Wednesday, December 15, 2010

कामुक-कहानियाँ-खेल खिलाड़ी का पार्ट--4



कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम



खेल खिलाड़ी का पार्ट--4

गतान्क से आगे..............
"..सभी को बराबरी का मौका & सभी को इंसाफ़-चाहे वो कोई भी हो अमीर,ग़रीब,ऊँची जात का या नीची जात का या फिर किसी भी मज़हब का..अगर ये 2 बाते हम पक्की कर लें तो शायद हमारे समाज की शायद सभी बुराइयो का अंत हो जाए!..",तालियो की गड़गड़ाहट टीवी के स्पीकर से निकल के उसके छ्होटे से होटेल के कमरे मे भर गयी & बिस्तर पे अढ़लेता वो शख्स गुस्से से भर उठा.उसने चॅनेल बदल दिया & कोई फिल्मी चॅनेल लगा आँखे बंद कर अपने गुस्से को पीने लगा.

डेवाले रेलवे स्टेशन के पास दरगाह पीर का इलाक़ा सस्ते होटेल्स से आता पड़ा था.उन्ही होटेल्स मे से 1 के कमरे मे वो शख्स लेटा था.उसका कद 6'1" था & जिस्म बिल्कुल चुस्त.चेहरे पे दाढ़ी थी & बाल भी गर्दन तक लंबे.शख्सियत ऐसी कि आप 1 बार नज़र भर के ज़रूर देखें.

थोड़ी देर बाद उसने आँखे खोली & वाहा बस दर्द नज़र आया.पिच्छले 2 साल से वो आँखे ऐसी ही थी.उस से पहले उसकी ज़िंदगी कितनी हसीन,कितनी खुशनुमा थी..लेकिन इस शख्स ने जिसे दुनिया देवता समझती थी उसकी ज़िंदगी उजाड़ दी थी & अब जब जसजीत प्रधान अपनी ज़िंदगी के 1 अभूत अहम मोड़ पे था,वक़्त आ गया था कि उसे भी वही दर्द महसूस कराया जाए जो उसने उसे महसूस कराया था.

उसने फिर चॅनेल बदला & इस बार 1 स्पोर्ट्स चॅनेल लग गया जिसपे कोई क्रिकेट मॅच आ रहा था.उसके दिल मे फिर से टीस उठी & उसने टीवी बंद कर दिया & कमरे से निकल गया.

"नमस्ते,सहाब!",होटेल का वेटर था.

"नमस्ते.",उसने कमरा लॉक कर चाभी जेब मे डाली.

"सहाब..",वेटर कुच्छ कहना चाह रहा था.

"हां.",वो सीढ़ियो की ओर बढ़ा.

"साहब,मैं कह रहा था कि आपको कुच्छ ज़रूरत हो तो बस मुझे बोलना सीधा कमरे मे डेलिवरी होगी.आपको कोई परेशानी नही & दाम भी बिल्कुल सही लूँगा.",उस शख्स ने वेटर को घूरा,वो क्या कह रहा था उसकी समझ मे आ गया था.होटेल के कमरे मे अकेला मर्द शराब या फिर शबाब तो चाह सकता है ना.

उसकी घुरती निगाहो से वेटर को घबराहट होने लगी की कही उसने ग़लत आदमी से तो बात नही कह दी.

"ठीक है.ज़रूरत पड़ी तो तुझे ही बोलूँगा.",वो आदमी हंसा & वेटर की पीठ पे धौल मारी & सीढ़िया उतरने लगा.

"ज़रूर साहब.आपको बिल्कुल मस्त समान दूँगा.बस बोल के देखना.",वेटर ने जाते-2 उस से कहा.

वो तेज़ कदमो से होटेल से बाहर आया & बाज़ार मे चलने लगा....वो यहा उस फ़र्ज़ी आइडी के बूते ठहरा था जो उसे मूसा के दोस्त ने दिलवाई थी.मूसा जैल का उसका इकलौता दोस्त था & अब जैल से बाहर आने पे उसके दोस्त उसकी मदद कर रहे थे.वो चलता हुआ दरगाह तक आ पहुँचा था जिसके गिर्द ये पूरा इलाक़ा बसा था.कयि लोग दरगाह के अंदर जा रहे थे & जिनके पास वक़्त नही था वो बस बाहरी दीवार से सर टीका के दुआ माँगते & आगे बढ़ जाते.

