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किरायेदार से चुदि-2
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किरायेदार से चुदि-2
आगे की कहानी …
दोस्तों फिर तभी दरवाजे पर घंटी बजी और मैंने
दरवाजा खोला.. देखा तो अमित बाहर
खड़ा हुआ था और में मुस्कुराकर दरवाजा खुला ही छोड़कर अंदर चली
आई और सोफे पर
बैठ गई। तो अमित भी मुस्कुराता हुआ आया और मेरे पास बैठ गया.. उसने मुझे बड़े
प्यार से देखा और मैंने भी उसे मुस्कुराकर देखा। दोस्तों में उस समय सिर्फ़
टी-शर्ट और स्कर्ट पहने हुए थी और मैंने उसके अंदर पेंटी और ब्रा नहीं
पहनी थी.. क्योंकि मुझे मालूम था कि यह लोग ज़रूर आएँगे तो ब्रा और पेंटी
का क्या काम? फिर
में वैसे ही बैठी रही और मैंने अमित से कहा.. यार वो कल वाली फिल्म मुझे दोगे.. मुझे उसे
पूरी देखना है। तो वो बोला कि देखने
की क्या ज़रूरत है हम बना लेते है.. तुम हिरोइन बनना और हम सब
लोग हीरो बन जाएगे..
अरे यार मज़ाक मत करो मुझे वो देखना है कि वो किस किस तरीके से चुदवाती
है। हाँ ठीक है राय दे दूंगा और यह कहते ही उसने अपना उल्टा हाथ मेरी
गर्दन के पीछे से मेरे कंधे पर रखा और सोफे पर मुझसे चिपककर बैठ गया। मुझे
अब अमित से बिल्कुल भी शरम नहीं आ रही थी और फिर मैंने टीवी चालू कर दिया
और फिल्म देखने लगी।
अब अमित ने मेरी टी-शर्ट के ऊपर से ही
मेरे बूब्स
के निप्पल को छुआ और मेरे शरीर में आनंद भर गया। मैंने उसको मुड़कर देखा
और उसने मुस्कुराते हुए मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और मैंने भी उसको
किस कर लिया.. लेकिन वो मुझसे लंबा किस चाह रहा था.. तो मैंने उसके होंठो
पर एक लंबा किस किया और उसने इतनी देर में अपना एक हाथ मेरी टीशर्ट के
अंदर डाल दिया और मेरे बूब्स को छूने लगा,
दबाने लगा और धीरे धीरे मेरी आँखें बंद होने लगी और में भी उसको इधर
उधर छूने लगी और उसके बालों में हाथ
फिराने लगी। फिर उसने अपने एक हाथ को मेरी स्कर्ट में डाल दिया
और मेरी जांघो
को छूते ही मेरी चूत तक जा पहुँचा और वो मेरी चूत को छूते ही बोला। अरे
यार तुमने पेंटी क्यों नहीं पहनी है?
तो मैंने कहा कि मैंने अब पेंटी पहनना छोड़ दिया है। तो वो बोला कि बहुत
अच्छा है.. अब तुम जब चाहो चुदवा
सकती हो। तो मैंने कहा कि हाँ और क्या पेंटी में मुझे बहुत
बुरा लगता है और अब
वो मुझे फिर से चूमने लगा.. मेरी गर्दन पर,
गालों पर, मेरे
होंठो पर, मैंने
अमित से कहा कि अमित प्लीज दरवाजा बंद कर लो.. वरना कोई आ जाएगा। तो अमित
ने दरवाजा बंद किया और फिर से हम दोनों एक दूसरे की बाहों में समा गए..
उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी और फिर मेरी स्कर्ट मैंने खुद ही उतार दी और
अब में फिर से एकदम नंगी अमित के सामने थी.. वो मुझे प्यार किए जा रहा था
और मेरे बूब्स को चूसकर मेरे बदन पर सिर्फ़ अपने चुंबन ही चुंबन कर रहा था
और उसने मेरे एक पैर को उठाकर अपने कंधे पर रखा.. जिससे मेरी चूत के होंठ
खुल गए और उसने अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाकर फिर से धक्का मार दिया और
उसका पूरा लंड मेरी गहरी चूत के अंदर समाता चला गया आह्ह्ह्हह्ह चोदो मुझे
और चोदो मुझे अमित.. फिर उसने अपने लंड को अंदर डालते ही ज़ोर ज़ोर से धक्के
मारने शुरू कर दिए और उसका पूरा लंड मेरी चूत में अंदर बाहर आ जा रहा था।
तो थोड़ी देर तक तो अमित मुझे नीचे बड़े आराम से चोद रहा था फ़िर अचानक उसके
धक्के तेज़ होने लगे और फिर तेज़ होते ही चले गए। उसने अपना वीर्य मेरी
चूत में ही छोड़ दिया और अब हम दोनों वहीं सोफे पर पड़े रहे और वो मेरे बूब्स
पर सर रखकर लेटा हुआ था और मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था.. में उसके
बालों में उंगलियों से सहला रही थी। फिर उसने मुझे देखा और मैंने उसके चेहरे
पर किस किया और थोड़ी देर में एक बार उसने मुझे और चोदा और फिर चला गया।
फिर में उठी में नहाकर बाहर निकली और कुछ नाश्ता बनाकर ख़ाकर फिर बैठक रूम
में आ गई और में दोबारा टीवी पर फिल्म देखने लगी। दोस्तों ये कहानी आप फन
मज़ा मस्ती पर पड़ रहे है।
अब मैंने एक सफेद कलर की कॉटन कमीज़ पहनी
हुई थी और नीचे पेंटी पहन ली थी.. वो कमीज़ थोड़ी लंबी थी तो नीचे कुछ नहीं
पहना था.. कुछ फर्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि कमीज़ मेरी जांघो के ऊपरी हिस्से
तक की थी। में वापस सोफे पर बैठ गई और फिर से दरवाजे पर घंटी बजी और
मेरी दिल की धड़कने तेज़ हो गई में उठी और दरवाजा खोलने गई। तो मैंने देखा
सामने रशीद खड़ा हुआ था और में हैल्लो कहकर अंदर आ गई.. वो भी मेरे पीछे
पीछे अंदर आ गया। मैंने झुककर सेंटर टेबल पर रखे रिमोटे को उठाया ही था
कि एक घटना हो गई.. रशीद ने मेरे घर के दरवाजे को तो बंद कर दिया था और वो
मेरे बिल्कुल पीछे पीछे चल रहा था और जैसे ही में थोड़ा झुकी उसने मेरी कमीज़
को ऊपर उठाकर मेरी चूतड़ो पर किस कर दिया और में शरमा गई। तो उसने मौका
देखते ही मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी और खींच लिया और में ना चाहते
हुए भी उससे सट गई.. उसके पास से एक खुश्बू आ रही थी। तो मैंने उसकी आँखों
में देखा कि वो मुझे प्यार करने के मूड से आया था और में भी उसे प्यार
करना चाह रही थी। फिर उसने मुझे दोनों हाथों से कमर से पकड़ लिया। में
पीछे मुड़ी और अपनी दोनों बाहें उसके गले में डालकर उससे प्यार करने लगी और
में उसको किस करने लगी।
फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुहं के अंदर
डाल दी
और में उसको चूसने लगी और हम दोनों एक दूसरे में समाने लगे.. फिर उसने मेरी
कमीज़ उतार फेंकी और मेरी पेंटी भी एक तरफ डाल दी। में उसकी बाहों में नंगी
मचल रही थी और मैंने रूम में लगे कांच में देखा तो मुझे खुद से शरम आ गई।
में कैसे एक मर्द की बाहों में इस तरीके से मचल सकती थी.. लेकिन वो कहते
है ना कि जब किसी लड़की पर जवानी का जोश चड़ता है तो वो किसी भी हद तक जा
सकती है। फिर उसने मुझे सोफे पर लेटा दिया और मेरे पूरे शरीर को अपने चुम्बनों
से साराबोर करने लगा। उसके किस मुझे मदहोश कर रहे थे.. उसके होंठ जब
मुझे छूते तो मेरे पूरे शरीर में नई उमंग दौड़ जाती थी। मेरी कमर पर उसने
जब जीभ से छुआ तो मेरी जान सी निकल गई। फिर धीरे धीरे वो मेरी चूत के आस
पास जीभ से छूने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और फिर मैंने अपनी दोनों
जाँघो को रशीद के लिए पूरा खोल दिया.. जिससे मेरी चूत को वो अच्छी तरह
से चूस सके और चोद सके। फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत के चारों और चलाई और
फिर मेरी जाँघो को होंठो से चूमते
ही मेरी चूत के होंठो को अपनी जीभ से छुआ उफफफ्फ़ आहहहह माँ क्या एहसास था? में आपको शब्दों में बता नहीं सकती और
फिर मेरी चूत तो जैसे गीली होकर बाहर निकल जाना चाह रही थी और उसके इस जादू
का यह प्रभाव था कि मेरी कमर अपने आप ही मटकने लगी थी और मेरा पूरा शरीर
अकड़ रहा था और में बेसुध होकर मचल रही थी और सोफे पर एक नागिन की तरह बल
खा रही थी.. लेकिन रशीद इन सब बातों से बिंदास होकर मेरी चूत को चूसने में
हुआ लगा था। फिर उसने मेरी चूत के होंठो से अपने होंठो को मिला दिया था और
किस पर किस कर रहा था। मैंने उसके सर के बालों में अपने हाथों की उंगलियाँ
डालकर बालों को पकड़ लिया और उसे अपनी चूत पर दबाने लगी थी। वो भी पूरे
जोश से मेरी चूत का रस पी रहा था और फिर उसने मुझे सोफे पर लेटाया और मैंने
अपनी बाहों और चूत को उसके लिए खोल दिया और खुला निमंत्रण देने लगी कि
आओ और मुझे चोद दो.. तो उसने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतारे और मेरे ऊपर
आ गया। तो मैंने देखा कि उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुहं से सटाया हुआ
था.. मैंने अपनी दो उंगलियों से अपनी चूत के मुहं की फांकों को खोल दिया..
