Friday, December 10, 2010

हिंदी सेक्सी कहानियाँ शाही महल की असलियत



हिंदी सेक्सी कहानियाँ
शाही  महल की असलियत

ठाकुर भीम परताप के शाही महल में उसका राज था और महल की
दीवार के पीच्छे सब कुच्छ दुनिया से राज़ रहता था. सभी लोग उस से
डरते थे लेकिन असलियत कुच्छ और ही थी. उसकी की उमर अब 30 साल
की हो चुकी थी और उसकी पत्नी की उमर अभी 20 साल की है. भीम
परताप बहुत संपाति का मालिक है और बहुत से नौकर चाकर हैं
उसके महल में. ठाकुर की मा जानती थी कि वो औरत के काबिल नहीं
था लेकिन दुनिया को क्या कहा जाए? उसने अपने बेटे की शादी अपने भाई
की लड़की मीठा के साथ दुनिया को दिखाने के लिए कर थी. भीम
परताप गोरा चिटा जनाना किस्म का मर्द था जिसके मूह पर बाल नहीं
थे और जिस्म भी बिल्कुल गुदगुड्डा. उसकी छाती औरतों जैसी कोमल,
गांद गदराई हुई और पूरा बदन बिन बालों के. बस सिर पर घुँगरले
बाल थे उसके. दिखने में बहुत सुंदर.


सुहागरात को उसने शरमाते हुए अपनी बीवी से कहा," मीठा, मेरी रानी
बात ये है कि मैं नमार्द हूँ और तेरी तस्सली नहीं कर सकता.
मुझे माफ़ कर दो. मेरी नमार्दानगी का राज़ क़िस्सी पर ज़ाहिर मत करना
वरना मुझे लोग बदनाम कर देंगे." मीठा हैरानी से अपने पति को
देखने लगी और उसकी बात का महत्व समझने की कोशिश करने लगी."
मेरा लंड बहुत छ्होटा है और पूरी तरह खड़ा भी नहीं होता. मेरी
रानी मुझे माफ़ कर देना." मीठा कुच्छ वक्त सोचती रही. उसने शादी
और सुहागरात के केयी सपने सज़ा रखे थे कि किस तरह उसका मर्द
पति उसकी चूत की सील तोड़े गा. कैसे उसकी चीखें निकलवा दे गा
और अपने लंड की ताक़त से उसको मा बना देगा. लेकिन ये किया हुआ?
ठाकुर भीम परताप तो साला नमार्द निकला.

मीठा के बदन की आग भड़क उठी और ना-उमीद हो कर अपने आप को
कोसने लगी और बोल उठी," मेरे मालिक, मेरे पति परमेश्वर, मैं आपकी
दासी हूँ, आपकी बात समझती हूँ. पर मुझे भी बताइए कि मेरी
चूत की आग कैसे बुझे गी. मेरी चूत को लंड चाहिए जो आपके पास
नहीं है. मुझे मा कौन बनाए गा? क्या मेरी चूत जवानी की आग में
यूँ ही जलती रहे गी? क्या मेरी कोख सूनी रहे गी? ये तो एक अबला नारी
पर ज़ुलाम हुआ ना. हमारा वंश आगे कैसे बढ़े गा? आप मेरी जवानी को
स्पर्श कर के तो देखो, शायद आपके लंड में जान पड़ जाए. आप
कुच्छ करने की कोशिश तो करें वरना इस शादी का कोई मतलब नहीं
रहे गा. मेरा पहाड़ जैसा जीवन कैसे कटेगा?"

ठाकुर भीम परताप ने कुछ सोच कर कहा" मीठा, मेरी रानी, अगर तेरा
कोई यार या रिश्तेदार है, हम उसको महल में रख सकते हैं. तुम
अपनी चूत को किसी तरह ठंडा रख लो, चुदवा लो, हमको कोई एतराज़
नहीं हो गा. हम को तो खुशी हो गी और हम उस नौजवान के अभारी
होंगे जो तुझे हमारी जगह चोद कर तेरी कोख भर दे. मेरी मीठा
रानी को मा बना दे और दुनिया की नज़र में हमको बाप बना दे. मैं
बहुत खुश नसीब हूँगा अगर तेरा कोई यार है शादी से पहले का.
तुमको अगर दो या दो से अधिक मर्दों की ज़रूरत है तो भी मुझे एतराज़
ना होगा. पर मेरी एक ही बिनति है की क़िस्सी को मेरा राज़ मत बताना.
मैं तेरे पैर पड़ता हूँ. मैं दुनिया की नज़र में तेरा पति लेकिन
असल में तेरा भाई बन कर ज़िंदगी बिता दूँगा" ठाकुर भीम परताप
अपनी पत्नी के पैरों पर गिर पड़ा.

