FUN-MAZA-MASTI
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स्वामीजी की पूजा सफल हुई--3
मैंने उसकी धोती की
तरफ देखा तो उसका लंड धोती से बाहर झाँक रहा था। में उसका खड़ा हुआ लंड देखकर और
गरम होने लगी और विशेष के साथ बेड पर बैठ गयी और मुझे उसका लंड पकड़ने का दिल करने
लगा, उसकी
और मेरी साँसे तेज़ चलने लगी और जबकि में आज दो बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने अपनी
आँखे बंद की और अपना चेहरा विशेष की तरफ बढ़ाया,
जिससे उसे मेरे मन की बात पता चले। फिर उसने मेरा इशारा समझा
और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूमने और चूसने
लगे और उसने अपनी जीभ को मेरे मुहं में घुसा दिया और में मज़े से उसे चूसने लगी और
मेरे पति अरुण ने कभी मुझसे ऐसे किस नहीं किया था। फिर उसका हाथ मेरे बूब्स पर पहुँच
गया और में एकदम शांत होकर उसके अगले कदम की प्रतीक्षा करने लगी और उसकी जीभ चूसती
रही।
फिर कुछ देर के बाद विशेष ने मेरे बूब्स को
मसलना शुरू कर दिया, मेरे
निप्पल एकदम कड़क हो गये और तन गये। फिर विशेष ने अपना मुहं मेरे होंठ से हटाया और
मेरे निप्पल को चूसने लगा और वो पाँच मिनट तक मेरे निप्पल को चूसता रहा, कभी एक निप्पल तो कभी दूसरा निप्पल। फिर
मैंने उसका सर पकड़ा हुआ था और वैसा महसूस कर रही थी, जैसा कि एक माँ अपने बच्चे को दूध
पिलाते वक़्त महसूस करती है और उसकी इन हरक़तो से में अपने शरीर में उठता हुआ दर्द
भूल सी गयी और उसकी आगोश में खो गयी। तभी विशेष ने अपने मुहं को मेरे बूब्स से अलग
किया और में उसकी तरफ प्यासी निगाहों से देखने लगी। फिर उसके बाद वो मेरे सामने
खड़ा हो गया और उसने अपनी धोती को खोलकर अलग कर दिया,
वो अब मेरे सामने नंगा खड़ा था और उसका फड़फड़ाता हुआ लंड मेरी
आँखो के सामने हिचकोले खा रहा था।
फिर में एक टक उसके मोटे लंड को देखती
रही और मेरा दिल किया कि उसे मुहं में लेकर चूस लूँ। फिर उसने अपने लंड को मेरे
मुहं के सामने करके कहा कि इसको चूसो,
ले लो इसे अपने मुहं में और छू लो इसे, बहुत मज़ा आएगा। दोस्तों पहले तो मुझे
बहुत अजीब सा लगा कि इतनी गंदी चीज़ को में मुहं में कैसे लूँ? तो मैंने अपना मुहं सिकोड़कर कहा कि
लेकिन यह तो गंदा होता है, में
इसे मुहं में नहीं ले सकती। फिर विशेष बोला कि तुम इसको एक बार मुहं में लो तो ऐसा
मज़ा आएगा कि तुम लंड को मुहं से निकालने को तैयार ही नहीं रहोगी और देखो यह कैसे
फनफ़ना रहा है।
फिर विशेष ने अपने लंड को मेरे मुहं से
लगा दिया और में उसको मुहं में लेकर चूसने लगी,
शायद स्वामीजी ने जो दवा पिलाई थी, उसका असर अभी तक बाकी था। विशेष को बहुत
मज़ा आ रहा था और उसके मुहं से आवाज़ें निकलने लगी,
उह्ह्ह्ह और ज़ोर से हाँ और ज़ोर से और मेरी चूत से भी पानी निकल
रहा था,
यह सोच सोचकर कि में पहली बार किसी का
लंड चूस रही थी और वो भी एक पराए मर्द का। फिर विशेष ने मेरा सर पकड़ लिया और
धक्के मारने लगा और विशेष मेरे मुहं में अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और तीन
