Sunday, September 7, 2014

FUN-MAZA-MASTI रीना की हवस-1

FUN-MAZA-MASTI


रीना की हवस-1

 दोस्तो, आपकी दोस्त पिंकी एक नई कहानी के साथ वापस आ गई है।  आज की यह कहानी एक बड़े शहर की है, एकदम सच्ची घटना है। मेरी एक दोस्त ने मुझे बताई है।
मैं इसमें अपनी तरफ से बस थोड़ा चटपटा मसाला मिलाउंगी, इसके अलावा ज्यों की त्यों आप को सुनाउंगी।
इस कहानी में बस जगह और किरदारों के नाम बदल कर लिखे गए हैं। तो चलिए सीधे कहानी की ओर चलते हैं।
सुबह के 11 बजे जीतेंद्र वर्मा गुस्से में अपनी पत्नी को आवाज़ दे रहे थे।
जीतेंद्र- राधा ओ राधा… कहाँ हो? जल्दी बाहर आओ !
राधा- क्या हुआ? क्यों आसमान सर पर उठा रखा है, क्या बात हो गई?
जीतेंद्र- अभी-अभी तुम्हारी लड़की के स्कूल से फ़ोन आया है, बुलाया है उन्होंने ! फिर टेस्ट में उसके नम्बर कम आए होंगे… यह लड़की करती क्या है, समझ से बाहर है!
राधा- अरे आप भी ना.. बच्ची है, धीरे-धीरे समझ जाएगी!
जीतेंद्र- वो अब अठारह साल की हो गई है, अब तक बच्ची ही है? उसके साथ की लड़कियाँ कहाँ से कहाँ पहुँच गईं… उसने अब तक दसवीं पास नहीं की है!
राधा- कर लेगी जी.. आप टेन्शन क्यों लेते हो ! जाओ स्कूल, क्या पता आज क्या बात है!
जीतेंद्र- बात क्या होगी, वही हमेशा का भाषण सुनना पड़ेगा.. इकलौती औलाद है और वो भी ऐसी कि दिमाग़ नाम की चीज़ उसके पास है ही नहीं.. जाता हूँ!
यह एक ठीक-ठाक सा छोटा सा परिवार है, ज़्यादा अमीर तो नहीं मगर इनकी, समाज में ख़ासी इज़्ज़त है, स्कूल के ऑफिस में प्रिंसीपल राजन के सामने जीतेंद्र वर्मा चुपचाप बैठे थे।
राजन- देखिए हम जानते हैं, आपने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है, मगर ऐसे कैसे चलेगा ! इसकी क्लास की ही एक लड़की शारदा इससे भी ज़्यादा वीक थी, पर अब वो काफ़ी अच्छी हो गई है, आप गलत मत समझना, मगर एक बार आप शारदा के पेरेंट्स से मिल लो, उनसे पूछो, उन्होंने कौन सी तरकीब अपनाई है या कोई खास ट्यूशन दिया है। रीना का यूँ हर बार टेस्ट में फेल होना ठीक बात नहीं है !
जीतेंद्र- थैंक्स सर मैं आज ही शारदा के पापा से मिल लूँगा.. ओके बाय !
जीतेंद्र वहाँ से घर आ जाता है और राधा को सब बात बता देता है !
राधा- अरे शारदा की मम्मी को मैं अच्छे से जानती हूँ.. विमला जी अक्सर मंदिर में मिल जाती हैं। उनका घर यहीं पास में ही है। मैं अभी उनसे मिल आती हूँ।
जीतेंद्र- पास में है.. मैं समझा नहीं, किस की बेटी है शारदा !
राधा- अरे अपने सुरेश भाईसाब की बेटी है। आप भी ना अपने काम में इतने खोए हो कि कुछ याद ही नहीं रहता !
जीतेंद्र- ओह अच्छा-अच्छा, चलो यह ठीक हुआ, तुम अभी जाओ उनसे पूछ कर आओ, मैं भी जाता हूँ और हाँ.. जल्दी आ जाना रीना स्कूल से आएगी तो घर लॉक मिलेगा। उसको परेशानी होगी !
राधा- नहीं, उसके पास हमेशा चाबी होती है आप जाओ !
थोड़ी देर बाद राधा विमला के घर पर थी और उनसे इस बारे में बात कर रही थी।
विमला- अब मैं कैसे बताऊँ, तुमको कुछ समझ नहीं आ रहा है !
राधा- अरे बहन जो भी तरीका हो बता दो… मेरी बेटी की जिंदगी का सवाल है !
विमला- बता तो दूँ, पर तुमको अजीब लगेगा !
राधा- इसमें अजीब क्या है.. बताओ ना प्लीज़ !
