FUN-MAZA-MASTI
येह उन दिनों की बात है जब मै अपनी बहन रमा के घर रहती थी। मेरे मां बाप
मरने के बाद से मै यहीं रही थी। मेरी उमर बढती जाती थी मगर मेरी शादी के
लिए कोई सोचने वाला कोइ था ही नही ! अपने शरीर की भूख मिटाने के लिए , यही
मेरे अपने जीजा जी के बडे भाइ के बेटे (पी टी ) के साथ सेक्स सम्बन्ध बने
और हम दोनों रात भर एक ही बिस्तर पर सोते थे और कम से कम दो बार चुदाई जरूर
होती। रमा को मेरे और एन के सेक्स संबंधों की जानकारी थी और वह ख़ुद ही
मुझे डाक्टर के पास ले जा कर मेरी चूत मै कोपर टी डलवा लायी थी ! और अपने परिवार
मैं हुयी अन्य इन्सेस्ट की घटनाओं को भी कहानी के रूप मैं प्रस्तुत करूंगी !
अभी जो कहानी मैं लिखने जा रही हूँ वह मेरी अपनी बहन रमा के अपने जेठ
(जग्गू) के साथ हुए सेक्स सम्बन्ध की है। इस मैं मसाला मैं ने डाला है.
रमा एक बहुत ही चुद्दल औरत है (यही बात कुछ कुछ मेरे साथ भी है )। कुछ साल पहले तक उस की
चूत हमेशा ही लंड लेने के लिए तैयार रहती थी. उस के बडे बडे पपीते जैसे मोम्मे और मस्त चूतड हैं। और मसत चूतड थे. उस की ऊँचाई थोड़ी कम मगर रंग खूब गोरा है। रमा के पती (यानी मेरे जीजा जी ) पुलिस मै काम करते थे और उनकी पोस्टिंग बाहर थी। इस कारण रमा कई मर्दों के लंड ले चुकी थी और लेती रहती थी. इन लोगो मै दो खास थे एक शाहिद और एक असलम ! यह दोनों छोटे मोटे नेता थे और खूब घूमते रहते थे। जब यह लोग हमारे यहां आते तो रमा की जम के चुदाई होती इन लोगों के आते ही रमा दो दो दिन अपने कमरे से नहीं निकलती थी और घर का सारा काम मुझे संभालना होता था ! बच्चे पूछते रहते मम्मी को क्या हुआ , मुझे यही कहना पड़ता के वोह थोड़ी बीमार हैं ! उन के जाने के बाद कमरा साफ़ करते वक्त ढेर सारे कंडोम , शराब की बोतलें , रमा अंडर गारमेंट्स कमरे मैं जगह जगह बिखरे होते थे । मगर मैं यह चुप चाप साफ़ आकर देती क्यूँ के रमा मेरे और एन के सेक्स रिलेशन को डिस्टर्ब नहीं कर रही थी । शहीद और असलम जब गायब होते तो महीनो गायब हो जाते थे और उन दिनों रमा लंड के लिए तडपती रहती थी तब वोह मेरे ऊपर सारा गुस्सा निकालती थी मुझे ३६५ रातों के लिए लंड मिला हुआ था । रमा पैसे रपये को ले कर थोडी
लालची भी है । शहीद और असलम से चुदवाने का एक और कारन यह भी था के यह दोनों रमा के ऊपर अच्छा पैसा खर्च कर देते थे । एक बार रमा अपने जेठ के घर दिल्ली गई। रमा के जेठ (जगगु ) की पत्नी दो साल पहले स्वर्ग सिधार गई थी और तब से जग्गू भी चूत के लिए इधर उधर मुंह मार रहा था । जग्गू ने अपनी सेक्रेटरी, अपने नीचे काम करने वाली लड़किओं और रिश्ते की हर औरत की चूत को पाने के लिए योजनायें बनायी थी और उन पे अमल भी किया था मगर इन सब मैं उसे अभी तक कोई सफलता नहीं मिली थी । सिर्फ उस की सेक्रेटरी मिसेज नायर ने कभी कभी मोम्मे दबा लेने तक की छूट जग्गू को दी थी । इस से जग्गू के लंड की प्यास और ज्यादा ही बढ़ जाती थी । मिसेज नायर के बहुत भारी चूतड होने के बावजूद जग्गू ने उस को अपनी गोदी मैं बैठा कर मिसेज नायर के मोम्मे दबाये थे और उस की गांड पर हाथ भी फेर लिया था। मगर मिसेज नायर इस से आगे बढ़ने नहीं देती थी और ऑफिस का माहौल भी इस से ज्यादा कुछ होने नहीं देता था । मिसेज नायर को घर बुलाया तो वह अपने पति कप्तान नायर के साथ आगयी उस रात जग्गू रात भर सो नहीं पाया था
