Sunday, June 8, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--14

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--14

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अब आगे
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 श्वेता ने अपने हाथ मे साबुन लिया और उसके कसरती बदन को अपने कोमल हाथों से रगड़कर साफ़ करने लगी...उसकी नाज़ुक उंगलियाँ पीठ पर ऐसे लग रही थी मानो किसी कुशन मे धँस रही हो..साबुन लगाते -2 वो नीचे तक पहुँची, जहाँ उसके सुडोल और सख़्त चूतड़ उसके हाथों मे आ गये, उसने अंडरवीयर के उपर से ही उन्हे दबा कर देखा की उनमे कितनी जान है..और फिर अचानक अपने हाथों मे ढेर सारा साबुन मलकर उसने अपने हाथ को अंदर खिसका दिया...और एक - एक करके उन्हे मसलने लगी..

नितिन को श्वेता से ऐसा करने की उम्मीद नही थी..उसका पूरा जिस्म ऐंठ सा गया और उसके कूल्हों मे थोड़ा और कसाव आ गया, जिसे श्वेता भी महसूस कर पा रही थी.

श्वेता ने नितिन को घूमने के लिए कहा, वो दीवार की तरफ मुँह करके अपने दोनो हाथ उसपर लगा कर खड़ा हो गया, क्योकी वो अपने लॅंड के उभार को उसके बिल्कुल सामने नही लेकर आना चाहता था, श्वेता ने उसकी छाती पर साबुन लगाना शुरू कर दिया, उसकी नज़र सीधा नितिन के अंडरवीयर पर गयी जहा बड़ा सा तंबू बना हुआ था..उसकी साँसे रुकने सी लगी..नितिन ने भी देखा की श्वेता की नज़रे कहा पर है, वो धीरे से बोला : "ये ..तो बस ...ऐसे ही...यू नो. ....''

श्वेता : "हाँ .... कोई बात नही, इट्स नॉर्मल ...''

नितिन की नज़रे श्वेता की ब्रा पर टिक कर रह गयी, पानी की एक लंबी धार उसके उभारों के बीच बनी घाटी मे जा रही थी, और उसके नुकीले निप्पल वो बड़ी आसानी से देख पा रहा था, उसका सपाट पेट और चिकनी जांघे भी बड़ी सेक्सी लग रही थी.

साबुन लगते हुए श्वेता नीचे घुटनो के बल बैठ गयी, वो उसकी टाँगो पर साबुन लगा रही थी..एक-दो बार तो उसके हाथ अंडरवीअर मे भरे हुए समान को भी छू गये..पर दोनो अपनी-2 साँसे रोक कर उसे इगनोर करते रहे..

नितिन अब घूम कर उसकी तरफ मुँह करके खड़ा हो गया, और अपने सामने घुटनो के बल बैठी हुई श्वेता अब उसको ऐसे लग रही थी मानो उसके लॅंड को चूसने के लिए ही बैठी है वहा..उपर से देखने पर उसकी गोलाइयाँ भी काफ़ी बड़ी और गोल दिख रही थी..उसे ऐसी हालत मे देखकर नितिन के छोटे सिपाही ने एक दो सलामी ठोक डाली नीचे बैठी श्वेता के चेहरे पर ही...जिसे उसने भी साफ़ महसूस किया.

श्वेता जब एक टाँग पर साबुन लगाकर दूसरी की तरफ मुड़ी तो अपने सिर को पीछे किया और फिर आगे क्योंकि नितिन का लॅंड इतना आगे निकला हुआ था की अगर वो ऐसा ना करती तो उसके चेहरे से टकरा जाता वो..उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, वो मन ही मन सोच रही थी की इस वक़्त उसका कोई बाय्फ्रेंड होता तो कब का उसका लॅंड उसके मुँह मे होता.

और उसके दिमाग़ मे अपने बीएफ के बारे मे ये बात चल ही रही थी की उसके हाथों ने हरकत की और उसकी टाँगो से होते हुए वो उपर तक आए और एक ही झटके मे उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ लिया..

ओह्ह गॉड , कितना सख़्त है ये...बिल्कुल स्टील के जैसा..

उसकी आँखो मे गुलाबीपन उतर आया..वो अंडरवीयर के उपर से ही अपने साबुन वाले हाथों से उसके लॅंड का नाप लेने लगी..

नितिन को तो विश्वास ही नही हो रहा था की श्वेता ने पहल कर दी है उस खेल की, जिसका शायद दोनो कल से इंतजार कर रहे थे..

श्वेता की नज़रें उसके लॅंड से होती हुई उपर तक आई...और अपने भाई को देखकर ना जाने उसके दिमाग़ मे एकदम से क्या आया और वो उछल पड़ी : "ओह्ह्ह फककक''

और इतना कहकर वो उठ खड़ी हुई और टब से बाहर निकल आई..और एक टावल अपने गीले शरीर पर लपेटा और दूसरा नितिन की तरफ फेंक कर बाहर भागती चली गयी..

