FUN-MAZA-MASTI
प्रेमी रमेश के साथ
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प्रेमी रमेश के साथ
तारीख - १८ दिसम्बर २००९ |
ये मेरी जिन्दी का बहुत महत्वपूर्ण दिन था. मेरिज कोर्ट में हमारी अर्जी देने केबाद,
कोर्ट के आदेश के अनुसार मैं, मेरा प्रेमी रमेश, मेरे और रमेश के माता पिता,मेरे चाचा
और कुछ नजदीकी रिश्तेदार / दोस्त कोर्ट में हाज़िर थे.
आज मेरी कानूनी शादी होने वाली थी अपने प्रेमी रमेश के साथ.मेरे माता पिता नेऔर रमेश के माता पिता ने गवाही के हस्ताक्षर किये और मैंने और रमेश नेएक दुसरे को शादी की अंगूठी पहनाई, माला पहनाई और अब कानूनी रूप सेपति पत्नी बन गए. अपने सपनों के राजा रमेश की पत्नी बनकर मैं कुछ अलग सा महसूस कर रही थी.मैंने अपने माता पिता और सास ससुर के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. उन केसम्मान में मेरी आँखें झुकी हुई थी और मैं शर्मा रही थी. मैं हमेशा से एकखुले विचार की लड़की रही हूँ और मैंने ऐसा कभी सोचा नहीं था की मुझेभी इतनी शर्म आएगी. मेरे सास ससुर बहुत की खुश हुए जब मैंने उनके पैर छुए.मैंने उनकी और अपने माता पिता की आँखों में अपने लिए बहुत प्यार देखा. इसके बाद हम सब एक नज़दीक की होटल में दोपहर का खाना खाना खाने के लिएगए और वहां से घर आ गए. यहाँ पर मैं ये बता दूँ की मैं अपने माता पिता के साथ अपने घर आई थी क्यों की येपहले ही निश्चित हो चुका था की मैं अपने ससुराल में अपनी हिन्दू रीति रिवाज सेशादी हो जाने के बाद ही जाउंगी. पता नहीं क्यों, पर ये पक्का था की मैं अपनेआप में कुछ परिवर्तन महसूस कर रही थी.अचानक मैं अपने आप को समझदारऔर जिम्मेदार महसूस करने लगी. साथ ही साथ मैं अपने पति को भी अपनेदीमाग से नहीं निकाल पा रही थी और अपने माँ बाप के बारे में भी सोच रही थी जोशायाद हर शादीशुदा लड़की सोचती है. और हाँ, मेरे चाचा, मेरे पहले प्रेमी, मेरी पहली चुदाई करने वाले भी मेरे दीमाग परछाये हुए थे.अब ये पक्का था की मुझे अपने माता पिता, अपने चाचा और अपनाघर छोड़ कर जाना था. मैं अपने चाचा से आखिरी बार अपने घर पर प्यार करना चाहती थी पर वो मेरीशादी के काम में बहुत व्यस्त थे.क्रिश्चियन और हिन्दू रीति से मेरी शादी२० दिसम्बर को होना निश्चित हुई थी. |
तारीख - १९ दिसम्बर २००९ |
सुबह से ही मैं अपनी माँ के साथ खरीद दारी करने में व्यस्त थी. हम दोपहर के बादघर वापस
आये और हमने शाम की चाय साथ साथ पी. मने देखा की मेरे चाचा भीघर पर लौटे और काफी थके
हुए लग रहे थे. हमारे साथ चाय पीने के बाद वो अपनेरूम में चले आराम करने चले गए.अपने
रूम में जाने से पहले मैंने देखा की चाचाअपने रूम में गहरी नींद में सो रहे थे. मैं
भी एक झपकी लेने के लिए अपने रूम मेंआ गई. जब मेरी आँख खुली तो शाम के 7 बजे थे.अब
मैं तारो ताज़ा महसूस कररही थी और मैंने अपने चाचा को भी फ्रेश मूड में देखा.हम सब रात
का खाना साथसाथ खा रहे थे तब मैंने आँखों ही आँखों में चाचा को इशारा किया जो वेसमझ
गए.
मैं चाचा से आखिरी बार प्यार करने और उन से आखिरी बार चुदवाने के पहले नहारही थी.मैं जब बाथरूम से अपने सेक्सी शरीर पर केवल एक तौलिया लपेटे बाहरआई तो देखा की चाचा मेरे बिस्तर पर बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे थे. रात के करीब ११ बजे थे और मैं समझ चुकी थी की जरूर चाचा ने मेरे रूम कादरवाजा उस चाबी से खोला था जो सदा उनके पास रहती थी.उस चाबी का उन्होंनेआखिरी बार इस्तेमाल करलिया था. मैंने बाथरूम का दर्वाजाप्नी तरफ से बंदकरलिया. मैंने अपने शरीर पर लिपटे तौलिये को नीचे गिर जाने दिया और अपनीआँखों में आंसू लिए चाचा की तरफ दौड़ी. चाचा ने मुझे कस कर अपनीबाहों में जकड़ लिया. उनकी आँखों में भी आंसू थे. हम दोनों काफी देर तक इसी तरह एक दुसरे की बाहों में चुपचाप खड़े रहे. मैं पूरीतरह नंगी थी और चाचा नाईट ड्रेस में थे.फिर चाचा ने मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर मेरे आंसू पूंछे. मैंने भी मेरे प्यारे चाचा के आंसू पूंछे. अब हम थोड़ा मुस्करा रहेथे. आखिर चाचा ने चुप्पी तोड़ी. चाचा - ये हमारा आखिरी मिलन है जूली. पर तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगी. तुमको पता है ये बात. मैं - हाँ चाचा. आप मेरा पहला प्यार है और मैं आप को हमेशा याद रखूंगी. चाचा - जूली! मैं नहीं जानता मैंने तुम्हारे साथ चुदाई करके सही किया या गलत.