FUN-MAZA-MASTI
बहकती बहू--24
कुछ देर की चुप्पी के बाद आख़िर मदनलाल ने ही निर्णायक कदम उठाया वो मर्द था और इन मामलों मे पहल उसे ही करनी थी ! उसने कामया को पकड़ कर अपनी बाहों मे भर लिया और उसके होंठ बहू के रसभरे होंठों से जा मिले ! बहू ने भी ससुर को कस कर पकड़ लिया कई दिनो से प्यासी जो थी ! मदनलाल के हाथ अपने चिर परिचित अंदाज़ मे बहू के भूगोल को मापने लगे !
अब आगे - - -
ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा था ससुर बहू का मिलाप और कामुक होता जा रहा था ! मदनलाल बहू के हर नाज़ुक अंग को छू रहा था और जहाँ जितना दबाव डालना चाहिए उतना दबाव डालता जा रहा था !बाबूजी की हरकतों से कामया के जवां बदन मे वासना के शोले भकड़ने लगे थे ! दोनो धीरे धीरे बहकते जा र्रहे थे किंतु दोनो एक दम निशब्द थे ! कब दोनो निर्वस्त्र हो गये उन्हे पता ही नही चला ! ऐसा लग रहा था जैसे नवयुगल सुहागरात मना रहे हों !नव विवाहित जब पहली बार मिलते हैं तो दोनो के बीच मौन संवाद ही ज़्यादा होता है और उसका कारण भी रहता है ! एक जवान लड़की पहली बार एक अंजान पुरुष के साथ होती है वो भी समर्पण करते हुए ऐसी दशा मे वो लाज के कारण ज़्यादा बोल नही पाती बस अपने पति का सहयोग करती रहती है क्योंकि उसे मालूम रहता है क़ि आज के दिन ये सब होगा ! आज कामया और बाबूजी के बीच भी मौन पसरा हुआ था बस वो ज़्यादा शर्मा नही रहे थे जैसे नया जोड़ा शरमाता है ! नई दुल्हन कई बार तोड़ा हिचकती है थोड़ा ना नुकुर करती है किंतु चूँकि कामया नई नहीं थी और बाबूजी के साथ खेली खाई थी इसलिए बाबूजी के इशारों के अनुसार एक्सन ले रही थी जैसे ही मदनलाल ने उसका सिर नीचे की ओर करना शुरू किया वो बाबूजी की मंशा समझ गई और उसने हौले से बाबूजी के बदमाश को अपने मुँह मे ले लिया !
अब कमरे मे फिर वासना का तूफान आ चुका था ! दोनो भूल गये क़ि कुछ दिनो तक वो किस गम मे डूबे हुए थे ! जब मदनलाल बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया तो उसने बहू को चित लिटा दिया और खुद उसके टाँगों के बीच आ गया !
मदनलाल जब बहू के टाँगों के बीच आ जाता तो उसे अपने पर धीरज रखना मुश्किल हो जाता ! उसने समय बर्बाद ना करते हुए हुए अपने पप्पू को बहू की मुनिया के सामने रखा और धीरे से पुश कर दिया ! बहू के मुँह से कामोत्तेजक सिसकारी निकल गई आख़िर कई दिन बाद उसे खुराक जो मिली थी ! मदनलाल ने अगले दो तीन थाप मे पूरा सामान जड़ तक अंदर ठेल दिया !
पूरा औजार अंदर जाने के बाद बाबूजी ने थोड़ा साँस लिया और फिर अपना इंजन चालू कर दिया ! उनका मूसल किसी पिस्टन की तरह बहू के सिलेंडर मे अंदर बाहर हो रहा था ! बाबूजी के हर स्ट्रोक पर बहू के अंदर आग भड़क उठती ! उसकी कमसिन जवानी अपने पूरे उठान पर आ गई और वो भी नीचे से बाबूजी का साथ देने लगी !मदनलाल ज्यों ज्यों आरपीएम बढ़ाता त्यों त्यों तो बहू के अंदर ज़्यादा होर्श पॉवर बनने लगता ! कमरा एक बार फिर हमेशा की तरह ससुर बहू की साँसों की आवाज़ और मदनलाल की ठाप से गूंजने लगा ! मदनलाल लगभग पाँच मिनिट तक बहू को एक ही आसन मे पेलता रहा ! आज उसने कोई एक्सपेरिमेंट भी नही किया केवल मशीन की तरह उसका शरीर चलता रहा!एक ही स्टाइल मे वो थोड़ा बोर हो गया था उसने अपना लॅंड बाहर निकाला और बहू को घोड़ी बनने को बोला !आज वो कई दिन बाद बहू के पास आया था उपर से दवाइयों का की गर्मी भी बहुत थी इस वजह से उसके अंड कोषों मे एकदम से उबाल आ गया और इससे से पहले क़ि कामया घोड़ी बन पाती उसने एक लंबी गहरी साँस के साथ अपना सारा वीर्य बहू के स्तनों मे उडेल दिया !
कुछ देर वो चुपचाप बहू के उपर ही पड़ा रहा फिर उठकर बिना कुछ बोले चल दिया !
अब कामया और बाबूजी के संबंध मे जोश और उत्साह ख़त्म सा हो गया था ! बाबूजी को तो अब ज़्यादा इच्छा नही होती थी किंतु शरीर का तनाव उन्हे बहू के पास जाने को मजबूर कर देता था ! पहले जहाँ जो वो रोज बहू के कमरे मे जाते थे अब हफ्ते मे दो बार जाने लगे और फिर वो भी घटकर हफ्ते मे एक बार हो गया ! बाबूजी का तो इतने मे भी काम चल जाता था किंतु कामया का बदन उसे बहुत परेशान कर देता था लेकिन वो भी समय के हाथों हार मान चुकी थी ! ""मदनलाल निकेतन"" के हालत मे कोई बदलाव नही आया और अगली बार भी बहू महीने से हो गई !धीरे धीरे मदनलाल भी बिल्कुल टूट चुका था ! ऐसे ही दो महीने बीत गये कामया फिर माहवारी से हो गई ! घर का वातावरण भी अब शांत शांत सा रहता ! एक रात ऐसे ही मदनलाल जब बहू के उपर से उठकर चुपचाप जाने लगा तो कामया ने कहा -
कामया - -- बाबूजी हमे आपसे एक बात पूछनी है ?
मदनलाल - - - कहो क्या बात है ?
कामया - - - बाबूजी हमे सुनील का तो समझ आता है क़ि वो इन मामले मे कमजोर हैं किंतु आप से तो हमे हो जाना चाहिए था ना ! फिर भगवान हमारे साथ क्यों ऐसा कर रहा है ?
मदनलाल - - - बहू अब मैं इस बारे तुम्हे क्या बता सकता हूँ हो सकता है उमर ज़्यादा होने के कारण मुझमे बीज कम बन पा रहे हों !
कामया - - - तो इसका कोई इलाज़ तो होगा ? आप कुछ लेते क्यों नही ? इलाज़ के नाम से मदनलाल के दिमाग़ की बत्ती जल गई ! वो दूसरे दिन बाज़ार से कई आयुर्वेदिक नुस्खे ले आया जैसे बसंत कुसमाकर रस ,मकर ध्वज वॅटी ,शुक्र वल्लभ चूर्ण आदि आदि ! लाकर उसने सारा सामान बहू के कमरे मे ही रख दिया और बोला
मदनलाल - - - बहू हम कई प्रकार के योग ले आए हैं! बस अब तुम भी भगवान से प्रार्थना करो क़ि सब ठीक हो जाए !
दवाइयों का कुल असर इतना ज़रूर हुआ क़ि जहाँ मदनलाल का इंटरेस्ट ख़त्म हो रहा था वहीं दवाइयाँ उसकी नसों मे जान ले आई जिससे उसे कामया के पास जाना ही पड़ता !दिन पर दिन हफ्ते पर हफ्ते बीतते चले गये मगर मदनलाल के घर मे कोई भी खुशख़बरी नही आ पा रही थी !बहू एक बार फिर महीने से आ गई ! मदनलाल करीब हफ्ते भरसे उससे दूर था और आज जब उसका मूड बन रहा था तो एक नई आफ़त चली आई !
और इस आफ़त की पूडिया का नाम था ""कंचन "" ! मदनलाल की एकलौती लड़की !
कंचन अपने दोनो बच्चों के साथ हफ़्ता भर रहने चली आई थी ! वो इसी शहर मे लगभग दो घंटे की दूरी मे रहती थी ! आते साथ ही दोनो बच्चों ने मामी मामी बोलते हुए कामया के कमरे मे ही डेरा जमा लिया मजबूरन कंचन को भी वही रहना पड़ गया !अब एक हफ्ते और मदनलाल को बहू से दूर रहना था क्योंकि कंचन के रहते वो किसी भी तरह की रिस्क नही ले सकता था !और इस का कारण ये था क़ि कंचन बहुत ही तेज़ तर्रार टाइप की लड़की थी साथ ही साथ चालू किस्म की भी थी ! उसने अपने कुंवारेपन मे ही करतब दिखाने शुरू कर दिए थे ! कंचन के कारण कुछ होना तो छोड़ो मदनलाल ने बहू को टच भी नही किया और उससे दूर दूर ही रहा !जिस दोपहर कंचन अपने घर लौटी उस दिन मदनलाल और बहू के मिलाप को दो हफ़्ता बीत गये थे ! वैसे तो मदनलाल की उमर के हिसाब से दो हफ़्ता तो क्या दो महीना भी कोई फ़र्क नही डाल पाता था किंतु घर का चिराग पैदा करने की आकांक्षा और बाजीकारक दवा का असर उसके अंदर जोश भर देता था ! लंच करने के बाद कंचन चली गई और कामया का परिवार सोने के लिए चला गया ! पाँच बजे कामया उठी उसका पूरा शरीर बाबूजी की माँग कर रहा था उसे आज रात हर हाल मे बाबूजी का साथ चाहिए था ! अपनी बात बाबूजी को पहुँचाने के लिए उसने सजना सवंरना चालू किया ! उसने एक बेहद ही खूबसूरत साड़ी पहनी जो उसकी पिछली मेरीज अनवर्सरी मे बाबूजी अपनी पसंद से लाए थे ! आज उसने कई दिनों बाद स्लीव लेस ब्लाउस पहना ! फिर चेहरे पर अच्छे से मेकप किया और बन ठन के अपने कमरे से बाहर निकली ! इतना तो वो तब भी नही सजति थी जब सुनील घर मे होता था ! इस वक्त वो गजब की सुंदर और सेक्सी लग रही थी या यह कहिए क़ि कत्ल की मशीन लग रही थी ! मदनलाल ने जैसे ही उसे देखा तो उसके प्राण गले को आ गये ! बहू ने उसे नशीली नज़रों से देखा और किचन की ओर चल दी !
