FUN-MAZA-MASTI
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स्वामीजी की पूजा सफल हुई--2
स्वामीजी बोलते जा रहे थे, तुम एकदम शांत होकर इस पूजा का आनंद लो, में तुम्हारी सब परेशानी दूर कर दूँगा, तुम्हारे बदन को एकदम पवित्र करना
पड़ेगा। फिर स्वामीजी ने मेरी गर्दन पर होंठ लगा दिए और चूमने लगे। फिर एक बूब्स
को चूमना शुरू किया और मेरे दूसरे बूब्स को दबाते जा रहे थे और वो साथ साथ कुछ
मंत्र भी बोलते जा रहे थे, वो
बहुत मादक माहौल था। उस कमरे में एक दीपक जल रहा था और अग्नि वेदी से निकलने वाली
रोशनी से कमरा नहा रहा था और पूरा कमरा सुगंधित था और मेरे ऊपर स्वामीजी नंगे बदन
में झुके हुए थे, मेरे
भी बूब्स नंगे थे। फिर उन्होंने मेरे होंठो पर अपने होंठ रखे और मेरे होंठो को
चूसना शुरु किया,
मेरे होंठ चूसते हुये उन्होंने अपनी जीभ को मेरे
मुहं में घुसा दिया और उनकी जीभ में एक अजीब सा स्वाद था और वो मेरी जीभ को चूसने
लगे। मुझे महसूस हो रहा था कि वो मेरे मुहं के अंदर चाट रहे है। फिर वो उठकर मेरे
चेहरे को देखने लगे कि कहीं में परेशान तो नहीं लग रही, लेकिन उन्हे मेरे चेहरे से एक खुशी की
झलक मिली। फिर स्वामीजी बोले क्यों कैसा लग रहा है पुत्री? तुम्हारे दिल में जो भी परेशानी है दिल
से निकाल दो, में
दिल पर मंत्रो से उपचार कर रहा हूँ और फिर वो ज़ोर ज़ोर से मंत्र उच्चारण करने लगे
और बाहर बैठे हुए उनके शिष्य भी ज़ोर ज़ोर से मंत्रोचारण करने लगे। फिर मुझे लगा
कि में किसी स्वर्ग में हूँ और अब मेरी चुदाई होने वाली है और मुझे लगा कि अब
स्वामीजी मुझे चोदकर ही छोड़ेंगे और शायद उनके शिष्य भी मेरी इस नशे की हालत का
फायदा उठाएँगे और अगर में विरोध करती हूँ तो यह मुझे मार डालेंगे और किसी को कुछ
पता भी नहीं चलेगा।
फिर में वहां से भागना चाहती थी, लेकिन नशे की वजह से में कुछ नहीं कर पा
रही थी, बस
चुपचाप लेटकर उनकी क्रिया का आनंद ले रही थी। फिर स्वामीजी बोले कि अब तुम्हारा
मुख पवित्र हो गया है और अब बाकी शरीर को भी पवित्र करना है और अब में नीचे की
करूँगा, तुम
मेरा साथ देती रहो। फिर तुम बिल्कुल उलझन मुक्त जीवन जी सकती हो। में नशे में थी
और हिल भी नहीं पा रही थी, वो
दोबारा तेल लेकर मेरी नाभि में मलने लगे और स्वामीजी मेरे पूरे बदन में हाथ फेर
रहे थे और तेल की मालिश भी कर रहे थे। वो मेरे हाथों को चूमते चूमते नीचे की तरफ
आने लगे और फिर मेरे बूब्स के बीच में उन्होंने चाटना, चूमना शुरू किया और किस करते करते वो
मेरे पेट की तरफ बड़े।
फिर उन्होंने मेरे पेट पर चूमना शुरू
किया और पास पड़े कटोरी से थोड़ा शहद निकालकर मेरी नाभि में डाल दिया और फिर उनका
मुहं मेरी नाभि पर आया। फिर वो मेरी नाभि को चूसने लगे, वो मेरी नाभि के अंदर अपनी जीभ घुसाकर
अंदर चाटने लगे और इतने में मेरी चूत में भी हलचल मचने लगी, तेल की सुगंध और दूध में मिला नशा मुझे
मदहोश कर रहा था और अब में खुद चुदवाने को उत्सुक हो रही थी, मेरी आँखे रह रहकर बंद हो रही थी। फिर
स्वामीजी बोले कि शाबाश पुत्री, तुम
बहुत अच्छे से पूजन में हिस्सा ले रही हो। में इसी तरह तुम्हारे पूरे बदन को
पवित्र करूँगा और वो मेरी नाभि को चाटते चाटते मेरे पेटिकोट का नाड़ा खोलने लगे,