मिनट के बाद मुझे उसके लंड में अजीब सी सिहरन महसूस होने लगी और में समझ गयी कि अब
वो पानी छोड़ेगा और में अपने मुहं से उसका लंड हटाने लगी, लेकिन विशेष ने मुझे ऐसा करने नहीं दिया
और उसने मेरा सर दोनों हाथों से पकड़ रखा था,
उसका लंड मेरे मुहं में ही रहा और वो झड़ने लगा।
में उसके लंड का वीर्य पीना नहीं चाहती
थी, लेकिन
तब तक देर हो चुकी थी और उसने मेरे मुहं में वीर्य का फव्वारा ज़ोर से छोड़ा और
उसके लंड से पानी निकलकर मेरे मुहं में भरने लगा और उसके वीर्य का स्वाद उतना बुरा
नहीं था। फिर मैंने लंड पर होंठो को दबा लिया और उसका सारा पानी मेरे मुहं में चला
गया और में पी गयी। उसके लंड का पानी पीने के बाद में दोबारा से उसके लंड को चूसने
लगी, क्योंकि
मेरा मन नहीं भरा था। हे भगवान में एक ही दिन में सती सावित्री नारी से एकदम हलकट
हसीना बन गयी थी, पता
नहीं स्वामीजी ने दूध में मिलाकर मुझे क्या पिलाया था। फिर कुछ देर बाद विशेष ने
कहा कि अब तुम लेट जाओ, में
तुम्हारी चूत चूसूंगा, इतनी
मस्त चूत बहुत कम लोगों को नसीब होती है।
फिर में पलंग पर लेट गई और विशेष ने मेरे पैरों
को फैलाया, वो
मंत्रमुग्ध सा मेरी चूत को देख रहा था,
मेरी साफ सुथरी और चिकनी चूत जो स्वामीजी की चुदाई के बाद भी
होंठ हिला रही थी। फिर विशेष ने अपना मुहं मेरी चूत पर रख दिया और चूत के होंठ
चूमने लगा। उसने अपनी जीभ निकाली और अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा और उसकी
गरम जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी।
फिर वो बार बार अपनी जीभ से मेरी चूत के
दाने को सहलाता और चूसता। में हर बार दुगने जोश से उसके सर को अपनी चूत पर धकेलती
और में भी उससे बोलने लगी, ऊऊऊऊहह
तुम बहुत मज़ेदार हो। इस चूत ने इतना मज़ा पहले कभी नहीं लिया, अम्म्म्ईईईईईई और चूसो मेरे राजा, ज़ोर से चूसो, आज मेरी चूत को ज़ोर से चाटो, बाद में पता नहीं फिर मौका मिले ना मिले, आह्ह्हहह यार तुम महान हो ऊऊहहऊओह हाँ
बहुत मज़ा आ रहा है और बहुत अच्छा लग रहा है यार,
तुम तो बहुत गरम हो। फिर मेरी ऐसी बातें सुनकर वो और ज़ोर ज़ोर
से मेरी चूत चूसने लगा और जीभ से चूत चोदने लगा। फिर में इतनी मस्ती से अपनी चूत
चुसवा रही थी और में भूल गयी कि में एक शादीशुदा औरत हूँ और वो एक पराया मर्द है
और थोड़ी ही देर में वो वक़्त आ गया और मेरी चूत में छटपटाहट होने लगी।
फिर मैंने ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगी और
मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरी चूत से पानी निकलने लगा। मेरी चूत के रस को
विशेष अपनी जीभ से चाटने और चूसने लगा,
उसकी इस हरक़त से में तो जोश में पागल हो गयी। फिर मैंने उसके
बालों को ज़ोर से पकड़ लिया और खींचने लगी,
उसे दर्द भी हुआ होगा। उसने कुछ नहीं कहा और मेरा आम रस चूसता
रहा और क़रीब पाँच मिनट के बाद विशेष ने मुझे नीचे लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ
गया। उसने मेरी टाँगों को अपने कंधो पर रखा और लंड चूत के मुहं पर रख दिया।
फिर अपने लंड को चूत के छेद पर सेट करने
के बाद अंदर की तरफ धक्का दिया। मेरी चूत का छेद उसके मोटे लंड को अंदर नहीं ले
पाया, क्योंकि
मेरी चूत का छेद पूरी तरह से फैल गया तो में दर्द से चीखने लगी, ऊऊईईईईईईई उह्ह्ह्ह माँ में मर गईईईईईई
प्लीज बाहर निकालो अपने लंड को।
फिर उसने मेरे पैर कंधे से उतारे और
फैलाकर अपने दोनों साईड पर कर दिए और फिर अपने लंड को मेरी चूत में डाल दिया। उसने
अपने लंड को मेरी चूत में डाला तो लगा कि जैसे किसी ने गरम लोहे का सरिया मेरी
छोटी सी चूत में घुसेड़ दिया हो।
अब तक मेरी चूत बिल्कुल खुश हो चुकी थी और ऐसा
लग रहा था कि जैसे किसी कुँवारी लड़की की चूत हो और मुझे दर्द भी होने लगा, लेकिन मुझे मज़ा भी लेना था। फिर थोड़ी
देर बाद मुझको मज़ा आने लगा, में
भी विशेष को कहने लगी और में बोली कि चोदो मुझे जल्दी करो ओहह्ह्ह तुम बहुत ज़ालिम
हो, लेकिन
बहुत अच्छे भी अह्ह्ह थोड़ा आराम से करो और प्लीज़ अपने लंड पर तेल लगा लो, ऐसे सूखा लंड अंदर जाने से तकलीफ़ होती
है। तुमने कहाँ से सीखा यह सब? मुझे
बड़ा मज़ा आ रहा है और मुझे ऐसा मज़ा कभी भी नहीं आया, तुम एकदम अनुभवी हो चोदने में, अहह आराम से क्या आज ही मेरी चूत फाड़नी
है? और
क्या एक ही दिन में सब बर्बाद कर दोगे?
मुझे घर भी जाना है और मेरे पति ने मुझे ऐसे देख लिया तो गजब
हो जाएगा।
में उन्हे क्या जवाब दूँगी साले? में तुम्हारे स्वामीजी की प्रिय भक्त
हूँ यार, कुछ
तो रहम करो धीरे धीरे चोदो मुझे आअहह प्लीज़ में सच कह रही हूँ, मुझे दर्द हो रहा है प्लीज आराम से करो
ना, लेकिन
विशेष ने अपनी स्पीड कम नहीं की, क्योंकि
अब मेरी चूत एक कुँवारी लड़की की चूत बन चुकी थी और उसे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा
था।
फिर वो दोगुनी स्पीड से मुझे चोदता जा
रहा था और में उससे मन्नते कर रही थी,
आअहह यार आज मेरी चूत बहुत टाईट है और ज़ोर से पूरा अंदर डालो
उूईईईईईई करो और ज़ोर से और विशेष रुक रुककर धक्के मारने लगा। 15 मिनट के बाद में झड़ गयी, लेकिन विशेष का लंड अभी भी खड़ा ही था और
वो पूरे ज़ोर से हिलाता रहा तो दस मिनट के बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया
और साथ ही विशेष के लंड से भी पानी निकलने लगा। उसने अपने शरीर को कड़क किया और
वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया। फिर मैंने उसे ज़ोर से जकड़ लिया और बोली कि ओह्ह्ह
माँ इतना गरम वीर्य। अब तो रुक जाओ,
मेरी जान निकल चुकी है।
फिर विशेष करीब दो मिनट तक मेरी चूत में
अपना वीर्य छोड़ता रहा, वो
थक गया और मेरे ऊपर ही लेट गया और जब थोड़ी देर बाद हम उठे तो मैंने देखा कि मेरी
जांघो पर और पलंग पर खून लगा हुआ था और विशेष ने मेरी चूत फाड़ दी थी। अपनी ऐसी
हालत देखकर में एकदम घबरा गयी तो विशेष ने कहा कि कोई बात नहीं, कभी कभी ऐसा होता है। चलो अब में चलता
हूँ, स्वामीजी
बुला रहे है, तुम
