बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--3
गतान्क से आगे....................
जीजाजी मॅमी से बाते करने लगे और मैं किचेन में चली गयी. जल्दी जल्दी
खाना बना कर खाने की मेजा पर लगा दिया और हम लोगो ने खाना खाया. रात
खाने के बाद मॅमी मन-पसंद सीरियल देखने लगीं. जीजाजी थोरी देर तो टीवी
देखते रहे फिर यह कह कर उपर चले गये कि ऑफीस के काम से ज़्यादा बाहर
रहने के कारण वे रेग्युलर सीरियल नही देख पाते इस लिए उनका मन सीरियल देखने
में नही लगता. फिर मुझसे बोले, "सुधा! कोई नयी पिक्चर का सीडी है क्या?"
बीच में ही मॅमी बोल पड़ी, "अरे! कल रेणुका (मेरी परोसन) देवदास की सीडी
दे गयी थी जा कर लगा दे. हाँ! जीजाजी को सोने के पहले दूध ज़रूर पीला
देना". मैने कहा, "जीजाजी आप उपर चल कर कपड़ा बदलिए मैं आती हूँ" और
मैं अपना मनपसंद सीरियल देखने लगी.
सीरियल ख़तम होने पर मम्मी अपने कमरे में जाते हुए बोली "तू उपर अपने
कमरे में सो जाना और जीजाजी का ख्याल रखना" मैं सीडी और दूध लेकर पहले
अपने कमरे में गयी और सारे कपरे उतार कर नाइटी पहन लिया और देवदास
को रख कर दूसरी सीडी अपने भाभी के कमरे से निकाल लाई. जानती थी जीजाजी
साली के साथ क्या देखना पसंद करे गे. जब उपर उनके कमरे में गयी तो
देखा जीजाजी सो गये हैं. दूध को साइड टेबल पर रख कर एक बार हिला कर
जगाया जब वे नही जागे तो उनके बगल में जाकर लेट गयी और नाइटी का बटन
खोल दिया नीचे कुच्छ भी नही पहने थी.. अब मेरी चून्चिया आज़ाद थी. फिर
थोरा उठा कर मैने अपनी एक चून्चि की निपल से जीजाजी के होंठ सहलाने लगी
और एक हाथ को चादर के अंदर डाल कर उनके लंड को सहलाने लगी. उनका लॉरा
सजग होने लगा शायद उसे उसकी प्यारी मुनिया की महक लग चुकी थी. अब मेरी
चून्चि की निपल जीजाजी के मुट्ठी में थी और वे उसे चूसने लगे थे.
जीजाजी जाग चुके थे. मैने कहा, "जीजाजी दूध पी लीजिए"
वे छूटते ही बोले, "पी तो रहा हूँ"
"अरे! ये नही काली भैस का दूध, वो रखी है ग्लास में"
"जब गोरी साली का दूध पीने को मिल रहा है तो काली भैस का दूध क्यो पियूं"
जीजाजी चून्चि से मूह अलग कर बोले और फिर उसे मूह में ले लिया. मैने कहा
"पर इसमें दूध कहाँ है" यह कहते हुए उनके मूह मे से अपनी चून्चि
छुड़ा कर उठी और दूध का ग्लास उठा लाई और उनके मूह में लगा दिया.
जीजाजी ने आधा ग्लास पिया और ग्लास लेकर बाकी पीने के लिए मेरे मूह में लगा
दिया. मैने मूह से ग्लास हटाते हुए कहा, "जीजाजी मैं दूध पी कर आई हूँ" इस
बीच दूध छलक कर मेरी चून्चियो पर गिर गया. जीजाजी उसे अपनी जीभ से
चाटने लगे. मैं उनसे ग्लास लेकर अपनी चून्चियो पर धीरे-धीरे दूध
गिराती रही और जीजाजी मज़ा ले-ले कर उसे चाटते गये. चुचियाँ चाटने से मेरी
बुर में सुरसुरी होने लगी, इस बीच थोरा दूध बीच बह कर मेरी चूत तक
चला गया. जीजाजी की जीभ दूध चाटते-चाटते नीचे आ रही थी और मेरे
बदन में सनसनी फैल रही थी. उनके होंठ मेरी बुर के होंठ तक आ गये और
उन्होने उसे चटाना शुरू कर दिया.
मैने जीजाजी के सिर को पकर कर अपनी योनि के आगे किया और अपने पैर फैला कर
अपनी बुर चटवाने लगी. जीजाजी ने मेरी चूतर को दोनो हाथ से पकर लिया और
मेरी बुर की तीट (क्लितोरिक) को जीभ से चाटने लगे और कभी चूत की गहराई
मे जीभ थेल देते. मैं मस्ती की पाराकस्ता तक पहुँच रही थी और उत्तेजना
में बोल रही थी, "ओह! जीजू ये क्या कर रहे हो ... मैं मस्ती से पागल हो रही
हूँ.... ओह राज्ज्जज्जाआ चॅटो .. और.... अंदर जीएभाा डाल कर
चतूऊ...बहुत अच्च्छा लग रहा है ...आज अपनी जीभ से ही इस बुर को चोद
दो... ओह...ओह अहह एसस्सस्स"
जीजाजी को मेरी चूत की मादक ख़ुसबु ने उन्हे मदमस्त बना दिया और वे बरी
तल्लिनता से मेरी बुर के रस (सुधरस) का रास्पान कर रहे थे.