पर तुम जानती हो की मैं तुम्हे प्यार करता हूँ. मैं - चाचा! ये बातें फिर से शुरू मत करो. मैं केवल इतना जानती हूँ की जबमैं चुदाई के लिए बैचैन थी तो आप वो इंसान थे उस समय जिसने मुझे सच्चा प्यारदिया और मुझे किसी गलत हाथों में पड़ने से बचाया. मेरे लिए आप ने अपनी शादीभी नहीं की. जिन्दगी के इस मोड़ पर मैं बिना किसी शिकायत के आप से सच्चाप्यार करती हूँ. चाचा ने मेरा चुम्बन लिया और मुझे ऐसे लगा जैसे फिर एक बार उनके मन सेकोई बड़ा बोझ उतर गया. मैंने भी चुम्बन में पूरा पूरा साथ दिया. जहां तक मुझे याद है,मेरी जिन्दगी में ये पहला मौका था जब मैं पूरी नंगी होने केबावजूद, चाचा की बाहों में होने के बावजूद भी सेक्सी फील नहीं कर रही थी,गरम फील नहीं कर रही थी. मैं चुदाई से ज्तादा प्यार अनुभव कर रही थी. मैंनेचाचा की नाईट ड्रेस उतारी और हम दोनों नंगे बिस्तर पर थे. मुझे उस समय बहुतही आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा की चाचा का लंड भी खड़ा नहीं है, नरम है. इस कामतलब चाचा भी वही अबुभाव कर रहे थे जो मैं कर रही थी. चाचा बोले - जूली !मेरी बात ध्यान से सुनो. अब तुम कानूनी एक शादीशुदा लड़कीहो और कल तुम्हारी शादी सामाजिक तरीके से भी हो जायेगी. हमने अछे प्रेमियोंकी तरह १४/१५ साल बिताये और जी भर कर प्यार किया. आज इस मौके पर मैंतुम्हे फिर से याद दिला दूँ की अब हम दोनों के बीच में कभी भी चुदाई का रिश्तानहीं रहेगा. आज के बाद मैं तुम्हे सिर्फ तुम्हारा चाचा होने के नाते प्यार करूँगा,प्रेमी के नाते नहीं. मैं - चाचा ! मैं वही करुँगी जो आप ने कहा है. मैं भी आप को आज के बाद बेटी जैसाप्यार दूंगी. पर..... अपने आप को कभी भी अपने मन में दोष मत देना की हमाराचुदाई का रिश्ता था. आप ने अकेले, अपने मन से कुछ नहीं किया था. मैं भीइसमें बराबर की जिम्मेदार हूँ. और मैं नहीं मानती की हमने कुछ भी गलत कियाहै. किसी को, एक दुसरे को खुश रखना कभी भी गलत नहीं हो सकता. अब हमनेइसपर काफी बातें करली है. अब बस करो और हमारा पसदीदा खेल शुरू करो. मैं बिस्तर में अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और चाचा मेरी तरफ मुंह करके, मेरेपैरों पर अपना एक पैर रख कर लेते हुए थे. मेरा सिर उनकेएक हाथ के ऊपर था.उन्होंने मेरे रसीले होंठ अपने मुंह में ले कर उनको प्यार सेधीरे धीरे चुसना शुरू किया. कुछ देर बाद उनका नीचे का होंठ मेरे मुंह में और मेराऊपर का होंठ उनके मुंह में था. हम गहरे चुम्बन में थे और चुदाई की गर्मी लगनीचालू हो गयी थी. मेरी निप्पल कड़क होने लगी और मेरी चूत अपने ही रस से गीलीहोने लगी. चाचा का लंड भी बड़ा होने लगा और कड़क हो कर मेरी साइड में दस्तकदेने लगा. पता नहीं क्यों, इस बार हम जो भी कर रहे थे वो बड़े प्यार से, धीरे धीरेकर रहे थे जबकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. उन्होंने मुझे चूमते हुए बड़े प्यार सेमेरी चूचियां दबाई जब की मैंने उनके तनतनाते हुए लौड़े को पकड़ा. अपना मुंह मेरेमुंह से हटा कर चाचा अपना मुंह मेरी चुचियों पर ले आये. हमेशा की तरह हमकोमज़ा आने लगा. इस समय हमारे दिमाग में वो नहीं था जो कुछ समय पहले था. मैं हमेशा दुनियाको भुला कर चुदवाती हूँ और मैं वही कर रही थी. चाचा का लंड मेरी पकड़ मेंथा और मैं उस को हलके हलके हिला रही थी मेरी चूत में से तेजी से रस निकल रहाथा और मेरी दोनों चूचियां गुलाबी हो कर तन गई थी. मैं अपने चाचा,मेरे चोदु, मेरेपहले चोदु प्रेमी से अंतिम बार चुदवाने के लिए पूरी तरह तैयार थी. चाचा मेरी तुरंत चुदवाने की इच्छा को समझ चुके थे. हम दोनों ही वक़्त खराब नकरते हुए तुरंत ही चोदना और चुदवाना चाहते थे क्यों की हम बहुत गरम हो चुकेथे. और फिर हमको दुसरे दिन मेरी शादी के लिए जल्दी भी उठाना था जो की सुबह९.०० बजे चर्च में होने वाली थी. उन्होंने मेरे चौड़े पैरों के बीच पोजीसन बनाई और अपने तने हुए गरम लंड कोआखिरी बार मेरी चूत पर लगाया.