Wednesday, December 15, 2010

कामुक-कहानियाँ-खेल खिलाड़ी का पार्ट--7


खेल खिलाड़ी का पार्ट--7

गतान्क से आगे..............

"मगर क्यू?",वेर्मा साहब उपर आए & उसे बाहो मे भर के चूम लिया. "आप जानते हैं मुझे काम मे दखलंदाज़ी पसंद नही.",उनका लंड उसकी चूत पे दबा था,उसने अपना दाया हाथ नीचे कर लंड को पकड़ उसे अपनी चूत की दरार पे रख अंदर धकेला. "देखो,दिव्या..",वेर्मा साहब ने 1 ज़ोर का धक्का दिया & अगले ही पल उनका 7.5 इंच लंबा लंड उसकी चूत की गहराइयो मे उतरा हुआ था. "ऊव्ववव..!",दिव्या ने अपनी बाई बाँह उनके जिस्म पे कस उनकी पीठ सहलाई & दाए से उनका चेहरा. "..ज़रूरी नही कि हर बात इंसान के मन के मुताबिक हो & खास कर के हमारे पेशे मे तो हर तरह के दबाव आते हैं.अभी तुमने ये सफ़र शुरू ही किया है,आगे जाके कयि ऐसे मौके आएँगे जब तुम्हे वो करना होगा जो तुम नही चाहती लेकिन फ़र्ज़ की राह मे वो कदम उठाना ज़रूरी होगा.",अपनी जूनियर अफ़सर को अपनी बाहो मे भरे वेर्मा साहब बड़े ज़ोरदार धक्के लगा रहे थे.दिव्या ने अपनी बाई टांग उनकी दाई टांग के उपर चढ़ा दी & दाए हाथ के नाख़ून उनकी पीठ मे गाढ़ते हुए उनके चेहरे को चूमने लगी. "लेकिन मैं ही क्यू?..आआननह....!..और ज़ोर से करिए..ऊव्ववव..!",उसने उन्हे बाहो मे भर के करवट ली & अब उनके उपर आ गयी.अपनी बाहे पीछे कर उनकी जाँघो पे रख वो ज़ोर-2 से कमर उचकाने लगी. "क्यूकी तुमसे काबिल और कोई लेडी अफ़सर है नही डेवाले पोलीस फोर्स मे.",वेर्मा साहब उसकी अन्द्रुनि जाँघो पे अपनी उंगलिया चला रहे थे.दिव्या बहुत ज़ोर से कमर हिला रही थी.उसकी चूत मे तनाव बन गया था जोकि अब उसके झड़ने के साथ ही ख़त्म होता & वो अब आगे की बात इस तनाव के ख़त्म होने के बाद ही करना चाहती थी.अपने बॉस की जंघे थामे वो आहे भरती कमर हिलाए जा रही थी & जैसे ही वो झड़ी वेर्मा साहब ने थोड़ा उठ उसका बदन पकड़ उसे अपने उपर गिरा लिया. "मुझे वो आदमी नही पसंद.",दिव्या ने उनका बाया गाल चूम लिया.वो उसकी गंद की फांको को पकड़ अपने घुटने मोड़ कमर उच्छाल तेज़-2 धक्के लगा रहे थे. "क्यू?बहुत भला इंसान है प्रोफेसर डिक्सिट.",उन्होने उसकी गंद को भींचा & अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी.दिव्या की चूत कसने लगी थी & वो दोबारे अपनी कमर हिलाने लगी थी. "मुझे उसकी बातें पसंद नही आई.",दिव्या ने उनके चेहरे को अपनी बाहो मे जाकड़ अपनी कमर और तेज़ी से हिलाई. "तुम भी धोखा खा गयी!" "तुम भी धोखा खा गयी!",डीसीपी वेर्मा ने दाया हाथ उसकी चौड़ी गंद को दबोचने मे लगाया & बाए को उसकी दाई छाती मसल्ने मे.उन्होने तकिये से सर थोड़ा उठाया तो दिव्या ने अपना सर उपर करते हुए अपनी छातियो उनके सीने से उठा दी & उन्होने अपना मुँह उसकी बाई छाती से लगा दिया. "आनह....ऊहह....!",दिव्या की मदहोशी अब आसमान छु रही थी. "उसकी हल्की-फुल्की बातो पे ना जाना,प्रोफेसर बहुत तेज़ दिमाग़ का सुलझा हुआ इंसान है.