FUN-MAZA-MASTI
मैं और कामिनी बचपन की सहेलियां है. हम स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ साथ पढ़े. और अब मेरी और कामिनी की शादी भी लगभग एक ही साथ हुयी थी. मेरा घर और उसका घर पास में था. कामिनी का पति बहुत ही सुंदर और अच्छे शरीर का मालिक था. मेरा दिल उस पर शुरू से ही था. मैं उस से कभी कभी सेक्सी मजाक भी कर लेती थी. वो भी इशारों में कुछ बोलता था जो मुझे समझ में नहीं आता था. कामिनी भी मेरे पति पर लाइन मारती थी ये मैं जानती थी. जब हमारे पति नहीं होते तो हम दोनों साथ ही रहते थे.
उन दोनों के ऑफिस चले जाने के बाद मैं कामिनी के घर चली जाती थी. कामिनी आज कुछ सेक्सी मूड में थी.
मैंने कामिनी से कहा - "आज चाय नहीं..कोल्ड ड्रिंक लेंगे यार."
"हाँ हाँ क्यों नहीं..."
हम सोफे पर बैठ गए. कामिनी मुझसे बोली- "सुन एक बात कहूं...बुरा तो नहीं मानेगी..."
"कहो तो सही.."
"देख बुरा लगे तो सॉरी...ठीक है ना..."
"अरे कहो तो सही..."
"कहना नहीं....करना है..."
"तो करो......बताओ.." मैं हंस पड़ी.
उसने कहा - "रीता.. आज तुझे प्यार करने की इच्छा हो रही है..."
"तो इसमे क्या है.... आ किस करले.."
"तो पास आ जा.."
"अरे कर ले ना..." मुझे लगा कि वो कुछ और ही चाह रही है
कामिनी ने पास आकार मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए. और उन्हे चूसने लगी. मैंने भी उसका उत्तर चूम कर ही दिया. इतने में कामिनी का हाथ मेरे स्तनों पर आ गया और वो मेरे स्तनों को सहलाने लगी. मैं रोमांचित हो उठी.. "ये क्या कर रही है कामिनी....."
"रीता मुझसे आज रहा नहीं जा रहा है...तुझे कबसे प्यार करने कि इच्छा हो रही थी....."
"अरे तो तुम्हारे पति...नहीं करते क्या.."
"कभी कभी करते है..... अभी तो ७-८ दिन हो गए हैं..... पर रीता मैं तुमसे प्यार करती हूँ....मूझे ग़लत मत समझना.."
उसने मेरे स्तनों को दबाना चालू कर दिया. मूझे मजा आने लगा. मेरी सहेली ने आज ख़ुद ही मेरे आगे समर्पण कर दिया था. मैं तो कब से यही चाह रही थी. पर दोस्ती इसकी इज़ज्ज़त नहीं देती थी. मुझे भी उसे प्यार करने का मौका मिल गया. अब मैंने अपनी शर्म को छोड़ते हुए उसकी चुन्चियों को मसलना शुरू कर दिया. वो मन में अन्दर से खुश हो गयी. वो उठी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी उसके पीछे उठी और उसके नरम नरम चूतड पकड़ लिए. कामिनी सिसक उठी. बोली -"मसल दे मेरे चूतडों को आज...रीता...मसल दे..."
मैंने कामिनी का पजामा और टॉप उतार दिया. अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी. पर वो बोली, "नहीं रीता...तू मुझे बस ऐसे ही देखती रह..... मेरे बूब्स मसल दे..... मेरी छूट को घिस डाल...उसे चूस ले... सब कर..ले "
मैं उसे देखती रह गयी. मैंने धीरे उसके चमकते गोरे शरीर को सहलाना चालू कर दिया. पर मुझसे रहा नही गया. मैं भी नंगी होना चाहती थी. मैंने भी अपना पजामा कुरता उतार दिया, और नंगी हो कर उस से लिपट गयी. हम दोनों एक दूसरे को मसलते दबाते रहे और सिसकियाँ भरते रहे.
अब हम बिस्तर पर आ गए थे, हम दोनों ६९ की पोसिशन में आ गए. उसने मेरी चूत चीर कर फैला दी और अपनी जीभ से अन्दर तक चाटने लगी. अचानक उसने मेरा दाना अपनी जीभ से चाट लिया. मैं सिहर गयी. मैंने भी उसकी चूत के दाने को जीभ से रगड़ दिया. उसने अपनी चूत मेरे मुंह पर धीरे धीरे मारना चालू कर दिया. और मेरी चूत को जोर से चूसने लगी. मैंने उसकी चूत मैं अपनी उंगली घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगी. वो आनंद से भर कर आहें भरने लगी. मेरी चूत में उसकी जीभ अन्दर तक घूम चुकी थी. मुझे मीठा मीठा सा आनंद से भरपूर अह्स्सास होने लगा था. हम दोनों की हालत बुरी हो रही थी. लगता था कि थोडी देर में झड़ जाएँगी.
उसी समय मोबाइल बज उठा. कामिनी होश में आ गयी. हांफती हुयी उठी और मोबाइल उठा लिया.
वो उछल पड़ी. मोबाइल बंद करके बोली- "अरे वो बाहर खड़े हैं.... जल्दी उठ रीता...कपड़े पहन..."
"जल्दी कैसे आ गए....???????"
हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने और बालकनी पर आ गए. नीचे साहिल खड़ा था. वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया.
अन्दर उसने मुझे देखा और मुस्कराया. मैं भी मुस्करा दी.
"सुनो तुम्हे अभी मायके जाना है.... मम्मी बहुत बीमार हैं..."
उसकी मम्मी शहर में १० किलोमीटर दूर रहती थी. मैं कामिनी से विदा ले कर घर आ गयी. उसे करीब १ घंटे बाद कार में जाते हुए देखा.
शाम को मैं घर के बाहर ही फल, सब्जी खरीद रही थी. मैंने देखा कि साहिल कार में घर की तरफ़ जा रहा था.
मैंने घड़ी देखी तो ४ बजे थे. मेरे पति ७ बजे तक आते थे. मेरे मन में सेक्स जाग उठा. मैंने तुंरत ही कुछ सोचा और सामान सहित कामिनी के घर की तरफ़ चल दी. साहिल घर पर ही था. मैंने घंटी बजाई. तो साहिल बाहर आया.
"मम्मी कैसी हैं ?...."
"ठीक हैं, ४ -५ दिन का समय तो ठीक होने में लगेगा ही.. आओ अन्दर आ जाओ.."
"तो खाना कौन बनाएगा... आप हमारे यहाँ खाना खा लीजियेगा...."
वो मतलब से मुस्कुराते हुए बोला - "अच्छा क्या क्या खिलाओगी.."
मैंने भी शरारत से कहा- "जो आप कहें....... नारंगी खाओगे...जीजू...." उसकी नजर तुरन्त मेरे स्तनों पर गयी. मेरी नारंगियों के उभारों को उसकी नजरें नापने लगी.
"हाँ अगर तुम खिलाओगी तो.... तुम क्या पसंद करोगी.." साहिल ने तीर मारा
"हाँ... मुझे केला अच्छा लगता है..." मैंने उसकी पेंट की जिप को देखते हुए तीर को झेल लिया.
"पर..आज तो केला नहीं है..."
