Wednesday, November 4, 2015

FUN-MAZA-MASTI किरायेदार से चुदि-1

FUN-MAZA-MASTI


किरायेदार से चुदि-1



हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम आशा है और यह मेरी फन मज़ा मस्ती पर पहली कहानी और में उम्मीद करती हूँ कि इसे पढ़कर आप सभी को बहुत जोश आएगा। में एक गोरी खुबसूरत लड़की हूँ और मेरी उम्र 25 साल है.. मेरे फिगर का साईज 34-30-32 है। दोस्तों मेरे बूब्स कुछ ज़्यादा उभरे हुए तो नहीं है.. लेकिन मेरे गोरे रंग पर मेरे बूब्स क़यामत ढाते है और ऐसा मुझसे मेरी सहेलियां कहती थी और बाद में मुझे भी लगा कि जो भी मुझे देखता है वो मेरे बूब्स पर से नज़र ही नहीं हटाता है। दोस्तों चलो अब में आप लोगों को अपनी कहानी सुनाती हूँ.. यह बात लगभग 6 साल पहले की है.. वैसे तो में एकदम बिंदास रहने वाली मनचली लड़की हूँ और में बहुत सुंदर हूँ और इस लिए मेरा अंदाज़ सभी लोगों को बहुत अच्छा लगटा था। किसी से भी मज़ाक करना, कुछ भी कह देना.. यह सब चलता रहता था। फिर उन दिनों मेरे मकान में मेरे पापा ने एक किराएदार रखा हुआ था.. जिसका नाम राहुल था और वो उस समय अपनी कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था और उसके साथ उसका एक दोस्त भी था.. जिसका नाम अमित था। तो धीरे धीरे बातें करते करते मेरी उन दोनों से अच्छी ख़ासी दोस्ती हो गई थी.. लेकिन में नहीं जानती थी कि वो मेरे बारे में क्या सोचते है.. लेकिन में यह बात ज़रूर जानती थी कि वो दोनों मुझे पसंद करते थे और अब में जवान भी जो चुकी थी तो मेरे अंदर भी जवानी का एक खुमार था और उमंग थी। तो वो दोनों भी मेरी जवानी की इस इच्छा को पूरा करना चाहते थे और तभी वो दोनों यहाँ वहाँ हमेशा मुझसे बात करने का मौका देखते रहते थे.. लेकिन अब यह बातचीत कुछ और ही रंग लेने लगी थी।
तो अमित अब मुझे हर बार किसी ना किसी मौके से छूने की कोशिश करता था और राहुल मेरे बूब्स को देखता और कभी कभी मुझे आँख भी मार देता और अब यह सब अटखेलियां मेरे लिए आम होने लगी थी और अब यह सब बात बहुत आगे बड़ने लगी थी। तो एक दिन में अपने कुछ कपड़े छत पर सूखाने के लिए गई तो मैंने देखा कि वहाँ पर राहुल बैठा हुआ धुप में पड़ाई कर रहा था.. क्योंकि वो सर्दियों के दिन थे और एकदम कड़क वाली धूप निकली हुई थी.. तो मैंने उसकी और ध्यान दिए बिना अपने कपड़े डाले और एक चुन्नी को उसकी और करके झटक दिया तो पानी की कुछ बूंदे उसके ऊपर फिर गई और मैंने कहा कि ओह सॉरी मैंने आपको नहीं देखा और मैंने बहाना बना दिया.. लेकिन वो इसका बदला लेने को तैयार हो गया और में जैसे ही अपने और कपड़े उठाने के लिए झुकी तो उसने मेरी गांड को अपने हाथों से सहलाकर उसे दबा दिया।
मेरे तो जैसे पूरे शरीर में एकदम बिजली सी दौड़ गई.. हे भगवान यह क्या नई हरकत की उसने। मैंने सलवार और कुरती डाली हुई थी.. में एकदम उछल सी गई और सीधी खड़ी हो गई और में कुछ गुस्से का मूड बना पाती तब तक उसका एक हाथ मेरी बाहों के नीचे से निकलकर मेरे बूब्स तक जा चुका था और उसने मेरे दाई और के बूब्स को अपने दाहिने हाथ में भर लिया और दबा दिया और यह काम तो वो पहले भी कई बार कर चुका था और मुझे भी उसका मेरे बूब्स को दबाना अच्छा लगता था और में उसके ऐसा करने पर कुछ नहीं कहती थी.. लेकिन आज का एहसास बिल्कुल अलग सा