Sunday, November 8, 2015

FUN-MAZA-MASTI ससुराल की रंगरेलियां--1

FUN-MAZA-MASTI

ससुराल की रंगरेलियां--1



डॉली अपने गाँव छोड़ कर अपनी ससुराल भरत पुर आयी थी, उसके कई सपने थे जैसे कि एक बड़ा घर हो बड़ा परिवार हो. ससुराल में सब लोग उसे प्यार करें, उसका पति उसे इज्ज़त दे. और वैसा ही हुआ भी - उसके पति के तीन भाई और दो बहने थी. उसके पति विजय शहर में एक फैक्ट्री में कार्यरत थे. उसके दो देवर थे - जय और राज. जय एमएससी कर रहा था और राज बारहवीं कक्षा का छात्र था और इंजीनियरिंग कि तैयारी कर रहा था. उसकी पति की बड़ी बहन शोभना शहर में ब्याही थी. और छोटी बहन आहना बी ए कर रही थी. शोभना का विवाह हो चुका था और उसके दो बच्चे थे.

जब डॉली घर से चली उसकी माँ ने उसे सारे घर को जोड़ कर रखने की सीख दी. उसे ये भी बताया कि वो घर कि सबसे बड़ी बहु है और उसे घर चलाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी. कई समझौते करने होंगे. उसे कुछ ऐसा करना होगा कि तीनों भाई मिल जुल के रहें और उसे बहुत माने.अ.

डॉली घूघट संभाले इस घर में आयी. जैसा होता है उसे शुरू शुरू में कुछ समझ में आ नहीं रहा था. उसकी सास उसे जिसके पैर छूने को कहती वो छु लेती. जिससे बात करने को कहती वो कर लेती इतना बड़ा परिवार था इतने रिश्तेदार थे कि कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था कि कौन क्या है. उसे उसकी सास ने समझाया कि घबराने कि कोई बात नहीं है. धीरे धीरे सब समझ आने लगेगा.

और फिर उसकी जिन्दागी में वो रात आई जिसका हर लडकी को इंतज़ार रहता है. वो काफी घबराई हुई थी. उसे उसकी ननदों ने उसे सुहागरात के बिस्तर पर बिठा दिया. रात उसके पति विजय कमरे में आया. विजय काफी हैण्डसम जवान था - गोरा रंग मंझला कद अनिल कपूर जैसी मून्छे और आवाज दमदार. दूध वगैरह कि रस्म होने के बाद कुछ तनाव का सा माहौल था.

विजय ने चुप्पी तोडी और बोला, "अब हम पूरे जीवन के साथी हैं हमें जो भी करना है साथ में करना है."

डॉली ने बस हाँ में सर हिला दिया.

विजय ने मुस्कुराते हुए बोला, "चलो अब हम वो कर लें जो शादीशुदा लोग आज कि रात करते हैं"

मामता को समझ आ गया कि विजय उसकी जवानी के मजे लूटने कि बात कर रहा है. उसने एक बार फिर शर्माते हुए हाँ में सर हिला दिया.

विजय को डॉली कि ये शर्मीली अदा बड़ी भाई. वो उसे बाहोँ में भरने लगा, उसे गाल पे चूमने लगा और अपने हाथों से उसके पीठ और पेट का भाग सहलाने लगा. डॉली के लिए ये नया अनुभव था. उसे अभी भी डर लग रहा था पर मज़ा आ रहा था.

पाठकों को बता देना चाहता हूँ कि, डॉली एक बहुत सुन्दर चेहरे कि मालिक थी. उसका कद पांच फूट तीन इंच था. वह गोरी चिट्टी थी. चेहरा गोल था. होठ सुन्दर थे. आँखें सुन्दर और बड़ी बड़ी थीं. उसकी चुंचियां सुडौल और गांड भारतीय नारियों की तरह थोडा बड़ी थी. कुल मिला कर अगर आपको वो नग्नावस्था में मिल मिल जाएँ तो आप उसे चोद कर खुद को बड़ा भाग्यवान समझेंगे. उसके गाँव में कई लौंडे उसके बड़े दीवाने थे. कई ने बड़ी कोशिश की, कई कार्ड भेजे, छोटे बच्चों से पर्चियां भिजवाईं, कि एक बार उसकी चूत चोदने को मिल जाए. पर डॉली तो मानों जैसे किसी और मिट्टी कि बनी थी. उसने किसी को कभी ज्यादा भाव कभी नहीं दिया. वो अपने आप को अपने जीवन साथी के लिए बचा कर रखना चाहती थी. और आज इस पल वो जीवन साथी उसके सामने था.

