हिंदी सेक्सी कहानियाँ
हरामी बलमा--1
मैं नंदिनी, उमर 18 देसी साल, 12 क्लास में पढ़ती हूँ. मेरे पिता जी बिज़्नेसमॅन हैं और काफ़ी अमीर हैं. घर में मा के अलावा एक छ्होटा भाई है जो कि बस 10 साल का है. मेरी मा उमा देवी की उमर 38 साल की है और वो एक भरपूर सेक्सी औरत है. पिताजी, राम शर्मा सारा दिन पैसे बनाने में लगे रहते हैं और उनके दोस्त मा के साथ खूब मौज कर लेते हैं. मेरा छ्होटा भाई राजू पड़ोस के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने चला जाता है, पापा दुकान पर और मैं पढ़ने लग जाती हूँ तो मा पापा के दोस्तों से चुदाई करवाती है. एक दिन बारिश हो रही थी और राजू खेलने नहीं गया. वो मुझे परेशान कर रहा था तो मैं उसस्की शिकायत करने मा के कमरे में चली गयी.
कमरा बंद था. मैं डोर खोलने ही लगी थी कि मुझे मा की चीख सुनाई पड़ी."उईईइ धीरे से करो असलम भाई, अब फाड़ ही डालो गे मेरी चूत को?एक तो आपका है ही इतना मोटा और दूसरा आप ऐसे चोद रहे है के जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूँ. केयी बारी सोचती हूँ के आपकी पत्नी कितनी खुशकिस्मत है जिस्सको रोज़ आपका लंड मिलता है चोदने के लिए. हमारे तो शर्मा साहिब हफ्ते में एक बार चोदने के लिए लंड खड़ा करते हैं और वो भी 4 इंच का. भाई मुझे तो आप जैसा 8 इंच का ही संतुष्ट करता है. है असलम भाई, अब पेल दो सारा, भाईजान कैसा ज़ालिम लंड है आपका. काश मैं आपकी बीवी बन के रह सकती!"
मैं ठिठक गयी और डोर में से झाँकने लगी. मा पलंग पर टाँगें खोल कर पैर अप्पर उठा कर नंगी लेटी हुई थी और असलम अंकल मा की जांघों के बीच खड़े हो कर अपने मोटे काले लंड को मा की चूत में पेल रहे थे. मेरी मा बहुत गोरी है और उसस्के चूतड़ काफ़ी भारी हैं और चूची भी बहुत बड़ी है. मुझे तो चक्कर आने लगे. असलम अंकल अपनी गांद आगे पीच्छे करते हुए मा को चोद रहे थे और झुक कर मा की चुचि चूस रहे थे. कमरे में वासना का तूफान उमड़ रहा था. मा बेशर्मी से बकने लगी, " ज़ोर से चोद असलम भाई, मस्त कर दे मुझे"
मुझ से अब और नहीं देखा जा रहा था. मेरे जिस्म में एक आग जलने लगी, मेरी चूत में खलबली मचने लगी. मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी, दिल धक धक करने लगा और मेरी पॅंटी मेरी चूत से निकलने वाले जूस से भीग गयी. मुझे चुदाई के बारे पता तो था लेकिन आज पहली बार अपनी ही मा को चुदते देखा था और वो भी असलम अंकल के साथ जो कि मा को बाजी कह कर पुकारते थे. मैं अपने कमरे में भाग गयी. राजू वहाँ खेल रहा था.
थोड़ी देर में बारिश रुकी और बाहर का डोर खुला और असलम अंकल चले गये. तभी राज शर्मा जिसे प्यार से सब राजा कहते थे , गली का एक लड़का जो कि राजू के साथ खेलता था, राजू को बुलाने आया. राजा मेरी उमर का होगा या फिर एक दो साल छ्होटा. जब उसने मुझे देखा तो मेरी छातियाँ उतेज्ना वश उप्पेर नीचे हो रही थी. राजा की नज़र बरबस मेरी उभरी हुई चुचि पर चली गयी. जिस तरह वो मुझे देख रहा था लगता था कि मुझे अपनी आँखों से नंगी कर रहा हो. मेरी नज़र भी उसकी पॅंट के सामने वाले हिस्से पर चली गयी, जहाँ से उभार साफ दिखाई दे रहा था. उसने अपने लंड को पॅंट के उप्पेर से मसल दिया और बोला" राजू को बाहर भेजना ज़रा. हमे को क्रिकेट खेलने जाना है." मैने भी उसको पटाने के लिए बहाना ढूंड लिया और मुस्कुराती हुई बोली," तुम मेरा एक काम करोगे क्या? मेरे रूम का बल्ब फ्यूज़ हो गया है, तुम प्लीज़ चेंज कर देना, राजा भैया!" पहले तो वो खुश हुआ लेकिन जब मैने उसको भैया बोला तो उसका मूह लटक गया.
"हां क्यो नहीं नंदिनी, मैं कुच्छ ही देर में आता हूं. अगर और भी काम हुआ तो कर दूँगा," कहते हुए राजा मेरे भाई को ले कर चला गया. अब मैने राजा को पटाने की स्कीम बना डाली. सब से पहले तो मा को बाज़ार भेज दिया. फिर अपनी कमीज़ उतार कर नीचे से ब्रा उतार डाली और उप्पेर से पारदर्शी कुरती पहन ली. मेरी कुरती से मेरी चुचि सॉफ झलक रही थी. पतला सा कपड़ा भी मेरी चुचि को स्पर्श करता तो बहुत उतेज्ना से भर जाता मेरा बदन. उतेज़ित हो कर मैने अपनी चुचि को ज़ोर से भीच लिया और मेरा बदन मस्ती से भर उठा. फिर मैने सलवार उतार कर एक निकर पहन ली जिससे मेरी टाँगों का अधिक हिस्सा दिख रहा था. उसके नीचे मेने पॅंटी नहीं पहनी थी. चूत गरम हो रही थी और चूत की फाँकें फूली हुई थी. मैं राजा का इंतज़ार करने लगी.
मेरे कमरे का बल्ब मैने फ्यूज़ कर दिया था. कमरे में एक सुगंधित सेंट च्चिड़का दिया और कुरती के उप्पेर वाले दो बटन खोल दिए. मेरे हुस्न का जादू चलाने में कोई कसर बाकी ना थी. मेरा हाथ ज़बरदस्ती मेरी चूत पर जा कर उसको बे-रहमी से मसल्ने लगा. दरवाज़े पर दस्तक हुई. मैने झट से जा कर दरवाज़ा खोला. सामने राजा खड़ा था. मेरा दिल धक धक करने लगा. मैने उस्स्को अंदर बुला कर दरवाज़ा बंद कर दिया. " बल्ब कहाँ है?" मैने उसस्का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बोली, " अंदर कमरे में."
छत बहुत उँची थी और हाथ पहुँचना मुश्किल था. " नंदिनी, ऐसा करो, तुम टेबल पकड़ कर रखो और मैं उप्पेर चढ़ता हूँ, ठीक है," मुझे शरारत सूझी और मैं बोली," उप्पेर तो मर्द ही चढ़ते हैं, और क्या मैं चढ़ूंगी? राजा भैया, और जो मर्ज़ी पकड़ा दो, टेबल नहीं पकड़ सकती, मुझ से नहीं संभाल सकता. ऐसा ना हो कि आप गिर जाएँ." मेरी दोहरी मतलब वाली भाषा समझ कर राजा हंस पड़ा और नट खाट अंदाज़ में बोला," ऐसी बात नहीं है नंदिनी, अगर तुम चाहो तो तुम भी उप्पेर चढ़ सकती हो, मैं तुझे नीचे से थाम लूँगा, अगर मेरी ताक़त पर विश्वास हो तो"
कमरे में धीमी रोशनी थी. राजा ने टेबल रखा और मुझे उप्पेर चढ़ने को कहा. जब मैं ना नुकर करने लगी तो उसने मुझे बाहों में उठा कर टेबल पर खड़ा कर दिया. उसका शरीर जब मेरे शरीर से स्पर्श किया तो मेरी चूत रो पड़ी. उसके बदन का स्पर्श मुझे करेंट मार रहा था. उसस्के हाथों ने मुझे चूतड़ से पकड़ कर उप्पेर उठाया तो मेरा बदन पसीना पसीना हो गया. टेबल के नीचे खड़ा राजा मेरी जवानी को निहार रहा था. उसने मुझे बल्ब पकड़ाते हुए कहा, "इसको होल्डर में घुसा दो, नंदिनी," मैने कभी बल्ब नहीं लगाया था. "मुझ से नहीं होता" मैने कहा." ठहरो मैं भी उप्पेर आता हूँ."
टेबल छ्होटा था और हम दोनो एक साथ सॅट कर खड़े थे. मैं गिरने के डर से राजा के साथ चिपक कर खड़ी हुई थी. उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा हुआ था और बल्ब लगा रहा था. मेरा संतुलन बिगड़ने लगा तो मैने राजा को थाम लिया और अफ़रा तफ़री में मेरा हाथ उसके लंड से जा टकराया. राजा गन्गना उठा. लंड लोहे की तरह तना हुआ था," उई, यह क्या है, राजा भैया? मुझे बहुत डर लग रहा है. मुझे संभाल लो प्लीज़!" उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया. मेरी साँस तेज़ी से चलने लगी, उसका हाथ मेरी कमर के गिर्द कस गया. मेरी चुचि उसकी बलिश्त छाती में धँस गयी. उसका लंड मेरे पेट से टकराने लगा. मैं और भी उतेज़ित होती हुई उसके आलिंगन में घुसती चली गयी.
राजा ने मेरे चेहरे को हाथों में लेकर मुझे होंठों पर किस कर लिया. मेरे आनंद की कोई सीमा ना रही. बल्ब लग चुका था और मेरे अंदर वासना का बल्ब भी जगमगाने लगा." तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो नंदिनी. मैं तुझ से प्यार करता हूँ. क्या तुम भी मुझे प्यार करती हो?" मैने उसस्के लंड को हाथ से स्पर्श करते हुए कहा,' हन राजा भैया, मैं भी तुझे बे हद प्यार करती हूँ." वो झल्ला कर बोला," तो बार बार मुझे भैया क्यो कह रही हो? मैं तेरा आशिक़ हूँ भैया नहीं. मेरा जो…तुमने पकड़ा हुआ है, उस से भी नहीं पता चला" मैं मुस्कुराते हुए बोली," राजा, भाई बेहन के रिश्ते की दीवार के पीच्छे ही हम सारा खेल खेल सकते हैं. अगर एसा नहीं किया तो सारे मोहल्ले ,में बदनाम हो जाएँगे. तुम मुझे सब के सामने दीदी कहा करो और मैं तुझे भैया, क़िस्सी को शक भी नहीं होगा"
"ओके, इसका मतलब है, बाहर बेहन भाई, अंदर करें चुदाई. ठीक है नंदिनी बहना अब नीचे जा कर असली काम करें. और अधिक देरी कर दी तो तेरे हाथ में ही लंड महाराज उल्टी कर देंगे." मैने उसस्का लंड छ्चोड़ दिया और हम दोनो नीचे उत्तर गये. नीचे उत्तरते ही राजा मुझ पर टूट पड़ा. वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ मसल्ने लगा. मेरे चुचक में आग लग रही थी. मैने भी हाथ नीचे कर के उसका लंड मसल दिया. "हाई राजा, ये क्या कर रहे हो, मेरा बदन जलने लगा है, मुझे शांत कर दो राजा," मेरे मूह से निकल गया और राजा बिना कुच्छ बोले मेरी कुरती उतारने लगा. मेरी चुचि कड़ी हो चुकी थी. मेरी नंगी चुचिओ से खेलने लगा मेरा नया यार. मैने अपनी जांघों को भींच लिया था क्यो कि मेरी चूत से रस टपकने लगा था. राजा ने अपने गरम होंठ मेरे निपल्स पर रख दिए और अपना हाथ निकर के उप्पेर से मेरी चूत पर रख कर मसल दिया.
