Wednesday, November 18, 2015

FUN-MAZA-MASTI तुम्हें भी लेनी है क्या???

FUN-MAZA-MASTI

तुम्हें  भी लेनी है क्या???



मेरा नाम कविता है मैं अपनी पहली कहानी फन मज़ा मस्ती पर पोस्ट कर रही हु आशा है आप लोगो को पसंद आएगी
मेरा फिगर 34 28 36  है.

बात उस समय की है जब मैं अपने चचेरे भाई अंकित की शादी में बैंगलोर गयी थी |

जैसे ही हम लोग अंकित के घर पहुचे एक लड़के से मेरी टक्कर हो गयी| वो मुझे देख कर मुस्करा दिया|

मुझे बहुत गुस्सा आया क्योकि उसने जानबूझ कर धक्का मारा था |

मैंने अंकित को बताया तो उसने कहा कविता यार तेरी तो निकल पड़ी वो मेरा दोस्त रोहन है वो एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर है |
मैं-तो मैं क्या करू होगा तो अपने लिए होगा|

अंकित-उसकी सैलरी २० लाख वार्षिक है|

मेरी आंखे फटी रह गयी मैंने मैंने मन में सोचा तब तो अच्छा लड़का है अगर ये मुझेसे पट जाये तो मेरी किस्मत बदल जाएगी और मैं उसको पटाने के बारे में सोचने लगी.....

अंकित-कहा खो गयी .......

मैं-कही नहीं यार वो मैं सोच रही थी की शादी के लिए मुझे कुछ कपडे लेने थे तो मुझे बाजार जाना था |क्या तुम मुझे बाजार ले चलोगे ..............

मैंने अंकित से कह तो दिया लेकिन मेरा मन  तो रोहन के साथ जाने के लिए कर रहा था........
अंकित-अरे यार मैं थोडा व्यस्त हु तुम रोहन के साथ क्यों नहीं चली जाती,उसके साथ जाने से तुम लोगो एक दुसरे को अच्छे से जान  लोगे...
मैंने हा कर दी .........
अंकित ने रोहन को बुलाया और मेरे साथ जाने के लिए कहा ....रोहन भी ख़ुशी -ख़ुशी राजी हो गया.

अंकित ने रोहन को बाइक की चाभी दी और हम बाजार के लिए चल दिए....

मैं रोहन से चिपक कर बैठ गयी ताकि मेरी चुचियाँ उसकी पीठ से दबती रहे.

रोहन भी जानबूझ कर बार-बार ब्रेक मार रहा था |जिससे मेरी चुचियाँ बार -बार उसकी पीठ से दब रही थी |

मैंने अपना मुह उसकी गर्दन के पास कर किया अब मेरी गर्म सांसे उसके गर्दन पे महसूस हो रही थी |

थोड़ी ही देर में हम बाजार पहुच गए|

मैं एक अच्छे से गारमेंट स्टोर में गयी |

मैंने एक अच्छा सा  लंहगा लिया और दो सूट लिए...
 मैं रोहन से बोली की मुझे कुछ और कपडे खरीदने है क्या तुम थोड़ी देर के लिए बहार जाओगे|
रोहन-क्यों मेरे रहने में क्या बुराई है|
मैं-नहीं तुम मेरे साथ नहीं रह सकते क्यों की जो कपडे मैं अब लेने जा रही हु वो तुम नहीं देख सकते ...............

रोहन-ऐसे कौनसे कपडे है जो मैं नहीं देख सकता .......................

मैं यही चाहती थी की वो मेरे मुह से ब्रा और पैंटी का नाम निकलवाए ............

मैं-ब्रा और पैंटी लेनी है ...
रोहन -क्यों दूकान वाले के सामने ले सकती हो और मेरे सामने नहीं .......

मैं-अच्छा बाबा चलो .....

मैंने दुकानदार से ब्रा और पैंटी निकलने के लिए बोली  ........

रोहन बार बार ब्रा और पैंटी अपने हाथ में लेकर देख रहा था
मैं-तुन्हें भी लेनी है क्या???
रोहन-हा लेना है ना तुम्हारे लिए
मैं-तो ठीक  है तुम ही लेकर दे दो ........

और उसने मुझे दो ब्रा एक लाल और एक गुलाबी और उसी कलर की दो पैंटी खरीदी...

और हम बाइक से घर की तरफ चल दिए .............

इस बार मैं रोहन से बहुत  चिपक कर बैठी थी और चुचियों से उसकी पीठ रगड़ रही थी ...

थोड़ी देर बाद हम घर पहुच गए और मैं कपडे लेकर जाने लगी तभी रोहन ने मुझे रोका और बोला की मुझे कपडे पहन के नहीं दिखाओगी ...
मैंने कहा "क्यों नहीं ..आओ मेरे साथ... "

और वो मेरे पीछे पीछे चल दिया....
मैं अपने कमरे में पहुच कर बाथरूम की तरफ जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा की यही मेरे सामने पहनों .......

मैंने कहा "मुझे सर्म आती है मैं तुम्हारे सामने कैसे पहन सकती हूँ ...........

उसने कहा "मैं आँखे बंद कर लेता हूँ ........"

मैंने "कहा ठीक है ,पर जबतक मै न कहूँ  आंखे मत खोलना "

उसने हामी भर दी और अपनी दोनों आँखों को अपने हाथों से ढक लिया ...

वैसे तो मैं काफी मर्दों के सामने नंगी हो चुकी हूँ पर इस बार एक अलग सी  चुदास मेरे मन में जग रही थी ..