मेरी बात मानो,आज तुम्हे ये बात अच्छी नही लग रही मगर उसके साथ काम करने के बाद तुम खुद मुझे शुक्रिया अदा करोगी.",उन्होने अपनी बात पूरी करने के लिए उसकी चूची से मुँह कुच्छ पलो के लिए हटाया & बात पूरी होते ही फिर से उसकी छाती पीने मे लग गये.घुटने मोड़ उन्होने ऐसे क़ातिल धक्के लगाए कि कुच्छ ही पलो मे दिव्या अपनी मंज़िल पे जा पहुँची & उसका सफ़र अंजाम तक पहुँचते ही वेर्मा साहब ने भी अपना वीर्य उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया. दिव्या उनके सीने पे पड़ी उस खुमारी भरे पल का लुत्फ़ उठा रही थी.उसका रोम-2 तृप्ति & खुशी से भरा था....डीसीपी साहब कहते हैं तो मान लेती हू लेकिन अगर उस राइटर ने ज़्यादा होशियारी दिखाई तो ऐसे रंग दिखाउन्गी की खुद ही मुझसे पीछा च्छुडा के भाग जाएगा!..दिव्या मुस्कुराइ & अपने बॉस के सीने के बालो से खेलने लगी. ------------------------------
---------------------------------------------------------------------------------------------- मुकुल की आँख खुली तो उसने देखा कि खिड़की के पर्दे से छन हल्की रोशनी कमरे के अंदर आ रही है.उसने दीवार घड़ी को देखा,6 बज रहे थे.थोड़ी देर मे उसके फॅक्टरी & उसके बेटे के स्कूल जाने की गहमागहमी शुरू हो जाएगी.उसे रात महेश अरोरा से हुई बात याद आई.उसे यू चुनाव मे खड़ा होना ठीक नही लग रहा था....ये भाई साहब से गद्दारी जैसा नही होगा क्या?उसे उलझन हो रही थी & जब भी वो किसी उलझन मे पड़ता तो उसे बस 1 इंसान का ख़याल आता-उसकी खूबसूरत बीवी का जिसे वो बेन्तेहा चाहता था. उसने करवट ले नीना को देखा.वो बेख़बर सो रही थी & उसकी नाइटी उसके घुटनो के उपर तक आ गयी थी.हल्की रोशनी मे उसकी संगमरमरी जंघे कैसी चमक रही थी!नाइटी के गले से उसकी सांसो के साथ उपर हो रहे सीने का हिस्सा देख मुकुल के पाजामे मे हुलचूल होने लगी.1 बार फिर उसे अपनी किस्मत पे गुमान हो आया.वो नीना को वो सभी खुशिया नही दे पाया था जिनकी उसे ख्वाहिश थी मगर फिर भी वो उसके साथ थी,ये बात क्या जीने के लिए काफ़ी नही थी? उसने अपने कपड़े उतार दिए & फिर अपना बाया हाथ नीना की जाँघो पे लगा के सहलाना शुरू कर दिया.कुच्छ पलो बाद नीना कसमसाई & अपने घुटने मोड़ लिए.मुकुल का हाथ उसकी पॅंटी मे घुस उसकी चूत को सहलाने लगा.नीना ने आँखे खोली तो मुकुल का दाया हाथ उसके सर को सहलाने लगा.नीना को अपने पति के हाथो का एहसास बहुत भला लग रहा था.उसका सोया जिस्म धीरे-2 जाग रहा था मगर साथ ही उसे थोड़ी खिज भी हुई क्यूकी वो जानती थी कि मुकुल अब उसकी आग ठंडी नही कर पाता था & उसके पूरा सुकून पाने से पहले ही वो फारिग हो जाता था.अजीब हाल था उसके दिल का,1 तरफ तो उसे पति की हरकते मस्त कर रही थी & दूसरी तरफ थोड़ी देर बाद होने वाली मायूसी की वजह से उसका दिल उदास हो रहा था. मुकुल ने उसकी नाइटी को कंधो से नीचे कर उसकी छातियाँ नुमाया कर दी थी & पॅंटी भी निकाल चुका था.