रमा के पेट मैं दो साल से तीखा दर्द उठता था, जग्गू ने रमा को समझाया के उस का इलाज दिल्ली मैं ठीक से हो सकता है (जग्गू दिल्ली के एक बड़े अस्पताल मैं डाक्टर था ) । रमा भी जानती थी के जेठ जी उस का इलाज़ किस तरह करेनेगे । रमा का दिल्ली जाने का एक और ही मकसद था। वह जग्गू की पत्नी की अलमारी मैं पड़े हार और साडिओं पर कब्जा करना चाहती थी । इस अलमारी की चाभी आज कल जग्गू के जनेऊ से बंधी रहती थी और रमा को पूरा भरोसा था की वह यह काम कर सकती है।
रमा जब स्टेशन पहुँची तो जग्गू कार ले कर उस को लेने आया और घर छोड़ कर वापिस ऑफिस चला गया । शाम को खूब सारे फल सब्जी और एक गजरा ले कर आया जो उस ने रमा को खूब पहनाने की इच्छा प्रगत करी। रमा ने कोई आपत्ति प्रगत नहीं की।
रमा ने खाना बनाया और बड़े प्यार से जग्गू को खिलाया । एक एक गरम रोटी ले कर जब रमा आती तो जग्गू उस के मटकते हुए चूतड देख देख कर निहाल हो जा रहा था और उस की लूंगी मैं उस का लंड लूंगी को तम्बू बना दे रहा । रमा उस तम्बू को देख रही थी और अपने मोम्मे रोटी देते वक्त जग्गू के और पास ले जाती थी । जिस से जग्गू के अन्दर की आग और ज्यादा भड़क जाए।
खाना खा कर दोनों थोड़ी देर ड्राइंग रूम मैं सोफे पर बैठे। जग्गू ने वी सी आर पर एक मस्त पिक्चर लगा दी। रमा देख रही थी के जेठ जी कितने रंगीले हो रहे हैं। जब सोने जाने लगे तब जग्गू ने रमा को बोला गरमी बहुत है तुम इसी (अपने) कमरे मैं ही सो जाओ क्यूँ के एक ही कमरे मै एसी था । राम जग्गू के डबल बेद पर ही सोने को भी तैयार हो गयी। लाईट बुझा दी गयी और दोनों सोने की व्यर्थ कोशिश करने लगे क्यूँ की दोनों को अभी बकाया काम पूरा करना था। पहल जग्गू की तरफ़ से हुयी । उस ने हाथ बढ़ा कर राम के चूतडों पर रख दिया। रमा न हिली न और कोई हरकत करी।
रमा तो घर से चुदने के लिए ही निकली थी , इस लिए उस ने कोइ विरोध नही दिखाया और चुप चाप पडी रही। रमा को यह भी नही समझ आया की सेक्स के इस अचानक हुए हमले मैं वह क्या करे। वह चुप चाप पडी रही और जग्गू के अगले कदम इंतज़ार करती रही ! जग्गू रमा की तरफ़ से कोइ विरोध ना देख कर रमा के पास खिसक आया और रमा की साडी ऊपर सरका कर उस की जांघों पर हाथ फिराने लगा ! रमा की चूत पानी फेंकने लगी और जग्गू के सधे हुए हाथ उसी तरफ़ बढ रह थे। जल्दी ही जग्गू की उन्ग्लिआं रमा की चूत पर चल रही थी ! जग्गू रमा की झांटों से खेल रहा था और उस के चूत के होठो को सहला रहा था ! जग्गू की अनुभवी उन्ग्लिआं रमा के भग-अंकुर (क्लैरोटिस) को छेड रही थी (रमा का क्लैरोतिस कम से कन आधा इंच लंबा है ) रमा की चूत मै से पानी नदी की तरह निकल रहा था रमा की चूत से निकलता पानी जग्गू