मेरी चूत फूल चुकी थी और मैं गरम हो कर उसस्के हाथ पर अपनी चूत को रगड़ रही थी. वासना ने मुझे बेकाबू कर दिया था और मैने राजा के पॅंट्स की ज़िप खोल कर उसस्के लंड बाहर निकाल लिया. मैने उसको उप्पेर नीचे करना शुरू कर दिया. लंड के छेद से रस की बूँद मेरी उंगलिओ पर गिर पड़ी. दूसरे हाथ से मैने राजा के अंडकोष पकड़ लिए. काले काले बालों में छुपे हुए अखरोट बहुत सेक्सी लग रहे थे, राजा मेरी चुचि दबा रहा था और निपल्स को चाट रहा था." नंदिनी, अपनी निक्केर भी उतार दो और मैं भी नंगा हो जाता हूँ, फिर मज़ा आएगा" मैने उसके लंड को मुठियाते हुए कहा,"राजा, मेरी कुरती उतारते वक्त मुझ से पुचछा था क्या? अब निक्केर भी उतार दो, रोका किस ने है, भैया?"
राजा ने अपनी कमीज़ उतार और मेरी निक्केर को भी नीचे सरका दिया. मेरी शेव की हुई चूत उसकी आँखों के सामने मुस्कुरा उठी. आज उसके लंड से मेरी चूत को खुराक मिलने वाली थी. "वाह, नंदिनी, इसको तो बिल्कुल सॉफ कर रखा है. बिल्कुल मक्खन जैसी कोमल और मुलायम लगती है. सच नंदिनी, ऐसी चूत मैने कभी नहीं देखी. दिल करता है इसको चूम लूँ!" मैं भी तो यही चाहती थी." राजा, मक्खन जैसी चूत तेरी ही तो है. चूम लो, चाट लो इस्सको. जो जी चाहे कर लो मेरे साथ. और एक बात बता, राजा भाई, और कितनी चूत देख चुके हो तुम, कितनी लड़कियो को चोद चुके हो पहले तुम. मुझे तो तुम काफ़ी अनुभवी खिलाड़ी लगते हो. सच बतायो राजा." मेरे दिल में काई सवाल उठ रहे थे.
राजा ने मुझे बताया," नंदिनी, तुम सच कह रही हो. मैं चुदाई करने में अनुभवी हूं और आज तक दो को चोद चुका हूँ. मुझे चुदाई की दुनिया में मेरी मम्मी की सहेली ने शुरू किया था. मम्मी की सहेली शांति कोई 37 साल की है और उसका पति विदेश में काम करता है. उसको चुदवाने की लत है और एक दिन मुझे उसने पटा लिया. मुम्मी घर पर नहीं थी और मैं घर में राज शर्मा की हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पढ़ रहा था जब शांति आंटी ने मुझे पकड़ लिया और ब्लॅकमेल करने लगी. उसने मुझे चोदने के लिए निमंत्रित किया तो मैं मान गया, शांति आंटी ज़रा मोटी है और उसस्की चूत पर बहुत घने बाल हैं. उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डाला तो मुझे बहुत मज़ा आया. तब से मैं उसको जब मौका मिले तो चोद लेता हूँ और वो भी बहुत मज़े ले कर चुदति है. पिछले दिनो उसने मुझे एक और आंटी से इंट्रोड्यूस करवाया है. दोनो मेरी रखैल बनी हुई हैं, लेकिन पता नहीं अगर मम्मी को पता चल गया तो शामत आ जाएगी." राजा ने उंगली मेरी चूत में धकेल डाली और मैने अपनी चूत को और खोल दिया.
"अब मेरा क्या करना है राजा? क्या मुझे भी आंटी की तरह चोदो गे? मुझे तो चुदाई का अनुभव नहीं है. लेकिन डर लगता है के दर्द ना हो," मैने अपना डर ज़ाहिर करते हुए कहा. राजा ने मेरी चूत को इतनी ज़ोर से भींचा के मेरी चीख निकल गयी. ' डर काहे का? चूत से बच्चा निकल सकता है तो लंड क्या चीज़ है. बस तुम अपना जिस्म ढीला छ्चोड़ दो और पलंग पर लेट जाओ. फिर देखो अपने राजा भैया का कमाल. तुम ने कभी 69 किया है?" मैं नहीं जानती थी कि ये 69 क्या होता है. राजा मेरी बगल में लेट कर मेरी चूत पर ज़ुबान रख कर चाटने लगा. उस वक्त उसका लंड मेरे होंठों से टकरा रहा था. उसने अपनी कमर को मेरे मूह की तरफ धकेल दिया और उसका लंड मेरे मूह में चला गया. मुझे बहुत मज़ा आने लगा जब मैने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया. मेरी कमर उसके मूह पर आगे पीछे हो रही थी किओं की मैं उसकी सारी ज़ुबान को चूत में ले लेना चाहती थी. तब मुझे पता चला कि 69 क्या होता है.
मेरा मूह राजा के लंड से भरा हुआ था और वो चुस्की ले कर मेरी चूत का मज़ा ले रहा था. चूमा चटाई कितनी देर चलती रही मुझे पता नहीं चला. फिर उसका लंड एकदम अकड़ गया और उसका जिस्म ऐंठ गया. उससने जल्दी से अपना लंड मेरे मूह से बाहर खींच लिया. मुझे तो मज़ा आ रहा था. राजा के लंड का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था." बस अब चुदाई शुरू करें, नंदिनी. मैं अगर लंड बाहर ना निकाल लेता तो सारी क्रीम तेरे मूह में चली जाती. तुम तैयार हो?" मैं क्या कहती. उसने मेरी टाँगों को उप्पेर उठा कर फैला दिया और मेरे चूतड़ के नीचे सिरहाना टीका दिया. फिर अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगा कर लंड को चूत पर रख कर धक्का मारा," ले नंदिनी, मेरी बहना, अब देख तेरा राजा भैया के जलवे दिखता है तुझे. दर्द हुआ तो बर्दाश्त कर लेना, बहुत मज़ा आए गा. लंड जितना बड़ा होता है मज़ा उतना अधिक आता है." मैं चूत को फैलता हुआ महसूस कर रही थी. राजा का लंड एक नश्तर की तरह मेरी चूत में जा रहा था. राजा ने मेरी गांद को पकड़ रखा था.
चुदाई शुरू हो चुकी थी लेकिन मुझे तो बस दर्द हो रहा था. वो मज़ा नहीं मिल रहा था जो मैं उम्मीद कर रही थी.. राजा ने अपना लंड धीरे से अंदर करना जारी रखा और मेरे क्लिट को सहलाने लगा. थोड़ी देर में मेरा जिस्म गन्गना उठा. लंड मेरी खुजली मिटाने लगा. चूत से जूस बह रहा था जिसके कारण चूत मुलायम हो चुकी थी. मेरी चूत अब लंड की माँग कर रही थी," भैया और डालो मेरी चूत में..पेल डालो पूरा लंड मेरे अंदर….बहुत मज़ा आ रहा है..चोदो ज़ोर से मुझे राजा भैया." राजा भी समझ गया कि मैं गरम हो चुकी हूँ और वो मुझे तेज़ी से चोदने लगा." नंदिनी, ऐसे चूत नहीं चोदि मैने आज तक. तेरी तो बहुत कसी हुई है, बहुत मज़ेदार है. तुझे रोज़ चोदुन्गा, तेरी चूत को लंड से भर के रखूँगा, मेरी बहना.'
मैं लंड के मज़े ले रही थी. मेरे चुटटर तकिये से उप्पेर उठने लगे और मेरे हाथों ने राजा की गांद को कस के पकड़ लिया जैसे मैं उसको अपने आप से अलग नहीं करना चाहती थी." राजा मेरी चुचि चूसो, मदेर्चोद जल्दी करो, मैं बहुत उतेज़ित हूँ. मेरी चूत में खलबली मची हुई है, मेरा दिल अजीब स्थिति में है, मुझे ज़ोर से चोद राजा" मेरे राज शर्मा ..मेरे कहते ही राजा ने लंड को पिस्टन बना डाला जो मेरी चूत के अंदर बाहर तेज़ी से जाने लगा. मैं किसी कुतिया की तरह हाँफ रही थी. राजा भी पसीने से भीगा हुआ था. राजा के अंडकोष मेरी गांद को टक्कर मार रहे थे. तभी मुझे लगा कि मेरी चूत से कुच्छ बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था. मैं तेज़ी से कूल्हे उच्छालने लगी. मेरी चूत से एक रस की धारा उमड़ने लगी. मेरी जान ही निकल रही थी. तभी राजा के लंड से गरम लावा मेरी चूत में गिरने लगा. मुझे क्या हुआ, कुच्छ पता नहीं था. लेकिन 15 मिनिट के बात मैं निढाल हुई बिस्तर पर पड़ी थी और राजा अपना लंड चादर से पोंच्छ रहा था.
देसी मेरी चूत से रस टपक कर मेरी जांघों तक पहुँच रहा था. राजा ने मेरे चूतड़ पर थपकी मारते हुए कहा, "रानी, कल तुम मेरे घर आ जाना वहाँ कल कोई नहीं होगा. तुझे जी भर के चुदाई के मज़े मिलेंगे." मैं उसको बोली," राजा, मेरी चूत दुख रही है. क्या ऐसे ही कल भी दुखे गी? लेकिन मैं तेरे घर ज़रूर आयूंगी, मेरे हरामी बलमा"
राज शर्मा से चुदवाने के बाद मैं सारी रात गहरी नींद सोई. मेरी नींद भी चुदाई के सपनो से भरी हुई थी. मुझे चारों तरफ लंड ही लंड दिखाई दे रहे थे. कभी एक लंड मेरे मूह में होता और दूसरा मेरी चूत में. काई बारी तो लंड मेरी गांद में भी घुस जाता. मेरे पूरे जिस्म पर लंड स्पर्श कर रहे थे. सुबह जब उठी तो मैं फूल की तरह खिली हुई थी. वो रविवार का दिन था. पापा और मम्मी बाहर जाने वाले थे. मैने पढ़ाई का बहाना बना लिया और मा ने कहा" ठीक है लेकिन राजू का ख्याल ज़रूर रखना. वो बहुत आवारा हो गया है." मम्मी ने कहा और वो चले गये. राजू अभी सो रहा था.