कामया चाय बना रही थी क़ि तभी मदनलाल बहाने से किचन मे चला आया !वो एक टक बहू के योवन रस का आँखों से पान कर रहा था !बहू के नशीली आँखे कजरारे गाल, रसभरे लब , सुरहीदार गर्दन ,संगमरमरी बाहें ,डीप कट ब्लाउस से झाँकते उरोज ,पतली बलखाती कमर और कमर के नीचे कत्ल का सामान ! कामया ने आज साड़ी बहुत नीचे बाँधी थी जहाँ से उसके नितंबो का उठान चालू होता था ! उसका बनाव शृंगार ही बता रहा था क़ि बहू मिलन चाहती है ! इतना शृंगार तो स्त्री तभी करती है जब वो अभिसार के मूड मे हो !मदनलाल धीरे से आगे बड़ा और पीछे से बहू के दोनो संतरों को पकड़ लिया ! कामया के मुख से उत्तेजना के मारे हल्की सी सिसकारी निकल गई !ससुर हौले हौले उन्हे दबाने लगा
कामया - - -- बाबूजी प्लीज़ जाइए मम्मी हाल मे बैठी है जो करना है रात को कर लेना !
मदनलाल - -- - रात को मना तो नही करोगी ?
कामया - - - हमने कब मना किया है आप ही नही आते आजकल !
मदनलाल - - आज ज़रूर आएँगे आज रुकना मुश्किल है
कामया - - - क्यों आज क्या खास बात है ?
मदनलाल -- -- आज तो तुम बिल्कुल आग लगा रही हो आज तो आना ही पड़ेगा !
कामया- - - - देखते है क्या होता है
मदनलाल - - - अरे आज तो आना ही है ये वचन है हमारा ? और ऐसा कहकर ससुर ने एकबार बहू के दोनो मस्त नितंबों को सहलाया और बाहर निकल गया !
बाद मे तीनो ने चाय पी और बातचीत कर रहे ही थे क़ि दरवाजे मे ठक ठक की आवाज़ हुई ! बहू ने उठकर दरवाज़ा खोला तो आगुन्तुक को देख कर चौंक गई !
बाहर एक छः फुट का बड़ा ही हेंड्सॅम युवक खड़ा था ! बहुत ही सुंदर गोरा सा था ! उसका चौड़ा सीना ,विशाल कंधे ,बाहों मे फड़कती मछलियाँ बता रही थी क़ि वो जिम क्रेज़ी है उसके चेहरे पर हल्की सी मूँछें थी और बड़ा ही रोबीला लुक था ! कामया उसे अपलक देखे जा रही थी ! उधर आने वाले मेहमान का भी यही हाल था ! वो चकित सा अनिंध सुंदरी कामया को अपलक देखे जा रहा था ! ट्रांसपेरेंट लाल साड़ी मे कामया किसी हेरोइन सी लग रही थी !
कामया आँखों मे गजब का नशा था ! युवक की नज़र धीरे धीरे उसके चेहरे से नीचे की ओर गई और सीने मे जाकर अटक गई वहाँ दो मिसाइल टेक ऑफ के लिए तैयार खड़ी थी ! बड़ी मुश्किल से उसने अपनी नज़रें वहाँ से नीचे की तो कामया का गोरा चिकना पेट किसी संगमरमर की मूर्त के समान दिख रहा था ! युवक बारी बारी से कामया के हर अंग को आँखों से ही पीता रहा ! टाइट साड़ी के अंदर से उसकी पूर्ण विकसित और भारी जांघे भी महसूस हो रही थी !! बहू ने तो आज ससुर के लिए शृंगार किया था अब उसे क्या मालूम था क़ि उसके हुश्न और शवाब का एक और कद्रदान आज टपक पड़ेगा ! कामया युवक को अपनी अधखुली जवानी को यूँ घूरता पा लजा सी गई ! तभी काफ़ी देर के बाद उसे समझ आया क़ि आने वाला कौन है ! आगंतुक को पहचानते ही कामया का चेहरा खुशी से खिल उठा और उसने ज़ोर से सिसकारी लेते हुए कहा
कामया - - - सन्नी तुम ! तुम सन्नी ही हो ना !
सन्नी - - - हां मैं सन्नी ही हूँ !
कामया - - - अरे तो अंदर आओ ना बाहर क्यों खड़े हो !
सन्नी - - - अंदर आने को बोलॉगी तभी तो .चलूँगा ?
कामया सन्नी को अंदर के लेके आई और परिचय कराने लगी
कामया - - - सन्नी ये मम्मी हैं और ये पापा हैं सन्नी ने बारी बारी से दोनो के पैर छुए ! फिर कामया ने कहा
कामया - - - मम्मी आपने पहचाना इसको
शांति -- - - नही मुझे तो कुछ याद नही आ रहा
कामया - - - पापा आपने पहचाना
मदनलाल - - - नही बहू मुझे भी कुछ याद नही आ रहा
कामया - - -- याद करने की कोशिश कीजिए ! आप इसके पापा को जानते हैं और उनके साथ कॉकटेल पार्टी भी हुई है
मदनलाल - - - ऐसा कौन है भाई जो मुझे याद नही आ रहा और इतना करीब था ?
कामया - - - बाबूजी ये मेरे मामाजी का लड़का है सन्नी !!!!
मदनलाल - - - ओह तो ये यशवंत का लड़का है अरे ये तो कितना बड़ा हो गया चार साल पहले शादी के दिन तो ज़रा सा था दुबला पतला खजूर के जैसा लंबा !
कामया - - - बाबूजी इसी लिए तो मैं भी कुछ देर पहचान नही पाई !
मदनलाल - -- अच्छा बेटा यशवंत कैसा है उसकी नेतागिरी कैसी चल रही है ? शादी के बाद तो फिर मिलना ही नही हो पाया ! दरअसल जब कामया की शादी बात चल रही थी जितनी भी बार मदनलाल आया था हर बार कामया की माँ ने मामाजी को भी बुला लिया था और हर बार मदनलाल और मामा का पीना पिलाना भी चला !
सन्नी - - - पापा बिल्कुल बढ़िया हैं उन्होने कहा था की मेरी तरफ से भी मेजर साहब को नमस्ते कह देना !
मदनलाल - -- अरे बेटा काय का मेजर वेजर ! नेता लोगो के सामने हम कहाँ ठहरते हैं !
कामया - - - अच्छा सन्नी तू ये बता अचानक यहाँ आया कैसे ?
सन्नी - - - वो क्या है दीदी आजकल दुकान की खरीदी मैं ही करता हूँ बुआ के शहर मे जाकर ! इस बार वहाँ गया तो दुकानदार और प्रशासन के बीच किसी बात पर हड़ताल चल रही थी !इसलिए पापा ने यहाँ जाने को बोल दिया पहले पापा भी यही से माल ले जाते थे क्योंकि यहाँ की मंडी बड़ी है ! बस यहाँ आता देख बुआ ने आपका पता और नंबर दे कर कह दिया क़ि दीदी से ज़रूर मिलकर आना ! बस सुबह से खरीदी कर रहा हूँ और अब आपके पास आ गया एक दो घंटे के लिए !
कामया -- - क्या सन्नी तू सुबह से यहाँ आया है और अब घर आ रहा है ? सीधा सुबह यहाँ नही आ सकता था ?
शांति - -- अरे बहू अब डांटना छोड़ आख़िर आ तो गया ना ! चल अब उसको गेस्ट रूममे ले जा और सामान वगेरहा रखवा !आज मत लौटने देना इसे !
कामया - - - नही नही आज कैसे लौट पाएगा मैं भी देखती हूँ ! कामया उसका छोटा सा बेग लेकर चली और पीछे पीछे सन्नी उसकी थिरकति हुई मदमस्त गांद घुरता जा रहा था ! कमरे मे जाकर कामया सन्नी के लिए कमरा तैयार करने लगी पर सन्नी उसे ही घूरे जा रहा था और इस बात को कामया ने भी नोट कर लिया लेकिन वो अपने काम मे लगी रही !
कामया की इसी गांद को सन्नी घूर रहा था - --
जब वो झुक कर बिस्तर लगाने लगी तो साड़ी मे से उसकी एस क्रेक दिखने लगा जिसे देख कर सन्नी की नज़रें वहीं चिपक सी गई !
