Sunday, November 8, 2015

FUN-MAZA-MASTI मकान मालकिन का दीवाना

FUN-MAZA-MASTI





मकान मालकिन का दीवाना


हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम नमन है और घर पर सभी लोग मुझे प्यार से बंटी बुलाते हैं। दोस्तों आज में आप सभी को फन मज़ा मस्ती पर मेरी मकान मालकिन से चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ। वैसे यह कुछ समय पुरानी बात है और में उस समय 12वीं में पढ़ता था। में जिस मकान में रहता था, उसकी मकान मालकिन की उम्र करीब 36 साल थी, लेकिन वो इतनी उम्र होने के बाद भी एक बहुत ही सेक्सी औरत थी और में उन्हे आंटी कहकर बुलाता था और उन आंटी का नाम रोमा था और में उनकी सुन्दरता का दीवाना था, मुझे जब भी मौका मिलता था, में उनसे बात ज़रूर करता और इसी बहाने मुझे उनके गोरे गोरे बूब्स को निहारने का मौका मिलता था और में आंटी के बूब्स को देखकर एकदम पागल हो जाता था, क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और साड़ी के आँचल से उनकी एक झलक ही मुझे मिल जाए तो में यही सोचकर उनसे बात करता था। फिर में बातों के बीच में उनके बड़े साईज़ के बूब्स, गांड को देखता रहता और शायद धीरे-धीरे इस बात का अंदाजा आंटी को भी लग गया था कि में उनके जिस्म को घूरता रहता हूँ।
फिर वो भी अब कभी कभी अपने पल्लू को जानबूझ कर गिरा देती और गहरे गले के ब्लाउज से गोल गोल बूब्स दिख जाते, लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि आंटी सेक्सी तरीके से कपड़े पहनती थी, जैसे कि जालीदार गहरे गले के ब्लाउज, जालीदार ब्लाउज से उनकी ब्रा भी साफ साफ दिखती थी और उनकी साड़ी भी नाभि से बहुत नीचे हुआ करती थी और में उनके अंग अंग का दीवाना था। उनके रसीले होंठ, मदमस्त कर देने वाले बूब्स, नाभि, गांड और वो सब कुछ जो उनमे मौजूद था, वो मेरी रातो की रानी थी और में जब भी मुठ मारा करता था तो में उन्ही के बारे में सोचता था और में किस्मत वाला था कि मुझे रोमा आंटी के घर में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उनके पति जब ऑफिस चले जाते थे, तब वो घर पर अकेले हुआ करती थी और ऐसे में जब मेरी उनसे मुलाकात हो जाती, तब में मौके का फ़ायदा उठाकर बहुत देर बातें करता था। उन पर क्या जवानी छाई हुई थी? 36 की उम्र होने के बाद भी वो एक सेक्स बम थी। मेरा लंड हर रोज उनके बारे में सोच सोचकर पानी छोड़ दिया करता था।
फिर एक बार मेरे माता-पिता दस दिन के लिए हमारे एक करीबी रिश्तेदार के घर दूसरे शहर गये हुए थे और मुझे खाना बनाना नहीं आता था, इसलिए आंटी ने कहा कि में उन्ही के घर पर खाना खा लिया करूँ। फिर में उनकी यह बात सुनकर बहुत खुश था और वैसे भी इतना अच्छा मौका कौन गँवाना चाहेगा, तो में 8 बजे उनके घर जाता था और खाना खाने के बाद वापस अपने कमरे में चला आता था, उस वक़्त तक अंकल भी घर पर ही होते थे और फिर दो दिन बाद अंकल की कंपनी ने उनको मीटिंग के लिए दिल्ली भेज दिया और अब आंटी घर पर बिल्कुल अकेली हो गयी। फिर में उस रात को भी हर रात की तरह 8 बजे आंटी के घर पहुँचा, आंटी ने दरवाज़ा खोला और हर बार की तरह वो सेक्सी गहरे गले का ब्लाउज और जालीदार साड़ी में थी और में उस गहरे गले के ब्लाउज में से उनके सुंदर बूब्स को निहार रहा था, वो जब