मैं गुसलखाने चली गयी और नहाने लगी, मैने जब कपड़े उतारे तो मेरा जिस्म खिल उठा. मेरा गोरा बदन गुलाबी हो रहा था. मुझ पर चुदाई का नशा चढ़ रहा था. वा, औरत के लिए भगवान ने भी मर्द क्या चीज़ बनाई है और चूत के लिए लंड. मैने शीशे मैं जब अपना नंगा जिस्म देखा तो खुद ही उतेज़ित हो गयी. मेरी चूचियाँ कुच्छ अधिक ही फूल चुकी थी. मेरे निपलेस बहुत सख़्त हो चुके थे. मेरे सपाट पेट के नीचे मेरी चूत भी उभार पर थी. चूत पर छ्होटे छ्होटे बाल उग चुके थे. इनकी शेव करनी ज़रूरी थी और फिर आज तो मुझे राजा के घर भी जाना था कल वाला मज़ा लेने. राजा के मर्दाना जिस्म की याद में मेरी चूत भीग गयी और मेरा हाथ मेरी चूत सहलाने लगा. काश राजा मेरे पास चला आता.
दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः................
Harami Balma--1
Main Nandini, umar 18 desi saal, 12 class mein padhti hoon. Mere pita ji businessman hain aur kafi amir hain. Ghar mein Maa ke ilawa ek chhota bhai hai jo ki bas 10 saal ka hai. Meri maa Uma Devi ki umar 38 saal ki hai aur vo ek bharpur sexy aurat hai. Pitaji, ram Sharma sara din paise banane mein lage rehte hain aur unke dost maa ke saath khub mauj kar lete hain. Mera chhota bhai Raju pados ke ladkon ke saath cricked khelne chala jata hai, papa dukan par aur main padhne lag jati hoon to maa papa ke doston se chudayi karwati hai. Ek din barish ho rahi thee aur Raju khelne nahin gaya. Vo mujhe preshan kar raha tha to main usski shikayat karne maa ke kamre mein chali gayi. bhabhi desi stories!
Kamra band tha. Main door kholne hi lagi thee ki mujhe maa ki cheekh sunayi padi."Uiiii dheere se karo Aslam bhai, ab phad hi dalo ge meri choot ko?Ek to aapka hai hi itna mota aur dusra aap essey chod rahe hai ke jaise main kahin bhagi ja rahi hoon. Kayi baari sochti hoon ke aapki patni kitni khushkismat hai jissko roz aapka lund milta hai chodne ke liye. Hamare to Sharma sahib hafte mein ek baar chodne ke liye lund khada karte hain aur vo bhi 4 inch ka. Bhai mujhe to aap jaisa 8 inch ka hi santusht karta hai. Hai Aslam Bhai, ab pel do sara, Bhaijaan kaisa zalim lund hai aapka. Kash main aapki biwi ban ke reh sakti!" (bhabhi desi stories)
Main thithak gayi aur door mein se jhankne lagi. Maa palang par tangen khol kar pair upper utha kar nangi leti hui thee aur Aslam uncle maa ki janghon ke beech khade ho kar apne mote kale lund ko maa ki chut mein pel rahe thay. Meri maa bahut gori hai aur usske chutad kafi bhari hain aur choochi bhi bahut badi hai. Mujhe to chakar aane lage. Aslam uncle apni gaand aage peechhey karte huye maa ko chod rahe thay aur jhuk kar maa ki chuchi chus rahe thay. Kamare mein vasan ka toofan umadh raha tha. Maa besharmi se bakne lagi, " Jor se chod Aslam bhai, mast kar de mujhe"
Mujh se ab aur nahin dekha ja raha tha. Mere jism mein ek aag jalne lagi, meri chut mein khalbali machne lagi. Meri chut mein ek ajib see khujli hone lagi, dil dhak dhak karne laga aur meri panty meri chut se nikalne wale juice se bheeg gayi. Mujhe chudayi ke bare pata to tha lekin aaj pehli baar apni hi maa ko chudate dekha tha aur vo bhi Aslam uncle ke saath jo ki maa ko Baji keh kar pukarte thay. Main apne kamre mein bhag gayi. Raju vahan khel raha tha.
Thodi der mein barish ruki aur bahar ka door khula aur Aslam uncle chale gaye. Tabhi Raj sharma sabhi pyaar se raja kahate the , gali ka ek ladka jo ki Raju ke saath khelta tha, Raju ko bulane aaya. Raju meri umar ka hoga ya fir ek do sal chhota. Jab ussne mujhe dekha to meri chhatian utejna vash upper neechey ho rahi thee. Raja ki nazar barbas meri ubhari hui chuchi par chali gayi. Jiss tarah vo mujhe dekh raha tha lagta tha ki mujeh apni ankhon se nangi kar raha ho. Meri nazar bhi usski pant ske samne wale hissey par chali gayi, jahan se ubhar saaf dikhayi de raha tha. Usssne apne lund ko pants ke upper se masal diya aur bola" Raju ko bahar bhejna zara. Hum ko cricket khelne jana hai." Maine bhi ussko patane ke liye bahana dhoond liya ur muskurati hui boli," Tum mera ek kaam karoge kia? Mere room ka bulb fuse ho gaya hai, tum please change kar dena, Raja Bhaiya!" Pehle to vo khush hua lekin jab maine usski Bhaiya bola to usska muh latak gaya.
"Haan kion nahin Nandini, main kuchh hi der mein aata hoon. Agar aur bhi kaam hua to kar doonga," kehte huye Raja mere bhai ko le kar chala gaya. Ab maine Raja ko patane ki scheme bana dali. Sab se pehle to maa ko bazar bhej diya. Fir apni kamiz uttar kar neechey se bra uttar dali aur upper se pardarshi kurti pehan li. Meri kurti se meri chuchi saaf jhalak rahi thee. Patla sa kapda bhi meri chuchi ko sparsh karta to bahut utejna se bhar jata mera badan. Utejit ho kar maine apni chuchi ko zor se bheech liya aur mera badan masti se bhar utha. Fir maine salwar uttar kar ek nicker pehan li jiss se meri tangon ka adhik hissa dikh raha tha. Usske neechey meine panty nahin pehni thee. Chut garam ho rahi thee aur chut ki phanken phuli hui thee. Main Raja ka intzar karne lagi.
Mere kamre ka bulb maine fuse kar diya tha. Kamre mein ek sugandhit scent chhidaka diya aur kurti ke upper wale do button khol diye. Mere husn ka jadu chalne mein koi kasar baki na thee. Mera haath zabardasti meri chut par ja kar ussko be-rehmi se masalne laga. Darwaze par dastak hui. Maine jhat se ja kar darwaza khola. Samne Raja khada tha. Mera dil dhak dhak karne laga. Maine ussko andar bula kar darwaza band kar diya. " Bulb kahan hai?" Maine usska haath pakad kar apni taraf kheencha aur boli, " Andar kamre mein."
Chhat bahut unchi thee aur haath pahunchna mushkil tha. " Nandini, essa karo, tum table pakad kar rakho aur main upper chadhta hoon, theek hai," Mujhe sharat sujhi aur main boli," Upper to mard hi chadhte hain, aur kia main chadhungi? Lekin Raja Bhaiya, aur jo marzi pakda do, table nahin pakad sakti, mujh se nahin sambhal sakta. Essa na ho ki aap gir jayen." Meri dohari matlab wali bhasha samajh kar Raja hans pada aur nat khat andaz mein bola," Essi baat nahin hai Nandini, agar tum chaho to tum bhi upper chadh sakti ho, main tujhe neechey se thaam loonga, agar meri takat par vishwas ho to"
Kamre mein dheemi roshni thee. Raja ne table rakha aur mujhe upper chadhne ko kaha. Jab main na nukar karne lagi to ussne mujhe bahon mein utha kar table par khada kar diya. Usska sahrir jab mere se sparsh kia to meri choot ro padi. Usske badanka sparsh mujhe current mar raha tha. Usske haathon ne mujhe chutad se pakad kar upper uthaya to mera badan pasina pasina ho gaya. Table ke neechey khada Raja meri jawani ko nihar raha tha. Ussne mujhe bulb pakdate huye kaha, "Issko holder mein ghusa do, Nandini," Maine kabhibulb nahin lagaya tha. "Mujh se nahin hota" Maine kaha." Thehro main bhi upper ata hoon."
Table chhota tha aur hum dono ek saath sat kar khade thay. Main girne ke dar se Raja ke saath chipak kar khadi hui thee. Ussne mere kandhey par haath rakha hua tha aur bulb laga raha tha. Mera santulan bigadne laga to maine Raja ko thaam liya aur afra tafri mein mera haath usske lund se ja takraya. Raja gangana utha. Lund lohe ki tarah tana hua tha," Ui, yeh kia hai, Raja Bhaiya? Mujhe bahut dar lag raha hai. Mujhe sambhal lo please!" Ussne mujhe apne seeney se laga liya. Meri saans tezi se chalne lagi, usska haath meri kamar ke gird kas gaya. Meri chuchi usski balisht chhati mein dhans gayi. Usska lund mere pet se takrane laga. Main aur bhi utejit hoti hui usske alingan mein ghusti chali gayi.