जीजाजी ने मेरी चूत पर से मूह हटाए बिना मुझे खींच कर पलंग पर बैठा दिया
और खुद ज़मीन पर बैठ गये. मेरी जाँघो को फैला कर अपने कंधों पर रख
लिया और मेरे भगोस्थो को अपनी जीभ से चाटने लगे. मैं मस्ती से सिहर
रही थी और चूतर आगे सरका कर अपन्नी चूत को जीजू के मूह से सटा दिया. अब
मेरी चूतर पलंग से बाहर हवा में झूल रही थी और मेरी मखमली जांघों
का दबाव जीजाजी के कंधों पर था. जीजाजी ने अपनी जीभ मेरी बुर में घुसा दिया
और बुर की अन्द्रूनि दीवार को सहलाने लगे. मैं मस्ती के अनजाने पर अद्भुत
आनंद के सागर में गोते लगाने लगी और अपनी चूतर उठा-उठा कर अपनी चूत
जीजाजी के जीभ पर दबाने लगी.
"ओह राजा! इसी तरह चूसते और चाटते रहो ..बहुत ..अच्च्छा लग रहा है
....जीभ को अंदर बाहर करो ना...है .. तुम ही तो मेरे चुदक्कर सैया
हो....ओह राजा बहुत तरपि हूँ चुदवाने के लिए... अब सारी कसर निकाल
लूँगी....ओह राज्ज्जजाआ चोदूऊ मेरी चूऊओत को अपनी जीएभ से...."
जीजाजी को भी पूरा जोश आ गया और मेरी चूत मैं जल्दी-जल्दी जीभ
अंदर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगे. मैं ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर जीजाजी के
जीभ को अपनी बुर में ले रही थी. जीजाजी को भी इस चुदाई का मज़ा आने लगा.
जीजाजी ने अपनी जीभ कड़ी कर के स्थिर कर ली और सर को आगे-पिछे कर के मेरी
चूत चोदने लगे. मेरा मज़ा दुगना हो गया.
अपने चूतरो को उठाते हुए बोली, " और ज़ोर से जीजाजी... और जूऊओर से है...
मेरे प्यारे जीजाजी ... आज से मैं तुम्हारी माशूका हो गयी.इसि तरह जिंदगी
भर चुदाउगी....ओह माआआआआ ओह्ह्ह्ह ..उईईईईई माआअ" मैं अब झरने
वाली थी. मैं ज़ोर-ज़ोर से सिसकारी लेते हुए अपनी चूत जीजू के चेहरे पर रगर
रही थी. जीजू भी पूरी तेज़ी से जीभ लपलपा कर मेरी चूत पूरी तरह से चाट
रहे थे. अपनी जीभ मेरी चूत में पूरी तरह अंदर डालकर वे हिलने लगे.
जब उनकी जीभ मेरी भग्नासा से टकराई तो मेरा बाँध टूट गया और जीजाजी के
चेहरे को अपनी जांघों मे जाकड़ कर मैने अपनी चूत जीजू के मूह से चिपका
दी. मेरा पानी बहने लगा और जीजाजी मेरे भागोस्तों को अपने मूह में दबा
कर जवानी का अमृत 'सुधरस' पीने लगे.
इसके बाद मैं पलंग पर लेट गयी. जीजाजी उठकर मेरे बगल मे आ गये. मैने
उन्हे चूमते हुए कहा, "जीजाजी! ऐसे ही आप दीदी की बुर भी चूसते हैं"
"हाँ! पर इतना नही. 69 के समाया चूसता हूँ पर उसे चुदवाने मे ज़्यादा मज़ा
मिलता है" मैने जीजाजी के लंड को अपने हाथ में ले लिया. जीजाजी का लंड
लोहे की रोड की तरह सख़्त और अपने पूरे आकार में खरा था. देखने मे
इतना सुंदर और अच्छा लग रहा था कि उसे प्यार करने का मन होने लगा, सुपरे
के छ्होटे से होंठ पर प्रीकुं की बूँद चमक रही थी. मैने उसपर एक-दो बार
उपर-नीचे हाथ फेरा, उसने हिल-हिल कर मुझसे मेरी मुनिया के पास जाने का
अनुरोध किया. मैं क्या करती, मुनिया भी उसे पाने के लिए बेकरार थी. मैने उसे
चूम कर मनाने की कोशिश की लेकिन वह मुनिया से मिलने के लिए बेकरार था.
अंत में मैं सीधी लेट गयी और उसे मुनिया से मिलने के लिए इजाज़त दे दी.
जीजाजी मेरे उपर आ गये और एक झटके मे मेरी बुर में अपना पूरा लंड घुसा
दिया. मैं नीचे से कमर उठा कर उन दोनो को आपस मे मिलने मे सहयोग देने
लगी. दोनो इस समय इस प्रकार मिल रहे थे मानो वे बरसो बाद मिले हो. जीजाजी
कस-कस कर धक्के लगा रहे थे और मेरी बुर नीचे से उनका जवाब दे रही थी.
घमासान चुदाई चल रही थी.
लगभग 15-20 मिनट की चुदाई के बाद मेरी बुर हारने लगी तो मैने गंदे
शब्दों को बोल कर जीजू को ललकारा, "जीजाजी आप बरे चुदक्कर हैं.. चोदो
रजाआअ चड़ूऊ .. मेरी बुर भी कम नही है.... कस-कस कर धक्के मारो मेरे
चुदक्कर रजाआा, फार दो इस साली बुर कूऊऊओ, जो हर समय चुदवाने के लिए
बेचैन रहती है.. बुर को फार कर अपने मदनरस से इसे सिंच
दूऊऊओ....ओह माआअ ओह मेरे राजा बहुत अच्च्छा लग रहा है
...चोदो..चोदो...चोदो ..और चोद्दूऊ, राजा साथ-साथ गिरना...ओह
हाईईईईईईईईई आ जाओ ... मेरे चोदु सनम....है अब नही रुक पाउन्गी ओह मैं
.. मैं..गइईईईईईईई." एधर जीजाजी कस कस कर दोचार धक्के लगाकर
साथ-साथ झार गये. सचमुच इस चुदाई से मेरी मुनिया बहुत खुस थी क्यो की
उसे लॉरा चूसने और प्यार करने का भरपूर सुख मिला.