मीठा बहुत चुड़क्कड़ औरत थी. उसकी सारी उमीदें पूरी होती दिखाई
पड़ रही थी. शादी से पहले वो कई मर्दों के नीचे पड़ कर चुद
चुकी थी और उसका सब से बड़ा चोदु यार तो उसका अपना सगा भाई
वीर परताप था जो उसको हमेशा अपने लंड से चोद्ता आ रहा था. वीर
परताप ने ही उसकी सील को तोड़ कर कली से फूल बनाया था." पति देव
आप जो कहें गे मैं मानूँगी मेर राजा. आप मेरे भाई वीर को यहाँ
बुला दें तो आप की मेहरबानी होगी. मैं अपने भाई के प्यार के सहारे
जीवन बिता लूँ गी. वैसे महल में यहाँ नौकर तो होंगे जिनको मैं
कभी कभी इस्तेमाल कर सकती हूँ?" ठाकुर भीम परताप को अपनी पत्नी
की बात अच्छी लगी और खुश हो कर उन्होने मीठा को गले लगा लिया.
मीठा ने महसूस किया कि उसका जिस्म उतना ही नरम और गुदाज़ था जितना
की उसके पति का.

वीर परताप का मन नहीं लग रहा था जब से उसकी प्यारी बहना की
शादी उसके बुआ के बेटे ठाकुर भीम परताप से हुई थी. वो शादी के
पक्ष में नहीं था लेकिन ठाकुर भीम परताप की दौलत और ताक़त को
देख कर ना नहीं कर सकता था. अपनी बेहन मीठा के जवान जिस्म का
आनंद जो उसने उठाया था, अब उसके लंड को तडपा रहा था. अपनी मीठा
को याद कर के कई बार मूठ मार चुका था. उसकी मा रुक्मणी को भी
अपने बेटे के दुख का पता था इस लिए वो भी उदास थी. ठाकुर ने जब
इन्विटेशन भिजवाया तो वीर परताप का मन उच्छल पड़ा. वीर परताप मन
ही मन कामना कर रहा था कि उसकी चुड़क्कड़ बेहन उसको अपने पास बुला
ले और वो अपनी बेहन को चोद सके.

वीर परताप को जब पूरी खबर का पता चला तो उसका मन बाग बाग हो
उठा और लंड खुशी से खड़ा हो गया. मीठा को अकेले पा कर वीर
परताप अपनी बेहन पर टूट पड़ा. मीठा की भारी भारी चुचि को
बेदर्दी से मसल्ने लगा और उसके होंठों को चूमने लगा," ओह्ह्ह्ह मेरे
वीर, ज़रा सबर करो मेरे वीर(वीर पंजाबी में भाई को कहते हैं)
तेरी बेहन अब से तेरी है. मेरा पति मुझे नहीं चोद सकता. मेरे वीर
तू ही मेरा पति है, मेरे राजा भैया. अगर तू कहे तो तेरी बहना तेरे
जीज़्जा के सामने चुदवा सकती है. तेरी बहन तुझे अपना पति और अपने
पति को अपना भाई का दर्जा दिला सकती है. अब हम भाई बेहन इस महल
की चारदीवारी में पति पत्नी बन के रह सकते हैं मेरे भैया. जल्द
बाज़ी का कोई फ़ायदा नहीं. तुम महल में खूब मज़े करना. जिसको चाहो
चोद लेना. मैं तेरे लिए रात को अपने सुहागरात वाले बिस्तर पर
टाँगें चौड़ी कर के इंतज़ार करूँगी,"