था और जब उसने जैसे ही मुझे पकड़ा तो मेरी पीठ उसकी छाती से चिपकी हुई थी और अब मैंने महसूस किया कि उसका लंड भी एकदम तनकर खड़ा हुआ था और उसका लंड मेरी गांड पर हल्का सा छू रह था। तो में एकदम सकपका गई थी और में उसे कुछ कहना चाहती थी.. लेकिन में कुछ कह ही नहीं पाई.. शायद यह एहसास मुझे भी अच्छा लग गया था। तभी वहाँ पर अमित भी पहुँच गया और इससे पहले कि कुछ और बात आगे बड़ती.. दोस्तों में उस समय तो वहाँ से निकल आई.. लेकिन मुझे वो एहसास पागल करने लगा था। मेरे दिल और दिमाग़ पर उस एहसास का नशा सा छाने लगा था और अब मेरे मस्तिष्क में सिर्फ़ और सिर्फ़ राहुल के वो स्पर्श घूम रहे थे और में अब उस दिन का इंतज़ार करने लगी जिस दिन में और राहुल अकेले मिलें और शायद इससे भी ज़्यादा कुछ और करें। में जवान थी और में जानती तो थी कि अब मुझे क्या चाहिए और अब में लगातार इसी मौके की तलाश में थी.. लेकिन यह मौका मेरी पूरी ज़िंदगी बदल देगा.. यह मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था और एक दिन मुझे वो मौका मिल ही गया।
दोस्तों उस मेरे पापा को एक ऑफिस के काम से एक हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ा और अब पापा को गए हुए दो दिन ही हुए थे कि मेरी मौसी की बहुत तबीयत खराब हो गई। तो मेरी मम्मी मुझे और मेरे छोटे भाई को छोड़कर मौसी को देखने बनारस चली गई और वो दो दिनों के लिए गई थी। मेरा छोटा भाई उस समय 5वीं में था और उसकी परीक्षा सर पर थी.. इसलिए हम सब तो वहाँ पर नहीं जा सकते थे.. या यह कहे कि कैसे भी हो मुझे यह मौका मिल गया था। तो मैंने तुरंत यह बात राहुल को बता दी क्योंकि में यह देखना चाहती थी कि वो भी इस मौके का फायदा उठाता है या नहीं और मेरे अनुमान के अनुसार ही उसने काम किया.. जब मेरा छोटा भाई निखिल स्कूल गया हुआ था.. तो वो नीचे मेरे कमरे में आ गया और मुझसे इधर उधर की बातें करने लगा और अब में उसका इरादा समझ गई थी और में उठकर किचन में चाय बनाने गई और मैंने उससे कहा कि क्या चाय पियोगे राहुल। तो वो बोला कि हाँ क्यों नहीं.. तुम्हारे हाथों से तो में ज़हर भी खुशी खुशी पी सकता हूँ और यह कहते कहते वो मेरे पीछे पीछे किचन में ही आ गया और में चाय बनाते बनाते उससे बातें करने लगी.. लेकिन उसके सर पर मुझे छूने और बहुत कुछ करने का भूत सवार था और वैसे वो बिल्कुल मेरे प्लान के हिसाब से ही चल रहा था। फिर वो किचन में आते ही मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया.. मैंने एक कुरती और सलवार पहनी हुई थी.. लेकिन वो कुरती कुछ तंग थी जिससे मेरे जिस्म का हर एक हिस्सा उभरकर दिखाई दे रहा था।
मैंने एक चालाकी और की थी.. मैंने उस समय अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी.. जिससे मेरी गुलाबी कुरती से मेरे बूब्स के उभार से मेरे निप्पल भी साफ साफ दिख रहे थे। उसने मुझे पीछे से आकर कंधो के पास से छुआ और वो अपनी छाती को मेरी पीठ से एकदम सटाकर खड़ा हो गया और उसका खड़ा हुआ लंड पेंट में छेद करके बाहर आ जाने के लिए बेकरार हो रहा था और में उसके लंड को अपनी गांड के बीच महसूस कर सकती थी और अब मेरी आँखें बंद सी होने लगी और मैंने अपनी सहमती जताने के लिए अपनी गांड को थोड़ा पीछे किया.. जिससे उसका लंड बिल्कुल मेरी गांड के बीच