Raja ne mere chehre ko haathon mein lekar mujhe honthon par kiss kar liya. Mere anand ki koi seema na rahi. Bulb lag chuka tha aur mere andar vasna ka bulb bhi jagmagane laga." Tum bahut sundar aur sexy ho Nandini. Main tujh se pyar karta hoon. Kia tum bhi mujhe pyar karti ho?" Maine usske lund ko haath se sparsh karte huye kaha,' Haan Raja Bhaiya, main bhi tujhe be had pyar karti hoon." Vo jhala kar bola," To baar baar mujeh Bhaiya kion keh rahi ho? Main tera ashique hoon Bhaiya nahin. Mera jo…tumne pakda hua hai, uss se bhi nahin pata chala" Main muskurate huye boli," Raja, bhai behan ke rishte ki deewar ke peechhey hi hum sara khel khel saktey hain. Agar essa nahin kia to sare mohalle ,mein badnam ho jayenge. Tum mujhe sab ke samne did kaha karo aur main tujeh bhaiya, kissi ko shak bhi nahin hoga"
"ok, isska matlab hai, bahar behan bhai, andar karen chudayi. Theek hai Nandini behna ab neechey ja kar asali kaam karen. Zara adhik deri kar dee to tere haath mein hi lund maharaj ulti kar denge." Maine usska lund chhod diya aur hum dodno neeechey uttar gaye. Neechey uttarte hi Raja mujh par toot pada. Vo zor zor se meri chhatian masalne laga. Mere chuchak mein aag lag rahi thee. Maine bhi haath neechey kar ke usska lund masal diya. "Hai Raja, ye kia kar rahe ho, mera badan jalne laga hai, mujhe shaant kar do Raja," Mere muh se nikal gaya aur Raja bina kuchh bole meri kurti uttarne laga. Meri chuchi kadi ho chuki thee. Meri nangi chuchion se khelne laga mera naya yaar. Maine apni janghon ko bheench liya tha kion ki meri chut se ras tapakne laga tha. Raja ne apne garam honth mere nipples par rakh diye aur apna haath nicker ke upper se meri chut par rakh kar masal diya.
Meri chut phul chuki thee aur main garam ho kar usske haath par apni chut ko ragad rahi thee. Vasna ne mujeh bekabu kar diya tha aur maine Raja ki pants ki zip khol kar usske lund bahar nikal liya. Maine ussko upper neechey karna shuru kar diya. Lund ke chhed se ras ki boond meri unglion par gir padi. Dusre haath se maine Raja ke andkosh pakad liye. Kale kale balon mein chupe huye akhrot bahut sexy lag rahe thay, Raja meri chuchi daba raha tha aur nipples ko chat raha tha." Nandini, apni nicker bhi uttar do aur main bhi nanga ho jata hoon, fir maza ayega" Maine usske lund ko muthiate huye kaha,"Raja, meri kurti utarte wakt mujh se puchha tha kia? Ab nicker bhi uttar do, roka kiss ne hai, Bhaiya?"
Raja ne apni kamiz uttari aur meri nicker ko bhi neechey sarka diya. Meri shave ki hui chut usski ankhon ke samne muskura uthi. Aaj usske lund se meri chut ko khurak milne wali thee. "Wah, Nandini, issko to bilkul saaf kar rakha hai. Bilkul makhan jaisi komal aur mulayam lagti hai. Sach Nandini, essi chut maine kabhi nahin dekhi. Dil karta hai issko chum loon!" Main bhi to yahi chahti thee." Raja, makhan jaisi chut teri hi to hai. Chum lo, chat lo issko. Jo ji chahe kar lo mere saath. Aur ek baat bata, Raja bhai, aur kitni chut dekh chuke ho tum, kitni ladkion ko chod chuke ho pehle tum. Mujhe to tum kafi anubhavi khiladi lagte ho. Sach batayo Raja." Mere dil mein kayi sawal uth rahe thay.
Raja ne mujhe bataya," Nandini, tum sach keh rahi ho. Main chudayi kerne mein anubhavi hoon aur aaj tak do ko chod chuka hoon. Mujhe chudayi ki duniya mein meri mummy ki saheli ne shuru kiya tha. Mummy ki saheli Shanti koi 37 saal ki hai aur usska pati videsh mein kam karta hai. Ussko chudwane ki lat hai aur ek din mujhe ussne pata liya. Mumy ghar par nahin thee aur main ghar mein Mast Ram ki pustak padh raha tha jab Shanti aunty ne mujhe pakad liya aur blackmail karne lagi. Ussne mujeh chodne ke liye nimantrit kia to main maan gaya, Shanti aunty zara moti hai aur usski chut par bahut ghane bal hain. Ussne mera lund pakad kar apni chut mein dala to mujhe bahut maza aaya. Tab se main ussko jab mauka mile to chod leta hoon aur vo bhi bahut maze le kar chudati hai. Picchle dino ussne mujhe ek aur aunty se introduce karwaya hai. Dono meri rakhail bani hui hain, lekin pata nahin agar mummy ko pata chal gaya to shamat aa jayegi." Raja ne ungli meri chut mein dhakel dali aur miane apni chut ko aur khol diya.
"Ab mera kia karna hai Raja? Kia mujhe bhi aunty ki tarah chodo ge? Mujhe to chudayi ka anubhav nahin hai. lekin dar lagata hai ke dard na ho," Maine apna dar zahir karte huye kaha. Raja ne meri chut ko itni zor se bheencha ke meri cheekh nikla gayi. ' Dar kahe ka? Chut se bacha nikal sakta hai to lund kia cheez hai. Bas tum apna jism dheela chhod do aur palang par let jayo. Fir dekho apne Raja bhaiya ka kamal. Tum ne kabhi 69 kia hai?" Main nahin janti thee ki ye 69 kia hota hai. Raja meri bagal mein let kar meri chut par zuban rakh kar chatne laga. Uss wakt usska lund mere honthon se takra raha tha. Ussne apni kamar ko mere muh ki taraf dhakel diya aur usska lund mere muh mein chala gaya. Mujhe bahut maza aaney laga jab maine usska lund chusna shuru kar diya. Meri kamar usske muh par aage peechhey ho rahi thee kion ki main usski sari zuban ko chut mein le lena chahti thee. Tab mujhe pata chala ki 69 kia hota hai.
Mera muh Raja ke lund se bhara hua tha aur vo chuski le kar meri chut ka maza le raha tha. Chuma chatayi kitni der chalti rahi mujhe pata nahin chala. Fir usska lund ekdum akad gaya aur usska jism ainth gaya. Ussne jaldi se apna lund mere muh se bahar kheench liya. Mujhe to maza aa raha tha. Raja ke lund ka namkeen swad bahut achha lag raha tha." Bas ab chudayi shuru karen, Nandini. Main agar lund bahar na nikal leta to sari cream tere muh mein chali jati. Tum taiyar ho?" Main kia kehti. Ussne meri tangon ko upper utha kar faila ditya aur mere chutad ke neechey sirhana tika diya. Fir apne lund par dher sara thook laga kar lund ko chut par rakh kar dhaka mara," Le Nandini, meri behna, ab dekh tera Raja bhaiya kia jalwe dikhata hai tujhe. Dard hua to bardasht kar lena, bahut maza aaye ga. Lund jitna bada hota hai maza utna adhik ata hai." Main chut ko failta hua mehsoos kar rahi thee. Raja ka lund ek nashtar ki tarah meri chut mein ja raha tha. Raja ne meri gaand ko pakad rakha tha.
Chudayi shuru ho chuki thee lekin mujhe to bas dard ho raha tha. Vo maza nahin mil raha tha jo main umeed kar rahi thee.. Raja ne apna lund dheere se andar karna jari rakha aur mere clit ko sehlane laga. Thodi der mein mera jism gangana utha. Lund meri khujli mitane laga. Chut se juice beh raha tha jiss karan chut mulayam ho chuki thee. Meri chut ab lund ki maang kar rahi thee," Bhaiya aur dalo meri chut mein..Pel dalo pura lund mere andar….Bahut maza aa raha hai..Chodo jor se mujhe Raja bhaiya." Raja bhi samajh gaya ki main garam ho chuki hoon aur vo mujeh tezi se chodne laga." Nandini, essi chut nahin chodi maine aaj tak. Teri to bahut kasi hui hai, bahut mazedar hai. Tujhe roz chodunga, teri chut ko lund se bhar ke rakhunga, meri behna.'
Main lund ke maze le rahi thee. Mere chuttar upper takiye se upper uthne lage aur mere haathon ne Raja ki gaand ko kas ke pakad liya jaise main ussko apne aap se alag nahin karna chahti thee." Raja meri chuchi chuso, maderchod jaldi karo, main bahut utejit hoon. Meri chut mein khalbali machi hui hai, mera dil ajib sathiti mein hai, mujeh jor se chod Raja" Mere kehte hi Raja ne lund ko piston bana dala jo meri chut ke andar bahar tezi se jane laga. Main kissi kuttia ki tarah haanf rahi thee. Raja bhi pasine se bhega hua tha. Raja ke andkosh meri gaand ko takar mar rahe thay. Tabhi mujhe laga ki meri chut se kuchh bahar nikalne ki koshish kar raha tha. Main tezi se kulhe uchhalne lagi. Meri chut se ek ras ki dhara umadne lagi. Meri jaan hi nikal rahi thee. Tabhi Raja ke lund se garam lava meri chut mein girne laga. Mujhe kia hua, kuchh pata nahin tha. Lekin 15 minute ke baat main nidhal hui bistar par padi thee aur Raja apna lund chadar se ponchh raha tha.
Desi Meri chut se ras tapak kar merin janghon tak pahunch raha tha. Raja ne mere chutad par thapaki marte huye kaha, "Rani, Kal tum mere ghar aa jana wahan kal koi nahin hoga. Tujhe ji bhar ke chudayi ke maze milenge." Main ussko boli," Raja, meri chut dukh rahi hai. Kia essey hi kal bhi dukhey gi? Desi Lekin main tere ghar zarur aayungi, mere harami balma"
Raj se chudwane ke baad main sari raat gehri neend soyi. Meri neend bhi chudayi ke sapno se bhari hui thee. Mujhe charon taraf lund hi lund dikhayi de rahe thay. Kabhi ek lund mere muh mein hota aur dusra meri chut mein. Kayo bari to lund meri gaand mein bhi ghus jata. Mere pure jism par lund sparsh kar rahe thay. Subah jab uthi to main phool ki tarah khili hui thee. Vo ravivar ka din tha. Papa aur mummy bahar jane wale thay. Maine padhayi ka bahana bana liya aur maa ne kaha" Theek hai lekin Raju ka khyal zarur rakhna. Vo bahut awara ho gaya hai." Mummy ne kaha aur vo chale gaye. Raju abhi so raha tha.
Main gusalkhane chali gayi aur nahane lagi, Maine jab kapde uttare to mera jism khil utha. Mera gora badan gulabi ho raha tha. Mujh par chudayi ka nasha chadh raha tha. Wah, aurat ke liye bhagwan ne bhi mard kia cheez banayi hai aur chut ke liye lund. Maine sheeshe main jab apna nanga jism dekha to khud hi utejit ho gayi. Meri chhatian kuchh adhik hi phul chuki thee. Mere niples bahut sakhat ho chuke thay. Mere sapat pet ke neechey meri chut bhi ubhar par thee. Chut par chhote chhote bal ug chuke thay. Inki shve karni zaruri thee aur fir aaj to mujhe Raja ke ghar bhi jana tha kal wala maza lene. Raja ke mardana jism ki yaad mein meri chut bheeg gayi aur mera haath meri chut sehlane laga. Kash Raja mere pass chala aata. dosto baaki ki kahaani agale paart me aapka dost raj sharma
kramashah................