वीर परताप को सपने में भी ऐसी उमीद नहीं थी. वो अपनी बेहन के
कमरे में दाखिल हुआ तो मीठा अकेली थी. रेशमी सारी में लिपटी
उसकी बेहन एक अप्सरा दिख रही थी. अपने भाई को देख कर भागती हुई
उसकी बाहों में चली गयी और वीर ने उसको चूमना शुरू कर दिया.
बेचैन हाथ मीठा के बेचैन जिस्म पर फिरने लगे, होंठों से होंठ
किस करने लगे. वीर का लंड अकड़ कर अपनी बेहन की चूत के अंदर
जाने की कोशिश करने लगा. आपने भाई के लंड की प्यासी चूत व्याकुल
हो कर पानी छ्चोड़ने लगी और चुदासी बेहन ने अपनी जंघें अपने भाई
के लंड के स्वागत में चौड़ी कर दी," ओह्ह्ह भैया कैसे तड़प रही
थी मैं तेरे प्यार में मेरे भैया, मुझे अपनी बाहों में भर लो.
अब हमको कोई अलग नहीं कर सकता. तेरी बहन की चूत तेरे लिए सदा
के लिए हाज़िर है मेरे भाई,"

वीर परताप ने अपनी बेहन के ब्लाउस को उतार दिया और उसकी नंगी
चुचि को मूह में ले कर किस करने लगा. मीठा की कातिल गदराई
चुचि कब से अपने भाई के होंठों को तरस रही थी. भाई ने एक
हाथ अपनी बेहन की फूली हुई चूत पर फेरा और दूसरा उसकी गदराई
गांद पर." मीठा मेरी बेहन, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा कि ये सब
कैसे संभव हो सकता है. मैं तो तेरी याद में पागल हो चुका
हूँ. मैं अपनी बेहन के बदन की खुश्बू के बिना नहीं रह सकता.
अगर भीम परताप दौलत-मंद और ताकतवर नहीं होता तो मैं अपनी इतनी
सुंदर बेहन की शादी उसके साथ कभी ना करता. वीर परताप अपनी
लाडली बेहन की शादी क़िस्सी से ना होने देता, मेरी मीठा सिर्फ़ मेरी ही
रहती. तेरी चूत की महक मुझे ज़िंदा रखती है मेरी बहना."

मीठा ने अपने भाई के लंड को पकड़ कर अपने हाथ से खेलते हुए
कहा," मेरे भाई, मेरे चोदु यार अब तू जिसस वक्त चाहे मुझे चोद
सकता है. हम भाई बेहन की लॉटरी निकल आई मेरे राजा भैया.
ठाकुर भीम परताप साला नमार्द है और उसने मुझे क़िस्सी से भी
चुदवाने की इजाज़त दे रखी है. मेरे अपने भाई से अच्छा मुझे कौन
यार मिलेगा. तू मेरे घर में जब चाहे जैसे चाहे चोदना मेरे
भैया." मीठा ने बे-जीझक हो कर अपने भाई के पाजामे के उप्पेर से
उसस्का लंड पकड़ लिया और मसल्ने लगी." चूस ले मेरी बहना मेरा लंड
कब से प्यासा है तेरे होंठों का, तेरी ज़ुबान का. चूस मेरी रंडी
बहना अपने भाई के लंड को. "

कुच्छ देर में दोनो नंगे हो गये. मीठा की सारी और वीर का पाजामा
ज़मीन पर जा गिरे. वीर की ज़ुबान अपनी बेहन की चूत की फांकों के
बीच से उसके गुलाबी दाने को चाटने लगी. चुड़ैल बेहन ने अपनी टाँगें
और चौड़ा ली," आह भैया मेरी चूत को जन्नत मिल गयी तेरी ज़ुबान
से. चाट मेरी चूत का अमृत मेरे भाई. तेरी बेहन की चूत तेरे लिए
खुली पड़ी है, चूम ले इसको, चाट ले. पेल दो अपनी जीभ मेरी चूत
में मेरे भैया. पी लो मेरी चूत का रस मेरे भैया." मीठा कराहती
हुई बोली और वीर मज़े लेकर चूत चुंबन करने लगा. उसने अपनी
बेहन के गोरे गोरे चूतड़ अपने हाथों में जाकड़ रखे थे और उसकी
एक उंगली उसकी बेहन की गांद से खिलवाड़ करने लगी और मीठा उतेज्ना
वश पागल होने लगी.