में आ गया। में अब एकदम उमंग से भर गई और राहुल ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और थोड़ी देर वो मुझसे ऐसे ही लिपटा रहा। मैंने गैस का चूल्हा बंद कर दिया था.. क्योंकि अब दूसरा काम शुरू होने वाला था और में पीछे मुड़ना चाहती थी.. लेकिन राहुल मुझे मुड़ने नहीं दे रहा था और उसने मेरी बाहों को पीछे से ही सहलाते हुए मेरी गर्दन पर किस किया। में अपनी आँखो को बंद किये सारे अहसासों को महसूस कर रही थी। दोस्तों मेरे मनोभाव की आप कल्पना नहीं कर सकते। में पूरी तरह से कामुकता में ग्रसित हो गई थी और अब वो अपने हाथों को मेरी कुरती के अंदर डालकर मेरे बूब्स को दबाना चाह रहा था। तो मैंने अपनी कुरती को उतार दिया.. मेरे दोनों बूब्स अब उसके लिए आज़ाद हो गए थे और आज पहली बार मैंने अपनी कुरती किसी मर्द के सामने उतारी थी। वो मेरे बूब्स को पीछे से मेरी बाहों के नीचे से हाथ डालकर दबाने लगा और मुझे ऐसा लगा कि इसका सीधा संबंध मेरी चूत से है.. क्योंकि ऐसा करते ही मेरी चूत पानी छोड़ने को तैयार हो गई और पूरी चूत एकदम गीली होने लगी थी और अब में राहुल के आगोश में समा जाना चाह रही थी.. तभी मुझे अहसास हुआ कि उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया था और अब में पूरी तरह से नंगी हो गई थी। मेरी गोरी कुंवारी चूत पर उसने पहले अपना हाथ लगाया और फिर मुझे सीधा करके ऊपर बैठा दिया। वो नीचे झुक गया और गौर से मेरी चूत को देखने लगा। में ऊपर सिर्फ़ थोड़ा सा टिकी हुई थी।
उसके इस प्रकार से मेरी चूत को देखने से मुझे शरम आ रही थी और मैंने अपनी चूत को एक हाथ से ढकने की नाकाम कोशिश की.. लेकिन राहुल ने मेरे हाथ को हटाकर शरारत भरी नज़रों से मुझे देखा और अपनी जीभ को बाहर निकलते हुए मेरी चूत के पास ले गया और अब में भी उसे कुछ करते हुए देखना चाहती थी। तो मैंने देखा कि उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी और अब मेरी आँखो का खुला रह पाना बहुत मुश्किल था। मैंने अपने दोनों पैरो को फैला दिया और उसने अपने होंठो को मेरी चूत के होंठो पर रखकर जीभ से मेरी चूत को सहलना और चूसना शुरू कर दिया और में मचलने लगी थी। अब मेरे आस पास क्या हो रहा है.. इस बात की मुझे कोई खबर नहीं थी और में सिर्फ़ उस मज़े को ले रही थी जो मुझे चूत से मिल रहा था। आआआहह उफ़फ्फ़ राहुल आईईईईईईई की आवाज़े जाने कहाँ से मेरे मुहं से निकलने लगी थी और उसकी जीभ जब मेरी चूत के अंदर जाती.. तो मेरी एकदम से खुमारी बड़ जाती और मेरे लिए अब अपनी आँखें खुली रख पाना बहुत मुश्किल हो रहा था। तो मैंने आँखें बंद कर ली और उसको अपनी चूत के साथ खेलने की पूरी छूट दे दी।
तो वो अब मेरी चूत को बहुत अच्छी तरह से चाट रहा था और मेरी कमर अपने आप मटकने लगी थी और मेरा मन यह कर रहा था कि वो अब मुझे जल्दी से चोद दे.. लेकिन पता नहीं क्यों उसे मेरी चूत को चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था और मैंने उसके सर के बालों को सहलाते हुए पकड़ा और उसे ऊपर की और ध्यान देने का इशारा किया। तो उसने सीधे खड़े होकर मेरी कमर में अपना हाथ डाला और अपनी और खींच लिया। में उससे एकदम चिपक गई और उसने अब मेरे बदन पर चुम्बनों की बारिश कर दी.. मेरे हाथों पर, गालों पर, गले पर, बूब्स पर, हर जगह पर वो बस