वो अपने घुटनो पे नीना के मुँह के पास खड़ा हो गया & उसे अपना लंड थमा दिया.नीना उसका इशारा समझ गयी थी.वो थोड़ा उठ के पलंग के हेडबोर्ड के सहारे बैठ गयी & उसने उसके 6 इंच के लंड को कुच्छ देर हिलाने के बाद अपने मुँह मे ले लिया तो मुकुल आहे भरता कमर हिला उसके मुँह को चोदने लगा. अपनी खूबसूरत बीवी के गुलाबी होंठो को अपने लंड के गिर्द कसा देख मुकुल बहुत ज़्यादा जोश मे आ गया & ज़ोर-2 से नीना की चूत मारने लगा.नीना को भी जोश आने लगा था & वो अपनी कमर हिलाने लगी थी.तभी मुकुल ने उसके मुँह से अपना लंड खींचा & उसकी टाँगे फैला उसे उसकी चूत मे घुसा आहे भरता धक्के लगाने लगा.वो पागलो की तरह नीना की चूचियाँ चूस रहा था. नीना की भी मस्ती बढ़ रही थी मगर उसे पता था की आगे क्या होने वाला है.उसने अपने पति के कंधो पे हाथ रखे हुए था & आँखे बंद की हुई थी.उसकी मस्ती और बढ़ गयी थी & अब उसकी भी आहे निकलने लगी थी मगर दिल का कोई कोना उसे इस मज़े को उठाने से रोक रहा था. "आआहह....!",झटके ख़ाता मुकुल उसके उपर उच्छल रहा था.नीना को अपनी जाँघो के बीच 1 चिपचिपा,लिज़लीज़ा एहसास हुआ-मुकुल का पानी छूट चुका था.वो अभी भी प्यासी थी लेकिन उसने अपनी मायूसी & झल्लाहट को अपने चेहरे पे नही आने दिया. "महेश अरोरा चाहता है कि मैं इस बार के एलेक्षन मे खड़ा हो जाऊं.",मुकुल नीना की गर्दन को धीरे-2 चूम रहा था. "क्यू?" "उसका कहना है कि अगर मैं बद्डल से जीत गया तो हम दोनो उस इलाक़े से काफ़ी पैसा बना सकते हैं." "अपने भाई साहब से पुच्छ लिया तुमने?",नीना के सवाल मे तंज़ की महक थी. "क्यू?!मैं क्या हर बात उनसे पुच्छ के करता हू?!",मुकुल उसके बदन से उठ गया,उसका सिकुदा लंड तो झड़ने के कुच्छ पलो बाद ही नीना की चूत से बाहर आ चुका था,"..& जब उन्होने मुझे अपनी पार्टी से टिकेट नही दिलवाया तो फिर मैं चाहे जो करू,किसी को कोई परेशानी नही होनी चाहिए.",मुकुल बिस्तर से पैर लटका के बैठ गया था. "तो क्या सोचा तुमने?",नीना भी उठी & उसे पीछे से बाहो मे भर लिया....ये हर वक़्त ऐसे मज़बूत क्यू नही रहता..अपनी मर्ज़ी का मालिक....अपने फ़ैसले खुद लेने वाला!..उसने अपने पति के बाए कंधे पे अपना सर टीका दिया. "सोचता हू खड़ा हो जाऊं?",मुकुल ने थोडा घूम नीना के चेहरे को अपने चेहरे के सामने किया,"..तुम मेरे साथ हो ना?" "हूँ.",नीना मुस्कुराइ & उसके होंठ चूम लिए,"तुम्हारा अपना भी कुच्छ वजूद होना चाहिए.मैं चाहती हू कि मुकुल प्रधान का अपना 1 अलग नाम हो & लोग उसे उसके नाम से जाने.",मुकुल का दिल भर आया....ये हसीन औरत चाहती तो किसी भी रईस इंडस्ट्रियलिस्ट या फिल्मस्टर की बीवी बन सकती थी मगर उसने उसवे चुना जोकि उसके लायक नही था & उसे आज तक कुच्छ नही दे पाया था.अब वक़्त आ गया था कि नीना को वो सब मिले जिसकी वो हक़दार थी.बीवी को चूम वो बाथरूम चला गया. "..