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हरामी बलमा--1
मैं नंदिनी, उमर 18 देसी साल, 12 क्लास में पढ़ती हूँ. मेरे पिता जी बिज़्नेसमॅन हैं और काफ़ी अमीर हैं. घर में मा के अलावा एक छ्होटा भाई है जो कि बस 10 साल का है. मेरी मा उमा देवी की उमर 38 साल की है और वो एक भरपूर सेक्सी औरत है. पिताजी, राम शर्मा सारा दिन पैसे बनाने में लगे रहते हैं और उनके दोस्त मा के साथ खूब मौज कर लेते हैं. मेरा छ्होटा भाई राजू पड़ोस के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने चला जाता है, पापा दुकान पर और मैं पढ़ने लग जाती हूँ तो मा पापा के दोस्तों से चुदाई करवाती है. एक दिन बारिश हो रही थी और राजू खेलने नहीं गया. वो मुझे परेशान कर रहा था तो मैं उसस्की शिकायत करने मा के कमरे में चली गयी.
कमरा बंद था. मैं डोर खोलने ही लगी थी कि मुझे मा की चीख सुनाई पड़ी."उईईइ धीरे से करो असलम भाई, अब फाड़ ही डालो गे मेरी चूत को?एक तो आपका है ही इतना मोटा और दूसरा आप ऐसे चोद रहे है के जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूँ. केयी बारी सोचती हूँ के आपकी पत्नी कितनी खुशकिस्मत है जिस्सको रोज़ आपका लंड मिलता है चोदने के लिए. हमारे तो शर्मा साहिब हफ्ते में एक बार चोदने के लिए लंड खड़ा करते हैं और वो भी 4 इंच का. भाई मुझे तो आप जैसा 8 इंच का ही संतुष्ट करता है. है असलम भाई, अब पेल दो सारा, भाईजान कैसा ज़ालिम लंड है आपका. काश मैं आपकी बीवी बन के रह सकती!"
मैं ठिठक गयी और डोर में से झाँकने लगी. मा पलंग पर टाँगें खोल कर पैर अप्पर उठा कर नंगी लेटी हुई थी और असलम अंकल मा की जांघों के बीच खड़े हो कर अपने मोटे काले लंड को मा की चूत में पेल रहे थे. मेरी मा बहुत गोरी है और उसस्के चूतड़ काफ़ी भारी हैं और चूची भी बहुत बड़ी है. मुझे तो चक्कर आने लगे. असलम अंकल अपनी गांद आगे पीच्छे करते हुए मा को चोद रहे थे और झुक कर मा की चुचि चूस रहे थे. कमरे में वासना का तूफान उमड़ रहा था. मा बेशर्मी से बकने लगी, " ज़ोर से चोद असलम भाई, मस्त कर दे मुझे"
मुझ से अब और नहीं देखा जा रहा था. मेरे जिस्म में एक आग जलने लगी, मेरी चूत में खलबली मचने लगी. मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी, दिल धक धक करने लगा और मेरी पॅंटी मेरी चूत से निकलने वाले जूस से भीग गयी. मुझे चुदाई के बारे पता तो था लेकिन आज पहली बार अपनी ही मा को चुदते देखा था और वो भी असलम अंकल के साथ जो कि मा को बाजी कह कर पुकारते थे. मैं अपने कमरे में भाग गयी. राजू वहाँ खेल रहा था.
थोड़ी देर में बारिश रुकी और बाहर का डोर खुला और असलम अंकल चले गये. तभी राज शर्मा जिसे प्यार से सब राजा कहते थे , गली का एक लड़का जो कि राजू के साथ खेलता था, राजू को बुलाने आया. राजा मेरी उमर का होगा या फिर एक दो साल छ्होटा. जब उसने मुझे देखा तो मेरी छातियाँ उतेज्ना वश उप्पेर नीचे हो रही थी. राजा की नज़र बरबस मेरी उभरी हुई चुचि पर चली गयी. जिस तरह वो मुझे देख रहा था लगता था कि मुझे अपनी आँखों से नंगी कर रहा हो. मेरी नज़र भी उसकी पॅंट के सामने वाले हिस्से पर चली गयी, जहाँ से उभार साफ दिखाई दे रहा था. उसने अपने लंड को पॅंट के उप्पेर से मसल दिया और बोला" राजू को बाहर भेजना ज़रा. हमे को क्रिकेट खेलने जाना है." मैने भी उसको पटाने के लिए बहाना ढूंड लिया और मुस्कुराती हुई बोली," तुम मेरा एक काम करोगे क्या? मेरे रूम का बल्ब फ्यूज़ हो गया है, तुम प्लीज़ चेंज कर देना, राजा भैया!" पहले तो वो खुश हुआ लेकिन जब मैने उसको भैया बोला तो उसका मूह लटक गया.
"हां क्यो नहीं नंदिनी, मैं कुच्छ ही देर में आता हूं. अगर और भी काम हुआ तो कर दूँगा," कहते हुए राजा मेरे भाई को ले कर चला गया. अब मैने राजा को पटाने की स्कीम बना डाली. सब से पहले तो मा को बाज़ार भेज दिया. फिर अपनी कमीज़ उतार कर नीचे से ब्रा उतार डाली और उप्पेर से पारदर्शी कुरती पहन ली. मेरी कुरती से मेरी चुचि सॉफ झलक रही थी. पतला सा कपड़ा भी मेरी चुचि को स्पर्श करता तो बहुत उतेज्ना से भर जाता मेरा बदन. उतेज़ित हो कर मैने अपनी चुचि को ज़ोर से भीच लिया और मेरा बदन मस्ती से भर उठा. फिर मैने सलवार उतार कर एक निकर पहन ली जिससे मेरी टाँगों का अधिक हिस्सा दिख रहा था. उसके नीचे मेने पॅंटी नहीं पहनी थी. चूत गरम हो रही थी और चूत की फाँकें फूली हुई थी. मैं राजा का इंतज़ार करने लगी.
मेरे कमरे का बल्ब मैने फ्यूज़ कर दिया था. कमरे में एक सुगंधित सेंट च्चिड़का दिया और कुरती के उप्पेर वाले दो बटन खोल दिए. मेरे हुस्न का जादू चलाने में कोई कसर बाकी ना थी. मेरा हाथ ज़बरदस्ती मेरी चूत पर जा कर उसको बे-रहमी से मसल्ने लगा. दरवाज़े पर दस्तक हुई. मैने झट से जा कर दरवाज़ा खोला. सामने राजा खड़ा था. मेरा दिल धक धक करने लगा. मैने उस्स्को अंदर बुला कर दरवाज़ा बंद कर दिया. " बल्ब कहाँ है?" मैने उसस्का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बोली, " अंदर कमरे में."
छत बहुत उँची थी और हाथ पहुँचना मुश्किल था. " नंदिनी, ऐसा करो, तुम टेबल पकड़ कर रखो और मैं उप्पेर चढ़ता हूँ, ठीक है," मुझे शरारत सूझी और मैं बोली," उप्पेर तो मर्द ही चढ़ते हैं, और क्या मैं चढ़ूंगी? राजा भैया, और जो मर्ज़ी पकड़ा दो, टेबल नहीं पकड़ सकती, मुझ से नहीं संभाल सकता. ऐसा ना हो कि आप गिर जाएँ." मेरी दोहरी मतलब वाली भाषा समझ कर राजा हंस पड़ा और नट खाट अंदाज़ में बोला," ऐसी बात नहीं है नंदिनी, अगर तुम चाहो तो तुम भी उप्पेर चढ़ सकती हो, मैं तुझे नीचे से थाम लूँगा, अगर मेरी ताक़त पर विश्वास हो तो"
कमरे में धीमी रोशनी थी. राजा ने टेबल रखा और मुझे उप्पेर चढ़ने को कहा. जब मैं ना नुकर करने लगी तो उसने मुझे बाहों में उठा कर टेबल पर खड़ा कर दिया. उसका शरीर जब मेरे शरीर से स्पर्श किया तो मेरी चूत रो पड़ी. उसके बदन का स्पर्श मुझे करेंट मार रहा था. उसस्के हाथों ने मुझे चूतड़ से पकड़ कर उप्पेर उठाया तो मेरा बदन पसीना पसीना हो गया. टेबल के नीचे खड़ा राजा मेरी जवानी को निहार रहा था. उसने मुझे बल्ब पकड़ाते हुए कहा, "इसको होल्डर में घुसा दो, नंदिनी," मैने कभी बल्ब नहीं लगाया था. "मुझ से नहीं होता" मैने कहा." ठहरो मैं भी उप्पेर आता हूँ."
टेबल छ्होटा था और हम दोनो एक साथ सॅट कर खड़े थे. मैं गिरने के डर से राजा के साथ चिपक कर खड़ी हुई थी. उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा हुआ था और बल्ब लगा रहा था. मेरा संतुलन बिगड़ने लगा तो मैने राजा को थाम लिया और अफ़रा तफ़री में मेरा हाथ उसके लंड से जा टकराया. राजा गन्गना उठा. लंड लोहे की तरह तना हुआ था," उई, यह क्या है, राजा भैया? मुझे बहुत डर लग रहा है. मुझे संभाल लो प्लीज़!" उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया. मेरी साँस तेज़ी से चलने लगी, उसका हाथ मेरी कमर के गिर्द कस गया. मेरी चुचि उसकी बलिश्त छाती में धँस गयी. उसका लंड मेरे पेट से टकराने लगा. मैं और भी उतेज़ित होती हुई उसके आलिंगन में घुसती चली गयी.
राजा ने मेरे चेहरे को हाथों में लेकर मुझे होंठों पर किस कर लिया. मेरे आनंद की कोई सीमा ना रही. बल्ब लग चुका था और मेरे अंदर वासना का बल्ब भी जगमगाने लगा." तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो नंदिनी. मैं तुझ से प्यार करता हूँ. क्या तुम भी मुझे प्यार करती हो?" मैने उसस्के लंड को हाथ से स्पर्श करते हुए कहा,' हन राजा भैया, मैं भी तुझे बे हद प्यार करती हूँ." वो झल्ला कर बोला," तो बार बार मुझे भैया क्यो कह रही हो? मैं तेरा आशिक़ हूँ भैया नहीं. मेरा जो…तुमने पकड़ा हुआ है, उस से भी नहीं पता चला" मैं मुस्कुराते हुए बोली," राजा, भाई बेहन के रिश्ते की दीवार के पीच्छे ही हम सारा खेल खेल सकते हैं. अगर एसा नहीं किया तो सारे मोहल्ले ,में बदनाम हो जाएँगे. तुम मुझे सब के सामने दीदी कहा करो और मैं तुझे भैया, क़िस्सी को शक भी नहीं होगा"
"ओके, इसका मतलब है, बाहर बेहन भाई, अंदर करें चुदाई. ठीक है नंदिनी बहना अब नीचे जा कर असली काम करें. और अधिक देरी कर दी तो तेरे हाथ में ही लंड महाराज उल्टी कर देंगे." मैने उसस्का लंड छ्चोड़ दिया और हम दोनो नीचे उत्तर गये. नीचे उत्तरते ही राजा मुझ पर टूट पड़ा. वो ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियाँ मसल्ने लगा. मेरे चुचक में आग लग रही थी. मैने भी हाथ नीचे कर के उसका लंड मसल दिया. "हाई राजा, ये क्या कर रहे हो, मेरा बदन जलने लगा है, मुझे शांत कर दो राजा," मेरे मूह से निकल गया और राजा बिना कुच्छ बोले मेरी कुरती उतारने लगा. मेरी चुचि कड़ी हो चुकी थी. मेरी नंगी चुचिओ से खेलने लगा मेरा नया यार. मैने अपनी जांघों को भींच लिया था क्यो कि मेरी चूत से रस टपकने लगा था. राजा ने अपने गरम होंठ मेरे निपल्स पर रख दिए और अपना हाथ निकर के उप्पेर से मेरी चूत पर रख कर मसल दिया.