"है तो... तुम खिलाना नहीं चाहो तो अलग बात है..." मैंने नीचे उसके खड़े होते हुए लंड को देखते हुए कहा.. उसने मुझे नीचे देखते हुए पकड़ लिया था. "अच्छा..अगर है तो फिर आकर ले लो.." साहिल मुस्कराया
"अच्छा मैं चलती हूँ...जीजू... केला तो अन्दर छुपा रखा है..मैं कहाँ से ले लूँ?." मैंने सीधे ही लंड की ओर इशारा कर दिया. मैं उठ कर खड़ी हो गयी. वो तुंरत मेरे पीछे आया और मुझे रोक लिया- "केला नहीं लोगी क्या.... मोटा केला है......"
मैंने प्यार से उसे धक्का दिया- "तुमने नारंगी तो ली ही नहीं.. तो मैं केला कैसे ले लूँ.." मैंने तिरछी नजरों का वार किया.
उसने पीछे से आ कर - धीरे से मेरी चुंचियां पकड़ ली. मैं सिसक उठी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली. "ये नारंगियाँ बड़ी रसीली लग रही हैं "
"साहिल...... क्या कर रहे हो..."
"बस रीता.......तुम्हारी नारंगी... इतनी कड़ी नारंगी... कच्ची है क्या..."
उसका लंड मेरे चूतडों पर रगड़ खाने लगा. मैंने उसका लंड हाथ पीछे करके पकड़ लिया.
"इतना बड़ा केला..... हाय रे...जीजू "
" रीता... नीचे तुम्हारे गोल गोल तरबूज....हैं.... मार दिया मुझे. उसके लंड ने और जोर मारा. लगा कि मेरा पजामा फाड़ कर मेरी गांड में घुस जायेगा. मैंने मुड कर साहिल की ओर देखा. उसकी आंखों में वासना के डोरे नजर आ रहे थे. मैं भी वासना के समुन्दर में डूब रही थी. मैंने अपने आप को ढीले छोड़ते हुए उसके हवाले कर दिया. उसने मेरी आंखों में आँखें डालते हुए प्यार से देखा... मैं उसकी आंखों में डूबती गयी. मेरी आँखें बंद होने लगी. उसके होंट मेरे होटों से टकरा गए. अब हम एक दूसरे के होटों का रस पी रहे थे.
साहिल ने मेरे एलास्टिक वाले पजामे को धीरे से नीचे खींच दिया. मैंने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी. उसका हाथ सीधे मेरी चूत से टकरा गया. उसने जोश में आकर मेरी चूत को भींच दिया. मै मीठी मीठी अनुभूति से कराह उठी. उसके दूसरे हाथ ने मेरे स्तनों पर कब्जा कर लिया था. मेरे उरोज कड़े होने लग गए थे. मेरा पाज़ामा धीरे धीरे नीचे तक सरक गया। सहिल ने ना जाने कब अपनी पैन्ट नीचे सरका ली थी।
उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड से सट गया। लण्ड की पूरी मोटाई मुझे अपने चूतड़ों पर महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि मैं लण्ड को अन्दर डाल लूं और मज़ा लूं। मेरे चिकने चूतड़ों की दरार में उसका लण्ड घुसता ही जा रहा था। मैंने अपनी एक टांग थोड़ी सी ऊपर कर ली उसका लंड अब सीधे गांड के छेद से टकरा गया. गांड के छेद पर लंड स्पर्श अनोखा ही आनंद दे रहा था. उसने अपने लण्ड को वहां पर थोड़ा घिसा और मुझे जोर से जकड़ लिया. उसके लंड का पूरा जोर गांड के छेद पर लग रहा था. लण्ड की सुपारी छेद को चौड़ा करके अन्दर घुस पड़ी थी. मैं सामने की मेज़ पर हाथ रख कर झुक गयी और चूतडों को पीछे की और उभार दिया. टांगे थोड़ी और फैला दी.
"आह ...... रीता ..... बड़ी चिकनी है ....... क्या चीज़ हो तुम. .."
"साहिल ...... कितना मोटा है ........ अब जल्दी करो ..."
"हाय .... इतने दिन तक तुमने तड़पाया ..... पहले क्यों नहीं आयी ...."
"मेरे राजा ....अब गांड चोद दो .... मत कहो कुछ .."
"ये लो मेरी रीता ..... क्या चिकने चूतड हैं ..... "
"हाँ मेरे राजा ...मैं तो रोज तुम पर लाइन मारती थी .... तुम समझते ही नहीं थे ..... हाय मर गयी ..."
उसने अपना पूरा लण्ड मेरी गांड की गहरायी में पहुँचा दिया.
"राजा मेरे ..... अब तो मेहरबानी कर ना ......."
"बस अब ....कुछ ना बोलो ... अब मजा आ रहा है .... हाय ... रीता ...... मस्त हो तुम तो ...."
साहिल के धक्के बढ़ते जा रहे थे ..... मुझे असीम आनंद आने लगा था. वो गांड मारता रहा ... मैं गांड चुदाती रही. उसके धक्के और बढ़ने लगे. उसका लण्ड मेरी गांड की दीवारों से रगड़ खा रहा था. छेद उसके लण्ड के हिसाब से थोड़ा छोटा ही था ...इसलिए ज्यादा रगड़ खा रहा था. मेरी गांड चुदती रही. मैं आनंद के मारे जोर जोर से सिस्कारियां भर रही थी.
अब साहिल ने धीरे से लण्ड छेद से बाहर खींच लिया. और मुझे चिपका लिया मेरे हाथ ऊपर कर दिये. पीछे से उसने मेरी छातियाँ कस कर पकड़ ली और मसलने लगा.
"रीता ... अब मैं कहीं झड़ ना जाऊं ... एक बार लण्ड को चूत का सामना करवा दो ....."
मैं हंस पड़ी - "आज मैं इसी लिए तो आई थी .... मुझे पता था कि कामिनी नहीं है .... तुम अकेले ही हो ...और अगर आज तुमने लाइन मारी तो तुम गए काम से ..."
दोनों ही हंस पड़े .... हम दोनों बिस्तर पर आ गए .... मैंने कहा ...."साहिल ... मैं तुम्हें पहले चोदूंगी ..... प्लीज़ ... तुम लेट जाओ .... मुझे चोदने दो ..."
" चाहे मैं चोदूं या तुम ... चुदेगी तो रीता ही ना .... आ जाओ ..." कह कर साहिल हंसने लगा.
वो बिस्तर पर सीधे लेट गया. उसके लण्ड कि मोटाई और लम्बाई अब पूरी नजर आ रही थी. मैं देख कर ही सिहर उठी. मेरे मन में ये सोच कर गुदगुदी होने लगी कि इतने मोटे लण्ड का स्वाद मुझे मिलेगा. मैं धीरे से उसकी जांघों पर बैठ गयी. उसके लण्ड को पकड़ कर सहलाया और मोटी सी सुपारी को चमड़ी ऊपर करके सुपारी बाहर निकाल दी. मैंने अपनी लम्बी चूत के होठों को खोला और उसकी लाल लाल सुपारी को मेरी लाल लाल चूत से चिपका दिया. पर साहिल को कहाँ रुकना था. सुपारी रखते ही उसके चूतड़ों ने नीचे से धक्का मार दिया. सुपारी चूत को चीरते हुए अन्दर घुस गयी. मैं आनंद से सिसक उठी.
"हाय रे .... घुसा दिया अन्दर .... मेरी सहेली के चोदू , मेरे राजा ..."
कहते हुए मैं उस पर लेट गई. वो गया नीचे दबा हुआ था इसलिए पूरी चोट नहीं दे पा रहा था. पर मेरे आनंद के लिए उतना ही बहुत था. मैंने उसे जकड़ लिया. अब मेरे से भी उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी. मैंने अपनी चूत लण्ड पर पटकनी चालू कर दी. फच फच की आवाजों से कमरा गूंजने लगा. हम दोनों आनंद में सिस्कारियां भर रहे थे.