उसे खोलने के बाद उन्हे मेरी गुलाबी कलर की
पेंटी दिखी। फिर उन्होंने मेरा पेटीकोट और मेरी पेंटी खींचकर उतार फेंकी और ज़ोर
ज़ोर से मंत्रोउच्चारण करने लगे। फिर में अब बिल्कुल नंगी उनके सामने लेटी हुई थी
और वो लगातार मेरी साफ चूत को देख रहे थे और मंत्र बोल रहे थे और फिर अपना हाथ
मेरी नंगी चूत पर फेरने लगे और वो बोले कि अब समय आ गया है कि में तुम्हारे अंदर
की गंदगी को साफ करूं और में अंदर इस पवित्र तेल की मालिश करता हूँ, तुम दिल से ऊपर वाले को याद करो, तुम्हे पता है कि योनि देवी पार्वती का
रूप है और अब अपनी दोनों टाँगे खोलो पुत्री।
फिर उन्होंने मेरे पैर पकड़कर फैला दिया
और मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गये और वो मेरी चूत पर अपना हाथ घूमा रहे थे और
कुछ बड़बड़ाते जा रहे थे। फिर हाथ में तेल लेकर चूत के ऊपर लगाया और मालिश करने
लगे। चूत के होंठ उनके छूने से कांप रहे थे,
मानो उनमें भी जान आ गई हो। वो उंगली से चूत के होंठ पर मालिश
किए जा रहे थे और फिर मुझे महसूस हुआ कि वो मेरी चूत में अपनी उंगली घुसा रहे थे
और उन्होंने अपनी उंगली मेरी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था और वो मेरे
चूत के दाने को छेड़ने लग गये और फिर दोबारा शहद लेकर चूत पर उड़ेल दिया। शहद और
तेल मिलकर कयामत ढा रहे थे। वो फिर नीचे झुके और उन्होंने उंगलियों से मेरी चूत की
पलके फैला दी और छेद पर किस करना शुरू कर दिया और बीच बीच में वो अपनी जीभ मेरी
चूत के अंदर भी डाल रहे थे और फिर वो उसे मेरी चूत के बहुत अंदर तक घुमा कर रहे थे
और मेरी चूत से गीलापन निकलने लगा।
शहद और चूत का रस दोनों स्वामीजी मज़े
से चाट रहे थे। फिर स्वामीजी बोले कि बहुत स्वादिष्ट है पुत्री तुम्हारी योनि का
रस जी करता है कि हमेशा पीता रहूँ,
लेकिन पहले तेरी मुश्किल का हल ढूँढना है बच्चा। फिर मुझे ऐसी
इच्छा हो रही थी कि जैसे वो मेरी चूत चूसते रहे और हटे नहीं। फिर उन्होंने अपनी
तेल से भीगी हुई उंगली को मेरी गांड में घुसेड़ दिया और एक ही झटके में उनकी बीच
वाली उंगली मेरी गांड में समा गयी और वो मेरी चूत को चूस रहे थे और साथ ही साथ
गांड में उंगली भी कर रहे थे और मुझ पर वो दोहरा वार हो रहा था। वासना से मैंने
आँखे बंद कर रखी थी और अब मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी, में उन्हे हटाना चाहती थी,
लेकिन मुझमें इतनी शक्ति नहीं थी कि में ऐसा कर
सकूं और में तो आँखें बंद करके उनकी चूत चूसने का मज़ा ले रही थी। फिर उन्होंने
मेरी चूत को बहुत देर तक चूसा और अब वो घड़ी आ ही गयी, जिसका मुझे इंतज़ार था। फिर मैंने
स्वामीजी के मुहं पर बहुत ज़ोर से पानी छोड़ा तो मुझे शरम भी आने लगी, लेकिन स्वामीजी पूरे मज़े से मेरी चूत
का पानी पीने लगे और में उनके मुहं में ही झड़ गई। फिर स्वामीजी ने मेरी चूत के
पानी को पूरा पी लिया, वो
उठे और मेरे ऊपर लेट गये और उनके होंठ मेरे होंठ पर थे और में खुद उनके होंठ को
चूसने लगी और उनके मुहं से मुझे अपनी चूत के पानी का स्वाद मिलने लगा। दोस्तों ये
कहानी आप फन मज़ा मस्ती पर पड़ रहे है।
स्वामीजी फिर से बोले कि बहुत स्वादिष्ट
था तेरी योनि रस, तुम
क्या खाती हो कि तुम्हारी चूत इतनी मीठी है?