वीर ने फिर मीठा को उठाया और उसका गदराया नंगा जिस्म पलंग पर
रख दिया. उसस्की बेहन का मूह खुला था और उसने अपना खड़ा लंड अपनी
बेहन के होंठों पर रख दिया. लंड की प्यासी बेहन ने अपने भाई के
अंडकोष को स्पर्श किया, लंड के आस पास बालों में उंगली फेरी और
सूपड़ा मूह में ले कर चाटना शुरू कर दिया. भाई के लंड से रस की
एक बूँद निकली जिसको बेहन ने परसाद समझ कर चाट लिया. वीर
परताप पर अब हैवानी नशा चढ़ चुका था और उसको मीठा एक चुदास
रंडी के इलावा और कुच्छ नहीं लग रही थी. अपनी बेहन का चेहरा कस
के पकड़ कर उसने अपना लंड पूरा उसस्के प्यासे मूह में पेल दिया और
रंडी बेहन ने उसको पूरा निगल लिया. मीठा ने भी भैया की गांद को
पकड़ कर लंड मूह में ले कर चूसना शुरू कर दिया और वीर ज़ोर से
अपनी गांद आगे पीछे करने लगा, जैसे किसी चूत को चोद रहा
हो.

वीर ने अपनी बेहन की चुचि को मसला और एक हाथ चूत पर फेरा.
"मीठा, मेरी बेहन अब चोद लेने दो मुझे, मेरा लंड बेचैन हो रहा
है तेरी चूत में घुसने के लिए, मेरी बहना अब मेरे लंड को मूह से
आज़ाद कर दो ता की मैं तुझे अच्छी तरह चोद सकूँ. खोल दे अपनी
जंघें मेरी बेहन. मेरा लंड तेरी चूत में जाने को तैयार है रानी.
तेरी गुलाबी चूत मेरे लंड को बुला रही है." मीठा ने लंड मूह से
निकाला और टाँगें खोल दी. भाई ने बेहन की चूत को प्यार से थपकी
मारी और सूपड़ा मुहाने पर रख कर धक्का मार दिया. चूत रस की
चिकनाई से लंड सरसरता हुआ चूत की गहराई में चला गया,"
ओह्ह्ह्ह मेरे बेह्न्चोद भैया, पेल दो पूरा लोड्‍ा मेरी चूत में, मेरे
राजा बहुत दिनो के बाद ऐसा आनंद मिला है तेरी बेहन की चूत को.
पेल दो अपना विशाल लंड मेरी प्यासी चूत में. आह्ह्ह्ह मदेर्चोद मेरी
चूत फूल गयी है तेरे मोटे लंड से ज़ोर से चोद मेरे राजा, मेरे
पति,"

बेहन तेज़ी से चूतड़ उच्छल रही थी और भाई चोद रहा था. जब वीर
का लंड अपनी बेहन की चूत की जड़ में जाता तो फ़च की आवाज़ आती.
मीठा ने अपनी जंघें कस के भैया की कमर पर बाँध दी थी. "
मीठा क्यो ना अब तुम चौपाया हो जाओ, मैं तुझे झुका हुआ देखना
चाहता हूँ. मुझे तेरी गांद बहुत अच्छी लगती है. अपने भाई को
सवारी कर लेने दे थोड़ी देर, मेरी प्यारी बहना," मीठा ने अपना जिस्म
ढीला छ्चोड़ दिया और फिर पलंग से नीचे उत्तर कर घोड़ी की तरह
पलंग को पकड़ कर अपनी गांद उठा कर भाई के आगे झुक गयी.