& नीना प्रधान को उसके पति के नाम से ना कि उसके जेठ की बहू के रिश्ते से..",नीना पति के बाथरूम जाते ही बुदबुदाई.दिन का आगाज़ वैसे तो नही हुआ था जैसे वो चाहती थी.उसके जिस्म मे आग लगा उसके पति ने उसे बुझाए बिना प्यासी छ्चोड़ दिया था मगर वो चुनाव लड़ने के लिए तैय्यार था & शायद ये नीना के आनेवाले कल को बेहतर बना दे.नीना ने अपने कपड़े ठीक किए & अपने बेटे को उठाने चली गयी.वो जल्द से जल्द नौकरो से घर के काम निपटवा लेना चाहती थी,आज उसे 1 बहुत ज़रूरी मुलाक़ात के लिए जाना था जोकि उसके दिली सुकून & आनेवाले कल के नज़रिए से बहुत ज़रूरी थी. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- वो शख्स जसजीत प्रधान के घर के सामने के मकानो मे से उस खाली मकान की छत के कमरे मे दोबारा आया था.कल रात को वो घर का मुआयना कर उसी वक़्त वाहा से निकल गया था & बंद होते बाज़ार की 1 दुकान से 1 ताला खरीद के पिच्छले ग्रिल पे उसे लगा दिया था.छत से उसने जब कॉलोनी का मुआयना किया था तो पाया था कि पार्क के बगल से 1 रास्ता उस पार्क के पश्चिम की ओर बने मकानो के बीच जा रहा है.जब उसने उस रास्ते को चेक किया तो पाया कि रास्ता मकानो के बीच 1 गली मे तब्दील होता सीधा कॉलोनी के बाहर निकलता है & वाहा कोई गार्ड भी नही रहता. आज सवेरे 4 बजे वो अपने होटेल से उसी रास्ते से यहा आया था.उसने पहली मंज़िल पे बने 1 स्टोर रूम से,जो की पहली मंज़िल की सीढ़ियो पे ही बना था,1 स्टूल निकाल लिया था & इस वक़्त उसी पे बैठा वो खिड़की से प्रधान के बंगल को देख रहा था.उसके पैरो के पास 1 बॅग पड़ा था.थोड़ी देर बाद उसने उस बॅग से 1 काला कपड़ा निकाल फिर उसे कीलो की मदद से खिड़की के उपर & फिर नीचे ठोक के इस तरह लगा दिया कि खिड़की बंद हो गयी.1 बलज़डे से उसने कपड़े के बीचो बीच चीरे लगाके थोड़ी जगह खोल ली. उसने बॅग से 1 दूरबीन निकाली & उसे उस झिरी मे अटका अपनी आँखो से लगा लिया.अब अगर कोई उस तरफ देखता तो उसे बस दूरबीन खिच लेनी थी & देखने वाले को वाहा अब 1 काला कपड़ा नज़र आता.प्रधान के घर मे भोर की हुलचल शुरू हो गयी थी.सबसे पहले 5:30 पे गेट पे 1 फूलवाला आया & उसने बंगल के गार्ड को पूजा के लिए फूल पकड़ाए फिर कोई 6 बजे के आसपास दूधवाला आया & 6:30 बजे अख़बरवाला.इनमे से कोई भी बंगल के अंदर नही गया.सभी अपना समान गार्ड को पकड़ा के चले जाते थे. 2 गार्ड्स थे जिनमे से 1 फिर समान को अंदर बंगल मे दे आता & दूसरा वही गेट पे ही तैनात रहता.उसने दूरबीन नीचे रखी & अपने हाथ उपर ले जाते हुए अपनी पीठ सीधी की.काम बहुत ही बोरियत & थकाने वाला था मगर उसे प्रधान की रोज़ की रुटीन से बखूबी वाकिफ़ होना था क्यूकी तभी वो उसे उसके गुनाह की सज़ा दे सकता था.उसने अपनी गर्दन पहले दाए घुमाई & फिर बाएँ & 1 बार फिर दूरबीन से अपने दुश्मन के घर को देखने लगा. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- क्रमशः...........