कुछ देर बाद जीजाजी मेरे उपर से हट कर मेरे बगल में आ गये. उनके हाथ
मेरी चून्चियो, चूतर को सहलाते रहे मैं उनके सीने से कुच्छ देर लग कर
अपने सांसो पर काबू प्राप्त कर लिया. मैने जीजाजी को छेड़ते हुए पुंच्छा,
"देवदास लगा दूं?"
"आरे! अच्च्छा याद दिलाया जब कामिनी आई थी तो उस समय मैं उस पिक्चर को नही
देख पाया था, अब लगा दो" जीजाजी मेरी चून्चि को दबाते हुए बोले.
"ना बाबा! उस सीडी को लगाने की मेरी अब हिम्मत नही है, उसे देख कर यह मानेगा
क्या?" मैं उनके लौरे को पकड़ कर बोली. "आप भी कमाल के आदमी है सेक्स से
थकते ही नही. आपको देखना है तो लगा देती हूँ पर मैं अपने कमरे में
सोने चली जाउन्गि"
"ओह मेरी प्यारी साली! बस थोड़ी देर देख लेने दो, मैं वादा करता हूँ मैं कुछ
नही करूँगा, क्यों की मैं भी थक गया हूँ" जीजाजी मुझे रोकते हुए बोले.
मैने सीडी लगा कर टीवी ऑन कर दिया. मैने नाइटी पहन लिया और उनके बगल में
बैठ कर पिक्चर देखने लगी. शुरुआत में लेज़्बीयन सीन थे, दो लरकिया
नंगी हो कर एक-दूसरे को चाट चूम रही थी.एक लड़की दूसरे लड़की की बुर
को चूसने लगी.मैं ध्यान से फिल्म देख रही थी. मेरे हाथ अंजाने ही बुर तक
पहुँच गये, तभी जीजाजी ने मेरी कमर पर हाथ डालकर खिचा तो मैने अपने
बदन को ढीला छोड़ दिया और उनकी गोद में आढालेटी हो गयी. जीजाजी मेरी
नाइटी खोल कर मेरी चून्चियो से खेलते हुए पिक्चर देखने लगे. मैं भी
अपनी नाइटी के उपर हाथ रखकर अपनी बुर सहलाने लगी. स्क्रीन पर अब दोनो लरकियाँ 69 की
पोज़िशन में थी और एक दूसरे की बुर को चाट रही थी जिसे कैमरा अंगील
बदल बदल कर दिख रहा था. जीजाजी का लंड बेताब हो रहा था जिसे मैने
पोज़िशन बदल कर अपनी चूतर में दबा लिया और धीरे धीरे आगे पिछे
करने लगी.
तभी स्क्रीन पर एक मर्द आया. दोनो लरकियों को इस हालत में देख कर झटपट
नंगा हो गया और लंड चुसवाने के बाद एक लड़की की बुर में अपना लंबा लंड
घुसा कर चोदने लगा. उसका लंड भी जीजाजी की तरह लंबा था पर शयेद मोटा
कम था. दूसरी लड़की जो अभी भी पहली लड़की के नीचे थी आदमी के अंडों को
जीभ से चाट रही थी.
मैं धीरे धीरे गर्म होने लगी मैने जीजाजी से कहा, "आओ राजा! अब अंदर डाल कर
पिक्चर देखा जाए"
"बाद में मुझसे कुछ ना कहना" कहकर जीजाजी ने अपना लंड बुर के अंदर कर
दिया. इस तरह बुर में लंड लेकर धीरे धीरे आगे पीछे होते हुए हम दोनो
पिक्चर का मज़ा लेने लगे.
स्क्रीन पर आदमी कभी उपर तो कभी नीचे आकर चुदाई कर रहा था और
दूसरी लड़की कभी अपनी चून्चि चुस्वाती तो कभी बुर. मुझसे अब रहा नही
जा रहा था मैने जीजाजी के पैरो को पलंग के नीचे किया और उनकी तरफ पीठ
कर लौरे को बुर में डालकर उनकी गोद में बैठ गयी और पिक्चर देखते हुए
चुदाई करने लगी. एक हाथ से जीजाजी मेरी चून्चि दबा रहे थे और दूसरे
हाथ से मेरी बुर की टीट सहला रहे थे. इस तरह हमलोग पिक्चर की चुदाई देख
रहे थे और खुद भी चुदाई कर रहे थे.
स्क्रीन पर वह आदमी एक को चोद कर लेटा था और अब दूसरी की चुदाई की तैयारी
कर रहा था. दूसरी औरत उठी और आदमी की तरफ़ मूह कर उसके लौरे को अपनी
बुर में डालकर बैठ गयी अब वे दोनो बैठ कर चुदाई कर रहे थे. मुझे लगा
इस तारह से चुदाई करने मे लंड बुर के अंदर ठीक से जाएगा और मैं पलटी और
जीजाजी के दोनो ओर पैर कर उनके लंड को अपने बुर में लेकर चुदाई करने
लगी. मुझे अब पिक्चर दिख नही रही थी पर अब उसे देखने की परवाह भी नही
रह गयी और हमलोग अपनी चुदाई मे मशगूल हो गये. जीजाजी मेरी चून्चियो
को दबाते हुए नीचे से चूतर उच्छाल कर अपने लंड को मेरी बुर में गहराई
तक पहुँचा रहे थे और मैं पिक्चर वाली लड़की की तरह उच्छल-उच्छल कर
चुदाई में संलग्न थी.. पीछे देख कर जीजाजी मुझे दूसरे आसन से चुदाई
करने लगे अब मैं डोगी स्टाइल मे थी. जीजाजी कभी उपर आते कभी मुझे उपर
कर मुझसे चोदने के लिए कहते इस तरह हमलोगों ने जब तक पिक्चर चलती
रही मुझे तारह तारह से चोदते रहे और वे मेरी बुर में एक बार फिर से खलास
हुई. मैं जीजाजी के नीचे कुछ देर पड़ी रही फिर जीजाजी मेरे बगल में आ
गये.