उनके लंड का सुपाडा मेरी चूत का दरवाजाखटखटा रहा था. चाचा का लंड अपनी चूत पर पा कर मेरी आँखें बंद हो चली औरउन्होंने अपना लंड मेरी रसीली चूत में, मेरी चूचियां पकड़ते हुए अन्दर घुसाना शुरूकिया. क्यों की मेरी चूत काफी गीली हो चुकी थी, चाचा का आधा लंड मेरी चूत मेंघुस गया. उन्होंने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और एक जोर का धक्का मेरीचूत में अपने लंड का मारा जिस से उनका पूरा का पूरा लंड मेरी रसीली फुद्दी में घुसगया. मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ क्यों की इतना चुदवाने के बाद भी मेरी चूत अभी तकटाईट थी क्यों की मैंने हमेशा अपनी प्यारी चूत का ध्यान रखा है और उसको ढीलीनहीं होने दिया.चाचा थोड़ी देर रुके, और फिर धीरे धीरे अपनी गांड आगे पीछे करनेलगे जिस से उनका लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर होने लगा. चाचा का चुदक्कड़ लंडमेरी चूत में आते जाते हमेशा की तरह मुझे मज़ा देने लगा. मैं भी अपनी गोल गोलमस्तानी गांड ऊपर नीचे करके चुदाई में चाचा का साथ देने लगी. मैं अपने कमरे मेंफिर एक बार अपने चोदु चाचा से चुदवा रही थी पर इसबार की चुदाई चाचा के साथआखिरी चुदाई थी. चूत और लंड की रगड़ से, नंगे शरीर टकराने से कमरे में चुदाई का संगीत गूंजनेलगा. चुदाई की रफ़्तार धीरे धीरे बढती जा रही थी. हमेशा की तरह,जल्दी ही मैंझड़ने की तरफ, अपनी चुदाई की मंजिल की तरफ बढ़ने लगी. चाचा प्यार से मुझेदेखते हुए आखिरी बार चोद रहे थे. चाचा की चुदाई की रफ़्तार बढती जा रही थी और मज़ा मुझे मेरे झड़ने के करीबपहुंचा रहा था.मैं चाचा के चोदने की ताल से ताल अपनी गांड ऊपर नीचे करती हुईमिला रही थी. मेरा बदन ऐंठने लगा और इसे महसूस करके चाचा जोर जोर से,जल्दी जल्दी मेरी चूत को चोदने लगे.मेरी गांड भी तेजी से ऊपर नीचे ऊपर नीचेहोने लगी. ओह........ आह.... कितनी जोर से झड़ी थी मैं. मैंने कस कर चाचा कोपकड़ लिया.मेरा बदन काँप रहा था. हमेशा की तरह चाचा ने क्या शानदार चुदाईकी.पूरा मज़ा और पूरी संतुष्टि.चाचा का गरम और कड़क लौड़ा अभी भी मेरी चूतकी गहराइयों में था. मेरी चूत मज़े से मचल रही थी. मुझे पता था की मेरातो हो चुका है पर चाचा का लौड़ा अभी भी पानी बरसाने को तरस रहा है. चाचा ने अपना गीला लंड मेरी गीली चूत से निकाला और मेरे बगल में लेट गए.मैं झड़ कर अपना मज़ा ले चुकी थी और अब मैं चाचा के लंड का पानी निकाल करउनको मज़ा देना चाहती थी. मैंने अपना सिर चाचा के पेट पर रख कर उनके प्यारेलंड को अपने मुंह में लिया. मरी चूत से निकले हुए रस का स्वाद मेरे मेरे मुंह मेंआया. वो मेरी नंगी पीठ पर प्यार से हाथ फिरा रहे थे. मैं अपने हाथ से उनके लंडपर मुठिया मारते हुए उनका लंड चूस रही थी. थोड़ी देर बाद मेरे मुंह में उनके लंडका सुपाडा फूलने लगा तो मैं समझ गई की प्यार का पानी उनके लंड से निकलनेही वाला है. मैंने उनका लंड और कस कर पकड़ा और जोर जोर से हिलाने लगी,जोरजोर से चूसने लगी. चाचा की गांड ऊपर हुई और उन्होंने अपने लंड का प्रेम रस मेरेमुंह में छोड़ दिया. मैंने पूरी कोशिश की सारा पानी पीने की मगर फिर भी थोड़ापानी उनके पेट पर गिरा जिसको मैंने चाट लिया. उनका लंड और पेट मैंने चाटकर साफ़ करदिया. रात के करीब १२.०० बज चुके थे. चाचा अपनी नाईट ड्रेस पहन कर, मुझेअंतिम बार चोद कर अपमे कमरे में जाने को तैयार थे. मैं अभी भी नंगी ही थी क्योंकी मैं रात को नंगी ही सोती हूँ. चाचा ने मेरा माथा चूमा. चाचा - आज के बाद मैं केवल तुम्हारा माथा ही चूमूंगा और तुम्हे अपनी लड़की कीतरह प्यार करूँगा. मैं - मैं आप का प्यार जिन्दी भर याद रखूंगी. चाचा - गुड नाईट जूली. मैं - गुड नाईट चाचा. और चाचा अपने कमरे में चले गए. मैं बिस्तर पर पड़ी चाचा के साथ बितायेचुदाई के दिनों और रातों को याद करती रही. |
तारीख २० दिसम्बर २००९ - सुबह |
हम सब, मैं, रमेश, मेरे माता पिता, मेरे सास ससुर, नजदीकी रिश्तेदार औरकुछ दोस्त चर्च
में मौजूद थे जहाँ मेरी शादी कथोलिक तरीके से हो रही थी. मैं शादीके लिए विशेष तौर
पर तैयार किया हुआ सफ़ेद गाउन पहने थी और मेरे पति हलकेभूरे रंग का शूट पहने हुए थे.
वो बहुत हेंडसम लग रहे थे. मुझे मेरी पसंद परफिर एक बार गर्व महसूस हुआ. मैं शुक्रगुजार
हूँ मेरे सास ससुर काजिन्होंने कथोलिक तरीके से हमारी शादी करवाने की मेरे पिताजी की
बात मानीऔत उस में पूरा सहयोग दिया.