"हाय मेरे राजा ..... मजा आ रहा है ..... हाय चूत और लंड भी क्या चीज़ है ....... हाय रे ..."
"रीता ..... लगा ... जोर से लगा .... और चोद. .... निकाल दे अपने जीजू के लण्ड का रस ...."
मैंने अपनी गति बढ़ा दी. चूतड़ों को हिला हिला कर उसका लण्ड झेल रही थी. उसका लण्ड मेरे चूत के चिकने पानी से भर गया था.
"हाँ ..मेरे राजा ..... ये लो .... और लो ..."
पर साहिल को ये मंजूर नहीं था ... उसने मुझे कस के पकड़ा और एक झटके में अपने नीचे दबोच लिया। वो अब मेरे ऊपर था. उसका लण्ड बाहर लटक रहा था. उसने अपना कड़क मोटा लण्ड चूत के छेद पर रखा और उसे एक ही झटके में चूत की जड़ तक घुसा डाला. मुझे लगा कि सुपारी मेरे गर्भाशय के मुख से टकरा गयी है. मैं आह्ह्ह भर कर रह गयी. अपनी कोहनियों के सहारे वो मेरे शरीर से ऊपर उठ गया. मेरे जिस्म पर अब उसका बोझ नहीं था. मैं एक दम फ्री हो गयी थी. मैंने अपने आप को नीचे सेट किया और टांगे और ऊपर कर ली. साहिल ने अब फ्री हो कर जोरदार शोट मरने चालू कर दिए. मुझे असीम आनंद आने लगा. मैंने भी अब नीचे से चूतड़ों को उछाल उछाल कर उसका बराबरी से साथ देना चालू कर दिया. मैं अब कसमसाती रही .... चुदती रही .....उसकी रफ्तार बढती रही ..... मुझे लगने लगा कि अब सहा नहीं जाएगा ... और मैं झड़ जाऊंगी ...मैंने धक्के मारने बंद कर दिए ॥ और ऑंखें बंद करके आनंद लेने लगी ... मैं चरम सीमा पर पहुच चुकी थी ....... जैसे जैसे वो धक्के मारता रहा मेरा ...रज निकलने लगा ...मैं छूटने लगी ... मैं झड़ने लगी. .... रोकने की कोशिश की पर .... नहीं ... अब कुछ नहीं हो सकता था ..... मैं सिस्कारियां भरते हुए पूरी झड़ गयी ..... मैं ढीली पड़ गयी .... अब उसके धक्के मुझे चोट पहुचने लगे थे... लेकिन उसकी तेजी रुकी नहीं ... कुछ ही पलों में .... सुहानी बरसात चालू हो गयी. उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था .... और उसका पानी मेरी छातियों को नहला रहा था. मैं हाथ फैलाये चित्त पड़ी रही. वो अपने वीर्य पर ही मेरी छाती से लग कर चिपक गया. उसका वीर्य बीच में चिकना सा आनंद दे रहा था ....... साहिल मुझे चूमता हुआ उठ खड़ा हुआ .... मैंने भी आँख खोल कर उसकी तरफ़ देखा. और प्यार से मुस्कुरा दी. मुझे अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़ था.
रीता के पति राहुल अभी तक घर नहीं आए थे। रीता ने अपना सामान रसोई में रखा और खाना बनाने की तैयारी करने लगी। उसे रह रह कर साहिल से चुदाई की याद आ रही थी। लगभग ७ बजे राहुल आया। काम भी पूरा हो चुका था.
राहुल ने आते ही पूछा - "कामिनी चली गयी क्या..."
"कामिनी की बड़ी चिंता है... कुछ गड़बड़ है क्या ?"
"नही है तो नही... पर तुम गड़बड़ करा दो न..."
"तुम्ही डरते हो.... वो तो बेचारी तुम पर मरती है..."
"फिर उसे आने दो...... इस बार तो पटा ही लूँगा उसे.."
"कामिनी तुमसे मिलकर गयी थी क्या ?"
"नही...ये बात नही है...उसका फ़ोन आया था..."
"हाँ वो दिन को चली गयी थी...."
"अब तो साहिल अकेला ही होगा.."
"हाँ अकेला ही है......"
"फिर तो आज हम दोनों की जमेगी... " राहुल ने अपनी व्हिस्की की बोतल उठा ली और कार में रख ली. दोनों साहिल के घर आ गए.
राहुल और रीता घर में घुसते ही चौंक गए. कामिनी वहां पहले से खड़ी थी.
"अरे तुम तो घर गयी थी ना...?" राहुल ने पूछा।
"हाँ पर भइया आ गए थे.... वो ही मुझे अभी छोड़ कर गए हैं...."
"तुम रात का खाना हमारे यहाँ खाना.... बना लिया है..."
साहिल भी बाथरूम से आ गया था.
करीब रात के ८.३० बज रहे थे. कामिनी बड़े प्यार से राहुल को निहार रही थी. रीता ने उसे हमेशा की तरह फिर पकड़ लिया. रीता ने उसे कहा - "बड़ा प्यार आ रहा है...जीजू पर.."
"चुप रह... वो तो हैं प्यारे से..." कामिनी हंस कर बोली
"क्यों मेरे जीजू प्यारे नहीं हैं क्या..."
"तो तू भी लाइन मार ले ना...."
"नहीं रे...... अब लाइन नहीं....कुछ और ही...."
"चुप...चुप... कुछ भी बोलने लगती है.." राहुल और साहिल दोनों ही बैटन का मजे ले रहे थे. राहुल ने मजाक किया -
"साहिल... कामिनी चाहे तो मुझ पर लाइन मार सकती है...."
"और मैं...रीता पर...." साहिल ने रीता को आँख मारते हुए कहा.
"अच्छा चलो... तुम रीता पर लाइन मरो और मैं कामिनी पर...आप क्या कहती हैं... कामिनी जी..... " राहुल ने अंधेरे में तीर छोड़ा.
"तुम लोग बहुत प्यारे मजाक करते हो...... तो चलो लाइन मरो...." कामिनी हंस पड़ी.
"आज एक्सचेंज करते हैं..... मंजूर है ?..साहिल. अब अपनी दोस्त भी तो पक्की हो जाए." राहुल ने कहा
"हाय रे... यानि रीता साहिल के पास और मैं राहुल के पास..." कामिनी ने आह भरते हुए कहा.
व"तो मंजूर है... क्यो रीता..... तुम कहो..." साहिल बोला. राहुल को पता था कि अभी थोडी देर पहले ही साहिल के साथ रीता की चुदाई हुयी थी. साहिल ने राहुल को फ़ोन पर ही बता दिया था कि रीता तो ख़ुद चुदवाने आ गयी थी. रीता ने जानबूझ कर शरमाने का नाटक किया.
"हाँ राहुल.... मजा आ जाएगा.. क्यों कामिनी....."
"तुम्हे साहिल चोदेगा और मैं कामिनी को...... तो साहिल हो जायें चालू..." राहुल ने बिना शरमाये समझा दिया.
राहुल ने कामिनी की तरफ़ देखा. कामिनी अपना चेहरा शर्म से छुपा लिया. राहुल बाहें फैला कर खड़ा हो गया. कामिनी धीरे धीरे राहुल के निकट आयी और उसकी बाँहों में सिमट गयी. रीता तो पहले ही तैयार थी, उसने मौका देखा. वो जाकर साहिल से चिपक गयी. कामिनी ने अपना चेहरा निकट लाते हुए कहा "राहुल ये अचानक कैसे हो गया.... मुझे जल्दी से प्यार कर लो...कहीं साहिल या रीता ने इनकार कर दिया तो.."