तेरा पति कितना किस्मत वाला होगा जो रोज़ इसका रसस्वादन करता
होगा? स्वामीजी
को क्या मालूम कि अरुण कभी मेरी चूत नहीं चूसता,
क्योंकि वो चूत को बहुत गंदा मानता है और चूसना तो दूर की बात
है, वो
कभी चूत पर किस भी नहीं करता है, लेकिन
आज स्वामीजी ने मुझे ज़न्नत दिखा दी। फिर उन्होंने अपने हाथ से अपने लंड को मेरी
चूत पर सेट किया और फिर ज़ोर से एक धक्का लगाया और स्वामीजी का मोटा लंड एक ही बार
में मेरी चूत में पूरा का पूरा घुस गया।
मुझे याद नहीं कि उनके लंड का साईज़ क्या है? स्वामीजी फिर से मंत्र बोलने लगे और
बूब्स चूसने लगे। में नीचे से धक्के मारने के लिये उनको इशारा करने लगी। फिर
स्वामीजी ने मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया और वो ज़ोर ज़ोर से अपने मोटे लंड को
मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहे थे और स्वामीजी मेरी चूत की चुदाई करते करते मेरे
होंठो को चूम रहे थे और साथ साथ मेरे बूब्स को भी दबाते जा रहे थे और मेरी निप्पल
को अपनी उंगलियों के बीच मसलते जा रहे थे।
फिर मुझे बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन में कुछ नहीं कर पा रही थी और वो
नशा भी ऐसा था कि मेरे पूरे बदन में एकदम गर्मी छा गयी और मुझे उनका बदन भी गीला
महसूस होता जा रहा था, जैसे
कि वो पसीने में भीगे हुए है। वो मुझे हर जगह चूमते चाटते जा रहे थे और मेरी चूत
में ज़ोर से लंड अंदर बाहर करते जा रहे थे और उन्होंने ऐसा लगभग 15 मिनट तक किया होगा।
फिर मुझे महसूस हुआ कि में दोबारा झड़ने
वाली हूँ और मैंने आँखे बंद की और बदन ढीला किया तो में बोल पड़ी आऊऊओह्ह्ह्ह्ह
माँ आईईईईईइ में पानी छोड़ रही हूँ और स्वामीजी ने भी अपना बदन ढीला किया तो में
समझ गई कि वो भी झड़ने वाले है। फिर अचानक मुझे मेरे पेट के अंदर गरम पानी भरने
जैसा महसूस हुआ और में समझ गयी कि वो मेरे अंदर ही झड़ गये है और झड़ने के बाद वो
मेरे ऊपर ही कुछ देर लेटे रहे। फिर वो मेरे ऊपर से उठे और बाथरूम में चले गये और
मुझे अंदर से पानी चलने की आवाज़ आ रही थी। फिर थोड़ी देर बाद स्वामी जी नहाकर
बाथरूम से बाहर निकले और मुझे वैसा ही छोड़कर वो खुद कपड़े डालकर बाहर चले गये और
में अंदर नंगी लेटी हुई थी और मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी आँख लग गई और जब
मुझे होश आया तो भी मेरा सर घूम रहा था,
लेकिन अब में अपने हाथ पैर घुमा पा रही थी, मेरे पूरे शरीर में दर्द हो रहा था और
शरीर अकड़ गया था। दिल कर रहा था कि कोई मुझे मालिश कर देता, लेकिन वहाँ ऐसा कौन मिलता? में अपनी हालत पर रो रही थी और मुझे