हमने वहां शादी की अंगूठियाँ बदली और पादरी ने हमको पति पत्नी घोषित किया.हमने अपने बड़ों का आशीर्वाद लिया और घर लौट गए क्यों की शाम को होनेवाली मेरी हिन्दू तरीके से शादी की तय्यारी भी करनी थी. मेरे सास ससुर चाहते थेकी हिन्दू तरीके से भी हमारी शादी हो. |
तारिख २० दिसम्बर २००९ - शाम |
मैं बुने कधी से भरपूर, अपने ससुराल से आई लाल रंग की साड़ी पहने हुए थी. सबकह रहे थे की मैं दुल्हन के लिबास में बहुत सुन्दर दिख रही हूँ मेरे पति क्रीम रंगका शूट पहने हुए बहुत जंच रहे थे. मेरा सिर साड़ी के पल्लू से ढाका हुआ था औरपवित्र अग्नि के सामने पंडितजी मंत्र पढ़ रहे थे. हमने फेरे लिए और हमारी शादीसंपन्न हुई. इस में करीब दो घंटे लगे. बड़ों का आशीर्वाद ले कर मैं अपने ससुराल के लिए अपनी नै जिन्दगी की शुरुआतकरने को विदा हुई. |
तारीख २० दिसम्बर २००९ - रात - मेरी सुहागरात |
मैं अपने पति, अपने सास ससुर और कुछ नजदीकी रिश्तेदारों के साथ अपनेससुराल पहुंची.
मेरा बहुत आदर और प्यार से स्वागत किया गया. मुझे बहुत सेतोहफे मिले. मेरी सासू माँ
नेमुझेबहुत से सुन्दर सुन्दर सोने के गहने दिए. मेरेससुरजी ने कहा की मैं उनको अपने
माँ बाप ही समझूँ और अपना प्यारभरा हाथ मेरे सिर पर रखा. मुझे इतना प्यार मिला की मैं
यहाँ अपने आप कोनया महसूस नहीं कर रही थी. करीब ११.३० बजे कुछ जवान महिला रिश्तेदारों ने मुझे मेरे कमरे में मेरीसुहागरात के लिए पहुँचाया. वो सब हंस रही थी और मजाक कर रही थी. मैंउनकी बातें सुन कर मुश्करा रही थी. मेरा बेद रूम काफी बड़ा था. एक बड़ा पलंग था जिस पर फूल बिछे थे, दीवार केसाथ दो बड़े सोफा रहे, एक बड़ी आलमारी थी, बड़ी ड्रेसिंग टेबल थी, और एक टीटेबल पर मिठाई और बहुत सी चीजें राखी हुई थी. उन्होंने मुझे मेरे पलंग परबिठाया और हंसती हुई चली गई. इस बड़े लम्रे में मैं अपनी लाल साड़ी पहने,गहनों से लड़ी अकेली बैठी, अपनी नै जिन्दगी की शुरुआत करने के लिए अपनेपति का इंतज़ार करने लगी. मेरा इंतज़ार ख़तम हुआ और मेरे पति कमरे में आये. हालांकि हम एक दुसरे केलिए नए नहीं थे पर न जाने क्यों, मुझे शर्म आ रही थी. मैं अपनी आँखों के किनारोंसे उन को देख रही थी. उन्होंने घूम कर दरवाजा अन्दर से बंद किया और मेरे पासआये. मैं रोमांचित थी पर वो एक दम नोर्मल लग रहे थे. उन्होंने मेराचेहरा पकड़ कर ऊपर उठाया और बोले - तुम दुल्हन के रूप में भी बहुत सुन्दर लगरही हो जूली. मैं शर्मा गई और कुछ नहीं बोल पायी. ये सच है की मैंने शादी के पहले उन से बहुतबार चुदवाया है, पर आज की रात की तो बात ही कुछ और थी. मेरे पास पूरे शब्दनहीं है अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए. मेरे सामने बैठ कर उन्होंने मेराहाथ अपने हाथ में लिया अपने गर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. मेरे पति के रूप मेंये उनका पहला चुम्बन था. हमने एक गरम और गहरा चुम्बन पूरा किया तो वोबोले - जूली ! तुम को देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे आज हम पहली बार मिलरहें है. तुम तो बिलकुल नै दुल्हन की तरह शर्मा रही हो. पर मुझे अच्छा लगा. मैं बोली - पता नहीं क्यों, जब से मैंने अग्नि के सामने, तुम्हारा हाथ पकड़ कर फेरेलिए है, जो आदर सम्मान और प्यार मुझे यहाँ मिला है, उस से मैं बहुत खुश हूँ.शायद इस परिवर्तन का यही कारण है. वो बोले - तुम्हे पता है जूली, माँ कह रही थी की जूली एक खुले विचारों वालीक्रिस्चियन लड़की बिलकुल नहीं लग रही है. वो तो एक सिंपल हिन्दू लड़की लगरही है. मैं ये सुन कर बहुत खुश हुई. सच लिखूं तो पहले मैं सोचती थी की मैं एकक्रिस्चियन लड़की हूँ और एक हिन्दू परिवार में कैसे मिल जुल पाउंगी. पर मेरे सासससुर का प्यार देख कर मेरे लिए अब ये बहुत आसान लग रहा था. मुझे विश्वास हैकी पढने वाले समझ गए होंगे की मैं क्या कहना चाहती हूँ. जब उन्होंने मेरे बदन पर अपने हाथ प्यार से घुमाना शुरू किया तो हमेशा की तरहमैं गरम होने लगी. मैं बहुत सारे भरी गहने पहने हुए थी और और हम दोनों समझरहे थे की इन गहनों के मेरे शरीर पर मौजूदगी में दो सेक्सी जिस्म नहीं मिलपायेंगे. उन्होंने एक एक करके मेरे सभी भारी गहने उतारे और मैंनेउनको साइड टेबल पर रख दिया. छोटे गहने अभी भी मेरे बदन पर थे जो कीहमारी चुदाई के बीच बढ़ा नहीं बनने वाले थे. जब उन्होंने मेरी साड़ीउतारनी चाही तो मैंने लाईट बंद करने