सीन देखकर सन्नी का लॅंड टनटना गया और उसकी पेंट मे तंबू सा बन गया ! चादर ठीक कर के जैसे ही कामया पलटी उसने सन्नी को अपनी गदराई गांद को घूरते पाया साथ ही उसने सन्नी की पेंट मे बने टेंट को भी देख लिया ! कामया ने फ़ौरन अपना मुँह दूसरी तरफ करते हुए कहा
कामया - - - सन्नी तुम आराम करो मैं चाय लेकर आती हूँ
सन्नी - - - जी दीदी !! लेकिन सन्नी को अब आराम कहाँ आने वाला था ! जिस कामया को वो बचपन से अपने ख्वाबों मे देखता था वो इतना ग़दरा चुकी होगी उसने सोचा भी ना था !
सन्नी बाइस साल का जवान युवक था और अपने बाप की तरह ही पूरा लंपट बन चुका था ! पैसे की कोई कमी नही थी बाप ज़मींदार था !
बाइस साल की उम्र मे वो बाइस से ज़्यादा औरतों को निपटा चुका था ! उसकी सबसे आसान शिकार होती थी उसके खेतों मे काम करने वाली ग़रीब मजदुरनियाँ ! मोहल्ले की कुछ अतृप्त भौज़ियाँ भी उसकी लिस्ट मे थी और आस पास की धंधे मे चलने वाली भी गाहे बगाहे उसके हरम मे आ जाती थी ! घर से पाँच किलोमीटर दूर उनका लगभग पाँच एकड़ का एक खेत था और उसमे कुछ कमरे भी बने हुए थे बस वही जगह बाप बेटे दोनो की एशगाह थी ! सन्नी ने अपनी जिंदगी मे कई माल चखे थे लेकिन कामया जैसा माल तो कभी टच भी कर पाया था ! जब तक कामया किचन मे नही घुस गई तब तक सन्नी उसका पिछवाड़ा देखता रहा ! इधर कामया को भी मालूम था क़ि सन्नी की नज़र उसी पर है ! वो चाय बनाने लगी पर उसका दिमाग़ इसी बात पर अटक गया था ! वो सोचने लगी पता नही ये लड़के जब थोड़ा बड़े हो जाते हैं तो इनको क्या हो जाता है ! मैं उसकी बहन हूँ पर मुझ पर ही फिदा हो रहा है ! फिर उसने धीरे से अपनी गांद पर हाथ फिराया और बुदबुदाई "" सब कसूर इसी का है निगोडी सब को पागल बना देती है जब बाबूजी जैसे बूढ़े आदमी नही बचे तो ये तो अभी कुँवारा है ये क्या संभालेगा अपने आपको ""?
चाय लेकर कामया फिर सन्नी के पास पहुँची सन्नी चाय पीने लगा जबकि कामया वहीं बैठ गई ! सन्नी बार बार उसके बदन को घूर रहा था
कामया - - - सन्नी क्या बात है ?
सन्नी - - दीदी कुछ नही
कामया - - - फिर ऐसे मुझे घूर क्यों रहा है ? सन्नी ने भी सोचा यहाँ ज़्यादा दिन रहना तो नही है क्यों खाली पीली टाइम खोटी किया जाय सो वो बोल पड़ा
सन्नी - - - दीदी साड़ी मे आप बहुत हॉट लग रही है !
कामया - - - चुप बदमाश !!! अपनी दीदी को हॉट बोलता है
सन्नी - - -- दीदी क्या करूँ जो सच है मैने बोल दिया !
कामया - - - चुपकर तेरी हमेशा की यही आदत है ! पहले भी मैं जब कभी पूछती थी ""सन्नी कैसी लग रही हूँ तूने कभी ये नही कहा सुंदर लग रही हूँ हमेशा यही कहता था क़ि दीदी बहुत हॉट लग रही हो ""
सन्नी - -- दीदी मेरी यही आदत है मुझ से सच्चाई छुपाई नही जाती
कामया - - - ज़्यादा पागल मत बन ये मेरी ससुराल है किसी ने सुन लिया क़ि भाई, बहन को हॉट कह रहा था तो लोग शक करने लगेंगे
सन्नी - - - कैसा शक दीदी ?
कामया - - -- यही कि भाई बहन के बीच कुछ ?? फिर कामया अचानक चुप हो गई और बाहर चली गई !
सन्नी कामया की अधूरी बात से खुश हो गया बात उसी दिशा मे चली गई थी जहाँ वो ले जाना चाहता था !
सन्नी अब पूरी तरह कामया का दीवाना हो चुका था पर उसे समझ नही आ रहा था क़ि किस तरह उसे पटाया जा सकता है ! उधर कामया वहाँ से निकल कर अपने कमरे मे चली गई अब उसे खाना बनाना था इसलिए उसने एक मेक्शी पहन ली ! वो मेक्शी बहुत ही ट्राणस्परांट थी जो कामया ने पहली बार बेडरूम से बाहर पहनी थी ! मेक्शी से उसका बदन छुप कम रहा था और दिख ज़्यादा रहा था ,उसकी ब्रा पेंटी के डिज़ाइन और प्रिंट तक दिख रहे थे ! बाबूजी और मम्मी भी कुछ सामान लेने बाजार की ओर चल दिए थे ! इधर सुनील का हथियार बैठने का नाम नही ले रहा था जबसे उसने हुश्न परी कामया की गंध ली थी तब ही से वो बावला हो गया था ! काफ़ी देर तक वो बैठ कर सोचता रहा मगर कोई आइडिया दिमाग़ मे नही आ रहा था सबसे बड़ी दिक्कत ये थी की वो रिश्ते मे उसकी दीदी लगती थी अगर भाभी होती तो सन्नी अभी तक अपना मिशन शुरू कर चुका होता ! आख़िर मे उसने तय किया क़ि चाहे थोड़ा रिस्क लेना पड़े मगर हिम्मत तो करनी ही पड़ेगी अगर बात नही बनी या बिगड़ गई तो ज़्यादा से ज़्यादा भविष्य मे यहाँ नही आएगा ! उसे आगे कदम बड़ाने के लिए दो मुद्दे प्रोत्साहित कर रहे थे पहला हर लड़की अपनी सुंदरता की तारीफ करना पसंद करती है और दूसरा यह कि कामया पति से दूर थी इसलिए वो विरह की आग मे जल रही होगी ! अपने प्लान को फाइनल कर वो कमरे से निकला तो यह जान कर खुश हो गया क़ि इस वक्त अंकल आंटी भी नही हैं ! कामया किचन मे काम कर रही थी सन्नी वहीं पहुँच गया ! कामया उससे मामा मामी आदि के बारे मे बात करने लगी ,सन्नी हाँ हूँ कर रहा था मगर उसकी नज़र अब कामया की मस्त मस्त थाइस पर गड़ गई थी !
लड़कियों की या यों कहें की औरतों की गोरी चिकनी गदराई जांघें सन्नी की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी ! उसे चुचियाँ या बूब्स भी इतने सेक्सी नही लगते थे जितना वो लेग पीस का दीवाना था ! इधर कामया को भी पता था क़ि छोटा भाई की नज़र उसके बदन पर ही लगी है लेकिन वो सोच रही थी हटाओ बेचारा देखने के अलावा कर भी क्या सकता है ! अब सन्नी बातों को अपने हिसाब से मोल्ड करना चाहता था सो उसने चारा फेंका -
सन्नी -- -- दीदी आप नाराज़ तो नही हैं ?
कामया - - - किस बात पर ?
सन्नी - - - वो मैने आपको हॉट कह दिया था
कामया - --- नहीं भाई मैं नाराज़ नही हूँ ,पर मैं कहाँ से तुझे हॉट लगाने लगी !
सन्नी - - - जी वो आप शादी से पहले बहुत स्लिम थी पर अब काफ़ी भर गई हैं इसलिए ज़रा हॉट लगने लगी हैं ! सन्नी ने ""भर गई "" शब्द पर ज़रा ज़ोर देकर कहा !
कामया - -- समझ गई सीधा बोलना मोटी हो गई हो
सन्नी - - - नही दीदी मोटी कहाँ हुई हो ! मोटी क्यों बोलूं ?
कामया - - - तो ये भर गई हो मतलब क्या होता है
सन्नी - - -- भर गई मतलब दीदी अब आपका फिगर एकदम मस्त हो गया है ! छोटे भाई के मुँह से अपने लिए मस्त शब्द सुनकर कामया शर्मा गई ! भाई छोटा ज़रूर था पर पूरा जवान था और कामया ये भी नोट कर रही थी कि उसके पेंट मे टेंट अभी तक नोन स्टॉप बना हुआ है ! पता नही उसे अपनी जवानी तारीफ सुनकर क्या नशा चढ़ा क़ि वो बिना सोचे समझे ही बोल बैठी
कामया - - - चल पगले कुछ भी बोलता रहता है ! बता तो ज़रा कहाँ से भर गई हूँ मैं ?
सन्नी ऐसे ही किसी मौके की ही तलाश मे था वो जानता था इस कमसिन जवानी की उम्र मे अगर लौंडिया को मर्द छूने लगता है तो लौंडिया गनगना जाती है वो धीरे से एक कदम बढ़ा और कामया की गांद पर अपने हाथ फेरते हुए बोला
सन्नी - - - देखो ना दीदी यहाँ कितना मस्त फिगर बन गया है आपका ! सन्नी एक नंबर का कमीना आदमी था सौ कमीने मरे होंगे तो एक सन्नी पैदा हुआ होगा ! साला अपनी बहन की गांद सहला रहा था और उपर से शरीफ बनकर दीदी भी बोल रहा था ! अपनी कातिल गांद पर सन्नी का हाथ लगते ही कामया के बदन मे झुरजुरी आ गई और सन्नी ने भी उस कंपन को महसूस किया !कामया को समझ नही आ रहा था क़ि उसका भाई ग़लत नियत से हाथ लगा रहा है या नॉर्मल वे मे छू रहा है क्योंकि वो अभी भी बड़ी सभ्यता से दीदी बोल रहा था !