नितिन पीछे से चिल्लाता रह गया की मत जाओ, मत जाओ...पर वो रुकी नही.

नितिन ने अपना अंडरवीयर उतार फेंका और अपने नंगे बदन को साफ़ करने लगा


 अपने कमरे मे पहुँचकर श्वेता ने दरवाजा बंद किया और अपना टावल फेंक कर बिस्तर पर लेट गयी, उसके सामने बाथरूम मे खड़ा हुआ नितिन ही दिख रहा था, सोचना कितना आसान था पर जब करने की बारी आई तो उसकी फट कर हाथ मे आ गयी, हिम्मत ही नही हुई कुछ और करने की, पर पहला कदम अपनी तरफ से उठा कर उसने हिम्मत तो दिखाई थी ना...और उसके भाई का लॅंड कितना बड़ा था, कितना सख़्त था..उसके बारे मे सोचते हुए उसने अपनी जाँघो को भींच लिया एक दूसरे के साथ..अब इतना कुछ होने के बाद उसके शरीर ने कुछ ना कुछ तो रिएक्ट करना ही था ना.

''वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे..." इतना सोचते हुए उसने अपनी ब्रा की डोरी खोल दी और वो नीचे गिर गयी, अपने लंबे निप्पल्स को अपनी हथेली मे छुपा कर वो उसे मसलने लगी, पानी मे भीगकार ठंडे हो चुके निप्पल्स को रगड़कर वो उन्हें गर्म करने लगी और उनमे उर्जा का संचार करने लगी..

उंगली मे पकड़कर वो उन्हे खींचने भी लगी..जिसमे उसे मज़ा भी आ रहा था, और साथ ही साथ अपनी ब्रेस्ट को दबाने भी लगी, उसकी खुली आँखो के सामने उसके भाई का लॅंड था, अंडरवीयर में , लंबा सा, जिसे महसूस वो कर रही थी पर असल मे पकड़ अपनी ब्रेस्ट रही थी..

दूसरे हाथ से उसने अपनी डोरी वाली पेंटी को भी खोल कर नीचे गिरा दिया..

अब वो पूरी तरहा से नंगी थी.

अपने भाई के बारे मे सोचते हुए उसने फिर से अपनी नमकीन चूत के अंदर उंगलियाँ घुमानी शुरू कर दी , और उंगलियाँ अंदर बाहर करते हुए उसकी सोच उस पल मे पहुँच गयी जब उसने नितिन का लॅंड पकड़ा था, फिर उसने उस पल से आगे इमैजिन करना शुरू कर दिया, वो उसका अंडरवीयर उतार देती है, और उसका खड़ा हुआ लॅंड एक ही झटके मे उसके चेहरे पर ठोकर मारता हुआ उसके सामने प्रकट हो जाता है..

फिर वो धीरे से उसे पकड़ कर उसके सिरे पर चूमती है और फिर भूखी कुतीया की तरह उसे अपने मुँह के अंदर धकेल लेती है...नितिन बेचारा अपने पंजो पर खड़ा होकर चिल्लाने लगता है की धीरे करो, पर वो नही सुनती और अपने दांतो और होंठों का इस्तेमाल करते हुए उसके लंबे लॅंड की धज्जियाँ उड़ाते हुए उसे ज़ोर-2 से चूसने लगती है...

और जैसे ही उसे ये एहसास होता है की उसके लॅंड का पानी निकल रहा है, उसी वक़्त उसकी चूत की दीवारों से रिस रहा पानी बाहर निकलने लगा और उसे लगातार दूसरे दिन परमानंद की प्राप्ति हुई.

उसने एक निक्कर और टी शर्ट पहन ली, बिना ब्रा और पेंटी के और वही बेड पर लेटी रही, अपने भाई के बारे मे सोचती रही..

और नीचे, अपने कपड़े पहन कर नितिन टीवी के सामने बैठा था, पर उसका दिमाग़ भी श्वेता की तरफ ही था, की कैसे उसने उसके खड़े हुए लॅंड को पकड़ लिया था, काश वो वहा से भाग ना गयी होती तो उसके लॅंड की तो ऐश हो जाती आज...जब भी श्वेता का नाम उसके जहन मे आ रहा था, उसका लॅंड खड़ा हो जाता, और फिर कुछ देर बैठने के बाद फिर से झटके मारने लगता ..काश वो अपने हाथों से मुठ मार सकता..

तभी उसने देखा की श्वेता नीचे आ रही है.

वो कुछ बोलने ही वाला था की श्वेता ने बीच मे टोक दिया : "कुछ बोलने की ज़रूरत नही है..मुझे अभी उस बारे मे कोई बात नही करनी, अभी टीवी देखते है बस...''