"नहीं कामिनी.... सब कुछ पहले से हमने सोच रखा था...रीता तो आज चुद चुकी है साहिल से.. बस आज के दिन ऐसा होगा ये नहीं पता था ....."
"क्या....... हाय...... मुझे पता होता तो मैं...पहले ही..."
राहुल ने देखा साहिल रीता की चुंचियां दबा रहा था. रीता ने साहिल का लंड पकड़ रखा था. कामिनी भी देख कर शरमा गयी.
"राहुल हाय ये देखो तो....."
"उन्हें अब चुदाई करने दो.."
कामिनी ने अपने होंट राहुल की तरफ़ बढ़ा दिए. राहुल ने उसके होंट अपने होटों से मिला दिए...और एक दूसरे को चूमने लगे. दोनों के शरीर में उत्तेजना भरने लगी. कामिनी को राहुल का मोटा लंड अपनी चूत के आस पास रगड़ता हुआ महसूस होने लगा. दोनों के बदन गरम होने लगे. राहुल का लंड अब खड़ा होने लगा था. उनके हाथ एक दूसरे के शरीर को टटोलने लगे. राहुल ने कामिनी की चूचियां अपने हाथों में भर ली. और धीरे धीरे सहलाने लगा. कामिनी ने उसके चूतडों को अपनी और खींच लिया. अब राहुल का लंड उसकी छूट में गड़ने लगा. राहुल की नजर रीता पर गयी. उनकी चुदाई में तेजी थी. वो पहले से खुले हुए थे. रीता की छूट में साहिल का लंड घुस चुका था. रीता उस से लिपटी जा रही थी. कामिनी उन्हें देख कर आह भरने लगी.
राहुल ने कामिनी का तंग पजामा नीचे सरका दिया. कामिनी ने इशारा पा लिया. उसने तुंरत ही अपना पजामा और टॉप उतार फेंका. राहुल ने भी अपने कपड़े उतार दिए. कामिनी ने साहिल और रीता को देखा तो राहुल से लिपट गयी. उन दोनों की चुदाई देख कर कामिनी तड़प उठी. अब दोनों ही नंगे खड़े थे. कामिनी ने राहुल को अपनी और खींचा और राहुल का लंड पकड़ लिया. राहुल ने कामिनी का नंगा बदन दबाना चालू कर दिया. दोनों मदहोशी में डूबने लगे.
वो अब बिस्तर पर आ गए और और एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे. अब रीता और साहिल की सिस्कारियां बढती जा रही थी, जो राहुल और कामिनी के शरीर में आग भरने का काम कर रही थी. कामिनी ने अपनी टाँगें ऊपर उठा ली. राहुल उन के बीच में समां गया. अपने लंड को उसने कामिनी की चूत पर टिका दिया. चूत पानी छोड़ रही थी...चिकनी हो गयी थी..... लंड फिसल कर अन्दर घुसता चला गया...... कामिनी के मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. कामिनी की आँखें आनंद के मारे बंद होने लगी. उसका लंड गहराईयों में उतरने लगा.
अचानक राहुल को लगा की उसकी गांड में लंड का स्पर्श हो रहा है. उसे पता चल गया कि रीता और साहिल चुदाई पूरी कर चुके हैं. अब साहिल ने अपना लंड फिर से तैयार कर लिया है. अब वो राहुल के पीछे खड़ा हो गया था. राहुल ने उस पर ध्यान नहीं दिया. उसे पता था कि साहिल अब उसकी गांड मारेगा.. साहिल राहुल के चूतड पकड़ कर उसे चौडा कर अपना लंड घुसाने की कोशिश करने लगा. राहुल को अब पीछे भी मजा मिल रहा था. साहिल ने राहुल की गांड में थूक लगाया और जोर लगा कर लंड गांड में घुसा दिया. इस से राहुल के लंड में और अधिक उत्तेजना भरने लगी. उसने कामिनी की चूत में धक्के तेज कर दिए. इस से साहिल को गांड मारने में थोडी मुश्किल आने लगी थी. रीता कामिनी की चुंचियां मसलने लगी. राहुल और कामिनी दोनों ही मदहोश हुए जा रही थी. दोनों को डबल मजा मिल रहा था.
"हाय राजा... जोर से.... चोद डाल.... हा...." अब कामिनी भी दिल की भड़ास मुंह से निकलने लगी. उसके चूतड नीचे से इंजन की तरह चल रहे थे.. राहुल भी बेकाबू होता जा रहा था..."कामिनी...... हाय...... मजा आ गया.... ये ले...येस...ये... और...ले.."
"मेरी रीता..... मसल डाल मेरी चुंचियां..... जोर से....अ आ अह ह्ह्ह ह्ह्ह हह...."
उधर साहिल राहुल की गांड चोद रहा था. राहुल को भी गांड मराने में मजा आता था.
कामिनी को लग रहा था कि अब वो झड़ने वाली है...... उसकी कमर तेज़ी से चलने लगी. रीता ने भी महसूस किया कि अब कामिनी ज्यादा देर तक नहीं टिकने वाली है. रीता ने उसके चूचुक खींचने और घुमाने चालू कर दिए। कामिनी का मुंह खुलने लगा...आहें बढ़ने लगी। अचानक ही उसने रीता का हाथ हटा दिया और राहुल को खींच कर अपनी बाहों में भींच लिया," मैं गई मेरे राज़ा...... गई आआह...... " उसने अपने होंठ भींच लिए.
उधर साहिल ने अपना लण्ड राहुल की गाण्ड से निकाल लिया और रीता के हाथ में दे दिया. रीता ने उसके लंड को पकड़ कर मुठ मारना चालू कर दिया. साहिल ने रीता के पास लाकर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया...और झड़ने लगा. और रस रीता के मुंह में भरने लगा. रीता रस को स्वाद ले कर पीने लगी.
उधर राहुल का लंड खड़ा ही था..... पर रीता को पता था उसे कैसे ठंडा करना है...... उसने तुंरत ही राहुल की गांड में अपनी उंगली डाल दी.... और उसके लंड कामिनी की चूत में से बाहर निकाल कर, गीले लंड की मुठ मारने लगी. गांड में अंगुली तेजी से घुमाने लगी...... तभी उसके लंड से रस उछल पड़ा. रीता दूध निकलने की तरह उसके लंड से रस निकलने लगी. राहुल अब घुटनों के सहारे बैठ गया था और गहरी साँसें भर रहा था. उधर साहिल भी जाकर लेट गया. लगा कि वो दोनों थक गए थे.
कामिनी ने रीता को देखा और दोनों हंस पड़ी. दोनों गले से लिपट गयी और एक दूसरे को प्यार करने लगी.
"हाय मेरा जीजू तेरे जीजू से ज्यादा बढ़िया चोदता है " कामिनी बोली.
"नही रे... मेरा जीजू ज्यादा अच्छी चुदाई करता है.." रीता ने भी तारीफ की.
"आज तो हम दोनों की दोस्ती.... और पक्की हो गयी...." कामिनी ने कहा.
"पहले हम दो दोस्त थी..अब चार हो गए हैं..... अब जी भर कर चुदाई कर सकते हैं ना...."
कामिनी ने राहुल को प्यार किया..... और रीता ने साहिल को चूम लिया.
अब सभी तैयार हो कर डिनर के लिए रवाना हो गए.