जीजाजी ने फिर उठा कर मेरी बुर को साफ किया और बिना बालों वाली बुर को चूम
कर बोले, "ओह! मेरी प्यारी साली, इस बुर पर झांते ना होने का राज अब तो बता दो"
मैं बोली जीजा जी आज कई बार चुद कर बहुत थक गयी हूँ. अब मैं अपने
कमरे में सोने जा रही हूँ, बाकी बाते कल"
जीजाजी बोले, "यही सो जाओ"
मैने कहा, " यहाँ सोना ख़तरे से खाली नही है, मैं तुम्हारी घर वाली तो हूँ
नही, कि कोई देख या जान लेगा तो कुच्छ नही कहेगा"
"लेकिन आधी घरवाली तो हो"
"लेकिन आप ने तो पूरी घरवाली बना लिया, चोद चोद कर बुर का भुरटल्ला बना
दिया"
"प्लीज़ थोरा और रूको ना, वो राज बता कर चली जाना" जीजाजी मिन्नत करने वाले
लहजे में बोले.
"कल बता दूँगी, मैं कोई भागी तो जा नही रही हूँ.. अच्छा तो अब चलती हू"
"फिर कब मिलॉगी" "आधी रात के बाद...., टा.. टा.. बाइ.. बाइ..."
शुबह जब चमेली ने मुझे जगाया तो 7 बज चुके थे. चमेली मुस्कराते हुए
बोली, "तुम्हारी और जीजाजी की चाय लाई हूँ. लगता है जीजाजी से बहुत रात तक
खाट कबड्डी खेली हो" "हाँ रे! रात जीजाजी मुझे छोड़ ही नही रहे थे, बरी
मुश्किल से अपने कमरे में सोने आ पायी" सच दीदी! कितनी बार लिया" "यही
करीब 10-12 बार" "दीदी मज़ाक मत करिए सच-सच बताए ना, मैं रात भर
चुदाई के बारे मे सोंच-सोंच कर ठीक से सो नही पाई" मैने उसकी बरी बरी
चून्चियो को दबाते हुए कहा, "अच्छा मेरी बन्नो! चुद मैं रही थी और मज़ा
तुम ले रही थी, चल! जीजाजी के कमरे में चाय पीती हू"
मैं उठी कपरे और बाल ठीक किए और चमेली के साथ चाय लेकर जीजाजी के
कमरे में आ गयी, जीजाजी गहरी नींद में सो रहे थे. चाय साइड टेबल पर
रखकर चमेली ने धीरे से चादर खींच जीजाजी नंगे ही सो रहे थे, उनका
लॉरा भी सो रहा था" चमेली धीरे से बोली, "दीदी देखो ना कैसा सुस्त सुस्त
पड़ा है" मैने उनके गाल पर गीला चुंबन लिया और वे जाग गये,उन्होने मुझे
अपनी बाहों में समेट लिया. चमेली चहकि, " वह जीजाजी! रात भर दीदी की
चुदाई कर नंगे ही सो गये" "आरे रात भर कहाँ तुम्हारी दीदी तो एक ही बार में
पस्त हो भाग गयी आधी रात के बाद का वादा करके.. पर आई अब" " अरे जीजाजी!
आधी रात के बाद वाली बात तो गाने की तुक भिड़ा कर कहा था" मैने अपने को
छुड़ाते हुए चमेली से कहा "पुंछ ली ना बुर चोदि! लगता है चुदवाने के लिए
तेरी बुर रात भर कुलबुलाती रही, ऐसा था तो यहीं रात में रुक क्यो नही
गयी"
फिर जीजाजी को चादर देती हुई बोली "चलिए गरम गरम गरम चाय पिया जाय"
चादर लपेट कर जीजा जी उठे और बाथरूम मेजाकर पायजामा एवम् शर्ट पहन कर
बाहर आ कर हम लोंगों के साथ चाय पी फिर जीजाजी चमेली से बोले "ज़रा ज़रा
एक सिगरेट तो सुलगा कर देना" चमेली ने एक सिगरेट अपने मूह में लगा कर
सुलगया फिर कपरे के उपर से ही बुर के पास ले गयी और जीजा जी के ओठों मे
लगा दिया. हम सब हंस परे. जीजाजी सिगरेट लेकर यह कहते हुए बाथरूम
में घुस गये, "मुझे 10 बजे ऑफीस पहुचना है, 2 बजे तक लौट आउन्गा"
मैं समझ गयी की जीजाजी के पास इस समय हमलोगो से बात करने के लिए समय
नही है. तभी मॅमी का कॉल बेल बज उठा. हम नीचे आ गये.
मेरी मॅमी बहुत कम ही सीढ़ी चढ़ कर उपर आती हैं, उन्हे एक अटॅक पड़
चुक्का है. उन्होने नीचे से मेरे कमरे में एक कॉलिंग बेल लगवा दिया है कि
जब उन्हे ज़रूरत हो मुझे उपर से बुला लें.