मूड कर जाती तो में उनके जालीदार ब्लाउज से उनकी काली ब्रा और पीठ को देखता, दोस्तों वाह क्या जिस्म था और मेरा तो मन कर रहा था कि उन्हे पकड़ लूँ और पूरे बदन को बारी बारी से चूमूं और उनकी गांड भी एकदम भरी पूरी थी और में सोचता था कि ऐसी गांड को मारने में कितना मज़ा आएगा, लेकिन आज तक मैंने किसी लड़की को नहीं चोदा था, इसलिए में इन सब बातों को केवल सोचता ही था। फिर मुझे आंटी बहुत खुश नज़र आ रही थी, शायद उनको भी मेरे दिल की इच्छा का पता चल गया था और वो भी मेरे साथ बैठकर खाना खाने लगी और फिर खाना खाते-खाते अचानक से उनका पल्लू नीचे सरक गया और मुझे उनके बड़े-बड़े बूब्स दिखने लगे और में तिरछी नजर से उनको देखता रहा, आंटी को भी मज़ा आ रहा था और उन्होंने पल्लू को नीचे गिराकर छोड़ दिया। फिर वो कहने लगी कि मुझे यह साड़ी बहुत परेशान करती है, मेरा तो जी करता है कि में इसे उतार दूँ। एक तो इतनी ज़्यादा गर्मी और ऊपर से यह साड़ी, यह कहते हुए उन्होंने साड़ी को निकाल दिया और अब वो ठीक मेरे सामने सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में थी और हमेशा की तरह उनका पेटीकोट नाभि से बहुत नीचे था और आंटी अब मुझ पर ज़ुल्म ढा रही थी, क्योंकि उनका अधनंगा जिस्म मेरी आँखों के सामने था और फिर आंटी अब दोबारा से खाना खाने बैठ गयी। फिर खाना खा लेने के कुछ देर बाद वो मुझसे बोली कि बंटी मुझे रात को अकेले में डर लगता है तो जब तक तुम्हारे अंकल नहीं आ जाते, तुम मेरे घर पर ही रात को रुक जाया करो। फिर में उनकी यह बात सुनकर मन ही मन खुशी से झूम उठा और में अपनी कुछ किताबें आंटी के घर ले आया और में सोच रहा था कि शायद मुझे दूसरे कमरे में सोना होगा और इसलिए मैंने किताबों को आंटी के रूम में ना रखकर पास वाले कमरे में रख दिया।
फिर आंटी ने कहा कि क्यों बंटी मेरे साथ सोने में तुम्हे क्या कोई आपत्ति है? प्लीज तुम मेरे साथ ही सो जाओ ना, तुम अपनी पढ़ाई करना और में भी वहीं सो जाऊंगी और जब तुम्हारा जी चाहे तो तुम भी वहीं सो जाना। फिर में आंटी के पास में सोने के ख्याल से बिल्कुल पागल हो रहा था, क्योंकि मैंने आज तक जिससे केवल बात की थी, मुझे आज उनके साथ सोने का मौका भी मिल रहा था और उस समय गर्मी बहुत ज़्यादा थी, इसलिए आंटी ने मुझसे कहा कि बंटी तुम अपनी शर्ट उतार दो। तुम इतनी गर्मी में केवल पेंट में भी रह सकते हो और में तो सोते वक़्त ब्लाउज भी नहीं पहनती, केवल ब्रा और पेटीकोट ही पहनती हूँ। फिर अचानक से आंटी के मुँह से ब्राजैसे शब्द सुनकर में बहुत रोमांचित हो गया और फिर क्या था, वो अपना ब्लाउज खोलने लगी और वो जैसे जैसे हुक खोलती जाती और उनके उभरे हुए बूब्स बाहर आ जाते। फिर आख़िर में उन्होंने ब्लाउज खोल दिया और उसे एक तरफ फेंक दिया, ज़ालिम आंटी के बड़े बड़े कसे हुए बूब्स उस काली ब्रा में दबे हुए थे, उन्हे देखकर मेरा मन कर रहा था कि उनके बूब्स को मसल दूँ और जीभ से चाट लूँ और चूस लूँ, लेकिन मुझे संयम बनाए रखना था।