इतना भी होश नहीं था कि में उस वक़्त तक नंगी ही थी। फिर मैंने अपनी चूत को सहलाया
तो दर्द से राहत मिली। चूत के होंठ फूल गये थे और दर्द भी था और चूत के ऊपर
स्वामीजी का वीर्य लगा हुआ था, जो
अब बहुत हद तक सूख गया था। स्वामीजी के मोटे लंड ने मेरी चूत का भरता बना दिया था
और में अपनी चूत को मसलने लगी और मुझे कुछ आराम सा मिला में और चूत सहलाने लगी।
फिर मैंने एक उंगली को चूत के छेद में घुसा दिया, चूत से स्वामीजी का वीर्य बह रहा था और
मेरी उंगली अंदर तक चली गयी। फिर मुझे इतना मज़ा आने लगा कि में उंगली से चूत की
चुदाई करने लगी और मेरी आखों के सामने स्वामीजी की चुदाई घूमने लगी और में पूरी
तरह मग्न होकर योनि में उंगली कर रही थी,
तभी हल्की सी आवाज़ हुई और में एकदम चौंक सी गयी, मेरा पानी निकलने वाला था और मैंने चूत
को सहलाना जारी रखा और आँख खोला तो क्या देखती हूँ?
कि स्वामीजी का एक शिष्य दरवाजे पर खड़ा मुझे देखा रहा था और
उंगली से चूत को सहलाने और चोदने से मुझे बहुत मज़ा आने लगा था और जिससे मेरी
आवाज़ निकल गई और स्वामीजी का वो शिष्य पास के कमरे से उठकर मेरे कमरे में आ गया।
फिर वो मुझे नंगी हालत में देखकर घबरा
गया, लेकिन
जब उसकी नज़र मेरे नंगे पैरों, जांघो
की तरफ गई तो वो देखता ही रह गया और फिर मेरी चमकती हुई चूत उसे अपनी और खींच रही
थी, लेकिन
में भी बिना रुके उंगली तेज़ी से अपनी चूत में अंदर बाहर करती रही और वो दिन मेरे
लिए बहुत खास था, क्योंकि
आज पहली बार मुझे किसी पराए पुरुष ने चोदा था और अब पहली बार एक पराया पुरुष मुझे
अपनी उंगली से चूत चोदते हुए नंगी देख रहा था और अब मुझे भी मज़ा आने लगा था। फिर
मैंने अपने पैरों को और फैला दिया और उसे अपनी चूत के दर्शन कराती रही और कुछ देर
बाद वो बोला कि आप स्वामीजी की प्रिय भक्त है और आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, बाहर स्वामीजी आपकी प्रतीक्षा कर रहे
है।
फिर मैंने कहा कि स्वामीजी के प्रिय भक्त आपको
आदेश देती है कि मुझे कुछ समय दे, आप
वहाँ पर क्यों खड़े हो? आओ
और मेरे साथ यहाँ बैठकर देखो। फिर वो मेरे करीब आ गया और ध्यान से मेरी चूत को
देखने लगा और उसी वक़्त में ज़ोर से चिल्लाई,
उह्ह्ह्ह उूईईईईईई माँआआआ में गई और में शरीर को ढीला करके झड़
गयी। फिर यह नज़ारा देखकर वो शिष्य जिसका नाम विशेष था, उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी और वो अपना
हाथ अपने लंड पर रगड़ने लगा।
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