मेरी चूत फूल चुकी थी और मैं गरम हो कर उसस्के हाथ पर अपनी चूत को रगड़ रही थी. वासना ने मुझे बेकाबू कर दिया था और मैने राजा के पॅंट्स की ज़िप खोल कर उसस्के लंड बाहर निकाल लिया. मैने उसको उप्पेर नीचे करना शुरू कर दिया. लंड के छेद से रस की बूँद मेरी उंगलिओ पर गिर पड़ी. दूसरे हाथ से मैने राजा के अंडकोष पकड़ लिए. काले काले बालों में छुपे हुए अखरोट बहुत सेक्सी लग रहे थे, राजा मेरी चुचि दबा रहा था और निपल्स को चाट रहा था." नंदिनी, अपनी निक्केर भी उतार दो और मैं भी नंगा हो जाता हूँ, फिर मज़ा आएगा" मैने उसके लंड को मुठियाते हुए कहा,"राजा, मेरी कुरती उतारते वक्त मुझ से पुचछा था क्या? अब निक्केर भी उतार दो, रोका किस ने है, भैया?"
राजा ने अपनी कमीज़ उतार और मेरी निक्केर को भी नीचे सरका दिया. मेरी शेव की हुई चूत उसकी आँखों के सामने मुस्कुरा उठी. आज उसके लंड से मेरी चूत को खुराक मिलने वाली थी. "वाह, नंदिनी, इसको तो बिल्कुल सॉफ कर रखा है. बिल्कुल मक्खन जैसी कोमल और मुलायम लगती है. सच नंदिनी, ऐसी चूत मैने कभी नहीं देखी. दिल करता है इसको चूम लूँ!" मैं भी तो यही चाहती थी." राजा, मक्खन जैसी चूत तेरी ही तो है. चूम लो, चाट लो इस्सको. जो जी चाहे कर लो मेरे साथ. और एक बात बता, राजा भाई, और कितनी चूत देख चुके हो तुम, कितनी लड़कियो को चोद चुके हो पहले तुम. मुझे तो तुम काफ़ी अनुभवी खिलाड़ी लगते हो. सच बतायो राजा." मेरे दिल में काई सवाल उठ रहे थे.
राजा ने मुझे बताया," नंदिनी, तुम सच कह रही हो. मैं चुदाई करने में अनुभवी हूं और आज तक दो को चोद चुका हूँ. मुझे चुदाई की दुनिया में मेरी मम्मी की सहेली ने शुरू किया था. मम्मी की सहेली शांति कोई 37 साल की है और उसका पति विदेश में काम करता है. उसको चुदवाने की लत है और एक दिन मुझे उसने पटा लिया. मुम्मी घर पर नहीं थी और मैं घर में राज शर्मा की हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पढ़ रहा था जब शांति आंटी ने मुझे पकड़ लिया और ब्लॅकमेल करने लगी. उसने मुझे चोदने के लिए निमंत्रित किया तो मैं मान गया, शांति आंटी ज़रा मोटी है और उसस्की चूत पर बहुत घने बाल हैं. उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डाला तो मुझे बहुत मज़ा आया. तब से मैं उसको जब मौका मिले तो चोद लेता हूँ और वो भी बहुत मज़े ले कर चुदति है. पिछले दिनो उसने मुझे एक और आंटी से इंट्रोड्यूस करवाया है. दोनो मेरी रखैल बनी हुई हैं, लेकिन पता नहीं अगर मम्मी को पता चल गया तो शामत आ जाएगी." राजा ने उंगली मेरी चूत में धकेल डाली और मैने अपनी चूत को और खोल दिया.
"अब मेरा क्या करना है राजा? क्या मुझे भी आंटी की तरह चोदो गे? मुझे तो चुदाई का अनुभव नहीं है. लेकिन डर लगता है के दर्द ना हो," मैने अपना डर ज़ाहिर करते हुए कहा. राजा ने मेरी चूत को इतनी ज़ोर से भींचा के मेरी चीख निकल गयी. ' डर काहे का? चूत से बच्चा निकल सकता है तो लंड क्या चीज़ है. बस तुम अपना जिस्म ढीला छ्चोड़ दो और पलंग पर लेट जाओ. फिर देखो अपने राजा भैया का कमाल. तुम ने कभी 69 किया है?" मैं नहीं जानती थी कि ये 69 क्या होता है. राजा मेरी बगल में लेट कर मेरी चूत पर ज़ुबान रख कर चाटने लगा. उस वक्त उसका लंड मेरे होंठों से टकरा रहा था. उसने अपनी कमर को मेरे मूह की तरफ धकेल दिया और उसका लंड मेरे मूह में चला गया. मुझे बहुत मज़ा आने लगा जब मैने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया. मेरी कमर उसके मूह पर आगे पीछे हो रही थी किओं की मैं उसकी सारी ज़ुबान को चूत में ले लेना चाहती थी. तब मुझे पता चला कि 69 क्या होता है.
मेरा मूह राजा के लंड से भरा हुआ था और वो चुस्की ले कर मेरी चूत का मज़ा ले रहा था. चूमा चटाई कितनी देर चलती रही मुझे पता नहीं चला. फिर उसका लंड एकदम अकड़ गया और उसका जिस्म ऐंठ गया. उससने जल्दी से अपना लंड मेरे मूह से बाहर खींच लिया. मुझे तो मज़ा आ रहा था. राजा के लंड का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था." बस अब चुदाई शुरू करें, नंदिनी. मैं अगर लंड बाहर ना निकाल लेता तो सारी क्रीम तेरे मूह में चली जाती. तुम तैयार हो?" मैं क्या कहती. उसने मेरी टाँगों को उप्पेर उठा कर फैला दिया और मेरे चूतड़ के नीचे सिरहाना टीका दिया. फिर अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगा कर लंड को चूत पर रख कर धक्का मारा," ले नंदिनी, मेरी बहना, अब देख तेरा राजा भैया के जलवे दिखता है तुझे. दर्द हुआ तो बर्दाश्त कर लेना, बहुत मज़ा आए गा. लंड जितना बड़ा होता है मज़ा उतना अधिक आता है." मैं चूत को फैलता हुआ महसूस कर रही थी. राजा का लंड एक नश्तर की तरह मेरी चूत में जा रहा था. राजा ने मेरी गांद को पकड़ रखा था.
चुदाई शुरू हो चुकी थी लेकिन मुझे तो बस दर्द हो रहा था. वो मज़ा नहीं मिल रहा था जो मैं उम्मीद कर रही थी.. राजा ने अपना लंड धीरे से अंदर करना जारी रखा और मेरे क्लिट को सहलाने लगा. थोड़ी देर में मेरा जिस्म गन्गना उठा. लंड मेरी खुजली मिटाने लगा. चूत से जूस बह रहा था जिसके कारण चूत मुलायम हो चुकी थी. मेरी चूत अब लंड की माँग कर रही थी," भैया और डालो मेरी चूत में..पेल डालो पूरा लंड मेरे अंदर….बहुत मज़ा आ रहा है..चोदो ज़ोर से मुझे राजा भैया." राजा भी समझ गया कि मैं गरम हो चुकी हूँ और वो मुझे तेज़ी से चोदने लगा." नंदिनी, ऐसे चूत नहीं चोदि मैने आज तक. तेरी तो बहुत कसी हुई है, बहुत मज़ेदार है. तुझे रोज़ चोदुन्गा, तेरी चूत को लंड से भर के रखूँगा, मेरी बहना.'
मैं लंड के मज़े ले रही थी. मेरे चुटटर तकिये से उप्पेर उठने लगे और मेरे हाथों ने राजा की गांद को कस के पकड़ लिया जैसे मैं उसको अपने आप से अलग नहीं करना चाहती थी." राजा मेरी चुचि चूसो, मदेर्चोद जल्दी करो, मैं बहुत उतेज़ित हूँ. मेरी चूत में खलबली मची हुई है, मेरा दिल अजीब स्थिति में है, मुझे ज़ोर से चोद राजा" मेरे राज शर्मा ..मेरे कहते ही राजा ने लंड को पिस्टन बना डाला जो मेरी चूत के अंदर बाहर तेज़ी से जाने लगा. मैं किसी कुतिया की तरह हाँफ रही थी. राजा भी पसीने से भीगा हुआ था. राजा के अंडकोष मेरी गांद को टक्कर मार रहे थे. तभी मुझे लगा कि मेरी चूत से कुच्छ बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था. मैं तेज़ी से कूल्हे उच्छालने लगी. मेरी चूत से एक रस की धारा उमड़ने लगी. मेरी जान ही निकल रही थी. तभी राजा के लंड से गरम लावा मेरी चूत में गिरने लगा. मुझे क्या हुआ, कुच्छ पता नहीं था. लेकिन 15 मिनिट के बात मैं निढाल हुई बिस्तर पर पड़ी थी और राजा अपना लंड चादर से पोंच्छ रहा था.
देसी मेरी चूत से रस टपक कर मेरी जांघों तक पहुँच रहा था. राजा ने मेरे चूतड़ पर थपकी मारते हुए कहा, "रानी, कल तुम मेरे घर आ जाना वहाँ कल कोई नहीं होगा. तुझे जी भर के चुदाई के मज़े मिलेंगे." मैं उसको बोली," राजा, मेरी चूत दुख रही है. क्या ऐसे ही कल भी दुखे गी? लेकिन मैं तेरे घर ज़रूर आयूंगी, मेरे हरामी बलमा"
राज शर्मा से चुदवाने के बाद मैं सारी रात गहरी नींद सोई. मेरी नींद भी चुदाई के सपनो से भरी हुई थी. मुझे चारों तरफ लंड ही लंड दिखाई दे रहे थे. कभी एक लंड मेरे मूह में होता और दूसरा मेरी चूत में. काई बारी तो लंड मेरी गांद में भी घुस जाता. मेरे पूरे जिस्म पर लंड स्पर्श कर रहे थे. सुबह जब उठी तो मैं फूल की तरह खिली हुई थी. वो रविवार का दिन था. पापा और मम्मी बाहर जाने वाले थे. मैने पढ़ाई का बहाना बना लिया और मा ने कहा" ठीक है लेकिन राजू का ख्याल ज़रूर रखना. वो बहुत आवारा हो गया है." मम्मी ने कहा और वो चले गये. राजू अभी सो रहा था.
