwane main
aaram rahta hai. Haye kitni chhoti chhoti choochiyan hai. Jab badi
karwaogi tabhi maza aayega."
"haye Mama kaise hongi badi." "dabane se hongi." "dabaiye Mama khoob
masaliye." "tu thoda tel lund par lagao." "ji."
Mama lund ko samne kar bed par baith gaye tu main haath main tel le
unke lund par lagane lagi. Mama tel lagwate huwe bole, ""kaha manogi
tu raat main apne paas sulaya karenge. Roz raat main chodenge. Badi
ho jaogi tu kisi se bhi chudwane main takleef nahi hogi." "ji Mama."
"chatane main maza aaya th?" "haan Mama bahut." Mujhe Mama ke tight
garam lund par tel lagane main bhi maza aa raha tha. Chodne ke naam
se poora badan machal jata tha.
"ab apbi choot par tel lagakar pahle ki tarah takiye par gaand
rakhkar taiyyar ho main abhi aaya." "chod dijiye Mama tab jaiye."
Main tadap ke saath choot par tel lagati boli. "abhi aa raha hoon.
Pyaar se chudwao. Mere kahne par chalogi tu jitni baar kahogi utni
baar chodenge. Leto aata hoon."
Main ab maza pane ke liye apne Mama ki har baat manne ko taiyyar thi.
Main choot ko ubhar taang sikodkar gaand ko takiye par rakh leti Mama
ka wait karne lagi. Do minute baad Mama aaye aur pahle ki tarah baith
jo choot ke chhed par supada lagaya tu main maze se bhar boli, "maza
aa raha hai Mama."
"raat main tumko zyaada maza aayega. Raat main do ka maza
aayega." "kaise Mama? Kya do ladke honge raat main?" "nahi raat main
do ladkiyan hogi." "haye Mama kaun?" "daro nahi uske saath tumko
zyada maza ayega.
Main samajh gayi ki raat main Mamta didi ke saath chodenge par main
anjaan banti boli, "haye mama ab chodiye." "taang aise hi phailaye
rahna." Aur iske saath hi Mama meri dono choochiyon ko kaskar dabate
huwe apne chutad ko utha-uthakar meri choot main dalne lage.
Jab choot ke chhed main Mama ka supada jata tu main hoonth bheechkar
sssseee ssseee karne lagti. 3-4 baar Mama ne thoda sa supada
ghusedkar nikal liya. Supada bahar aate hi main tadap ke saath
boli, "haye mama daliye."
Chauthi bar main Mama ne jhatke ke saath pela tu main karah uthi.
Mama ka aadha lund meri choot main ghus gaya tha. Main ek baar tadpi
fir kasmasa kar shaant ho gayi. Ab tu hamko choot ke andar gaya mama
ka lund gazab ka maza de raha tha. Main khud Mama se boli, "chodiye
mama ab dard nahi hai."
Is par Mama ek dhakke ke saath poora ghusedkar meri ek choochi ko
chooste huwe aankh bandkar meri kunwari choot main sakk sakk dalne
nikalne lage. Main choochi pilati masti se chudwati kunwari choot ki
pahli chudayi ka maza leti raat main milne wale maze ka bare main
to dosto kaisi lagi ye mama bhaanji ki masti bhari chudaai ki kahaani jaroor batana aapka dost raj sharma
sochne lagi.
samaapt
tha end
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