9 बजे जीजाजी तैयार होकर उपर से नीचे उतरे और नस्ता कर ऑफीस चले गये.
दो बजे के करीब वे ऑफीस से लौटे और खाना खाकर आराम करने उपर चले
गये. इस बीच चमेली आ गयी. साफ-सफाई करने के बाद वह यह कह कर चली
गयी कि वह 1 घंटे के बाद आ जाएगी उसका जाना इस लिए भी ज़रूरी था क्योकि
उसे आज कामिनी के यहाँ रुकना था. थोरी देर बाद मा भी एक घंटे में आने
के लिए कह कर बगल में चली गयीं. मैने चाय बनाई और उसे लेकर उपर आ
गयी. जीजाजी 2 घंटे आराम कर चुके थे. टी साइड टेबल पर रख कर उन्हे
जगाने के लिए जैसे ही चुके उन्होने मुझे अपने आगोस मे ले लिया. शायद वे जाग
चुके थे और मेरे आने का इंतजार कर रहे थे. मैने उन्हे चूमते हुए कहा,
"जीजाजी अब उठिए! चाय पी कर तैयार होइए. कामिनी का दो बार फोन आ चुका
है" जीजा जी उठे चाय हम्दोनो ने चाय पी. चाय पीने के बाद जीजा जी
सिगरेट पीते है इस लिए आज मैने एक सिगरत पकेट से निकाली और अपने मूह
में लगा कर जला दिया और एक काश लगाकर धुआँ (स्मोक) जीजाजी के चेहरे पर
उड़ा दिया फिर सिगरेट जीजाजी को देते हुए बोली, "आप कामिनी के यहाँ चलने के
लिए तैयार होइए, मैं भी अपने कमरे में तैयार होने जा रही हूँ" जीजाजी
बोले, "चल्लो मैं भी वही चलकर तैयार हो लूँगा" मैने सोचा चलो ठीक है
जीजाजी के मन पसंद कपरे पहन लूँगी फिर बोली, "अपने कपरे ले कर आइए
लेकिन कोई शतानी नही"
क्रमशः.........
बिना झान्टो वाली बुर पार्ट--3
gataank se aage....................
Jijaji mammy se bante karane lage aur mai kichen mein chali gayee. Jaldi jaldee
khana bana kar khane kee meja par laga diya aur humlogon ne khana khaya. Raat
khan eke baad mammy man-pasand serial dekane lageen. Jijaji thori der to TV
dekhate rahe phir yah kah kar upar chale gaye ki office ke kam se jyada bahar
rahne ke karan ve regular serial nahi dekh pate es liye unaka man serial dekhane
mein nahee lagata. Phir mujhase bole, "sudha! Koi nayee picture ka CD hai kya?"
beech mein hee mammy bol pari, "are! kal renuka (meree parosan) devadas kee CD
de gayee thi ja kar laga de. Han! Jijaji ko sone ke pahale doodh jarur pila
dena". Maine kaha, "jijaji aap upar chal kar kapara badaliye mai aati hun" aur
mai apana manpasand serial dekhane lagee.
Serial khatam hone par mummy apane kamare mein jate hue boli "to upar apane
kamare mein so jana aur jijaji ka khyal rakhna" mai CD aur doodh lekar pahale
apane kamare mein gayee aur sare kapare utar kar nighty pahan liya aur devadas
ko rakh kar dusari CD apane bhabhi ke kamare se nikal layee. Janati thi jijaji
Sali ke sath kya dekhna pasand kare ge. jab upar unake kamare mein gayee to
dekha jijaji so gaye hain. Dooth ko side table per rakh kar ek bar hila kar
jagaya jab ve nahi jage to unake bagal mein jakar leta gayee aur nighty ka batan
khol diya neeche kuchh bhee nahi pahne thi.. Ab meri choonchiya ajad thi. phir
thora utha kar maine apani ek choonchi kee nipple se jijaji ke otha sahlane lagi
aur ek hanth ko chadar ke andar dal kar unke land ko sahlane lagee. Unaka laura
sajag hone laga shayad use usaki pyari muniya ki mahak lag chuki thi. Ab meri
choonchi ki nipple jijaji ke much mein thi aur ve use choosane lage the.
Jijaji jag chuke the. Maine kaha, "jijaji doodh pi leejiye"
Ve chhootate hi bole, "pi to raha hun"
"Are! ye nahi kali bhais ka doodh, vo rakhi hai glass mein"
"jab gori Sali ka doodh peene ko mil raha hai to kali bhais ka dooth kyo piyun"
jijaji choonchi se muh alag kar bole aur phir use muh mein le liya. Maine kaha
"par isamein doodh kahan hai" yah kahte hue unake muh me se apanee choonchi
chhurakar uthi aur doodh ka glass utha layee aur unake muh mein laga diya.
Jijaji ne aadha glass piya aur glass lekar baki pine ke liye mere muh mein laga
diya. Maine muh se glass hatate hue kaha, "jijaji mai doodh pi kar aayee hun" es
beech doodh chhalak kar meri choonchiyon par gir gaya. Jijaji use apanr jeebh se
chatane lage. Main unase glass lekar apani choonchiyon par dhire-dhire doodh
girati rahi aur jijaji maja le-le kar use chatate gaye. Choonchi chatane se meri
bur mein sursuri hone lagee, is beech thora doodh heech bah kar meri choot tak
chala gaya. Jijaji ki jeebh doodh chatate-chatate neeche aa rahi thi aur mere
badan mein sansani fail rahi thi. Unake oth meri bur ke oth tak aa gaye aur
unhone use chatana shuru kar diya.
