बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--4
गतान्क से आगे....................
मैं बगल के अपने कमरे में आ गयी पिछे-पिछे जीजाजी आ गये और आकर
पलंग पर लेट गये और बोले, "तुम तैयार हो जाओ.... मुझे क्या बस कमीज़ पॅंट
पहनना है" मैं बाथरूम में मूह धो आई और उपर के कपरे उतार दिए अब मैं
पॅंट और ब्रा में थी, ब्रा का हुक फँस गया जो खुल नही रहा था मैं जीजा जी
के पास आई और बोली, "ज़रा हुक खोल दीजिए ना" मैं पलंग पर बैठ गयी.
उन्होने हुक खोल कर दोनो कबूतरों को पकर लिया फिर मेरे होंठ को अपने होंठ
में ले लिया. उनके हाथ मेरी पॅंटी के अंदर पहुँच गये. अपने को छुड़ाने
की नाकाम कोशिश की लेकिन मन में कही मिलने की उत्सुकता भी थी,मैं बोली
"जीजाजी आप ये क्या करने लगे, वहाँ चल कर यही सब तो होना है.... प्लीज़
जीजाजी उगली निकालिए....ओह्ह्ह... क्यो मन खराब करते हैं... ओह्ह्ह.. बस भी
कीजिए..."
जीजाजी कहाँ मानने वाले थे उन्होने पॅंटी उतार दी और मेरी बिना झांतो वाली
बुर को चूमने चाटने लगे और बोले, " मैं इस बिना बाल वाली बुर का दीवाना हो
गया हूँ मन होता है कि ऐसे दिन रत प्यार करूँ.... हाँ! अब जब तक अपना राज
नही खोलो गी मैं मैं कुत्ते की तरह अपना लंड तुम्हारी बुर में फँसा दूँगा
जैसे तुमने कल देखा था"
मैने जीजाजी को घूरा "जीजाजी आप बहुत गंदे है... तभी जब मैं अंदर आई
तो आप का लॉरा खड़ा था.... एक बात जीजा जी मैं भी बताउ जब आप चोद रहे
थे तो मेरे मन में भी यह बात आई थी कि काश मेरी बुर कुतिया की तरह आप
के लॅंड को पकड़ पाती तो कितना मज़ा आता... आप छूटने के लिए बेचैन
होते, आप सोचते ताव-ताव में साली को चोद तो दिया पर अब फँस कर बदनामी भी
उठानी परेगी.." जीजा जी ने अब तक गरमा दिया था मैने उन्हे अपने उपर खींच
लिया बोली "जीजा जी सुबह से बेचैन हूँ अब आ भी जाओ एक राउंड हो जाए" "हाँ
रानी! मैं भी सोकर उठने के बाद तुम्हरी बदमाशी को मानता आ रहा हूँ पर अब
यह भी अपनी मुनिया को देखकर मिलने के लिए बेचैन हो रहा है" जीजा जी मेरी
भाषा का प्रयोग करते हुए बोले और अपना समूचा लॉरा मेरी बुर में पेल दिया.
थोरा दर्द तो हुआ पर प्यासी बुर को बरी तसल्ली हुई जब उनका लॉरा मेरी बुर के
अंदर ग्रभाशय के मुख तक पहुँच कर उसे चूमने लगा. जीजा जी धक्के पर
धक्के लगाए जा रहे थे और मैं भी अपनी चूतर नीचे से उठा उठा कर
अपने बुर मे उनके लंड को ले रही थी पर अचानक जीजा जी रुक गये. मैने
पुंच्छा "क्या हुआ? रुक क्यो गये" जीजा जी बोले, "बुर के बाल गढ़ रहे है" कह कर
मुस्कराते हुए बोले "अब तो राज जानकार ही चुदाई होगी" मैं जीजा जी की पीठ पर
घूँसा बरसाते हुए बोली " जीजा जी खरे लंड पर धोका देना इसे ही कहते
हैं... अच्छा तो अब उपर से हटिए, पहले राज ही जान लो जीजाजी मेरे बगल में
आ गये फिर मैं धीरे-धीरे राज खोलने लगी.
"मॅमी ने अपनी एक सहेली को मेरी बुर को दिखा कर इस राज को खोला था. उन्होने
उसे बताया था कि जब मैं पैदा हुई तो एक नई और जवान नाइन नहलाने के लिए
आई. मेरी पुरानी नाइन बीमार थी और उसने ही उसे एक महीने के लिए लगा दिया
था. मम्मी को नहलाने के बाद उसने मुझे उठाया और मेरी बुआ से कहा कि बीबीजी
ज़रा चार-पाँच काले बेगन (ब्रिंजल) काटकर ले आइए, इसे बेगन के पानी से भी
नहलाना है, मेरी मॅमी ने पुंच्छा कि अरी! नहलाने मे बेगन के पानी का क्या
काम? इस पर उसने हँसते हुए बताया कि बेगन के पानी से लरकियों को नहलाने पर
उनके बाल नही निकलते, लेकिन नहलाते समय यह ध्यान रखना पड़ता है कि वह
पानी सर पर ना लगे. मॅमी ने कहा कि मैं इस बात को कैसे मानू? तो उसने अपनी
बर मॅमी को दिखाते हुए कहा की भाभी जी मेरी देखिए एस पर एक भी बाल नही
दिखेंगे. मॅमी और बुआ मान गयी और बोली की ठीक है नहला दो पर ध्यान से
नहलाना. बुआ हलके कुनकुने पानी में बेगन काट कर डाल दी और नाइन ने मुझे
नहलाने के बाद बरी सफाई से बेगन के पानी से मेरे निचले भाग को धो दिया,
इसी तरह उसने दो तीन दिन और बेगन के पानी से मेरे निचले भाग को धोया.
