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ससुराल की रंगरेलियां--3
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ससुराल की रंगरेलियां--3
परिवार की इस सारी चर्चा पर डॉली
कि चूत में एक अजीब सी सरसराहट होने लगी . उसकी चुंचियां टाइट हो कर उठ गयीं. विजय के लंड में भी जैसे जान आ गयी थी.
विजय बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. डॉली ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.
"आ जाओ जानेमन ....इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं....दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है...." डॉली पुकार उठी.
"ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे डॉली रानी." कहते हुए विजय दरवाजे तक गया.
डॉली हैरान थी कि नंगा बदन विजय कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है.
दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला,
"आ जाइए"
बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.
डॉली को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति विजय की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.
दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए. डॉली ने घबरा कर चादर खींच कर अपने नंगे बदन को धक् लिया. पर उन तीन लोगों ने अपने कपडे उतार फेंकने में एक पल भी नहीं लगाया.
"अरे डॉली बेटी हम सब तो दोपहर में तुम्हें पूरा नंगा देख चुके हैं. अब हमसे कैसा पर्दा." ससुर जी कहा.
"हमारे इस खुले परिवार में तुम्हारा स्वागत है बेटी" सासु माँ ने कहते हुए उसकी चादर खींच कर फ़ेंक दी.
डॉली की खुली दूध के जैसी गोरी चुंचियां छलक रही थीं. उसने अपनी टाँगे कास के बंद कर रखीं थी पर उसकी चूत का ऊपर का हिस्सा साफ़ नज़र आ रहा था. वो अभी भी शर्म से पानी पानी थी.
चाचा जी उसके बगल में बैठ कर उसकी चुंचियां सहलाने लगे. और पापा जी ने अपने हाँथ उसकी टांगों के बीच घुसा कर उसकी चूत खोल थी और और गीली चूत के ऊपर से अपनी उंगलिया फिराने लगे. डॉली को ये सब अच्छा भी लग रहा था और अजीब भी.
इसी बीच डॉली ने देखा कि उसका पति विजय बिस्तर पर खड़ा है. विजय कि माँ राजेश्वरी देवी अपने बेटे का खड़ा लंड अपने मुंह में लेकर चुभला रहीं हैं. विजय के लंड पांच मिनट पहले ही डॉली की चूत का बाजा बजा रहा था. इसका मतलब ये था कि डॉली कि सास अपनी बहु की चूत का रस अपने बेटे के लंड से चाट रहीं थीं.
डॉली इस सबसे बड़ा गरम हो चुकी थी. उसने अपनी टाँगे अब पूरी खोल दीं. और चाचा जी को उनके होठों पर चूमने लगी. विजय ने अपनी "मासूम" बीवी का ये रूप आज तक देखा नहीं था. वो अपनी माँ के बड़े बड़े मम्मे जोरों से दबाने लगा.
डॉली को बिस्तर पर लिटा दिया गया. पापा जी उसके ऊपर चढ़ गए और आना मोटा लंड उसकी गीली चूत में पेल दिया. चाचा जी ने अपना लंड उसके चेहरे पर लहराया तो डॉली को इशारा समझने में एक पल भी लगा. उसने गपाक से चाचा जी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसके लेमन चूस कि भाँति चूसने लगी.
डॉली ने विजय के तरफ देखा. विजय ने अपनी माँ को कुतिया के पोस में लिटाया हुआ था. विजय एक एक्सपर्ट खिलाड़ी कि तरह धीरे और लम्बे धक्कों से राजेश्वरी देवी कि चूत में लंड पेल रहा था. डॉली और विजय कि नज़रें मिलीं और विजय ने उसको आँख मारी और बोला,
"डॉली पापा जी और चाचा जी का आशीर्वाद ठीक से लो"
"बहु कि चूत इतनी टाइट है कि मज़ा आ रहा है कसम से" ससुर जी बोला.
"भैया अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं थोडा इस टाइट चूत का आनंद ले लूं" चाचा जी ने डॉली के ससुर से पूछा.