चूम रहा था और में उसकी आगोश में अपने आप को पिघलता हुआ सा महसूस कर रही थी। उसने मेरे हर अंग को छूना और चूमना शुरू कर दिया था और मेरे बूब्स को तो वो दोनों हाथों से दबा भी रहा था और एक एक बूब्स को बारी बारी से चूस भी रहा था। तो मेरे बूब्स एकदम लाल होने लगे थे उनके निप्पल पर जब वो अपनी जीभ लगाता तो मेरी चूत में एक करंट सा लगता और में पूरी तरह से गुम हो गई थी। अब मैंने भी उसके कपड़े भी उतारना शुरू कर दिया.. उसके सुडौल जिस्म से जैसे जैसे में कपड़े उतार रही थी.. मुझे उससे चुदने का मन और कर रहा था और मैंने जब उसका लंड देखा तो में मचल गई। उसका बहुत बड़ा और मोटा सा लंड था। फिर मैंने राहुल की और देखा तो वो मुझे देखकर मुस्कुरा रहा था और में एकदम से शरमा गई और मैंने किचन की उस ऊंचाई पर ठीक से अपने पैरों को खोल दिया.. जैसे कि में उसको अपनी और आकर्षित कर रही थी कि आओ और मुझे चोद दो और फिर उसने ऐसा ही किया। उसने मेरे दोनों पैरों को अपने हाथों में लेते ही मुझे हल्का सा पीछे की और किया.. जिससे मेरी चूत उसके लंड की सीध में आ गया और उसने अपने लंड को किचन में रखे हुए तेल से हल्का सा चिकना किया और मेरी चूत के पास वापस लौट आया और मेरे पैरों को हल्का सा उठाकर मेरी चूत पर अपने लंड को टिका दिया। मैंने अपने हाथ से पीछे की दीवार का सहारा ले लिया था.. मुझे यह तो अनुमान हो गया था कि अब राहुल मेरी चूत में अपने लंड को घुसाने वाला है और फिर उसने वही किया.. उसने मेरी चूत पर अपने लंड को टिकाकर मेरे कंधो को अपने हाथों से पकड़ा और एक धक्का मार दिया। तो अब मेरी तो एकदम जान सी निकल गई.. क्योंकि मेरी चूत की सील अभी तक नहीं टूटी थी और इसलिए लंड अंदर नहीं जा पाया और मेरी चूत के दर्द से में कराह उठी।
तो मैंने राहुल को मना किया कि प्लीज आज नहीं फिर कभी.. लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और उसने मेरी चूत पर टिके लंड को कसकर अंदर धक्का दिया और मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ आआआईईईईईईई उफफफफ.. मेरे मुहं से यह आवाज़ जाने कहाँ से निकलने लगी और जब मैंने आँखें खोलकर देखा तो मेरी चूत में राहुल का आधा लंड जा चुका था और में कहने लगी राहुल प्लीज अब इसे बाहर निकाल लो.. में तुमसे बाद में करवा लूंगी प्लीज.. लेकिन मेरी बातों का तो उस पर कोई असर ही नहीं हो रहा था। तो उसने एक और करारा धक्का मार दिया आअहह उह्ह्ह और अब उसका पूरा लंड मेरी चूत के अंदर था और उसकी साँसे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी। तो में उसकी खुश्बू भी सूंघ सकती थी और अब में उसकी हो गई थी.. में उससे लिपट गई और उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया.. मेरी चूत पर उसका लंड अब धक्के पे धक्के मार रहा था और धीरे धीरे लंड मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ बनाता हुआ मुझे चोद रहा था और मेरी पूरी चूत उसके लंड की रगड़ से दर्द मचा रही थी.. लेकिन मेरी खुजली भी कम हो रही थी। अब तो में भी अपनी कमर को उछालकर उसके लंड को अपने अंदर समा लेना चाहती थी और उसका लंड मेरी चूत में उथल पुथल मचा रहा था। दोस्तों ये कहानी आप फन मज़ा मस्ती पर पड़ रहे है।