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मेरी सहेली बड़ी मस्त मस्त
मैं और कामिनी बचपन की सहेलियां है. हम स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ साथ पढ़े. और अब मेरी और कामिनी की शादी भी लगभग एक ही साथ हुयी थी. मेरा घर और उसका घर पास में था. कामिनी का पति बहुत ही सुंदर और अच्छे शरीर का मालिक था. मेरा दिल उस पर शुरू से ही था. मैं उस से कभी कभी सेक्सी मजाक भी कर लेती थी. वो भी इशारों में कुछ बोलता था जो मुझे समझ में नहीं आता था. कामिनी भी मेरे पति पर लाइन मारती थी ये मैं जानती थी. जब हमारे पति नहीं होते तो हम दोनों साथ ही रहते थे.
उन दोनों के ऑफिस चले जाने के बाद मैं कामिनी के घर चली जाती थी. कामिनी आज कुछ सेक्सी मूड में थी.
मैंने कामिनी से कहा - "आज चाय नहीं..कोल्ड ड्रिंक लेंगे यार."
"हाँ हाँ क्यों नहीं..."
हम सोफे पर बैठ गए. कामिनी मुझसे बोली- "सुन एक बात कहूं...बुरा तो नहीं मानेगी..."
"कहो तो सही.."
"देख बुरा लगे तो सॉरी...ठीक है ना..."
"अरे कहो तो सही..."
"कहना नहीं....करना है..."
"तो करो......बताओ.." मैं हंस पड़ी.
उसने कहा - "रीता.. आज तुझे प्यार करने की इच्छा हो रही है..."
"तो इसमे क्या है.... आ किस करले.."
"तो पास आ जा.."
"अरे कर ले ना..." मुझे लगा कि वो कुछ और ही चाह रही है
कामिनी ने पास आकार मेरे होटों पर अपने होंट रख दिए. और उन्हे चूसने लगी. मैंने भी उसका उत्तर चूम कर ही दिया. इतने में कामिनी का हाथ मेरे स्तनों पर आ गया और वो मेरे स्तनों को सहलाने लगी. मैं रोमांचित हो उठी.. "ये क्या कर रही है कामिनी....."
"रीता मुझसे आज रहा नहीं जा रहा है...तुझे कबसे प्यार करने कि इच्छा हो रही थी....."
"अरे तो तुम्हारे पति...नहीं करते क्या.."
"कभी कभी करते है..... अभी तो ७-८ दिन हो गए हैं..... पर रीता मैं तुमसे प्यार करती हूँ....मूझे ग़लत मत समझना.."
उसने मेरे स्तनों को दबाना चालू कर दिया. मूझे मजा आने लगा. मेरी सहेली ने आज ख़ुद ही मेरे आगे समर्पण कर दिया था. मैं तो कब से यही चाह रही थी. पर दोस्ती इसकी इज़ज्ज़त नहीं देती थी. मुझे भी उसे प्यार करने का मौका मिल गया. अब मैंने अपनी शर्म को छोड़ते हुए उसकी चुन्चियों को मसलना शुरू कर दिया. वो मन में अन्दर से खुश हो गयी. वो उठी और अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया. मैं भी उसके पीछे उठी और उसके नरम नरम चूतड पकड़ लिए. कामिनी सिसक उठी. बोली -"मसल दे मेरे चूतडों को आज...रीता...मसल दे..."
मैंने कामिनी का पजामा और टॉप उतार दिया. अब वो मेरे सामने नंगी खड़ी थी. मैं भी अपने कपड़े उतारने लगी. पर वो बोली, "नहीं रीता...तू मुझे बस ऐसे ही देखती रह..... मेरे बूब्स मसल दे..... मेरी छूट को घिस डाल...उसे चूस ले... सब कर..ले "
मैं उसे देखती रह गयी. मैंने धीरे उसके चमकते गोरे शरीर को सहलाना चालू कर दिया. पर मुझसे रहा नही गया. मैं भी नंगी होना चाहती थी. मैंने भी अपना पजामा कुरता उतार दिया, और नंगी हो कर उस से लिपट गयी. हम दोनों एक दूसरे को मसलते दबाते रहे और सिसकियाँ भरते रहे.
अब हम बिस्तर पर आ गए थे, हम दोनों ६९ की पोसिशन में आ गए. उसने मेरी चूत चीर कर फैला दी और अपनी जीभ से अन्दर तक चाटने लगी. अचानक उसने मेरा दाना अपनी जीभ से चाट लिया. मैं सिहर गयी. मैंने भी उसकी चूत के दाने को जीभ से रगड़ दिया. उसने अपनी चूत मेरे मुंह पर धीरे धीरे मारना चालू कर दिया. और मेरी चूत को जोर से चूसने लगी. मैंने उसकी चूत मैं अपनी उंगली घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगी. वो आनंद से भर कर आहें भरने लगी. मेरी चूत में उसकी जीभ अन्दर तक घूम चुकी थी. मुझे मीठा मीठा सा आनंद से भरपूर अह्स्सास होने लगा था. हम दोनों की हालत बुरी हो रही थी. लगता था कि थोडी देर में झड़ जाएँगी.
उसी समय मोबाइल बज उठा. कामिनी होश में आ गयी. हांफती हुयी उठी और मोबाइल उठा लिया.
वो उछल पड़ी. मोबाइल बंद करके बोली- "अरे वो बाहर खड़े हैं.... जल्दी उठ रीता...कपड़े पहन..."
"जल्दी कैसे आ गए....???????"
हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने और बालकनी पर आ गए. नीचे साहिल खड़ा था. वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया.
अन्दर उसने मुझे देखा और मुस्कराया. मैं भी मुस्करा दी.
"सुनो तुम्हे अभी मायके जाना है.... मम्मी बहुत बीमार हैं..."
उसकी मम्मी शहर में १० किलोमीटर दूर रहती थी. मैं कामिनी से विदा ले कर घर आ गयी. उसे करीब १ घंटे बाद कार में जाते हुए देखा.
शाम को मैं घर के बाहर ही फल, सब्जी खरीद रही थी. मैंने देखा कि साहिल कार में घर की तरफ़ जा रहा था.
मैंने घड़ी देखी तो ४ बजे थे. मेरे पति ७ बजे तक आते थे. मेरे मन में सेक्स जाग उठा. मैंने तुंरत ही कुछ सोचा और सामान सहित कामिनी के घर की तरफ़ चल दी. साहिल घर पर ही था. मैंने घंटी बजाई. तो साहिल बाहर आया.
"मम्मी कैसी हैं ?...."
"ठीक हैं, ४ -५ दिन का समय तो ठीक होने में लगेगा ही.. आओ अन्दर आ जाओ.."
"तो खाना कौन बनाएगा... आप हमारे यहाँ खाना खा लीजियेगा...."
वो मतलब से मुस्कुराते हुए बोला - "अच्छा क्या क्या खिलाओगी.."
मैंने भी शरारत से कहा- "जो आप कहें....... नारंगी खाओगे...जीजू...." उसकी नजर तुरन्त मेरे स्तनों पर गयी. मेरी नारंगियों के उभारों को उसकी नजरें नापने लगी.
"हाँ अगर तुम खिलाओगी तो.... तुम क्या पसंद करोगी.." साहिल ने तीर मारा
"हाँ... मुझे केला अच्छा लगता है..." मैंने उसकी पेंट की जिप को देखते हुए तीर को झेल लिया.
"पर..आज तो केला नहीं है..."
