FUN-MAZA-MASTI
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
एक ख़ुशहाल परिवार
*****
पिछले साल जब मनीष और रश्मि के पिता का एक कार दुर्घटना में देहांत हो गया. ऐसा कहा जाता है कि सामने वाली कार में ड्राईवर ने बहुत शराब पी रखी थी और रात के अँधेरे में उसे कुछ नज़र नहीं आया और तेल चलती जीप से मनीष के पिता कि कार को सीधे टक्कर मारी. यदि आप शराब पीते हैं तो कृपया पी कर गाडी न चलायें. इससे आपकी और किसी और कि जिंदगी में ऐसी हानि हो सकती है जिसकी भरपाई संभव नही होती है.
मनीष और रश्मि के माँ गीता इस दुखद घटना के बात तो जैसे टूट ही गए. कुछ महीनों बाद, रश्मि को उनके पति के दफ्तर में नौकरी मिल गयी. घर में बच्चों का ख़याल रखने के लिए, मनीष और रश्मि के दादा जयंत और दादी मालती नागपुर से उनके घर मुंबई शिफ्ट हो गए. जैसा कि जीवन में होता है, धीरे धीरे जीवन चलने लगा.
एक दिन मनीष अपने कमरे में अपनी लैपटॉप पर एक विडियो क्लिप देख रहा था. ये वो वाली विडियो क्लिप थी थीं जिस पर सभी नए नए जवान हुए लड़कों कि रूचि होती है. विडियो में एक थोडा ज्यादा उम्र कि औरत एक जवान लड़के के साथ सेक्स कर रही थी. इस कामुक सीन को देख मनीष का लंड खड़ा हो गया. थोड़ी देर तक ऐसे ही देखने के बाद, उसने शॉर्ट्स के साइड से अपना आठ इंच का लंड निकाला कर उसे हिला कर धीरे धीरे मुट्ठ मारने लगा.
इसी समय उसकी दादी मालती ने उसके कमरे में प्रवेश किया. मनीष इस बात के लिए बिलकुल तैयार नहीं था, उसने हडबडा कर अपना लंड ढक लिया और मैगज़ीन बिस्तर के नीचे फ़ेंक दी. मालती देवी समझ गयीं कि पोता जवान हो चुका है. उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखा और समझाया कि इन सब में ऐसे शर्माने कि कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने उसे बताया कि उसे इतना लम्बा और मोटा मर्दाना अंग होने पर गर्व होना चाहिये. मनीष अभी भे शर्म से पानी पानी हुआ जा रहा था.
मालती उसके बगल में आ कर बैठ गयीं. और मुस्कराते हुए अपना हाथ कम्बल में दाल कर मनीष के लंड को छूने लगीं. उसका लंड अभी भी बहुत जोरों से टाइट था. मालती देवी ने उसके शॉर्ट्स में हाथ दाल कर उसका लंड हाथों में ले लिया और मुट्ठ मारने लगीं. दादी कि नयी हरकत से मनीष कि शर्म तो कम नहीं हुई, पर उसे मज़ा आने लगा. मालती ने अपनी ब्लाउज के बटन खोल दिए जिससे उनकी हलब्बी चुंचियां छलक कर बाहर आ गयीं. मनीष ने इतने बड़े बड़े मम्मे अपनी जिन्दगी में आज अटका अन्हीं देखे थे.
जब शर्म का धुंवा छटने लगा, मनीष इस बेशर्मी में शामिल सा होने लगा. वो अपने हाथों से दादी कि चूचींयाँ पकड़ कर उन्हें सहलाने लगा. मनीष को अजीब सा मज़ा आ रहा था. और दादी को भी कम मज़ा नहीं आ रहा था, ऐसा ये देख कर अंदाजा लगया जा सकता है कि उनकी चुंचियां थोडा सख्त होने लगी थीं. मनीष ने दूसरा हाथ दादी की साडी के अन्दर डाल दिया और उनकी चूत सहलाने लगा. अब इस उम्र में मालती देवी अन्दर चड्ढी नहीं पहनती थीं. उनकी चूत में झांटों कि गहरी फसल थी. मनीष को महसूस हो रहा था जैसे वो एक नर्म मुलायम कम्बल पर हाथ सहला रहा हो.
मालती देवी ने मनीष के ऊपर का कम्बल निकाल फेंका और अपना मुंह मनीष के लंड पर लगा दिया. थोड़ी ही देर में वो मनीष का लंड चूस रही थीं.