विजय अपने हाथ उसकी चुन्चियों पर ले आया और लगा सहलाने. उसने अपने होंठ डॉली के होंठों पर रख दिये और लगा डॉली के यौवन का रसपान करने. विजय उसके चुन्चियों को धीरे धीरे दबाने लगा. वो अपना दूसरा हाथ उसके चूत के ऊपर था. विजय डॉली कि चूत को कपडे के ऊपर से ही सहलाने लगा. डॉली विजय कि इस करतूत से बेहद गर्म हो चुकी थी. उसने अभी तक चुदाई नहीं की थी पर उसकी शासिशुदा सहेलियां थीं जिन्होंने उसे शादी के बाद क्या होता है इसका बड़ा ज्ञान दिया था उसे. डॉली विजय का पूरा साथ दे रही थी और उसके होठों पर होंठ रख के उसे पूरा चुम्मा दे रही थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखीं थी, उसे होश नहीं था बिलकुल. इसी बीच उसने ध्यान दिया कि विजय बाबू ने उसकी साड़ी उतार दी है और वह बस पेटीकोट और ब्लाउज में बिस्तर मे लेटी हुई है. विजय ने उसका पेटीकोट उठा दिया. उसकी केले के खम्भें जैसी जांघे पूरी साफ़ सामने थीं. विजय ने अपना हाथ उसकी चड्ढी के अन्दर डाल दिया और उसकी मखमली झांटें सहलाने लगा. विजय कि एक उंगली कि गीली हो चुकी चूत में कब घुसी डॉली को बिलकुल पता नहीं चला. डॉली को बड़ा मज़ा आ रहा था इसका अंदाजा विजय को इस बात से लगा गया कि वो अपनी गांड हिला हिला कर उसकी उंगली का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी.

विजय ने अपने स्कूल के दिनों में मस्तराम कि सभी किताबें पढीं थीं. उन किताबों से जो ज्ञान प्राप्त हुआ था आज उसका वो पूरा प्रयोग अपनी नयी नवेली पत्नी पर कर रहा था. डॉली की गर्मी को हुये विजय ने उसकी चड्ढी उतार फेंकी. ब्लाउज और ब्रा के उतरने में भी कोई भी समय नहीं लगा. अब डॉली केवल एक पेटीकोट में उसके सामने लेटी हुई थी. उसके मम्मे बड़े ही सुन्दर थे.

विजय ने कहां, "जब सामने इतनी सुन्दर नारी कपडे उतार के लेटी हो, तो मुझ जैसे मर्द का कपडे पहन कर रहना बड़े ही शर्म कि बात है".

डॉली इस बात पर मुस्करा दी. विजय ने अपन सारे कपडे उतार फेंके. डॉली ने विजय के सुडौल शरीर को देखा. विजय का लैंड ६ इंच से कम नहीं होगा. वो एकदम तना हुआ था. डॉली की चूत विजय के आसमान कि तरफ तने लौंडे को देख कर उत्तेजना में बजबजा सी गयी. मन हुआ कि बस पूरा एक कि झटके में पेल ले अपनी गीली चूत में और जम के चुदाई करे, पर नयी नवेली दुल्हन के संस्कारों ने उसे रोक लिया.

विजय उसके पास आया और उसे एक बार होठों पर होठ रख के जोर से चुम्मा लिया.