KHEL KHILADI KA paart--7

gataank se aage.............. "magar kyu?",verma sahab upar aaye & use baaho me bhar ke chum liya. "aap jante hain mujhe kaam me dakhalandazi pasand nahi.",unka lund uski chut pe daba tha,usne apna daya hath neeche kar lund ko pakad use apni chut ki darar pe rakh andar dhakela. "dekho,divya..",verma sahab ne 1 zor ka dhakka diya & agle hi pal unka 7.5 inch lumba lund uski chut ki gehraiyo me utra hua tha. "oowwww..!",divya ne apni bayi banh unke jism pe kas unki pith sehlayi & daye se unka chehra. "..zaruri nahi ki har baat insan ke man ke mutabik ho & khas kar ke huamre peshe me to har tarah ke dabav aate hain.abhi tumne ye safar shuru hi kiya hai,aage jake kayi aise mauke aayenge jab tumhe vo karna hoga jo tum nahi chahti lekin farz ki raah me vo kadam uthana zaruri hoga.",apni junior afsar ko apni baaho me bhare verma sahab bade zordar dhakke laga rahe the.divya ne apni bayi tang unki dayi tang ke upar chadha di & daey hath ke nakhun unki pith me gadate hue unke chehre ko chumne lagi. "lekin main hi kyu?..aaaannhhhh....!..aur zor se kariye..OOWWWW..!",usne unhe baaho me bhar ke karwat li & ab unke upar aa gayi.apni baahe peechhe kar unki jangho pe rakh vo zor-2 se kamar uchkane lagi. "kyuki tumse kabil aur koi lady afsar hai nahi devalay police force me.",verma sahab uski andruni jangho pe apni ungliya chala rahe the.divya bahut zor se kamar hila rahi thi.uski chut me tanav ban gaya tha joki ab uske jhadne ke sath hi khatm hota & vo ab aage ki baat is tanav ke khatm hone ke baad hi karna chahti thi.apne boss ki janghe thame vo aahe bharti kamar hilaye ja rahi thi & jaise hi vo jhadi verma sahab ne thoda uth uska badan pakad use apne upar gira liya. "mujhe vo aadmi nahi pasand.",divya ne unka baya gaal chum liya.vo uski gand ki fanko ko pakad apne ghutne mod kamar uchhal tez-2 dhakke laga rahe the. "kyu?bahut bhala insan hai professor dixit.",unhone uski gand ko bhincha & apne dhakko ki raftar badha di.divya ki chut kasne lagi thi & vo dobare apni kamar hilane lagi thi. "mujhe uski baaten pasand nahi aayi.",divya ne unke chehre ko apni baaho me jakad apni kamar aur tezi se hilayi. "tum bhi dhokha kha gayi!" "tum bhi dhokha kha gayi!",DCP Verma ne daya hath uski chaudi gand ko dabochne me lagaya & baye ko uski dayi chhati masalne me.unhone takiye se sar thoda uthaya to Divya ne apna sar upar karte hue apni chhatiya unke seene se utha di & unhone apna munh uski bayi chhati se laga diya. "aanhhhh....oohhhhh....!",
divya ki madhoshi ab aasman chhu rahi thi. "uski halki-phulki baato pe na jana,Professor bahut tez dimagh ka suljha hua insan hai.meri baat mano,aaj tumhe ye baat achhi nahi lag rahi magar uske sath kaam karne ke baad tum khud mujhe shukriya ada karogi.",unhone apni baat puri karne ke liye uski choochi se munh kuchh palo ke liye hataya & baat puri hote hi fir se uski chhati peene me lag gaye.ghutne mod unhone aise qatil dhakke lagaye ki kuchh hi palo me divya apni manzil pe ja pahunchi & uska safar anjam tak pahunchte hi verma sahab ne bhi apna virya uski chut me chhod diya. divya unke seene pe padi us khumari bhare pal ka lutf utha rahi thi.uska rom-2 tripti & khushi se bhara tha....DCP sahab kehte hain to maan leti hu lekin agar us writer ne zyada hoshiyari dikhayi to aise rang dikhaungi ki khud hi mujhse peechha chhuda ke bhag jayega!..divya muskurayi & apne boss ke seene ke balo se khelne lagi. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Mukul ki aankh khuli to usne dekha ki khidki ke parde se chhan halki roshni kamre ke andar aa rahi hai.usne deewar ghadi ko dekha,6 baj rahe the.thodi der me uske factory & uske bete ke school jane ki gehmagehmi shuru ho jayegi.use raat Mahesh Arora se hui baat yaad aayi.use yu chunav me khada hona thik nahi lag raha tha....ye bhai sahab se gaddari jaisa nahi hoga kya?use uljhan ho rahi thi & jab bhi vo kisi uljhan me padta to use bas 1 insan ka khayal aata-uski khubsuart biwi ka jise vo beinteha chahta tha. usne karwat le Nina ko dekha.vo bekhabar sor rahi thi & uski nighty uske ghutno ke upar tak aa gayi thi.halki roshni me uski sangmarmari janghe kaisi chamak rahi thi!nighty ke gale se uski sanso ke sath upar ho rahe seene ka hissa dekh mukul ke pajame me hulchul hone lagi.1 bar fir use apni kismat pe guman ho aya.vo nina ko vo sabhi khushiya nahi de paya tha jinki use khwahish thi magar fir bhi vo uske sath thi,ye baat kya jeene ke liye kafi nahi thi? usne apne kapde utar diye & fir apna baya hath neena ki jango pe laga ke sehlana shuru kar diya.kuchh palo baad neena kasmasai & apne ghutne mod liye.mukul ka hath uski panty me ghus uski chut ko sehlane laga.nina ne aankhe kholi to mukul ka daya hath uske sar ko sehlane laga.nina ko apne pati ke hatho ka ehsas bahut bhala lag raha tha.uska soya jism dhire-2 jag raha tha magar sath hi use thodi khij bhi hui kyuki vo janti thi ki mukul ab uski aag thandi nahi kar pata tha & uske pura sukun pane se pehle hi vo farig ho jata tha.ajib haal tha uske dil ka,1 taraf to use pati ki harkate mast kar rahi thi & dusri taraf thodi der baad hone wali mayusi ki vajah se uska dil udas ho raha tha. mukul ne uski nighty ko kandho se neeche kar uski chhatiya numaya kar di thi & panty bhi nikal chuka tha.vo apne ghutno pe nina ke munh ke paas khada ho gaya & use apna lund thama diya.nina uska ishara samajh gayi thi.vo thoda uth ke palang ke headboard ke sahare baith gayi & usne uske 6 inch ke lund ko kuchh der hilane ke baad apne munh me le liya to mukul aahe bharta kamar hila uske munh ko chodne laga. Apni khubsurat biwi ke gulabi hotho ko apne lund ke gird kasa dekh Mukul bahut zyada josh me aa gaya & zor-2 se Nina ki chut maarne laga.nina ko bhi josh aane laga tha & vo apni kamar hilane lagi thi.tabhi mukul ne uske munh se apna lund khincha & uski tange faila use uski chut me ghusa aahe bharta dhakke lagane laga.vo paaglo ki tarah nina ki chhatiya chus raha tha. nina ki bhi masti badh rahi thi magar use pata tha ki aage kya hone wala hai.usne apne pati ke kandho pe hath rakhe hue tha & aankhe band ki hui thi.uski masti aur badh gayi thi & ab uski bhi aahe nikalne lagi thi magar dil ka koi kona use is maze ko uthane se rok raha tha. "aaaahhhhhh....!",jhatke khata mukul uske upar uchhal raha tha.nina ko apni jangho ke beech 1 chipchipa,lizliza ehsas hua-mukul ka pani chhut chuka tha.vo abhi bhi pyasi thi lekin usne apnmi mayusi & jhallahat ko apne chehre pe nahi aane diya. "mahesh Arora chahta hai ki main is baar ke election me khada ho jaoon.",mukul nina ki gardan ko dhire-2 chum raha tha. "kyu?" "uska kehna hai ki agar main Baddal se jeet gaya to hum dono us ilake se kafi paisa bana sakte hain." "apne bhai sahab se puchh liya tumne?",nina ke sawal me tanz ki mahak thi. "kyu?!main kya har baat unse puchh ke karta hu?!",mukul uske badan se uth gaya,uska sikuda lund to jhadne ke kuchh palo baad hi nina ki chut se bahar aa chuka tha,"..