कमरे में मनीष कि दबी हुई आह्ह और मालती देवी कि लंड चूसने कि चपर चपर वाली अवाजे आ रहीं थी. उन दोनों को इस बात का बिलकुल इल्म न था. पर मनीष कि बहन रश्मि ने ये आवाजें सुनी. उसे लगा कि उसका भाई फिर चोरी से को कोई ब्लू फिल्म देख रहा है. वो दबे पाँव उसके कमरे के दरवाजे पर आई, उसे हैरानी ये देख के हुई कि दरवाजा पूरा का पूरा खुला था. अन्दर जैसे ही घुसी वहां का दृश्य देख कर हक्की बक्की रह गयी -- उसकी दादी उसके भाई मनीष का लंड चूस रहीं थीं और मनीष उनकी सफ़ेद झांटों से भरी चूत को अपनी तीन तीन उँगलियों से चोद रहा था. रश्मि ये सब देख कर एकदम गर्म हो उठी. उसने अपना टॉप नीचे कर के अपनी चुन्चिया आजाद कर दीं और उन्हें एक हाथ से सहलाने लगी. दुसरे हाथ से अपना स्कर्ट उठा कर अपनी चूत में उंगली करने लगी.
मालती ने जब रश्मि को देखा तो उन्होंने उसे झट से अपने पास बुला लिया. उसका मुंह झुका कर मनीष का मोटा लंड उसके मुंह में डाल दिया. रश्मि ने जैसा दादी को करते देखा था वो खुद वैसे ही मनीष का लंड चाटने लगी. मालती अब रश्मि कि चूत चाटने लगी. रश्मि को इतना मज़ा आ रहा था कि वो जा अपनी चूत को अपनी दादी के मुंह पर जोर से रगड़ने लगी.
मनीष को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था. पांच मिनट के अन्दर दो दो औरतों के मुंह उसके लंड को चूस चुके थे. वो एक हाथ से दादी की चूत चोद रहा था और दुसरे हाथ से अपनी बहन रश्मि के मम्मे दबा रहा था.
उस दिन महीने का दूसरा शनिवार था और गीता के दफतर कि छुट्टी थी. वो देर से उठी और मनीष के कमरे के पास से गुजरी. जैसा कि होना था, आवाजों को फॉलो करते हुए वो भी दरवाजे पर खडी हो कर अन्दर का चौंका देने वाला नज़ारा देख रही थी. जब साँसों सामान्य हुईं अन्दर का यार सीन देख कर वो भी गरम हो उठी. एक साल से ऊपर हो चूका था और उसने जरा भी सेक्स का आनंद नहीं मिला था. उसकी सास का उनकी बेटी रश्मि कि चूत का चाटना और रश्मि का अपने भाई का लंड चूसना देख कर गीता की चूत में पानी आ आ गया. सारे कमरे में गीली चूत कि महक फ़ैली हुई थी.
गीता इस नज़ारे को देखने में इतना तल्लीन थी कि उसे पता नहीं चला कि कब उसके ससुर जी जयंत उसके पीछे आ कर अन्दर का कार्यकलाप देख रहे हैं. गीता अपना गाउन उठा का अपनी चूत में उंगली अन्दर बाहर कर के आनंद ले रही थी.
जयंत से सात फीट की दूरी पर उसकी पत्नी मालती उसकी पोती रश्मि कि चूत चूस रही थी. उसका पोता मनीष अपनी दादी कि चूत उँगलियों से चोद रहा था. और साथ इंच दूर उसकी बहु गीता के गोर गोर चुतड हिल रहे थे जब वो अपनी चूत में उंगली डालती और निकालती थी. जयंत का लंड एकदम टाइट हो गया. और जब उसने अपना जिपर खोल कर लंड निकाला, गीता जिपर कि आवाज से चौंक कर घूमी. घबराहट में वो वो ससुर जी के ऊपर गिर पडी और ससुर ने उसे थाम लिया. गीता का गाउन अभी भी उठा हुआ था और उनके ससुर का खड़ा नौ इंची लंड उसकी चूत के ऊपर टिका हुआ था. गीता इस बात से बड़ी हैरान थी कि इस उम्र में उसके ससुर का लंड इतना टाइट कैसे हो सकता है.