मूसा की हर ख्वाहिश पूरी हो & वो हमेशा खुश रहे....दीवार से सर लगा उसने दुआ माँगी & सामने से गुज़रती बस को दौड़ के पकड़ लिया.

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उस बंगल के ड्रॉयिंग हॉल मे तीन लोग बैठे टीवी देख रहे थे-2 मर्द & 1 औरत.मर्दो के हाथो मे विस्की के ग्लास थे & उनमे से 1 को देख के सॉफ ज़ाहिर था की उसे बहुत नशा हो चुका है.1 बार फिर प्रधान की किसी बात पे दुस्सेहारा मैदान मे जमा भीड़ ने तालिया बजाई तो वो औरत उठ खड़ी हुई,"मैं अपने कमरे मे जा रही हू.मुझे अब और नही सुनना इस आदमी को!",उसकी आवाज़ मे घुली नफ़रत छिप ना सकी ना ही उस औरत ने च्छुपाने की कोशिश की थी.

"नीना..",वो नशे मे धुत इंसान बोला,"..भाई..सा..हब.के..बारे..मे...आड़..अदब से बोलो!",तब तक नीना सीढ़िया चढ़ अपने कमरे मे जा चुकी थी.

"जाने दीजिए,मुकुल जी.",उस दूसरे शख्स ने पहले को रोका & दोनो टीवी देखने लगे.थोड़ी देर बाद उसने खामोशी तोड़ी,"मुकुल जी,आपने मेरी बात पे सोचा या नही?"

"सोचा,महेश जी लेकिन मुझे समझ नही आ रहा..",उसने ग्लास खाली कर फिर बॉटल उठा ली.

"क्या?"

"कि..ये क्या..हिक....सॉरी..ठीक होगा..मेरा मतलब है भाई साहब ..",उसने पेग बनाया,"..के साथ धोखा तो नही होगा ये.",उसने सोडा डाला & फिर बर्फ & फिर से ग्लास को अपने होंठो से लगा लिया.

"धोखा कैसा मुकुल जी?माना कि आप जसजीत जी के सगे भाई हैं लेकिन उन्होने तो आपको टिकेट दिलवाने से मना कर दिया.अब आप तो इनडिपेंडेंट खड़े हो रहे हैं किसी और पार्टी से नही,तो धोखे का तो सवाल ही नही पैदा होता."

"और आप पूरा पैसा लगाएँगे मेरे एलेक्षन कॅंपेन मे..हिक?"

"हां."

"मैं जान सकता हू..हिक क्यू?"

"आप भी बिज़्नेसमॅन हैं & मैं भी मुकुल जी.आप 1 बार बॅडल के एमएलए बन गये तो उस इलाक़े मे जो हम दोनो की फॅक्टरीस हैं वो तो सोना उग्लेंगी."

"हूँ..मैं 1 बार हिक..आइ मीन ज़रा सोचना चाहता हू."

"सोच लीजिए,मुकुल जी मगर जल्दी अब समय कम है हमारे पास."

हूँ.",उसने शराब का 1 बड़ा घूँट भरा.मुकुल प्रधान जसजीत का छ्होटा भाई था.जितना बड़ा भाई मेहनती था उतना ही छ्होटा काम से जी चुराने वाला.जसजीत ने भाई को 1 प्लास्टिक फॅक्टरी खुलवा दी थी डेवाले से 40 किमी दूर बद्डल गाँव मे लेकिन मुकुल का उसे चलाने मे कुच्छ खास मन नही लगता था.बात दरअसल ये थी कि आलसी मुकुल बस पकई-पकाई खीर खाना चाहता था & 1 दिन उसके दिमाग़ मे ख़याल आया कि वो भी भाई की तरह सियासत मे आ जाए.जसजीत अपने भाई को बहुत अच्छे से जानता था & उसने उसे सॉफ मना कर दिया.