मैं ये जान रही थी की वो अपनी उगलियों के छेद से मुझे देख रहा है और सच बताऊँ तो मैं भी यही चाहती थी की मेरे बदन को देखकर उसका लंड खड़ा हो ..

मैं अपनी स्कर्ट को पकड़कर निकल दिया और मेरे 34 की चूचियां उसके सामने थी मैंने उस समय सफ़ेद रंग की जालीदार ब्रा पहनी थी ...

मैंने देर न करते हुए अपनी ब्रा का हुक भी खोल दिया  और अपने कबूतरों को आजाद कर दिया ....

इन सब का असर उसके लंड पर साफ पता चल रहा था क्योकि उसके जींस का लंड वाला भाग फूल रहा था ...

मैं उसे और तडपाने के लिए अपनी चुचियों को अपने हाथों से  दबाने लगी और निप्पल को पकड़कर ऐठने लगी ............

पर सच बताऊँ तो मेरी चूत भी अब गीली होने लगी थी ..............

अब मेरी जींस के उतरने की बारी थी...........

मैंने जींस की बटन खोली और उसे उतार के बगल कर दिया ........

और ये क्या मैंने तो आज पैंटी ही नहीं पहनी थी......मेरी चूत से पानी टपकने लगा...

रोहन से भी रहा नहीं गया और उसने मेरी चूचियां जोर से पकड़ी और मेरे होठों मेर होंठ रखकर चूसने लगा.........

वो लपालप मेरे होठों को चूस रहा था और जोर जोर से मेरी चूचियां दबा रहा था ...मुझे ऐसा लग रहा था मेरी तो पेशाब ही निकल जाएगी ...

मेरी चूत से टप टप करके रस निकल रहा था और फर्श पे गिर रहा था ...

अब उसने अपना एक हाथ मेरी चूचियों से हटाकर मेरी चूत पे रख  दिया और मेरी चूत को जोर जोर से रगड़ने लगा......

आज पहली बार मेरी चूत इतना पानी छोड रही थी लग रहा था किसी ने मेरी चूत का नल खोल दिया हो........

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैंने अपनी जीभ उसके मुह में डालकर उसकी जीब चूसने लगी ....

मुझे रोहन की जीभ बहुत ही रसीली लग रही थी...

अब उसने अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा..............

अब मेरा धर्य खोने लगा और मेरा पूरा सरीर ऐठने लगा....

आखिर मैं बेचारी कितनी देर तक अपने आप को रोकती...मैं उससे लिपट कर अपने आप को झाड़ दिया....

झड़ने के बाद मैं कुछ देर तक रोहन से चिपकी रही और उसके होंठों को चूसती रही ...

उसका लंड मेरी मेरी नाभि में चुभ रहा था ..

मैंने सोचा अब रोहन को भी कुछ मजा देना चाहिए और मैंने अपने हाथों से उसकी जींस खोल दी और उसका लंड बाहर निकाल लिया ....

क्या मस्त लंड था उसको देखकर मेरी चूत की खुजली फिर से सुरु हो गयी ....

उसके लंड की लम्बाई लगभग 8 इंच  और मोटाई लगभग 3 इंच होगी....

उसके लंड का सुपाडा एकदम फुला हुआ था और उसके मुहाने पर थोडा सा वीर्य निकला हुआ था जिससे पता चल रहा था की वो चुदाई के लिए कितना बेक़रार है ...

मैंने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में दबाकर आगे पीछे करने लगी और वो आंखे बंद करके आहें भरने लगा...

कुछ देर तक मैं ऐसे ही मुठ मारती रही और वो आंखे बंद करके मजे लेते रहा ...

फिर उसने मुझसे कहा "प्लीज मेरे लंड को मुह में लेकर चूसो "

मैं भी कब से यही चाह रही थी और उसने मेरी मुराद पूरी कर दी .

मैं तुरंत बैठ गयी और उसके लंड को बैठ कर लंड को मुह में लेकर चूसने लगी.........

मैंने उसके लंड को चमड़ी को पीछे करके उसके सुपाडे को चूसने लगी....

अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था और उसने मेरे सर को पीछे से पकड़कर मेरे मुह में अपना लंड पेलने लगा ...

वो अपना लंड मेरे गले तक ले जा रहा था और मैं भी गु गू  कर के अपने मुह को पेलवा रही थी ...

तभी वो बोला मैं झड़ने वाला हूँ अपना माल तुम्हारे मुह में निकालना चाहता हूँ ....

मैं कुछ नहीं बोली लेकिन उसके लंड को बुरी तरह से अपने होठों से जकड लिया ......

अब उसने अपने झटके और तेज कर दिए ....

मेरे होठों से दबे होने के कारण उसे बहुत मजा आ  रहा था ....

अब वो अकड़ने लगा और आखिर उसने मेरे मुह में अपना लावा छोड़ ही दिया....

उसके वीर्य की धर इतनी तेज थी की उसका वीर्य सीधे मेरे गले के अन्दर जा रहा था....

उसका वीर्य बहुत ही गर्म और नमकीन था ....

मैंने उसके लंड को चाट कर साफ किया .....

अब मेरी चूत में फिर से आग लग गयी थी और मैं चुदने के लिए बेक़रार थी पर क्या करती उसका लंड तो सिकुड़ गया था ....

अब मैं खड़ी हो गयी और एक बार फिर उसके होठों को चूसने लगी ....

मैं अपने हाथ से उसके लंड को आगे पीछे कर रही थी यह देखकर उसने भी अपनी उंगली मेरी पनियाई चूत में डाल दी और आगे पीछे करने लगा ....

उसका लंड अब फिर से खड़ा होने लगा था ...

 










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