जैसे अनुभवी चोदु को बता रहा था की उस की प्यारी , सेक्सी बहु अब चुदने के लिए तैयार है। जग्गू ने लूंगी मैं से अपना दस इंच लंबा मूसल निकला और रमा के चूतादों पर फिराने लगा दो साल से जग्गू का लंड ने इतनी नरम जगहों को नहीं छुआ था इधर उस का लंड सिर्फ़ बिस्तर पर या हाथ से रगडा जाता था ! आज रमा के चिकने चूतड का स्पर्श पा कर लंड मस्त हो गया था और सांप की तरह फ़ुफ़कार रहा था ! जैसे जैसे जग्गू की मस्ती बढती गयी उस का लनड रमा की चूत की तरफ़ बढता चला जा रहा था। जग्गू ने अपने लंड को काफी देर रमा की चूत पर रगडा। जग्गू चुदाई के खेल का पुराना खिलाडी था । उस ने अपनी दो सालिओं समेत कई लड़किओं और औरतों की चूत को पेला था । रमा के साथ जग्गू को अपने लंबे लुंड का पूरा फायदा मिल रहा था । जग्गू का दस इंच लंबा लंड रमा के मोटे चूतडो के बीच की दरार पार कर के उस की जांघो के बीच से होते हुए रस छोड़ती हुयी चूत के होंठो से सटा हुआ था और अभी भी आधी से ज्यादा लम्बाई बाहर बाकी थी जैसे जैसे जग्गू के लंड का सुपारा रमा की चूत के होठो पर रगड खा रहा था, चूत लंड को अन्दर लेने के लिए तैयार होती जा रही थी। चूत खूब रस फेंक रही थी और चूत के होंठ खुलते धीरे धीरे ऐसी हालत आ गयी की जग्गू को अपना लंड चूत मै घुसाने के लिए जरा सा भी ज़ोर नही लगाना पडा और जगगू का लंड रमा की चूत मै ऐसे घुसने लगा जैसे माखन मै छुरी आरान से चली जाती ह । अभी तक रमा की तरफ़ से कोई हरकत नही थी ! रमा को समझ नही आ रहा था की पीछे से हये इस हमले मै वो कया करे ? चुदाई के लिए मना करने की उस की भी कोइ इच्छा नही थी और जग्गू उस को सेक्स के इस खेल मै शामिल होने का कोई मौका नही दिया था ! वैसे रमा को कोइ जल्दी नहीं थी क्यूँ के उस मालुम था के अगले दिनों मैं को अपनी सेक्स कला दिखाने को पूरा मौका मिलेगा । पर जब जगगू की मनझी हुयी उन्ग्लिआं उस की चूत पर चल रही थी तब उसे यह डर जरूर लग रहा था के वह जल्दी ही अपने शरीर पार ज्यादा देर वश नहीं रख पायेगी क्यूँ के सेक्स के अन्तिम चरण मैं हम दोनों बहनें रंडी या जानवर की तरह बन जाती हैं। अगर जग्गू थोड़ी देर और अपनी काम क्रीडा चलाता तो रमा उस स्तिथि मैं आ ही जाती । मगर जगगू कई दिनों का उतावला था और रमा की रस छोडती चूत उसे बता रही थी ki अब उंगली का नहीं बल्कि उस के भुजंग जैसे लंड का टाईम आ चुका है . जब जगगू के उस ने अपना सुपारा रमा की चूत के द्वार से लगाया और दबाव बढ़ा दिया। जब लंड ने रमा की चूत मै प्रवेश किया तब जग्गू अपने हाथो का इस्तेमाल रमा के चूतडो और भारी भारी मोम्मे पर करने लगा । वह एक तरफ़ रमा की चूत मै धके दे रहा था दूसरी तरफ़ उस के हाथो ने पहले रमा के बलाउज के बटन खोले और फ़िर ब्रा के हुक खोल क्र रमा के पपीते जैसे स्तनों को आज़ाद किया। ब्रा से निकलने की यह आजादी स्तनों को महंगी साबित होने वाली थी। क्यूँ के रमा जितने बड़े स्तनों वाली औरत जगू ने आज तक नहीं चोदी थी और वह पागलों की तरह उस के मोम्मे मसल रहा था। उस ने बरसों से राम