गीता नीचे फर्श पर बैठ गयी. उसने ससुर जी का लंड अपनें मुंह में ले लिया. उसे लंड चूसना बहुत पसंद था. उधर बिस्तर पर दादी माँ लेट गयीं. उन्होंने अपने पैर ऊपर कर लिए. मनीष ने इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए अपना लंड मालती देवी कि उम्रदार चूत में पेल दिया. मालती उह उह आह आह कर के चुदाई का आनंद लेने लगीं. अपने पोते का मोटा और लम्बा लंड खा कर वो बड़ी गदगद थीं. उन्होंने अपनी पोती रश्मि को अपने मुंह पर बिठाया हुआ था ताकि जब मनीष के लंड के झटके से वो हिलें, वो रश्मि कि चूत को चाट सकें.
रश्मि को बड़ा मज़ा आ रहा था. जैसे ही मनीष अपने लंड का धक्का अपनी दादी मालती को देता, दादी कि जीभ का धक्का रश्मि कि चूत में भी जाता था. जयंत ने गीता को उठा कर उसे किस किया और दोनों कमरे में आयें ताकि बाकी के परिवार जनों को ज्वाइन कर सकें. जयंत को गीता के कपडे उतार फेंकने में कोई देर नहीं लगी. मनीष ने जब अपनी माँ को नंगा देखा तो उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए. उसका लंड अभी भी दादी कि चूत नाप रहा था.
जयंत ने गीता को घुमाया और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया. इतने अरसे बाद अपनी चूत में ऐसा मोटा और लम्बा लंड पा कर गीता निहाल हो उठी. मनीष बहुत फुल स्पीड में दादी कि चूत चोद रहा था. दादी और मनीष थोड़े ही समय में झड गए. जयंत धीरे झटकों से गीता को कुतिया बना कर चोद रहा था. थोड़े देर में उनके झटके तेज हो गए और वो दोनों भी झड गए.
मालती आ कर अपने जयंत का लंड चाटने लगी. वो चाहती थी कि जिस तरह उसने अपने पोते कि शुरुआत अपनी चूत से कराई है, उसी तरह अपनी पोती कि शुरुआत अपने दादा जी के लंड से हो. थोड़ी ही देर में इस बूढ़े शेर में जान आने लगी और जयंत का लंड खड़ा हो गया.
रश्मि को सीधा लिटाया गया और दादी और उसकी माँ ने एक एक तरफ से उसके टाँगे पकड़ कर चौडा कर रखा था. जयंत ने अपना लंड रश्मि के मुहाने पर टिकाया. जवान और कुंवारी चूत इतनी कासी हुई थी कि जयंत का लंड उसमें घुस नहीं पा रहा था. गीता ने एक बार फिर जयंत का लंड अपने मुह में ले कर उसे गीला कर के उसे रश्मि कि चूत में टिका दिया. धीरे धीरे जयंत ने अपना लंड रश्मि कि चूत के पूरा अन्दर पेल दिया. रश्मि मजे में चीख रही थी. जयंत ने अब पूरे जोर से चुदाई करनी चुरू कर दी.
इधर मनीष ने अपनी माँ गीता को लिटा कर उनकी चूत में अपना लंड घुसेड दिया. वो दोनों बहुत जोर से छिड़ने लगे. सारे कमरे में जैसे चुदाई कि महक भर गयी थी. गीता ने अपनी टाँगें अपने बेटे मनीष के चूतड़ों पर फंसा दीं ताकि चुदाई में मनीष को ज्यादा आनंद मिले,
मालती देवी अपनी बहु गीता के मुंह पर सवार थीं और गीता उनकी चूत में जीभ डाल कर उनको चोद रही थी. सारे कमरे ऊओह आह कि आवाजें गूँज रहीं थीं. थोड़े देर में सारे लोग एक बार फिर से झड गए.
पर मनीष का लंड अभी टाइट था.
"मनीष बेटा, इसे मेरी गांड में दाल दो."
मनीष ने मन कि आज्ञा का पालन करते हुए अपना लंड उनकी गांड में डाल दिया. मनीष को अपने लंड के ऊपर इतना टाइट कभी महसूस नहीं हुआ था. थोड़े ही झटकों के बाद उसने अपनी माँ कि गांड अपने लंड के रस से पूरी भर दी.
सबके लिए ये अच्छी कसरत थी. थोड़ी देर में सब थक कर सो गए.