"अरे बिलकुल जरूर. डॉली को हमारे घर में सब का प्यार मिलना चाहिए." कहते ही ससुर जी ने अपना लंड उसकी चूत ने निकाल लिया.
चाचा जी ने डॉली को उठा कर कुतिया के पोस में बिठाया और अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी चूत में एक ही झटके में पेल दिया.
डॉली सिहर उठी.
डॉली ने देखा कि ससुर जी बिस्तर पर बैठे है और उनका लंड तना हुआ है. इसी बीच सासु माँ ने विजय को विजय को हटा लिया और कुतिया बने बने ससुर के पास आईं और अपने पति का लंड चूसने लगीं. विजय चल कर डॉली के पास आया और अपनी माँ के रस से सना हुआ लंड उसके मुंह में दाल दिया.
उधर सासु माँ अपने पति के लंड के ऊपर बैठ कर अपनी गांड ऊपर नीचे हिलाने लगीं. चाचा जी डॉली की चूत में बहुत जोर से पेलने लगे. डॉली अभी तक एक बार झड चुकी थी और उसे लगा कि वो एक बार और झड़ने वाली है. उधर सासु माँ चीख चीख कर चुद रहीं थीं. डॉली को विजय का लंड अपने मुंह में फूलता हुआ महसूस हुआ.
थोड़ी ही देर में पाँचों लोग एक एक कर के झड गए. आज के दिन में डॉली ने तीन लोगों का लंड अपनी चूत में लिया और दो दो लोगों के लंड का रस अपने मुंह में.
डॉली वैसे तो इस परिवार में विबाह कर के लगभग एक साल बाद आयी थी, पर वास्तव में वो परिवार का असली हिस्सा आज बनी.
विजय बिस्तर छोड़ कर जमीन पर खड़ा हो गया. डॉली ने देखा उसका लंड एकदम टाइट हो चुका था.
"आ जाओ जानेमन ....इस खड़े लंड का कुछ इंतज़ाम कर दूं....दोपहर की बात याद दिला कर मेरी चूत में भी पानी आ रहा है...." डॉली पुकार उठी.
"ये हुई न बात. पर आज के दिन को थोडा और स्पेशल बनाएंगे डॉली रानी." कहते हुए विजय दरवाजे तक गया.
डॉली हैरान थी कि नंगा बदन विजय कहाँ बाहर की तरफ जा रहा है.
दरवाजा खोल कर अपना चेहरा बाहर निकाल कर बोला,
"आ जाइए"
बस कहने की देर थी कि दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए.
डॉली को समझ आ गया कि उसकी जिन्दगी में अब चुदाई की तादाद अब जोरों से बढ़ने वाली है. और उसे इस बात से कोई शिकायत नहीं थी. जब उसके पति विजय की रजामंदी इसमें शामिल है तो उसे क्या ऐतराज़ होगा.
दो मिनट के अन्दर ही उसकी सासु माँ, उसके ससुर और ससुर के भाई साहब कमरे के अन्दर आ गए. डॉली ने घबरा कर चादर खींच कर अपने नंगे बदन को धक् लिया. पर उन तीन लोगों ने अपने कपडे उतार फेंकने में एक पल भी नहीं लगाया.
"अरे डॉली बेटी हम सब तो दोपहर में तुम्हें पूरा नंगा देख चुके हैं. अब हमसे कैसा पर्दा." ससुर जी कहा.
"हमारे इस खुले परिवार में तुम्हारा स्वागत है बेटी" सासु माँ ने कहते हुए उसकी चादर खींच कर फ़ेंक दी.
डॉली की खुली दूध के जैसी गोरी चुंचियां छलक रही थीं. उसने अपनी टाँगे कास के बंद कर रखीं थी पर उसकी चूत का ऊपर का हिस्सा साफ़ नज़र आ रहा था. वो अभी भी शर्म से पानी पानी थी.