के चूतडों और मोम्मे को देख देख कर कितने ही ख्याल दिल मैं पाले थे और आज उस सब को सही कर देना चाहता था। अब रमा पर दुहरा हमला हो रहा था उस की चूत मै जग्गू का लंड मुसल की तरह अन्दर बाहर हो रहा था और उस के निप्पल और मोम्मे बुरी तरह मसाले जा रहे थे। रमा इस से बहुत तेज सेक्स के हमले झेल ने की आदी थी। उस ने एक ही बिस्तर पार दो दो जानवरों के हमले झेले थे। इस लिए इस सेक्स का मजा आरान से लेट कर ले रही थी। कमरे मै अब बस फ़च फ़च फ़च फ़च और बेड की चरमराहट की आवाजे थी मगर ना जग्गू को और ना रमा को उन आवाजो का ध्यान था। जगगू अपनी बीवी के मरने के बाद से लगा ब्रह्मचर्य एक मस्त चूत मैं वीर्य गिरा कर समाप्त करना चाहता था और रमा जिस काम के दिली आयी थी उस को पूरा होता देख कर मस्त थी और उस की चूत की दीवारों को फाड़ता हुआ जग्गू को मूसल उस की मस्ती को बढ़ा दे रहा था।
जैसे जैसे रमा kee मस्ती बढ़ती जा रही थी उस के चूतड जग्गू के धक्कों के साथ साथ हिलने लगे धीरे धीरे दोनों सेक्स की उस अवस्था पर पहुँच रहे थे जहाँ दिल और दिमाग पर से कंट्रोल रमा पहले उस अवस्था पार आ रही थी । उस ने जग्गू को लंड को ज्यादा से ज्यादा मजा लेने के लिए लंड को पकड़ कर चूत के उन हिस्सों पार दबाना शुरू कर दिया जहाँ उस के काम देव विराजते थे। रमा की इन हरकतों से जग्गू को पूरा विस्वास हो गया के उस ने रमा के बारे मैं जो सुना था वह पूरा सच है और अब उस को एक ऐसी मस्त चूत मिल गयी है जिस को वह जिंदगी भर छोड़ सकता है। फ़िर उस के अन्दर को जानवर भी जाग गया और वह सब कुछ भूल कर रमा के ऊपर चढ़ गया । अब जग्गू को दस इंच को मूसल रमा की उन गह्राहिओं मैं उतर रहा जिस के आगे सिर्फ bachedaanee kaa munh hota hai । कमरे मै जैसे ही एक फ़च की आवाज होती जगगू का सुपाडा रमा की बचेदानी से जा टकराता और एक मीठा सा दर्द रमा के शरीर मैं समां जाता । रमा की इन गहराईओं मैं सिर्फ शाहिद को ही लंड उतर सका था। दूसरे मर्दों के लंड यहाँ से बाहर ही बाहर रहे थे। अब रमा ने अपनी जांघें जग्गू के धड को लपेट लिया और उस की बाहें जग्गू की छाती को लपेट रही थीसे रमा के मोटे मोम्मे अब जग्गू की छाती से चिपक गए थे और जग्गू की जीभ रमा के मुंह मैं घुस कर रमा की जीभ से अपनी मुहब्बत को इज़हार कर रही थी। रमा भी इस प्यार के इज़हार मैं पीची नहीं थी। कर नाखून पीठ मैं गधा रही थी। पीठ मैं गढ़ रही थे। रमा अब जिंदगी भर जग्ग्गु की रंडी बन कर रहने को तैयार ठीक उसी वक वह चुदाइ की चरम सीमा पार कर गयी और उस के नाखून जगगू की पीठ मै गढ गये ! रमा के मुंह से आह, आह की सीत्कार निकल रही थी।
fir jaggu bhee ramaa kee choot main apne veerya kee pichkaaree chod kar ramaa ke shareer par ja gira. dono kee tej chaltee saanse bata rahee thee ke wah shayad janam janam aise hee pade rahna chahenge. जब सांसो का तूफ़ान रुका तब रमा ने पहले अपने पेटीकोट से फ़िर जग्गू की लूंगी से चूत को साफ़ किया और जगगू को अपनी बाहो का हार पहना कर सुनहरे सपनों मैं खो गयी जो उस ने अपनी जेठानी की अलमारी के बारे मैं देखे थे।। मगर उस को क्या मालूम था की उस अलमारी मैं बंद सदीआं और हार तो उस को मिल जायेंगे मगर जग्गू उस की सब से छोटी संतान (बेटी) को बाप और उस की सब से बड़ी बेटी की कुंवारी चूत को फाड़ने वाला आदमी भी बनेगा।