उनके जीवन में ये एक नया अध्याय जुडा. इसके बाद वो परिवार एक खुशहाल परिवार कि तरह आपस में खेलते खाते जिया,
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पिछले साल जब मनीष और रश्मि के पिता का एक कार दुर्घटना में देहांत हो गया. ऐसा कहा जाता है कि सामने वाली कार में ड्राईवर ने बहुत शराब पी रखी थी और रात के अँधेरे में उसे कुछ नज़र नहीं आया और तेल चलती जीप से मनीष के पिता कि कार को सीधे टक्कर मारी. यदि आप शराब पीते हैं तो कृपया पी कर गाडी न चलायें. इससे आपकी और किसी और कि जिंदगी में ऐसी हानि हो सकती है जिसकी भरपाई संभव नही होती है.
मनीष और रश्मि के माँ गीता इस दुखद घटना के बात तो जैसे टूट ही गए. कुछ महीनों बाद, रश्मि को उनके पति के दफ्तर में नौकरी मिल गयी. घर में बच्चों का ख़याल रखने के लिए, मनीष और रश्मि के दादा जयंत और दादी मालती नागपुर से उनके घर मुंबई शिफ्ट हो गए. जैसा कि जीवन में होता है, धीरे धीरे जीवन चलने लगा.
एक दिन मनीष अपने कमरे में अपनी लैपटॉप पर एक विडियो क्लिप देख रहा था. ये वो वाली विडियो क्लिप थी थीं जिस पर सभी नए नए जवान हुए लड़कों कि रूचि होती है. विडियो में एक थोडा ज्यादा उम्र कि औरत एक जवान लड़के के साथ सेक्स कर रही थी. इस कामुक सीन को देख मनीष का लंड खड़ा हो गया. थोड़ी देर तक ऐसे ही देखने के बाद, उसने शॉर्ट्स के साइड से अपना आठ इंच का लंड निकाला कर उसे हिला कर धीरे धीरे मुट्ठ मारने लगा.
इसी समय उसकी दादी मालती ने उसके कमरे में प्रवेश किया. मनीष इस बात के लिए बिलकुल तैयार नहीं था, उसने हडबडा कर अपना लंड ढक लिया और मैगज़ीन बिस्तर के नीचे फ़ेंक दी. मालती देवी समझ गयीं कि पोता जवान हो चुका है. उन्होंने उसके कंधे पर हाथ रखा और समझाया कि इन सब में ऐसे शर्माने कि कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने उसे बताया कि उसे इतना लम्बा और मोटा मर्दाना अंग होने पर गर्व होना चाहिये. मनीष अभी भे शर्म से पानी पानी हुआ जा रहा था.
मालती उसके बगल में आ कर बैठ गयीं. और मुस्कराते हुए अपना हाथ कम्बल में दाल कर मनीष के लंड को छूने लगीं. उसका लंड अभी भी बहुत जोरों से टाइट था. मालती देवी ने उसके शॉर्ट्स में हाथ दाल कर उसका लंड हाथों में ले लिया और मुट्ठ मारने लगीं. दादी कि नयी हरकत से मनीष कि शर्म तो कम नहीं हुई, पर उसे मज़ा आने लगा. मालती ने अपनी ब्लाउज के बटन खोल दिए जिससे उनकी हलब्बी चुंचियां छलक कर बाहर आ गयीं. मनीष ने इतने बड़े बड़े मम्मे अपनी जिन्दगी में आज अटका अन्हीं देखे थे.
जब शर्म का धुंवा छटने लगा, मनीष इस बेशर्मी में शामिल सा होने लगा. वो अपने हाथों से दादी कि चूचींयाँ पकड़ कर उन्हें सहलाने लगा. मनीष को अजीब सा मज़ा आ रहा था. और दादी को भी कम मज़ा नहीं आ रहा था, ऐसा ये देख कर अंदाजा लगया जा सकता है कि उनकी चुंचियां थोडा सख्त होने लगी थीं. मनीष ने दूसरा हाथ दादी की साडी के अन्दर डाल दिया और उनकी चूत सहलाने लगा. अब इस उम्र में मालती देवी अन्दर चड्ढी नहीं पहनती थीं. उनकी चूत में झांटों कि गहरी फसल थी. मनीष को महसूस हो रहा था जैसे वो एक नर्म मुलायम कम्बल पर हाथ सहला रहा हो.
मालती देवी ने मनीष के ऊपर का कम्बल निकाल फेंका और अपना मुंह मनीष के लंड पर लगा दिया. थोड़ी ही देर में वो मनीष का लंड चूस रही थीं.