फिर बड़े शरारती अंदाज़ में बोला, "इतनी बात इन होठों को चूमा है इस शाम. अगर दुसरे होठों को नहीं चूमा तो बुरा माँ जायेंगे जानेमन."

डॉली बड़ी कशमकश में थी कि उसके दुसरे होंठ कहाँ हैं. पर जब विजय ने उसकी पेटीकोट उठा के उसकी चूत पर जब अपना मुंह रखा तो उसे साफ़ समझ आ गया कि विजय का क्या मतलब था. उसने अपनी सहेली के साथ ब्लू फिल्म देखी थी जिसमें एक काला नीग्रो एक अंग्रेज़ औरत कि चूत को चाटता है. पर उसे ये नहीं गुमान था कि हिन्दुस्तानी मर्द ऐसा करते होंगे. वो ये सब याद ही कर रही थी कि विजय ने उसकी चूत का भागनाशा अपने मुंह में ले कर उसे चूसना चुरू कर दिया. फिर वो चूत कि दोनों तरफ की फाँकें चाटने लगा. फिर अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में दाल कर अपनी जीभ से उसे चोदने लगा. डॉली इस समय सातवें आसमान पर थी. उसने सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि ये सब इतना आनंद दायक होगा. उसकी चूत से प्रेम रस बह कर बाहर आने लगा और उसकी गांड के छेद के ऊपर से बहने लगा. विजय अपनी जीभ को डॉली के अन्दर बाहर कर रहा था साथ ही उसने अपनी छोटी उंगली को गीला कर के डॉली की गांड में डाल दिया. डॉली आनंदातिरेक में सीत्कारें भर रही थी. उसे यह सब एक सपने जैसा लग रहा था.

विजय ने अपनी जीभ डॉली कि चूत से निकाल ली और उसका पेटीकोट खींच कर उतार फेंका. वो डॉली के बगल में आ कर बैठ गया. और डॉली को इशारा किया अपने लण्ड कि तरफ. डॉली समझ गयी कि उसकी चूत कि चटवाने का बदला अब उसे चुकाना है. वो झुक कर आनंद के लंड पर अपन मुंह ले गयी और अपने होठों से उसका सुपाडा पूरा अपने मुंह में ले लिया. विजय के लण्ड में एक अजीब सी महक थी जो उसे उसे पागल किये जा रही थी. वो अपने होंठों को ऊपर नीचे कर के उसका लंड को लोलीपॉप कि भांति उसे चूसने लगी. विजय तो जैसे पागल हो उठा. उसकी नयी नवेली दुल्हन तो मानों कमाल कर रही थी. उसने अपनी एक उंगली डॉली कि गांड में पेल दी और लगा उसे उंगली से चोदने. डॉली को विजय का उंगली का अपनी गांड में चोदना बड़ा अच्छा लग रहा था. वो जोरों से उसका लौंडा चूसने लगी. सारे कमरे में चूसने कि आवाजें गूँज रहीं थीं.

इसी बीच विजय ने उसका मुंह अपने लंड से उठाया और उसे सीधा दिया. फिर डॉली कि टांगों को चौड़ा कर के उसने अपने लंड का सुपादा उसकी गीली और गर्म चूत में घुसा दिया.

"
कैसा लग रहा है मेरी रानी" विजय ने पूंछा.

"
पेलो राजा पेलो बड़ा मज़ा आ रहा है" डॉली ने बोला.

फिर क्या कहना था. विजय ने अपना लंड अगले झटके में पूरा डॉली कि गुन्दाज़ चूत में पेल दिया. और लगा अपनी कमर को हिलाने. डॉली कि चूत तार तार हो गयी थी विजय के इस हमले से. वो मजे में चीख रही थी. वो अपनी गांड जोरों से हिला रही थी ताकि विजय के धक्कों का पूरा आनंद पा सके. विजय उसकी चुन्चियों को चाट रहा था दबा रहा था. डॉली विजय के ६ इंच के लौंडें को अपनी जवान चूत में गपागप समाते हुए देख रही थी. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि चुदाई इतनी मजेदार होगी.