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मेरी अपनी बहन रमा-1
रमा एक बहुत ही चुद्दल औरत है (यही बात कुछ कुछ मेरे साथ भी है )। कुछ साल पहले तक उस की
चूत हमेशा ही लंड लेने के लिए तैयार रहती थी. उस के बडे बडे पपीते जैसे मोम्मे और मस्त चूतड हैं। और मसत चूतड थे. उस की ऊँचाई थोड़ी कम मगर रंग खूब गोरा है। रमा के पती (यानी मेरे जीजा जी ) पुलिस मै काम करते थे और उनकी पोस्टिंग बाहर थी। इस कारण रमा कई मर्दों के लंड ले चुकी थी और लेती रहती थी. इन लोगो मै दो खास थे एक शाहिद और एक असलम ! यह दोनों छोटे मोटे नेता थे और खूब घूमते रहते थे। जब यह लोग हमारे यहां आते तो रमा की जम के चुदाई होती इन लोगों के आते ही रमा दो दो दिन अपने कमरे से नहीं निकलती थी और घर का सारा काम मुझे संभालना होता था ! बच्चे पूछते रहते मम्मी को क्या हुआ , मुझे यही कहना पड़ता के वोह थोड़ी बीमार हैं ! उन के जाने के बाद कमरा साफ़ करते वक्त ढेर सारे कंडोम , शराब की बोतलें , रमा अंडर गारमेंट्स कमरे मैं जगह जगह बिखरे होते थे । मगर मैं यह चुप चाप साफ़ आकर देती क्यूँ के रमा मेरे और एन के सेक्स रिलेशन को डिस्टर्ब नहीं कर रही थी । शहीद और असलम जब गायब होते तो महीनो गायब हो जाते थे और उन दिनों रमा लंड के लिए तडपती रहती थी तब वोह मेरे ऊपर सारा गुस्सा निकालती थी मुझे ३६५ रातों के लिए लंड मिला हुआ था । रमा पैसे रपये को ले कर थोडी
लालची भी है । शहीद और असलम से चुदवाने का एक और कारन यह भी था के यह दोनों रमा के ऊपर अच्छा पैसा खर्च कर देते थे । एक बार रमा अपने जेठ के घर दिल्ली गई। रमा के जेठ (जगगु ) की पत्नी दो साल पहले स्वर्ग सिधार गई थी और तब से जग्गू भी चूत के लिए इधर उधर मुंह मार रहा था । जग्गू ने अपनी सेक्रेटरी, अपने नीचे काम करने वाली लड़किओं और रिश्ते की हर औरत की चूत को पाने के लिए योजनायें बनायी थी और उन पे अमल भी किया था मगर इन सब मैं उसे अभी तक कोई सफलता नहीं मिली थी । सिर्फ उस की सेक्रेटरी मिसेज नायर ने कभी कभी मोम्मे दबा लेने तक की छूट जग्गू को दी थी । इस से जग्गू के लंड की प्यास और ज्यादा ही बढ़ जाती थी । मिसेज नायर के बहुत भारी चूतड होने के बावजूद जग्गू ने उस को अपनी गोदी मैं बैठा कर मिसेज नायर के मोम्मे दबाये थे और उस की गांड पर हाथ भी फेर लिया था। मगर मिसेज नायर इस से आगे बढ़ने नहीं देती थी और ऑफिस का माहौल भी इस से ज्यादा कुछ होने नहीं देता था । मिसेज नायर को घर बुलाया तो वह अपने पति कप्तान नायर के साथ आगयी उस रात जग्गू रात भर सो नहीं पाया था