मैं गुसलखाने चली गयी और नहाने लगी, मैने जब कपड़े उतारे तो मेरा जिस्म खिल उठा. मेरा गोरा बदन गुलाबी हो रहा था. मुझ पर चुदाई का नशा चढ़ रहा था. वा, औरत के लिए भगवान ने भी मर्द क्या चीज़ बनाई है और चूत के लिए लंड. मैने शीशे मैं जब अपना नंगा जिस्म देखा तो खुद ही उतेज़ित हो गयी. मेरी चूचियाँ कुच्छ अधिक ही फूल चुकी थी. मेरे निपलेस बहुत सख़्त हो चुके थे. मेरे सपाट पेट के नीचे मेरी चूत भी उभार पर थी. चूत पर छ्होटे छ्होटे बाल उग चुके थे. इनकी शेव करनी ज़रूरी थी और फिर आज तो मुझे राजा के घर भी जाना था कल वाला मज़ा लेने. राजा के मर्दाना जिस्म की याद में मेरी चूत भीग गयी और मेरा हाथ मेरी चूत सहलाने लगा. काश राजा मेरे पास चला आता.
दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः................
Harami Balma--1
Main Nandini, umar 18 desi saal, 12 class mein padhti hoon. Mere pita ji businessman hain aur kafi amir hain. Ghar mein Maa ke ilawa ek chhota bhai hai jo ki bas 10 saal ka hai. Meri maa Uma Devi ki umar 38 saal ki hai aur vo ek bharpur sexy aurat hai. Pitaji, ram Sharma sara din paise banane mein lage rehte hain aur unke dost maa ke saath khub mauj kar lete hain. Mera chhota bhai Raju pados ke ladkon ke saath cricked khelne chala jata hai, papa dukan par aur main padhne lag jati hoon to maa papa ke doston se chudayi karwati hai. Ek din barish ho rahi thee aur Raju khelne nahin gaya. Vo mujhe preshan kar raha tha to main usski shikayat karne maa ke kamre mein chali gayi. bhabhi desi stories!
Kamra band tha. Main door kholne hi lagi thee ki mujhe maa ki cheekh sunayi padi."Uiiii dheere se karo Aslam bhai, ab phad hi dalo ge meri choot ko?Ek to aapka hai hi itna mota aur dusra aap essey chod rahe hai ke jaise main kahin bhagi ja rahi hoon. Kayi baari sochti hoon ke aapki patni kitni khushkismat hai jissko roz aapka lund milta hai chodne ke liye. Hamare to Sharma sahib hafte mein ek baar chodne ke liye lund khada karte hain aur vo bhi 4 inch ka. Bhai mujhe to aap jaisa 8 inch ka hi santusht karta hai. Hai Aslam Bhai, ab pel do sara, Bhaijaan kaisa zalim lund hai aapka. Kash main aapki biwi ban ke reh sakti!" (bhabhi desi stories)
Main thithak gayi aur door mein se jhankne lagi. Maa palang par tangen khol kar pair upper utha kar nangi leti hui thee aur Aslam uncle maa ki janghon ke beech khade ho kar apne mote kale lund ko maa ki chut mein pel rahe thay. Meri maa bahut gori hai aur usske chutad kafi bhari hain aur choochi bhi bahut badi hai. Mujhe to chakar aane lage. Aslam uncle apni gaand aage peechhey karte huye maa ko chod rahe thay aur jhuk kar maa ki chuchi chus rahe thay. Kamare mein vasan ka toofan umadh raha tha. Maa besharmi se bakne lagi, " Jor se chod Aslam bhai, mast kar de mujhe"
Mujh se ab aur nahin dekha ja raha tha. Mere jism mein ek aag jalne lagi, meri chut mein khalbali machne lagi. Meri chut mein ek ajib see khujli hone lagi, dil dhak dhak karne laga aur meri panty meri chut se nikalne wale juice se bheeg gayi. Mujhe chudayi ke bare pata to tha lekin aaj pehli baar apni hi maa ko chudate dekha tha aur vo bhi Aslam uncle ke saath jo ki maa ko Baji keh kar pukarte thay. Main apne kamre mein bhag gayi. Raju vahan khel raha tha.
Thodi der mein barish ruki aur bahar ka door khula aur Aslam uncle chale gaye. Tabhi Raj sharma sabhi pyaar se raja kahate the , gali ka ek ladka jo ki Raju ke saath khelta tha, Raju ko bulane aaya. Raju meri umar ka hoga ya fir ek do sal chhota. Jab ussne mujhe dekha to meri chhatian utejna vash upper neechey ho rahi thee. Raja ki nazar barbas meri ubhari hui chuchi par chali gayi. Jiss tarah vo mujhe dekh raha tha lagta tha ki mujeh apni ankhon se nangi kar raha ho. Meri nazar bhi usski pant ske samne wale hissey par chali gayi, jahan se ubhar saaf dikhayi de raha tha. Usssne apne lund ko pants ke upper se masal diya aur bola" Raju ko bahar bhejna zara. Hum ko cricket khelne jana hai." Maine bhi ussko patane ke liye bahana dhoond liya ur muskurati hui boli," Tum mera ek kaam karoge kia? Mere room ka bulb fuse ho gaya hai, tum please change kar dena, Raja Bhaiya!" Pehle to vo khush hua lekin jab maine usski Bhaiya bola to usska muh latak gaya.
"Haan kion nahin Nandini, main kuchh hi der mein aata hoon. Agar aur bhi kaam hua to kar doonga," kehte huye Raja mere bhai ko le kar chala gaya. Ab maine Raja ko patane ki scheme bana dali. Sab se pehle to maa ko bazar bhej diya. Fir apni kamiz uttar kar neechey se bra uttar dali aur upper se pardarshi kurti pehan li. Meri kurti se meri chuchi saaf jhalak rahi thee. Patla sa kapda bhi meri chuchi ko sparsh karta to bahut utejna se bhar jata mera badan. Utejit ho kar maine apni chuchi ko zor se bheech liya aur mera badan masti se bhar utha. Fir maine salwar uttar kar ek nicker pehan li jiss se meri tangon ka adhik hissa dikh raha tha. Usske neechey meine panty nahin pehni thee. Chut garam ho rahi thee aur chut ki phanken phuli hui thee. Main Raja ka intzar karne lagi.
Mere kamre ka bulb maine fuse kar diya tha. Kamre mein ek sugandhit scent chhidaka diya aur kurti ke upper wale do button khol diye. Mere husn ka jadu chalne mein koi kasar baki na thee. Mera haath zabardasti meri chut par ja kar ussko be-rehmi se masalne laga. Darwaze par dastak hui. Maine jhat se ja kar darwaza khola. Samne Raja khada tha. Mera dil dhak dhak karne laga. Maine ussko andar bula kar darwaza band kar diya. " Bulb kahan hai?" Maine usska haath pakad kar apni taraf kheencha aur boli, " Andar kamre mein."
Chhat bahut unchi thee aur haath pahunchna mushkil tha. " Nandini, essa karo, tum table pakad kar rakho aur main upper chadhta hoon, theek hai," Mujhe sharat sujhi aur main boli," Upper to mard hi chadhte hain, aur kia main chadhungi? Lekin Raja Bhaiya, aur jo marzi pakda do, table nahin pakad sakti, mujh se nahin sambhal sakta. Essa na ho ki aap gir jayen." Meri dohari matlab wali bhasha samajh kar Raja hans pada aur nat khat andaz mein bola," Essi baat nahin hai Nandini, agar tum chaho to tum bhi upper chadh sakti ho, main tujhe neechey se thaam loonga, agar meri takat par vishwas ho to"
Kamre mein dheemi roshni thee. Raja ne table rakha aur mujhe upper chadhne ko kaha. Jab main na nukar karne lagi to ussne mujhe bahon mein utha kar table par khada kar diya. Usska sahrir jab mere se sparsh kia to meri choot ro padi. Usske badanka sparsh mujhe current mar raha tha. Usske haathon ne mujhe chutad se pakad kar upper uthaya to mera badan pasina pasina ho gaya. Table ke neechey khada Raja meri jawani ko nihar raha tha. Ussne mujhe bulb pakdate huye kaha, "Issko holder mein ghusa do, Nandini," Maine kabhibulb nahin lagaya tha. "Mujh se nahin hota" Maine kaha." Thehro main bhi upper ata hoon."
Table chhota tha aur hum dono ek saath sat kar khade thay. Main girne ke dar se Raja ke saath chipak kar khadi hui thee. Ussne mere kandhey par haath rakha hua tha aur bulb laga raha tha. Mera santulan bigadne laga to maine Raja ko thaam liya aur afra tafri mein mera haath usske lund se ja takraya. Raja gangana utha. Lund lohe ki tarah tana hua tha," Ui, yeh kia hai, Raja Bhaiya? Mujhe bahut dar lag raha hai. Mujhe sambhal lo please!" Ussne mujhe apne seeney se laga liya. Meri saans tezi se chalne lagi, usska haath meri kamar ke gird kas gaya. Meri chuchi usski balisht chhati mein dhans gayi. Usska lund mere pet se takrane laga. Main aur bhi utejit hoti hui usske alingan mein ghusti chali gayi.