विजय ने इसी बीच अपना लंड निकाल लिया और उसे पलट के अपनी गांड उठाने को बोला. डॉली थोडा डर गयी. विजय का लंड काफी मोटा था. अगर उसने उसे गांड में घुसेड दिया तो गांड में बड़ा दर्द होगा. पर अब क्या कर सकती थी. वो उलटा हो कर कुतिया के पोस में हो गयी. विजय घटनों के बल उसकी चूतडों के पीछे बैठ गया. उसने थोडा थूंक निकाल कर अपने लंड पर लगाया और लंड को डॉली कि चूत के मुहाने पर टिका के एक झटके में पूरा का पूरा लंड डॉली कि चूत में पेल दिया. विजय का लंड अपनी चूत में पा कर डॉली की जान में जान आई. आज गांड मरते मरते बच गयी. कुतिया बन के चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था. बड़ा आनंद आ रहा था. वो अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए विजय का लंड अपनी चूत में गपागप लेने लगी. विजय उसकी पीठ पर जोरों से चुम्मा ले लेता, अपने हाथों से डॉली कि चुंचियां दबा देता. और गांड पर चिकोटियां काट देता.

दोनों की साँसे भारी हो गयीं थीं. विजय के झटके बड़े तेज़ हो गए डॉली भी अपनी गांड हिला हिला के उसका पूरा पूरा लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी. चूत मस्त गीली थी. सारे कमरे में चप-चप की आवाज़ गूंज रही थी. और सारे कमरे में चूत और लंड कि जैसे महक भर सी गयी थी. डॉली कि चूत से पानी दो बार छूट चूका था. पर विजय तो बस अपना लंड पेले जा रहा था. अब तीसरी बार वो झड़ने वाली थी.

"
आह मैं गयी ...मेरा होने वाला है...."कहते हुए वो झड गयी.

विजय भी अब झड़ने वाल था. उसका लंड उत्तेजना में डॉली कि गीली चूत के अन्दर मोटा फूल सा गया था. वो जोरों से अपना लंड पेलने लगा.

"
आह ....आह ...ये ले मेरी रानी ....मेरा अपनी चूत में पहला पानी ले......"

और एक अंतिम झटका लगाया और वो झड गया. डॉली ने महसूस किया कि बहुत सारा गरम पानी उसकी चूत के अन्दर जैसे बह रहा है. झड़ने के बाद विजय डॉली की पीठ के ऊपर ही मानों गिर गया.

"
कैसा लगा मेरी रानी" विजय ने पूछा.

"
बहुत मज़ा आया मेरे राजा", डॉली ने हँसते हुए जवाब दिया.

विजय का लंड अभी भी डॉली कि चूत के अन्दर था. झड़ने के बाद तो छोटा हो कर बाहर निकल आया. डॉली कि चूत से विजय का वीर्य और उसकी अपनी चूत का पानी बाहर बह कर आने लगा.






दोनों बिस्तर पर थक के गिर गए. डॉली ने तौलिये से उसे साफ़ किया.

विजय और डॉली ने एक बार फिर से किस किया. डॉली कपडे बिना पहने विजय की बाहोँ में विजय का लंड अपने हांथों में ले कर नंगे ही सो गयी..

ससुराल का पहला दिन इतना मजेदार होगा ये डॉली को पता नहीं था. पर उसे क्या पता था कि ये बस छोटी सी शुरुआत थी और आगे के दिनों में उसका मज़ा दिन दूना रात चौगुना होने वाला है.
डॉली सुहागरात के बिस्तर पर पूरी नंगी हो कर अपने पति विजय कि बाहो में मस्त सो रही थी. सुहागरात की रात विजय ने उससे पहले आगे से चोदा और फिर कुतिया बना के पीछे से चोदा. इस चुदाई के प्रोग्राम के दौरान डॉली तीन बार झड़ी. उसकी शादीशुदा सहेलियों ने उसे बताया था कि सेक्स में बड़ा बजा है, पर इसमें इतना मज़ा होगा ये उसे आज रात पता चला.