कामया - -- चल हट झूटे !!! कुछ नही भरा है वो पहले भी ऐसे ही थे ! सन्नी ने महसूस कर लिया था क़ि कामया की साँसे तेज़ हो गई हैं और वो जानबूझ कर नॉर्मल बनने की कोशिश कर रही है तो उसने एक और हिम्मत कर ली ! उसने अपना हाथ और नीचे कर अपने पसंदीदा जगह जांघों पर रखा और सहलाता हुआ बोला
सन्नी - - - दीदी सच बोल रहा हूँ ,आपकी थाइस भी और भर गई हैं ! मैं बेट लगा सकता हूँ अब आपको पहले वाली जीन्स नही फिट हो सकती !
कामया की जांघों को की बात करते करते अचानक सन्नी को कई साल पहले की एक घटना याद आ गई ! एक बार वो कामया के घर गया हुआ था तब एक दिन कामया उसके पास टॉप और एक अल्ट्रा शॉर्ट जीन्स पहन कर आ गई ! शॉर्ट मे से उसकी दो तिहाई मस्त मस्त जांघे बाहर दिख रह थी! सन्नी उस समय दसवी मे पढ़ता था सो कामया उसको बच्चा ही समझती थी !सन्नी के पास आते ही कामया ने पूछा
कामया - - - भाई कैसी लग रही हूँ ?
और उस दिन पहली बार सन्नी के मुख से निकला था
सन्नी - - - दीदी बड़ी हॉट लग रही हो !!!???
जाँघ मे हाथ लगते ही कामया काँपने लगी! सन्नी ने अब अपना हाथ अंदरूनी जाँघ मे फिराने लगा ! अब कामया को डर लग रहा था क़ि कहीं भाई थोड़े और उपर हाथ ले जाएगा तो उसे गीलापन फील होने लगेगा ! उसने कहा
कामया - - - सन्नी हाथ हटा गुदगुदी लग रही है
सन्नी ने भी फ़ौरन जाँघ से हाथ हटा कर फिर से तरबूजों पर रख दिया और सहलाने लगा ! दोनो इधर उधर की बाते करने लग तभी सन्नी अपनी उंगली कामया की पेंटी लाइनिंग मे फेरने लगा बीच -२ मे वो लाइनिंग की एलास्टिक भी थोड़ा उठा देता कामया को ऐसा महसूस हुआ क़ि अगर सन्नी ऐसे ही सहलाता रहा तो कही वो ओर्गस्म मे ना आ जाए इसलिए उसने एक बार फिर सन्नी को कहा
कामया - - - सन्नी वहीं पर पकड़ा रहेगा क्या ? जितना भर गई हूँ उतना निकालने का इरादा है क्या ! सन्नी ने अब अपना हाथ वहाँ से भी हटा लिया ! जब तक लौंडिया पूरी तरह काबू मे ना आ जाए वो लड़कियों की हर बात मानता था ताकि उन्हे लगे क़ि वो बहुत सज्जन टाइप का है ! लेकिन सन्नी ने हाथ वहाँ से हटा कर उसकी नंगी कमर पर रख दिया ! सॉफ्ट चिकनी त्वचा सन्नी को मदहोश कर रही थी ! अचानक कामया ने पूछा
कामया - - - एक बात पूछूँ ?
सन्नी - ---- बोलो ना दीदी
कामया - - - तेरी कोई गर्ल फ्रेंड है ?
सन्नी - - - नहीं दीदी कोई नही है
कामया - - - सन्नी झूट मत बोल
सन्नी - -- दीदी सच कह रहा हूँ ! अब कामया भला क्या जानती थी क़ि सन्नी गर्ल फ्रेंड नही केवल फक फ्रेंड बनाता था !
कामया - -- मैं नही मानती ! तेरी बातों से तो पक्का है क़ि तेरी कोई जी एफ ज़रूर होगी !
सन्नी - - - क्यों मैने ऐसी कौन सी बात कर दी
कामया - - ये जो तू बोल रहा था ना क़ि तुम हॉट लगती हो और मस्त फिगर वगेरह ! ये सब तेरी उमर के लड़के तभी सीखते हैं जब उनकी कोई लड़की से दोस्ती बन जाती है
सन्नी - - - दीदी आप को तो मालूम है छोटे कस्बों मे गर्ल फ्रेंड मिलना बहुत मुश्किल होता है !
कामया - - - रहने दे आजकल गाँव की लड़कियाँ ज़्यादा आगे निकल गई हैं ! पक्का तेरी कोई गर्ल फ्रेंड होगी जिसने तुझे ये सब सिखाया है ! इसी दरम्यान सन्नी ने अपना हाथ पीछे से कामया के आगे ले जाकर पेट पर रख दिया और उंगलियाँ ऐसे चलाने लगा जैसे हारमोनियम बजा रहा हो !
कामया - - - सन्नी सच बता ना ! मुझसे शर्मा क्यों रहा है मैं कोई तुझे डाँटने थोड़ी जा रही हूँ ! कामया ने उखड़ती हुई साँसों के साथ कहा !
सन्नी - - - दीदी सच बोल रहा हूँ ! मैं लड़कियों से बात ही नही करता ! बस एक आप हो जो हमारे यहाँ आती थी या हम आपके वहाँ जाते थे तो आपसे बात करता था ! आपके अलावा मैं किसी लड़की के नज़दीक कभी नही रहा
कामया - - - झूट बोल रहा है ना ?
सन्नी - - - नही दीदी ! बल्कि मुझे तो ये लग रहा है क़ि --- - --
कामया - - - क्या लग रहा है ?
सन्नी - - -- आप ही मेरी दीदी भी हो और आप ही मेरी गर्ल फ्रेंड भी हो !
कामया - -- - क्या सन्नी तू पागल हो गया है क्या ,मैं तेरी बहन हूँ !
सन्नी - - - तो क्या हो गया गर्ल फ्रेंड तो बस इंग्लीश नाम है जैसे लड़का दोस्त हो तो फ्रेंड लड़की दोस्त हो तो गर्ल फ्रेंड
! क्या आप मेरी दोस्त नही हो सकती ? कामया को कुछ समझ नही आ रहा था क़ि सन्नी बोल रहा है ! वो सोचने लगी ""क्या सन्नी को गर्ल फ्रेंड का मतलब नही मालूम ? क्या सचमुच ये इतना सीधा है ? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है इतना बड़ा जवान है इतना तो समझता होगा ! क्या जानबूझ कर उसे बहका रहा है ? नही नही ऐसा होता तो पगला बार बार दीदी दीदी नही बोलता फिर ?? फिर उसे याद आया उसकी सहेलियाँ कहती थी क़ि जिम अखाड़े जाने वाले लड़के मटठर हो जाते हैं लगता है सन्नी का दिमाग़ भी ऐसा ही हो गया है बिल्कुल भट् हो गया है ! पगले को ये ही नही मालूम क़ि केवल फ्रेंड होना और गर्ल फ्रेंड होने मे बहुत अंतर है जो वो गर्ल फ्रेंड के साथ कर सकता है वो फ्रेंड के साथ थोड़ी ना कर सकता है ! अभी कामया यही सब सोच रही थी क़ि सन्नी ने उसे पीछे से ही अपनी बाहों मे कसकर लपेट लिया और कान के पास अपनी जीभ लाकर पूछा
सन्नी - - -- बोलो ना दीदी बनोगी ना मेरी गर्ल फ्रेंड ?
कामया - - - ठीक है बनूँगी मगर किसी और को मत कहना !
दीदी की बात सुनकर सन्नी ने खुश होने का नाटक करते हुए उसे ज़ोर से भींच लिया उसके दोनो हाथ कामया के गोलों के करीब आ चुके थे जिससे घबडा कर कामया पीछे को हटी तो सन्नी का फन्नी सीधे उसके एस क्रेक मे धँस गया ! कामया की हालत खराब होने लगी उसके पूरा शरीर पसीने पसीने होने लगा ! तभी गेट खुलने की आवाज़ आई तो उसने अपने को सन्नी से छुड़ाया और कहा
कामया - - - चल तू जा यहाँ से और मुझे खाना बनाने दे ! वक्त की नज़ाकत को देखते हुए सन्नी वहाँ से निकल कर अपने रूम मे चला गया !
शांति तो हाल मे ही बैठ गई और मदनलाल सामान लेकर किचन मे आया और वहाँ कामया को पारदर्शी मेक्शी मे देख कर उसका खून उबाल मारने लगा ! वो समझ गया क़ि बहू बहुत हीट मे है क्योंकि हमे बहू के पास गये कई दिन हो गये हैं शायद इसी लिए बहू हमे इशारा करने के लिए इतना कुछ कर रही है ! वो सोचने लगा पहले तो इतनी सेक्सी साड़ी पहने थी और अब बिल्कुल अधनंगी दिखने वाली मेक्शी पहन ली है ,आज रात तो इसकी गर्मी शांत करनी ही पड़ेगी वरना कल सुबह बहू कहीं नंगी ही ना घूमने लगे ! मदनलाल ने थैला रखा और कामया की गांद मे हाथ फेरता हुआ बोला
बहू को छेड़ता ससुर - -
मदनलाल - - - क्या बात है जान आज कुछ ज्यदा ही उतावली हो ?
कामया - -- क्या मतलब हम समझे नही ?
कामया - - - ये क्या पहनी हो सब कुछ तो दिख रहा है ! छुप तो कुछ नही रहा ! लगता है आज कुछ करना ही पड़ेगा !
कामया - -- चुप रहिए और जाइए यहाँ से घर मे कई लोग हैं समझे !
मदनलाल - - - ठीक है ठीक है जा रहे है ! और जाते मदनलाल ने उसकी गांद मे उंगली डाल दी जिससे कामया के मुँह से सिसकारी निकल गई !