Raja ne mere chehre ko haathon mein lekar mujhe honthon par kiss kar liya. Mere anand ki koi seema na rahi. Bulb lag chuka tha aur mere andar vasna ka bulb bhi jagmagane laga." Tum bahut sundar aur sexy ho Nandini. Main tujh se pyar karta hoon. Kia tum bhi mujhe pyar karti ho?" Maine usske lund ko haath se sparsh karte huye kaha,' Haan Raja Bhaiya, main bhi tujhe be had pyar karti hoon." Vo jhala kar bola," To baar baar mujeh Bhaiya kion keh rahi ho? Main tera ashique hoon Bhaiya nahin. Mera jo…tumne pakda hua hai, uss se bhi nahin pata chala" Main muskurate huye boli," Raja, bhai behan ke rishte ki deewar ke peechhey hi hum sara khel khel saktey hain. Agar essa nahin kia to sare mohalle ,mein badnam ho jayenge. Tum mujhe sab ke samne did kaha karo aur main tujeh bhaiya, kissi ko shak bhi nahin hoga"
"ok, isska matlab hai, bahar behan bhai, andar karen chudayi. Theek hai Nandini behna ab neechey ja kar asali kaam karen. Zara adhik deri kar dee to tere haath mein hi lund maharaj ulti kar denge." Maine usska lund chhod diya aur hum dodno neeechey uttar gaye. Neechey uttarte hi Raja mujh par toot pada. Vo zor zor se meri chhatian masalne laga. Mere chuchak mein aag lag rahi thee. Maine bhi haath neechey kar ke usska lund masal diya. "Hai Raja, ye kia kar rahe ho, mera badan jalne laga hai, mujhe shaant kar do Raja," Mere muh se nikal gaya aur Raja bina kuchh bole meri kurti uttarne laga. Meri chuchi kadi ho chuki thee. Meri nangi chuchion se khelne laga mera naya yaar. Maine apni janghon ko bheench liya tha kion ki meri chut se ras tapakne laga tha. Raja ne apne garam honth mere nipples par rakh diye aur apna haath nicker ke upper se meri chut par rakh kar masal diya.
Meri chut phul chuki thee aur main garam ho kar usske haath par apni chut ko ragad rahi thee. Vasna ne mujeh bekabu kar diya tha aur maine Raja ki pants ki zip khol kar usske lund bahar nikal liya. Maine ussko upper neechey karna shuru kar diya. Lund ke chhed se ras ki boond meri unglion par gir padi. Dusre haath se maine Raja ke andkosh pakad liye. Kale kale balon mein chupe huye akhrot bahut sexy lag rahe thay, Raja meri chuchi daba raha tha aur nipples ko chat raha tha." Nandini, apni nicker bhi uttar do aur main bhi nanga ho jata hoon, fir maza ayega" Maine usske lund ko muthiate huye kaha,"Raja, meri kurti utarte wakt mujh se puchha tha kia? Ab nicker bhi uttar do, roka kiss ne hai, Bhaiya?"
Raja ne apni kamiz uttari aur meri nicker ko bhi neechey sarka diya. Meri shave ki hui chut usski ankhon ke samne muskura uthi. Aaj usske lund se meri chut ko khurak milne wali thee. "Wah, Nandini, issko to bilkul saaf kar rakha hai. Bilkul makhan jaisi komal aur mulayam lagti hai. Sach Nandini, essi chut maine kabhi nahin dekhi. Dil karta hai issko chum loon!" Main bhi to yahi chahti thee." Raja, makhan jaisi chut teri hi to hai. Chum lo, chat lo issko. Jo ji chahe kar lo mere saath. Aur ek baat bata, Raja bhai, aur kitni chut dekh chuke ho tum, kitni ladkion ko chod chuke ho pehle tum. Mujhe to tum kafi anubhavi khiladi lagte ho. Sach batayo Raja." Mere dil mein kayi sawal uth rahe thay.
Raja ne mujhe bataya," Nandini, tum sach keh rahi ho. Main chudayi kerne mein anubhavi hoon aur aaj tak do ko chod chuka hoon. Mujhe chudayi ki duniya mein meri mummy ki saheli ne shuru kiya tha. Mummy ki saheli Shanti koi 37 saal ki hai aur usska pati videsh mein kam karta hai. Ussko chudwane ki lat hai aur ek din mujhe ussne pata liya. Mumy ghar par nahin thee aur main ghar mein Mast Ram ki pustak padh raha tha jab Shanti aunty ne mujhe pakad liya aur blackmail karne lagi. Ussne mujeh chodne ke liye nimantrit kia to main maan gaya, Shanti aunty zara moti hai aur usski chut par bahut ghane bal hain. Ussne mera lund pakad kar apni chut mein dala to mujhe bahut maza aaya. Tab se main ussko jab mauka mile to chod leta hoon aur vo bhi bahut maze le kar chudati hai. Picchle dino ussne mujhe ek aur aunty se introduce karwaya hai. Dono meri rakhail bani hui hain, lekin pata nahin agar mummy ko pata chal gaya to shamat aa jayegi." Raja ne ungli meri chut mein dhakel dali aur miane apni chut ko aur khol diya.
"Ab mera kia karna hai Raja? Kia mujhe bhi aunty ki tarah chodo ge? Mujhe to chudayi ka anubhav nahin hai. lekin dar lagata hai ke dard na ho," Maine apna dar zahir karte huye kaha. Raja ne meri chut ko itni zor se bheencha ke meri cheekh nikla gayi. ' Dar kahe ka? Chut se bacha nikal sakta hai to lund kia cheez hai. Bas tum apna jism dheela chhod do aur palang par let jayo. Fir dekho apne Raja bhaiya ka kamal. Tum ne kabhi 69 kia hai?" Main nahin janti thee ki ye 69 kia hota hai. Raja meri bagal mein let kar meri chut par zuban rakh kar chatne laga. Uss wakt usska lund mere honthon se takra raha tha. Ussne apni kamar ko mere muh ki taraf dhakel diya aur usska lund mere muh mein chala gaya. Mujhe bahut maza aaney laga jab maine usska lund chusna shuru kar diya. Meri kamar usske muh par aage peechhey ho rahi thee kion ki main usski sari zuban ko chut mein le lena chahti thee. Tab mujhe pata chala ki 69 kia hota hai.
Mera muh Raja ke lund se bhara hua tha aur vo chuski le kar meri chut ka maza le raha tha. Chuma chatayi kitni der chalti rahi mujhe pata nahin chala. Fir usska lund ekdum akad gaya aur usska jism ainth gaya. Ussne jaldi se apna lund mere muh se bahar kheench liya. Mujhe to maza aa raha tha. Raja ke lund ka namkeen swad bahut achha lag raha tha." Bas ab chudayi shuru karen, Nandini. Main agar lund bahar na nikal leta to sari cream tere muh mein chali jati. Tum taiyar ho?" Main kia kehti. Ussne meri tangon ko upper utha kar faila ditya aur mere chutad ke neechey sirhana tika diya. Fir apne lund par dher sara thook laga kar lund ko chut par rakh kar dhaka mara," Le Nandini, meri behna, ab dekh tera Raja bhaiya kia jalwe dikhata hai tujhe. Dard hua to bardasht kar lena, bahut maza aaye ga. Lund jitna bada hota hai maza utna adhik ata hai." Main chut ko failta hua mehsoos kar rahi thee. Raja ka lund ek nashtar ki tarah meri chut mein ja raha tha. Raja ne meri gaand ko pakad rakha tha.
Chudayi shuru ho chuki thee lekin mujhe to bas dard ho raha tha. Vo maza nahin mil raha tha jo main umeed kar rahi thee.. Raja ne apna lund dheere se andar karna jari rakha aur mere clit ko sehlane laga. Thodi der mein mera jism gangana utha. Lund meri khujli mitane laga. Chut se juice beh raha tha jiss karan chut mulayam ho chuki thee. Meri chut ab lund ki maang kar rahi thee," Bhaiya aur dalo meri chut mein..Pel dalo pura lund mere andar….Bahut maza aa raha hai..Chodo jor se mujhe Raja bhaiya." Raja bhi samajh gaya ki main garam ho chuki hoon aur vo mujeh tezi se chodne laga." Nandini, essi chut nahin chodi maine aaj tak. Teri to bahut kasi hui hai, bahut mazedar hai. Tujhe roz chodunga, teri chut ko lund se bhar ke rakhunga, meri behna.'
Main lund ke maze le rahi thee. Mere chuttar upper takiye se upper uthne lage aur mere haathon ne Raja ki gaand ko kas ke pakad liya jaise main ussko apne aap se alag nahin karna chahti thee." Raja meri chuchi chuso, maderchod jaldi karo, main bahut utejit hoon. Meri chut mein khalbali machi hui hai, mera dil ajib sathiti mein hai, mujeh jor se chod Raja" Mere kehte hi Raja ne lund ko piston bana dala jo meri chut ke andar bahar tezi se jane laga. Main kissi kuttia ki tarah haanf rahi thee. Raja bhi pasine se bhega hua tha. Raja ke andkosh meri gaand ko takar mar rahe thay. Tabhi mujhe laga ki meri chut se kuchh bahar nikalne ki koshish kar raha tha. Main tezi se kulhe uchhalne lagi. Meri chut se ek ras ki dhara umadne lagi. Meri jaan hi nikal rahi thee. Tabhi Raja ke lund se garam lava meri chut mein girne laga. Mujhe kia hua, kuchh pata nahin tha. Lekin 15 minute ke baat main nidhal hui bistar par padi thee aur Raja apna lund chadar se ponchh raha tha.
Desi Meri chut se ras tapak kar merin janghon tak pahunch raha tha. Raja ne mere chutad par thapaki marte huye kaha, "Rani, Kal tum mere ghar aa jana wahan kal koi nahin hoga. Tujhe ji bhar ke chudayi ke maze milenge." Main ussko boli," Raja, meri chut dukh rahi hai. Kia essey hi kal bhi dukhey gi? Desi Lekin main tere ghar zarur aayungi, mere harami balma"
Raj se chudwane ke baad main sari raat gehri neend soyi. Meri neend bhi chudayi ke sapno se bhari hui thee. Mujhe charon taraf lund hi lund dikhayi de rahe thay. Kabhi ek lund mere muh mein hota aur dusra meri chut mein. Kayo bari to lund meri gaand mein bhi ghus jata. Mere pure jism par lund sparsh kar rahe thay. Subah jab uthi to main phool ki tarah khili hui thee. Vo ravivar ka din tha. Papa aur mummy bahar jane wale thay. Maine padhayi ka bahana bana liya aur maa ne kaha" Theek hai lekin Raju ka khyal zarur rakhna. Vo bahut awara ho gaya hai." Mummy ne kaha aur vo chale gaye. Raju abhi so raha tha.
Main gusalkhane chali gayi aur nahane lagi, Maine jab kapde uttare to mera jism khil utha. Mera gora badan gulabi ho raha tha. Mujh par chudayi ka nasha chadh raha tha. Wah, aurat ke liye bhagwan ne bhi mard kia cheez banayi hai aur chut ke liye lund. Maine sheeshe main jab apna nanga jism dekha to khud hi utejit ho gayi. Meri chhatian kuchh adhik hi phul chuki thee. Mere niples bahut sakhat ho chuke thay. Mere sapat pet ke neechey meri chut bhi ubhar par thee. Chut par chhote chhote bal ug chuke thay. Inki shve karni zaruri thee aur fir aaj to mujhe Raja ke ghar bhi jana tha kal wala maza lene. Raja ke mardana jism ki yaad mein meri chut bheeg gayi aur mera haath meri chut sehlane laga. Kash Raja mere pass chala aata. dosto baaki ki kahaani agale paart me aapka dost raj sharma
kramashah................
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