रमा के पेट मैं दो साल से तीखा दर्द उठता था, जग्गू ने रमा को समझाया के उस का इलाज दिल्ली मैं ठीक से हो सकता है (जग्गू दिल्ली के एक बड़े अस्पताल मैं डाक्टर था ) । रमा भी जानती थी के जेठ जी उस का इलाज़ किस तरह करेनेगे । रमा का दिल्ली जाने का एक और ही मकसद था। वह जग्गू की पत्नी की अलमारी मैं पड़े हार और साडिओं पर कब्जा करना चाहती थी । इस अलमारी की चाभी आज कल जग्गू के जनेऊ से बंधी रहती थी और रमा को पूरा भरोसा था की वह यह काम कर सकती है।
रमा जब स्टेशन पहुँची तो जग्गू कार ले कर उस को लेने आया और घर छोड़ कर वापिस ऑफिस चला गया । शाम को खूब सारे फल सब्जी और एक गजरा ले कर आया जो उस ने रमा को खूब पहनाने की इच्छा प्रगत करी। रमा ने कोई आपत्ति प्रगत नहीं की।
रमा ने खाना बनाया और बड़े प्यार से जग्गू को खिलाया । एक एक गरम रोटी ले कर जब रमा आती तो जग्गू उस के मटकते हुए चूतड देख देख कर निहाल हो जा रहा था और उस की लूंगी मैं उस का लंड लूंगी को तम्बू बना दे रहा । रमा उस तम्बू को देख रही थी और अपने मोम्मे रोटी देते वक्त जग्गू के और पास ले जाती थी । जिस से जग्गू के अन्दर की आग और ज्यादा भड़क जाए।
खाना खा कर दोनों थोड़ी देर ड्राइंग रूम मैं सोफे पर बैठे। जग्गू ने वी सी आर पर एक मस्त पिक्चर लगा दी। रमा देख रही थी के जेठ जी कितने रंगीले हो रहे हैं। जब सोने जाने लगे तब जग्गू ने रमा को बोला गरमी बहुत है तुम इसी (अपने) कमरे मैं ही सो जाओ क्यूँ के एक ही कमरे मै एसी था । राम जग्गू के डबल बेद पर ही सोने को भी तैयार हो गयी। लाईट बुझा दी गयी और दोनों सोने की व्यर्थ कोशिश करने लगे क्यूँ की दोनों को अभी बकाया काम पूरा करना था। पहल जग्गू की तरफ़ से हुयी । उस ने हाथ बढ़ा कर राम के चूतडों पर रख दिया। रमा न हिली न और कोई हरकत करी।
रमा तो घर से चुदने के लिए ही निकली थी , इस लिए उस ने कोइ विरोध नही दिखाया और चुप चाप पडी रही। रमा को यह भी नही समझ आया की सेक्स के इस अचानक हुए हमले मैं वह क्या करे। वह चुप चाप पडी रही और जग्गू के अगले कदम इंतज़ार करती रही ! जग्गू रमा की तरफ़ से कोइ विरोध ना देख कर रमा के पास खिसक आया और रमा की साडी ऊपर सरका कर उस की जांघों पर हाथ फिराने लगा ! रमा की चूत पानी फेंकने लगी और जग्गू के सधे हुए हाथ उसी तरफ़ बढ रह थे। जल्दी ही जग्गू की उन्ग्लिआं रमा की चूत पर चल रही थी ! जग्गू रमा की झांटों से खेल रहा था और उस के चूत के होठो को सहला रहा था ! जग्गू की अनुभवी उन्ग्लिआं रमा के भग-अंकुर (क्लैरोटिस) को छेड रही थी (रमा का क्लैरोतिस कम से कन आधा इंच लंबा है ) रमा की चूत मै से पानी नदी की तरह निकल रहा था रमा की चूत से निकलता पानी जग्गू जैसे अनुभवी चोदु को बता रहा था की उस की प्यारी , सेक्सी बहु अब चुदने के लिए तैयार है। जग्गू ने लूंगी मैं से अपना दस इंच लंबा मूसल निकला और रमा के चूतादों पर फिराने लगा दो साल से जग्गू का लंड ने इतनी नरम जगहों को नहीं छुआ था इधर उस का लंड सिर्फ़ बिस्तर पर या हाथ से रगडा जाता था ! आज रमा के चिकने चूतड का स्पर्श पा कर लंड मस्त हो गया था और सांप की तरह फ़ुफ़कार रहा था ! जैसे जैसे