Thursday, December 2, 2010

सपना की चुदाई

FUN-MAZA-मस्ती

सपना की चुदाई

नाम राम हे मेरे परिवार में माँ पापा के अलावाछोटी बहन सपना और बड़ी दीदी कविता हे|कविता दीदी की शादी हो चुकी हे|में अभी २० साल का हूँ,और सपना १६ साल की हे ,नेट पर सेक्सी कहानिया पड़ते पड़ते मेने ये जान लिया था की अक भाई के लिए बहनों का होना बेहद जरुरी हे ताकि वो अपने सेक्स जीवन की शुरुआत उनको पटा कर चोद सकते हे|
मेने भी अपनी बहन सपना को छोड़ने का प्लान बनाया,मेने अपने कमरे में तकिये के निचे मस्तराम की १ सेक्सी किताब रख दी और सपना से कहा की वो मेरे कमरे में जाकर मेरी किताब ले आये|
पाम्च मिनिट बाद मेने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार सपना को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी. उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.

मौका देख कर में बेडरूम में घुस गौर बोला. "देखूम, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?" सपना सकपका गयी और किताब छुपाने लगी. मेने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. मेने सपना को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूम."

सपना रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. में एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के सपना की ओर बढ़ा. मेरी आम्खों में कामवासना की झलक देख कर सपना घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर में ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खीम्च कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर मेरा लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. मेने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. मेरे मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर सपना के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का मेरे ख्याल से वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लम्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता होगा कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में मेरे मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.

"चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा" कहते हुए में ने जबरदस्ती उसके अम्तर्वस्त्र भी उतार दिये. सपना छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर मेरी शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुमा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुम्दरता के साथ मेरे सामने था. सपना को बाहों में भर कर मेने अपनी ओर खीम्चा और अपने दोनो हाथों में सपना के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर मेरेसे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".

में तो वासना से पागल था. सपना का रोना मुझे और उत्तेजित करने लगा. मेने अपना मुंह खोल कर सपना के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही में उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने सपना के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मेरे दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंअ रहे थे. उसका हर अम्ग उसने खूब टटोला.

मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. "बोल सपना रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर सपना घबरा गयी और बिलखते हुए मुझसे याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मैम मर जाऊम्गी, मत चोदो मुझे प्ली ऽ ज़ . मैम आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"

मेरे को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि सपना छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ में बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैम नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहन! चोदूम्गा भी और गांड भी मारूम्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूम मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मैम मरा जा रहा हूं."

सपना की गोरी गोरी चिकनी जाम्घें अपने हाथों से में ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से में उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.

सपना की गोरी बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को में चाटने लगा. चाटने के साथ में उसकी चिकनी माम्सल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे सपना का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यम्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गयी. उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. "चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर."

में ने देखा कि मेरी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को में प्यार से चाटने लगा. मेरी जीभ अब सपना के कड़े लाल मणि जैसे क्लिटोरिस पर से गुजरती तो सपना मस्ती से हुमक कर अपनी जाम्घें मेरे सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में सपना एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे में बड़ी बेताबी से चाटने लगा. मुझे सपना की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ाने के बाद भी में उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही सपना फ़िर से मस्त हो गयी.

कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. में अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में सपना दूसरी बार झड़ गयी. में उस अंऋत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाड एक तृप्ति की साम्स लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर मुझ से अलग हो गयी क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर मेरी जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.

में अब सपना को चोदने के लिये बेताब था. में उठा और रसोईसे मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन मेने अपने सुपाड़े पर लगया और सपना को सीधा करते हुए बोला. "चल छोटी, चुदाने का समय आ गया." सपना घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद में उसे छोड़ दूंगा पर मेरे को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मख्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी में ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. मेने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ.ऐला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन सपना की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा मेने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.

मेरे को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर सपना दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये मेने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बम्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर में अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुम्वारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और सपना ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि मुझ से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और सपना छटपटाने लगी.

में अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आम्सू भरी आम्खों में झाम्कता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. सपना के बम्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था. मुझे लग रहा था कि जैसे में एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.

कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलनए लगा तो एक धक्का मेने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और सपना दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गयी. में ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाज.उक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुम्वारी बुर में उतारकर एक गहरी साम्स लेकर में अपनी बहन के ऊपर लेट गया. सपना के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.

में एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि मेरी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने मेरे लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भीम्च कर पकड़ा हो. सपना के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ में धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से सपना होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आम्खें खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "भैया, मैम मर जाऊम्गी, उई माम, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूम."

में ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड सपना की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिम्चा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. में ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. में मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही मेने सपना के गालों पर बहते आम्सू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. सपना के चीखने की परवाह न करके में जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरीसपना , सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."

टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब सपना और जोर से रोने लगी तो में ने सपना के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो सपना को लगा कि शायद में झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इम्तजार करने लगी. पर में अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर में रुक गया जब तक मेरा उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.

सम्हलने के बाद मेने सपना से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूम्गा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुम्वारी चूत में तो माम-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूम्गा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.

दस मिनिट बाद सपना की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. मेरे जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.

जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गयी. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गयी. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' निकलने लगी.

रोना बन्द कर के सपना ने अपनी बाम्हें मेरे गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर मेरे शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह मेरे को बेतहाशा चूंअने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. ःआय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैम इसी लायक हूम."

में हंस पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता सपना , तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" सपना ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.

भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. मेने तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. सपना को मजा तो आ रहा था पर मेरे लंड के बार अम्दर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर मेरे लंड के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.

काफ़ी देर यह सम्भोग चला. में पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. सपना कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि मेरा मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.

में तो अब पूरे जोश से सपना पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इम्सान नहीम, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्ताम्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ सपना फिर बेहोश हो गयी. में उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खीम्चने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर मुझसे रहा नहीं गया और में जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.

गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब सपना की बुर में छूटा तो वह होश में आयी और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बम्द करके राहत की एक साम्स ली. उसे लगा कि अब में उसे छोड़ दूंगा पर में उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. सपना रोनी आवज में मुझसे बोली. "भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर." में हम्सकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. "अभी क्या हुआ है सपना रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है."

सपना के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. में हम्सने लगा और उसे चूमते हुए बोला. "रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूम्गा जरूर और फिर कोलेज जाऊम्गा." मेने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आम्खों को चूमना शुरू कर दिया. मेने सपना से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंहे में लेकर सपना के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया और मेने सपना की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से सपना की बुर अब एकदम चिकनी हो गयी थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. 'पुचुक पुचुक पुचुक' की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. सपना बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर में ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पाम्च मिनट में झड़ गया.

झड़ने के बाद कुछ देर तो में मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह 'पुक्क' की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. सपना बेहोश पड़ी थी. में उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया.सपना को चोद कर जो आनंद मुझे आया वो में आपको बता चूका हूँ|अब कविता दीदी की मेने केसे चुदाई की वो आपको अगली बार बताऊंगा|










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