फिर जैसे तैसे मैंने पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरू किया और थोड़ी ही देर बाद आंटी बोली कि बंटी मेरी कमर में दर्द हो रहा है, अगर तुम बुरा ना मानो तो तेल से इसकी मालिश कर दो? तो यह बात सुनकर मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा। फिर मैंने लंड को ठीक किया और आंटी के करीब पहुँच गया। फिर आंटी बोली कि तुम बुरा मत मानना, में तुमसे मालिश करवा रहीं हूँ, क्या करें दर्द इतना ज़्यादा हो गया है। फिर मैंने कहा कि इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है, आपको जो भी काम हो करवाना है करवा लीजिए, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। फिर क्या था? मैंने आंटी की कमर की मालिश शुरू कर दी और उनके मक्खन की तरह कोमल बदन पर मेरे हाथ घूमने लगे और मेरा लंड खड़ा होने लगा। फिर मैंने आंटी के शरीर को हाथ लगाते ही वो बोली हाँ कितना अच्छा लग रहा है, मेरे बदन की थकान जैसे कि तुमने खत्म कर दी। फिर वो बोली कि थोड़ा और नीचे दबाना और मेरे पेटीकोट को भी उतार दो। इससे तुम्हे मालिश करने में आसानी होगी और मुझे भी आराम मिलेगा। दोस्तों मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था, इसलिए मैंने कुछ नहीं किया तो इस पर आंटी बोली कि सोच क्या रहे हो पेटीकोट को उतार दो और फिर दोबारा ऐसा सुनते ही मैंने पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और उसे नीचे सरका दिया। फिर आंटी की गोरी और गोल-गोल गांड मेरी आँखों के सामने थी और मैंने उनकी गांड के आस पास मालिश शुरू कर दी और में उनकी गांड को धीरे-धीरे मसल रहा था और आंटी भी सिसकियाँ ले रही थी, उन्हे भी बहुत मज़ा आ रहा था। फिर वो बोली कि ज़रा ज़ोर से मसलो ना, दर्द बहुत ज़्यादा है और आज तुम्हे ही मेरे जिस्म के दर्द को खत्म करना है। फिर मैंने ज़ोर ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया और अब मुझे भी ऐसा करने से बहुत मज़ा आ रहा था और मेरा लंड जो सांप की तरह खड़ा था, उनके पैर में रगड़ रहा था। फिर आंटी बिल्कुल नासमझ बनते हुए बोली कि यह क्या है मेरे पैरों के पास? तो मैंने कहा कि आंटी यह मेरा लंड है, तो इस पर आंटी ने कहा कि अपना लंड अपनी आंटी को नहीं दिखाओगे और एक बार जी भरकर में भी तो देखूं कि मेरे बंटी का लंड कैसा है? और यह कहते हुए वो एकदम उठ गयी। दोस्तों आंटी ने पेटीकोट के नीचे पेंटी नहीं पहनी हुई थी, इसलिए उनकी चूत उनके झांटो के बीच से साफ साफ दिखाई दे रही थी।
फिर आंटी ने मेरी पेंट को खोल दिया और अब में केवल अंडरवियर में था और फिर उन्होंने मेरी अंडरवियर को पकड़ा और उसे भी नीचे कर दिया। मेरा लंड पूरी तरह से तनकर खड़ा हुआ था और उनकी चूत को सलामी दे रहा था। फिर मेरे खडे लंड को देखकर आंटी बोली कि बाप रे तुम्हारा लंड कितना बड़ा है और यह तो एकदम तनकर खड़ा है और क्या अपनी आंटी के जिस्म को देखकर तुम भी बेताब हो गये? क्यों बंटी क्या कभी किसी लड़की को चोदा है? और इस 8 इंच के लंड का क्या फ़ायदा? अगर इसे इस्तेमाल ही ना किया हो और ऐसा कहते ही आंटी उसे अपने मस्त होठों से चूम लिया। फिर मेरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गयी। फिर आंटी ने धीरे से कहा कि क्या तुम मुझे चोदोगे? और अब वैसे भी इस लंड का इस्तेमाल होना चाहिए ना, क्योंकि ऐसे लंड को देखकर मेरी भी जवानी भड़क उठी है और आज सारी रात हम लोग चुदाई करते हुए बिताएँगे, क्यों बोलो चोदोगे ना अपनी आंटी को। फिर में आंटी की यह बात सुनकर एकदम खुशी से झूम उठा और मैंने थोड़ा घबराते हुए कहा कि क्यों नहीं। फिर आंटी बोली कि आज की रात मेरी जवानी तुम्हारे नाम हुई बंटी तुम आज जितना चाहो इसके मज़े ले लो, में तुमसे कुछ भी नहीं बोलूँगी। दोस्तों ये कहानी आप फन मज़ा मस्ती पर पड़ रहे है।