वो चलती हुई उसके सामने आई और साथ वाली खाली जगहा पर बैठ गयी, नितिन की नज़रें उसका एक्सरे करने मे लगी थी, उसकी मोटी-2 जांघे उस छोटी से निक्कर मे बुरी तरह से फंसी हुई थी,और जिस तरह से उसकी ब्रेस्ट हिल रही थी, वो समझ गया की उसने अंदर ब्रा नही पहनी है, इतना सोचते ही उसका लॅंड फिर से बग़ावत करता हुआ उठ खड़ा हुआ..उसने बड़ी मुश्किल से अपने हाथों से ढक कर उसे दिखने से बचाया..

नितिन लगभग दस मिनट तक तो ऐसे ही बैठा रहा पर जब उसके लॅंड ने अपनी अकड़ नही छोड़ी तो वो उठ कर वहा से चल दिया, अपनी बहन को गुड नाइट बोल कर जब वो अपने कमरे मे जा रहा था तो श्वेता की नज़रें उसके चेहरे पर नही बल्कि उसकी दोनो टाँगो के बीच दिख रहे उभार पर थी, जिसे देखकर वो सोचने लगी की ये अब तक ऐसे ही खड़ा है...उसके अंदर की रंडी ने एक बार तो सोचा की झपटकर उसकी पेंट नीचे उतार दे और सक कर ले उसके लॅंड को पर वो ऐसा नही कर पाई..और वहीं बैठ कर टीवी देखती रह गयी अकेली..और कुछ देर बाद वो भी जाकर सो गयी.


 अगले दिन दोनो जब ब्रेकफास्ट कर रहे थे तो अचानक श्वेता ने नितिन से पूछा : "क्या आज भी तुम्हे हेल्प चाहिए नहाने के लिए..''

नितिन के लिए ये किसी सरप्राईस से कम नही था, क्योंकि कल वाले इन्सिडेंट के बाद रात को जिस तरह से श्वेता बिहेव कर रही थी वो सोचने लग गया था की शायद वो नाराज़ हो गयी है और इसलिए उसने तय कर रखा था की आज वो श्वेता की मदद नही लेगा नहाने के लिए..पर उसने खुद ही उसके सामने ऑफर रख दिया था, इसलिए उसने खुशी -2 अपना सिर हिला कर हाँ बोल दिया.

श्वेता : ''पर तुम्हे भी मेरा एक काम करना होगा...''

नितिन : "क्या ....?"

श्वेता (शरमाते हुए) : "वो...वो ...शाम को केतन आएगा, और तुम हम दोनो को डिस्टर्ब नही करोगे कुछ देर के लिए...''

केतन और श्वेता का चक्कर काफ़ी समय से चल रहा था, और ये बात नितिन को भी पता थी, केतन के साथ श्वेता लगभग सब कुछ कर चुकी थी, सिवाए चुदाई के, उसने अपनी चूत के अंदर उसकी उंगलीया और जीभ के अलावा कुछ और नही जाने दिया था अब तक..और शायद इसलिए वो अब तक उसके पीछे पागलों की तरहा घूमता था...वो एक रईस बाप का बिगड़ा हुआ लड़का था..और श्वेता पर पानी की तरहा पैसे बहाता था.

और ये बात नितिन अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन का एक बाय्फ्रेंड है..और उसका नाम केतन है..

नितिन ने जब ये बात सुनी तो उसके सारे अरमान पानी की तरहा बह गये, उसके लॅंड की अकड़न ढीली पड़ गयी और उसका लॅंड भी उसके चेहरे की तरह मायूस होकर लटक गया.

पर वो श्वेता की हिम्मत की दाद दे रहा था की वो उसे घर पर लाएगी , ये उसने सोचा नही था..

नितिन : "पर मम्मी ने मना किया है ना की ऐसे घर पर किसी को नही लेकर आना...''

श्वेता : "मम्मी को पता चलेगा तब ना, मैं तुम्हारी नहाने मे हेल्प कर रही हू, तुम मेरी इतनी सी हेल्प नही कर सकते...''

श्वेता ने आगे बड़कर उसकी जाँघ पर हाथ रखकर उसे थोड़ा सा दबा दिया, नितिन और उसके लॅंड के लिए इतना ही बहुत था..उसने हाँ मे सिर हिला दिया.

श्वेता की खुशी का कोई ठिकाना नही था..वो हंसते हुए उपर चल दी..अपने कपड़े चेंज करने के लिए..

और नितिन बाथरूम की तरफ...उसे उम्मीद थी की शायद आज कुछ ज़्यादा हो जाए कल के मुक़ाबले...