भी तैयार होकर बाहर आ जाना, लेकिन
इसे पहले अच्छे से धो लेना, ताकि
खून बहना बंद हो जाएगा और वो चला गया,
लेकिन में इतना थक गई थी कि में दोबारा सो गयी। में दो घंटे के
बाद उठी और वॉशरूम गई तो मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। फिर भी मैंने अपने आपको
संभाला, ताकि
किसी को कोई शक ना हो जाए, में
उठी और बाथरूम में गयी। फिर मैंने महसूस किया कि मेरी चूत का होंठ फूल गया था और
मुझसे ठीक से चला नहीं जा रहा था और में किसी तरह से दीवार का सहारा लेकर बाथरूम
तक पहुँची और शावर चालू करके नहाने लगी तो मेरी चूत से अभी तक वीर्य निकल रहा था, लेकिन मुझे नहीं पता कि वो स्वामीजी का
था या विशेष का।
पिछली बातों को याद करके मेरी आँखो से आँसू बहने
लगे और मैंने चूत को अंदर उंगली डाल डालकर अच्छे से साफ किया और खुद को साफ करने
के बाद मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गयी तो बाहर स्वामीजी अपने सभी शिष्यो के
साथ बैठे हुए थे और जैसे ही में बाहर आई तो स्वामीजी मेरे पास आए और स्वामीजी
मुझसे बड़े प्यार से बोले कि पूजा सफल हुई,
अभी के लिए दोष दूर हो गया है और तुम चिंता मत करो, तेरा काम हो गया है। पुत्री अगर काम हो
जाए तो एक किलो लड्डू हनुमान जी को चड़ाने ज़रूर आना और स्वामीजी ने बहुत नम्रता से
मेरे आँसू साफ किए और प्रसाद कहकर उन्होंने मेरे हाथों में कुछ मिठाइयां दी और कहा
कि वो में खुद भी खाऊँ और अपने घर में सबको खिलाऊँ। में 5 बजे वहां से निकलकर वापस अपने घर आ
गयी।
फिर में पूरे टाईम मन में ग्लानि हो रही
थी और में सोच नहीं पा रही थी कि क्या यह बात में अपने पति को बताऊँ कि नहीं। में
सोचने लगी कि अब से में उस स्वामी के पास नहीं जाउंगी, शाम को जब मेरे पति आए तो वो बहुत खुश
लग रहे थे। फिर उन्होंने कहा कि उन्हे किसी बड़ी कंपनी में मैनेजर की नौकरी मिल गई
है और उनकी पगार 50,000/- महीने
है और यह बात सुनकर में हैरान रह गयी। फिर मैंने सोचा कि यह तो चमत्कार हो गया, अब मुझे स्वामीजी पर विश्वास हो गया।
अगले दिन से मेरे पति हर रोज नौकरी पर जाने लगे थे और में स्वामीजी के पास गयी और
उन्हे खुश खबरी सुनाई।
फिर उन्होंने कहा कि यह में जानता ही था कि एक
बार कालदोष हट गया तो सब ठीक हो ही जाएगा,
लेकिन तुम चाहती हो कि यह ऐसा ही चलता रहे तो तुम अक्सर आती
रहा करो, में
मन से तुम्हारे लिए पूजन करता रहूँगा। में फिर से स्वामीजी की बातों में आ गयी और
अब स्वामीजी हफ्ते में 4
बार मुझे पूजा के बहाने बुलाते और उसी तरह के नाटक से मुझे चोदते रहते है और घर
में सब ठीक होता जा रहा था, इसलिए
मुझे अब फर्क भी नहीं पड़ता। अरुण मेरे पति अपनी नयी नौकरी में इतने व्यस्त हो गये
कि मुझ पर ज़्यादा ध्यान भी नहीं देते और जब स्वामीजी किसी काम में व्यस्त होते है
तो कभी कभी मुझे विशेष भी चोदता है,
लेकिन अब मेरी चूत का भोसड़ा बन चुका है, लेकिन फिर भी स्वामीजी को मेरी चूत बहुत
पसंद आती है ।।
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