FUN-MAZA-MASTI
मैं आपकी स्टूडेंट हू...
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम ऋतु है| ये मेरी पहली कहानी है|
मै उत्तर प्रदेश के छोटे से गाव की रहने वाली हूँ|गाव का नाम मैं नही लिख सकती क्युकि ये वाक्तिगत है|
मैं १८ साल की हूँ|मेरा फिगर ३२ २८ ३४ है|मैं बहुत कामुक लड़की हूँ|मेरे अंदर वासना कूट-कूट कर भरी है|
ये कहानी तब की है है जब मैं हाइस्कूल में पढ़ती थी|मेरा स्कूल घर से ५ किलोमीटर दूर था|मैं रोज साइकल से स्कूल आती थी|वैसे तो रोज कोई ना कोई मेरी चुचियो पे लाइन मारता था|पर मैं किसी को भाव नही देती थी|
एक दिन मैं घर से आ रही थी की अचानक मेरा दुपट्टा साइकल मे फस गया|मैने काफ़ी कोसिश की पर वो इतनी बुरी तरह फस गया था की निकलने का नाम नही ले रहा था|
तभी मेरे मैथ वाले सर उधर से जा रहे थे|मुझे देख कर वो रुक गये और और मेरा दुपट्टा निकालने मे मदद करने लगे|
दुपट्टा निकालते समय वो बार बार मेरी चुचियों को देखते और मुस्करा देते,क्योकि उस समय मेरा दुपट्टा मेरी चुचियों पे नही था इसलिए मुझे बहुत लज्जा आ रही थी|
काफ़ी मेहनत के बाद सर ने मेरा दुपट्टा निकाला|अब वो लगातार मेरी चुचियों को निहार रहे थे,तभी मेरी नज़र उनके लंड
पर पड़ी जो पैंट मे तनकर तंबू हो गया था|
मैने सर का धन्यवाद किया और स्कूल के लिए चली गयी|
आज स्कूल मे मेरा मन नही लग रहा था,क्युकि मैं सर के तंबू के बारे मे सोच रही थी|
मेरे पापा मुंबई मे रहते है,वो घर बहुत कम आते है|घर पे अक्सर मैं मेरा छोटा भाई और मा रहते हैं| मेरी मा की उमर ३५ साल है|
टीचर्स डे पर मेरे स्कूल वालो ने सभी अभिभावको को स्कूल मे बुलाया था|उस समय मेरे पापा घर पर ही थे तो मैने उन्हे स्कूल चलने को कहा तो पापा मान गये मैं आज बहुत खुस थी क्योकि आज पापा पहली बार मेरे स्कूल आ रहे थे|
पापा-ऋतु बेटा तुम स्कूल चलो मैं थोड़ा बैंक का काम करके सीधे स्कूल पहुचता हू|
मैं स्कूल पहुची उसके थोड़ी देर बाद ही पापा भी पहुचे|तभी मैने देखा की पापा मैथ वाले सर से बात कर रहे थे|
उसके बाद प्रोग्राम सुरू हो गया|प्रोग्राम ख़तम होने के बाद मेरे पापा ने मुझे बुलाया|
पापा-ऋतु बेटा ये मेरे बचपन के दोस्त है|...
मैने सर की तरफ देखा और मुस्करा दी सर भी मुझे देख कर मुस्करा दिया|
पापा ने सर को चाय पे बुलाया और सर ने कल आने को कहा क्योंकि कल रविवार था|
आज मैं रोज सुबह की तरह नहा के तय्यार हो गयी..आज मैने पिंक कलर की टॉप और जीन्स पहनी थी|
सुबह लगभग १० बजे सर घर पहुचे|
पापा-ऋतु बेटा सर के लिए चाय तो लाना|
मैं-पापा,अभी ले कर आई|
मैं चाय ले कर गयी और झुककर चाय देने लगी तो सर मेरी चुचियाँ देखने लगे जो की ब्रा के साथ थोड़ी बाहर निकल गयी थी| सर मुझे देख कर मुसकराने लगे,मैं भी उन्हे देख कर मुस्करा दी|
उसके बाद पापा ने सर को मा और मेरे भाई से मिलाया.