फिर आंटी एकदम उठ खड़ी हुई, वो सिर्फ़ काले कलर की ब्रा में मेरे सामने खड़ी हुई थी और उनका अधनंगा जिस्म, सुडोल शरीर, मदमस्त चूत, सुंदर बूब्स और गुलाबी रसीले होंठ यह सब आज रात मेरे थे। दोस्तों मेरी तो जैसे आज लॉटरी लग गयी थी। फिर आंटी बोली कि आजा बंटी मेरे पास आ और मुझे मेरी ब्रा खोलकर नंगा कर दे और आज की रात हमारे बीच कोई दूरी ना रहे। फिर में उनकी तरफ बढ़ा और वो घूम गयी, में उनसे बिल्कुल चिपका हुआ था। फिर मैंने काँपते हुए हाथों से ब्रा का हुक एक एक करके खोल दिया और इसके बाद मैंने आंटी के कंधे से ब्रा की डोरी को नीचे कर दिया और ब्रा को उतार कर फेंक दिया और अब आंटी पूरी तरह से नंगी थी। फिर मैंने आंटी को बेड पर लेटा दिया और उनके रसीले होठों को अपने होठों के बीच दबाकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा, इससे आंटी भी जोश में आ गयी और उल्टा उन्होंने मुझे नीचे कर दिया और मेरे ऊपर चढ़ गयी और मेरे होठों को चूसने लगी। आंटी ने अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया और अंदर तक घुमाने लगी और अब हम दोनों एक दूसरे के मुँह को अपनी जीभ से चूसे रहे थे।
दोस्तों आंटी के क्या रसीले होंठ थे? मुझे ऐसा लग रहा था कि हम लोग एक दूसरे के होठों के रस को चूस डालेंगे, तो आंटी के बाल मेरे चेहरे पर बिखरे हुए थे और वो मेरे मुँह को अपनी जीभ से चूसे जा रही थी और इसके बाद मैंने उनके बूब्स को मसलना शुरू किया, वाह क्या मुलायम बूब्स थे आंटी के, साली ने क्या जिस्म पाया था। ऐसे जिस्म को तो मन करता है कि में चोदता ही रहूँ, में अपने दोनों हाथों से आंटी के बूब्स को मसल रहा था। फिर आंटी जोश में आ गयी और बोली कि मेरे राजा और ज़ोर से मसलो, जितना मसलोगे मुझे उतना ही मज़ा आएगा, हाँ ले लो इनको अपने मुँह में और पी लो इनका रस और यह कहते हुए आंटी ने मेरे सर को पकड़कर अपने बूब्स पर दबा दिया। फिर मैंने भी उनके बूब्स को मुँह में ले लिया और छप छप की आवाज़ से चूसना शुरू कर दिया। अपनी जीभ से उनके निप्पल को चाटा और उनके निप्पल एकदम खड़े थे और अब आंटी सिसकियाँ लेने लगी और उनकी सिसकियों की आवाज़ पूरे कमरे में भर गयी और आंटी की सिसकियों की आवाज़ से माहौल और भी गरम हो रहा था।
फिर वो बोलने लगी कि हाँ एक एक करके दोनों को चूस लो और मेरे यह बूब्स तुम्हारे होठों के लिए तरस रहे है, प्लीज आज अपनी आंटी को खुश कर दो और फिर में जोश में आकर और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा और बीच बीच में अपने दातों से उन्हे दबा भी देता था। फिर आंटी बोल उठती अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्हह्ह थोड़ा धीरे तू बड़ा ज़ालिम है, लेकिन सच पूछो तो ऐसे दातों के बीच जब तुम मेरे बूब्स को दबाते हो तो मेरी कामुकता और भड़क उठती है और अब मुझसे नहीं रहा जाएगा, चल बंटी अब मेरी चूत को चोदने को तैयार हो जा और यह कहकर आंटी ने अपने दोनों पैर फैला दिए और एकदम चित हो गयी। फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और