जग्गू की मस्ती बढती गयी उस का लनड रमा की चूत की तरफ़ बढता चला जा रहा था। जग्गू ने अपने लंड को काफी देर रमा की चूत पर रगडा। जग्गू चुदाई के खेल का पुराना खिलाडी था । उस ने अपनी दो सालिओं समेत कई लड़किओं और औरतों की चूत को पेला था । रमा के साथ जग्गू को अपने लंबे लुंड का पूरा फायदा मिल रहा था । जग्गू का दस इंच लंबा लंड रमा के मोटे चूतडो के बीच की दरार पार कर के उस की जांघो के बीच से होते हुए रस छोड़ती हुयी चूत के होंठो से सटा हुआ था और अभी भी आधी से ज्यादा लम्बाई बाहर बाकी थी जैसे जैसे जग्गू के लंड का सुपारा रमा की चूत के होठो पर रगड खा रहा था, चूत लंड को अन्दर लेने के लिए तैयार होती जा रही थी। चूत खूब रस फेंक रही थी और चूत के होंठ खुलते धीरे धीरे ऐसी हालत आ गयी की जग्गू को अपना लंड चूत मै घुसाने के लिए जरा सा भी ज़ोर नही लगाना पडा और जगगू का लंड रमा की चूत मै ऐसे घुसने लगा जैसे माखन मै छुरी आरान से चली जाती ह । अभी तक रमा की तरफ़ से कोई हरकत नही थी ! रमा को समझ नही आ रहा था की पीछे से हये इस हमले मै वो कया करे ? चुदाई के लिए मना करने की उस की भी कोइ इच्छा नही थी और जग्गू उस को सेक्स के इस खेल मै शामिल होने का कोई मौका नही दिया था ! वैसे रमा को कोइ जल्दी नहीं थी क्यूँ के उस मालुम था के अगले दिनों मैं को अपनी सेक्स कला दिखाने को पूरा मौका मिलेगा । पर जब जगगू की मनझी हुयी उन्ग्लिआं उस की चूत पर चल रही थी तब उसे यह डर जरूर लग रहा था के वह जल्दी ही अपने शरीर पार ज्यादा देर वश नहीं रख पायेगी क्यूँ के सेक्स के अन्तिम चरण मैं हम दोनों बहनें रंडी या जानवर की तरह बन जाती हैं। अगर जग्गू थोड़ी देर और अपनी काम क्रीडा चलाता तो रमा उस स्तिथि मैं आ ही जाती । मगर जगगू कई दिनों का उतावला था और रमा की रस छोडती चूत उसे बता रही थी ki अब उंगली का नहीं बल्कि उस के भुजंग जैसे लंड का टाईम आ चुका है . जब जगगू के उस ने अपना सुपारा रमा की चूत के द्वार से लगाया और दबाव बढ़ा दिया। जब लंड ने रमा की चूत मै प्रवेश किया तब जग्गू अपने हाथो का इस्तेमाल रमा के चूतडो और भारी भारी मोम्मे पर करने लगा । वह एक तरफ़ रमा की चूत मै धके दे रहा था दूसरी तरफ़ उस के हाथो ने पहले रमा के बलाउज के बटन खोले और फ़िर ब्रा के हुक खोल क्र रमा के पपीते जैसे स्तनों को आज़ाद किया। ब्रा से निकलने की यह आजादी स्तनों को महंगी साबित होने वाली थी। क्यूँ के रमा जितने बड़े स्तनों वाली औरत जगू ने आज तक नहीं चोदी थी और वह पागलों की तरह उस के मोम्मे मसल रहा था। उस ने बरसों से राम के चूतडों और मोम्मे को देख देख कर कितने ही ख्याल दिल मैं पाले थे और आज उस सब को सही कर देना चाहता था। अब रमा पर दुहरा हमला हो रहा था उस की चूत मै जग्गू का लंड मुसल की तरह अन्दर बाहर हो रहा था और उस के निप्पल और मोम्मे बुरी तरह मसाले जा रहे थे। रमा इस से बहुत तेज सेक्स के हमले झेल ने की आदी थी। उस ने एक ही बिस्तर पार दो दो जानवरों के हमले झेले थे। इस लिए इस सेक्स का मजा आरान से लेट कर ले रही थी। कमरे मै अब बस फ़च फ़च फ़च फ़च और बेड की चरमराहट की आवाजे थी मगर ना जग्गू को और ना रमा को उन आवाजो का ध्यान था। जगगू अपनी बीवी के मरने के बाद से लगा ब्रह्मचर्य एक मस्त चूत मैं वीर्य गिरा कर समाप्त करना चाहता था और रमा जिस काम के दिली आयी थी उस को पूरा होता देख कर मस्त थी और उस की चूत की दीवारों को फाड़ता हुआ जग्गू को मूसल उस की मस्ती को बढ़ा दे रहा था।