Maine jijaji ke sir ko pakar kar apani yoni aage kiya aur apane pair faila kar
apani bur chatavane lagee. Jijaji meri chootar ko dono hanth se pakar liya aur
meri bur ki teet (clitoric) ko jeebh se chatane lage aur kabhi choot ki gahrai
me jeebh thel dete. Main masti ki parakastha tak pahunch rahi thi aur uttejana
mein bol rahi thi, "oh! Jiju ye kya kar rahe ho ... Main masti se pagal ho rahi
hun.... oh rajjjjjaaaa chato .. aur.... andar jeeebhaaaa dal kar
chatoooo...bahut achchha lag raha hai ...aaj apanee jeebh se hi es bur ko chod
doo... Oh...ohhhhhhh ahhhhhhh esssss"
jijaji ko mrei choot ke madak khusabu ne unhe madmast banaa diya aur ve bari
tallinata se meri bur ke ras (sudharas) ka raspan kar rahe the.
Jijaji meri choot par se muh hataye bina mujhe khinch kar palang par baitha diya
aur khud jameen par baith gaye. Meri jangho ko faila kar apane kandhon par rakh
liya aur mere bhagosthon ko apani jeebh se chatane lage. Main masti se sihar
rahi thi aur chootar aage sarka kar apnni ghoot ko jiju ke muh se sata diya. Ab
meri chootar palang se bahar hava mein jhool rahi thi aur meri makhamali janghon
ka dabav jijaji ke kandhon per tha. Jijaji apani jeebh meri bur mein ghusa diya
aur bur ke androoni deevar ko sahlane lage. Main masti ke anajane par adbhut
anand ke sagar mein gote lagane lagi aur apani chootar utha-utha kar apani choot
jijaji ke jeebh par dabane lagi.
"Oh raja! Esi tarah choosate aur chatate raho ..bahut ..achchha lag raha hai
....jeebh ko andar bahar karo na...hai .. tum hi to mere chudakkar saiya
ho....oh raja bahut tarapi hoon chudane ke liye... Ab sari kasar nikal
lungi....ohhhhhh rajjjjaaaa chodoooo meri chooooot ko apani jeeebh se...."
iijaji ko bhi pura josh aa gaya aur meri choot main jaldi-jaldi jeebh
andar-bahar karte hue use chodane lage. Main jor-jor se kamar utha kar jijaji ke
jeebh ko apani bur mein le rahi thi. Jijaji ko bhi es chudai ka maja aane laga.
Jijaji apani jeebh kari kar ke sthir kar lee aur sir ko aage-pichhe kar ke meri
choot chodane lage. Mera maja dugana ho gaya.
Apane chootaron ko uthate hue boli, " aur jor se jijaji... Aur jooooor se hai...
mere pyare jijaji ... Aaj se main tumhari mashooka ho gayee...esi tarh jindagee
bhar chudaun gee....ohhhhhhhh maaaaaaaaaa ohhhh ..uiiiiiii maaaaa" mai ab jharne
wali thi. Main jor-jor se siskari lete hue apani choot jiju ke chehare par ragar
rahi thi. Jiju bhi puri teji se jeebh laplapa kar meri choot puri tarah se chat
rahe the. Apani jeebh meri choot mein puri tarah andar dalkar ve hilane lage.
Jab unaki jeebh meri bhagnasa se takarai to mera bandh tut gaya aur jijaji ke
chehare ko apani janghon me jakar kar maine apani choot jiju ke muh se chipaka
diya. Mera pani bahane laga aur jijaji mere bhagosthon ko apane muh mein daba
kar javani ka amrit 'sudharas' peene lage.
Isake bad main palang par let gayee. Jeejaji uthkar mere bagal me aa gaye. Maine
unhe choomate hue kaha, "jijaji! aise hi aap didi ki bur bhi choosate hain"
"han! Par itana nahi. 69 ke samaya choosata hun par use chudane me jyada maja
milata hai" maine jijaji ke laund ko apane hanth mein le liya. Jijaji ka lund
lohe kee rod kee tarah sakht aur apane pure aakar mein khara tha. Dekhane me
etana sundar aur achha lag raha tha ki use pyar karne ka maan hone laga, supare
ke chhote se oth par preecum kee bund chamak rahi thi. Maine uspar ek-do bar
upar-neeche hanth fera, usane hil-hil kar mujhase meri muniya ke pas jane ka
anurodh kiya. Mai kya karati, muniya bhi use pane ke liye bekarar thi. Maine use
choom kar manane kee koshish kee lekin vah muniya se milane ke liye bekarar tha.
Ant mein main sidhe let gayee aur use muniya se milane ke liye ijajat de dee.
Jijaji mere upar aa gaye aur ek jhtake me meri bur mein apana pura lund ghusa
diya. Main neeche se kamar utha kar un dono ko apas me milane me sahayog dene
lagi. Dono es samay es prakar mil rahe the mano ve baraso bad mile ho. Jijaji
kas-kas kar dhakke laga rahe the aur meri bur niche se unaka javab de rahi thi.
ghamasan chudai chal rahi thi.