उस दिन के बाद अक्सर सर मेरे घर आने लगे|
एक दिन मम्मी पापा मामा के यहा गये थे| और सर घर पे आ गये|
सर-ऋतु,तुम्हारे पापा कहा है|
मैं-पापा घर पे नही है,आप अंदर आइए मैं आपके लिए चाय बनती हूँ|
मैं चाय लेकर आई और सर को देने लगी|
सर-तुम भी लो|
मैं-सर आप लीजिए मैं बाद मे पी लूँगी|
सर-ऋतु प्लीज़ लो ना आज तुम्हारे पापा भी नही है तो तुम ही मेरे साथ दे दो|
मैने सर की बात मान ली और सामने वाली कुर्सी पे बैठकर चाय पीने लगी|
सर-अरे ऋतु यहा बगल वाली कुर्सी पे आओ ना|
मैने सर की बात मान की और उनके बागल वाली किरसी पर जाकर बैठ गयी|
तभी ऐसा हुआ जिसके बारे मे मैने सपने मे भी नही सोचा था|
सर-आई लव यू ऋतु....
मैं-ये क्या कह रहे है सर ....मई आपकी स्टूडेंट हू..ये पाप है..
सर-कुछ पाप नही है तुम एक लड़की हो और मैं के मर्द..
और सर मेरी जाँघो को दबाने लगे.
मैं-प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए मैं आपकी स्टूडेंट हू...
सर-ऋतु तुम बहुत सुंदर हो मई तुम्हे बहुत प्यार करता हू...
इतना कहकर सर खड़े हो गये और झुककर मेरे गुलाबी होठ पे अपना होठ रखकर चूसने लगे|
मुझे बहुत बुरा लग रहा था मैने अपना मुह हटा लिया लेकिन सर ने अब मेरा चेहरा होडो हाथो से पकड़ लिया और मेरे निचले होठ को अपने मुह मे भर के चूसने लगे|
मुझे बहुत अजीब लग रहा था....पर क्या करती
धीरे धीरे उनका हाथ मेरे चुचियो पे आगया और वो उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे|अब उन्होने अपनी जीभ मेरे मुह मे डाल दी|
वो मेरी चुचियो को इस तरह मसल रहे थे की मेरे सारे रोए खड़े हो गये थे....फिर भी मैं उन्हे रोक रही थी की अचानक मुझे झटका लगा|
उन्होने अपना हाथ मेरी चूत पर लगा दिया..और मसलने लगे मैने उबका हाथ पकड़ के हटा दिया और उठकर खड़ी हो गयी|
मैं-सर ये आप क्या कर रहे है..|
सर ने कुछ नही सुना और मुझे अपने बाहों मे भरकर मेरे होटो को चूसने लगे| मेरी चुचियाँ उनके सीने से डब रही थी अब उनका एक हाथ मेरी चुची और दूसरा मेरी चूत पर था
अब मैं कब तक मना करती क्योकि मुझे भी मज़ा आने लगा था| अब मैने भी सोच लिया की मैं भी खुल कर मज़े लूँगी......
फिर सर ने अपना हाथ मेरी नाभि पे रख दिया और मसलने लगे लगे ,मुझे मज़ा भी आ रहा था और गुस्सा भी पर मई क्या करती मैने मज़े लेने मे ही अच्छाई समझी.
अब सर ने धीरे से मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और वो भी बावरी चुदने के लिए तय्यार थी और झट से खिसकर मेरे कदमो मे आ गिरी और मैने भी उसे आज़ाद कार दिया |
अब सर मेरी चूत को पैंटी के उपर से ही रगड़ रहे थे|मेरी चूत के पानी से मेरी पैंटी भी आधी भीग गयी थी |जिससे सर का उगलियाँ भी मेरे कम रस मे डूब गयी थी |
सर ने मेरे हाथ उपर उतंर को कहा और मेरी समीज़ भी निकल दी अब मै ब्रा और पैंटी पे आ गयी मैने अपनी चुचियो को हाथ से ढक लिया,लेकिन मैं भी क्या क्या ढकती| क्योकि मेरी चूत तो लगातार पानी छोड़े जा रही थी|
मैं-सर आप मुझे ही नंगी करेंगे या आप भी अपने कपड़े उतारेंगे ?