चाचा जी उसके बगल में बैठ कर उसकी चुंचियां सहलाने लगे. और पापा जी ने अपने हाँथ उसकी टांगों के बीच घुसा कर उसकी चूत खोल थी और और गीली चूत के ऊपर से अपनी उंगलिया फिराने लगे. डॉली को ये सब अच्छा भी लग रहा था और अजीब भी.
इसी बीच डॉली ने देखा कि उसका पति विजय बिस्तर पर खड़ा है. विजय कि माँ राजेश्वरी देवी अपने बेटे का खड़ा लंड अपने मुंह में लेकर चुभला रहीं हैं. विजय के लंड पांच मिनट पहले ही डॉली की चूत का बाजा बजा रहा था. इसका मतलब ये था कि डॉली कि सास अपनी बहु की चूत का रस अपने बेटे के लंड से चाट रहीं थीं.
डॉली इस सबसे बड़ा गरम हो चुकी थी. उसने अपनी टाँगे अब पूरी खोल दीं. और चाचा जी को उनके होठों पर चूमने लगी. विजय ने अपनी "मासूम" बीवी का ये रूप आज तक देखा नहीं था. वो अपनी माँ के बड़े बड़े मम्मे जोरों से दबाने लगा.
डॉली को बिस्तर पर लिटा दिया गया. पापा जी उसके ऊपर चढ़ गए और आना मोटा लंड उसकी गीली चूत में पेल दिया. चाचा जी ने अपना लंड उसके चेहरे पर लहराया तो डॉली को इशारा समझने में एक पल भी लगा. उसने गपाक से चाचा जी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसके लेमन चूस कि भाँति चूसने लगी.
डॉली ने विजय के तरफ देखा. विजय ने अपनी माँ को कुतिया के पोस में लिटाया हुआ था. विजय एक एक्सपर्ट खिलाड़ी कि तरह धीरे और लम्बे धक्कों से राजेश्वरी देवी कि चूत में लंड पेल रहा था. डॉली और विजय कि नज़रें मिलीं और विजय ने उसको आँख मारी और बोला,
"डॉली पापा जी और चाचा जी का आशीर्वाद ठीक से लो"
"बहु कि चूत इतनी टाइट है कि मज़ा आ रहा है कसम से" ससुर जी बोला.
"भैया अगर आपको ऐतराज़ न हो तो मैं थोडा इस टाइट चूत का आनंद ले लूं" चाचा जी ने डॉली के ससुर से पूछा.
"अरे बिलकुल जरूर. डॉली को हमारे घर में सब का प्यार मिलना चाहिए." कहते ही ससुर जी ने अपना लंड उसकी चूत ने निकाल लिया.
चाचा जी ने डॉली को उठा कर कुतिया के पोस में बिठाया और अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी चूत में एक ही झटके में पेल दिया.
डॉली सिहर उठी.
डॉली ने देखा कि ससुर जी बिस्तर पर बैठे है और उनका लंड तना हुआ है. इसी बीच सासु माँ ने विजय को विजय को हटा लिया और कुतिया बने बने ससुर के पास आईं और अपने पति का लंड चूसने लगीं. विजय चल कर डॉली के पास आया और अपनी माँ के रस से सना हुआ लंड उसके मुंह में दाल दिया.
उधर सासु माँ अपने पति के लंड के ऊपर बैठ कर अपनी गांड ऊपर नीचे हिलाने लगीं. चाचा जी डॉली की चूत में बहुत जोर से पेलने लगे. डॉली अभी तक एक बार झड चुकी थी और उसे लगा कि वो एक बार और झड़ने वाली है. उधर सासु माँ चीख चीख कर चुद रहीं थीं. डॉली को विजय का लंड अपने मुंह में फूलता हुआ महसूस हुआ.
थोड़ी ही देर में पाँचों लोग एक एक कर के झड गए. आज के दिन में डॉली ने तीन लोगों का लंड अपनी चूत में लिया और दो दो लोगों के लंड का रस अपने मुंह में.
डॉली वैसे तो इस परिवार में विबाह कर के लगभग एक साल बाद आयी थी, पर वास्तव में वो परिवार का असली हिस्सा आज बनी.
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ
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