बात आई-गयी ख़तम हो गयी, मॅमी भी इस बात को भूल चुकी थी, मैं
अठारह की हुई मेरी सहेलियों को काली-भूरी झांते निकल आई पर मेरी बुर पर
बाल ही नही निकले. एक दिन कपड़ा बदलते समय मॅमी की नज़र मेरी बुर पर
गयी और उन्होने मुझे टोकते हुए कहा बेटी! अभी से बाल साफ करना ठीक नही
है, बाल काले हो जाएँगे. मैने कहा मॅमी मेरे बाल ही कहाँ है कि मैं उसे साफ
करूँगी" अचानक मॅमी को उस नाइन का ख्याल आया और उन्होने मुझे पास बुलाया
और मेरी बुर को हाथ लगा कर देखा और बरी खुस हुई. सचमुच मेरे बदन पर
बाल निकले ही नही. अब जब भी मम्मी की कोई खास सहेली मेरे घर आती है तो
मुझे अपनी बुर उसे दिखानी परती है, लेकिन मॅमी सब को इस रहस्य को बताती
नही. एक दिन मॅमी की एक सहेली बोली, कि तू तो बरी किस्मेत वाली है, तेरा आदमी
तुझे दिन-रात प्यार करेगा, बस यही है इस बिना बाल वाली बुर की कहानी"
इस बीच जीजाजी बुर को सहला-सहला कर उसे पनिया चुके थेआब वे मेरी टाँगो के
बीच आ गये और अपना शिश्न मेरी यौवन गुफा में दाखिल कर दिया. मैं
चुदाई का मज़ा लेने लगी. नीचे से चूतर उचका उचका कर चुदाई में
भरपूर सहयोग करने लगी. "हाई मेरे चोदु सनम तुम्हारा लंड बरा जानदार है
तीन चार बार चुद चुकी हू पर लगता है पहली बार चुद रही हूँ... मारो
राजा धक्का... और जूऊर से पूरा पेल दो अपना लॉरा ..... आज इसे कुतिया की
तरह बुर से निकलने नही दूँगी.. लोगा आएगे देखेंगे जीजा का लॉरा साली की बुर
में फसा है.... जीजा ... अच्च्छा बताओ... अगर ऐसा होता तो क्या आप मुझे चोद
पाते...." मैं थोरा बहकने लगी. जीजू मस्त हो रहे थे बोले, "चुदाई करते
समय आगे की बात कौन सोचता है फस जाता तो फस जाता जो होना है होगा पर इस
समय चुदाई मे ध्यान लगाओ मेरी रानी.... आज चुदाई ना होने से मन बरा बेचैन
था उससे ज़्यादा तुम्हारा राज जानना चाहता था .... अब चुदाई का मज़ा लेने दो ले
लो अपनी बुर में लौरे को और लो आज की चुदाई में मज़ा आ गया ...
हाँ रानी अपनी चूत को इस लौरे के लिए हमेशा खोले रखना...लो
मजाआआआआआआआ लो रनीईईईई" जीजा जी उपर से बोल रहे थे और मैं
नीचे से उनका पूरा लॉरा लेने के लिए ज़ोर लगाते हुए बर्बरा रही थी, "
ऊऊओ मेरे चुदक्कर राजा चोद दो.... अपनी बिना झांतो वाली इस बुर्र्र्र्र्र्ररर
कूऊऊऊ और चोदूऊऊऊ फर्रर्र्र्ररर दूऊऊओ एस साली बुर को.... बरी चुदासी
हो रही थी.... सुबह से...... जीजाजी साथ साथ गिरना .... हाँ अब... मैं आने
वाली हूँ ..... कस.... कस.... कर दो चार धक्के और मारो चूसा दो अपनी
मुनिया को मदनरस.... मिलने दो सुधारस को मदनरस से.... ओह जीजू आप पक्के
चुदक्कर हूऊओ.... ना जाने कितनी बुर को अपने मदनरस से सिंचा होगा....आज
तो रात भर चुदाई का प्रोग्राम है... तीन बुर से लोहा लेना है.. लेकिन मेरी बुर
का तो यही बजा बजा दिया..... मारो राजा और ज़ोर से.... थक गये हो तो बताओ
मैं उपर आ कर चोद दू..... इस भोसरी को.... ओह अब मैं
नहियीईईईईईईईईईईईई रुक्कककककककक सकाआति ओह अहह लूऊऊ माइ
गइईई ओह राजा तुम भी एयाया जाऊऊऊ"
मैं नीचे से झरने के लिए बेकरार हो रही थी और जीजा जी भी उपर से दना
डन धक्के पै धक्के मार रहे थे पूरे कमरे में चुदाई धुन बज रही थी
मॅमी भी नीचे नही थी इस लिए और निसचिंत थी खूब गंदे गंदे शब्दों
का आदान-प्रदान हो रहा था आज का मज़ा ही और था.. बस चुदाई ही चुदाई.. केवल
लौरे और बुर की घिसाई ही घिसाई... जीजाजी अब झरने के करीब आ रहे थे और
उपर से कस कस कर थक्के लगा कर बोलने लगे, "ओह्ह्ह्ह मेरी बिना झांतो वाली बुर
की शहज़ादी तेरी बुर तो आफताभ है....चोद चोद का इसे इतना मज़ा दूँगा कि
मुझसे चुदे बिना रह ही नही पाओगी....चुदाई के लिए सब समय बेकरार रहो
गी....ओह रानी!!!!!! एक बार फिर साथ-साथ झरेंगे....ओह अब तुम भी
आआअजाओ......" कहते हुए जीजू मेरी बुर की गहराई में झार गये और मैं भी
साथ-साथ खलाश हो गयी.... जीजू मेरी छाती से चिपक गये कुछ पल तो ऐसा
लगा की मुनिया ने उनके लौरे को फसा लिया है.