"है तो... तुम खिलाना नहीं चाहो तो अलग बात है..." मैंने नीचे उसके खड़े होते हुए लंड को देखते हुए कहा.. उसने मुझे नीचे देखते हुए पकड़ लिया था. "अच्छा..अगर है तो फिर आकर ले लो.." साहिल मुस्कराया
"अच्छा मैं चलती हूँ...जीजू... केला तो अन्दर छुपा रखा है..मैं कहाँ से ले लूँ?." मैंने सीधे ही लंड की ओर इशारा कर दिया. मैं उठ कर खड़ी हो गयी. वो तुंरत मेरे पीछे आया और मुझे रोक लिया- "केला नहीं लोगी क्या.... मोटा केला है......"
मैंने प्यार से उसे धक्का दिया- "तुमने नारंगी तो ली ही नहीं.. तो मैं केला कैसे ले लूँ.." मैंने तिरछी नजरों का वार किया.
उसने पीछे से आ कर - धीरे से मेरी चुंचियां पकड़ ली. मैं सिसक उठी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली. "ये नारंगियाँ बड़ी रसीली लग रही हैं "
"साहिल...... क्या कर रहे हो..."
"बस रीता.......तुम्हारी नारंगी... इतनी कड़ी नारंगी... कच्ची है क्या..."
उसका लंड मेरे चूतडों पर रगड़ खाने लगा. मैंने उसका लंड हाथ पीछे करके पकड़ लिया.
"इतना बड़ा केला..... हाय रे...जीजू "
" रीता... नीचे तुम्हारे गोल गोल तरबूज....हैं.... मार दिया मुझे. उसके लंड ने और जोर मारा. लगा कि मेरा पजामा फाड़ कर मेरी गांड में घुस जायेगा. मैंने मुड कर साहिल की ओर देखा. उसकी आंखों में वासना के डोरे नजर आ रहे थे. मैं भी वासना के समुन्दर में डूब रही थी. मैंने अपने आप को ढीले छोड़ते हुए उसके हवाले कर दिया. उसने मेरी आंखों में आँखें डालते हुए प्यार से देखा... मैं उसकी आंखों में डूबती गयी. मेरी आँखें बंद होने लगी. उसके होंट मेरे होटों से टकरा गए. अब हम एक दूसरे के होटों का रस पी रहे थे.
साहिल ने मेरे एलास्टिक वाले पजामे को धीरे से नीचे खींच दिया. मैंने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी. उसका हाथ सीधे मेरी चूत से टकरा गया. उसने जोश में आकर मेरी चूत को भींच दिया. मै मीठी मीठी अनुभूति से कराह उठी. उसके दूसरे हाथ ने मेरे स्तनों पर कब्जा कर लिया था. मेरे उरोज कड़े होने लग गए थे. मेरा पाज़ामा धीरे धीरे नीचे तक सरक गया। सहिल ने ना जाने कब अपनी पैन्ट नीचे सरका ली थी।
उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड से सट गया। लण्ड की पूरी मोटाई मुझे अपने चूतड़ों पर महसूस हो रही थी। मुझे लगा कि मैं लण्ड को अन्दर डाल लूं और मज़ा लूं। मेरे चिकने चूतड़ों की दरार में उसका लण्ड घुसता ही जा रहा था। मैंने अपनी एक टांग थोड़ी सी ऊपर कर ली उसका लंड अब सीधे गांड के छेद से टकरा गया. गांड के छेद पर लंड स्पर्श अनोखा ही आनंद दे रहा था. उसने अपने लण्ड को वहां पर थोड़ा घिसा और मुझे जोर से जकड़ लिया. उसके लंड का पूरा जोर गांड के छेद पर लग रहा था. लण्ड की सुपारी छेद को चौड़ा करके अन्दर घुस पड़ी थी. मैं सामने की मेज़ पर हाथ रख कर झुक गयी और चूतडों को पीछे की और उभार दिया. टांगे थोड़ी और फैला दी.
"आह ...... रीता ..... बड़ी चिकनी है ....... क्या चीज़ हो तुम. .."
"साहिल ...... कितना मोटा है ........ अब जल्दी करो ..."
"हाय .... इतने दिन तक तुमने तड़पाया ..... पहले क्यों नहीं आयी ...."
"मेरे राजा ....अब गांड चोद दो .... मत कहो कुछ .."
"ये लो मेरी रीता ..... क्या चिकने चूतड हैं ..... "
"हाँ मेरे राजा ...मैं तो रोज तुम पर लाइन मारती थी .... तुम समझते ही नहीं थे ..... हाय मर गयी ..."
उसने अपना पूरा लण्ड मेरी गांड की गहरायी में पहुँचा दिया.
"राजा मेरे ..... अब तो मेहरबानी कर ना ......."
"बस अब ....कुछ ना बोलो ... अब मजा आ रहा है .... हाय ... रीता ...... मस्त हो तुम तो ...."
साहिल के धक्के बढ़ते जा रहे थे ..... मुझे असीम आनंद आने लगा था. वो गांड मारता रहा ... मैं गांड चुदाती रही. उसके धक्के और बढ़ने लगे. उसका लण्ड मेरी गांड की दीवारों से रगड़ खा रहा था. छेद उसके लण्ड के हिसाब से थोड़ा छोटा ही था ...इसलिए ज्यादा रगड़ खा रहा था. मेरी गांड चुदती रही. मैं आनंद के मारे जोर जोर से सिस्कारियां भर रही थी.
अब साहिल ने धीरे से लण्ड छेद से बाहर खींच लिया. और मुझे चिपका लिया मेरे हाथ ऊपर कर दिये. पीछे से उसने मेरी छातियाँ कस कर पकड़ ली और मसलने लगा.
"रीता ... अब मैं कहीं झड़ ना जाऊं ... एक बार लण्ड को चूत का सामना करवा दो ....."
मैं हंस पड़ी - "आज मैं इसी लिए तो आई थी .... मुझे पता था कि कामिनी नहीं है .... तुम अकेले ही हो ...और अगर आज तुमने लाइन मारी तो तुम गए काम से ..."
दोनों ही हंस पड़े .... हम दोनों बिस्तर पर आ गए .... मैंने कहा ...."साहिल ... मैं तुम्हें पहले चोदूंगी ..... प्लीज़ ... तुम लेट जाओ .... मुझे चोदने दो ..."
" चाहे मैं चोदूं या तुम ... चुदेगी तो रीता ही ना .... आ जाओ ..." कह कर साहिल हंसने लगा.
वो बिस्तर पर सीधे लेट गया. उसके लण्ड कि मोटाई और लम्बाई अब पूरी नजर आ रही थी. मैं देख कर ही सिहर उठी. मेरे मन में ये सोच कर गुदगुदी होने लगी कि इतने मोटे लण्ड का स्वाद मुझे मिलेगा. मैं धीरे से उसकी जांघों पर बैठ गयी. उसके लण्ड को पकड़ कर सहलाया और मोटी सी सुपारी को चमड़ी ऊपर करके सुपारी बाहर निकाल दी. मैंने अपनी लम्बी चूत के होठों को खोला और उसकी लाल लाल सुपारी को मेरी लाल लाल चूत से चिपका दिया. पर साहिल को कहाँ रुकना था. सुपारी रखते ही उसके चूतड़ों ने नीचे से धक्का मार दिया. सुपारी चूत को चीरते हुए अन्दर घुस गयी. मैं आनंद से सिसक उठी.
"हाय रे .... घुसा दिया अन्दर .... मेरी सहेली के चोदू , मेरे राजा ..."
कहते हुए मैं उस पर लेट गई. वो गया नीचे दबा हुआ था इसलिए पूरी चोट नहीं दे पा रहा था. पर मेरे आनंद के लिए उतना ही बहुत था. मैंने उसे जकड़ लिया. अब मेरे से भी उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी. मैंने अपनी चूत लण्ड पर पटकनी चालू कर दी. फच फच की आवाजों से कमरा गूंजने लगा. हम दोनों आनंद में सिस्कारियां भर रहे थे.