कमरे में मनीष कि दबी हुई आह्ह और मालती देवी कि लंड चूसने कि चपर चपर वाली अवाजे आ रहीं थी. उन दोनों को इस बात का बिलकुल इल्म न था. पर मनीष कि बहन रश्मि ने ये आवाजें सुनी. उसे लगा कि उसका भाई फिर चोरी से को कोई ब्लू फिल्म देख रहा है. वो दबे पाँव उसके कमरे के दरवाजे पर आई, उसे हैरानी ये देख के हुई कि दरवाजा पूरा का पूरा खुला था. अन्दर जैसे ही घुसी वहां का दृश्य देख कर हक्की बक्की रह गयी -- उसकी दादी उसके भाई मनीष का लंड चूस रहीं थीं और मनीष उनकी सफ़ेद झांटों से भरी चूत को अपनी तीन तीन उँगलियों से चोद रहा था. रश्मि ये सब देख कर एकदम गर्म हो उठी. उसने अपना टॉप नीचे कर के अपनी चुन्चिया आजाद कर दीं और उन्हें एक हाथ से सहलाने लगी. दुसरे हाथ से अपना स्कर्ट उठा कर अपनी चूत में उंगली करने लगी.
मालती ने जब रश्मि को देखा तो उन्होंने उसे झट से अपने पास बुला लिया. उसका मुंह झुका कर मनीष का मोटा लंड उसके मुंह में डाल दिया. रश्मि ने जैसा दादी को करते देखा था वो खुद वैसे ही मनीष का लंड चाटने लगी. मालती अब रश्मि कि चूत चाटने लगी. रश्मि को इतना मज़ा आ रहा था कि वो जा अपनी चूत को अपनी दादी के मुंह पर जोर से रगड़ने लगी.
मनीष को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था. पांच मिनट के अन्दर दो दो औरतों के मुंह उसके लंड को चूस चुके थे. वो एक हाथ से दादी की चूत चोद रहा था और दुसरे हाथ से अपनी बहन रश्मि के मम्मे दबा रहा था.
उस दिन महीने का दूसरा शनिवार था और गीता के दफतर कि छुट्टी थी. वो देर से उठी और मनीष के कमरे के पास से गुजरी. जैसा कि होना था, आवाजों को फॉलो करते हुए वो भी दरवाजे पर खडी हो कर अन्दर का चौंका देने वाला नज़ारा देख रही थी. जब साँसों सामान्य हुईं अन्दर का यार सीन देख कर वो भी गरम हो उठी. एक साल से ऊपर हो चूका था और उसने जरा भी सेक्स का आनंद नहीं मिला था. उसकी सास का उनकी बेटी रश्मि कि चूत का चाटना और रश्मि का अपने भाई का लंड चूसना देख कर गीता की चूत में पानी आ आ गया. सारे कमरे में गीली चूत कि महक फ़ैली हुई थी.
गीता इस नज़ारे को देखने में इतना तल्लीन थी कि उसे पता नहीं चला कि कब उसके ससुर जी जयंत उसके पीछे आ कर अन्दर का कार्यकलाप देख रहे हैं. गीता अपना गाउन उठा का अपनी चूत में उंगली अन्दर बाहर कर के आनंद ले रही थी.
जयंत से सात फीट की दूरी पर उसकी पत्नी मालती उसकी पोती रश्मि कि चूत चूस रही थी. उसका पोता मनीष अपनी दादी कि चूत उँगलियों से चोद रहा था. और साथ इंच दूर उसकी बहु गीता के गोर गोर चुतड हिल रहे थे जब वो अपनी चूत में उंगली डालती और निकालती थी. जयंत का लंड एकदम टाइट हो गया. और जब उसने अपना जिपर खोल कर लंड निकाला, गीता जिपर कि आवाज से चौंक कर घूमी. घबराहट में वो वो ससुर जी के ऊपर गिर पडी और ससुर ने उसे थाम लिया. गीता का गाउन अभी भी उठा हुआ था और उनके ससुर का खड़ा नौ इंची लंड उसकी चूत के ऊपर टिका हुआ था. गीता इस बात से बड़ी हैरान थी कि इस उम्र में उसके ससुर का लंड इतना टाइट कैसे हो सकता है.