थोरी देर इसी तरह चिपके रहे फिर मैं जीजा जी को उतारते हुए बोली, " अब
उठिए! कामिनी के यहाँ नही चलना है क्या?" जीजू बोले, "जब अपने पास
साफ-सुथरा लॅंडिंग प्लॅटफॉर्म है तो जंगल में एरोप्लेन उतारने की क्या ज़रूरत
है" उनकी बात सुनकर दिल बाग-बाग हो उठा और मैने उन्हे चूमते हुए कहा,
"जीजाजी! कामिनी के यहाँ तो चलना ही है, ज़बान दे दी है" फिर हसते हुए
बोली, " कहीं तीन की वजह से डर तो नही रहे है" मैने उनकी मर्दानगी को
ललकारा. "अब मेरी प्यारी साली कह रही है तो चलना ही परेगा, कुच्छ नया
अनुभव होगा" जीजा जी उठे और हम दोनो नेबाथरूम मे जा साफ-सफाई की और कपड़ा
पहनने लगे. तभी नीचे मैन गेट खुलने की आवाज़ आई. मैने जीजाजी से कहा
"अब आप दीदी के कमरे मे चलिए मॅमी आ गयी हैं" जीजाजी अपने कमरे में
चले गये.
मैं तैयार हो कर अपने कमरे से निकली तो देखा चमेली चाय लेकर उपर आ
रही है. हम दोनो साथ-साथ जीजा जी के कमरे में घुसे देखा जीजाजी तैयार
होकर बैठे हैं. चमेली चहाकी, "वह! जीजाजी तो तैयार बैठे हैं, कामिनी
दीदी से मिलने की इतनी जल्दी है?" मैने उससे कहा, "चमेली तुझे बोलने की
कुच्छ ज़्यादा ही आदत पड़ती जा रही है, चल चाय निकाल" चमेली ने दो कप
में चाय निकली और एक मुझे दी और एक जीजाजी को पकड़ा कर मुस्करा दी, बोली
"जीजाजी लगता है दीदी ने ज़्यादा थका दिया है सिगरेट निकालू?" " हाँ रे
पीला, लेकिन मेरे पकेट मे तो नही है" "अरे दीदी ने मुझसे मगवाया था यह
लीजिए" और उसने अपने चोली से निकाल कर जीजाजी को सिगरेट पकड़ा दी"
जीजाजी चाय पीते हुए बोले " अरे एक सुलगा कर दे ना" चमेली ने सिगरेट
सुलगाया और एक कश लगा कर धुआँ जीजाजी के उपर उड़ाते हुए बोली "दीदी का मसाला
लगा दूँ या सादा ही पिएगें" हमलोग उसकी दो-अर्थी बाते सुनकर हंस पड़े" मैने
उसे डाँटते हुए कहा "चमेली तू हरदम हँसती और मज़ाक करने के मूड में क्यो
रहती है" "क्या करूँ दीदी दुनिया में इतने गम है कि उससे झुटकारा नही मिल
सकता खुशी के इन्ही लम्हो को याद कर इंसान अपना सारा जीवन बिता देता है"
"अरे वह मेरी छेमिया फिलॉसफर भी है" जीजा जी बोले. चमेली के चेहरे पर
ना जाने कहा से गमो के बदल मदराए पर जल्दी ही उरनच्छू हो गये. "जीजाजी ये
छमिया कौन है" फिर हम सब हंस परे.
मैने चमेली से कहा "चलो नीचे गरेज का ताला खोलो, कार कयी दीनो से
निकली नही है साफ कर देना, और मॅमी जो दे उसे रख देना, मेरा एक बॅग मेरे
कमरे से ले लेना पर उसे मॅमी ना देख पाए." जीजाजी बोले "अरे उसमे ऐसी क्या
चीज़ है" मैं बोली जीजाजी आपके लिए भाभी के कमरे से चुराई है, वही
चलकर दिखाउन्गि"
हमलोग मॅमी से कह कर घर से कार पर निकले. एक जगह गाड़ी रोक कर जीजाजी
अकेले ही कुच्छ खरीद कर एक झोले में ले आए और मुझसे कहा "सुधा अब तुम
स्टारर्रिंग सम्हालो" मैने उन्हे छेड़ते हुए कहा "जीजाजी को आज तीन गाड़ी
चलानी है इसी लिए इस गाड़ी को नही चलाना चाहते" और मैं ड्राइवर सीट पर
बैठ गयी, मेरे बगल में जीजू और चमेली को जीजाजी ने आगे बुला कर अपने
बगल मे बैठा लिया. हमलोग कामिनी के घर के लिए चल परे जो थोरी ही दूर
था........