अब महेश अरोरा,जिसकी फॅक्टरी उसकी फॅक्टरी के पास थी,जब अपना प्रपोज़ल लेके आया तो मुकुल को लालच आ गया लेकिन उसे 1 बार नीना से इस बारे मे बात करनी थी.उस से पुच्छे बिना वो वैसे भी कोई काम नही करता था.नीना-उसकी खूबसूरत बीवी.गोरे चेहरे पे बड़ी-2 काली आँखो वाली नीना जब अपनी धनुषकार भाव को थोड़ा टेढ़ा कर शोखी से मुस्कुराती तो आज भी,जब 36 बरस की हो चुकी थी,मर्द घायल हो जाते.

नीना अपने कमरे मे आई & बिस्तर पे लेट गयी.गुस्से से तमतमाया उसका गोरा चेहरा लाल हो गया था & वो और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी.उसके गुस्से का कारण केवल उसका जेठ नही था बल्कि उसकी जेठानी भी थी.स्टेज पे बैठी कैसे इतरा रही थी?!..लेकिन इतराती भी क्यू ना?आख़िर उसका पति इतना कामयाब था....कैसा महसूस होता होगा उसे जब सब उसके आगे-पीछे करते होंगे..उसकी जी हुज़ूरी करते होंगे?....& 1 वो थी....आख़िर उसने इतनी बड़ी बेवकूफी कैसे कर ली थी?कॉलेज मे वो केवल उन लड़को से दोस्ती करती थी जो उसे ऊँचे स्टेटस वाले लगते थे बाकियो को तो वो अपने पास फटकने भी नही देती थी.

उसने करवट बदली & उसे वो दिन याद आया जब उसने मिस डेवाले का खिताब जीता था.सभी को लगा था कि उसके 5'4" कद के चलते उस से लंबी लड़किया बाज़ी मार ले जाएँगी मगर उन्हे पता नही था कि नीना को पता नही था कि हार किस चिड़िया का नाम है.वो खिताब जीत गयी & उसके बाद ही किसी जलसे मे वो मुकुल से मिली थी.कितना हॅंडसम था वो & कितने अच्छे ख़ानदान से भी!

जब मुकुल ने उसका हाथ माँगा तो उसने फ़ौरन हां कर दी मगर कुच्छ ही महीनो बाद उसे एहसास हो गया था कि जिस तरीके के इंसानो से वो हमेशा अपना दामन बचाती आई थी मुकुल बिल्कुल वैसा ही था & उपर से तुर्रा ये कि उसका बड़ा भाई उसकी बिल्कुल फ़िक्र नही करता था.ऐसा नही था कि नीना नही जानती थी कि जसजीत ने मुकुल की कितनी मदद की थी & उसने भी इसलिए उसे ऐसे छ्चोड़ा था की ताकि वो अपनी ज़िम्मेदारिया उठाना सीखे लेकिन गुरूर वाली नीना भला ये कैसे मानती कि मुकुल से शादी करना उसकी ग़लती थी उसे तो कोई बलि का बकरा चाहिए था तो मुकुल के साथ-2 उसने अपने जेठ-जेठानी को भी अपना दुश्मन मान लिया.

मजबूरी थी कि वो मुकुल को छ्चोड़ नही सकती थी..आख़िर कहा जाती वो उसे छ्चोड़ के?मुकुल अभी भी हॅंडसम था मगर वो अभी भी 1 लूज़र था पेशे मे,ज़िंदगी मे & बिस्तर मे!नीना के खूबसूरत जिस्म को पिघलाने का माद्दा नही था उसमे.नीना बिस्तर से उठी & अपना पल्लू नीचे गिरा दिया.काली सारी मे उसका गोरा बदन और चमक रहा था.अपने जिस्म का खास ख़याल रखती थी वो अभी भी 36-30-36 का फिगर बहुत ही दिलकश था.तभी दरवाज़े पे दस्तक हुई तो उसने आँचल ठीक किया,"कम इन."