विमला- यहाँ से 60 किलोमीटर दूर एक गाँव है सोनीपुर (बदला हुआ नाम) वहाँ एक छोटे से घर में बाबा जी रहते हैं। मुझे मेरी नौकरानी ने बताया था।
उनके बारे में तब मैं शारदा को वहाँ लेकर गई। तीन दिन में उन्होंने शारदा के दिमाग़ को अच्छा कर दिया। अब भगवान का शुक्र है, सब अच्छा हो गया है !
राधा- ओह ये तो अच्छी बात है, पर तुम ऐसे घबरा क्यों रही थी !
विमला- व..व..वो बात दरअसल ये है कि….
विमला जी बोलती रहीं और राधा की आँखें फटने लगीं। वो बड़े गौर से सब सुन रही थी। उनके चेहरे के भाव बदलने लगे थे।
राधा- बहन बात तो तुम्हारी ठीक है, लेकिन आजकल ये बाबा लोग का मुझे भरोसा नहीं रहा। अभी कुछ दिन पहले ही कितने जाने-माने बाबा ने एक नाबालिग को अपनी हवस का शिकार बनाया था, आज वो जेल की हवा खा रहा है !
विमला- अरे नहीं… हाथ की पाँचों उंगलियां बराबर नहीं होती, वो बाबा बड़े ज्ञानी हैं, उन पर शक करना सही नहीं होगा… उन्होंने ना जाने कितनों का भला किया है !
राधा- अच्छा ठीक है बहन, इस बारे में अच्छे से सोच कर ही किसी नतीजे पर आउंगी और सुनाओ सब कैसा चल रहा है !
ये दोनों बातों में लीन हो गई थीं, इधर रीना अपने स्कूल से घर आ गई और आते ही अपने रूम में जाकर कपड़े निकालने लगी।
रीना एक 18 साल की कमसिन लड़की थी, गेहुआ रंग पाँच फुट चार इन्च की हाईट, लंबे घने काले बाल और एक बहुत ही मस्त फिगर, जिसे देख कर अक्सर लड़के सोचते है काश.. ये पटाखा हमें मिल जाए।
रीना ने शर्ट और स्कर्ट उतार दिया, अब वो बस ब्लू ब्रा-पैन्टी में थी। शीशे के सामने खड़ी होकर अपने जिस्म को निहार रही थी।
फिर उसने ब्रा निकाल दी, उसके 32 साइज़ के गोल चूचे किसी रेत के टीले जैसे उभरे हुए थे और उन पर बटन जैसे भूरे निप्पल चूचों की सुन्दरता में चार चाँद  लगा रहे थे। 28″ की पतली कमर, एकदम अन्दर को धँसी हुई थी, जो उसकी सुन्दरता को और भी बढ़ा रही थी।
उसकी 32″ की पिछाड़ी एकदम उभरी हुई, बाहर को निकली थी और भारी जाँघों के बीच एक बारीक सी लकीर यानी बुर जो बन्द थी, यानी इसका मुहूर्त अभी हुआ नहीं है।
रीना अपने एक-एक अंग को आईने में निहार रही थी और अपने आप से बात कर रही थी।
रीना- वाउ.. रीना तेरा ये जिस्म तो किसी का भी घायल कर दे मगर मेरी जवानी बस मेरे राजकुमार को ही दूँगी… हाय-हाय कब आएगा मेरा राजकुमार… कब मेरे चूचों को दबाएगा… कब मेरी बुर को चाटेगा… उफ्फ.. कब तक उंगली रगड़ती रहूँगी.. मैं उफ्फ.. सीस्सीसीस्सी !
रीना वहीं खड़ी-खड़ी अपनी उंगली मुँह में लेकर गीली करती है और बुर की फाँक खोल कर उसको रगड़ने लगती है।
रीना- आ..सीस्सीसीस्सी आ..हह.. आ जाओ मेरे राजकुमार आ..हह तुम्हारी रीना तड़प रही है…आह ससस्स बुझा दो अपने लंड से.. मेरी प्यास आह..सीस्सीसीस्सी उफ्फ !
दस मिनट तक रीना अपनी बुर को रगड़ती रहती है और आख़िर कर उसका बाँध टूट जाता है और वो झड़ जाती है व लंबी लंबी साँसें लेने लगती है।
दोस्तो, आपको मैं बता दूँ, रीना अभी तक कुँवारी है, पर सेक्स स्टोरी, वीडियो देख-देख कर इसके दिमाग़ में बस सेक्स ही सेक्स भरा हुआ है। रीना झड़ कर शान्त हो जाती है और नंगी ही बाथरूम में चली जाती है। कुछ देर बाद उसकी माँ घर आ जाती है और रीना के रूम को नॉक करती है।