रास्ते में जीजाजी कभी मेरी चूची दबाते तो कभी चमेली की मैं ड्राइव कर
रही थी इस लिए उन्हे रोक भी नही पा रही थी मैने कहा, "जीजाजी क्यो बेताब
हो रहे हैं वहाँ चल कर यही सब तो करना है, मुझे गाड़ी चलाने दीजिए नही तो
कुच्छ हो जाएगा" जीजाजी अब चमेली की तरफ़ हो गये और उसकी चून्चि से खेलने
लगे और चमेली जीजाजी की जिप खोलकर लंड सहलाने लगी फिर झुककर लंड मूह में
ले लिया. यह देख कर मैं चमेली को डाँटते हुए बोली, "आरे बुर्चोदि छिनार,
यह सब क्या कर रही है कामिनी का घर आने वाला है" चमेली जो अब तक जीजाजी
के नशे में खो गई थी जागी, और ये देख कर कि कामिनी का घर आने वाला है
जीजाजी के खरे लंड को किशी तरह थेलकार पॅंट के अंदर किया और जिप लगा
दिया. जीजाजी ने भी उसकी बुर पर से अपना हाथ हटा लिया.
जब हमलोग कामिनी के घर पहुँचे तो चमेली ने उतर कर मैन गेट खोला मैने
पोर्टिको मे गाड़ी पार्क की. तब तक कामिनी और उसकी मा दरवाजा खोल कर बाहर
आ गयी.
जीजाजी कामिनी की मा के पैर छूने के लिए झुके, कामिनी की मा बोली "नही
बेटा! हमलॉग दामाद से पैर नही छुवाते, आओ अंदर आओ" हमलोग अंदर ड्रॉइग्रूम
में आ गये. कामिनी की मा रेखा और घर वालो का हालचाल लेने के बाद आज के
लिए अपनी मजबूरी बताते हुए कहा, "बबुआ जी आज यही रुक जाना कामिनी काफ़ी
समझदार है वह आपका ध्यान रखेगी, कल दोपहर दो बजे तक मैं आजवँगी, कल तो
सनडे है, ऑफीस तो जाना नही है, मैं आउन्गी तभी आप जाइएएगा. अच्च्छा तो
नही लग रहा है पर मजबूरी है जाना तो परेगा ही." जीजाजी बोले मॅमी जी
किसके साथ जाएँगी कहिए तो मैं आपको मामा जी के यहाँ छोड़ दूं" कामिनी की
मा बोली "नही बेटा, चंदर (ममाजी) लेने आते ही होंगे.
तभी मामा जी के कार का हॉर्न बाहर बजा. कामिनी बोली लो मामा जी आ भी गये,
वह बाहर गयी और आ कर अपनी मा से बोली, "मामा जी बहुत जल्दी में है अंदर
नही आ रहे है कहते है मॅमी को लेकर जल्दी आ जाओ. उसकी मा बोली, "बेटा तुम
लोग बैठो मैं चलती हूँ कल मिलूँगी"
कामिनी मॅमी को मामा की गाड़ी पर बिठा कर और मैन गेट पर ताला और घर का
मुख्य दरवाजा बंद कर जब अंदर आई तो मुझसे लिपट गयी और बोली, "हुर्रे! आज
की रात सुधा के नाम" फिर जीजाजी का हाथ पकड़ कर बोली, "आपका दरबार उपर
हॉल में लगेगा और आपका आरामगाह भी उपर ही है. जहांपनाह! उपर हॉल में पूरी
वयवस्था है डिनर भी वही करेंगे, मॅमी कल दोपहर लंच के बाद आएँगी इस लिए
जल्दी उठने का जांझट नही है, हॉल में टीवी, सीडी प्लेयर लगा है और तांस
(प्लेयिंग-कार्ड) खेलने के लिए कालीन पर गद्दा बिच्छा है"
जीजाजी बोले, "तांस"
"मॅमी ने तो तांस के लिए ही बिच्छवाया था लेकिन आप जो भी खेलना चाहें
खेलिएगा, वैसे आप का बेड भी बहुत बरा है" कामिनी मुझे आँख मारती हुई
बोली"
"चमेली से ना रहा गया बोली, " जीजाजी को तो बस एक खेल ही पसंद है..खाट
कबड्डी.. आते आते...." चमेली आगे कुच्छ कहती मैने उसे रोका, "चुप शैतान
की बच्ची ! बस आगे और नही"
जीजाजी बोले, "अब उपर चला जाय"
कामिनी सब को रोकती हुई बोली, "नही अभी नही, नस्ता करने के बाद, लेकिन
दरबार में चलने का एक क़ायदा है शहज़ादे"
"वह क्या? हुस्न-की-मल्लिका" जीजाजी उसी के सुर मे बोले.
कामिनी बोली, "दरबार में ज़्यादा से ज़्यादा एक कपड़ा पहना जा सकता है"
"और कम से कम, चलो हम सब कम से कम कपरे ही पहन लेते है" जीजाजी चुहल करते
हुए बोले "चलो पहले कपरे ही बदल लेते है"
सब्लोग ड्रेसिंग रूम में आ गये. कामिनी बोली, " सब लोग अपने अपने ड्रेस
उतार कर ठीक से हॅंगर करेंगे फिर मैं शाही कपड़े पहनाउगि"
चमेली बोली, "मुझे भी उतारने है क्या?
"क्यों? क्या तू दरबार के काएदे से अलग है क्या?" और हम्दोनो ने सबसे
पहले उसी के कपरे उतार कर नंगी कर दिया फिर उसने हम्दोनो के कपरे एक-एक
कर उतारे और हॅंगर कर दिए और जीजाजी की तरफ देख कर कहा अब हमलोग कम-से-कम
कपड़े मे है.