सर-मैने तुम्हारे निकले अब तुम भी मेरे निकालो|
मैं-नही मुझे सरम आ रही है आप ही निकालो ना|
सर -अच्छा बाबा मैं ही निकल दे रहा हूँ|
और सर अपने कपड़े निकालने लगे,कुछ ही देर मे सर माधरजात नंगे ही गये|मैं उनका मोंटा लॅंड देख कर हैरान रह गयी|मैं उनके लॅंड को एकटक देखे जा रही थी|
सर-क्या देख रही हो मेरी बुलबुल?
मैं-सर ये कितना मोटा और लंबा है|
सर का लॅंड वास्तव मे लगभग ६ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा था|
सर-मेरी जान इसे अपने मुह मे लो ना|
मैं-नही! सर ये गंदी चीज़ है मैं इसे मुह मे नही लूँगी|
सर-ये तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है|आओ मैं तुम्हे दिखता हूँ|पहले तुम्हारी ब्रा और पैंटी तो निकल दूँ|
सर ने मेरी ब्रा और पैंटी निकल दी और मुझे कुर्सी की तरफ मुह करके झुकने के लिए कहा|
मैं भी कुर्सी के हत्थे पकड़ कर झुक गयी|सर ने अपना मुह मेरी चूत पर रख दिया|
मैं तो जैसे सातवे आसमान पे पहुच गयी|
मैं-सर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....... ये क्याआआ....... कर्रररर..... रहे हूऊऊऊ...... आप..
सर-मज़ा आ रहा है मेरी जान|
मैं-सर बहुत मज़ा आ रहा है आअह्ह्ह्ह्ह्ह....... ऐसे ही चाटते रहिए आप्प्प.... सच कह रहे थे अह्ह्ह्ह्ह .....ये सही मे दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है अह्ह्ह्ह.... सर सर प्लीज़जजज्ज... करते रहिए बहुत मज़ा आ रहा है|
मेरी चूत लगातार पानी छोड़े जा रही थी....
सर-अब मैं ही सब कुछ करता रहूँगा या तुम भी कुछ करोगी|
और उन्होने मुझे सीधा कर के मेरे मुह पे अपना लॅंड पेल दिया|मैं भी इस समय इतने जोश मे थी की कुछ पता नही चल रहा था और मैं सर का लॅंड मूह मे लेकर चूसने लगी|
सर- अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान कितना अच्छा चुसती है तू और चूस मेरी ज्जानन्न.... खा जा मेरे लॅंड को|
और मेरा सर पकड़ कर अपना लॅंड ज़ोर ज़ोर से मेरे मुह मे पेलने लगे|
उनका लॅंड मेरे गले तक उतर रहा था और मैं भी गू.... गू.... कर के मूह मे पेलवाए जा रही थी|
सर- अब बस करो नही तो मेरा माल तुम्हारे मुह मे निकल जाएगा मुझे तुम्हारी चूत भी तो चोदनी है|
सर ने अपना लॅंड मेरे मुह से निकल कर मुझे फर्श पर लिटा दिया और मेरी मेरी दोनो टाँगो को चौड़ी करके अपनी जाँघो पर रख लिया|
अब मेरी चूत एकदम उनके सामने थी मेरी चूत का गुलाबी दाना उनके लॅंड के गुलाबी टोपे का इंतजार कर रही थी|
सर अपने लॅंड के टोपे को मेरी छूट पे रगड़ने लगे|जिससे मेरी मेरी जान निकली जा रही थी और मैं अह्ह्ह्ह..... उहह...... किए जा रही थी|
अचानक सर ने अपने लॅंड का टोपा मेरी चूत के मुहाने पे रखकर के एक ज़ोर का झटका दिया उनका टोपा अब मेरी चूत के अंदर था|
मैं-उईए...... माआआअ........ मैं मर जाउन्गि सर प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए...