वीर ने अपनी बेहन के मस्त चूतड़ च्छू लिए और फिर अपना लंड उसके
चूतड़ की दरार से अंदर करता हुआ चूत में डाल दिया," अहह
बहना बहुत टाइट हो जाती है तेरी चूत जब तेरा भाई तुझे घोड़ी
बनाता है. मेरी बेहन बहुत कामुक दिखती है मेरे आगे झुकी हुई.
कितनी प्यारी है तू मेरी जान." मीठा भी मस्ती की चर्म सीमा पर
पहुँच चुकी थी. उसको भी झुक कर चुदवाने वाला आसान बहुत अच्छा
लगता था. ये आसान बताता था उसको कि वो मर्द के आगे एक सवारी से
अधिक कुच्छ नहीं, मर्द की घोड़ी है, उसकी कुतिया है." मैं अपने
भाई की कुतिया हूँ," उसके दिमाग़ ने आवाज़ दी" लेकिन भैया की कुतिया
बन कर क्या मज़ा मिलता है,"

" भैया तेरी बहना चुद चुकी है तेरे लंड से, मैं झाड़ रही हूं.
अपना लावा उतार दो अपनी बहन की चूत में. तेरे लंड के रस की प्यासी
है मेरी चूत, अपने रस की एक एक बूँद निचोड़ दो अपनी बहन में.
मुझे अपने बच्चे की मा बना दो मेरे भैया," वीर ने धक्के बहुत तेज़
कर दिया और उसका लंड भी गरम लावा उगलने लगा. एक के बाद एक
पिचकारी उसकी बेहन की चूत को भरने लगी और मीठा संतुष्ट हो कर
पलंग पर गिर पड़ी और उसके अप्पर उसका भाई ढेर हो गया. जब
ठाकुर भीम परताप कमरे में दाखिल हुआ तो अपनी बीवी और साले को
नंगा देख कर बहुत खुश हुआ. हाथ बढ़ा कर उसने वीर परताप के
लंड को स्पर्श किया और फिर दूसरे कमरे में जा कर सो गया.
समाप्त..............


Thakur Bhim Partap ke shahi mahal mein usska raj tha aur mahal ki
diwar ke peechhey sab kuchh duniya se raaz rehta tha. Sabhi lon uss se
darte thay lekin asaliyat kuchh aur hi thee. Usski ki umar ab 30 saal
ki ho chuki thee aur usski aptni ki umar abhi 20 saal ki hai. Bhim
Partap bahut sampati ka malik hai aur bahut se naukar chakar hain
usske mahal mein. Thakur ki maa janti thee ki vo aurat ke kabil nahin
tha lekin duniya ko kia kaha jaye? Ussne apne bete ki shadi apne bhai
ki ladki Mitha ke saath duniya ko dikhane ke liye kar thee. Bhim
Partap gora chitta janana kism ka mard tha jisske muh par baal nahin
thay aur jism bhi bilkul gudgudda. Usski chhati auraton jaisi komal,
gaand gadrayi hui aur pura badan bin balon ke. Bas sir par ghungrale
bal thay usske. Dikhne mein bahut sundar.


Suhagraat ko ussne sharmate huye apni biwi se kaha," Mitha, meri rani
baat ye hai ki main namard hoon aur teri tassali nahin kar sakta.
Mujhe maaf kar do. Meri namardangi ka raaz kissi par zahir mat karna
varna mujhe log badnam kar denge." Mitha hairani se apne pati ko
dekhne lagi aur usski baat ka mahatav samajhne ki koshish karne lagi."
Mera lund bahut chhota hai aur puri tarah khada bhi nahin hota. Meri
rani mujhe maaf kar dena." Mitha kuchh wakt sochti rahi. Ussne shadi
aur suhagraat ke kayi sapne saja rakhe thay ki kisss tarah usska mard
apti usski choot ki seal tode ga. Kaise usski cheekhen nikalwa de ga
aur apne lund ki takat se ussko maa bana dega. Lekin ye kiya hua?
Thakur Bhim Partap to sala namard nikla.

Mitha ke badan ki aag bhadak uthi aur na-umeed ho kar apne aap ko
kosne lagi aur bol uthi," Mere Malik, mee pati Parmeshwar, main aapki
daasi hoon, aapki baat samajhti hoon. Par mujhe bhi batayiye ki meri
choot ki aag kaise bujhe gi. Meri choot ko lund chahiye jo aapke pass
nahin hai. Mujhe maa kaun banaye ga? Kia meri choot jawani ki aag mein
yun hi jalti rahe gi? Kia meri kokh sooni rahe gi? Ye to ek abla naari
par zulam hua na. Hamara vansh aage kaise badhe ga? Aap meri jawani ko
sparsh kar ke to dekho, shayad aapke lund mein jaan pad jaye. Aap
kuchh karne ki koshish to karen varna iss shadi ka koi matlab nahin
rahe ga. Mera pahad jaisa jiwan kaise katega?"