फिर थोड़ी ही देर बाद हम दोनों ही झड़ गए.. उसका वीर्य मेरी चूत में ही निकल गया और वो मुझे अभी भी प्यार कर रहा था। मेरे बूब्स को हाथों से सहलाते हुआ मुझे चूम रहा था और में पूरी तरह से राहुल की हो गई थी.. लेकिन राहुल के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था और उसने मुझे किचन में ही दो बार चोदा और फिर एक बार गांड मारकर चला गया और मुझसे रोज़ चुदवाने का वादा लिया और फिर उसी रात को मुझे वो अपने रूम पर बुलाकर ले गया.. मेरे ऊपर उसका नशा ऐसा सवार था कि मैंने उससे वादा भी कर लिया कि में उससे चुदवाने उसके कमरे में आ जाउंगी और जब रात हुई तो में अपने छोटे भाई को सुलाकर राहुल के रूम की और जाने की सोचने लगी और मैंने अपनी मेक्सी निकाली जो नीले कलर की है उसे में अक्सर पहन लेती हूँ.. लेकिन आज मैंने उसे बिना ब्रा और पेंटी के पहना था.. क्योंकि उसे मेरे बूब्स और चूत दोनों के दर्शन बाहर से ही हो जाते। तो में चाह रही थी कि राहुल मुझे देखते ही उत्तेजित हो जाए.. यह सब सोचते ही में राहुल के कमरे की और बड़ गई और जब में उसके कमरे पर पहुँची तो वो मेरा ही इंतजार कर रहा था। में उसके पास पूरी तरह सेक्सी बनकर गई थी.. क्योंकि दिन की चुदाई के बाद मेरी कामुकता बहुत बड़ गई थी और मेरी चूत यह सोच सोचकर पानी छोड़ रही थी कि में अभी कुछ देर में ही राहुल से दोबारा चुदने वाली हूँ। फिर मैंने उसकी तरफ देखा और मेरा शरम के मारे बहुत बुरा हाल था। वो अपने बेड पर बैठा मुझे निहार रहा था.. मैंने नजरे चुराकर उसको देखा तो उसकी नज़र मेरे बूब्स पर थी और मेरी मेक्सी थोड़ी छोटी है तो मेरी गोरी गोरी नंगी जांघे उसको नज़र आ रही थी और मैंने आने से पहले अपने आप को एक बार कांच में देखा था.. में किसी सेक्सी फिल्म की हिरोईन लग रही थी। फिर उसने मुझे बुलाकर अपने पास बैठा लिया और बातें करने लगा.. लेकिन उसके हाथ मेरी जांघो पर, कभी बूब्स पर घूम रहे थे। उसने धीमे धीमे मेरी मेक्सी को उतारना शुरू कर दिया और एक एक बटन खोलकर उसने मेरी मेक्सी को एक तरफ हटा दिया। में अब बिल्कुल नंगी बैठी.. उससे बातें करने लगी। में अब थोड़ा कम शरमा रही थी और वो मेरे बूब्स को हाथों में लेकर धीमे धीमे खेल रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। तभी मुझे कुछ और अहसास हुआ और मेरी पीठ पर किसी और के हाथ भी चल रहे थे और जब मैंने घबराकर पीछे देखा तो वो अमित था और उसका एक और दोस्त भी वहाँ पर उपस्थित था। तो में बहुत घबरा गई और मैंने कहा कि राहुल यह सब क्या है? तो वो बोला कि कुछ नहीं है.. आशा देखो यह भी तुमको बहुत चाहता है और मुझसे कह रहा था कि मुझे भी एक बार आशा के साथ सेक्स करना है और मैंने उसको बता दिया कि तुम आज रात मुझसे चुदने आ रही हो। हाँ तो वो सब ठीक है.. लेकिन यह दूसरा कौन है? तो वो बोला कि यह अमित का दोस्त है और यह भी तुमको चोदना चाहता है। तो मैंने गुस्से में कहा कि राहुल क्या तुमने मुझे सबका सामान समझ रखा है कि कोई भी आएगा और में तुम्हारे कमरे पर आकर अपनी चुदाई करवा लूंगी।