का इशारा किया. वो चौंक गए क्यों कीउनको पता है की मैं पूरी रौशनी में चुदवाना पसंद करती हूँ. वो मुंह से कुछ नहींबोले और लाईट बंद करके नीले रंग का नाईट बल्ब जला दिया. नाईट बल्ब कीरौशनी भी काफी थी और हम सब कुछ साफ़ साफ़ देख पा रहे थे. उन्होंने मेरी साड़ीउतारी, ब्लाउज और पेटीकोट खोला तो मेरी गुलाबी ब्रा और गुलाबी चड्डी नाईटबल्ब की नीली रौशनी में चमक उठी. अब मेरी बारी थी. मैंने उनका शूट और बाकीकपड़े उतारे तो वो मेरे सामने अपनी चड्डी में थे. जल्दी ही उन्होंने मेरी ब्रा औरचड्डी भी उतार दी और मैंने उनकी चड्डी उतार दी. अब हम दोनों नंगे, एकदूसर को बाहों में लिए, आमने सामने पलंग पर लेट गए. मेरी चूचियां औरनिप्पल उनकी चौड़ी छाती मर दब रही थी और उनका मोटा तगड़ा खड़ा हुआलंड मेरे पेट पर चुभ रहा था पर मुझे अच्छा लग रहा था. मैंने कई बार उन सेचुदवाया है पर मेरी शादी के बाद उनकी पत्नी के रूप में मेरी पहली चुदाई होने जारही थी. वो मेरी नंगी पीठ पर हाथ गुमने लगे जिस से मैं और भी गरम और सेक्सीहोने लगी. मेरी चूत ने रस छोड़ना शुरू करदिया था और मेरी टांगों के जोड़ गीले होरहे थे. उनके तने हुए लंड से भी चुदाई के पहले का पानी निकल कर मेरे पेट कोगीला कर रहा था. मैं तो जैसे सातवें आसमान की सैर कर रही थी. मैं बोली - डार्लिंग ! तुम तो जानते हो की मैं तुम्हारी कुंवारी चूत वाली दुल्हन नहींहूँ. जैसा की मैंने पहले कहा था, मेरी गांड अभी भी तुम्हारे लिए कुंवारी है. मैं आजइस सुहागरात के मौके पर अपनी कुंवारी गांड अपने पति को पेश करती हूँ. उन्होंने मेरी गोल गोल मस्तानी गांड दबी और बोले - मैं जानता हूँ डीयर ! पर हमदोनों को ही गांड मारने और गाना मरवाने का तजुर्बा नहीं है. पर मैं इतना जानताहूँ की गांड मरवाने वाले वाले को पहली बार में काफी दर्द होता है. मैं बोली - कोई बात नहीं डार्लिंग ! तुम्हारे लिए मैं दर्द सहन करने के लिए तैयार हूँ.मैं चाहती हूँ की तुम मेरी कुंवारी गांड का तोहफा कबूल करो. वो बोले - ठीक है जूली. जैसा तुम चाहो. जब तुम मेरी हो तो तुम्हारी प्यारी गांड भीमेरी है. पर गांड मारने और मरवाने में हम को बहुत सावधानी बरतनी होगी. खासकरके पूरा मज़ा लेने के लिए इन्फेक्सन से बचना होगा. तुम को अपनी गांड अन्दरसे पूरी तरह साफ़ करनी होगी और पूरे मजे के लिए, पूरी गांड मरवाने की लिएइसको अन्दर से चूत की तरह चिकनी बनानी होगी. मैं तुम्हारी बात रखतेहुए आज की रात तुम्हारी कुंवारी गांड का तोहफा कबूल करता हूँ पर आज मैंसिर्फ शगुन के तौर पर ही तुम्हारी थोड़ी सी गांड मारूंगा पर कंडोम लगा कर. पूरीतरह मैं तुम्हारी गांड अपने हनीमून पर मारूंगा क्यों की वहां गांड मरने औरमरवाने के शौक़ीन लोगों के लिए बहुत सामान मिलता है और हम बिना कंडोम केही गांड का पूरा मज़ा ले सकतें है. मैंने कहा - ओ के डार्लिंग. मैं तैयार हूँ. मैं खुश हूँ की तुम ने मेरी कुंवारी गांड कातोहफा कबूल किया. वो उठे और आलमारी से कंडोम का पैकेट निकाक कर साइड टेबल पर रखा. हमफिर से प्यार में खो गए. वो मेरे सभी अंगों से खेल रहे थे, दबा रहे थे, मसल रहे थेऔर उन्होंने मेरी निप्पल अपने मुंह में ले कर किसी बच्चे की तरह चूसने लगे जैसेअभी दूध निकलेगा. मैंने उनके लम्बे, मोटे, तने हुए और गरम लंड को पकड़ करउस से खेलना शुरू कर दिया. लंड मेरे खेलने का पसंदीदा खिलौना है. मेरे हात मेंआते ही उनका पहले से कड़क लंड और भी कड़क हो गया. हम दोनों बहुत सेक्सीफील कर रहे थे उन्होंने मेरी नंगी गांड और कमर के नीचे तकिया रखा और मैं बहुत रोमांचित थीकी आज मेरी कुंवारी गांड का उद्घाटन मेरे पति के लंड से होने जा रहा था. उन्होंनेअपने खड़े लंड पर कंडोम चढ़ाया और मेरी गांड के छोटे से छेद पर कोल्ड क्रीमलगाई. वो बोले - तुम्हारी गांड का छेद तो बहुत छोटा है जूली. तुम को मेरा लंड अपनी गांडमें लेने के लिए बहुत तकलीफ होगी. मैंने जवाब दिया - कोई बात नहीं डार्लिंग. चिंता मत करो. मैं दर्द सहन कर लूंगी. वो बोले - तो फिर ठीक है. गांड को थोड़ा रीलेक्स करो. मैंने अपनी गांड के छेद को थोड़ा रीलेक्स किया तो वो थोड़ा खुल गया. उन्होंनेअपनी ऊँगली से मेरी गांड के अन्दर तक कोल्ड क्रीम लगाईं तो मुझे मेरी गांड मेंठंडा ठंडा लगने लगा. काफी सारी क्रीम उन्होंने मेरी गांड के अन्दर और बाहरलगाईं, अपने कंडोम चढ़े लंड पर भी कोल्ड क्रीम लगाईं. मेरे पैर चौड़े थे और गांडके नीचे तकिया होने की वजह से मारने के लिए उनको मेरी गांड पूरी तरह नज़र आरही थी.