Lagabhag 15-20 minat ki chudayee ke bad meri bur harane lagee to maine gande
shabdon ko bol kar jiju ko lalkara, "jijaji aap bare chudakkar hain.. chodo
rajaaaaa chadoooo .. meri bur bhi kam nahi hai.... kas-kas kar dhakke maro mere
chudakkar rajaaaaaa, phar do es sali bur kooooooo, jo har samay chudane ke liye
bechain rahati hai.. bur ko phar kar apane madanaras se ise sinch
dooooooo....ohhhhh maaaaa oh mere raja bahut achchha lag raha hai
...chodo..chodo...chodo ..aur choddoooo, raja sath-sath girana...ohhhhh
haiiiiiiiiii aa jao ... Mere chodu sanam....hai ab nahi ruk paungeee ohhhhh mai
.. mai..gayeeeeeeeeeeeeeeeee." Edhar jijaji kas kas kar dochar dhakke lagakar
sath-sath jhar gaye. Sachmuch es chudai se meri muniya bahut khus thi kyo kee
use laura chusane aur pyar karane ka bharpoor sukh mila.
Kuch der bad jijaji mere upar se hat kar mere bagal mein aa gaye. Unake hanth
meri choonchiyon, chootar ko sahalate rahe main unake seene se kuchh der lag kar
apane sanso par kabu prapt kar liya. Maine jijaji ko chherate hue punchha,
"devadas laga dun?"
"aare! Achchha yad dilaya jab kamini aye thi to us samay mai us picture ko nahi
dekh paya tha, ab laga do" jijaji meri choonchi ko dabate hue bole.
"na baba! Us CD ko lagane ki meri ab himmat nahi hai, use dekh kar yah manega
kya?" mai unake laure ko pakar kar boli. "Apa bhi kamal ke aadami hai sex se
thakate hi nahi. Apako dekhana hai to laga deti hun par mai apane kamare mein
sone chali jaungee"
"oh meri pyari Sali! Bas dhori der dekh lene do, mai vada karata hun mai kuch
nahi karunga, kyon ki mai bhi thak gaya hun" jijaji mujhe rokate hue bole.
Maine CD laga kar TV on kar diya. Maine nighty pahan liya aur unake bagal mein
baith kar picture dekhane lagi. Shuruaat mein lesbian seen the, do larkiya
nangee ho kar ek-dusare ko chaat choom rahi thi.ek laraki dusare laraki ki bur
ko choosane lagee.mai dhyan se film dekh rahi thi. Mere hanth anjane hi bur tak
pahunch gaye, tabhi jijaji ne meri kamar par hanth dalkar khicha to maine apane
badan ko dhila chhor diya aur unaki goud mein adhaleti ho gayee. Jijaji meri
nighty khol kar meri choonchiyon se khelate hue picture dekhane lage. Main bhi
apani nighty hta kae apani bur sahalane lagee. Screen par ab dono larkiyan 69 ki
position mein thin aur ek dusare ki bur ko chat rahi thin jise camara angil
badal badal kar dikh raha tha. Jijaji ka lund betab ho raha tha jise maine thra
position badal kar apani chutar mein daba liya aur dhire dhire aage pichhe
karane lagi.
Tabhi screen par ek mard aaya. Dono larkiyon ko es halat mein dekh kar jhatpat
nanga ho gaya aur land chuawane ke bad ek laraki ke bur mein apana lamba lund
ghusa kar chodane laga. Usaka land bhi jijaji ki tarah lamba tha par shayed mota
kam tha. Dusari laraki jo abhi bhi pahali larki ke neeche thi aadami ke andon ko
jibha se chat rahi thi.
Mai dhire dhire garm hone lagi mine jijaji se kaha, "aao raja! Ab andar dal kar
picture dekha jaye"
"bad mein mujhse kuch na kahna" kahakar jijaji ne apana lund bur ke andar kar
diya. Es tarah bur mein lund lekar dhire dhire aage peeche hote hue ham dono
picture ka maja lene lage.
Screen par adami kbhi upar to kabhi neeche aakar chudayee kar raha tha aur
dusari laraki kbhi apani choonchi chuswati to kabhi bur. Mujhase ab raha nahi
jar aha tha maine jijaji ke paron ko palang ke neeche kiya aur unaki taraf peeth
kar laure ko bur mein dalkar unaki goad mein baith gayee aur picture dekhte hue
chudai karne lagee. Ek hanth se jijaji meri choonchi daba rahe the aur dusare
hanth se miri bur ki teet sahla rahe the. Es tarah hamlog picture ki chudai dekh
rahe the aur khud bhi chudai kar rahe the.
Screen par vah adami ek ko chod kar leta tha aur ab dusari ki chudai ki tayaree
kar raha tha. Dusari aurat uthi aur aadami ki tarf muh kar usakr laure ko apani
bur mein dalkar batha gayee ab ve dono bath kar chudai kar rahe the. Mujhe laga
is tarh se chudai karane me laura bur ke andar thik se jayega aur mai paltee aur
jijaji ke dono oor pair kar unake lund ko apane bur mein lekar chudai karane
lagee. Mejhe ab picture dikh nahi rahi thi par ab use dekhane ki parvah bhi nahi
rah gayee aur hamlog apani chudai mei mashgool ho gaye. Jijaji meri choonchiyon
ko dabate hue neeche se chootar uchhal kar apane lund ko meri bur mein gahari
tak pahuncha rahe the aur pain picture wali larki ki tarah uchhal-uchhal kar
cudai mein sanlagna thi.. pictue dekh kar jijaji mujhe dusare asan se chudai
karane lage ab main dogee style me thi. Jijaji kabhi upar ate kabhi mujhe upar
kar mujhase chodane ke liye kahte is tarah hamlogon ne jab tak picture chalati
rahi mejhe tarh tarh se chodate rahe aur ve meri bur mein ek bar phir se khalas
hue. Main jijaji ke neeche kuch der pari rahi phi jeejaji mere bagal mein aa
gaye.