फिर वो बोला कि अरे नहीं यार.. देखो एक बार चुदी या बार बार क्या फर्क पड़ता है.. तुम्हारी सील तो मैंने तोड़ दी है तो अब कितनी बार लंड अंदर गया.. किसी को क्या फर्क पड़ रहा है। तो मैंने उससे कहा कि नहीं राहुल में इन लोगों से नहीं करवा सकती। फिर वो बोला कि सुनो सुनो में एक बात कहता हूँ.. तुम सिर्फ एक बार करके देख लो अगर मज़ा आय तो करना वरना दोबारा मत करना। तो मैंने कहा कि ठीक है और फिर मैंने भी सोचा कि वैसे भी में आई भी तो चुदवाने ही थी और अगर यह लोग भी अगर एक बार मुझे चोद लेंगे तो क्या फर्क पड़ेगा और मैंने हाँ में सर हिला दिया। फिर तो जैसे अमित और उसके उस दोस्त की तो निकल पड़ी.. वो दोनों खुशी खुशी मुझे घेरकर बैठ गए और मज़े की बातें करते हुए मुझे यहाँ वहाँ छूने लगे और में उन तीनों के बीच एकदम नंगी बैठी हुई थी। तभी अमित ने टीवी, सीडी प्लेयर पर एक सीडी लगा दी और हम लोग वो देखने लगे.. क्योंकि उसमे एक पॉर्न फिल्म चल थी.. जिसमे एक आदमी दो लड़कियों कि एक साथ चुदाई कर रहा था और जब वो फिल्म खत्म हुई तो दूसरी फिल्म शुरू हुई।
उसमे एक लड़की तीन मर्दों से चुदवा रही थी और पूरे पूरे लंड को अपने मुहं में ले रही थी और दो मर्द उसकी गांड और चूत दोनों में अपने लंड को डालकर चोद रहे थे। फिर यह सब देखकर मेरी चूत तो पानी छोड़ने लगी और शायद अब उन लोगों का भी मूड बनने लगा था। तो उन तीनों ने अपनी अपनी पेंट उतार फेंकी और मेरे सामने आ गए.. जिस प्रकार पॉर्न फिल्म में वो लड़की उन मर्दों का लंड चूस रही थी.. मैंने भी अपने घुटनों पर बैठकर उन तीनो के लंड को बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया.. लेकिन उनके लंड से अजीब सी स्मेल आ रही थी और में जब भी अपनी जीभ उनके लंड के सुपाड़े पर लगाती तो उनके लंड और भी खड़े और भी मोटे हो जाते और में हाथों से सहलाते हुए चूसने लगी। मुझे अब लंड चूसने में भी मज़ा आ रहा था और वो लंड के नीचे की लटकती हुई क्या मज़ेदार चीज होती है? में तो उसे हाथों से मसलते हुए लंड को चूसने लगी और उन तीनों के मुहं से सिर्फ़ अह्ह्ह उह्ह और ज़ोर से चूसो प्लीज और ज़ोर से अह्ह्ह आवाज़ें निकलने लगी। फिर उन लोगों ने मुझे खड़ा किया और मेरे बूब्स पर अमित और उसका दोस्त टूट पड़े और राहुल मेरी चूत के निकट ही बैठ गया और वो मेरी चूत को चूसने लगा और अब मेरी आँखो से मुझे कुछ नहीं देखाई दे रहा था.. बस में यह समझ रही थी कि तीन मर्द मुझे प्यार कर रहे थे और मेरे हर एक अंग पर चुंबनो की बारिश हो रही थी। तब अमित अपने बेड के किनारे पर बैठ गया और अपने लंड को थूक लगाकर चुदाई के लिए तैयार करने लगा। तो राहुल मुझसे बोला कि चल आशा अब अमित के लंड के मज़ा ले लो.. मैंने उसकी और मुस्कुराकर देखा और अमित के पास चली गई और अमित की कमर के दोनों और अपने घुटने रखकर उसकी छाती पर हाथ रखकर उसके खड़े तैयार लंड पर बैठ गई और लंड को मैंने अपने हाथों से अपनी चूत के मुहं पर रखा और मैंने अपनी चूत के होंठो को अपनी दो उंगलियों से खोला और लंड पर बैठती चली गई.. अमित ज़्यादा बलशाली था। उसने एक धक्का अपनी कमर को उठाकर मारा तो मेरी चूत को तो ऐसा लगा कि जैसे एक मोटा डंडा मेरी चूत में घुस गया हो।