"हाई!मम्मी.",1 12 साल का लड़का कमरे मे आया.

"हाई!श्लोक बेटा.",नीना ने उस बच्चे को अपने सीने से लगा के चूम लिया.

"ये देखो मम्मी..",उसने 1 ट्रोफी अपनी मा को दी,"..आज डिबेट कॉंपिटेशन मे मुझे सेकेंड प्राइज़ मिला."

"वाउ!बेटा..",मा ने उसे फिर चूमा तो श्लोक थोड़ा सा झुनझूलाया,अब वो बड़ा हो गया था & मम्मी अभी भी उस से बच्चो जैसा बर्ताव करती थी!

"फर्स्ट कौन आया बेटा?"

"अनीश भैया.",जसजीत के बड़े बेटे का नाम सुन नीना का चेहरा फिर से सख़्त हो गया.पहले बाप ने मेरे पति को हर जगह दूसरे नंबर पे कर दिया & अब बेटा मेरे बेटे को..नही चाहे कुच्छ भी हो जाए..ऐसा नही होगा..अनीश को तो मैं?..नीना ने अपने बेटे को चूमा & अपने जज़्बात च्छूपाते हुए उस से बाते करने लगी.

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क्रमशः...........




KHEL KHILADI KA paart--4

gataank se aage..............
"..sabhi ko barabari ka mauka & sabhi ko insaf-chahe vo koi bhi ho amir,garib,oonchi jaat ka ya neechi jaat ka ya fir kisi bhi mazhab ka..agar ye 2 baate hum pakki kar len to shayad humare samaj ki shayad sabhi buraiyo ka ant ho jaye!..",taliyo ki gadgadahat tv ke speaker se nikal ke usk chhote se hotel ke kamre me bhar gayi & bistar pe adhleta vo shakhs gusse se bhar utha.usne channel badal diya & koi filmy channel laga aankhe band kar apne gusse ko peene laga.

Devalay railway station ke paas Dargah Peer ka ilaka saste hotels se ata pada tha.unhi hotels me se 1 ke kamre me vo shakhs leta tha.uska kad 6'1" tha & jism bilkul chust.chehre pe dadhi thi & baal bhi gardan tak lambe.shakhsiyat aisi ki aap 1 baar nazar bhar ke zarur dekhen.

thodi der baad usne aankhe kholi & vaha bas dard nazar aaya.pichhle 2 saal se vo aankhe aisi hi thi.us se pehle uski zindagi kitni hasin,kitni khushnuma thi..lekin is shakhs ne jise duniya devta samajhti thi uski zindagi ujad dit hi & ab jab jasjit pradhan apni zindagi ke 1 abhut aham mod pe tha,waqt aa gaya tha ki use bhi vahi dard mehsus karaya jaye jo usne use mehsus karaya tha.

usne fir channel badla & is baar 1 sports channel lag gaya jispe koi cricket match aa raha tha.uske dil me fir se tees uthi & usne tv band kar diya & kamre se nikal gaya.

"namste,sa'ab!",hotel ka waiter tha.

"namste.",usne kamra lock kar chabhi jeb me dali.

"sa'ab..",waiter kuchh kehna chah raha tha.

"haan.",vo seedhiyo ki or badha.

"sa'ab,main keh raha tha ki aapko kuchh zarurat ho to bas mujhe bolna seedha kamre me delivery hogi.aapko koi pareshani nahi & daam bhi bilkul sahi lunga.",us shakhs ne waiter ko ghura,vo kya kaeh raha tha uski samajh me aa gaya tha.hotel ke kamre me akela mard sharab ya fir shabab to cha sakta hai na.

uski ghurti nigaho se waiter ko ghabrahat hone lagi ki kahi usne galat aadmi se to baat nahi keh di.

"thik hai.zarurat padi to tujhe hi bolunga.",vo aadmi hansa & waiter ki pith pe dhaul mari & seedhiya utarne laga.