उसके ऊपर से चमड़ी को नीचे कर दिया और बोली कि चल बंटी घुसा दे अपने लंड को मेरी चूत में और घपाघप मेरी चूत मारना शुरू कर दे। एक हाथ से आंटी ने मेरे लंड को पकड़ा और फिर अपनी चूत में घुसा दिया और आंटी एकदम दर्द से कराह उठी उूउफफफ्फ़ माँ आई मर गयी उह्ह्ह अह्ह्ह्ह इतना मोटा लंड मेरी चूत में डलवाने से मेरी चूत फट जाएगी, अह्ह्हहह सच बंटी तू बड़ा ज़ालिम है और आज तूने अह्ह्ह्हह्ह् आईईईईईई मुझे बहुत खुश कर दिया और मैंने जरा भी नहीं सोचा था कि एक 18 साल का लड़का एक 36 साल की औरत को इतनी अच्छी तरह से चोद सकता है और आज से मेरी जवानी तुम्हारी गुलाम हो गयी है, बस आज से दस दिन और दस रातें केवल मेरी चुदाई होगी और में तुझसे इतना चुदवाउंगी कि मेरी चूत फट जाए।
फिर में उनकी यह बात सुनकर जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर आंटी की चूत को चोदने लगा। आंटी भी अपनी गांड को उठा उठाकर धक्के मार रही थी और हम दोनों एक जिस्म हो गये, कभी में आंटी के ऊपर होता तो कभी आंटी मुझे नीचे कर देती और वो मुझे लगातार चूमे जा रही थी और जोश में वो काँप रही थी और हम जिस बेड पर हम चुदाई कर रहे थे, वो भी अब ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था और पूरे कमरे में बेड की चूं चूं की आवाज़ और आंटी के सिसकियों की आवाज़ गूँज रही थी, लेकिन हम दोनों चुदाई में मस्त थे। फिर ज़ोर ज़ोर से धक्के देक़र घपाघप उनकी चूत मार रहा था, घर्षण से कुछ तकलीफ़ भी हो रही थी। तभी आंटी ने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाल लिया और फिर उसे मुँह में लेकर अपनी जीभ से चाटकर अपना थूक लगा दिया और अब आंटी बोली कि ले बंटी तेरे लंड पर मैंने अपना थूक लगा दिया। तुझे अब चोदने में और भी मज़ा आएगा और अब तुम्हारा लंड आसानी से अंदर बाहर हो जाएगा, चल अब फिर से शुरू हो जा चोद दे मुझे और फाड़ दे मेरी चूत।
मैंने अपना लंड फिर से आंटी की चूत में घुसा दिया, लेकिन इस बार वो बहुत आसानी से फिसलता हुआ अंदर घुस गया और फिर से मेरी और आंटी की चुदाई शुरू हो गयी, लेकिन अब हम और भी जोश में आ गए थे। आंटी अपनी गांड को उठा उठाकर मुझे नीचे से धक्के दे रही थी और इसके बाद उन्होंने मुझे नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर आ गयी। दोस्तों आंटी और में वासना के आग में जल रहे थे, मेरा लंड आंटी की चूत में घुसा हुआ था और आंटी अपनी गांड को ऊपर नीचे कर रही थी और सिसकियाँ ले रही थी, हाँ बंटी अह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह्हह्ह्ह्हह् तेरा लंड और मेरी चूत आईईईईईइ अब ऐसे ही मज़ा करेगी, तू अपनी पढ़ाई को तो कुछ दिनों के लिए भूल जा, क्योंकि ऐसा मौका बार बार नहीं आएगा। फिर जब आंटी मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे चुदवा रही थी तो हमारे ज़ोरदार झटके से उनके बूब्स उछल रहे थे, वाह क्या नज़ारा था। फिर मैंने कहा कि जानती हो आंटी में जब भी हस्तमैथुन करता था तो आपके बारे में ही सोचता था और आप मेरे रातों की रानी थी, लेकिन आज मेरा सपना सच हो गया है और पढ़ाई तो बाद में भी हो जाएगी, लेकिन ऐसा मौका नहीं मिल पाएगा और इन दस दिनों तक में अपनी सारी दिल की तमन्ना पूरी करूँगा, बोलो क्या मेरा साथ दोगी ना?
