FUN-MAZA-MASTI
शिक्षिका की बेटी की बजायी
नमस्कार दोस्तों,
आज मैं आपको आपको दोस्तों अपनी शिक्षिका की बेटी चुदाई की उत्तेजित भरी कहानी सुनाने जा रहा हूँ | मैं और मेरी कक्षा में में पढ़ने वाले कुछ विद्यार्थी हमारी शिक्षिका के घर में पढ़ने जाया करते थे जहाँ पर मेरी उनकी बेटी से मुलकात हो चली थी | अब मेरा ध्यान पढाई में कम बल्कि उनकी बेटी में कुछ ज्यादा ही लगने लाग था | मैं अक्सर ही पढाई के बाद उसके तहसाथ खूब बाते किया करता और हमारे बच्कांडपने पर हमारी शिक्षिका ने कुछ गौर भी नहीं किया पर अब तक मेरे दिमाक में कहीं घिनोने ख्याल बस चुके थे और उनकी बेटी चुत पल में ही मेरे लोले पर सवार हो चली |
दोस्तों अब मैं घर में अकेला रहने के कारण उसकी बेटी को अपने घर बुलाने लगा और उसके भोलेपन में उसे कामुत्त्जित कर देता जिसे कुछ हिड इनो में हमारे बीच चुम्मों का सिलसिला भी शुरू हो गया | एक दिन यूँही जब मैंने उसे घर पर बुलाया तो चुम्मों एक साथ उसे अपनी बाहों में जकड़ते हुए घंटे उसके मम्मों के साथ खेलते हुए उसके होठों के रस को पीता रहा | मैंने अब धीरे – धीरे कामुक फिल्में जिसे उसके मन में भी उसी फिल्म की रंडी की तरह कामवासनायें वाली उमग चकाचौंद होने लगी थी | मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी गर्दन को चुमते हुए उसके रसीले होठों को चूसने लगा |
मैंने अब कुछ ही देर में उसके सारे कपड़े उतार उसके नंगे बदन को चुमते हुए सहलाने लगा | उसे नंगी देख मैं चूचकों को साथ चुसम – चुसाई करने लगा | अब उसके उप्पर लेटते हुए पूरे बदन को ज़बरदस्त चुमते हुए अब उसकी चुत पर आ गया और अपनी उँगलियों को उसकी चुत में अंदर डालने लगा | मैंने बा मस्त में अपने लंड को उसकी चुत के छिद्र में जोर का धक्का लगाया जिससे मेरा लंड में एक बार में ही उसकी चुत में जा पहुंचा | मैंने उसकी खुली हुई छिद्र में अपने झटकों की रफ़्तार आसमान में पहुंचा डाली थी | हम बस पागलों की तरेह थके हारे बस इस खेल के आनंद में खोये हुए थे | मैं इससे पहले की अब उसे कुछ होश आता और दर्द होता मैंने अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया |
मेरे लंड की गर्मी इतनी बढ़ गयी थी की मैंने उसकी चुत में ही मुठ को छोड़ दिया | मैंने उस वक्त हवस की प्यास को भुजाने के लिए फिर से उसकी चुत नयी टांग उठाकर गोढ़ी – पछार मुद्रा में बजानी शुर कर दि | उसे अब दर्द भी अनिं होता और वो मेरी झटकों को आराम से ले लिया करती | उसके बदन की हर झटके के प्रति उठी झुरझुरी मुझे और बेदर्दी होने पर मजबूर कर दिया करती | मैं भी उसकी मुद्रा में अपने लंड को बेचोक तरीके से आर – पार करता रहता और कब ना जाने हम अपने रसों को छोड़ मुक्त हो जाते | अपनी शिक्षिका के नाक के नीचे मैं हर दम उनकी बेटी की इसी तरह बजायी |
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मैंने अब कुछ ही देर में उसके सारे कपड़े उतार उसके नंगे बदन को चुमते हुए सहलाने लगा | उसे नंगी देख मैं चूचकों को साथ चुसम – चुसाई करने लगा | अब उसके उप्पर लेटते हुए पूरे बदन को ज़बरदस्त चुमते हुए अब उसकी चुत पर आ गया और अपनी उँगलियों को उसकी चुत में अंदर डालने लगा | मैंने बा मस्त में अपने लंड को उसकी चुत के छिद्र में जोर का धक्का लगाया जिससे मेरा लंड में एक बार में ही उसकी चुत में जा पहुंचा | मैंने उसकी खुली हुई छिद्र में अपने झटकों की रफ़्तार आसमान में पहुंचा डाली थी | हम बस पागलों की तरेह थके हारे बस इस खेल के आनंद में खोये हुए थे | मैं इससे पहले की अब उसे कुछ होश आता और दर्द होता मैंने अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया |
मेरे लंड की गर्मी इतनी बढ़ गयी थी की मैंने उसकी चुत में ही मुठ को छोड़ दिया | मैंने उस वक्त हवस की प्यास को भुजाने के लिए फिर से उसकी चुत नयी टांग उठाकर गोढ़ी – पछार मुद्रा में बजानी शुर कर दि | उसे अब दर्द भी अनिं होता और वो मेरी झटकों को आराम से ले लिया करती | उसके बदन की हर झटके के प्रति उठी झुरझुरी मुझे और बेदर्दी होने पर मजबूर कर दिया करती | मैं भी उसकी मुद्रा में अपने लंड को बेचोक तरीके से आर – पार करता रहता और कब ना जाने हम अपने रसों को छोड़ मुक्त हो जाते | अपनी शिक्षिका के नाक के नीचे मैं हर दम उनकी बेटी की इसी तरह बजायी |
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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