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बहकती बहू--24
कुछ देर की चुप्पी के बाद आख़िर मदनलाल ने ही निर्णायक कदम उठाया वो मर्द था और इन मामलों मे पहल उसे ही करनी थी ! उसने कामया को पकड़ कर अपनी बाहों मे भर लिया और उसके होंठ बहू के रसभरे होंठों से जा मिले ! बहू ने भी ससुर को कस कर पकड़ लिया कई दिनो से प्यासी जो थी ! मदनलाल के हाथ अपने चिर परिचित अंदाज़ मे बहू के भूगोल को मापने लगे !
अब आगे - - -
ज्यों ज्यों समय बीतता जा रहा था ससुर बहू का मिलाप और कामुक होता जा रहा था ! मदनलाल बहू के हर नाज़ुक अंग को छू रहा था और जहाँ जितना दबाव डालना चाहिए उतना दबाव डालता जा रहा था !बाबूजी की हरकतों से कामया के जवां बदन मे वासना के शोले भकड़ने लगे थे ! दोनो धीरे धीरे बहकते जा र्रहे थे किंतु दोनो एक दम निशब्द थे ! कब दोनो निर्वस्त्र हो गये उन्हे पता ही नही चला ! ऐसा लग रहा था जैसे नवयुगल सुहागरात मना रहे हों !नव विवाहित जब पहली बार मिलते हैं तो दोनो के बीच मौन संवाद ही ज़्यादा होता है और उसका कारण भी रहता है ! एक जवान लड़की पहली बार एक अंजान पुरुष के साथ होती है वो भी समर्पण करते हुए ऐसी दशा मे वो लाज के कारण ज़्यादा बोल नही पाती बस अपने पति का सहयोग करती रहती है क्योंकि उसे मालूम रहता है क़ि आज के दिन ये सब होगा ! आज कामया और बाबूजी के बीच भी मौन पसरा हुआ था बस वो ज़्यादा शर्मा नही रहे थे जैसे नया जोड़ा शरमाता है ! नई दुल्हन कई बार तोड़ा हिचकती है थोड़ा ना नुकुर करती है किंतु चूँकि कामया नई नहीं थी और बाबूजी के साथ खेली खाई थी इसलिए बाबूजी के इशारों के अनुसार एक्सन ले रही थी जैसे ही मदनलाल ने उसका सिर नीचे की ओर करना शुरू किया वो बाबूजी की मंशा समझ गई और उसने हौले से बाबूजी के बदमाश को अपने मुँह मे ले लिया !
अब कमरे मे फिर वासना का तूफान आ चुका था ! दोनो भूल गये क़ि कुछ दिनो तक वो किस गम मे डूबे हुए थे ! जब मदनलाल बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया तो उसने बहू को चित लिटा दिया और खुद उसके टाँगों के बीच आ गया !
मदनलाल जब बहू के टाँगों के बीच आ जाता तो उसे अपने पर धीरज रखना मुश्किल हो जाता ! उसने समय बर्बाद ना करते हुए हुए अपने पप्पू को बहू की मुनिया के सामने रखा और धीरे से पुश कर दिया ! बहू के मुँह से कामोत्तेजक सिसकारी निकल गई आख़िर कई दिन बाद उसे खुराक जो मिली थी ! मदनलाल ने अगले दो तीन थाप मे पूरा सामान जड़ तक अंदर ठेल दिया !
पूरा औजार अंदर जाने के बाद बाबूजी ने थोड़ा साँस लिया और फिर अपना इंजन चालू कर दिया ! उनका मूसल किसी पिस्टन की तरह बहू के सिलेंडर मे अंदर बाहर हो रहा था ! बाबूजी के हर स्ट्रोक पर बहू के अंदर आग भड़क उठती ! उसकी कमसिन जवानी अपने पूरे उठान पर आ गई और वो भी नीचे से बाबूजी का साथ देने लगी !मदनलाल ज्यों ज्यों आरपीएम बढ़ाता त्यों त्यों तो बहू के अंदर ज़्यादा होर्श पॉवर बनने लगता ! कमरा एक बार फिर हमेशा की तरह ससुर बहू की साँसों की आवाज़ और मदनलाल की ठाप से गूंजने लगा ! मदनलाल लगभग पाँच मिनिट तक बहू को एक ही आसन मे पेलता रहा ! आज उसने कोई एक्सपेरिमेंट भी नही किया केवल मशीन की तरह उसका शरीर चलता रहा!एक ही स्टाइल मे वो थोड़ा बोर हो गया था उसने अपना लॅंड बाहर निकाला और बहू को घोड़ी बनने को बोला !आज वो कई दिन बाद बहू के पास आया था उपर से दवाइयों का की गर्मी भी बहुत थी इस वजह से उसके अंड कोषों मे एकदम से उबाल आ गया और इससे से पहले क़ि कामया घोड़ी बन पाती उसने एक लंबी गहरी साँस के साथ अपना सारा वीर्य बहू के स्तनों मे उडेल दिया !
कुछ देर वो चुपचाप बहू के उपर ही पड़ा रहा फिर उठकर बिना कुछ बोले चल दिया !
अब कामया और बाबूजी के संबंध मे जोश और उत्साह ख़त्म सा हो गया था ! बाबूजी को तो अब ज़्यादा इच्छा नही होती थी किंतु शरीर का तनाव उन्हे बहू के पास जाने को मजबूर कर देता था ! पहले जहाँ जो वो रोज बहू के कमरे मे जाते थे अब हफ्ते मे दो बार जाने लगे और फिर वो भी घटकर हफ्ते मे एक बार हो गया ! बाबूजी का तो इतने मे भी काम चल जाता था किंतु कामया का बदन उसे बहुत परेशान कर देता था लेकिन वो भी समय के हाथों हार मान चुकी थी ! ""मदनलाल निकेतन"" के हालत मे कोई बदलाव नही आया और अगली बार भी बहू महीने से हो गई !धीरे धीरे मदनलाल भी बिल्कुल टूट चुका था ! ऐसे ही दो महीने बीत गये कामया फिर माहवारी से हो गई ! घर का वातावरण भी अब शांत शांत सा रहता ! एक रात ऐसे ही मदनलाल जब बहू के उपर से उठकर चुपचाप जाने लगा तो कामया ने कहा -
कामया - -- बाबूजी हमे आपसे एक बात पूछनी है ?
मदनलाल - - - कहो क्या बात है ?
कामया - - - बाबूजी हमे सुनील का तो समझ आता है क़ि वो इन मामले मे कमजोर हैं किंतु आप से तो हमे हो जाना चाहिए था ना ! फिर भगवान हमारे साथ क्यों ऐसा कर रहा है ?
मदनलाल - - - बहू अब मैं इस बारे तुम्हे क्या बता सकता हूँ हो सकता है उमर ज़्यादा होने के कारण मुझमे बीज कम बन पा रहे हों !
कामया - - - तो इसका कोई इलाज़ तो होगा ? आप कुछ लेते क्यों नही ? इलाज़ के नाम से मदनलाल के दिमाग़ की बत्ती जल गई ! वो दूसरे दिन बाज़ार से कई आयुर्वेदिक नुस्खे ले आया जैसे बसंत कुसमाकर रस ,मकर ध्वज वॅटी ,शुक्र वल्लभ चूर्ण आदि आदि ! लाकर उसने सारा सामान बहू के कमरे मे ही रख दिया और बोला
मदनलाल - - - बहू हम कई प्रकार के योग ले आए हैं! बस अब तुम भी भगवान से प्रार्थना करो क़ि सब ठीक हो जाए !
दवाइयों का कुल असर इतना ज़रूर हुआ क़ि जहाँ मदनलाल का इंटरेस्ट ख़त्म हो रहा था वहीं दवाइयाँ उसकी नसों मे जान ले आई जिससे उसे कामया के पास जाना ही पड़ता !दिन पर दिन हफ्ते पर हफ्ते बीतते चले गये मगर मदनलाल के घर मे कोई भी खुशख़बरी नही आ पा रही थी !बहू एक बार फिर महीने से आ गई ! मदनलाल करीब हफ्ते भरसे उससे दूर था और आज जब उसका मूड बन रहा था तो एक नई आफ़त चली आई !
और इस आफ़त की पूडिया का नाम था ""कंचन "" ! मदनलाल की एकलौती लड़की !
कंचन अपने दोनो बच्चों के साथ हफ़्ता भर रहने चली आई थी ! वो इसी शहर मे लगभग दो घंटे की दूरी मे रहती थी ! आते साथ ही दोनो बच्चों ने मामी मामी बोलते हुए कामया के कमरे मे ही डेरा जमा लिया मजबूरन कंचन को भी वही रहना पड़ गया !अब एक हफ्ते और मदनलाल को बहू से दूर रहना था क्योंकि कंचन के रहते वो किसी भी तरह की रिस्क नही ले सकता था !और इस का कारण ये था क़ि कंचन बहुत ही तेज़ तर्रार टाइप की लड़की थी साथ ही साथ चालू किस्म की भी थी ! उसने अपने कुंवारेपन मे ही करतब दिखाने शुरू कर दिए थे ! कंचन के कारण कुछ होना तो छोड़ो मदनलाल ने बहू को टच भी नही किया और उससे दूर दूर ही रहा !जिस दोपहर कंचन अपने घर लौटी उस दिन मदनलाल और बहू के मिलाप को दो हफ़्ता बीत गये थे ! वैसे तो मदनलाल की उमर के हिसाब से दो हफ़्ता तो क्या दो महीना भी कोई फ़र्क नही डाल पाता था किंतु घर का चिराग पैदा करने की आकांक्षा और बाजीकारक दवा का असर उसके अंदर जोश भर देता था ! लंच करने के बाद कंचन चली गई और कामया का परिवार सोने के लिए चला गया ! पाँच बजे कामया उठी उसका पूरा शरीर बाबूजी की माँग कर रहा था उसे आज रात हर हाल मे बाबूजी का साथ चाहिए था ! अपनी बात बाबूजी को पहुँचाने के लिए उसने सजना सवंरना चालू किया ! उसने एक बेहद ही खूबसूरत साड़ी पहनी जो उसकी पिछली मेरीज अनवर्सरी मे बाबूजी अपनी पसंद से लाए थे ! आज उसने कई दिनों बाद स्लीव लेस ब्लाउस पहना ! फिर चेहरे पर अच्छे से मेकप किया और बन ठन के अपने कमरे से बाहर निकली ! इतना तो वो तब भी नही सजति थी जब सुनील घर मे होता था ! इस वक्त वो गजब की सुंदर और सेक्सी लग रही थी या यह कहिए क़ि कत्ल की मशीन लग रही थी ! मदनलाल ने जैसे ही उसे देखा तो उसके प्राण गले को आ गये ! बहू ने उसे नशीली नज़रों से देखा और किचन की ओर चल दी !