और मैं रोने लगी ...पर सर ने मेरे मूह पे अपना हाथ रखकर एक ज़ोर का झटका और दिया जिससे उनका ६ इंच का लॅंड मेरी चूत के जड़ तक पहुच गया|
मैं छटपटाने लगी पर छूट नही पाई क्यो की सर ने मुझे बुरी तरह पकड़ रक्खा था|
अब सर रुक गये थे और मेरे बालो को सहला रहे थे लगभग ५ मिनट मे मेरा दर्द कुछ कम हुआ और सर हल्के हल्के झटके देने लगे |
अब मुझे दर्द तो हो रहा था पर हल्का-हल्का मज़ा भी आ रहा था|कुछी देर मे मैं सर का साथ देने लगी|
सर-अह्ह्ह्ह.... मेरी रानी तेरी चूत तो बहुत टाइट है.जब से तेरी चुचियों को दहका है तब से तुझे चोदने का सोच रहा हू लेकिन कभी मौका ही नही मिला|आज मेरी रानी तुझे जम के चोदुन्गा|
मैं तो बस अह्ह्ह...उहह...किए जा रही थी और सर मुझे सरपट चोदे जा रहे थे|
तभी शरीरमेरे ऐठन सुरू हो गयी|
मैं-सर मुझे कुछ हो रहा है उहह.... अह्ह्ह्ह मुझे संभालिए प्लीज़
और मैने ज़ोर से सर को पकड़ लिया|
सर- मेरी जान अब तुम्हे जिंदगी का सबसे सुखद अनुभव होने वाला है|
अब सर ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगे...मैं भी बेचारी कितनी देर तक सहती आख़िर मेरी चूत ने अपना कमरस छोड़ दिया और मैने अपना चूतड़ उठा उठा कर सारा कमरस निकल दिया,पर सर अभी भी मुझे चोदे जा रहे थे|
मैं-सर मुझे अब दर्द हो रहा है कृपया थोड़ी देर रुक जाइए|
दर-ओक मेरी जान |
सर मेर चुचियों की को मसल मसल कर चूसने लगे और धीरे धीरे धक्के मारने लगे|अब
थोड़ी देर ऐसा करने से मैं फिर गर्म हो गयी और चूतड़ उठा उठा के चुदने लगी|
सर ने भी अब धक्के तेज कर दिए|मेरे कामरस छूटने से मेरी चूत की फ़चा फ़च चुदाई हो रही थी|
सर-अह्ह्ह्ह...उहह. तेरी चूत का मैने भोसड़ा बना दिया मेरी रानी अब तू चाहे जितना लॅंड ले तुझे दर्द नही होगा|
और सर बिजली की रफ़्तार से छोड़ने लगे...इस चुदाई से मेरा रोम रोम हिल उठा था|अह्ह्ह्ह्ह....उम्ह्ह्ह्ह्ह.... के सिवा
मेरे मुह से कुच्छ नही निकल रहा था|
मैं-अह्ह्ह्ह.... आह्ह्ह्ह्ह्ह.....ओह्ह्ह्ह्ह.. सर्र्ररर..... प्लीज़ और ज़ोर से|
जितना मैं आहे भर रही थी सर उतना ही तेज मुझे चोद रहे थे|
आख़िर वो वक्त आ ही गया जब सर ने अपना माल मेरी छूट मे निकल दिया|
सर-अहह.... ऋतु मैं तो गया मेरी जान....लो अपने सर का माल अपनी प्यारी चूत मे भर लो..
इतना कह कर सर ने सारा माल मेरी चूत मे छोड़ दिया उनके वीर्य के गर्म फुहारो की ऐसी बारिश हुई की मेरी चूत भियपने आप को नही रोक पाई और अपना लावा छोड़ दिया..
सर मेरे उपर लेट कर मेरे होटो को चूस कर मुझे धन्यवाद दिया मैने भी उनका साथ देकर उनका धन्यवाद ग्रहण किया|
सर मेरे उपर से खड़े हुए..मैं भी उठने की कोसिश करने लगी पर नही उठ पाई तब सर ने मुझे सहारा देकर उठाया|
मैं फर्श पर फैले खून को देख कर रोने लगी..तब सर ने मुझे समझाया और कहा की पहली बार हर लड़की के साथ ऐसा होता है और मुझे दवा लाकर देने को कहा......
तो दोस्तो कैसी लगी आप को मेरी कहानी कृपया कॉमेंट करके मुझे अपनी राय से अवगत कराए मुझे आपके कॉमेंट का इंतजार रहेगा...