जैसे जैसे रमा kee मस्ती बढ़ती जा रही थी उस के चूतड जग्गू के धक्कों के साथ साथ हिलने लगे धीरे धीरे दोनों सेक्स की उस अवस्था पर पहुँच रहे थे जहाँ दिल और दिमाग पर से कंट्रोल रमा पहले उस अवस्था पार आ रही थी । उस ने जग्गू को लंड को ज्यादा से ज्यादा मजा लेने के लिए लंड को पकड़ कर चूत के उन हिस्सों पार दबाना शुरू कर दिया जहाँ उस के काम देव विराजते थे। रमा की इन हरकतों से जग्गू को पूरा विस्वास हो गया के उस ने रमा के बारे मैं जो सुना था वह पूरा सच है और अब उस को एक ऐसी मस्त चूत मिल गयी है जिस को वह जिंदगी भर छोड़ सकता है। फ़िर उस के अन्दर को जानवर भी जाग गया और वह सब कुछ भूल कर रमा के ऊपर चढ़ गया । अब जग्गू को दस इंच को मूसल रमा की उन गह्राहिओं मैं उतर रहा जिस के आगे सिर्फ bachedaanee kaa munh hota hai । कमरे मै जैसे ही एक फ़च की आवाज होती जगगू का सुपाडा रमा की बचेदानी से जा टकराता और एक मीठा सा दर्द रमा के शरीर मैं समां जाता । रमा की इन गहराईओं मैं सिर्फ शाहिद को ही लंड उतर सका था। दूसरे मर्दों के लंड यहाँ से बाहर ही बाहर रहे थे। अब रमा ने अपनी जांघें जग्गू के धड को लपेट लिया और उस की बाहें जग्गू की छाती को लपेट रही थीसे रमा के मोटे मोम्मे अब जग्गू की छाती से चिपक गए थे और जग्गू की जीभ रमा के मुंह मैं घुस कर रमा की जीभ से अपनी मुहब्बत को इज़हार कर रही थी। रमा भी इस प्यार के इज़हार मैं पीची नहीं थी। कर नाखून पीठ मैं गधा रही थी। पीठ मैं गढ़ रही थे। रमा अब जिंदगी भर जग्ग्गु की रंडी बन कर रहने को तैयार ठीक उसी वक वह चुदाइ की चरम सीमा पार कर गयी और उस के नाखून जगगू की पीठ मै गढ गये ! रमा के मुंह से आह, आह की सीत्कार निकल रही थी।
fir jaggu bhee ramaa kee choot main apne veerya kee pichkaaree chod kar ramaa ke shareer par ja gira. dono kee tej chaltee saanse bata rahee thee ke wah shayad janam janam aise hee pade rahna chahenge. जब सांसो का तूफ़ान रुका तब रमा ने पहले अपने पेटीकोट से फ़िर जग्गू की लूंगी से चूत को साफ़ किया और जगगू को अपनी बाहो का हार पहना कर सुनहरे सपनों मैं खो गयी जो उस ने अपनी जेठानी की अलमारी के बारे मैं देखे थे।। मगर उस को क्या मालूम था की उस अलमारी मैं बंद सदीआं और हार तो उस को मिल जायेंगे मगर जग्गू उस की सब से छोटी संतान (बेटी) को बाप और उस की सब से बड़ी बेटी की कुंवारी चूत को फाड़ने वाला आदमी भी बनेगा।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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