जिससे मेरी चूत के मुहं से उसका लंड बिल्कुल छू गया और फिर उसने अपनी
कमर को हल्का सा हिलाया।
तो मैंने महसूस किया कि उसका लंड अब मेरी
चूत में धीरे धीरे उतरने लगा था और में हल्की सी अकड़ गई थी और उसका लंड
मेरी चूत में बहुत रगड़ खाता हुआ जा रहा था और जबकि में कल रात ही उससे चुदी
थी.. लेकिन इस समय भी वो बहुत घिसता हुआ अंदर घुस रहा था और उसके लंड की
रगड़ मेरी चूत की दीवारों पर एक अजीब सी चुभन पैदा कर रही थी। फिर वो मेरी
शरीर के ऊपर आकर मेरी बाहों में समा गया। मैंने अपने दोनों पैर उसकी कमर
के आसपास लपेट दिये और उससे लिपटकर उसको प्यार करने लगी। वो मेरे होंठो को
चूसने लगा और अपनी कमर को हिला हिलाकर मुझे चोदने लगा और जैसे जैसे वो अपनी
कमर को आगे पीछे करता तो उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर आता जाता और लगभग
आधे घंटे तक उसने मुझे जमकर चोदा और में चुदती रही। फिर उसने भी अपना वीर्य
मेरी चूत में ही छोड़ दिया। मैंने उसे किस किया वो थोड़ी देर तक मेरे ऊपर
ही लेटा रहा और फिर उठकर सोफे की एक साईड पर टेका लगाकर बैठ गया। तो मैंने
उसे देखा और में बिल्कुल नंगी उसके सामने पड़ी हुई थी और मेरी चूत पर उसका
वीर्य सना हुआ था।
फिर वो मेरे पैरों के पास अपना लंड लिए
बैठा हुआ
था और उस पर भी बहुत सारा वीर्य लगा हुआ था.. में उठी और बाथरूम से सब कुछ
साफ करके वापस आकर उसके ही पास बैठ गई और मैंने दोबारा कपड़े नहीं पहने
थे.. क्योंकि में जान गई थी कि अभी रशीद का मन नहीं भरा है और वो मुझे दोबारा
भी चोदेगा और में ऐसे ही नंगी उसके पास आकर बैठ गई। फिर मैंने अपनी एक
बाह उसकी गर्दन के पीछे से घुमाकर उसके गले में लपेट दी और उसके मुहं के
पास अपने होंठो को ले गई। तो उसने मेरे गले पर एक हाथ लगाकर मेरे होंठो पर
एक किस किया और मेरे बूब्स उसके सामने एकदम नंगे उछल रहे थे.. उसने एक हाथ
मेरे बूब्स पर रखा और में उसको अपने बूब्स से खेलता हुआ देख रही थी। मैंने
देखा कि उसका लंड अभी भी मुरझाया हुआ ही था। में नीचे झुकी और उसके लंड
के पास बैठकर एक हाथ में उसके लंड को लेकर सहलाने लगी.. फिर मैंने अपनी जीभ
उसके लंड से लगाई.. उसमे अजीब सी गंध थी और बहुत अजीब सा स्वाद था। मेरे
स्पर्श से शायद उसे अच्छा लगा था.. तभी तो उसका लंड अब खड़ा हो गया और में
उसको चूसने लगी और चूसते चूसते मेरी लार से उसका लंड मोटा और तगड़ा हो गया।
उसने मुझे मेरे बालों से पकड़कर थोड़ा उठाया और झुककर मेरे होंठो को अपने
होंठो पर ले लिया और मुझे चुसवाने लगा। मेरे मुहं में उसकी जीभ थी और में
उसे प्यार करने लगी, छूने
लगी और हम दोनों लगभग दस मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे। मेरा रूम चुम्मो की चटखारो
से गूंजने लगा था। फिर उसने मुझे
अपनी बाहों में लिया और में बहुत आसानी से उसकी बाहों में चली
गई और उसने मुझे
मेरी पीठ पर हाथ लगाकर पीछे की और झुकाया जिससे में पीछे की और हल्की सी
गिर गई और जिसकी वजह से मेरे बूब्स उभरकर मेरे शरीर को दर्शाने लगे थे और
वो अपना दूसरा हाथ मेरी कमर से सरकाते हुए मेरे बूब्स तक लाया और मेरे बूब्स
को दबाने लगा। फिर उसने अपने मुहं में मेरे बूब्स को भर लिया और चूसने
लगा और काटने लगा.. लेकिन पता नहीं मेरे बूब्स से कुछ निकल रहा था या नहीं..