फिर आंटी बोली कि मेरे जानेमन यह चूत अब तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी है और अब तुम जैसे चाहो वैसे मुझे चोदो, तो यह बात करते करते हम दोनों चुदाई करते रहे और पलंग ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था, आंटी मुझे अपने दातों से धीरे-धीरे काट भी रही थी। फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी मुझे लगता है कि मेरा लंड अब झड़ने वाला है, बताओ कहाँ पर निकालूं? लेकिन आंटी ध्यान दिए चुदवा रही थी और आख़िर में मेरा लंड झड़ गया और अब तक एक बार आंटी की चूत भी अपना पानी छोड़ चुकी थी। फिर मैंने अपना लंड आंटी की चूत से बाहर निकाल लिया और हम दोनों लेट गये और हम दोनों इस चुदाई से बहुत खुश थे। फिर थोड़ी देर बाद हमारी वासना फिर से जाग उठी। आंटी बोली कि बंटी थोड़ा नीचे हो जाओ, लेकिन में समझ नहीं पा रहा था कि आंटी मुझसे नीचे होने को क्यों कह रही हैं। फिर आंटी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया और में मस्ती में आ गया। फिर वो बोली कि कैसा लग रहा है लंड चुसवाना? और मेरा जी चाहता है कि में तुम्हारे लंड को इसी तरह चूसती रहूँ। फिर उनके नाज़ुक होंठ और जीभ मेरे लंड का मज़ा ले रहे थे और वो कह रही थी, हाँ और चोदो राजा, हाँ और मेरे मुँह को और ज़ोर से। फिर मैंने आंटी के सर को पकड़ लिया और अपने लंड को मुहं के अंदर बाहर करने लगा।
तभी थोड़ी देर में आंटी इतना गरम हो गयी कि वो ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड को चाटने लगी और धक्के दे देकर मुहं में लंड लेने लगी और में थोड़ी देर में फिर से एक बार और झड़ गया और मेरे लंड का पूरा पानी आंटी के मुहं में चला गया और आंटी ने उसे पी लिया, लेकिन आंटी अब भी वासना की आग में जल रही थी और फिर उन्होंने मुझे पलट दिया और गांड के छेद को भी चाटने लगी और वो बोली कि चल बंटी में आज तुझे अपनी चूत का स्वाद चखाती हूँ और में आज तुझसे अपनी चूत चटवाऊँगी। आंटी ने अपने दोनों पैरों को फैला दिया और मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया, वाह आंटी की चूत की क्या खुश्बू थी। फिर मैंने उनकी झांटो को जीभ से चाटना शुरू कर दिया, आंटी की झाँटे गीली हो गयी। फिर मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत में घुसा दिया और अंदर तक घुसाकर चाटने लगा, आंटी को बहुत मज़ा आ रहा था और मैंने अपनी जीभ से आंटी की गांड को भी चाटना शुरू कर दिया और उनकी गांड पर जैसे ही मेरी जीभ लगी, आंटी के बदन में बिजली सी दौड़ गयी और वो बोल पड़ी वाह बंटी तू बहुत तेज़ है, औरत को सबसे ज्यादा उत्तेजित करने वाले हिस्से को तुमने छू दिया है और हाँ चाट चाट और चाट, मेरा पानी झड़ने वाला