मैं अपनी गांड में अपने पति का लंड लेने को, अपनी कुंवारी गांड मरवाने कोतैयार थी. वो मेरे पैरों के बीच में, अपने घुटनों पर, अपना लंड अपने हाथ मेंलेकर मेरी गांड मारने को तैयार हो गए थे. उन्होंने अपने लंड का मुंह, सुपाडा मेरीगांड के छेद पर रखा तो मेरी गांड का छेद फिर से टाईट हो गया. वो बोले - ढीला करो जूली. और मैंने फिर से अपनी गांड के छोटे छेद को ढीला छोड़ा. और उन्होंने अपने खड़ेलंड का जोर मेरी गांड पर लगाया. मैंने उनके लंड का सुपाडा अपनी गांड के छेदमें महसूस किया. कोई दर्द नहीं हुआ. उन्होंने फिर थोड़ा जोर लगाया तो मुझे दर्दहोने लगा पर उनके लंड का सुपाडा मेरी गांड के अन्दर घुस गया. वो रुक गए औरमेरी रसीली सफाचट फुद्दी से खेलने लगे. उनकी उँगलियाँ मेरी चूत के बीच मेंघूमने लगी और मेरी चूत और ज्यादा गीली हो गई. मेरी गांड का दर्द कम हुआ औरउन्होंने अपने लंड का एक और धक्का लगाया. फिर से मेरी गांड में दर्द हुआ परउनके लंड का अगला हिस्सा मेरी गांड में घुस चुका था. वो लगातार मेरी चूतसे खेलते जा रहे थे. एक और धक्का उनके लंड का मेरी गांड में और मुझे महसूसहुआ जैसे मेरी गांड फट गई है. मैं अब समझी की गांड फटना किसे कहतें है. दर्दकाफी हो रहा था पर साथ ही साथ अच्छा भी लग रहा था. मेरी गांड काउद्घाटन मेरे पति के लंड से हो चुका था. वो बोले - जूली ! मैं आधा लंड ही डालूँगा ताकि तुम को ज्यादा दर्द न हो. उन्होंने फिर एक धक्का लगाया और मैंने महसूस किया की उनका आधा लंड मेरीमस्तानी गांड में घुस चुका है. मेरी गांड में बहुत ही जोर से दर्द होने लगा. मैंनेअपना हाथ नीचे करके अपनी गांड के छेद पर लगाया तो उन का लंड हाथ मेंआया जो की आधा मेरी गांड के अन्दर था और आधा बाहर था. मैंने अपनी गांड केछेद पर हाथ लगाया तो मेरी उँगलियाँ क्रीम से गीली हो गई. मैंने अपनी उँगलियाँनाईट बल्ब की रौशनी में देखी तो मैं दंग रह गई. मेरी उँगलियों पर क्रीम के साथसाथ खून भी लगा था, इस का मतलब सचमुच मेरी गांड फट गई थी. मेरा दर्दबढ़ता जा रहा था पर मैंने उनसे खून के बारे में कुछ नहीं कहा. मेरी आँखों में दर्द केमारे आंसू आ गए थे जो मैंने जल्दी से पूँछ लिए. उन का लंड आधा मेरी गांड में घुसकर आराम कर रहा था और वो मेरा दर्द बांटने के लिए मेरी चूत से खेलते जा रहे थे.अब तो वो मेरी चूत को अपनी ऊँगली से चोदने लगे. उनकी ऊँगली मेरी चूत मेंअन्दर बाहर हो रही थी जैसे कोई छोटा लंड मेरी चूत चोद रहा था. मुझे लगरह थाजैसे की जब उनकी ऊँगली मेरी चूत के अन्दर जाती तो उन को मेरी गांड मेंघुसा उनका लंड भी महसूस हो रहा था. मतलब मेरी गांड में घुसा लंड मेरी चूत मेंघुसी ऊँगली को दीवार की दूसरी तरफ मसूस कर सकता था. मुझे दर्द हो रहा थापर मेरी चूत में घुमती उनकी ऊँगली और गांड में घुसा उनका लौड़ा मज़ा भी दे रहेथे. थोड़ी ही देर में मैं अपनी चूत ऊँगली से चुदने के कारण झड़ने के पास पहुँचगयी. पर उनकी ऊँगली ने चूत को चोदना बंद किया और मेरी रसीली चूत केअन्दर घुस कर बैठ गई. वो बोले - इस बार अलग तरीके से झड़ने के लिए तैयार हो जाओ. मैं - ठीक है डीयर. वो - क्या दर्द हो रहा है तुम्हारी गांड में? मैं - ज्यादा नहीं डार्लिंग. तुम आगे बढ़ो. उन्होंने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और फिर से अन्दर धकेला. उनकी ऊँगलीअभी भी मेरी चूत के काफी अन्दर थी. फिर वो धीरे धीरे धक्के लगते हुए मेरी गांडमारने लगे. दर्द थोड़ा कम हो गया था और मैं पहली बार गांड मरवाने काआनंद लूटने लगी. मुझे पता नहीं था की गांड मरवाने में भी इतना मज़ा आता है.जैसे वो हमेशा मेरी चूत चोदते है, वैसे वो मेरी गांड मार रहे थे अपने कड़क लंडको मेरी गांड में अन्दर बाहर करके. मेरी इच्छा हो रही थी की वो अपना पूरा लंडमेरी गांड में डाल कर आज मेरी गांड फाड़ दे. पर मेरे पति बहुत समझदार औरधीरज वाले है. उन्होंने मेरी गांड मारने की रफ़्तार बधाई और अब उनका लंडबिना ज्यादा तकलीफ के मेरी गांड में अन्दर बाहर हो रहा था. मैं भी अपनी चूतऔर अपनी गांड की अन्दर की दीवार पर उनकी ऊँगली और लंड कामिलन महसूस कर रही थी. मैं लिख नहीं सकती की मैं कितना अच्छा फील कररही थी. उनके मेरी गांड मारने की वजह से, पहली बार मुझे पता चला की गांडमरवाकर भी झडा जा सकता है. उनकी ऊँगली फिर से मेरी चूत में हरकत में आगई और अन्दर बाहर होने लगी. चूत में उनकी ऊँगली अन्दर बाहर हो रही थी औरगांड में उनका लंड अन्दर बाहर हो रहा था. मेरी दोहरी चुदाई हो रही थी और मैंखुश थी. मेरे शरीर में तनाव पैदा होने लगा, मेरी नसें खिंचने लगी और उन की ऊँगली कीमेरी चूत में और लंड की मेरी गांड में रफ़्तार बढ़ गई. अचानक मैं झड़ गई,ऐसी झड़ी थी, इतनी जोर से झड़ी थी जैसा पहले कभी नहीं झड़ी थी.