"zarur sa'ab.aapko bilkul mast saman dunga.bas bol ke dekhna.",waiter ne jate-2 us se kaha.

vo tez kadmo se hotel se bahar aya & bazar me chalne laga....vo yaha us farzi ID ke bute thehra tha jo use Musa ke dost ne dilwayi thi.musa jail ka uska iklauta dost tha & ab jail se bahar aane pe uske dost uski madad kar rahe the.vo chalta hua dargah tak aa pahuncha tha jiske gird ye pura ilaka basa tha.kayi log dargah ke andar ja rahe the & jinke paas waqt nahi tha vo bas bahri deewar se sar tika ke dua mangte & aage badh jate.

musa ki har khwahish puri ho & vo humesha khush rahe....deewar se sar laga usne dua mangi & samne se guzarti bus ko daud ke pakad liya.

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us bungle ke drawing hall me teen log baithe tv dekh rahe the-2 mard & 1 aurat.mardo ke hatho me whisky ke glass the & unme se 1 ko dekh ke saaf zahir tha ki use bahut nasha ho chuka hai.1 baar fir pradhan ki kisi baat pe Dussehara maidan me jama bheed ne taliya bajayi to vo aurat uth khadi hui,"main apne kamre me ja rahi hu.mujhe ab uar nahi sunana is aadmi ko!",uski aavaz me ghuli nafrat chhip na saki na hi us aurat ne chhupane ki koshish ki thi.

"Nina..",vo nashe me dhut insan bola,"..bhai..as..hab.ke..bare..me...ad..adab se bolo!",tab tak nina seedhiya chadh apne kamre me ja chuki thi.

"jane dijiye,Mukul ji.",us dusre shakhs ne pehle ko roka & dono tv dekhne lage.thodi der baad usne khamoshi todi,"mukul ji,aapne meri baat pe socha ya nahi?"

"socha,Mahesh ji lekin mujhe samajh nahi aa raha..",usne glass khali kar fir bottle utha li.

"kya?"

"ki..ye kya..hic....sorry..thik hoga..mera matlab hai bhai sahab ..",usne peg banaya,"..ke sath dhokha to nahi hoga ye.",usne soda dala & fir barf & fir se glass ko apne hotho se laga liya.

"dhokha kaisa mukul ji?mana ki aap jasjit ji ke sage bhai hain lekin unhone to aapko ticket dilwane se mana kar diya.ab aap to independent kahde ho rahe hain kisi aur party se nahi,to dhokhe ka to sawal hi nahi paida hota."

"aur aap pura paisa lagayenge mere election campaign me..hic?"

"haan."

"main jaan sakta hu..hic kyu?"

"aap bhi businessman hain & main bhi mukul ji.aap 1 baar Baddal ke MLA ban gaye to us ilake me jo hum dono ki factories hain vo to sona uglengi."

"hun..main 1 baar hic..i mean zara sochna chahta hu."

"soch lijiye,mukul ji magar jaldi ab samay kam hai huamre paas."

hun.",usne sharab ka 1 bada ghunt bhara.Mukul Pradhan jasjit ka chhota bhai tha.jitna bada bhai mehnati tha utna hi chhota kaam se ji churane wala.jasjit ne bhai ko 1 plastic factory khulwa di thi devalay se 40 km dur baddal ganv me lekin mukul ka use chalane me kuchh khas man nahi lagta tha.baat darasal ye thi ki aalsi mukul bas paki-pakayi kheer khana chahta tha & 1 din uske dimagh me khayal aaya ki vo bhi bhai ki tarah siyasat me aa jaye.jasjit apne bhai ko bahut achhe se janta tha & usne use saaf mana kar diya.

ab Mahesh Arora,jiski factory uski factory ke pas thi,jab apna proposal leke aaya to mukul ko lalach aa gaya lekin use 1 baar nina se is bare me baat karni thi.us se puchhe bina vo vaise bhi koi kaam nahi karta tha.nina-uski khubsurat biwi.gore chehre pe badi-2 kali aanhko vali nina jab apni dhanushakar bhavo ko thoda tedha kar shokhi se muskurati to aaj bhi,jab 36 baras ki ho chuki thi,mard ghayal ho jate.