"हाय मेरे राजा ..... मजा आ रहा है ..... हाय चूत और लंड भी क्या चीज़ है ....... हाय रे ..."
"रीता ..... लगा ... जोर से लगा .... और चोद. .... निकाल दे अपने जीजू के लण्ड का रस ...."
मैंने अपनी गति बढ़ा दी. चूतड़ों को हिला हिला कर उसका लण्ड झेल रही थी. उसका लण्ड मेरे चूत के चिकने पानी से भर गया था.
"हाँ ..मेरे राजा ..... ये लो .... और लो ..."
पर साहिल को ये मंजूर नहीं था ... उसने मुझे कस के पकड़ा और एक झटके में अपने नीचे दबोच लिया। वो अब मेरे ऊपर था. उसका लण्ड बाहर लटक रहा था. उसने अपना कड़क मोटा लण्ड चूत के छेद पर रखा और उसे एक ही झटके में चूत की जड़ तक घुसा डाला. मुझे लगा कि सुपारी मेरे गर्भाशय के मुख से टकरा गयी है. मैं आह्ह्ह भर कर रह गयी. अपनी कोहनियों के सहारे वो मेरे शरीर से ऊपर उठ गया. मेरे जिस्म पर अब उसका बोझ नहीं था. मैं एक दम फ्री हो गयी थी. मैंने अपने आप को नीचे सेट किया और टांगे और ऊपर कर ली. साहिल ने अब फ्री हो कर जोरदार शोट मरने चालू कर दिए. मुझे असीम आनंद आने लगा. मैंने भी अब नीचे से चूतड़ों को उछाल उछाल कर उसका बराबरी से साथ देना चालू कर दिया. मैं अब कसमसाती रही .... चुदती रही .....उसकी रफ्तार बढती रही ..... मुझे लगने लगा कि अब सहा नहीं जाएगा ... और मैं झड़ जाऊंगी ...मैंने धक्के मारने बंद कर दिए ॥ और ऑंखें बंद करके आनंद लेने लगी ... मैं चरम सीमा पर पहुच चुकी थी ....... जैसे जैसे वो धक्के मारता रहा मेरा ...रज निकलने लगा ...मैं छूटने लगी ... मैं झड़ने लगी. .... रोकने की कोशिश की पर .... नहीं ... अब कुछ नहीं हो सकता था ..... मैं सिस्कारियां भरते हुए पूरी झड़ गयी ..... मैं ढीली पड़ गयी .... अब उसके धक्के मुझे चोट पहुचने लगे थे... लेकिन उसकी तेजी रुकी नहीं ... कुछ ही पलों में .... सुहानी बरसात चालू हो गयी. उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था .... और उसका पानी मेरी छातियों को नहला रहा था. मैं हाथ फैलाये चित्त पड़ी रही. वो अपने वीर्य पर ही मेरी छाती से लग कर चिपक गया. उसका वीर्य बीच में चिकना सा आनंद दे रहा था ....... साहिल मुझे चूमता हुआ उठ खड़ा हुआ .... मैंने भी आँख खोल कर उसकी तरफ़ देखा. और प्यार से मुस्कुरा दी. मुझे अपनी चुदाई की सफलता पर नाज़ था.
रीता के पति राहुल अभी तक घर नहीं आए थे। रीता ने अपना सामान रसोई में रखा और खाना बनाने की तैयारी करने लगी। उसे रह रह कर साहिल से चुदाई की याद आ रही थी। लगभग ७ बजे राहुल आया। काम भी पूरा हो चुका था.
राहुल ने आते ही पूछा - "कामिनी चली गयी क्या..."
"कामिनी की बड़ी चिंता है... कुछ गड़बड़ है क्या ?"
"नही है तो नही... पर तुम गड़बड़ करा दो न..."
"तुम्ही डरते हो.... वो तो बेचारी तुम पर मरती है..."
"फिर उसे आने दो...... इस बार तो पटा ही लूँगा उसे.."
"कामिनी तुमसे मिलकर गयी थी क्या ?"
"नही...ये बात नही है...उसका फ़ोन आया था..."
"हाँ वो दिन को चली गयी थी...."
"अब तो साहिल अकेला ही होगा.."
"हाँ अकेला ही है......"
"फिर तो आज हम दोनों की जमेगी... " राहुल ने अपनी व्हिस्की की बोतल उठा ली और कार में रख ली. दोनों साहिल के घर आ गए.
राहुल और रीता घर में घुसते ही चौंक गए. कामिनी वहां पहले से खड़ी थी.
"अरे तुम तो घर गयी थी ना...?" राहुल ने पूछा।
"हाँ पर भइया आ गए थे.... वो ही मुझे अभी छोड़ कर गए हैं...."
"तुम रात का खाना हमारे यहाँ खाना.... बना लिया है..."
साहिल भी बाथरूम से आ गया था.
करीब रात के ८.३० बज रहे थे. कामिनी बड़े प्यार से राहुल को निहार रही थी. रीता ने उसे हमेशा की तरह फिर पकड़ लिया. रीता ने उसे कहा - "बड़ा प्यार आ रहा है...जीजू पर.."
"चुप रह... वो तो हैं प्यारे से..." कामिनी हंस कर बोली
"क्यों मेरे जीजू प्यारे नहीं हैं क्या..."
"तो तू भी लाइन मार ले ना...."
"नहीं रे...... अब लाइन नहीं....कुछ और ही...."
"चुप...चुप... कुछ भी बोलने लगती है.." राहुल और साहिल दोनों ही बैटन का मजे ले रहे थे. राहुल ने मजाक किया -
"साहिल... कामिनी चाहे तो मुझ पर लाइन मार सकती है...."
"और मैं...रीता पर...." साहिल ने रीता को आँख मारते हुए कहा.
"अच्छा चलो... तुम रीता पर लाइन मरो और मैं कामिनी पर...आप क्या कहती हैं... कामिनी जी..... " राहुल ने अंधेरे में तीर छोड़ा.
"तुम लोग बहुत प्यारे मजाक करते हो...... तो चलो लाइन मरो...." कामिनी हंस पड़ी.
"आज एक्सचेंज करते हैं..... मंजूर है ?..साहिल. अब अपनी दोस्त भी तो पक्की हो जाए." राहुल ने कहा
"हाय रे... यानि रीता साहिल के पास और मैं राहुल के पास..." कामिनी ने आह भरते हुए कहा.
व"तो मंजूर है... क्यो रीता..... तुम कहो..." साहिल बोला. राहुल को पता था कि अभी थोडी देर पहले ही साहिल के साथ रीता की चुदाई हुयी थी. साहिल ने राहुल को फ़ोन पर ही बता दिया था कि रीता तो ख़ुद चुदवाने आ गयी थी. रीता ने जानबूझ कर शरमाने का नाटक किया.
"हाँ राहुल.... मजा आ जाएगा.. क्यों कामिनी....."
"तुम्हे साहिल चोदेगा और मैं कामिनी को...... तो साहिल हो जायें चालू..." राहुल ने बिना शरमाये समझा दिया.
राहुल ने कामिनी की तरफ़ देखा. कामिनी अपना चेहरा शर्म से छुपा लिया. राहुल बाहें फैला कर खड़ा हो गया. कामिनी धीरे धीरे राहुल के निकट आयी और उसकी बाँहों में सिमट गयी. रीता तो पहले ही तैयार थी, उसने मौका देखा. वो जाकर साहिल से चिपक गयी. कामिनी ने अपना चेहरा निकट लाते हुए कहा "राहुल ये अचानक कैसे हो गया.... मुझे जल्दी से प्यार कर लो...कहीं साहिल या रीता ने इनकार कर दिया तो.."