Thakur Bhim Partap ne kuch soch kar kaha" Mitha, meri rani, agar tera
koi yaar ya rishtedar hai, hum ussko mahal mein rakh sakte hain. Tum
apni choot ko kissi tarah thanda rakh lo, chudwa lo, humko koi etraz
nahin ho ga. Hum ko to khushi ho gi aur hum uss naujwan ke abhari
honge jo tujhe hamari jagah chod kar teri kokh bhar de. Meri Mitha
rani ko maa bana de aur duniya ki nazar mein humko baap bana de. Main
bahut khush nasib hoonga agar tera koi yaar hai shadi se pehle ka.
Tumko agar do ya do se adhik mardon ki zarurat hai to bhi mujhe etraz
na hoga. Par meri ek hi binti hai ki kissi ko mera raaz mat batana.
Main tere pair padta hoon. Main duniya kinazar mein tera pati lekin
asal mein tera bhai ban kar zindagi bita doonga" Thakur Bhim Partap
apni patni ke pairon par gir pada.

Mitha bahut chudakad aurat thee. Usski sari umeeden puri hoti dikhayi
pad rahi thee. Shaadi se pehle vo kai mardon ke neechey pad kar chud
chuki thee aur usska sab se bada chodu yaar to usska apna saga bhai
Veer Partap tha jo ussko hamesha apne lund se chodta aa raha tha. Veer
Partap ne hi usski seal ko tod kar kali se phool banaya tha." Pati dev
aap jo kahen ge main maanoongi mer raja. Aap mere bhai Veer ko yahan
bula den to aap ki meharbani hogi. Main apne bhai ke pyar ke sahare
jiwan bita lun gi. Vaise mahal mein yahan naukar to honge jinko main
kabhi kabhi istemal kar sakti hoon?" Thakur Bhim Partap ko apni patni
ki baat achhi lagi aur khush ho kar unhone Mitha ko gale laga liya.
Mitha ne mehsoos kiya ki usska jism utna hi naram aur gudaz tha jitna
ki usske pati ka.

Veer Partap ka man nahin lag raha tha jab se usski pyari behna ki
shadi usske bua ke bete Thakur Bhim Partap se hui thee. Vo shadi ke
paksh mein nahin tha lekin Thakur Bhim Partap ki daulat aur takat ko
dekh kar na nahin kar sakta tha. Apni behan Mitha ke jawan jism ka
anand jo ussne uthaya tha, ab usske lund ko tadpa raha tha. Apni Mitha
ko yaad kar ke kai baar muth mar chuka tha. Usski maa Rukmani ko bhi
apne bete ke dukh ka pata tha iss liye vo bhi udas thee. Thakur ne jab
invitation bhijwaya to Veer Partap ka man uchhal pada. Veer Partap man
hi man kamna kar raha tha ki usski cudakad behan ussko apne pass bula
le aur vo apni behan ko chod sakey.

Veer Partap ko jab puri khabar ka pata chala to usska man bagh bagh ho
utha aur lund khushi se khada ho gaya. Mitha ko akele pa kar Veer
Partap apni behan par toot pada. Mitha ki bhari bahri chuchi ko
bedardi se masalne laga aur usske honthon ko chumne laga," Ohhhh mere
Veer, zara sabar karo mere Veer(Veer Punjabi mein Bhai ko kehte hain)
Teri behan ab se teri hai. Mera pati mujhe nahin chod sakta. Mere Veer
tu hi mera pati hai, mere raja bhaiya. Agar tu kahe to teri behna tere
jijja ke samne chudwa sakti hai. Teri behn tujhe apna pati aur apne
pati ko apna bhai ka darja dila sakti hai. Ab hum bhai behan iss mahal
ki chardiwari mein pati patni ban ke reh saktey hain mere bhaiya. Jald
bazi ka koi fayda nahin. Tum mahal mein khub maze karna. Jissko chao
chod lena. Main tere liye raat ko apne suhagraat wale bistar par
tangen chuadi kar ke intzar karungi,"