चुदाई की थकान से नींद इतनी गहरी आयी कि सुबह के पांच बज कब गए थे पता ही नहीं चला. डॉली की सास का अलार्म बजा और डॉली की नींद खुल गयी. सो कर उठी तो उसने देखा कि वो ऊपर से नीचे तक पूरी कि पूरी नंगी है और बगल में विजय भी नंग धडंग लेटा हुआ है. उसे बड़ी शर्म सी आयी. वो उठी और उसने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने और कमरे से बाहर निकल गयी.


डॉली किचेन में गए और अपनी सासु माँ के पैर छु लिए. सासु माँ ने उसे आशीर्वाद दिया. डॉली चाय बनाने में अपनी सास कि मदद करने लगी. बीच बीच में रात की चुदाई की याद सी आ जाती थी और उस याद से उसकी चूत में बड़ा अजीब सा ही अहसास हो रहा था.


मैं तेरे पापा जी के लिए चाय ले जाती हूँ, तू विजय के लिए चाय ले जा.उसकी सास राजेश्वरी देवी ने कहा.


जी मम्मी जी”, डॉली ने जवाब दिया.


डॉली चाय ले कर अपने बेडरूम में आई. विजय अभी भी बिस्तर पर नंगा हो कर मस्त सो रहा था. डॉली ने विजय को हिलाया. विजय ने अपनी आँखे खोलीं तो देखा कि डॉली उसके लिए चाय ले कर आई है.


डॉली को देखते ही विजय रात की चुदाई याद आ गयी. डॉली कि गोल और चौड़ी गांड कि याद करते ही उसका लंड झट से खड़ा हो गया.

डॉली खड़े लंड को देख कर वक्त का इशारा समझ गयी. सास ससुर जगे हुए थे. मामला थोडा रिस्की था. डॉली ने कमरे कि सिटकनी बंद कर दी. और विजय के ऊपर बैठ गयी. उसने अपनी साड़ी ऊपर उठा ली और अपनी जवान चूत को विजय के लंड के ऊपर भिड़ा दिया. डॉली ने अपनी चूत को विजय के लंड के ऊपर रख कर आपने शरीर का वज़न जैसे ही छोड़ा विजय का पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.


रात में आपने मेरे ऊपर चढ़ कर जो किया न आज उसका बदला मैं निकालूंगी.डॉली फुस्गुसाते हुए बोली.
पिलवाओ रानी पिलवाओ”, विजय बोला.


डॉली को अपने बेशर्मी पर हैरानी हो रही थी. पर समय कम था. इसलिए जल्दी जल्दी अपने गुन्दाज़ चुतड विजय के लंड को अपनी चूत में पेले हुए ऊपर नीचे करने लगी.


विजय का लंड डॉली कि गीली चूत में समा रहा था. जब डॉली अपनी गांड उठाती, विजय का चमकता हुआ लंड उसे नज़र आता. विजय डॉली के मम्मे दबा देता. उसकी गांड पर चपत रसीद देता. डॉली कि चौडी गांड विजय के लंड के ऊपर नीचे हो रही थी.


विजय ने उठ कर डॉली को पटक दिया और डॉली के ऊपर चढ़ कर उसकी चूत में अपना लंड जल्दी जल्दी पेलने लगा.


आह... आह.. जल्दी करो मेरे राजा मम्मी पापा जाग रहे हैं....पेलो पेलो ..


थोड़ी ही देर का विजय का लंड फूल कर डॉली की चिकनी एवं गरम चूत में पिचकारी छोड़ने लगा. डॉली भी बहुत जोर से अपने चूत का पानी छोड़ने लगी.


ये ले मेरी जान ...मेरा लंड ..इस की क्रीम अपनी चूत. में ले ..ए ...ए ....कहते हुए विजय डॉली की चूत में झड गया.


डॉली भी इस चुदाई के मजे से झड गयी.


चलो अब चाय पी लें.डॉली ने हँसते हुए बोला.


और वो दोनों अपनी शादीशुदा जिन्दगी की सुबह कि पहली चाय साथ में पीने लगे.