लेकिन वो शायद कुछ पीने की कोशिश कर रहा था और में आनंद में खोने लगी
थी। मेरी पूरी चूत गीली हो रही थी। तब उसने मुझे सोफे पर झुकाकर घोड़ी बनने
को कहा और में खड़ी होकर झुक गई और मैंने अपने चूतड़ो को पीछे निकाल दिया।
वो अब मेरी गांड के पास खड़ा हो गया और मेरी कमर को हाथों से पकड़कर देखने
लगा और उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुहं पर रखा।
फिर मैंने भी अपने हाथों से उसके लंड को दिशा दिखा
दी और उसने हल्का सा धक्का मार
दिया और मेरी चूत में आआआहह उह्ह्ह उसका लंड दोबारा से सरकता
चला गया और वो बहुत
आआहह उह्ह मदमस्त एहसास था और अहह उफ़फ्फ़ उसने धक्के देना शुरू कर दिया।
मैंने अपनी गर्दन नीचे कर ली.. मुझे अब अपनी चूत साफ साफ दिख रही थी और
उसमे रशीद का लंड अंदर बाहर जाता हुआ दिखाई दे रहा था। फिर धीरे धीरे उसकी
स्पीड बड़ने लगी और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा आने लगा.. अहह चोदो मुझे प्लीज
अह्ह्ह और ज़ोर से उह्ह्ह और ज़ोर से.. लगभग 15
मिनट के बाद रशीद
दोबारा से झड़ गया और उसने दोबारा भी अपना पूरा वीर्य मेरी चूत
में ही जाने दिया..
लेकिन अब में बहुत खुश हो रही थी.. क्योंकि रशीद ने जिस तरह मेरी चुदाई
की थी.. में तो कहती हूँ कि हर लड़की शायद ऐसी ही चुदाई चाहती होगी, बहुत मज़ा आ गया था.. क्योंकि उसने मुझे
जमकर चोदा था। फिर में सीधी खड़ी
हुई और उसको होंठो पर एक किस करके बाथरूम में चली गई और में
दोबारा नहाकर वापस
आई तो रशीद सोफे पर ही बैठा मेरा इंतजार कर रहा था। फिर मैंने कहा अब क्या..
तुम जाओगे नहीं? और
उसने ना में सर हिला दिया। तो मैंने कहा कि अब क्या है?
दो बार तो चोद लिया है और अब क्या सारा दिन चोदते ही रहोगे? तो वो बोला की अभी तो गांड मारना बाकी रह गया
है। तो मैंने कहा तो पहले बता देते
तो में तुमसे गांड भी मरवा लेती।
फिर उसने मुझे दोबारा सोफे पर झुकने
को कहा और में झुक गई और फिर से उसने मेरी कमर पकड़कर अपने लंड को मेरी
गांड पर लगाया और मेरे दोनों चूतड़ो को थोड़ा सा फैलाया और धक्का मार दिया।
उसका लंड अंदर चला गया.. मुझे हल्का सा दर्द हुआ और उसने लगातार धक्के
मारना शुरू कर दिया और थोड़ी देर में उसने मेरी गांड मार ली और फिर जाने
लगा। मैंने उससे कहा कि अब कब आओगे?
तो वो बोला कि तुम कहो तो में ना जाऊँ। दोस्तों मेरा दिल तो बहुत कर रहा
था कि यह सब लोग मेरे पास ही रहे..
जब में चाहूँ यह मुझे चोद दें। फिर रात को आने का आश्वासन देकर
वो वहाँ से चला
गया.. लेकिन सच में रशीद से चुदकर मुझे बहुत ही मज़ा आया और रशीद के जाने
के बाद में फिर अकेली हो गई। उस दिन के बाद से यह सिलसिला लगातार जारी है।
में उन तीन दिनों में लगभग 20-25 बार
चुदी और 10-15 बार
गांड मरवा चुकी
थी। राहुल और रशीद ने मुझे चुदाई के वो मज़े दिए थे.. जिसकी में कल्पना
भी नहीं कर सकती थी। इन तीन दिनों में मेरी पूरी ज़िंदगी बदल गई थी और
तब से लेकर आज तक में ना जाने कितने मर्दों के लंड के नीचे आ चुकी हूँ.. लेकिन
हाँ एक बात तो है में इन तीन दिनों की चुदाई कभी भुला नहीं सकती ।।
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