Jijaji ne phir utha kar mere bur ko saf kiya aur bina balon vali bur ko choom
kar bole, "oh! meri pyari Sali, es bur par jhante na hone ka raja ab to bata do"
Main boli jeeja jee aaj kai bar chud kar bahut thak gayee hun. Ab mai apane
kamare mein sone ja rahi hun, baki bante kal"
jijaji bole, "yahi so jao"
maine kaha, " yahan sona katare se khali nahi hai, mai tumhari ghar wali to hun
nahi, ki koi dekh ya jan lega to kuchh nagi kahega"
"lekin adhi gharwali to ho"
"lekin aap ne to puri gharwali bana liya, chod chod kar bur ka bhurtalla bana
diya"
"please thora aur ruko na, wo raj bata kar chali jana" jijaji minnat karane wale
lahaje mein bole.
"kal bata dungee, mai koi bhagee to ja nahi rahi hun.. achha to ab chalati hon"
"phir kab milogee" "adhi rat ke bad...., ta.. ta.. bye.. bye..."
shubah jab Chameli ne mujhe jagaya to 7 baj chuke the. Chameli muskarate hue
boli, "tumhari aur jijaji ki chaye layi hun. Lagata hai jijaji se bhut raat tak
khat kabaddi kheli ho" "han re! raat jijaji mujhe chhor hi nahi rahe the, bari
mushkil se apane kamare mein sone aa payee" sach didi! Kitani bar liya" "yahi
kareeb 10-12 bar" "Didi majak mat kariye sach-sach bataye na, mai raat bhar
chudai ke bare me sonch-sonch kar theek se so nahi pai" maine usaki bari bari
choonchiyon ko dabate hue kaha, "achcha meri banno! chud mai rahi thi aur maja
tum le rahi thi, chal! Jijaji ke kamare mein chaye piti hon"
Main uthi kapare aur bal thik kiye aur Chameli ke sath chaye lekar jijaji ke
kamare mein aa gayee, jijaji gahari neend mein so rahe the. Chay side table par
rakhakar Chameli ne dhire se chadar khinch jijaji nange hi so rahe the, unaka
laura bhi so raha tha" Chameli dhire se boli, "didi dekho na kaisa sust sust
para hai" maine unake gal par geela chumban liya aur ve jag gaye,unhone mujhe
apani bahon mein samet liya. Chameli chahaki, " vah jijaji! Rat bhar didi ki
chudai kar nange hi so gaye" "aare raat bhar kahan umhari didi to ek hi bar mein
past ho bhag gayee aadhi rat ke bad ka vada karke.. par aayee ab" " are jijaji!
Aadhi raat ke bad wali bat to gane ki tuk bhira kar kaha tha" maine apane ko
chhurate hue Chameli se kaha "punch lee na bur chodi! Lagata hai chudane ke liye
teri bur raat bhar kulbulati rahi, aisa tha to yahin raat mein ruk kyo nahi
gayee"
Phir jijaji ko chadar deti hui boli "chliye garam garam garam chaye piya jay"
Chader lapt kar jija ji uthe aur bathroom mejakar paijama evm shart pahan kar
bahar aa kar ham longon ke sath chaye pee phir jijaji Chameli se bole "jara jara
ek sigarette to sulga kar dena" Chameli ne ek sigarette apane muh mein laga kar
sulgaya phir kapare ke upar se hi bur ke paas le gayee aur jija ji ke othon me
laga diya. Ham sab hans pare. Jijaji sigarette lekar yah kahate hue bathroom
mein ghus gaye, "Mujhe 10 baje office pahuchana hai, 2 baje tak laut aaungaa"
Main samajha gaye ki jijaji ke pas is samay hamlogo se bat karane ke liye samay
nahi hai. tabhi mammy ka call bell baj utha. Ham neeche aa gaye.
meri mammy bahut kam hi seerhi charh kar upar aati hain, unhe ek attack par
chukka hai. Unhone neeche se mere kamare mein ek calling bell lagava diya hai ki
jab unhe jaroorat ho mujhe upar se bula len.
9 baje jijaji tayar hokar upar se neeche utare aur nasta kar office chale gaye.
Doo baje ke kareeb ve office se laute aur khana khakar aram karane upar chale
gaye. Es beech Chameli aa gayee. Saf-safai karane ke baad vah yah kah kar chali
gayee ki vah 1 ghante ke baad aa jayegee usaka jana is liye bhi jaruri tha kyoki
use aaj Kamini ke yahan rukana tha. Thori der baad maa bhi ek ghante mein aane
ke liye kah kar bagal mein chali gayeen. Mine chay banaya aur use lekar upar aa
gayee. Jijaji 2 ghante araam kar chuke the. Tee side table par rakh kar unhe
jagane ke liye jase hi chhuki unhone mujhe apane agose me le liya. Shayed ve jag
chuke the aur mere ane ka intajar kar rahe the. Main unhe chumate hue kaha,
"jijaji ab uthiye! Chay pee kar tayar hoiye. Kamini ka do bar phone aa chuka
hai" jija ji uthe chaye hamdono ne chay pee. Chay peene ke baad jeeja ji
sigarette pite hai es liye aaj maine ek sigaratte paket se nikali aura pane muh
mein laga kar jala diya aur ek kash lagakar dhuan (smoke) jijaji ke chehare par
ura diya phir sigarette jijaji ko dete hue boli, "aap Kamini ke yahan chalane ke
liye tayar hoiye, main bhi apane kamare mein tayar hone jaa rahi hun" jijaji
bole, "challo main bhi vahi chalkar tayar ho lunga" maine socha chalo thik hai
jijaji ke man pasand kapare pahan lungee phir boli, "Apane kapare le kar aayiye
lekin koi shatani nahi"
kramashah.........
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