उधर राजेश्वारी देवी अपने पति जगमोहन के संग चाय कि चुस्कियां ले रहीं थी. घर में नया मेहमान आया है इसकी खुशी उन दोनों को थी.


अगले एक हफ्ते के अन्दर सारे मेहमान अपने घर चले गए. और घर में जीवन सामान्य दिनचर्या में चलने लगा. विजय सुबह जल्दी काम पर निकल जाता था और शाम को अँधेरा होने के बाद ही वापस आता था. पर रात में दोनों जम के जवानी के खेल खेलते थे.

कैसे कैसे लगभग एक साल गुज़र गया पता ही नहीं चला.


एक दिन दोपहर में घर का काम करने के बाद डॉली को समझ नहीं आ रहा था कि शाम को खाने में क्या बनया जाए. वो सास से ये पूछने के लिए उनके कमरे कि तरफ जाने लगी. जैसे ही उसकी सास राजेश्वरी देवी का कमरा करीब आ रहा था वहां से कुछ अजीब सी आवाजें आ रहीं थीं. उसे लगा सासू माँ कोई टीवी सरियल देख रही हैं. उसने रूम का दरवाजा खोल दिया. अन्दर का नज़ारा देख कर उसके हालत फाख्ता हो गयी. उसकी सास राजेश्वरी देवी अपने घुटनों के बल हो कर पर कुतिया के पोस में बिस्तर पर थीं. पीछे से उसके ससुर उनकी चुदाई कर रहे थे. सासू माँ अपनी गोरी और मोटी गांड ऊपर उठा उठा कर लंड अपनी चूत में ले रही थीं. आह आह कि आवाजें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं. हर धक्के पर गांड पर पक पक की आवाज आती थी सासु मन के बड़े बड़े मम्मे हवा में झूल से जाते थे. कमरे में लाइट पूरी नहीं जल रही थी और खिड़की के परदे भी बंद थे इसलिए सारा दृश्य डॉली कि साफ़ नहीं दिख रहा था. वो डर था कि अगर सास ससुर ने उसे इस समय देख लिया तो सबकी स्थिति थोडा खराब हो जायेगी. इस लिए डॉली दबे पाँव उस कमरे से बाहर निकल आयी.


उसके पैरो में एक अजीब सी झुरझुरी हो रही थी. अन्दर कि चुदाई को देख कर उसे लग रहा था कि काश विजय यहाँ होता. वो लिविंग रूम में आ कर सोफे पर बैठ गयी. उसने टेबल पर से एक गृहशोभा उठाई और पढने के लिए जैसे ही पेज पलटती. उसने देखा उसके ससुर सामने के सोफे पर बैठ कर अखवार पढ़ रहे हैं. उसके मुंह से चीख निकल गयी. वो डर के मारे एकदम से खडी हो गयी. ससुर ने उसे देखा.


क्या हुआ बहु. तुम इतना डरी डरी क्यों हो... क्या हुआ?” ससुर ने पूछा.


पापा जी वो उधर ...उधर ...डॉली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले.
वो सासु मन के कमरे की तरफ देख रही थी. और जैसे काँप रही थी.

आप तो मम्मी जी के साथ थे न?......” डॉली हकलाते हुए बोल रही थी.

जगमोहन को समझ में आ चुका था की डॉली ने उनकी पत्नी राजेश्वरी को उनके भाई सुरजमोहन के साथ रंगरेलियां मनाते देख लिया है. जगमोहन और सूरजमोहन ने शुरू से अपने बीच में कोई पर्दा नहीं रखा, जवानी में नौकरानी से ले कर कॉलेज में रत्ना तक,जब भी किसी एक को चूत मिली तो उसने दुसरे के साथ मिल बाँट कर उसे चोदा. यहाँ तक शादी कि सुहागरात तक में दोनों नयी दुल्हन के साथ रहे. और आज भी दोनों एक दुसरे के घर जा कर एक दुसरे कि पत्नियों को नियमित रूप से चोदते थे.









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