जीजाजी की नज़र कामिनी पर थी. कामिनी मुस्काराकार जीजाजी के पास आई और
बोली, " शहज़ादे अब आप भी मदरजात कपरे मे आ जाइए" और उसने उनके कपरे
उतारने शुरू किए.
चमेली मेरे पास ही खड़ी थी मुजसे धीरे से बोली "सुधा दीदी, कामिनी दीदी
कैसी है आते ही मूह से गाली निकालने लगी मदर्चोद कपरे.." मैने उसे
समझाया, "अरे पगली! मदर्चोद नही मदरजात कपड़ा कहा, जिसका मतलब है जब मा
के पेट से निकले थे उस समय जो कपड़े पहने थे उस कपड़े में आ जाइए" "पेट
का बच्चा और कपड़ा" "आरे बात वही है बच्चा नंगा पैदा होता है और उसीतरह
आप भी नंगे हो जाओ, जैसे कि तू खड़ी है मदरजात नंगी" "ओह दीदी,
पढ़े-लिखों की बाते.." चमेली की बात पर सब लोग खूब हासे. चमेली अपनी बात
पर सकुचा गयी.
कामिनी जीजाजी को नगा कर कपड़े हॅंगर करने के लिए चमेली को दे दिए और खुद
घुटनो के बल बैठ कर जीजाजी के लंड को चूम लिया.
मैने पुचछा, "अरी यह क्या कर रही है क्या यहीं...."
अरे नही, यह नंगे दरबार के अभिवादन करने का तरीका है चलो तुम दोनो भी
अभिवादन करो" चमेली फिर बोली, "कामिनी बरा मस्त खेल खेल रही है"
मैने उसे फिर टोका, "गुस्ताख! तू फिर बोली अब चल जीजू का लॅंड चूम" "दीदी
आप चूमने को कहती हैं, कहिए तो मूह में लेकर झार दूँ" हम सब फिर हंस परे.
चमेली और मैने दरबार के नियम के अनुसार कामिनी की तरह लंड को चूम कर
अभिवादन किया फिर जीजाजी ने कामिनी की चून्चियो को चूमा.
मैने कहा फाउल ! शरीर के बीच के भाग को चूम कर अभिवादन करना है"
क्रमशः.........
बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--4
गतान्क से आगे....................
Main bagal ke apane kamare mein aa gayee pichhe-pichhe jijaji aa gaye aur aakar
palang par let gaye aur bole, "tum tayar ho jao.... mujhe kya bus kamich pant
pahanana hai" mai bathroom mein muh dho aye aur upar ke kapare utar diye ab main
panti aur bra mein thi, bra ka huk fans gaya jo khul nahi raha tha main jija ji
ke pas aayee aur boli, "jara huk khol deejiye na" mai palang par baith gayee.
Unhone huk khol kar dono kabootaron ko pakar liya phir mere oth ko apane oth
mein le liya. Unake hanth mere panti ke andar pahunch gaye. Apane ko chhurane
kee nakam koshish ki lekin maan mein kahi milane ki utsukata bhi thi,maim boli
"jijaji aap ye kya karne lage, vahan chal kar yahi sab to hona hai.... please
jijaji ugali nikaliye....ohhh... kyo man khrab karate hain... Ohhh.. bus bhi
kijiye..."
Jijaji kahan manane wale the unhone panti utar diya aur meri bina jhanto wali
bur ko choomane chatane lage aur bole, " main es bina bal wali bur ka deewana ho
gaya hun man hota hai ki ese din rat pyar karun.... han! Ab jab tak apana raj
nahi kholo gee main mai kutte kee tarah apana lund tumhare bur mein fansa dunga
jaise tumane kal dekha tha"
Maine jijaji ko ghoora "jijaji aap bahut gande hai... tabhi jab main andar aayi
to aap ka laura khra tha.... ek bat jija ji main bhi bataun jab aap chod rahe
the to mere man mein bhi yah bat aayi thi ki kass meri bur kutiya kee tarah aap
ke land ko pakar paati to kitana maja aata... aap chhootane ke liye bechain
hote, aap sochate tav-tav mein Sali ko chod to diya par ab fans kar badanami bhi
uthani paregee.." jija ji ne ab tak garm diya tha mine unhe apane upar khinch
liya boli "jija ji subah se bechain hun ab aa bhi jao ek round ho jaye" "han
Rani! main bhi sokar uthane ke baad tumhre badamash ko manata aa raha hun par ab
yeh bhi apani muniya ko dekhkar milane ke liye bechain ho raha hai" jija ji meri
bhasha ka prayog karte hue bole aur apana samoocha laura meri bur mein pel diya.
Thora dard to hua par pyasi bur ko bari tasalli hui jab unka laura mere bur ke
andar grbhashay ke mukh tak pahunch kar use chumane laga. Jija ji dhakke par
dhakke lagaye ja rahe the aur main bhi apani chutar neeche se utha utha kar
apane bur me unake land ko le rahi thi par achanak jija ji ruk gaye. Maine
punchha "kya hua? Ruk kyo gaye" jija ji bole, "bur ke bal gar rahe hai" kah kar
muskarate hue bole "ab to raj jankar hi chudai hogee" main jija ji ke pith par
ghunsa barsate hue boli " jija ji khare lund par dhoka dena ise hi kahate
hain... Achha to ab upar se hatiye, pahale raj hi jan lo jijaji mere bagal mein
aa gaye phir main dhire-dhire raj kholane lagee.