Veer Partap ko sapne mein bhi essi umeed nahin thee. Vo apni behan ke
kamre mein dakhil hua to Mitha akeli thee. Reshmi sari mein lipati
usski behan ek apsra dikh rahi thee. Apne bhai ko dekh kar bhagti hui
usski bahon mein chali gayi aur Veer ne ussko cumna shuru kar diya.
Bechain haath Mitha ke bechain jism par firne lage, honthon se honth
kiss karne lage. Veer ka lund akad kar apni behan ki choot ke andar
jane ki koshish karne laga. Aapne bhai ke lund ki pyasi choot vyakul
ho kar pani chhodne lagi aur chudasi behan ne apni janghen apne bhai
ke lund ke swagat mein chaudi kar dee," Ohhh bhaiya kaise tadap rahi
thee main tere pyar mein mere bhaiya, mujhe apni bahon mein bhar lo.
Ab humko koi alag nahin kar sakta. Teri behn ki choot tere liye sada
ke liye hazir hai mere bhai,"

Veer Partap ne apni behan ke blouse ko uttar diya aur usski nangi
chuchi ko muh mein le kar kiss karne laga. Mitha ki katil gadrayi
chuchi kab se apne bhai ke honthon ko taras rahi thee. Bhai ne ek
haath apni behan ki phuli hui choot par fera aur dusra usski gadrayi
gaand par." Mitha meri behan, mujhe to yakeen nahin ho raha ki ye sdab
kaise sambhav ho sakta hai. Main to teri yaad mein pagal ho chuka
hoon. Main apni beahn ke badan ki khushbu ke bina nahin reh sakta.
Agar Bhim Partap daulat-mand aur takatwar nahin hota to main apni itni
sundar behan ki shadi usske saath kabhi na karta. Veer Partap apni
laadli behan ki shadi kissi se na hone deta, meri Mitha sirf meri hi
rehti. Terri choot ki mehak mujhe zinda rakhti hai meri behna."

Mitha ne apne bhai ke lund ko pakad kar apne haath se khelte huye
kaha," Mere bhai, mere chodu yaar ab tu jiss wakt chahe mujhe chod
sakta hai. Hum bhai behan ki lottery nikal aayi mere raja bhaiya.
Thakur Bhim Partap sala namard hai aur ussne mujhe kissi se bhi
chudwane ki ijjazat de rakhi hai. Mere apne bhai se achha mujhe kaun
yaar milega. Tu mere ghar mein jab chahe jaise chahe chodna mere
bhaiya." Mitha ne be-jijhak ho kar apne bhai ke pajame ke upper se
usska lund pakad liya aur masalne lagi." Choos le meri behna mera lund
kab se pyasa hai tere honthon ka, teri zuban ka. Choos meri randi
behna apne bhai ke lund ko. "

Kuchh der mein dono nange ho gaye. Mitha ki sari aur Veer ka pajama
zameen par ja gire. Veer ki zuban apni behan ki choot ki phankon ke
beech se usske gulabi daae ko chatne lagi. Chudai behan ne apni tangen
aur chhitra lee," Ahhh bhaiya meri choot ko jannat mil gayi teri zuban
se. Chat meri choot ka amrit mere bhai. Teri behan ki choot tere liye
khuli padi hai, chum le issko, chat le. Pel do apni jeebh meri chot
mein mere bhaiya. Pee lo meri choot ka ras mere bhaiya." Mitha karahti
hui boli aur Veer maze lekar choot chumban karne laga. Ussne apni
behan ke gore gore chutad apne haathon mein jakad rakhe thay aur usski
ek ungli usski behan ki gaand se khilwad karne lagi aur Mitha utejna
vash pagal hone lagi.