अंदर पहुँचकर वो अपने कपड़े उतार कर खड़ा हो गया, उसके लॅंड ने अपना आकार लेना शुरू कर दिया था..श्वेता अंदर आई, उसने वही कल वाली ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसके मोटे मुम्मे और अखरोट की तरह सख़्त निप्पल साफ़ दिख रहे थे..उसने नितिन के हाथों को प्लास्टिक से कवर किया और फिर दोनो शावर के अंदर चले गये..

श्वेता ने उसके पुर जिस्म पर साबुन लगाना शुरू कर दिया, आज वो कुछ ज़्यादा ही खुले तरीके से साबुन लगा रही थी, क्योंकि एक-दो बार जब नितिन का खड़ा हुआ लॅंड उसके हाथों से रगड़ खा गया तो भी वो बिना रुके साबुन लगती रही..

श्वेता का बदन भी भीग कर पारदर्शी सा हो चुका था, आज वो कुछ ज़्यादा ही भीग रही थी, और कुछ ज़्यादा ही रगड़ रही थी अपने बदन को भी नितिन के बदन के साथ..नितिन को आगे खड़ा करके उसने जब उसके सीने पर साबुन लगाया तो उसकी दोनो चुचियाँ उसकी पीठ पर धँस गयी..श्वेता का तो पता नही पर नितिन के मुँह से ज़रूर एक आहह सी निकल गयी, उसे श्वेता के निप्पल अपनी पीठ पर चुभते हुए से महसूस हो रहे थे...

उसके हाथ साबुन लगाते हुए नीचे तक आए और अचानक श्वेता को लगा की उसने नितिन के नंगे लॅंड को छू लिया है...और हुआ भी ऐसा ही था, दरअसल नितिन का खड़ा हुआ लॅंड लगभग दो इंच बाहर निकल आया था अपने अंडरवीयर से और उपर की तरफ मुँह करके वो श्वेता के नाज़ुक हाथों को छू रहा था..उन्हे चूम रहा था..

श्वेता ने भी बिना किसी झिझक के उपर से नीचे हाथ करते हुए नितिन के लॅंड पर भी अपनी उंगलियाँ फिसला दी और उस पर भी साबुन लगा दिया..और फिर उपर हाथ करते हुए उसके सीने पर साबुन लगाने लगी..ऐसा उपर नीचे उसने दो-तीन बार किया...हर बार साबुन से सने हाथ उसके लॅंड पर फिसल रहे थे..और नितिन के चेहरे की रंगत हर बार बदल रही थी..

दोनो एक दूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे, पर जब भी श्वेता के हाथ उसके लॅंड पर फिसलते, उसका मुँह खुल सा जाता और अंदर से ठंडी सिसकारियाँ बाहर निकलने लगती..श्वेता ने थोड़ा आगे होकर शावर ओन कर दिया और ठंडा पानी नितिन की छाती पर पड़ने लगा..

श्वेता अपने हाथ उपर नीचे करते हुए उसके बदन का साबुन सॉफ करने लगी...और जब साबुन की चिकनाहट ख़त्म हुई तो श्वेता के नाज़ुक हाथ नितिन के बदन पर चिपक-2 कर चल रहे थे..

और अंत मे जब उसके हाथो ने उसके लॅंड के उपरी भाग पर जमे हुए साबुन को सॉफ किया तो नितिन ने एक जोरदार झटका दिया और उसका आधे से ज़्यादा लॅंड उसके अंडरवीयर से बाहर निकल कर श्वेता के हाथ मे आ गया...

श्वेता के दिल की धड़कन एकदम से इतनी तेज हो गयी की नितिन को अपनी पीठ पर हथोड़े बजते हुए सुनाई दे रहे थे...

श्वेता ने धीरे-2 अपनी उंगलियाँ उपर नीचे करते हुए उसके लॅंड को पूरी तरह से सॉफ किया और शावर बंद कर दिया..और फिर कल की ही तरह ही अपना टावल उठा कर वहाँ से भागती हुई उपर अपने कमरे मे चली गयी..

अपने कपड़े उतार कर उसने ऐसे फेंके जैसे आज के बाद उनकी कोई ज़रूरत ही नही पड़ने वाली..और फिर से नितिन के खड़े लॅंड के बारे मे सोचते हुए अपनी उंगलियाँ अपनी चूत के अंदर धकेल दी..

दो दिनों से वो जो करना चाह रही थी वो ना तो खुद कर पाई थी और ना ही नितिन...पर जब तक दोनो कुछ करे उस आग को बुझाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा...और उसके लिए केतन के अलावा कोई और हो ही नही सकता था...इसलिए उसने उसे अपने घर पर बुलाया था आज ....

और अपने भाई और केतन के बारे मे सोचते हुए उसने एक जोरदार हुंकार के साथ अपनी चूत का पानी अपने बिस्तर पर निकाल दिया.







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