"Mammy ne apani ek saheli ko meri bur ko dikha kar es raj ko khola tha. Unhone
use bataya tha ki jab main paida hui to ek nai aur jawan nayin nahalane ke liye
aye. meri purani nayin bimar thi aur usane hi use ek maheene ke liye laga diya
tha. Mummy ko nahalane ke baad usane mujhe uthaya aur meri bua se kaha ki bibiji
jara char-panch kale baigan (brinjal) katkar le aaiye, ese baigan ke pani se bhi
nahalana hai, meri mammy ne punchha ki ari! nahlane me baigan ke pani ka kya
kam? espar usane hansate hue bataya ki baigan ke pani se larkiyon ko nahlane par
unake bal nahi nikalate, lekin nahlate samay yah dhyan rakhana parata hai ki vah
pani sar par na lage. Mammy ne kaha ki mai es bat ko kaise manoo? to usane apani
bur mammy ko dikhate hue kaha ki bhabhi jee meri dekhiye es par ek bhi bal nahi
dikhenge. Mammy aur bua man gayee aur boli ki thik hai nahala do par dhyan se
nahalana. Bua halake kunkune pani mein baigan kat kar dal dee aur nayin ne mujhe
nahlane ke baad bari safayee se baigan ke pani se mere nichale bhag ko dho diya,
esi tarah usane do teen din aur baigan ke pani se mere nichale bhag ko dhoya.
baat ayee-gayee katam ho gayee, mammy bhi is baat ko bhool chuki thi, mai
atharah ki hui meri saheliyon ko kali-bhuri jhante nikal aye par meri bur par
bal hi nahi nikale. ek din kapara badalate samay mammy ki najar mere bur par
gayee aur unhone mujhe tokate hue kaha beti! abhi se bal saf karana thik nahi
hai, bal kale ho jaenge. Maine kaha mammy mere bal hi kahan hai ki main use saf
karungee" achanak mammy ko uss nayin ka khyal aaya aur unhone mujhe pas bulaya
aur meri bur ko hanth laga kar dekha aur bari khus hui. Sachmuch mere badan par
bal nikale hi nahi. Ab jab bhi mummy kee koi khas saheli mere ghar aati hai to
mujhe apani bur use dikhani parati hai, lekin mammy sab ko is rahasya ko batati
nahi. Ek din mammy ki ek saheli boli, ki tu to bari kismet wali hai, tera adami
tujhe din-raat pyar karegaa, bus yahi hai is bina bal wali bur ki kahani"
es beech jijaji bur ko sahala-sahala kar use paniya chuke theab ve meri tango ke
beech aa gaye aur apana shishna meri yoavan gupha mein dakhil kar diya. Main
chudai ka maja lene lagee. Neeche se chootar uchka uchka kar chudai mein
bharpoor sahyog karne lagee. "hai mere chodu sanam tumhara lura bara jandar hai
teen char bar chud chuki hon par lagata hai pahali bar chud rahi hun... Maro
raja dhakka... Aur joooor seeee pura pel do apana laura ..... aaj ise kutiya ki
tarah bur se nkalane nahi dungee.. loga ayege dekhenge jija ka laura Sali ki bur
mein fasa hai.... jija ... Achchha batao... agar aisa hota to kya aap mujhe chod
pate...." main thora bahakane lagee. Jiju mast ho rahe the bole, "chudai karate
samay aage ki bat kaun sochata hai fas jata to fas jata jo hona hai hoga par is
samay chudai me dhyan lagao meri rani.... aaj chudai na hone se man bara bechain
tha usase jyada tumhara raj janana chahta tha .... ab chudari ka maja lene do le
lo apani bur mein laure koooooo aur loooo aaj ki chudai mein maja aa gaya ...
Han rani apnee choot ko is laure ke liye hamesha khole rakhana...lo
majaaaaaaaaaaaaaaaa lo raniiiiiiiiii" jija ji upar se bol rahe the aur mai
neeche se unaka pura laura lene ke liye jor lagate hue Barbara rahi thi, "
oooooh mere chudakkar raja chod do.... apani bina jhanto wali es burrrrrrrrr
koooooooo aur chodoooooooo farrrrrrrr dooooooo es saali bur ko.... bari chudasi
ho rahi thi.... subah se...... jijaji sath sath girana .... han ab... main aane
wali hoon ..... Kas.... kas.... kar do char dhakke aur maro chusa do apani
muniya ko madanaras.... milane do sudharas ko madanaras se.... oh jiju aap pakke
chudakkar hooooo.... na jane kitani bur ko apane madanras se sinch hoga....aaj
to rat bhar chudai ka program hai... teen bur se loha lena hai.. lekin meri bur
ka to yahi baja baja diya..... maro raja aur jor se.... thak gaye ho to batao
mai upar aa kar chod don..... es bhosari ko.... ohhhhhh ab main
nahiiiiiiiiiiiiiiii rukkkkkkkkk sakaaaati ohhhhhhhh ahhhhhhh loooooo maiii
gayeeeeeee ohhhhhhhh raja tum bhi aaaaa jaaoooooooo"
main niche se jharane ke liye bekarar ho rahi thi aur jija jib hi upar se dana
dan dhakke pae dhakke mar rahe the pure kamare mein chudai dhu baj rahi thi
mammy bhi neeche nahi thi es liye aur nischintata thi khoob gande gande shabdon
ka adan-pradan ho raha tha aaj ka maja hi aur tha.. bus chudai hi chudai.. keval
laure aur bur ki ghisai hi ghisai... Jijaji ab jharne ke kareeb aa rahe the aur
upar se kas kas kar thakke laga kar bolane lage, "ohhhh meri bina jhato wali bur
ki shahjadi teri bur to afatabh hai....chod chod ka ise itana maja dunga ki
mujhase chude bina rah hi nahi pawogee....chudai ke liye sab samay bekarar raho
gee....oh rani!!!!!! ek bar phir sath-sath jharenge....ohhhhhh ab tum bhi
aaaaajao......" kahate hue jiju meri bur ki gaharayi mein jhar gaye aur mai bhi
sath-sath khalash ho gayee.... jiju meri chhati se chipak gaye kuch pal to aisa
laga ki muniya ne unake laure ko phasa liya hai.