है, अपने मुँह को और करीब ला, में मेरा सारा चूत रस तुम्हारे मुँह में दे दूँ और कुछ देर के बाद आंटी झड़ गयी और मैंने उनका चूत रस पी लिया और रात भर की चुदाई से वक़्त बीतने का पता नहीं चला और सुबह के 7:00 बज गये और रात के 11:30 बजे शुरू हुई हमारी चुदाई सुबह के 7:00 बजे तक चलती रही और आंटी मुझसे दिल खोलकर चुदती रही और मैंने भी अपने दिल की सारी भड़ास निकाल ली। फिर आंटी ने कहा कि थोड़ी देर के लिए हमे चुदाई को रोकना होगा, क्योंकि अभी दूधवाला और कामवाली भी आती ही होगी और उनके जाने के बाद हम अपनी कामक्रीड़ा दोबारा से शुरू करेंगे और में आज तो दिन में भी तुमसे चुदवाउंगी मेरे जानू, क्योंकि तुमने मेरी चूत पर अपने लंड का नशा चड़ा दिया है और अब तो मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए फड़क रही है। फिर मैंने कहा कि मेरी रानी अगर इतनी ही आग है तो क्यों ना चलो हम फिर शुरू हो जायें तो आंटी बोली कि अभी नहीं, लेकिन मुझ पर यकीन करो 9:00 बजे के बाद जब कोई नहीं आएगा तो में तुम्हे दोबारा मज़ा दूँगी।
फिर ऐसा ही हुआ, जैसा कि आंटी ने कहा था और जब 9:00 बजे के बाद सारे लोग चले गये, आंटी कमरे में आई और उन्होंने जालीदार मेक्सी पहन रखी थी, लेकिन उन्होंने उसके अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था, इसलिए उनकी चूत, गांड और बूब्स साफ साफ दिख रहे थे और में तो एकदम नंगा बिस्तर पर लेटा हुआ था। फिर आंटी ने मेरा लंड पकड़ लिया और चूसने, चाटने लगी और फिर वो बोली कि चलो बंटी हम दोनों साथ में नहाते हैं, में तुम्हारे बदन को मसलूंगी और तुम मेरे जिस्म को रगड़ना और यह कहकर उन्होंने अपनी मेक्सी को खोल दिया। फिर हम दोनों बाथरूम में घुस गये, पानी चालू करके हमने नहाना शुरू किया और मैंने साबुन लेकर आंटी के मखमली बदन में लगाना शुरू किया और अपनी एक उंगली को चूत में डाल दिया और उंगली से चूत चोदने लगा। फिर आंटी उत्तेजित हो गयी और उन्होंने मुझे ज़मीन पर गिरा दिया और मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत में डाल दिया और में बाथरूम में आंटी को चोदने लगा और में ज़ोरदार धक्के दे रहा था और आंटी गांड उठाकर और तेज़ धक्के दे रही थी, लेकिन आंटी बहुत ही कामुक थी और उस वासना की आग में हम दोनों जल रहे थे और हमें ऐसा लग रहा था कि 10 रात और 10 दिन केवल चुदाई में बीत जाएगी। दोस्तों हमारी बाथरूम की चुदाई थोड़े देर में खत्म तो हो गई, लेकिन 15 मिनट बाद हमारी दूसरी चुदाई फिर से शुरू हो गयी और हम लोग 24 घंटे में 12 घंटे तक लगातार चुदाई करते रहे, लेकिन दोस्तों मुझे आंटी की वो चुदाई हमेशा याद रहेगी ।।
















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