कामया चाय बना रही थी क़ि तभी मदनलाल बहाने से किचन मे चला आया !वो एक टक बहू के योवन रस का आँखों से पान कर रहा था !बहू के नशीली आँखे कजरारे गाल, रसभरे लब , सुरहीदार गर्दन ,संगमरमरी बाहें ,डीप कट ब्लाउस से झाँकते उरोज ,पतली बलखाती कमर और कमर के नीचे कत्ल का सामान ! कामया ने आज साड़ी बहुत नीचे बाँधी थी जहाँ से उसके नितंबो का उठान चालू होता था ! उसका बनाव शृंगार ही बता रहा था क़ि बहू मिलन चाहती है ! इतना शृंगार तो स्त्री तभी करती है जब वो अभिसार के मूड मे हो !मदनलाल धीरे से आगे बड़ा और पीछे से बहू के दोनो संतरों को पकड़ लिया ! कामया के मुख से उत्तेजना के मारे हल्की सी सिसकारी निकल गई !ससुर हौले हौले उन्हे दबाने लगा
कामया - - -- बाबूजी प्लीज़ जाइए मम्मी हाल मे बैठी है जो करना है रात को कर लेना !
मदनलाल - -- - रात को मना तो नही करोगी ?
कामया - - - हमने कब मना किया है आप ही नही आते आजकल !
मदनलाल - - आज ज़रूर आएँगे आज रुकना मुश्किल है
कामया - - - क्यों आज क्या खास बात है ?
मदनलाल -- -- आज तो तुम बिल्कुल आग लगा रही हो आज तो आना ही पड़ेगा !
कामया- - - - देखते है क्या होता है
मदनलाल - - - अरे आज तो आना ही है ये वचन है हमारा ? और ऐसा कहकर ससुर ने एकबार बहू के दोनो मस्त नितंबों को सहलाया और बाहर निकल गया !
बाद मे तीनो ने चाय पी और बातचीत कर रहे ही थे क़ि दरवाजे मे ठक ठक की आवाज़ हुई ! बहू ने उठकर दरवाज़ा खोला तो आगुन्तुक को देख कर चौंक गई !
बाहर एक छः फुट का बड़ा ही हेंड्सॅम युवक खड़ा था ! बहुत ही सुंदर गोरा सा था ! उसका चौड़ा सीना ,विशाल कंधे ,बाहों मे फड़कती मछलियाँ बता रही थी क़ि वो जिम क्रेज़ी है उसके चेहरे पर हल्की सी मूँछें थी और बड़ा ही रोबीला लुक था ! कामया उसे अपलक देखे जा रही थी ! उधर आने वाले मेहमान का भी यही हाल था ! वो चकित सा अनिंध सुंदरी कामया को अपलक देखे जा रहा था ! ट्रांसपेरेंट लाल साड़ी मे कामया किसी हेरोइन सी लग रही थी !
कामया आँखों मे गजब का नशा था ! युवक की नज़र धीरे धीरे उसके चेहरे से नीचे की ओर गई और सीने मे जाकर अटक गई वहाँ दो मिसाइल टेक ऑफ के लिए तैयार खड़ी थी ! बड़ी मुश्किल से उसने अपनी नज़रें वहाँ से नीचे की तो कामया का गोरा चिकना पेट किसी संगमरमर की मूर्त के समान दिख रहा था ! युवक बारी बारी से कामया के हर अंग को आँखों से ही पीता रहा ! टाइट साड़ी के अंदर से उसकी पूर्ण विकसित और भारी जांघे भी महसूस हो रही थी !! बहू ने तो आज ससुर के लिए शृंगार किया था अब उसे क्या मालूम था क़ि उसके हुश्न और शवाब का एक और कद्रदान आज टपक पड़ेगा ! कामया युवक को अपनी अधखुली जवानी को यूँ घूरता पा लजा सी गई ! तभी काफ़ी देर के बाद उसे समझ आया क़ि आने वाला कौन है ! आगंतुक को पहचानते ही कामया का चेहरा खुशी से खिल उठा और उसने ज़ोर से सिसकारी लेते हुए कहा
कामया - - - सन्नी तुम ! तुम सन्नी ही हो ना !
सन्नी - - - हां मैं सन्नी ही हूँ !
कामया - - - अरे तो अंदर आओ ना बाहर क्यों खड़े हो !
सन्नी - - - अंदर आने को बोलॉगी तभी तो .चलूँगा ?
कामया सन्नी को अंदर के लेके आई और परिचय कराने लगी
कामया - - - सन्नी ये मम्मी हैं और ये पापा हैं सन्नी ने बारी बारी से दोनो के पैर छुए ! फिर कामया ने कहा
कामया - - - मम्मी आपने पहचाना इसको
शांति -- - - नही मुझे तो कुछ याद नही आ रहा
कामया - - - पापा आपने पहचाना
मदनलाल - - - नही बहू मुझे भी कुछ याद नही आ रहा
कामया - - -- याद करने की कोशिश कीजिए ! आप इसके पापा को जानते हैं और उनके साथ कॉकटेल पार्टी भी हुई है
मदनलाल - - - ऐसा कौन है भाई जो मुझे याद नही आ रहा और इतना करीब था ?
कामया - - - बाबूजी ये मेरे मामाजी का लड़का है सन्नी !!!!
मदनलाल - - - ओह तो ये यशवंत का लड़का है अरे ये तो कितना बड़ा हो गया चार साल पहले शादी के दिन तो ज़रा सा था दुबला पतला खजूर के जैसा लंबा !
कामया - - - बाबूजी इसी लिए तो मैं भी कुछ देर पहचान नही पाई !
मदनलाल - -- अच्छा बेटा यशवंत कैसा है उसकी नेतागिरी कैसी चल रही है ? शादी के बाद तो फिर मिलना ही नही हो पाया ! दरअसल जब कामया की शादी बात चल रही थी जितनी भी बार मदनलाल आया था हर बार कामया की माँ ने मामाजी को भी बुला लिया था और हर बार मदनलाल और मामा का पीना पिलाना भी चला !
सन्नी - - - पापा बिल्कुल बढ़िया हैं उन्होने कहा था की मेरी तरफ से भी मेजर साहब को नमस्ते कह देना !
मदनलाल - -- अरे बेटा काय का मेजर वेजर ! नेता लोगो के सामने हम कहाँ ठहरते हैं !
कामया - - - अच्छा सन्नी तू ये बता अचानक यहाँ आया कैसे ?
सन्नी - - - वो क्या है दीदी आजकल दुकान की खरीदी मैं ही करता हूँ बुआ के शहर मे जाकर ! इस बार वहाँ गया तो दुकानदार और प्रशासन के बीच किसी बात पर हड़ताल चल रही थी !इसलिए पापा ने यहाँ जाने को बोल दिया पहले पापा भी यही से माल ले जाते थे क्योंकि यहाँ की मंडी बड़ी है ! बस यहाँ आता देख बुआ ने आपका पता और नंबर दे कर कह दिया क़ि दीदी से ज़रूर मिलकर आना ! बस सुबह से खरीदी कर रहा हूँ और अब आपके पास आ गया एक दो घंटे के लिए !
कामया -- - क्या सन्नी तू सुबह से यहाँ आया है और अब घर आ रहा है ? सीधा सुबह यहाँ नही आ सकता था ?
शांति - -- अरे बहू अब डांटना छोड़ आख़िर आ तो गया ना ! चल अब उसको गेस्ट रूममे ले जा और सामान वगेरहा रखवा !आज मत लौटने देना इसे !
कामया - - - नही नही आज कैसे लौट पाएगा मैं भी देखती हूँ ! कामया उसका छोटा सा बेग लेकर चली और पीछे पीछे सन्नी उसकी थिरकति हुई मदमस्त गांद घुरता जा रहा था ! कमरे मे जाकर कामया सन्नी के लिए कमरा तैयार करने लगी पर सन्नी उसे ही घूरे जा रहा था और इस बात को कामया ने भी नोट कर लिया लेकिन वो अपने काम मे लगी रही !
कामया की इसी गांद को सन्नी घूर रहा था - --
जब वो झुक कर बिस्तर लगाने लगी तो साड़ी मे से उसकी एस क्रेक दिखने लगा जिसे देख कर सन्नी की नज़रें वहीं चिपक सी गई !
सीन देखकर सन्नी का लॅंड टनटना गया और उसकी पेंट मे तंबू सा बन गया ! चादर ठीक कर के जैसे ही कामया पलटी उसने सन्नी को अपनी गदराई गांद को घूरते पाया साथ ही उसने सन्नी की पेंट मे बने टेंट को भी देख लिया ! कामया ने फ़ौरन अपना मुँह दूसरी तरफ करते हुए कहा
कामया - - - सन्नी तुम आराम करो मैं चाय लेकर आती हूँ
सन्नी - - - जी दीदी !! लेकिन सन्नी को अब आराम कहाँ आने वाला था ! जिस कामया को वो बचपन से अपने ख्वाबों मे देखता था वो इतना ग़दरा चुकी होगी उसने सोचा भी ना था !