Thori der esi tarah chipake rahe phir main jija ji ko utate hue boli, " ab
uthie! Kamini ke yahan nahi chalana hai kya?" jiju bole, "Jab apane pas
saf-suthara landing platform hai to jangal mein eroplane utarane ki kya jarurat
hai" unaki bat sunkar dil bag-bag ho utha aur maine unhe chumate hue kaha,
"jijaji! Kamini ke yahan to chalana hi hai, bat de diya hai" phir hasate hue
boli, " kahin teen ki vajah se dar to nahi rahe hai" maine unaki mardanagi ko
lalkara. "Ab meri pyari Sali kah rahi hai to chalana hi parega, kuchh naya
anubhav hoga" jija ji uthe aur ham dono bathroom me ja saf-safai ki aur kapara
pahanane lage. Tabhi neeche main gate khulane ki awaj aayi. Maine jijaji se kaha
"ab aap didi ke kamare me chaliye mammy aa gayee hain" jijaji apane kamare mein
chale gaye.
Main tayar ho kar apane kamare se nikali to dekha chameli chay lekar upar aa
rahi hai. ham dono sath-sath jija ji ke kamare mein ghuse dekha jijaji tayar
hokar baithe hain. Chameli chahaki, "vah! Jijaji to tayar baithe hain, Kamini
didi se milane ki etani jaldi hai?" maine usase kaha, "Chameli tujhe bolane ki
kuchh jyada hi aadat parati ja rahi hai, chal chaye nikal" Chameli ne do cup
mein chaye nikala aur ek mujhe dee aur ek jijaji ko pakara kar muskara dee, boli
"jijaji lagata hai didi ne jyada thaka diya hai sigarette nikaloon?" " han re
pila, lekin mere paket me to nahi hai" "are didi ne mujhase magavaya tha yah
leejiye" aur usane apane choli se nikal kar jijaji ko sigarette pakara dee"
jijaji chaye pite hue bole " are ek sulga kar de na" chameli ne sigarette
sulgaya aur ek kash laga kar dhuan jijaji ke upar urate hue boli "didi ka masala
laga dun ya sada hi piyegen" hamlog usaki do-arthi baate sunkar hans pare" maine
use datate hue kaha "chameli tu hardam hansati aur majak karane ke mood mein kyo
rahti hai" "kya karun didi duniya mein itane gam hai ki usase jhutakara nahi mil
sakata khushi ke inhi lamho ko yad kar insan apana sara jivan bita deta hai"
"are vah meri Chhamiya philosopher bhi hai" jija ji bole. Chameli ke chehare par
na jane kaha se gamo ke badal madaraye par jaldi hi uranchhu ho gaye. "jijaji ye
Chhamiya kaun hai" phir ham sab hans pare.
Maine chameli se kaha "chalo neeche garej ka tala kholo, car kayee dino se
nikali nahi hai saf kar dena, aur mammy jo de use rakh dena, mera ek bag mere
kamare se le lena par use mammy na dekh paye." Jijaji bole "are usame aisi kya
chij hai" main boli jijaji aapake liye bhabhi ke kamare se churai hai, vahi
chalkar dikhungee"
Hamlog mammy se kah kar ghar se car par nikale. Ek jagah gadi rok kar jijaji
akele hi kuchh kharid kar ek jhole mein le aaye aur mujhase kaha "Sudha ab tum
starering samhalo" maine unhe chherate hue kaha "jijaji ko aaj teen gadi
chalanee hai isi liye is gadi ko nahi chalana chahte" aur mai driver seat par
baith gayee, mere bagal mein jiju aur Chameli ko jijaji aage bula kar apane
bagal me baitha liya. Hamalog Kamini ke ghar ke liye chal pare jo thori hi door
tha........
Raste mein jijaji kabhi meri choochi dabate to kabhi Chameli ki main
drive kar rahi thi es liye unhe rok bhi nahi paa rahi thi maine kaha,
"jijaji kyo betab ho rahe hain vahan chal kar yahi sab to karna hai,
mujhe gaddi chalane deejiye nahi to kuchh ho jayega" jijaji ab Chameli
ki tarf ho gaye aur usaki choonchi se khelane lage aur Chameli jijaji
ki jip kholakar lund sahlane lagi phir jhukkar lund muh mein le liya.
Yah dekh kar main Chameli ko datate hue boli, "aare burchodi chhinar,
yah sab kya kar rahi hai Kamini ka ghar ane wala hai" chameli jo ab
tak jijaji ke nashe mein kho gai thi jagi, aur ye dekh kar ki Kamini
ka ghar ane wala hai jijaji ke khare lund ko kishi tarah thelkar pant
ke andar kiya aur jip laga diya. jijaji ne bhi usaki bur par se apana
hath hata liya.
Jab hamlog Kamini ke ghar pahunche to Chameli ne utar kar main gate
khola maine portico me gaadi park kee. tab tak Kamini aur usaki maa
darwaja khol kar bahar aa gayee.