तो मैंने आह भरी और उसके लंड को पूरा अपने अंदर समा लिया.. लेकिन अमित का लंड राहुल से बहुत बड़ा था.. क्योंकि में उसके लंड को अपने गर्भ की दीवार से छूता हुआ महसूस कर रही थी। तभी मुझे पीछे से कुछ हरकत महसूस हुई और मैंने देखा कि अमित के दोस्त ने मेरी गांड पर तेल लगाकर अपने लंड पर भी तेल लगा लिया है। तो में समझ गई कि अभी देखी गई फिल्म के सारे आसान मुझ पर ही ट्राई किय जाने वाले थे.. उसने अपने लंड को मेरी गांड पर टिकाया और मेरे दोनों चूतड़ों को अपने हाथों में पकड़कर हल्का सा फैलाया और धक्का मार दिया आआआउऊइईईईई माँ मरी और उसका पूरा लंड मेरी गांड में घुस गया था और में मुहं खोलकर आहें भर रही थी। तभी राहुल बेड पर खड़ा होकर आ गया उसने अमित के कंधो के आसपास अपने पैर रखे और मेरे मुहं के पास अपने लंड को ले आया। मैंने उसको चूसना शुरू कर दिया और अब मेरे तीनों छेद भर गए थे और मेरी चूत में अमित का लंड घुसा हुआ था और मेरी गांड में अमित के दोस्त ने अपना लंड घुसा रखा था और मेरे मुहं में राहुल का लंड घुस गया था।
अब अमित और उसके दोस्त ने मुझे चोदना भी शुरू कर दिया था.. यह अहसास गजब का था क्योंकि मेरी चुदाई बहुत अच्छे तरीके से हो रही थी.. उसका दोस्त मेरे बूब्स को पकड़कर मेरी गांड में धक्के मार रहा था और अमित नीचे लेटा हुआ अपनी कमर को मटकाते हुए मेरी चुदाई कर रहा था और राहुल के लंड को में चूस ही रही थी और राहुल ने मेरे सर के बालों को पकड़कर मेरे मुहं में अपने लंड को दबा दिया और मेरा पूरा मुहं लंड से भर गया.. मुझसे साँस भी नहीं ली जा रही थी.. लेकिन मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था। मुझे वो तीनों लोग बिल्कुल किसी पॉर्न फिल्म की तरह चोद रहे थे.. में पूरी तरह से चुदाई के मूड में थी और मेरी जमकर चुदाई हो रही थी। फिर राहुल ने अपने लंड को मेरे मुहं से बाहर निकाला और अमित के दोस्त को हटाकर मेरी गांड मारने राहुल आ गया.. उसने अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर लगाया और हल्का सा धक्का दिया और उसका लंड बड़ी ही आसानी से मेरी गांड में घुसता चला गया। अमित का दोस्त जिसका नाम रशीद था वो मेरे मुहं में अपने लंड को घुसाने आ गया था और मैंने भी उसको बड़े प्यार से देखा और उसके लंड को अपनी जीभ से चाटते हुए चूसने लगी। उसके लंड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था और में उसको बहुत आनंद देना चाह रही थी। फिर राहुल ने भी मेरी गांड पर धक्के मारने शुरू कर दिया और अमित नीचे से धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था। फिर हम लोग झड़ गए और हमारी पोज़िशन बदल गई। दोस्तों में कभी किसी के साथ लेटती तो कभी किसी के साथ.. में बारी बारी से सबसे चुदाई करवा रही थी और मैंने वो सारी रात उनके कमरे पर ही बिता दी। फिर सुबह 4 बजे में नीचे आई मेरी चूत और गांड दोनों दर्द करने लगी थी.. लेकिन अभी भी मेरी भूख कम नहीं हुई थी और राहुल ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर मुझे अच्छी तरह से चोदा था। मुझे तो यह भी याद नहीं था कि में किससे कितनी बार चुदी.. हाँ, लेकिन यह याद था कि रशीद ने मुझे बिल्कुल नए अंदाज़ में चोदा था और उसने मुझे घोड़ी बनाकर लंड पीछे से चूत में डाला था और मेरी जामकर चुदाई की थी। में नीचे आकर सो गई और सुबह 8 बजे मेरी आँख खुली। तो मैंने जल्दी जल्दी अपने छोटे भाई को नाश्ता बनाकर दिया और वो स्कूल चल गया और तब तक मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था.. लेकिन में शरीर में भरी हुई एक नई उमंग को महसूस कर रही थी।
दोस्तों आगे की कहानी अगले भाग में












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