शायद ऐसा चूत और गांड दोनों एक साथ मरवाने की वजह से हुआ था. ऐसा लगरहा था जैसे मुझे दो मर्दों ने एक साथ छोड़ा हो. मैंने अपने पैर भींच लिए और मेरीगांड का छेद अपने आप ही टाईट हो गया. उनका आधा लंड अभी भी मेरी गांड केअन्दर ही था. हम शांत हो गए थे और मेरी आँखें बंद हुई जा रही थी. मैं अलगतरीके से झड़ने का, पहली बार गांड मरवाने का आनंद ले रही थी. और वो भी मेरीसुहागरात के मौके पर. उन्होंने जब अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला तो फिर से मेरी गांड में दर्द हुआऔर और उन्होंने कंडोम पर खून देख कर कहा - ओह डार्लिंग ! मैंने तो तुम्हारी गांडफाड़ दी. क्या बहुत दर्द हो रहा है? मैं - नहीं डीयर. ठीक है. दर्द से ज्यादा मजा आया. उन्होंने अपने लंड से कंडोम उतार कर, बाद में फेंकने के लिए साइड टेबल के नीचेरखा और tissue पेपर से मेरी गांड साफ़ की. मेरी गांड के ऊपर औरअन्दर antiseftic क्रीम लगाई. मुझ लगरह था जैसे की मेरी गांड पर सुजन आ गईहै. पर ये सब उस मजे के सामने कुछ नहीं था जो मैंने अपनी कुंवारी गांड अपनेपति से सुहागरात को मरवा कर पाया था. मैं अब अपने पति के लंड का प्रेम रस अपनी चूत में निकालने के लिए अपनी दूसरीचुदाई के लिए तैयार थी. वो मेरा मुंह दूसरी तरफ करके, पीछे से मेरी चूत में लंड डाल कर, मेरी चूचियांदबाते हुए चोद रहे थे. उनका लम्बा और मोटा प्यारा लंड मेरी चूत को चोदने लगा.उनका एक हाथ मेरे नीचे से और दूसरा हाथ ऊपर से मुझे जड़े हुए था. मैंपूरी तरह उनकी गिरफ्त में थी और चुदवा रही थी. उनकी कमर और गांड हिल हिलहर उनके लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर कर रहे थे. मैं भी अपनी गांड हिला करउनका साथ देने लगी. हमेश की तरह चुदाई का संगीत कमरे मे गूंजने लगा.हमारे सेक्सी शरीर आपस में टकराने लगे, उन का लम्बा लबद मेरी गीली रसीलीचूत में अन्दर बाहर होने लगा. मैं तो एक बार पहुँच चुकी थी और मुझे लग रहा थाजैसे वो भी अपने पहली बार झड़ने के करीब पहुँच रहे थे. मैं खुश थी की वो हमेशाकी तरह जम कर जोर जोर से मेरी चुदाई कर रहे थे. उनका लम्बा लंड मेरी चूत कीगहराइयों तक जा रहा था और मैं फिर से दूसरी बार झड़ने को तैयार थी. मैंनेउनको और ज्यादा मज़ा देने के लिए अपनी चूत भींच ली और यो मुझे चोदे जा रहेथे........... चोदे जा रहे थे....... और मैं चुदवाती जा रही थी. मेराबदन अकड़ता महसूस करके उन्होंने जोर जोर से धक्के लगाना चालू किया औरउनके चोदने की रफ़्तार बड़ा गई. और मैं झड़ गई. बहुत ही जोर से झड़ी थी पर मैंजानती थी की वो बीच में है. उनके लंड का पानी निकलना बाकी है. मैंने उनकोबिना रुके चोदते रहने को कहा ताकि उनको भी चुदाई का पूरा आनंद आये. मैं भीकोशिश करने लगी उनके लंड से पानी निकालने के लिए. अचानक मैंने उनके लंडका सुपाडा अपनी चूत में फूलता हुआ महसूस किया और उन्होंने चोदते चोदते मुझेपीछे से जोर से जकड़ लिया. उन्होंने लंड के धक्के बंद किये और उनका लंड मेरीचूत के अन्दर गहराई में था. मैंने उन के लंड रस की जोरदार बरसात को अपनीचूत में महसूस किया. उनके लंड का गरम रस उनके नाचते हुए लंड से निकल करमेरी चूत के अन्दर बरस रहा था. हम दोनों ही चोद कर और चुदवा कर खुश थे. हमदोनों कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे और चुदाई का मज़ा लेते रहे. उनका लंड मेरी चूत मेंआराम कर रहा था. मैंने महसूस किया की उनका लंड मेरी चूत के अन्दर नरम होरहा है. मैं उनका नरम लंड चुसना चाहती थी. मुझे नरम लंड चुसना बहुत अच्छालगता है. उनका लंड नरम पड़ता मेरी चूत से बाहर आने लगा. हमने अपनी पोजीसन बदली और और वो अपनी पीठ के बल लेट गए. मैं उनकेऊपर 69 पोजीसन में आ गई और उनका नरम लंड मेरे मुंह में आ चुका था. मैंउनके नरम लंड को चूसने का मज़ा ले रही थी और साथ में अपनी चूत के रस औरउनके लंड रस का मिला जुला स्वाद भी ले रही थी. उनका लंड नरम होने की वजहसे छोटा भी हो गया था और पूरे का पूरा मेरे मुंह में