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मैं आपकी स्टूडेंट हू...
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम ऋतु है| ये मेरी पहली कहानी है|
मै उत्तर प्रदेश के छोटे से गाव की रहने वाली हूँ|गाव का नाम मैं नही लिख सकती क्युकि ये वाक्तिगत है|
मैं १८ साल की हूँ|मेरा फिगर ३२ २८ ३४ है|मैं बहुत कामुक लड़की हूँ|मेरे अंदर वासना कूट-कूट कर भरी है|
ये कहानी तब की है है जब मैं हाइस्कूल में पढ़ती थी|मेरा स्कूल घर से ५ किलोमीटर दूर था|मैं रोज साइकल से स्कूल आती थी|वैसे तो रोज कोई ना कोई मेरी चुचियो पे लाइन मारता था|पर मैं किसी को भाव नही देती थी|
एक दिन मैं घर से आ रही थी की अचानक मेरा दुपट्टा साइकल मे फस गया|मैने काफ़ी कोसिश की पर वो इतनी बुरी तरह फस गया था की निकलने का नाम नही ले रहा था|
तभी मेरे मैथ वाले सर उधर से जा रहे थे|मुझे देख कर वो रुक गये और और मेरा दुपट्टा निकालने मे मदद करने लगे|
दुपट्टा निकालते समय वो बार बार मेरी चुचियों को देखते और मुस्करा देते,क्योकि उस समय मेरा दुपट्टा मेरी चुचियों पे नही था इसलिए मुझे बहुत लज्जा आ रही थी|
काफ़ी मेहनत के बाद सर ने मेरा दुपट्टा निकाला|अब वो लगातार मेरी चुचियों को निहार रहे थे,तभी मेरी नज़र उनके लंड
पर पड़ी जो पैंट मे तनकर तंबू हो गया था|
मैने सर का धन्यवाद किया और स्कूल के लिए चली गयी|
आज स्कूल मे मेरा मन नही लग रहा था,क्युकि मैं सर के तंबू के बारे मे सोच रही थी|
मेरे पापा मुंबई मे रहते है,वो घर बहुत कम आते है|घर पे अक्सर मैं मेरा छोटा भाई और मा रहते हैं| मेरी मा की उमर ३५ साल है|
टीचर्स डे पर मेरे स्कूल वालो ने सभी अभिभावको को स्कूल मे बुलाया था|उस समय मेरे पापा घर पर ही थे तो मैने उन्हे स्कूल चलने को कहा तो पापा मान गये मैं आज बहुत खुस थी क्योकि आज पापा पहली बार मेरे स्कूल आ रहे थे|
पापा-ऋतु बेटा तुम स्कूल चलो मैं थोड़ा बैंक का काम करके सीधे स्कूल पहुचता हू|
मैं स्कूल पहुची उसके थोड़ी देर बाद ही पापा भी पहुचे|तभी मैने देखा की पापा मैथ वाले सर से बात कर रहे थे|
उसके बाद प्रोग्राम सुरू हो गया|प्रोग्राम ख़तम होने के बाद मेरे पापा ने मुझे बुलाया|
पापा-ऋतु बेटा ये मेरे बचपन के दोस्त है|...
मैने सर की तरफ देखा और मुस्करा दी सर भी मुझे देख कर मुस्करा दिया|
पापा ने सर को चाय पे बुलाया और सर ने कल आने को कहा क्योंकि कल रविवार था|
आज मैं रोज सुबह की तरह नहा के तय्यार हो गयी..आज मैने पिंक कलर की टॉप और जीन्स पहनी थी|
सुबह लगभग १० बजे सर घर पहुचे|
पापा-ऋतु बेटा सर के लिए चाय तो लाना|
मैं-पापा,अभी ले कर आई|
मैं चाय ले कर गयी और झुककर चाय देने लगी तो सर मेरी चुचियाँ देखने लगे जो की ब्रा के साथ थोड़ी बाहर निकल गयी थी| सर मुझे देख कर मुसकराने लगे,मैं भी उन्हे देख कर मुस्करा दी|
उसके बाद पापा ने सर को मा और मेरे भाई से मिलाया.