nina apne kamre me aayi & bistar pe let gayi.gusse se tamtamaya uska gora chehra laal ho gaya tha & vo aur bhi zyada khubsurat lag rahi thi.uske gusse ka karan keval uska jeth nahi tha balki uski jethani bhi thi.stage pe baithi kaise itra rahi thi?!..lekin itrati bhi kyu na?aakhir uska pati itna kamyab tha....kaisa mehsus hota hoga use jab sab uske aage-peechhe karte honge..uski ji huzuri karte honge?....& 1 vo thi....aakhir usne itni badi bevkufi kaise kar li thi?college me vo keval un ladko se dosti karti thi jo use oonche status vale lagte the bakiyo ko to vo apne paas fatakne bhi nahi deti thi.

usne karwat badli & use vo din yaad aya jab usne miss devalay ka khitab jeeta tha.sabhi ko laga tha ki uske 5'4" kad ke chalte us se lumbi ladkiya bazi maar le jayengi magar unhe pata nahi tha ki nina ko pata nahi tha ki haar kis chidiya ka naam hai.vo khitab jeet gayi & uske baad hi kisi jalse me vo mukul se mili thi.kitna handsome tha vo & kitne achhe khandan se bhi!

jab mukul ne uska hath manga to usne fauran haan kar di magar kuchh hi mahino baad use ehsas ho gaya tha ki jis tarike ke insano se vo humesha apna daman bachati aayi thi mukul bilkul vaisa hi tha & upar se turra ye ki uska bada bhai uski bilkul fikr nahi karta tha.aisa nahi tha ki nina nahi janti thi ki jasjit ne mukul ki kitni madad ki thi & usne bhi isliye use aise chhoda tha ki taki vo apni zimmedariya uthana seekhe lekin gurur vali nina bhala ye kaise manti ki mukul se shadi karana uski galti thi use to koi bali ka bakra chahiye tha to mukul ke sath-2 usne apne jeth-jethani ko bhi apna dushman maan liya.

majburi thi ki vo mukul ko chhod nahi sakti thi..aakhir kaha jati vo use chhod ke?mukul abhi bhi handsome tha magar vo abhi bhi 1 loser tha peshe me,zindagi me & bistar me!nina ke khubsurat jism ko pighlane ka madda nahi tha usme.nina bistar se uthi & apna pallu neeche gira diya.kali sari me uska gora badan aur chamak raha tha.apne jism ka khas khayal rakhti thi vo abhi bhi 36-30-36 ka figure bahut hi dilkash tha.tabhi darwaze pe dastak hui to usne aanchal thik kiya,"come in."

"hi!mummy.",1 12 saal ka ladka kamre me aaya.

"hi!Shlok beta.",nina ne us bachche ko apne seene se laga ke chum liya.

"ye dekho mummy..",usne 1 trophy apni maa ko di,"..aaj debate competition me mujhe second prize mila."

"wow!beta..",maa ne use fir chuma to shlok thoda sa jhunjhulaya,ab vo bada ho gaya tha & mummy abhi bhi us se bachcho jaisa bartav karti thi!

"first kaun aya beta?"

"Anish bhaiya.",jasjit ke bade bete ka naam sun nina ka chehra fir se sakht ho gaya.pehle baap ne mere pati ko har jagah dusre number pe kar diya & ab beta mere bete ko..nahi chahe kuchh bhi ho jaye..aisa nahi hoga..anish ko to main?..nina ne apne bete ko chuma & apne jazbat chhupate hue us se baate karne lagi.

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kramashah...........







आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँआपका दोस्तराज शर्मा(¨`·.·´¨) Always`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !`·.¸.·´ -- raj

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Posted By .....raj..... to Kamuk Kahaniyan.Com कामुक-कहानियाँ.ब्लॉगस्पोट.कॉम at 11/02/2010 03:31:00 AM


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