था. जल्दी ही मैंने उनके लंड कोचूस चूस कर साफ़ कर दिया. उधर, मेरी चूत के होंठ उनके होंठों के बीच थे. और वोमेरी चूत को ऐसे चूम रहे थे जैसे मेरी होंठों को चुमते है. मैं अपनी गांड ऊपर करकेअपने घुटनों पर थी और अपनी चूत उनके मुंह पर दबा रही थी. मेरे चूसने की वजहसे उनका लंड फिर से बड़ा होने लगा जैसे गुब्बारे में हवा भर रही है. जैसे जैसे उनकालंड बड़ा होता गया, मेरे मुंह से बाहर आता गया. उनका लंड बड़ा और बड़ा होनेलगा, कड़क और कड़क होने लगा, मज़बूत और मज़बूत, मोटा और मोटा, गरमऔर गरम होने लगा. मैं उनके सुपाड़े पर से चमड़ी नीचे करके उनके लंड का सुपाडाचूस रही थी. मैं उनका लंड चूसने का मज़ा ले रही थी और उन्होंने अपने जीभ मेरीचूत में डाल दी. हे भगवान्....... फिर से एक बार उनकी जीभ मेरी चूत को चोद रहीथी. मैं जानती थी की मैं तो जीभ की चूत चुदाई से जल्दी ही झड़ जाने वाली थी परउनके लंड का पानी निकलने में काफी वक़्त लगता है, पर मैं अपना पूरा अनुभवइस्तेमाल कर रही थी ताकि उन के लंड रस को जल्दी ही पी सकूँ. हमारा मुख चोदन पूरी बुलंदियों और उफान पर था और मैंने अपनी चूत उन केजीभ से चोदते हुए मुंह पर दबाई क्यों की मैं फिर से पहुँच चुकी थी, मेरा हो चुकाथा, मैं झड़ गई थी. मेरी चूत उन के मुंह पर होने की वजह से उनका सांस लेनामुश्किल हो रहा था इस लिए मैं उठ कर उनके पास बैठ गई और उनका तना हुआलंड कस कर पकड़ कर ऊपर नीचे करते हुए मुठ मारने लगी. उनका लंडपानी बरसाने से बहुत दूर था फिर भी मैं उनके लंड से जल्दी से जल्दी पानीनिकालने की पूरी कोशिश कर रही थी. मैंने मुठ मारते हुए फिर से उनके लंड कासुपाडा अपने मुंह में ले लिया ताकि उनके लंड का पानी निकलने में आसानी हो.मैंने उनके लंड पर अपनी मुठ मारने की रफ़्तार भी बढ़ा दी. मरे हाथकिसी मशीन की तरह जल्दी जल्दी चलने लगे. थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा कीउनके लंड का पानी निकलने वाला है तो मैंने जितना हो सका, उतना लंड अपनेमुंह में ले लिया. मैंने अपने मुंह में उनके लंड का सुपाडा फूलता महसूस किया औरअचानक ही उन्होंने अपनी गांड उठा कर अपने लंड का पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया.उनके लंड से निकला ज्यादातर पानी तो मैं पी गई और उनके लंड के आस पास,उनके पेट पर गिरा लंड रस भी चाट कर, उनके लंड को चाट कर साफ़ कर दिया. हम दोनों ही जोरदार और लगातार चुदाई के कारण कुछ थक गए थे और एकदुसरे के नंगे बदन को अपनी बाहों में लेकर प्यार भरी बातें करने लगे. हमें पता ही नहीं चला की कब हम बातें करते करते नंगे सो गए थे. सुबह घर में होती कुछ आवाजों के कारण मेरी आँख खुली तो मैंने घड़ी में देखा.सुबह के ६.४५ हो चुके थे. मेरे पति अभी भी गहरी नींद में थे और मुश्करा रहे थे,शायद कोई सुहाना सपना देख रहे थे. उन का लंड पूरी तरह तना हुआ और खड़ा था.मैं अपने आप को उनके खड़े लंड को चूमने से नहीं रोक सकी. मैंने उनके लंड कोचूमा और उनके होंठों को भी चूमा. उन्होंने अपनी आँखें खोली और मुझेगुड मोर्निंग चुम्बन वापस दिया. मैं बिस्तर के कूद कर बाथरूम में घुसी क्यों की मुझे जल्दी ही तैयार हो कर अपनीससुराल में पहली सुबह सब को मिलना था. मेरी गांड अभी भी सूजी हुई थी परज्यादा दर्द नहीं था. सुबह करने में थोड़ी तकलीफ हुई पर कुछ खास नहीं. मैंनहा कर आई तो देखा मेरे पति फिर से सो गए थे. मैं जल्दी जल्दी तैयार हुई, औरउनको उठा कर बाथरूम में भेजा. जब मैंने अपने कमरे का दरवाजा खोला तो मेरेपति की दो चचेरी बहनें मेरे कमरे के बाहर खड़ी थी. वो कमरे में आई और बारी बारीमुझे गले लगाया. मैं उनका प्यार पा कर बहुत ख़ुशी महसूस कर रही थी. अचानकएक ने मुझे फिर से अपनी बाहों में भर लिया और बोली - भाभी...... मुझेविश्वास नहीं होता. इतने सालों तक भय्या से प्यार का सम्बन्ध होने केबावजूद तुम अपनी शादी तक कुंवारी थी? मुझे समझ में नहीं आया की वो क्या और क्यों कह रही थी.मैंने उसकी तरफआश्चर्य से देखा तो उसने पलंग पर सफ़ेद तकिये और सफ़ेद चद्दर पर खूनके निशानों की तरफ इशारा किया. उसे क्या पता था की वो खून मेरी कुंवारी चूत से नहीं, मेरी कुंवारी गांड से निकलाथा. वो मुश्करा रही थी और मैं भी जमीन की तरफ देखती हुई, शर्माती हुई मुश्करारही थी. |
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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