उस दिन के बाद अक्सर सर मेरे घर आने लगे|
एक दिन मम्मी पापा मामा के यहा गये थे| और सर घर पे आ गये|
सर-ऋतु,तुम्हारे पापा कहा है|
मैं-पापा घर पे नही है,आप अंदर आइए मैं आपके लिए चाय बनती हूँ|
मैं चाय लेकर आई और सर को देने लगी|
सर-तुम भी लो|
मैं-सर आप लीजिए मैं बाद मे पी लूँगी|
सर-ऋतु प्लीज़ लो ना आज तुम्हारे पापा भी नही है तो तुम ही मेरे साथ दे दो|
मैने सर की बात मान ली और सामने वाली कुर्सी पे बैठकर चाय पीने लगी|
सर-अरे ऋतु यहा बगल वाली कुर्सी पे आओ ना|
मैने सर की बात मान की और उनके बागल वाली किरसी पर जाकर बैठ गयी|
तभी ऐसा हुआ जिसके बारे मे मैने सपने मे भी नही सोचा था|
सर-आई लव यू ऋतु....
मैं-ये क्या कह रहे है सर ....मई आपकी स्टूडेंट हू..ये पाप है..
सर-कुछ पाप नही है तुम एक लड़की हो और मैं के मर्द..
और सर मेरी जाँघो को दबाने लगे.
मैं-प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए मैं आपकी स्टूडेंट हू...
सर-ऋतु तुम बहुत सुंदर हो मई तुम्हे बहुत प्यार करता हू...
इतना कहकर सर खड़े हो गये और झुककर मेरे गुलाबी होठ पे अपना होठ रखकर चूसने लगे|
मुझे बहुत बुरा लग रहा था मैने अपना मुह हटा लिया लेकिन सर ने अब मेरा चेहरा होडो हाथो से पकड़ लिया और मेरे निचले होठ को अपने मुह मे भर के चूसने लगे|
मुझे बहुत अजीब लग रहा था....पर क्या करती
धीरे धीरे उनका हाथ मेरे चुचियो पे आगया और वो उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे|अब उन्होने अपनी जीभ मेरे मुह मे डाल दी|
वो मेरी चुचियो को इस तरह मसल रहे थे की मेरे सारे रोए खड़े हो गये थे....फिर भी मैं उन्हे रोक रही थी की अचानक मुझे झटका लगा|
उन्होने अपना हाथ मेरी चूत पर लगा दिया..और मसलने लगे मैने उबका हाथ पकड़ के हटा दिया और उठकर खड़ी हो गयी|
मैं-सर ये आप क्या कर रहे है..|
सर ने कुछ नही सुना और मुझे अपने बाहों मे भरकर मेरे होटो को चूसने लगे| मेरी चुचियाँ उनके सीने से डब रही थी अब उनका एक हाथ मेरी चुची और दूसरा मेरी चूत पर था
अब मैं कब तक मना करती क्योकि मुझे भी मज़ा आने लगा था| अब मैने भी सोच लिया की मैं भी खुल कर मज़े लूँगी......
फिर सर ने अपना हाथ मेरी नाभि पे रख दिया और मसलने लगे लगे ,मुझे मज़ा भी आ रहा था और गुस्सा भी पर मई क्या करती मैने मज़े लेने मे ही अच्छाई समझी.
अब सर ने धीरे से मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और वो भी बावरी चुदने के लिए तय्यार थी और झट से खिसकर मेरे कदमो मे आ गिरी और मैने भी उसे आज़ाद कार दिया |
अब सर मेरी चूत को पैंटी के उपर से ही रगड़ रहे थे|मेरी चूत के पानी से मेरी पैंटी भी आधी भीग गयी थी |जिससे सर का उगलियाँ भी मेरे कम रस मे डूब गयी थी |
सर ने मेरे हाथ उपर उतंर को कहा और मेरी समीज़ भी निकल दी अब मै ब्रा और पैंटी पे आ गयी मैने अपनी चुचियो को हाथ से ढक लिया,लेकिन मैं भी क्या क्या ढकती| क्योकि मेरी चूत तो लगातार पानी छोड़े जा रही थी|
मैं-सर आप मुझे ही नंगी करेंगे या आप भी अपने कपड़े उतारेंगे ?