सन्नी बाइस साल का जवान युवक था और अपने बाप की तरह ही पूरा लंपट बन चुका था ! पैसे की कोई कमी नही थी बाप ज़मींदार था !
बाइस साल की उम्र मे वो बाइस से ज़्यादा औरतों को निपटा चुका था ! उसकी सबसे आसान शिकार होती थी उसके खेतों मे काम करने वाली ग़रीब मजदुरनियाँ ! मोहल्ले की कुछ अतृप्त भौज़ियाँ भी उसकी लिस्ट मे थी और आस पास की धंधे मे चलने वाली भी गाहे बगाहे उसके हरम मे आ जाती थी ! घर से पाँच किलोमीटर दूर उनका लगभग पाँच एकड़ का एक खेत था और उसमे कुछ कमरे भी बने हुए थे बस वही जगह बाप बेटे दोनो की एशगाह थी ! सन्नी ने अपनी जिंदगी मे कई माल चखे थे लेकिन कामया जैसा माल तो कभी टच भी कर पाया था ! जब तक कामया किचन मे नही घुस गई तब तक सन्नी उसका पिछवाड़ा देखता रहा ! इधर कामया को भी मालूम था क़ि सन्नी की नज़र उसी पर है ! वो चाय बनाने लगी पर उसका दिमाग़ इसी बात पर अटक गया था ! वो सोचने लगी पता नही ये लड़के जब थोड़ा बड़े हो जाते हैं तो इनको क्या हो जाता है ! मैं उसकी बहन हूँ पर मुझ पर ही फिदा हो रहा है ! फिर उसने धीरे से अपनी गांद पर हाथ फिराया और बुदबुदाई "" सब कसूर इसी का है निगोडी सब को पागल बना देती है जब बाबूजी जैसे बूढ़े आदमी नही बचे तो ये तो अभी कुँवारा है ये क्या संभालेगा अपने आपको ""?
चाय लेकर कामया फिर सन्नी के पास पहुँची सन्नी चाय पीने लगा जबकि कामया वहीं बैठ गई ! सन्नी बार बार उसके बदन को घूर रहा था
कामया - - - सन्नी क्या बात है ?
सन्नी - - दीदी कुछ नही
कामया - - - फिर ऐसे मुझे घूर क्यों रहा है ? सन्नी ने भी सोचा यहाँ ज़्यादा दिन रहना तो नही है क्यों खाली पीली टाइम खोटी किया जाय सो वो बोल पड़ा
सन्नी - - - दीदी साड़ी मे आप बहुत हॉट लग रही है !
कामया - - - चुप बदमाश !!! अपनी दीदी को हॉट बोलता है
सन्नी - - -- दीदी क्या करूँ जो सच है मैने बोल दिया !
कामया - - - चुपकर तेरी हमेशा की यही आदत है ! पहले भी मैं जब कभी पूछती थी ""सन्नी कैसी लग रही हूँ तूने कभी ये नही कहा सुंदर लग रही हूँ हमेशा यही कहता था क़ि दीदी बहुत हॉट लग रही हो ""
सन्नी - -- दीदी मेरी यही आदत है मुझ से सच्चाई छुपाई नही जाती
कामया - - - ज़्यादा पागल मत बन ये मेरी ससुराल है किसी ने सुन लिया क़ि भाई, बहन को हॉट कह रहा था तो लोग शक करने लगेंगे
सन्नी - - - कैसा शक दीदी ?
कामया - - -- यही कि भाई बहन के बीच कुछ ?? फिर कामया अचानक चुप हो गई और बाहर चली गई !
सन्नी कामया की अधूरी बात से खुश हो गया बात उसी दिशा मे चली गई थी जहाँ वो ले जाना चाहता था !
सन्नी अब पूरी तरह कामया का दीवाना हो चुका था पर उसे समझ नही आ रहा था क़ि किस तरह उसे पटाया जा सकता है ! उधर कामया वहाँ से निकल कर अपने कमरे मे चली गई अब उसे खाना बनाना था इसलिए उसने एक मेक्शी पहन ली ! वो मेक्शी बहुत ही ट्राणस्परांट थी जो कामया ने पहली बार बेडरूम से बाहर पहनी थी ! मेक्शी से उसका बदन छुप कम रहा था और दिख ज़्यादा रहा था ,उसकी ब्रा पेंटी के डिज़ाइन और प्रिंट तक दिख रहे थे ! बाबूजी और मम्मी भी कुछ सामान लेने बाजार की ओर चल दिए थे ! इधर सुनील का हथियार बैठने का नाम नही ले रहा था जबसे उसने हुश्न परी कामया की गंध ली थी तब ही से वो बावला हो गया था ! काफ़ी देर तक वो बैठ कर सोचता रहा मगर कोई आइडिया दिमाग़ मे नही आ रहा था सबसे बड़ी दिक्कत ये थी की वो रिश्ते मे उसकी दीदी लगती थी अगर भाभी होती तो सन्नी अभी तक अपना मिशन शुरू कर चुका होता ! आख़िर मे उसने तय किया क़ि चाहे थोड़ा रिस्क लेना पड़े मगर हिम्मत तो करनी ही पड़ेगी अगर बात नही बनी या बिगड़ गई तो ज़्यादा से ज़्यादा भविष्य मे यहाँ नही आएगा ! उसे आगे कदम बड़ाने के लिए दो मुद्दे प्रोत्साहित कर रहे थे पहला हर लड़की अपनी सुंदरता की तारीफ करना पसंद करती है और दूसरा यह कि कामया पति से दूर थी इसलिए वो विरह की आग मे जल रही होगी ! अपने प्लान को फाइनल कर वो कमरे से निकला तो यह जान कर खुश हो गया क़ि इस वक्त अंकल आंटी भी नही हैं ! कामया किचन मे काम कर रही थी सन्नी वहीं पहुँच गया ! कामया उससे मामा मामी आदि के बारे मे बात करने लगी ,सन्नी हाँ हूँ कर रहा था मगर उसकी नज़र अब कामया की मस्त मस्त थाइस पर गड़ गई थी !
लड़कियों की या यों कहें की औरतों की गोरी चिकनी गदराई जांघें सन्नी की सबसे बड़ी कमज़ोरी थी ! उसे चुचियाँ या बूब्स भी इतने सेक्सी नही लगते थे जितना वो लेग पीस का दीवाना था ! इधर कामया को भी पता था क़ि छोटा भाई की नज़र उसके बदन पर ही लगी है लेकिन वो सोच रही थी हटाओ बेचारा देखने के अलावा कर भी क्या सकता है ! अब सन्नी बातों को अपने हिसाब से मोल्ड करना चाहता था सो उसने चारा फेंका -
सन्नी -- -- दीदी आप नाराज़ तो नही हैं ?
कामया - - - किस बात पर ?
सन्नी - - - वो मैने आपको हॉट कह दिया था
कामया - --- नहीं भाई मैं नाराज़ नही हूँ ,पर मैं कहाँ से तुझे हॉट लगाने लगी !
सन्नी - - - जी वो आप शादी से पहले बहुत स्लिम थी पर अब काफ़ी भर गई हैं इसलिए ज़रा हॉट लगने लगी हैं ! सन्नी ने ""भर गई "" शब्द पर ज़रा ज़ोर देकर कहा !
कामया - -- समझ गई सीधा बोलना मोटी हो गई हो
सन्नी - - - नही दीदी मोटी कहाँ हुई हो ! मोटी क्यों बोलूं ?
कामया - - - तो ये भर गई हो मतलब क्या होता है
सन्नी - - -- भर गई मतलब दीदी अब आपका फिगर एकदम मस्त हो गया है ! छोटे भाई के मुँह से अपने लिए मस्त शब्द सुनकर कामया शर्मा गई ! भाई छोटा ज़रूर था पर पूरा जवान था और कामया ये भी नोट कर रही थी कि उसके पेंट मे टेंट अभी तक नोन स्टॉप बना हुआ है ! पता नही उसे अपनी जवानी तारीफ सुनकर क्या नशा चढ़ा क़ि वो बिना सोचे समझे ही बोल बैठी
कामया - - - चल पगले कुछ भी बोलता रहता है ! बता तो ज़रा कहाँ से भर गई हूँ मैं ?
सन्नी ऐसे ही किसी मौके की ही तलाश मे था वो जानता था इस कमसिन जवानी की उम्र मे अगर लौंडिया को मर्द छूने लगता है तो लौंडिया गनगना जाती है वो धीरे से एक कदम बढ़ा और कामया की गांद पर अपने हाथ फेरते हुए बोला
सन्नी - - - देखो ना दीदी यहाँ कितना मस्त फिगर बन गया है आपका ! सन्नी एक नंबर का कमीना आदमी था सौ कमीने मरे होंगे तो एक सन्नी पैदा हुआ होगा ! साला अपनी बहन की गांद सहला रहा था और उपर से शरीफ बनकर दीदी भी बोल रहा था ! अपनी कातिल गांद पर सन्नी का हाथ लगते ही कामया के बदन मे झुरजुरी आ गई और सन्नी ने भी उस कंपन को महसूस किया !कामया को समझ नही आ रहा था क़ि उसका भाई ग़लत नियत से हाथ लगा रहा है या नॉर्मल वे मे छू रहा है क्योंकि वो अभी भी बड़ी सभ्यता से दीदी बोल रहा था !