Jijaji Kamini ki maa ke pair chhoone ke liye jhuke, Kamini ki maa boli
"nahi beta! humlog damad se pair nahi chhuvate, aao andar aao" hamlog
andar drawingroom mein aa gaye. Kamini ki maa rekha aur ghar walo ka
halchal lene ke baad aaj ke liye apani majaburi batate hue kaha,
"babua ji aaj yahi ruk jana Kamini kafi samajhdar hai wah aapka dhyan
rakhegee, kal dopahar do baje tak main aajaungi, kal to Sunday hai,
office to jana nahi hai, main aaungee tabhi aap jaiyega. Achchha to
nahi lag raha hai par majaboori hai jana to parega hi." Jijaji bole
mammy ji kisake sath jayengee kahiye to mai aapko mamaji ke yahan
chhor doon" Kamini ki maa boli "nahi beta, chandar (mamaji) lene ate
hi honge.
Tabhi mamaji ke car ka horn bahar baja. Kamini boli lo maama ji aa bhi
gaye, vah bahar gayee aur aa kar apani maa se boli, "maama ji bahut
jaldi mein hai andar nahi aa rahe hai kahate hai mammy ko lekar jaldi
aa jao. Usaki maa boli, "beta tum log baitho main chalati hun kal
milungee"
Kamini mammy ko maama ki gaddi par bitha kar aur main gate par tala
aur ghar ka mukhya darwaja band kar jab andar aayee to mujhase lipat
gayee aur boli, "hurre! Aaj ki raat sudha ke naam" phir jijaji ka
haanth pakar kar boli, "aapaka darbar upar hall mein lagega aur apaka
aaramgah bhi upar hi hai. jahanpanah! upar hall mein puri vayavastha
hai dinar bhi vahi karenge, mammy kal dopahar lunch ke bad aayengee is
liye jaldi uthane ka janjhat nahi hai, hall mein TV, CD player laga
hai aur tans (playing-card) khelane ke liye kaleen par gadda bichha
hai"
jijaji bole, "tans"
"mammy ne to tans ke liye hi bichhwaya tha lekin aap job hi khelana
chahen kheliyega, vase aap ka bed bhi bahut bara hai" Kamini mujhe
aankh marati hui boli"
"Chameli se na raha gaya boli, " jijaji ko to bas ek khel hi pasand
hai..khat kabaddi.. aate aate...." Chameli aage kuchh kahati maine use
roka, "chup shatan ki bachchi ! bas aage aur nahi"
jijaji bole, "ab upar chala jay"
Kamini sab ko rokati huyi boli, "nahi abhi nahi, nasta karane ke bad,
lekin darbar mein chalane ka ek kayeda hai shahajade"
"wah kya? Husna-ki-mallika" jijaji usi ke sur me bole.
Kamini boli, "Darbar mein jyada se jyada ek kapara pahana ja sakata hai"
"aur kam se kam, chalo hum sab kam se kam kapare hi pahan lete hai"
jijaji chuhal karate hue bole "chalo pahale kapare hi badal lete hai"
sablog dressing room mein aa gaye. Kamini boli, " sab log apane apane
dress utar kar thik se hangar karenge fir mai shahi kapare pahnaugee"
chameli boli, "mujhe bhi utarane hai kya?
"Kyon? Kya tu darbar ke kayede se alag hai kya?" aur hamdono ne sabse
pahale usi ke kapare utar kar nangee kar diya phir usane hamdono ke
kapare ek-ek kar utare aur hangar kar diye aur jijaji ki taraf dekh
kar kaha ab hamlog kam-se-kam kapare me hai.
Jijaji ki najar Kamini par thi. Kamini muskarakar jijaji ke pas aayee
aur boli, " shajade ab aap bhi madarjat kapare me aa jaiyen" aur usane
unake kapare utarane shuru kiye.
Chameli mere pas hi kari thi mujase dhire se boli "sudha didi, Kamini
didi kaisi hai aate hi muh se gali nikalane lagi madarchod kapare.."
maine use samajhaya, "are pagali! madarchod nahi madarjat kapara kaha,
jisaka matalab hai jab maa ke pet se nikale the us samay jo kapare
pahane the us kapare mein aa jaiye" "pet ka bachha aur kapara" "aare
bat vahi hai bachaa nanga paida hota hai aur usitarh aap bhi nange ho
jao, jaise ki tu khari hai madarjat nangee" "oh didi, padhe-likhon ki
bate.." Chameli ki bat par sab log khoob hase. Chameli apani bat par
sakucha gayee.
Kamini jijaji ko naga kar kapare hangar karane ke liye Chameli ko de
diye aur khud guthano ke bal baith kar jijaji ke land ko choom liya.
Maine puchha, "ari yah kya kar rahi hai kya yahin...."
Are nahi, yah nange darbar ke abhivadan karane ka tarika hai chalo tum
dono bhi abhivadan karo" chameli phir boli, "Kamini bara mast khel
khel rahi hai"
Maine use phi toka, "gustakh! Tu fir boli ab chal jiju ka land chum"
"didi aap choomane ko kahati hain, kahiye to muh mein lekar jhar doon"
ham sab phir hans pare.
Chameli aur maine darbar ke niyam ke anusar Kamini ki tarh land ko
choom kar abhivadan kiya phir jijaji ne Kamini ki choonchiyon ko
chooma.
Maine kaha faul ! shareer ke beech ke bhag ko chum kar abhivadan karana hai"
kramashah.........
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