सर-मैने तुम्हारे निकले अब तुम भी मेरे निकालो|
मैं-नही मुझे सरम आ रही है आप ही निकालो ना|
सर -अच्छा बाबा मैं ही निकल दे रहा हूँ|
और सर अपने कपड़े निकालने लगे,कुछ ही देर मे सर माधरजात नंगे ही गये|मैं उनका मोंटा लॅंड देख कर हैरान रह गयी|मैं उनके लॅंड को एकटक देखे जा रही थी|
सर-क्या देख रही हो मेरी बुलबुल?
मैं-सर ये कितना मोटा और लंबा है|
सर का लॅंड वास्तव मे लगभग ६ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा था|
सर-मेरी जान इसे अपने मुह मे लो ना|
मैं-नही! सर ये गंदी चीज़ है मैं इसे मुह मे नही लूँगी|
सर-ये तो दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है|आओ मैं तुम्हे दिखता हूँ|पहले तुम्हारी ब्रा और पैंटी तो निकल दूँ|
सर ने मेरी ब्रा और पैंटी निकल दी और मुझे कुर्सी की तरफ मुह करके झुकने के लिए कहा|
मैं भी कुर्सी के हत्थे पकड़ कर झुक गयी|सर ने अपना मुह मेरी चूत पर रख दिया|
मैं तो जैसे सातवे आसमान पे पहुच गयी|
मैं-सर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....... ये क्याआआ....... कर्रररर..... रहे हूऊऊऊ...... आप..
सर-मज़ा आ रहा है मेरी जान|
मैं-सर बहुत मज़ा आ रहा है आअह्ह्ह्ह्ह्ह....... ऐसे ही चाटते रहिए आप्प्प.... सच कह रहे थे अह्ह्ह्ह्ह .....ये सही मे दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है अह्ह्ह्ह.... सर सर प्लीज़जजज्ज... करते रहिए बहुत मज़ा आ रहा है|
मेरी चूत लगातार पानी छोड़े जा रही थी....
सर-अब मैं ही सब कुछ करता रहूँगा या तुम भी कुछ करोगी|
और उन्होने मुझे सीधा कर के मेरे मुह पे अपना लॅंड पेल दिया|मैं भी इस समय इतने जोश मे थी की कुछ पता नही चल रहा था और मैं सर का लॅंड मूह मे लेकर चूसने लगी|
सर- अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान कितना अच्छा चुसती है तू और चूस मेरी ज्जानन्न.... खा जा मेरे लॅंड को|
और मेरा सर पकड़ कर अपना लॅंड ज़ोर ज़ोर से मेरे मुह मे पेलने लगे|
उनका लॅंड मेरे गले तक उतर रहा था और मैं भी गू.... गू.... कर के मूह मे पेलवाए जा रही थी|
सर- अब बस करो नही तो मेरा माल तुम्हारे मुह मे निकल जाएगा मुझे तुम्हारी चूत भी तो चोदनी है|
सर ने अपना लॅंड मेरे मुह से निकल कर मुझे फर्श पर लिटा दिया और मेरी मेरी दोनो टाँगो को चौड़ी करके अपनी जाँघो पर रख लिया|
अब मेरी चूत एकदम उनके सामने थी मेरी चूत का गुलाबी दाना उनके लॅंड के गुलाबी टोपे का इंतजार कर रही थी|
सर अपने लॅंड के टोपे को मेरी छूट पे रगड़ने लगे|जिससे मेरी मेरी जान निकली जा रही थी और मैं अह्ह्ह्ह..... उहह...... किए जा रही थी|
अचानक सर ने अपने लॅंड का टोपा मेरी चूत के मुहाने पे रखकर के एक ज़ोर का झटका दिया उनका टोपा अब मेरी चूत के अंदर था|
मैं-उईए...... माआआअ........ मैं मर जाउन्गि सर प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए...