कामया - -- चल हट झूटे !!! कुछ नही भरा है वो पहले भी ऐसे ही थे ! सन्नी ने महसूस कर लिया था क़ि कामया की साँसे तेज़ हो गई हैं और वो जानबूझ कर नॉर्मल बनने की कोशिश कर रही है तो उसने एक और हिम्मत कर ली ! उसने अपना हाथ और नीचे कर अपने पसंदीदा जगह जांघों पर रखा और सहलाता हुआ बोला
सन्नी - - - दीदी सच बोल रहा हूँ ,आपकी थाइस भी और भर गई हैं ! मैं बेट लगा सकता हूँ अब आपको पहले वाली जीन्स नही फिट हो सकती !
कामया की जांघों को की बात करते करते अचानक सन्नी को कई साल पहले की एक घटना याद आ गई ! एक बार वो कामया के घर गया हुआ था तब एक दिन कामया उसके पास टॉप और एक अल्ट्रा शॉर्ट जीन्स पहन कर आ गई ! शॉर्ट मे से उसकी दो तिहाई मस्त मस्त जांघे बाहर दिख रह थी! सन्नी उस समय दसवी मे पढ़ता था सो कामया उसको बच्चा ही समझती थी !सन्नी के पास आते ही कामया ने पूछा
कामया - - - भाई कैसी लग रही हूँ ?
और उस दिन पहली बार सन्नी के मुख से निकला था
सन्नी - - - दीदी बड़ी हॉट लग रही हो !!!???
जाँघ मे हाथ लगते ही कामया काँपने लगी! सन्नी ने अब अपना हाथ अंदरूनी जाँघ मे फिराने लगा ! अब कामया को डर लग रहा था क़ि कहीं भाई थोड़े और उपर हाथ ले जाएगा तो उसे गीलापन फील होने लगेगा ! उसने कहा
कामया - - - सन्नी हाथ हटा गुदगुदी लग रही है
सन्नी ने भी फ़ौरन जाँघ से हाथ हटा कर फिर से तरबूजों पर रख दिया और सहलाने लगा ! दोनो इधर उधर की बाते करने लग तभी सन्नी अपनी उंगली कामया की पेंटी लाइनिंग मे फेरने लगा बीच -२ मे वो लाइनिंग की एलास्टिक भी थोड़ा उठा देता कामया को ऐसा महसूस हुआ क़ि अगर सन्नी ऐसे ही सहलाता रहा तो कही वो ओर्गस्म मे ना आ जाए इसलिए उसने एक बार फिर सन्नी को कहा
कामया - - - सन्नी वहीं पर पकड़ा रहेगा क्या ? जितना भर गई हूँ उतना निकालने का इरादा है क्या ! सन्नी ने अब अपना हाथ वहाँ से भी हटा लिया ! जब तक लौंडिया पूरी तरह काबू मे ना आ जाए वो लड़कियों की हर बात मानता था ताकि उन्हे लगे क़ि वो बहुत सज्जन टाइप का है ! लेकिन सन्नी ने हाथ वहाँ से हटा कर उसकी नंगी कमर पर रख दिया ! सॉफ्ट चिकनी त्वचा सन्नी को मदहोश कर रही थी ! अचानक कामया ने पूछा
कामया - - - एक बात पूछूँ ?
सन्नी - ---- बोलो ना दीदी
कामया - - - तेरी कोई गर्ल फ्रेंड है ?
सन्नी - - - नहीं दीदी कोई नही है
कामया - - - सन्नी झूट मत बोल
सन्नी - -- दीदी सच कह रहा हूँ ! अब कामया भला क्या जानती थी क़ि सन्नी गर्ल फ्रेंड नही केवल फक फ्रेंड बनाता था !
कामया - -- मैं नही मानती ! तेरी बातों से तो पक्का है क़ि तेरी कोई जी एफ ज़रूर होगी !
सन्नी - - - क्यों मैने ऐसी कौन सी बात कर दी
कामया - - ये जो तू बोल रहा था ना क़ि तुम हॉट लगती हो और मस्त फिगर वगेरह ! ये सब तेरी उमर के लड़के तभी सीखते हैं जब उनकी कोई लड़की से दोस्ती बन जाती है
सन्नी - - - दीदी आप को तो मालूम है छोटे कस्बों मे गर्ल फ्रेंड मिलना बहुत मुश्किल होता है !
कामया - - - रहने दे आजकल गाँव की लड़कियाँ ज़्यादा आगे निकल गई हैं ! पक्का तेरी कोई गर्ल फ्रेंड होगी जिसने तुझे ये सब सिखाया है ! इसी दरम्यान सन्नी ने अपना हाथ पीछे से कामया के आगे ले जाकर पेट पर रख दिया और उंगलियाँ ऐसे चलाने लगा जैसे हारमोनियम बजा रहा हो !
कामया - - - सन्नी सच बता ना ! मुझसे शर्मा क्यों रहा है मैं कोई तुझे डाँटने थोड़ी जा रही हूँ ! कामया ने उखड़ती हुई साँसों के साथ कहा !
सन्नी - - - दीदी सच बोल रहा हूँ ! मैं लड़कियों से बात ही नही करता ! बस एक आप हो जो हमारे यहाँ आती थी या हम आपके वहाँ जाते थे तो आपसे बात करता था ! आपके अलावा मैं किसी लड़की के नज़दीक कभी नही रहा
कामया - - - झूट बोल रहा है ना ?
सन्नी - - - नही दीदी ! बल्कि मुझे तो ये लग रहा है क़ि --- - --
कामया - - - क्या लग रहा है ?
सन्नी - - -- आप ही मेरी दीदी भी हो और आप ही मेरी गर्ल फ्रेंड भी हो !
कामया - -- - क्या सन्नी तू पागल हो गया है क्या ,मैं तेरी बहन हूँ !
सन्नी - - - तो क्या हो गया गर्ल फ्रेंड तो बस इंग्लीश नाम है जैसे लड़का दोस्त हो तो फ्रेंड लड़की दोस्त हो तो गर्ल फ्रेंड
! क्या आप मेरी दोस्त नही हो सकती ? कामया को कुछ समझ नही आ रहा था क़ि सन्नी बोल रहा है ! वो सोचने लगी ""क्या सन्नी को गर्ल फ्रेंड का मतलब नही मालूम ? क्या सचमुच ये इतना सीधा है ? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है इतना बड़ा जवान है इतना तो समझता होगा ! क्या जानबूझ कर उसे बहका रहा है ? नही नही ऐसा होता तो पगला बार बार दीदी दीदी नही बोलता फिर ?? फिर उसे याद आया उसकी सहेलियाँ कहती थी क़ि जिम अखाड़े जाने वाले लड़के मटठर हो जाते हैं लगता है सन्नी का दिमाग़ भी ऐसा ही हो गया है बिल्कुल भट् हो गया है ! पगले को ये ही नही मालूम क़ि केवल फ्रेंड होना और गर्ल फ्रेंड होने मे बहुत अंतर है जो वो गर्ल फ्रेंड के साथ कर सकता है वो फ्रेंड के साथ थोड़ी ना कर सकता है ! अभी कामया यही सब सोच रही थी क़ि सन्नी ने उसे पीछे से ही अपनी बाहों मे कसकर लपेट लिया और कान के पास अपनी जीभ लाकर पूछा
सन्नी - - -- बोलो ना दीदी बनोगी ना मेरी गर्ल फ्रेंड ?
कामया - - - ठीक है बनूँगी मगर किसी और को मत कहना !
दीदी की बात सुनकर सन्नी ने खुश होने का नाटक करते हुए उसे ज़ोर से भींच लिया उसके दोनो हाथ कामया के गोलों के करीब आ चुके थे जिससे घबडा कर कामया पीछे को हटी तो सन्नी का फन्नी सीधे उसके एस क्रेक मे धँस गया ! कामया की हालत खराब होने लगी उसके पूरा शरीर पसीने पसीने होने लगा ! तभी गेट खुलने की आवाज़ आई तो उसने अपने को सन्नी से छुड़ाया और कहा
कामया - - - चल तू जा यहाँ से और मुझे खाना बनाने दे ! वक्त की नज़ाकत को देखते हुए सन्नी वहाँ से निकल कर अपने रूम मे चला गया !
शांति तो हाल मे ही बैठ गई और मदनलाल सामान लेकर किचन मे आया और वहाँ कामया को पारदर्शी मेक्शी मे देख कर उसका खून उबाल मारने लगा ! वो समझ गया क़ि बहू बहुत हीट मे है क्योंकि हमे बहू के पास गये कई दिन हो गये हैं शायद इसी लिए बहू हमे इशारा करने के लिए इतना कुछ कर रही है ! वो सोचने लगा पहले तो इतनी सेक्सी साड़ी पहने थी और अब बिल्कुल अधनंगी दिखने वाली मेक्शी पहन ली है ,आज रात तो इसकी गर्मी शांत करनी ही पड़ेगी वरना कल सुबह बहू कहीं नंगी ही ना घूमने लगे ! मदनलाल ने थैला रखा और कामया की गांद मे हाथ फेरता हुआ बोला
बहू को छेड़ता ससुर - -
मदनलाल - - - क्या बात है जान आज कुछ ज्यदा ही उतावली हो ?
कामया - -- क्या मतलब हम समझे नही ?
कामया - - - ये क्या पहनी हो सब कुछ तो दिख रहा है ! छुप तो कुछ नही रहा ! लगता है आज कुछ करना ही पड़ेगा !
कामया - -- चुप रहिए और जाइए यहाँ से घर मे कई लोग हैं समझे !
मदनलाल - - - ठीक है ठीक है जा रहे है ! और जाते मदनलाल ने उसकी गांद मे उंगली डाल दी जिससे कामया के मुँह से सिसकारी निकल गई !
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