गीता नीचे फर्श पर बैठ गयी. उसने ससुर जी का लंड अपनें मुंह में ले लिया. उसे लंड चूसना बहुत पसंद था. उधर बिस्तर पर दादी माँ लेट गयीं. उन्होंने अपने पैर ऊपर कर लिए. मनीष ने इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए अपना लंड मालती देवी कि उम्रदार चूत में पेल दिया. मालती उह उह आह आह कर के चुदाई का आनंद लेने लगीं. अपने पोते का मोटा और लम्बा लंड खा कर वो बड़ी गदगद थीं. उन्होंने अपनी पोती रश्मि को अपने मुंह पर बिठाया हुआ था ताकि जब मनीष के लंड के झटके से वो हिलें, वो रश्मि कि चूत को चाट सकें.
रश्मि को बड़ा मज़ा आ रहा था. जैसे ही मनीष अपने लंड का धक्का अपनी दादी मालती को देता, दादी कि जीभ का धक्का रश्मि कि चूत में भी जाता था. जयंत ने गीता को उठा कर उसे किस किया और दोनों कमरे में आयें ताकि बाकी के परिवार जनों को ज्वाइन कर सकें. जयंत को गीता के कपडे उतार फेंकने में कोई देर नहीं लगी. मनीष ने जब अपनी माँ को नंगा देखा तो उसके मम्मे दबाने शुरू कर दिए. उसका लंड अभी भी दादी कि चूत नाप रहा था.
जयंत ने गीता को घुमाया और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया. इतने अरसे बाद अपनी चूत में ऐसा मोटा और लम्बा लंड पा कर गीता निहाल हो उठी. मनीष बहुत फुल स्पीड में दादी कि चूत चोद रहा था. दादी और मनीष थोड़े ही समय में झड गए. जयंत धीरे झटकों से गीता को कुतिया बना कर चोद रहा था. थोड़े देर में उनके झटके तेज हो गए और वो दोनों भी झड गए.
मालती आ कर अपने जयंत का लंड चाटने लगी. वो चाहती थी कि जिस तरह उसने अपने पोते कि शुरुआत अपनी चूत से कराई है, उसी तरह अपनी पोती कि शुरुआत अपने दादा जी के लंड से हो. थोड़ी ही देर में इस बूढ़े शेर में जान आने लगी और जयंत का लंड खड़ा हो गया.
रश्मि को सीधा लिटाया गया और दादी और उसकी माँ ने एक एक तरफ से उसके टाँगे पकड़ कर चौडा कर रखा था. जयंत ने अपना लंड रश्मि के मुहाने पर टिकाया. जवान और कुंवारी चूत इतनी कासी हुई थी कि जयंत का लंड उसमें घुस नहीं पा रहा था. गीता ने एक बार फिर जयंत का लंड अपने मुह में ले कर उसे गीला कर के उसे रश्मि कि चूत में टिका दिया. धीरे धीरे जयंत ने अपना लंड रश्मि कि चूत के पूरा अन्दर पेल दिया. रश्मि मजे में चीख रही थी. जयंत ने अब पूरे जोर से चुदाई करनी चुरू कर दी.
इधर मनीष ने अपनी माँ गीता को लिटा कर उनकी चूत में अपना लंड घुसेड दिया. वो दोनों बहुत जोर से छिड़ने लगे. सारे कमरे में जैसे चुदाई कि महक भर गयी थी. गीता ने अपनी टाँगें अपने बेटे मनीष के चूतड़ों पर फंसा दीं ताकि चुदाई में मनीष को ज्यादा आनंद मिले,
मालती देवी अपनी बहु गीता के मुंह पर सवार थीं और गीता उनकी चूत में जीभ डाल कर उनको चोद रही थी. सारे कमरे ऊओह आह कि आवाजें गूँज रहीं थीं. थोड़े देर में सारे लोग एक बार फिर से झड गए.
पर मनीष का लंड अभी टाइट था.
"मनीष बेटा, इसे मेरी गांड में दाल दो."
मनीष ने मन कि आज्ञा का पालन करते हुए अपना लंड उनकी गांड में डाल दिया. मनीष को अपने लंड के ऊपर इतना टाइट कभी महसूस नहीं हुआ था. थोड़े ही झटकों के बाद उसने अपनी माँ कि गांड अपने लंड के रस से पूरी भर दी.
सबके लिए ये अच्छी कसरत थी. थोड़ी देर में सब थक कर सो गए.
उनके जीवन में ये एक नया अध्याय जुडा. इसके बाद वो परिवार एक खुशहाल परिवार कि तरह आपस में खेलते खाते जिया,
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राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
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