Veer ne fir Mitha ko uthaya aur usska gadraya nanga jism palang par
rakh diya. Usski behan ka muh khula tha aur ussne apna khad lund apni
behan ke honthon par rakh diya. Lund ki pyasi behan ne apne bhai ke
andkosh ko sparsh kiya, lund ke aas paas balon mein ungli feri aur
supada muh mein le kar chatna shuru kar diya. Bhai ke lund se ras ki
ek boond nikali jissko behan ne parsad samajh kar chat liya. Veer
Partap par ab haivani nasha chadh chuka tha aur ussko Mitha ek chudas
randi ke ilawa aur kuchh nahin lag rahi thee. Apni behan ka chehra kas
ke apakd kar ussne apna lund pura usske pyase muhn mein pel diya aur
randi behan ne ussko pura nigal liya. Mitha ne bhi bhaiya ki gaand ko
pakad kar lund muh mein le kar chusna shuru kar diya aur Veer zor se
apni gaand aage peechhey karne laga, jaise kissi choot ko chod raha
ho.

Veer ne apni behan ki chuchi ko masla aur ek haath choot par fera.
"Mitha, meri behan ab chod lene do mujhe, mera lund bechain ho raha
hai teri choot mein ghusne ke liye, meri behna ab mere lund ko muh se
azad kar do ta ki main tujhe achhi tarah chod sakun. Khol de apni
janghen meri behan. Mera lund teri choot mein jane ko taiyar hai rani.
Teri gulabi choot mere lund ko bula rahi hai." Mitha ne lund muh se
nikala aur tangen khol dee. Bhai ne behan ki choot ko pyar se thapki
mari aur supada muhane par rakh kar dhaka mar diya. Choot ras ki
chiknayi se lund sarsarata hua choot ki gehrayi mein chala gaya,"
Ohhhh mere behnchod bhaiya, pel do pura loda meri choot mein, mere
raja bahut dino ke baad essa anand mila hai teri behan ki choot ko.
Pel do apna vishal lund meri pyasi choot mein. Ahhhh maderchod meri
choot phul gayi hai tere mote lund se zor se chod mere raja, mere
pati,"

Behan tezi se chutad uchhal rahi thee aur bhai chod raha tha. Jab Veer
ka lund apni behan ki choot ki jad mein jata to phach ki awaz aati.
Mitha ne apni janghen kas ke bhaiya ki kamar par bandh dee thee. "
Mitha kion na ab tum chaupaya ho jayo, main tujhe jhuka hua dekhna
chahta hoon. Mujhe teri gaand bahut achhi lagti hai. Apne bhai ko
sawari kar lene de thodi der, meri pyari behna," Mitha ne apna jism
dheela chhod diya aur fir palang se neechey uttar kar ghodi ki tarah
palang ko pakad kar apni gaand utha kar bhai ke aage jhuk gayi.

Veer ne apni behan ke mast chutad chhu liye aur fir apna lund usske
chutad ki darar se andar karta hua choot mein dal diya," Ahhhhhhhh
behna bahut tight ho jati hai teri choot jab tera bhai tujhe ghodi
banata hai. Meri behan bahut kamuk dikhti hai mere aage jhuki hui.
Kitni pyari hai too meri jaan." Mitha bhi mast ki charm seema par
pahunch chuki thee. Ussko bhi jhuk kar chudwane wala aasan bahut achha
lagta tha. Ye aasan batata tha ussko ki vo mard ke aage ek sawari se
adhik kuchh nahin, mard ki ghodi hai, usski kuttia hai." Main apne
bhai ki kuttia hoon," usske dimag ne awaz dee" Lekin bhaiya ki kuttia
ban kar kiyna maza milta hai,"

" Bhaiya teri behna chud chuki hai tere lund se, main jhad rahi hoon.
Apna lava uttar do apni behn ki choot mein. Tere lund ke ras ki pyasi
hai meri choot, apne ras ki ek ek boond nichod do apni beahn mein.
Mujhe apne bache ki maa bana do mere bhaiya," Veer ne dhakee bahut tez
kar diya aur usska lund bhi garam lava ugalne laga. Ek ke baad ek
pichkari usski behan ki choot ko bharne lagi aur Mitha santusht ho kar
palang par gir padi aur usske upper usska bhai dher ho gaya. Jab
Thakur Bhim Partap kamre mein dakhil hua to apni biwi aur sale ko
nanga dekh kar bahut khush hua. Haath badha kar ussne Veer Partap ke
lund ko sparsh kiya aur fir dusre kamre mein ja kar so gaya.



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