रीना- क्या है माँ?
राधा- बेटी खाना क्यों नहीं खाया अब तक, आजा जल्दी से… तेरे पापा भी आ गए हैं !
रीना- बस पाँच मिनट में आई माँ !
पंद्रह मिनट बाद सब खाने की टेबल पर बैठे थे। जीतेंद्र रीना को घूर रहे थे और रीना उनसे नजरें चुरा रही थी।
जीतेंद्र- ऐसे नजरें चुराने से कुछ नहीं होगा, आख़िर तुम चाहती क्या हो ! क्यों पढ़ाई में ध्यान नहीं है तुम्हारा !
राधा- अब बस भी करो, खाना तो खाने दो बेचारी को, रात को देर तक पढ़ाई करती है अब पता नहीं फिर भी क्यों नम्बर कम आते हैं !
रीना मन ही मन हँस रही थी ‘ओह मेरी भोली माँ.. रात को सेक्स स्टोरी पढ़ती हूँ बड़े-बड़े लंड देखती हूँ… अपनी बुर को रगड़ती हूँ… पढ़ाई में क्या रखा है.. हाँ ! और पापा आप पूछते हो मैं चाहती क्या हूँ ! तो पापा प्लीज़ कोई तगड़ा सा मोटा सा लंड ला दो, जिससे मेरी बुर को शांति मिले !’
जीतेंद्र- अब ऐसे क्या चुप बैठी रहेगी ! जवाब तो दे?
पापा की आवाज़ सुनकर रीना का ध्यान टूटा और वो बोली- सॉरी पापा, आगे से ध्यान रखूँगी और ज़्यादा मेहनत करूँगी !
इसके बाद वहाँ कुछ खास नहीं हुआ, रीना अपने कमरे में चली गई और मोबाइल पर गेम खेलने लगी, गेम खेलते-खेलते उसको नींद आ गई और वो सो गई।
जीतेंद्र ने राधा से पूछा- वहाँ क्या पता चला?
तब राधा ने बात को टाल दिया क्योंकि वो जानती थी कि यह बाबा वाली वाली बात उनको समझ नहीं आएगी।
शाम को पाँच बजे घण्टी बजी तो राधा ने दरवाजा खोला, रीना की सहेली गीता आई थी, उसी की उमर की है और उसकी बेस्ट-फ्रेंड है।
रीना- हाय.. क्या मौके पर आई है.. आ तुझे एक चीज़ दिखाती हूँ !
गीता- क्या है यार?
रीना- यह देख आज मैंने एक स्टोरी पढ़ी है, बड़ी मस्त है यार और इसकी राइटर कोई पिंकी है जो मेल का रिप्लाई भी देती है। बड़ा अच्छा लिखती है।
मेरी तो बुर रिसने लगी, आ तू भी पढ़ ले मज़ा आएगा !
गीता- यार, एक बात बता तू.. कितनी स्टोरी पढ़ती है, वीडियो देखती है.. बुर को रगड़ करके ठंडा करती है। किसी को बॉय-फ्रेण्ड बना ले.. क्यूँ तड़पती रहती है !
रीना- चल हट… ये आज कल के लड़कों में कहाँ दम है ! मैं तो अपनी बुर का मुहूर्त किसी तगड़े लौड़े से करवाउंगी, जिस दिन वो मेरे सामने आएगा मैं अपने आप उसको पकड़ लूँगी !
गीता- यार अब तगड़ा लौड़ा कहाँ से आएगा और तूने कौन सा लड़कों का देखा है, जो तुझे बड़ा पता है कि उनका तगड़ा नहीं है !
रीना- हा हा हा एक बात बताऊँ.. हँसना मत, मैंने कई लौड़े देखे है अपने स्कूल के बाथरूम में बॉयज-टॉयलेट के ठीक पीछे गर्ल्स-टॉयलेट है, मैंने एक बाथरूम में छेद किया हुआ है, बहुत छोटा है.. ऐसे नज़र नहीं आता है। मैंने उसमे रुई डाली हुई है, जब मैं जाती हूँ कोई न कोई तो वहाँ आता ही है। मैं छुप कर उनके लौड़े देखती हूँ और मेरे घर के स्टोर रूम के पीछे गली में सब मूतने आते हैं, वहाँ खिड़की से छुप कर भी बहुत लौड़े देखे हैं मुझे बहुत मज़ा आता है यार !
गीता- ओह माँ.. तू कितनी बेशर्म है.. यार चल हट.. ला दिखा मुझे भी कैसी स्टोरी है ये !








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