और मैं रोने लगी ...पर सर ने मेरे मूह पे अपना हाथ रखकर एक ज़ोर का झटका और दिया जिससे उनका ६ इंच का लॅंड मेरी चूत के जड़ तक पहुच गया|
मैं छटपटाने लगी पर छूट नही पाई क्यो की सर ने मुझे बुरी तरह पकड़ रक्खा था|
अब सर रुक गये थे और मेरे बालो को सहला रहे थे लगभग ५ मिनट मे मेरा दर्द कुछ कम हुआ और सर हल्के हल्के झटके देने लगे |
अब मुझे दर्द तो हो रहा था पर हल्का-हल्का मज़ा भी आ रहा था|कुछी देर मे मैं सर का साथ देने लगी|
सर-अह्ह्ह्ह.... मेरी रानी तेरी चूत तो बहुत टाइट है.जब से तेरी चुचियों को दहका है तब से तुझे चोदने का सोच रहा हू लेकिन कभी मौका ही नही मिला|आज मेरी रानी तुझे जम के चोदुन्गा|
मैं तो बस अह्ह्ह...उहह...किए जा रही थी और सर मुझे सरपट चोदे जा रहे थे|
तभी शरीरमेरे ऐठन सुरू हो गयी|
मैं-सर मुझे कुछ हो रहा है उहह.... अह्ह्ह्ह मुझे संभालिए प्लीज़
और मैने ज़ोर से सर को पकड़ लिया|
सर- मेरी जान अब तुम्हे जिंदगी का सबसे सुखद अनुभव होने वाला है|
अब सर ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदने लगे...मैं भी बेचारी कितनी देर तक सहती आख़िर मेरी चूत ने अपना कमरस छोड़ दिया और मैने अपना चूतड़ उठा उठा कर सारा कमरस निकल दिया,पर सर अभी भी मुझे चोदे जा रहे थे|
मैं-सर मुझे अब दर्द हो रहा है कृपया थोड़ी देर रुक जाइए|
दर-ओक मेरी जान |
सर मेर चुचियों की को मसल मसल कर चूसने लगे और धीरे धीरे धक्के मारने लगे|अब
थोड़ी देर ऐसा करने से मैं फिर गर्म हो गयी और चूतड़ उठा उठा के चुदने लगी|
सर ने भी अब धक्के तेज कर दिए|मेरे कामरस छूटने से मेरी चूत की फ़चा फ़च चुदाई हो रही थी|
सर-अह्ह्ह्ह...उहह. तेरी चूत का मैने भोसड़ा बना दिया मेरी रानी अब तू चाहे जितना लॅंड ले तुझे दर्द नही होगा|
और सर बिजली की रफ़्तार से छोड़ने लगे...इस चुदाई से मेरा रोम रोम हिल उठा था|अह्ह्ह्ह्ह....उम्ह्ह्ह्ह्ह.... के सिवा
मेरे मुह से कुच्छ नही निकल रहा था|
मैं-अह्ह्ह्ह.... आह्ह्ह्ह्ह्ह.....ओह्ह्ह्ह्ह.. सर्र्ररर..... प्लीज़ और ज़ोर से|
जितना मैं आहे भर रही थी सर उतना ही तेज मुझे चोद रहे थे|
आख़िर वो वक्त आ ही गया जब सर ने अपना माल मेरी छूट मे निकल दिया|
सर-अहह.... ऋतु मैं तो गया मेरी जान....लो अपने सर का माल अपनी प्यारी चूत मे भर लो..
इतना कह कर सर ने सारा माल मेरी चूत मे छोड़ दिया उनके वीर्य के गर्म फुहारो की ऐसी बारिश हुई की मेरी चूत भियपने आप को नही रोक पाई और अपना लावा छोड़ दिया..
सर मेरे उपर लेट कर मेरे होटो को चूस कर मुझे धन्यवाद दिया मैने भी उनका साथ देकर उनका धन्यवाद ग्रहण किया|
सर मेरे उपर से खड़े हुए..मैं भी उठने की कोसिश करने लगी पर नही उठ पाई तब सर ने मुझे सहारा देकर उठाया|
मैं फर्श पर फैले खून को देख कर रोने लगी..तब सर ने मुझे समझाया और कहा की पहली बार हर लड़की के साथ ऐसा होता है और मुझे दवा लाकर देने को कहा......
तो दोस्तो कैसी लगी आप को मेरी कहानी कृपया कॉमेंट करके मुझे अपनी राय से अवगत कराए मुझे आपके कॉमेंट का इंतजार रहेगा...
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