& jab unhone mujhe apni party se ticket nahi dilwaya to fir main chahe jo karu,kisi ko koi pareshani nahi honi chahiye.",mukul bistar se pair latka ke baith gaya tha. "to kya socha tumne?",nina bhi uthi & use peechhe se baaho me bhar liya....ye har waqt aise mazboot kyu nahi rehta..apni marzi ka malik....apne faisle khud lene wala!..usne apne pati ke baye kandhe pe apna sar tika diya. "sochta hu khada ho jaoon?",mukul ne thoda ghum nina ke chehre ko apne chehre ke samne kiya,"..tum mere sath ho na?" "hun.",nina muskurayi & uske honth chum liye,"tumhara apna bhi kuchh vajood hona chahiye.main chahti hu ki Mukul Pradhan ka apna 1 alag naam ho & log use uske naam se jane.",mukul ka dil bhar aaya....ye haseen aurat chahti to kisi bhi raees industrialist ya filmstar ki biwi ban sakti thi magar usne uswe chuna joki uske layak nahi tha & use aaj tak kuchh nahi de paya tha.ab waqt aa gaya tha ki nina ko vo sab mile jiski vo haqdar thi.biwi ko chum vo bathroom chala gaya. "..& Nina Pradhan ko uske pati ke naam se na ki uske jeth ki bahu ke rishte se..",nina pati ke bathroom jate hi budbudai.din ka aaghaz vaise to nahi hua tha jaise vo chahti thi.uske jism me aag laga uske pati ne use bujhaye bina pyasi chhod diya tha magar vo chunav ladne ke liye taiyyar tha & shayad ye nina ke aanevale kal ko behtar bana de.nina ne apne kapde thik kiye & apne bete ko uthane chali gayi.vo jald se jald naukro se ghar ke kaam nipatwa lena chahti thi,aaj use 1 bahut zaruri mulaqat ke liye jana tha joki uske dili sukun & aanevale kal ke nazariye se bahut zaruri thi. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- vo shakhs Jasjit Pradhan ke ghar ke samne ke makano me se us khali makan ki chhat ke kamre me dobara aya tha.kal raat ko vo ghar ka muayana kar usi waqt vaha se nikal gaya tha & band hote bazar ki 1 dukan se 1 tala kharid ke pichhle grill pe use laga diya tha.chhat se usne jab colony ka muayana kiya tha to paya tha ki park ke bagal se 1 rasta us park ke pashchim ki or bane makano ke beech ja raha hai.jab usne us raste ko check kiya to paya ki rasta makano ke beech 1 gali me tabdil hota seedha colony ke bahar nikalta hai & vaha koi guard bhi nahi rehta. aaj savere 4 baje vo apne hotel se usi raste se yaha aaya tha.usne pehli manzil pe bane 1 store room se,jo ki pehli manzil ki seedhiyo pe hi bana tha,1 stool nikal liya tha & is waqt usi pe baitha vo khidki se pradhan ke bungle ko dekh raha tha.uske pairo ke paas 1 bag pada tha.thodi der baad usne us bag se 1 kala kapda nikal fir use keelo ki madad se khidki ke upar & fir neeche thok ke is tarah laga diya ki khidki band ho gayi.1 blzde se usne kapde ke beecho beech chire lagake thodi jagah khol li. usne bag se 1 doorbeen nikali & use us jhiri me atka apni aankho se laga liya.ab agar koi us taraf dekhta to use bas durbin khich leni thi & dekhne vale ko vaha abs 1 kala kapda nazar aata.pradhan ke ghar me bhor ki hulchal shuru ho gayi thi.sabse pehle 5:30 pe gate pe 1 phoolwala aaya & usne bungle ke guard ko puja ke liye phool pakdaye fir koi 6 baje ke aaspaas doodhwala aaya & 6:30 baje akhbarwala.inme se koi bhi bungle ke andar nahi gaya.sabhi apna saman guard ko pakda ke chale jate the. 2 guards the jinme se 1 fir saman ko andar bungle me de aata & dusra vahi gate pe hi tainat rehta.usne durbin neeche rakhi & apne hath upar le jate hue apni pith seedhi ki.kaam bahut hi boriyat & thakane wala tha magar use pradhan ki roz ki routine se bakhubi vakif hona tha kyuki tabhi vo use uske gunah ki saza de sakta tha.usne apni gardan pehle daye ghumayi & fir baayen & 1 baar fir durbin se apne dushman ke ghar ko dekhne laga. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- kramashah...........

आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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Posted By .....raj..... to Kamuk Kahaniyan.Com कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम at 11/03/2010 05:09:00 AM


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