"नहीं कामिनी.... सब कुछ पहले से हमने सोच रखा था...रीता तो आज चुद चुकी है साहिल से.. बस आज के दिन ऐसा होगा ये नहीं पता था ....."
"क्या....... हाय...... मुझे पता होता तो मैं...पहले ही..."
राहुल ने देखा साहिल रीता की चुंचियां दबा रहा था. रीता ने साहिल का लंड पकड़ रखा था. कामिनी भी देख कर शरमा गयी.
"राहुल हाय ये देखो तो....."
"उन्हें अब चुदाई करने दो.."
कामिनी ने अपने होंट राहुल की तरफ़ बढ़ा दिए. राहुल ने उसके होंट अपने होटों से मिला दिए...और एक दूसरे को चूमने लगे. दोनों के शरीर में उत्तेजना भरने लगी. कामिनी को राहुल का मोटा लंड अपनी चूत के आस पास रगड़ता हुआ महसूस होने लगा. दोनों के बदन गरम होने लगे. राहुल का लंड अब खड़ा होने लगा था. उनके हाथ एक दूसरे के शरीर को टटोलने लगे. राहुल ने कामिनी की चूचियां अपने हाथों में भर ली. और धीरे धीरे सहलाने लगा. कामिनी ने उसके चूतडों को अपनी और खींच लिया. अब राहुल का लंड उसकी छूट में गड़ने लगा. राहुल की नजर रीता पर गयी. उनकी चुदाई में तेजी थी. वो पहले से खुले हुए थे. रीता की छूट में साहिल का लंड घुस चुका था. रीता उस से लिपटी जा रही थी. कामिनी उन्हें देख कर आह भरने लगी.
राहुल ने कामिनी का तंग पजामा नीचे सरका दिया. कामिनी ने इशारा पा लिया. उसने तुंरत ही अपना पजामा और टॉप उतार फेंका. राहुल ने भी अपने कपड़े उतार दिए. कामिनी ने साहिल और रीता को देखा तो राहुल से लिपट गयी. उन दोनों की चुदाई देख कर कामिनी तड़प उठी. अब दोनों ही नंगे खड़े थे. कामिनी ने राहुल को अपनी और खींचा और राहुल का लंड पकड़ लिया. राहुल ने कामिनी का नंगा बदन दबाना चालू कर दिया. दोनों मदहोशी में डूबने लगे.
वो अब बिस्तर पर आ गए और और एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे. अब रीता और साहिल की सिस्कारियां बढती जा रही थी, जो राहुल और कामिनी के शरीर में आग भरने का काम कर रही थी. कामिनी ने अपनी टाँगें ऊपर उठा ली. राहुल उन के बीच में समां गया. अपने लंड को उसने कामिनी की चूत पर टिका दिया. चूत पानी छोड़ रही थी...चिकनी हो गयी थी..... लंड फिसल कर अन्दर घुसता चला गया...... कामिनी के मुंह से सिसकारी निकल पड़ी. कामिनी की आँखें आनंद के मारे बंद होने लगी. उसका लंड गहराईयों में उतरने लगा.
अचानक राहुल को लगा की उसकी गांड में लंड का स्पर्श हो रहा है. उसे पता चल गया कि रीता और साहिल चुदाई पूरी कर चुके हैं. अब साहिल ने अपना लंड फिर से तैयार कर लिया है. अब वो राहुल के पीछे खड़ा हो गया था. राहुल ने उस पर ध्यान नहीं दिया. उसे पता था कि साहिल अब उसकी गांड मारेगा.. साहिल राहुल के चूतड पकड़ कर उसे चौडा कर अपना लंड घुसाने की कोशिश करने लगा. राहुल को अब पीछे भी मजा मिल रहा था. साहिल ने राहुल की गांड में थूक लगाया और जोर लगा कर लंड गांड में घुसा दिया. इस से राहुल के लंड में और अधिक उत्तेजना भरने लगी. उसने कामिनी की चूत में धक्के तेज कर दिए. इस से साहिल को गांड मारने में थोडी मुश्किल आने लगी थी. रीता कामिनी की चुंचियां मसलने लगी. राहुल और कामिनी दोनों ही मदहोश हुए जा रही थी. दोनों को डबल मजा मिल रहा था.
"हाय राजा... जोर से.... चोद डाल.... हा...." अब कामिनी भी दिल की भड़ास मुंह से निकलने लगी. उसके चूतड नीचे से इंजन की तरह चल रहे थे.. राहुल भी बेकाबू होता जा रहा था..."कामिनी...... हाय...... मजा आ गया.... ये ले...येस...ये... और...ले.."
"मेरी रीता..... मसल डाल मेरी चुंचियां..... जोर से....अ आ अह ह्ह्ह ह्ह्ह हह...."
उधर साहिल राहुल की गांड चोद रहा था. राहुल को भी गांड मराने में मजा आता था.
कामिनी को लग रहा था कि अब वो झड़ने वाली है...... उसकी कमर तेज़ी से चलने लगी. रीता ने भी महसूस किया कि अब कामिनी ज्यादा देर तक नहीं टिकने वाली है. रीता ने उसके चूचुक खींचने और घुमाने चालू कर दिए। कामिनी का मुंह खुलने लगा...आहें बढ़ने लगी। अचानक ही उसने रीता का हाथ हटा दिया और राहुल को खींच कर अपनी बाहों में भींच लिया," मैं गई मेरे राज़ा...... गई आआह...... " उसने अपने होंठ भींच लिए.
उधर साहिल ने अपना लण्ड राहुल की गाण्ड से निकाल लिया और रीता के हाथ में दे दिया. रीता ने उसके लंड को पकड़ कर मुठ मारना चालू कर दिया. साहिल ने रीता के पास लाकर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया...और झड़ने लगा. और रस रीता के मुंह में भरने लगा. रीता रस को स्वाद ले कर पीने लगी.
उधर राहुल का लंड खड़ा ही था..... पर रीता को पता था उसे कैसे ठंडा करना है...... उसने तुंरत ही राहुल की गांड में अपनी उंगली डाल दी.... और उसके लंड कामिनी की चूत में से बाहर निकाल कर, गीले लंड की मुठ मारने लगी. गांड में अंगुली तेजी से घुमाने लगी...... तभी उसके लंड से रस उछल पड़ा. रीता दूध निकलने की तरह उसके लंड से रस निकलने लगी. राहुल अब घुटनों के सहारे बैठ गया था और गहरी साँसें भर रहा था. उधर साहिल भी जाकर लेट गया. लगा कि वो दोनों थक गए थे.
कामिनी ने रीता को देखा और दोनों हंस पड़ी. दोनों गले से लिपट गयी और एक दूसरे को प्यार करने लगी.
"हाय मेरा जीजू तेरे जीजू से ज्यादा बढ़िया चोदता है " कामिनी बोली.
"नही रे... मेरा जीजू ज्यादा अच्छी चुदाई करता है.." रीता ने भी तारीफ की.
"आज तो हम दोनों की दोस्ती.... और पक्की हो गयी...." कामिनी ने कहा.
"पहले हम दो दोस्त थी..अब चार हो गए हैं..... अब जी भर कर चुदाई कर सकते हैं ना...."
कामिनी ने राहुल को प्यार किया..... और रीता ने साहिल को चूम लिया.
अब सभी तैयार हो कर डिनर के लिए रवाना हो गए.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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